‘पवित्र रिश्ता’ की इस एक्ट्रेस का साड़ी फैशन करें ट्राय

एकता कपूर पौपुलर टीवी शो ‘नागिन 4’ जल्द ही आने वाला है, जिसकी कास्टिंग को लेकर कईं सारे कयास लगाए जा रहे हैं. वहीं कास्टिंग के लिए अब जी टीवी के शो ‘पवित्र रिश्ता’ की ‘अर्चना’ यानी अंकिता लोखंडे का नाम भी सामने आ रहा है. अंकिता काफी समय से सीरियल की दुनिया से दूर है, जिसके चलते फैंस उनका टीवी पर लौटने का इंतजार कर रहे हैं. पर आज हम उनके टेलीविजन कमबैक की बजाय उनके साड़ी फैशन करेंगे. अर्चना के रोल में अंकिता शो में साड़ी में नजर आती थी, जिसे फैंस बेहद पसंद करते थे. इसीलिए हम आपको अंकिता के लेटेस्ट साड़ी फैशन के बारे में बताएंगे, जिसे आप वेडिंग हो या फैस्टिवल हो या औफिस कभी भी ट्राय कर सकते हैं. आइए आपको बताते हैं अंकिता के लेटेस्ट साड़ी ट्रेंड…

1. नियोन साड़ी है परफेक्ट

अगर आप किसी गैदरिंग के लिए कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो नियोन साड़ी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. सिंपल प्लेन नियोन साड़ी के साथ गोल्डन झुमके आपके लुक को ट्रेंडी और परफेक्ट लुक देगा.

 

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☘️☀️?

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2. कौटन साड़ी है परफेक्ट

 

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In a world of trends . Sometimes a girl just wants to wear Something classic ? #sareeisthesexiestattire

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अगर आफ फेस्टिवल के लिए सिंपल लुक ट्राय करना चाहते हैं तो अंकिता की ये ग्रीन और यैलो कौम्बिनेशन वाली साड़ी आपके लिए परफेक्ट रहेगी. इसके साथ आप गोल्ड के झुमके ट्राय कर सकती हैं ये आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा.

3. वेडिंग के लिए परफेक्ट है ये कौम्बिनेशन 

 

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Styled by @hemlataa9 with @aayushik2012 @diya.gangar Outfit @houseofneetalulla Earing @khushi_jewels Potli @potlic

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अगर आप वेडिंग के लिए कोई नया औप्शन ढूंढ रही हैं तो ये औप्शन आपके लिए परफेक्ट रहेगा. गोल्ड बौर्डर वाली वाइट साड़ी के साथ  हैवी ब्लाउज आपको वेडिंग में अलग लुक देगा. आप इस ज्वैलरी के साथ जूड़ा ट्राय कर सकती हैं और अगर आप अंकिता की तरह गजरा लगाकर बालों को सजाएंगी तो आपके लुक पर चार चांद लग जाएगा.

4. हैवी साड़ी के साथ सिंपल लुक है परफेक्ट

अगर आपके पास भी कोई हैवी साड़ी है और उसे आप वेडिंग में सिंपल तरीके से ट्राय करना चाहती हैं तो अंकिता का ये लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. सिंपल औरेंज ब्लाउज के साथ हैवी यैलो साड़ी आपके लुक के लिए सही रहेगा. आप इस साड़ी को सिंपल हेयर स्टाइल के साथ बिना ज्वैलरी के ट्राय कर सकती हैं.

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‘बाला’ एक्ट्रेस यामी गौतम से जानें कैसे करें बालों की केयर

फिल्म ‘विकी डोनर’ से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू करने वाली एक्ट्रेस यामी गौतम हिमाचल प्रदेश की है. उन्होंने फिल्मों में आने से पहले कई टीवी धारावाहिक और विज्ञापनों में काम किया है. यामी जब 20 साल की थी, तब कैरियर बनाने के लिए मुंबई आई और संघर्ष का दौर शुरू हुआ,लेकिन उसने उसे चुनौती समझी और आगे बढती गयी. उन्हें अपनी प्रतिभा पर भरोषा था. वह पार्टी पर्सन नहीं है और हमेशा अपने काम पर फोकस्ड रहना पसंद करती है. आज यामी का नाम नामचीन अभिनेत्रियों की श्रेणी में आ चुका है. वह इस बात से खुश है कि दर्शकों ने उसके काम को सराहा और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. अभी उसकी फिल्म ‘बाला’ रिलीज पर है, जिसमें उसने खुद से हटकर अलग भूमिका निभाई है और दर्शकों की प्रतिक्रिया को जानने के लिए उत्सुक है, पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल-आजकल हेयर प्रौब्लम बहुत अधिक है और लोग इससे बचने के लिए बहुत कुछ करते भी है, ताकि वे गंजे न हो जाय, आप अपने बालों की देखरेख कैसे करती है?

मुझे बहुत बार बहुत समस्या आती है, क्योंकि मुझे ट्रेवल करना पड़ता है. कई जगह का पानी बदलता है, जिससे बाल झड़ने लगते है. इंडस्ट्री में बालों पर कई प्रकार के हीट और प्रोडक्ट का भी प्रयोग किया जाता है. इससे केश डेमेज होते है. कोई दूसरा आप्शन यहां नहीं होता. मेरे कैरियर की शुरुआत में बहुत सारे सलाह बालों के लिए भी मिले थे, पर मैं खुश हूँ कि मेरी मां ने मेरे बालों का बहुत ध्यान रखा है. सारे हर्बल आयल और खान-पान पर ख़ास ध्यान उनका मेरे लिए आज भी रहता है. जब मैं काम नहीं कर रही होती, तो बहुत ही रिलैक्स रहती हूँ, ताकि मेरी स्किन और हेयर पर किसी प्रकार का दबाव न पड़े.

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सवाल-गंजेपन को एक फैशन स्टेटमेंट भी माना जाता है, कई सितारे गंजे जानबूझकर होते है, आपकी राय इस बारें में क्या है?

