‘दंगल गर्ल’ जायरा वसीम ने बौलीवुड को कहा अलविदा

नेशनल अवार्ड जीत चुकी जायरा वसीम ने एक्टिंग की दुनिया से पीछे हटने का फैसला ले लिया है. रविवार को सोशल मीडिया पर जायरा ने यह बताते हुए घोषणा की वह इस काम से खुश नहीं हैं. यह काम उन्हें ईमान से दूर कर रहा है. फिल्म दंगल और सीक्रेट सुपरस्टार से फिल्मी दुनिया में शोहरत हासिल करने वाली जायरा ने अपने सोशल मीडिया पर छह पेज के मैसेज में ये सारी बातें लिखी हैं…

मेरी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई… 

“पांच साल पहले मैंने एक फैसला लिया जिसने मेरी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी. मेरे बौलीवुड में कदम रखते ही फेमस होने के रास्ते खुल गए. जहां मुझे लोगों के दिल में जगह मिली वहीं मुझे युवाओं का रोल मौडल बना दिया गया. हालांकि मैंने कभी इतना सब कुछ सोचा नहीं था. खासकर सफलता और विफलता के मेरे विचारों के संबंध में, जिन्हें मैंने समझना एवं खोजना अभी शुरू ही किया है.”

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मैं यहां खुश नहीं हूं…

जायरा ने कहा आगे लिखा है- मुझे इस इंडस्ट्री में पांच साल पूरे हो गए है लेकिन मैं खुश नहीं हूं. मुझसे ऐसा लग रहा है कि मैं कोई और बनने के कोशिश में थी और बन कुछ और गई. लेकिन जब मैंने खुद को समझना शुरू किया तो समझ आया कि जिसमें मैंने अपना वक्त, मेहनत और भावनाएं लगाकर एक नए लाइफस्टाइल को अपनाने कि कोशिश की थी उसमें मैं फिट तो हो गई लेकिन अब मुझे लगता है मैं इस जगह के लिए बनी ही नहीं हूं. इस इंडस्ट्री से मुझे बहुत प्यार और सहयोग तो मिला लेकिन इसने मुझे अज्ञानता के रास्ते पर धकेल दिया. मैं जाने-अंजाने में ईमान के रास्ते से भटक गई हूं. धर्म के साथ मेरा रिश्ता खतरे में पड़ गया है.

यह सफर बहुत थकावट भरा था. जीवन बहुत छोटा है, लेकिन खुद के साथ लड़ाई लड़ना बहुत लंबा रहा. मैं आज इस इंडस्ट्री से खुद को आधिकारिक तौर पर अलग करती हूं.’’

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लोगों ने किया ट्रोल…

सोशल मीडिया पर जायरा के इस पोस्ट से लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया. कुछ लोगों ने उनको सपोर्ट किया तो वहीं कइयों ने उन्हें एक बार फिर सोचने कि राय दी. लेकिन कुछ लोगों ने इसे पब्लिसिटी स्टंट बताया है.

पहले भी हुए हैं विवाद…

बौलीवुड में मुकाम बनाना इतना आसान नहीं है लेकिन ‘दंगल गर्ल’ जायरा ने बहुत कम समय में ये मुकाम हासिल कर लिया. लेकिन जैसे जैसे जायरा मशहूर होती गई उनके साथ विवाद का सिलसिला भी शुरू होता चला गया. मुस्लिम कट्टरपंथियों ने जायरा का हमेशा विरोध किया. ‘दंगल’ की शूटिंग के दौरान उनके कटे हुए बालो की फोटो सामने आई थी जिसे कट्टरपंथियों ने इसे इस्लाम के खिलाफ बताया था. ऐसे कई हादसे जायरा के साथ होते रहे है. कई बार तो जायरा और उसके परिवार को जान से मरने की धमकी भी दी गई है.

आज भले ही जायरा ने इंडस्ट्री को छोड़ने का फैसला ले लिया है लेकिन काम के मामले में जायरा बहुत प्रोफेशनल रही हैं. उनके व्यवहार और काम की निर्माताओं ने भी तारीफ की है. जायरा की आखिरी फिल्म ‘द स्काइ इज पिंक’ होगी. जिसे शोनाली बोस ने निर्देशित किया है.

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खुलासा: मलाइका-अर्जुन के रिलेशन को लेकर ऐसा था बेटे अरहान का रिएक्शन

बौलीवुड एक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा ने हाल ही में बौयफ्रेंड अर्जुन कपूर के बर्थडे पर अपने रिलेशनशिप का खुलासा किया था. मलाइका के इंस्टाग्राम पर रिलेशनशिप के इस खुलासे के बाद जहां लोगों ने उनका साथ दिया तो वहीं कईं लोगों ने उनको ट्रोल करना शुरू कर दिया. वहीं अब अपने रिलेशन को लेकर खुलकर बात की है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

रिलेशन को लेकर मलाइका ने की खुलकर बातचीत

हाल ही में मलाइका अरोड़ा ने एक इंटरव्यू में खुलकर बात करते हुए बताया, ‘जब मेरी शादी टूटी… मैं श्योर नहीं थी कि मैं दोबारा किसी रिश्ते में आना चाहूंगी. मैं दिल टूटने को लेकर डरी हुई थी, लेकिन मैं भी प्यार पाना चाहती थी और एक रिश्ते को बनाना चाहती थी. और इसने मुझे आत्मविश्वास दिया जिससे मैं अपनी जिंदगी से निकल कर खुद को एक मौका दे सकी. मैं बहुत खुश हूं कि मैंने ऐसा किया.’

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बेटे के रिएक्शन पर मलाइका ने कहा…

 

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#pride #onlylove #pride? #pridenyc

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बेटे अरहान को जब मलाइका के अर्जुन कपूर के साथ रिश्ते के बारे में पता चला तो उसका कैसा रिएक्शन पर मलाइका ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि किसी भी हालात को अप्रोच करने का बेस्ट तरीका है ईमानदारी. ये जरुरी है कि आपकी जिंदगी में जो भी चल रहा है वो अपने करीबी और प्यारे लोगों को बताया जाए, और उन्हें वक्त दिया जाए चीजों को समझने का और इसे अपनाने का. हमने बात की और मैं खुश हूं कि आज सब बेहद खुशनुमा माहौल में ईमानदारी के साथ हैं.’

शादी के मूड में नहीं हैं मलाइका-अर्जुन

 

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Happy bday my crazy,insanely funny n amazing @arjunkapoor … love n happiness always

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बता दें, मीडिया में अर्जुन और मलाइका का रिलेशनशिप ओपन होने के बाद भी  दोनों जल्दी शादी के मूड में नहीं हैं. वहीं एक्टर अर्जुन कपूर इन दिनों अपनी फिल्म ‘पानीपत’ की शूटिंग में बिजी हैं.

