Lockdown 3.0: रेलवे ने फंसे व्यक्तियों के लिए चलाई जाएंगी विशेष रेलगाड़ियां !

कोरोना महामारी के फैलाव को रोकेने के उद्देश्य से लगाई गई लॉकडाउन पाबंदियों के कारण देश भर में फंसे व्यक्तियों की आवाजाही के लिए सरकार विशेष रेलगाड़ियां चला रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय  ने रेल मंत्रालय को आदेश जारी किया है कि  विशेष ट्रेनों से देश भर में विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, विद्यार्थियों और अन्य व्यक्तियों की आवाजाही राज्यों से मिलकर सुनिश्चित करे. इस कार्य को कल ही शुरू कर दिया गया है . विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिए कल ही कई विशेष रेलगाड़ियां रवाना कर दिया गया . आइये जानते है किन मापदंड का रखा गया है ख्याल और कहा से कौन से विशेष रेलगाड़ियां खुली और आगे की क्या योजना है .

1. नोडल अधिकारी की नियुक्ति

रेल मंत्रालय इन लोगों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति किया गया है . वह संबधित राज्यों के नोडल अधिकारी से बातचीत कर सभी फसे यात्रा को उनके गंतव्य स्थान तक पहुँच्या जायेगा .

2. सामाजिक दूरी का विशेष ध्यान रखा जायेगा

रेल मंत्रालय ने बताया कि यात्रा के के अलावा टिकटों की बिक्री; रेलवे स्टेशनों एवं रेल प्लेटफॉर्मों पर तथा ट्रेनों के भीतर सामाजिक दूरी का पूरा ख्याल रखा जायेगा. रेलवे यात्रियों के सहयोग से सामाजिक दूरी के मानदंडों और स्वच्छता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा. यह सुनिश्चित करने और अन्य सुरक्षा उपायों पर अमल के लिए रेलवे ने विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किया है .

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3. सभी लोगो के लिए नहीं है यह विशेष रेलगांडियां

रेल मंत्रालय ने लॉकडाउन के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य व्यक्तियों को विभिन्न स्थानों पर ले जाने के लिए ‘श्रमिक स्पेशल ट्रेन’ की शुरुआत कल से ही कर दिया है . इस में वही यात्री सफर करेंगे जिन्होंने अपने राज्य के संबधित नोडल अधिकारी के पास आवेदन किया है . रेलवे ने यह कहा गया है, रेलवे परिसर में उन्ही का प्रवेश होगा जिन्हे सरकारी अधिकारी ले कर आएंगे .

4. बीच में कही नहीं रुकेगी

 ‘श्रमिक स्पेशल ट्रेन’ संबंधित दोनों दो राज्यों के बीच ही राज्य सरकारों के अनुरोध पर एक जगह से दूसरी जगह के बीच चलेंगी. बिना अनुमति के कही नहीं रुकेगी .

5. यात्रियों के जाँच और भोजन की पूरी व्यवस्था संबधित राज्य सरकार की होगी

यात्रियों को भेजने वाले राज्‍यों द्वारा उनकी जांच की जाएगी और यात्रा की अनुमति केवल उन्‍हीं लोगों को दी जाएगी जिनमें कोई लक्षण नहीं पाया जायेगा. भेजने वाली राज्‍य सरकारों को इन लोगों को ट्रेन में बिठाने के लिए निर्धारित रेलवे स्‍टेशन तक सैनिटाइज्‍ड बसों में बैठाकर सामाजिक दूरी के नियमों और अन्‍य सावधानियों का पालन करते हुए जत्‍थों में लाना होगा. प्रत्‍येक व्‍यक्ति के लिए फेस कवर लगाना अनिवार्य होगा. भेजने वाले राज्‍यों द्वारा शुरुआती स्‍टेशन पर उनके लिए भोजन और पानी उपलब्‍ध कराया जाएगा. लंबे मार्गों पर यात्रा के दौरान रास्‍ते में रेलवे एक भोजन प्रदान करेगा. गंतव्य तक पहुंचने पर, राज्य सरकार द्वारा यात्रियों की अगवानी की जाएगी. वहीं उनकी स्क्रीनिंग, यदि आवश्यक हो क्‍वारंटीन और रेलवे स्टेशन से आगे की यात्रा जैसे सभी तरह के प्रबंध करेगी.

6. कोटा से बिहार और झारखण्ड के लिए विशेष रेलगाड़ी रवाना

राजस्‍थान में जयपुर और कोटा से दो रेलगाडियां फंसे प्रवासी कामगारों और विद्यार्थियों को ले जाने के लिए कल  रात पटना के लिए रवाना होंगी। ये रेलगाडियां कल रात दस बजे रवाना हुए और आज तीसरे पहर पटना पहुंचेगी। इनमें 18 शयनयान और द्वितीय श्रेणी के चार सामान्‍य कोचों सहित 24 कोच हैं. यात्रा के दौरान आपसी सुरक्षित दूरी का पालन किया गया. सुचारू यात्रा के लिए इन रेलगाडियों में सुरक्षा बल तैनात है .  वही राजस्‍थान में फंसे झारखंड के विद्यार्थियों को वापस लाने के लिए दो विशेष रेलगाडियां कल रात कोटा से रवाना हुई..

7. झारखंड के लिए तेलंगाना खुला विशेष रेलगाडी

झारखंड, तेलंगाना से अपने प्रवासी मजदूरों को विशेष रेलगाडी से वापस ला रहा है. अन्‍य राज्‍यों ने भी अपने मजदूरों को वापस लाने की प्रकिया शुरू कर दी है. झारखंड अपने प्रवासी मजदूरों को वापस लाने वाला पहला राज्‍य बन गया है.  तेलंगाना के लिंगमपल्‍ली रेलवे स्‍टेशन से रॉची के हटिया रेलवे स्‍टेशन के बीच कल रेलगाडी चली जो आज रांची रत तक पहुंचेगी.

8. 40 बसें से कोटा से दिल्ली आये लोग

कल दिल्‍ली सरकार ने बताय कि देशव्‍यापी लॉकडाउन के कारण राजस्‍थान में फंसे अपने विद्यार्थियों को वापस लाने के लिए करीब 40 बसें कोटा भेज रही है. दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविन्‍द केजरीवाल ने कहा कि विद्या‍र्थियों को लेकर इन बसों के शुक्रवार को  दिल्‍ली पहुंचने की संभावना है.  उन्‍होंने कहा कि सरकार ने उत्‍तर प्रदेश, बिहार और झारखंड सहित कुछ अन्‍य राज्‍यों के साथ भी बातचीत की है ताकि फंसे लोगों को उनके गृह राज्‍यों में भेजा जा सके.

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9. केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कल से ऑनलाइन पंजीकरण सुविधा शुरू

केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ने गुरुवार से ही अन्‍य प्रदेशों में फंसे मजदूरों, छात्रों और अन्य लोगों की निकासी को सुगम बनाने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और हेल्पलाइन नंबर की सुविधा शुरू कर दिया है . जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के मद्देनजर विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इन लोगों की निकासी के समन्वय और निगरानी के लिए सात अधिकारियों की नियुक्ति की। ऑनलाइन पंजीकरण फॉर्म में कुछ जान‍कारी देनी होगी.

10. मध्य प्रदेश भी वापसी का तैयारी में लगा है

मध्य प्रदेश में, राज्य सरकार ने लॉकडाउन के कारण देश के अन्य हिस्सों में फंसे हुए राज्य के लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए सात वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों को नियुक्त किया है. इन अधिकारियों को अलग-अलग राज्यों का जिम्मेदारी सौंपी गई है. ये सभी अधिकारी मध्य प्रदेश में फंसे हुए अन्य राज्यों के लोगों को भी वापस भेजने का काम करेंगे.

Rishi Kapoor के निधन की खबर बहन रिद्धिमा को बताते वक्त रोने लगे थे रणबीर कपूर

बौलीवुड के रोमांस के सुपरस्टार ऋषि कपूर के निधन से पूरा देश शोक में है. साथ ही उनका पूरा परिवार काफी दुखी है. वहीं ऋषि कपूर के अंतिम दर्शन में बेटी रिद्धिमा कपूर को उनसे आखिरी बार ना मिल पाने का बेहद दुख है, जिसका अंदाजा उनके सोशल मीडिया पोस्ट से लगाया जा सकता है. लेकिन इसी बीच खबर है कि ऋषि कपूर के बेटे रणबीर कपूर को भी उनके निधन होने से गहरा झटका लगा है. आइए आपको बताते हैं क्या हुआ था रणबीर का हाल जब उन्होंने पिता के निधन की जानकारी बहन रिद्धिमा को दी थी….

बहन रिद्धिमा से को किया था फोन

 

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#ranbirkapoor #aliaabhatt at #RishiKapoor funeral #rip 🤲🙏

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खबरों की मानें तो आधी रात को जब ऋषि कपूर की तबीयत बिगड़ने लगी, तो नीतू कपूर को बेहद चिंता हुई और उन्होंने अपने आप को संभालते हुए अपनी बेटी रिद्धिमा कपूर का ख्याल आने लगा था. वहीं पिता ऋषि कपूर की गंभीर हालत को देखकर रणबीर ने अपनी बहन रिद्धिमा को फोन मिलाया ताकि वह पिता की जानकारी दे सकें, लेकिन फोन के दौरान वह इतने इमोशनल हो गए कि वह कुछ बोल नहीं पाए. हालांकि रणबीर ने अपने आपको संभालते हुए फोन मां नीतू कपूर को दे दिया और खुद वार्ड से बाहर निकल गए. नीतू बेटी को समझाने लगी और एक दूसरे को सांत्वना देने लगी.

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रिद्धिमा ने लिखा-वापस आ जाओ ना पापा…

पिता के अंतिम दर्शन में न पहुंच पाने के दौरान रिद्धिमा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट किया और अपने दिल का दुख लोगों के साथ शेयर किया. रिद्धिमा कपूर ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘पापा मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं और करती रहूंगी. आपकी आत्मा को शांति मिले पापा…. मैं आपको हमेशा मिस करूंगी. मैं आपके साथ फेसटाइम कॉल्स भी मिस करूंगी.. काश मैं वहां पर होती और आपको गुडबाय कह पाती… जब तक हम दोबारा नहीं मिलते आई लव यू पापा….’

बता दें कि ऋषि की बेटी रिद्धिमा कपूर सहानी उस समय लॉकडाउन की वजह से दिल्ली में थीं. वह चाह कर भी सही समय पर अपने पिता को आखिरी विदाई नहीं दे पाईं. इस मुश्किल हालत में वह दिल्ली से मुबंई का सफर कर रही थीं, ताकि वह अपने पिता को आखिरी बार देख पाए. इसी बीच रिद्धिमा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इमोशनल पोस्ट शेयर किया था. वहीं वह जल्द ही मुंबई पहुंचे वाली है.

