मरजावां फिल्म रिव्यू: अविश्वसनीय कैरेक्टर और ज्यादा मैलोड्रामा

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः निखिल अडवाणी, मेानिशा अडवाणी, मधु भोजवाणी, भूषण कुमार, किशन कुमार, दिव्या खोसला कुमार

लेखक व निर्देशकः मिलाप मिलन झवेरी

कलाकारः सिद्धार्थ मल्होत्रा,रितेश देशमुख, रकुल प्रीत सिंह, तारा सुतारिया, रवि किशन, शाद रंधावा.

अवधिः दो घंटे 16 मिनट

अस्सी व नब्बे के लार्जर देन लाइफ वाले सिनेमा के शौकीन रहे लेखक व निर्देशक मिलाप मिलन झवेरी ‘सत्यमेव जयते’के सफल होने के बाद लार्जर देन लाइफ कथानक वाली फिल्म ‘‘मरजावां’’ लेकर आए हैं, मगर वह एक दमदार मसाला फिल्म बनाने में बुरी तरह से असफल रहे हैं.

कहानीः

मुंबई में पानी के टैंकर माफिया अन्ना(नासर)ने गटर के पास पड़े एक लावारिस बच्चे रघु को अपनी छत्र छाया में पाल पोस कर उसे बड़ा किया.अब वही लड़का रघु (सिद्धार्थ मल्होत्रा)अन्ना के अपराध माफिया के तमाम काले कारनामों और खून-खराबे में अन्ना का दाहिना हाथ बना हुआ है.अन्ना के कहने पर रघु दशहरा के दिन एक दूसरे टैंकर माफिया गायतोंडे के बेटे को मार देता है.रघु,अन्ना के हर हुक्म की तामील हर कीमत पर करता है. इसी के चलते अन्ना उसे अपने बेटे से बढ़कर मानते हैं.मगर इस बात से अन्ना का अपना बेटा विष्णु (रितेश देशमुख) को रघु से नफरत है. शारीरिक तौर पर बौना होने के कारण विष्णु को लगता है कि अन्ना का असली वारिस होने के बावजूद सम्मान रघु को दिया जाता है.पूरी बस्ती रघु को चाहती है. बार डांसर आरजू (रकुल प्रीत) भी रघु की दीवानी है.रघु के खास तीन दोस्त हैं.पर जब नाटकीय तरीके से कश्मीर से आई गूंगी लड़की जोया(तारा सुतारिया) से रघु की मुलाकात होती है, तो उसमें बदलाव आने लगता है. जोया, रघु को एक वाद्ययंत्र देती है. फिर संगीत प्रेमी जोया, पुलिस अफसर रवि यादव (रवि किशन) के कहने पर रघु को अच्छाई के रास्ते पर बढ़ने के लिए प्रेरित करने लगती है.मगर विष्णु अपनी चाल चलता है,जिसमें फंसकर रघु को अपने प्यार जोया को अपने हाथों गोली मारनी पड़ती है और रघु जेल पहुंच जाता है. जोया के जाने के बाद जेल में रघु जिंदा लाश बनकर रह जाता है.जबकि  बस्ती पर विष्णु का जुल्म बढ़ता जाता है. अहम में चूर विष्णु, रघु को अपने हाथों मारने के लिए चाल चलता है और अदालत रघु को बाइज्जत बरी कर देती है. फिर कहानी में मोडत्र आता है. अंततःएक बारा फिर रावण दहन होता है.

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लेखन व निर्देशनः

फिल्म ‘‘मरजावां’’ के प्रदर्शन से पहले मिलाप झवेरी ने खुद बताया था कि कहानी व पटकथा उन्होने ही लिखी थी,पर पहले इस फिल्म को कोई दूसरा निर्देशक निर्देशित करने वाला था,मगर पटकथा पढ़ने के बाद उस निर्देशक ने इस फिल्म से खुद को अलग कर लिया था,तब मिलाप झवेरी ने खुद ही इसके निर्देशन की जिम्मेदारी स्वीकार की. फिल्म देखने के समझ में आया कि पहले वाले निर्देशक ने इसे क्यों नहीं निर्देशित किया.कुछ दृश्यों को जोड़कर बेसिर पैर की कहानी का निर्देशन करने से अच्छा है,घर पर खाली बैठे रहे.प्यार-मोहब्बत, बदला, भावनाएं,मारधाड़,कुर्बानी आदि पर सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं.

सफल फिल्म ‘‘बाहुबली’’ के मार्केटिंग वाले संवाद‘बाहुबली को कटप्पा ने क्यो मारा’ की तर्ज पर  अपनी फिल्म ‘मरजावां’ में इंटरवल से पहले ही हीरो के हाथ हीरोईन को मरवा कर फिल्म को सफल बनाने का उनका प्रयास विफल नजर आ रहा है. अतिकमजोर पटकथा, उथले व अविश्वसनीय किरदारों के चलते फिल्म संभल नही पायी.पानी के माफिया टैंकर को तो अब मुंबई वासी भी भूल चुके हैं. मिलाप को यह भी नहीं पता कि पानी टैंकर माफिया के पास उस तरह की सशस्त्र सेना नही होती है, जैसी की विष्णु के पास है.फिल्म में रकुल प्रीत के किरदार आरजू को कोठेवाली बताया जा रहा है, पर वह बार डांस में नाचती नजर आती है. फिल्मकार को बार डांस व कोठे का अंतर ही नहीं पता? एक्शन के तमाम दृश्य अविश्वसनीय लगते हैं. व्हील चेअर पर बैठे शाद रंधावा एक भारी भरकम व छह फुट कद के इंसान को रामलीला मैदान से उठाकर ऐसा फेंकते हैं कि वह सीधे मस्जिद में जाकर गिरता है. फिल्म में इमोशन या रोमांस तो ठीक से उभरता ही नहीं.

