Asahi Kasei के फ्राइंग पैन फॉयल के साथ पकाएं बिना तेल के खाना

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जापान के नंबर 1 प्रीमियम रैप ब्रांड असाही केसी ने 2014 में भारतीय बाजार में उतरते ही हर रसोई में अपनी अलग ही पहचान बना ली है. 2020 में इकोनोमिक टाइम्स ने असाही केसी को उसके पसंदीदा प्रीमियम किचन कुकिंग एंड फूड प्रिजर्विंग शीट्समें इंडस्ट्री लीडरशिप अवॉर्ड से भी नवाजा है. जापान की अगर बात करें पिछले करीब 60 सालों से असाही केसी ब्रांड ने जापान में अपनी गुणवत्ता और ईज़ी टू यूज़ होने के चलते अपना लोहा मनवाया है.

वर्तमान में वैश्विक महामारी के दौर में जहां लाइफस्टाइल टैक्नोलॉजी ने लोगों का जीवन आसान बनाने में मदद की है तो वहीं असाही केसी केरिवॉल्यूशनरी प्रोडक्ट्स जैसे प्रीमियम रैप, कुकिंग शीट और फ्राइंग पैन फॉयल ने किचन में बिना परेशानी के कुकिंग में अपनी उपयोगिता दर्ज कराई है.

वैश्विक महामारी के दौर में अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने वाला और हेल्दी खाना पकाना और उसे सही तरीके से स्टोर करना लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. ऐसे में असाही केसी का फ्राइंग पैन फॉयल एक क्रांतिकारी प्रोडक्ट के रुप में सामने आया है. ये उन लोगों के लिए बेहद अहम प्रोडक्ट साबित हुआ है जो संतुलित और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना चाहते हैं और ऑयल फ्री कुकिंग के साथ खुद को स्वस्थ बनाना चाहते हैं.

जापान के नंबर 1 ब्रांड Asahi Kasei ने भारतीय बाजार को एक ऐसे उत्पाद से परिचित कराने में कामयाबी हासिल की है जो बिना तेल का उपयोग किए खाना पकाने का समर्थन करता है. फ्राइंग पैन फॉयल एक अत्याधुनिक उत्पाद है जिसका उपयोग रसोई में अनुभवी और शौकिया तौरपर किचन में हाथ आजमाने वाले नए कुक्स कर सकते हैं. ये कुकिंग में आपके समय की बचत तो करता ही है साथ ही आपको स्वस्थ और परेशानी मुक्त खाना बनाने में आपकी मदद करता है. ये कहना गलत नहीं होगा कि असाही केसी की फ्राइंग पैन फॉयल खाना पकाने के क्षेत्र में नवीनतम नवाचार है.

ये फ्राइंग पैन फॉयल सिलिकॉन कोटिड है जिसे आप किसी भी पैन पर आसानी से रख सकते हैं और सिलिकॉन पर बिना झंझट खाना पका सकते हैं. चूंकि ये एक तरफ से सिलिकॉन कोट किया हुआ है इसलिए आप इसमें बिना तेल की एक बूंद का इस्तेमाल किए इसमें खाना पका सकते हैं. सिलिकॉन कोटिड होने के कारण इसमें खाना बिल्कुल भी नहीं चिपकता. इसको आसानी से इस्तेमाल किया जाए इसके लिए आसान इंस्ट्रक्शन्स इसके साथ दिए गए हैं, इस प्रोडक्ट में एक तरफ R का चिह्न बना है जिसका मतलब है कि उसे उस तरफ से पैन के ऊपर रखना है.

Asahi Kasei का फ्राइंग पैन फॉयल उत्पाद का उपयोग करने से न सिर्फ आप बिना तेल के खाना पका सकते हैं बल्कि ये खाने में मौजूद प्राकृतिक खाद्य तेल को भी पैन में रिसने से रोकता है, इसलिए फ्राइंग पैन साफ ​​रहता है जिससे बर्तन को धोने की जरुरत ही नहीं पड़ती और उसी बर्तन का दोबारा आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है. असाही केसी के फ्राइंग पैन फॉयल उत्पाद का इस्तेमाल कर कोई भी व्यक्ति तेल के सेवन में कमी लाकर अपना कैलोरी इनटेक कम कर सकता है. जिससे वो खुद को स्वस्थ और बनाए रख सकते हैं.

हम में से बहुत से लोगों को घर में रहने के दौरान अपना पंसदीदा खाना खाने की लालसा होती है और रसोई के नए उत्पाद हमें घर का बना स्वस्थ भोजन खाने में मदद कर सकते हैं. फ्राइंग पैन फॉयल कोटिड कुकवेयर के उपयोग को कम करने में और खाना पकाने के बाद रसोई की सिंक में जमा हुए झूठे बर्तनों के भंडार से हमें मुक्ति देता है.इसके साथ ही ये अलग-अलग खाने के लिए इस्तेमाल होने वाले पैन (तवा, फ्राइंग पैन, डोसा तवा) की संख्या को कम कर देता है. इसके इस्तेमाल से कोई भी व्यक्ति पैन में फ्राई कर बनने वाले खाने जैसे डोसा, उथप्पा, पनीर टिक्का, आमलेट और तले हुए अंडे जैसे भोजन बिना तेल और बिना अलग-अलग बर्तनों का इस्तेमाल किए आसानी से बना सकता है.