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आपका ऑफिस भी तय करता है आपकी पर्सनैलिटी  

हाल के एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों को अपने दफ्तर में काम करने के लिए अपना एक केबिन मिला होता है,वे लोग उन लोगों के मुकाबले अपनी जॉब से कहीं ज्यादा संतुष्ट होते हैं,जिन्हें सार्वजनिक रूपसे यानी खुले हाल में दूसरों के साथ वर्किंग टेबल साझी करनी पड़ती है.ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे परफोर्मेंस और सेटिस्फेक्शन पर हमारी निजता का भी बहुत असर होता है.किसी कामकाजी शख्स की पर्सनैलिटी को दफ्तर में उसके कामकाज की स्थितियां भी बहुत प्रभावित करती हैं.कामकाज की ये स्थितियां ही तय करती हैं दफ्तर में उसकी बेचैनी और नौकरी के संबंध में उसकी संतुष्टि.

यही वजह है कि आज की तारीख में तमाम कम्पनियां ऐसे कार्यस्थल निर्मित कर रही हैं, जहां न तो काइयां बॉस की हर समय चिक चिक सुनाई पड़ती है न ही सिरदर्द बना टारगेट का दबाव सर पर सवार रहता है. इन दफ्तरों में उस तथाकथित दफ्तरी राजनीति के भी दर्शन नहीं होते. ये बिल्कुल सकारात्मक किस्म के दफ्तर हैं. ये ऐसे कार्यस्थल हैं जहां रोज समय से पहले जाने का मन करता है और यहां से देर से निकलने का मन करता है. वर्क कल्चर बहुत तेजी से बदल रही है. इन दिनों तमाम बड़ी कंपनियों का जोर इस बात पर है कि उनके यहां काम करने वाले कर्मचारी कैसे ज्यादा से ज्यादा खुश और संतुष्ट रहें. हालांकि अभी ये ऐसी कम्पनियों से ज्यादा नहीं हैं जहां काम करना तनाव और दबाव का सबब होता है. ऐसे में ये भाग्यशाली कर्मचारी अपने दफ्तर को जन्नत कहते हैं तो क्या बुरा कहते हैं? बेशक ये कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को तमाम वेतन और सुविधाएं उन्हीं से कमाकर मुहैय्या कराती हैं. इनके लिए भी इनका क्लाइंट बिना शक सबसे ऊपर है, लेकिन इनकी नजरों में इनका एम्प्लॉयी भी नीचे नहीं हैं. ये वे कंपनियां हैं जो क्लाइंट और एम्प्लॉयी के बीच एक खास तरह का संतुलन बनाती हैं.

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कुछ महीनों पहले एक कारोबारी अखबार ‘इकनॉमिक्स टाइम्स’ और ग्रेट प्लेसेज टु वर्क इंस्टिट्यूट ने मिलकर ‘बेस्ट कंपनीज टु वर्क फॉर 2015’ नाम की एक स्टडी की है. इस स्टडी से पता चलता है कि पिछले 5 साल से अपने कर्मचारियों की निगाह में काम करने के लिहाज से जन्नत नंबर -1 रही गूगल इंडिया अब इस पोजीशन में नहीं रही. इसे पछाड़कर अब काम के लिए जन्नत का पहला खिताब आईटी कंपनी आरएमएसआई ने हासिल कर लिया है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि गूगल इंडिया की वर्क कल्चर बदल गयी है. यह कम्पनी अब भी मैरियट होटल्स, अमेरिकन एक्सप्रेस और सैप लैब्स इंडिया के साथ देश के कर्मचारियों के लिहाज से देश की सबसे अच्छी पांच कम्पनियों में शामिल है. यह सर्वे 20 अलग अलग क्षेत्रों की 700 कंपनियां के करीब 1.8 लाख एम्प्लौयी से राय पूछने के आधार पर हुआ है.

इस सर्वे में पहला स्थान हासिल करने वाली कम्पनी के चेयरमैन और एमडी राजीव कपूर के मुताबिक हमारे पास कोई सीक्रेट नहीं पहला नंबर हासिल करने के सिवाय इसके कि हमारे लिए अपने क्लाइंट के जितने ही हमारा एम्प्लौयी महत्वपूर्ण है उसके इथिकल वैल्यूज महत्वपूर्ण हैं. हमने काम के अपने अनुभव से सीखा कि हमें कौन-सी वैल्यूज को अपनाना चाहिए और उन्हें लागू कैसे किया जाए ? वास्तव में बहुत तेजी से जो कम्पनियां एम्प्लौयी फ्रेंडली हो रही हैं वो पुराने घिसे पिटे बोझिल नियमों को अलविदा कर रही हैं. घंटों-घंटों की कॉन्फ्रेंस कॉल, मीटिंग्स, लम्बे लम्बे ईमेल्स. ये सब उबाऊ और तनावदायक कॉरपोरेट कल्चर का अहम हिस्सा हैं. इन्हें ये कम्पनियां धीरे धीरे अलविदा कह रही हैं.

एम्प्लाॅयी फ्रेंडली कम्पनियां कम्युनिकेशन के नए और आसान तरीके ढूंढ़कर उन्हें अपनाने की हिम्मत दिखा रही हैं. जो एम्प्लॉयी के लिए एनर्जी बूस्टर भी साबित होते हैं. सैकंड रैंक गूगल इंडिया की हेड ऑफ पीपल ऑपरेशंस जयश्री राममूर्ति का कहना है, ‘दिखने में भले न लगे लेकिन बड़ी कम्पनियों में एक खास किस्म की आंतरिक नौकरशाही का जाल बिछ होता है हम तेजी से इस पर काम करके अपनी कंपनी को इससे मुक्त कर रहे हैं. जिससे कि अहम फैसले लेने में देरी न हो’.

गूगल ने अपने कर्मचारियों से भी कहा है कि जरूरत से ज्यादा नियम, गाइडलाइंस और पॉलिसी की वजह से होने वाली दिक्कतों को वो सामने लाएं और उन्हें दूर करने के लिए सुझाव भी दें. इसके साथ साथ यहां एक ऐसी मानव संसाधन व्यवस्था भी लागू की जा रही है जिसमें कोई कर्मचारी अपने सहकर्मी के परफॉर्मेंस का आकलन भी कर सकेगा. ये सब ऐसे कदम हैं जिससे कम्पनी के भीतर व्यवहारिक और वास्तविक तरीके से लोकतंत्र लागू किया जा सके.

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किसी कम्पनी में कितनी उदारता से कर्मचारियों के हितैषी नियम लागू किये जा सकते हैं, यह उस कम्पनी का अपनी महिला कर्मचारियों के प्रति नजरिए को देखकर पता चलता है. सैप इंडिया लैब्स के वीपी (एचआर) भुवनेश्वर नाइक कहते हैं, ‘हमारी प्लैनिंग है कि 2017 तक हमारे यहां मैनेजमेंट पोजिशंस पर 25 फीसदी महिलाएं हों. इसके लिए महिला कर्मचारियों को प्रोत्साहन देने के साथ ही साथ उन्हें सशक्त बनाकर किया जा रहा है. आमतौर पर महिलाओं को 12 हफ्ते की मैटरनिटी लीव दी जाती हैं, लेकिन हमने अपने यहां उन्हें 20 हफ्ते की लीव किया है.’ अपने कर्मचारियों के साथ हर संकट में खड़ी रहने वाली कम्पनियों के भी बहुत सकारात्मक अनुभव हैं. आरएमआई की वीपी (एचआर) गगनज्योत के मुताबिक, ‘2011 के बाद हमारी कंपनी में काफी बदलाव हो रहे थे. मैनेजमेंट ट्रांसफर हो रहा था. कंपनी की हालत अच्छी नहीं थी. उन्हीं दिनों एक शाम कुछ कर्मचारी मेरे पास आए और बोले, हमें नहीं पता कि अगले महीने की सैलरी हमें कब मिलेगी या नहीं मिलेगी  लेकिन हमें यह पता है कि हम इस कंपनी को छोड़कर नहीं जा रहे हैं. कंपनी को इस संकट से निकालने में हम जी-जान लगा देंगे. हमारे लिए वह गर्व का पल था. हमारे 90 फीसदी कर्मचारी उस मुश्किल दौर में हमारे साथ थे और आज भी हैं. यह अपने कर्मचारियों के साथ कंपनी की बॉन्डिंग का ही प्रतिफल था.’

जो कार्यस्थल जन्नत होते हैं काम वहां भी होता है और उन कार्यस्थलों से ज्यादा होता है जो जहन्नुम होते हैं. फिर भी सबको जन्नत में काम करना नसीब नहीं होता.

रिश्ता और समझौता: भाग-3

जेनिफर अंदर आई और बेकाबू हो कर बिलखबिलख कर रोने लगी. सुमन समझ नहीं पा रही थी कि कैसे रिएक्ट करें. फिर उस ने खुद को संभाला और पूछा, ‘‘क्या हुआ जेनी तुम रो क्यों रही हो? कुछ तो बताओ… क्या मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकती हूं?’’ सुमन ने जेनिफर को गले लगाते हुए कहा.

‘‘सुमन मेरा बौयफ्रैंड अव्वल नंबर का धोखेबाज निकला. उस का किसी दूसरी लड़की के साथ अफेयर चल रहा है. उस ने मुझ से यह बात छिपाई और ऊपर से मेरे सारे पैसे उस लड़की पर खर्च कर दिए. अब मैं बिलकुल कंगाल हूं. जब मैं ने उस से पूछा तो उस ने कहा कि हम दोनों अलग हो जाएंगे. हम कानूनी रूप से विवाहित तो नहीं जो मैं अदालत से मदद ले सकूं… गुजाराभत्ता के रूप में मोटी रकम ले सकूं. अगर इस में एक व्यक्ति दगाबाज निकले तो दूसरा कुछ भी नहीं कर सकता और मैं उसी हालत में हूं. मेरी सारी बचत को उस ने लूट लिया.’’

सुमन उसे सांत्वना देने की कोशिश कर रही थी. जेनिफर ने पूछा, ‘‘क्या मैं आप लोगों के साथ तब तक रह सकती हूं जब तक कि मुझे एक और अपार्टमैंट और रूममेट नहीं मिलता है?’’

सुमन ने कहा, ‘‘बेशक

जेनी यह भी कोई पूछने वाली बात है क्या?’’

जेनिफर की हालत देख कर क्लारा को भी तरस आ गया और उसे अपने साथ रहने की इजाजत दे दी.

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शाम को दफ्तर से आने पर राधिका ने पूरी कहानी सुनी. उसे अजीब सी बेचैनी हुई कि एक आदमी इतना मतलबी कैसे हो सकता है और उस के साथ ऐसा व्यवहार भी कर सकता है, जो उस से प्यार कर के उस के साथ रहने आई थी. वह सोच भी नहीं सकती कि एक इंसान इतनी ओछी हरकत कर सकता है. तीनों सहेलियां एकसाथ खाना खा कर इसी बारे में बात करती रहीं.

बातोंबातों में क्लारा ने अपनी समस्या बताई, ‘‘मैं भी ऐसी मुश्किल घड़ी से गुजर चुकी हूं. जब मैं अपने बौयफ्रैंड से ब्रेकअप कर के बाहर आई थी तो पूरी तरह टूट चुकी थी और मेरा बैंक बैलेंस भी शून्य था. हमारे देश में यह एक मामूली समस्या बन चुकी है. ऐसा नहीं है कि केवल लड़के ही धोखा देते हैं. कभीकभी लड़कियां भी ऐसी गिरी हरकत करती हैं. इस तरह के रिश्ते की नींव आपसी विश्वास के अलावा कुछ भी नहीं है और अकेले ही इस स्थिति का सामना करना पड़ता है.

