मैं स्टंटमैन बनकर ही यहां पहुंचा हूं : अक्षय कुमार

90 के दशक में हिट और एक्शन फिल्म देने वाले अभिनेता खिलाड़ी कुमार यानि अक्षय कुमार आज उस मुकाम पर पहुंच चुके हैं जहां हर निर्माता निर्देशक उन्हें अपनी फिल्मों में लेना पसंद करते हैं. कभी ऐसा वक्त था, जब अक्षय कुमार को काम के लिए हर प्रोडक्शन हाउस में घूमना पड़ता था, लेकिन ‘खिलाड़ी श्रृंखला’ ने उनके जीवन को एक अलग दिशा दी और आज वह हिंदी सिनेमा जगत में एक्शन हीरो के नाम से प्रसिद्ध हैं. उन्होंने केवल एक्शन ही नहीं, हर तरह के फिल्मों जैसे रोमकौम, कौमेडी, थ्रिलर आदि में काम किया है. मार्शल आर्ट के एक्सपर्ट अक्षय कुमार 29 साल से फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं. वे अपने अनुशासित दिनचर्या के लिए प्रसिद्द हैं. उनकी फिल्म ‘केसरी’ रिलीज पर है. उन्होंने इस फिल्म को ‘भारत के वीर’ के लिए समर्पित किया है, क्योंकि उन सभी वीरों को वे सलाम करते हैं, जिन्होंने अपनी जान देकर पूरे देशवासियों को चैन की नींद दी है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

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इस फिल्म को करने की खास वजह क्या है?

ये एक हिस्टोरिकल फिल्म है, जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं. किस तरह 21 सिक्ख 10 हजार आक्रमणकारी से लड़ते हैं. सारागढ़ी की ये लड़ाई बहुत ही अलग थी और इसे स्कूलों में बच्चों को दिखाए जाने की जरुरत है, क्योंकि इसमें साहस और उनकी बहादुरी की कहानी है. ये मेरे लिए प्रेरणादायक फिल्म है. पहले मुझे भी इसके बारें में कम जानकारी थी, लेकिन अब फिल्म करने के बाद काफी जानकारी हासिल हुई है और मैं खुश हूं कि इतनी बड़ी ऐतिहासिक  फिल्म का मैं एक हिस्सा हूं.

इस फिल्म के लिए आपने क्या तैयारियां की हैं?

अधिक तैयारियां नहीं करनी पड़ी. सोर्ड फाइटिंग थोड़ी सीखी थी. इस फिल्म में सबसे अच्छा लगा पगड़ी पहनना. एक बार जब आप पगड़ी पहन लेते हैं, तो आपकी बैकबोन सीधी हो जाती है, एक भार सिर पर आ जाता है, एक जिम्मेदारी बढ़ जाती है. उसका मजा कुछ और होता है. इसमें मैंने डेढ़ किलो की पगड़ी पहनी है और उसके साथ सारे स्टंट किये हैं.

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क्या इस फिल्म का कोई प्रेशर है, क्योंकि ऐसी फिल्में अधिक चल नहीं पाती?

जब से मैंने इस फिल्म में काम करना शुरू किया, मैंने सोच लिया है कि फिल्म चले या न चले मुझे ये बनानी है, क्योंकि इस कहानी को हमें सबको बताना है. मैं इस फिल्म में अभिनय कर  बहुत गर्वित हूं.

क्या अभी आपके जीवन में कोई संघर्ष है?

संघर्ष से सबको गुजरना पड़ता है और मेरे लिए भी है. रोज सुबह उठकर अच्छा काम करने की चाहत और न मिलने पर हताश होना, ये सारी बातें संघर्ष की ही पहचान है.

आप हमेशा खुद स्टंट करते हैं, इसे देखकर आज की युवा पीढ़ी भी कोशिश करती है, उनके लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?

कोई भी स्टंट ऐसे नहीं होता, इसके लिए एक बड़ी टीम होती है, जो हर बात की निगरानी करती है, ऐसे में किसी को भी ये खुद घर पर देखकर करने की जरुरत नहीं है, क्योंकि बिना सावधानी के करने पर ये जानलेवा भी हो सकती है.

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आपने हमेशा स्टंट खुद किये हैं, क्या इसमें आपको कभी खतरा महसूस नहीं हुआ? परिवार ने कैसे साथ दिया?

मैंने बचपन से स्टंट किया है और मुझे कोई खतरा नहीं लगता, लेकिन हमेशा मैं ये कहता आया हूं कि घर पर कभी भी खुद कोशिश न करें, क्योंकि ये सम्हलकर, सावधानी के साथ करने वाली होती है. मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरी हर बात में सहयोग दिया है. मैं पहले एक स्टंटमैन हूं, बाद में अभिनेता बना. फिल्म ‘मैं खिलाडी तू अनाड़ी’ के स्टंट के बाद ही मुझे काम मिला था. वरना यहां कोई मेरा गौडफादर नहीं था, जिसकी वजह से मुझे काम मिला हो. मैं स्टंटमैन बनकर ही आज यहां पर आया हूं.

