ब्रेकफास्ट में परोसें cheese सैंडविच

लोगों को हल्का और टेस्टी सैंडविच खाते हुए आपने देखा होगा. सैंडविच बिजी लाइफस्टाइल के लिए ब्रेकफास्ट में बेस्ट औप्शन होता है. इसीलिए आज हम आपको चीज ब्रेड सैंडविच के बारे में बताएंगे, जिसे आप ब्रेकफास्ट या इवनिंग स्नैक्स के रूप में खा सकते हैं. साथ ही अपनी फैमिली को भी खिला सकते हैं.

हमें चाहिए          

4 पीस ब्रेड

2 चम्मच पिज्जा सौस

2 चम्मच टमाटर सौस

2-3 चम्मच मोसेरोला चीज

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2-3 चम्मच स्वीट कौर्न

1 शिमला मिर्च

1 प्याज

1 टमाटर

1/2 चम्मच काली मिर्च पाउडर

1/2 चम्मच नमक

1-2 चम्मच फन फूड्स पिज्जा स्प्रेड

बनाने का तरीका

सबसे पहले दोनों ब्रेड में पिज्जा स्प्रेड लगाएं और फिर उसमे पिज्जा सौस, टमाटर सौस लगाकर प्याज, टमाटर, शिमला मिर्च, स्वीट कौर्न, मोसेरोला चीज को घिसकर उसमे भरे और ऊपर से एक चुटकी नमक और काली मिर्च डालकर दूसरी ब्रेड में भी सोसे लगाकर उसके ऊपर कवर करें.

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इसके बाद एक नौनस्टिक पैन को गैस पर रखें और उसे गरम होने दें, जब वह गरम हो जाये तो उसमें 1 चमच्च घी या बटर लगाएं और फिर उसके ऊपर ब्रेड का वो सैंडविच रखे, और कांच की प्लेट से ढक दे और 5 मिनट तक धीमी आंच पर सेके, 5 मिनट बाद उसे दूसरी साइड पर भी घी लगाकर 5 मिनट तक धीमी आंच पर ही सेकें. और फिर इसे सौस या चाय के साथ गरमा गरम परोसें.

टाइप्स औफ रूममेट्स

‘3 इडियट्स’ को देख कर राजू, फरहान और रैंचो जैसी दोस्ती किस को नहीं चाहिए थी. क्या जिंदगी थी उन की भी, यहां से वहां ‘भैया औल इज वैल’ गाते फिरना, रातरात भर यहां से वहां मटरगश्ती करना, किसी और की शादी में खाना खा कर आना और पकड़े जाने पर कान पकड़ना. यही तो मजा होता है रूममेट्स के साथ रहने का. लेकिन मेरी जिंदगी में ग्रहण तो तब लगा जब मैं कालेज के होस्टल में अपनी रूममेट से मिली. मेरी रूममेट बिलकुल भी वैसी नहीं थी जैसा मैं ने सोचा था.

मैं अपने रूम में घुसी तो देखा वह एक औरत, जोकि उस की मम्मी लग रही थी, के साथ बैड पर बैठी हुई थी. मैं ठहरी एक्स्ट्रोवर्ट जिसे नाचनागाना, धूम मचाना पसंद है. पर जब मैं ने उस की बातें सुनीं तो मुझे समझ आ गया कि इस की और मेरी तो कभी जमने नहीं वाली.

‘‘नहीं, मैं कहीं घूमूंगी नहीं,’’ रूममेट ने सामने बैठी आंटी से कहा.

‘‘अरे, बेटा, यही तो मौका है. कब तक ऐसी छुईमुई सी बनी बैठी रहेगी. यही तो समय है घूमनेफिरने का, थोड़ा बाहर निकल, मजे कर,’’ आंटी ने उसे समझाते हुए कहा.

‘‘मम्मी, नहीं न. मुझे यह सब पसंद नहीं है. आप छोड़ो न यह सब. आप की फ्लाइट का टाइम हो रहा है, जाओ आप.’’

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‘‘अच्छा, ठीक है, जैसा तू चाहे कर,’’ यह कहते हुए आंटी ने उसे गले लगा लिया.

मैं कोने में खड़ी यह दृश्य देख रही थी. सचमुच यह देख कर तो मेरी आंखों में आंसू आ गए. नहींनहीं, इसलिए नहीं कि दृश्य बहुत मार्मिक था, बल्कि इसलिए कि मुझे तो मेरे घर से यह कह कर भेजा गया था कि ज्यादा मटरगश्ती करने की जरूरत नहीं है दिल्ली में. और यहां देखो, माजरा ही अलग है. खैर, जातेजाते उस की मम्मी मुझे नमस्ते के साथ यह कह कर गई थी कि दोनों खूब मजे करना. अब उन आंटी को क्या कहूं कि आप की बेटी का मेरी रूममेट बनने भर से मेरा जीवन मजा से सजा के फेज में आ चुका है.

हालांकि, मैं उस रूममेट के साथ सिर्फ 5 महीने ही रही जिस में मेरा टाइम बाहर अपने दोस्तों के साथ बीतता था जबकि उस का रूम में पढ़तेपढ़ते. इस बार मेरी रूममेट मौजमस्ती करने वाली थी लेकिन अपनी सहेलियों के साथ. मैं जहां अपने बैड पर अपनी बुक ले कर पड़ी रहती, वहीं वह और उस की सहेलियां कचरमचर शोर मचाती रहतीं. इस रूममेट को भी मैं ने झेला ही था वैसे. और इस का साथ 2 सेमेस्टर तक ही चला.

चौथे सेमेस्टर तक मैं कुछ समझती न समझती, यह तो समझ ही चुकी थी कि रूममेट्स किसी भी टाइप के हों पर जो मुझे मिले उस टाइप के तो न हों. इस बार घर से वापस आ कर मैं ने कसम खा ली थी कि कुछ भी हो, पिछली 2 बारी जैसी रूममेट न हों. अगर वैसी हुईं तो मैं वार्डन के पैर पड़ जाऊंगी और रूममेट बदलवा कर छोड़ं ूगी. पर इस बार मेरी नई रूममेट कुछ अलग ही टाइप की थी. मतलब उस से 10 मिनट बात करते ही मेरे मन में मानो गाना बजने लग गया हो ‘जिस का मुझे था इंतजार, वो घड़ी आ गई आ गई है आज…’ वैसे थी तो वह मेरे जैसी ही लेकिन कुछ ज्यादा ही बकबक करती थी. पर मुझे उस की बकबक अच्छी लगती थी.

मुझे पहली 2 रूममेट्स के साथ रह कर अकेलेपन की आदत सी हो गई थी पर मेरी नई रूममेट मुझे शांत बैठने ही नहीं देती थी. हम साथ में खातेपीते, नाचतेगाते और सुखदुख बांटते. कालेज में उस का और मेरा बैच अलग था पर मेरी उस के दोस्तों के साथ और उस की मेरे दोस्तों के साथ खूब अच्छी जमती थी. ग्रैजुएट होने तक हम दोनों साथ ही रहे. उस ने और मैं ने विनती करकर के एकसाथ ही हर सेमेस्टर में रूम अलौट करवाया. पर जो बात मुझे आखिर में जा कर समझ आई वह यह थी कि इस बार मैं ने अपनी रूममेट की अच्छीबुरी सब आदतों को अपनाया था. वह सफाई नहीं करती थी तो मैं ही कर दिया करती थी.

यह तो थीं मेरी 3 अलगअलग टाइप की रूममेट्स. लेकिन रूममेट्स और भी कई टाइप की होती हैं जिन के साथ आप को कैसे न कैसे समय गुजारना ही होता है. कुछ ऐसे टाइप के रूममेट्स हैं जिन के बारे में आप को पता हो तो आप समझ जाएंगे कि आप को उन के साथ अपना टाइम कैसे बिताना है या उन से दोस्ती कैसे करनी है.