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ग्रैजुएशन पार्टी में दिखा सुहाना खान का हौट अंदाज, Photos Viral

बौलीवुड के किंग खान यानी शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान ने हाल ही यूके के आर्डिंग्ले कौलेज से अपनी ग्रैजुएशन पूरा किया है. वहीं उनके ग्रैजुएटिड होने की जानकारी शाहरुख और उनकी वाइफ गौरी ने फोटो शेयर करते हुए सोशल मीडिया पर दी. जिसके बाद ये खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. इन फोटोज की खास बात ये है कि इन फोटोज में सुहाना कूल और हौट लुक में मस्ती करती नजर आ रहीं हैं. आइए आपको दिखाते हैं उनके ग्रैजुएशन की खास फोटोज…

पापा शाहरुख ने शेयर की फोटोज

 

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Last day at school. To adding new experiences and colours to your life ahead….

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बेटी सुहाना की ग्रैजुएशन कम्पलीट होने की खुशी में पापा शाहरुख ने बेटी के साथ अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर फोटो शेयर की है.

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ग्रैजुएशन कंप्लीट होने पर पार्टी करती आईं नजर सुहाना

हाल ही सुहाना खान की फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसमें वह ग्रैजुएशन के बाद पार्टी करते हुए नजर आ रही हैं.

कौलेज फ्रेंड्स के साथ नजर आईं सुहाना

 

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❤️

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वायरल फोटोज में सुहाना अपने कौलेज फ्रेंड्स के साथ मस्ती करते हुए और फोटो के लिए पोज देते हुए नजर आ रही हैं.

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ग्रैजुएशन पार्टी में सुहाना का दिखा ग्लैमरस लुक

 

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Do you like the outfit?? . . . . . . . #instadaily #love #suhanakhan #shahrukhkhan #bollywood

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ग्रैजुएशन पार्टी में  सुहाना खान ब्लैक स्कर्ट और शिमरी सिल्वर औफ शोल्डर टौप लुक में काफी ग्लैमरस नजर आईं.

डिनर करते हुए नजर आईं सुहाना

अपनी ग्रैजुएशन कम्लीट होने की खुशी में सुहाना और उनके दोस्त एक साथ डिनर करते हुए नजर आए, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

गौरी खान ने शेयर की फोटोज

 

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Lunch at Ardingly.. Graduation

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मम्मी गौरी खान ने भी बेटी सुहाना की ग्रैजुएशन कम्प्लीट होने पर सोशल मीडिया पर लंच करते हुए फोटोज शेयर की. जिसके बाद सेलेब्स ने उन्हें बधाइंया देना शुरु कर दिया.

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प्ले बैक सिंगर की आज नहीं है कोई अहमियत– अलका याग्निक

अपनी सुरीली आवाज से करोड़ों के दिल पर छाने वाली गायिका अलका याग्निक से कोई अपरिचित नहीं. उन्होंने अपनी दिलकश आवाज से उन्होंने बौलीवुड में 30 साल बिताये हैं और अभी भी उन्हें लगता है कि वह इस इंडस्ट्री के लिए नई हैं. उन्हें सुरों की इस दुनिया में लाने वाली उनकी मां शुभा याग्निक हैं, जिन्हें अपनी बेटी को एक प्ले बैक सिंगर के रूप में देखना एक सपना था. अलका ने करीब 600 फिल्मों में 20 हज़ार गाने गाये हैं. कैसे समय बीत गया, अलका को पता नहीं, आज उनकी मां शय्याग्रस्त है, पर उनका आशीर्वाद उनके साथ हमेशा रहता है. वह अभी भी संगीत की रियाज करती हैं. इस बार वह सोनी टीवी पर रियलिटी शो ‘सुपरस्टार सिंगर’ में जज बनी हैं. अपनी जर्नी और बदलते हुए संगीत की दुनिया के बारें में आइये जाने उन्हीं से.

सवाल- इस शो में आने की खास वजह क्या है?

इस शो में आने की खास वजह म्यूजिकल बच्चों का होना है और मुझे उन्हें गाइड करना और जज बनना पसंद है. मैंने अधिकतर उन्ही शो में भाग लिया है, जिसमें बच्चे हैं, क्योंकि उन्हें मोल्ड करना आसान होता है. प्रतिभावान बच्चे को देखने से मुझे खुशी मिलती है.

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सवाल- बच्चे बहुत इमोशनल होते है और उन्हें रिजेक्ट करने पर वे कई बार रोने भी लगते है, ऐसे में आपकी सोच उन बच्चों के लिए कैसी रहती है?

ये सही है. उन्हें रिजेक्शन बहुत सीरियस लगती है, लेकिन मैं हमेशा ये बताती हूं कि ये आपकी जर्नी की शुरुआत है. उन्हें बहुत की सावधानी से बताना पड़ता है, ताकि उन्हें दुःख न पहुंचे. उन्हें सही एडवाइस मीठे शब्दों में कहने की जरुरत होती है. वह भी एक कला है. मुझे बच्चों से बहुत प्यार है.

सवाल- 30 साल की इस सफल जर्नी को आप कैसे देखती है?

कैसे 30 साल निकल गए पता नहीं चला, लगता है केवल 30 दिन ही हुए है. समय कैसे बीत गया पता नहीं. मैंने पूरी जिंदगी गाने गाये हैं. सोचती हूं, तो विश्वास नहीं होता. कभी नहीं लगा था कि मैं इतने गाने गा लूंगी. मेरी मां की इच्छा के अनुसार एक दो गाने गाऊंगी. उनका कहना था कि एक दो गाने भी अगर प्ले बैक सिंगिंग में आ जायेगा, तो उन्हें संतुष्टि मिल जाएगी. एक गाना करते-करते हज़ारों गाने हो गए. बहुत अच्छी जर्नी रही, जिसमें मैंने बहुत खूबसूरत गाने गाये है. मैं खुशनसीब हूं कि मुझे अच्छे गाने मिले,जिसे आज भी लोग सुनना पसंद करते है.  ऐसे गाने जिनकी पौपुलैरिटी समय के साथ बढती जा रही है.

सवाल- गानों के दौर में कितना बदलाव देखती है?

