‘नायरा-कार्तिक’ ने फिर से कर ली शादी, क्या होगा ‘वेदिका’ का रिएक्शन?

स्टार प्लस के पौपुलर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में ‘कार्तिक और नायरा’ के फैंस के लिए जल्द ही खुशखबरी मिलने वाली है. ‘कार्तिक-नायरा’ के रियूनियन में बैठे फैंस को जल्द ही शो में दोनों का रोमेन्स देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा…

‘कार्तिक-नायरा’ होंगे किडनेप

हाल ही में हमने बताया था कि ‘कायरव’ की कस्टडी के चलते ‘नायरा’ को किडनेप करने की कोशिश करेंगे, लेकिन तभी ‘कार्तिक’ बीच में आ जाएगा. वहीं किडनैपर ‘नायरा’ के साथ-साथ ‘कार्तिक’ को भी किडनेप कर लेंगे.

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नशे में एक दूसरे से शादी करेंगे ‘कार्तिक-नायरा’


सीरियल से जुड़ी एक लेटेस्ट जानकारी की माने तो जल्द ही ‘नायरा और कार्तिक’ एक दूसरे से शादी भी कर लेंगे. जहां कुछ दिन पहले ही ‘नायरा और कार्तिक’ ने तलाक के पेपर्स पर साइन किया था, लेकिन जानकारी के मुताबिक दोनों अकेले ही एक दूसरे के साथ शादी की हर रस्मों को पूरा भी कर लेंगे.

एक ही कमरे में रात बिताएंगे ‘कार्तिक और नायरा’

‘कार्तिक और नायरा’ ‘दामिनी’ के गुंडों से खुद को बचा लेंगे और दोनों छिपते-छिपाते सिंघानिया सदन पहुंच जाएंगे. यहां पर ‘नायरा’ ‘कार्तिक’ को लेकर अपने कमरे में चली जाएंगी. ‘दामिनी’ के गुंडों ने ‘नायरा और कार्तिक’ को बेहोश करने के लिए इंजेक्शन लगा दिया था, जिसका असर उन्हें देर रात भी रहेगा. ऐसे में ‘नायरा और कार्तिक’ इमोशनल पल बिताएंगे और एक दूसरे के साथ पूरी रात कमरे में ही रहेंगे.

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‘वेदिका’ को चलेगा पता

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि ‘कार्तिक-नायरा’ के एक कमरे रात गुजारने की बात सबसे पहले ‘वेदिका’ को पता लगेगी, जिसके बाद वह धमाकेदार ड्रामा करेगी. अब देखना ये है कि क्या ‘वेदिका’ ‘कार्तिक’ को छोड़ेगी या फिर दोनों को अलग करने के लिए नई चाल चलेगी.

खुशियां फैलाएं प्रदूषण नहीं

देश की राजधानी दिल्ली ही नहीं बाकी तमाम शहर भी प्रदूषण से परेशान हैं. दिल्ली के आसपास पराली जलाने से भी प्रदूषण बढ़ जाता है. दीवाली पर पटाखे चलाने से दिल्ली व उस के आसपास सब से अधिक प्रदूषण होता है. दुनिया के सब से अधिक प्रदूषित 10 शहरों में भारत के सब से अधिक शहर शामिल हैं, जो एक खतरनाक संकेत है.

किसी भी त्योहार का मतलब भी तभी हल होता है जब वह समाज में खुशियां फैलाए. प्रदूषण पूरी दुनिया का सब से बड़ा मुद्दा बन गया है. यह आने वाले समय में और भी अधिक खराब हालत में होगा. अपने आने वाली पीढि़यों को साफस्वच्छ हवा और पानी देने के लिए हमें प्रदूषण खत्म करने पर काम करना ही होगा.

खुशी कम प्रदूषण ज्यादा देते हैं पटाखे

दीवाली खुशियों का त्योहार है. इस की सब से बड़ी बुराई यह है कि खुशियां मनाने के लिए लोग पटाखों और फुलझडि़यों का सहारा लेते हैं, जिन से धुंआ निकलता है और वह वातावरण में फैल लोगों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है जो सांस की बीमारी के मरीज होते हैं. इन में बच्चे, बूढ़े और जवान सभी होते हैं.

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सांस की बीमारी के अलावा पटाखों की तेज आवाज कानों को भी नुकसान पहुंचाती है, जिसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है. ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए ही अस्पतालों और स्कूलों के क्षेत्रों को साइलैंस जोन बनाया जाता है. यहां पर तेज आवाज में हार्न बजाना मना होता है.

जब लोग तेज आवाज के पटाखे, बम और दूसरी चीजें फोड़ते हैं, तो अपना मुंह दूसरी ओर कर के कान पर हाथ रख लेते हैं. इस का मतलब यह होता है कि यह आवाज उन्हें भी अच्छी नहीं लगती है, जो साबित करता है कि जरूरत से ज्यादा तेज आवाज कानों के लिए ठीक नहीं.