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पार्टी एनिमल

यह वह रूममेट है जिसे जब देखो तब पार्टी करने का मन होता रहता है. खासकर पीजी में रहने वाले रूममेट्स इस तरह के होते हैं. कभी ये रातरात भर भी वापस नहीं आते तो कभीकभी तो दिन में भी अपने सभी दोस्तों को बुला कर हुड़दंग मचाए रहते हैं. इस टाइप के रूममेट्स आप की नींद और प्राइवेसी में अकसर ही खलल डालते रहते हैं. इन्हें झेलने के लिए ज्यादा कुछ नहीं करना, बस, इन्हें एक बार बैठ कर समझा दीजिए कि पार्टी रूम में करनी हो तो आप से पूछ लें. कहीं ऐसा न हो कि आप का टेस्ट हो कालेज में और अपने ही रूम में आप पढ़ न पाएं.

उधारी वाला रूममेट

इस तरह के रूममेट्स अकसर ही कुछ न कुछ मांगते दिख जाते हैं, ‘भाई यार, कोई अच्छी शर्ट दे दे,’ ‘यार यह शूज पहन लूं आज, मेरे शूज फट गए हैं,’ ‘अपना डियो दिखइओ यार, मेरा खत्म हो गया,’ ‘गर्लफ्रैंड के साथ डेट है, 500 रुपए उधार दे दे न भाई.’ अगर आप को कभी ऐसे रूममेट्स मिल जाएं तो न कहने की आदत शुरू से ही डाल लीजिए. हालांकि, जब दोस्ती मजबूत हो जाती है तो इस तरह की उधारी बड़ी छोटी लगने लगती है. मगर जब उधारी हद से ज्यादा बढ़ जाए तो रोकना मुश्किल हो जाता है. बेहतर है कि इस मामले में शुरू से ही मना करना सीख जाएं.

खानाचोर

आप सुबह फ्रिज में अपनी फेवरेट आइसक्रीम रख कर जाएंगे, मगर शाम को उसे वहां नहीं पाएंगे, क्योंकि आप का खानाचोर रूममेट चुरा कर खा जाएगा. मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ था. मेरे घर से मेरे लिए केले के चिप्स आए थे जिन्हें मैं ने बड़ी खुशी से अपने बैड के साइड में रखे टेबल के ऊपर रखा था. मेरी रूममेट उस वक्त रूम में नहीं थी जब वह पार्सल आया था.

शाम के वक्त मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ घूमने निकल गई. मुझ से गलती यह हुई कि मैं उन चिप्स को छिपा कर रखना भूल गई. रात में जब मैं वापस लौटी तो मैं ने अपना चिप्स से भरा डब्बा बिलकुल खाली पाया. मन तो किया वही डब्बा उठा कर रूममेट के सिर पर मार दूं लेकिन मैं ने खुद को रोक लिया. खाना चोर रूममेट से बचने का एक ही इलाज है कि या तो उस से पहले ही सब शेयर कर के खाओ या अपना खाना छिपा कर रखना सीख जाओ.

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किताबी कीड़ा

इन रूममेट्स के हाथ में या तो हमेशा किताब दिखेगी या किताबों में ये घुसे दिखेंगे. ये वैसे तो क्लास के टौपर होते हैं लेकिन अपने दोस्तों को बखूबी समझते भी हैं. इन से आप को उस ज्ञान की प्राप्ति होती है जो न आप को कालेज के प्रोफैसर सिखाते हैं और न ही मातापिता.

आप यह कर सकते हैं कि इन्हें अपने साथ थोड़ा घुमाएंफिराएं और वापस आ कर खुद भी थोड़ा पढ़ लें जिस से चीजें समांतर हो जाएं. ये बोरिंग दिख सकते हैं पर असल में होते नहीं हैं.

कुएं का मेढक

जैसा कि नाम सुन कर ही पता चलता है, वह रूममेट जो हमेशा ही रूम में पड़ा रहता है. रूम से बाहर निकलना उसे फूटी आंख नहीं सुहाता. इस तरह के रूममेट्स को ‘चलो छोड़ दो उन के हाल पर,’ जैसी बातों के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि आगे बढ़ कर उन्हें अपने प्लांस में शामिल करना चाहिए. हां, एकदो बार वे आनाकानी करेंगे या मना करेंगे पर फिर मान भी जाएंगे. रूम में ही हमेशा रहने की कोई वजह तो जरूर होगी, आप जानने की कोशिश करेंगे तो हल भी निकल आएगा.

सफाईपसंद

इस तरह के रूममेट्स का बड़ा फायदा होता है. ये जितने सफाईपसंद आप का उतना फायदा. आप के हिस्से की सफाई भी ये कर देते हैं. हां, कभीकभी आप को परेशान भी बहुत करते हैं, ‘यह चीज यहां क्यों रखी है,’ ‘यार, अपना सामान उठा कर रख न,’ आदि. इन के प्रभाव से कुछ हो न हो पर आप सफाई करना तो सीख ही जाते हैं. हां, अगर कभी ये बहुत ज्यादा गुस्सा करें तो इन को इग्नोर कर अपना पलंग फैला कर चले जाएं, आनंद आ जाएगा आप को उस की शक्ल देख कर.

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प्यार का मारा

प्यार के मारे रूममेट के तो क्या ही कहने. आप इस बात से परेशान होंगे कि पलंग पर किस तरफ मुंह कर के सोएं कि हवा ज्यादा लगे और आप की रूममेट इस बात से परेशान होगी कि उस का बौयफ्रैंड आखिर उसे मैसेज क्यों नहीं कर रहा. फिर उस का कभी ब्रेकअप होगा तो आप को उस के आंसू भी पोंछने होंगे और जब पैचअप होगा तो अपना माथा भी पीटना पड़ेगा. यह तो प्यार के मारों के साथ चलता ही रहता है. आप को बस यह ध्यान रखना है कि उन का प्यार आप के लिए सिरदर्द न बन जाए. अपनी रूममेट से पहले ही कह दें कि जब आप रूम में हों तो वह अपने बौयफ्रैंड को न बुलाए, क्योंकि सिचुएशन कभीकभी औक्वर्ड भी हो सकती है.

एंग्री बर्ड

ये रूममेट्स इतने गुस्सैल होते हैं कि कभी तो ये अपना समान फेंक देते हैं या फिर किसी के बारे में बोलना शुरू करते हैं तो चुप ही नहीं होते. कभीकभी तो गालियां भी देते हैं. आप इन के गुस्सा होने के समय थोड़ा दूर ही रहें, तो बेहतर है. हां, जब गुस्सा शांत हो तो बात करें और उन्हें समझाएं जरूर.

गंदगीपसंद रूममेट

यह वह रूममेट होता है जिसे साफसफाई से कोई प्यार नहीं होता. इस के अंडरगारमैंट्स बाथरूम में टंगे मिलेंगे और पसीने की बदबू पूरे कमरे में फैली हुई. इस तरह के रूममेट न केवल आप के वातावरण को खराब करते हैं बल्कि आप के सिर में दर्द भी पैदा कर देते हैं. इन की लाख अच्छाइयां इन की इस एक बुराई के नीचे दबने लगती हैं. दोस्ती से हट कर आप को इन्हें कड़ी हिदायतें दे कर समझाने की जरुरत होती है कि वे अपनी यह बुरी आदत सुधार लें वरना आप या तो उन की शिकायत कर देंगी या फिर अपना रूम चेंज कर लेंगी.

सोतूमल रूममेट

ये रूममेट सोने के इतने आदि होते हैं कि सुबहशाम बस सोते हुए ही दिखते हैं. आप कालेज से यह मन बना कर आते हैं कि आज तो आकाशपाताल एक कर के पढ़ाई करनी है, पर इन्हें देख कर ही उबासी लेने लगते हैं. ये रूममेट सचमुच आप के और आप की पढ़ाई के बीच की सब से बड़ी बाधा हैं. इन्हें समझाने की कोशिश करें. अगर तब भी ये अपनी हर समय सोने की आदत न छोडे़ं तो हो सके तो किसी और दोस्त के रूम पर जा कर पढ़ लें या इन से किसी दोस्त के यहां घूम आने के लिए कह दें.

सिगरेट का आदी

ज्यादतर पीजी में रहने वाले लड़के सिगरेट के आदी होते हैं. ये खुद तो सिगरेट पीते हैं, साथ ही आप के आसपास के वातावरण को प्रदूषित भी कर देते हैं. आप इन से इतना परेशान हो जाएंगे कि कभीकभी लड़ाई भी हो सकती है. बेहतर यह होगा कि आप अपने रूममेट्स के लिए कुछ नियम बना दें और उन नियमों को लागू करें.