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आपकी और ट्विंकल की बौन्डिंग सालों से अच्छी चल रही है, जबकि आज रिश्तों के मायने बदल चुके हैं, आप दोनों की इस गहरी बौन्डिंग के पीछे का राज क्या है? अपने टीनेज बच्चों की देखभाल कैसे करते हैं?

हम एक दूसरे के प्रोफेशन में कभी दखलंदाजी नहीं करते, एक दूसरे का सम्मान करते हैं, स्पेस देते हैं आदि. इससे हमारा रिश्ता गहरा रहता है. बच्चों के बारें में… तो हम दोनों ने ही गलत आदतों को समझाकर छोड़ दिया है. आज के बच्चे काफी होशियार हैं और वे गलत सही को समझ सकते हैं. मेरे पिता ने भी मुझे वह आजादी दी थी और किसी भी गलत बात को छुपकर करने से मना किया था. इसलिए मुझे उसका कभी भी क्रेज नहीं रहा और गलत आदत ही नहीं लगी.

काम में अच्छी होने के बावजूद महिलाओं को कैरियर से समझौता करना पड़ता है : उपासना टाकू

सिलिकौन वैली में अपने आकर्षक कैरियर को बीच में छोड़ कर उपासना टाकू ने 2008 में भारत लौट अपने घर के ईकोसिस्टम में योगदान देने का फैसला लिया. 1 साल बाद उन्होंने ‘मोबिक्विक’ की सहस्थापना की.

कुछ कर्मचारियों से शुरुआत कर 300 लोगों की एक मजबूत टीम बनाने तक उपासना ने ‘मोबिक्विक’ में सभी चीजों को एकजुट करने में मुख्य जिम्मेदारी निभाई और अपनी टीम को भारत के सब से बड़े स्वतंत्र मोबाइल भुगतान नैटवर्क बनाने के लक्ष्य पर केंद्रित रखा.

उपासना को फोर्ब्स की ‘एशिया वूमन टु वाच इन 2016’ में शामिल किया गया है. उन्हें एसोचैम द्वारा ‘बिजनैस वूमन आफ द ईयर’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

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उपासना टाकू से हुई मुलाकात के कुछ अंश इस तरह हैं:

काम की प्रेरणा किस से मिली?

मुझे किसी ने नहीं बताया कि आप ऐसा करिए. मेरा मानना है कि किसी भी नई शुरुआत के लिए आप को आत्मविश्वास की जरूरत होती है. इस के लिए आप को दूसरों से मिल कर या उन की कहानियां सुन कर प्रेरणा तो मिल सकती है, लेकिन जो भी करना है वह आप को ही करना है.

महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने के दौरान किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

महिलाओं और पुरुषों के सामने एकसमान चुनौतियां आती हैं, लेकिन जैसेजैसे महिलाएं कामयाबी के रास्ते पर बढ़ती जाती हैं उन के लिए मुश्किलें भी बढ़ती चली जाती हैं. भारत जैसे देश में महिलाओं को अपने काम के साथ घर की देखरेख भी करनी होती है. ऐसे में घर और काम के बीच तालमेल बनाने से दबाव बढ़ता है. यही कारण है कि काम में अच्छी होने के बावजूद महिलाओं को कई बार समझौते करने पड़ते हैं.

एक महिला ऐंटरप्रन्योर में क्या गुण होने चाहिए?

एक महिला ऐंटरप्रन्योर बनने के लिए आप में यह आत्मविश्वास होना चाहिए कि आप कुछ भी कर सकती हैं. आप के अंदर बहुत सारा धैर्य भी होना चाहिए. कुछ भी करने में, कुछ भी बनने में बहुत समय लगता है. कामयाबी हासिल करने में सालों लग जाते हैं. इसलिए धैर्य रखना बहुत जरूरी है. इस के बाद आप में लगन होनी चाहिए, छोटीछोटी चीजों के लिए अगर आप हिम्मत हार जाएंगी तो अच्छी ऐंटरप्रन्योर नहीं बन सकतीं.

महिला उद्यमी के लिए बिजनैस नैटवर्किंग बहुत महत्त्वपूर्ण है. नैटवर्किंग का मतलब है कि जिस क्षेत्र में आप काम कर रही हैं उस क्षेत्र के लोगों से मेलजोल रखना. आप को समझना चाहिए कि कैसे फंड रेजिंग करना है या अगर आप की मार्केटिंग टैकनीक फेल हो रही है तो कैसे काम करें. ये सब चीजें किसी किताब में लिखी हुई नहीं मिलतीं. आप को खुद सीखनी पड़ती हैं.

कभी ग्लास सीलिंग का सामना करना पड़ा?

