‘ड्रामा क्वीन’ Rakhi Sawant की बढ़ी मुश्किलें, समीर वानखेड़े ने किया मानहानि का केस

Rakhi Sawant: अगर सुर्खियों में रहना है, तो कोई कॉन्ट्रोवर्सी क्वीन राखी सावंत से सिखे. अक्सर राखी किसी न किसी वजह से सुर्खियों में छाई रहती हैं. हाल ही में खबर आई थी कि राखी के एक्स हसबैंड एक्स हसबैंड आदिल दुर्रानी ने दूसरी शादी कर ली, इस वजह से भी एक्ट्रेस सुर्खियों में छाई रहीं और उन्होंने अपने एक्स पति की दूसरी शादी के बारे में भी काफी कुछ बोला.

अब राखी से जुड़ा एक नया मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि राखी सावंत पर मानहानी का मुकदमा दायर किया गया है. जी हां सही सुना आपने, राखी इस बार कानूनी पचड़े में फंस गई हैं.

समीर वानखेड़े ने राखी पर किया मानहानि का केस

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राखी सावंत के खिलाफ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो मुंबई के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया है, इतना ही नहीं  समीर वानखेड़े ने इस मामले में राखी के वकील काशिफ अली खान को भी घसीट लिया है. उन्होंने राखी और उनके वकील काशिफ अली खान समीर पर छवि खराब करने की आरोप लगाया है. आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, समीर वानखेड़े ने अपने मुकदमे में साल 2003 के एक इंटरव्यू का हवाला दिया है, जिसमें उन्होंने राखी के वकील काशिफ अली के बयान जिक्र किया है. इस मुकदमे में दावा किया गया है कि काशिफ अली ने समीर वानखेड़े को मीडिया जुनूनी और सेलेब्स को निशाना बनाने वाला बताया है, जिस वजह से समीर वानखेड़े की छवि खराब हुई है.

काशिफ अली ने समीर के बयान को बताया पब्लिसिटी स्टंट

इस मामले में समीर वानखेड़े ने यह भी कहा है कि काशिफ अली खान ने सोशल मीडिया पर एक स्टोरी पोस्ट की थी, जिसे राखी सावंत ने अपने अकाउंट पर शेयर किया था. उन्होंने दावा किया कि इस तरह उनकी छवि को हानि पहुंचाने की कोशिश की गई. तो दूसरी तरफ काशिफ अली ने समीर वानखेडे़ के इस बयान को पब्लिसिटी स्टंट बताया है.

खबरों के मुताबिक, काशिफ अली खान ने अपनी सफाई पेश की है, उन्होंने कहा कि कानून में जनता की भलाई के लिए बोली गई बात पर कभी मानहानि नहीं होती है. मैं इसका कोर्ट में जरूर उन्हें करारा जवाब दूंगा. अगर समीर वानखेड़े का आरोप साबित हो गया, तो मैं 11 लाख रुपये देने के लिए तैयार हो जाऊंगा.

निर्णय: भाग 1 वक्त के दोहराये पर खड़ी सोनू की मां

रेलवे स्टेशन से बाहर निकल कर जब वह टैक्सी लेने लगी तो पलभर के लिए उस का मन हुआ कि घर न जा कर वह कहीं भाग जाए सोनू को ले कर. फिर उतनी ही त्वरित गति से उस की आंखों के सामने उस की अपनी तीनों मासूम बेटियों का चेहरा घूम गया. अपना घर, पति, बच्चे एक स्त्री का संपूर्ण संसार तो बस इन्हीं तानोंबानों में जकड़ा होता है. भाग सकने की गुंजाइश ही कहां छोड़ता है स्त्री का अपना मन. नहीं, हार मानने से नहीं चलेगा. स्त्री जब एक बार मातृत्व के गुरुगंभीर पद पर आसीन हो जाती है तो उस पद की रक्षा करने का दुर्दम्य साहस भी स्वयमेव ही चला आता है. अपनी सुषुप्त शक्ति को पहचानने भर की देर होती है, बस. नहीं, वह हार नहीं मानेगी.

भीतर ही भीतर स्वयं को दृढ़ता का पाठ पढ़ाती, तौलती, परखती वह टैक्सी में जा बैठी, रामबाग, अपने घर का पता बता कर उस ने सोनू को सीट पर बिठा दिया. बैग आगे की खाली सीट पर रख दिया. पर्स  से उस ने सोनू के दूध की बोतल निकाली और उसे पकड़ा दी. सोनू उस से टिक कर अधलेटा हो गया. खुद को उस ने सीट पर ढीला छोड़ दिया तथा आंखें बंद कर लीं. अपने 3 दिन के ससुराल प्रवास की एकएक बात उस के सिर पर हथौडे़ सी बज रही थी. विदा लेते समय छोटी ननद सरिता ने भावावेग में उस का हाथ कस कर पकड़ लिया था. उस ने कहा था, ‘अपनाया है तो रिश्तों को ईमानदारी से निभाओ. सचाइयों से घबरा कर संबंधों के प्रति बेईमान नहीं हुआ जा सकता, फिर मांबच्चे का संबंध किसी भी सहमति का मुहताज नहीं होता.’

‘ईमानदारी से भी अधिक जरूरी साहस है इस रिश्ते में.’ अपनी भर्राई हुई टूटती आवाज में कह कर वह कार में बैठ गई थी. सरिता वहीं, घर के गेट पर खड़ी उसे जाता हुआ देखती रही थी. वापसी के पूरे सफर में सरिता की कही बातें उस के दिमाग में घूमती रही थीं. वह रोना चाहती थी, चिल्लाचिल्ला कर अपने भीतर का सारा आक्रोश निकाल देना चाहती थी. क्यों उस के आसपास के सारे लोग इतने स्वार्थी हो कर सोच रहे हैं. क्यों सरिता के सिवा किसी अन्य को उस का दर्द दिखाई नहीं देता. इतना निर्मम तथा कठोर कैसे हो सकता है कोई. यों तो वह जब भी ससुराल से लौटी है, कभी खाली नहीं लौटी. मां तथा बड़ी ननद, सुषमा जिज्जी की तीखीकड़वी बातों से भरा दुखी, हताश दिलदिमाग ले कर ही लौटी है. पर डेढ़ साल पहले जब पहली बार नन्हे से सोनू को गोद में लिए ससुराल आई थी तो इन्हीं मां तथा जिज्जी ने हम दोनों को जैसे पलकों पर उठा लिया था. पोते को गोद में उठाए दादी पूरे महल्ले में घूम आई थीं. रोज शाम के वक्त उस की नजर उतारती थीं…और अब? एक सच ने मानो ममता, प्रेम, वात्सल्य सब पर डाका ही डाल दिया था. आने से पहले उसे तनिक भी अंदेशा नहीं था कि वहां ये सब हो जाएगा. अनमनी अवश्य थी, पहली बार अकेले जा रही थी, जबकि लड़कियों की परीक्षाएं सिर पर थीं. बूआ के पोते के नामकरण पर जाना कोई इतना जरूरी तो नहीं था, पर नीलाभ नहीं माने. दरअसल, उस का ससुराल और नीलाभ की बूआ का घर एक ही महल्ले में है. इसीलिए उन का तर्क था कि बूआ के घर की खुशी में सम्मिलित होने के बहाने वह अपने ससुराल वालों से भी मिल आएगी. साथ ही, सारी बिरादरी से भी मेलमुलाकात हो जाएगी. एक तरह से नीलाभ ने उसे जबरन ठेलठाल कर भेजा था.

