पौर्न फिल्मों का भारत में बढ़ता बाजार

अभी कुछ दिनों पहले मुंबई में 18 से 24 साल की लड़कियों को पुलिस रेसक्यू में छुड़ाया गया था. दरअसल, ये लड़कियां पौर्न फिल्मों में काम किया करती थीं. इन लड़कियों में से कुछ ऐसी भी लड़कियां थीं जिनसे जबरन यह काम करवाया जाता था. इस पूरे मामले में कुछ लड़कियां पौर्न फिल्म में तो कुछ देह व्यापार में शामिल थी.

छुप-छुपा कर बंद कमरे में देखा जाने वाला पौर्न का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है. इस व्यापार में खास कर ऐसी लड़कियों का शिकार किया जाता है जो आर्थिक रूप से कमजोर हों. इनकी आर्थिक स्थिति इनकी सबसे बड़ी कमजोरी बन जाती है. जिस वजह से इन लड़कियों को अपने जिस्म का व्यापार तक करना पड़ता है.

वुमेन ट्रेफिकिंग

ह्यूमन ट्रेफिकिंग यानी मानव तस्करी के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं. ह्यूमन ट्रेफिकिंग एक गैर कानूनी अपराध है. लेकिन फिर भी इस अपराध की बढ़ोतरी होती ही जा रही हैं. ह्यूमन ट्रेफिकिंग के अंतर्गत महिलाओं को जबरन शादी और देह व्यापार जैसे धंधे में धकेल दिया जाता है. एक तरफ महिलाओं को सफलता के शिखर पर पहुंचाने की बात की जाती है और वहीं दूसरी तरफ इन्हें ऐसे घिनोने दलदल में धकेल दिया जाता हैं. अब इनकी संख्या बढ़ती जा रही है.

27 वर्ष की सोनाक्षी भी ट्रेफिकिंग का शिकार हो चुकी हैं. सोनाक्षी की उम्र 19 थी जब उसकी शादी हुई थी. शादी के 6 महीने बाद ही उसके पति ने उसकी नौकरी लगने के बहाने किसी ओर को बेच दिया था. सोनाक्षी को उस वक्त पता नहीं था की इस नौकरी में उसको उसका जिस्म बेचना होगा. करीब एक साल तक वह इस दलदल में फंसी रही और आखिरकार भागने में कामयाब हुई. लेकिन इस एक साल में सोनाक्षी की जिंदगी पूरी बदल गई थी. आर्थिक परेशानियों की वजह से सोनाक्षी को फिर से यह धंधा शुरू करना पड़ गया.

सोनाक्षी जैसी हजारों लड़कियां इस धंधे का शिकार होती थी, होती है और होती रहेंगी क्योंकि हमारे समाज में ऐसे व्यापार के ग्राहक आधिक हैं.

पौर्न का फलता-फूलता कारोबार

पौर्न का बाजार जितना बड़ा हैं उससे कई ज्यादा इसके ग्राहक हैं. इंटरनेट की दुनिया में पौर्न से सालाना 10 से 14 अरब डालर का कारोबार हो रहा है. एक समय था जब डीवीडी, केसेट्स के द्वारा पौर्न का कारोबार होता था. लेकिन इंटरनेट की दुनिया में पौर्न का कारोबार और आसान हो गया है.

कैसे होती है कमाई

पौर्न के 25 मिलियन से ज्यादा साइट्स इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. लेकिन जिस साइट्स पर ज्यादा व्यू और ट्रेफिक होता है, उसी साइट्स को सबसे ज्यादा मुनाफा भी होता है. इंटरनेट पर कुछ फ्री पौर्न साइट्स भी हैं जिनपर विज्ञापन देकर पैसे कमाएं जाते हैं. पौर्न के कुछ ऐसे भी साइट्स हैं जिनको देखने के लिए पैसे देने पड़ते हैं.

पौर्न देखने में महिलाएं सबसे आगे

हम सबको यही लगता है सबसे ज्यादा पौर्न देखने वाले पुरुष होते हैं अगर आप भी यहीं सोचते हैं तो आप बिल्कुल गलत हैं. एक्स वीडियोज जो दुनिया की सबसे बड़ी पौर्न साइट्स में से एक है. उस पर 4 अरब का पेज व्यू आता है जिनमे महिलाएं के व्यू सबसे अधिक हैं.

आज के समय में लोग पौर्न के इतने ज्यादा दीवानें हो गए हैं की इंटरनेट पर हर 2 मिनट में 2 मिलियन से अधिक लोग पौर्न देखते हैं. जिनमें से महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है.

पौर्न देखने का क्रेज

आज के समय में पौर्न देखना आम बात हो गया है. सेक्सोलोजिस्ट विनोद रावत का कहना है:, डिजिटल दुनियां में मोबाइलफोन तो सबके पास होता है और इस मोबाइल फोन की वजह से ही 90% 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे पौर्न से रूबरू हो चुके होते हैं. लेकिन कम उम्र में पौर्न की चपेट में आने की वजह से ऐसे बच्चों में पौर्न के प्रति एडिक्शन की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.

  • जहां एक तरफ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पौर्न की पहुंच आसान हो गयी है, वहीं दूसरी तरफ लगभग 60% लोगों का यह कहना है कि उन्होनें पौर्न किसी ना किसी तरह की जानकारी के लिए देखा, जो उन्हें अन्य किसी माध्यम जैसे किताबों आदि में नहीं मिला.
  • एक सर्वे के अनुसार इंटरनेट पर औनलाइन पौर्न सर्च करने वाले लोगों में 18 से 24 साल के युवाओं की संख्या अधिक हैं.

पौर्न के साइड इफेक्ट

  • जो लोग बहुत अधिक पौर्न देखते हैं वो आर्टिफिशियल दुनिया के करीब आते जाते हैं और उन्हें निजी जिन्दगी में लोगों से जुड़ने में दिक्कत होने लगती है.
  • लोग जैसा पौर्न फिल्मों में देखते हैं, वैसी ही रिलेशनशिप वो अपनी जिंदगी में चाहने लगते हैं जो कि संभव नहीं होता ऐसे में लोगों में अपने रिलेशनशिप को लेकर संतुष्टि का भाव कम होने लगता है. यह लोग डिप्रेशन का शिकार होने लगते हैं. वो लोगों से खुद को कटा हुआ महसूस करने लगते हैं.
  • असल मे पौर्न देखते वक्त लोगों को एक रश फील होता है, जिसकी वजह से उस पल तो अच्छा महसूस करते हैं, मगर उस रश के खत्म होते ही फिर से अकेलेपन, और निराशा से घिर जाते हैं.
  • इसके एडिक्शन के बाद हमें उन बातों की आदत पड़ जाती है जिन्हें एक समय पर हम खुद सही नहीं मानते थे. हम वो सब करना चाहते हैं जो हम पौर्न में देखते हैं जो कि शायद संभव नहीं है. देखने वाले को ये बात समझ में ही नहीं आती कि असल में इन वीडियो में एक्टिंग अधिक की जाती है. आप अपने पार्टनर से वो सब एक्स्पेक्ट करने लगते हैं जो असल में सच नहीं है.
  • ऐसे में आपके और आपके पार्टनर के बीच दूरियां भी आ सकती हैं.
  • अत्यधिक पौर्न देखने पर व्यक्ति सेल्फिश हो जाता है. वो सिर्फ अपने और अपनी संतुष्टि के बारे में सोचना शुरू कर देता है.
  • कई बार लोग अपने पार्टनर्स को बिना उनकी इच्छा जाने शारीरिक संबंध बनाने के लिए परेशान करना शुरू कर देते हैं जो कि एक अपराध के गिनती में आता है.
  • ऐसे में पौर्न महिलाओं के प्रति हिंसा का कारण भी बन जाता है.
  • सेक्स के दौरान परफार्मेंस की चिंता- डाक्टर विजयसारथी रामनाथन का कहना है:, पौर्न की लत कोई गंभीर समस्या नहीं है लेकिन इसे बहुत गंभीरता से लेने से आपको सेक्स के दौरान परफार्मेंस की चिंता जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

पौर्न से जुड़े कानून

पौर्न से जुड़े कानून पर एडवोकेट सुमित शर्मा का कहना है:,  इंटरनेट के जमाने में चीजे आसान जरूर हो गई हैं, लेकिन इंटरनेट की दुनियां में अपराध भी तेजी से बढ़ रहा है. इंटरनेट के माध्यम से अश्लीलता का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है. बात अगर हम पोर्नोग्राफी की करें तो इंटरनेट के द्वारा चलने वाला यह बहुत बड़ा कारोबार बन गया है.