विन डीजल, रौक, रोबिन शर्मा आदि कई ऐसे लोग है जो गंजे है और इसे वे अच्छी तरीके से कैरी करते है. ‘बाला’ फिल्म भी सिर्फ बालों पर नहीं है, ये सेल्फ लव पर आधारित फिल्म है. जिसमें आप जैसे है वैसे ही आप खुद से प्यार करें, यही मेसेज देती है. आजकल रंग और बॉडी शेपिंग पर भी बात होती है और लोग बहुत कुछ अपने लुक को बदलने के लिए करते है. मेरा कहना है कि आप खुद के नज़रिए से अपने आप को देखे, दूसरों के नज़रिए से नहीं. ये प्रेशर जो समाज डालती है उसे नज़रंदाज़ करें. मुझे फिल्म ‘उरी’ के समय भी लोगों ने मेरे बाल छोटे करने को लेकर बहुत कुछ कहा था, पर मैंने अधिक ध्यान नहीं दिया.

प्र. छोटे शहरों में सांवले रंग को लेकर काफी चर्चा होती है और आप भी फेयरनेस क्रीम को एंडोर्स करती है, आप इस बारें में क्या सोच रखती है?

विज्ञापन जो पहले बनती थी, अब वह बदल चुका है. विकी डोनर के बाद मैंने ब्रांड के साथ बात की और इसके क्रिएटिव आस्पेक्ट को मैंने बदली है, क्योंकि ब्यूटी आपकी खुद की मर्ज़ी होनी चाहिए. अब ग्लो और निखार की बात की जाती है. अब फेयरनेस शब्द से हमें दूर जाने की जरुरत खासकर छोटे शहरों में है. सफलता, रंग या शारीरिक बनावट पर निर्भर नहीं होती. सब कुछ कड़ी मेहनत और लगन से ही मिलता है. मुझे डार्क स्किन कलर के एक्ट्रेस के नाम लेना भी पसंद नहीं. हर रंग और हर लड़की सुंदर है.

सवाल-यामी क्या आपका संघर्ष अभी कम हुआ है?

मुझे लगता है ये कभी भी कम नहीं होगा,केवल इसके रूप बदल जायेंगे. जब आप एक निश्चित रास्ते पर चलने की कोशिश करते है तो संघर्ष हमेशा रहता है. मुझे संघर्ष अच्छा भी लगता है. जब मायूसी कभी आती है तो परिवार और दोस्त आपके काम आते है.

सवाल-इंडस्ट्री में आने के बाद आप कितनी बदल चुकी है? इंडस्ट्री से आपने क्या सीखा?

ये सही है कि यहां आप जैसे है वैसे नहीं रह सकते, क्योंकि कई बार ऐसा हुआ है कि मुझे बात करने की इच्छा नहीं है, पर बात करना पड़ता है. उस समय आपको अपने हालात से निकलकर काम करना पड़ता है. इसके अलावा मैं बहुत अधिक बदली नहीं हूं. मुझे विकी डोनर के समय कुछ भी आता नहीं था. क्या बोलना पड़ता है वह मुझे पता नही था. समय के साथ पता चला है कि कैसे काम और पर्सनल बातों को अलग रखना है.

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इंडस्ट्री से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है. इसका एक अच्छा चेहरा है, तो एक खराब भी है. कई बार ऐसा लगा है कि काश मैं चंडीगढ़ में आई ए एस होती, लेकिन वहां कुछ अलग समस्या अवश्य होती.  ये बहुत ही मुश्किल इंडस्ट्री है,लेकिन इससे परे जब आप किसी से मिलते है,तो उनकी ख़ुशी और प्यार जो मिलता है. उसे मैं बहुत सराहती हूं. पहली फिल्म ‘विकी डोनर’, इसके बाद काबिल, उरी, बाला आदि सभी फिल्मों से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है.

सवाल-कोई खास फैन जिसे आप हमेशा याद रखती है?

कोलकाता का एक फैन ने मेरा नाम अपने हाथ पर गुदवा लिया. मेरी तरह उन्होंने कानून की पढ़ाई की. मेरी फिल्म पहले दिन पहली शो के लिए उन्होंने कोर्ट में हियरिंग के लिए नहीं गए. मुझे उसे लेकर बहुत चिंता है. मैं उससे मिली और ऐसा करने से मना किया है.

‘कार्तिक’ से नफरत के चलते गोवा जाएगा ‘कायरव’, अब क्या करेगी ‘नायरा’

स्टार प्लस के सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ फैंस को एंटरटेन करने का एक भी मौका नही छोड़ रहा है. जहां एक तरफ ‘कार्तिक’ ‘नायरा’ की नजदीकियां फैंस को पसंद आ रही हैं तो ‘कायरव और कार्तिक’ के बीच की दूरी फैंस को परेशान कर रही है. वहीं अब शो में ‘कायरव’ की ‘कार्तिक’ के लिए बढ़ती नफरत ‘नायरा-कार्तिक’ के रिश्ते में भी दरार लेकर आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा ‘कायरव’ का फैसला…

‘कायरव’ के लिए नायरा से मिलेंगी ‘दादी’

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि ‘कायरव’ की ‘कार्तिक’ के लिए नफरत देखते हुए ‘दादी’ फैसला लेकर ‘नायरा’ से मिलने सिंघानिया हाउस जाएंगी.


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‘नायरा’ को मंजूर नही होगी ‘दादी’ की ये बात

 

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‘दादी’ ‘नायरा’ से मिलकर उससे ‘कायरव’ के साथ गोयंका हाउस में रहने की बात कहेंगी. साथ ही ‘कार्तिक और नायरा’ को एक कुशल शादीशुदा जोड़े होने का नाटक करने के लिए कहेंगी ताकि ‘कायरव’ की ‘कार्तिक’ के लिए नफरत और गलतफहमी दूर हो जाए, लेकिन ‘नायरा’ ‘दादी’ की ये बात मानने से इंकार कर देगी.

‘नायरा’ कहेगी ये बात

 

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वहीं ‘दादी’ की बात को इंकार करते हुए ‘नायरा’ कहेगी की वह ‘दादी’ की ये बात नही मान सकती क्योंकि वह ‘कायरव’ को झूठा दिलासा नही देना चाहती है. साथ ही ये उसके आत्मसम्मान का भी सवाल है.

गोवा जाने की बात कहेगा ‘कायरव’

 

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आज के एपिसोड में आप देखेंगे कि ‘कायरव’ को एक्सिडेंट के बाद होश आएगा और वह अपने ‘मामू’ यानी ‘नक्क्ष’ से दोबारा गोवा जाने की बात और टिकट बुक करने के लिए कहेगा.

