#coronavirus: ताजी हवा का झौंका

पहले जनता कर्फ्यू… फिर लॉकडाउन… और अब ये पूरा कर्फ्यू… समझ में नहीं आता कि टाइमपास कैसे करें…” निशिता ने पति कमल से कहा.

“पहले तो रोना ये था कि समय नहीं मिल रहा… अब मिल रहा है तो समस्या है कि इसे बिताया कैसे जाये…” कमल ने हाँ में हाँ मिलाई.

निशिता और कमल मुंबई की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करते हैं. सुबह से लेकर रात तक घड़ी की सुइयों को पकड़ने की कोशिश करता यह जोड़ा आखिर में समय से हार ही जाता है. पैसा कमाने के बावजूद उसे खर्च न कर पाने का दर्द अक्सर उनकी बातचीत का मुख्य भाग होता है.

मुंबई में अपना फ्लैट… गाड़ी… और अन्य सभी सुविधाएं होने के बाद भी उन्हें आराम करने का समय नहीं मिल पाता… टार्गेट पूरे करने के लिए अक्सर ऑफिस का काम भी घर लाना पड़ जाता है. ऐसे में प्यार भला कैसे हो… लेकिन यह भी एक भौतिक आवश्यकता है. इसलिए इन्हें प्यार करने के लिए वीकेंड निर्धारित करना पड़ रहा है. लेकिन पिछले दिनों फैली इस महामारी यानी कोरोना के कहर ने दिनचर्या एक झटके में ही बदल कर रख दी. अन्य लोगों की तरह निशिता और कमल भी घर में कैद होकर रह गए.

“क्या करें… कुछ समझ में नहीं आ रहा. पहाड़ सा दिन खिसके नहीं खिसकता…” निशिता ने लिखा.

“अरे तो बेबी! समय का सदुपयोग करो… प्यार करो ना…” सहेली ने आँख दबाती इमोजी के साथ रिप्लाइ किया.

“अब एक ही काम को कितना किया जाये… कोई लिमिट भी तो हो…” निशिता ने भी वैसे ही मूड में चैट आगे बढ़ाई.

“सो तो है.” इस बार टेक्स्ट के साथ उदास इमोजी आई.

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“ये तो शुक्र है कि बच्चे नहीं हैं. वरना अपने साथ-साथ उन्हें भी व्यस्त रखने की कवायद में जुटना पड़ता.” निशिता ने आगे लिखा.

“बात तो तुम्हारी सौ टका सही है यारा… अच्छा एक बात बता… एक ही आदमी की शक्ल देखकर क्या तुम बोर नहीं हो रही?” सहेली ने ढेर सारी इमोजी के साथ लिखा तो निशिता ने भी जवाब में ढेरों इमोजी चिपका दी.

सहेली से तो चैट खत्म हो गई लेकिन निशिता के दिमाग में कीड़ा कुलबुलाने लगा. अभी तो महज तीन-चार दिन ही बीते हैं और वह नोटिस कर रही है कि कमल से उसकी झड़प होते-होते बस किसी तरह रुकी है लेकिन एक तनाव तो उनके बीच पसर ही जाता है.

कहते हैं कि बाहरी कारक दैनिक जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं. शायद यही कारण है कि लॉकडाउन और कर्फ्यू का तनाव उनके आपसी रिश्तों को प्रभावित कर रहा है. लेकिन इस समस्या का अभी निकट भविष्य में तो कोई समाधान दिखाई नहीं दे रहा.

“कहीं ऐसा न हो कि समस्या के समाधान से पहले उनका रिश्ता ही कोई समस्या बन जाये… दिन-रात एक साथ रहते-रहते कहीं वे अलग होने का फैसला ही न कर बैठें.” निशिता का मन कई तरह की आशंकाओं से घिरने लगा.

“तो क्या किया जाए… घर में रहने के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं… क्यों न जरा दूरियाँ बनाई जाएँ… थोड़ा स्पेस लिया जाए… लेकिन कैसे?” निशिता ने इस दिशा में विचार करना शुरू किया तो टीवी देखना… गाने सुनना… बुक्स पढ़ना… कुकिंग करना… जैसे एक के बाद एक कई सारे समाधान विकल्प के रूप में आने लगे.

“फिलहाल तो सोशल मीडिया पर समय बिताया जाए.” सोचकर निशिता ने महीनों पहले छोड़ा अपना फ़ेसबुक अकाउंट लोगइन किया. ढेरों नोटिफ़िकेशन आए हुये थे और दर्जनों फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट… एक-एककर देखना शुरू किया तो मेहुल नाम की रिक्वेस्ट देखकर चौंक गई. आईडी खोलकर प्रोफ़ाइल देखी तो एक मुस्कान होठों पर तैर गई.

“कहाँ थे जनाब इतने दिन… आखिर याद आ ही गई हमारी…” मन ही मन सोचते हुये निशिता ने उसकी दोस्ती स्वीकार कर ली.

मेहुल… उसका कॉलेज फ्रेंड… जितना हैंडसम… उतना ही ज़हीन… कॉलेज का हीरो… लड़कियों के दिलों की धड़कन… लेकिन कोई नहीं जानता था कि मेहुल के दिल का काँटा किस पर अटका है. निशिता अपनेआप को बेहद खास समझती थी क्योंकि वह मेहुल के बहुत नजदीकी दोस्तों में हुआ करती थी. हालाँकि मेहुल ने कभी इकरार नहीं किया था और निशिता कि तो पहल का सवाल ही नहीं था लेकिन चाहत की चिंगारी तो दोनों के दिल में सुलग ही रही थी.

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“कहीं वह इस राख़ में दबी चिंगारी को हवा तो नहीं दे रही…” निशिता ने एक पल को सोचा लेकिन अगले ही पल चैट हैड पर मेहुल को एक्टिव देखकर उसने अपने दिमाग को झटक दिया.

“लॉकडाउन में कुछ तो अच्छा हुआ.” मेहुल का मैसेज स्क्रीन पर उभरा. निशिता का दिल धड़क उठा. ऐसा तो कॉलेज के समय भी नहीं धड़कता था.

इसके बाद शुरू हुआ चैट का सिलसिला जो कॉलेज की चटपटी बातों से होता हुआ जीवनसाथी की किटकिटी पर ही समाप्त हुआ और वह भी तभी थमा जब कमल ने लंच का याद दिलाया. निशिता बेमन से उठकर रसोई में गई और जैसा-तैसा कुछ बना… खाकर… वापस मोबाइल पर चिपक गई.

बहुत देर इंतज़ार के बाद भी जब मेहुल ऑनलाइन नहीं दिखा तो वह निराश होकर लेट गई. खाने का असर था, जल्दी ही नींद भी आ गई. उठी तो कमल चाय का कप हाथ में लिए खड़ा था. निशिता ने एक हाथ में कप और दूसरे में मोबाइल थाम लिया. मेहुल का मैसेज देखते ही नींद कि खुमारी उड़ गई.

फिर वही देर शाम तक बातों का सिलसिला. मेहुल उससे नंबर माँग रहा था बात करने के लिए लेकिन निशिता ने उसे लॉकडाउन पीरियड तक टाल दिया. वह नहीं चाहती थी कि कमल को इस रिश्ते का जरा सा भी आभास हो. यूं भी इस तरह के रिश्ते तिजोरी में सहेजे जाने के लिए ही होते हैं. इनका खुले में जाहिर होना चोरों को आमंत्रण देने जैसा ही होता है. यानी आ बैल मुझे मार… निशिता यह खतरा नहीं उठाना चाहती थी. वह तो इस कठिन समय को आसानी से बिताने के लिए कोई रोमांचक विकल्प तलाश रही थी जो उसे सहज ही मिल गया था. लेकिन इस आभासी रिश्ते के चक्कर में वह अपनी असल जिंदगी में कोई दूरगामी तूफान नहीं चाहती थी.

निशिता नहीं जानती थी कि आने वाले दिनों में ऊँट किस करवट बैठगा… लेकिन हाल फिलहाल वह बोरिंग हो रही जिंदगी में अनायास आए इस ताजी हवा के झौंके का स्वागत करने का मानस बना चुकी थी.