उसे चिढ़ हो रही थी नीलाभ की बचकानी जिद पर. वह उस के पीछे छिपी उन की मंशा को भांप नहीं पाई थी. ट्रेन  4 घंटे लेट थी. ससुराल का ड्राइवर स्टेशन पर उस का इंतजार कर रहा था. घर पहुंची तो वहां की हवा में उसे कुछ भारीपन सा लगा था. मां व जिज्जी दोनों ही कुछ उखड़ीउखड़ी लग रही थीं. सोनू को भी दोनों में से किसी ने हुलस कर पहले की भांति गोद में उठा कर लाड़प्यार की बौछार नहीं की थी. उस का जी तो उसी समय हुड़क गया था. जेठानी प्रभा औपचारिक नमस्ते के बाद रसोई में जा घुसी थीं. कुछ देर बाद चायनाश्ता व सोनू का दूध रख कर फिर गायब  हो गई थीं. नौकर से कह कर मां ने उस का सामान ऊपर वाले छोटे कमरे में रखवा दिया था. शाम 5 बजे बूआ के घर के लिए निकलने व अभी ऊपर जा कर आराम करने की हिदायत दे कर दोनों उसे बैठक में अकेला छोड़ कर निकल गई थीं. उस का व सोनू का खाना भी जिज्जी ने ऊपर ही भिजवा दिया था, जिस का एक निवाला तक उस के गले नहीं उतरा था.

4 साढ़े 4 बजे वह नीचे आई तो देखा, मां ने पूरी तैयारी कर रखी है. अपनी ननद के घर जोजो नेग ले कर जाने हैं वे सब पलंग पर फैला रखे थे. उसे सब दिखाती हुई मां बोलीं, ‘छोरियां चाहे बूढ़ी ही क्यों न हों, रहेंगी छोरियां ही न घर की. माई, बापू और भाई का साया सिर पर से उठ गया तो क्या हुआ, भौजी तो जिंदा है न अभी. मेरे होते कभी मायके की कमी न अखरेगी तुम्हारी बूआ को. इतने दिनों के बाद आई है उस के घर में खुशी, सारी बिरादरी देखेगी, इसीलिए करना पड़े है ये सब.’ लहूलुहान कलेजे के बावजूद हंसी ने एक हिलोर ले ली थी, जिसे उस ने भीतर ही दबा लिया. दोहरी बातें करने में पारंगत हैं मां. तोहफे तो उस के पास भी थे. नीलाभ ने अपनी मां, जिज्जी, भाई, भाभी तथा बच्चों के लिए अलगअलग उपहार भेजे थे. सब ज्यों के त्यों रखे थे बैग में. जब बैग खोला तो सारे उपहार मुंह चिढ़ाते से लगे थे उसे. ये जो सब मिल कर उस की भावनाओं की, ममता की हत्या करने पर तुले हुए हैं, उन्हें किस कलेजे से जा कर थमाए उपहार.

फिर पता नहीं क्या सोच कर वह उठी और अपनी तरफ से बूआ को देने लाए हुए उपहार निकाल लाई. बूआ तथा उन की बहू की साड़ी व नवजात पोते के लिए चांदी के तार में काले मोतियों वाले कड़े लाई थी वह. मां को दिखा कर ये सामान भी  उस ने अन्य वस्तुओं के साथ पलंग पर रख दिया. कुछ भी हो, बिरादरी के सामने तो घर की बातों को ढक कर ही रखना पड़ता है. बहू हो कर वह अलग से कैसे करेगी लेनदेन.

मन की कड़वाहट मन में ही दबा ली थी उस ने इस समय. कुछ ही देर पहले तो मां ने छोरियां जनने वाली डायन कहा था उसे. ‘मुझे तो पहले से ही शक था कि यह इस का अपना जाया नहीं है,’ जिज्जी बोली थीं. दोनों आंगन में चारपाई डाले साग बीन रही थीं. उन्हें पता नहीं था कि वह आंगन के ठीक ऊपर लगे लोहे के जाल की मुंडेर पर खड़ी सुन रही है. अभी नहा कर निकली थी वह. सफर में पहने अपने व सोनू के कपड़े धो डाले थे उस ने. तार पर सूखने को डाल रही थी. ‘इस औरत ने पता नहीं क्या जादू कर रखा है. अपना नीलाभ तो ऐसा कभी नहीं था. इतने साल भनक तक न लगने दी सचाई की. अब जो भी है, इस अपाहिज से पीछा तो छुड़ाना ही होगा भाई का,’ जिज्जी की जहरीली फुफकार से उस का रोमरोम जल उठा था. कोई स्त्री इतनी कठोर कैसे हो सकती है. मां कहती हैं, उन का बेटा उस के बहकावे में आ गया है. बेशक, अलग गृहस्थी बसा कर बैठी है, पर बहू है घर की, बहू बन कर रहे. सिर पर चढ़ कर नाचने न देंगे. नीलाभ अनाथ नहीं है, उस के सिर पर मां का साया है अभी. बहू हो कर इतना बड़ा निर्णय लेने का उस अकेली को कोई हक नहीं.’

Aishwarya Sharma ने सोशल मीडिया पर यूजर्स की लगाई क्लास, आखिर क्या है माजरा?

Aishwarya Sharma Pregnant: ‘गुम है किसी के प्यार में’ की फेमस एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा यानी पाखी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह आए दिन अपने फैंस के साथ फोटोज और वीडियोज शेयर करती हैं. फैंस को भी उनके पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहता है.

पोस्ट के जरिए लोगों की लगाई क्लास

हाल ही में ऐश्वर्या शर्मा ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने अपना भड़ास निकाला है. दरअसल एक्ट्रेस ने इस पोस्ट के जरिए प्रेग्नेंसी की खबरों को झूठा और बकवास बताया. उन्होंने इस झूठी खबरें फैलाने वाले लोगों की क्लास भी लगाई है.

 

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आखिर क्यों नाराज है पाखी

कुछ दिनों पहले बताया गया कि होली प्रोग्राम के दौरान ऐश्वर्या शर्मा स्टेज पर डांस कर रही थीं और उसी दौरान नीचे गिर गईं. ऐसे में उनके पति नील भट्ट दौड़ते हुए आए और उन्हें ट्रीटमेंट के लिए फौरन अस्पताल ले गए.  बाद में बताया गया कि अब एक्ट्रेस ठीक हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर एक्ट्रेस के बेहोश होने की बात को प्रेग्नेंसी से जोड़ने लगे. झूठी खबरे फैलने लगी कि एक्ट्रेस मां बनने वाली है, ऐसे में ऐश्वर्या शर्मा आगबबूला हो गई और इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए अपनी भड़ास निकाली.