‘नायरा’ ‘कार्तिक’ को बताएगी ‘कायरव’ को बताएगी गोवा जाने की बात

इसी बीच ‘कार्तिक’ इन सब बातों के लिए खुद को दोष देता हुआ नजर आएगा. वहीं ‘नायरा’ ‘कार्तिक’ को ‘कायरव’ के गोवा जाने की बात बताएगी, जिसे सुनकर ‘कार्तिक’ ‘नायरा’ को गोवा जाने के लिए हामी भरता हुआ दिखाई देगा. और कहेगा कि इसमें सभी की भलाई है.

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बता दें, शो के नए प्रोमो में ‘कायरव’ के बर्थडे के दिन ‘कायरव’ की एक्सिडेंट होता हुआ नजर आएगा, जिसके बाद देखना ये है कि क्या ‘नायरा और कार्तिक’ ‘कायरव’ को समझा पाएंगे या नही.

कसौटी जिंदगी के 2: याददाश्त जाने के बहाने ‘अनुराग’ करेगा ‘कोमोलिका’ का पर्दाफाश

स्टार प्लस के सीरियल ‘कसौटी जिंदगी के 2’ में नई ‘कोमोलिका’ के आने के बाद कहानी में नए मोड़ आ रहे हैं. जहां फैंस करण सिंह ग्रोवर के शो छोड़ने से दुखी हैं तो वहीं ‘अनुराग और प्रेरणा’ की परेशानियों से फैंस निराश होते जा रहे हैं. आइए आपको बताते हैं शो में क्या होगा आने वाला ट्विस्ट…

‘अनुराग’ की याददाश्त जाने का ट्रेक कर रहा फैंस को एंटरटेन

लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो इन दिनों ‘अनुराग’ की याददाश्त गायब हो चुकी है और ‘कोमोलिका’ ने प्लास्टिक सर्जरी करवाकर अपना चेहरा बदलवा लिया है, जिसके साथ वह धोखे से फिर से बासुबाड़ी में आ चुकी है और सभी के सामने दावा कर चुकी है कि उसकी और ‘अनुराग’ की शादी हो चुकी है.

 

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‘अनुराग’ कर रहा याददाश्त खोने का नाटक

खबरों की माने तो अनुराग तो बीते दो साल की यादें भुला चुका है, ऐसे में उसे ‘प्रेरणा’ से लेकर ‘कोमोलिका’ के बारे में कुछ भी याद नहीं है. लेकिन सच कुछ और ही है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार अनुराग की याददाश्त कभी गायब ही नहीं हुई थी.

‘सोनालिका’ का राज खोलने को तैयार है ‘अनुराग’

 

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Precap! Sharma Family is on fire! Komolika paid a man to set fire on ‘Sharma Nivas’. Veena aunty gets hurt. ? I guess Anurag will come to save them. Kya pata..he also can take them to Basu Bari! ?‍♀ Anyways, memory will keep coming back in Anurag’s mind.. . . @the_parthsamthaan @iam_ejf ❤ Keep watching #kasautiizindagiikay2 Mon-Fri at 8pm(Ist) on #Starplus . . Follow me @parthians_ejfians_united_ for more updates . . . #ParthSamthaan #EricaFernandes #AamnaSharif #EJF #fire #anuragbasu #prernasharma #anurag #prerna #anupre #parica #precap #kasautiizindagiikay #kzk #kzk2 #Parthians #EJFians #ParthianForever #EJFiansForever #ProudParthian #ProudEJFian #WeStandByEJF #WeStandByParth

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दरअसल रिपोर्ट के अनुसार ‘अनुराग’ ने अपनी याददाश्त को गंवाने का सिर्फ ढोंग किया है. ‘अनुराग’ को ‘सोनालिका’ के बारे में सब कुछ पता है और वह जल्द ही सभी के सामने उसके इरादों को एक्सपोज भी करता हुआ नजर आएगा.

बता दें, ‘कसौटी जिंदगी के’ रीबूट वर्जन की बात करें तो शो के एक-एक करके बड़े सितारे शो छोड़ते जा रहे हैं. हाल ही में शो में ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में नजर आने वाले करण सिंह ग्रोवर ने शो छोड़ दिया था, जिसके बाद शो के मेकर्स शो की टीआरपी को बढ़ाने के लिए शो में नए-नए ट्विस्ट लाने को तैयार है.

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दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी, जानिए कब और क्यों की जाती है घोषणा ?

आपातकाल (इमरजेंसी)  का जिक्र जैसे होता है हमारी रूह कांप जाती है. भारतीय संविधान में तीन प्रकार की इमरजेंसी का जिक्र  है. राष्ट्रीय आपातकाल (नेशनल इमरजेंसी), राष्ट्रपति शासन (स्टेट इमरजेंसी) और आर्थिक आपातकाल (इकनौमिक इमरजेंसी). लेकिन यहां मैं एक चौथी इमरजेंसी का बात कर रहा हूं जोकि कोर्ट ने लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल ईपीसीए (EPCA) ने दिल्ली में जन स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की है. ये इस कारण से किया गया क्योंकि दिल्ली की हवा दम घोंटने वाली हो गई है.लोगों को सांस लेने में भारी तकलीफ हो रही है. स्कूलों को बंद कर दिया गया है. भारत बनाम बांग्लादेश पहला टी-20 मैच भी दिल्ली के अरूण जेटली स्टेडियम में होना है. बांग्लादेश के खिलाड़ी मास्क पहनकर प्रैक्टिस करते नजर आए. वहां के कोच की तो तबियत ही खराब हो गई.

राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले ही दिल्ली को गैस-चैंबर बता चुके हैं. इसके साथ ही लोगों से अपील की गई है कि वे जितना कम हो सके बाहर रहें. ज़्यादा से ज़्यादा घर के अंदर ही रहें. लोगों को निजी वाहनों का कम इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है और साथ ही कचरा जलाने से भी मना किया गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा सरकार ये बताए कि पराली कब तक जलाई जाएगी. केजरीवाल इस प्रदूषण की प्रमुख वजह पराली को ही मान रहे हैं. उनका कहना कि लोगों ने इस बार दीवाली में पटाखे कम जलाए हैं इसलिए ये सारा प्रदूषण पराली का ही है.

