#coronavirus: फिजिकली डिसेबल्ड लोगों को इस तरह दें कोरोना की जानकारी

हर मुमकिन तरीके से लोगों को कोरोना वाइरस के विषय में जानकारी दी जा रही है लेकिन जनसंख्या का एक हिस्सा उन लोगों का भी है जो विकलांग हैं और उन तक इस जानलेवा वाइरस की जानकारी साधारण तरीकों से हट कर पहुंचाने की जरूरत है. विकलांगता दो प्रकार की होती है, शारीरिक और मानसिक. दोनों ही रूपों में यह व्यक्ति को सामान्य लोगों से किसी न किसी तरह से अलग बनाती है जिस के कारण उन्हें इस महामारी में अत्यधिक सावधानी बरतनी की आवश्यकता है. उन्हें विभिन्न तरीकों से समझाया जा सकता है कि हाथ धोना, खुद को सब से अलग रखना, मास्क पहनना और वाइरस की चपेट में आने से बचने के लिए क्याक्या किया जा सकता है.

विकलांग व्यक्तियों को कोरोना वाइरस की जानकारी निम्न तरीकों से दी जा सकती है:

जो व्यक्ति देखने में असमर्थ हों उन्हें कोरोना के बारे में औडियो अवेयरनेस प्रोग्राम सुना कर सतर्क किया जा सकता है या ब्रेल लिपि द्वारा समझाया जा सकता है.

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वे व्यक्ति जो सुन नहीं सकते उन्हें पोस्टर्स और हाथों के मूवमेंट्स द्वारा कोरोना की जानकारी देनी चाहिए.

मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए कोविड-19 को समझना मुश्किल हो सकता है. ऐसे में पारिवारिक सहयोग की बेहद आवश्यकता होती है. परिवार के लोग उन्हें वाइरस के बारे में बताएं, वे न भी समझें तो बारबार हाथ धोने के लिए कहें और बाहर निकलने से रोकें.

उन्हें बताएं कि उन्हें किसी से भी खाना या बर्तन शेयर नहीं करने हैं. किसी से कम से कम 3 फुट की दूरी पर खड़े हो कर बात करनी है.

अगर ग्लव्स नहीं पहनें हैं तो हाथ से दरवाजा या दरवाजे के बाहर की किसी चीज को नहीं छूना है बल्कि कोहनी से छूने की कोशिश करना है.

अपने फोन और किसी भी डिजिटल यूज के उपकरण को सेनीटाइज करते रहना है.

यदि मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति को हाथ धोने की समयसीमा बतानी है तो उसे 20 सेकंड का कोई गाना या हैप्पी बर्थडे दो बार गाने को कहें और बताएं कि उन्हें इतनी ही देर हाथ धोने हैं.

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यदि अतिआवश्यक न हो तो डाक्टर के पास रूटीन चेकअप के लिए जाना स्किप करें.

विकलांग व्यक्तियों के लिए यह समय मुश्किल हो सकता है क्योंकि बिना किसी के संपर्क में आए ऐसे बहुत से काम है जो उन के लिए करने मुमकिन नहीं हैं. इस स्थिति में बेहद जरूरी है कि वे घर में ही रहें और अपने परिवार के सदस्यों से ही मदद लें. खुद को ज्यादा से ज्यादा स्वच्छ रखें और वाइरस की चपेट में आने से बचे रहें.

ज़िन्दगी-एक पहेली: भाग-6

पिछला भाग- ज़िन्दगी–एक पहेली:  भाग-5

अनु की मम्मी हॉस्पिटल के बाहर खड़ी रो रहीं थी लेकिन उन्हें पता नहीं था कि एमरजेन्सी वार्ड में क्या चल रहा है.अनु के पापा बाहर आए और अपने ड्राइवर से कहा कि अनु की  मम्मी को लेकर घर चले जाओ और अपनी पत्नी  से बोले,”  अनु कि तबियत  ज्यादा खराब है तो दिल्ली ले जाने की  तैयारी करो”.अनु कि मम्मी उनका चेहरा देखकर समझ तो गयी थी कि कुछ गलत है उन्होने जिद की तो उन्होने डांटकर वापस घर भेज दिया. अविरल दरवाजे पर खड़ा अपनी दीदी का इंतज़ार  कर रहा था. जैसे ही गाड़ी दिखाई दी उसे लगा अनु आ गयी है पर जब मम्मी को रोकर गाड़ी से उतरते हुए देखा तो उसे डर  लगा उसने तुरंत पूंछा… “मम्मी दीदी कहाँ है?” लेकिन उन्होने कहा कि उसे लेकर दिल्ली जाना है, तैयारी करो.फिर ड्राईवर गाड़ी लेकर हॉस्पिटल चला गया.अंदर अनु की  मम्मी रो रही थी और बाहर अविरल एकटक गाड़ी का इंतज़ार कर रहा था.

अब आसपास के लोग भी घर में जुटने शुरू हो गए थे.अविरल को बहुत डर लग रहा था.थोड़ी देर बाद गाड़ी फिर दिखाई दी.अविरल वही खड़ा हो गया.अविरल के पापा ने कहा कि बेटा अनु बेहोश है दिल्ली लेकर चलना है.अविरल वहीं खड़ा रहा .आसपास के कुछ लोग आए और अनु को उठाकर अंदर ले आए और जमीन में चादर बिछाने को बोले तो अविरल तुरंत लड़ गया कि दीदी को जमीन में क्यूँ लिटा रहे हो, ऊपर बेड पर लिटाओ न.लेकिन अनु को जमीन में लिटा दिया गया.आसपास के लोगो ने अविरलको चिपका लिया और बोले कि अनु तुम्हें छोड़कर बहुत दूर चली गयी.अविरल ने अनु को देखा और तेजी से भागकर अंदर भागा और सारी रात बाहर नहीं आया.

अविरल के पापा के तो जैसे सारे आँसू सूख से गए थे. वो एकदम पत्थर के बुत कि तरह अनु को एकटक देखते रहे .उनके मुंह से बस एक ही शब्द निकला “अब मेरा इलाज़ कौन करेगा ‘बिट्टी’ “.

अविरल की  माँ भी एकदम बेसुध हो चुकी थी.कुछ ही समय में अविरल की  मौसी जो दिल्ली में रहती थी अपने पूरे परिवार के साथ आ गयी थी.सब एकदम सदमे में थे .

सुबह हो चुकी थी.जैसे- जैसे लोगों को पता चला लोग भागते हुए पहुंचे.आसू  और अमित भी अविरल के घर पहुंचे.सुमि को जब पता चला तो वह अविरल के घर जाने को हुई लेकिन सामाजिक बंधनों के कारण वह तड़प कर रह गयी और अपने भाई को संभालने नहीं आ पाई.

अब अनु की बॉडी ले जाने का समय आ चुका था.अविरल अपनी  दीदी से चिपक गया .बोला,” दीदी ठीक हो जाएगी ,इसको कहाँ ले जा रहे हो? सबने गाड़ी में उसकी बॉडी रख ली.सब लोग गाड़ी में बैठ गए.लेकिन अविरल के पापा उनके साथ नहीं गए.उन्होने कहा,” मैंने अपनी बिट्टी को अपनी गोद में खिलाया है.मै उसे पानी में कैसे बहा सकता हूँ? (एक माँ बाप के लिए इससे बड़ा कोई दुःख नहीं होता की उसकी संतान उनके आँखों के सामने ही दम तोड़ दे )

अविरल अपनी दीदी की बॉडी के पास गाड़ी में बैठ गया था.वो बार- बार कह रहा था की ..”दीदी को इतनी कसके क्यों बांध रखा है ?इसका दम घुट रहा होगा”.

अब सब लोग नदी के किनारे पहुँच गए थे .अब अविरल को अनु को अंतिम विदाई देनी थी.जब अनु को पानी में बहाया जा रहा था तो अविरल ज़ोर-ज़ोर से रो रहा था .वह बार- बार कह रहा था की,”दीदी को पानी  से बहुत डर लगता है ,ये मत करो.ये सुन कर वहाँ मौजूद सब लोगों की आंखे भर आई.अविरल के चचेरे भाइयों ने उसको संभाला और कहा,” अब दीदी को जाने दो“.