Asahi Kasei का फ्राइंग पैन फॉयल अब बिग बाज़ार, ले मार्चे (Le Marche), दिल्ली एनसीआर में फ़ूडहॉल, रिलायंस स्टोर्सऔर मुंबई, पुणे, बैंगलोर, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, केरल, पंजाब में कई सामान्य ट्रेड स्टोर और ऑनलाइन भी उपलब्ध है. अमेजॉन, फ्लिपकार्ट और बिग बास्केट में 249 रुपये में उपलब्ध है. औसतन, उत्पाद एक महीने तक चल सकता है.

Asahi Kasei के बारे में-

प्रीमियम रैप, फ्राइंग पैन फॉयल और कुकिंग शीट भारत में कंपनी के तीन प्राथमिक खाद्य-संबंधित उत्पाद हैं, जो भारतीय रसोई में जापान की भंडारण, खाना पकाने और बेकिंग पद्धति लाते हैं. ये हर एक प्रोडक्ट अपने क्षेत्र में अपना अलग महत्व रखते हैं. Asahi Kasei रसायन और भौतिक विज्ञान में एक वैश्विक दिग्गज है. इसका टर्नओवर $19.7 बिलियन (FY2020 में) है.

Family Story In Hindi: मन्नो बड़ी हो गई है- भाग 3

लेखक- डा. मनोज श्रीवास्तव

इन्हीं कामों के लिए भाभी कभी मेरी तारीफ करतीं तो मैं सोचती कि भाभी अपने को ऊंचा साबित करने की कोशिश कर रही हैं. पर नहीं, भाभी ठीक कहती थीं. यहां पर पानी का गिलास भी सब को बिस्तर पर लेटेलेटे पकड़ाओ. फिर नौकर की तरह खड़े रहो खाली गिलास ले जाने के लिए. अगर एक कप व एक बिस्कुट चाहिए तो नौकरों की तरह ट्रे में हाजिर करो. वरना बेशऊरी का खिताब मिलता है और मायके वालों को गालियां.

करण और सास को चाय व ब्रैड रोल्स दे कर हटी तो महेश आ गया. महेश को चाय दे कर हटी तो केतकी आ गई. वह आते ही सो गई. बिस्तर पर ही उसे चायपानी दिया. केतकी के तो औफिस में एक बौस होगा. यहां तो मेरे 4-4 बौस हैं. किसकिस की सेवा करूं. मैं रात का खाना बनाती, खिलाती रही. इन सब का ताश का दौर चलता रहा. रात साढ़े 10 बजे ठहाकों और खुशी से ताश का दौर रुका तो केतकी ने सास के लिए एक गिलास दूध देने का आदेश दिया और सास ने केतकी को देने का. मुझे किसी ने सुबह भी नहीं पूछा था कि दूध लिया या नहीं.

मेरी तो इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि सवा 10 बजे सब को खाना खिला कर मैं बिस्तर पर सो सकती. सुनने को मिल जाता, ‘देखो तो, जरा भी ढंग नहीं है. मांबाप ने सिखाया नहीं है. हम तो यहां बैठे हैं, यह सोने चली गई.’

बिस्तर पर पहुंचतेपहुंचते 11 बज गए. बिस्तर पर लेटी तो पूरा बदन चीसें मार रहा था. तभी करण बोला, ‘‘जरा पीठ दबा दो. बैठेबैठे मेरी पीठ दुख गई,’’ और करण नंगी पीठ मेरी तरफ कर के सो गया.

मन किया कि करण की पीठ पर एक मुक्का दे मारूं या बोल दूं कि जिस मां का मन बहलाने के लिए पीठ दुखाई है, उसी मां से दबवा भी लेते.

बस, यही एक काम बचा था न मेरे लिए? मन ही मन मोटी सी भद्दी गाली दे दी. दिल भी किया कि तीखा जवाब दे दूं. पर याद आया कि कल मायके जाना है. अगर इस का मुंह सूज गया तो यह अपनी मां के आंचल में छिप जाएगा और मैं अपनी मम्मी का चेहरा देखने को भी तरस जाऊंगी. 15 दिनों से भी ज्यादा हो गए मम्मी को देखे हुए.

‘‘कल मायके ले जाओगे न?’’ मैं ने पीठ दबाते हुए कहा.

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बड़ी देर के बाद करण के मुंह से निकला, ‘‘ठीक है, दोपहर का खाना जल्दी बना लेना. फिर वापस भी आना है.’’

मैं जलभुन गई यह उत्तर सुन कर. सिर्फ 4 घंटे में आनाजाना और मिलना भी. मजबूरी थी, समझौता कर लिया.

घर पहुंची तो जैसे मम्मी इंतजार कर रही थीं.

‘‘क्या बात है? यह तो जैसे हमें भूल ही गई,’’ भाभी ने प्यार से कहा.