#coronavirus: Work From Home पर हैं तो खुद को ऐसे रखें मैंटली फिट

Work From Home सुनने में तो अच्छा लगता है, लेकिन घर से काम करना इतना भी आसान नहीं हैं, खासकर ऐसे माहौल में. 21वीं सदी में होश संभालने वाली जनरेशन ने शायद ही ऐसा पहले कभी महससू किया हो. कोरोना वायरस से बचने के लिए कर्मचारी घर से ही काम कर रहे हैं. घर से काम करने से लोगों के शरीर और दिमाग पर ज्यादा प्रेशर पड़ता है. ऐसे में एंजाइटी की समस्या हो सकती है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर आप वर्क फ्रौम होम के दौरान भी खुद को मैंटली फिट रख सकते हैं.

1. बंद रूम में काम करना है मुश्किल

आपने भी कई लोगों से सुना होगा कि यार मैं तो घर में नहीं रह सकता. दरअसल, जब हम औफिस जाते हैं तो हमारा डेली रूटीन फिक्स होता है. सुबह नहाधोकर हम घर से बाहर खुली हवा में निकलते हैं, सांस लेते हैं. कई लोगों से मिलते हैं, बात करते हैं लेकिन जब हम घर से काम करते हैं तो पूरा दिन एक बंद कमरे में बैठकर निकाल देते हैं. ऐसे में हमारे मैंटली हैल्थ पर इफैक्ट पड़ना स्वाभाविक है.

2. रूटीन में न करें बदलाव

ज्यादातर लोग अक्सर यही करते हैं. घर से काम करने का ये मतलब बिल्कुल नहीं हैं कि आप सुबह देर से जगें और रात को देर से साएं. ऐसा करने से आपकी बौडी साइकिल पर असर पड़ेगा और आप खुद को बीमार महसूस करेंगे. जिससे आपके मानसिक स्वास्थ पर भी असर पड़ सकता है, इसलिए भले आप घर से काम कर रहे हों लेकिन समय पर नाश्ता और लंच जरूर करें.

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3. हल्की फुल्की ब्रेक एक्सरसाइज

बंद रूम में लगातार काम करना मुश्किल होता है. जैसे आप औफिस में काम के समय ब्रैक लेते हैं वैसे ही घर से भी काम करने के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेना जरूरी है.

काम के बीच में उठकर लिविंग रूम में जाएं और कमर, गर्दन व आंखों की एक्सरसाइज करें ताकि आपके दिमाग को ब्रेक मिलने के साथ ही बौडी को भी आराम मिल सके.

4. अपना पसंदीदा काम करें

घर से काम करने का फायदा यह है कि आपका औफिस आने-जाने का टाइम बच जाता है, इसलिए काम को सही तरीके से मैनेज कर अपनी हौबीज को समय दें, ऐसा करने से आपको खुशी मिलेगी. बाकी दिन जब आप औफिस से काम करते हैं तो पसंदीदा कामों के लिए समय नहीं मिलता, इसलिए वर्क फ्रौम होम पर हैं तो अपने लिए समय निकालें. इससे आपका काम भी हो जाएगा और आप मैंटली फिट भी महसूस करेंगे.

5. पानी पीने में कंजूसी न करें

औफिस में तो हमारे टेबल पर पानी की बौटल रखी होती है, लंच के लिए फिक्स टाइम होता है, लेकिन घर पर अक्सर लोग लापरवाही करते हैं और खाना व पानी पीने पर ध्यान नहीं देते. जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है. इसलिए अपने पास पानी की बौटल रखें, आप चाहें तो अलार्म या रिमाइंडर भी लगा सकते हैं.

6. सनबौथ लें

अक्सर लोगों की शिकायत रहती है कि औफिस जाने के चक्कर में धूप ही नहीं मिल पाती क्योंकि, सुबह के समय 10 काम भी निबटाना होता है और समय से दफ्तर भी पहुंचना होता है. इसलिए वर्क फ्रौम होम के समय धूप जरूर सेकें. लगभग सभी को पता होगा कि धूप से विटामिन डी मिलती है जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. दरअसल, विटामिन डी एंडोर्फिन और सेरोटोनिन नामक केमिकल रिलीज करता है जो मूड को अच्छा बनाने में मददगार है.

7. दूसरों से बात करना बंद न करें

अगर आप फैमिली के साथ रहते हैं तो अच्छी बात है घर के सदस्यों से बात करें, बच्चों को थोड़ा समय दें. वहीं अगर आप अकेले रहते हैं तो फोन के जरिए दोस्तों, सहकर्मियों को कौल, मैसेज करें ताकि आपको बोरियत न लगें और आपका मूड भी रिफ्रैश रहे. यह नहीं कि घर से काम कर रहे हैं तो एकदम चुप होकर ही करें भाई आप औफिस में भी तो सहकर्मियों से गपशप करते ही हैं.

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8. मेडिटेशन है फायदेमंद

स्ट्रैस दूर करने के लिए मेडिटेशन को आसान और अच्छा तरीका माना गया है. काम के बीच में ब्रैक लेकर मेडिटेशन करें. ऐसा करने से मूड भी अच्छा रहेगा और काम करने में मन भी लगेगा.

9. नो मोर चाय-कौफी

घर पर रहने का ये मतसब नहीं है कि आप एक के बाद दूसरी चाय पीते रहें. चाय और कौफी में कैफीन होता है जो मैंटली हैल्थ के लिए फायदेमंद नहीं होता. इसलिए इनका सेवन कम करें. इसकी जगह पर आप छाछ, लस्सी ले सकते हैं. इसतरह आलस छोड़कर, घर पर काम करने के दौरान भी आप फिट रह सकते हैं.

#coronavirus: ये कोरोना-वोरोना कुछ नहीं होता

आज नेहा बहुत खुश हैं क्यू कि उसका बचपन का ख्वाब जो पूरा होने जा रहा है.. शादी के बाद वो पहली बार इटली जा रही थी.. उसके सास ससुर ने मुंह दिखाई में इटली घूमने और हनीमून मनाने के लिए टिकट बुक किया था. वैसे तो वो कई बार पापा के साथ बिजनेस ट्रिप पर विदेश गयी थी मगर शेड्यूल टाइट होने से अपनी मन की शॉपिंग और घूमना फिरना नहीं हो पाया था. ये बात जब उसने मंगनी के बाद सृजन को बतायी तो झट से उसने उसे विदेश घुमाने, शॉपिंग कराने और खूब मस्ती करने के लिए प्रॉमिस कर डाली. वो जब धूमधाम से शादी के बाद ससुराल आई तो उसे मुंह दिखाई में ही सरप्राइज मिल गया.

अगले दिन से ही उसने पैकिंग करनी शुरू कर दी.. उसने अपनी सारी मनपसंद ड्रेस पैक कर ली ताकि वो अच्छी अच्छी फोटो भी ले सकें और उसे अपने दोस्तों को दिखाकर, सोशल मीडिया पर डालकर तारीफ बटोर सकें.. अगले ही दिन की फ्लाइट थी.. उन्होंने समय से निकल तो लिया था एयरपोर्ट के लिए, मगर ट्रैफिक जाम के चलते फ्लाइट टेक ऑफ होने से आधा घंटा पहले ही पहुंचे… उनको एयरपोर्ट पर चेक इन करने में वक़्त लग रहा था क्यू कि लैगेज ज्यादा था.. सृजन बार बार काउन्टर पर जल्दी करने को दबाव डाल रहा था.. जबकि स्टाफ उससे कोआपरेट करने को कह रहा था.. इस बीच उसने सभी को नौकरी से बाहर कराने की धमकी भी दे डाली.. जैसे तैसे दोनों अपनी अपनी सीट पर पहुँच गए. सृजन बहुत गुस्से में था और उसने नेहा को बोला “देखना तुम, मैं इनकी नौकरी ले कर रहूँगा.. इन्हें कम से कम हमारा स्टैंडर्ड देखकर तो काम करना चाहिए था”.

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इस पर नेहा बोली कि “नियम तो सब पर लागू होते हैं न.. वो हमारा सामान पहले कैसे चेक कर सकते थे जबकि पहले से लोग लाइन में थे”.

सृजन ने भड़कते हुए कहा कि “तो फिर क्या जरूरत थी इतनी जांच की? हम कोई बम लेकर थोड़े ही जा रहे हैं.. आखिर पैसे वालों की इज्जत भी करनी चाहिए न “?

इस पर नेहा ने चुप रहने में ही भलाई समझी और बाहर की ओर देखने लगी.

फ्लाइट लैंड होते ही वो बाहर निकले तो टैक्सी उन्हें इंतजार करते मिली तो सृजन ने लंबी साँस लेकर कहा कि” Thank God! इसने इंतज़ार नहीं कराया .. और बातें करते दोनों होटल पहुँच गए.. वहां पर काउन्टर पर फारमेल्टी करने के बाद जब सर्विस बॉय उनका लैगेज ले जा रहा था तो उसने यू ही पूछ लिया कि “Sir! Why you have carry heavy language? Every one on trip should carry…” बात पूरी करने से पहले ही नेहा जोर से चिल्ला पड़ी.. “Mind your business”..