शायद ही इस दिन से ज्यादा मनहूस दिन किसी के जीवन में कभी आता होगा.सब लोग अनु को  हमेशा के लिए  विदा करके घर आ गए .

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उसी रात अविरल की मौसी लोगों को वापस दिल्ली भी जाना था .अविरल रो-रोकर उन सबसे मिन्नते कर रहा था की आप लोग मत जाओ ,लेकिन उन्होने किसी जरूरी काम का कहकर उसे समझा दिया.वो उससे बोले अभी 4-5 दिन में हम फिर आ जाएंगे.और फिर वो सब उसी रात वापस दिल्ली लौट गए.

अविरल और उसका परिवार बहुत अकेला हो चुका था.उसे अपने साथ साथ अपने माँ-बाप का ख्याल भी रखना था.अनु की कही हुई बाते उसे रह-रहकर याद आ रही थी .उसके आँसू तो जैसे सूखने का नाम ही नहीं ले रहे थे.

कुछ समय बाद शुद्धि का दिन आ गया.घर में पूजा थी.दिल्ली से भी मौसी लोग देहारादून आ गईं.जब अविरल की मौसी ने उनकी हालत देखी  तो उन्होने अविरल के परिवार को अपने साथ दिल्ली ले जाने का निश्चय किया.

और अगले ही दिन अविरल की मौसी उन सबको अपने साथ  दिल्ली ले आई.मौसी के 6 लड़के थे जिसमें बड़े लड़के का नाम कार्तिक था और छोटे का नाम अमन था.दोनों ही अविरल और अनु से उम्रमें काफी बड़े थे.उन चारों में आपस में सगे भाई – बहनों सा प्यार था.अविरल, कार्तिक आपस में काफी घुले मिले थे और अमन और अनु आपस में.बचपन से ही हर गर्मियों की छुट्टियों में अविरल और अनु घूमने के लिए मौसी के घर जरूर आते थे.

कार्तिक और अमन अनु के कॉलेज गए इन्फॉर्म करने के लिए तो किसी को भी अनु के छोड़ जाने का विश्वास नहीं हुआ.उसकी रूममेट्स रोने लगीं.थोड़ी देर बाद वो अनु का सारा समान लेकर आई जिसमे अनु का कॉलेज वाला बैग  और कुछ कपड़े थे.

अनु का सारा सामान लेकर अमन और कार्तिक घर वापस आ गए  और सारा समान अनु के मम्मी-पापा को दे दिया.अविरल अनु का बैग  लेकर अलग कमरे में चला गया और बैग  से चिपककर फूट- फूट कर रोने लगा.तभी कार्तिक ने आकर अविरल को संभाला और साथ बाहर ले आए.1-6 दिनों बाद अविरल ने अनु का बैग  खोलकर देखा तो उसमे अविरल को एक  डायरी मिली.जब उसने डायरी पढ़ना शुरू किया तो उसे अपनी आँखों पर  विशवास ही नहीं हुआ.

अगले पार्ट में हम जानेंगे कि अनु ने डायरी में ऐसा क्या लिखा था जिसे पढ़कर अविरल के चेहरे का रंग ही उड़ गया?

#coronavirus: घर पर ऐसे बनाएं बाजार में मिलने वाले महंगे फेस मास्क शीट

बिजी लाइफस्टाइल में रोजाना फेस के लिए टाइम निकालना मुश्किल हो जाता है. औफिस से घर पहुंचकर हमारे पास अपने लिए वक्त नही मिल पाता. और अगर टाइम मिल भी जाए तो हम आलस में नही कर पाते. लेकिन आजकल कोरोना वायरस की बढ़ती महामारी के चलते हम घर पर रह रहे हैं.

इसीलिए हम आपके लिए एक ऐसा आइडिया लेकर आएं है जिससे आप घर बैठे बिना ज्यादा मे मेहनत के सुंदर स्किन पा लेंगे. स्किन का हाइड्रेट होना बहुत जरूरी है, जिसके लिए हम फेस के लिए मास्क बनाते हैं पर अगर हम मास्क को बार-बार बनाने की जगह मास्क शीट का इस्तेमाल करें तो हम टाइम के साथ-साथ मेहनत भी बचा सकते हैं. साथ ही हम इसे स्टोर करके भी रख सकतें हैं. आज हम आपको ऐसे ही ग्रीन टी से बनने वाले फेस मास्क शीट के बारे में बताएंगे.

  1. ग्रीन टी

ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो आपकी स्किन को हेल्दी ग्लो देने में मदद करता है.

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घर पर ऐसे बनाएं फेस मास्क शीट…

गर्म पानी में लगभग 5-6 ग्रीन टी बैग्स मिलाएं और इसे 15-20 मिनट के लिए भिगो दें. टी बैग्स निकालने के बाद, इसे टैम्प्रेचर पर ठंडा करें. और ज्यादा फायदे के लिए आप इसमें नींबू के रस की कुछ बूंदें डाल सकते हैं. इस मिश्रण में कौटन वाइप्स / ड्राई शीट मास्क को भिगोकर लगभग 30 मिनट के लिए ठंडा करें और फिर यूज करें.

  1. खीरे का रस

अगर आपकी सेनसिटिव स्किन है, तो खीरे के रस से बनी शीट मास्क बेहद फायदेमंद साबित होगा. खीरा विटामिन सी से भरपूर होता है और इसमें कैफिक एसिड होता है जो सूजन, इचिंग स्किन से लड़ने में मदद करता है और स्किन को कोमल बनाने में मदद करता है.

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ऐसे बनाएं खीरे के रस से मास्क शीट

3-4 खीरे का रस निकालें जो सिर्फ शीट मास्क को पूरी तरह से भिगोने के लिए पर्याप्त है. इसमें अपने सूती का कपड़ा या सूखा शीट मास्क डुबोएं और लगभग 30 मिनट के लिए ठंडा करने के लिए फ्रिज में रखने के बाद आप कभी भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

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शीट मास्क को किया जा सकता है स्टोर

गीले शीट मास्क को मोड़कर एक जिप लौक बैग में रखकर उन्हें फ्रिज में स्टोर किया जा सकता है. ये होममेड शीट मास्क किसी भी हानिकारक केमिकल से बने नही होते, जबकि बाजार में मिलने वाले ज्यादातर शीट मास्क में खुशबू आदि जैसे एडिटिव्स मिले होते हैं. लेकिन जरूरी है कि 10 दिनों के अंदर इन शीट मास्क का इस्तेमाल कर लें.

काली लिपस्टिक में Devoleena ने लगाया ग्लैमर का तड़का, आप भी कर सकती हैं ट्राय

बौलीवुड हो या टीवी एक्ट्रेस फैशन के मामले में कोई किसी से कम नहीं है. हाल ही में बिग बौस 13 (Bigg Boss 13) से फैंस का दिल जीत चुकीं एक्ट्रेस देवोलीना भट्टाचार्या (Devoleena Bhattacharjee) हाल ही में अपनी कुछ फोटोज को लेकर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थीं, जिसका कारण उनका डार्क लिपस्टिक फैशन है. देवोलिना (Devoleena Bhattacharjee) का डार्क लिपस्टिक फैशन (Dark Lipstick) आप भी किसी पार्टी या वेडिंग सीजन में ट्राय कर सकती हैं. साथ ही आज हम आपको देवोलीना (Devoleena Bhattacharjee) के साथ बौलीवुड की टौप एक्ट्रेसेस के डार्क लिपस्टिक फैशन के बारे में बताएंगे.