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अभिनयः

सिद्धार्थ मल्होत्रा बुरी तरह से निराश करते हैं. रितेश देशमुख ने जरुर अच्छा अभिनय किया है. तारा सुतारिया छोटे किरदार में भी अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रही हैं. रकुल प्रीत सिंह के हिस्से सुंदर दिखने के अलावा कुछ खास करने को रहा ही नही. रवि किशन की प्रतिभा को जाया किया गया.

मोतीचूर चकनाचूर फिल्म रिव्यू: लीड एक्टर्स की जानदार एक्टिंग

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः राजेश भाटिया,किरण भाटिया और वायकौम 18

निर्देशकः देबामित्रा बिस्वास  

कलाकारः नवाजुद्दीन सिद्दिकी, आथिया शेट्टी,नवनी परिहार,विभा छिब्बर.

अवधिः दो घंटे 15 मिनट

दहेज कुप्रथा के साथ  वर्तमान पीढ़ी की लड़कियों की विदेशी दूल्हों संग शादी करने की बढ़ती महत्वाकांक्षा पर कटाक्ष करने के साथ साथ छोटे शहरों में रहने वाली कुंठाओं को हास्य व्यंग के साथ फिल्मकार देबामित्रा विस्वास ने फिल्म ‘‘मोतीचूर चकनाचूर’’में पेश करने का प्रयास किया है.मगर फिल्म कई जगह बहुत ढीली होकर रह गयी है.

कहानीः

यह कहानी है बुंदेलखंड इलाके के निवासी परिवारों की, जो कि भोपाल में बसे हुए हैं. अवस्थी परिवार की बेटी एनी उर्फ अनीता (आथिया शेट्टी) से उसके माता इंदू (नवनी परिहार) व पिता बहुत परेशान हैं. एनी के सिर पर शादी करके विदेश में बसने का भूत सवार है. उसे ऐसे युवक से शादी करना है, जो कि लंदन, अमरीका या सिंगापुर सहित किसी देश में रह रहा हो. वह सोशल मीडिया पर अपने पति के साथ विदेशी धरती पर खींची गयी सेल्फी पोस्ट करना चाहती हैं. इसी के चलते ऐनी अब तक दस लड़कों को ठुकरा चुकी है.लंदन में रहने वाले लड़के के परिवार वालों को अपमानित करके भगा देती है, क्योंकि वह लड़का शादी के बाद पत्नी को अपने साथ लंदन नहीं ले जाएगा. तो वहीं अवस्थी परिवार के पड़ोस में त्यागी परिवार रहता है. जिसकी बड़ी बेटी हेमा से ऐनी की अच्छी दोस्ती है. दोनों परिवारों के बीच काफी आना जाना है. इस परिवार में दो बेटे व एक बेटी हैं. परिवार का बड़ा लड़का पुशपिंदर त्यागी (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) दुबई में नौकरी करता है. 36 साल की उम हो गयी, पर अब तक उसकी शादी नहीं हुई.पुशपिंदर की मां(विभा छिब्बर) को बेटे की शादी में दहेज 25 से तीस लाख रूप चाहिए. क्योंकि उनका बेटा दुबई मंे नौकरी करता है.बेटे की शादी मंे जो कुछ मिलेगा,वह सब वह बेटी हेमा की शादी में देना चाहती हैं. एक अति मोटी लड़की के साथ पुशंपिंदर शादी करने के लिए तैयार हो जाते हैं. क्योंकि अब उम्र के इस पड़ाव पर लड़की को लेकर उनकी कोई पसंद नहीं है.पर सगाई के बाद जैसे ही पुशपिंदर की मां दहेज की रकम बताती हैं, शादी टूट जाती है. इससे पुशंपिंदर बहुत दुःखी हो जाते हैं.

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उधर पुशपिंदर को देखकर ऐनी की मौसी (करूणा पांडे) उसे समझाती है कि पुशंपिंदर में एक अच्छा चरित्रवान व दुबई मे रहने वाला लड़का है. दुबई भी विदेश ही है. उसके बाद ऐनी बिना अपने माता पिता को बताए, पुशंपिंदर के सामने प्रेम का इजहार कर चुपचाप मंदिर में शादी कर लेती है,जिससे पुशपिंदर की मां विघ्न न डाल पाए.घर पहुंचने पर दोनों परिवार हक्के बक्के रह जाते हैं. बहरहाल, किसी तरह वह मान जाते हैं. पर समाज की नजरों में दोनो की पुनः रीतिरिवाज के साथ शादी होती है. मगर सुहागरात से पहले ही त्यागी परिवार के साथ ऐनी को भी पता चल जाता है कि पुशंपिंदर की दुबई की नौकरी छूट गयी है और उसे अब भोपाल में ही नौकरी मिल गयी है. फिर कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंततः पुशपिंदर की मां और ऐनी को भी बहुत कुछ समझ में आ जाता है.

लेखन व निर्देशनः

कथानक के स्तर पर नवीनता न होते हुए भी फिल्म की प्रस्तुतिकरण कमाल की है.फिल्म में छोटे शहरों और संयुक्त परिवार के जीवन मूल्यों को बेहतरीन भी उकेरा गया है. फिल्म में ह्यूमर के साथ साथ दहेज व वैवाहिक जीवन को सफल बनाने सहित कई सामाजिक संदेश भी अच्छे ढंग से बिना भाषणबाजी के परोसे गए हैं. मगर इंटरवल तक फिल्म की गति काफी धीमी है. इंटरवल के बाद फिल्म तेज गति से दर्शकों को अपने साथ लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करती है, मगर यहां भी कुछ ज्यादा ही खींच दिया गया. क्लायमेक्स में नवाजुद्दीन सिद्दिकी और आथिया शेट्टी के बीच एक दूसरे से मिलने के उतावले पन के दृश्य को इस कदर खींचा गया कि दर्शक कह उठता है कि अब बस भी करो. फिल्म को एडीटिंग टेबल पर कसने की जरुरत थी.