सोचने की बात यह है कि जब हमारे कानों को कोई चीज अच्छी नहीं लगती है तो वह दूसरों को कैसे अच्छी लगेगी? इसलिए तेज आवाज के पटाखे नहीं चलाने चाहिए. पटाखे चलाने वालों को ही नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि उन्हें भी पहुंचाते हैं जो इन्हें बनाते हैं. पटाखों के बनाने में बारूद का इस्तेमाल होता है, बनाने वालों के हाथों को नुकसान पहुंचाता है. इस के अलावा जब यह बारूद नाक के रास्ते फेफड़ों तक पहुंचता है, तो गंभीर बीमारी का शिकार बना देता है.

दीवाली में खुशियां मनाने का दूसरा तरीका बिजली की रोशनी करने का है. इस के लिए लोग भारी संख्या में बिजली की झालरें, बल्व और दूसरे सजावटी सामान का प्रयोग करते हैं. इस में सब से बड़ी बात यह है कि लोग एकदूसरे की देखादेखी अपने घर पर ज्यादा से ज्यादा रोशनी करना चाहते हैं. इस के लिए बिजली जलाते हैं. इस से बिजली का खर्च बढ़ जाता है. इस का प्रभाव यह होता है कि बिजली सप्लाई में तो परेशानी आती ही है, बिजली उन जगहों पर भी नहीं जा पाती है, जहां उस की सख्त जरूरत होती है. बहुत सारे अस्पतालों, औफिसों, रेलवे स्टेशनों और बाजारों को भी बिजली नहीं मिल पाती है.

रंगोली में करें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग

रंगोली बनाने के लिए प्राकृतिक चीजों का ही प्रयोग किया जाए. इस के लिए फूलों और पत्तियों का प्रयोग कर सकती हैं. चावल को रंगने के लिए भी हलदी का प्रयोग करें. हरे रंग के लिए पत्ती का प्रयोग करें. पत्तियों को महीन काट लें. इन का इस्तेमाल रंगोली को आकर्षक रूप देने के लिए कर सकती हैं. इसी तरह अलगअलग रंगों के फूलों को भी महीनमहीन काट कर रंग की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है.

ईको फ्रैंडली दीवाली मनाने के लिए बनाए गए रंगों का बहिष्कार करें. इन रंगों को बनाने में कैमिकल का प्रयोग किया जाता है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक होता है.

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लखनऊ में रहने वाली रंगोली कलाकार ज्योति रतन कहती हैं कि प्राकृतिक रंगों से आकर्षक और हानिरहित रंगोली बनाई जा सकती है. रंगोली में उस की डिजाइन और रंगों का प्रयोग ही महत्त्वपूर्ण होता है. आज तरहतरह के फूल मिलने लगे हैं, जिन से रंगबिरंगी रंगोली बनाई जा सकती है.

इस तरह की बातों का खयाल रख कर ईको फ्रैंडली दीवाली मनाई जा सकती है. इस के साथसाथ खाने के सामान को बनाते समय भी इस बात का खयाल रखें कि इस में सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों का प्रयोग न हो.

फेस्टिवल स्पेशल 2019: घर पर बनाएं रवा रोल

फेस्टिवल्स की बात की जाए तो अलग-अलग डिश सभी को पसंद आती है. इसलिए आज हम आपको टेस्टी रवा रोल की रेसिपी के बारे में बताएंगे, जिसे आप आसानी से बिना किसी मिलावट के घर पर बना सकते हैं.

हमें चाहिए

-1/2 कप दूध

-1 बड़ा चम्मच चीनी

-3 चम्मच खोया

-2 बड़े चम्मच कंडैंस्ड मिल्क.

बनाने का तरीका

कड़ाही में दूध गरम कर उस में सूजी डालें और गाढ़ा होने तक पकाएं. इस की लोइयां बना कर प्लास्टिक की 2 परत के बीच में पतला बेल लें. डेढ़ इंच चौड़ी पट्टी काटें. खोया और कंडैंस्ड मिल्क को मिला लें. सूजी की पट्टी के ऊपर खोया और कंडैस्ड मिल्क का मिश्रण लगाएं. एक सिरे से रोल कर फ्रिज में ठंडा कर सर्व करें.

नींद बिगड़ी तो सेहत बिगड़ी

हो सकता है कि बहुतेरे लोगों की तरह आप भी आरामदायक नींद की बात को गंभीरता से न लें. हो सकता है कि आप के लिए भी अनिद्रा कोई छोटीमोटी ही बात हो. लेकिन ऐसा सोचना ठीक नहीं है. विशेषज्ञों के अनुसार लगातार ठीक से नींद न लेने की वजह से दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. खासतौर से युवाओं में यह परेशानी काफी देखी जा रही है. अनियमित जीवनशैली, असमय खानपान और ठीक से न सो पाने की वजह से अनिद्रा के दुष्प्रभाव बढ़ रहे हैं. और यह तथ्य भी सामने आया है कि ज्यादातर लोग अच्छा मैट्रैस न होने की वजह से ठीक से सो नहीं पाते. उन्हें कमर, पीठ, गरदन, कूल्हे आदि में दर्द की भी शिकायत रहने लगती है.

दरअसल, ज्यादातर लोग ठीक से नींद न आने की वजह के पीछे अच्छे मैट्रैस के न होने की बात को समझ नहीं पाते हैं. लोगों का ध्यान इस बात पर भी नहीं जाता कि अनिद्रा के चार पैटर्न होते हैं, जिस में से एक बिस्तर का ठीक न होना भी है. हमारे स्लीपिंग पैटर्न से ही हमारे शरीर की बाकी कई चीजें निर्धारित होती हैं. स्लीपिंग पैटर्न सही करने के लिए सही मैट्रैस का चुनाव बेहद जरूरी है.