1. काली लिपस्टिक में Devoleena Bhattacharjee  के ग्लैमर का तड़का

एक फोटोशूट में ‘साथ निभाना साथिया’ फेम गोपी वहू यानी देवोलीना ने काली लिपस्टिक लगाकर अपने ग्लैमर का तड़का लगाया है. काली लिपस्टिक के साथ देवोलीना (Devoleena Bhattacharjee) ने पैरेट ग्रीन कलर के आई शैडो और व्हाइट कलर की पैटर्न ड्रेस पहनी, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया.

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2. दीपिका का लुक भी नहीं है किसी से कम

 

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it’s the time to disco!?

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दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) हर तरह के फैशन को अपने ऊपर ढाल लेती हैं. वहीं डार्क लिपस्टिक की बात की जाए तो दीपिका का फैशन हर किस को पसंद आता है, जिसमें डार्क लिपस्टिक फैशन भी शामिल है.

3. जैकलिन फर्नांडिज़  का लुक भी है परफेक्ट

 

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It’s @lovecolorbar day!! Gonna be discussing lots on @lovecolorbar new makeup collection all day on my IG stories! See ya there!

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जैकलिन फर्नांडिज़ को एक्सपेरिमेंट करने से डर नहीं लगता. डार्क लिपस्टिक हर किसी के लुक पर नहीं फबती, लेकिन जैकलिक का ये डार्क लिपस्टिक लुक उनके लिए परफेक्ट है. ये उनके फैशन पर चार चांद लगा रहा है.

4. करीना कपूर का लुक भी करें ट्राय

 

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Such a beautiful @kareenakapoorkhan ? Yay or Nay? ❤

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करीना कपूर किसी भी गहरे रंग जैसे गहरे बेर या शराब को आसानी से अपनी गहरी आँखों और पोर्सिलेन के साथ जंच सकती हैं. इस गहरे वाइन रंग की लिपस्टिक शेड के साथ मोटी आईलाइनर और कॉपर गोल्ड शैडो में उनका लुक देखने लायक है. करीना का यह लुक इंडियन ट्रेडिशनल वियर जैसे lehenga या साड़ी के साथ पेयर करना बेस्ट औप्शन रहेगा.

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5. प्रियंका चोपड़ा का लुक भी करें ट्राय

प्रियंका चोपड़ा बौलीवुड से लेकर हौलीवुड तक अपनी पहचान बना चुकीं हैं. वहीं फैशन की बात करें तो वह हर किसी कलर को अपने हिसाब से ढाल लेती हैं. हाल ही में होली पार्टी के मौके पर प्रियंक वाइट कलर के कौम्बिनेशन के साथ डार्क लिपस्टिक लगाकर पहुंची, जो उनके लुक पर चार चांद लगा रहा था.

#Lockdown: घर पर बनाएं क्रिस्पी क्रंची राइस बौल 

लेखक- अंजलि खेर

कोरोना की महामारी से बचाव के चलते हम सभी अपने-अपने घरों में बने रहने को मज़बूर हैं. घर पर किराने का सामान भी या तो खत्‍म होने की कगार पर हैं, या खत्‍म हो गया.  ऐसी स्थिति में जबकि हमारे छोटे बच्‍चे भी पूरे समय घर पर ही हैं, उन्‍हें तो हर पहर कुछ नया, कुछ चटपटा खाने को चाहिए.  मां के सामने बड़ी दुविधा होती है कि आखिर क्‍या बनाये ? जो बच्‍चों को भाये और किचन में उपलब्‍ध थोड़े से सामान में ही आसानी से बन जाये?  तो आइये जानें चावल से बनी क्रिस्पी -क्रन्चि बाल बनाने की विधी  जो कम कवायद में भी बन सकते हैं –

हमें चाहिए

यदि रात के बचे पके चावल हो या फिर ताजे चावल-2 कटोरी (दो सीटीं ज्‍यादा देकर बनाया मुलायम चावल)

नमक-मिर्च(स्‍वादानुसार)

कॉर्न फ्लोर 1/2 चम्मच

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अजवाइन

जीरा

तलने के लिए तेल-घी( घर पर जो भी उपलब्‍ध हो) हरी धनिया मिर्च(यदि उपलब्‍ध हो तो, वैसे जरूरी नहीं)

एक चम्‍मच बेसन.

बनाने का तरीका

** चावल को बड़े कटोरे में निकालकर चम्‍मच से अच्‍छी तरह मैश करें.

** फिर उसमें कॉर्न फ्लोर, नमक, मिर्च, जीरा अजवाइन, हरी धनिया-मिर्च और बेसन मिलाकर गाढ़ा पेस्‍ट तैयार करें.

** फ्राई पेन में तेल गर्म करके चावल के पेस्‍ट की छोटी-छोटी गोल  पकौडि़यां धीमीं आंच पर तलें.

** तैयार पकौडि़यां हरी चटनी, सॉस या दही से साथ परोसें.

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#coronavirus: कोरोना मुक्ति दवाई बनाने में जुटे वैज्ञानिक!

लेखक- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

जानलेवा कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में दहशत के बीच इस संक्रमण की दवा को लेकर नई उम्मीद जगी है. भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी सिप्ला  6 मास में इस लाइलाज कोरोना वायरस के उपचार के लिए दवा का बना लेगी. यदि ऐसा हो पाया तो  सांस लेने से जुड़ी दिक्कतों और फ्लू के बेहतर इलाज का ईजाद करने वाली  सिप्ला भारत की पहली कंपनी हो जाएगी, जिसे कोविड-19 की दवा बनाने का श्रेय भारत मे हासिल होगा. यह  दवा कंपनी वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ मिलकर कोविड-19 के उपचार की दवा बनाने में जुटी है.यह कंपनी सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर कोरोना की दवा विकसित करने के साथ ही इस संक्रमण से सांस लेने से संबंधित तकलीफों में ली जाने वाली दवा, अस्थमा में ली जाने वाली एंटी वायरल दवाओं और एचआईवी की दवाओं के इस्तेमाल पर भी अनुसंधान कर रही है. इसके लिए इस कंपनी ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी से सक्रिय फार्मा अवयवों (एपीआई) को बनाने के लिए मदद मांगी है.

आईआईसीटी के निदेशक एस चंद्रशेखर और प्रमुख वैज्ञानिक प्रथम एस मेनकर के अनुसार सिप्ला के अध्यक्ष वाईके हामिद ने उनसे एंटी वायरल कंपाउंड – फेविपिरावीर, रेमेडिसविर और बोलैक्सेविर तैयार करने के संबंध में संपर्क किया है. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों में कई एंटी-वायरल दवाओं की खोज की गई थी, लेकिन मांग में कमी के कारण क्लिनिकल ट्रायल के बाद इसे रोक दिया गया था.

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यूसुफ हामिद का कहना है कि वे अपने सभी संसाधनों को देश के फायदे के लिए लगाना राष्ट्रीय कर्तव्य मान रहे हैं.’  कंपनी  इन दवाओं का दोगुना उत्पादन कर रही है.  अगर भारतीय चिकित्सा फैटरनिटी निर्णय करता है तो कंपनी के पास और भी दवाएं हैं, जिसका इस्तेमाल फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याओं के इलाज में किया जा सकता है.

हामिद का कहना है कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए एंटी वायरल कंपाउंड जैसे -फेविपिराविर, रेमिडेसिविर तथा बोलैक्सेविर का जल्दी ही उत्पादन शुरू किया जाएगा. हालांकि कोविड-19 अब तक एक लाइलाज बीमारी है और अब तक इससे दुनियाभर में करीब 11 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. कई देश इसके उपचार पर शोध कार्य भी कर रहे हैं.अमेरिका समेत दुनिया के विभिन्न देशों में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. अमेरिका ने भी कोरोना की वैक्सीन का परीक्षण किया है. सिएटल शहर में कोविड-19 की वैक्सीन सबसे पहले एक महिला को लगाई गई है. इस महिला का नाम जेनिफर हॉलर बताया गया है.