इंस्टा स्टोरी पर कहीं ये बात

ऐश्वर्या शर्मा ने इंस्टा स्टोरी पर लिखा, ‘मैं तीसरी बार आप लोगों से ये बात कह रही हूं. मुझे लेकर कोई भी ख्याली पुलाव ना बनाएं. मैं भी इंसान हूं मेरा भी बीपी लो हो सकता है. मेरा बीपी काफी लो हो गया था जिस वजह से मैं सेट पर बेहोश हो गई थी. मैं प्रेग्नेंट नहीं हूं. इस तरह की अफवाह फैलाना बंद करें.’

 

आपको बता दें कि निल भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा की शादी 30 नवंबर 2021 को हुई थी. ये दोनों आखिरी बार बिग बॉस 17 में नजर आए थे. इनकी शो गुम है किसी के प्यार में लोगों ने काफी पसंद किया है. इस शो में  ऐश्वर्या शर्मा निगेटिव किरदार में नजर आई थीं.

Lakme Fashion Week 2024: फैशन और सेलेब्स का क्या है कनेक्शन, पढें यहां

Lakme Fashion Week 2024: फैशन की दुनिया मे सेलिब्रिटी का बहुत अधिक योगदान होता है, यही वजह है कि हर फैशन शो में सेलिब्रिटी रैम्प वाक करते हैं और अपने जलवे से सबको मोहित करते हैं. इन दिनों ‘लैक्मे फैशन वीक 2024’ में हर शो की शान शो टॉप पर रहे. हर साल की तरह इस बार भी बॉलीवुड सितारों से सजा हुआ फैशन वीक रहा. रैंप पर जाह्नवी कपूर ने हर बार की तरह इस बार भी लोगों को अपने अंदाज से दीवाना बनाया. इस बार जाह्नवी रैंप पर अकेली नहीं, बल्कि उनके साथ आदित्य रॉय कपूर भी चलते दिखाई दिए. इसके अलावा अनन्या पांडे, ऋचा चड्ढा, अली फजल, विजय वर्मा, अर्जुन रामपाल, दिया मिर्जा, तृप्ति ढिमरी, डायना पेंटी आदि सभी सितारे रैंप पर जलवा बिखेरते हुए दिखाई दिए, क्योंकि वे इस मंच को अपने कैरियर का महत्वपूर्ण अंग मानती है, जिसपर चलकर वे सबकी निगाह मे आती है. फैशन को लेकर इन अभिनेत्रियों के विचार क्या थे, आइए जाने,

माधुरी दीक्षित

धक – धक गर्ल माधुरी दीक्षित रन्ना गिल की डिजाइन की हुई ब्लैक पलाजों पैंट के साथ  पहनकर रैंप पर उतरीं. इस दौरान एक्ट्रेस की अदाओं ने लोगों की दिल जीत लिया. फैशन के बारें में माधुरी का कहना था कि उन्हें हर तरीके की फैशन पसंद है और ग्लैमर वर्ल्ड में फैशन महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

सोनल चौहान  

सोनल चौहान ने सेजल कामदार, चारु और वसुंधरा का डिजाइन किया हुआ आउटफिट पहना, जो बहुत ही आकर्षक था. सोनल कहती है मेरा स्टाइल स्टैटमेंट सिम्पल रहना है, लेकिन किसी अवसर पर फैशनेबल ड्रेस पहनना मैँ पसंद करती हूँ.

डायना पेन्टी  

अभिनेत्री डायना पेंटी ने ऑफ व्हाइट रंग का खूबसूरत लहंगा पहनकर जलवा बिखेरा. वह इस लहंगे में बहुत खूबसूरत दिख रहीं थीं. इस लहंगे के साथ उन्होंने अपने दुपट्टे को केप के स्टाइल में कैरी किया था. उनके हिसाब से फैशन उन्हे आरामदायक पसंद है, फिर चाहे कोई भी पोशाक हो, वह कैरी कर सकती है.

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मलाइका अरोड़ा

मॉडल और अभिनेत्री मलाइका हमेशा हर तरह के आउटफिट में खूबसूरत दिखती हैं. फैशन वीक की रैंप पर वो खूबसूरत सा ग्रीन रंग का लहंगा पहने नजर आईं. मलाइका पिछले 15 साल से इस फैशन शो की रैम्प पर चल रही है. मलाइका के इस लहंगे पर पीले रंग का फ्लोरल वर्क था, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था.  इसके साथ एक्ट्रेस ने गले में हैवी नेकपीस पहना था. मलाइका कहती है कि मेरे लिए फैशन का अर्थ सुन्दर लगना है और वह किसी भी पोशाक के साथ हो सकती है. सही तरह से सिले हुए कपड़े पहनना मेरे लिए जरूरी होता है.

श्रुति हसन

अपनी खूबसूरती से लोगों को दीवाना बनाने वाली अभिनेत्री श्रुति हासन रैंप पर ब्लू कलर के लहंगे में नजर आईं.  उन्होंने अपने इस लुक से वहां मौजूद लोगों का खूब ध्यान खींचा. एक्ट्रेस ने अपने इस लहंगा लुक के साथ दुपट्टा नहीं लिया था. फैशन के बारें में उनका कहना है कि फैशन किसी महिला को हमेशा से पसंद होता है और मुझे भी नई – नई ड्रेसेस को ट्राय करना बहुत पसंद है. मेरे लिए ऐसे नए डिजाइनर कपड़ों को पहनना अच्छी बात होती है.

फातिमा सना शेख  

एक्ट्रेस फातिमा सना शेख के ब्लू रंग के लहंगे पर काफी खूबसूरत कढ़ाई की गई थी, जिसे आज के यूथ किसी पार्टी या त्योहारों पर पहन सकती है.  वहीं इसके साथ उन्होंने जो ब्लाउज पहना था, उसकी नेकलाइन भी बेहद खूबसूरत थी. इसके अलावा उन्होंने कानों में हल्के से स्टड ईयररिंग्स पहने थे. फैशन उनके लिए एक आत्मविश्वास है, जो किसी को भी आगे बढ़ने में मदद करती है.

सारा अली खान

सारा ने एक बार फिर अपने ट्रेडिशनल लुक से सभी को अपना दीवाना बना दिया. फैशन शो में एक्ट्रेस ने डिजाइनर वरुण चक्कीलम की डिजाइन की हुई सी ग्रीन शिमरी सिल्वर लहंगा और डीप नेक बिकनी ब्लाउज कैरी किया था, जिसमें उनकी टोंड बॉडी की झलक बहुत सुन्दर दिख रही थी. फैशन, सारा के लिए कम्फर्ट का होना है, वह किसी भी ड्रेस को पहनने से पहले इसकी जांच करती है. किसी ड्रेस के साथ रैम्प पर चलने से पहले आज भी उन्हे स्ट्रेस होता है.

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जान्हवी कपूर

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क्रिस्टल, टैसल्स और फ्लोरल मोटिफ्स के साथ फिश-कट लहंगा पहने जान्हवी का लुक बिल्कुल फेरी टेल जैसा रहा. उन्होंने अभिनेता आदित्य रॉय कपूर के साथ रैंप पर कल्कि लेबल के लिए एक साथ वॉक किया. साथ ही निर्मोहा की डिजानर ड्रेस पहनकर रैंप पर उतरीं आदिती राव हैदरी की खूबसूरती देखने लायक थी. वहीं बॉलीवुड दिवा अनन्या पांडे भी राहुल मिश्रा के लिए ब्लैक कलर की ड्रेस में रैंप पर उतरीं.