मैंने जब गाना शुरू किया था तो लाइफ रिकौर्डिंग्स होती थी. संगीतकार के साथ पूरा गाना लाइव रिकौर्डिंग्स हुआ करती थी. धीरे-धीरे बदलाव होने की वजह से म्यूजिक अलग और आवाज अलग रिकौर्डिंग्स होने लगी. पहले द्वेट में पुरुष और महिला सिंगर एक साथ खड़े होकर गाते थे.  कई बार मेरे साथ ऐसा हुआ कि मैं गाना गाने गयी, तो संगीतकार से पूछने पर पता चला कि उसने अभी सोचा ही नहीं है कि कौन मेरे साथ गायेगा? बाद में गाना बनने के बाद पुरुष सिंगर का पता चला. इसके अलावा डबिंग की फैसिलिटी, औटो ट्यूनर जिसमे बेसुरे और बेताल को भी सुर में कर सकते है. आज सब कुछ अलग होता है. पहले स्टूडियो में सारे लोग साथ मिलते थे, अब खुद खाली स्टूडियो में हेड फोन लगाकर गाना गा लीजिये, यही चल रहा है. गाने में अब आत्मा खो चुकी है. आज अधिकतर गाने पार्टीज, पब्ब्स में बजाकर डांस करने के लिए होते है. वही मशहूर भी होते है. आप आंखे बंद करके सुन सकें, वे गाने अब नहीं बनते. भांगड़ा बेस, पौप, रैप ये सब आज चल रहा है.

सवाल- अभी फिल्मों में गाने कम होने लगे है, ऐसे में क्या प्ले बैक सिंगर की भूमिका कम हो रही है?

आजकल प्ले बैक सिंगर की कोई अहमियत नहीं है. सिंगर खुद ही अपनी जगह बना रहे हैं. फिल्मों में वे गाये या न गाये कुछ फर्क नहीं पड़ता. हर कोई आज फिल्मों के गाने गा रहे हैं, किसी को भी वे गवा लेते हैं ,क्योंकि तकनीकी सुविधाएं बहुत हैं. एवरेज गायक के गानों को भी वे तकनीक की सहायता से ठीक कर लेते हैं.

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सवाल- रियलिटी शो पर गाने वाले प्रतियोगी किसी भी गायक के गानों को बखूबी गाते है, लेकिन जब उन्हें अलग गीत गाने के लिए दिया जाता है,तो वे गा नहीं पाते, इसकी वजह क्या मानती है?

गाये हुए गाने को उठाकर गा लेना एक अलग बात होती है, उसे गाने पर इसलिए वाहवाही मिलती ,क्योंकि वह गाना पहले से ही पोपुलर होता है. नए गाने में आर्टिस्ट को अपने खुद की प्रतिभा को दिखानी पड़ती है. गाने को उठाना उनके लिए मुश्किल होता है. इसलिए ऐसे सिंगर बहुत कम टिक पाते है.

सवाल- आपकी सुरीली सुर, जो आज भी कायम है ,उसका राज क्या है?

मैंने जो भी काम किया हमेशा लगन और मेहनत से किया है. इधर-उधर कभी भटकी नहीं. जो भी रिकौर्डिंग्स मैंने की, उसे करने के बाद उसका आकलन खुद किया और उसमें खामियों को कम करने की हमेशा कोशिश की है. इसमें हमें सुनने वाले भी है, जिन्होंने हमेशा मुझे अच्छा गाना गाने के लिए प्रेरित किया.

सवाल- आप मां की बहुत क्लोज है, उनके साथ बिताये कुछ पल जिन्हें आप मिस करती है, वो क्या है?

मेरी मां मेरे लिए सबकुछ है वह एक क्लासिकल सिंगर है, मेरी शक्ति,आलोचक, फैन आदि सब कुछ वही है. आज मेरी मां चल फिर नहीं सकती ,पर उनका हाथ मेरे सिर पर होना ही बहुत बड़ी बात है. कही भी जाने पर घर जल्दी भागकर उनके साथ समय बिताना अच्छा लगता है. वो भी मुझे बहुत मानती है. उनके बिना मेरी जिंदगी नहीं है.

 Edited by Rosy

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कितना और कैसे लें खाने में प्रोटीन

बौडी को रोजाना खाने में एक निश्चित मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है. इससे न केवल खाने संतुलित होता है, बल्कि क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत और नई कोशिकाओं के बनने में भी मदद मिलती है. मगर कुछ लोग रोजाना उतनी मात्रा में प्रोटीन का सेवन नहीं करते, जितना कि बौडी के लिए करना जरूरी होता है. प्रोटीन को बनाने के लिए 20 तरह के अमीनो ऐसिड जरूरी होते हैं. इन में से 8 को जरूरी अमीनो ऐसिड कहा जाता है, क्योंकि हमारा बौडी इन्हें नहीं बना सकता. लेकिन बाकी 12 अमीनो ऐसिड गैरजरूरी होते हैं, क्योंकि बौडी खुद उन का निर्माण कर सकता है.

प्रोटीन छोटे अणुओं से बने होते हैं, जिन्हें अमीनो ऐसिड कहा जाता है. ये एकदूसरे के साथ ठीक उसी तरह जुड़ जाते हैं जैसे मोतियों के जुड़ने से माला बनती है. इस तरह प्रोटीन की लंबी चेन बन जाती है. इन में से कुछ अमीनो ऐसिड बौडी में बनते हैं, जबकि शेष को हमें अपने खाने से ही प्राप्त करना होता है, जिन्हें जरूरी अमीनो ऐसिड कहा जाता है.

बौडी में 2 प्रकार के प्रोटीन होते हैं:

1. कंप्लीट यानी संपूर्ण प्रोटीन

वे प्रोटीन जिन में वे सभी अमीनो ऐसिड मौजूद हों जो नए प्रोटीन बनाने के लिए जरूरी होते हैं. जंतुओं से मिलने वाला प्रोटीन संपूर्ण प्रोटीन होता है.

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2. इनकंप्लीट यानी अपूर्ण प्रोटीन

कुछ स्रोतों से मिलने वाले प्रोटीन में सभी अमीनो ऐसिड मौजूद नहीं होते, इसलिए इन से अन्य प्रकार के नए प्रोटीन नहीं बन सकते. फलों, सब्जियों, दालों, मेवों में पाया जाने वाला प्रोटीन इसी तरह का होता है.

3. औसत व्यक्ति के लिए प्रोटीन की जरूरत

हर व्यक्ति को एक निश्चित मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है. यह व्यक्ति के वजन और ऊंचाई पर निर्भर करता है. लेकिन सही मात्रा में प्रोटीन का सेवन कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे आप कितने सक्रिय हैं, आप की उम्र, मांसपेशियां और मौजूदा स्वास्थ्य पर.