43 वर्षीय जेनिफर हॉलर एक टेक कंपनी में बतौर ऑपरेशन मैनेजर काम करती हैं. कोरोना के कारण जब सभी बहुत असहाय महसूस कर रहे हो. ऐसे में उनके लिए कुछ करने का शानदार अवसर है.  उनकी दो बेटियां भी मानती हैं कि कोरोना दवा स्टडी में भाग लेना काफी शांति देने वाला है. वही अन्य कई देशों में वॉल्टर रीड आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च सहित कई स्वास्थ्य संगठन संभावित कोविड-19 के टीके विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं.

अमेरिकी सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, कोरोना वायरस से बचाने के लिए बनाए गए वैक्सीन का परीक्षण शुरू हो चुका है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) इस परीक्षण के लिए धन मुहैया करा रहा है, यह कार्य सिएटल में कैसर परमानेंट वॉशिंगटन हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट में हो रहा है. जन स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि किसी भी संभावित टीके की पुष्टि में एक साल से 18 महीने तक का वक्त लगेगा. यह परीक्षण 45 युवा एवं स्वस्थ स्वेच्छाकर्मियों के साथ शुरू हुआ है.

ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने दावा किया कि उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने में कारगर दो दवाओं – एचआईवी और मलेरिया रोधी- का पता लगा लिया है. क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के क्लिनिकल शोध केंद्र के निदेशक डेविड पैटर्सन ने बताया कि दो दवाओं को टेस्ट ट्यूब में कोरोना वायरस को रोकने के लिए इस्तेमाल किया गया और यह कारगर है और इंसानों पर परीक्षण के लिए तैयार है.

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पूरी दुनिया में लगभग तीन लाख चालीस हजार लोग इस खतरनाक संक्रमण की चपेट में हैं. दुनिया के कई देश और भारत के कई राज्यो भी इससे बचाव के लिए लॉकडाउन किये जा चुके हैं.

वही कोरोना वायरस की मार झेलने वाले चीन ने भी इसकी वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल का पहला फेज शुरू कर दिया है. यह वैक्सीन चीन के मिलिटरी साइंटिस्ट ने तैयार की है. अमेरिका ने ऐलान किया  कि उसने mRNA-1273 नाम की वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिया है.

हाल ही में 17 मार्च को चीन की क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री में की गई एक एंट्री के अनुसार ट्रायल इस साल के अंत तक जारी रहेगा.

लेकिन फिलहाल कोई भी अप्रूव्ड वैक्सीन COVID19 को रोकने के लिए कारगर नहीं है.इसके लिए सावधानी ही बचाव है.

हालांकि चीन और अमेरिका कोरोनारोधी  वैक्सीन बनाने की दौड़ में लगे हैं. जबकि सच यह भी है कि एक सुरक्षित और कारगर दवा बनाने में समय लग सकता है. अमेरिका के नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ और मैसचूसिट्स की बायोटेक्नॉलजी कंपनी मॉडर्ना इंक की बनाई वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए आने में भी डेढ़ साल का समय लग सकता है. वहीं, एशिया में ऐंटीवायरल ट्रीटमेंट रेमडेसिविर अपने लक्ष्य के आखिरी चरण में है. चीन के डॉक्टरों ने इसे कोरोना के खिलाफ कारगर बताया है.जबकि अभी यह देखा जाना है कि यह दवा सुरक्षित भी है अथवा नहीं.

एक अन्य उपलब्धि में कोरोना से रिकवर हुए मरीजों के ब्लड प्लाज्मा से एंटीबॉडीज लेकर एक जापानी कम्पनी दवा बना रही है.कम्पनी टाकेडा का दावा है यह दवा कोरोना के मरीजों के लिए काफी कारगर साबित होगी. उसका तर्क है कि रिकवर मरीजों से निकली एंटीबॉडी नए कोरोनामरीजों में पहुंचेगी और उनके इम्यून सिस्टम में तेजी से सुधार करेगी और मरीज कोरोना से रिकवर होगा.

ऐसे मरीज जो हाल ही में कोरोना बीमारी से उबरे हैं उनके शरीर में मौजूद इम्यून सिस्टम ऐसे एंटीबॉडीज बनाता है जो ताउम्र रहते हैं. ये एंटीबॉडीज ब्लड प्लाज्मा में मौजूद रहते हैं. इसे दवा में तब्दील करने के लिए ब्लड से प्लाज्मा को अलग किया जाता है और बाद में इनसे एंटीबॉडीजनिकाली जाती हैं. ये एंटीबॉडीज नए मरीज के शरीर में खास थैरेपी की मदद से इंजेक्ट की जाती हैं इसे प्लाज्मा डेराइव्ड थैरेपी कहते हैं. यह मरीज के शरीर को तब तक रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है जब तक उसका शरीर खुद  तैयार करने के लायक न बन जाए.

डब्ल्यूएचओ के इमरजेंसी प्रोग्राम हेड माइक रियान के मुताबिक, कोरोनावायरस से इलाज का यह बेहतर तरीका है. परन्तु यह मरीजों को सही समय पर दिया जाना चाहिए ताकि शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ सके. लेकिन ऐसा करते समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी है क्योंकि यह थैरेपी हर बार सफल नहीं होती.

चीन के शंघाई में डॉक्टरों की टीम ने कोरोनावायरस से नए मरीजों को चिन्हित किया गया है. मेयो क्लीनिक के संक्रमण रोगविशेषज्ञ ग्रेग पोलैंड के अनुसार चीन में इसकी शुरुआत की जानकारी मिली है लेकिन अब तक कोई रिसर्च जर्नल में प्रकाशित नहीं हुई है.लेकिन उनकी कोशिश जारी है.

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जापानी दवा कंपनी टाकेडा पहले भी इम्युनिटी को बढ़ाने वाली दवा बना चुकी है, जिसका नाम इंटरवेनस इम्युनोग्लोबिन है. इसका इस्तेमाल इम्यून डिसऑर्डर का इलाज करने में किया जाता है. इसे तैयार करने में स्वस्थ लोगों की एंटीबॉडीज का इस्तेमाल किया गया है. कंपनी का दावा है कि यह सुरक्षित और कारगर है, साथ ही इससे वायरस फैलने का खतरा नहीं है.कंपनी कोरोनावायरस की जो नई दवा बना रही है उसमें कोरोनावायरस से ठीक हो चुके मरीजों की एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाना है. कंपनीने दवा का नाम TAK-888 रखा है, जो खासतौर पर कोरोना को खत्म करने का काम करेगी.कंपनी के प्रेसिडेंट जूली किम के अनुसार सिंगर डोनर से कोरोना के मरीज को ठीक किया जा सकेगा. जो कोरोना से पीड़ित दुनिया के प्रभावित देशो के लिए एक शुभ संकेत है.

लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-7)

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दादू को आखिर लंदन जाना ही पड़ा. शिखा उन को भेजना नहीं चाहती थी, स्वयं ही जाती. लंदन उस की परिचित जगह है. जानने वाले भी कम नहीं हैं पर यहां जैकेटों के सप्लाई को ठीक समय पर भेजना है, उन की क्वालिटी पर नजर रखना है दुश्मनों की कमी नहीं इतना बोझ दादू के लिए संभालना जरा कठिन था और जब से बंटी को साफ मना कर आई है तब से उसे पूरा विश्वास है कि वो चुप नहीं बैठेगा, कहीं से ना कहीं से नुकसान पहुंचाने की कोशिश तो करेगा ही, ऐसे में दादू को अकेले छोड़ना…लंदन पार्टी से बातचीत पूरी हो चुकी है. पावर आफ एटौर्नी ले कर गए हैं काम हो जाएगा. शिखा अब बाहर की पार्टियों में ज्यादा रुचि ले रही है. इधर बंटी की तरफ से उस के मन में आशंका बढ़ी है बहुत सतर्क रहना पड़ रहा है. वो सोच रही थी दुर्गा मौसी के घर की घटना को हफ्ता बीता पर बंटी चुप क्यों है? सुलह करने की कोशिश क्यों नहीं की? रविवार का दिन था थोड़ी देर से उठी वो. रात देर तक काम किया था. दादू से बात भी हुई काम बन गया, साईन हो गए कल सुबह चले आएंगे. यह भी बड़ी डील है शिखा घबरा रही थी पर दादू ने साहस जुटाया, ‘‘घबराने की कोई बात नहीं, हम सोचते हैं हम कर रहे हैं पर करने वाला तो कोई और है.’’