सुमित ने पौर्न से जुड़े कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बाते बताई हैं. जिसको पढ़ कर आप पौर्नोग्राफी के क्राइम से बच सकते हैं.

  • घर पर पौर्न देखना गैरकानूनी नहीं है, लेकिन सार्वजनिक जगहों पर पौर्न देखना अपराध माना जाता है.
  • अपने फोन, लैपटाप, या हार्ड ड्राइव मे पौर्न स्टोर करके रखना भी गैरकानूनी नहीं है, लेकिन पौर्न का किसी भी तरह का सामूहिक या किसी को निजी मैसेज पर भेज कर प्रदर्शन करना, पौर्न बेचना, किसी को जबर्दस्ती दिखाना आदि गैरकानूनी है.
  • किसी को पौर्न संबन्धित चित्र, विडियो, या लेख भेजना गैरकानूनी है.
  • सेक्स कहानियां भी पौर्न के दायरे में आती हैं.

अगर कोई इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर पौर्न प्रकाशित करता पकड़ा जाता है, तो वह ग्रे एरिया मे आएगा, मगर उसके खिलाफ किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं होगी, जब तक सरकार उसके आदेश नहीं देती है. तुरंत कार्यवाही सिर्फ उस स्थिति मे होगी, जिसमें चाइल्ड, यानि बच्चों से जुड़े पौर्न का प्रकाशन किया जा रहा हो.

  • किसी भी तरह का चाइल्ड पौर्नोग्राफी देखना, रखना या ढूंढना गैरकानूनी है.
  • भारत में किसी भी तरह का पौर्न बनाना इन्फार्मेशन टेक्नालौजी एक्ट 2000 के सेक्शन 67 के अनुसार गैरकानूनी है.

रसीले टमाटर बनाएंगे आपको खूबसूरत

टमाटर में लाइकोपेन की अधिकता होती है जिससे ये त्वचा की समस्याओं को दूर कर उसे सुन्दर बनाते हैं. इसके अलावा ये त्वचा को चमकदार, गोरा और झुर्रियों को भी कम करते हैं. ये आपके बालों के लिए भी एक अच्छे कंडीशनर का काम करते हैं और इन्हें नरम और चमकदार बनाते हैं.

त्वचा की रंगत निखारे

टमाटर स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर होने के साथ ही यह त्वचा पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. वास्तव में ये सच है, यदि आप रोजाना टमाटर जूस लें या टमाटर को अपनी त्वचा पर रगड़ें तो कुछ दिनों में ही आप त्वचा में निखार महसूस करेंगी.

त्वचा को बनाए कोमल

यदि आप त्वचा को मुलायम बनाना चाहती हैं तो टमाटर का रस शहद में मिलाकर इसका पेस्ट बना लें. इसके पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट तक रखें. बाद में साफ पानी से धो लें. इससे निश्चित ही आपको मुलायम और दमकती त्वचा मिलेगी.

त्वचा की समस्याओं से छुटकारा

टमाटर के बीज का तेल त्वचा की बहुत सी परेशानियों को दूर करता है. टमाटरों में कई तत्व होते हैं जो कि उम्र के असर को कम करते हैं और साथ ही फ्री रेडिकल्स से भी लड़ते हैं. टमाटर का तेल सोरायसिस और एक्जिमा कम करने के लिए कारगर है. यह बेकार त्वचा को भी ठीक करता है.

मुहासों को कम करता है

टमाटर में विटामिन सी होता है इसलिए ये मुंहासे दूर करने वाली में कारगर है. यदि आपको मुहासों की समस्या है तो टमाटर को छीलकर इसे मसल लें और इसका गूदा चेहरे पर लगाएं और सुखा लें. फिर पानी से धो लें. कुछ दिनों तक ऐसा करने से मुंहासे छू-मंतर हो जायेंगे.

जली हुई त्वचा को ठंडक पहुचाएं

कई ब्यूटी एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जो लोग 3 माह में कम से कम 4-5 टेबल स्पून टमाटर के पेस्ट का इस्तेमाल करते हैं उन्हें प्राकृतिक रूप से धूप से जलन से निजात मिलती है. यदि आपकी में त्वचा धूप से जलन की समस्या है तो आप भी टमाटर का रस इस्तेमाल कर सकते हैं.

रोम छिद्रों को साफ करता है

अपने रोम छिद्रों को साफ करने के लिए आप एक टेबल स्पून पानी में टमाटर के रस की 3-4 बूंदें मिलाकर कौटन से लगा सकते हैं. आपको अपनी त्वचा को इस मिश्रण से धीरे -धीरे मसाज करना है और इसे चहरे पर 10-15 मिनट तक रखना है. यदि आप रोजाना ऐसा करते हैं तो त्वचा के छिद्रो का आकार अपने आप कम हो जाएगा.

डैंड्रफ दूर करता है

अधिकतर लोगों के बालों की समस्या है डैंड्रफ. टमाटर इसे दूर करने में मददगार है. आपको सिर्फ टमाटर का गूदा अपने सिर पर रगड़ना है और बस असर देखिये. अच्छे परिणाम के लिए इसे सप्ताह में एक या दो बार लगाएं.

ट्राइबल फैशन का है जमाना

नएनए फैशन को अपनाना चूंकि आजकल का एक ट्रैंड बन गया है, इसलिए फैशन डिजाइनर भी कुछ अलग हट कर प्रयोग कर रहे हैं. इयररिंग्स हों या साडि़यां इन में ट्राइबल लुक काफी पौपुलर है. इन दिनों ट्राइबल प्रिंट्स हर तरह की पोशाकों पर देखने को मिल रहे हैं.

आदिवासियों का प्रकृति और जानवरों से गहरा लगाव होता है, इसलिए ड्रैस मैटीरियल में भी नैचुरल प्रिंट्स और कलर का यूज बढ़ रहा है. ट्राइबल प्रिंट्स वाली वैस्टर्न ड्रैसेज भी काफी चलन में हैं. ये ड्रैसेज एक फ्यूजन लुक देती हैं, साथ ही प्रिंट्स भी काफी ट्रैंडी लगते हैं. ट्राइबल लुक की साडि़यां भी इन दिनों काफी चलन में हैं खासकर कौटन और हैंडलूम की ट्राइबल प्रिंट्स वाली ये साडि़यां क्लासी और ऐलिगैंट लुक भी देती हैं. ऐश्वर्या राय बच्चन से ले कर जेनेलिया और बिपाशा तक इस तरह की साडि़यां पहने देखी जा सकती हैं.

