फ्रैशफ्रूट सलाद विद हनी

गरमियों में खाने से ज्यादा फ्रूट्स खाने का मन करता है. फ्रूट हमारी हेल्थ के लिए बेस्ट होता है. इसलिए आज हम आपको फ्रूट सैलेड विद हनी की रैसेपी बताएंगे. फ्रूट सैलेड विद हनी रेसिपी को बनाना बहुत आसान है. साथ ही इसे आप सुबह ब्रैकफास्ट से लेकर शाम के स्नैक्स टाइप पर कभी भी खा सकते हैं.

हमें चाहिए

3 कप मिक्स्ड फ्रैश फू्रट्स (स्ट्राबेरी, किवी, केला, सेब आदि) कटे हुए

1/4 कप हैंग कर्ड

1 छोटा चम्मच नींबू को रस

बड़े चम्मच शहद

1/2 छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर

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छोटा चम्मच काला नमक

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च चूर्ण

1 बड़ा चम्मच चौकलेट सौस.

बनाने का तरीका

कटे फलों पर नीबू का रस डाल कर मिक्स करें.

हैंग कर्ड में शहद, दालचीनी पाउडर, काला नमक और कालीमिर्च चूर्ण मिला कर फलों पर डाल दें. सजावट के लिए चाहें तो थोड़ी सी चौकलेट सौस डाल कर परोसें.

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Edited by Rosy

मेरी मां- ’71 साल की उम्र में यूं प्रेरणा बनीं मां’

रितु गुप्ता

मां, आई, अम्मा ताई, इन्हीं शब्दों में सारी दुनिया समाई,
कोई जुमले नहीं  सार है संसार का, जिसने जन्म दे ये कायनात बनाई…

मेरा मां के साथ रिश्ता एक सहेली का है उन्होंने हर पल प्रेरणा दी, मुझको साहस दिया आगे बढ़ने का, कि कुछ कर गुजरना है. उम्र की कोई सीमा नहीं होती, जब मेरे बच्चे बड़े होकर अपनी दुनिया में व्यस्त हो गए तो उन्होंने 71 साल की होने पर मुझे प्रेरणा दी कि आगे बढ़ते रहना ही जिंदगी है उन्होंने कहा कि अपने शौक को जिंदा रखो. शौक तुम्हें जिंदा रखेगा. बस यहीं से शुरू हो गई मेरी जिंदगी में आगे बढ़ने की लगन. मेरे शौक परवान चढ़े. मुझे गायकी, नृत्य, मंच संचालन, फिल्मों में काम करने का शौक और लेखन को नया आयाम मिला.

उन्होंने बचपन में मुझे एक बात सिखाई थी कि जंगल में मोर नाचा किसने देखा. यह बात मैंने अपने दिल में बिठा ली और अपने हुनर को सबके सामने लाई क्योंकि बचपन में मैं बहुत शर्मीली थी. एक झिझक रहती थी कि सबके सामने कैसे अपने हुनर को पेश करूं, जब भी मुझे उनकी कही यह बात याद आती है मेरे अंदर ऊर्जा का संचार हो जाता है. आज मैं इस मुकाम पर हूं कि मैं खुद दूसरों के लिए प्रेरणा बनी. धन्यवाद शब्द बहुत छोटा प्रतीत होता है मां आपके लिए बस चरण वंदन है.

आपकी अपनी बेटी

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विभा शुक्ला, (लखनऊ)

‘मां’ शब्द में एक बच्चे की सारी दुनिया समाई रहती है. आज जब मां पर कहानी लिखने का अवसर आया तो ऐसा लगा जैसे बचपन में वापस जाने का सुअवसर हाथ लग गया. आज मेरी मम्मी तो नहीं है पर वो सारी बातें, वो सारी रातें जो मैंने उनके सानिध्य में बिताई हैं, मीठी यादें बनकर मेरे अस्तित्व में समा गई.

मां की थपकी के बिना नींद न आती थी. मेरी मम्मी शांत, मितभाषी, सुशिक्षित पर घरेलू महिला थीं. कढ़ाई, सिलाई, बुनाई सबमें निपुण थीं. किसी की स्वेटर में नया डिजाइन देखकर ही वह घर में उस डिजाइन को झट से बना लेती थीं. ऐसी मां की सातवीं बेटी होने का सौभाग्य मुझे मिला.