अगर आप का वजन सही है और आप वजन नहीं उठाते हैं, ज्यादा व्यायाम नहीं करते हैं, तो आप को 0.8 से 1.3 ग्राम प्रति किलोग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. औसतन पुरुष के लिए 56 से 91 ग्राम और औसतन महिला के लिए 46 से 75 ग्राम.

प्रोटीन से भरपूर इन चीजों को करें खाने में शामिल

प्रोटीन हमें शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के खाने से मिलता है. इन खा-पदार्थों में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है:

स्नैक्स के लिए भी अच्छा है अंडा

एक मध्यम आकार के अंडे में 6 ग्राम प्रोटीन होता है, जिसे आसानी से पचाया जा सकता है. आमलेट दिन की शुरुआत के लिए अच्छा खाने और अच्छा स्नैक्स भी है.

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डेयरी प्रौडक्ट है बेस्ट दूध

डेयरी उत्पादों में प्रोटीन और हड्डियों के लिए जरूरी कैल्सियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. दूध को सेहत के लिए बेहद जरूरी माना जाता है, क्योंकि इस में ऊर्जा देने वाले कार्बोहाइड्रेट व्हे और कैसीन प्रोटीन पाए जाते हैं.

योगर्ट: कैसीन और व्हे प्रोटीन का बेहतरीन संयोजन प्रोटीन का अच्छा स्रोत है. इस में लैक्टोज नहीं होता. इसलिए यह उन लोगों के लिए अच्छा है, जिन्हें लैक्टोज से ऐलर्जी है.

मछली और सीफूड

मछली और सीफूड में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होते हैं जबकि फैट, वसा कम होती है. हालांकि सालमन में फैट की मात्रा कुछ अधिक होती है, लेकिन इस में मौजूद ओमेगा-3 फैटी ऐसिड दिल, जोड़ों की सेहत के लिए अच्छा होता है.

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सोया है प्रोटीन लेने के लिए बेस्ट औप्शन

अगर आप को डेयरी उत्पादों से ऐलर्जी है तो आप को सोया प्रोटीन जैसे टोफू और सोया पेय का सेवन करना चाहिए. इन में प्रोटीन तो होता है, साथ ही ये बौडी में कोलैस्ट्रौल कम कर दिल की बीमारियों से भी बचाते हैं.

मेवा लेना है जरूरी

मूंगफली, काजू, बादाम आदि प्रोटीन और सेहतमंद वसा के अच्छे स्रोत हैं.

मेरी देह मेरा अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने एक नए फैसले में 158 साल पुराने कानून, जिसमें किसी अन्य की पत्नी के साथ सहमति से यौन संबंध बनाने पर भी दंड दिया जा सकता है, असंवैधानिक करार दिया है. यह कानून अपनेआप में अनैतिक था और हमेशा इस पर आपत्तियां उठती रही हैं पर पहले हिंदू कानून और फिर अंग्रेजी कानून बदला नहीं गया. रोचक बात यह है कि यदि पति किसी के साथ संबंध बनाए तो पत्नी को यह हक नहीं था कि वह शिकायत कर सके. एक और रोचक बात इस कानून में यह थी कि गुनहगार पत्नी नहीं परपुरुष ही होता था.

इस कानून का आधार यह था कि पत्नियां पतियों की जायदाद हैं और परपुरुष उन से संबंध बना कर संपत्ति का दुरुपयोग न करें. यदि पति इजाजत दे दे तो यह कार्य दंडनीय न था. यानी मामला नैतिकता या विवाह की शुद्धता का नहीं, मिल्कीयत का था.

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पहले भी 2-3 बार यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका या और एकतरफा होने के कारण इसे असंवैधानिक करने की मांग की जा चुकी थी पर अदालतों ने हस्तक्षेप नहीं किया और न ही संसद ने यह कानून बदला. अंग्रेजों को दोष देने की जगह असल में भारतीय संसद इस कानून के लिए जिम्मेदार है जिस ने 70-75 साल इसे थोपे रखा.

वैसे यह कानून निष्क्रिय सा ही था और बहुत कम मामले ही दर्ज होते थे, पर फिर भी विवाहित औरत और उस के प्रेमी पर तलवार तो लटकी ही रहती थी कि न जाने कब पति शिकायत कर दे और प्रेमी जेल में बंद हो जाए और पत्नी की जगहंसाई हो जाए.

बहुत सी विवाहिताएं अपने पति का घर छोड़ कर प्रेमी के साथ रहने से कतराती थीं कि कहीं पुलिस मामला न बन जाए पर पत्नी के पास यह अधिकार न था कि वह किसी और विवाहिता या अविवाहिता के साथ रहने वाले पति पर मुकदमा दायर कर सके.

हां, वैवाहिक कानून में इस मामले में दोनों को तलाक लेने का हक पहले से ही बराबर का है पर प्रक्रिया लंबी है और थाने के चक्कर वकीलों के चक्करों से ज्यादा दुखदाई होते हैं.

पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह अनैतिक कार्य व्यभिचार है और परपुरुष को ही अपराधी बनाना गलत नहीं, क्योंकि इस से गैरपुरुष के साथ यौन संबंध बनाने वाली औरत को सुरक्षा व संरक्षण मिलता है. सुप्रीम कोर्ट बराबर का मतलब यह मान रहा था कि पत्नी पर भी मुकदमा चले.

अब के फैसले में यह कहा गया है कि पत्नी पर भी आपराधिक मामला नहीं बनेगा और उस के प्रेमी पर भी नहीं. इस फैसले का मतलब अब यह भी है कि लोकसभा भी कानून नहीं बना सकती क्योंकि यह गैरसंवैधानिक घोषित कर दिया गया है. यदि संसद पहले से कानून बना कर कुछ करती तो गुंजाइश थी कि सांसद मनचाहा बीच का रास्ता अपना लेते.

यह सैक्स संबंधों में उदारता का लाइसैंस नहीं है, यह स्त्रीपुरुष के संबंधों को थानेदारों से बचाने का कवच है. पतिपत्नी संबंध आपसी सहमति का संबंध है, इस में कानून की सहायता से जोरजबरदस्ती नहीं चलनी चाहिए. नैतिकता का पाठ पढ़ाने और हिंदू संस्कृति की दुहाई देने वाले अगर अपने धर्म ग्रंथों के पृष्ठ खंगालेंगे तो पाएंगे कि जिन देवीदेवताओं को वे पूजते हैं उन में से लगभग हर देवीदेवताओं के विवाहेतर संबंध रहे हैं.