सर्विस बाॅय Sorry Madam.. कहकर चुप हो गया.

दोनों ने अपने हनीमून ट्रिप को खूब इंजॉय किया.. आखिरी दिन जब वो खाना खाने प्रसिद्ध रेस्त्रां जा रहे थे तो होटल से उन्हें कॉल आई कि “कृपया करके आप होटल में ही रहे और वापस जाने तक कहीं बाहर न निकले.. क्यू कि इस समय कोई रहस्मय बीमारी फैल रही है जिससे जान जाने का खतरा है और डाक्टर अभी तक बीमारी का न तो नाम जानते हैं और न ही इसका इलाज़..” मगर भला दोनों कहाँ किसी की बात मानने वाले थे.. दोनों को जैसे सभी नियम तोड़ने की जिद्द थी.. खाना खाने के बाद सारा दिन खूब मस्ती की.. मगर आज हर जगह लोग उन्हें कम दिखाई दिए रोज की अपेक्षा…

अगले दिन वो अपने शहर वापस बैंगलोर वापस आ गए.. एयरपोर्ट पर भी कुछ डॉक्टर्स लोगों की जांच कर रहे थे और पूछ रहे थे कि किसी को सर्दी जुकाम तो नहीं है.. सृजन उन्हें अनदेखा करते हुए साइड से निकलने लगा तो एक डॉक्टर ने रोक लिया.. हालांकि सृजन को हल्का बुखार था फिर भी उसने कहा कि वो दोनों स्वस्थ्य है.. दोनों को एक पेपर दिया गया.. जिस पर उसी रहस्मय बीमारी के जिक्र के साथ लक्षण लिखे थे और 14 दिन तक परिवार से अलग रहकर जांच कराने की बात लिखी थी… नेहा ने पढ़ते ही कहा कि “ये तो वही बीमारी लिखी है जिसका जिक्र इटली के होटल में किया गया था और बाहर न जाने की सलाह दी थी.. और तुम्हें बुखार के साथ जुकाम भी है तो तुमने एयरपोर्ट पर मना क्यू किया?”

सृजन ने पेपर छीनकर विंडों से बाहर फेंकते हुए कहा कि “डार्लिंग ये सर्दी जुकाम तो लगा रहता है और तुम भी किन छोटे लोगों की बातों में आती हो? मैं इन लोगों को मुंह नहीं लगाता ”

दोनों सीधे ही अपने फ्लैट में गए जिसे नेहा के पिता ने शादी में दहेज में दिया था.. उनके आने से पहले ही अच्छे से फ्लैट को सजा दिया गया था…

दो दिन ही बीते थे कि सृजन को आज सुबह से ही तेज बुखार के साथ खांसी भी आने लगी.. उसने अपने पास रखी कुछ दवा खा ली और फोन पर ऑफिस की अपडेट लेने लगा तो बातों ही बातों में उसने अपने मैनेजर को बताया कि उसे कई दिनों से सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार आ रहा है और आज नेहा को भी हल्का बुखार है.. इस पर मैनेजर ने उसे डॉक्टर के पास जाने को कहा और उसी रहस्मय बीमारी के बारें में बताया तो सृजन झल्ला पड़ा.. “तुम भी क्या उन लोगों की तरह अनाप शनाप बोलने लगे.. ये सब बीमारी मुझे नहीं हो सकती है” कहकर फोन रख दिया.. और जाने के लिए तैयार होने लगा.. कुछ ही देर बाद डोर बैल बजी.. दरवाजे खोलते ही वो हक्का बक्का रह गया.. क्यू कि मैनेजर और डाक्टर दोनों ही मास्क पहने खड़े थे.. वो आग बबूला होने लगा.. डाक्टर की तेज आवाज पर उसे अंदर आना पड़ा.. थोड़े देर की पूछताछ के बाद ही डॉक्टर ने कॉल करके एम्बुलेंस लाने को बोला.. इससे पहले कि वो, नेहा कुछ समझ पाते…उसे और नेहा को मास्क लगाने को कहा गया और सृजन को दो कवर्ड लोगों ने एम्बुलेंस में बैठने को कहा.. सुनकर नेहा रोने लगी और डॉक्टर की सख्ती के आगे सृजन का रौब न काम आया और उसे एम्बुलेंस में लेकर डॉक्टर चले गए.. साथ आई टीम ने नेहा को उस बीमारी के बारें में बताया और कुछ दवाईयां खाने के लिए दी और साथ ही बताया कि वो 14 दिन तक होम क्वेरेनटाइन (Quarantine) में रहेगी और जांच के बाद स्वस्थ्य पायी गयी तो वो कहीं भी जा सकती है.. जब तक उसे बाहर नहीं निकलना है.. उसका फ्लैट बंद रहेगा.. समय समय पर नर्स आएगी और उसे कोई जरूरत होगी तो बता सकती है या फोन पर बात कर सकती है… इतना बताने के बाद टीम चली गई और नेहा का फ्लैट बाहर से बंद कर दिया गया.

उनके जाते ही नेहा ने अपने पापा को कॉल लगायी और रोते हुए बताया.. आधी अधूरी बात सुनकर वो भावुक हो गए और बेटी को चुपचाप घर आने को कह दिया.. उन्होंने खुद ही नेहा के लिए बंगलौर से दिल्ली तक कि फ्लाइट और दिल्ली से मथुरा तक की बस बुक करा दी और कहा कि रात होते ही चुपचाप पीछे के दरवाजे से निकल कर रात आठ बजे की फ्लाइट पकड़ ले.. नेहा की मां ने आज ही ख़बर देखी थी इस बीमारी को लेकर जिसे डॉक्टर ” कोरोना वायरस” कह रहे थे.. बात सुनते ही वो बीच में बोल पड़ी कि अगर 14 दिन अलग रहने को बोला गया है तो रह ले.. डॉक्टरों ने कुछ सोच कर ही बोला होगा और इटली से आए भी है जहां ये बीमारी फैल रही है.. उसने आज ही न्यूज सुनी है.. इस पर नेहा के पिता बात करते वक्त ही चिल्ला पड़े कि अपने काम से मतलब रखों बस..

नेहा चुपचाप फ्लाइट से होती हुई बस पकड़ कर मथुरा पहुँच गई.. रास्ते में उसे खांसी और छींक भी आ रही थी.. बस में पास बैठी महिला ने टोका तो बोली तो उसने रूखे अंदाज में कहा कि अपनी सीट बदल ले.. अगली सुबह वो अपने पिता के घर थी और जब मेडिकल टीम उसका चेक अप करने घर पहुंची तो उन्हें नेहा नहीं मिली.. उधर सृजन की रिपोर्ट आ चुकी थी और वो इस बीमारी “कोरोना” से संक्रमित था.. सृजन से पूछताछ पर पता चला कि नेहा अपने पिता के घर मथुरा जा सकती है.. सृजन की रिपोर्ट पाॅजिटिव आने के बाद नेहा के भी संक्रमित होने की संभावना बढ़ रही थी..

ये एक ऐसी बीमारी थी जिसकी शुरुआत सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार से हो रही थी और साँस लेने में तकलीफ के साथ लोगों की मृत्यु हो जा रही थी.. ये एक वायरस से फैल रहा था जिसे नोबेल कोरोना covid 19 नाम दिया गया था और डाक्टर अभी तक इसका इलाज़ ढूंढ नहीं पाए थे.. WHO ने मेडिकल इमर्जेंसी घोषित कर दी थी और इसे महामारी का नाम दिया गया था.. भारत में अभी तक इसका संक्रमण नहीं फैला था.. लेकिन विदेश से वापस लौटे लोगों के संक्रमित होने के चलते धीरे धीरे संख्या बढ़ रही थी.. अब विदेश से आने वाले लोगों की जांच की जा रही थी.. स्टाफ और डाक्टर कम पड़ रहे थे और कुछ लोग अपने रसूख दिखा कर बिना जांच निकल रहे थे..