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पहला नियम तो यही हो कि स्मोकिंग हमेशा कमरे के बाहर हो. जो यह नियम न माने उस से बात न करें या साथ हैंगआउट करना छोड़ दें. सेहत अच्छी रखना इस उम्र में बहुत जरूरी है. साथ ही, सिगरेट के धुएं के बीच पढ़ाई करना बहुत मुश्किल है.

जब आने लगें अश्लील मैसेजेज

‘हाय प्रिया”

अजनबी नंबर से आए कौल पर किसी अपरिचित द्वारा अपना नाम लिए जाने पर वह थोड़ी चौकी जरूर थी फिर सोचा कि शायद कोई हो जो जानता हो मुझे. उस ने सवाल किया, “आप कौन?”

“आप के चाहने वाले और कौन?”

सामने वाले की आवाज में शरारत भरी खनक थी. न चाहते हुए भी वह बरबस बोल पड़ी,” चाहने वाले का कुछ नाम तो होगा.”

“जो नाम चाहे वह रख लीजिए. आप के नर्म, गुलाबी होठों पर हर नाम खूबसूरत लगेगा. ”

प्रिया ने उस की लच्छेदार बातों पर विराम लगाते हुए जल्दी से यह कहते हुए फ़ोन काट दिया कि मैं अजनबियों से बात नहीं करती.

पर यह क्या आधे घंटे के अंदर दोबारा उसी नंबर से फोन देख कर पिया थोड़ी असहज हो गई. फोन उठाती हुई कठोर स्वर में बोली, “हू  इज दिस ,डिस्टर्ब क्यों कर रहे हो?”

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“मैं तो दोस्ती कर रहा हूं.”

“पर मैं अजनबियों से दोस्ती नहीं करती.”

“अजनबी कहां अभी तो बात हुई थी आप से. जहां तक नाम की बात है तो लोग मुझे राज बुलाते हैं. यदि पहचान की बात है तो आप के ही किसी दोस्त से नंबर मिला है मुझे.”

“अच्छा बोलो क्या कहना चाहते हो?”

“बस यही कि आप की निगाहें दिल में खंजर जैसी घुस जाती है. कसम से आप सामने होती तो……. ”

“तो क्या ….. ”

इस के बाद थोड़ी मस्ती भरी ,थोड़ी नोकझोंक भरी, थोड़ी रोमांटिक और थोड़ी अश्लील बातों का दौर चल पड़ा. शुरुआत में नेहा को किसी अजनबी से यों बातें करने में संकोच लगा मगर उस के बिंदास अंदाज ने वह संकोच भी दूर कर दिया. अब तो नेहा को भी मजा आने लगा. वह युवक धीरेधीरे अश्लील बातों पर उतर आया.  एकदो बार नेहा ने डांटा मगर फिर बेपरवाह हो गई. अब तो दोनों मिलने भी लगे. फिर एक दिन नेहा को अपने घर पर बुला कर उस युवक ने दोस्तों के साथ मिल कर उस के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया.

इस तरह की घटनाएं अक्सर लड़कियों और महिलाओं के साथ होती हैं. कई बार विवाहित महिलाओ को भी ऐसे फेक कॉल्स करने वाले से बातें करने की लत लग जाती है जो आगे जा कर बड़ी परेशानी की वजह बनती है.

हाल ही में द्वारका सेक्टर-7 में रिटायर्ड विंग कमांडर की पत्नी मीनू जैन (52 ) की गत 25 अप्रैल को की गई हत्या और लूट के पीछे एक ऐसे अनजान शख्स दिनेश दीक्षित का हाथ माना जा रहा है जिस ने पहले तो मीनू जैन को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी. फिर दोस्ती करने के बाद उस के घर में घुस कर उस की हत्या कर दी और करीब 50 लाख के गहने और कैश ले कर गायब हो गया.

पुलिस के मुताबिक़ मोबाइल के डेटिंग ऐप के जरिए शादीशुदा महिलाओं से दोस्ती करने में उसे खास दिलचस्पी थी. वह फ़ोन पर अश्लील फोटो और मैसेज भेज कर उन्हें अपने जाल में फंसाने का प्रयास करता. इसी क्रम में उस ने मीनू को अपना शिकार बनाया था.

इसी तरह दिल्ली की 44 वर्षीया, 2 बेटों की मां सुधा स्वीकारती हैं कि वह भी एक ऐसे ही फेक फ़ोन कौल करने वाले की गिरफ्त में आ कर अपना सुखचैन और साथ में डेढ़ लाख रूपए गंवा चुकी हैं.

वह बताती हैं कि एक बार वह किसी रोंग नंबर से बात करने लगीं और बात करतेकरते उस के प्यार में पड़ गईं. उन के बीच यह रिश्ता काफी लम्बे समय तक चला. एक दिन मोबाइल पर बहुत घबराए आवाज में उस युवक ने नेहा से कहा कि उस की बहन का एक्सीडेंट हो गया है और तुरंत ऑपरेशन की जरुरत है. डॉक्टर ढाई लाख रूपए मांग रहे हैं. मगर इतनी जल्दी में वह डेढ़ लाख ही इंतजाम कर पाया है सो हो सके तो 1 लाख की हेल्प कर दे. सुधा उस से इमोशनली इतनी ज्यादा जुड़ चुकी थी की वह इंकार नहीं कर पाई और 1 लाख रूपए उस के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए. इसी तरह झांसा दे कर उस युवक ने सुधा से 50 हजार और निकलवा लिए. उस युवक की वजह से सुधा की अपने पति के साथ भी विवाद गहरे होने लगे. बाद में रूपए और सुखचैन गवाने के बाद सुधा को अहसास हुआ कि वह तो बुरी तरह ठगी गई है. युवक काम निकलने के बाद उस की दुनिया से गायब भी हो चुका था

इसी तरह अनजान शख्स कभीकभी महिलाओ को बदनाम करने का प्रयास भी करते है. लड़की या महिला द्वारा विरोध करने पर उसे मार डालने की धमकियाँ दी जाती हैं. जरा इन घटनाओं पर गौर करें;

अप्रैल 12, 2019

महरौली : एक राजनीतिक पार्टी से जुड़ा शख्स पवन (25 ) अपनी ही पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं से सोशल मीडिया पर दोस्ती करता. उन को अश्लील मेसेज और विडियो भेजता, गंदीगंदी बातें करता, खुद की भी अश्लील फोटो भेजता. महिलाएं विरोध करतीं तो हाथ में चाकू लिए फोटो भेज कर उन्हें और परिवार को जान से मारने की धमकी देता. सोशल मीडिया पर बारबार अपनी आईडी बदलता ताकि पकड़ में न आ सके. महरौली थाने की पुलिस ने उसे ट्रैक कर बुधवार को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी को कोर्ट ने जुडिशल कस्टडी में भेज दिया है.

मार्च 10, 2018

रांची की एक अदाकारा जो फिल्म एमएस धौनी: द अनटोल्ड स्टोरी में काम कर चुकी है, की फेक फेसबुक आईडी बना कर और उस से अश्लील मैसेज व फोटो भेज कर, दुरुपयोग किया गया. अदाकारा ने  इस संबंध में पुलिस में शिकायत की.

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फेक फेसबुक आईडी बनाने वाला यह शख्स फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर महिलाओं को बदनाम करने की धमकी देता है. उन्हें कहता है कि तुम्हें पूरी तरह से बदनाम कर दूंगा.

अप्रैल 1 ,2019

उज्जैन के शिवाजी कॉलोनी में रहने वाली २३ वर्षीया युवती को एक अनजान शख्स द्वारा लगातार अश्लील मैसेज और फोटो पोस्ट किये जाने का मामला सामने आया. युवती ने उस का नंबर ब्लॉक कर दिया तो वह दूसरे नंबर से वही काम करने लगा. युवती द्वारा विरोध किये जाने पर उस पर तेज़ाब फेंकने की धमकी दे डाली. इस के बाद युवती ने थाने जा कर शिकायत दर्ज कराई.

दरअसल आजकल तकनीकी विकास और मोबाइल के बढ़ते प्रयोग ने जहाँ जिंदगी आसान बनाई है वहीँ लोगों की निजी जिंदगी में घुसपैठ करना भी आसान हो गया है. अब कोई भी ऐरागैरा आप के जीवन में ताकझांक कर सकता है और आप को परेशान भी कर सकता है. खास कर महिलाएं और लड़कियां आवारा लड़कों के निशाने पर होती हैं. जो उन्हें अक्सर अश्लील मेसेजेस ,फोटोज और फेक कॉल्स से परेशां करते हैं.