कैसे-कैसे मैट्रैस

क्या आप को पता है कि अपने जीवन का एकतिहाई हिस्सा हम मैट्रैस पर सो कर बिताते हैं? बाजार में विभिन्न प्रकार के मैट्रैस मौजूद हैं, जिन के बारे में हम आप को जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं.

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मैमोरी फोम मैट्रैस

यह आधुनिक प्रकार के मैट्रैस फोम मैमोरी से बनाए जाते हैं जो मोल्डेबल मैटीरियल से बने होते हैं और जो तापमान और वजन के अनुसार प्रतिक्रिया करते हैं. इस का मतलब कि यह आप के वजन के आकार के अनुसार ढल जाएगा. आप के वजन को समाहित कर लेगा और जोड़ों के दबाव से मुक्ति देगा. यह ऐसे लोगों के बेहतरीन मैट्रैस है, जिन लोगों को कमर दर्द रहता है.

लैटेक्स मैट्रैस

जैसे कि इस के नाम से ही ज्ञात होता है कि यह मैट्रैस लैटेक्स फोम से बना होता है. यह लंबे समय तक चलने वाला मैट्रैस है. लैटेक्स मैट्रैस ऐलर्जी या अस्थमा से पीडि़त लोगों के लिए अच्छा विकल्प है.

इनरस्प्रिंग मैट्रैस

इस इनरस्प्रिंग मैट्रैस में स्टील कोइल सपोर्ट सिस्टम होता है. इनरस्प्रिंग मैट्रैस पैडिंग (गद्दी) और अप्होल्स्टरी से ढका होता है, साथ ही जिस में बहुत सारी फोम, फाइबर और छोटी स्टील स्प्रिंग लेयर भी जुड़ी होती है.

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हाइब्रिड मैट्रैस

हाइब्रिड मैट्रैस एक से अधिक फोम के प्रकारों जैसे पालीयुरथेन, मैमोरी और लैटेक्स के साथ स्टील कौइल सपोर्ट सिस्टम से जुड़ा होता है.

ऐअरबैड

ऐअरबैड, ऐयर चैंबर का समायोजन कर समर्थन प्रणाली के रूप में प्रयोग करते हैं. जैसे कि कैंपिंग (शिविरों) में गद्दों का प्रयोग किया जाता है. इन्हें ऐअरबैड मौडिंग और अप्होल्स्टरी मैटीरियल से ढका जाता है, जिस में विभिन्न फोम और फाइबर मौजूद होते हैं.

वाटर बैड

वाटर बैड में वाटर चैंबर को समर्थन प्रणाली के रूप में प्रयोग किया जाता है. वाटर बैड 2 प्रकार के होते हैं- हाई साइड और सौफ्ट साइड वाटर बैड.

समझदारी से करें खरीदारी

दिनभर की भागदौड़ और थकान के बाद अच्छी नींद से अच्छा कुछ नहीं होता पर यह तभी संभव है जब आप के बैड के मैट्रैस अच्छे हों. बाजार में बहुत तरह के मैट्रैस उपलब्ध हैं. ऐसे में हम तय नहीं कर पाते कि अपने लिए कैसे मैट्रैस का चुनाव करें? हम आप को ऐसे आसान उपाय बता रहे हैं जिन की मदद से आप सही मैट्रैस खरीद सकते हैं.

सही मौडल चुनें

यह तो हम सभी जानते हैं कि अच्छी नींद के लिए अच्छा मैट्रैस होना चाहिए. इसलिए बाजार में मैट्रैस खरीदने जा रहे हैं, तो मौडल के बारे में अच्छे से रिसर्च कर के ही जाएं.

डिजाइन और आराम पर भी दें ध्यान

मैट्रैस खरीदने जा रहे हैं, तो डिजाइन और आराम को ध्यान में अवश्य रखें. आज बाजार में विभिन्न डिजाइन के मैट्रैस मौजूद हैं. अपनी आवश्यकता को ध्यान में रख कर ही मैट्रैस का चुनाव करें.

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मैट्रैस की क्वालिटी

मैट्रैस पर आराम मैट्रैस के बेस पर निर्भर करता है. इसलिए सुकून भरी नींद सोना चाहते हैं, तो सही बेस वाले मैट्रैस का चुनाव काफी जरूरी है. फोम व जूट के बेस वाले मैट्रैस ज्यादा चलन में हैं. इस के अलावा आप को कमर दर्द की शिकायत है, तो इस से बचने के लिए बड़े साइज का मैट्रैस चुनें.

स्वास्थ्य या एलर्जी का भी रखें ध्यान

कई लोगों को धूल से एलर्जी होती है. ऐसे लोगों के लिए अलग प्रकार के मैट्रैस डिजाइन किए जाते हैं, जिन्हें आप अपने लिए खरीद सकते हैं.

मैट्रैस खरीदते समय बजट पर ध्यान देना भी जरूरी है. मैट्रैस खरीदने से पहले औनलाइन या मार्केट में जा कर मैट्रैस के रेट के बारे में पता करें और साथ ही इस के उपकरण, मौडल आदि के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें.