‘‘होना भी चाहिए. आखिर वही घर तो इस का अपना है,’’ करण ने अकड़ कर कहा.

मम्मीभाभी के सामने आते ही आंसू आने लगे थे, मगर मैं रोक लगा गई.

‘‘क्या हुआ???,’’ दोनों हैरान रह गईं मेरी सूरत देख कर.

‘‘कुछ भी नहीं,’’ मैं अपनेआप को रोक रही थी. यहां के लोग मेरे चेहरे से मेरे मन के भाव पढ़ लेते हैं, ससुराल वाले क्यों नहीं पढ़ पाते?

सब ने बहुत आवभगत की. करण को बहुत मान दे रहे थे. मुझे लगा कि करण इन के मान के काबिल नहीं है. लेकिन मजबूरी, मैं कह भी नहीं सकती थी. वापस लौटते वक्त भाभीजी ने बताया कि अच्छा हुआ तुम आज आ गईं. कल वे भी 2 दिनों के लिए मायके जा रही हैं. इस पर करण बोला, ‘‘भाभीजी, शादी से पहले आप इतने साल मायके में ही थीं, फिर मायके क्यों जाती हैं बारबार? अब आप इस घर को ही अपना घर समझा करें.’’ भाभी का चेहरा उतर गया. पता नहीं क्यों, भाभी का उतरा चेहरा मेरे दिल में तीर की तरह वार कर गया.

‘‘आप इतने बड़े नहीं हो कि मेरी बड़ी भाभी को सलाह दे सको. ससुराल को अपना घर समझने का यह मतलब तो नहीं कि भाभी की मम्मी, मम्मी नहीं हैं? उन का अपनी मम्मी के पास बैठने का दिल नहीं करता? दिल सिर्फ लड़कों का ही करता है? लड़कों को हम लोगों की तरह अपना सबकुछ एकदम छोड़ना पड़े तो दर्द महसूस हो.’’

इस अप्रत्याशित जवाब से करण का चेहरा फक हो गया. मेरे भीतर जाने कब का सुलगता लावा बाहर आ गया था. खामोशी छा गई. भाभी मेरा चेहरा देखती रह गईं. मम्मी के चेहरे पर पहले हैरानगी, फिर तसल्ली के भाव आ गए.

बाहर आ कर करण स्कूटर स्टार्ट कर चुका था. मैं मम्मी के गले मिली तो लगा, मैं जाने कब से बिछुड़ी हुई हूं. ममता का एहसास होते ही मेरी आंखों से पानी बाहर आ गया.

मम्मी प्यार से बोलीं, ‘‘मन्नो, बड़ी हो गई है न?’’

मुझे लगा, मैं ने वर्षों बाद अपना नाम सुना है.

भाभी ने भी आज पहली बार ममता भरे आलिंगन में मुझे भींच लिया और रो पड़ी थीं. उन के आंसू मेरे दिल को भिगो रहे थे. मेरे भैया और पापा की आंखों में भी प्रशंसा थी. मुझे उन की ममता और प्यार की ताकत मिल गई थी. स्कूटर पर बैठ कर भी अब मैं सिर्फ भाभी और मम्मी के आंसुओं के साथ थी. बच्चों के मुखसे हमारी 5 वर्षीय पोती अरबिया के सिर में जुएं थीं. उस के सिर से उस की मम्मा जुएं निकाल रही थी. पहली जूं निकालते ही उस ने पूछा, ‘‘यह क्या है मम्मा?’’ उस की मम्मा बोलीं, ‘‘जूं है.’’ दूसरी पर भी उस ने वही सवाल किया. उस की मम्मा ने वही जवाब दोहराया, ‘‘जूं है.’’ तीसरी पर जब उस ने पूछा, ‘‘यह क्या है?’’ तो उस की मम्मा बोलीं, ‘‘लीख है.’’

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‘‘लीख क्या होती है?’’ भोलेपन से उस ने अपनी मम्मा से पूछा.

‘‘जूं की बेबी,’’ मम्मा के इस उत्तर पर अरबिया तपाक से पूछ बैठी, ‘‘मम्मा, जूं को बेबी हुई तो उस की मम्मा की डिलीवरी हुई होगी. डिलीवरी हुई तो डाक्टर भी होंगे. तो क्या मेरा सिर अस्पताल है?’’

उस की बात पर हम सब ठहाके मारमार कर हंसने से खुद को नहीं

रोक सके.   शब्बीर दाऊद (सर्वश्रेष्ठ)

मेरा 8 वर्षीय बेटा अर्चित काफी बातूनी है. वह जब भी बाथरूम में जाता तो वहां का दरवाजा बहुत अधिक टाइट होने के कारण उस से मुश्किल से ही बंद हो पाता था. ऐसे ही एक दिन एक बार फिर जब वह दरवाजा उस से ठीक से नहीं बंद हुआ तो कहने लगा, ‘‘मैं जब बड़ा हो कर अपना घर बनाऊंगा तो पूरे घर में स्क्रीन टच दरवाजे लगवाऊंगा ताकि वे बिना हाथ लगाए ही खुल जाएं.’’