नकली दवाइयां: कौन है संरक्षक

लगभग 70 वर्ष पूर्व एक फिल्म आई थी- अनाड़ी . निर्देशक थे महान फिल्मकार ऋषिकेश मुखर्जी. इस फिल्म के माध्यम से यह संदेश दिया गया था कि देश में नकली दवाइयां का व्यापार चल रहा है और यह समाज के लिए कितना खतरनाक है. और इसके बाद गंगा में न जाने कितना पानी बह गया मगर देश में आज भी नकली दवाइयां बेची जा रही है. लाख टके का सवाल लिया है कि आखिर नकली दवाइयां के व्यापार के पीछे कौन है और इनका संरक्षक कौन है? सीधी सी बात यह है कि अगर शासन प्रशासन में बैठे हुए लोगों का संरक्षण इन नकली दवाइयां को बेचने वालों को ना मिले तो यह नकली दवाइयां बेचने की हिम्मत नहीं कर सकते. हमारे देश का कानून अपने आप में इतना पर्याप्त है कि ऐसे लोगों की गिरेबान को पकड़ सकता है और भारतीय समाज कि आज भी यह स्थिति है कि ऐसे लोगों को अच्छी निगाह से कभी नहीं देख सकता. ऐसे में अगर कोई नकली दवाइयां बेचने का काम कर रहा है बनाने का काम कर रहा है तो यह हमारे लोकतंत्र के लिए एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है और इंगित करता है कि सत्ता में बैठे हुए हमारे माननीय ही आखिरकार इसमें सबसे बड़े दोषी हैं. हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली में नकली दवाइयां बेचने का भंडाफोड़ हुआ है जो यह बताता है कि इस व्यवसाय में लगे हुए लोग कितने दुस्साहसी हैं देश की राजधानी जहां प्रशासन अलर्ट जाता है वहां भी इन्होंने रुपए कमाने के लिए अपने लालच को नहीं छोड़ा और आखिरकार कानून के फंदे में फंस गए. बताते चलें कि दिल्ली पुलिस की “अपराध शाखा” ने कैंसर की नकली दवाइयां बनाने और आपूर्ति करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए सात आरोपियों को प गिरफ्तार किया है. इनमें दिल्ली के कैंसर के प्रतिष्ठित अस्पताल के दो कर्मचारी भी शामिल हैं. आरोपी कैंसर के 1.97 लाख रुपए के इंजेक्शन में भरकर नकली दवाइयां बेचते थे.

कैंसर की इन नकली दवाइयों को फार्मासिस्ट पूरे देश-विदेश में भी आपूर्ति करते थे. इनके कब्जे से 50,000 रुपए नकद, 80 हजार रुपए मूल्य के डालर, पौने दो करोड़ रुपए की सात अंतरराष्ट्रीय और दो भारतीय ब्रांडों की कैंसर की नकली दवाएं बरामद की गई है. अब आगे की तफ्तीश और अन्य आरोपियो की गिरफ्तारी के लिए अदालत ने नौ दिनों के रिमांड पर इन सभी को पुलिस को सौंप दिया आशा है कि इससे नकली दवाई बनाने वाले गुरु से जुड़े और सच सामने आएंगे. गिरफ्तार आरोपियों में दिल्ली निवासी विफिल जैन (46), सूरज शत (28), गुरुग्राम निवासी नीरज चौहान (38 वर्ष), परवेज (33), कोमल तिवारी (39), अभिनय कोहली (30) और तुषार चौहान (29) शामिल हैं.

आरोपियों का दुस्साहस

इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि आरोपियों में देश की राजधानी दिल्ली में कैंसर जैसी बीमारी के नकली दवाइयां का पूरा का पूरा सरंजाम इकट्ठा कर रखा था. पुलिस के मुताबिक आरोपी ने दवा और इंजेक्शन बनाने की ईकाई लगा रखी थी. सोचने समझने की बात यह है कि जाने कितने समय से यह लोग कैंसर की नकली दवाइयां बना रहे थे और जाने कितने लोग उनकी दवाइयां के कारण खेत हो गए.

इस पूरे पर्दा फाश का घटनाक्रम कुछ ऐसा रहा-

पुलिस टीम को पता चला कि डीएलएफ कैपिटल ग्रीन्स, मोती नगर के दो फ्लैटों में नकली दवाइयां बनाई जा रही हैं, यहां पर विफिल जैन नामक आरोपी ने दवा, इंजेक्शन बनाने का इकाई लगा रखी थी. विफिल रैकेट का सरगना है. यहां पर नकली कैंसर की दवा (शीशियों) को फिर से भरने, बनाने के लिए यानी रीफिलिंग और पैकेजिंग का काम किया था जाता था. यहां से तीन कैप सीलिंग मशीनें, एक हीट गन मशीन और 197 खाली शीशियां और अन्य आवश्यक सामग्री बरामद की गई. पुलिस की उच्च अधिकारी‌ आयुक्त शालिनी सिंह ने बताया की पुलिस उपायुक्त अमित गोयल की देखरेख में एसीपी रमेश चंद्र लांबा, इंस्पेक्टर सत्येंद्र मोहन की टीम ने इस बड़े मामले का खुलासा किया . पुलिस ने मोती नगर के डीएलएफ के पास छापा मारा और वहां से काफी मात्रा में ये सामान बरामद किए . एक करोड़ 75 लाख के 140 भरे हुए इंजेक्शन अलग-अलग ब्रांड के बरामद किए गए. जो यह बताते हैं कि देसी नहीं विदेश में भी इनका नेटवर्क था और करोड़ों रुपए का खेल चल रहा था. अब वह समय आ गया है जब इसके लिए देश में एक सख्त कानून की आवश्यकता है.

 

Holi 2024: होली पर मीठे में बनाएं हैल्दी ओट्स गुझिया

होली का त्यौहार बस आने ही वाला है और त्यौहार पर मीठा बनना तो स्वाभाविक ही है. आजकल हम सभी अपनी डाइट में हैल्दी ऑप्शन्स की तलाश करते हैं. गुझिया आमतौर पर मैदा से बनाई जाती है परन्तु बहुत अधिक महीन मैदा सेहत के लिए बहुत अधिक नुकसानदायक होती है क्योंकि फायबर रहित होने के कारण मैदा से बनी चीजों को पचाने के लिए हमारे पाचनतन्त्र को बहुत अधिक परिश्रम करना पड़ता है. गुझिया होली पर बनायी जाने वाली मुख्य मिठाई है इसीलिए आज हम आपको ओट्स से गुझिया बनाना बता रहे हैं क्योंकि ओट्स बहुत अधिक फायबर युक्त होता है और इसीलिए यह सेहत के लिए बहुत अधिक लाभदायक होता है. तो आइये देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है-