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अभिनयः

गंभीर किस्म की भूमिकां निभाने में महारत रखने वाले नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने इसमें हलकी फुलकी भूमिका में बेहतरीन अभिनय किया है. वह भावनात्मक दृश्यों में छा जाते हैं. आथिया शेट्टी ने ऐनी के किरदार में जान डाल दी है. पहली फिल्म ‘हीरो’ की असफलता का दंश झेल रही आथिया शेट्टी के करियर को इस फिल्म से नई गति मिलेगी. नवनी परिहार, विभा छिब्बर व करूणा पांडे ने भी ठीक ठाक अभिनय किया है.

रिसेप्शन के बाद धूमधाम से हुई मोहेना कुमारी की विदाई, पति के साथ पहुंचीं ससुराल

हाल ही में टीवी एक्ट्रेस और रीवा की राजकुमारी मोहेना कुमारी का ग्रेंड रिसेप्शन हुआ. ये प्रोगाम उनके मायके यानी मध्य प्रदेश के रीवा शहर में हुआ. फंक्शन के बाद मोहेना दोबारा अपने ससुराल देहरादून पहुंच गई हैं. उनकी इस विदाई की फोटोज सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है. आइए आपको दिखाते हैं मोहेना की विदाई की खास फोटोज…

मायका छोड़ ससुराल चलीं मोहेना…

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मोहेना और सुयश की शादी पिछले महीने हरिद्वार में हुई थी. शादी होने के बाद मोहेना के पापा ने अपने होम टाउन में एक ग्रैंड रिसेप्शन दिया, जिसके बाद रीवा ने अपनी राजकुमारी को धूमधाम से विदा किया.

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विदाई पर इमोशनल हुईं मोहेना…

विदाई के वक्त परिवार से बिछुड़ते वक्त मोहेना कुमारी की आंखों में आंसू उतर आए. वहीं अपनी राजकुमारी को विदा करने के लिए पूरा शहर को सजाया गया था. राजकुमारी को विदा करने पहुंचे लोगों को मोहेना कुमारी ने कुछ ऐसे बाय-बाय भी कहा.

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राजकुमारी के लुक में सजीं मोहेना कुमारी…

अपनी रिसेप्शन पार्टी के लिए मोहेना कुमारी बिल्कुल पारंपरिक राजकुमारी की तरह सजी थीं. मोहेना कुमारी की फोटोज सामने आते ही सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगी हैं.

बता दें, मोहेना डांस शो में नजर आ चुकी हैं. साथ ही कई शो में फेमस हो चुकी हैं, जिसके बाद शादी के लिए मोहेना ने एक्टिंग करियर शो छोड़ने का फैसला किया है.

दर्दनाक हादसे में पौपुलर सिंगर की हुई मौत, पढ़ें खबर

मराठी फिल्म इंडस्ट्री पौपुलर सिंगर गीता माली की एक दर्दनाक हादसे में मौत हो गई है. हाल ही में मराठी प्लेबैक सिंगर गीता यूएस से लौटकर अपने घर लौट रही थीं, जिस दौरान ये दर्दनाक हादसा हो गया. आइए आपको बताते हैं हादसे की पूरी कहानी…

मुंबई-आगरा हाईवे पर हुआ हादसा

मराठी प्लेबैक सिंगर गीता माली की मौत मुंबई-आगरा हाईवे पर हुआ. खबरों के अनुसार, हाल ही में मराठी प्लेबैक सिंगर गीता माली यूएस से लौटी थी, जिसके बाद वह अपने घर नाशिक जा रही थीं. वहीं इसी दौरान एक गीता की कार सड़क के किनारे खड़ी कंटेनर में टकरा गई. कार में बैठी पौपुलर सिंगर गीता माली और उनके पति गंभीर रूप से घायल हो गए.

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हालत बिगड़ने से हुई मौत

हादसे के तुरंत दोनों को शाहपुर रूरल हौस्पिटल ले जाया गया, लेकिन डौक्टर के ट्रीटमेंट के दौरान गीता की हालत बिगड़ने से उनकी मौत हो गई.

मौत से पहले आखिरी सेल्फी की थी शेयर

अमेरिका से मुंबई आने के बाद गीता ने अपने सोशल मीडिया पेज पर एयरपोर्ट में एक सेल्फी भी शेयर की थी. साथ ही फोटो के साथ कैप्शन लिखा था- ‘घर लौट कर बेहद खुश हूं. ‘

मराठी फिल्म इंडस्ट्री में हैं फेमस

गीता माली एक जानी मानी सिंगर है. वो दर्शकों के बीच काफी पौपुलर भी है. मराठी फिल्म इंडस्ट्री में उनका नाम भी है. गीता माला ने मराठी के कई फिल्मों में अपनी आवाज दी है. वहीं उनकी म्यूजिक एल्बम भी मराठी फैंस को काफी पसंद आ चुकी है.