उस की बात सुन कर हम सभी को बड़ी हंसी आई और उस की होशियारी अच्छी भी लगी. मेरी पत्नी नीता गैस्ट्रिक की वजह से कुछ अस्वस्थ व परेशान सी दिख रही थी. पूछने पर बोली, ‘‘गैस निकालने की कोशिश कर रही हूं जिस से पेट हलका हो कर सामान्य सा हो जाए.’’ यह सुन कर मेरा 3 वर्षीय बेटा हर्षित तपाक से बोला, ‘‘सिलैंडर कई दिनों से खाली पड़ा है, तो फिर आप उस में गैस भर दीजिए न.’’

दरअसल, उन दिनों गैस की काफी किल्लत हो रही थी. यह सुन कर हम लोग काफी देर तक हंसते रहे. फिर बाद में उसे समझाया.

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भारत-जापान दोस्ती की  मिसाल

अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे पर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “रुद्राक्ष” अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन करेंगे. उनके साथ जापान के प्रतिनिधि भी रहेंगे. रुद्राक्ष को जापानी शैली में सजाया जा रहा है. जैपनीज़ फूलों की सुगंध रुद्राक्ष में  फ़ैलेगी. रुद्राक्ष कन्वेंसन सेंटर परिसर में प्रधानमंत्री रुद्राक्ष के पौधे को भी लगाएंगे. कार्यक्रम के दौरान रुद्रक्ष कन्वेंसन सेण्टर में इन्डोजापन कला और संस्कृति की झलक भी दिखेगी. रुद्राक्ष कन्वेंसशन सेण्टर पर बने 3 मिनट के ऑडियो विज़ुअल को भी “रुद्राक्ष ” में प्रधानमंत्री मेहमानों के साथ देखने की संभवना है . प्रधानमंत्री  का  यहां करीब 500 लोगों से संवाद करना भी प्रस्तावित है . संभावना है कि वीडियो फ़िल्म के माध्यम से जापान के प्रधानमंत्री देंगे शुभकामनाएं.  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बदलते बनारस की तस्वीर दुनिया देखेगी.

सर्व विद्या की राजधानी काशी में धर्म ,अध्यात्म ,कला, संस्कृति और विज्ञान पर  चर्चा होती है, तो इसका सन्देश पूरी दुनिया में  जाता है.

बनारस में संगीत के सुर,लय और ताल की  त्रिवेणी अविरल बहती रहती है. 2015 में वाराणसी को यूनेस्को के ‘सिटीज ऑफ म्यूजिक’ से नवाजा गया था.  शिल्पियों की थाती वाले शहर बनारस ने दुनिया को कला की प्राचीन नमूनों से परिचित कराया है, जिसका कायल पूरा विश्व है.

दुनिया के सबसे प्राचीन और जीवंत शहर काशी को जापान ने भारत से दोस्ती का एक ऐसा नायाब तोहफ़ा रुद्राक्ष के रूप में दिया है ,जहां  आप बड़े म्यूजिक कंसर्न , कांफ्रेंस,नाटक और प्रदर्शनियां  जैसे कार्यक्रम दुनिया के बेहतरीन उपकरणों और सुविधाओं के साथ कर सकेंगे. कन्वेंशन सेंटर की नींव  2015 में उस समय पड़ गई थी, जब जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे  को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी लेकर आए थे.

शिवलिंग की आकृति वाला वाराणसी कन्वेंशन सेण्टर जिसका नाम शहर के मिज़ाज के अनुरूप रुद्राक्ष है. इसमें स्टील के एक सौ आठ रुद्राक्ष के दाने भी लगाए  गए है. जितना खूबसूरत ये देखने में  लग रहा है ,उतनी ही इसकी खूबियां भी है.

सिगरा में ,तीन एकड़ (13196 sq mt ) में ,186 करोड़ की लागत से बने  रुद्राक्ष में 120 गाड़ियों की पार्किंग  बेसमेंट में हो सकती है. ग्राउंड फ्लोर ,और प्रथम तल ,को लेकर हाल होगा जिसमे वियतनाम से मंगाई गई कुर्सियों पर 1200 लोग एक साथ बैठ सकते है. दिव्यांगों के लिए भी दोनों दरवाजो के पास 6 -6 व्हील चेयर का इंतज़ाम है. इसके अलावा शैचालय भी दिव्यांगों फ्रेंडली बनाए गए है.  हाल में बैठने की छमता पार्टीशन से कम या ज़्यादा भी किया जा सकता है. इसके अलावा आधुनिक ग्रीन रूम भी बनाया गया है. 150 लोगों की छमता वाला  दो कॉन्फ्रेंस हाल या गैलरी  भी है. जो दुनिया के आधुनिकतम उपकरणों से सुसज्जित  है. इस  हॉल को भी जरूरत के मुताबिक घटाया और  बढ़ाया जा सकता है.

रुद्राक्ष  को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी ने फंडिंग  किया है. डिजाइन  जापान की कंपनी ओरिएण्टल कंसल्टेंट ग्लोबल ने  किया है. और निर्माण का काम भी जापान की फुजिता कॉरपोरेशन नाम की कंपनी ने किया है.