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EPCA के चेयरमैन भूरे लाल ने उत्तर प्रदेश , हरियाणा और दिल्ली के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता की ख़राब स्थिति पर चिंता व्यक्त की. इससे इस बात का अंदाज़ा तो हो जाता है कि स्थिति कितनी ख़राब है. बदनसीबी से इस गंभीर मामले पर भी सियासतदान राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इसे पूरी तरह पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली का असर बता रहे हैं वहीं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि हरियाणा और पंजाब को इस स्थिति के लिए दोष देना बंद करके अगर आपस में मिलकर इस समस्या का समाधान तलाशने की कोशिश की जाती तो संभव है स्थिति बेहतर होती.

वायु प्रदूषण हर साल इन्हीं महीनों में ज्यादा खराब होती हैं. इसका कारण केवल पराली नहीं बल्कि मौसम का बदलता रूख भी है. साथ ही ऐसे कई अन्य हानिकारक तत्व हैं जो गाड़ियों और उद्योगों से आते हैं जैसे कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और ओजोन जैसी गैसें. हवा की गुणवत्ता को एयर क्वालिटी इंडेक्स पर मापा जाता है. अगर एयर क्वालिटी इंडेक्स 0-50 के बीच है तो इसे अच्छा माना जाता है, 51-100 के बीच में यह संतोषजनक होता है, 101-200 के बीच में औसत, 201-300 के बीच में बुरा, 301-400 के बीच में हो तो बहुत बुरा और अगर यह 401 से 500 के बीच हो तो इसे गंभीर माना जाता है.

दिल्ली में कई जगह पीएम 2.5 अपने उच्चतम स्तर 500 के पार दर्ज किया गया. पीएम 2.5 हवा में तैरने वाले वाले वो महीन कण हैं जिन्हें हम देख नहीं पाते हैं. लेकिन सांस लेने के साथ ये हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. वायुमंडल में इनकी मात्रा जितनी कम होती है, हवा उतनी ही साफ़ होती है. इसका हवा में सुरक्षित स्तर 60 माइक्रोग्राम है. इसके अलावा पीएम 10 भी हवा की गुणवत्ता को प्रभावित करता है. इस गंभीर स्थिति को ही ध्यान में रखते हुए पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की गई है.

बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015 के एक अध्ययन में राजधानी के हर 10 में से चार बच्चे ‘फेफड़े की गंभीर समस्याओं’ से पीड़ित हैं. इसके अलावा भारत साल 2015 में प्रदूषण से हुई मौतों के मामले में 188 देशों की सूची में पांचवें स्थान पर था. प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल, द लांसेट में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक़, दक्षिण पूर्व एशिया में साल 2015 में 32 लाख मौतें हुईं. दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के इस आंकड़े में भारत भी शामिल है.

दुनियाभर में हुई क़रीब 90 लाख मौतों में से 28 प्रतिशत मौतें अकेले भारत में हुई हैं. यानी यह आंकड़ा 25 लाख से ज़्यादा रहा. एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 360 के ऊपर होने का मतलब है 20 से 25 सिगरेट पीना. इस आधार पर यह कहना ग़लत नहीं होगा कि दिल्ली में कोई भी नौन-स्मोकर नहीं बचा है.

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हेल्थ इमरजेंसी हमारे आपके लिए नया शब्द हो सकता है लेकिन दुनिया के लिए ये शब्द पुराना है. साल 2012 में चीन में हेल्थ इमरजेंसी लगाई गई थी जब वहां प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक बढ़ गया था. भारत में तो इसे लगाने में काफ़ी वक़्त लिया गया जबकि दुनिया के दूसरे देशों में यह बहुत ही शुरुआती स्तर पर घोषित कर दी जाती है.

लिप्स के शेप के हिसाब से लगाएं लिपस्टिक और दिखे सबसे अलग

आप अपनी लिपस्टिक का चुनाव अपनी स्किन टोन  के रंग को ध्यान में रख कर करें. सांवली महिलाओं पर रात के समय डार्क मैरून, डीप रैड और वाइन शेड अच्छे लगते हैं और दिन के समय इन शेड्स  के रिफ्लैक्शन शेड्स प्रयोग करें. वैसे तो आप  दिन के समय न्यूड शेड्स भी इस्तेमाल कर सकती हैं. यदि आपका रंग साफ है तो यैलो टोन और पर्ल फिनिशिंग वाले वाइट शेड भी प्रयोग कर सकती हैं.

आकार के अनुसार लिपस्टिक

अगर पतले होंठ हैं

पतले होंठों हैं तो  लिप लाइन से 5 मिमी   ऊपर व नीचे आउट लाइन बनाएं . रेखाओं को थोड़ा गोल आकार दें. ताकि होंठ भरे भरे लगे. पतले होंठों के लिए ग्लॉस फिनिश की लिपस्टिक लगाएं. कोनों पर हल्का शेड लगाएं. बीच में गहरा रंग.

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अगर मोटे होंठ हैं

अपने होंठों को खुबसूरत और पतला दिखाने के लिए आप होंठों पर लिपग्लॉस या लिपस्टिक लगाने से पहले लिपलाइनर से होंठों पर आउटलाइन कर लें और फिर होंठों पर हल्की लिपस्टिक का प्रयोग करें. इससे आपके होंठ पतले और खुबसूरत दिखने लगेंगे, लेकिन ध्यान रहे कि आप होंठों पर चमकीली लिपस्टिक का प्रयोग ना करें..यदि लिपस्टिक मैट फिनिश होगी तो होंठ और ज्यादा पतले और सुंदर दिखेंगे.

अगर छोटे होंठ है

यदि होठों का आकार छोटा है तो इनको लिपस्टिक के सहारे बड़ा और आकर्षक बनाया जा सकता है. बस आप को  लिप लाइनर लेना है और होंठों की आउटलाइन थोड़ा बाहर की तरफ निकालते हुए बनानी है. ताकि होंठ थोड़े बड़े और आकर्षक दिखे. फिर ब्रश से लिपस्टिक लगायें.

लिपस्टिक के नए शेड्स :-

पहले जहां डार्क कलर की लिपस्टिक का फैशन था, आज न्यूड लुक का फैशन है. आजकल लिपस्टिक मे लाइट शेड्स जैसे-नेचुरल पिंक, पीच, ऑरेंज, स्किन कलर, ट्रांसपेरेंट, कौपर, पर्पल आदि चल रहे हैं. पार्टी वगैरह में भी लाइट पिंक, ऑरेंज शेड ज्यादा चल रहा है.