यह घटना उस समय की है जब मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी. मेरी परवरिश चूंकि खुले माहौल में हुई है अतः में अकेली ही बाहर आती जाती भी थी. तभी एक दिन किसी पड़ोसी ने मुझे एक ऐसी बात कह दी जो मुझे चुभ गई और मैं अनमनी-सी  रहने लगी. मेरी मां की नजरों से मेरा यह व्यवहार ज्यादा समय तक छुपा न रह सका.

एक दिन उन्होंने बड़े ही प्यार और आत्मीयता से इसका कारण पूछा तो मैंने उन्हें घटनासार बता दिया. उन्होंने प्रतिक्रिया में” कहा-“I will utter him” आत्मविश्वास से भरे उस एक वाक्य ने पल भर में मेरा सारा दर्द और तनाव दूर कर दिया. उसके बाद किसी की भी मुझसे कुछ भी कहने की हिम्मत न हुई.

जो साथ न होकर भी हर पल साथ है, जो दूर होकर भी हर पल पास है,

जिसकी यादों के आंचल तले, हर धूप ठंडी छांव है.

ऐसी मां को शत शत नमन…

Edited by- Nisha Rai

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दबंग खान का पापा बनने को लेकर बेबाक बयान, कही ये बात…

बौलीवुड के दबंग खान यानी की सलमान खान को दूसरे सेलेब्स की तरह पिता बनने का मन बना रहें हैं. खबरों की माने तो सलमान सेरोगेसी के जरिए पापा बनने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं सेरोगेसी से पापा बनने को लेकर सलमान खान ने हैरान करने वाली शर्त रख दी है. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…

पापा बनने की बात पर सलमान खान ने की खुलकर बात

 

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दरअसल, हाल ही में भारत के प्रमोशन को लेकर हुई प्रैस कौन्फ्रेंस में एक्टर सलमान खान ने कहा है कि  ‘मैं भी बाकी लोगों की तरह पिता बनना चाहता हूं. यहां परेशानी इस बात की है कि, बच्चे के साथ उनकी मां भी मेरे पास आ जाएगी. मैं बच्चे की मां को नहीं लाना चाहता, वो बात अलग है कि मेरे बच्चों को उनकी मां की जरूरत होगी.’

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फिलहाल शादी करने का मूड नही है- सलमान खान

वहीं यह भी कहा कि ‘अगर मैं पिता बनता हूं तो मेरे पास काफी लोग हैं जो उसकी देखभाल कर सकते हैं. ऐसे में मेरे पिता बनने में कोई भी परेशानी नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही सलमान खान ने इस बात को भी साफ कर दिया कि, वो फिलहाल शादी करने के मूड में तो नहीं हैं.’

सलमान ने शादी के सवाल पर दिया ये जवाब

शादी के सवाल पर सलमान खान ने जवाब दिया, ‘शायद ये काम में आगे कभी करना चाहूंगा.’ अब सलमान खान की ये बात भी सही है. उनके पास इतना काम है कि शादी के लिए भाईजान के पास फुर्सत ही कहां है. फिलहाल तो सलमान खान भारत को प्रमोट कर रहे हैं.

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अब आप तो जानते ही हैं कि बात चाहे शादी की हो या फिर अपने अफेयर्स की सलमान खान अपनी बात बड़ी ही बेबाकी के साथ रखते हैं. वहीं उनके काम की बात करें तो भारत के बाद टाइगर ‘दबंग 3’ में बिजी हो जाएंगे. बाकी संजय लीला भंसाली की ‘इशांअल्लाह’ भी करेंगे. इतना ही नहीं खबरें है कि, सलमान साउथ की फिल्म ‘साहो’ में केमियो रोल करते नजर आने वाले हैं. ऐसे में प्रभास, भाईजान के साथ स्क्रीन शेयर करते नजर आएंगे.