मेरे साथ कभी ऐसी स्थिति नहीं आई. लेकिन मैं यही कहूंगी कि भारत बदल रहा है. बहुत सारे लोग हैं जिन की सोच का दायरा बढ़ा है. इतना बड़ा देश है कुछ लोग तो होंगे ही जिन की सोच अभी भी बहुत पीछे है. जैसे कई बार सरकारी विभाग में मुझ से कहा गया कि अपने पुरुष साथी को ले कर आओ. तब मैं ने उन से कहा कि मुझे इस के बारे में पूरी जानकारी है. आप मेरे साथ ही काम करिए.

कोई सपना पूरा करना बाकी है?

आज से 9 साल पहले भी एक ही सपना था और आज भी यही सपना है कि मोबिक्विक कम से कम 50 फीसदी भारतीयों को अपनी सेवाएं प्रदान करे.

महिलाओं के लिए विदेश और भारत के माहौल में क्या अंतर है?

कुछ देशों की तुलना में हम पीछे हैं. भारत में 50 फीसदी महिलाएं काम करती हैं, उन में से कितनों का कैरियर 30 साल या अधिक का रहा है? भारतीय महिलाओं का औसत कैरियर 10 साल है. हमें इस में सुधार लाना होगा. हमें विदेशों से भी बहुत कुछ सीखना चाहिए.

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बैडरूम रोमांस बढ़ाने के टिप्स

पतिपत्नी के इश्क को ज्यादा से ज्यादा रोमांस से भरपूर रखने में बैडरूम का बड़ा योगदान होता है. घर में उन का ज्यादा समय बैडरूम में ही बीतता है. वे आराम, सुकून, रोमांस, इश्क के लिए बैडरूम को ही चुनते हैं. बैडरूम की ऊर्जा का प्रभाव उन के संबंधों एवं मानसिकता पर भी पड़ता है. मनोचिकित्सक, दिनेश के मुताबिक यदि पतिपत्नी अपना जीवन प्यारमुहब्बत से भरना चाहते हैं, तो शुरुआत अपने बैडरूम से ही करें. बैडरूम को परफैक्ट रखें. इस से आप की सैक्स लाइफ हमेशा रोमांस से भरी रहेगी.

बैडरूम सजावट के टिप्स

लाइट: इश्क का इजहार करने में लाइट की अहम भूमिका होती है. अत: बैडरूम में हलकी गुलाबी, आसमानी रंग की लाइट का प्रयोग करें. कमरे में लाइट डाइरैक्ट नहीं इनडाइरैक्ट पड़नी चाहिए. लैंपशेड या कौर्नर लाइट हो तो और भी अच्छा. इस से बैडरूम रोमांस का मजा कई गुना बढ़ जाएगा.  फल रखें: अंगूर, स्ट्राबैरी, केला, चैरी या चीकू की खुशबू बहुत रोमांचित करती है. इस से प्यार करने का मजा दोगुना हो जाता है.

बैडरूम को रोमांटिक बनाएं: पतिपत्नी के अंतरंग संबंधों में मुहब्बत बनी रहे, इस के लिए वे कभी हिलस्टेशन जाते हैं, कभी समुद्र किनारे तो कभीकभी किसी बड़े होटल में. हर जगह की अपनी खूबसूरती होती है. मगर इसी खूबसूरती को, भिन्नता को अपने बैडरूम में शामिल करें, तो पतिपत्नी अपनी रोमांटिक लाइफ को एक डैस्टिनेशन पौइंट दे सकते हैं. कमरे में आर्टिफिशियल फाउंटेन, फूल, चित्र आदि  लगाने के साथसाथ अलमारी, सोफे, टेबल  आदि की जगह भी बदलते रहें ताकि बैडरूम आकर्षक लगे.

बैडरूम को रखें सुसज्जित: बैडरूम अच्छी तरह डैकोरेटेड हो. उस का इंटीरियर आप को बारबार रूम में जाने को उकसाए. परदे ऐसे कि आसमान नजर आए. हलके परदे इस्तेमाल करें. बैडरूम साफसुथरा हो. उस में तरहतरह के इनडोर पौधे लगाएं, बेल लगाएं. उस में हलकी रोशनी भी आनी चाहिए ताकि आप का मूड और ज्यादा रोमांटिक बने.  तसवीरें: बैडरूम में रोमांटिक तसवीरें लगाएं. लविंगबर्ड, हंस की तसवीर, रैडरोज  आदि लगाएं ताकि इन्हें देख कर रोमांस करने  का मन करे.

बिस्तर: मूड बनाने में बिस्तर का अहम रोल होता है. अत: गद्दे चुभनशील न हों. बैड से आवाज न आती हो. तकिए आरामदायक हों, बैडशीट का रंग इश्क को उकसाने वाला हो.