लच्छो मौसी ने आज उस के पसंद का नाश्ता बनाया है, आलू परांठा, मूली के लच्छे, बूंदी का रायता. वो शाकाहारी नहीं है पर मांस अंडा ज्यादा पसंद नहीं करती.

दादू तो पूरी तरह शाकाहारी हैं. शिखा मेज पर बैठी ही थी कि दुर्गा मौसी आ धमकी. शिखा को उन का आना बुरा नहीं लगा. अकेली बैठ खाना अच्छा नहीं लगता. उस ने मौसी का हार्दिक स्वागत किया.

‘‘आओ मौसी. नाश्ता करो.’’

तभी लच्छो गरम परांठा ले कर आई. सुगंध से कमरा महक उठा.

‘‘मौसी, एक और प्लेट ला दो.’’

दुर्गा मौसी तुरंत बैठ कर गोद में नैपकिन बिछाते बोली, ‘‘तेरे दादू नाश्ता नहीं करेंगे आज?’’

सतर्क हुई शिखा, मौसी उस की सगी है पर निकटता है मेहता परिवार से क्योंकि रुचि और सोच उन लोगों से ही मिलती है इन की. एक प्लेट में परांठा डाल कर ही लाई लच्छो रख गई मौसी के सामने. वो तुरंत टूट पड़ी प्लेट के ऊपर.

‘‘तेरे दादू क्या दिल्ली से बाहर गए हैं?’’

‘‘नहीं. द्वारका में उन के गुरुभाई के घर कुछ पूजा प्रवचन है.’’

‘‘हूं.’’

पूरी कटोरी भर रायता पी फिर से कटोरी भरती बोलीं, ‘‘कामकाज, जिम्मेदारी कुछ है नहीं तो यह सब फालतू काम करो.’’

‘‘यह फालतू काम तो है मौसी पर साफ शुद्ध भगवान का नाम तो है. जिम्मेदार कामकाजी लोग तो शराब की पार्टी करते चार सौ बीवी का प्लान बनाते उस से तो अच्छा है.’’

मौसी इतनी भी मूर्ख नहीं कि व्यंग के तीर की दिशा ना समझे पर इस समय अपने मिजाज पर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है. तुरंत प्रसंग टाल दिया.

‘‘बेबी, बंटी की ओर देख कर छाती फटती है मेरी.’’

‘‘अरे क्या हुआ? हाथपैर टूट गए क्या? हां गाड़ी बड़ी तेज चलाता है. असल में पीने के बाद कंट्रोल नहीं कर पाता. एक ड्राइवर रखने को कहो उसे.’’

गुस्सा पी लिया मौसी ने.

‘‘तू समझती क्यों नहीं, तू ने बड़ा दुख दिया है उसे. बचपन से उस ने तुझे अपना समझ, प्यार किया.’’

‘‘अपना समझा होगा, क्योंकि किसी भी चीज को कोई भी उस की अपनी चीज समझ सकता है पर प्यार का नाम मत लो इस शब्द का मतलब भी नहीं पता उसे.’’ नरम स्वर में दुर्गा मौसी ने कहा.

‘‘उन को आस थी कि तू बंटी की दुलहन बनेगी और यह कोई खयाली पुलाव भी नहीं. मेरे सामने मंजरी ने वचन दिया था तभी तो…’’

‘‘मौसी, उस समय तुम तीनों ही नशे में धुत् थीं शायद बंटी भी गिलास ले साथ दे रहा था.’’

‘‘पर वचन तो दिया ही था.’’

‘‘बारबार तुम ‘वचन’ शब्द को मत दोहराओ तुम्हारे मुख से शोभा नहीं देता. यह बड़ा पवित्र शब्द है उसे गंदे शराब के गिलास में मत बोलो. सुनो नशे के धुन में किए काम को कानून भी मान्यता नहीं देती. मैं ने तो साफ कह दिया है कि मैं इस बात को नहीं मानती.’’

‘‘पर अपनी मां का तो मान रख.’’

‘‘मां. नहीं मां के प्रति मेरे मन में कोई भी अनुभूति नहीं है और मां ने कभी बेटी का प्यार दिया है मुझे.’’

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‘‘गुस्सा मत कर मैं तो यों ही कह रही थी. ठीक है बंटी ना सही कोई दूसरा लड़का.’’

‘‘चुना एक बार ही जाता मौसी बारबार नहीं.’’

‘‘बेटा तू ही सोच वो अनाथ, गरीब आश्रम में पला लड़का तेरे स्तर, तेरे परिवार में बेमेल नहीं था?’’

‘‘बंटी किस बात से मेल खा रहा, शराबी, चरित्रहीन, सड़क पर आ कर खड़े होने वाले भ्रष्ट व्यापारी परिवार…’’

मौसी के शब्द ही खो गए. जाते समय बोल गई, ‘‘बेबी, तू माने या ना माने पर मुझे तेरे लिए बड़ी चिंता है.’’

‘‘इस का सीधा मतलब है कि तुम भी बंटी को विश्वास नहीं करती वो अपने मतलब के लिए मेरे साथ कुछ भी गलत कर सकता है. हद से नीचे जा सकता है. मौसी के पास इस का कोई उत्तर नहीं था. वो थोड़ी देर चुप रह कर बोली, पर बेबी, तेरे दादू और कितने दिन के… तू अकेली कैसे?’’

‘‘तब सोचूंगी कुछ.’’

‘‘वो…वो लड़का… मिलता है कभी?’’

‘‘सुकुमार? नहीं वो वचन का पक्का है.’’

‘‘मैं चाहती हूं तू अकेली ना रहे?’’

‘‘कल किसी को नहीं पता पर जो भी हो बंटी नहीं.’’

दुर्गा मौसी चुप हो गई.

‘‘लंदन’’ का आर्डर मिल गया. काम बढ़े पहले सोचा था हाथ का काम निबटा दूसरे काम में हाथ डालेगी पर ऐसा हुआ नहीं समय सीमा इन की भी कम है, टैंडर बुलाना पड़ा. दादू ने लौट कर पूरी घटना सुनी तो बहुत तनाव में आ गए, ‘‘बेटा, मुझे डर लग रहा है.’’

‘‘नहीं दादू, अगर चार दुश्मन हैं तो आठ दोस्त भी हैं.’’

‘‘समय पर कोई पास ना हुआ तो?’’

‘‘आप क्या सोच रहे हैं?’’

‘‘यही इस समय वो बौखलाए हुए हैं, डेसपरेट हैं.’’

‘‘कितना बड़ा कारोबार था. हमारे साथ टक्कर लेने वाले थे. सब बरबाद कर दिया.’’

‘‘उस के पीछे एक कारण है दादू.’’

‘‘क्या?’’

‘‘अय्याश तो यह लोग पहले से ही थे, दिमाग में मुफ्त में कंपनी को पाने का सपना पाल बैठे.’’ जानकीदास को चिंता थी शिखा की सुरक्षा की.

‘‘बेबी, एक गार्ड रख दूं?’’

‘‘क्या दादू? इतना भी क्या डरना.’’

‘‘यह अच्छे लोग नहीं हैं. बंटी की संगत बहुत बुरी है.’’

‘‘मैं अपनी गाड़ी में रहती हूं.’’

‘‘उसी का डर है. औफिस गार्ड को मना कर दूंगा कि बंटी अंदर ना आने पाए.’’

‘‘जैसा आप ठीक समझो.’’

‘‘सोच रहा था एक बार जोशीमठ हो आता पर.’’

‘‘जोशीमठ’’ के थोड़ा नीचे गंगा किनारे एक गांव में अति मनोरम स्थान पर पापा ने चार एकड़ जमीन ली थी. कहते थे.