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आखिर क्यों रोमेंटिक रोल में नजर आना चाहते हैं नवाजुद्दीन, पढ़ें खबर

साधारण कद काठी के अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने अभिनय बल पर यह सिद्ध कर दिया है कि कलाकार को सिर्फ अभिनय का मौका मिलना बहुत आवश्यक  है, ताकि वह अपनी प्रतिभा को आगे ला सकें. हालांकि इसके लिए उन्होंने सालों बहुत मेहनत किये, पर आज वे अपनी कामयाबी से खुश है और नयी-नयी भूमिकाएं करने की चुनौती को स्वीकार रहे है. किसान परिवार में जन्में नवाज को बचपन से ही अभिनय का शौक था और इसके लिए उन्होंने हर तरह का प्रशिक्षण लिया और अभिनय क्षेत्र की ओर मुड़े. देर से ही सही पर आज उनका नाम नामचीन अभिनेताओं की सूची में शामिल हो चुका है. उनके हिसाब से वक़्त बदलता है, पर इंडस्ट्री कभी नहीं बदलती. नवाज ने कई ग्रे शेड के अभिनय किये और सफल रहे, पर अब उन्होंने रोमांटिक कौमेडी ड्रामा फिल्म ‘मोतीचूर चकनाचूर’ में पुष्पिंदर त्यागी की भूमिका निभा रहे है, उनसे मिलकर बात करना रोचक था, पेश है अंश.

सवाल-फिल्म में आपने दिखाया है कि शादी को लेकर आप चूजी नहीं, किसी भी लड़की से आपकी शादी हो जानी चाहिए, क्या रियल लाइफ में आप ऐसे ही थे?

मैंने अपनी शादी को लेकर बहुत अधिक सोचा नहीं था,क्योंकि काम और कैरियर को लेकर मैं बहुत व्यस्त था. संघर्ष ही कर रहा था, ताकि कुछ अच्छा काम मिले, ऐसे में विवाह को लेकर अधिक चिंता नहीं थी.

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सवाल-शादीशुदा जिंदगी में सामंजस्य रखना कितना जरुरी है?

शादी में एक दूसरे के काम को समझना और उसे सम्मान देना बहुत जरुरी है. मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूं, जहाँ मेहनत काम के लिए करना पड़ता है. कई बार काम करते हुए रात भी हो जाती है, समय का पता नहीं चलता, ऐसे में घर पर रहने वाले व्यक्ति को समझने की बहुत जरुरत होती है.

सवाल-फिल्म इंडस्ट्री में शादी लोग जल्दी नहीं कर पाते, क्योंकि कैरियर की बात होती है, आपकी सोच इस बारें में क्या है? किस उम्र में शादी कर लेना सही होता है?

शादी की उम्र से कोई लेना-देना नहीं होनी चाहिए. जब आपको अपना मनपसंद साथी मिले, आप शादी कर सकते है. कैरियर को सेट करने के बाद शादी करना अच्छा होता है.

सवाल-इस फिल्म में आपको खास क्या लगा?

मेरी फिल्मों को पूरा परिवार कभी नहीं देख सकते थे, क्योंकि मेरी फिल्मों में एडल्ट कन्टेन अधिक रहता था. ग्रे, डार्क या इंटेंस फिल्में होती थी, जिसमें रोमांस की कोई जगह नहीं होती थी. ये फिल्म रोमकौम फिल्म है, जिसे पूरा परिवार साथ बैठकर देख सकते है. ये मेरी पहली ऐसी फिल्म है और इसे करने में भी बहुत मज़ा आया. अभी मेरी बेटी शोरा 9 साल की हो गयी है और वह मेरी फिल्में नहीं देख पाती थी, अब मैंने उसका ख्याल रखा है. ये कॉमेडी और गुदगुदाने वाली फिल्म है. किसी प्रकार के वल्गर जोक्स इसमें नहीं है. इसे करते हुए बहुत अच्छा लगा. इसके अलावा इस फिल्म के लिए अधिक तैयारियां भी नहीं करनी पड़ी,क्योंकि यह एक आम लडके की कहानी है.

सवाल-अथिया शेट्टी के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

अथिया ने इस फिल्म के लिए पिछले 3 महीने से मेहनत की है. उसने सारे संवाद अच्छी तरह से याद किये और उसी लहजे में बोले है,जो अच्छी लगी.

सवाल-लोग विदेश जाने को लेकर बहुत उतावले रहते है, पहली बार आप विदेश कब गए? आपकी रिएक्शन क्या थी?

विदेश जाना हर कोई पसंद करता है. मैं पहली बार दुबई एक्टिंग की वर्कशौप लेने गया था.

सवाल-आपने एक सफल कैरियर तय किया है, क्या कोई मलाल अभी बाकी है?

मैंने इंटेंस भूमिका बहुत निभाई है और अब लव स्टोरी करने की इच्छा है. मैं लाइट स्टोरी पर ध्यान देना चाहता हूं. इंटेंस भूमिका करने पर दिमाग पर बहुत जोर लगता है. बहुत डिटेल चरित्र में जाना पड़ता है. इस तरह की फिल्मों में अधिक डिटेल में जाना नहीं पड़ता .लोग इन्हें जानते है और मैं भी आसपास में ऐसे कई चरित्र को देखता हूं.

सवाल- कोई ऐसा चरित्र जिससे निकलने में समय लगा हो?

मंटो और ठाकरे ऐसी ही फिल्में थी ,जिससे निकलने में मुझे महीनों लगे थे. उस चरित्र से बाहर निकलना ही पड़ता है नहीं तो आप उस कॉम्फोर्ट जोन में चले जाते है. सेल्फिश होकर उससे अपने दिल से निकालना पड़ता है, क्योंकि ऐसा न करने पर अगले चरित्र में भी उसकी झलक देखने को मिलती है. नए भूमिका को हमेशा जीरो लेवल से ही शुरू करना अच्छा होता है.