कितने लोंगों के लिए 6

बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज
सामग्री (कवर के लिए)
प्लेन ओट्स 1 कप
गेहूं का आटा 1 कप
घी(मोयन के लिए) 1 टेबलस्पून
घी (तलने के लिए) पर्याप्त मात्रा में
पानी 1/2 कप
गुड़ 1 कप
सामग्री(फिलिंग के लिए)
नारियल बुरादा 2 टेबलस्पून
शकर बूरा 1/2 टीस्पून
दूध 1/2 टीस्पून
इलायची पाउडर 1/4 टीस्पून
बारीक कटी मेवा 1 टीस्पून
मिल्क पाउडर 1 टीस्पून
सामग्री ( सजाने के लिए)
नारियल बुरादा 1 कप
गुलाब की सूखी पत्तियां 8-10

विधि

 

ओट्स को मिक्सी में एकदम बारीक पीस लें. अब एक बाउल में गेहूं का आटा, ओट्स का आटा, मोयन अच्छी तरह मिलाएं. अब धीरे धीरे पानी मिलाकर आटा लगाकर आधे घंटे के लिए ढककर रख दें. फिलिंग बनाने के लिए फिलिंग की सभी सामग्री को एक साथ अच्छी तरह मिला लें. अब ओट्स के आटे को चकले पर अच्छी तरह मसलें और इसे 2 भागों में बाँट लें. अब एक भाग चकले पर पतला बेलकर 2 इंच के चौकोर टुकड़ों में काट लें. एक चौकोर टुकड़े को चकले पर रखकर किनारे पर ऊँगली से पानी लगायें, बीच में 1/2 टीस्पून मिश्रण रखकर फोल्ड करके किनारों को ऊँगली से दबा दें ताकि मिश्रण बाहर न निकले. इसी प्रकार सारी पट्टी गुझिया तैयार कर लें. अब इन्हें गर्म घी में मद्धिम आंच पर उलटते पलटते हुए सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकाल लें. एक पैन में गुड़ को धीमी आंच पर पूरी तरह मेल्ट करें इसे तब तक पकाएं जब तक कि इसमें से बुलबुले न उठने लगें. अब गैस बंद करके गुझिया को एक एक करके इसमें डिप करके बटर पेपर पर रखते जाएँ इसी प्रकार सारी गुझिया तैयार कर लें. सभी गुझिया को नारियल बुरादा में लपेटकर गुलाब की पत्तियों से सजाएं और मेहमानों को सर्व करें.

कौफी डेट: दूसरों के लिए जीना चाहती थी अनन्या

शामके 5 बजते ही अनन्या को सहसा ध्यान आया कि आज बुधवार के दिन उस की एक कमिटमैंट थी खुद के साथ. चेहरे पर सहज फैलती मुसकान को रोक पाने में असमर्थ, उस ने जल्दीजल्दी खुद को एकत्रित करना शुरू किया कि अरे, आर्यन की मैथ्स की वर्कशीट तो उस ने कब की बना कर तैयार कर रखी है. जल्दी से उसे अध्ययन कक्ष की मेज पर रख कर वह बेटी अवनी को उठाने के लिए उस के कमरे की तरफ बढ़ी क्योंकि उसे दोपहर के विश्राम के बाद अपनी क्लासेज के लिए भी जाना था.

तमाम आपाधापी के बीच रात्रि के भोजन की भी एक रूपरेखा सी तैयार करनी थी, सो अनन्या तेज कदमों से फ्रिज की ओर बढ़ी. उस ने सब्जियां किचन के प्लेटफौर्म पर रख दीं ताकि उस की गैरमौजूदगी में भी उस की गृहसहायिका अपना काम शुरू कर सके. इन तमाम तैयारियों के बाद अनन्या ने फ्रिज के द्वार पर पति अक्षत के लिए एक छोटी सी परची लगा कर छोड़ी जिस में लिखा था, ‘‘तो फिर जल्दी ही मिलती हूं, कौफी डेट के बाद. तुम्हारी प्रिया,’’

अब 5 बज कर 20 मिनट पर वह खुद को संवारने में व्यस्त हो गई. सचमुच में कितना आनंददायक था यह विचार कि सप्ताह के बीचोंबीच उसे खुद को संवारने का मौका मिल रहा था. यह बात एक उपलब्धि से कम नहीं थी. बड़ी ही चेष्टा और मनोयोग से उस ने खुद को इस पल के लिए व्यवस्थित किया. अन्यथा घर की दिनचर्या, पति और बच्चों के साथ उन की जरूरतों को सम?ाते हुए उसे यह आभास ही नहीं रहा था कि अनन्या कौन थी और उस के जीवन का मकसद क्या था?

बढ़ती हुई जिम्मेदारियों के बीच अनन्या खुद को विस्तृत और विस्मृत दोनों ही करती जा रही थी. विवाहोपरांत गुजरते सालों में उसे यह भान ही नहीं रहा कि वह एक स्वतंत्र मनुष्य है, जिस की सोचनेसम?ाने की क्षमता और महत्त्वाकांक्षाएं अन्य लोगों की तरह ही हैं. एक स्वचालित यंत्रवत प्राणी की तरह उस का समूचा अस्तित्व उस के आसपास के लोगों की आवश्यकताओं, निर्भरताओं और उन के अनुमोदन पर ही निर्भर था.

उसे कभी यह चेतना नहीं रही कि तमाम व्यस्तताओं के बीच उस के जीवन के अनेक वसंत यों ही बीत गए और परिणामस्वरूप पिछले कई दिनों से एक तरह की अन्यमनस्कता, उत्साहहीनता और आत्मतिरस्कार सी भावना उस के मन में घर करती जा रही थी. तभी तो आशा के घर आयोजित किट्टी में एक छोटे से विषय पर सहेलियों से विमर्श करते हुए उस के सब्र का बांध टूट ही गया. विषय तो रोजमर्रा के जीवन को छूता हुआ एक छोटा सा विचार ही था, पर उस की प्रासंगिकता की चिनगारी ने उस के मन को गहराई तक उद्वेलित कर दिया, ‘‘क्या सैल्फ लव सैल्फिशनैस है?’’

बस फिर क्या था वह सोचती ही रह गई कि पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाएं क्यों इस कथन से जू?ाती रही हैं कि क्या खुद से प्रेम स्वार्थपरता है या फिर एक तरह की आवश्यकता?

खैर, अनेक तरह के विचारों से जू?ाने के बाद उस ने यह मन ही मन सोच लिया कि वह सप्ताह में एक बार अपनी इच्छानुसार कोई ऐसा एक कार्य तो जरूर करेगी जिस से उस का मन हर्षित होता है और जिस में उसे सुख की अनुभूति हो और आज की यह कौफी डेट उसी दिशा में पहला कदम थी.