खुशबू: खुशबू हमारे अंदर कई तरह के भाव पैदा करती है. रोमांस के लिए कई तरह के परफ्यूम का प्रयोग किया जा सकता है. लैवेंडर, मोंगरा, ब्रूट, वन मैन शो जैसे परफ्यूम संबंध बनाने का मूड बनाते हैं. बैडरूम में खूबसूरत गुलदस्ते रखें. अरोमा कैंडल जलाएं. यह न  केवल बैडरूम में हलकी रोशनी देती है, बल्कि इस के जलने से भीनीभीनी खुशबू भी आती है, जो रोमांस, चुहुलबाजी के लिए प्रेरित करती है.

डिस्टर्बैंस न हो: अलार्मघड़ी, मोबाइल, सिंगिंग खिलौने आदि बैडरूम से दूर ही  रखें ताकि इन की आवाज प्यार में खलल  न डाले.

दीवारों के रंग: दीवारों के रंग भी  अपनी मूक भाषा में बहुत कुछ बोल जाते  हैं. हलका गुलाबी, औरेंज, आसमानी, तोतईरंग, पेस्टल शेड्स आदि मन में प्यार का भाव   जगाते हैं.

आज की नैतिकता पुरानी नैतिकता से अच्छी

जब से हिंदू कानून में 1956 और 2005 में बदलाव आया है और  बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलने लगा है, तब से भाईबहनों के विवाद बढ़ रहे हैं. 1956 में तो खास परिवर्तन नहीं हुआ था पर तब भी संयुक्त परिवार की संपत्ति में एक जने के अपने हिस्से में से बेटोंबेटियों को बराबर का हिस्सा देने का कानून बना था. 2005 में संयुक्त परिवार में बेटेबेटियों को बराबर का साझीदार कानून घोषित कर दिया गया था.

जो लोग समझते हैं कि इस से भाईबहनों के प्रेम की हिंदू समाज की परंपरा को नुकसान पहुंचा है वे यह नहीं जानते कि असल में पौराणिक कहानियों में ही भाईबहनों के विवादों का बढ़ाचढ़ा कर उल्लेख है और ये कहानियां सिरमाथे पर रखी जाती हैं.

महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक भीम का विवाह हिडिंबा से तब हुआ जब भीम ने हिडिंबा के भाई को मार डाला था. असुर राजा ने अपनी बहन हिडिंबा को अपने इलाके में घुस आए पांडवों को मारने के लिए भेजा था पर हिडिंबा भीम पर आसक्त हो गई और उस के उकसाने पर भीम ने उस के भाई को ही मार डाला.

बाद में हिडिंबा ने भीम से विवाह कर लिया और उन से घटोत्कच नाम का पुत्र हुआ जिस ने कौरवपांडव युद्ध में काफी पराक्रम दिखाया. कहानी में महाभारत का लेखक कहीं भी बहन के भाई के विरुद्ध जाने की आलोचना नहीं करता. वह बहन जिसे भाई ने घुसपैठियों को मारने के लिए भेजा था भाई की प्रिय ही होगी वरना वह क्यों अनजान लोगों को मारने के लिए भेजता? मगर आसक्ति ऐसी चीज है जिस में भाई तक को मरवा डाला जाता है और जिन धर्मग्रंथों का हवाला हमारे पंडे और उन के भक्त नेता देते रहते हैं वे ऐसी अनैतिक गाथाओं से भरे पड़े हैं.

वास्तव में आज की नैतिकता हमारी पुरानी नैतिकता से बहुत अच्छी है. भाईबहनों में अगर विवाद हो रहे हैं तो अब भाईबहन एकदूसरे के सगे साथी भी बन रहे हैं. जहां घरों में केवल 1 भाई और 1 बहन होना सामान्य हो रहा है, वहां भाईबहन एकदूसरे के लिए जान छिड़क रहे हैं.

राहुल गांधी यदि विवाह किए बिना भी आराम से संतुलित जीवन जी पा रहे हैं तो इसलिए कि उन्हें प्रियंका और उन के बच्चों का साथ मिलता है. 2005 का कानून सोनिया गांधी के कहने पर लाया गया था, हालांकि कांग्रेस आमतौर पर इस का श्रेय हिंदू कट्टरवादियों से डर कर नहीं लेती पर सच यह है कि भारत में समाज सुधार विदेशियों ने किया, हिंदू धर्म का ढिंढोरा पीटने वालों ने नहीं.

 

अपने जैंडर को परिभाषित करने से इनकार करना होगा : स्वाति भार्गव

स्वाति भार्गव ‘कैशकरो.कौम,’ जो भारत की सब से बड़ी कैशबैक और कूपन वैबसाइट है, की सहसंस्थापक हैं. अंबाला जैसे छोटे शहर की लड़की स्वाति ने छात्रवृत्ति पा कर ‘लंदन स्कूल औफ इकौनोमिक्स (एलएसई)’ में दाखिला लिया और फिर वहां से निकलते ही ‘गोल्डमैन साक्स,’ लंदन में काम कर के कौरपोरेट वर्ल्ड में दाखिल हुईं.