‘‘एक तरह से मुझे लगता है कि आप का देश अच्छा है सुमन. आप की शादियों में सभी बुजुर्ग और परिवार के अन्य सदस्य शामिल होते हैं और यह 2 व्यक्तियों का नहीं, बल्कि 2 परिवारों का मिलन बन जाता है. हमारे मामले में हम इस बड़ी दुनिया में अकेले हैं. 18 साल की उम्र में हम अपने परिवारों से बाहर आते हैं और हमें अकेले ही दुनिया का सामना करना पड़ता है. मेरे 3 ब्रेकअप हो चुके हैं और तुम जानती हो कि हर ब्रेकअप कितना दर्दनाक होता है… एक बार मैं एक गहरे मानसिक अवसाद में चली गई और अभी भी उस अवसाद के लिए गोलियां ले रही हूं… अब मैं अकेली हूं. वास्तव में मैं अब एक नए रिश्ते से डर रही हूं कि इस बार भी मुझे प्यार के बदले में छल ही मिलेगा,’’ और फिर क्लारा ने लंबी सांस भरी.

‘‘सुमन हर हफ्ते आप के मातापिता आप से बात करते हैं और यह एक अच्छा एहसास है कि इस दुनिया में कोई है, जो आप को बहुत प्यार देता है और आप की चिंता करता है. जब मैं 10 साल की थी तब मेरे मातापिता अलग हो गए थे और इस से मैं बहुत परेशान थी. मुझे अपनी मां के नए प्रेमी को स्वीकारने में बहुत समय लगा. मेरे पिताजी समय मिलने पर कभी फोन किया करते थे, लेकिन कभी भी मेरे साथ समय नहीं बिताया. मेरे 2 सौतेली बहनें और 2 सौतेले भाई हैं. मेरे पिता के अन्य महिलाओं के माध्यम से बच्चे हैं और मेरी मां के भी अन्य पुरुषों के साथ बच्चे हैं. मेरी मां कभी हम सब को मिलने के लिए बुलाती है. उस समय हम एकदूसरे से मिलते हैं… वह अवसर बहुत औपचारिक होता था,’’ क्लारा ने दुखी मन से बताया.

‘‘हमारे गुजाराभत्ता कानून महिलाओं के लिए बहुत सख्त और अनुकूल है और यही कारण है कि ज्यादातर अमीर पुरुष कानूनी शादी पसंद नहीं करते हैं. अगर हम शादीशुदा हैं और अलग हो गए हैं तो उन्हें हमारे द्वारा लिए गए पैसे वापस करने होंगे और गुजाराभत्ता के रूप में मोटी रकम भी चुकानी होगी. अब इस प्रकार के संबंधों में कानून कोई भूमिका नहीं निभाता है. हमें इसे अकेले ही निबटना होगा.

‘‘हर बार जब रिश्ते में धोखा खाते हैं तो लड़कियां हमेशा के लिए टूट जाती हैं. मुझे एक गहरी प्रतिबद्धता के साथ संबंध पसंद हैं. सुमन जब मैं आप की मां को आप से बात करते हुए देखती हूं, हालांकि मुझे आप की भाषा नहीं पता, मगर उन की अभिव्यक्ति से पता चलता है कि वे आप से कितना प्यार करती हैं… आप की खातिर किसी भी तरह का दुख भोगने के लिए तैयार हैं… हमारे देश में ऐसा नहीं है. यहां हर किसी को एक अलग व्यक्ति माना जाता है,’’ क्लारा की इस बात पर जेनिफर ने भी हामी भर ली.

राधिका सुमन की तरफ देख कर मुसकराई. सुमन समझ सकती थी कि वह क्या कहना चाहती है. सुमन को लगा कि हर जगह समस्याएं हैं. लिव इन रिलेशनशिप भी इतना आसान नहीं है, जितना हरकोई कल्पना करता है. भारतीय परिस्थितियों और भारतीय पुरुषों के साथ तो यह और भी कठिन है.

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सुमन सोच में पड़ गई. एक बात उस की समझ में आई कि यदि आप के पास कानूनी सुरक्षा है, तो आप एक तरह से सुरक्षित हैं कि आप से आप का पैसा नहीं छीना जाएगा और ब्रेकअप के बाद आदमी को मुआवजा देना होगा और फिर जब आप विवाहित होते हैं तो आप की सामाजिक स्वीकृति भी होती है.

उस रविवार को जब उस के मातापिता लाइन पर आए तो सुमन ने अपने पिताजी से

कहा, ‘‘मैं अब उलझन में नहीं हूं पापा… ऐसा लग रहा है कि ऐसा कोई भी तरीका नहीं है, जो बिलकुल सही या बिलकुल गलत है.’’

‘‘तुम ठीक कह रही हो बेटा. कोई भी व्यवस्था हर माने में सही या गलत नहीं हो सकती… हमें ही समझदारी के साथ काम करना पड़ेगा.

‘‘बेटा कोई भी शादी या रिश्ता इस दुनिया में ऐसा नहीं चाहे वह न्यूयौर्क हो या मुंबई ऐसा नहीं जो सौ फीसदी परफैक्ट हो. कोई न कोई कमी तो होती ही है और उसे नजरअंदाज कर के आगे बढ़ने में ही बेहतरी होती है. किसी भी रिश्ते की सफलता के लिए हर किसी को कुछ देना पड़ता है. तुम ही एक उदाहरण हो. तुम शुद्ध शाकाहारी हो मगर क्लारा के साथ एक ही रसोई को साझा कर रही हो क्यों? क्योंकि तुम क्लारा को ठेस पहुंचाना नहीं चाहती और उस से भी बढ़ कर तुम क्लारा से अपने रिश्ते का मूल्य समझती हो और उस की इज्जत करती हो, है न? जीवन भी इसी तरह है. अगर आप रिश्ते को बनाए रखना चाहते हैं तो मुकाम पर आप को हर हाल में समझौता करना होगा.’’

‘‘हर संस्कृति की अपनी ताकत और कमजोरी होती है. अमेरिकी संस्कृति की अपनी ताकत है कि यह हर व्यक्ति को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाती है और वह कम उम्र में ही दुनिया से अकेले लड़ने की सीख देती है. मगर उस के लिए उन लोगों को किनकिन कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है यह आप ने खुद देख लिया.

‘‘हमारी भारतीय संस्कृति हमेशा परिवार की अवधारणा में विश्वास करती है और रिश्ते हमेशा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रहे हैं. इस में कुछ ताकत और कमजोरी हो सकती है. समझौता हर रिश्ते का एक अभिन्न हिस्सा है, चाहे 2 लोग दोस्त हों या विवाहित.’’

अपने पिता से बात करने के बाद सुमन बहुत हलका महसूस कर रही थी. ‘जब वह एक रूममेट के लिए समझौता कर सकती है, वह भी एक विदेशी से तो फिर उस आदमी के लिए क्यों नहीं जो जीवनभर उस का साथी बनने वाला है, जो उस की सफलताओं और असफलताओं में उस के जीवन का हिस्सा बनने जा रहा है… वह है उस के जीवन का एक हिस्सा… यदि उस के लिए नहीं तो फिर वह किस के लिए समझौता करेगी,’ सुमन सोच रही थी.

अब सुमन ने फैसला कर लिया. वह आशीष से शादी करने के लिए तैयार थी और उस के साथ आने वाले समझौतों के लिए भी आशीष को वह मनाएगी ही क्योंकि 2 साल से वह भी उसी का इंताजर कर रहा है. आखिर समझौते के बिना जिंदगी ही क्या है.

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19 दिन 19 टिप्स: हर ओकेजन के लिए परफेक्ट हैं ‘नायरा’ के ये खूबसूरत लहंगे

फेस्टिवल में नए-नए लहंगे ट्राय करना सभी को पसंद आता है. अगर आप भी इस जन्माष्टमी कुछ नया ट्राय करना चाहती हैं तो टीवी की स्टाइलिश बहुओं में से एक नायरा यानी शिवांगी जोशी के ये लहंगे एकदम परफेक्ट हैं. नायरा और कार्तिक की जोड़ी को फैन्स फौलो करना पसंद करता है. शिवांगी जितना अपनी एक्टिंग और कैरेक्टर के लिए फेमस है उतना ही वह अपने इंडियन लुक और स्टाइलिश के लिए भी फेमस है. इसीलिए आज हम आपको नायरा यानी शिवांगी के कुछ इंडियन लुक्स के बारे में बताएंगे, जिसे आप फेस्टिव सीजन में ट्राय कर सकतीं हैं.

1. नायरा का मिरर लहंगा करें ट्राई

 

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अगर आप भी मिरर लुक ट्राय करना चाहती हैं तो आप नायरा का डार्क ब्लू सिंपल औफ स्लीव ब्लाउज के साथ डार्क ब्लू कलर के मिरर कौम्बिनेशन में ट्राई कर सकती हैं.

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2. मौनसून वेडिंग के लिए ट्राय करें नायरा की ये ड्रेस

मौनसून में ज्यादातर लोग लाइट कलर के कपड़ें लेकिन ट्रैंडी कपड़े पहनना पसंद करते हैं. अगर आप भी किसी फेस्टिवल में जा रहे हैं तो नायरा की ये लाइट स्काई ब्लू लहंगा आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. ये आपको कम्फर्ट के साथ-साथ स्टाइलिश लुक भी देगा.

3. नायरा का स्काई ब्लू और पिंक कौम्बिनेशन है बेस्ट

 

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अगर आप लाइट पिंक के साथ  कोई और कलर का कौम्बिनेशन बनाना चाहते हैं तो नायरा का ये स्काई ब्लू और पिंक कौम्बिनेशन का ये लहंगा आपके लिए परफेक्ट रहेगा.

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4. नायरा का फ्लौवर प्रिंट कौम्बिनेशन करें ट्राई

 

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फ्लौवर प्रिंट कपड़ें आजकल मार्केट में काफी पौपुलर है. आप चाहें तो नायरा की तरह ब्राउन कलर के लहंगे के कौम्बिनेशन को किसी भी शादी में ट्राय कर सकती हैं.

5.  हर शादी के लिए परफेक्ट है ब्लैक

 

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Outfit by – @kalkifashion Assisted by – @sri_naidu111 Styled by- @shrishtimunka

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आजकल ब्लैक कलर काफी ट्रांड में है. ब्लैक कलर आपको भीड़ में भी अलग दिखाता है. नायरा का ये ब्लैक आउटफिट आपके लुक को स्टाइलिश और ट्रैंडी बनाएगा.

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बता दें, इन दिनों अपने सीरियल ये रिश्ता कहलाता है में नायरा काफी स्टाइलिश लुक में नजर आ रहीं हैं. जिसके चलते उनके फैन्स उनकी काफी तारिफें कर रहें हैं.