हाल ही में (अप्रैल 17, 2019) मोबाइल एप ट्रूकौलर द्वारा 2,150 महिलाओं पर करवाए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि देश में मोबाइल का इस्तेमाल करने वाली 3 में से 1 महिला को नियमित रूप से अश्लील फोन या मैसेज आते है. जिन में 11% लोग उन की जानपहचान वाले होते हैं. हालांकि ये मामले 2017 के मुकाबले 2018 में कुछ कम हुए हैं.

महिलाओं पर प्रभाव

इस तरह मोबाइल पर भेजे जाने वाले अश्लील मेसेजेस और फोटोज के कारण महिलाओं को मानसिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है. उन के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इस का बुरा असर पड़ता है. करीब पांच में से चार महिलाओं ने कहा कि इस तरह के कॉल्स के कारण उन्हें क्रोध और चिड़चिड़ाहट महसूस हुई जब कि तीन में से एक महिला ने इन की वजह से डर और चिंता के भाव महसूस किये.

क्या करती हैं महिलाएं

62% महिलाएं उस अनजान कौलर को सर्च करने की कोशिश करती हैं. 16% महिलाएं सोशल मीडिया पर इस का जिक्र करती हैं, स्क्रीन शॉट और नंबर शेयर करती हैं. 1% अपने परिवार के किसी पुरुष सदस्य या दोस्त को कौल रिसीव करने को कहती हैं. 11% अपना नंबर बदल देती हैं. 32% ऐसे कौल को नजरअंदाज करती हैं. वहीं 92% महिलाएं सीधे नंबर ब्लॉक कर देती हैं.

कितनी बार आते हैं ऐसे कौल्स

सर्वे में शामिल की गई महिलाओं में से करीब 50 प्रतिशत महिलाओं को अश्लील और सेक्सुअल कन्टेन्ट से जुड़े कौल  सप्ताह में एक बार आए वहीं 9 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उन्हें ऐसे कॉल्स का सामना रोज करना पड़ता है.

कौन भेजता है महिलाओं को इस तरह के मैसेज या कौल

सर्वे के मुताबिक महिलाओं को अश्लील कौल या मैसेज करने वालों में 74% अनजान कौलर होते हैं. 23% स्टौकर होते हैं, वहीं 11% लोग महिला की पहचान वाले होते हैं. सर्वे में शामिल हुईं 53 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं ने माना कि उन्हें जालसाजी व ठगी से जुड़े कौल किए गए.

फोन पर उत्पीड़न में दिल्ली टौप पर

दिल्ली में 28% महिलाओं को हर सप्ताह यौन उत्पीड़न से जुड़े कौल या मैसेज आते हैं. जो बाकि किसी भी राज्य की तुलना में सब से ज्यादा है. इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन औफ इंडिया की तरफ से जारी रिपोर्ट ‘इंटरनेट इंन इंडिया 2017’ के मुताबिक देश में 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं जिन में 30% यानी 14.3 करोड़ महिलाएं हैं. देश में इंटरनेट का सब से अधिक इस्तेमाल यंगस्टर्स और स्टूडेंटस करते हैं. गांवों में 100 इंटरनेट यूजर्स में 36 महिलाएं ही इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं. एनसीआरबी के मुताबिक 2016 में देश में महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम के 930 मामले दर्ज किए गए थे.

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क्या करें

  1. दोस्ती करें सोच समझ कर

किसी ने आप को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और आप ने तुरंत स्वीकार कर लिया इस टेंडेंसी को छोड़ दें. दोस्ती हमेशा सोचसमझ कर करें. अनजान लोगों की रिक्वेस्ट को इग्नोर करें या डिलीट मार दें. यदि कोई पुराण दोस्त जानबूझ कर आप को परेशान कर रहा है तो पहले उसे समझाने का प्रयास करें कि आप को यह सब पसंद नहीं. मगर यदि वह न माने तो उसे तुरंत ब्लॉक कर दें. किसी को भी इतनी ढील न दें कि वह आप को परेशान कर सके.

  1. झांसे में न आएं

कभी भी अश्लील मैसेज और फेक कौल्स करने वाले व्यक्ति के झांसे में न आएं. यदि किसी वजह से आप ने उस से दोस्ती कर ली है तो भी कभी उस के बुलाने पर अकेली, सुनसान जगह या अकेले उस के घर पर मिलने न जाएं. मिलना ही है तो मॉल या मेट्रो स्टेशन जैसी खुली जगहों पर मिलें. उसे अपनी निजी बातें न बताएं और कभी भी ऐसी निजी तस्वीरें शेयर न करें जिन का वह गलत इस्तेमाल कर सके.

  1. कानून का सहारा लें

फोन पर बिना मर्जी दोस्ती के लिए कहना भी अपराध है. महिलाओं के साथ होने वाले इस तरह के छेड़छाड़ या उत्पीड़न के मामलों में सामान्यतः आरोपी के खिलाफ धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है. महिलाओं को फोन या सोशल मीडिया पर उन की इच्छा के बिना दोस्ती के लिए कहना उत्पीड़न का मामला है. इस तरह किसी की निजता में दखल देना अपराध माना जाता है. बारबार टैक्स्ट मैसेज भेजना, मिस्ड कौल करना, फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना, महिला के स्टेटस अपडेट पर नजर रखना और सोशल मीडिया पर उस के पीछे लगे रहना आईपीसी की धारा 354 डी के तहत दंडनीय अपराध है.

पुलिस में शिकायत करें

महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए पुलिस ने अब इस तरह के मामलों में साइबर क्राइम के तहत मामला दर्ज करना शुरू कर दिया है. पहले फोन पर मैसेज करने या अश्लील फोटो भेजने पर पुलिस रिपोर्ट तो दर्ज कर लेती थी लेकिन ऐसे मामलों में कार्रवाई करना मुश्किल होता था. क्यों कि ज्यादातर लड़के फेक आईडी पर सिम कार्ड ले कर इस तरह की हरकत करते हैं. ऐसे में कई बार उन्हें सबक सिखाने के लिए आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर मामले की जांच की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच को सौंप दी जाती है  ताकि क्राइम ब्रांच सर्विलांस की मदद से आरोपी पर कार्रवाई कर सके.

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मलाल रिव्यू: शानदार अभिनय के साथ कमजोर फिल्म

रेटिंगः दो स्टार
निर्माताः संजय लीला भंसाली, महावीर जैन,भूषण कुमार व किशन कुमार
निर्देशकः मंगेश हड़वले
कलाकारः शरमिन सहगल, मीजान जाफरी, समीर धर्माधिकारी,अंकुर बिस्ट व अन्य
अवधिः दो घंटे, 17 मिनट

2004 की सफल तमिल फिल्म ‘‘ सेवन जी रेनबो कालोनी’’ की हिंदी रीमेक फिल्म ‘‘मलाल’’ नब्बे के दशक की प्रेम कहानी है, मगर फिल्मकार ने इस प्रेम कहानी में नब्बे के दशक में मुंबई में महाराष्ट्रियन बनाम उत्तर भारतीय का जो मुद्दा था, उसे जबरन ठूंसने का प्रयास कर फिल्म को तबाह कर डाला. लेखक व निर्देशक ने अपनी गलती से फिल्म को इतना तबाह किया कि इस फिल्म से करियर की शुरूआत कर रहे शरमिन सहगल और मीजान जाफरी भी अपने बेहतरीन अभिनय से फिल्म को नहीं बचा सके.

इतना ही नहीं फिल्म ‘‘मलाल’’ के निर्माता, सह पटकथा लेखक व संगीतकार संजय लीला भंसाली हैं. मगर ‘मलाल’से भंसाली की प्रेम कहानी प्रधान फिल्मों में मौजूद रहने वाला गहरा व जटिल प्यार तथा भव्यता गायब है. प्यार इंसान को तबाही या उंचाई पर ले जा सकता है, इस मुद्दे को भी फिल्मकार गंभीरता से पेश नहीं कर पाएं.