भारतीय समाज में घरों में भी और बाजारों में भी सैक्स का खुलापन आज भी है और हम जो शराफत का ढोल पीटते हैं वह केवल इसलिए कि हम सब अपनी खामियों को छिपा कर रखने में सफल रहे हैं. हम हर उस व्यक्ति का मुंह तोड़ सकते हैं जो सच कहने की हिम्मत करता है और महान भारतीय हिंदू संस्कृति का राज केवल यहीं तक सीमित है. आज जो बलात्कार के मामले सामने आ रहे हैं, इसलिए कि औरतों को संपत्ति मानने की तो सामाजिक, सांस्कारिक सहमति पहले से ही है. अगर औरत सड़क पर दिखे तो उसे उठा कर वैसे ही इस्तेमाल करा जा सकता है जैसे सड़क पर पड़े 2 हजार रुपए के नोट को.

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पतिपत्नी संबंध बराबर के हों, मधुर हों, सुखी हों, यह जिम्मेदारी पतिपत्नी दोनों की है, बराबर की है. कानून की धौंस दे कर अब पति अपनी पत्नी को किसी और से बात करने पर धमका नहीं सकता. यह नैतिक, प्राकृतिक और मौलिक अधिकार है.

वो औटो वाला प्यार

मुझे याद है जब मैं ये सोचा करती थी कि ये प्यार, मोहब्बत सब बेकार है, ये सब कुछ नहीं होता. मैं हमेशा यही सोचती थी कि अपनी जिंदगी में कभी प्यार नहीं करूंगी लेकिन वो कहते हैं न शायद की प्यार करते नहीं हो जाता है. बस ऐसा ही हुआ था कुछ मेरे साथ. वो दिन याद है मुझे जब उन्होंने पहली बार मुझसे बात की थी, मैंने भी बस ऐसे ही हाय-हैल्लो कर लिया.लेकिन ये नहीं सोचा था कि एक दिन इसी इन्सान का मुझे साथ मिलेगा.जब उन्होंने मुझे प्रपोज किया था तो कोई एहसास ही नहीं था मन में बस मैंने मजाक में ले लिया उसे फिर मामला थोड़ा गम्भीर समझ में आया और मैंने सीधा मना कर दिया.

तकरीबन एक महीने तक मुझे मनाने में लगे थे वो और मैं यही बोलती की नहीं मेरे घर वाले नहीं मानेंगे.. मेरा एक ही प्यार होगा जिससे मैं शादी करूंगी. मेरे घर में लव मैरेज की कोई इजाजत नहीं देगा.लेकिन उनके मनाते-मनाते मैंने सोचा कि क्या एक मौका देना चाहिए और फिर क्या था मैंने एक दिन उन्हें हां बोल दिया…हां याद है मुझे जब मैंने हां की थी तो हम दोनों औटो में थे और वो मुझे छोड़ने के लिए मेरे घर तक आये थे हालांकि औटो से उतरे नहीं लेकिन घर तक छोड़ कर गए.

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जब मैंने हां कहा था तब कोई उतना प्यार नहीं था मुझे उनसे ना ही कोई अट्रैक्शन था.ऐसा सुना था मैंने कि लोगों का रिलेशन 6 महीने,5 महीने या ज्यादा से ज्यादा 1 साल ही चलता है फिर ब्रेकअप और फिर कोई दूसरा आ जाता है जिंदगी में लेकिन मेरे साथ उल्टा हुआ मुझे रिलेशन में आने के 5 से 6 महीने बाद तो प्यार हुआ था.हम अक्सर मिलते थे…उनके पास स्कूटी थी लेकिन फिर भी मेरे लिए वो औटो से आत थे और रोज मुझे औटो से छोड़ने जाते थे. बहुत खयाल रखते थें…

आज भी रखते हैं.औटो में ही प्यार की कहानियां बन गई और कुछ यादें जब हम बातें करते हुए जाया करते थें. औटो से मुझे गोलगप्पे खिलाने के लिए कहीं भी जाने को तैयार होते थे..उन्हें पता हैं की मुझे गोलगप्पे-चाट बहुत पसंद हैं इसलिए मेरी पसंद का खयाल रखते हैं वो. आज भी मैं मिलती हूं तो गोलगप्पे साथ खिलाने ले जाते हैं हां पहले से काफी कम हो गया क्योंकि दूर हूं. गोलगप्पे खिलाना औटो से छोड़ने जाना…ये सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक साथ ही एक शहर में थे.लेकिन फिर जिंदगी में आगे भी बढ़ना था और कुछ करना था ,अपने पैरों पर खड़े होना था.

मैं पढ़ाई करने बाहर आ गई और वो वहां अपनी लाइफ सेट करने लगे आखिर उनको भी तो जिंदगी में कुछ करना था. अब तो गोलगप्पे अकेले ही खा लेती हूं.आज हम दूर हैं अलग-अलग शहर में फिर भी हमारा प्यार बना हुआ है.

दोनों एक-दूसरे को समझते हैं,सहयोग करते हैं,आपस में सुख-दुख भी फोन करके बांट लेते हैं,उदास होते हैं तो बात करते हैं,कुछ महीनों में ही सही मिल भी लेते हैं.लेकिन आज भी जब मैं औफिस से घर औटो में जाती हूं उनको मिस करती हूं. मुझे नहीं पता की मेरी शादी होगी उनसे या नहीं….हम साथ होंगे या नहीं लेकिन इतना यकीन है की प्यार नहीं कम होगा. मेरी जिंदगी में उनकी जगह कोई नहीं ले पाएगा. लेकिन काश ऐसा ही हो की हम साथ रहें हमेशा और हमारा वो औटो वाला प्यार हमेशा रहे..

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इस देश का क्या होगा

व्यंग्य- रमेश भाटिया

अपने बाथरूम में शीशे के सामने खड़े हो कर फिल्मी धुन गुनगुनाते हुए रामनाथ दाढ़ी बनाने में लगे थे. वाशबेसिन के नल से ब्रश को पानी लगाया और अपने चेहरे पर झाग बनाने लगे. नीचे नल से पानी बह रहा था और ऊपर रामनाथ का हाथ दाढ़ी बनाने के काम में लगा था. रेजर को साफ करने के लिए जैसे ही उसे नल के नीचे ले गए तो पानी बंद हो चुका था.

वह कभी शीशे में अपने चेहरे को तो कभी नीचे नल को देख रहे थे. उन्हें सरकारी व्यवस्था पर इतना ताव आया कि नगरपालिका को ही कोसने लगे, ‘नहानेधोने और पीने के लिए पानी देना तो दूर की बात है, यहां तो मुंह धोने तक के लिए पानी नहीं दे पाती. कैसेकैसे निक्कमे लोगों को नगरपालिका वालों ने भरती कर रखा है. काम कर के कोई राजी नहीं. क्या होगा इस देश का?’