तसवीर: भाग-1

‘‘मुझे कल तक तुम्हारा जवाब चाहिए,’’ कह कर केशवन घर से बाहर जा चुका था. मालविका में कुछ कहनेसुनने की शक्ति नहीं रह गई थी. वह एकटक केशवन को जाते तब तक देखती रही, जब तक उस की गाड़ी आंखों से ओझल नहीं हो गई.

उस ने सपने में भी न सोचा था कि एक दिन वह इस स्थिति में होगी. केशवन ने उस से शादी का प्रस्ताव रखा था. उस के मन की मुराद पूरी होने जा रही थी. लेकिन एक तरफ उस का मन नाचनेगाने को कर रहा था, तो दूसरी तरफ वह अपने घर वालों की प्रतिक्रिया की कल्पना कर के परेशान हो रही थी.

जब वे सुनेंगे कि मालविका वापस इंडिया लौट कर नहीं आ रही है, तो पहले तो आश्चर्य करेंगे, भुनभुनाएंगे और जब जानेंगे कि वह शादी करने जा रही है तो गुस्से से फट पड़ेंगे.

‘अरे इस मालविका को इस उम्र में यह क्या पागलपन सूझा?’ वे कहेंगे, ‘लगता है कि यह सठिया गई है. इस उम्र में घरगृहस्थी बसाने चली है…’

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लोग एकदूसरे से कहेंगे, ‘कुछ सुना तुम ने? अपनी मालविका शादी कर रही है. बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम. पता नहीं किस आंख के अंधे और गांठ के पूरे ने उस को फंसाया है. सचमुच शादी करेगा या शादी का नाटक कर के उसे घर की नौकरानी बना कर रखेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता.’

मालविका अपनेआप से तर्क करती रही. क्या केशवन सचमुच उस से प्यार करने लगा था? वह ऐसी परी तो है नहीं कि कोई उस के रूप पर मुग्ध हो जाए.

उस की नजर सामने दीवार पर टंगे आदमकद आईने पर पड़ी. उस का चेहरा अभी भी आकर्षक था पर समय चेहरे पर अपनी छाप छोड़ चुका था. आंखें बड़ीबड़ी थीं पर बुझी हुईं. उन में एक उदास भाव निहित था. उस का शरीर छरहरा और सुडौल था पर उस की जवानी ढलान पर थी. वह हमेशा इसी कोशिश में रहती थी कि वह किसी की आंखों में न गड़े, इसलिए वह हमेशा फीके रंग के कपड़े पहनती थी. गहने भी नाममात्र को पहनती थी. वह इतने सालों से एक अनाम जिंदगी जीती आई थी. उस की कोई शख्सीयत नहीं थी, कोई अहमियत भी नहीं थी. बड़ी अदना सी इंसान थी वह. वह अभी भी समझ नहीं पा रही थी कि केशवन ने उस में ऐसा क्या देखा कि वह उस की ओर आकर्षित हो गया. अगर वह चाहता तो उसे एक से बढ़ कर एक सुंदर लड़की मिल सकती थी.

उस ने फिर से वह लमहा याद किया जब केशवन ने उस से शादी का प्रस्ताव रखा था. वह उस पल को बारबार जीना चाहती थी.

‘मालविका, मैं तुम से शादी करना चाहता हूं. क्या तुम मेरी बनोगी?’ उस ने कहा था.

‘यह क्या कह रहे हैं आप?’ वह स्तब्ध रह गई थी, ‘आप मुझ से शादी करना चाहते हैं?’

‘हां.’

‘लेकिन आप को लड़कियों की क्या कमी है? एक इशारा करेंगे तो उन की लाइन लग जाएगी.’

‘हां, लेकिन तुम ने यह कहावत सुनी है न कि दूध का जला छाछ भी फूंकफूंक कर पीता है. एक बार शादी कर के मैं धोखा खा गया. दोबारा यहां की लड़की से शादी करने की हिम्मत नहीं होती.’

फिर उस ने उसे अपनी पहली शादी के बारे में विस्तार से बताया था.

‘नैन्सी उसी अस्पताल में नर्स थी, जिसे मैं ने यहां आ कर जौइन किया

था. मैं इस शहर में बिलकुल अकेला था. न कोई संगी न साथी. नैन्सी ने दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया तो मुझे अच्छा लगा. मैं उस के यहां जाने लगा और धीरेधीरे उस के करीब आता गया. एक दिन हम ने शादी करने का निश्चय कर लिया.

‘पहले 4 वर्ष अच्छे गुजरे पर धीरेधीरे नैन्सी में बदलाव आया. वह बेहद आलसी हो गई. दिन भर सोफे पर पड़ी टीवी देखती रहती थी. नतीजा वह मोटी होती चली गई. उसे खाना बनाने में भी आलस आता था. जब मैं थकामांदा घर लौटता तो वह मुझे फास्ट फूड की दुकान से लाया एक पैकेट पकड़ा देती. घर की साफसफाई करने से भी वह कतराती थी. यहां तक कि वह हमारी नन्ही बच्ची की ओर भी ध्यान नहीं देती थी. जब मैं कुछ कहता तो हम दोनों में जम कर लड़ाई होती.

‘आखिर तलाक की नौबत आ गई. चूंकि हमारी बेटी कुल 3 साल की ही थी, इसलिए उसे मां के संरक्षण में भेजा गया. धीरेधीरे नैन्सी ने मेरी बेटी के कान भर कर उसे मेरे से दूर कर दिया व उस ने दूसरी शादी कर ली. अब मैं अपने एकाकी जीवन से तंग आ गया हूं. मुझे यह शिद्दत से महसूस हो रहा है कि जीवन के संध्याकाल में मनुष्य को एक साथी की जरूरत होती है.’

‘लेकिन,’ उस ने कहा, ‘आप को मालूम है कि मैं 40 पार कर चुकी हूं.’

‘तो क्या हुआ? चाहत में उम्र नहीं देखी जाती. इस देश में तुम्हारी उम्र की औरतें अभी भी बनठन कर और चुस्तदुरुस्त रहती हैं और भरपूर जिंदगी जीती हैं. मैं तुम्हें सोचने के लिए 24 घंटे का समय देता हूं. अभी मैं अस्पताल जा रहा हूं. कल सुबह तक मुझे तुम्हारा जवाब चाहिए,’ केशवन ने मुसकरा कर कहा.

मालविका ने खिड़की के बाहर आंखें टिका दीं. मन अतीत की गलियों में भटकने लगा. उसे अपना गांव याद आया जहां उस का बचपन गुजरा था. घर में सम्मिलित परिवार की भीड़. सहेलियों के साथ धमाचौकड़ी मचाना. त्योहारों पर सजनाधजना. वह दुनिया ही अलग थी. वे दिन बेफिक्री और मौजमस्ती के दिन थे. फिर अचानक उस की शादी की बात चली और देखते ही देखते तय भी हो गई. घर में मेहमानों की गहमागहमी थी. सारा वातावरण पकवानों की खुशबू और फूलों की महक से ओतप्रोत था. द्वार पर बंदनवार सजे थे. अल्हड़ युवतियों की खिलखिलाहट गूंजने लगी. सखियां चुहल करने लगीं. सब एक सपने जैसा लग रहा था.

फेरे हो चुके थे. मृदंग की थाप और शहनाई की ऊंची आवाज के बीच शादी की पारंपरिक रस्में जोरशोर से हो रही थीं.

बात विदाई की होने लगी तो वर के पिता अनंतराम मालविका के पिता की ओर मुड़े और बोले, ‘श्रीमानजी, पहले जरा काम की बात की जाए.’

वे उन्हें एक ओर ले गए और बोले, ‘हां, अब आप हमें वह रकम पकड़ाइए, जो आप ने देने का वादा किया था.’

नारायणसामी मानो आसमान से गिरे, ‘कौन सी रकम? मैं कुछ समझा नहीं.’

‘वाह, आप की याददाश्त तो बहुत कमजोर मालूम देती है. आप को याद नहीं जब हम लोग सगाई के लिए आए थे तो आप ने कहा था कि आप क्व2 लाख तक खर्च कर सकते हैं?’

‘ओह अब समझा. श्रीमानजी, मैं ने कहा था कि मैं बेटी की शादी में क्व2 लाख लगाऊंगा क्योंकि इतने की ही मेरी हैसियत है. मैं ने यह तो नहीं कहा था कि मैं यह रकम दहेज में दूंगा.’

‘बहुत खूब. अब हमें क्या मालूम कि आप का क्या मतलब था. हम तो यही समझ बैठे थे कि आप हमें क्व2 लाख वरदक्षिणा देने के लिए राजी हुए हैं. तभी तो हम ने इस रिश्ते के लिए हामी भरी.’

नारायणसामी ने हाथ जोड़े, ‘मुझे क्षमा कीजिए. मुझे सब कुछ साफसाफ कहना चाहिए था. मुझ से भारी गलती हो गई.’

‘खैर कोई बात नहीं. शायद हमारे समझने में ही भूल हो गई होगी. पर एक बात मैं बता दूं कि दहेज की रकम के बिना मैं यह रिश्ता हरगिज कबूल नहीं कर सकता. मेरे डाक्टर बेटे के लिए लोग क्व10-10 लाख देने को तैयार थे. वह तो मेरे बेटे को आप की बेटी पसंद आ गई थी, इसलिए हमें मजबूरन यहां संबंध करना पड़ा. अब आप जल्द से जल्द पैसों का इंतजाम कीजिए.’

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नारायणसामी ने गिड़गिड़ा कर कहा, ‘इतने रुपए देना मेरे लिए असंभव है. मैं ठहरा खेतिहर. इतनी रकम कहां से लाऊंगा? मुझ पर तरस खाइए. मैं ने शादी में अपनी सामर्थ्य से ज्यादा खर्च किया है. और पैसे जुटाना मेरे लिए बहुत कठिन होगा.’

‘अरे, जब सामर्थ्य नहीं थी तो अपनी हैसियत का रिश्ता ढूंढ़ा होता. मेरे बेटे पर क्यों लार टपकाई?’

नारायणसामी कातर स्वर में बोले, ‘ऐसा अनर्थ न करें. मैं वादा करता हूं कि जितनी जल्दी हो सकेगा मैं पैसों का इंतजाम कर के आप तक पहुंचा दूंगा.’

‘ठीक है. आप की बेटी भी तभी विदा होगी.’

तभी मालविका के तीनों भाई अंदर घुस आए.

‘आप ऐसा नहीं कर सकते,’ वे भड़क कर बोले.

‘क्यों नहीं कर सकता?’ अनंतराम ने अकड़ कर कहा.

‘हमारी बहन की आप के बेटे से शादी हो चुकी है. अब वह आप के घर की बहू है. आप की अमानत है.’

‘तो हम कब इनकार कर रहे हैं?’

‘लेकिन इस समय दहेज की बात उठा कर आप क्यों बखेड़ा कर रहे हैं बताइए तो? क्या आप को पता नहीं कि दहेज लेना कानूनन जुर्म है? अगर हम पुलिस में खबर कर दें तो आप सब को हथकडि़यां पड़ जाएंगी.’