अपनी प्रिय लेखिकाओं-गरट्रूड स्टाइन और जेके राउलिंग के जीवन से प्रेरणा लेते हुए उस ने मन ही मन यह संकल्प कर लिया कि वह घर के पास ही स्थित एनबीसी में जा कर एक कप कौफी के साथ अपने आगामी जीवन की कल्पना तो कर ही सकती है. आज, बनी पार्क स्थित एनबीसी में बैठ कर सामने की सड़क पर होते हुए आवागमन, किशोरों के स्वच्छंद वार्त्तालाप, वयस्कों के आत्मविश्वास से भरे चेहरे और उन की चिंताओं में हस्तक्षेप किए बिना दिलचस्पी लेते हुए विविध घटनाक्रमों को अपने मस्तिष्क में निबंधित करते हुए उस ने मन ही मन स्वीकार किया कि खुद की अवहेलना कर के उस ने अपने प्रति बहुत बड़ा अपराध किया है.

अंतत: खुद की स्वीकारोक्ति खुद के उत्थान के लिए बहुत जरूरी है. अपनी पसंद की कैपेचीनो के घूंट लेते हुए उसे यह अनुभूति हो गई कि खुद के साथ कौफी डेट का यह निर्णय कितना ही महत्त्वपूर्ण था और साथ ही उसे जीवन के प्रति एक नई दृष्टि देने में सार्थक भी रहा. निश्चित रूप से स्वयं से प्रेम एक तरह की स्वार्थपरता कही जा सकती है, परंतु उस के बिना आत्मकल्याण और स्वाभिमान की भावना का विकास भी कदापि संभव नहीं.

कौफी के प्याले से ऊपर उठती सुगंधित भाप के साथ उस का यह अहं उड़ गया कि वह सब को हर हाल में प्रसन्न रख सकती है और यह भ्रम भी कि उस की प्रसन्नता के लिए वह दूसरों पर निर्भर है. इसी तरह की ऊहापोह और आत्मावलोचन की प्रक्रिया में लीन, अपने आसपास के जीवन को और अधिक तन्मयता के साथ अंकित करती हुई, ठीक 7 बजते ही एक मधुर मुसकान और एक नए उत्साह के साथ पृष्ठभूमि में बजते हुए मनपसंद गीत ‘लव यू जिंदगी…’ पर थिरकते हुए वह घर की ओर मुड़ चली.

महकती विदाई: क्या था अंजू का राज

अम्मां की नजरों में शारीरिक सुंदरता का कोई मोल नहीं था इसीलिए उन्होंने बेटे राज के लिए अंजू जैसी साधारण लड़की को चुना. खाने का डब्बा और कपड़ों का बैग उठाए हुए अंजू ने तेज कदमों से अस्पताल का बरामदा पार किया. वह जल्द से जल्द अम्मां के पास पहुंचना चाहती थी. उस की सास जिन्हें वह प्यार से अम्मां कह कर बुलाती है, अस्पताल के आई.सी.यू. में पड़ी जिंदगी और मौत से जूझ रही थीं. एक साल पहले उन्हें कैंसर हुआ था और धीरेधीरे वह उन के पूरे शरीर को ही खोखला बना गया था. अब तो डाक्टरों ने भी उम्मीद छोड़ दी थी.

आज जब वह डा. वर्मा से मिली तो वह बोले, ‘‘आप रोगी को घर ले जा सकती हैं. जितनी सांसें बाकी हैं उन्हें आराम से लेने दो.’’

पापा मानने को तैयार नहीं थे. वह बोले, ‘‘डाक्टर साहब, आप इन का इलाज जारी रखें. शायद कोई चमत्कार हो ही जाए.’’

‘‘अब किसी चमत्कार की आशा नहीं है,’’ डा. वर्मा बोले, ‘‘लाइफ सपोर्ट सिस्टम उतारते ही शायद उन्हें अपनी तकलीफों से मुक्ति मिल जाए.’’

पिछले 2 माह में अम्मां का अस्पताल का यह चौथा चक्कर था. हर बार उन्हें आई.सी.यू. में भरती किया जाता और 3-4 दिन बाद उन्हें घर लौटा दिया जाता. डाक्टर के कहने पर अम्मां की फिर से घर लौटने की व्यवस्था की गई लेकिन इस बार रास्ते में ही अम्मां के प्राणपखेरू अलविदा कह गए.

घर आने पर अम्मां के शव की अंतिम यात्रा की तैयारी शुरू हुई. वह सुहागन थीं इसलिए उन के शव को दुलहन की तरह सजाया गया. अंजू ने अम्मां के खूबसूरत चेहरे का इतना शृंगार किया कि सब देखते ही रह गए.

अंजू जानती थी कि अम्मां को सजनासंवरना कितना अच्छा लगता था. वह अपने रूप के प्रति हमेशा ही सजग रही थीं. बीमारी की अवस्था में भी उन्हें अपने चेहरे की बहुत चिंता रहती थी.

उस दिन तो हद ही हो गई जब अम्मां को 4 दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा था. कैंसर ब्रेन तक फैल चुका था इसलिए वह ठीक से बोल नहीं पाती थीं. अंजू जब उन के कमरे में पहुंची तो नर्स ने मुसकरा कर कहा, ‘दीदी, आप की अम्मां मुझ से कह रही थीं कि मैं पार्लर वाली लड़की को बुला कर लाऊं. पहले तो मुझे समझ में नहीं आया, फिर उन्होंने लिख कर बताया तो मुझे समझ में आया. आंटी मरने वाली हैं फिर भी पार्लर वाली को बुलाना चाहती हैं.’

यह बता कर नर्स कमरे से चली गई तो अंजू ने पूछा, ‘अम्मां, क्या चाहिए?’

अम्मां ने इशारे से बताया कि थ्रेडिंग करवानी है. जब से उन की कीमोथेरैपी हुई थी उन के सिर के बाल तो खत्म हो गए थे पर दाढ़ीमूंछ उगनी शुरू हो गई थी. घर में थीं तो वह अंजू से प्लकिंग करवाती रहती थीं पर अस्पताल जा कर उन्होंने महसूस किया कि 4-5 बाल चेहरे पर उग आए हैं इसलिए वह पार्लर वाली लड़की को बुलाना चाहती थीं.

अम्मां की तीव्र इच्छा को देख कर अंजू ने ही उन की थे्रडिंग कर दी थी. फिर उन के कहने पर भवों को भी तराश दिया था. एक संतोष की आभा उन के चेहरे पर फैल गई थी और थक कर वह सो गई थीं.

नर्स जब दोबारा आई तो उस ने अम्मां के चेहरे को देखा और मुसकरा दी. उस ने पहले तो अम्मां को गौर से देखा फिर एक भरपूर नजर अंजू पर डाल कर बोली, ‘दीदी, आप की लवमैरिज हुई थी क्या?’

‘नहीं.’

‘ऐसा नहीं हो सकता,’ नर्स बोली, ‘अम्मां तो इतनी गोरी और सुंदर हैं फिर आप जैसी साउथ इंडियन लगने वाली लड़की को उन्होंने कैसे अपनी बहू बनाया?’

ऐसे प्रश्न का सामना अंजू अब तक हजारों बार कर चुकी थी. सासबहू की जोड़ी को एकसाथ जिस किसी ने देखा उस ने ही यह प्रश्न किया कि क्या उस का प्रेमविवाह था?