अफ्रीकन प्रिंट्स भी ट्राइबल लुक में अपनी जगह बना चुके हैं. अफ्रीकन प्रिंट्स के स्कार्फ्स से ले कर बैडशीट्स, कुशन तक पसंद किए जा रहे हैं. अफ्रीकन प्रिंट्स के सलवार सूट का भी चलन बढ़ा है. ट्राइबल लुक को ट्रैडिशनल सूट, साड़ी के साथसाथ कैपरी, पैंट, ट्यूनिक से ले कर मिनीज तक ट्राई किया जा सकता है. ट्राइबल प्रिंट्स पैंट को कूल लुक देते हैं. इसे आप बौयफ्रैंड शर्ट के साथ मैच कर के पहन सकती हैं. ट्राइबल प्रिंट्स वाली प्लाजो पैंट भी पहन सकती हैं, जिसे टैंग या फिर क्रौप टौप के साथ कैरी कर सकती हैं.

ज्वैलरी भी होती है खास

पहनावे के साथसाथ ज्वैलरी में भी ट्राइबल लुक को ढाला जा रहा है. ट्राइबल इयररिंग्स युवतियों से ले कर बड़ी उम्र की महिलाएं तक पहन रही हैं. इन की खासीयत यह है कि ये ट्रैडिशनल या ट्रैंडी हर तरह के लुक के साथ मैच करते हैं. आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाली ज्यादातर महिलाएं बहुत हैवी ज्वैलरी पहनती हैं. लेकिन डिजाइनर उन की डिजाइनों को काफी लाइट वेट में बना रहे हैं. अष्ट धातु, तांबे के तारों के साथ मिक्स सिल्वर से बनी ट्राइबल ज्वैलरी इंडोवैस्टर्न आउटफिट के साथ बहुत अच्छी लगती है. इस में ऐनिमल ज्वैलरी जैसे टर्टल्ज रिंग, आउल चेन, पैरेट इयरग्सिं, लीफ सैट आदि इन दिनों बहुत चलन में हैं.

इन दिनों मार्केट में सिल्वर के साथसाथ व्हाइट या ब्लैक मैटल से बने इयररिंग्स भी मौजूद  हैं.

ट्राइबल बोहो बैंगल्स भी अलग लुक देते हैं. इन्हें वैस्टर्न से ले कर ट्रैडिशनल कपड़ों के साथ पहना जा सकता है. बोहो बैंगल्स को कड़े या ब्रेसलेट की तरह भी पहना जा सकता है. ट्राइबल प्रिंट्स वाले स्कार्फ काफी स्मार्ट लुक देते हैं. इन्हें जींस, ड्रैस या कुरती जींस किसी के भी साथ पहना जा सकता है. आप अपने फौर्मल या कैजुअल ट्राइबल स्कार्फ को हर आउटफिट के साथ कैरी कर सकती हैं.

अगर आप प्लेन ड्रैस पहन रही हैं तो उस के साथ ट्राइबल प्रिंट्स स्कार्फ कैरी करें. यह आप की ड्रैस को और भी आकर्षक बना देगा. अगर आप ब्रोच लगाती हैं तो साड़ी में ट्राइबल ब्रोच यूज किया जा सकता है.

मेकअप पर भी छाया है जादू

ट्राइबल लुक मेकअप का बढ़ता क्रेज भी युवतियों में देखा जा सकता है. ट्राइबल लुक देने के लिए आंखों का खास मेकअपकिया जाता है. उस से आंखें बोल्ड लगती हैं.

इस के लिए ऊपर व नीचे की दोनों आईलीड्स को अच्छी तरह हाईलाइट किया जाता है और आंखों के उभार को बढ़ाने के लिए काजल का प्रयोग किया जाता है. इस के बाद आईशैडो से आंखों को बोल्ड लुक दिया जाता है. फिर मसकारा लगा कर आर्टिफिशियल लैशेज लगाई जाती हैं.

होंठों पर ट्राइबल लुक देने के लिए लिक्विड फाउंडेशन तथा ब्रोंजर का इस्तेमाल किया जाता है पर इस का प्रयोग बहुत कम मात्रा में किया जाता है, सिर्फ एक टच देने के लिए. इस लुक के लिए ब्लशर का भी प्रयोग नहीं किया जाता है. लिपस्टिक के लिए मैट कलर्स चुनें यानी ऐसा कलर चुनें जो औरेंज और कोरल के बीच का हो या फिर लाल से मिलतेजुलते शेड की भी लिपस्टिक लगाई जा सकती है.

हेयरस्टाइल की बात करें तो इस लुक के लिए बालों को खुला या ढीला ही रहने दें. ऊंगलियों से ही बालों को बिखेर दें. खुले, साधारण कर्ल किए बाल इस स्टाइल के लिए उपयुक्त रहते हैं. आदिवासी महिलाएं अपने बालों को सजाने के लिए तरहतरह के भारी गहनों का इस्तेमाल करती हैं, मगर उन्हें आधार बना कर जो डिजाइनें इन दिनों तैयार की जा रही हैं, उन्हें फैशन ज्वैलरी कहा जाता है.

वजन कम करना चाहती हैं तो ऐसे करें वौकिंग

वजन कम करने के लिए लोग क्या क्या नहीं करते हैं. जिम, डाइटिंग, एक्सरसाइजेज और भी ना जाने क्या क्या. पर क्या आपको पता है कि केवल वौक कर के ही आप अपना वजन कम कर सकती हैं. जिस तरह से लोगों का बिजी सेड्यूल है, इसमें जिन या एक्सरसाइज करना सबके बस की बात नहीं है, ऐसे में वौक कर वजन कम करना एक बेहतर औप्शन है.

इस खबर में हम आपको वौक के दौरान कुछ ट्रिक्स बताएंगे जिन्हें अपना कर आप अपने वजन को कम कर सकेंगी.

ढलान वाली जगह पर चलें

जल्दी मोटापा कम करना चाहती हैं तो ढलान वाली जगहों पर चलें. इससे अधिक कैलोरी बर्न होती है. इस तरह चलने से आप 30 फीसदी ज्यादा कैलोरी बर्न कर सकते हैं. साथ ही इस तरह चलने से मांसपेशियां और मेटाबौलिज्म दोनों मजबूत होंगे.

चलने की गति में करें बदलाव

कई स्टडीज में से बात सामने आ चुकी है कि चलने से कैलोरी बर्न होती है. पर इस दौरान अगर आप गति बदल बदल के चलती हैं तो और अधिक कैलोरी बर्न होगी. जानकारों की माने तो चलने की गति में बदलाव करने से मेटाबौलिज्म 20 फीसदी ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है. हफ्ते में एक बार लंबी वौक पर जरूर जाएं.

सीढ़ियां चढ़ें

सीढिंयों पर चढ़ने की आदत बना लें. इससे ज्यादा मात्रा में कैलोरी बर्न होती है. एलिवेटर और लिफ्ट के बजाए सीढ़ियों का इस्तेमाल करें.

दिन में खूब चलें

जो लोग वर्कआउट करते हैं उनका समय तय रहता है. पर अगर आप जल्दी वजन कम करना चाहती हैं तो दिनभर में ज्यादा से ज्यादा चलने की कोशिश करें. अपनी दिनचर्या में 20 से 25 मिनट का वौक जरूर शामिल करें. जब भी आपको तनाव हो, वौक जरूर करें.

क्रिस्पी हनी गार्लिक टोफू

सामग्री-

– सोया सौस (1 चम्‍मच)

– 3 लहसुन (पिसे हुए)

– ताजी पिसी काली मिर्च (स्‍वादानुसार)

– ग्रीन स्‍प्रिंग अनियन (स्‍लाइस की हुई)

– टोफू (1पैकेट)

– कार्नस्‍टार्च (1 चम्‍मच)

– शहद (2 चम्‍मच)

बनाने की विधि –

– ओवन को पहले 400°F पर गरम कर लें.

– टोफू को सूखे कपडे़ से पोछ कर उसे सुखा लें और फिर आधे इंच के टुकड़े में काट कर रखें.

– टोफू को एक कटोरे में डालें, उसमें कार्न स्‍टार्च डाल कर मिक्‍स करे.