‘पुलिस का डर दिखाते हो. अब तो मैं हरगिज बहू को विदा नहीं कराऊंगा. कर लो जो करना हो. न मुझे तुम्हारे पैसे चाहिए और न ही तुम्हारे घर की बेटी. मैं अपने बेटे की दूसरी शादी कराऊंगा, डंके की चोट पर कराऊंगा.’

‘हांहां, जो जी चाहे कर लेना. यह धमकी किसी और को देना. हमारी इकलौती बहन हमें भारी नहीं है कि हम उस के लिए आप के सामने नाक रगड़ेंगे. हम में उसे पालने की शक्ति है. हम उसे पलकों पर बैठा कर रखेेंगे.’

‘ठीक है, तुम रखो अपनी बहन को. हम चलते हैं.’

मालविका के मातापिता समधी के हाथपैर जोड़ते रहे पर उन्होंने किसी की एक न सुनी. वे उसी वक्त बिना खाएपिए बरातियों समेत घर से बाहर हो गए.

‘अरे लड़को, तुम ने ये क्या कर डाला?’ शारदा रो कर बोलीं, ‘लड़की के फेरे हो चुके हैं. अब वह पराया धन है. अपने पति की अमानत है. उसे कैसे घर में बैठाए रखोगे?’

‘फिक्र न करो अम्मां. उस धनलोलुप के घर जा कर हमारी बहन दुख ही भोगती. वे उसे दहेज के लिए सतातेरुलाते. अच्छा हुआ कि समय रहते हमें उन लोगों की असलियत मालूम हो गई.’

‘लेकिन अब तुम्हारी बहन का क्या होगा? वह न तो इधर की रही न उधर की. विवाहित हो कर भी उस की गिनती विवाहित स्त्रियों में नहीं होगी. बेटा, शादी के बाद लड़की अपनी ससुराल में ही शोभा देती है. चाहे जैसे भी हो समधीजी की मांगें पूरी करने की कोशिश करो और मालविका को ससुराल विदा करो.’

‘अम्मां तुम बेकार में डर रही हो. हम समधीजी की मांगें पूरी करते रहे तो इस सिलसिले का कभी अंत न होगा. एक बार उन के आगे झुक गए तो वे हमें लगातार दुहते रहेंगे. हमें पक्का यकीन है कि देरसवेर वे अपनी गलती मान लेंगे और मालविका को विदा करा के ले जाएंगे.’

‘पर वे अपने बेटे की दूसरी शादी की धमकी दे कर गए हैं.’

‘अरे अम्मां, अगर लड़के वाले अपने बेटे का पुनर्विवाह करेंगे तो हम भी अपनी मालविका का दूसरा विवाह रचाएंगे.’

यह कहना आसान था पर कर दिखाना बहुत मुश्किल. दिन पर दिन गुजरते गए और मालविका के लिए कोई अच्छा वर नहीं मिला. कोई लड़का नजर में पड़ता तो वही लेनदेन की बात आड़े आती. किसी दुहाजू का रिश्ता आता तो वह उन को न जंचता. जब मालविका की उम्र 30 के करीब पहुंची तो रिश्ते आने बंद हो गए.

उस की मां उस की चिंता में घुलती रहीं. वे बारबार अपने पति से गिड़गिड़ातीं, ‘अजी कुछ भी करो. मेरे गहने बेच दो. यह मकान या जमीन गिरवी रख दो पर लड़की का कुछ ठिकाना करो. जवान बेटी को कितने दिन घर में बैठा कर रखोगे. मुझ से उस की हालत देखी नहीं जाती.’

एक बार नारायणसामी लड़कों से चोरीछिपे समधी के घर गए भी पर अपना सा मुंह ले कर वापस आ गए. अनंतराम ने बताया कि उन का बेटा पढ़ाई करने के लिए अमेरिका जा चुका है और उस के शीघ्र लौटने की कोई उम्मीद नहीं है. उन्होंने दोटूक शब्दों में कह दिया कि अच्छा होगा कि आप लोग अपनी बेटी के लिए कोई और वर देख लें.

अब रहीसही आशा भी टूट चुकी थी. नारायणसामी गुमसुम रहने लगे. एक दिन उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे नहीं रहे.

उन के तीनों बेटे शहर में नौकरी करते थे, ‘अम्मां,’ उन्होंने कहा, ‘तुम्हारा और मालविका का अब यहां गांव में अकेले रहना मुनासिब

नहीं. बेहतर होगा कि तुम दोनों हमारे साथ चल कर रहो.’

बड़े बेटे सुधीर को मुंबई में रेलवे विभाग में नौकरी मिली थी. रहने को मकान था. मांबेटी अपना सामान समेट कर उस के साथ चल दीं.

मां ने जाते ही बेटे के घर का चूल्हाचौका संभाल लिया और मालविका के जिम्मे आए अन्य छिटपुट काम. उस ने अपने नन्हे भतीजेभतीजी की देखरेख का काम संभाल लिया.

कुछ दिन बाद उस के मझले भाई का फोन आया, ‘मां, तुम्हारी बहू के बच्चा होने वाला है. तुम तो जानती हो कि उस की मां नहीं है. उसे तुम्हें ही संभालना होगा. हम तुम्हारे ही भरोसे हैं.’

‘हांहां क्यों नहीं,’ मां ने उत्साह से कहा और वे तुरंत जाने को तैयार हो गईं. मालविका को भी उन के साथ जाना पड़ा.

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अब उन की जिंदगी का यही क्रम हो गया. बारीबारी से तीनों भाई मांबेटी को अपने यहां बुलाते. मां के देहांत के बाद भी मालविका इसी ढर्रे पर चलती रही. उस के मेहनती और निरीह स्वभाव से सब प्रसन्न थे. उस की अपनी मांगें अत्यंत सीमित थीं. उसे किसी से कोई अपेक्षा नहीं थी. उस की कोई आकांक्षा नहीं थी. उस के जीवन का ध्येय ही था दूसरों के काम आना. वह हमेशा सब की मदद करने को तत्पर रहती थी.

उस के भाइयों की देखादेखी उस के अन्य सगेसंबंधी भी उसे गरज पड़ने पर बुला लेते. हर कोई उस से कस कर काम लेता और अपना उल्लू सीधा करने के बाद उसे टरका देता.

मालविका के दिन किसी तरह बीत रहे थे. कभीकभी वह अपने एकाकी जीवन की एकरसता से ऊब जाती. जब वह अपनी हमउम्र स्त्रियों को अपनी गृहस्थी में रमी देखती, उन्हें अपने परिवार में मगन देखती, तो उस के कलेजे में एक हूक उठती. लोगों की भीड़ में वह अकेली थी. जबतब उस का मन अनायास ही भर आता और जी करता कि वह फूटफूट कर रोए. पर उस के आंसू पोंछने वाला भी तो कोई न था.

उस के ससुर की धनलोलुपता और उस के भाइयों की हठधर्मिता ने उस की जिंदगी पर कुठाराघात किया था. अब वह एक बिना साहिल की नाव के मानिंद डूबउतरा रही थी. उद्देश्यहीन, गतिहीन…

क्रमश:

जानें साल के नए हेयर कलर ट्रैंड

हेयर कलर ट्रैंड्स आज फैशन इंडस्ट्री की पहचान हैं और इन्हें न अपना कर आप अपने लुक के साथ कौंप्रौमाइज ही कर रही हैं. स्टाइलिश हेयरकट और हेयर कलर कराना किस लड़की को पसंद नहीं. ब्राउन, रैड और ब्लौंड तो हमेशा से ट्रैंड में रहा ही है.

अब यह ट्रैंड हर साल बदल रहा है. सो, लड़कियों की पसंद भी बदलती रहती है. इसी पसंद को देखते हुए स्टाइलिस्ट नएनए हेयर  ट्रैंड्स इंट्रोड्यूस करते रहते हैं. हेयर कलर इसलिए भी ट्रैंड में रहते हैं क्योंकि यह न केवल आप की पर्सनैलिटी को बदलते हैं बल्कि आप में एक अलग किस्म का कौन्फिडैंस भी भर देते हैं. इसीलिए तो आज हर क्षेत्र की लड़कियां चाहे बौलीवुड अदाकारा हों या कालेजगोइंग या जौब करने वाली हों, सभी ट्रैंडी हेयर कलर्स कराती हैं.

हेयर कलर अकसर मौसम और अवसर के आधार पर कराए जाते हैं. हेयर कलर को देखते ही कोई व्यक्ति इस का अंदाजा लगा लेता है कि आप किस तरह के व्यक्ति हैं. ब्राइट कलर्स जहां बोल्ड लुक देते हैं वहीं लाइट कलर्स से माइल्ड लुक आता है. सही हेयर कलर पाने के लिए आप ऐक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं जिस से कि आप का हेयर  कलर आप के लिए डिजास्टर नहीं बनेगा.

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इस बारे में लैक्मे सैलून की नैशनल क्रिएटिव डायरैक्टर पूजा सिंह बताती हैं, ‘‘कलर के ट्रैंड को पकड़ना मुश्किल होता है. इस के लिए आज की लड़कियों की जरूरतों को ध्यान में रखना पड़ता है. इस में मैं ने यह ध्यान दिया कि महिलाएं अधिकतर रसोई में रहती हैं और किसी भी व्यंजन को एक अलग स्वाद देने के लिए वे गरममसाला प्रयोग करती हैं. वहीं से मैं ने प्रेरणा ली. इन मसालों के रंग अलगअलग होते हैं. ये हेयर कलर भी इन्हीं मसालों के आधार पर क्रिएट किए गए हैं. ‘‘इस के अलावा आजकल लड़कियां सफेद बाल होने पर अधिक घबराती नहीं. वे इसी को नए रंग से सजाना पसंद करती हैं. वे हमेशा एक बैलेंस हेयर कलर चाहती हैं और मेरी कोशिश यह रहती है कि उन की पसंद के अनुसार हेयर कलर लगाए जाएं.

कुछ लोग भड़कीले रंग पसंद करते हैं तो कुछ हलके रंग चाहते हैं. उन के अनुसार ही ये कलर्स बनाए जाते हैं. रिच सिनेमन यानी दालचीनी, जायफल से ले कर सैफरौन, मस्टर्ड और कोकम आदि सभी हेयर कलर इस बार ट्रैंड में हैं.’’पूजा आगे बताती हैं, ‘‘सफेद बाल वाले भी आसानी से कलर लगा कर गौर्जियस लुक पा सकते हैं. इस में पूरे बालों को रंगने की जरूरत नहीं होती.

लंबी स्ट्रिप्स ग्रे बालों पर सुंदर दिखती हैं. जायफल का रंग ग्रे हेयर पर करने से उस का रिजल्ट ब्राउन और लाइट ब्राउन आता है जो बहुत ही सुंदर दिखता है. रैड कलर को केसर से जोड़ा है जिस में पतलेपतले स्ट्रिप्स बना कर उसे बीड्स से सजाया जा सकता है जो एक गौर्जियस लुक देता है.‘‘कौपर कलर इंडियन लुक में बहुत अधिक अच्छा नहीं समझा जाता क्योंकि ये वार्म कलर है. लेकिन, इसे हाईलाइट्स के तौर पर प्रयोग करने से इस का लुक बहुत सुंदर आता है.