यह तो आज तक अंजू भी नहीं जान पाई थी कि अम्मां ने उसे अपने बेटे राज के लिए कैसे पसंद कर लिया था. जितना दमकता हुआ रूप अम्मां का था वैसा ही राज का भी था, यानी राज अम्मां की प्रतिमूर्ति था. जब अंजू को देखने अम्मां अपने पति और बेटे के साथ पहुंची थीं तो उन्हें देखते ही अंजू और उस के मातापिता ने सोच लिया था कि यहां से ‘ना’ ही होने वाली है पर उन के आश्चर्य का तब ठिकाना नहीं रहा था जब दूसरे दिन फोन पर अम्मां ने अंजू के लिए ‘हां’ कह दी थी.

अम्मां कुंडली के मिलान पर भरोसा रखती थीं और परिवार के ज्योतिषी ने अम्मां को इतना भरोसा दिला दिया था कि अंजू के साथ राज की कुंडली मिल रही है. लड़की परिवार के लिए शुभ है.

अंजू कुंडली में विश्वास नहीं रखती थी. हां, कर्तव्य पालन की भावना उस के मन में कूटकूट कर भरी थी इसीलिए वह अम्मां के लिए उन की बेटी भी थी, बहू भी और सहेली भी. सच है कि दोनों ही एकदूसरे की पूरक बन गई थीं. उन के मधुर संबंधों के कारण परिवार में हमेशा ही खुशहाली रही.

अम्मां के रूप को देख कर अंजू के मन में कभी भी ईर्ष्या उत्पन्न नहीं हुई थी. कहीं पार्टी में जाना होता तो अम्मां, अंजू की सलाह से ही तैयार होतीं और अंजू को भी उन को सजाने में बड़ा आनंद आता था. अंजू खुद भी बहुत अच्छी तरह से तैयार होती थी. उस की सजावट में सादगी का समावेश होता था. अंजू की सरलता, सौम्यता और आत्म- विश्वास से भरा व्यवहार जल्दी ही सब को अपनी ओर खींच लेता था.

घर में भी अंजू ने अपनी सेवा से अम्मां को वशीभूत कर रखा था. जबजब अम्मां को कोई कष्ट हुआतबतब अंजू ने तनमन से उन की सेवा की. 10 साल पहले जब अम्मां का पांव टूट गया था और वह घर में कैदी बन गई थीं, ऐसे में अंजू 3 सप्ताह तक जैसे अम्मां की परछाई ही बन गई थी.

उन्हीं दिनों अम्मां एक दिन बहुत भावुक हो गईं और उन की आंखों में अंजू ने पहली बार आंसू देखे थे. उन को दुखी देख कर अंजू ने पूछा था, ‘अम्मां क्या बात है? क्या मुझ से कोई गलती हो गई है?’

‘नहींनहीं, तेरे जैसी लड़की से कोई गलती हो ही नहीं सकती है. मैं तो अपने बीते दिनों को याद कर के रो रही हूं.’

‘अम्मां, जितने सुंदर आप के पति हैं, उतना ही सुंदर और आज्ञाकारी आप का बेटा भी है. घर में कोई आर्थिक तंगी भी नहीं है फिर आप के जीवन में दुख कैसे आया?’

‘अंजू, दूर के ढोल सुहाने लगते हैं, यह कहावत तो तुम ने भी सुनी होगी. मेरी ओर देख कर सभी सोचते हैं कि मैं सब से सुखी औरत हूं. मेरे पास सबकुछ है. शोहरत है, पैसा है और एक भरापूरा परिवार भी है.’

‘अम्मां, साफसाफ बताओ न क्या बात है?’

‘आज तेरे सामने ही मैं ने अपना दिल खोला है. इस राज को राज ही बना रहने देना.’

‘हां, अम्मां, आप बताओ. यह राज मेरे दिल में दफन हो जाएगा.’

‘जानना चाहती है तो सुन. राज के पापा की बहुत सारी महिला दोस्त हैं जिन पर वे तन और धन दोनों से ही न्यौछावर रहते हैं.’

‘आप जैसी सुंदर पत्नी के होते हुए भी?’ अंजु हैरानी से बोली.

‘हां, मेरा रूप भी उस आवारा इनसान को बांध नहीं पाया. यही मेरी तकदीर है.’

‘आप को कैसे पता लगा?’

‘खुद उन्होंने ही बताया. शादी के 2 साल बाद जब एक रात बहुत देर से घर लौटे तो पूछने पर बोले, ‘राज की मां, औरतें मेरी कमजोरी हैं. पर तुम्हें कभी कोई कमी नहीं आएगी. लड़नेझगड़ने या धमकियां देने के बदले यदि तुम इस सच को स्वीकार कर लोगी तो इसी में हम दोनों की भलाई है.’

‘और जल्दी ही यह सचाई मुझे समझ में आ गई. मैं ने अपने इस दुख को कभी दुनिया के सामने जाहिर नहीं किया. आज पहली बार तुम को बता रही हूं. मैं उसी दिन समझ गई थी कि शारीरिक सुंदरता महत्त्वपूर्ण नहीं है इसीलिए जब तुम्हें देखा तो न जाने तुम्हारे साधारण रंगरूप ने भी मुझे इतना प्रभावित किया कि मैं तुम्हें बहू बना कर घर ले आई. राज भी इस सच को शायद जानता है इसीलिए उस ने भी तुम्हें स्वीकार कर लिया. यह बेहद अच्छी बात है कि बाप की कोई भी बुरी आदत उस में नहीं है.’

अम्मां की आपबीती सुन कर अंजू को इस घर की बहू बनने का रहस्य समझ में आ गया. राज अपनी मां से भावनात्मक रूप से इतना अधिक जुड़ा हुआ था कि उस की मां की पसंद ही उस की पसंद थी.

‘अरे, तू क्यों रो रही है पगली. इन्हीं विसंगतियों का नाम तो जीवन है. हर इनसान पूर्ण सुखी नहीं है. परिस्थितियों को जान कर उन्हें मान लेना ही जीवन है.’

‘अम्मां, आप ने यह सब क्यों बरदाश्त किया? छोड़ कर चली जातीं.’

‘सच जानने के बाद मैं ने अपने जीवन को अपने हाथों में ले लिया था. अपने दुखों के ऊपर रोते रहने के बदले मैं ने अपने सुखों में हंसना सीख लिया. मैं ने अपना ध्यान अपनी कला में लगा दिया. कला का शौक मुझे बचपन से था. मैं ने अपने चित्रों की प्रदर्शनियां लगानी शुरू कर दीं. जरूरतमंद कलाकारों को प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया. कला और सेवा ने मेरे जीवन को बदल दिया.’

‘सच, अम्मां, आप ने सही कदम उठाया. मुझे आप पर गर्व है.’

‘मुझे स्वयं पर भी गर्व है कि एक आदमी के पीछे मैं ने अपना जीवन नरक नहीं बनाया,’ अम्मां बोलीं, ‘ऐसी बात नहीं थी कि वह मुझ से प्यार नहीं करते थे. जब एक बार मुझे टायफाइड और मलेरिया एकसाथ हुआ तो वे मेरे पास ही रहे. जैसे आज तुम मेरी सेवा कर रही हो वैसे ही 21 दिन इन्होंने दिनरात मेरी सेवा की थी.’