कहानीः
फिल्म की कहानी नब्बे के दशक में मुंबई के महाराष्ट्रियन बाहुल्य इलाके में क्रिकेट मैच से शुरू होती है. इस क्रिकेट मैच में राजनेता सावंत (समीर धर्माधिकारी) की टीम जब हार के कगार पर पहुंच जाती है, तो सावंत के इशारे पर उनके सहयोगी जाधव अम्पायर को इशारा करते हैं और सावंत की टीम एक रन से मैच जीत जाती है, मगर विरोधी टीम की तरफ के खिलाड़ी शिवा मोरे (मीजान जाफरी) को अम्पायर के गलत निर्णय पर गुस्सा आता है और वह अम्पायर की जमकर पिटाई करता है. जिसे देख सावंत अपनी टीम की हार स्वीकार कर ट्राफी शिवा मोरे को दिलाते हैं. सावंत, जाधव से कहते हैं कि शिवा को आफिस में मिलने के लिए बुलाया जाए, क्योंकि यह उनके काम का है. शिवा ट्राफी लेकर जब चाल के अपने घर में जाता है, तो सीढ़ियों पर उसकी मुठभेड़ आस्था त्रिपाठी (शरमिन सहगल) से होती है, जो कि उसी चाल में प्रोफेसर भोसले के मकान में किराए पर अपने माता-पिता व छोटे भाई के साथ रहने आयी है. आस्था के पिता अमीर थे और शेयर बाजार में बहुत बड़े दलाल थे. मगर शेयर बाजार में ऐसा नुकसान हुआ कि उन्हे चाल में किराए पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा. स्टौक शिवा मोरे चाल में रहने वाला टपोरी किस्म का बदमाश महाराष्ट्रियन लड़का है, जिससे उसके माता पिता भी परेशान रहते हैं. मगर सावंत, शिवा से कहता है कि उसे तो अपने मराठी माणुस की मदद करनी चाहिए और उत्तर भारतीयों को भगाना चाहिए. इससे शिवा को जोश आ जाता है और वह फोन करके प्रोफेसर भोसले से कहता है कि वह एक उत्तर भारतीय को अपना चाल का घर किराए पर देकर अच्छा नही कर रहा हैं. इस पर प्रोफेसर भोसले उसे डांट देता है. शिवा की मां सहित चाल में रह रहे सभी निवासी आस्था व उसके परिवार के साथ अच्छे संबंध जोड़ लेते हैं, मगर शिवा उसे पसंद नहीं करता. सीए की पढ़ाई कर रही आस्था चाल में रह रहे सभी बच्चो को छत पर ट्यूशन पढ़ाने लगती है, ट्यूशन पढ़ने वालों मे शिवा की बहन भी है.

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एक दिन शिवा अपने बदमाश दोस्तों के साथ शराब की बोटलों के साथ छत पर पहुंचते हैं. आस्था के साथ उसका विवाद होता है. आस्था कहती है कि वह इंडियन है और मुंबई भी इंडिया है,  इसलिए यहां हर इंडियन को रहने का हक है. उसके बाद आस्था मराठी भाषा में शिवा को जवाब देती हैं, जिससे शिवा सारा टपोरीपना गायब हो जाता है और वह आस्था को दिल दे बैठता है. अब शिवा, सावंत से भी दूरी बना लेता है. इधर आस्था के माता पिता उसकी शादी विदेश से पढ़ाई करके लौटे अमीर लड़के आदित्य से तय कर देते हैं. जबकि शिवा, आस्था को टूटकर चाहने लगता है और शिवा की जिस बुराई को आस्था पसंद नही करती, वह सारी बुराइयां वह छोड़ने लगता है. धीरे-धीरे शिवा मारा-मारी करना, शराब पीना, सिगरेट पीना छोड़ देता है.

आस्था के प्यार में शिवा अपनी जिंदगी की दिशा व दशा दोनों बदल देता है. एक दिन आस्था अपने माता-पिता के सामने शिवा से स्वीकार करती है कि वह शिवा से बहुत प्यार करती है, मगर उससे ज्यादा प्यार वह अपने पिता से करती है. पिता के आदेश के चलते वह शादी सिर्फ आदित्य से करेगी. यानी कि प्यार पर कर्तव्य भारी पड़ जाता है. आस्था एक मशहूर शेयर ब्रोकर के यहां शिवा को नौकरी दिलवा देती है, बैंक में उसका खाता खुलवा देती है, उसके बाद वह शिवा के साथ अपनी सहेली के घर में कुछ समय बिताती है. वापसी में शिवा कहता है कि वह आस्था के पिता को मनाने का प्रयास करेगा. मगर कहानी कुछ अलग ही रूप ले लेती है.

लेखन व निर्देशनः
फिल्म ‘‘मलाल’ देखकर इस बात का अहसास ही नहीं होता कि इसका निर्देशन 11 वर्ष पहले राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त दिल को छू लेने वाली मराठी भाषा की फिल्म ‘‘टिंग्या’’ का निर्देशन करने वाले निर्देशक मंगेश हडवले ने किया है. फिल्मकार ने कहानी 1998 में शुरू करते हुए उस वक्त मुंबई में उत्तर भारतीयों के खिलाफ शिवसेना का जो रूख था, उसे चित्रित किया, मगर पांच मिनट बाद ही फिल्मकार यह मुद्दा पूरी तरह से भूल गए. पांच मिनट पूरी फिल्म में कहीं भी नेता सावंत नजर नहीं आए. इंटरवल से पहले फिल्म बहुत बेकार है. इंटरवल से पहले फिल्मकार ने बेवजह ही डांस व एक्शन सीन्स भरे हैं. मगर इंटरवल के बाद सही मायनों में प्रेम कहानी शुरू होती है. पर जरुरत से ज्यादा मेलोड्रामा है.

फिल्मकार महाराष्ट्रियन परिवेश और चाल के जीवन का यथार्थ चित्रण करने में जरुर सफल रहे हैं. यूं तो यह एक तमिल फिल्म का रीमेक है, मगर दर्शक को फिल्म देखते हुए ‘‘तेरे नाम’’ सहित कुछ पुरानी फिल्मों की याद आ जाती है. फिल्म के कुछ संवाद हालिया रिलीज फिल्म ‘‘कबीर सिंह’’ की याद दिला देते हैं.

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अभिनयः

महाराष्ट्रियन टपोरी किस्म के बदमाश या यूं कहें कि गुंडे किस्म के शिवा के किरदार को परदे पर जीवंत करने में मीजान काफी हद तक सफल रहे हैं. उनके चेहरे पर गम, दर्द व प्यार के भाव भी बाखूबी उभरते हैं. एक्शन सीन हो या इमोशनल या फिर रोमांस का मसला हो हर जगह मीजान प्रभावित करते हैं. डांस में उन्हे अभी थोड़ी और मेहनत करने की जरुरत है. आस्था के किरदार के साथ शरमिन सहगल ने भी न्याय किया है. वह मासूम व सुंदर नजर आयी हैं. लेकिन कमजोर पटकथा व कमजोर चरित्र चित्रण के चलते इन दोनों की प्रतिभा भी ठीक से उभर नहीं पाती. समीर धर्माधिकारी ने यह फिल्म क्यों की, यह बात समझ से परे हैं.

फिल्म खत्म होने के बाद दर्शक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है, उसकी समझ में नहीं आता कि आखिर फिल्म बनाई ही क्यो गयी?

आखिर क्यों हर साल बारिश के आगे मजबूर हो जाती है मुंबई?

इन दिनों अखबार, टीवी और न्यूज चैनल आदि मुंबई शहर की अंधाधुंध बारिश और उस से होने वाली घटनाओं के खबर से भरे पड़े हैं. पर यह कोई पहली दफा नहीं है जब मुंबई इस तरह की समस्या से रूबरू हो रहा है. हर साल मुंबई शहर को भारी बारिश के कारण बहुत नुकसान हो रहा है और लोगो की जान भी जा रही है. इन घटनाओं के लिए सिर्फ प्राकृतिक आपदा ही नहीं बल्कि प्रशासन का गैर जिम्मेदाराना रवैया भी अहम कारण है.