गोल्ड कलर आज भी बहुत पौपुलर है और सभी उम्र की लड़कियों को सूट करता है. गोल्ड को चोटी में प्रयोग करने से एलीगैंट लुक आता है, जिसे सभी लड़कियां आसानी से कर सकती हैं. ऐसे हेयर कलर की स्टाइलिंग करना भी आसान होता है.’’ खुले बाल, चोटी, मेसी बन, जूड़ा आदि किसी भी तरह के हेयर स्टाइल इन हेयर कलर में अच्छे दिखते हैं. हेयर कलर के लिए सैलून जाना पड़ता है पर स्टाइलिंग घर पर की जा सकती है. 3 से 4 महीने तक इस का लुक अच्छा रहता है.

उम्र के हिसाब से हेयर कलर 

-यंग लड़कियों के लिए रैड ऐंड गोल्ड अधिक सुंदर दिखता है, इसे हाईलाइट्स या किसी भी रूप में लगाया जा सकता है.

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-मिडिल ऐज के लिए रैड, ब्लौंडस और कौपर काफी अच्छा रहता है. दालचीनी के रंग का हेयर कलर भी ऐसी महिलाओं के लिए अच्छा होता है.

-जिन लड़कियों को ग्रे हेयर छिपाने हैं उन के लिए कोकम और चौकलेट कलर अच्छा रहता है, यह ग्रे को कवर करने के साथसाथ थोड़ा कलर भी हाईलाइट करता है.

#lockdown: कोरोनावायरस से बढ़ रही है लोगों में मानसिक समस्या

कोरोना वायरस के फैलने के कारण दुनिया के कई देशों के साथ भारत में भी लॉकडाउन घोषित कर दिया गया और अब भारत में लॉगडाउन की अवधि बढ़ाकर 3 मई तक कर दी गई है. इससे लोग घरों में रहने को मजबूर हो गए हैं. लगातार घरों में बंद-बंद रहने के कारण लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ने लगा है. कोरोना वायरस संक्रमन लोगों के लिए जानलेवा तो साबित हो ही रहा है, इससे लोगों में मानसिक समस्याएँ भी बढ़ रही है. विभिन्न राज्यों में इसकी वजह से कम से कम एक दर्जन लोगों ने आत्महत्या कर ली है. केरल में तो 7 लोग लॉकडाउन के कारण शराब नहीं मिलने की वजह से अवसादग्रस्त होकर जान दे चुके हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना की वजह से सिर्फ भारत में लाखों संख्या में लोग मानसिक समस्याओं के शिकार हो रहे हैं. कई लोगों में तो पागलपन जैसे लक्षण भी उभर रहे हैं. लॉकडाउन में शराब न मिलने के कारण लोग पेंट, सैनिटाइजर और वार्निश जैसी चीजों का सेवन कर रहे हैं और जिसके चलते दो लोगों की मौत भी हो चुकी है.

कोरोना के फैलने का जितना डर लोगों को बाहर जाने पर लग रहा है उतना ही मानसिक डर लोगों को अब घर में रहते हुए सताने लगा है. लॉकडाउन  की वजह से घर में कैद,  वे चिंता और अवसाद के शिकार तो हो ही रहे हैं, इससे बचने के लिए वे नशीली चीजों का सेवन भी ज्यादा करने लगे हैं. इससे मेंटल हेल्थ पर भी ज्यादा खराब असर पड़ने लगा है. यह स्थिति सिर्फ भारत या अमेरिका में ही नहीं, बल्कि इस समस्या से दुनिया भर के लोग जूझ रहे हैं.

दूसरी ओर लॉकडाउन के बाद लोगों को आर्थिक मंदी ने भी तनाव बढ़ा दिया है. अब लोगों में अपनी रोजी-रोटी की जुगाड़ के साथ-साथ कोरोना के डर से भी लड़ना है.

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लॉकडाउन में अजब-गज़ब बीमारी

लॉकडाउन में लोगों को अजब-गज़ब बीमारी हो रही है. किसी को नींद नहीं आ रही है, तो किसी की नींद संक्रमन के खौफ से टूट जा रही है. डॉक्टरों के पास भी आने वाले 30% मामले ऐसे ही हैं. पटना एम्स और आईजी आईएमस के टेलामेडिसिन में भी ऐसे मामले अधिक हैं. हर दिन ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो लॉकडाउन के कारण नकारात्मक विचारों से घिर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि यह स्थिति ठीक नहीं है. इससे बचाव के लिए सकारात्मक होना होगा. घर में रचनात्मक कार्यों के साथ बच्चों और बुजुर्गों को खौफ से बाहर लाने का प्रयास करना होगा.

लॉकडाउन के बाद लोगों की दिनचर्या बिगड़ी तो उनकी सोच नकारात्मक होने लगी. लोगों में अब हर समय सिर्फ संक्रमन की बात हो रही है. ऐसे में लोगों के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. बच्चे सबसे अधिक डरे हुए हैं, वृद्ध भी इससे परे नहीं हैं. डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों के लिए डर की स्थिति काफी धातक है. भविष्य में यह फोबिया का रूप ले सकता है. इससे बचाव को लेकर घर के अभिभावकों को ध्यान देना होगा. घर में हर समय कोरोना की चर्चा से भी बच्चों के दिमाग पर असर पड़ रहा है. बच्चों को ऐसी दहशत से बाहर निकालना होगा, क्योंकि पहली बार ऐसा हो रहा है, जब लंबे समय तक लोगों को घरों में कैद रहना पड़ रहा है.

डॉक्टरों के पास सुबह से शाम तक ऐसी कॉल

पटना एम्स और आईजीआईएमएस के डॉक्टरों के साथ पीएमसीएच व आईएमएस द्वारा जारी किए नंबरों पर रोग से जुड़े कॉल 60 प्रतिशत हैं, जबकि 30 प्रतिशत से अधिक कॉल मानसिक रोग से जुड़े हैं. यह बीमारी सिर्फ दिनचर्या प्रभावित होने और नकारात्मक सोच के कारण हुई है.

मानसिक तनाव के कारण परेशान हैं लोग

क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट मीनाक्षी भट का कहना हा कि अधिकतर लोग मानसिक तनाव के कारण परेशान है. सामान्य दिनचर्या बदल गई और वह खुद घर में एडजेस्ट नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे हालात में वह तनाव की स्थिति का सामना कर रहे हैं.

देश में मनोचिकित्सकों की सबसे बड़ी एसोसिएशन indian Psychiatric Society ने कुछ चौंकने वाले आंकड़े जारी किए हैं. इसके सर्वे के मुताबिक, कोरोना वायरस के आने के बाद देश में मानसिक रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या 15 से 20 फीसदी तक बढ़ गई है. सर्वे बताता है कि मरीजों की ये संख्या एक हफ्ते के अंदर ही बढ़ी है. लोगों में लॉकडाउन की वजह से बिजनेस, नौकरी, कमाई और बचत को खोने का डर भी इसका कारण माना जा रहा है. चिंता की बात यह है कि कोरोना के बाद अगर मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ती है तो इसके लिए देश में जागरुता और सुविधाएं, दोनों की ही कमी है.

इंडियन काउंसिल मेडिकल रिसर्च के अनुसार, भारत में हर पाँच में से एक व्यक्ति मानसिक रोग का शिकार हैं. लेकिन दूसरा पहलू ये हैं कि दुनिया के स्वास्थय कार्यकर्ताओं में केवल 1% मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े हैं. भारत में मानसिक स्वास्थयकर्मी बहुत कम है. भारत में इसका आंकड़ा और भी कम है. National Mental Health प्रोग्राम का बजट पिछले वर्ष ही 50 करोड़ से घटाकर 40 करोड़ कर दिया गया था. और भारत अपने स्वास्थ्य बजट का 0.06% ही मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च कर रहा है.

किंम्स कॉलेज लंदन ने फरवरी में क्वारंटीन के अवसर से जुड़े 24 पेपर्स का रिसर्च किया था और इसे मेडिकल जनरल लेनसीप में प्रकाशित किया था. इस रिव्यू के अनुसार, क्वारंटीन में रहने वाले आधे से ज्यादा लोगों में उदासी, तनाव और डिप्रेशन के लक्षण देखे गए. एक्सपर्ट ने बताया कि एक जगह सीमित रहने और सामाजिक संपर्क कम होने की वजह से यह समस्या बढ़ती जाती है.

कोरोना से भयभीत लोग

पुणे में अपना बिजनेस चलाने वाली श्रद्धा केजरीवाल को एक सप्ताह से बुरे-बुरे सपने आ रहे हैं. वह कहती हैं कि कारोबार ठप्प होने और अनिश्चित भविष्य की चिंता ने मेरी नींद उड़ा दी है. वह फिलहाल एक मनोचिकित्सक की सेवाएँ ले रही हैं. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकोटा में तो सैंकड़ों लोग मानसिक अवसाद की चपेट में हैं. किसी को लगातार हाथ धोने की वजह से कोरोना फोबिया हो गया है तो किसी को छींक आते ही कोरोना का डर सताने लगता है. ऐसे कई मरीज मनोचिकित्सक के पास पहुँच रहे हैं. सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है.

एकदम दुरुस्त मानसिक स्वास्थ्य वाले अचानक बीमार

विशेषज्ञों का कहना है कि उनके पास सलाह के लिए आने वालों या फोन करने वालों में कई लोग ऐसे हैं जिनका स्वास्थय पहले एकदम दुरुस्त था. मनोचिकित्सक रंजन घोष बताते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमन की वजह से लोगों को भीड़ से डर लगने लगा है. ट्रोमा थैरेपिस्ट रुचिका चंद्रशेखर कहती हैं कि कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाउन की वजह से अवसाद और चिंता के लक्षण तेजी से बढ़ रहे हैं. इससे जीवन पर खतरा भी बढ़ेगा.

ऑनलाइन काऊसडलक्षण पोर्टल चलाने वाली आकृति तरफदार कहती हैं कि लॉकडाउन की वजह से लाखों लोग घर से काम कर रहे हैं. इसका मतलब जीवन को नए सिरे से व्यवस्थित करना है. इसका दिमाग पर भारी असर पड़ता है. सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों भी दिमाग पर प्रतिकूल असर डालती है. रुचिका कहती हैं कि लंबे समय से घरों में बंद रहने की वजह से पहले से इस बीमारी के चपेट में रहने वाले लोगों की समस्या और गंभीर हो रही है. बीते 10 दिन में मेरे पास पहुँचने वाले मरीजों की तादाद दोगुनी से ज्यादा हो गई है.

कोरोना वायरस ने दुनियाँ भर में डर और चिंता का माहौल बना दिया है. इसके कारण देश में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है. अध्ययन के मुताबिक, कोरोना मरीज, क्वारंटाइन या आइसोलेशन में रह रहे व्यक्ति, यहाँ तक कि इलाज कर रहे व्यक्ति की मानसिक सेहत पर भी इससे असर पड़ रहा है. इसके कारण देश में अवसाद, एंग्जायटी, डिप्रेशन व मानसिक रोगियों की संख्या 20% बढ़ गई है.