अब जब से अम्मां को कैंसर हुआ था तब से पापा ही दिनरात अम्मां की सेवा में लगे थे. आज उन की मृत्यु पर वे ही सब से ज्यादा रो रहे थे. उन के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. अम्मां के अंतिम दर्शन पर वे बोले, ‘‘अंजू बेटा, तुम ने अपनी मां को सजा तो दिया है पर एक बात तुम बिलकुल भूल गई हो.’’

‘‘पापा, क्या बात?’’

‘‘परफ्यूम लगाना भूल गई हो. वह बिना परफ्यूम लगाए कभी बाहर नहीं जाती थीं. आज तो लंबी यात्रा पर जा रही हैं. उन के लिए एक बढि़या परफ्यूम लाओ और उन पर छिड़क दो. मेरे लिए उन की यही पहचान थी. जब भी किसी बढि़या परफ्यूम की खुशबू आती तो मैं बिना देखे ही समझ जाता था कि मेरी पत्नी यहां से गुजरी है. आज भी जब वह जाए तो बढि़या परफ्यूम की खुशबू मुझ तक पहुंचे. मैं इसी महक के सहारे बाकी के बचे हुए दिन निकाल लूंगा,’’ इतना कह कर पापा फफकफफक कर रो पड़े. अंजू ने परफ्यूम की सारी शीशी अम्मां के शव पर छिड़क दी और 4 लोग उन की अर्थी को उठा कर अंतिम मुकाम की ओर बढ़ चले.

Holi 2024: मीठी परी- सिम्मी और ऐनी में से किसे पवन ने अपनाया

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Holi 2024: एक्सपर्ट से जानें होली के रंग से कैसे करें अपने चेहरे का बचाव

होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें हम भरपूर मस्ती और उत्साह के साथ एक दुसरे पर रंग डालते हुए मनाते है. लेकिन हमें यह भी पता होना चाहिए की यही रंग हमारे चेहरे और शरीर को नुकसान पंहुचा सकता है. शरीर को नुकसान से बचाने के लिए कुछ आसान से उपाय अपना कर  त्यौहार का पूरा मजा ले सकते हैं.

त्यौहार के दिन हम अपने परिवार और दोस्तों के साथ व्यस्त रहते है लेकिन जब रिलेक्स करने की बारी आती है तो थकावट से उभर नहीं पाते. इस समस्या से कैसे निपटे इस बारे में बता रहीं हैं Cleopatra beauty wellness & makeovers की beauty expert, R.cha aggarwal.

अगर हम होली में रंगों की बात करे तो देखा जाता है की लोगों की  पसंद विभिन्न हो होती है नेचुरल से लेकर ओरगेनिक  रंग तक. बाज़ार में हर तरह के रासायनिक रंग उपलब्ध है जो काफी कठोर  किस्म के पाए जाते है जो आपके चेहरे और बालों के लिए हानिकारक होता है. स्कैल्प हमारे शरीर का सबसे महत्तवपूर्ण अंग है. ये रासायनिक तत्व हमारे चेहरे और बालों को डैमेज कर देता है.

नेचुरल रंग जो फूल और पौधों से बना होता है जिसपर किसी तरह का कीटनाशक नहीं होता और जिसे हम सुरक्षा के साथ इस्तेमाल कर सकते है. जिन लोगो के स्किन सेंसेटिव और डिहाइड्रेट है और वे अगर किसी तरह के हार्मोनल इम्बैलेंस थाइरोइड  जैसे बीमारी से पीड़ित है, उन्हें होली से बचना चाहिए. इन लोगो को खासकर होली के 15 दिन पहले से अपनी त्वचा का ध्यान रखना शुरू कर देना चाहिए.  या तो उन्हें टीट्री  या फिर लेवेंडर ऑयल लगभग 30 मिनट तक लगाकर रखने के बाद नहाना चाहिए. ऐसा रोजाना दो बार करना ही चाहिए. ये आपको को होली के रंग से बचने में मदद करेगा.

अक्सर लोग अपने बालों के बचाव के लिए शेम्पू, ब्लीचिंग अथवा हेअर कलर का उपयोग करते है, ताकि बालो से रंग हट जाये. लेकिन कठोर रंग जल्दी से नहीं जाता. रसायनिक रंगों का इस्तेमाल होने के वजह से आपके स्कैल्प में नफेक्शन हो जाता है और ब्लीचिंग के इस्तेमाल से चेहरे पर रैशेस  आने का खतरा बढ़ जाता है. और आपके बालों का रंग समय से पूर्व धीरे-धीरे सफ़ेद पड़ने लगता है. बालों का विशेष ध्यान रखते हुए माइल्ड शेम्पू के साथ दही का इस्तेमाल करे. ये आपके बालों के लिए न सिर्फ कंडीशनर  का काम करेगा बल्कि आपके बालों को काफी स्ट्रोंग बनाता है बिना किसी नुकसान पहुचाये.

उसी तरह लोग रंग हटाने के लिए कठोर स्क्रब  का इस्तेमाल अपने त्वचा पर करते है जैसे एप्रीकॉट (apricot) और वालनट (walnut) scrubs. कभी- कभी scrub से तेज़ रगड़ने पर चेहरे पर दाग हो जाती है या स्किन अपनी नमी खो देता है और आपको चेहरे पर rashes और pigmentation का सामना करना पड़ता है. आप रोजाना ४ या 5 दिनों तक माइल्ड scrub का इस्तेमाल करे इससे न ही सिर्फ चेहरे का रंग हटेगा बल्कि आपके चेहरे में चमक आएगी. aromatherapy में कुछ न इस्तेमाल करते हुए आप अगर एक चम्मच जोजोबा आयल में दो बूँद w.thers lavender या jasmine oil का इस्तेमाल करने से आपकी स्किन से जुडी समस्या तुरंत हल हो जाएगी. और ये आपको सूरज की रौशनी से भी आपकी त्वचा का बचाता है. सबसे जरुरी बात पर आते है वो है जब आप होली खेलने के बाद थक जाते है और आप बहुत  थकावट महसूस करते है. पहला तरीका है की आप न्यूनतम 3 से 4 घंटे की नींद अवश्य ले जो आपके शरीर को आराम देगा. आप किसी अच्छे से pedispa या  pedicure क्लिनिकल के पास जा सकते है. pedispa और deep lymphatic मसाज न ही सिर्फ आपके पैरों को आराम देता है बल्कि आपके पुरे शरीर को detoxify करता है और इसी तरह फुल बॉडी स्पा आपको राहत देता है.

अगर आप चाहे तो आप फुल full बॉडी में chocolate spa भी करा सकते हैं ये सबसे अच्छा उदहारण है.

लेकिन ध्यान से आप  पूरी बॉडी स्टीम ट्रीटमेंट जरूर ले जो बॉडी स्पा के बाद बहूत जरुरी है.

इसके अलावा ज़्यादा से ज़्यादा फल का जूस जैसे अनानास, संतरा, स्ट्राबेरी इत्यादि का उपयोग  करे ये आपके सेहत के लिए काफी अच्छा होता है और आपकी बॉडी में फुर्ती लाता है. इन सभीट्रीटमेंट से पहले  पूरी नींद लेना आवयशक है.

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