Cannes 2019:  फैशनिस्टा सोनम का छाया जादू, बौस लुक में आईं नजर

बौलीवुड फैशनिस्टा सोनम कपूर रेड गाउन से अपने फैंस का दिल जीतने के बाद अब फ्रांस में चल रहे कान्स फिल्म फेस्टिवल के रेड कारपेट पर आईवेरी और वाइट कलर के टक्सीडो ड्रैस में बौस की तरह जलवे बिखेरती नजर आईं. वहीं सोशल मीडिया पर अपने लुक की कुछ फोटोज भी शेयर की, जिसके बाद फैंस ही नही बौलीवुड के सेलेब्स ने भी उनकी तारीफे करना शुरू कर दिया. आइए आपको दिखाते हैं उनके रेड कारपेट लुक से जुड़ीं कुछ फोटोज…

सोशल मीडिया पर शेयर की रेड कारपेट लुक की फोटोज

कान्स फिल्म फेस्टिवल 2019 के रेड कारपेट पर सोनम ने आईवेरी और वाइट कलर के टक्सीडो ड्रैस को चौपर्ड और जिमी शूज और एक स्टेटमेंट नेकलेस के साथ पेयर किया. वहीं बौलों की बात करें तो उन्होंने अपनी ड्रैस के साथ मैच करने के लिए एक टाइट बन बनाया. जिसे सोनम की बहन रिया ने रेड कारपेट के लुक को स्टाइल किया. वहीं सोशल मीडिया पर शेयर की फोटोज को शेयर करते हुए सोनम ने लिखा “फ्रेंच रिवेरा मुझे सूट करता है,”.

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नियोन यैलो गाउन भी था कमाल

एक्ट्रेस सोनम ने रेड कारपेट के बाद नियोन यैलो कलर के औफ शोल्डर गाउन में नजर आईं, जिसे उन्होंने मैचिंग स्टिलेटोस के साथ पेयर किया.

इससे पहले वैलेंटिनो रेड ड्रैस में दिखाईं थी दिलकश अदाएं

 

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इससे पहले सोनम ने कान्स 2019 में वैलेंटिनो की रेड ड्रैस में नजर आईं थी. न्यूड पिंक लिप्स और ब्युटीफुल आई मेकअप से उनका लुक ब्राइट और शाइनी लग रहा था.

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कई बौलीवुड सेलेब्स ले चुके हैं कान्स फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा

cannes 2019

72वां कान्स फिल्म फेस्टिवल 14 मई को स्टार्ट हुआ और कई बौलीवुड सेलेब्स ने रेड कारपेट पर हिस्सा लिया. जिसमें एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण, कंगना रनौत, हुमा कुरैशी, डायना पेंटी, हिना खान और ऐश्वर्या राय बच्चन रेड कारपेट पर का हिस्सा बन चुकीं हैं.

‘बागपत के बागी’ बंदूक में भरा आक्रोश का बारूद

18 मई को शाम के तकरीबन 5 बजे वर्षा तोमर (इंटरनैशनल मैडलिस्ट शूटर) का व्हाट्सअप कौल जब मेरे पास आया तो मुझे लगा कि वे मऊ से वापस फरीदाबाद आ गई हैं और हालचाल जानने के लिए बात करना चाहती हैं. लेकिन आपसी बातचीत में उन्होंने बताया कि अहमद बिलाल ने उन पर एक शौर्ट डौक्यूमैंट्री मूवी ‘बागपत के बागी’ बनाई है जिस की एक स्पैशल स्क्रीनिंग उन के घर पर रविवार, 19 मई को रात 9 बजे होगी. उन्होंने मुझे भी परिवार के साथ आमंत्रित किया.

रविवार को तय समय से पहले मैं उन के घर पहुंच गया. उन की हाउसिंग सोसाइटी के कम्युनिटी हाल में फिल्म दिखाने का पूरा इंतजाम किया गया था. उन के बहुत से दोस्त, रिश्तेदार और पड़ोसी भी वहां जमा थे. कुलमिला कर एक उत्सव का सा माहौल था.