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होंठों को रखें नम

होंठ के सूखने का कारण शरीर में पानी की कमी है. इसलिए होंठों को नरम रखने के लिए जरूरी है कि दिन में कम से कम दस-पंद्रह गिलास पानी पिएं. आप अपने होंठों को हमेशा मौइस्चराइजरड रखें क्योकि सूखे या फटे हुए होंठ सुजाने लगते है और फिर बड़े दिखाई देते है. तो हमेशा होंठों पर कोई तेल या लिप बाम प्रयोग करें. इससे होंठ पतले, सुन्दर और सुडौल दिखाई देंगे.

वेडिंग फोटोशूट: रोमांटिक फिल्म की तरह शादी को बनाएं यादगार

पिछले कुछ वर्षों में वेडिंग वीडियोग्राफ़ी  तकनीक का चलन काफी बढ़ कर चुका है.पहले फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी का इस्तेमाल ज्यादातार पोर्ट्रेट फोटोग्राफी या फिर विवाह या किसी अन्य बड़े सामाजिक समारोह में ही होता था, पर इनकी दुनिया काफी बड़ी है. स्टूडियो और सामाजिक समारोह के अलावा आज के समय में थीम आधारित पार्टी, फैशन उद्योग, कॉरपोरेट जगत, पर्यटन उद्योग, समाचार पत्र व समाचार चैनल,  विज्ञापन एजेंसी जैसी कई जगहों में इनके बगैर बेहतर काम होना संभव नहीं है. छोटे शहरों में भी इनका तेजी से विकास हुआ है.आइए देखते हैं 5 हॉट ट्रेंड्स वेडिंग वीडियोस के चिराग खट्टर द्वारा.

1. ड्रोन एरियल वीडियो

इस ट्रेंडिंग तकनीक में सिर्फ दूल्हा-दुल्हन या शादी की पार्टी के ओवरहेड शौट्स शामिल होते हैं. यह वीडियोग्राफर के द्वारा दूल्हा दुल्हन के हर पल को, लोगों के एक्साइटमेंट को वीडियो द्वारा कैच करने का एक अनोखा तरीका है. इसके अतिरिक्त,  वीडियोग्राफर अलग-अलग कोणों से अपनी सहूलियत अनुसार कार्य कर पाता है, जो कि बहुत से शौट्स की जरूरत होती है.

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2. शादी के ट्रेलर

वेडिंग वीडियोग्राफर अब शादी के ट्रेलर बनाने में माहिर हैं‌. जिसमें उन लोगों के लिए खूबसूरत वेडिंग हाइलाइट्स के शाट्स शामिल हैं, जिनके पास पूरी शादी की गतिविधियों को देखने का समय नहीं हैं. इसमें जोड़ी का आगमन, उनकी झलक, परिवार और दोस्तों के साथ अंतरंग क्षण, और फेरो के उदासीन लेकिन कीमती क्षण शामिल हैं. यह छोटी-छोटी वीडियो जो केवल 10 से 20 मिनट की होती हैं आपकी शादी के ट्रेलर की तरह होती हैं.

3. वेडिंग ब्लूपर्स

यह कुछ ऐसा है जो शादी  के लिए ट्रेंड निर्धारित करने की क्षमता रखता है. सभी को हंसना बहुत पसंद होता है. यही वे क्षण हैं जो वीडियो में कैद हो जाते हैं हमेशा के लिए. चाहे अच्छे हों या बुरे .खट्टे हो या मीठे. वीडियो के अंत में क्रेडिट की भूमिका के रूप में वह शॉट्स रखे जाते हैं, जो पूरी वीडियो में नहीं होते.

4. डेट वीडियो सहेजना

एक बेहद लुभावना हॉट सीन देखकर आपका मन उस हौलीवुड मूवी को देखने के लिए मचलने लगता है. है ना ठीक उसी प्रकार से नया जोड़ा भी कुछ वैसे ही  वीडियो शूट में काम करता है.एक मजेदार आकर्षक रूप में हर कोई अपने वीडियो क्लिप शूट करना चाहता है.आम तौर पर, इन विडियो में शानदार पृष्ठभूमि संगीत,, एक आवाज, वौइस़ ओवर, और और प्रभावी ढंग से संपादित करी वीडियो होती हैं.

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5. अपरंपरागत युगल वीडियोग्राफी

वीडियोग्राफर अवास्तविक व विदेशी पृष्ठ भूमि का चयन करता है. साथ ही युगल को इस तरह से तैयार किया जाता है, कि वे वीडियो में फिल्म स्टारों की तरह दिखाई दें.

स्ट्रौबेरी स्टफ्ड विद वौलनट मूज

अगर आप फेस्टिवल में कुछ टेस्टी और हेल्दी ट्राय करना चाहती हैं तो आज हम आपको सरदियों के लिए स्ट्राबेरी स्टफ्ड विद वौलनट मूज की टेस्टी रेसिपी बताएंगे. स्ट्राबेरी स्टफ्ड विद वौलनट मूज की इस रेसिपी को आप अपनी फैमिली के लिए बनाकर सरदियों में तारीफें बटोर सकती हैं. आइए आपको बताते हैं स्ट्राबेरी स्टफ्ड विद वौलनट मूज की खास रेसिपी

हमें चाहिए

–  12 स्ट्राबेरीज

–  200 एमएल फेंटी हुई क्रीम

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–  2 अंडों का सफेद भाग

–  100 ग्राम कैलिफोर्निया वॉलनट्स

–  400 ग्राम शुगर.

बनाने का तरीका

स्ट्राबेरीज को अच्छी तरह धो लें. उन की पत्तियों को सावधानी से काट लें. कैलिफोर्निया वॉलनट्स को फेंटी क्रीम की आधी मात्रा और शुगर के साथ पीसें. अंडों के सफेद भाग को झाग आने तक फेंटें. इस में बाकी बची हुई क्रीम मिलाएं. वॉलनट क्रीम और अंडों के सफेद हिस्से को अच्छी तरह मिलाएं. झाग को बैठने से बचाएं. इस से जो मूज निकला है उसे पेस्ट्री बैग में डालें. स्ट्राबेरीज को कैलिफोर्निया वॉलनट मूज के साथ भर कर परोसें.