रुद्राक्ष में छोटा जैपनीज़ गार्डन बनाया गया है.  110 किलोवाट की ऊर्जा के लिए सोलर प्लांट लगा है.  वीआईपी रूप और उनके आने-जाने  का रास्ता भी अलग से है .

रुद्राक्ष को वातानुकूलित रखने के लिए इटली के उपकरण लगे है.दीवारों पर लगे ईंट भी ताप को रोकते और कॉन्क्रीट के साथ फ्लाई ऐश का भी इस्तेमाल किया गया  है. निर्माण और उपयोग की चीजों को देखते हुए ,ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट ( GRIHA ) की और से रुद्राक्ष को  ग्रेडिंग तीन मिली है. रुद्राक्ष में कैमरा समेत सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम है.   आग से भी सुरक्षा के उपकरणों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है.

रुद्राक्ष  को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी ने फण्ड किया है. डिजाइन  जापान की कंपनी ओरिएण्टल कंसल्टेंट ग्लोबल ने ही किया है, और निर्माण का काम भी जापान की फुजिता कॉरपोरेशन नाम की कंपनी ने  किया है. इसका निर्माण  10 जुलाई 2018 को शुरू हुआ था . अब  भारत जापान की दोस्ती का प्रतीक रुद्राक्ष बन कर तैयार हो गया है.

विकास तभी सार्थक जब सभी लोग सुरक्षित रहें : योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विकास की योजनाएं तभी सार्थक हैं जब सभी लोग सुरक्षित रहें. सरकार प्रदेश की 24 करोड़ जनता की सुरक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है. प्रदेश की सुरक्षा में सेंध लगाने वालों को किसी भी सूरत में छूट नहीं दी जा सकती, उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी ही होगी.

सीएम योगी मंगलवार को गोरखपुर में नगर निगम की 94 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली 370 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास कर रहे थे. गोरखपुर क्लब में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हम सभी को विकास के साथ ही सुरक्षा के प्रति लगातार सजग रहना होगा. सुरक्षा के प्रति थोड़ी सी सजगता से कई लोगों का जीवन सुरक्षित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ह्यूमन इंटेलिजेंस यानी लोगों की सजगता से मिली जानकारी पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दो साजिशों को बेपर्दा किया गया है.  मूक बधिर बच्चों के जेहादी धर्मांतरण से राष्ट्र की सुरक्षा में सेंध लगाने का षडयंत्र किया जा रहा था. इसमें पकड़े गए लोगों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने लखनऊ में पकड़े गए दो संदिग्धों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान परस्त आतंकियों के साथ मिलकर आजादी के जश्न में खलल डालने की साजिश रची जा रही थी. ह्यूमन इंटेलिजेंस यानी लोगों की सजगता से मिली सूचना पर सुरक्षा एजेंसियों ने इन्हें बेपर्दा कर दिया. बारूद का जखीरा, बम व अत्याधुनिक हथियार मिले. समय रहते ऐसे लोगों को मुंहतोड़ जवाब दिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में क्या हो रहा है, जनता की सजगता से इसे जाना जा सकता है और जानकारी पर समय रहते राष्ट्र विरोधी तत्वों के मंसूबों को ध्वस्त किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जनता से निरन्तर संवाद बनाए रखने में पार्षदों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.

विकास की योजना गरीब का हक : मुख्यमंत्री योगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास की योजना हर गरीब का हक है. अच्छा जनप्रतिनिधि चुने जाने पर विकास की योजनाएं हर गरीब तक पहुंचती हैं. उन्होंने कहा कि सरकार पहले भी थी, पैसा पहले भी था लेकिन तब अराजकता होती थी, पैसों का बंदरबांट होता था. आज सिस्टम वही है बस चेहरे बदल गए हैं तो आमजन को योजनाओं का लाभ मिल रहा है. हर व्यक्ति तक सड़क, पेयजल, बिजली की सुविधा है. गरीब को पीएम आवास योजना से मकान मिल रहा है. यह सारे काम पहले भी हो सकते थे लेकिन अपने पूर्वजों के नाम योजनाओं के नामकरण में जुटे लोगों को गरीबों की चिंता नहीं थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों को आवास योजना की सौगात दी है. गोरखपुर में 25 हजार गरीबों को पीएम आवास मिला है. जो स्ट्रीट वेंडर पहले कुछ लोगों के लिए शोषण करने का जरिया थे, आज स्वनिधि योजना से आत्मनिर्भर होकर तरक्की की राह पकड़ रहे हैं.

यूपी से गायब होता दिखाई दे रहा कोरोना : सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गंदगी दूर कर और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के साथ बिना भेदभाव सबको स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ दिलाकर हमनें इंसेफेलाइटिस को दूर किया है. कोविड प्रोटोकाल के अनुपालन और सबको त्वरित स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराते हुए कोरोना पर भी काबू पाया है. अब तो उत्तर प्रदेश से कोरोना गायब होता दिखाई दे रहा है. मुख्यमंत्री ने कोविड के सेकेंड वेव में निगरानी समितियों व पार्षदों की भूमिका की प्रशंसा की.  उन्होंने पार्षदों को प्रेरित करते हुए कहा कि बेहतर कार्य पद्धति ही आपकी पहचान बनेगी, आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगी इसलिए बेहतर कार्य निरन्तर होने चाहिए. जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए अहर्निश प्रयास करना होगा.