‘गोल्डमैन साक्स’ में 5 वर्ष गुजारने के बाद स्वाति ने अपने पति रोहन भार्गव के साथ मिल कर 2011 में ‘पौरिंग पाउंड्स’ और फिर 2013 में ‘कैशकरो.कौम’ की नींव रखी और फिर थोड़े ही समय में इस पतिपत्नी की जोड़ी ने कैशकरो.कौम के साथ भारतीय बाजार पर कब्जा कर लिया. स्वाति को ई कौमर्स उद्योग में 10 शीर्ष महिला उद्यमियों में शुमार कर सम्मानित भी किया जा चुका है.

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आइए, स्वाति के इस खूबसूरत सफर पर एक नजर डालते हैं:

इस मुकाम तक पहुंचने में किस तरह के संघर्षों का सामना करना पड़ा?

मैं भले ही अंबाला जैसे छोटे शहर से हूं, लेकिन मैं ने कभी इसे अपना माइनस पौइंट नहीं माना, बल्कि इस ने मुझे अपने लक्ष्यों को पाने के लिए अधिक मेहनत करने को प्रेरित किया. मैं ने सिंगापुर सरकार से अपनी 10वीं व 12वीं कक्षा की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त की. जब मैं इंटरव्यू के लिए गई तो मुझे एहसास हुआ कि बाकी लोग जो दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों से आए थे गणित, ओलिंपियाड या अन्य राष्ट्रीय स्तर के अवसरों के बारे में बहुत अधिक जानते थे, जबकि अंबाला से होने के कारण मेरी जानकारी बहुत कम थी. कई बार मैं ने खुद को पीछे एक कोने में बैठा पाया, क्योंकि मेरे पास बहुत कम ऐक्सपोजर था.

बाद में मुझे ‘लंदन स्कूल औफ इकौनोमिक्स’ में 80% की स्कौलरशिप मिल गई. लेकिन मेरे परिवार के लिए अभी भी लंदन में मेरे रहने का खर्च उठाना आसान नहीं था, मगर मेरे मातापिता ने मुझे कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि मुझे पढ़ाना उन के लिए कठिन है.

एक महिला के तौर पर आगे बढ़ने के लिए क्या कभी असुरक्षा का एहसास हुआ?

मुझे अपने जैंडर के कारण कभी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा. मगर मुझे पता है कि बहुत सी महिलाएं ऐसी समस्याओं का सामना करती हैं और यह बहुत दुख की बात है. काम करने की जगह पर महिलाओं को सुरक्षित वातावरण मिलना बहुत जरूरी है. मैं उन महिलाओं को सलाम करती हूं जो रोज मुश्किलों से लड़ती हैं और आगे बढ़ती हैं.

भारत में महिलाओं की स्थिति के बारे में क्या कहेंगी?

आज व्यवसाय के क्षेत्र में महिलाओं के बढ़ते योगदान को देख कर बहुत हर्ष होता है. वे बड़ी कंपनियों में महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रही हैं या फिर खुद का व्यवसाय चला रही हैं. महिलाएं ग्लास सीलिंग तोड़ कर हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं. खुद एक भारतीय महिला होने के नाते मुझे इस पर बहुत गर्व है.

क्या आज भी महिलाओं पर अत्याचार और उन के साथ भेदभाव होता है?

मैं ने व्यक्तिगत रूप से ऐसे किसी भी उदाहरण का अनुभव नहीं किया है, लेकिन मुझे पता है कि हमारे देश में बहुत सारी महिलाएं दर्द में हैं. चीजें धीरेधीरे, लेकिन निश्चित रूप से सुधर रही हैं और मेरा मानना है कि भारत को आगे बढ़ाने के लिए पुरुषों और महिलाओं का कंधे से कंधा मिला कर चलना जरूरी है.

ग्लास सीलिंग के बारे में क्या कहेंगी?

अधिकांश प्रमुख संगठन आज स्त्रीपुरुष को समान अवसर देते हैं और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करते. यदि आप किसी ऐसे संगठन में काम करते हैं जो लिंग पर आधारित किसी भी प्रकार का भेदभाव करता है तो आप को उस का बहिष्कार करना चाहिए. एक कुशल और मेहनती प्रोफैशनल के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं होती है. हमें अपने लिंग को परिभाषित करने से इनकार करना चाहिए.

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योग की पोल

पिछले 3 दिनों से रतन कुमारजी का सुबह की सैर पर हमारे साथ न आना मुझे खल रहा था. हंसमुख रतनजी सैर के उस एक घंटे में हंसाहंसा कर हमारे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार कर देते थे.