‘वेदिका’ ने ‘नायरा’ को कहा ‘दूसरी औरत’, अब क्या करेगा ‘कार्तिक’

सवाल-आप लक या हार्डवर्क किस पर अधिक विश्वास करते है?

मैं लक पर नहीं मेहनत, पर अधिक विश्वास करता हूं.  मैं एक प्रशिक्षित कलाकार हूं और अच्छी अभिनय की हमेशा कोशिश करता हूं.

सवाल-अवार्ड आपके लिए कितना महत्व रखते हूं?

अवार्ड का महत्व तब होता है जब उसका आकलन सही तरीके से हो. मेरा उसपर अधिक विश्वास नहीं है. अगर पुरस्कार स्किल और एबिलिटी को देखकर दिया जाय, तो अच्छा लगता है.

सवाल-आपकी आगे आने वाली फिल्में कौन सी है?

मेरे भाई एक फिल्म मेरे साथ बना रहे है. बहुत ही इंटेंस लव स्टोरी है. इसके अलावा बांग्लादेश के लिए ‘मुस्तफा फारुखी’ एक फिल्म कर रहा हूं. जिसकी शूटिंग न्यूयार्क और सिडनी में होने वाली है. अलग-अलग भाषा में काम करते हुए मुझे बहुर ख़ुशी होती है और ये एक कलाकार के लिए जरुरी होता है. इससे आप बहुत कुछ सीखते है.

पापा की बेटी और बेटी के पापा

बदलते वक्त ने परिवारों को आज न्यूक्लियर फैमिली में बदल दिया है. बचपन से लड़की को अपने पिता के करीब माना जाता है तो जाहिर सी बात है वही उस के आदर्र्श भी होंगे. परेशानी तब होती है जब शादी के बाद उस सांचे में वह अपने पिता के अलावा अपने पति को फिट नहीं कर पाती. हर समय वह पिता का ही अक्स ढूंढ़ती है पति में.

यह समस्या तब और भी बढ़ती है जब वह पति को बातबात पर पिता जैसा न होने का ताना देती है. वह विवाह के बाद नए घर में प्रवेश करती है तो उस के मन में सपनों के साथ कुछ डर भी होता है. ऐसे में यही डर लिए जब पिता अपनी लाड़ली को बारबार फोन करते हैं या जल्दीजल्दी मिलते हैं तो इस से बेटी का स्वभाव प्रभावित रहता है. पिता को तरजीह देना बुरी बात नहीं. पर इस चक्कर में आपसी संबंधों को नजरअंदाज कर दिया जाए, यह भी उचित नहीं.

चाहे लव मैरिज हो या अरैंज मैरिज, नए परिवार का परिवेश एक लड़की के लिए अनजान ही होता है. ऐसे में घर के प्रत्येक सदस्य का फर्र्ज है कि वह उसे प्यारदुलार और सौहार्दपूर्र्ण वातावरण दे. कई बार कुछ गलतफहमियां दरार पैदा कर देती हैं. तब पछतावे के अलावा हाथ में कुछ नहीं रहता.

1. गुस्से में निर्णय न लें

परिवार में कुछ छोटीमोटी बात हो जाती है और आप को वह बात बुरी लगती है और आप गुस्से में आ कर कुछ भी निर्णय ले लें तो यह गलत है. गुस्से में लिया निर्णय गलत होता है और बात को बिगाड़ देता है. ऐसे में जीवनभर अफसोस करने से बेहतर है कि संभल कर निर्णय लें. बात की गहराई तक जाएं, मन शांत होने पर उस बात पर पुनर्विचार करें.

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सुमेधा का तलाक होने वाला था. बात सिर्फ इतनी सी थी कि सुमेधा अपने पापा की कुछ ज्यादा ही लाड़ली थी. उस के विवाह के बाद जब भी मन होता उस के पापा उसे कौल मिला लेते. हद तो तब हुई जब दोनों हनीमून के लिए गए. सुमेधा के पति निखिल के अनुसार अकसर रात को जब वह सुमेधा के साथ समय बिताना चाहता, तभी पापा की कौल आते ही सुमेधा उन से बातों में मस्त हो जाती और निखिल नजदीकियों के लिए तरसता उस का इंतजार करते सो जाता. कई बार उस ने सम झाना चाहा, पर उलटा उस ने निखिल को ही दोष दिया. जब सुमेधा के पापा को इस मनमुटाव की बात पता चली तो उन्होंने निखिल को भलाबुरा कहा और सुमेधा को अपने साथ ले आए. ऐसे में दोनों पक्षों के बीच गलतफहमी व  झगड़े बढ़ते गए और तलाक की नौबत आ गई.

बेटी से पिता का प्यार बदलते समय के साथ कम नहीं होता वरन बढ़ता है, जो बुरा नहीं है. पर बेटी से लगाव अगर उस की शादीशुदा जिंदगी में कलह का कारण बन रहा है, तो सही नहीं. बारबार कहना ‘मेरे पापा जैसे नहीं, तुम’ या ‘वह ऐसा करते थे’ या ‘वैसा करते थे’ आदि वाक्य कटुता ही पैदा करेंगे. कलह का कारण कोई भी हो, पर बेटीदामाद के रिश्तों में समयअसमय पिता की एंट्री सही नहीं.

रिलेशनशिप के कुछ ऐसे ही अनदेखे पहलू पर रोशनी डाल रही हैं फैमिली रिलेशनशिप काउंसलर डा. अंशु लहरी. आइए, डालते हैं एक नजर-

2. पिता और पति में तुलना न करें

कभी भी दोनों में तुलना न करें. इस बात का ध्यान रखें कि दोनों परिवारों की परिस्थितियां, रहनसहन के तरीके, आय के साधन, परिवार में सदस्यों की संख्या अलगअलग होने के कारण समानता होना कठिन होता है.