कार्यक्रम में महापौर सीताराम जायसवाल, नगर विधायक डॉ राधामोहन दास अग्रवाल, गोरखपुर ग्रामीण के विधायक बिपिन सिंह, सहजनवा के विधायक शीतल पांडेय, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष श्रीमती अंजू चौधरी आदि की प्रमुख मौजूदगी रही.

370 परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण

इसके साथ ही सीएम योगी ने मंगलवार की शाम शहर को 93.89 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी. गोरखपुर क्लब में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 370 परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया. इनमें 150 परियोजनाओं का शिलान्यास और 220 परियोजनाओं का लोकार्पण हुआ. मुख्यमंत्री ने नगर निगम परिसर में प्राइवेट, पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल से संचालित होने वाले म्यूजिकल फाउंटेन और फूड पार्क का भी लोकार्पण किया. सीएम शाम चार बजे मुख्यमंत्री गोरखपुर क्लब पहुंचे. स्वागत महापौर सीताराम जायसवाल ने किया. सभी परियोजनाएं 14वें व 15वें वित्त आयोग, अवस्थापना विकास निधि, अमृत योजना, सीवरेज एवं जल निकासी योजना और स्वच्छ भारत मिशन से है. मुख्यमंत्री ने वार्ड नंबर पांच में एक करोड़ 12 लाख 77 हजार रुपये से बनी डामर सड़क का भी लोकार्पण किया. चार करोड़ 11 लाख 67 हजार रुपये से लालडिग्गी पार्क में हुए जीर्णोद्धार कार्य का लोकार्पण कर मुख्यमंत्री ने पार्क को नागरिकों को सौंपा.

मिलेगा शुद्ध पानी

8.81 करोड़ रुपये की लागत से 13 गहरे नलकूप और आठ मिनी नलकूप का भी मुख्यमंत्री ने शिलान्यास किया. इन नलकूप से हजारों नागरिकों को शुद्ध पानी मिलेगा.

यहां लगेंगे गहरे नलकूप

भैरोपुर ओवरहेड टैंक परिसर में, बशारतपुर निकट एल्यूमीनियम फैक्ट्री रोड सुडिय़ा कुआं, राजेंद्र नगर पश्चिमी, राजेंद्र नगर पूर्वी, लच्छीपुर शिव मंदिर के पीछे मलिन बस्ती, पूर्व महापौर डा. सत्या पांडेय के घर के पास, ट्रांसपोर्टनगर स्थित गालन टोला मोहल्ला, धर्मशाला पुलिस लाइन बाउंड्री के अंदर, रुस्तमपुर, अलीनगर, सिविल लाइन द्वितीय पड़हा में रियाज हास्पिटल के बगल में, गोरखनाथ मंदिर परिसर में संस्कृत पीठ के पास और सिविल लाइन चौराहा के पास कार्य कराया जाएगा.

यहां लगेंगे मिनी नलकूप

जटेपुर उत्तरी काली मंदिर के पास, अंधियारीबाग रामलीला मैदान मलिन बस्ती, नरसिंहपुर, पार्षद जितेंद्र सैनी के आवास के पीछे, कृष्णा नगर, माधोपुर, रामप्रीत चौराहा काली मंदिर के पास और चक्सा हुसैन में.

बेटे की मां बनीं एक्ट्रेस Dia Mirza, 4 महीने पहले की थी दूसरी शादी

बीते दिनों बॉलीवुड एक्ट्रेस दीया मिर्जा ने अचानक शादी और प्रैग्नेंसी की खबर से फैंस को चौंका दिया था, जिसके कारण उन्हें ट्रोलिंग का भी सामना करना पड़ा था. इसी बीच दीया मिर्जा ने अपने मां बनने की खबर से फैंस को चौंका दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

शादी के 4 महीने बाद बनीं मां 

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दीया मिर्जा ने हाल ही में अपने फैंस को जानकारी दी है कि वो दो महीने पहले ही मां बन चुकी हैं. दरअसल, एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए बताया कि उन्होंने 14 मई को एक बेटे को जन्म दिया है जिसका नाम अव्यान आजाद रखा है. वहीं उन्होंने ये भी बताया कि उनका बेबी सी सेक्शन औपरेशन के जरिए हुआ है.

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लिखा इमोशनल पोस्ट

 

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दीया मिर्जा ने फैंस के साथ अपनी खुशी शेयर करते हुए एक इमोशनल पोस्ट करते हुए अपनी प्रैग्नेंसी में आने वाले कौम्पलीकेशन्स की जानकारी दी. और बताया कि प्रीमैच्‍योर (Premature Baby) होने के चलते उनका बेटा अव्यान आजाद दो महीने से ICU में भर्ती है, जिसके चलते सभी फैंस और सेलेब्स उन्हें बधाई देने के साथ दुआएं दे रहे हैं.