– फिर टोफू को पर्चमेंट पेपर पर निकाल कर बेकिंग शीट पर रखें.

– इसे 30-45 मिनट तक बेक करें, बीच बीच में इसे पलटती रहें.

– जब टोफू पकने में पांच मिनट रह जाए, तब सौस बनाने की तैयार करें.

– एक छोटे फ्राइंग पैन में शहद, सोया और लहसुन डाल कर मध्‍यम आंच पर तब तक पकाएं जब तक कि सौस गाढ़ा ना हो जाए.

– इसे एक बार टेस्‍ट करें और फिर उसमें कुटी हुई काली मिर्च डालें.

– अब टोफू को ओवन से निकालें और उसे सौस में लपेटे.

– आखिर में इसे ग्रीन स्‍प्रिंग अनियन से गार्निश करें और सर्व करें.

केवल फायदेमंद नहीं होता खीरा, जानिए नुकसान

खीरा खाने के कई फायदे हैं. गर्मी के मौसम में तो खास कर के  खीरा खाने की बात कही जाती है, इससे पेट की गर्मी शांत रहती है. इसके अलावा भी खीरे में ऐसे बहुत से तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए लाभकारी होते हैं. पर क्या आपको पता है कि खीरा खाने के नुकसान भी होते हैं?

इस खबर में हम आपको खीरा से होने वाले नुकसान के बारे में बताएंगे.

हो सकता है दर्द का अनुभव

अधिक मात्रा में खीरा खाने से आपका पेट भरा रहता है. ऐसा इसलिए क्योंकि खीरा फाइबर का प्रमुख स्रोत है. पर ज्यादा खीरा खाने से आपको डकारे आ सकती हैं और दर्द का अनुभव भी हो सकता है.

गर्भवती महिलाओं संतुलित मात्रा में खाएं खीरा

गर्भवती महिलाओं को खीरा खाने की सलाह दी जाती है पर इसकी मात्रा संतुलित होनी चाहिए. जरूरत से अधिक खीरा खाने से उन्हें मूत्रत्याग के लिए बार बार जाना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि खीरे में पानी की मात्रा अधिक होती है. गर्भवती महिलाओं के लिए बार बार मूत्रत्याग के लिए जाना असुविधाजनक होता है. ऐसे में जरूरी है कि आप संतुलित मात्रा में खीरे का सेवन करें.

साइनसाइटिस के मरीज रहें खीरा दूर

साइनसाइटिस के मरीजों को खीरा से परहेज करने की सलाह दी जाती है. ऐसा इस लिए क्योंकि खीरे की तासीर ठंडी होती है. ऐसे में साइनसाइटिस के मरीजों के लिए खीरे का सेवन खतरनाक होता है.

इसलिए जरूरी नहीं है कि खीरा खाते वक्त केवल इसके फायदों के बारे में ही ना सोचें, इसके कई नुकसान भी हैं और जरूरी है कि उन्हें भी ध्यान में रखा जाए.

अगर पैन कार्ड ना हो तो हो सकती हैं ये परेशानियां

आज के वक्त में पैन कार्ड हर उस इंसान के लिए बेहद जरूरी है जो किसी भी तरह का वित्तीय लेनदेन करता है. पैन 10 डिजिट्स का वो कार्ड है जो आयकर विभाग की ओर से करदाताओं को जारी किया जाता है. इसके जरिए व्यक्ति की लेनदेन की पूरी जानकारी सरकारी रिकौर्ड में दर्ज होती है. इसके अलावा इसमें टैक्स का भुगतान, टीडीएस कटौती और इनकम टैक्स रिटर्न प्रमुखता से शामिल होता है.

इस खबर में हम आपको पैन से जुड़े कुछ नियमों के बारे में बताएंगे और ये भी बताएंगे कि आपके पास पैन कार्ड का होना क्यों जरूरी है.

  • क्रेडिट या डेबिट कार्ड प्राप्त करने के लिए पैन का होना अनिवार्य है.
  • एक लाख से अधिक की कीमत वाली सिक्यूरिटी या म्युचुअल फंड्स की खरीद पर 50,000 से अधिक की भुगतान पर पैन कार्ड का होना अनिवार्य है.
  • किसी कंपनी के शेयर्स खरीदने के लिए उसे 50,000 रुपये या उससे अधिक का पेमेंट करने की सूरत में भी पैन की जानकारी देनी होती है.
  • लाइफ इंश्योरेंस के प्रिमियम में 50,000 से अधिक के पेमेंट पर भी आपको पैन नंबर मुहैया कराना अनिवार्य है.
  • सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश के अनुसार इनकम टैक्स फाइलिंग के दौरान आपका पैन का आधार से लिंक होना अनिवार्य है. ऐसा ना होने पर आपका आईटीआर प्रोसेस नहीं होगा.
  • किसी भी वित्तीय संस्थान में किसी भी तरह की जमा के सूरत में अगर राशि 50,000 से अधिक है तो पैन का उल्लेख करना जरूरी हो जाता है. जमा की ये शर्त केवल बैंकों के लिए नहीं है, बल्कि पोस्ट औफिस के लिए भी है.
  • होटल या रेस्तरां में 25,000 से अधिक की बिल पर पैन कार्ड का उल्लेख जरूरी है.
  • आयकर विभाग की माने तो बैंक ड्राफ्ट की नकद खरीद, पे और्डर या एक दिन में 50,000 रुपये या उससे ऊपर के बैंकर्स चेक के लिए भी आपको अपना पैन कार्ड देना होता है.

सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के कई रास्ते होते हैं : शेखर सेन

पद्मश्री शेखर सेन के पांच एक पात्रीय नाटकों के हजार शो कर चुके पद्मश्री शेखर सेन बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. वह गायक, संगीतकार, पेंटर, अभिनेता, सेट डिजायनर सब कुछ हैं. वह अपने एक पात्रीय संगीतमय नाटकों में सारी जिम्मेदारी खुद ही निभाते हैं. शेखर सेन उनमें से हैं, जो अपने माता पिता की याद में हर वर्ष छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर जाकर मुफ्त में अपने नाटकों के पांच शो करते हैं. इन शो में हर इंसान को नाटक देखने की पूरी छूट होती है.

मूलतः रायपुर, छत्तीसगढ़ निवासी शेखर सेन को संगीत अपने पिता डा. अरूण कुमार सेन व माता डा. अनीता सेन से विरासत में मिली है. दोनो मशहूर शास्त्रीय गायक व शिक्षाविद् थे. बौलीवुड में संगीतकार बनने की तमन्ना लेकर मुंबई आने वाले शेखर सेन ने बतौर गायक व संगीतकार गजल, भजन सहित कई विधाओं में 150 से अधिक संगीत के अलबम निकाले. उन्होंने धारावाहिक ‘रामायण’ में पार्श्वगायन के अलावा ‘गीता रहस्य’सहित कई धारावाहिकों को संगीत से संवारने के साथ साथ उन्हें अपनी आवाज से भी संवारा. फिर अपने अनुभवों का उपयोग करते हुए 1998 में उन्होंने संगीत प्रधान एक पात्रीय नाटक ‘‘तुलसीदास’’ लिखा, जिसका निर्देशन करने के साथ साथ उन्होंने इसमें अभिनय किया. उसके बाद उन्होंने भक्ति काव्य के हस्तियों कबीर, सूरदास, विवेकानंद के अलावा आम इंसान पर ‘साहेब’ नाटक लेकर आएं. यह सभी नाटक मानवीय भावनाओं व संवेदनाओ के साथ साथ कर्णप्रिय संगीत से ओतप्रोत है.

शेखर सेन की कला जगत की उपलब्धियों पर गौर करते हुए 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया और फिर दो माह बाद उन्हें ‘‘संगीत नाटक अकादमी’’ का अध्यक्ष नियुक्त किया. संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष के रूप में अपने लगभग चार वर्ष के कार्यकाल में ‘संगीत नाटक अकादमी’को नए आयाम प्रदान किए.