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वायरल फीवर में होम्योपैथी इलाज

डौ. कुशल बनर्जी

एम.डी. (होम्योपैथी), एमएससी (औक्सोन)

मौसम परिवर्तन के दौरान वायरल फीवर या वायरल संक्रमण का दौर शुरू हो जाता है. भारत के शहरों में आमतौर पर हर बीमारी को वायरल कहा जाता है, जबकि वो होती नहीं है. वायरल फीवर का मतलब होता है, वायरल संक्रमण के कारण होने वाला बुखार. सैद्धांतिक रूप से वायरल संक्रमण कैसा भी हो सकता है, जिससे बुखार उत्पन्न हो. व्यवहार में, हालांकि, वायरल बुखार वो बुखार होते हैं, जो इन्फ्लुएंज़ा वायरस के कारण होते हैं. यह शब्द उस बुखार के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है, जो सांस के अन्य वायरस के कारण उत्पन्न होता है. अक्सर इस शब्द का इस्तेमाल सांस की नली के बैक्टीरियल संक्रमण के लिए करते हैं, जैसे अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट का संक्रमण.

इस तरह के वायरल संक्रमण के लक्षणों में बुखार

आम तौर पर हल्का या तेज (एक सौ दो डिग्री फारेनहाईट तक), शरीर में दर्द, सरदर्द, कमजोरी, नाक बहना और खांसी या बिना खांसी के गले का संक्रमण शामिल हैं. मरीज को बुखार होने से पहले कभी कभी डाईजेस्टिव सिस्टम में भी खराबी हो सकती है, जैसे पेट में दर्द या दस्त. ये लक्षण आम तौर पर चैबीस से अड़तालीस घंटों तक रहते हैं और उसके बाद लुप्त होने लगते हैं. मरीजों को बुखार से एक या दो दिन पहले बीमारी का अहसास होने लगता है. पूरी तरह से सेहतमंद होने का अहसास बुखार जाने के दो से तीन दिन बाद ही प्राप्त होता है.

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ये लक्षण और बीमारी की अवधि उम्र एवं अन्य बीमारियों की मौजूदगी के अनुसार परिवर्तित हो सकती है. अट्ठाईस दिन से कम उम्र के बच्चों का बारीकी से निरीक्षण किए जाने की जरूरत होती है. वृद्ध मरीजों में लंबे समय तक लक्षण रहते हैं, जिनकी गंभीरता भी ज्यादा होती है. अन्य बीमारियों, जैसे ब्रोंकायल अस्थमा या हाईपर रिएक्टिव एयरवे डिज़ीज़ के कारण लक्षण और ज्यादा गंभीर हो सकते हैं. वायरल संक्रमण अक्सर लौट कर आता है, लेकिन इसके बाद अस्थमा या एलर्जिक खांसी होती है या फिर स्किन की एलर्जिक स्थितियां खराब हो सकती हैं, जिनके ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है. मौसम में परिवर्तन के दौरान वायरल संक्रमण बढ़ने से इसी अवधि में अस्थमा बढ़ सकता है और इस तरह की बीमारियों के बढ़ने में मदद मिल सकती है.

मरीज कहां स्थित है एवं उस समय कौन से संक्रमण चल रहे हैं, इस बात के आधार पर अन्य गंभीर वायरल संक्रमण, जैसे डेंगू की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.

वायरल संक्रमण पर एंटीबायोटिक्स असर नहीं करतीं. जब तक बैक्टीरियल संक्रमण की क्लिनिकली पुष्टि नहीं हो जाती, तब तक एंटीबायोटिक्स का उपयोग नहीं करना चाहिए. पारंपरिक मेडिसीन में एंटीपायरेटिक दवाईयों, जैसे पैरासिटामोल का उपयोग किया जाता है. इससे बीमारी की अवधि कम नहीं होती, लेकिन शरीर का तापमान कम होकर थोड़े समय की राहत मिल जाती है.

चूंकि इसे ‘सुरक्षित’ दवाई माना जाता है, इसलिए मरीजों द्वारा तत्काल राहत पाने के लिए इसका बढ़ चढ़कर उपयोग किया जाता है. इसके कारण अमाशय की लाईनिंग कट सकती है एवं अन्य बीमारियां पैदा हो सकती हैं. इससे लिवर भी खराब हो सकता है.

होम्योपैथिक इलाज से वायरल फीवर में सुरक्षित व तेजी से राहत मिलती है. खास दवाईयां जैसे रस टौक्सिकोडेंड्रौन बुखार को कम करके शरीर में दर्द व बेचैनी से आराम देती हैं. सांस की समस्याओं के लिए रस टौक्सिकोडेंड्रौन के साथ ब्रायोनिया अल्बा दी जा सकती है. ये दोनों दवाईयां बुखार जाने के बाद मरीज को लंबे समय तक रहने वाली खांसी से आराम देती हैं, जो मरीजों द्वारा एंटीपाइरेटिक्स के अत्यधिक उपयोग से बुखार को दबा देने के फलस्वरूप उत्पन्न होती है.

हमें ऐसे मरीज भी देखने को मिलते हैं, जिन्हें लंबे समय से (दस दिन से ज्यादा समय से) लो ग्रेड फीवर होता है. ऐसा उन मरीजों में होता है, जो एंटीपायरेटिक्स की अत्यधिक खुराक या एंटीबायोटिक्स के त्रुटिपूर्ण या अत्यधिक उपयोग से अपने बुखार को दबा देते हैं. होम्योपैथी इन मरीजों को भी बुखार से आराम दे सकती है, जो निराश हो चुके हैं, क्योंकि वो पारंपरिक दवाई के मामले में अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके होते हैं.

वायरल बुखार की चर्चा के दौरान टायफाईड एवं इसकी एक जाँच, वाईडल टेस्ट को छोड़ा नहीं जा सकता. मरीज अक्सर शिकायत करते हैं कि वो चार दिनों से ज्यादा समय तक बुखार रहने के कारण टायफाईड का शिकार हो गए हैं और उनका ‘वाईडल टेस्ट’ पौज़िटिव आया है. अनेक लैबोरेटरी अपने ‘फीवर पैनल’ के तहत वाईडल टेस्ट करती हैं. वाईडल टेस्ट टायफाईड के निदान में मदद करने का एक प्रभावशाली टूल है, लेकिन अब ऐसा नहीं माना जाता. इस मामले में कई टेक्निकल समस्याएं हैं, लेकिन दो बातों का ध्यान रखना जरूरी है: पहला, वाईडल टेस्ट संक्रमण को तब तक नहीं पहचान सकता, जब तक लक्षण प्रकट हुए सात दिन पूरे न हो जाएं (कभी कभी चैदह दिनों तक). दूसरा, संक्रमण पीड़ित इलाकों (भारत के ज्यादातर हिस्सों की तरह) में, वाईडल टेस्ट सक्रिय संक्रमण की भरोसेमंद पहचान करने में असमर्थ है और अक्सर त्रुटिपूर्ण सकारात्मक परिणाम प्रदान करता है. अगर आपको टायफाईड का बुखार होने का संदेह है, तो क्लिनिकल जांच के लिए डाॅक्टर से मिलें, जिसके बाद इसकी पुष्टि के लिए विशेष समकालीन जांच करनी पड़ सकती हैं. इसमें से टायफाईड के ज्यादातर सेल्फ डायग्नोज़्ड एवं लैबोरेटरी द्वारा ‘पुष्ट’ किए गए मामले असल में फ्लू के मामले होते हैं.