-पूजा भारद्वाज

 

उनकी जरूरत आपका उपहार और बहुत सारा प्यार

कोई हमारी जिंदगी में कितना महत्वपूर्ण है इसे हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते, क्योंकि अहसासों की जुबां नहीं होती. उन्हें तो बस महसूस किया जाता है एकदूसरे के प्रति लगाव और विश्वास के जरीए. आप कितना खयाल रखते हैं किसी का, कितनी शिद्दत से याद करते हैं इसे जताने का एक खूबसूरत मौका होता है त्योहार. खासकर दीवाली वह समय है जब आप दिल के रिश्तों को प्यार की रोशनी से संवार सकते हैं.

दीवाली जानी जाती है आतिशबाजी और रोशनी की बहार के साथसाथ दिलों को जोड़ते उपहारों के लिए. उपहार न हो तो बात नहीं बनती. दीवाली के मौके पर आप अपने करीबियों, रिश्तेदारों, मित्रों, पड़ोसियों को उपहार दे कर अपने रिश्ते की नींव मजबूत बनाते हैं. दीवाली का उपहार देते वक्त सामने वाले की जरूरत का खास खयाल रखना जरूरी होता है.

1. जब चुनना हो गिफ्ट

बजट तय करें-  उपहार का चुनाव करने से पहले जरूरी है उस के लिए अपना बजट तय करना. जरूरी नहीं कि बेहद कीमती तोहफा ही अच्छा हो. उपहार में देने वाले की भावना ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती है. इसलिए अपनी जेब के अनुसार ही तोहफे का चुनाव करें. बेकार की चीजें उपहार में देने की मात्र औपचारिकता निभाने से बेहतर है कि 2-3 लोगों के बजट को मिला कर कोई अच्छा और उपयोगी उपहार दिया जाए. या फिर सस्ती, मगर काम की चीज गिफ्ट की जाए.

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2. उम्र के अनुसार हो उपहार

छोटे बच्चों को सौफ्ट टौएज पसंद आते हैं तो थोड़ा बड़े बच्चे इलैक्ट्रौनिक टौएज से खेलना पसंद करते हैं. इसी तरह कालेज जाने वाली लड़कियों को उपहार में कोई मेकअप प्रोडक्ट, आर्टिफिशियल ज्वैलरी, स्टोल या सनग्लासेज दिए जा सकते हैं तो किसी शादीशुदा दोस्त को परफ्यूम सैट, पिक्चर फ्रेम या घर का कोई सजावटी सामान उपहार में देना अच्छा रहेगा. हर उम्र की अपनी पसंदनापसंद और जरूरतें होती है.

3. उस की रुचि में हमारी खुशी

हर व्यक्ति की अपनी अलग पसंद होती है. अपने उपहार को खास बनाने के लिए जरूरी है कि आप सामने वाले की पसंदनापसंद और रुचि के अनुसार ही उपहार चुनें. ध्यान दें कि वह अकसर कौन से रंग पहनना पसंद करता है, उस की पसंदीदा गतिविधियां क्या हैं, उस के घर की सजावट कैसी है, उस का पसंदीदा साहित्य या खेल कौन सा है, उसी हिसाब से आप उस के लिए उपहार का चुनाव करें.

4. समझते हैं आप की जरूरत

आप यदि रिश्तों में मिठास और प्यार बढ़ाना चाहती हैं तो दीवाली से बेहतर कोई दिन नहीं हो सकता. पत्नीबच्चे और मांबाप हों या फिर दोस्त या रिश्तेदार, किसी की कोई तकलीफ या कमी यदि आप लंबे समय से महसूस कर रहे हैं तो दीवाली के दिन वह चीज उपहार में दे कर रिश्तों में नई रोशनी फैला सकती हैं. इस से सामने वाला यह समझ पाएगा कि आप उस की कितनी परवाह करती हैं और वह भावनात्मक जुड़ाव महसूस करने लगेगा.

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फेस्टिवल स्पेशल 2019: जब लगना हो खास तो ऐसे करें मेकअप

फेस्टिवल के खास मौके पर हर महिला चाहती है कि वह अपने जीवन-साथी के सामने परफेक्ट दिखे. युवा, उद्यमी मेकअप आर्टिस्ट और ब्रश एन ब्लशर की संस्थापक कोमल अग्रवाल ने करवा चौथ पर उचित तरीके से मेकअप करने के कुछ टिप्स साझा किए हैं :

1. रेडिएंट स्किन

स्किन को स्वस्थ रखने और इसमें चमक बनाए रखने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप अधिक से अधिक पानी पीएं. मुल्तानी मिट्टी के साथ शहद वाले घर में बने घरेलू पैक का इस्तेमाल करें. अपने रोजाना की डाइट में फल और हरी सब्जियां लें.

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2. मेहंदी

मेहंदी मोहब्बत की पहचान है, क्योंकि इसके रंग की गहराई ये बताती है कि पति अपनी पत्नी को कितना प्यार करता है. अपने हाथों और पैरों को और अधिक सुंदर बनाने के लिए आप वैक्सिंग, मैनिक्योर, पेडिक्योर आदि भी करा सकती हैं. नाखूनों के लिए बहुप्रचलित नेल आर्ट की ओर भी आप रुख कर सकती हैं.