विश्व स्वास्थय संगठन (WHO )ने इस दौरान लोगों को अपने मानसिक स्वास्थ्य का खास ख्याल रखने को कहा है. इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी के एक सर्वे में यह कहा गया है कि कोरोना वायरस का मामला सामने आने के बाद देश में मानसिक रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या में 15 से 20 फीसदी तक वृद्धि हुई है. लॉकडाउन के कारण लोगों में जरूरी चीजों की दिक्कतें हो रही है. उनके बिजनेस, नौकरी और आमदनी के स्रोतों पर खतरा मंडरा रहा है. इससे लोगों में चिंता का होना स्वाभाविक है.

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चिंता की बात यह है जो लोग पहले से किसी मानसिक बीमारी के शिकार है, उनकी हालत लॉकडाउन में ज्यादा खराब हो सकती है. सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि इस दौरान वे डॉक्टरों से मिल कर सलाह भी नहीं ले सकते हैं. ऐसी हालत में आप इन पाँच तरीकों को अपनाकर राहत पा सकते हैं.

सही खान-पान

चिंता, घबराहट और अवसाद की स्थिति में लोगों की भूख कम हो जाती है या भूख होने के बावजूद खाने की इच्छा नहीं होती. सही पोषण न मिलने से समस्याएँ और भी बढ़ती है. इसलिए हर हाल में खाना न छोड़े. हेल्दी डायट लेने की कोशिश करें.

एक्सरसाइज और योगा

तनाव. चिंता और अवसाद से बचने के लिए एक्सरसाइज और योगा करने से फायदा तो होगा कि मन भी शांत राहेंगा. पोजेटिव विचार आएंगे. इसलिए लॉकडाउन के दौरान नियमित तौर पर योगा और एक्सरसाइज करते रहें.

अपनों के बीच रहें

लोगों से सोशल डिस्टेन्सिंग रखें, पर अपने परिवार के लोगों के बीच समय बिताएँ, बातें करें. बच्चों को समय दें, उनके साथ साथ खेलें. पुराने फ़ोटोज़ देखकर हँसे और याद करें वह वक़्त.  दोस्त-रिशतेदारों से फोन पर बातें करें, उनसे जुड़े रहें.  खाली बैठे रहने से चिंता और अवसाद और घेरने लगती है. सकारात्मक सोच बनाए रखें. परिवार के लोगों के बीच बैठने बातें करने से चिंता और घबराहट नहीं होती.

संगीत सुने

तनाव ज्यादा घेरने लगें, तो संगीत सुनें, इससे काफी राहत मिलती है. इसलिए थोड़ा समय संगीत को जरूर दें. क्योंकि इससे मन को शांति तो मिलेगी ही, आत्मविश्वास भी बढ़ेगा.

किताबें पढ़ें

सोशल मीडिया पर इधर-उधर की चीजें न देखें, इससे तनाव और बढ़ता है. उसकी जगह अपनी मनपसंद किताबें पढ़ें, ताकि आपको सकारात्मक ऊर्जा का एहसास हो सके.

नींद पूरी लें

नींद पूरी नहीं हो पाने से कई तरह की समस्याएँ बढ़ने लगती है. चिंता-घबराहट, नकारात्मक विचार पनपने लगते हैं. इसलिए नींद पूरी लें.

सकारात्म्क सोच रखें

कोरोना वायरस की जानकारी जरूरी है, लेकिन इससे जुड़ी सारी खबरे सही ही हो जरूरी नहीं. इसलिए कोरोना से संबन्धित ज्यादा जानकारी पढ़ने-सुनने से बचें.

नशीली पदार्थों का सेवन न करें

कुछ लोग चिंता और परेशानी में नशीली पदार्थों की सेवन करने लगते हैं. इससे कुछ समय तो राहत मिलती है, लेकिन बाद में ज्यादा तनाव महसूस होने लगता है. इससे आपकी इम्यूनिटी पर भी बुरा असर पड़ता है. अगर आप ज्यादा दिक्कत महसूस करने लगें हैं, तो फोन से डॉक्टर से संपर्क कर सलाह ले लें. अगर डॉक्टर एंगजाइटी और तनाव कम करने के लिए कोई दवा लेने की सलाह देत हैं, तो उसे लें, पर बिना डॉक्टर के परमर्श के कोई दवा लेना आपके लिए हानिकारक भी हो सकता है.

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19 दिन 19 टिप्स: ड्राय बालों के लिए घर में ऐसे बनाएं कंडीशनर

बाजार में आज कई तरह के कंडीशनर मौजूद हैं, जिन्हें आप अपने बालों को धोने से पहले इस्तेमाल करने के लिए छोड़ सकते हैं. इन में लीव-इन-कंडीशनर और रात भर डीप कंडीशनिंग ट्रीटमेंट भी उपलब्ध हैं. ये कंडीशनर बहुत अच्छा काम करते है पर अकसर  जेब पर भारी पड़ जाते है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप घर पर ही अपने बालों के लिए कंडीशनर बना सकते हैं. न केवल इन्हे बनाना सुपर आसान हैं बल्कि ये आप के घर में उपलब्ध चीज़ों से ही सस्ते में बन जाएंगे. साथ ही साथ इन में किसी रसायन का इस्तेमाल न होने से बालों के लिए भी सुरक्षित रहेंगे. हेयर एक्सपर्ट व हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन डौ. अरविन्द पोसवाल बताते हैं कि कैसे घर पर बने कंडीशनर आप के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं :

  1. दही, हनी और नारियल के तेल का पेस्ट करें तैयार

ये सभी तत्व ड्राई बालों के लिए बहुत लाभकारी होते हैं क्योंकि वे नमी को बहाल करते हुए आप के बालों को हाइड्रेट करने में मदद करते हैं. यह फ्रिजी हेयर से बहुत अच्छी तरह से निपटते है और आपके बालों को मुलायम और चमकदार बनाए रखते है. दही और हनी का मिश्रण आप के बालों को एक दम अच्छे से कंडीशन और मौइस्चराइज करेगा और दूसरी ओर नारियल का तेल आप के बालों को डीप कंडीशनिंग के साथ पर्याप्त पोषण  पहुंचाएगा.

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ऐसे करें इस्तेमाल

एक कटोरे में दही, हनी और नारियल के तेल को मिला कर कंडीशनर तैयार कर लें. फिर अपने बालों को शैम्पू और गर्म पानी से धोएं. अपने बालों में से पानी को निचोड़ें और इस कंडीशनर को बालों में लगाएं.  15 मिनट बाद  इसे ठंडे या गुनगुने पानी से धो लें.

  1. अंडा है बेस्ट कंडिशनर

अंडे में बहुत सारे प्रोटीन, मिनरल्स और बी-कौम्प्लेक्स विटामिन के साथ पावर-पैक होते हैं जो बालों के लिए आवश्यक  हैं. ये पोषक तत्व विशेष रूप से बायोटिन और अन्य बी-कौम्प्लेक्स विटामिन आप के बालों की जड़ों को मजबूत कर के बालों के झड़ने से रोकने में मदद करते हैं.  बालों को घना करने और ड्राइनेस खत्म करने में भी मदद करेगा.

ऐसे करें इस्तेमाल

अंडों को अच्छे से फेंट लें और बालों को धोने के बाद फेंटें हुए अण्डों को अपने बालों पे लगाएं . कम से कम 20 मिनट तक इसे अपने बालों पर  लगा रहने दे और फिर इसे पानी से धो लें .

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  1. एलोवेरा और नींबू का करें इस्तेमाल

एलोवेरा में बालों को मजबूत, लम्बे, घने और ख़ूबसूरत बनाने के बहुत सारे गुण होते हैं. एलोवेरा बालों को मजबूत करता है और उनमें शाइन भी प्रदान करता है. साथ ही साथ यह डैंड्रफ को भी दूर करता है और बालों के ऊपर एक सुरक्षात्मक परत बनाता है जो बालों को धूल, मिटटी और प्रदूषण से भी बचाता है. एलोवेरा का नींबू के साथ मिश्रण हर तरह के इन्फेक्शन्स  दूर कर बालों को हेल्दी बनाता है.

ऐसे करें इस्तेमाल

एक कटोरे में एलोवेरा और नींबू मिला कर रख दें. अपने बालों को शैम्पू से अच्छी तरह धोएं और फिर इस कंडीशनर का इस्तेमाल करें. फिर 5 मिनट के बाद इसे ठंडा या गुनगुने पानी से धो लें.

  1. नारियल के तेल और प्याज के रस का बनाएं पेस्ट

नारियल का तेल स्कैल्प में अच्छी तरह से समा जाता है जिससे स्कैल्प तो हेल्दी होता ही है साथ ही बालों को भरपूर पोषण भी मिलता है. इससे बाल मजबूत बनाते है. साथ ही नारियल का तेल बालों को मुलायम बनाने के साथ चमक भी प्रदान करता है और डैंड्रफ व ड्राइनेस जैसी प्रौब्लमस के खिलाफ लड़ता है. यह बालों के टूटने और दो मुहें होने से रोकता है.

ऐसे करें इस्तेमाल

एक मिक्सर में नारियल के तेल और प्याज के रस को मिलाएं और मिश्रण सा बना लें. आप इस में निम्बू के रस को भी शामिल कर सकते हैं. इस मिश्रण को अपने स्कैल्प में लगाकर इसे 20 से 25 मिनट तक लगा छोड़ दें. बाद में अच्छी तरह से धो लें.

  1. दूध, बादाम का तेल और गुलाब जल

गुलाब जल बालों के रोमों को मौइस्चराइज करता है. यह बालों की जड़ों को पोषण और मजबूती देता है जो साथ ही बालों के स्वस्थ विकास को बढ़ावा देता है. बादाम का तेल बालों के झड़ने को रोकता है और इस के साथ गुलाब जल प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ बालों की संख्या बढ़ा कर बालों की गुणवत्ता में सुधार करता है. इन तीनों नेचुरल प्रौडक्ट्स का पेस्ट आपके बालों के लिए बहुत बेहतर साबित हो सकता है.

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ऐसे करें इस्तेमाल

दूध, बादाम का तेल और गुलाब जल को एक कटोरे में मिलाएं और बालों को धोने के बाद उस पर लगाएं . इसे कम से कम 20 मिनट के लिए बालों पर लगा छोड़ दें . बाद में इसे हलके गर्म पानी से धो लें .

प्रोफेशनल टिप्स का भी करें इस्तेमाल

इन नेचुरल कंडीशनर्स के इस्तेमाल के बाद आप अपने बालों पर कम-से-कम हीट जनरेटिंग उत्पादों का इस्तेमाल करें. इन कंडीशनर्स का नियमित इस्तेमाल आप के बालों को स्वस्थ, घना, लंबा और चमकदार खूबसूरत बनाएगा.