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उधर नेहा के घर पर पूछताछ के लिए लोकल पुलिस गई तो उनके पिता ने सीधे तौर पर इंकार कर दिया कि नेहा से उनकी कोई बात तक नहीं हुई है और इंस्पेक्टर पर धौंस जमाते हुए उनकी शिकायत SP से करने को कहा.. मगर गेट के बाहर आते ही उसने गॉर्ड से पूछा तो उसने बताया कि “आज बिटिया सवेरे ही अकेली ही आई है.. दामाद जी साथ नहीं थे तो इंस्पेक्टर ने फौरन मेडिकल टीम को सूचित किया.. और एसपी ने शहर में अलर्ट जारी किया क्यू कि अगर नेहा संक्रमित पायी गयी तो उसका परिवार और जिनके भी नजदीकी संपर्क में आई होगी सभी संक्रमित हो सकते हैं.. मेडिकल टीम को भी उसके पिता नेहा को सौपने के लिए तैयार न थे.. टीम ने उन्हें विश्वास में लेने की बहुत कोशिश की.. जबकि नेहा की हालत खराब हो रही थी.. उन्हें न जाने किस बात का डर सता रहा था.. एसपी के हस्तक्षेप करने के बाद जबरन मेडिकल टीम उसे जांच के लिए अस्पताल ले गई और उसके माता पिता को भी अकेले रहने (isolation) और बाहर न जाने की सलाह दी.. साथ ही 14 दिन मानिटर करने को कहा.. जांच में नेहा भी संक्रमित निकली.. उसके माता पिता के भी संक्रमित होने की संभावना है और साथ ही नेहा की लापरवाही के चलते फ्लाइट में, बस में उसके संपर्क में आए लोगों के भी संक्रमित होने की संभावना है.. इस तरह डॉक्टर की सलाह न मानकर.. जांच न कराकर.. संक्रमित लोगों के भीड़ में जाने से मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है.. सरकार ने स्पष्ट गाइड लाइन जारी कर दी है लेकिन इसी बीच एक दूसरे शहर में अमेरिका से आयी बालीवुड स्टार के बिना जांच निकलने और आते ही पार्टी आयोजित करने के बाद उसके “कोरोना वायरस के संक्रमण” होने की ख़बर आते ही शहर में डर का माहौल है.. उनके पार्टी में शहर के नामचीन हस्तियों, नेता के आगमन के बाद उनका संसद में प्रवेश से इसके काफी लोगों के बीच पहुंचने का अंदेशा है.. ये तो पढ़े लिखे और पैसे की रौब ज़माने वाले का हाल है.. अभी मेडिकल टीम छोटे छोटे शहर, गाँव और कस्बों में पहुंची ही नहीं है.. सरकार और सभी जिम्मेदार लोग सोशल डिस्टेंस मेनटेन करने की अपील कर रहे हैं क्यू कि डॉक्टर, दवा, मास्क की मात्रा बहुत ही कम मात्रा में है….

घर पर बनाएं जुकीनी व कौर्न कटलेट

अगर आप घर पर रहकर कुछ हेल्दी और टेस्टी डिश ट्राय करना चाहती हैं तो ये रेसिपी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

हमें चाहिए

– 1 कप जुकीनी (कद्दूकस की हुई)

– 1 कप (मक्की के दाने उबले व हैंड मिक्सर से चर्न किए)

– थोड़ा सा आलू (उबला व मैश किया हुआ)

– 1/4 कप चावल (पाउडर)

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– कौर्नफ्लोर (2 बड़े चम्मच)

– हरा प्याज (1/2 कप बारीक कटा)

– हरा लहसुन बारीक कटा (1/4 कप)

– हरी मटर के दाने उबले (1/4 कप)

– चाटमसाला (1 छोटा चम्मच)

– जीरा पाउडर (1 छोटा चम्मच)

– लालमिर्च पाउडर (1/4 छोटा चम्मच)

– चिली फ्लैक्स (1/2 छोटा चम्मच)

– नीबू का रस (2 छोटे चम्मच)

– नमक (स्वादानुसार)

कोटिंग के लिए

– 2 बड़े चम्मच मैदा

– 1 बड़ा चम्मच कौर्नफ्लोर

– 2 क्यूब्स चीज

– 1/4 छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर

– 1/2 कप ब्रैड कटलेट डीप फ्राई करने के लिए रिफाइंड औयल

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बनाने का तरीका

– जुकीनी में उपरोक्त लिखी सारी सामग्री मिक्स कर के सख्त मिश्रण बना लें.

– मनचाहे आकार के कटलेट बनाने के लिए मिश्रण लें और बीच में चीज रख कर बंद कर दें व आकार दें.

– कौर्नफ्लोर में आधा कप पानी डाल कर घोल तैयार करें.

– एक प्लेट में ब्रैड क्रंब्स फैला लें.

– इस में चुटकी भर नमक व कालीमिर्च चूर्ण डाल दें.

– प्रत्येक कटलेट को मैदा व कौर्नफ्लोर के मिश्रण में डिप कर के ब्रैड क्रंब्स में रोल कर दें.

– डीप फ्राई करें और चटनी या सौस के साथ सर्व करें.

ज़िन्दगी–एक पहेली:  भाग-5

पिछला भाग- ज़िंदगी एक पहेली: भाग-4

अब धीरे-धीरे अनु के हॉस्टल जाने का समय करीब आ चुका था. जिस दिन हॉस्टल जाना था उस  पूरे दिन ना तो अनु ने कुछ खाया और ना ही अविरल ने. पूरी रात दोनों एक दूसरे से बाते करते रहे और रोते रहे. अगले दिन अनु हॉस्टल के लिए चली गई. अविरल अब अपने आप को घर में काफी अकेला फील करने लगा था क्योंकि अविरल के पापा- मम्मी काफी बिजी रहते थे और अविरल अनु से बहुत ज्यादा घुला मिला था. अविरल को अब घर में बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था.

अविरल जब भी घर से बाहर निकलता सबसे पहले आसू के पास पहुँच जाता. अनु के हॉस्टल में केवल 1 फोन था जिससे सभी लड़कियों को बारी बारी से बात करना होता था. रोज शाम को अनु के पापा अनु को फोन करते थे लेकिन टाइम बहुत कम होता था तो ज्यादा बात नहीं हो पाती थी. अनु के पापा कि तबीयत अब थोड़ी खराब रहने लगी थी. वो पहले से ही गैस्ट्रिक के पेशेंट थे. डॉक्टर भी बोलते थे कि आपकी उम्र बढ़ रही है ये तो लगा रहेगा. अनु हमेशा अपने पापा से कहती कि, “पापा मैं एक बार डॉक्टर बन जाऊ, मैं ही आपका इलाज करूंगी”. अनु के पापा भी मुस्कुराकर बोलते कि “हाँ बेटा, अब तो मैं अपनी बेटी से ही इलाज कराऊँगा”. अनु जब भी अविरल से बात करती तो बोलती कि भैया मैं जब छुट्टी में घर आऊँगी तो सारे सब्जेक्ट देखूँगी, तुम्हें 12th में मुझसे भी अच्छे मार्क्स लाने हैं(अनु ने देहारादून टॉप किया था).

इस साल अविरल का 12th था लेकिन अविरल का मन बिल्कुल भी पढ़ाई में नहीं लग रहा था . वह एक्जाम के महीने गिनता और सोचता कि अभी तो बहुत टाइम है और बाहर निकल जाता. अनु के हॉस्टल जाने के बाद अविरल अक्सर सुमि से मिलता लेकिन अब दोनों के बीच केवल आसू ही मेन टॉपिक होता. सुमि भी अविरल को समझाती कि अविरल एक्जाम आने वाले हैं पढ़ाई पे ज्यादा ध्यान दो.

आसू एक दिन फिर सुमि के पास बात करने गया. इस बार सुमि का रिएक्शन अलग था. वह आसू से बोली कि आसू अब मेरे रास्ते में मत खड़े रहा करो लेकिन वह नहीं माना और रास्तों से छुपकर सुमि को देखने लगा. आसू कि हरकतें सुमि को भी अच्छी लगती थी. अब सुमि और आसू अक्सर बात करने लगे.

कुछ दिनों में सुमि का बर्थड़े आने वाला था तो आसू ने सुमि को कुछ सर्प्राइज़ देने का निश्चय किया. आसू ने 50 चार्ट पेपर और कलर्स खरीदे, फिर एक  दोस्त की  मदद से सभी चार्ट्स में “HAPPY BIRTHDAY” लिखा. सुमि सुबह 6 बजे कोचिंग जाती थी तो आसू और उसके दोस्तों ने पूरी रात सुमि के कोचिंग जाने वाले रस्ते में, खंबों पर और दीवारों पर चार्ट चिपकाए जिससे सुमि जहां से भी निकले उसे “HAPPY BIRTHDAY” वाले चार्ट दिखाई दें.