3. हेयरडू

आज बालों को रंगने का चलन है. अपने चेहरे के आकार और उसके टोन के हिसाब से बालों का रंग चुनें. आपके परिधान के मुताबिक आपका हेयरस्टाइल बन, ब्रेड, कर्ल आदि आकार वाला हो सकता है. उपयुक्त हेयर एक्सेसरीज का इस्तेमाल करके आप अपने हेयर स्टाइल में चार चांद लगा दे सकती हैं. साधारण और आंखों को भा जाने वाले लुक के लिए आप बालों को हल्का कर्ल कर सकती हैं या इसे सीधा रख सकती हैं.

4. आई मेकअप

रंगीन या सबका ध्यान खींचने वाले रंग के आई लाइनर का इस्तेमाल करें. आप डबल आई लाइनर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. पहले साधारण ब्लैक लाइनर का इस्तेमाल करें और फिर उसके ऊपर रंगीन लाइनर का. अगर आप वाकई आई शैडो का इस्तेमाल करना चाहती हैं तो फिर आप कच्चे रंग को चुनें या फिर उसके ऊपर भूरा या काले रंग का इस्तेमाल स्मूक के तौर पर करें. आंख के बीचो-बीच कुछ ऐसे रंग का इस्तेमाल करें जो सबका ध्यान खींचे.

5. चेहरे का मेकअप

चेहरे पर फाउंडेशन एकसार लगाएं जिससे कि आपका मेकअप ज्यादा भड़कीला नहीं लगे. इसके बाद कौम्पैक्ट पाउडर से टचअप करें.

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6. होंठ

लिप्स यानी होंठ हमेशा ही आपके लुक को पूरा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. मरून और लाल रंग की लिपिस्टिक का इस्तेमाल यहां न करें. किसी दूसरे मुख्य रंगों में से एक को चुनें, जैसे गहरा भूरा, बरगंडी ताकि आप कुछ अलग और आकर्षक लग सकें.

सौजन्य-लैक्मे सैलून 

फेस्टिवल स्पेशल 2019: शिल्पा शेट्टी की ये साड़ियां करें ट्राय

बौलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी कुंदरा अक्सर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपनी फोटोज शेयर करती रहती हैं, जिनमें 44 साल की उम्र में भी उनका फैशन साफ नजर आता है. शिल्पा की साड़िया हर किसी को पसंद आती हैं. वहीं फेस्टिवल्स की बात करें तो शिल्पा की साड़िया हर फेस्टिवल के लिए परफेक्ट है. जल्द ही करवाचौथ आने वाला है अगर आप भी इस करवाचौथ साड़ियों का नया फैशन ट्राय करना चाहते हैं तो शिल्पा की ये साड़ियां और लुक दोनों परफेक्ट है. तो आइए आपको बताते हैं शिल्पा की साड़ियों के ये लुक ट्राय कर सकते हैं.

1. यैलो साड़ी है परफेक्ट

अगर आप इस फेस्टिवल यैलो कलर ट्राय करना चाहती हैं तो शिल्पा की ये साड़ी आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. यैलो कलर की डौटेड साड़ी के साथ ट्रैंडी ब्लाउज आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो आप इस साड़ी के साथ कौम्बिनेशन में गोल्डन झुमके ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक को परफेक्ट बनाएगा.

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2. पिंक का कौम्बिनेशन करें ट्राय

अगर आप इस फेस्टिवल कुछ नया, लेकिन ट्रैंडी ट्राय करना चाहते हैं तो पिंक कलर की कौटन साड़ी के साथ डार्क ब्लू के कौम्बिनेशन वाला ब्लाउज ट्राय करें. ये आपके लुक को ट्रेंडी लुक देगा. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो आप पिंक कलर वाली जंक ज्वैलरी या मिरर ज्वैलरी ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा.

3. रफ्फल लुक करें ट्राय

अगर आप कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो रफ्फल लुक ट्राय करना न भूलें. रफ्फल लुक आजकल मार्केट में पौपुलर है. पिंक कलर की रफ्फल साड़ी के साथ आप शाइनी रफ्फल ब्लाउज ट्राय कर सकती हैं. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो इसके साथ लाइट गोल्डन कलर के कौम्बिनेशन वाले झुमके परफेक्ट रहेंगे.

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4. रेड कलर है परफेक्ट

अगर आप करवाचौथ के लिए रेड कलर ढूंढ रही हैं तो शिल्पा की ये सिंपल रेड साड़ी के साथ ट्रेंडी ब्लाउज वाला ये लुक जरूर ट्राय करें. ये ट्रेंडी के साथ-साथ ट्रेडिशनल भी है. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो आप इसके साथ चेन वाले इयरिंग्स ट्राय कर सकती हैं.