सवाल यह हैं कि आखिर हर साल मुंबई शहर को इस समस्या से क्यों गुजरना पड़ता हैं? मुंबई शहर का ड्रेनेज सिस्टम बरसात के मौसम में जगह-जगह पानी भर जाने की एक बड़ी वजह है. यह ड्रेनेज सिस्टम 100 साल से भी पुराना है और कम तीव्रता वाली बारिश के लिए बना है. इसके सुधार हेतू बृहन्मुम्बई स्टॉर्म वाटर डिस्पोज़ल सिस्टम प्रोजेक्ट चलाया गया है. जिसका अंतरिम बजट 6 बिलियन था  जो 2005 में 6 बिलियन से से बढ़कर 12 बिलियन हो गया हैं.

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लेकिन भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की एक रिपोर्ट के मुताबिक बृहन्मुम्बई स्टॉर्म वाटर प्रोजेक्ट की लागत बढ़ती जा रही है और परिपालन बहुत धीमी गति से हो रहा हैं. जिसके कारण समस्या और भी विकराल रूप ले रही हैं.

शहर के नालों की हालत भी बेहद खराब है. कांट्रेक्टर द्वारा नालों की सफाई नियमत रूप से नहीं हो रही हैं. इनकी सफाई का सारा खर्च भी कांट्रेक्टर अपने पास रख लेते है. भारी बारिश होने पर शहर में जगह-जगह पानी भर जाता है. कई क्षेत्रो में घर से बाहर निकल पाना भी मुश्किल होता हैं. ऐसी स्थिति में कई बार लोग जहां है उसी जगह फंसकर घंटों बारिश के थमने का इंतजार करते है.

नगर निकाय इस बात के लिए ज़िम्मेदार है क्योंकि उनके रहते कांट्रेक्टर का खराब काम नज़रअंदाज़ हो रहा है. पानी की निकासी में बड़ा रोड़ा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का न होना और प्लास्टिक का उपयोग भी है. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का न होना और प्लास्टिक दोनों ही पानी की निकासी को रोकते हैं. मुंबई शहर का 10 प्रतिशत कचरा प्लास्टिक है जिसका मतलब एक दिन में 650 मीट्रिक टन प्लास्टिक उपयोग किया जाता हैं. पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पालिसी न तैयार करने पर 3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

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पर अब भी हालात में कोई सुधार नजर नहीं आ रहे हैं. यहां से देखने पर लगता है कि प्रशासन अब प्रकृति से भी बड़ी आपदा बन गया है.

शहर के नागरिकों को जिम्मेदार और जागरूक हो कर प्रशासन से इन समस्याओं के संबंध में वाजिब सवाल पूछने की आवश्यकता है. अपने मोबाइल फोन से सर उठाकर अपने क्षेत्र के नाले और गंदगी के प्रति हमे सजग होना चाहिए.

यह एक महत्वपूर्ण जरूरत है कि हमारे शहर के नाले नियमित रूप से साफ हो. लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है. शायद हर साल मुंबई का आम नागरिक बारिश से होने वाली समस्याओं से जूझता है और हर साल बारिश का मौसम जाते ही इस से होने वाले नुकसान और जानलेवा घटनाओं को भूल जाता हैं. क्या शहर में रह रहे लोग भी प्रशासन के साथ-साथ इस खराब व्यवस्था का एक हिस्सा बन चुके हैं?

प्रिंस नरुला के भाई का निधन, कुछ वक्त पहले ही हुई थी शादी

बिग बौस से लेकर रो़डीज तक अपना नाम बनाने वाले प्रिंस नरुला के कजिन की अचानक मौत हो गई है. कनाडा में रहने वाले रूपेश दोस्तों के साथ साथ कनाडा डे मना रहे थे जहां उनके साथ हादसा हो गया. वहीं खबर है कि प्रिंस के कजिन की कुछ महिनों पहले ही शादी हुई थी. इस बुरी खबर से प्रिंस और उनका परिवार सदमे में हैं. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…

beach पर पार्टी कर रहे थे रुपेश

खबरों की मानें तो रुपेश टोरंटो के बल्फर्स पार्क गए हुए थे और यहीं के beach पर ही रुपेश अपने दोस्तों के साथ पार्टी करते समय पानी का तेज बहाव उन्हें बहा कर ले गया. रुपेश को स्वीमिंग नहीं आती थी, जिसके कारण वह पानी में डूब गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई. कुछ महीने पहले ही रुपेश की शादी हुई थी.

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वाइफ युविका के साथ कनाडा रवाना हुए प्रिंस

कजिन की मौत की खबर मिलते ही प्रिंस अपनी नई-नवेली दुल्हन युविका चौधरी के साथ कनाडा रवाना हो चुके हैं. कनाडा में ही रुपेश के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी होनी है.

बता दें, प्रिंस ने सालों पहले बौलीवुड एक्टर सलमान खान के पौपुलर रियलिटी शो बिग बौस के नवें सीजन में हिस्सा लिया था. जिसमें उनकी मुलाकात युविका चौधरी से हुई थी और यहीं पर उन्होंने युविका से अपने दिल की बात भी कही थी. जिसके बाद पिछले साल अपने करीबियों और दोस्तों की मौजूदगी में प्रिंस और युविका ने मुंबई में धूमधाम से शादी की थी. वहीं आजकल प्रिंस और युविका टिक टौक एप पर भी अपने फैंस के बीच काफी पौपुलर हो गए हैं.

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फिल्म ‘मर्डर’ से चर्चा में आई अभिनेत्री मल्लिका शेरावत हरियाणा के एक छोटे से गांव की है. वह अपने ग्लैमरस रोल और बोल्ड अंदाज के लिए जानी जाती है. उन्होंने हौलीवुड में भी अपनी पहचान बनायीं है. विदेश में कई सालों तक रहने और ट्रेवलिंग करने के बाद वह फिर से एक वेब सीरीज ‘बू..सबकी फटेगी’ में मुख्य भूमिका निभा रही है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल- इस वेब सीरीज को करने की खास वजह क्या है?

ये एक हॉरर कॉमेडी की वेब सीरीज है,जिसमें मैं भूतनी, हसीना की भूमिका निभा रही हूँ. मुझे बहुत अच्छा लगा. इसके निर्देशक के साथ मैंने पहले भी काम किया है. वो जब मेरे पास इसे लेकर आये तो मुझे बहुत अच्छा लगा,क्योंकि ये एक नयी कांसेप्ट है,जिसे मैंने कभी किया नहीं है.

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सवाल- भूत-प्रेत या सुपर नैचुरल इन सब पर आप कितना विश्वास करती है?

मैं इसमें विश्वास नहीं करती पर बचपन से ऐसी कहानियां जरुर सुनी है. हो सकता है कि ये लोगों की कल्पना है, जिसे हमें करने या सुनने में मज़ा आता है. ये वेब सीरीज कौमेडी है, जिसमें डरें या हँसे समझना मुश्किल है.

सवाल- क्या लोगों को हंसाना मुश्किल होता है?

हंसाना हमेशा से ही मुश्किल होता है. ये चुनौती होती है. इसमें सही टाइमिंग का होना बहुत जरुरी होता है. थोड़ी सी भूल कौमेडी के टेम्पर खो देती है, लेकिन तुषार कपूर जैसे कलाकार होने पर ये आसान हो जाता है.

सवाल- इतने दिनों से आप फिल्म इंडस्ट्री से दूर रही है, इसकी वजह क्या है और क्या कर रही है?

मैं अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आना चाहती थी. इसलिए मैंने बहुत ट्रेवल किया है. एक एक्टर के तौर पर अधिक ग्रो करना चाहती थी, इसलिए मैं कई कलाकारों से मिली एक्टिंग के क्लासेस ज्वाइन किया. पूरे विश्व में ट्रेवल किया और वहां की संस्कृति को जानने की कोशिश की. यहां पर लोग कुएं की मेंढक हो जाते है. वही जाने पहचाने लोग, एक ही तरह की स्क्रिप्ट सारे ग्लैमर वाले किरदार मिल रहे था. अभी इसमें नए प्लेटफार्म के आने से बदलाव आया है. कहानियां बदली है. ओटीटी प्लेटफौर्म गेम चेंजर का काम कर रही है.

सवाल- वेब सीरीज में सेंसरशिप न होने की वजह से गाली-गलौज और सेक्स खूब परोसा जाता है, क्या इस आज़ादी को वेब सीरीज मेकर को ध्यान देने की जरुरत नहीं?