यदि आप के पापा किसी चीज पर दिल खोल कर खर्च करते हैं और पति नहीं, तो इस बात का रोब न मारें. स्वयं को उस वातावरण में ढालने का प्रयास करें. वह आप का पास्ट था, यह प्रैजेंट है, इस बात को दिमाग में रखें.

3. स्वयं को तैयार रखें

नए परिवार में आप को माहौल के अनुसार ढलना होगा, इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें ताकि बाद में परेशानी न हो. मनमुटाव, नोक झोंक किस रिश्ते में नहीं होते. हम रिश्ते को प्यार और आपसी विश्वासभरा बनाने की कोशिश जरूर कर सकते हैं.

प्रेम की पींगें बढ़ाते प्रेमी युगल हों या फिर नवविवाहित दंपती, रिश्ते में आज परेशानियां, मनमुटाव, अविश्वास, ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार जैसी भावनाएं हावी होती दिखती हैं. नतीजतन, रिश्ते टूट रहे हैं, उन की उम्र छोटी होती जा रही है. लंबे समय तक लोग एकदूसरे का साथ बना कर रख ही नहीं पा रहे हैं.

4. जैसे को तैसा की भावना

जैसे को तैसा वाली भावना मन में न रखें. इसे दूर कर दें. उन्होंने मेरे साथ ऐसा किया, इसलिए मैं भी उन के साथ ऐसा करूंगी, जैसी भावना मन में आना सही नहीं है. यह रिश्ते को बनने नहीं देती, बल्कि बिगाड़ देती है.

5. असुरक्षा

शादी के बाद बेटी को ले कर पिता को यह चिंता सताने लगती है कि कहीं बेटी को कोई परेशानी न हो. कहीं न कहीं ऐसा वे उस के भविष्य की सुरक्षा को ले कर सशंकित हो कर करते हैं. दूसरा, उन को यह भी सम झना चाहिए कि बेटी और दामाद की नई जिंदगी की शुरुआत है, उन दोनों का एकसाथ वक्त बिताना भी तो जरूरी है ताकि वे आगे की जिंदगी आसानी से जी सकें. उन को साथ वक्त बिताने का पूरा मौका दें.

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6. अपेक्षाएं

लड़का और लड़की दोनों को एकदूसरे को वैसे ही स्वीकारना चाहिए जैसे कि वे हैं. दोनों को सम झना चाहिए कि वे इतने सालों से एक लाइफस्टाइल से जी रहे हैं तो अचानक से खुद को बदलना उन के लिए एकदम आसान नहीं होता. इसलिए आपस में मनमुटाव न रखें. एकदूसरे को प्यार व सम्मान दें. एकदूसरे की भावनाओं का आदर करें.

अगर आप किसी का हाथ थामते हैं तो उसे निभाना सीखें. पतिपत्नी के रिश्ते को हर पल सींचने की जरूरत होती है.

बढ़ती उम्र में सही मेकअप से यूं दिखे जवां-जवां

उम्र का बढ़ना संकेत है झुर्रियों और दाग धब्बों का.  हालांकि बाजारों में ऐसी बहुत सी टेक्निक्स और प्रोडक्ट मौजूद हैं जिनके जरिए आप खुद को जवां रख सकती हैं .लेकिन हर किसी के बस में यह महंगे ट्रीटमेंट करवाना संभव नहीं .समय को अपने वश में तो कोई नहीं कर सकता. परंतु स्किन की सही देखभाल और मेकअप के जरिए आप जरूर खुद को 8 साल तक जवां दिखा सकती हैं.

1. फेशियल और स्क्रब है जरूरी

स्किन को जवां दिखाने के लिए सबसे पहले डेड सेल्स को हटाए और धूप से होने वाली डैमेज से बचे. ऐसा करने के लिए आप एक किसी अच्छी कंपनी के स्क्रब और अल्फा हाइड्रोक्सील का फेशियल करवा सकती हैं.

2. स्किन को रखें हाइड्रेट

प्राइमर की मदद से आप अपने चेहरे पर एक अच्छा एवं टिकाऊ बेस क्रिएट कर सकती है. इससे स्किन की आउटलुक में काफी बदलाव देखने को मिलता है. रोज अपनी स्किन को मसाज करें. जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ने लगती है वैसे-वैसे स्किन से जरूरी मास्श्चर खत्म होने लगता है .ऐसे में स्किन को हाइड्रेटिड रखना बेहद जरूरी हो जाता है.

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3. फेस मास्क का करें इस्तेमाल

स्किन लिफ्टिंग मास्क या टाइटनिंग फैसियल आपके चेहरे की स्किन में कसावट आती है. जिससे आप अपनी उम्र से छोटी दिखने लगती हैं. अगर आप फेस पैक के तुरंत बाद ही मेकअप का प्रयोग कर रही हैं ,तो इस फेस मास्क को 3-4 घंटे पहले ही लगा ले.

4. आंखों को बनाएं खूबसूरत

एक अच्छे  एवं ट्रेंडी रंग के आई लाइनर के इस्तेमाल से अपनी आंखों को आकर्षक बना लें .यदि आप अपनी आंखों को बड़ा और जवां दिखाना चाहती हैं तो लोअर वाटर लाइन या लोअर लैशिज़ को ब्लू कलर के आईलाइनर से आउटलाइन कर ले .जरूरी नहीं है कि आप ब्लैक आईलाइनर का इस्तेमाल करें. सही आई शैडो और मसकारे की मदद से आप खुद को खूबसूरत दिखा सकती हैं.