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प्रोजैक्टर लगा, अंधेरा हुआ और ‘बागपत के बागी’ अपनी बगावत पर उतर आए. तकरीबन आधा घंटे की इस शॉर्ट मूवी में दिखाया गया था कि उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के गांव जोहड़ी में खोली गई एक निजी शूटिंग रेंज में किस तरह बच्चों को शूटिंग यानी निशानेबाजी की ट्रेनिंग दी जाती है. इतना ही नहीं, कैसे वहां की लड़कियों ने समाज और परिवार के उलाहनों की परवाह किए बिना वहां इस खेल को सीखा और देशविदेश में अपना नाम कमाया.

इस शौर्ट मूवी की 2 अहम पात्र थीं, वर्षा प्रताप तोमर और डॉली जाटव. वर्षा तोमर ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि जब वे इस खेल से जुड़ी थीं तब किस तरह उन की जानपहचान के लोग ही ताने देदे कर उन की राह में रोड़े अटकाते थे कि लड़की हो कर लड़कों के खेल में जाएगी, बाहर लड़कों में रह कर बिगड़ जाएगी, पिस्तौल चला कर कौन सा तीर मार लेगी. और भी न जाने क्याक्या…

लेकिन वर्षा तोमर ने हिम्मत नहीं हारी. अपने पिता की सपोर्ट से उन्होंने इस खेल को न सिर्फ सीखा, बल्कि देशविदेश में कई मैडल जीत कर देश और अपने गांव का नाम रोशन किया. आज वे सेना में नौकरी करती हैं और अपने खेल को और बेहतर बनाने के लिए ट्रेनिंग भी ले रही हैं.

चूंकि वर्षा तोमर को इस खेल से जुड़े हुए कई साल हो गए हैं और गांव जोहड़ी की वह शूटिंग रेंज भी अब खूब चर्चा में रहती है, इस के बावजूद वहां प्रैक्टिस करने वाली एक बालिका डौली जाटव को कोई खास फायदा हुआ है, ऐसा लगता नहीं है. एक गरीब मजदूर मांबाप की लाड़ली डौली जाटव का दलित होना उस की सब से बड़ी कमी है, पैसा तो खैर उन के पास है ही नहीं. इस के बावजूद पिता चाहते हैं कि इतनी कम उम्र में इतने सारे मैडल जीतने वाली उन की बेटी को ट्रेनिंग की लिए अच्छी क़्वालिटी की पिस्टल मिला जाए, पर तमाम कोशिशों और नेताओं से फरियाद करने के बाद ऐसा हो नहीं पा रहा है.

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फिल्म के एक सीन में दिखाया गया था कि पिस्टल का वजन झेलने के लिए डौली जाटव एक पतली रस्सी पर ईंट बांध कर उस से प्रैक्टिस करती है. वह कदकाठी में बेहद दुबलीपतली है और भोजन के नाम पर उसे रूखासूखा ही मिलता है. जातिवाद का दंश उसे अलग से परेशान करता है.

वर्षा तोमर एक और सामाजिक दीवार के बारे में बताती हैं कि अगर किसी महिला खिलाड़ी की शादी के बाद अगर उस की ससुराल वाले उसे मन से सपोर्ट नहीं करते हैं तो उस खिलाड़ी का तनाव और ज्यादा बढ़ जाता है. चूंकि वह सारा दिन घर से बाहर रह कर नौकरी और अपनी प्रैक्टिस करती है तो उसे इस बात की बहुत कम ही छूट मिलती है कि घर लौटने की बाद वह रिलैक्स महसूस करे. घर के काम निबटाना भी उस की ड्यूटी का हिस्सा बन जाता है.

दूसरी तरफ इन सब बातों से अनजान डौली जाटव, जो वर्षा तोमर को अपना आदर्श मानती है, को उम्मीद है कि एक दिन वह भी अपने शूटिंग स्किल से लोगों को अचंभित करेगी. उम्मीद करते हैं कि ऐसा ही हो, लेकिन फिलहाल तो ये दोनों शूटर अपनेअपने दायरों में बागी ही नजर आती हैं, जो सामाजिक बंदिशों पर अपने आक्रोश का बारूद उगल रही हैं.

Edited by Rosy

‘‘मुझे समाज को दिखाना था कि हम जैसे लोग भी बहुत कुछ कर सकते हैं.’’