क्या बताएं, जनाब, हम दोनों ही मधुमेह से पीडि़त हैं. दोनों एक ही डाक्टर के पास जाते हैं. सही समय से सचेत हो, नियमपूर्वक दवा, संतुलित भोजन और प्रतिदिन सैर पर जाने का ही नतीजा है कि सबकुछ सामान्य चल रहा है यानी हमारा शरीर भी और हम भी.

बहरहाल, जब चौथे दिन भी रतन भाई पार्क में तशरीफ नहीं लाए तो हम उन के घर जा पहुंचे. पूछने पर भाभीजी बोलीं कि छत पर चले जाइए. हमें आशंका हुई कि कहीं रतन भाई ने छत को ही पार्क में परिवर्तित तो नहीं कर दिया. वहां पहुंच कर देखा तो रतनजी  योगाभ्यास कर रहे थे.

बहुत जोरजोर से सांसें ली और छोड़ी जा रही थीं. एक बार तो ऐसा लगा कि रतनजी के प्राण अभी उन की नासिका से निकल कर हमारे बगल में आ दुबक जाएंगे. खैर, साहब, 10 मिनट बाद उन का कार्यक्रम समाप्त हुआ.

रतनजी मुसकराते हुए बोले, ‘‘आइए, आइए, देखा आप ने स्वस्थ होने का नायाब नुस्खा.’’

मैं ने कहा, ‘‘यार, यह नएनए टोटके कहां से सीख आए.’’

वह मुझे देख कर अपने गुरु की तरह मुखमुद्रा बना कर बोले, ‘‘तुम तो निरे बेवकूफ ही रहे. अरे, हम 2 वर्षों से उस डाक्टर के कहने पर चल, अपनी शुगर केवल सामान्य रख पा रहे हैं. असली ज्ञान तो अपने ग्रंथों में है. योेग में है. देखना एक ही माह में मैं मधुमेह मुक्त हो जाऊंगा.’’

मैं ने कहा, ‘‘योगवोग अपनी जगह कुछ हद तक जरूर ठीक होगा पर तुम्हें अपनी संतुलित दिनचर्या तो नहीं छोड़नी चाहिए थी. अरे, सीधीसादी सैर से बढ़ कर भी कोई व्यायाम है भला.’’

उन्होंने मुझे घूर कर देखा और बोले, ‘‘नीचे चलो, सब समझाता हूं.’’

नीचे पहुंचे तो एक झोला लिए वह प्रकट हुए. बड़े प्यार से मुझे समझाते हुए बोले, ‘‘मेरी मौसी के गांव में योगीजी पधारे थे. बहुत बड़ा योग शिविर लगा था. मौसी का बुलावा आया सो मैं भी पहुंच गया. वहां सभी बीमारियों को दूर करने वाले योग सिखाए गए. मैं भी सीख आया. देखो, वहीं से तरहतरह की शुद्ध प्राकृतिक दवा भी खरीद कर लाया हूं.’’

मैं सकपकाया सा कभी रतनजी को और कभी उन डब्बाबंद जड़ीबूटियों के ढेर को देख रहा था. मैं ने कहा, ‘‘अरे भाई, कहां इन चक्करों में पडे़ हो. ये सब केवल कमाई के धंधे हैं.’’

रतनजी तुनक कर बोले, ‘‘ऐसा ही होता है. अच्छी बातों का सब तिरस्कार करते हैं.’’

इस के बाद मैं ने उन्हें ज्यादा समझाना ठीक नहीं समझा और जैसी आप की इच्छा कह कर लौट आया.

एक सप्ताह बाद एक दिन हड़बड़ाई सी श्रीमती रतन का फोन आया, ‘‘भाईसाहब, जल्दी आ जाइए. इन्हें बेहोशी छा रही है.’’

मैं तुरंत डाक्टर ले कर वहां पहुंचा. ग्लूकोज चढ़ाया गया. 2 घंटे बाद हालात सामान्य हुए. डाक्टर साहब बोले, ‘‘आप को पता नहीं था कि मधुमेह में शुगर का सामान्य से कम हो जाना प्राणघातक होता है.’’

डाक्टर के जाते ही रतनजी मुंह बना कर बोले, ‘‘देखा, मैं ने योग से शुगर कम कर ली तो वह डाक्टर कैसे तिलमिला गया. दुकान बंद होने का डर है न. हा…हा हा….’’

मैं ने अपना सिर पकड़ लिया. सोचा यह सच ही है कि हम सभी भारतीय दकियानूसी पट्टियां साथ लिए घूमते हैं. बस, इन्हें आंखों पर चढ़ाने वाला चाहिए. उस के बाद जो चाहे जैसे नचा ले.

एक माह तक रतनजी की योग साधना जारी रही. हर महीने के अंत में हम दोनों ब्लड टेस्ट कराते थे. इस बार रतनजी बोले, ‘‘अरे, मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं. कोई परीक्षण नहीं कराऊंगा.’’