प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के अंश…

आप फिल्मों में संगीतकार बनने की तमन्ना के साथ मुंबई आए थे, मगर..?

आपने एकदम सही कहा. लेकिन मुंबई पहुंचने के एक वर्ष के अंदर ही मेरी समझ में आ गया था कि यह मेरे बस की बात नहीं है. मैंने एक फिल्म में दस गाने गाए, मगर फिल्म बीच में बंद हो गयी, तो सब बेकार. तब मैंने सोचा कि वह काम करो, जहां अपने हाथ में कुछ तो हो. इसके अलावा अक्सर मेरे पास फिल्म निर्माता कोई न कोई कैसेट लेकर आते थे और उनकी फरमाइश होती थी कि ऐसा गाना बना दो. तो मेरा उन्हें जवाब होता था कि यदि इसकी नेल करनी है, तो मेरी क्या जरुरत, आप खुद ही बना लें. मैंने हमेशा वही करने का प्रयास किया, जिसमें मेरी अपनी कुछ तो मौलिकता हो. रंगकर्मी के रूप में मैं अच्छा काम कर रहा हूं. मेरे सभी पांच नाटक 1998 से चल रहे हैं. एक भी नाटक बंद नहीं हुआ. यह मेरी बहुत बड़ी उपलब्धि है. कई फसलों में समय लगता है. धान की फसल तो तीन माह बाद काटकर खाया जा सकता है. पर आम का पेड़ लगाने वाले कलाकार को धैर्य रखना पड़ता है.

केंद्र की नई सरकार द्वारा ‘‘पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट’’ ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ जैसी संस्थाओं में की गई नए अध्यक्षों की नियुक्तियां विवादों में रहीं. पर संगीत नाटक अकादमीके अध्यक्ष पद पर आपकी नियुक्ति को लेकर कोई विवाद नही हुआ?

अच्छा…मैंने सदैव इमानदारी के साथ अपने काम को अंजाम दिया. किसी के भी प्रति मेरे मन में शत्रुता नहीं है. मुझे हमेशा लगता है कि हर इंसान से कुछ सीखा जा सकता है. ‘संगीत नाटक अकादमी’में भी दो चार लोगों ने मुझे लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश की. पर मुझे पता था कि मेरी आत्मा पवित्र है. मेरा मानना है कि यदि कोई कलाकार मुझे अपना शत्रु मान रहा है, पर यदि वह गुणी कलाकार है, तो उसे पुरस्कार मिलना चाहिए. मैं हमेशा उसके पक्ष में रहूंगा. मैं यह मानकर चलता हूं कि यदि कोई इंसान मुझे गाली दे रहा है, तो उसे मुझमें कोई न कोई कमी नजर आ रही होगी. पर इसके यह मायने नहीं है कि मैं उसे शत्रु मान लूं. मैंने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा. शायद यही एक वजह है कि ‘संगीत नाटक अकादमी’में कोई विवाद इतना नहीं उभरा कि चर्चा का विषय बन गया हो.

‘‘संगीत नाटक अकादमी’’के अध्यक्ष के रूप में आपको किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के कई रास्ते होते हैं. सरकारी तंत्र में बैठे लोग भ्रष्टाचार के बहुत खूबसूरत रास्ते इजाद कर लेते हैं. तो मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती भ्रष्टाचार के इन सारे खूबसूरत रास्तों को बंद करने की थी. मैंने सबसे पहला काम यह किया कि सारे रास्ते बंद करवाए. इसके लिए मैंने पहला कदम यह उठाया कि सौ रूपए से ज्यादा नगद के लेन देन पर प्रतिबंध लगाया. सारी राशि सीधे बैंक खाते या चेक से देने की प्रणाली विकसित की. दूसरा नियम बनाया कि एक कलाकार को जल्दी दूसरी बार दोहराया नहीं जाएगा. इससे भी भ्रष्टाचार पर लगाम लगी. अब ‘संगीत नाटक अकादमी’ का कार्यालय दिल्ली में है. अब तक ज्यादातर कार्यक्रम दिल्ली में ही हुआ करते थे. यदा कदा कुछ कार्यक्रम मुंबई, मद्रास या दूसरे शहर में होते थे. इस वजह से सारी मलाई दिल्ली के कलाकार खा जाते थे. मैंने नियम बनाया कि सिर्फ 20 प्रतिशत कार्यक्रम दिल्ली में होंगे, बाकी के 80 प्रतिशत कार्यक्रम पूरे देश में और गांवों में होंगे. मैंने वर्धा में ‘ध्रुपद सम्मेलन’ करवाया. पंढरपुर में भक्ति उत्सव करवाया. तिरूवनंतपुरम, मदुराई, तंजापुर में कार्यक्रम करवाए. मैंने तेलंगाना के कुचीपुड़ी गांव में 10 दिवसीय वर्कशाप करवाया. दरभंगा, गया, मोतीहारी में कार्यक्रम हुए. बड़े शहरों में कार्यक्रम हों, तो भ्रष्टाचार करना आसान हो जाता है. पर छोटे शहरों, कस्बों या गांवों में, जहां आपको धर्मशाला में रूकना हो, वहां भ्रष्टाचार कैसे करेंगे? मेरा मानना है कि अंधे को अंधा कहने से कोई लाभ नहीं, बल्कि उसे दृष्टि देना ही फायदे का सौदा होगा.

कला और किसी संस्था को चलाना दो अलग चीजें हैं. आपने कैसे सामंजस्य बैठाया?

यह मेरे माता पिता के आशीर्वाद का फल है. यह गुण मुझे उन्हीं से विरासत में मिला. इसके अलावा जब हम एक नाटक करते हैं, तो उसमें कई विभाग होते हैं और हर विभाग का ध्यान मुझे ही रखना होता है. नाटक करते हुए मुझे ध्यान रखना होता है कि संगीत बराबर बज रहा है या नहीं? लाइटिंग ठीक से आ रही है या नहीं? वगैरह वगैरह…वह अनुभव भी काम आया. फिर संस्थान चलाने का गुण मेरे रक्त में है. मेरे माता पिता दोनों कौलेज में प्रिंसिपल थे. जिस कौलेज कैम्पस में मैं बड़ा हुआ, मेरे पिताजी उस कौलेज के दो बार वाइस चांसलर रहें. तो मेरी परवरिश ऐसे माहौल में हुई है, जहां मेरे माता पिता दोनों एडमिनिस्ट्रेटर के पद पर आसीन रहे. हां! मेरे सामने एक कठिनाई थी, ‘लाल फीताशाही’ से निपटने की. सरकारी तंत्र में लाल फीताशाही के चलते फाइल एक ही टेबल पर जमा रहती है. कहते हैं सरकारी उपक्रम में यदि किसी ने काम नहीं किया, तो उसकी नौकरी तुरंत जाती नहीं है. मेरी कोशिश रही कि मेरे कार्यलय से जुड़े हर इंसान के काम करने में तेजी आए और उनकी जवाबदेही तय हो. यदि किसी ने सही काम नही किया, तो उस पर कारवाही भी हो. दूसरी बात मैंने यह सोचा कि यदि शरीर में एक नहीं कई फोड़े हैं, तो उन्हें ठीक करने के लिए रक्त बदलने की प्रक्रिया करनी होगी. मैंने वही किया. मैंनेपूरे सिस्टम को अलग ढंग से चलाने की कोशिश की. मुझे इस बात का गर्व है कि ‘संगीत  नाटक अकादमी’’ का मेरे अध्यक्ष बनने के बाद मेरा आफिस 365 दिन काम करता है. जबकि अमूमन कोई भी सरकारी कार्यालय 365 दिन काम नहीं करता. मेरा मानना रहा है कि यदि आप लोगों को प्यार से जोडें, तो कुछ भी करवा सकते हैं. मैंने प्यार का ही रास्ता चुना. मान लीजिए कोई कार्यक्रम होना है, और मंच पर मेज नही लगी है, तो मैं किसी को कुछ कहता नहीं हूं. किसी को साथ लेकर खुद मेज उठाकर रख देता हूं. उस वक्त मेरी सोच यह होती है कि मेरा कार्यक्रम सही समय पर शुरू हो जाए. मेरी कोशिश रही है कि ‘संगीत नाटक अकादमी’की प्रतिष्ठा कहीं से भी धूमिल न होने पाए. क्योंकि किसी को भी यह याद नहीं रहेगा कि इसका अध्यक्ष कौन है.