अगले दिन सुमि जैसे ही घर से निकलकर रोड पर पहुंची, उसे “HAPPY BIRTHDAY” वाले चार्ट दिखाई दिये. जैसे जैसे वह राश्ते पर आगे बढ़ती उसे सिर्फ चार्ट दिखते. यह देखकर उसको बहुत आश्चर्य हुआ. उसी दिन आसू ने सुमि को फिर से प्रपोज़ किया लेकिन सुमि ने फिर से मना कर दिया और दोस्त रहने को बोल दिया. आसू बहुत उदास हो गया और रात में ही किसी को बिना बताए दूसरी सिटी चला गया.

अगले दिन जब सुमि को आसू नहीं दिखा तो वह उदास हो गयी. शाम को अविरल, सुमि से मिला तो सुमि ने अविरल से आसू के बारे में पूछा पर  अविरल को भी आसू के बारे में कुछ नहीं पता था. सुमि को बहुत डर लगने लगा, उसने सोचा कि बस मुझे एक बार आसू से मिलने का मौका मिल जाए तो मै भी उससे अपने दिल की बात कह दूँगी .

अविरल, आसू के घर पहुंचा और उसकी मम्मी से आसू के बारे में पूछा  तो उन्होने बताया कि आसू बहुत परेशान था और किसी दोस्त के घर चला गया है. 4-5 दिन में आ जाएगा. अविरल ने आसू के सारे दोस्तों से पता किया लेकिन उसे कुछ पता नहीं चल सका. 5 दिन और बीत गए. सुमि को अपने एक रिलेटिव के यहाँ जाना था. वह बहुत बेचैन थी क्योंकि  अभी तक आसू से बात नहीं हो सकी थी. अगले दिन सुमि पल्लवी को अपने रिलेटिव का नंबर देकर मसूरी चली गयी और बोली कि आसू जब भी आए तो उससे बोल देना कि रात में 8 बजे रोज वह उसके फोन का इंतज़ार करेगी. जब भी आसू फोन करे तो पहले छोटी छोटी-2 रिंग करे और फिर 10 मिनट बाद कॉल करे. दो दिन बाद आसू वापस आया तो अविरल ने उसे सारी बात बताई. आसू इतना खुश था कि उसका टाइम कट ही नहीं रहा था. बड़ी मुश्किल से 8 बजा. सुमि के अनुसार ही आसू ने कॉल की और तीसरी रिंग होते ही फोन उठा. तुरंत ही आसू ने अविरल को फोन पकड़ा दिया क्योंकि  आसू सुमि की  आवाज पहचान नहीं पाया. अविरल ने उससे थोड़ा बात करके आसू को फोन पकड़ा दिया तो सुमि ने बोला कि तुम्हें देखने का मन कर रहा है. तो आसू ने मज़ाक में बोला कि ठीक है मैं आ जाता हूँ. फिर आसू ने उससे कहा ,”मै तुम्हे बहुत चाहता हूँ.”

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सुमि ने बोला “मैं भी” और शर्माकर फोन काट दिया.

आसू और अविरल ने घर में एनसीसी के कैंप का बहाना बनाया और पल्लवी से सुमि का एड्रैस लेकर 2 दिन बाद मसूरी  पहुँच गए. दोनों दोपहर में मसूरी  पहुंचे और सुमि का घर ढूंढते रहे लेकिन घर नहीं मिला तो वो रात 8 बजे का वेट करने लगे. फिर जैसे ही 8 बजा उन्होने PCO से फोन किया और बताया कि हम तुम्हारे घर के आसपास ही हैं. सुमि को पहले तो मज़ाक लगा लेकिन फिर वो दौड़कर उस PCO के पास तक आई.

आसू और सुमि 5 मिनट तक एक-दूसरे को देखते रहे और फिर दूसरे दिन मंदिर में मिलने का बोलकर चले गए. अगले दिन सुमि अपनी चचेरी बहन  के साथ मंदिर आई. लेकिन दोनों शर्माकर एक दूसरे से बात नहीं कर रहे थे तो अविरल ने दोनों से खुद बात करने को बोला और वहाँ से चला गया. लेकिन दोनों कुछ नहीं बोले बस एक दूसरे को देखते रहे. अगले दिन आसू और अविरल वापस देहारादून आ गए.

कुछ महीनों बाद रक्षा बंधन आया. ये पहला टाइम था जब अविरल के साथ अनु नहीं थी हालांकि अनु ने कूरियर से राखी भेजी थी. अविरल बहुत दुखी था लेकिन अनु की राखी ने काफी हद तक उसे संभाला. अविरल ने फोन से अनु से बात की. अनु ने बोला कि मैं दशहरे में आऊँगी तो खूब मस्ती करेंगे.

ऐसे ही दशहरा आ गया. अनु की दशहरे कि छुट्टियाँ हो गयी और वह एक सप्ताह  के लिए अपने घर आ गयी. सभी लोगों अनु के आने से बहुत खुश थे. शाम को अनु और अविरल घूमने निकले और कुछ जगह घूमकर वापस आए. रात में ही अविरल के पापा ने अविरल को किसी बात पर डांट दिया तो वह गुस्सा होकर कमरे में चला गया .अनु अविरल के पास गयी और बड़े प्यार से बोली “भैया पापा की बात का इतना बुरा क्यूँ मानते हो. मैं यहीं हूँ न सब कुछ ठीक कर दूँगी”. फिर अनु की मम्मी ने अनु की पसंद के पराठे बनाए तो दोनों भाई – बहन ने खूब मजे से खाना खाया और फिर देर रात तक बातें करते रहे.

आधी रात से ही अनु की तबीयत कुछ खराब हो गयी. उसे लगातार उल्टियाँ शुरू हो गयी. अगले दिन अनु को सब डॉक्टर के पास ले गए . डॉक्टर ने कहा कि,” नॉर्मल सी फूड पोइसिनिंग हुई  है, 2-3 दिनों में ठीक हो जाएगी “. डॉक्टर ने कुछ दवाएं दीं फिर सभी घर आ गए. अनु ने आज रात कुछ नहीं खाया. अगले दिन अनु ने सुबह ब्रेकफ़ास्ट किया और फिर दवा खाई लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ और खाने के 30 मिनट बाद ही उसे उल्टी हो गयी. अनु, अविरल और उसके पापा फिर डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर ने फिर वही कहा कि नॉर्मल सी फूड पोइसिनिंग है और उल्टी रोकने का इंजेक्शन  दे दिया. अब अनु को खाने के बाद उल्टी नहीं हुई लेकिन वो अंदर से बेचैन थी और शाम को जैसे ही इंजेक्शन  का असर खत्म हुआ वैसे ही अनु की तबियत फिर से खराब हो गयी .सभी को चिंता होने लगी लेकिन डॉक्टर ने आश्वासन दिया तो सभी शांत हो गए.अनु ने भी अपने कॉलेज में अपने प्रोफेसर से बात की जो कि जाने माने डॉक्टर थे तो उन्होने भी कहा कि फूड पोइसिनिंग है और कुछ medicine बताकर बोले कि अगर कमजोरी ज्यादा हो तो डॉक्टर से मेरी बात करा देना और ग्लूकोस ले लेना.

आज दशहरे का दिन था. सुबह अनु ने कहा कि पापा बड़ी कमजोरी लग रही है, प्लीज ग्लूकोस की बॉटल चढवा  दो. तो डॉक्टर से बातकर अनु के पापा ने अनु को घर पर ही ग्लूकोस की  बॉटल चढ़वा दी. अनु ने अपने प्रोफेसर से डॉक्टर की बात भी कराई.

अविरल सारा टाइम अनु के पास ही बैठकर उसके सर में बाम लगाता रहा. बोतल  चढ़ने के बाद अनु जब भी लेटती उसकी सांस ठीक से नहीं आती तो वह बेचैन होकर बैठ जाती. इस बारे में जब उसने डॉक्टर को बताया तो डॉक्टर ने बोला कि कुछ एंटिबयोटिक्स दी हैं उसकी वजह से है. थोड़ी देर में सही हो जाएगा. अब शाम हो गयी थी, सभी लोग दशहरे में एक दूसरे के घर मिलने जाते थे तो अनु कि फ़्रेंड्स भी मिलने आई तो अनु ने उनसे बोला कि 1-2 दिन में ठीक हो जाऊँगी तो सबके घर आऊँगी.