बहुत अधिक जरुरत है, क्योंकि वेब सीरीज की आज़ादी का गलत प्रयोग करना उचित नहीं. आर्टिस्टिक फ्रीडम को अपने हिसाब से तोड़ने-मरोड़ने की जरुरत नहीं. इसमें निर्माता और निर्देशक की बड़ी जिम्मेदारी होती है,क्योंकि हमारे समाज और संस्कृति को उन्हें समझने और ध्यान देने की जरुरत है. दिल्ली गैंग रेप पर बनी वेब सीरीज ‘दिल्ली क्राइम’ एक ऐसी सेंसिटिव वेब सीरीज बनी है, जिसमें हर संवाद अपनी जगह पर फिट है. अभिनेत्री शेफाली छाया उसकी हीरो है और ऐसा किसी फिल्म में होना संभव नहीं था. इसके अलावा हम खुद भी इसके जिम्मेदार है, क्योंकि हम भी वैसी ही वल्गर सीरीज को देखते है. अगर हम उसे न देखे तो उसका बनना भी बंद हो जायेगा. मार्केट है इसीलिए वे उसे बनाते है. आज के समय में अच्छी क्वालिटी की फिल्में बनाने की जरुरत है.

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सवाल- आप अपनी हिंदी सिनेमा की कैरियर को कैसे देखती है?

मैं हरियाणा की हूं और मेरा बचपन बहुत ही रिग्रेसिव था. मुझे मेरे भाई की तरह सबकुछ करने की आजादी नहीं थी. मेरे लिए आत्मनिर्भर होना, अपना ख्याल रखना, अपने हिसाब से जीना आदि करना मेरे लिए बड़ी अचीवमेंट थी. जिसे हिंदी सिनेमा ने दिया. इंडिया मुंबई नहीं है. छोटे शहरों और गावों में लड़कियों के साथ कसाई जैसे वर्ताव होता है. उन्हें कुछ करने का का मौका नहीं मिलता. मेरे लिए किसी लड़की का मुझे देखकर आगे बढ़ने की हिम्मत जुटाना ही सबसे बड़ी उपलब्धि है.

सवाल- आप लड़कियों के लिए काफी काम कर रही है, उस दिशा में अभी क्या चल रहा है?

‘फ्री ए गर्ल’ एक संस्था है, जिसकी मैं ब्रांड एम्बेसेडर हूं. इसमें बाल वेश्यावृत्ति में फंसी लड़कियों को कानून की शिक्षा दी जाती है और लॉ फार्म के साथ उन्हें जोड़ा जाता है, ताकि उनकी खोयी हुई गरिमा को वे वापस ला सकें. इसमें केवल 15 लड़कियां है. ये संस्था कोलकाता और मुंबई में काम कर रही है. धीरे-धीरे इसे और और आगे ले जाने की कोशिश चल रही है. फण्ड बहुत मिलते है इसलिए काम करने में असुविधा नहीं होती. मैंने साल 2018 में कान फिल्म फेस्टिवल में एक केज में अपने आप को लौक इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया था, क्योंकि भारत के वेश्यालयों में रहने वाली छोटी लड़कियां उसी साइज के कमरे में रहने के लिए विवश होती है. मैंने इस तरह से लोगों को यौन अपराधों से पीड़ित लड़कियों के दयनीय दशा को समझाने की कोशिश की थी. कोलकाता हो या मुबई सभी स्थानों पर ऐसी ही व्यवस्था है.

सवाल- आपको बौलीवुड में स्टारडम मिला जिससे आपकी एंट्री हौलीवुड में भी हुई, लेकिन आपको भावपूर्ण भूमिका कम मिले, इसकी वजह क्या मानती है?

इंडस्ट्री में मैं टाइपकास्ट की शिकार हुई हूं. बोल्ड और ग्लैमरस कहकर सभी ने मुझे वैसी ही भूमिका दी. कुछ फिल्में सफल रही कुछ नहीं. मर्डर मेरी हिट फिल्म थी, मैंने कई फिल्मों में कौमेडी भी की, लेकिन मुझे लेकर किसी फिल्म मेकर ने अलग फिल्म नहीं लिखी, जिससे मुझे वैसी भूमिका नहीं मिली. अब समय बदल गया है. आपको याद होगा कि एक ‘किस’ और बिकिनी को लेकर कितना बवाल मचा था. अब तो ये कौमन हो गया है.

सवाल- आप देश और विदेश में रह चुकी है, दोनों जगहों में महिलाओं को देखने की नजरिये को आप कैसे देखती है? क्या किसी पुरुष को ये अधिकार है कि वे किसी महिला के पहनावे और रहन-सहन के बारें में निर्धारण करें?

हमारा समाज पितृसत्ता है और ये हमारी डीएनए में बस चुका है. पुरुष ही नहीं महिलाएं भी महिलाओं को उनके रहन-सहन पर कोसती है. मेरी सबसे अधिक आलोचक औरतें ही है. उनके सोच को बदलने की जरुरत है. कठुआ गैंग रेप को धर्म का नाम दे दिया. 8 साल की बच्ची के लिए धर्म क्या है? कुछ गलत काम होने पर महिला को ही उसका जिम्मेदार ठहराया जाता है. जो मुद्दा है उससे भटककर लोग कुछ और ही कहने लगते है. ऐसे लोगों को सुधारने में मां की भूमिका सबसे बड़ी होती है, उन्हें अपने बेटे को बचपन से किसी भी महिला को इज्जत देने की सीख देनी पड़ेगी. महिलाएं कोई औब्जेक्ट नहीं, उसे सम्मान देने की जरुरत है और ये शिक्षा और महिला सशक्तिकरण से ही बदल सकती है.

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सवाल- अभी आपने वेब सीरीज से काम फिर से शुरू किया है, आगे आने वाले समय में आप अपने आप में कितना परिवर्तन लाना चाहती है,ताकि पहले जैसी मुश्किलें न आयें?

अभी मैंने रजत कपूर के साथ एक पीरियड फिल्म की है. जिसमें मैं फिफ्टी की अभिनेत्री की भूमिका निभा रही हूं. बहुत अच्छी फिल्म है, जो अभी रिलीज पर है. मैंने अभी सोचा है कि मैं अलग-अलग भूमिका करूंगी.

सवाल- क्या किसी बायोपिक में काम करने की इच्छा रखती है?

मुझे कल्पना चावला की बायोपिक में काम करने की इच्छा है, क्योंकि मैं हरियाणा की हूं.

Edited by Rosy

धूमधाम से हुआ सांसद नुसरत जहां का वेडिंग रिसेप्शन, देखें फोटोज

लोकसभा चुनाव 2019 में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के टिकट पर जीतने वाली सांसद औरबंगाली एक्ट्रेस नुसरत जहां आजकल सुर्खियों में छाई हुई हैं. हाल ही में उनकी शादी की खबरों के बाद अब उनके रिसेप्शन पार्टी की फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. वहीं इस रिसेप्शन पार्टी की फोटोज वायरल होने की वजह में नुसरत के लुक्स के साथ-साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी हैं. आइए आपको दिखाते हैं नुसरत जहां के वेडिंग रिसेप्शन पार्टी की कुछ खास फोटोज….

नुसरत जहां दिखीं खूबसूरत

 

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#thenjaffair my life my soul my jaan @nusratchirps

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वेडिंग रिसेप्शन पार्टी में नुसरत जहां सब्यसाची के डिजाइन किए हुए मेरुन और वेल्वेट लहंगें में खूबसूरत अंदाज में नजर आईं.

पति निखिल जैन भी दिखें कमाल

नुसरत जहां अपनी खूबसूरती से जलवे बिखेरती नजर आईं तो वहीं उनके पति निखिल जैन भी ब्लैक शेरवानी में कम नहीं लग रहे थे.

सीएम ममता बनर्जी भी पार्टी में आईं नजर

सांसद नुसरत जहां के वेडिंग रिसेप्शन पार्टी में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी शिरकत करती नजर आईं. जिसमें उन्होंने ने नुसरत जहां और उनके पति निखिल जैन के साथ फोटोज भी खिचवाईं.

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सीएम ममता के अलावा कईं बड़ी हस्तियां आईं नजर

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कोलकाता में होने वाली नुसरत जहां की रिसेप्शन पार्टी में सीएम ममता के अलावा राजनितिक पार्टी से लेकर बिजनेस से जुड़ी कईं फेमस हस्तियां नजर आईं थी.