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वायरल फीवर के मामलों में मरीज आराम नहीं करते एवं स्कूल या औफिस के काम में संलग्न रहते हैं. यह आवश्यक है कि आप पर्याप्त आराम करें, क्योंकि शरीर संक्रमण का इलाज कर स्वयं ठीक होने की कोशिश करता है. पर्याप्त आराम न करने एवं शुरू में सही इलाज न लेने के कारण बीमारी ज्यादा लंबी चल सकती है और आपको लंबे समय तक स्कूल या काम से छुट्टी लेनी पड़ सकती है.

अगर आपको वायरल फीवर हो जाए, तो इसके सुरक्षित व तीव्र इलाज के लिए होम्योपैथी की मदद लें.

सर्वभक्ष अभियान

बैंक के पास से निकल रहा था कि गुरुजी दिख गए. वहरुपए गिनने में व्यस्त थे और अपने इस काम में इतने तल्लीन थे कि अपने आसपास का उन्हें ध्यान ही नहीं था. अत: उन्हें छेड़ते हुए हम ने कहा, ‘‘गुरुजी, अगर नोट गिनने में परेशानी हो रही हो तो हम भी कुछ मदद करें.’’

गुरुजी ने एक नजर हम पर डाली और बोले, ‘‘अरे, कहां? ये तो बस, थोड़े से ही नोट हैं,’’ फिर अफसोस करते हुए बोले, ‘‘वैसे भी इस माह छुट्टियों के कारण महीने के 12 दिन तो स्कूल बंद ही रहा है. ऐसे में दोपहर भोजन कार्यक्रम का बिल बने भी तो कहां से.’’

मैं ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा, ‘‘चलिए, कोई बात नहीं, इस माह कम छुट्टियां हैं तो मध्याह्न भोजन का बिल ठीकठाक होगा. वैसे भी आप परेशान क्यों हो रहे हैं? यह तो मध्याह्न

भोजन कार्यक्रम का पैसा है, कम हो

या ज्यादा, आप को क्या फर्क पड़ता है?’’

‘‘वह तो है, लेकिन ज्यादा नोट गिनने का अपना ही मजा है, भले ही वह नोट सरकारी ही क्यों न हों,’’ गुरुजी बोले.

‘‘आप भी गुरुजी कहां सरकारी और गैरसरकारी के चक्कर में पड़ गए. जब तक नोट आप की जेब में हैं तब तक तो वह आप की ही संपत्ति हैं अब क्या नोटों पर छपा हुआ है कि वह आप के हैं या सरकारी हैं? और फिर यदि नोट सरकारी हैं तो आप भी तो सरकारी आदमी ही हैं. अब सरकार के आदमी के पास सरकारी संपत्ति नहीं रहेगी तो क्या किसी ऐरेगैरे के पास रहेगी?

वैसे भी यह जिम्मेदारी भरा काम है इसीलिए तो सरकार ने यह जिम्मेदारी आप को सौंपी है,’’ हम ने अपनी ओर से गुरुजी को प्रसन्न करने की कोशिश की.

वह बोले, ‘‘कह तो तुम सही रहे हो.’’

हम ने उन्हें और चढ़ाते हुए कहा, ‘‘वैसे देखा जाए तो अपना कार्य करने के साथसाथ आप लोग तो इस योजना को संचालित कर के समाजहित में एक बड़ा कार्य कर रहे हैं. एक बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.’’

‘‘जिम्मेदारी क्या है, व्यर्थ की परेशानी है,’’ फिर सिर झटकते हुए बोले, ‘‘ढेरों हिसाबकिताब रखो, दाल बनवाओ, सब्जी बनवाओ, रोटियां बनवाओ. सुबह से इसी में लगे रहना पड़ता है. ऊपर से बिलवाउचर बनवाओ, कैश बुक मेंटेन करो, आडिट करवाओ. इतना सबकुछ करने पर भी जांच पार्टी आ कर ऐसे जांच करती है जैसे हम ने कितना बड़ा गबन कर लिया हो.

उन्हें संतुष्ट करो, सब को खुश करतेकरते तो यहां जान निकली जा रही है.’’

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‘‘यह सब को खुश क्यों करना पड़ता है?’’ हम चकराए. मेरे इस सवाल पर उन्होंने मुझे ऐसे देखा जैसे मैं ने कोई बेवकूफी भरा प्रश्न कर दिया हो. फिर बोले, ‘‘अब सब तो यहां पीछे पड़े हैं. हर कोई अपना हिस्सा चाहता है. जिसे न दो उसी से बुराई. मध्याह्न भोजन न हुआ मास्टरों को तंग करने का एक नया हथियार हो गया. कभी जिले के शिक्षा विभाग से कोई जांच पार्टी आ रही है, तो कभी ब्लाक से…और कहीं से नहीं तो स्कूल से तो पार्टी कभी भी आ धमकती है. सिर्फ आती ही नहीं है बल्कि ऐसी बारीकी से जांच व पूछताछ करती है कि उन्हें जवाब से संतुष्ट करतेकरते सिर दुखने लगता है. हर दिन हर समय जांच रूपी तलवार सिर पर लटकी ही रहती है.’’

‘‘तो इस में परेशानी की क्या बात है? आप जांच और पूछताछ से इतना घबराते क्यों हैं? अरे, यदि आप सही हैं, आप के काम में कोई खोट नहीं है, तो लाख जांच होने पर भी कोई आप का कुछ नहीं बिगाड़ सकता. जब आप सबकुछ ठीक कर रहे हैं तो सिरदर्द का तो प्रश्न ही नहीं उठता.’’