अब रात का 11 बज चुका था. अचानक अनु बेहोश हो गयी. उसके पापा और अविरल उसे गोद में लेकर गाड़ी की  तरफ भागे और ड्राईवर से हॉस्पिटल चलने के लिए बोला. अनु के पापा ने अविरल को घर पर ही छोड़ दिया. अनु की  मम्मी,पापा उसे लेकर निकले. आधे रस्ते में  अनु ने को होश आया. उसका सिर अपने पापा की गोद में था . अनु  ने अपने पापा से कहा कि पापा बेचैनी हो रही है, प्लीज विंडो ओपेन कर दो. जैसे ही विंडो ओपेन हुई, अनु की सांसें बंद होने लगीं थी. जैसे ही हॉस्पिटल आया तो डॉक्टर पहले से ही ऑक्सीजन  की किट लिए बाहर खड़े थे. तुरंत ही अनु को ऑक्सीजन  लगाई गयी लेकिन शायद अनु का साथ यहीं तक था. दुर्भाग्यवश ऑक्सीजन  का सिलिंडर ही ऑन नहीं हुआ. थोड़ी देर में अनु की सांसें रुक गयी…..

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अरे ये क्या हुआ, 2-3 दिनों में ही एक हँसते- खेलते परिवार की जिंदगी बदल  गयी.

अगले भाग में हम जानेंगे कि क्या अनु का परिवार इस विपत्ति के पहाड़ से निकल पाएगा ? अविरल का क्या होगा?

#coronavirus: बेदाग स्किन के लिए बेस्ट हैं ये 4 होममेड फेस मास्क

कोरोनावायरस के चलते देश में जहां कोहराम मचा हुआ है तो वहीं लोग घर पर रहकर अपने आपका ख्याल रख रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि हेल्थ के साथ स्किन का भी ख्याल रखा जाए. इसलिए आज हम आपको घर में रेडी होने वाले कुछ फेस मास्क के बारे में बताएंगे, जिसे आप आसानी से ट्राय कर सकती हैं.

घरेलू चीजों से बनाए गए फेस मास्क आपके चेहरे के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है. और इससे आपके चेहरे की खूबसूरती बढ़ती  है. क्योंकि ये फेस मास्क प्राकृतिक चीजों से बनी होती है, जैसे- शहद, खीरा, केला, पपीता, इत्यादि. तो आइए जानते हैं कि आप इन प्राकृतिक चीजों से फेस मास्क कैसे बना सकती हैं.

1. शहद, केला, पपीता का फेस मास्क:

आधे पके केले मसल लें और इसमें दूध, एक बड़ा चमम्च चंदन पाउडर और आधा बड़ा चम्मच शहद मिला लें. अब इस मास्क को 20-25 मिनट तक चेहरे पर लगाए रहने के बाद हल्के गुनगुने पानी से धो लें. यह मास्क औयली तव्चा के लिए बेहद लाभदायक है.

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2. दाल मास्क

तैलीय त्वचा के लिए एक बड़ा चम्मच मूंग की दाल कुछ घंटे के लिए पानी में भिगो दें. इसके बाद इसे पीस लें और इसमें एक बड़ा चमम्मच टमाटर का गूदा मिला लें. हल्के हाथों से मसाज करते हुए इसे चेहरे पर लगाएं. 20 मिनट बाद इसे पानी से धो लें. इससे त्वचा में चमक लाता है.

3. शहद और दही का मास्क

शहद और दही में जरा सी रेड वाइन मिला लें. इसे चेहरे पर 20 मिनट तक लगाए रखने के बाद सादे पानी से धो लें. यह टैनिंग दूर कर त्वचा में चमक लाता है और त्वचा को मुलायम बनाता है.

4. खीरा और पपीते का मास्क

खीरा और पके पपीते का गूदा दही में मिक्स कर लें और उसमें दो छोटा चम्मच जौ और कुछ बूंद नींबू का रस मिला लें. इसे चेहरे और गर्दन पर लगाएं. आधे घंटे बाद इसे पानी से धो लें. इससे आपके चेहरे में निखार आएगा.

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posted by- Saloni

#coronavirus: कोरोना के तनाव से Youngsters को बचाना है जरूरी

“कोरोना वायरस” के बढ़ते प्रकोप के चलते स्कूलों में भी छुट्टियां हो गई है. बच्चे अपने घरों में कैद हो गए हैं. ना तो उनको अपने दोस्तों से मिलने दिया जा रहा ना ही वो घर से बाहर निकल कर खेलकूद पा रहे. छोटे बच्चे तो किसी भी तरह से अपने पैरेंट्स की बात मान भी ले रहे पर किशोरावस्था के बच्चे यह बात नही समझ पा रहे ऐसे में बच्चों में अनावश्यक रूप से तनाव फैल रहा. यह हालत गंभीर हो रही है ऐसे में पैरेंट्स को चाहियें की वो बच्चो के साथ समझदारी से पेश याए. साइको थेरेपिस्ट सुप्रीति बाली ने कुछ टिप्स दिए और कहा कि इस तरह से पैरेंट्स अपने किशोरावस्था के बच्चो को “करोना क्राइसेस” में अनावश्यक तनाव से बचा सकते है.

1. बच्चे अपने दोस्तों के साथ खेलने का अवसर नही पा रहे. उनको लगातर घर पर रहना पड़ रहा है. ऐसे में उनके अंदर फैलने वाली निराशा से बचाएं. पैरेंट्स उनकी निराशा को समझे और उनकी भावनाओं सुने बिना कोई निर्णय ना दे.

2. बच्चो को तनाव से बचने के लिए जरूरी है कि बच्चो की नींद का एक तय समय रखे. समय पर सोने और जागने से बॉडी का सिस्टम ठीक रहता है बच्चो में अनावश्यक तनाव नही बढ़ता है.

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3. बच्चो को बाहरी लोगों से बचा कर रखें. जिससे संक्रमित लोगो से उनको बचाया जा सके.

 4 . करोना को लेकर अपने डर, तनाव और चिंता बच्चो पर  थोपे.

 5 . कोरोना महामारी के बारे में  स्पष्ट रूप से उनसे बात करना चाहिए. जानकारी कम होने की वजह से वो अधिक चिंता करते हैं.

6 . माता-पिता और भाई-बहनों के साथ मिलकर तनाव पूर्ण माहौल को आपस मे बांटना चाहिए.  दिमाग की शांति के लिए माहौल प्रदान करे.

 7 . अनावश्यक समाचारों और ऐसे दोस्तो से उनको दूर रखें जिंसमे उनको तनाव होने का खतरा हो.

 8 . बच्चे के साथ संपर्क में रहें. सोशल मीडिया और वीडियो कॉलिंग पर अपने रिश्तेदारों से जुड़ने के लिए कहें.

 9. एक माता-पिता के रूप में आप बच्चो से निरन्तर जुड़े रहे. उनके अंदर छोटी छोटी स्किल डेवलपमेंट के काम सिखाये.

 10. बच्चो के पुराने फोटो एल्बम देखें “चंपक” बच्चो की रूचिकर पत्रिकाओं की कहानियां  उनको पढ़ाये.

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#coronavirus: ताली-थाली से क्या भाग गया कोरोना?

 वैश्विक पटल पर महामारी का रूप ले चुका कोविड-19 का संकट भारत पर लगातार गहरा रहा है. भारत में अबतक कोरोनावाइरस के 415 मामले सामने आ चुके हैं. इस बात से तो शायद सभी सरोकार रखते हैं कि भारत में यदि जल्द से जल्द इसे रोकने के मजबूत कदम नहीं उठाए गए तो यह महामारी जंगल में आग की तरफ फैलते हुए भारत के विनाश का कारण बन जाएगी. हैरानी की बात यह भी है कि दुनिया के दूसरे सब से अधिक जनसंख्या वाले देश में कोविड-19 के अबतक इतने कम केसेस कैसे हैं, तो इस का सब से बड़ा कारण भारत में इस के टेस्ट की सही सुविधा का न होना है. भारत की 1.3 बिलियन की आबादी जिन में गरीबी, खराब स्वास्थ्य सुविधाएं, ट्रस्ट आधारिक संरचना विद्यमान है, उस में इस खतरनाक वायरस का फैलना किसी तबाही से कम न होगा. बावजूद इस के वीरवार शाम 8 बजे अपने प्राइम टाइम में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को ताली और थाली का मंत्र पकड़ा दिया जबकि जरूरत उन्हें वायरस से लड़ने के लिए देश की आर्थिक मजबूती और भौतिक संसाधनों के विषय में बात करने की थी.