‘‘तेरी शादी के बाद मैं वहां चला जाऊंगा. यहां तो मैं बस तेरे लिए पड़ा हूं. फिर वहां मैं फूलों की खेती करूंगा और शांति से रहूंगा.’’

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वहां एक सुंदर आरामदेह काटेज भी बनवाया था. कभीकभी जा कर रहते भी थे. उसे भी साथ लाना चाहते पर मम्मा के डर से कभी नहीं ले जा पाए. अब दादू महीना दो महीना में जाते हैं. फूलों का बगीचा भी लगाया है. माली है एक केयर टेकर परिवार सहित आउट हाउस में रहता है. झड़ाईसफाई करते हैं और दादू जब रहते हैं तब सेवा करते हैं. नई उम्र का जोड़ा है, सीधेसादे भले लोग.

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#coronavirus: Work From Home का लड्डू

कल रात औफ़िस से ‘वर्क फ़्रौम होम’ का  मेल मिला तो खुशी से मेरा दिल यूं बाग-बाग हो गया, मानो सुबह दफ़्तर जाते हुए मैट्रो में चढ़ते ही खाली सीट मिल गयी हो. एक तो पिछले कुछ दिनों से धर्मपत्नी, दिव्या का कोरोना पर कर्णभेदी भाषण और फिर हाल-चाल पूछने के बहाने मेरे औफ़िस पहुंचने से पहले ही लगातार कौल करने का नया ड्रामा ! उस पर आलम यह कि मुझे हल्की सी खांसी हुई नहीं कि क्वारंटिन का हवाला दे मेरी सांसों को अटका देना ! मेरी हालत किसी बौलीवुड हीरोइन की ज़ीरो फ़िगर से भी पतली हो गयी थी. वैसे वर्क फ़्रौम होम मेरे लिए भी उस गुलाबजामुन की तरह था, जिसे किसी दूसरे की प्लेट में देखकर मैं हमेशा लार टपकाता रहता था. इस और्डर से मेरे भीतर की प्रसन्नता उछल-उछल कर बाहर आ रही थी.

सुबह की बैड-टी के बाद आज के काम पर विचार कर ही रहा था कि “प्लीज़ आज ब्रैकफ़ास्ट आप बनाओ न!” कहते हुए दिव्या ने मधुर मुस्कान के साथ एक फ्लाइंग किस मेरी ओर उछाल दिया. यह बात अलग है कि मुझे वह चुम्मा ज़हर बुझे तीर सा लगा और घनी पीड़ा देता हुआ सीने में चुभ गया. अच्छा बहाना कि रोज़ एक वर्षीय बेटे नोनू की नींद टूट जाने के डर से पांच मिनट में नहाकर आ जाती हूं, आज फुल बौडी एक्सफोलिएशन करते हुए नहाऊंगी तो कम से कम आधा घंटा तो लग ही जायेगा.

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औफ़िस में बौस के आगे सिर झुकाने की आदत का लाभ हुआ और मैं बिना किसी ना-नुकुर के नाश्ता बनाने को राज़ी हो गया. मैंने औफ़िस में हर काम शोर्टकट में निपटा डालने वाला अपना दिमाग यहां भी लगाया और कम से कम परिश्रम और समय में तैयार रेसिपीज़ खोजने के लिए इंटरनैट खंगालना शुरू कर दिया. मेरी मेहनत रंग ले ही आयी और पोहा बनाने की विधि देख मेरी आंखें ऐसे चमक उठीं जैसे किसी छात्र के प्रश्न-पत्र में वही प्रश्न आये हों, जिसकी चिट बनाते हुए उसने पूरी रात नैनों में काट दी हो.

नाश्ते के बाद लैपटौप लेकर दूसरे कमरे में बैठा ही था कि मेरे बौस का फ़ोन आ गया. आवाज़ सुन दिव्या उस कमरे में चली आई और कुछ देर वहां ठहरने के बाद माथे पर त्योरियां चढ़ा मुझे घूरती हुई वापिस निकल ली. ढेर सारा काम देकर बौस ने फ़ोन काट दिया. मुझे मदद के लिए अपने असिस्टेंट को फ़ोन करना था. बेग़म डिस्टर्ब न हों इसलिए मैंने दरवाज़े को आधा बंद कर दिया, लेकिन वह भी अपने कान मेरे कमरे में लगाये थी. फ़ौरन कमरे का दरवाज़ा खोल भीतर झांकती हुई बोली, “काम कर लो न ! क्यों गप्पें मारकर अपना समय ख़राब कर रहे हो?”

“अरे, काम की ही बात कर रहा हूं.” मोबाइल को अपने मुंह से दूर करते हुए मैं बोला.

तिरछी नज़रों से मेरी और देखते हुए अपनी हथेली मुंह पर रख खी-खी करती हुई वह कमरे से चली गयी. उसकी भाव-भंगिमाएं कह रही थीं कि ‘आज पता लगा आप औफ़िस में भी कुछ काम नहीं करते !’

फ़ोन पर असिस्टेंट को काम समझाते हुए अपना दिमाग आधा खाली करवाने के बाद मैं लैपटौप में खो गया. दोपहर हुई और पेट में चूहे मटरगश्ती करने लगे. दिव्या को पुकारा तो वह गोदी में नोनू को लिए अन्दर घुसी. न जाने क्यों नोनू मुझे देख ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा. मैंने पुचकारते हुए अपने हाथ उसकी और बढ़ाये तो दिव्या बोल उठी, “आपको इस समय घर पर देख नोनू डर गया है.”

“क्यों सन्डे को भी तो होता हूं घर पर.”

“इस समय आप कुछ ज़्यादा ही टैंशन में हो, शक्ल तो बिल्कुल ऐसी लग रही है जैसे डेली सोप की किसी संस्कारी बहू की सास के चिल्लाने पर हो जाती है. ऐसा करो, या तो लंच आप तैयार करो या फिर मैं जब तक खाना बनाती हूं आप नोनू के खिलौनों में से किसी कार्टून करैक्टर का मास्क लेकर लगा लो. तभी खुश होकर खेलेगा यह आपके साथ !”

मरता क्या न करता ! दौड़कर बैडरूम में गया और दरवाज़े के पीछे लगे खूंटों से शिनचैन का मास्क उतराकर चेहरे पर लगा लिया.

खाना खाकर जितनी देर दिव्या किचन समेटती रही मैं मास्क पहनकर शिनचैन की आवाज़ में नोनू को हंसाता रहा. नोनू को मैंने अपने असली चेहरे की ओर इतने अपनेपन से ताकते हुए कभी नहीं देखा था. उसकी खिलखिलाहट देख जी चाह रहा था कि अब से मैं शिनचैनी पापा ही बनकर रहूं.

घड़ी की सुई तीन पर आने ही वाली थी. याद आया कि मैनेजर ने वीडियो-कौनफ्रैंस रखी थी, जिसमें मुझे अपनी प्रेज़ेन्टेशन दिखानी थी. किचन में जाकर नोनू को दिव्या की गोद में दे मैं हांफते हुए कमरे में आ गया और लैपटौप खोल मीटिंग के लिए लौग-इन कर लिया. मैनेजर और बाकी दो साथी पहले ही आ चुके थे. मेरे जौइन करते ही सब ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे. ‘यह औफ़िस की मीटिंग है या लौफ्टर क्लब की?’ सोचकर सिर खुजलाते हुए हंसी के इस सैशन में मैं उनका साथ देने ही वाला था कि मैनेजर बोल पड़ा, “राहुल, बाज़ार से मास्क खरीद लाते. वैसे घर में रहते हुए मास्क लगाना इतना ज़रूरी भी नहीं कि तुम शिनचैन का मास्क लगाकर बैठ गये!” सब लोगों का मुझ पर हंसना जारी था. पूरी मीटिंग में मैं खिसियानी सूरत लेकर बैठा रहा.