नौटंकी, आल्हा उदल जैसी मरनासन्न कलाओं के लिए आपने कोई कदम उठाया?

मैंने सबसे पहला काम ऐसी कलाओं को जीवंत करने का किया. मैंने ललितपुर व छतरपुर में आल्हा उदल के कार्यक्रम करवाए. कार्यशालाएं करवायीं. ब्रज की नौटंकी, कानपुर की नौटंकी, हाथरस की नौटंकी, दक्षिण में कर्नाटक, केरला व आंध्रप्रदेश की नौटकी के कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए वहां कार्यक्रम करवाए. कलाकारों का सम्मान करवाया. दक्षिण भारत में‘‘यक्षगान’’की जो पुरानी प्रथा है, उसे जीवंतता प्रदान की. जब हमने किसी ग्रुप/मंडली को कार्यक्रम दिया, तो उनका ग्रुप फिर से जागा. जब उसके कार्यक्रम को हमने दूसरे राज्यों में करवाया, तो उसकी चर्चा हुई, फिर उन्हें निजी स्तर पर कार्यक्रम मिलने लगे. देखिए, ‘संगीत नाटक अकादमी’ के काम भले कम हों, पर नाम बहुत है. यदि किसी कलाकार को ‘संगीत नाटक अकादमी’ कोई कार्यक्रम करने का अवसर देती है, तो माना जाता है कि उसे राष्ट्रीय कार्यक्रम करने का मौका मिला. फिर उसे स्थानीय स्तर पर काम करने का मौका मिलने लगता है. मैं हर कार्यक्रम को राज्य सरकारों के साथ मिलकर करता हूं.

मेरा जन्म छत्तीसगढ़ में हुआ और मैं मुंबई में रहता हूं. मेरे पिता का संबंध बंगाल से रहा है. तो मैंने कोशिश की कि छत्तीसगढ़, बंगाल व मुंबई में कार्यक्रम कम करूं. अन्यथा पक्षपाती होने का आरोप लग जाएगा. गत वर्ष अप्रैल माह में मैंने तीन दिन का छत्तीसगढ़ प्रतिभा रंग महेत्सव का आयोजन, अंधेरी, मुंबई के भवंस कौलेज में करवाया, जिसका सारा खर्च मैंने अपनी जेब से दिया. छत्तीसगढ़ से 150 कलाकारों का आना जाना व रहन व खाना सब मैंने अपने खर्चे से किया. मेरा मानना रहा है कि जहां मेरा जन्म हुआ, जिन कलाकारों के साथ मैंने बोलना, संगीत रचना करना और गीत गाना सीखा, उन्हें भी तो सम्मान मिलना चाहिए.

मैं बड़ी ईमानदारी से कहता हूं कि कलाकार की सेवा करना या कला माध्यमों की सेवा करना एक दिन का काम नहीं है. कलाकार के लिए हर दिन काम करना पड़ता है. मुझसे जो भी बन पा रहा है, मैं कर रहा हूं. मेरे जाने के बाद यदि काम रोक दिया गया, तो आज जो सोने के बर्तन नजर आ रहे हैं, वह तांबे के बर्तन हो जाएंगे.

इमानदारी से यह बात कह रहा हूं. मैं राजनीतिक व्यक्ति नही हूं. मैंने पिछले चार वर्ष के अपने कार्यकाल में सरकार का नमक नहीं खाया. इस पद पर मुझे कोई तनख्वाह नहीं मिलती है. मैं ‘संगीत नाटक अकादमी’के लिए दिल्ली या कहीं भी जाता हूं, तो खाने का बिल मैं अपनी जेब से ही देता हूं. इसलिए मैं कह सकता हूं कि कला व संस्कृति को लेकर किसी भी सरकार की कोई गंभीर योजना नही है. यह दुःखद है. मेरे अनुसार भारत में जो बजट शिक्षा का है, वही बजट संस्कृति के लिए होना चाहिए. मेरी राय में हर इंसान अपने बेटे को पहले एक सुसंस्कृत बनाना चाहता है, सुशिक्षित बाद में.

वर्तमान में जिस पार्टी की केंद्र में सरकार है, उसी की एक संस्था है संस्कार भारती. उसका संगीत कला अकादमीके कार्यक्रमों में क्या योगदान रहा?

सौभाग्य से मेरे साथ सभी संस्थाओं का साथ रहा. मैंने हर संस्था को महत्व दिया. आपने जिस संस्था का नाम लिया, वह भी शामिल है. अभी‘इप्टा’के 75 वर्ष होने पर पटना में कार्यक्रम हुआ, तो वहां भी हमने योगदान दिया. मेरा मानना है कि हर विचार धारा का सम्मान होना चाहिए. हर विचार धारा को आगे बढ़ाने और अपनी बात कहने का पूरा अवसर मिलना चाहिए. गांधी जी के कथन के अनुसार मेरी कोशिश यही रही है और आज भी है कि अंत में बैठे हुए इंसान तक मदद पहुंचे. मैंने अनदेखे कलाकार तक पहुंचने का प्रयास किया.

‘आल्हा उदल’या ‘पंडवाणी’ कोई अलग थोड़े ही है. यह गाव के किसान ही हैं, जो कि खेती के बाद फुरसत में इन कलाओं में अपना योगदान देते हैं. वह किसान ही है, जो रात में बैठकर आल्हा या शाम को ‘पंडवाणी’ गाता है. मैं किसान व उसके संगीत को कला के साथ जोड़ना चाहता हूं.

आपने मुंबई पहुंचने के बाद दुष्यंत कुमार की गजलों के अलबम से शुरुआत की थी. फिर भारत पाक विभाजन पर लिखी कविताओं को संगीतबद्ध किया. पर अंत में आप भक्तिकाल पर जाकर अटक गए?

मैंने यह कदम बहुत चाहकर नहीं उठाया. कई बार ‘मैन प्रपोजेस गौड डिस्पोजेस’होता है. आप सोचते तो बहुत कुछ हैं. जैसा कि आप भी जानते हैं कि मैं छत्तीसगढ़ से मुंबई फिल्मों में संगीत देने के लिए आया था. मैं गजले गाया करता था. मैंने बाकायदा हिंदी के साथ ही उर्दू लिखना पढ़ना सीखा था. जबान या अदब के लिहाज से उर्दू से मुझे बहुत मोहब्बत है. पर हमें यह देखना पड़ता है कि हम जो कर रहे हैं, वह किन लोगों को कितना प्रेरित करता है. मैं आज यदि भजन का कार्यक्रम करने से मना करता हूं, तो आज की तारीख में करीबन पचास से अधिक भजन गायक हैं. पर यदि मैं नाटक करना बंद कर दूं तो मेरे जैसा नाटक करने वाला दूसरा व्यक्ति नहीं है. मैं चाहूंगा कि हजार कलाकार आएं और भक्ति काल ही नहीं अन्य महापुरुषों पर भी बड़े बड़े नाटक करें. पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद के जीवन पर भी नाटक किया जा सकता है. मौलाना आजाद पर भी नाटक किया जा सकता है. मैं यह नहीं कह रहा कि नाटक नहीं हो रहे हैं. पर वहीं सरकारी तंत्र वाला मसला है. दो अक्टूबर आ गया, तो गांधी जी पर नाटक लेकर आ गए. मेरे नाटक पूरे वर्ष चलते रहते हैं, सिर्फ किसी खास तिथि पर नहीं होते. मैं कबीर जयंती या गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर ही नाटक नहीं करता. दूसरी बात नाटकों के प्रति कलाकारों में कमिटमेंट नजर नहीं आता.