गुंडों से ‘नायरा’ को नहीं बचा पाएगा ‘कार्तिक’, दोनों हो जाएंगे किडनैप

स्टार प्लस के सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के लीड एक्टर मोहसीन खान यानी ‘कार्तिक’ ने हाल ही में शो के सेट से एक फोटो शेयर करते हुए धमाकेदार ट्विस्ट की जानकारी दी थी, लेकिन आज हम आपको ‘कार्तिक’ की छोटी सी जानकारी का पूरा सच बताने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा ‘कार्तिक-नायरा’ की लाइफ में आने वाला धमाकेदार ट्विस्ट…

एक-दूसरे के करीब आ जाएंगे नायरा-कार्तिक

आज के एपिसोड में आप देखेंगे कि कैसे ‘कार्तिक और नायरा’ गरबा के दौरान एक-दूसरे के करीब आ जाएंगे. दूसरी तरफ ‘वेदिका’, ‘नायरा’ को करंट से बचाने के लिए परेशान होती दिखेगी. इस दौरान ‘नायरा और कार्तिक’ को एक-दूसरे में खोया देख वो समझ नहीं पाएगी कि क्या करें.


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‘नायरा’ की जान बचाएगा ‘कार्तिक’

आखिरकार ‘वेदिका’, ‘कार्तिक’ को इशारा करेगी और वो टाइम रहते ही ‘नायरा’ को बचा लेगा. एक बार फिर दोनों करीब आ जाएंगे. जिसके बाद ‘वेदिका’ रोते हुए वहां से चली जाएगी.

किडनैप हो जाएंगे ‘कार्तिक-नायरा’

इसी दौरान कुछ गुंडे ‘नायरा’ को किडनैप करने की कोशिश करेंगे. लेकिन तभी ‘कार्तिक’ वहां आ जाएगा और उनकी पिटाई करने की कोशिश करेगा लेकिन गुंडे ‘नायरा’ के साथ-साथ ‘कार्तिक’ को भी किडनैप कर लेंगे.

‘कार्तिक’ की वकील के पास आया ‘नायरा’ के खिलाफ सबूत

कल के एपिसोड में आप देखेंगे कि ‘कार्तिक’ की वकील ‘दामिनी मिश्रा’ के हाथ एक ऐसा सुबूत लगा है. जिसे वो ‘नायरा’ के खिलाफ इस्तेमाल करके आसानी से ‘कायरव’ की कस्टडी का केस जीत जाएंगी.

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कार्तिकने फैंस को किया था हैरान

सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में ‘कार्तिक’ के रोल में नजर आने वाले मोहसीन खान ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी शेयर की थी, जिसमें वह खून से सने हुए नजर आ रहे थे. फोटो में खास बात ये थी कि मोहसीन ने फोटो पर मैसेज लिखा है कि जल्द ही कुछ नया होने वाला है.

बता दें, शो में जल्द ही ‘कार्तिक’ को ‘कायरव’ की कस्टडी मिल जाएगी और ‘नायरा’ अकेली पड़ जाएगी, जिसके चलते ‘नायरा’ घर से कहीं दूर चली जाएगी. वहीं ‘नायरा’ के गायब होने से परेशान ‘कार्तिक’ अपने आप को कसूरवार ठहराएगा.

जोया अख्तर के साथ पारिवारिक फिल्मों में काम करना चाहती हूं – सायली संजीव

मध्यम वर्गीय परिवार में पली बड़ी हुई मराठी अभिनेत्री सायली संजीव को बचपन से ही अभिनय का शौक नहीं था, लेकिन एक नाटक में उनके अभिनय की तारीफों से वह इस क्षेत्र में आई. सायली औडिशन देते-देते थक चुकी थी और कुछ दूसरा काम करने की मन बना रही थी, तभी उसे मराठी धारावाहिक ‘काहे दिया परदेस’ में गौरी की भूमिका मिली और वह हर घर में स्थापित हो गयी. इसके बाद से उसे पीछे मुडकर देखना नहीं पड़ा. अभी उसकी दो मराठी फिल्में एक के बाद एक रिलीज हो रही है. उनसे बात करना रोचक था पेश है, उनकी कहानी उन्ही की जुबानी.

सवाल- आपको इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद मैंने एक नाटक में अभिनय किया, वहां के एक निर्णायक ने मुझे मराठी निर्देशक प्रवीण तरडे से मिलने के लिए कहा, उनके हिसाब से मेरा चेहरा पर्दे पर अधिक अच्छा दिखाई देगा. इससे पहले मैंने कभी भी अभिनय के बारें में सोचा नहीं था. मैं पोलिटिकल साइंस पढ़ रही थी और पोलिटिकल एनालिस्ट बनना था.मैंने हॉबी के तौर पर इस नाटक में अभिनय किया था, लेकिन सबकी तारीफे और पुरस्कार मिलने से मैंने इस क्षेत्र के बारें में सोचना शुरू किया और धारावाहिकों में काम करने के लिए ऑडिशन देने लगी. कई जगह मुझे लोगों ने पसंद भी किया, पर अंत में किसी और को ले लिया ऐसा करने पर मैंने इस क्षेत्रको छोड़ देना ही बेहतर समझी, तभी मुझे मराठी धारावाहिक ‘काहे दिया परदेस’ के लिए मेरे पास औडिशन के लिए फोन आया, मैंने औडिशन दी और चुन ली गयी.

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सवाल- परिवार का सहयोग कितना रहा?

मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूं और माता-पिता की इच्छा थी कि पढ़ाई कर मैं कुछ अच्छी नौकरी कर लूँ,क्योंकि इंडस्ट्री कैसी होगी कैसा काम आगे मिलेगा इसकी चिंता उन्हें थी. मैंने उन्हें भरोसा दिलाया और चिंता न करने के लिए कही. पहली शो के बाद से ही लोग मुझे पहचानने लगे थे, इससे उनका नजरिया इंडस्ट्री के प्रति बदल गया था. अभी वे मुझे किसी भी बात के लिए मना नहीं करते, लेकिन तब उनको समझाना मुश्किल था.

सवाल-आपने नाटकों, टीवी और फिल्मों में काम किया है, किस विधा को अधिक एन्जौय करती है?

मैंने नाटकों और टीवी शो के अलावा 7 मराठी फिल्मों में भी अभिनय कर चुकी हूं, जो एक के बाद एक रिलीज होने वाली है. नाटको में मैंने कम काम किया है, लेकिन उसकी सजीवता को मैं पसंद करती हूं. फिल्मों में 3 घंटे के अंदर अपने चरित्र को कैमरे के आगे लाना पड़ता है. टीवी शो काफी अलग है, हर दिन एक ही चरित्र को निभाना पड़ता है और चरित्र को बनने में समय लगता है. मुझे तीनों विधाएं पसंद है.

सवाल-कौन सी ऐसी शो जिसने आपकी जिंदगी बदल दी?

धारावाहिक ‘काहे दिया परदेस’ ने मेरी जिंदगी बदल दी. इस शो से मेरी पहचान बनी. मैं घर-घर में दर्शकों के बीच में स्थापित हो गयी. इससे पहले सायली संजीव कौन है, किसी को पता नहीं था. नाम और कैरियर इसी शो की वजह से बना है.

सवाल-समय मिलने पर क्या करती है?

मैं समाचार देखती हूं और दूसरे शो या वेब सीरीज भी देखती हूं, ताकि और अच्छी अभिनय कर सकूं.

सवाल-आगे क्या करने की इच्छा है?

अभी एक अच्छी जर्नी चल रही है और मुझे काम में खुशी मिल रही है. आगे इन सभी फिल्मों के रिलीज होने पर सबकी प्रतिक्रिया सुनने की इच्छा है.

सवाल-क्या हिंदी फिल्मों में भी काम करने की इच्छा है?क्या ड्रीम है?

मुझे जोया अख्तर के साथ काम करने की इच्छा है. उनकी फिल्म ‘दिल धड़कने दो’ मुझे बहुत अच्छी लगी थी, मैं वैसी ही पारिवारिक फिल्म उनके निर्देशन में करना चाहती हूं.

सवाल-क्या कभी कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ा?

मुझे कभी गलत बातों का सामना नहीं करना पड़ा. जो लोग मुझे मिले, उन्होंने हमेशा मुझे कुछ अच्छा ही दिया है.

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सवाल-आप कितनी फैशन पसंद करती है?

मैं बहुत अधिक फैशन नहीं करती, पर जरुरत के अनुसार ड्रेस पहनती हूं. मेरे फ्रेंड ही मेरे स्टाइलिस्ट है. सोनिया, त्रिशला और आरती ये तीनों मिलकर मेरे ड्रेस बनाते है. ये कौटन साड़ियों को बहुत अच्छे से स्टाइल करती है.

सवाल-त्यौहारों को कैसे मनाना चाहती है?

जबसे मुझमें समझ आई है, मैं त्यौहारों को इकोफ्रेंडली तरीके से मनाना चाहती हूं. सबका ध्यान रखते हुए त्योहारों को मनाने में विश्वास करती हूं. बड़ी होने के बाद मैंने दिवाली पर कभी पटाखे नहीं जलाएं है, क्योंकि इसके धुएं से पोल्यूशन फैलता है, लोग बीमार पड़ते है. हर त्यौहार मुझे पसंद है.

वर्तमान को अच्छी तरह जीने का प्रयत्न करता हूं – फरहान अख्तर

17 वर्ष की उम्र से सहायक निर्देशक के रूप में काम कर चुके निर्देशक ने फिल्म ‘रौकवन’ से फिल्मों में अभिनय करना शुरू किया. फ़िल्मी परिवार में पैदा होने के बावजूद उन्होंने परिवार के किसी का सहारा नहीं लिया और अपने बलबूते पर इंडस्ट्री में पहचान बनायी. वे आज एक निर्माता,निर्देशक के साथ-साथ अभिनेता, पटकथा लेखक और गायक भी है. उन्होंने जिंदगी जैसे आई, वैसे जीते गए. इस दौरान सफलता और असफलता का दौर भी उन्होंने देखा, पर अधिक ध्यान नहीं दिया. वे अभी दो बेटियों के पिता है और उनकी आगे आने वाली फिल्म ‘द स्काई इज पिंक’ में भी वे एक टीनएजर्स बेटी के पिता की भूमिका निभा रहे है. उनसे मिलकर बात करना रोचक था पेश है कुछ अंश.

सवाल- स्काई हमेशा ब्लू होता है, लेकिन इसमें पिंक कहा गया है, इसका अर्थ आपकी नजर में क्या है?