लगभग चिल्लाते हुए अपनी पत्नी को आवाज लगाई, ‘‘सुनती हो, जरा एक गिलास पानी तो देना ताकि मुंह पर लगे झाग को साफ कर लूं.’’

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पत्नी समझती थी कि इस समय कुछ कहूंगी तो घर में बेवजह कलह होगी इसलिए वह चुप रही.

नाश्ता खत्म कर रामनाथ आफिस के लिए निकले. बसस्टाप पर लंबी कतार लगी थी पर बस का दूरदूर तक कहीं अतापता न था. रामनाथ ने अपने आगे खड़े सज्जन से पूछा तो वह बोले, ‘‘अभी 2 मिनट पहले ही बस गई है, अब तो 20 मिनट बाद ही अगली बस आएगी.’’

रामनाथ उचकउचक कर बस के आने की दिशा में देखते और फिर अपनी घड़ी को देखते.

उन की इस नई कसरत को देख कर आगे वाले सज्जन ने आखिर पूछ ही लिया, ‘‘भाई साहब, आप जल्दी में लगते हैं, बस का समय देख कर आप घर से थोड़ा पहले निकलते तो शायद बस मिल गई होती.’’

रामनाथ बोले, ‘‘देश की आबादी इतनी बढ़ गई है कि जहां देखो वहां लंबीलंबी कतारें लगी हैं. धक्कामुक्की कर के बस में चढ़ जाओ तो ठीक वरना खड़े रहो इन लाइनों में. पता नहीं लोग इतने ज्यादा बच्चे क्यों पैदा करते हैं. मैं तो कहता हूं जब तक सरकार जनसंख्या पर काबू नहीं करेगी, इस देश का कुछ नहीं हो सकता.’’

इस से पहले कि वह कुछ और बोलते, उन के पड़ोसी श्यामलाल वहां से गुजरते हुए उन के पास आ गए और कहने लगे, ‘‘क्या हाल हैं, भाई रामनाथ? पिछले कई दिनों से कुछ जानने के लिए आप को ढूंढ़ रहा हूं. एक बात बताइए, पिछली बार आप भाभीजी को कौन से अस्पताल में डिलीवरी के लिए ले गए थे? भाई, इस मामले में आप खासे अनुभवी हैं. 6 बच्चों के बाप हैं. मेरा तो यह पहला मामला है. कुछ गाइड कीजिए.’’

रामनाथ ने झेंपते हुए कहा, ‘‘ठीक है, आप शाम को घर पर आना. मैं सब बता दूंगा. इस समय तो बस के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा है. लगता है, आज भी बौस की डांट सुननी पड़ेगी.’’

आफिस की सीढि़यां चढ़ते हुए रामनाथ अपने सहकर्मी दीपचंद से बोले, ‘‘कैसेकैसे लोग हैं यार, पूरी सीढि़यों और दीवारों को पान की पीक से रंग दिया है. सीढि़यां चढ़ते समय गंदगी देख कर मितली आती है. क्या होगा इस देश का,’’ इस के बाद बुरा सा मुंह बना कर उन्होंने दीवार पर थूक दिया.

रामनाथ अभी सीढि़यां चढ़ ही रहे थे कि सामने से उन के बौस राजकुमारजी आते दिखे. वह बोले, ‘‘रामनाथ, कभी तो समय पर दफ्तर आ जाया करो. आप की मेज पर बहुत काम पड़ा है और लोग इंतजार कर रहे हैं. जल्दी जाइए और हां, काम निबटा कर मेरे कमरे में आना.’’

अपनी सीट पर फाइलों का अंबार और इंतजार करते लोगों को देख कर ही उन्हें थकावट होने लगी. चपरासी से बोले, ‘‘एक गिलास पानी तो पिला दो. कुछ चाय का इंतजाम करो. चाय पी कर कुछ तरावट आए तो लोगों के काम निबटाऊं.’’

चपरासी बुरा सा मुंह बनाता हुआ चाय लाने के लिए चला गया. इंतजार करते लोग परेशान थे. एक व्यक्ति ने हिम्मत की और कमरे में घुस कर निवेदन करते हुए बोला, ‘‘साहबजी, मैं काफी देर से आप का इंतजार कर रहा हूं. मेरी फाइल निबटा दें तो अति कृपा होगी.’’

रामनाथ बोले, ‘‘अरे भाई, फाइलें निबटाने के लिए ही तो मैं यहां बैठा

हूं. तनिक सांस तो लेने दो. चायपानी के बाद थोड़ा ताजादम हो कर आप सब का काम निबटाता हूं. तब तक आप बाहर जा कर बैठें.’’

फिर अपने सहकर्मी को सुनाते हुए रामनाथ बोले, ‘‘पता नहीं, कैसे- कैसे लोग आ जाते हैं. सुबह हुई नहीं कि सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने चल पड़ते हैं. लगता है इन को और कोई काम नहीं है. उधर साहब नाराज हैं, इधर इन लोगों ने तनाव कर रखा है. यह देश कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता. क्या होगा इस देश का?’’

सहकर्मी ने उन की ओर एक मंद मुसकान फेंकी और अपने काम में लग गया.

कुछ तकदीर वालों की फाइलें निबटा कर रामनाथ ने उन्हें अपने बौस के कमरे में भेजा, जो बच गईं उन से संबंधित लोगों को अगले दिन आने को कह कर वह बौस के कमरे में जा पहुंचे. रामनाथ का चेहरा देखते ही बौस के तेवर चढ़ गए और बोले, ‘‘लगता है, आप ने रोजाना आफिस लेट आने का नियम बना लिया है. बहानेबाजी नहीं चलेगी. घर से जल्दी चलिए ताकि आफिस समय पर पहुंच सकें. आप के कारण लोगोें को कितनी तकलीफ हो रही है. मुझे भी अपने ऊपर वालों को जवाब देना पड़ता है. और शिकायतें आईं तो आप के खिलाफ सख्त काररवाई हो सकती है. आगे के लिए इस बात का खयाल रखिए. यह मेरी अंतिम चेतावनी है.’’

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शाम को बसों में धक्के खाते हुए रामनाथ जब घर पहुंचे तो बिजली नदारद थी. बीवी मोमबत्ती जला कर खाना बना रही थी. गरमी का मौसम, बिजली नदारद. उन को देश की अव्यवस्था पर बोलने का मौका मिल गया, ‘‘न जाने यह बिजलीघर वाले क्या करते हैं. जब देखो बिजली गायब, फिर भी इतने लंबेचौैड़े बिल भेज देते हैं. क्या हो रहा है? क्या होगा इस देश का?’’