दीपा शौटपुटर के अलावा स्विमर, बाइकर, जैवलिन व डिस्कस थ्रोअर हैं. पैरालिंपिक खेलों में उन की उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण उन्हें भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया था और इस वर्ष उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा गया. बेचारी जैसे शब्दों का प्रयोग करने वाले समाज की इस सोच को अपनी हिम्मत और इच्छाशक्ति के बल बूते बदलने वाली देश की पहली महिला पैरालिंपिक मैडलिस्ट दीपा मलिक का जीवन चुनौतियों से भरा रहा. उन्होंने इतिहास तब रचा जब रियो में गोला फेंक स्पर्धा में रजत पदक जीत कर पैरालिंपिक में पदक हासिल करने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी बनीं. दीपा ने स्पाइन ट्यूमर से जंग जीती और फिर खेलों में मैडलों का अंबार लगा डाला. पेश हैं, दीपा से हुई बातचीत के कुछ अंश:

खुद के साथ बेटियों को संभालने और अपनी अलग पहचान बनाने की ताकत कहां से मिली?

मुझे कुछ करने की ताकत 3 चीजों से मिली- पहली मुझे समाज की उस नकारात्मक सोच को बदलना था जिस में मेरे लिए बेचारी और लाचार जैसे शब्दों का प्रयोग लोग करने लगे थे. इस अपंगता में जब मेरा दोष नहीं था तो मैं क्यों खुद को लाचार महसूस कराऊं? मुझे समाज को दिखाना था कि हम जैसे लोग भी बहुत कुछ कर सकते हैं. हिम्मत और जज्बे के आगे शारीरिक कमी कभी बाधा नहीं बनती. दूसरी ताकत मेरी बेटियां बनीं, जिन्हें मैं संभाल र ही थी. मैं नहीं चाहती थी कि बड़ी हो कर मेरी बेटियां मुझे लाचार मां के रूप में देखें. तीसरी ताकत खेलों के प्रति मेरा शौक बना, जिस ने इस स्थिति से लड़ने में मेरी बहुत सहायता की.

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पेरैंट्स का कैसा सहयोग रहा?

मैं आज उन्हीं की बदौलत यहां हूं. मैं जब ढाई साल की थी तब पहली बार मुझे ट्यूमर हुआ था. इस का पता भी पापा ने ही लगाया. जब मैं घर में गुमसुम रहने लगी तो पापा ने मुझे चाइल्ड मनोवैज्ञानिक को दिखाया. जब मेरी बीमारी का पता चला तब पुणे आर्मी कमांड हौस्पिटल में मेरा इलाज हुआ. मैं जब तक बैड पर रही, पापा हमेशा मेरे साथ रहे. मेरे पापा बीके नागपाल आर्मी में कर्नल थे. मां भी अपने जमाने की राइफल शूटर थीं. शादी के बाद जब 1999 में दूसरी बार मेरा स्पाइनल कोर्ड के ट्यूमर का औपरेशन हुआ तब भी मुझे पापा ने ही संभाला.

आप ने परिवार को कैसे संभाला?

मेरे पति भी आर्मी में थे. पहली बेटी देविका जब डेढ़ साल की थी तो उस का ऐक्सीडैंट हो गया. हैड इंजरी थी जिस से उस के शरीर का एक हिस्सा पैरालाइज हो गया. यह देख कर मैं बिलकुल नहीं घबराई. मैं ने खुद उस की देखभाल की, फिजियोथेरैपी की. आज वह बिलकुल स्वस्थ है और लंदन में साइकोलौजी से पीएचडी कर रही है. दूसरी बेटी भी पैरालाइज थी. उसे भी ठीक किया. आज वह भी पूरी दुनिया घूम चुकी है. म ैं तो मानती हूं कि मैं ने बेटी पढ़ा भी ली और बचा भी ली. लेकिन तीसरी सर्जरी के बाद मैं व्हीलचेयर पर आ गई, लेकिन तब भी हिम्मत नहीं हारी. मेरे लिए इन सब मुश्किलों से निबटना आसान नहीं था, मगर मुझे खुद पर यकीन था कि मैं इन से निबट भी लूंगी और जीवन को सामान्य धारा में भी ले आऊंगी.