5. स्किन टोन कंसीलर है बेस्ट औप्शन

अपने डार्क सर्कल, मुंहासे और बाकी डार्क एरिया को कवर करने के लिए अच्छे कंसीलर का प्रयोग करें .स्किन टोन से मिलता-जुलता कंसीलर खरीदें .इससे आपकी स्किन पहले से भी ज्यादा निखरी हुई और जवान दिखाई देगी.

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6. स्किन को धूप से बचाएं

स्किन को यंग और फ्लालेस दिखने के लिए लिक्विड फाउंडेशन का प्रयोग करें. ध्यान रहे फाउंडेशन ऐसी हो जो एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर हो और सीधे आपकी स्किन को  धूप की हानिकारक किरणों से बचाने में सक्षम हो.

कहीं आपका बच्चा रात में बिस्तर तो गीला नहीं करता

नवजात शिशु और छोटे बच्चे तो रात में भी 1-2 पेशाब करते हैं, क्योंकि इनमें मस्तिष्क और ब्लैडर (मूत्राश्य) के मध्य संबंध पूरी तरह से निर्मित नहीं होता है. लेकिन जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है, यह संबंध विकसित हो जाता है और मस्तिष्क, ब्लैडर को नियंत्रित करने लगता है, जिससे यूरीन पास करने की जरूरत होने पर मस्तिष्क अलर्ट हो जाता है और नींद खुल जाती है. लेकिन बहुत से बच्चों के साथ ऐसा नहीं होता है, किशोर उम्र में भी नींद में अक्सर ब्लैडर पर उनका नियंत्रण नहीं रहता और वो बिस्तर पर ही पेशाब कर देते हैं. जो जानिए क्यों होती है यह प्रौब्लम और कैसे इससे निपटा जाए.

नौकटर्नल एनुरेसिस

रात में बिस्तर गीला करने की प्रौब्लम को चिकित्सीय भाषा में नौकटर्नल एनुरेसिस कहते हैं. यह प्रौब्लम पांच साल तक के बच्चों में अक्सर देखी जाती है, लेकिन कईं बच्चों में पांच साल के बाद भी यह प्रौब्लम बनी रहती है. कुछ बच्चों का तो किशोर उम्र तक ब्लैडर पर नियंत्रण विकसित नहीं हो पाता. हालांकि अधिकतर मामलों में नौकटर्नल एनुरेसिस की प्रौब्लम अपने आप ठीक हो जाती है और उपचार की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन कुछ मामलों में उपचार जरूरी हो जाता है. वैसे यह गंभीर प्रौब्लम नहीं है, लेकिन बच्चे और माता-पिता दोनों के लिए यह एक तनावपूर्ण स्थिति होती है.

आंकड़ों की मानें तो 5 साल तक के लगभग 20 प्रतिशत बच्चे रात में बिस्तर गीला कर देते हैं, जबकि सात साल तक के 10 प्रतिशत बच्चों में यह प्रौब्लम होती है. 1-3 प्रतिशत बच्चे किशोर उम्र तक नौकटर्नल एनुरेसिस से परेशान रहते हैं. लड़कों में यह प्रौब्लम लड़कियों की तुलना में 2-3 गुना अधिक होती है.

नौकटर्नल एनुरेसिस के प्रकार

नौकटर्नल एनुरेसिस की प्रौब्लम दो प्रकार की होती है.

प्राइमरी एनुरेसिस

इसमें बच्चे का ब्लैडर पर नियंत्रण नहीं होता और वो हमेशा बिस्तर गीला कर देता है.

सेकंडरी एनुरेसिस

जब बच्चों का कभी ब्लैडर पर नियंत्रण रहता है, कभी नहीं रहता तो इसे सेकंडरी एनुरेसिस कहते हैं. अगर किशोरावस्था में आपके बच्चे को यह प्रौब्लम है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. इस उम्र में इसका कारण युरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, न्युरोलॉजिकल प्रौब्लम (मस्तिष्क से संबंधित), तनाव या कोई और स्वास्थ्य प्रौब्लम हो सकती है.

क्या हैं कारण

हालांकि यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि यह प्रौब्लम क्यों होती है, ऐसा माना जाता है कि रात के समय निम्न तीन क्षेत्रों में आसामान्या के कारण होती है:

ब्लैडर

रात के समय ब्लैडर में कम स्थान होना.

किडनी

रात में यूरीन अधिक बनना.

मस्तिष्क

रात में उठ नहीं पाना.

अन्य रिस्क फैक्टर्स

  1. अनुवांशिक कारण.
  2. स्लीप पैटर्न गड़बड़ा जाना.
  3. औब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया/ स्नोरिंग.
  4. ब्लैडर या किडनी रोग.
  5. न्युरोलौजिकल प्रौब्लमएं जैसे स्पाइनल कार्ड से संबंधित प्रौब्लमएं.
  6. दूसरी स्वास्थ्य प्रौब्लमएं जैसे डायबिटीज़, हाइपर एक्टिविटी डिसआर्डर.
  7. कुछ दवाईयों के साइड इफेक्ट्स.
  8. तनाव.
  9. कब्ज.