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मीटिंग ख़त्म होने पर आते-जाते बैडरूम में झांक बैड को ललचाई दृष्टि से देखता रहा, लेकिन मजाल कि दो घड़ी भी चैन से लेटने को मिले हों.

रात को सोते हुए जहां रोज़ अगले दिन की प्रेज़ेन्टेशन के विषय में सोचा करता था, आज सोच रहा हूं कि कल नाश्ते में क्या बनाऊंगा? यह वर्क फ़्रौम होम का लड्डू भी शादी जैसा ही है, जिसने खाया वह भी पछताया और नहीं खाने वाले को इसने ख़ूब तरसाया !

#coronavirus: प्रेग्नेंट महिला का रखें खास ख्याल

कोरोनावायरस को लेकर सुझाव और सावधानी की बातें रोज अखबारों, टीवी और सोशल मीडिया पर सुर्ख़ियों में है, लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं को कोविड-19 के इन्फेक्शन के बारें में अभी तक कुछ सावधानी नहीं बताया गया है, हालांकि हेल्थ केयर सेंटर्स इस बारें में अधिक से अधिक जानकारी हमेशा देती है ताकि मोर्बिडीटीकी रेट कम हो. ये सही है कि स्वस्थ बच्चे के लिए स्वस्थ माँ का होना बहुत जरुरी है, ताकि किसी भी प्रकार की इन्फेक्शन नवजात बच्चे और माँ को न पहुंचे.

इस बारें में पुणे की मदरहुड हॉस्पिटल की स्त्री एवम् प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश्वरी पवार कहती है कि प्रेगनेंसी में कुछ बातें हमेशा याद रखने की जरुरत होती है, ताकिमाँ एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें. क्याप्रेग्नेंट महिला को संक्रमण का अधिक खतरा रहता है? पूछे जाने पर डॉ. पवार कहती है कि प्रेगनेंसी में एक महिला की इम्युनिटी कम हो जाती है, इसलिए उनके लिए खास ध्यान देने की जरुरत घर पर रहकर करने की होती है, ताकि किसी भी प्रकार से वह संक्रमित न हो.इसके लिए उचित खान-पान, साफ-सफाई आदि की जरुरत पड़ती है. जब तक बच्चा गर्भ में रहता है,उसे किसी प्रकार के वायरस एटैक नहीं कर सकते. जन्म के बाद ही उसे किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होता है.

चीन से प्रसारित मेडिकल लिटरेचर में ये देखा गया है कि जिस प्रेग्नेंट महिला का कोविड-19 ब्लड टेस्ट पॉजिटिव था, उनकेएम्नियोटिक फ्लूइडमें कोविड -19 पॉजिटिव नहीं था, इसके अलावा बेबी के जन्म के बाद भी उनके थ्रोट स्वाब भीनिगेटिव था.

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ये सही है कि प्रेग्नेंट महिला अपनी देखभाल अच्छी तरह से करती है, इसलिए उनकी संख्या बाकियों से कम मिली.रिपोर्टेड केस के बारें में पूछने पर डॉ. पवार आगे कहती है कि लिटरेचर में मिली जानकारी के अनुसार केवल एक महिला ही कोरोना की पोजिटिव चीन में पायी गयी, जिसकोसीवियर रेस्पिरेटरी सिम्पटम्स 30 सप्ताह की प्रेगनेंसी में देखने को मिली और उन्हें वेंटिलेशन पर रखना पड़ा. ऐसे में सीजेरियन सेक्शन से बच्चे और माँ को बचा लिया गया.

क्या प्रेग्नेंट महिला में कोरोना के लक्षण अलग होते है? पूछे जाने पर डॉक्टर कहती है कि ऐसा कुछ अलग लक्षण उनमें नहीं होता. वैसे ही कफ,फीवर सांस लेने में तकलीफ होती है. सीवियर होने पर निमोनिया और रेस्पिरेटरी फेलियर और अंत में वेंटिलेशन की जरुरत पड़ती है. कोविड-19 की वजह से मिसकैरिज की कोई घटना अभी तक सामने नहीं आई है. इसके अलावा जन्मजात दोष कोई बच्चे में होगी या नहीं इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है, क्योंकि ये वायरस नया है और अधिक रिसर्च इस पर हुआ नहीं है. अगर ये फिटस (fetus) याप्लेसेंटा(placenta) कोक्रॉसकरतीहैतोक्याहोगाअभीइसेबतानामुश्किलहै. ऐसे में आज के माहौल को देखते हुए कुछ सावधानियां प्रेग्नेंट महिलाओं को अवश्य रखने की जरुरत है,जो निम्न है,

  • अगर आप कही बाहर गए हो तो, अपने डॉक्टर की ऑब्जरवेशन में रहे,
  • खुद को 2 सप्ताह के लिए आइसोलेशन में रखें,अर्थात इस दौरान न तो किसी से मिले और न ही किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें, किसी के साथ घुलने मिलने से बचे, अच्छी तरह से वेंटीलेटेड कमरे में रहे,किसी के साथ टॉवेल, साबुन, प्लेट्स, कप्स, स्पूंस आदि को किसी परिवार के सदस्यों के साथ शेयर न करें,
  • अर्जेंट मेडिकल केयर की अगर जरुरत पड़े, तो हॉस्पिटल में जाएँ और अपनी हिस्ट्री पूरी तरह से डॉक्टर को बताएं, ताकि अस्पताल आपका केयर अच्छी तरह से कर सकें,
  • अगर किसी भी प्रकार के जांच की सलाह डॉक्टर देती है, तो उसे जरुरत के अनुसार अवश्य करवाएं.

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#coronavirus: घर पर इन 7 बातों का भी रहें खयाल

कोरोना का कहर पूरे संसार पर ढह रहा है. लगभग हर देश इसकी चपेट में आ चुका है. लोग घरों में कैद होने पर मजबूर हैं. क्या करें, इससे बचाव भी ज़रूरी है. भीड़ भरे इलाकों में नहीं जाना है, साफ सफाई का ध्यान रखना है और संक्रमण से बचना है. पर इन सारी बातों का असर हमारी जीवन शैली के साथ हमारी ज़िंदगियों पर भी पड़ रहा है क्यूंकी इन दिनों जो क्वारेंटाइन में रहना पड़ रहा है उसमें न केवल अपनी जरूरतों, चिंताओं और व्याकुलताओं का ध्यान रखना होगा बल्कि अपने साथी की भी जो आपके साथ एक ही घर में बंद रहने को विवश है. क्या होगा जब पति पत्नी या लिव-इन जोड़े एक घर में हर समय रहने को बाध्य हों? कैसी होगी वो स्थिति जब रात-दिन पति पत्नी एक दूसरे के सामने रहने को मजबूर हों? और याद रहे, ये कोई हनीमून  नहीं चल रहा. शोध से पता चलता है कि ऐसे हालात में लोगों को अमूमन हताशा, ऊब, एकाकीपन, गुस्सा व तनाव जैसी भावनाओं का सामना करना पड़ सकता है.

दुनिया भर में पति-पत्नी पर बने चुटकुलों की कमी नहीं है. सब जानते हैं कि भले ही ये रिश्ता जीवन भर का होता है पर फिर भी थोड़ा ब्रीदिंग स्पेस सबको चाहिए. इसलिए अच्छा रहता है कि पति सुबह ऑफिस जाए, पत्नी हाउसवाइफ हो या अपने ऑफिस जाती हो, और देर शाम ही दोनों की मुलाक़ात हो. इस तरह से दोनों को अपनी-अपनी अलग ज़िंदगी जीने को मिलती रहती है. फिर मिलने पर कई नई बातों का पिटारा भी होता है जो इस रिश्ते में एक फ्रेशनेस लाता है. पर कोरोना के चक्कर में ये ताज़ी हवा का झोंका भी बंद हो गया है. जिस जोड़ों के घरों में बच्चे हैं, वहाँ ध्यान बाँटने वाले और भी सदस्य हैं, पर जो जोड़े बिन बच्चों के हैं, वहाँ घरेलू सीन में एक-दूसरे के सिवा और है ही कौन.