इमानदारी की बात यह है कि आज कला के लिए कोई भी कलाकार मरने को तैयार नहीं है. दूसरी बात कलाकार ने जिस दिन मांगने के लिए हाथ फैला दिया, उस दिन से देश में कला व कलाकार खत्म होने लगा. कलाकार तो देने वाला होता है.

तीसरी बात आज से छह सौ वर्ष पहले हिंदुस्तान का शासक कौन था, कोई नहीं जानता. मगर छह सौ वर्ष पहले के कबीर, चैतन्य महाप्रभु, वल्लभाचार्य, मीरा, विद्यापति, जयदेव इन्हें आज भी हर कोई जानता है. कहने का अर्थ यह कि यह देश शासकों या सम्राटों को याद नहीं रखता. पर सांस्कृतिक विभूतियों, अपने संतो व अपने देश के विचारकों को याद रखता है. स्वामी हरिदास का नाम आते ही लोगों के मन में उनके प्रति सम्मान का भाव आता है. यह सम्मान का भाव सम्राट अशोक या बाबर के नाम से नही आता. इस देश ने सम्मान वहीं पर दिया, जहां साधना है. तो एक कलाकार के लिए साधना बहुत जरुरी है. जब कष्ट हुआ, जब व्यक्ति तपा, तो उसे सम्मान मिला. पर मेरी पीढ़ी की समस्या यह है कि हम तपने को तैयार ही नहीं हैं. हम रियाज नही करना चाहते. हम अपनी कला का संवर्धन करने के लिए मेहनत करने की बजाय कार्यक्रम पाने के लिए मेहनत करने में यकीन करने लगे हैं. मेरी राय में मांगने वाला कलाकार, कलाबाज है. देने वाला कलाकार ही वास्तव में कलाकार है.

हिंदी नाटकों की ही स्थिति गड़बड़ क्यों है. मराठी व गुजराती नाटकों के साथ ऐसा नही है?

समाज दोषी है. समाज में जागरूकता नही है.

आपको तो कई भाषाएं आती हैं?

मै मूलतः छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर का रहने वाला हूं. इसलिए हिंदी भाषा का अच्छा ज्ञान है. मुंबई में रहते हुए मराठी भाषा सीख गया. मुझे बंगला भाषा सिखाने का श्रेय शरतचंद्र को जाता है. उनकी हर रचना को मैनें बीस बीस बार पढ़ा है. मेरे पिता बंगाली थे, पर मैं अपने आपको बंगाली कभी नहीं मानता. मेरी मां दक्षिण की तेलगू भाषी तथा मेरे पिता बंगाली थे. यही वजह है कि मैंने अपने नाटक ‘साहब’में जान बूझकर दक्षिण भारतीय कृष्ण भजन रखा है और यह वह भजन है जिसे मेरी मां गाती रहती थीं. मैंने हमेशा वह चरित्र उठाया, जो पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करता हो.

आपने विदेशो में भी अपने एकपात्रीय नाटकों के सो किए हैं. क्या विदशों में हिंदी नाटक देखे जाते हैं?

जी हां! अमरीका में एक जगह है नेस्तुअन मधम, जिसे संगीत का गढ़ माना जाता है. 2009 की बात है. मैं अमरीका घूमने गया था, तब इसी शहर में मेरी मुलाकात अमरीका में रह रही बारबरा जैक्सन और स्टेफिनी नामक दो सहेलियों से हुई. इन्होंने बताया कि 2007 में इन दोनों सहेलियों ने मेरे ‘कबीर’नाटक को देखा था. उसके बाद इन दोनों ने हिंदी भाषा को लिखना व पढ़ना सीखा. अब यह दोनों सहेलियां मुझे हिंदी में ईमेल भेजती हैं. उस वक्त मैंने इनसे पूछा था कि उन्हें हिंदी सीखने की जरूरत क्यों पड़ी? तो उन्होंने मुझसे कहा था- ‘‘हमें‘कबीर’ नाटक बहुत पसंद आया था. इसकी संगीतमय प्रस्तुति पसंद आयी थी. लेकिन हमें अहसास हुआ कि कबीर की फिलोसफी को समझने के लिए भाषा सीखना जरूरी है. हिंदी भाषा सीखने के बाद ही हमने दोहों का सही अर्थ जाना.’’ इतना ही नहीं अब तो बारबरा जैक्सन ने ‘रामायण’पर कौमिक्स भी लिखा हैं.

इसके अलावा वाराणसी के राजेंद्र घाट पर मेरे ‘तुलसी’नाटक का शो था. उसी वक्त एक इंसान ने मुझसे आकर कहा कि 50 जपानी पर्यटक आए हैं और वह मेरे तुलसी नाटक को देखना चाहते हैं. मैंने यह सोच कर उन्हें इजाजत दे दी की यह जापानी 5 से 7 मिनट बैठेंगे और वापस चले जाएंगे. लेकिन वह 50 जापानी पर्यटक पूरे दो घंटे तक मेरे इस नाटक को देखते रहे. नाटक की समाप्ति के बाद द्विभाषिए की मदद से उन पर्यटकों ने मुझसे तुलसी को लेकर सवाल जवाब किए. तब मुझे अहसास हुआ कि भाषा ज्यादा अहमियत नही रखती, चरित्र महत्वपूर्ण होना चाहिए.

इतना ही नहीं लोग कहते हैं कि दक्षिण में हिंदी भाषा को अहमियत नहीं दी जाती. पर मैंने चेन्नई में 4000 तमिल भाषियों के बीच अपने ‘कबीर’नाटक का शो किया था, जिसे काफी सराहा गया था. इसी तरह चेन्नई में ही मेरे ‘कबीर’ नाटक को देखने के लिए एक 80 वर्षीय महिला सिल्क कांजीवरम की साड़ी पहने हुए लाठी लेकर आयी थी. नाटक देखने के बाद उसने मुझसे कहा- ‘‘सच तो यह है कि मैं आपके नाटक कबीर की एक लाइन भी समझ नही पायी. फिर भी मुझे नाटक देखते हुए बड़ा आनंद आया.’’

हवाई यात्रा को मजेदार बनाने के लिए साथ में रखें ये चीजें

आमतौर पर आप विदेश यात्रा या देश में ही पर्वतीय पर्यटन स्थलों की सैर करने के लिए हवाई यात्रा करना चाहती हैं. और ऐसे में आप हवाई यात्रा करने के दौरान अन्य सामानों के साथ कुछ ऐसी चीजें भी रख सकती हैं, जिससे आप तनावमुक्त होकर सुकून के साथ विमान यात्रा कर सकें. तो आइए बताते हैं कुछ जरूरी टिप्स आपकी सुखद यात्रा के लिए.

हवाई यात्रा के लिए जरूरी टिप्स

– हाइजीनिक वाइप्स जरूर रखें. सार्वजनिक शौचालय अक्सर गंदे होते हैं और उनकी सीट पर हानिकारक   बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं, इसलिए आप अपने साथ वाइप्स के अलावा टौयलेट सीट स्प्रे और हाथ साफ करने के लिए सैनिटाइजर भी जरूर रखें.