बीवी उन की बातों को सुन कर मंदमंद मुसकरा रही थी. उसे पता था कि उस के पति ने किस तरह बिजलीघर के लाइनमैन को कुछ रुपए दे कर मीटर को खराब कराया था. वह ईद के चांद की तरह कभीकभी चल पड़ता था और बिल न के बराबर आता था.

अगले दिन सुबह उठते ही रामनाथ को बौस की चेतावनी याद आ गई. समय से दफ्तर पहुंचने के लिए घर से जल्दी निकल पड़े. जल्दबाजी में वह सड़क पर चलने के कायदेकानून भी भूल गए. उन्होंने बत्ती की तरफ देखा तक नहीं कि वह लाल है या हरी. अत: सामने से आती कार से टकरा कर वह वहीं ढेर हो गए.

काफी चोटें आईं. कार वाले ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया. डाक्टर ने जांच कर के उन की पत्नी को बताया, ‘‘चोट गंभीर नहीं है. बचाव हो गया है, शाम तक आप इन्हें घर ले जा सकती हैं.’’

अब दफ्तर से जो भी मिलने आ रहा था, रामनाथ उसे यही बता रहे थे, ‘‘सड़कों पर लोग न जाने कैसे कार चलाते हैं? कोई नियमों का पालन ही नहीं करता. पैदल चलने वालों को तो वे कीड़ेमकोड़े समझते हैं. उन्हें कुचलते हुए चले जाते हैं. वह तो समय ठीक था कि मेरी जान बच गई.’’

कई दिनों से सफाई कर्मचारी कूड़ा उठाने नहीं आया तो पत्नी बोली, ‘‘सुनते हो, जमादार पिछले 2 दिनों से नहीं आ रहा है. बहुत कचरा जमा हो गया है. आप जरा थैला उठा कर कचराघर में फेंक आइए.’’

रामनाथ बोले, ‘‘कचरे को घर के पिछवाड़े फेंक देता हूं. जमादार जब ड्यूटी पर आएगा तो उठा ले जाएगा.’’

उन की बातें सुन कर पत्नी चुप हो गई.

सड़कों पर, घरों के आसपास फैली गंदगी के बारे में रामनाथ के विचार महत्त्वपूर्ण थे. वह अपने पड़ोसी के साथ बात करते हुए कह रहे थे, ‘‘हमारे शहर की म्युनिसिपलिटी बड़ी निकम्मी है. कोई काम नहीं करता. जिधर देखो गंदगी का राज है. सफाई कर्मचारी कचरा उठाते ही नहीं. उन्हें कोई पूछने वाला नहीं. लोग घर बनाते हैं तो बचाखुचा मलबा वहीं छोड़ देते हैं. पुलिस भी पैसे ले कर उन्हें मनमानी करने की छूट देती है. लोग अपने घर का कचरा जहां मरजी आए फेंक देते हैं. क्या होगा इस देश का?’’

पड़ोसी मुंहफट था. वह बोला, ‘‘भाई साहब, गंदगी के बारे में आप के विचार तो बड़े ऊंचे हैं पर आप को घर के पिछवाड़े मैं ने कचरा फेंकते देखा है. कथनी और करनी में इतना फर्क तो नहीं होना चाहिए. सभी सफाई का खयाल रखें तभी तो आसपास सफाई होगी.’’

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रामनाथ इस अचानक हमले के लिए बिलकुल तैयार न थे. काम का बहाना कर वहां से भाग खड़े हुए.

रामनाथ की एक और विशेषता अमेरिका का गुणगान करने की है. जब से उन का बेटा अमेरिका जा कर बसा वह अमेरिकाभक्त हो गए. वह कहते हैं, ‘‘सफाई देखनी हो तो अमेरिका जाओ. बिलकुल स्वर्ग जैसा है. साफसुथरा, बड़ा खुशहाल देश और सीमित जनसंख्या. यहां तो बस कीडे़मकोड़ों की जिंदगी जी रहे हैं.’’

किसी ने पूछ लिया, ‘‘आप अमेरिका हो आए हैं अथवा सुनीसुनाई बातें कर रहे हैं.’’

उन की बोलती बंद हो गई. सोचा, एक बार अमेरिका हो ही आएं. उन का बेटा कई बार उन्हें बुला चुका था. इस बार उस ने एअर टिकट भेजे तो दोनों पतिपत्नी अमेरिका यात्रा पर निकल पड़े.

अमेरिका पहुंचने पर रामनाथ ने देखा कि जैसा इस देश के बारे में उन्होंने सुना था वैसा ही उसे पाया. वह अपने बेटे से मिल कर बहुत खुश थे पर वह अपने काम में इतना व्यस्त था कि उसे अपने मांबाप के पास बैठने का समय ही नहीं था. वह सुबह 7 बजे निकलता तो देर रात को घर वापस आता. खाना भी वह घर पर अपने मांबाप के साथ कभीकभार ही खाता.

कुछ ही दिनों में रामनाथ और उन की पत्नी को लगने लगा कि वे जैसे अपने बेटे के घर में कैदी का जीवन जी रहे हैं. घर से बाहर निकलते तो बहुत कम लोग आतेजाते नजर आते. उन्हें अपने देश की भीड़भड़क्के वाली जिंदगी जीने की आदत जो थी. जब बहुत बोर होने लगे तो एक दिन उन्होंने बेटे से कहा, ‘‘हम सोच रहे हैं कि अब वापस भारत लौट जाएं. तुम्हारे लिए बहुत लड़कियां देख रखी हैं. तुम पसंद करो तो तुम्हारी शादी कर दें. यहां पर तुम्हारी देखभाल करने वाला कोई होगा तो हम भी निश्ंिचत हो जाएंगे.’’

बेटा समझदार था. अपने मांबाप की बोरियत को समझ गया. उस ने 2 दिन की छुट्टी ली और शनिवारइतवार को मिला कर कुल 4 दिन अपने मातापिता के साथ गुजारने का प्रोग्राम बनाया. कई देखने लायक जगहों की उन्हें सैर कराई और एक दिन पिकनिक के लिए उन्हें ले गया. उस की मां ने खाना पैक किया और वे चल पड़े.