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खेलों की शुरुआत कैसे हुई?

बचपन से ही मेरा लगाव खेलों की तरफ था. मैं स्पोर्ट में हिस्सा लेना और उन्हें देखना पसंद करती थी. लेकिन 2006 के बाद मैं ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. जब स्पोर्ट में आगे बढ़ने की बारी आई तो सरकार से अपने अधिकारों के लिए लड़ी भी. कुछ नए नियम भी बनवाए. मैं पहले महाराष्ट्र की तरफ से खेलती थी. 2006 में एक तैराक के रूप में मुझे पहला मैडल मिला. उस समय मैं पूरे भारत में अकेली दिव्यांग तैराक थी.

आप ने यमुना नदी भी पार की है?

मैं जब बर्लिन से लौटी तब घर नहीं गई और यह तय किया कि मैं यमुना को पार करूंगी और विश्व में सब को बताऊंगी कि मैं असल तैराक हूं. किसी स्विमिंग पूल की तैराक नहीं हूं. इलाहाबाद के एक कोच से कहा कि आप कैसे भी हो मुझे यमुना पार कराओ. पहले तो उन्होंने मना किया पर फिर मेरे जज्बे को देख कर प्रैक्टिस कराने लगे. फिर 2009 में मैं ने यमुना नदी पार कर विश्व रिकौर्ड बनाया, जो ‘लिम्का बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड्स’ में दर्ज हुआ. मेरे पास ‘गिनीज वर्ल्ड रिकौर्ड्स’ बुक वालों को बुलाने के लिए पैसे नहीं थे वरना यह रिकौर्ड गिनीज बुक में दर्ज होता.

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जाने क्यूं हार्ट अटैक से अलग है कार्डियक अरेस्ट

कार्डियक अरेस्‍ट होना आज के इस व्यस्त समय में एक आम बात हो गई है. आए दिन कार्डियक अरेस्‍ट से होने वाली मौत इस बात का सबूत है. पर क्या आप जानते है की कार्डियक अरेस्‍ट क्यूं और इसके लक्षण क्या होते है तो चलिए हम आपको बताते है.

 कार्डियक अरेस्‍ट

कार्डियक अरेस्‍ट का मतलब है अचानक दिल का काम करना बंद हो जाना. ये कोई लंबी बीमारी का हिस्‍सा नहीं है इसलिए ये दिल से जुड़ी बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है.

दिल के दौरे से क्यूं अलग है कार्डियक अरेस्‍ट  

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कार्डियक अरेस्‍ट को अक्सर लोग दिल का दौरा समझते हैं, मगर ये उससे अलग है. जानकार बताते हें कि कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल शरीर के चारों ओर खून पंप करना बंद कर देता है. मेडिकल टर्म में कहें तो हार्ट अटैक सर्कुलेटरी समस्या है जबकि कार्डियक अटैक, इलेक्ट्रिक कंडक्शन की गड़बड़ी की वजह से होता है.

दिल में दर्द के कारण

सीने में अगर दर्द हो रहा हो तो जरूरी नहीं कि वो दिल का दौरा ही हो, डौक्‍टर्स के मुताबिक ऐसा हार्ट बर्न या कार्डियक अटैक के कारण भी हो सकता है.  कार्डियक अरेस्ट में दिल का ब्लड सर्कुलेशन पूरी तरह से बंद हो जाता है. दिल के अंदर वेंट्रीकुलर फाइब्रिलेशन पैदा हो जाने से इसका असर दिल की धड़कन पर पड़ता है. इसलिए कार्डियक अरेस्ट में कुछ ही मिनटों में मौत हो सकती है.

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कार्डियक अरेस्‍ट के लक्षण

कार्डियक अरेस्ट वैसे तो अचानक होने वाली बीमारी  है. लेकिन जिन्हें दिल की बीमारी होती है उनमें कार्डियक अरेस्ट की आशंका ज्यादा होती है.

1.कभी-कभी छाती में दर्द होना

2.सांस लेने में परेशानी

3.पल्पीटेशन

4.चक्कर आना

5.बेहोशी

6.थकान या ब्लैकआउट हो सकता है.