1. रूटीन न बिगड़ने दें

जब हम सभी अपने घरों में रहने को बाध्य हैं तो ऐसे हालातों में आलसी बनकर हर काम को टालते न रहें. अपने रूटीन को बिगड़ने न दें. जैसे सुबह उठा करते थे, वैसे ही उठें. नहा कर तैयार हो जाएँ. फिर घर के कामों को निबटाएँ. और जब ऑफिस का टाइम हो तब वर्क फ्रोम होम के लिए एक निर्धारित जगह पर टेबल और चेयर लेकर बैठ जाएँ. ध्यान रखें, कोरोना के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था पर बेहद बुरा असर हो रहा है. अपना काम ईमानदारी से करते रहें.

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2. घर के कामों को आपस में बाँट लें

इस माहौल में सभी कामवालियों, ड्राइवरों, कार की सफाई करने वालों, खाना बनाने वालों को छुट्टी दे दी गयी है. लिहाज़ा सारे घर का काम अब हमें खुद ही करना है. तो ऐसे में अगर किसी एक पर काम का बोझ आन पड़ेगा तो उसका चिड़चिड़ा हो जाना स्वाभाविक है. ये नौबत न आए इसके लिए घर के कामों की एक सूची बनाएँ और अपनी क्षमता और रुचि के हिसाब से आपस में बाँट लें. मसलन, बर्तन पति धो दे तो झाड़ू-पोंछा पत्नी के हिस्से में आए. खाना पत्नी बनाए तो डस्टिंग और वॉशिंग मशीन का काम पति संभाल ले.

3. पास नहीं आना, दूर नहीं जाना

आज स्थिति कुछ ऐसी है कि न तो अधिक पास आ सकते हैं, और न ही बहुत दूर जा पा रहे हैं. एक ही घर में एक साथ बंद होने की वजह से युवा जोड़ों में एक दूसरे के प्रति शारीरिक आकर्षण उपजना स्वाभाविक है. जब युवा पति या जवान पत्नी सामने हो तो मन को काबू में रखना मुश्किल तो होगा ही. पर साथ ही इस बात का ध्यान भी रखना होगा कि कोरोना वाइरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे को पास होता है. इसलिए यदि करीब आयें तो फिर उसके बाद खुद की साफ-सफाई ज़रूर कर लें. नहा लें. वैसे अच्छा तो ये रहेगा कि शावर में ही आप दोनों एक दूसरे के करीब आने के मौके का फायदा उठाएँ – प्यार का प्यार और सफाई की सफाई!

लेकिन ज़रूरी नहीं है कि आसपास रहने से स्थिति केवल प्यार को जन्म दे. इसके दूसरे आयाम भी हो सकते हैं.

4. ओवर-एक्स्पोज़र का खतरा

हर समय साथ रहने से युवा जोड़ों में केवल प्यार नहीं होगा, बल्कि उनमें आपसी झगड़े बढ़ जाना तय है. इस बात की पुष्टि आँकड़े करते हैं जो बताते हैं कि चीन में कोरोना के चलते एक साथ रहने को मजबूर जोड़ों में तलाक की नौबत कितनी बढ़ गयी है. चीन के दक्षिण-पश्चिमी भाग सिशुआन में फरवरी 24 के बाद 300 से अधिक तलाक की अर्ज़ियाँ सामने आई हैं. दक्षिण चीन के फुजीआन प्रांत ने तो एक दिन में तलाक की केवल 10 अर्ज़ियों की सुनवाई तय की है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि युवा जोड़े ज़रूरत से अधिक समय एक दूसरे के साथ बिताने को बाध्य हैं. जब उन्हें घरों से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है तब ऐसे में वो एक-दूसरे के साथ रह-रहकर कितनी बार लड़ाई-झगड़े की स्थिति में पहुंच जाते हैं. और फिर अपने अहम में, क्रोधवश या ज़िद में आकर तलाक लेने चल देते हैं.

5. घर में रहकर भी डिस्टेन्स है पॉसिबल

सबको अपने लिए थोड़े निजी समय की चाहत होती है. अपनी स्पेस, अपना टाइम – मी टाइम. परन्तु हर वक्त साथ रहने से दोनों साथियों को एक-दूसरे की हर पल पीछा करती नज़रें मुश्किल में डाल सकती हैं. इससे डील करने के लिए आपको दोनों का समय और जगह बाँट लेनी चाहिए. अगर आप दोनों वर्किंग हैं तो अपने ऑफिस का काम करने के लिए अपनी टेबल चेयर कुछ इस तरह लगाएं कि हो सके तो दोनों अलग-अलग कमरों में बैठें, या कम से कम अलग-अलग कोनों में एक-दूसरे की तरफ पीठ करके बैठें. जब बीच में चाय या लंच ब्रेक लें तभी साथ बैठें. और वो भी दूसरे कमरे में या डाइनिंग टेबल पर बैठें. एक कमरे को ऑफिस की तरह रखें ताकि इस जगह आपका मन केवल काम में लगे. और जब ब्रेक लें तब एक दूसरे से ऑफिस कलीग, काम आदि की बातें करें. इसी बहाने आप साथ होते हुए भी एक-दूसरे से थोड़ा डिस्टेन्स रख पाएँगे और एक-दूसरे से बोर नहीं होंगे.

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6. मनोवैज्ञानिक दृष्टि से

कितनी बार आपकी भावना कुछ और होगी किन्तु आपको उत्तेजित करने के कारण अलग होंगे. जैसे, आपको गुस्सा आया क्योंकि आपके पार्टनर ने अपने बर्तन नहीं धोए जबकि आप अभी-अभी सारा किचन साफ करके चुकी हैं. लेकिन आपके गुस्से का असली कारण है कि आपके पार्टनर ने आपकी तकलीफ और मेहनत की ओर ध्यान नहीं दिया. ऐसे में मनोवैज्ञानिक डॉ. प्रियंका कहती हैं कि आपको अपने पार्टनर से बात करनी चाहिए और जो असली कारण है वो कह देना चाहिए.

जब आपको लगे कि आप दोनों में किसी बात पर बहस या झगड़ा होना वाला है तब कमरे से बाहर निकल जाएँ. उस समय आपको केवल एक विकर्षण की आवश्यकता है. कोई दूसरा काम करने लगें ताकि झगड़े के विषय से आपका ध्यान भटक सके. हर वक्त साथ रहने से हो सकता है कि आपको अपने पार्टनर में कुछ ज़्यादा ही कमियाँ नज़र आने लगें. लेकिन आपको अपना खयाल रखना है, पोसिटिव रहना है. आप अपने साथी के साथ बिताए अच्छे पलों, अच्छी यादों को याद करें. प्रयास करें कि आप उनमें केवल अच्छी बातें देखने की कोशिश करें. चाहे इसके लिए आपको उनकी कुछ तकलीफदेह आदतों को दरगुजर करना पड़े.

7. क्वारंटीन के लाभ

ऐसा नहीं है कि ये समय केवल मुश्किलों का है. इस समय को आप दोनों मिलकर सुनहरा समय बिताने के लिए भी उपयोग कर सकते हैं. अपने पार्टनर के साथ पसंदीदा किताबें पढ़ें, पुरानी फिल्में देखें, बोर्ड गेम खेलें, पेंट करें, साथ में एक्सरसाइज़ कर अपनी हेल्थ बनाए रखें… ये लिस्ट लंबी है! हाँ, लेकिन इतना ध्यान ज़रूर रखें कि एक-दूसरे में इतना भी न उतर जाएँ कि सामनेवाले को कोफ्त होने लगे. थोड़ा कनेक्षन बाहरी दुनिया से भी रखें. आप घर से बाहर नहीं निकल सकते तो क्या, वर्चुअल वर्ल्ड तो है. उसी के जरिये अपने दोस्तों, सहेलियों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों से बातचीत कायम रखें. सोशल मीडिया पर भी थोड़ा समय बिताया जा सकता है.

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