प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार इस तरह ताली बजा कर लोगों को कोरोना वायरस से लड़ रहे डाक्टरों की हौसला अफजाई कर उन्हें सराहना है. इस बाबत लोगों ने रविवार को ऐसा ही किया. रविवार सुबह 7 से 9 बजे तक देश में जनता कर्फ्यू देखने को मिला वहीं शाम 5 बजे लोगों ने ताली, थाली, घंटिया, कटोरी बजाबजा कर गो कोरोना गो का नारा इस तरह लगाया जैसे सचमुच इस शोर से देश वायरस मुक्त हो जाएगा. इस ताली बजाओ कारनामे की सफाई देते हुए कुछ लोगों ने धड़ाधड़ इस के फायदे, चंद्रमा सूर्य की उपस्थिती और न जाने कैसे तगड़मबगड़म गिनाने शुरू कर दिए परंतु क्या सचमुच हमें इस की जरूरत थी?

घंटोलोजी ज्ञान से क्या होगा

“प्रिय भारतीयों, मैं मोदी-बीजेपी के इस “घंटोलोजी ज्ञान” पर कोई ध्यान नहीं देती. कृपया मेरे लिए ताली न बजाएं.”

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यह कहना है हैदराबाद की डाक्टर मनीषा बांगर का जिन्होंने शनिवार के दिन अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर लोगों के बीच अपनी बात रखी. मोदी की इस “घंटोलोजी” के जवाब में डाक्टर मनीषा लिखती हैं, “मैं एक डाक्टर हूं और मैं नहीं चाहती कि कल कोई भी मेरे लिए ताली बजाए. मैं पिछले दो दशकों से गंभीर संक्रामक इंफेक्शन से जूझते मरीजों का इलाज करती आई हूं और अब कोरोना के समय में भी करती रहूंगी परंतु मैं नहीं चाहती कि 22 मार्च के दिन मेरे लिए कोई भी ताली बजाए.

“एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते जिन के पास अपने मौलिक अधिकार हैं, मैं चाहती हूं कि आप यह डिमांड करें और मोदी सरकार पर दबाव डालें कि वे वह कार्य करे जिस की इस वक्त सब से ज्यादा जरूरत है. सभी के लिए आपदा राहत कोश और चिकित्सा सहायता की रणनीति बनाए. इस से निबटने के लिए सरदार पटेल की प्रतिमा में जो खर्च हुआ था उस से दुगुनी रकम लगाने पर जोर दें. उन से कहो कि अपने कौर्पोरेट्स और उद्योगपती जिन्हें उन्होंने आप का पैसा ले कर भगाया था या जाने दिया था, से कहें कि अब देश को इस विपदा से निकालने के लिए आएं और मदद दें. तिरुपति, शिरडी, सिद्धिविनायक आदि मंदिरों में जो लोगों की जेबों से लूट कर टनों सोना और चांदी जमा है उसे राजकोश घोषित कर इस विपदा के समय इस्तेमाल करें. ताली बजाने के बजाय इस से शुरुवात करें. इस का चाहे कोई भी बहाना हो मैं नहीं चाहती कि आप मेरे लिए ताली बजाएं.”

सिर्फ मनीषा ही ऐसी डाक्टर नहीं है जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम की आलोचना करते हुए अपने विचार रखे. ट्विटर पर एक और डाक्टर ने लिखा, “मैं एक सरकारी सर्जन हूं. मैं कोविड-19 से संभावित रूप से पीड़ित मरीजों को टेस्ट करती हूं और इसलिए इस के संपर्क में हूं. मैं आप लोगों की तालियां नहीं चाहती. मैं सरकार से वास्तविक मदद चाहती हूं कि वह हमें सही प्रोटेक्टिव उपकरण उपलब्ध कराए. मैं सरकार से बेहतर रणनीतियां चाहती हूं.”

आर्थिक नीतियों की कोई बात नहीं

प्रधानमंत्री द्वारा अपने भाषण में यह भी कहा गया कि उन की सरकार अपनी आर्थिक टास्क फोर्स को काम पर लगाएगी और यह तय करेगी कि आने वाले समय में देश आर्थिक रूप से इस स्थिति से कैसे निबटेगा. लेकिन, मोदी द्वारा ऐसी कोई भी सूचना नहीं दी गई जिस से यह पता चल सके कि असल में सरकार क्या नीति अपनाएगी और किस तरह. इस पर टीवी एंकर और ट्रेनिंग से डाक्टर, सुमंथ रमन ने ट्वीट करते हुए कहा, “मैं मानता हूं कि उन्होंने (मोदी) ने एक शांतिपूर्ण संदेश दिया लेकिन उन से उम्मीद ऐसी आर्थिक घोषणा की थी जिस से पता चल सकता कि आखिर दैनिक रूप से कमाने वाला निचला तबका अपना भरणपोषण कैसे करेगा. रविवार को घर में रहना और शोर मचाना काफी नहीं होगा.”

वहीं अगर आप कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भाषण सुनें तो आप को समझ आएगा असल में प्रधानमंत्री मोदी को कोरोनवायरस को ले कर असल में क्या कहना चाहिए था. प्रधानमंत्री जस्टिन के भाषण में कुछ मुख्य बातें इस प्रकार थीं:

  • हमारे 82 बिलियन डौलर के प्लान से प्रत्येक कनेडियन को फायदा पहुंचेगा. किसी को अगले 6 महीने तक अपनी पेमेंट्स पूरी करने की चिंता नहीं करनी है.
  • 25 मिलियन डौलर की राशि कोविड-19 के इलाज, जांच इसे फैलने से रोकने और वैक्सीन परीक्षण के लिए 49 रिसरचर्स और उन की टीम को दी जाएगी.
  • मिनिस्टर्स प्रांतों और प्रदेशों में अपना काम जारी रखेंगे जिस से लोगों को वह सभी संसाधन उपलब्ध हों जिन की उन्हें जरूरत है.
  • हमें अब भी ब्लड डोनर्स की जरूरत है तो जो लोग अपना रक्तदान कर सकते हैं वे सामने आएं अथवा खुद को औनलाइन बुक करें.
  • जरूरी संसाधनों की सप्लाई कनाडा में होती रहेगी.

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इस से बिलकुल उलट प्रधानमंत्री मोदी का भाषण था जिस की मुख्य बात लोगों को ताली पीटने की सलाह की थी. लोगों ने इस सलाह को माना भी अच्छी तरह. क्या आम जनता और क्या क्या सेलेब्रिटी, सभी ने खूब तालीथाली, घंटियां बजाईं, गो कोरोना गो चिल्लाया, लोग सड़कों पर उतर आए और सोश्ल डिस्टेन्सिंग भूल बाकायदा झुंड बना कर रैली निकालते हुए तालियां बजाईं जिस से कोरोना भाग जाए. क्या भाग गया कोरोना? जहां डाक्टरों को सराहना के नाप पर लोगों ने यह सब किया, क्या उन्होंने डाक्टरों से पूछा कि उन्हें यह सराहना चाहिए भी या नहीं. कोरोना से ग्रस्त मरीजों की जांच और इलाज के चलते यह डाक्टर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, इन्हें अच्छे उपकरणों की जरूरत है, सुविधाओं की जरूरत है, नई किट्स और अस्पतालों में अधिक से अधिक आइजोलेशन वार्ड की जरूरत है, ज्यादा से ज्यादा मदद की जरूरत है, इन तालियों की नहीं.

यह तालियां लोगों ने आंखें मूंद कर बजाईं तो जरूर लेकिन डाक्टरों के लिए नहीं बल्कि मोदी सरकार के लिए यह कहते हुए कि शाबाश, इसी तरह की मूर्ख त्रुटियों से हमें बहलाते रहो क्योंकि सवाल करने तो हमें आते नहीं हैं और न हम करेंगे. हमें बस चिल्लाना आता है…गो कोरोना गो.

#corona के कहर के बीच बड़ी राहत: किसी भी ATM से निकाल सकते हैं पैसा, सरकार ने बढ़ाई ITR-GST रिटर्न की तारीख

जिस समय देश कोरोना वायरस के खतरे से जूझ रहा है ऐसे में सरकार ने सभी टैक्स संबंधी मसलों के अनुपालन के लिए समय 31 मार्च से बढ़ाकर जून अंत तक कर आयकर रिटर्न भरने वालों को राहत प्रदान की है.