अब तो परीक्षा का समय था. मैं बोला, ‘‘दादा, अगर तुम्हारी रिपोर्ट सामान्य आई तो कल से मैं भी योग को पूरी तरह से अपना लूंगा.’’

बात बन गई. शुगर की जांच हुई. नतीजा? नतीजा क्या होना था, रतनजी का ब्लड शुगर सामान्य से दोगुना अधिक चल रहा था.

रतनजी ने तुरंत आश्रम संपर्क साधा. कोई संतोषजनक उत्तर न पा कर  वह कार ले कर चल पड़े और 2 घंटे का सफर तय कर आश्रम ही जा पहुंचे.

मैं उस दिन आफिस में बैठा एक कर्मचारी से किसी दूसरे योग शिविर की महिमा सुन रहा था. रतनजी का फोन आया, ‘‘यार, योगीजी अस्वस्थ हैं. स्वास्थ्य लाभ के लिए अमेरिका गए हैं. 3 माह बाद लौटेंगे.’’

मैं ठहाके मार कर हंसा. बस, इतना ही बोला, ‘‘लौट आओ यार, आराम से सोओ, कल सैर पर चलेंगे.’’

औनलाइन फ्रौड से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

आज अधिकतर बैंक ग्राहकों को नेट बैंकिंग की सुविधा दी जाने लगी है. इससे लेनदेन आसान, सुविधाजनक और सुरक्षित हो गई है. आसानी से घर बैठे तमाम तरह के पेमेंट्स नेट बैंकिंग के माध्यम से होते हैं. पर इसकी अपनी चुनौतियां भी हैं. अगर आप इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करती हैं तो आपको सर्तक रहने की भी जरूरत है. इस लिए आपको कुछ जरूरी बातों का खासा ख्याल रखना होगा. इसी बाबत हम आपके लिए लाएं हैं ये खबर. इस खबर में हम आपको कुछ जरूरी टिप्स बताएंगे जिन्हें ध्यान में रख कर आप अपने पैसों को और अधिक सुरक्षित रख सकती हैं.

सिस्टम से लौग आउट करना ना भूलें

जब भी आप अपने नेट बैंकिंग खाते को किसी सिस्टम में लौगइन करते हैं तो ध्यान रखें कि काम होने के बाद आपने लौग आउट किया है. ऐसा ना करने से आपका पूरा पैसा लूट लिया जा सकता है और आपको पता भी नहीं चलेगा.

किसी भी तरह के फ्रौड की जानकारी बैंक को दें

किसी भी अनजान स्रोत से आपको पैसा मिल रहा है तो बैंक को तुरंत सूचित करें. या अगर आपके खाते से कोई बिना आपकी जानकारी के पैसा जा भी रहा है तो सतर्क रहें. किसी भी तरह के संदेहास्पद लेनदेन होने पर जानकारी बैंक को दें.

url बार में लौक का निशान देखें

अपने इंटरनेट बैंकिंग क्रेडेंशियल्स को इंटर करते वक्त ध्यान में रखें कि यूआरएल बार में लौक का निशान आ रहा है या नहीं. अगर लौक का निशान नहीं है तो उस पेज पर अपना अकाउंट लौकइन ना करें. ये निशान वेबसाइट की गोपनीयता और सुरक्षा का सूचक है.

फर्जी ई-मेल्स से रहें सावधान

जब कोई फ्रौड व्यक्ति या संस्था आपको फर्जी ई-मेल भेजती है तो इसे फिशिंग कहते हैं. इस ई-मेल के माध्यम से अगला इंसान आपके बैंक से जुड़ी गोपनीय जानकारियां लेने की कोशिश करता है. इन जानकारियों में बैंक अकाउंट नंबर, लौगइन पासवर्ड, पिन जैसी जानकारियां होती हैं. इस तरह  के ई-मेल के किसी भी लिंक पर क्लिक ना करें.

किसी से भी शेयर ना करें गोपनीय जानकारियां

किसी भी सूरत में किसी भी व्यक्ति से अपने बैंक  से जुड़ी गोपनीय जानकारियां शेयर ना करें. इससे आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है. अगर आपने मोबाइल से पेमेंट के दौरान अपने कार्ड की जानकारी सेव कर दी है तो ध्यान रखें कि मोबाइल लौक रहे और किसी गलत व्यक्ति के हाथों में न जाए.

बिना औफिस से छुट्टियां लिए भी कर सकती हैं यात्रा

अगर आपके पास ट्रैवलिंग के लिए ज्यादा समय नहीं है तो अपने घर या शहर के पास ट्रैवल करें. क्योंकि आज भी ऐसी कई जगहें हैं जो आपने नहीं देखी होंगी. तो आइए इसके लिए आपको कुछ टिप्स बताते हैं.