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– आई मास्क और ईयर प्लग जरूर रखें. लंबी अवधि की उड़ान के दौरान पत्रिका और किताबें अपने साथ   ले जा सकती हैं, इससे आपकी बोरियत भी दूर होगी और कुछ लाभप्रद जानकारियां भी मिल जाएंगी. इन्हें पहले से ही खरीद कर रख लें, क्योंकि हवाई अड्डे पर ये महंगे दामों में मिलती हैं.

– मधुर संगीत से मन को सुकून को मिलता है. अगर फ्लाइट आने में देरी हो, मनोरंजन का कोई और     साधन उपलब्ध न हो या आपकी बगल वाली सीट पर कोई बातूनी यात्री बैठा हो तो ऐसे में अपना हेडफोन लगाकर पंसदीदा गाने सुनिए और संगीत की दुनिया में खो जाइए.

– अपने साथ ट्रेवल पिलो यानी यात्रा के अनुकूल तकिया ले जाएं. खासकर वे यात्री जिन्हें गर्दन में     तकलीफ  रहती है, वे इसे अपने साथ जरूर रखें.

अब मेकअप बजट फ्रैंडली

अपने मेकअप गुड्डी बैग में हेयर, स्किन और मेकअप से जुड़ी सभी चीजें रखने की चाह आपकी होती है. लेकिन काफी महंगा होने के कारण आप उसे नहीं खरीदतीं, जिस के कारण आप का मेकअप बैग अधूरा ही रहता है. लेकिन हमारे पास आप की इस समस्या का समाधान है, जो कि बैस्ट होने के साथ साथ पौकेट फ्रैंडली भी है. हम बताते हैं कि किस तरह आप मेकअप, स्किनकेयर और हेयर केयर रूटीन को अंडर 500 में कर के अपने साथ साथ अपने मेकअप किट को भी खूबसूरत बना सकती हैं.

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मेकअप बेस : कहीं भी जाना हो तो हम झट से फाउंडेशन से ही खुद की स्किन को ग्लोइंग दिखा पाते हैं, तो फिर कोई भी फाउंडेशन क्यों. नायका आप को बताता है कि आप लैक्मे 9 टू 5 वेटलैस मिनी मूज़ फाउंडेशन अप्लाई करें. इस की खासियत यह है कि एक तो यह लाइट वेट है व आसानी से स्किन में मिक्स हो जाता है. यह मैट फिनिश देता है और लंबे समय तक भी टिका रहता है. और ये सब आप को मिलता है सिर्फ 150 रुपए में.

आंखें : इस के बाद अगला स्टेप है आंखों को संवारने का. क्योंकि खूबसूरत आंखें ही लोगों के होश उड़ाती हैं. ऐसे में खूबसूरत आंखों के लिए आप भी चाहती होंगी स्मज्ड कोल लुक, पतली कैट आइज और स्मोकी आइज. और ये सब आप पा सकती हैं सिर्फ एक पैंसिल से. इस के लिए नायका बताता है कि रिमल सौफ्ट कोल काजल आईलाइनर पैंसिल बेस्ट है. और इसकी कीमत है सिर्फ 93 रुपए.

लिपस्टिक : सभी जानते है कि बिना लिपस्टिक के मेकअप अधूरा लगता है. इस के लिए आप वैट एंड वाइल्ड सिल्क फिनिश लिपस्टिक का इस्तेमाल करें. यह 15 अलग अलग शेड्स में उपलब्ध है और इस की कीमत है मात्र 135 रुपए. इस में विटामिन, ऐलोवीरा और ऐंटी औक्सीडैंट फार्मूला होने के कारण यह आप के होठों को पोषण देती है और मुलायम बनाए रखती है. साथ ही यह लंबे समय तक टिकी रहती है. आप इसे ब्लश की तरह अपने चिक्स पर भी यूज कर सकती हैं.

हाईलाइटर : आखिर में आता है हाईलाइटर, जिसे आप अपने ब्यूटी बैग में रखना न भूलें. जिस के लिए आप ब्लू हैवन शिमर डस्ट पाउडर का यूज कर सकती हैं, जो स्किन पर शाइन लाने का काम करता है. यह पाउडर आप को सिर्फ 95 रुपए में मिल जाएगा. यह 12 शेड्स में उपलब्ध है, जिसे आप हाईलाइटर के अलावा चेहरे पर ब्लश के ऊपर ब्रोनजर की तरह, चिकबोन्स को उभारने के लिए भी प्रयोग कर सकती हैं. यहां तक कि आप पलकों पर आईशैडो की तरह भी इसे यूज कर सकती हैं.

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क्लींजर : अगर आप हमेशा खुद की स्किन को चमकता दमकता देखना चाहती हैं तो इस के लिए डेली स्किन केयर रूटीन को फौलो करना जरूरी है, जिस के लिए फर्स्ट स्टेप है क्लींजर. इस के लिए नायका बताता है कि आप अरोमा मैजिक नीम एंड टी ट्री फेसवौश यूज कर सकती हैं. यह सभी स्किन टाइप पर सूट करता है और इसकी कीमत है सिर्फ 90 रुपए. सस्ता होने के साथ साथ ये नैचुरल भी है. यह मुंहासों व ब्लैकहैड्स को कम करने के साथ स्किन की जलन को भी दूर करता है. इस से स्किन सौफ्ट नजर आती है.

टोनर : सभी जानते हैं कि आज हमारा प्रदूषण से बहुत ज्यादा सामना होता है, जिस से स्किन पर धूलमिट्टी जम जाती है. ऐसे में हिमालया हर्बल्स रीफ्रैशिंग एंड क्लेरीफाइंग टोनर काफी कारगर है. ये नैचुरल तत्वों से बना है और इसकी कीमत भी सिर्फ 68 रुपए है. आप को बता दें कि ये त्वचा से गंदगी को हटा कर रोमछिद्रों व औयल सीक्रेशन की समस्या को हल करता है, जिस से स्किन क्लीयर नजर आती है.

सनस्क्रीन : जब भी हम घर से बाहर जाएं तो सनस्क्रीन लगाना नहीं भूलना चाहिए. इसके लिए ट्राई करें न्यूट्रोजीना अल्ट्रा शीर ड्राई टच सनब्लौक एसपीएफ 50+ जो आप की स्किन को सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने के साथसाथ उसे नमी भी प्रदान करने का काम करता है, और वो भी सिर्फ 199 रुपए में. इसकी खासियत यह है कि यह सभी स्किन पर सूट करता है.

फेस मास्क : मिनटों में स्किन को नरिश्ड, क्लीयर और सौफ्ट देखने के लिए ट्राई करें द फेस शौप रीयल नेचर लेमन फेस मास्क. इस की कीमत सिर्फ 100 रुपए है.

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शैंपू एंड कंडीशनर : बालों की प्रोपर केयर के लिए शैंपू के साथ साथ कंडीशनर की भी जरूरत होती है ताकि बालों की केयर होने के साथ वे सौफ्ट भी नजर आए. इस के लिए नायका बताता है कि आप बायोटिक बायो ग्रीन ऐप्पल फ्रैश डेली प्यूरीफाइंग शैंपू और कंडीशनर का यूज करें, जिस की कीमत मात्र 155 रुपए है. इस में ग्रीन ऐप्पल, सी ऐलगे और कैनटेला जैसे तत्व होने के कारण ये बालों को साफ करने के साथ साथ पोषण देने का काम भी करता है.

सीरम : साथ ही आप पेंटीन प्रो-वी औयल रिप्लेस्मन्ट का इस्तेमाल करें. ये सीरम, कंडीशनर, हेयर औयल, हीट प्रोटकटैंट और प्री वौश डीटैंगलर सभी का काम करता है यानी 5 इन वन. वो भी मात्र 128 रुपए में.

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बायोटिक बायो ग्रीन ऐप्पल फ्रैश डेली प्यूरीफाइंग शैंपू और कंडीशनर

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