वित्त  मंत्री निर्मला सीतारमण ने एलान किया है जो लोग वित्त वर्ष 2018-19 के लिए यदि इनकम टैक्स रिटर्न नहीं फाइल कर पाए हैं तो घबराए नहीं. वे 30 जून 2020 तक इनकम टैक्स रिटर्न भर सकते हैं.

साथ ही उन्होंने यह भी कहा जो लोग किसी कारण देरी से अपना आइटीआर फाइल कर पाएंगे, उनके लिए ब्याज की दर 18 फ़ीसदी से घटाकर 9 फ़ीसदी कर दी गई है. अगर किसी व्यक्ति ने फाइनेंशियल ईयर 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR) नहीं किया तो अब 10,000 रुपए के लेट फीस के साथ 30 जून 2020 तक फाइल कर सकते हैं.


मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी ऐलान किया है कि सबका  साथ सब का विश्वास स्कीम को भी 30 जून 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. इस आखिरी तारीख तक 10 फीसदी का अतिरिक्त चार्ज भी नहीं देना होगा. जब कि पहले 31 मार्च 2020 इस अतिरिक्त चार्ज  तक ही छूट थी.

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वो सभी संभाग जो कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं उन कंपनियों को  30 जून 2020 तक बोर्ड मीटिंग से राहत का एलान किया गया है .

देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही कह दिया था कि हमारी सरकार वर्तमान देश की दिक्कतों को देखते हुए बहुत से उपायों पर विचार कर रही है.जीएसटी और सेंट्रल एक्साइज से लेकर बैंकों तक के लिए कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं की जाने वाली हैं. उन्होंने अब से 2 घंटे पहले इन घोषणाओं को लेकर ट्वीट भी किया था और यह भी जानकारी दी थी कि वह इस विषय में मीडिया वालों से भी बात करेंगे और उसी ट्वीट के जरिए उन्होंने महत्वपूर्ण ऐलान के संकेत भी दिए थे. उनके संकेतों से साफ पता चल रहा था कि सरकार आर्थिक पैकेज को लेकर और साथ में कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए कुछ कदम लेने वाली है.

उनकी घोषणा के अंतर्गत यह भी कहा गया है कि देर से पैसा जमा करने वालों की ब्याज दर को भी 12 फ़ीसदी से घटाकर 9 फ़ीसदी कर दिया गया है. टैक्स संबंधी सभी मसलों पर विचार करते हुए समय सीमा 31 मार्च से बढ़ाकर जून के अंत तक कर दी गई है और आधार पैन लिंक की सीमा बढ़ाकर भी 30 जून कर दी गई है. इन सभी घोषणाओं के पीछे एक उद्देश्य छोटे और मध्यम व्यापारियों को राहत देना भी है.वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करते हुए आज उन्होंने यह कुछ जरूरी बड़े ऐलान किए हैं अपने देश की इकोनॉमी में से जुड़े हुए हैं.

कुछ इस तरह समझे

1) अब  फाइनेंशयल ईयर18-19 के लिए रिटर्न की डेडलाइन बढ़कर 30 जून 2020 हुई

(2)  30 जून तक लेट पेमेंट का इंटरेस्ट रेट  12 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी हुआ

(3)  टीडीएस की फाइल करने की भी डेट 30 जून 2020 हो गई है और उसकी भी इंटरेस्ट रेट 18 फ़ीसदी से घटाकर 9 फ़ीसदी कर दी गई है.

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(4)   असेसमेंट ईयर 2019-20 और फाइनेंशियल ईयर2018-19 इनकम टैक्स रिटर्न भरने की लास्ट डेट जोकि 31 अगस्त थी और किसी कारणवश यदि व्यक्ति उसे तय तिथि पर जमा नहीं कर पाया तो 5000 की लेट फीस जुर्माने के साथ 31 दिसंबर 2019 थी .अब यही डेट 1 जनवरी 2020 से 31 मार्च 2020 कर दी गई है रिटर्न के लिए 10,000 जुर्माने के साथ.

#coronavirus: प्लेन में सीटबेल्ट की सफाई करती दिखीं भूमि पेडनेकर, PHOTOS VIRAL

डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन)ने ‘‘कोरोना 19’’यानी ‘‘कोविड 19’’को एक महामारी घोषित किए जाने के साथ ही पूरे भारत में बंद का माहौल है. इस घातक और जानलेवा वायरस के प्रसार को रोकने के मकसद से इस सप्ताह बड़े पैमाने पर होने वाली सभाओं, शादी समारोहों के साथ ही जिम,सिनेमा हाल,माल्स, रेस्टारेंट,पब पूरी तरह से बंद किए जा चुके हैं. इसी के साथ फिल्म की शूटिंग भी बंद कर दी गयी है.

जब भारत में ‘कोरोना’वायरस ने पैर पसारे उस वक्त अक्षय कुमार निर्मित फिल्म ‘‘दुर्गावती’’की शूटिंग मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में चल रही थी, जिसे बीच में ही स्थगित करना पड़ा. इसके बाद फिल्म की पूरी युनिट,अभिनेत्री भूमि पेडणेकर व अभिनेता तथा अक्षय कुमार के भतीजे करण कापड़िया भी हवाई जहाज पकड़कर भोपाल से मुंबई वापस आए.

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हवाई जहाज में चढ़ते ही अभिनेत्री भूमि पेडणेकर ने ‘कोरोना’से बचाव के उपाय के तहत भूमि पेडणेकर ने उस हवाई जहाज की सीटबेल्ट वगैरह को साफ करना शुरू किया, जिसमें वह मुंबई के लिए यात्रा कर रही थी.उनके साथ यात्रा कर रहे कुछ साथियों ने उनका मजाक उड़ाया,तो वहीं अक्षय कुमार भतीजे ने उसका वीडियो बना डाला.

बाद में भूमि पेडनेकर ने अपनी इंस्टाग्राम कहानियों पर कई तस्वीरें और वीडियो साझा किए कि वह भोपाल से मुंबई वापस अपने घर जा रही हैं. इंस्टाग्राम पर मौजूद तस्वीरों में भूमि ने अक्षय कुमार और ट्विंकल खन्ना के भतीजे करण कपाड़िया द्वारा ली गई तस्वीर को रीपोस्ट किया. जबकि तस्वीर को साझा करते हुए करण ने इसे कैप्शन दिया, “व्यामोह? व्यामोह क्या है? ” और पोस्ट में अभिनेत्री को टैग किया. तस्वीर में भूमि पेडनेकर को आरामदायक कपड़ों की एक जोड़ी में देखा गया है.लेकिन यात्रा के दौरान आवश्यक निवारक उपाय किए गए हैं.

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एक फोटो में भूमि ने अपने चेहरे पर मास्क पहना हुआ है और अपने हाथों को दस्ताने से ढंका हुआ है. यानी कि भूमि पेडणेकर खुद को ‘कोरोना’ वायरस से संपर्क में आने से बचने के लिए उपाय करने में व्यस्त नजर आती हैं.

वहीं मास्क और दस्ताने पहनने के अलावा भूमि जब हवाई जहाज की जिस सीटबेल्ट पर वह बैठने वाली हैं, उसे स्प्रे करने के बाद उसे साफ करती हैं, तो उसकी भी तस्वीर खींची गयी. करण ने अपने इंस्टा्राम पर इन तस्वीरों को साझा करते हुए लिखा कि यात्रा के दौरान पैरानोइया ने भूमि को कैसे मारा है. मगर अभिनेत्री को अतिरिक्त देखभाल करते देखना सराहनीय प्रयास है.

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इस बीच फिल्म‘‘दुर्गावती’’ में दुर्गावती की शीर्ष भूमिका निभा रही  अभिनेत्री ने तस्वीरों की एक श्रृंखला भी साझा की, जिसमें करण कपाड़िया के साथ एक सेल्फी शामिल है. दूसरी ओर जैसे ही अगले स्तर पर व्यामोह हिट होता है, पूरी टीम दुर्गावती के सेट से वापस मुंबई आ जाती है और फ्लाइट और एयरपोर्ट से तस्वीरों में मास्क पहने हुए भाग जाती है.

इस पर भूमि कहती हैं-‘‘मैंने हवाई जहाज के अंदर जो कुछ किया, वह ‘कोरोना वायरस’से खुद को बचाने के लिए किया. मगर जब करा ने तस्वीरे खींच ली और वीडियो बना डाला, तो  मैने भी सोचा कि इन्हे अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दूं, जिससे हर आम इंसान खुद को सुरक्षित रखने के लिए इस तरह के उपाय करने से न हिचकिचाए.’’

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