गुरुजी थोड़ा ढीले हुए, ‘‘नहीं समझे आप. अरे भाई, जब इतनी बड़ी योजना है और हम इतनी मेहनत कर रहे हैं तो थोड़ीबहुत ऊंचनीच, थोड़ाबहुत पतलागाढ़ा तो चलता ही है…और चलाना भी पड़ता है. अब उस में ही आप छानबीन करने लग जाएं कि दाल इतनी पतली क्यों है या सब्जी में आलू इतने कम क्यों हैं, तो यह तो कोई बात नहीं हुई. अरे भाई, जब सरकार ने भरोसा कर के यह योजना हम शिक्षकों के सुपुर्द की है, तो आप भी तो थोड़ा विश्वास करो, थोड़ा भरोसा करो.’’

हम ने भी मजा लेते हुए पूछा, ‘‘लेकिन गुरुजी, यह पतलेगाढ़े का चक्कर है क्या? जहां तक मुझे पता है कि सारा भोजन एक स्पष्ट दिशानिर्देश के तहत बनाया जाता है, तो फिर उस का पालन करने से भोजन अपनेआप ही स्तरीय बनेगा, पौष्टिक बनेगा और ऐसे में एक बार नहीं लाख बार चैकिंग हो जाए, तो भी कोई आप का कुछ भी गलत नहीं कर सकता.’’

हमारे व्यंग्य को न समझते हुए गुरुजी बोले, ‘‘भैया, दिशानिर्देश तो हमें भी मालूम हैं. हमारे पास सबकुछ लिखित में है, लेकिन आप ही बताइए, कोई कहां तक उन नियमों का पालन करे. वेसे भी व्यावहारिकता में इन का पालन संभव है क्या?’’

‘‘क्यों, क्या दिक्कत है. जहां तक मुझे मालूम है, सबकुछ एकदम साफ, एकदम पारदर्शी है. फिर कानून के पालन में बुराई भी क्या है?’’

हमारे यह कहने पर वह भड़क कर बोले, ‘‘कानूनों के पालन की आप ने अच्छी चलाई. आप ही बताइए, आज कानूनों का पालन कर कौन रहा है? जिसे जहां मौका मिल रहा है वहीं वह कानूनों को तोड़मरोड़ कर उन की अपने हिसाब से व्याख्या कर रहा है. आज जब हर तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला है तो फिर आप शिक्षकों से ही कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे नियमों का पालन करें? और वे करें भी तो क्यों करें. आखिर वे भी तो इसी समाज का एक अंग हैं. अब आज यदि उन्हें प्रगति करने, आगे बढ़ने का एक मौका मिला है तो दूसरों के पेट में मरोड़ क्यों हो रही है?’’

उन की बातों का मतलब समझते हुए मैं ने कहा, ‘‘लेकिन उन्नति का यह तो कोई रास्ता नहीं हुआ. वैसे भी समाज आप शिक्षकों से कुछ और ही उम्मीद करता है. आप हमारे पथप्रदर्शक हैं, भावी पीढ़ी के निर्माता हैं. आप लोगों से एक आदर्श प्रस्तुत करने की उम्मीद तो समाज कर ही सकता है. यदि वह भी वही सब करने लगे तो उन में और दूसरों में अंतर ही क्या रह जाएगा?’’

‘‘इन्हीं लच्छेदार बातों से हमें सदियों से बेवकूफ बनाया जाता रहा है,’’ गुरुजी बोले, ‘‘लेकिन अब शिक्षक जागरूक हो गया है. अब वह अपने अधिकारों के प्रति जागृत है. उसे अपने अच्छेबुरे का ज्ञान है. ऐसी बातें कर के उसे अब और बरगलाया नहीं जा सकता.’’

गुरुजी शांत होने का नाम ही नहीं ले रहे थे, अत: बातों का रुख मोड़ने के लिए हम ने प्रश्न किया, ‘‘और सुनाइए, सर्वशिक्षा अभियान तो इन दिनों बड़े जोरशोर से चल रहा है. सब ओर इसी अभियान के चर्चे हैं.’’

वही हुआ जो हम चाहते थे. गुरुजी कुछ शांत हुए, ‘‘हां, इस अभियान के नतीजतन हमारे यहां वर्ग, संख्या में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. शाला भवन का निर्माण और रसोईघर (किचिन शेड) निर्माण भी उसी अभियान के अंतर्गत हुआ है. वैसे इस अभियान से बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुझान बढ़ा है… हर कक्षा में छात्र संख्या में वृद्धि हुई है.’’

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अब यह वृद्धि कैसे हुई और क्यों हुई इस का असली कारण समझते हुए भी हम ने मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालना उचित नहीं समझा. उन की मनोस्थिति भांपते हुए हम ने उन के मुताबिक ही एक प्रश्न किया, ‘‘15 अगस्त से तो हर छात्र बजट बढ़ा कर 1.50 से 2.00 रुपए प्रतिदिन कर दिया गया है. अब तो योजना का संचालन और भी आसान हो गया होगा.’’

गुरुजी बोले, ‘‘आप ऐसा सोचते हैं पर यह क्यों नहीं देखते कि यदि बजट बढ़ाया गया है तो मीनू में तो दोनों चीजें (दाल व सब्जी) देना अनिवार्य कर दिया गया है. बात तो आखिर वहीं की वहीं रही,’’ फिर सुझाव देते हुए बोले, ‘‘मेरे हिसाब से तो बढ़ती हुई महंगाई को देखते हुए सरकार को इस बजट को और बढ़ाना चाहिए.’’

मन में आया कह दें कि सरकार यदि बजट बढ़ा कर 2 से 5 रुपए प्रति छात्र भी कर दे तो न तो आप का पेट भरेगा और न ही आप संतुष्ट होंगे, क्योंकि स्वार्थ और बेईमानी का गहरा चश्मा आप की आंखों पर चढ़ा हुआ है और जिस के चलते सभी तरह की गलत और अनैतिक गतिविधियों को भी सीना ठोक कर आप जायज बता रहे थे. गरीब बच्चों का पेट काट कर भी अपना पेट और घर भरने की कोशिश कर रहे थे. पर उन से कुछ कहना उन के द्वारा रचित सुख में विघ्न डालना ही होता और ऐसा कह कर हम गुरुजी की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते.

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