तसवीर: भाग-2

पूर्व कथा

केशवन का प्रस्ताव सुन कर मालविका चौंक उठी थी. उस ने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि इस उम्र में कोई उस के सामने शादी का प्रस्ताव रखेगा. उस के सामने पूरा अतीत नाच उठा, जब दहेज की वजह से बरात दरवाजे से लौट गई थी. फिर मालविका के लिए कोई वरघर न मिला तो वह अपनी मां के साथ बारीबारी से तीनों भाइयों के पास रह कर नाव की तरह डूबउतरा रही थी.

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मालविका के बड़े भाई सुधीर की बेटी उषा की शादी हो गई और वह अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में जा बसी. जब वह गर्भवती हुई तो उसे मालविका की याद आई, तो वह अपने पापा से बोली, ‘पापा, आप किसी तरह बूआजी को यहां भेज दो तो मेरी मुश्किल हल हो जाएगी. वे घर भी संभाल लेंगी और बच्चे को भी देख लेंगी. यहां के बारे में तो पता है न आप को? बेबी सिटर और नौकरानियां 1-1 घंटे के हिसाब से चार्ज करती हैं. इस से हमारा तो दीवाला ही निकल जाएगा.’

‘हांहां तुम्हारे लिए मालविका कभी मना नहीं करेगी. पर कुछ दिनों से वह गठिया के दर्द से परेशान है. अगर तुम लोग उस के लिए मैडिकल इंश्योरैंस करा लो तो अच्छा रहेगा. सुना है कि उस देश में बीमार पड़ने पर अस्पताल और डाक्टरों के इलाज में बड़ा भारी खर्च होता है.’

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‘हांहां क्यों नहीं. ये कौन सी बड़ी बात है. बूआ का बीमा करा लिया जाएगा. बस आप उन्हें जल्द से जल्द रवाना कर दें.’

मालविका अमेरिका के लिए रवाना हो गई. उस की भतीजी उसे एअरपोर्ट पर लेने आई थी.

‘बेटी, तेरे देश में तो बड़ी ठंड है,’ मालविका ने ठिठुरते हुए कहा, ‘मेरी तो कंपकंपी छूट रही है.’

उषा हंस पड़ी, ‘अरे बूआजी, अपना घर वातानुकूलित है. बाहर निकलो तो कार में हीटर लगा हुआ है. शौपिंग मौल में भी टैंप्रेचर गरम रखा जाता है. फिर सर्दी से क्यों घबराना? हां, एक बात का खयाल रखना बाहर कदम रखो तो बर्फ में पांव फिसलने का डर रहता है, इसलिए जरा संभल कर रहना.’

फिर उस ने मालविका के गले लग कर कहा, ‘बूआजी तुम आ गईं तो मेरी सब चिंता दूर हो गई. अब तुम मुझे वे सभी चीजें बना कर खिलाना जिन्हें खाने के लिए मेरा मन ललचाता है.’

घर पहुंच कर उषा ने कहा, ‘बूआ, आप का बिस्तर बेबी के रूम में लगा दिया है. जब बेबी पैदा होगा तो शायद रात में एकाध बार बच्चे को दूध की बोतल देने के लिए उठना पड़ेगा और हां, सुबह रस्टी को जरा बाहर ले जाना होगा, क्योंकि आप को

तो पता है मेरी नींद आसानी से नहीं खुलती.’

‘ये रस्टी कौन है?’

‘अरे रस्टी हमारा छोटा सा कुत्ता है. कल ही दिलीप उसे खरीद कर लाए हैं. हम ने सोचा है कि बच्चे को उस का साथ अच्छा लगेगा.’

‘पर बेटी, इतने नन्हे बच्चे के साथ कुत्ता पालना अक्लमंदी है क्या? जानवर का क्या ठिकाना, कभी बच्चे को नुकसान पहुंचा दे तो?’

‘अरे नहीं बूआ, ऐसा कुछ नहीं होगा. आप नाहक डर रही हैं. वैसे दिलीप जब घर में होंगे तो वे ही कुत्ते का सब काम देखेंगे.’

कुछ समय बाद उषा ने एक बालक को जन्म दिया. मालविका ने घर का काम संभाल लिया और बच्चे की जिम्मेदारी भी ले ली. वह दिन भर बहुत सारे काम करती और रात को निढाल हो कर बिस्तर पर पड़ जाती. काम वह इंडिया में भी करती थी पर वहां और लोग भी थे उस का हाथ बंटाने के लिए. यहां वह अकेली पड़ गई थी.

एक दिन सुबह वह बच्चे का दूध बना रही थी कि रस्टी दरवाजे के पास आ कर कूंकूं करने लगा. ‘ओह तुझे भी अभी ही जाना है मुए,’ वह झुंझलाई.

जब रस्टी ने कूंकूं करना बंद न किया तो मालविका ने बच्चे को पालने में डाला और एक शौल लपेट कर रस्टी की चेन थामे घर से निकली.

पिछली रात बर्फ गिरी थी. सीढि़यों पर बर्फ जम गई थी और सीढि़यां कांच की तरह चिकनी हो गई थीं. मालविका ने हड़बड़ी में ध्यान न दिया और जैसे ही उस का पांव सीढ़ी पर पड़ा वह फिसल कर गिर पड़ी.

उस ने उठने की कोशिश की तो उस के पैर में भयानक दर्द हुआ. उस के मुंह से चीख निकल गई. उसे लगा उस भीषण ठंड में धरती पर पड़ेपड़े उस का शरीर अकड़ जाएगा और उस का दम निकल जाएगा.

काफी देर बाद उषा ने द्वार खोला तो उसे पड़ा देख कर उस के मुंह से भी चीख निकल गई, ‘ये क्या हुआ बूआ? तुम कैसे गिर पड़ीं? मैं ने तुम्हें आगाह किया था न कि बर्फ पर बहुत होशियारी से कदम रखना वरना पैर फिसलने का डर रहता है.’

‘अब मैं जान कर तो नहीं गिरी,’ उस ने कराह कर कहा, ‘जल्दीबाजी में पांव फिसल गया.’ उषा व उस का पति दिलीप उसे अस्पताल ले गए.

डाक्टर ने मालविका की जांच कर के बताया कि इन का टखना टूट गया है. औपरेशन करना होगा और हड्डी बैठानी होगी और इस में 10 हजार डौलर का खर्चा आएगा.

10 हजार सुन कर मालविका की सांस रुकने लगी, ‘उषा, तू ने मेरा मैडिकल बीमा करा लिया था न?’

‘मैं ने दिलीप से कह तो दिया था. क्यों जी, आप ने बूआजी का बीमा करा लिया था न?’

‘ओहो, ये बात तो मेरे ध्यान से बिलकुल उतर गई.’

उषा अपने हाथ मलने लगी, ‘ये आप ने बड़ी गलती की. अब इतने सारे पैसे कहां से आएंगे?’

वे इधरउधर फोन घुमाते रहे. आखिर उन्हें एक डाक्टर मिल गया जो मालविका का औपरेशन 3 हजार डौलर में करने को तैयार हो गया.

प्लास्टर उतरने वाले दिन उषा अपनी बूआ को अस्पताल ले गई. प्लास्टर उतरने के बाद जब मालविका ने पहला कदम उठाया तो देखा कि उस का टूटा हुआ पैर सीधा नहीं पड़ रहा था. उस के पैर डगमगाए और वह कुरसी में गिर पड़ी.

‘हाय ये क्या हो गया?’ उस के मुंह से निकला.

डाक्टर ने पैर की जांच की और बोले, ‘लगता है पैर सैट करने में जरा गलती हो गई. अब जब आप चलेंगी तो आप का एक पैर थोड़ा टेढ़ा पड़ेगा. आप को छड़ी का सहारा लेना होगा और कोई चारा नहीं है.’

मालविका की आंखों से झरझर आंसू बह निकले. हाय वह अपाहिज हो गई. अब वह बैसाखियों के सहारे चलेगी. बुढ़ापे में उसे दूसरों के आसरे जीना होगा.

तभी एक नर्स उस के पास आई, ‘मैडम, आप ओपीडी में चलिए. हमारे अस्पताल में न्यूयार्क से एक विजिटिंग डाक्टर आए हैं, जो आप के पैर की जांच करना चाहते हैं?’

‘कौन डाक्टर?’ मालविका ने अपना आंसुओं से भीगा चेहरा ऊपर उठाया.

‘डाक्टर केशवन.’

‘केशवन? यह कैसा नाम है?’

‘वे आप के ही देश के ही हैं. चलिए, मैं आप को व्हीलचेयर में ले चलती हूं.’

मालविका का हृदय जोरों से धड़क उठा. क्या ये वही थे? नहीं, उस ने अपना सिर हिलाया. इस नाम के और भी तो डाक्टर हो सकते हैं. पर डाक्टर को देखते ही उस का संशय दूर हो गया. वही हैं, वही हैं उस के हृदय में एक धुन सी बजने लगी. हालांकि मालविका उन्हें पूरे 20 साल बाद देख रही थी पर उन्हें पहचानने में उसे एक पल की देरी भी नहीं हुई. केशवन का बदन दोहरा हो गया था और सिर के बाल उड़ गए थे. पर चेहरामोहरा वही था.

ये छवि तो उस के हृदय में अंकित थी, उस ने भावुक हो कर सोचा. इन की तसवीर तो उस ने सहेज कर अपने बक्से में रखी हुई थी. वह हर रोज अकेले में तसवीर को निकालती, उसे निहारती और उस पर 2-4 आंसू बहाती. ये तसवीर उन दोनों की मंगनी के अवसर पर ली गई थी. एक प्रति मालविका ने सब की नजर बचा कर चुरा कर अपने पास रख ली थी.

उस ने सुना था कि केशवन अमेरिका जा कर वहीं के हो गए थे. उस ने एक उड़ती हुई खबर यह भी सुनी थी कि केशवन ने एक गोरी मेम से शादी कर ली थी और इस बात से उस के मातापिता बहुत दुखी थे. डाक्टर केशवन कैबिन में आए. मालविका ने उन पर एक भेदी नजर डाली. क्या उन्होंने उसे पहचान लिया था? शायद नहीं. उन्होंने उस का पैर जांचा.

‘आप का औपरेशन सही तरीके से नहीं किया गया है, इसीलिए आप की चाल टेढ़ी हो गई है. दोबारा हड्डी तोड़ कर फिर से जोड़नी पड़ेगी.’

‘ओह इस में तो भारी खर्च आएगा,’ मालविका चिंतित हो उठी.

‘डाक्टर, हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं,’ उषा बोल उठी,

‘हम सोच रहे हैं कि इन्हें वापस इंडिया भेज दें. वहां पर इन का इलाज हो जाएगा.’

‘पैसे की आप चिंता न करें,’ केशवन ने कहा, ‘मैं इन का इलाज अपनी क्लीनिक में करा दूंगा,

एक भारतीय होने के नाते हमें परदेश में एकदूसरे की मदद तो करनी ही चाहिए.’

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‘ओह डाक्टर साहब आप ने हमें उबार लिया,’ उषा बोली.

‘मैं कल न्यूयार्क वापस जा रहा हूं. आप कहें तो इन्हें साथ ले जाऊंगा. औपरेशन के बाद इन्हें थोड़ा आराम की जरूरत है फिर ये इंडिया जा सकती हैं.’

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