वर्क ट्रिप के लिए रहें हमेशा तैयार

इससे बेहतर क्या होगा कि आपको काम के साथ ट्रैवल करने को भी मिले और इसका सारा खर्च कंपनी उठाए. इसीलिए कभी भी औफिस ट्रिप को मना ना करें, और अपने बौस से ट्रैवल के इस इंट्रेस्ट को जताएं भी.

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पहले बात करें

जब भी आप नई जौब की शुरूआत करें तो कंपनी से अपनी ट्रैवल हौबी के बारे में जरूर बात करें. इससे आप और कंपनी दोनों ही काम को आपके ट्रैवल में रुकावट नहीं बनने देंगे.

वीकेंड और पब्लिक छुट्टियां

ज्यादातर लोग ऐसा ही करते हैं, वो वीकेंड और पब्लिक छुट्टियों के आस-पास काम को रोक अलग से छुट्टियां लेते हैं. लेकिन ये करने के बजाय आप छुट्टियां शुरू होने से पहले थोड़ा काम जल्दी खत्म कर निकलें और वापस थोड़ा लेट आ जाएं.

जायकेदार सूप

 कुछ टिप्स सूप बनाने के

– अगर सूप को गाढ़ा बनाना है तो उस में कालीमिर्च, काला नगक, हींग, ऊपर से फ्रैश क्रीम और टोस्ट के टुकड़े डालें.

– कौर्नफ्लोर में पानी मिला कर डाल सकती हैं.

– चावलों का मांड़ डालें, इस से भी सूप में गाढ़ापन आता है.

–  आलू उबाल कर बिलकुल बारीक पीस कर डालें.

–  मैदा भून कर डाल सकती हैं.

–  आटा भून और पानी मिला कर डाल सकती हैं.

–  सूप बनने के बाद क्रीम मिला सकती हैं. इस से भी गाढ़ापन आएगा.

–  अरारोट पानी में घोल कर मिलाएं जिससे सूप गाढ़ा हो जाएगा.

–  पत्तागोभी का बारीक पेस्ट बना कर भी डाल सकती हैं.

–  सूप में खसखस का पेस्ट मिला कर भी उसे गाढ़ा बनाया जा सकता है.

बेहद फायदेमंद है नारियल का तेल, आज ही से इस्तेमाल शुरू करें

हेल्दी लाइफ सबकी चाहत होती है. सभी लोग चाहते हैं कि वो रोग मुक्त रहें, स्वस्थ रहें. पर क्या मौजूदा रहन सहन में, खास कर के शहरी लाइफस्टाइल में हेल्दी रहना एक बड़ी चुनौती नहीं है? इस माहौल में खुद को स्वस्थ रखने के लिए लोग तरह तरह के पैंतरे आजमाते हैं. ऐसे में हम आपको हेल्दी और खुद को फिट रखने का एक आसान तरीका बताने वाले हैं.

नारियल के तेल की खूबी से ज्यादातर लोग वाकिफ हैं. बालों की सेहत के लिए ये बेहद लाभकारी होता है. पर अपने किचन में इसके इस्तेमाल से होने वाले फायदों के बारे में पता है आपको? इस खबर में हम आपको बताएंगे कि नारियल के तेल को अपनी डाइट में शामिल करने से किस तरह के फायदे हो सकते हैं. तो आइए शुरू करें.

मजबूत होता है मेटाबौलिज्म

नारियल के तेल के इस्तेमाल से शरीर का मेटाबौलिज्म मजबूत होता है. जब आपका मेटाबौलिज्म मजबूत रहेगा तो आपका वजन जल्दी कम होगा. खाने में नारियल के तेल के इस्तेमाल से पेट की चर्बी भी कम होती है.

हड्डियों को बनाए मजबूत

नारियल के तेल से बना खाना खाने से हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं. इसके सेवन से शरीर में मैग्निशियम और कैल्शियम सही से सोख लिए जाते हैं. इसके साथ ही जुकाम की शिकायत में भी ये असरदार है.

दिल के लिए होता है लाभकारी

आज के वक्त में बहुत से लोग दिल की बीमारियों से ग्रसित हैं. इन लोगों के लिए नारियल का तेल काफी फायदेमंद होता है. इसमें शामिल लौरिक एसिड शरीर के गुड कैलेस्ट्रौल को बढ़ाता है और दिल को स्वस्थ रखता है.

बीमारियों से रखे सुरक्षित

नारियल का तेल काफी गुणकारी होता है. इसमें एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल, एंटी माइक्रोबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. इसमें मौजूद ये गुण शरीर के सारी गंदगियों को बाहर कर देता है, जिससे आप सुरक्षित रहती हैं.

पेट के लिए है फायदेमंद

जिन लोगों को डाइजेशन में परेशानी होती है उनके लिए नारियल का तेल बेहद लाभकारी होता है. डाइट में इसे शामिल करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. पेट के इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार बहुत सी बैक्टीरिया से सुरक्षित रहने में भी ये काफी कामगर है.

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