बता दें, दीया मिर्जा ने 15 फरवरी 2021 को हैदराबाद में बिजनेसमैन वैभव रेखी से शादी की थी, जिनकी एक बेटी भी है. वहीं इसके बाद अचानक अपने हनीमून पर दीया मिर्जा ने अपनी प्रैग्नेंसी फोटोज शेयर करके फैंस को चौंका दिया था.

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क्या मां बनने वाली हैं सोनम कपूर? वीडियो देख फैंस ने पूछा सवाल

बौलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर (Sonam Kapoor) आए दिन सुर्खियों में रहती हैं. जहां लोग उनके फैशन के दीवाने हैं तो वहीं कई लोग उन्हें ट्रोल करने के नए-नए तरीके ढूंढते हैं. इसी बीच भारत लौटीं सोनम कपूर एक बार फिर कौंट्रवर्सी का शिकार हो गई हैं. दरअसल, हाल ही में इंग्लैंड से लौंटी सोनम को देखते ही फैंस कयास लगाने लग गए हैं कि क्या वह प्रैग्नेंट हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

मुंबई लौटीं सोनम कपूर

 

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कोरोना के चलते लंबे वक्त से इंग्लैंड के नॉटिंग हिल स्थित घर में रह रहीं सोनम कपूर हाल ही में अपनी फैमिली के पास पहुंचीं. जहां एयरपोर्ट पर पिता अनिल कपूर उन्हें लेने आए तो वह इमोशनल होती हुईं नजर आईं. इस दौरान वह एयरपोर्ट पर पति के बिना नजर आईं. दरअसल, काफी समय से अपनी फैमिली से दूर थीं, जिसके कारण वह फैमिली क काफी मिस कर रही थीं और इसी कारण वह इंडिया लौटी हैं.

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फैंस लगा रहे कयास

 

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वहीं एयरपोर्ट से वायरल हुई वीडियो देखकर फैंस ने कयास लगाना शुरु कर दिया है कि कहीं सोनम कपूर प्रैग्नेंट लगा रहे हैं. हालांकि सोनम बीते कई महीनों से अपनी अगली फिल्म ब्लाइंड की शूटिंग करती नजर आईं थीं. बता दें, सोनम कपूर ने साल 2018 में बिजनेसमैन आनंद आहूजा से शादी की थी, जिसके बाद वह फिल्मी दुनिया की काफी कम फिल्मों में नजर आईं थीं. वहीं इस कोरोना काल में उन्होंने अपनी पीसीओडी से जुड़ी बीमारी का भी खुलासा किया था, जिसे सुनकर फैंस चौंक गए थे.

बता दें, सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से सोनम कपूर नेपोटिज्म को लेकर ट्रोलिंग का सामना कर रही हैं. वहीं कई बार वह सोशलमीडिया से ब्रेक भी ले चुकी हैं. हालांकि उन्होंने इस बारे में फैंस के सामने अपनी बात भी रखी थी.

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गर्लफ्रेंड से बात कर रहा था समर तो वनराज को ऐसे आया गुस्सा, देखें Funny वीडियो

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में आए दिन नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. जहां एक तरफ पाखी, काव्या के भड़काने पर अनुपमा के खिलाफ हो गई है तो वहीं औफस्क्रीन अनुपमा की टीम मस्ती करती नजर आ रही है. इसी बीच समर और वनराज का एक वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वनराज, समर की जूते से पिटाई करता हुआ नजर आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो….

समर ने किया ये काम

 

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हाल ही में अनुपमा के सेट से वनराज यानी सुधांशू पांडे ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमे वह समर फोन पर लड़की से बात करते हुए पकड़ते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं पकड़ने के बाद उसकी पिटाई भी कर देते हैं. वीडियो को शेयर करते हुए सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) ने लिखा, ‘बाप नंबरी तो बेटा दस नंबरी. 10 लड़कियों का नंबर लेकर सबसे एक ही बात कहता है. इतना प्यार कैसे संभालेगा.’ दूसरी तरफ समर यानी पारस कलनावत ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘हम ही मार खा गए, ये जालिम दुनिया चैन से आशिकी भी नहीं लड़ाने देती.’ फैंस को दोनों का ये वीडियो बेहद पसंद आ रहा है.

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काव्या संग मस्ती करती है अनुपमा की टीम


अनुपमा के सेट से कई मजेदार वीडियो सामने आती है. हाल ही में काव्या, वनराज, समर, किंजल और नंदिनी जमकर डांस करते हुए नजर आए थे, जिसकी वीडियो बहुत वायरल हो रही है.

काव्या ने चली नई चाल

सीरियल में आने वाले ट्विस्ट की बात करें तो काव्या के भड़काने पर पाखी अनुपमा के खिलाफ हो गई है. दरअसल, काव्या ने पाखी से कहा है कि अनुपमा के पास उसे डांस सिखाने का वक्त नही है, जिसके चलते वह काव्या से डांस सीख रही है. वहीं पाखी का गुस्सा अनुपमा पर अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलने वाला है.