पार्क में उन्हें बहुत लोग पिकनिक मनाते दिखे. कई अपने देश के भी थे. पेपर प्लेटों में खाना खाने के बाद रामनाथ ने जूठी प्लेट को उड़नतश्तरी की तरह हवा में फेंका. बेटा मना करने के लिए आगे बढ़ा पर उस के पिता ने अपना करतब कर दिया था. फेंकी हुई प्लेट उठाने के लिए वह जब तक आगे बढ़ता, एक सरकारी कर्मचारी, जो पार्क में ड्यूटी पर था, आगे आया और उस ने रामनाथ के हाथ में 100 डालर का चालान थमा दिया.

उन के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. वह मन ही मन 100 डालर को रुपए में बदल रहे थे. वह कुछ भी कहने की हालत में न थे. यहां वही हो रहा था जो वह अपने देश में सख्ती से करने की हामी कई बार भर चुके थे.

कर्मचारी बोला, ‘‘आप को यहां के नियमों की जानकारी रखनी चाहिए और उन का पालन करना चाहिए. आप के जैसे लोग यहां आ कर गंदगी फैलाएंगे तो हमारे देश का क्या होगा?’’

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‘‘पद्मावत’’ के विरोध से मीजान को मिली सीख, कही ये बात…

बौलीवुड में आए दिन किसी न किसी मसले को लेकर फिल्मों का विरोध होता रहता है. मगर जब किसी बड़े बजट की फिल्म के साथ कोई विवाद उठता है, तो उस फिल्म से जुड़ा हर इंसान प्रभावित होता है, फिल्म का वह विवाद फिल्म से जुड़े लोगों को एक नई सीख देता है. हाल ही में जब मीजान जाफरी से एक्सक्लूसिव मुलाकात हुई तो उन्होंने फिल्म‘पद्मावत’को लेकर जो विवाद हुए,उस वक्त आप क्या सोच रहे थे? के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस विवाद से उन्हें सीख मिली है.

एक्सक्लूसिव मुलाकात में कहा ये…

मीजान जाफरी ने स्पष्ट रूप से कहा-‘‘उस वक्त तक हम संजय सर और उनकी टीम के काफी करीब हो चुके थे.तो मुझे यह समझ में आया कि इंसान किस तकलीफ से गुजर रहा है. मेरा मानना है कि एक कलाकार के तौर पर भी इस बात को समझना बहुत जरुरी है. मैने उस वक्त उनके सीखा कि जब चौतरफा आपके उपर दबाव पड़ रहा हो, तो आप किस तरह खुद को संयत व शांत रखें.

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मैने उनसे सीखा कि अपने कंविंक्शन के साथ किस तरह निडरता के साथ डटे रहना चाहिए. मेरी राय में संजय सर की जगह कोई दूसरा इंसान होता, तो वह यह सब न झेल पाता. मैंने संजय सर से इस दौरान जो कुछ सीखा, वह पूरी जिंदगी नहीं भुला सकता. उनके अंदर जो हौसला है,वह काबिले तारीफ है. उन्होंने हमें सिखा दिया कि हम हमेशा अपने सपने और अपने प्रोजेक्ट के साथ डटकर जुड़े रहना है.’’

पांच जुलाई को रिलीज हो रही फिल्म ‘‘मलाल’’ के हीरो मीजान जाफरी इससे पहले फिल्म के निर्माता संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित की गयी फिल्म ‘‘पद्मावत’’में बतौर सहायक निर्देशक  काम किया था. जिसको लेकर कर्णी सेना ने जबरदस्त विरोध किया था. वहीं इस विवाद के दौरान भी मीजान जाफरी  संजय लीला भंसाली के साथ डटे रहे.

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9 टिप्स: मौनसून में सही मेकअप से स्किन बनेगी ब्यूटीफुल

गरमी या मौनसून में कई प्रौब्लम का सामना करना पड़ता है, चाहे वह सही कपड़े का हो या मेकअप. अगर मेकअप की बात की जाए तो सही मेकअप करना मौनसून और गरमी में ज्यादा जरूरी होता है. गरमी में जहां पसीना बहने से आपका मेअप खराब हो जाता है तो वहीं मौनसून में नमी के कारण भी आपका मेकअप खराब होने का खतरा रहता है. इसीलिए इन मौसम में जरूरी है कि आप अपनी स्किन का ख्याल रखें. साथ ही मौसम के अनुसार मेकअप का सही ढंग से इस्तेमाल करें. इसीलिए आज हम आपको मेकअप से जुड़े कुछ टिप्स के बारे में बताएंगे, जिसे आप अपनाकर इस मौसम में ब्यूटीफुल दिख सकती हैं.

1. गरमी में मेकअप के लिए कौस्मैटिक लेते समय आप औयलबेस्ड मेकअप की जगह वाटरप्रूफ मेकअप का चयन करें.

2. इस सीजन में ब्राइट मेकअप की जगह लाइट मेकअप आपकी स्किन को ब्यूटिफुल दिखाएगा. अगर आप की स्किन बेदाग है तो बेवजह उस पर फाउंडेशन का प्रयोग न करें.

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3. मेकअप की शुरुआत चेहरे व गले पर एस्ट्रिजैंट लोशन लगा कर करें. यह लोशन आप के फेस का एक्सट्रा औयल सोख लेगा.

4. इस मौसम में फेस पर ज्यादा मात्रा में पाउडर न लगाएं, क्योंकि ऐसा करने से चेहरे के पोर्स पसीने के बहाव को ब्लौक कर सकता है.

5. पाउडर लगाने के बाद गीले स्पंज या पफ को हल्के हाथ से फेस पर थपथपाएं. ऐसा करने से पाउडर लंबे टाइम तक फेस पर टिका रहेगा.

6. आंखों के आसपास ज्यादा मात्रा में पाउडर न लगाएं. आईशैडो पैंसिल आई मेकअप के लिए जरूरी होता है. ब्राउन या ग्रे कलर की आईशैडो पैंसिल आंखों के मेकअप को सौफ्ट और स्मोकी लुक देती हैं.

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7. चिलचिलाती गरमी के मौसम में प्लेन लिपग्लौस ही लिप मेकअप के लिए काफी है या फिर लाइट कलर की लिपस्टिक लगा कर उस पर लिपग्लौस लगा सकती हैं. इस मौसम में लिपस्टिक के डार्क शेड अवाइड करें.

8. गरमी में टी जोन में सब से ज्यादा पसीना आता है, इसलिए जरूरी है कि आप औयल सोखने वाले पैड यूज करें. इन्हें औयल औबर्र्ज्व पैड कहते हैं. इनके इस्तेमाल से चेहरा फ्रैश दिखेगा.

9. मेकअप उतारने के लिए अलकोहल फ्री मेकअप रिमूवर का इस्तेमाल करें.

Edited by Rosy

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