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बता दें, टीएमसी सांसद नुसरत जहां के पति निखिल जैन एक बिजनेसमैन हैं तो वहीं नुसरत बंगाली एक्ट्रेस के साथ-साथ बासिरहौट सीट से सीट जीत कर सांसद बनी हैं. वहीं दोनों ने 19 जून को भारत से दूर तुर्की में जाकर शादी की थी.

मिसकैरेज के बाद कैसे करें कंसीव

डौक्टर सलाह देते हैं कि मिसकैरेज के बाद किसी महिला को पुन: कंसीव करने के लिए एक पूरे चक्र की प्रतीक्षा करनी चाहिए. हालांकि जिन्होंने मिसकैरेज के कारण को जानने के लिए टैस्ट या ट्रीटमैंट नहीं कराए उन्हें 2-3 मासिक चक्रों तक प्रतीक्षा करनी चाहिए. जो महिलाएं भावनात्मक रूप से अत्यधिक टूट गई हैं, उन्हें कम से कम 6 महीने से लेकर 1 वर्ष तक प्रतीक्षा करनी चाहिए.

लक्षण

– आत्मग्लानि से भर जाना.

– छोटीछोटी बातों पर अत्यधिकगुस्सा होना.

– अत्यधिक दुखी होना.

– भूख न लगना या खाना खाने का मन नहीं करना.

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– उत्तेजित अनुभव करना.

– अत्यधिक थका अनुभव करने के बादभी सो नहीं पाना.

– अपने शरीर पर नियंत्रण न रहना.

– ध्यान केंद्रित करने में समस्या आना.

क्या करें: चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि एक महिला को दोबारा कंसीव का प्रयास करने से पहले थोड़ा समय प्रतीक्षा करनी चाहिए ताकि भावनात्मक रूप से स्थिर हो सके. लेकिन उस के साथ ही आप के शरीर को हील होने का अवसर मिल सके, क्योंकि आप स्वस्थ रूप से नहीं होंगी तो दोबारा मिसकैरेज होने की आशंका बढ़ जाएगी.

विशेषज्ञों का कहना है कि मिसकैरेज के बाद किसी महिला को सामान्य स्थिति में आने के लिए कम से कम 6 सप्ताह लगते हैं. मिसकैरेज के 3 महीने बाद अगली प्रैग्नेसी की योजना बनाना सब से सुरक्षित रहता है, लेकिन डाक्टर से चर्चा करें ताकि दूसरी बार मिसकैरेज से बच सकें. अगली प्रैग्नेसी से बचने के लिए ऐक्टिव  इम्यूनोथेरैपी उपचार लें. अगर 2 बार मिसकैरेज हो जाए तो विस्तृत जांच कराएं.

क्या न करें: हिम्मत न हारें. मिसकैरेज के बाद अधिकतर महिलाओं को डर सताने लगता है कि उन का पुन: मिसकैरेज हो जाएगा. हालांकि आंकड़े कहते हैं कि जिन महिलाओं का मिसकैरेज होता है उन में से लगभग 85% महिलाएं सामान्यरूप से कंसीव कर लेती हैं. उन का शरीर मिसकैरेज के बाद 2-4 सप्ताह में अंडोत्सर्ग के लिए तैयार हो जाता है.

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नौर्मल होने की करें कोशिश

एक महिला के लिए बच्चे को खोने का दुख स्वाभाविक है. लेकिन आप लगातार दुख में डूबी रहेंगी तो आप न केवल अपनी सेहत खराब कर लेंगी, बल्कि दोबारा मां बनने की आशंका भी बढ़ा लेंगी. दुख और डिप्रैशन से उबरने के लिए निम्न प्रयास करें:

संक्रमण से बचें: संक्रमण से बचने के लिए साफसफाई का पूरा ध्यान रखें. रोज नहाएं. स्विमिंग न करें जब तक कि ब्लीडिंग और डिसचार्ज बंद नहीं हो जाता. मिसकैरेज के 2 सप्ताह तक सैक्स न करें. अगर 2 सप्ताह बाद भी शारीरिक संबंध बनाते समय तेज दर्द हो तो डाक्टर से संपर्क करें. दैनिक गतिविधियां करते समय सावधान रहें: मिसकैरेज के बाद अपनी दैनिक गतिविधियां करते समय सावधान रहें. हालांकि कई महिलाएं मिसकैरेज के तुरंत बाद अपनी सामान्य गतिविधियां शुरू कर देती हैं. वैसे कुछ दिनों तक आराम करना ठीक रहता है.

हल्की करें एक्सरसाइज

हलकी-फुलकी एक्सरसाइज आप को मिसकैरेज के बाद होने वाली शारीरिक समस्याओं से निबटने में सहायता कर सकती हैं. अगर आप नियमित एक्सरसाइज करेंगी तो आप को तनाव कम होगा, क्योंकि एक्सरसाइज करने से एंडोरफिन का स्राव होता है जिसे फीलगुड हारमोन कहते हैं. मिसकैरेज के बाद प्रतिदिन 30 मिनट तक टहलना स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा रहता है. डौक्टर से नियमित जांच कराएं कि आप बैक्टीरिया के संक्रमण, सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज और दूसरी समस्याओं से ग्रस्त तो नहीं जो आप को सामान्य रूप से कंसीव करने में रुकावट डालेंगी.

              -डा. नुपुर गुप्ता

कंसल्टैंट ओब्स्टट्रिशियन ऐंड गाइनोकोलौजिस्ट,निदेशक वैल वूमन क्लीनिक, गुड़गांव –

बारिश के मौसम में ऐसे सुखाएं कपड़े

मौनसून आ गया है और बारिश में भीगना हर किसी को पसंद आता है, लेकिन मौनसून में सबसे बड़ी आफत होती है की कपड़ों को कैसे सुखाएं. कपड़े सूखाने के लिए हम धूप का इंतजार करते हैं  जो कि मौनसून में मुश्किल है. वहीं अगर कपड़े न सूखें तो कपड़ों में बदबू आने लगती है. इसके साथ ही गीले कपड़ों से इंफेक्शन होने का भी खतरा रहता है. इसीलिए आज हम आपको घर पर ही बिना धूप का इंतजार करें कपड़े सूखा सकती हैं.

1. कपड़ों को सही ढंग से निचोड़ना है जरूरी

अक्सर कपड़े जल्दी न सूखने का कारण कपड़ों को सही ढंग से न निचोड़ने के कारण होता है. इसीलिए जरूरी है कि कपड़ों को मौनसून में सही ढ़ग से निचोड़कर मशीन में दो बार ड्राइ करें जिससे कपड़े जल्दी सूख जाएंगे.

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2. अगरबत्ती का करें इस्तेमाल

जिस जगह या कमरे में कपड़े सूखने के लिए डालें वहां कोने में एक खूशबूदार अगरबत्ती जला कर रख दें. इसके धूएं से एक तो कपड़ों में से सीलन की बदबू दूर होगी दूसरा वे जल्दी सूख भी जाएंगे.

3. हैंगर का इस्तेमाल करना न भूलें

कपड़ों को अलग-अलग हैंगर में लटकाकर कमरे में सूखने के लिए रखें और खिड़कियां-दरवाजे खोल दें. इससे हवा कपड़ों के आर-पार आसानी से पहुंचेगी और वे जल्दी सूख जाएंगे.

4. सिरका का करें इस्तेमाल

कपड़ों को धोने से पहले 10-15  मिनट के लिए सिरके में डुबो दें. कुछ देर बाद हल्के हाथों से मल कर धो लें. इससे कपड़ों का रंग भी नहीं निकलेगा और उनकी चमक भी बनी रहेगी. इसके साथ ही कपड़े से बदबू भी नहीं आएगी.

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5. नमक है कारगर

नमक घर में इस्तेमाल होने वाला सबसे बेस्ट प्रोडक्ट है, ये कईं चीजों के लिए काम आता है, जिनमें कपड़ों को सूखाना भी है. कपड़ों के साथ कमरे में एक थैली में नमक भरकर रख दें जिससे नमक कपड़ों से मौइश्चराइजर सोख लेगा और सूखने में भी मदद करेगा.

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