ये एक कहानी है, जिसमें एक माता-पिता को अपनी बेटी की लाइलाज बीमारी का पता चलने के बाद भी कैसे उस बेटी के साथ वे जिंदगी को गुजारते है, वह भी सकारात्मक रूप में, इसे दिखाने की कोशिश की गयी है.

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सवाल- इस फिल्म में एक भावनात्मक पहलू को दिखाया गया है, क्या आप कभी इस तरह के इमोशनल ट्रैक से गुजरे है? खुद बेटी के पिता होने के नाते इससे अपने आपको कितना जोड़ पाते है?

ये एक बहुत ही अलग तरीके की इमोशन है, जिसे सोचकर भी मुझे डर लगता है, किसी के बच्चे के साथ ऐसा कभी भी न हो ,ऐसा मैं सोचता हूं, क्योंकि इस फिल्म में ऐसी बीमारी को दिखाया गया है, जिसकी कोई इलाज नहीं है. ऐसी स्थिति कभी भी किसी के साथ हो सकता है कि उसका बच्चा उसे छोड़कर चला जाएँ. मैंने जब इस कहानी को सुना था, तो लगा था कि ये हैवी फिल्म होगी, लेकिन निर्देशक ने इसे बहुत ही संजीदगी से दिखाने की कोशिश की है, जो मुझे अच्छी लगी. जाहिर सी बात है कि इस तरह की फिल्में लोगों को प्रेरित करेगी. इस कहानी से कोई भी रिलेट नहीं करना चाहेगा और कर भी नहीं सकता. इस कहानी से ये प्रेरणा मिलती है कि जिंदगी कभी न कभी तो ख़त्म होगी ही. आज लोग सफलता और आगे निकलने की होड़ में भूल जाते है कि उनके पास जो है, वह कितना कीमती है, जो कुछ दिनों बाद ख़त्म हो जायेगा. उसे सेलिब्रेट करना कितना जरुरी है.

माता-पिता बच्चे की भलाई के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते है. 30 साल के होने पर भी वे हमेशा दुआ करते है कि उनके बच्चे को कुछ न हो और वे सुखी रहे. उससे मैं अपने आपको जोड़ सकता था, लेकिन कहानी कुछ और है, जिससे जुड़ने में मुझे समय लगा. मैं स्ट्रिक्ट पिता नहीं हूं.

सवाल-क्या आप हमेशा वर्तमान में रहने की कोशिश करते है?

मैं वर्तमान और भविष्य में सामंजस्य करता रहता हूं. समय के साथ-साथ मैंने जाना है कि वर्तमान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. मैंने देखा है कि सफलता और अच्छा काम करने की चाह में मैंने बहुत सारी चीजो को छोड़ दिया है. अब मैं पास्ट को अधिक नहीं देखता न ही भविष्य के बारें में अधिक सोचता हूं. वर्तमान को अच्छी तरह जीने का प्रयत्न करता हूं.

सवाल- क्या इस फिल्म ने आपकी सोच को बदल दिया है?

बहुत हद तक बदल दिया है. इस फिल्म को करते वक़्त मुझे पुरानी फिल्म ‘आनंद’ की याद आई, जिसमें कही गयी थी कि जिंदगी लम्बी नहीं बड़ी होनी चाहिए, उसे अनुभव किया.

सवाल- प्रियंका चोपड़ा के साथ आपकी दूसरी फिल्म है, जिसमें आप दोनों एक साथ अभिनय कर रहे है, कितनी सहजता रही है?

फिल्म ‘डौन’ से हमारी बौन्डिंग अच्छी रही है. हमने साथ-साथ कई बार घूमे है. वह पर्दे पर भी है. इसलिए काम करने में सहजता रही है.

सवाल-  परिवार के साथ आपकी बौन्डिंग कैसी है?

परिवार के साथ ही आप आगे बढ़ सकते है और हर रिश्ते को अहमियत और इज्जत देने की जरुरत होती है, तभी रिश्ता फलता-फूलता है. ये सब भी मैंने इस फिल्म के बाद से ही अधिक महसूस करने लगा हूं.

सवाल-सफलता और असफलता आपकी नजर में क्या है?

सफलता को सभी मिलकर मनाते है, जबकि असफल व्यक्ति के साथ कोई भी नहीं रहता. ऐसे में सही लोगों का आपके आस-पास रहना बहुत जरुरी है, जो आपको इस दौर से निकलने में मदद करें. हर किसी को असफल और सफलता के दौर से गुजरना पड़ता है.

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सवाल-आप काफी दिनों से निर्देशन नहीं कर रहे है, इसकी वजह क्या है?

मुझे क्रिएटिव काम पसंद है और मैंने बीच में निर्देशन बंद कर अभिनय किया, फिर अभिनय को रोक कर सिंगिंग शुरू किया. मेरे हिसाब से हर बात की एक समय होती है. जब आप वह करते है. मुझे जो नैचुरली आता है उसे करता जाता हूं.

सवाल- सामाजिक कार्य की दिशा में अभी क्या कर रहे है?

मेरी कोशिश हमेशा रही है कि जो भी काम करूं वह किसी न किसी रूप में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में हो. इसके अलावा संस्था ‘मर्द’ के साथ कुछ न कुछ एक्टिविटी करते रहते है. साथ ही फिल्मों के ज़रिये कुछ अच्छा करने की कोशिश हमेशा करता रहूंगा.

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