विशेषज्ञ- डौ. संदीप कुमार सिंहा, सीनियर कंसल्टेंट-पीडियाट्रिक सर्जरी, रेनबो चिल्ड्रन्स हौस्पिटल, नई दिल्ली

अगली कड़ी में पढ़ें कैसे करें इस परेशानी का इलाज

8 टिप्स: ऐसे चमकाएं घर के बर्तन

घर सजाने से लेकर घर को चमकाए रखना बड़ा काम है, जिसमें सबसे जरूरी हिस्सा किचन का होता है. किचन में खाना बनाने से लेकर बर्तनों की सफाई तक सभी बेहद जरूरी होता है. वही अगर बात बर्तन चमकाने की की जाए तो बर्तन चमकाना बड़ा मुश्क‍िल काम है. उस पर अगर बर्तन जल जाए तो और मुसीबत हो जाती है. अगर आपके बर्तन भी जल गए हैं और अपनी उम्र से कुछ ज्यादा ही पुराने लगने लगे हैं तो आज हम आपको कुछ तरीके  बताएंगे, जिनका इस्तेमाल करके आप अपने बर्तनों को बिना किसी परेशानी के साफ कर सकते हैं. साथ ही उन्हें नए जैसी चमक दे सकती हैं.

1. कांच के बर्तन और कप की सफाई के लिए रीठे के पानी का इस्तेमाल करें. इससे आपके कटलरी नई जैसी लगेगी.

2. पीतल के बर्तन साफ करने के लिए नींबू को आधा काट लें व इस पर नमक छिड़ककर बर्तनों पर रगड़ने से आपके बर्तन चमकने लगेंगे. साथ ही आपके किचन खूबसूरत भी लगेगा.

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3. बर्तनों पर जमे मैल को साफ करने के लिए पानी में थोड़ा-सा सिरका व नींबू का रस डालकर उबाल लें. इससे आपके बर्तन हाइजीन फ्री और क्लीन हो जाएंगे.

4. जले हुए बर्तनों को साफ करने के लिए उसमें एक प्याज डालकर अच्छी तरह उबाल लें. फिर बर्तन साबुन से साफ करें. आपके जले हुए बर्तन दोबारा नए जैसे लगने लगेंगे.

5. एल्यूमीनियम के बर्तनों को चमकाने के लिए बर्तन धोने वाले पाउडर में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बर्तनों को साफ करें. ये आपके बर्तनों को बिना नुकसान पहुंचाए क्लीन करेगा.

6. प्याज का रस और सिरका बराबर मात्रा में लेकर स्टील के बर्तनों पर रगड़ने से बर्तन चमकने लगते हैं.

7. प्रेशर कुकर में लगे दाग-धब्बों को साफ करने के लिए कुकर में पानी, 1 चम्मच वौशिंग पाउडर व आधा नींबू डालकर उबाल लें. बाद में बर्तन साफ करने वाले स्क्रबर से हल्का रगड़कर साफ कर लें.

8. चिकनाई वाले बर्तनों को साफ करने के लिए सिरका कपड़े में लेकर रगड़ें, फिर साबुन से अच्छी तरह धोएं.

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तलाक लेना पेचीदा क्यों

हमारा विवाह कानून कितना अन्यायी है यह सुप्रीम कोर्ट के नए ताजे फैसले से स्पष्ट है. तीन तलाक पर 3 करोड़ आंसू बहाने वाली सरकार को क्या यह मालूम नहीं कि लाखों हिंदू औरतें हिंदू विवाह कानून के कारण वर्षों कारणअकारण अदालत के बरामदों में सैंडिल घिसतेघिसते जवान से बूढ़ी हो जाती हैं और न तो दूसरा विवाह कर पाती हैं और न ही विवाह बंधक से छुटकारा पा पाती हैं?

सुप्रीम कोर्ट की संजय किशन कौल और एम आर शाह की बैंच ने 2012 में दायर उच्च न्यायालय के फैसले पर की गई अपील को विशेष अधिकारों के ही तहत फैसला दिया और विवाह को अंतत: तोड़ दिया.

1993 में हुए विवाह के बाद पत्नी ज्यादातर समय पति के साथ न रह कर मायके रही. 1999 में पति ने तलाक का आवेदन हैदराबाद की फैमिली कोर्ट में दिया. तलाक

6 साल से अलग से रहने पर 10-20 दिनों में मिल जाना चाहिए था पर नहीं मिला. मामला उच्च न्यायालय से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट की बैंच के पास 2019 के पास पहुंचा, जिस ने पति से ₹20 लाख दिलवा कर पतिपत्नी को अलग कर दिया.

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केवल कुछ दिनों साथ रही पत्नी से 1999 में से छुटकारे की कोशिश करता पति 20-25 साल बाद राहत की सांस ले पाया और इस दौरान पत्नी भी बंधी रहे यह कैसा समाज, कैसा कानून, कैसी औरतों की हमदर्द सरकार? यह 3 तलाक वाला नाटक कर के औरतों के हितों की तालियां पिटवाना नहीं कहा जाएगा तो क्या कहा जाएगा?

भारत की अदालतें, विधायक, मंत्री, प्रधानमंत्री आज भी पौराणिक विवाहों में विश्वास करते हैं जिस में सीता जैसी का पूरा जीवन जंगलों में बीते पर उसे बारबार 21वीं सदी में समाज में पूजा जाए. सीता सामाजिक, व्यक्तिगत नियमों का उदाहरण है कि यहां औरतों के साथ क्या हुआ और आज क्या हो रहा है.

सुप्रीम कोर्ट को तो सारी निचली अदालतों को फटकार लगानी चाहिए थी कि जब दोनों में से एक पक्ष तलाक का आवेदन करे तो तलाक क्यों नहीं दिया जाए? तलाक कोई जुल्म नहीं अगर पतिपत्नी अलग रह रहे हों. पति को अगर पत्नी पर जुल्म ढाने का हक नहीं है तो पत्नी को अलग रह कर पति को बांधे रखना, एटीएम मशीन समझना, उतना ही गलत है.

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