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कार्डियक अरेस्‍ट का ट्रीटमेंट

हार्ट अटैक से पुरी तरह अलग कहे जाने वाले कार्डियक अरेस्‍ट के ट्रीटमेंट में मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (सीपीआर) दिया जाता है, जिससे उसकी दिल की धड़कन को रेगुलर किया जा सके. इसके मरीजों को ‘डिफाइब्रिलेटर’ से बिजली का झटका देकर हार्ट बीट को रेगुलर करने की कोशिश की जाती है.

हनी ओट्स एनर्जी बार

अगर आपको भी छोड़ी-छोड़ी देर में भूख लगती है, जिसके कारण आप अनहेल्दी चीजें खाते हैं. तो आज हम आपको छोटी-छोटी भूख को खत्म करने और हेल्दी रहने के लिए आज हनी ओट्स एनर्जी बार की रेसिपी बताएंगे.

हमें चाहिए

1/2 कप मिक्स्ड ड्राईफ्रूट्स

1 बड़ा चम्मच कद्दू के बीज

2 बड़े चम्मच नारियल कद्दूकस किया

1/2 कप ओट्स

2 बड़े चम्मच घी

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1/4 कप शहद

1/4 कप कद्दूकस किया गुड़

1 छोटा चम्मच पिस्ता कतरन.

बनाने का तरीका

एक नौनस्टिक कड़ाही में घी गरम कर ड्राईफ्रूट्स, कद्दू के बीच व नारियल धीमी आंच पर 1-2 मिनट रोस्ट करें.

फिर ओट्स डाल उसे भी 1 मिनट रोस्ट करें. गुड व शहद डाल कर धीमी आंच पर 2-3 मिनट उलटें-पलटें.

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जब गुड़ पिघल कर ड्राईफ्रूट्स में शहद के साथ मिल जाए तब इसे एक एल्यूमिनियम की ट्रे को घी से चिकना कर उस पर फैला दें. इस पर पिस्ता बुरक दें. ठंडा होने पर टुकड़े काट लें.

Edited by- Rosy

5 टिप्स: इन तरीकों से लगाएं हल्दी और पाएं टैनिंग से छुटकारा

गरमी बढ़ते ही हमारी स्किन प्रौब्लम की प्रौब्लम्स शुरू हो जाती हैं. जिनसे निपटने के लिए हमें कईं बार डौक्टर्स के चक्कर काटने पड़ते हैं, लेकिन इस बार हम आपको हर घर में मौजूद हल्दी के कुछ ऐसे टिप्स के बारे में बताएंगे, जिससे आपको इस गरमी स्किन प्रौब्लम से होने वाली प्रौब्लम से छुटकारा तो मिलेगा ही. साथ ही आपको ग्लोइंग स्किन भी मिलेगी. आइए आपको बताते हैं, हल्दी के कुछ असरदार टिप्स…

1. हल्दी से पा सकते हैं टैन से छुटकारा

हल्दी और नींबू का रस मिलाएं औुीर 30 मिनट के लिए चेहरे पर लगाकर छोड़ दें. फिर गुनगुने पानी से धो दें. इसके अलावा, थोड़ी से हल्दी को एक चम्मच मिल्क पाउडर, दो चम्मच शहद और आधे नींबू के रस में मिलाएं और सूखने तक चेहरे पर लगाकर छोड़ दें. इसके बाद धो दें और फर्क देखें.

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2. ग्लोइंग स्किन के लिए हल्दी है बेस्ट

हल्दी और बेसन के फेसपैक को हमेशा से ही स्किन को ग्लो कराने का बेहतरीन तरीका माना जाता है. चार चम्मच बेसन, आधा चम्मच हल्दी और थोड़ा सा दूध लेकर पेस्ट बनाएं. इसे कम से कम 20 मिनट के लिए चेहरे पर लगाकर छोड़ दें. इसे हफ्ते में कम से कम एक बार जरूर लगाएं और ग्लोइंग स्किन पाएं.

3. पिंपल की छुट्टी दिलाएगी हल्दी

अगर आप पिंपल की प्रौब्लम से छुटकारा पाना चाहते हैं तो हल्दी को चंदन और नींबू के रस में मिलाकर फेस पैक बनाएं और 10 मिनट तक चेहरे पर लगाकर रखें. फिर हल्के गर्म पानी से धो दें. मुहांसों के दाग भी हल्दी 15 मिनट तक चेहरे पर हल्दी का लेप लगाने से कम हो जाते हैं. आप दो टेबलस्पून बेसन में आधा चम्मच हल्दी और तीन चम्मच फ्रेश योगर्ट यानी दही मिलाकर चेहरे पर लगा सकते हैं. सूखने के बीद इसे ठंडे पानी से धो दें.

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4. डार्क सर्कल दूर करे हल्दी

हल्दी, गन्ने का रस और दही मिलाकर आंखों के नीचे लगाने से डार्क सर्कल कम होते हैं. इससे झुर्रियां भी कम होती हैं.

5. एंजिंग की प्रौब्लम से मिलेगा छुटकारा

बढ़ती उम्र आपके चेहरे से ना झलके इसके लिए भी हल्दी आपके बहुत काम आएगी. हल्दी को दूध या योगर्ट में मिलाकर चेहरे पर सर्कुलर मोशन में लगाएं और सूखने के लिए छोड़ दें. फिर गुनगुने पानी से धो दें.

मेरी मां- “बच्चों के सपनें और मां का त्याग”

शैली द्विवेदी, (लखनऊ)             

बात पुरानी है. हम चार भाई-बहन है. पिताजी बैंक की नौकरी करते थे. छोटी सी नौकरी मगर ख्वाब बड़े-बड़े. माताजी ने बच्चो को CMS में बच्चो को पढ़ाने का निश्चय किया था. चार बच्चों की फ़ीस बहुत हुआ करती थी. मां का प्यार और उनका निश्चय बचपन में ही देखा जिसकी छाप आज तक मेरे जेहन से मिटती नहीं. सुबह सवेरे सभी के लिए पराठा-अचार बनाना. पिताजी के लिए लंच. सबकी ड्रेस लगा कर रखना. मैं थोड़ी बिगड़ैल स्वभाव की थी तो मेरे लिए चुपके से आलू छौंक कर लंच में रख देती थी. फिर सबको विदा करके अपने कामों में लग जाती थी. अपने लिए कुछ नही.

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बस जैसे एक धुन थी कि बच्चे कुछ बन जाएं. न नाते न रिश्तेदार. कैसे निभातीं. रिश्तेदारियां भी महंगी होती हैं. फिर बच्चे एक दूसरे से मिलकर रोज़ नई मांग रख देते. वो पूरा करती तो पैसे ना बचते अच्छे स्कूल में पढ़ाने को. बस इसलिए अपनी ख़्वाइशों को दबाती रहती थी. मैंने उन्हें गैस की लाइनों में लगते हुए दलालों से बहस करते देखा है. वो भाई के साथ उसकी साइकिल के पीछे गैस सिलिंडर रख कर लाती थी. मैंने एक बार कोचिंग की जिद्द कर ली. उन्होंने बहुत समझाया बिटिया हम मुश्किल से फीस दे पाते हैं. कोचिंग कैसे करवाएंगे. मगर बाल हठ के आगे कहां चलने वाली. अपने घर खर्च से कटौती कर के मुझे कोचिंग भी पढ़ाया.

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आज जब हम सब सफल हो गए है और अपने अपने जगह लग गए है मां की वो बातें याद आती हैं तो आंखे डबडबा जाती हैं. इसी शहर में रहती हैं लेकिन हम बच्चे कम समय दे पाते हैं लेकिन वो आज भी उसी शिद्दत से हम सब के लिए कुछ न कुछ  करती हैं.

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मैं खुद आज मां हूं. एक बच्चे की परवरिश में पूरा समय देती हूं फिर भी लगता है कुछ कमी है. मगर मां आपने चार बच्चो को कैसे हंस-हंस के पाल लिया, ये अनुकरणीय है. मदर्स डे पर आपको मेरा अभिनंदन. दुआ करूंगी की ऐसी मां सबको मिले.

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