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कहीं आप बच्चों को बहुत ज्यादा डांटते तो नहीं

कहते हैं बच्चों को अच्छे संस्कार और अच्छा व्यवहार माता-पिता से वसीयत के तौर पर मिलते हैं. ये वसीयत बच्चों के पास कैसे लानी है इसकी जिम्मेदारी भी माता-पिता की ही होती है. इस चक्कर में माता पिता अपने बच्चों के प्रति ओवर-करेक्टिंग या क्रिटिकल मोड चले जाते हैं. उन्हें लगता है कि दुनिया जमाने में उनके बच्चे सबसे सही हो, अच्छे व्यवहार करने वाले हों. जिसके चलते वो अपने बच्चों को सही करने में लग जाते हैं. लेकिन उनका ये स्टेप कभी कभी बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है. वो बच्चों के फैसले और समस्याओं को सुलझाने के बजाए और भी उलझा देते हैं. ऐसे में पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि वो बच्चों के बजाए खुद का विश्लेष्ण करें और खुद को बेहतर बनाने में समय दें. इसके लिए क्या सलाह देते हैं विशेषज्ञ, आइये जानते हैं.

कम होने लगता है कांफिडेंस और सेल्फ रिस्पेक्ट-

बच्चों पर ज्यादा हावी होना उन्हें परेशान करने लगता है. उनके अंदर से कांफिडेंस और सेल्फ रिस्पेक्ट कहीं गुम सी होने लगती है.  ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि जब आप जब आप सब कुछ अपने बच्चे के लिए तय करते हैं, और उसकी क्षमताओं को नजरअंदाज भी करते हैं. आप उसकी सराहना भी नहीं करते और दूसरों के आगे हमेशा उसे एक विकल्प के रूप में प्रस्तुत करते हैं. तो  वो खुद को बेहद गिरा हुआ और कमजोर महसूस करने लगता है. जिससे उसके कांफिडेंस और सेल्फरिस्पेक्ट में कमी होने लगती है. क्योंकि वो आपके फैसलों के आगे खुद को कभी भी सहज महसूस नहीं करेगा.

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बच्चे हो जाते हैं जिद्दी- 

अगर आप भी उन माता-पिता में से हैं, जो हमेशा अपने बच्चों को सुधारने में लगे रहते हैं, और हमेशा यही सोचते हैं, कि वो अच्छे हो जाएं. तो यकीन मानिये कि आप उन्हने ऐसा करके परेशान करते हैं. आप अपने बच्चों की क्षमताओं को सीमित करते हैं. उन्हें दूसरों के आगे अक्षम महसूस करवाते हैं. ऐसे बच्चे और भी ज्यादा चिडचिडे  होने लगते हैं. और वो जिद्दी होने लगते हैं.

वैल्यू खोना-

किसी ने सच ही कहा कि, आप जितना कम बोलेंगे, आपके शब्दों के मायने उतने ही ज्यादा होंगे. ऐसे में ये कहावत तभी सही बैठती है जब आप इसे अपने बचों पर आजमा सकते हैं. जब भी आप अपने बच्चों के हर फैसलों पर उनकी आलोचना करते हैं और उन्हें हर वक्त डांटते हैं तो आपके द्वारा कही हर बात और शब्द कम प्रभावशाली होते हैं. आप चाहे जितनी भी गम्भीर परिस्थितयों में उन्हें संभालने की कोशिश क्यों ना करें. आपका हर फैसला आयर हर आदेश उनके लिए सिर्फ किसी बैकग्राउंड म्यूजिक से कम नहीं होगा. और वो इसका जवाब देना भी बंद कर देंगे. जिससे आपकी वैल्यू ही कम हो जाएगी.

बिगड़ने लगते हैं रिश्ते- 

हर पैरेंट्स के लिए उनके बच्चे पूरी दुनिया होते हैं. उन्हें आपके साथ और आपकी गाइडेंस की जरूरत होती है. लेकिन आप हर वक्त उन्हें सुधारने के लिए उनके पीछे पड़े रहें वो इस बात को बिलकुल पसंद नहीं करते. आप उन्हें सुधारना ही चाहते हैं, तो उनके प्रति शांत और विन्रम रवैया अपना सकते हैं. आप उन्हें सुधारने के साथ उनके अंदर की खामियां भी स्वीकार करें. अगर आप हर वक्त उनकी पसंद और फैसलों में हस्तक्षेप करते रहेंगे तो इससे आपका अपने बच्चे के साथ रिश्ता बिगड़ना लगभग तय है.

क्या है समाधान-

बच्चों को सुधारना अगर आप इसे अपने दायें हाथ का खेल समझते हैं, तो आप अपने और अपने बच्चे के रिश्ते को बिगाड़ रहे हैं. एक तरीके से आप उसका आत्मसम्मान और कांफिडेंस भी गिरा रहे हैं. अगर आप चाहते हैं, आपका बच्चा इन सब चीजों से ना जूझे, तो इसका समाधान क्या हो आइये जानते हैं.

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बच्चों को उनके लिए चीजें तय करने दें.

अगर वो अपने लिए गलत चुनते हैं, तो इसका एहसास भी वो खुद ही करेंगे.

बच्चों में आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़ाने में उनकी मदद करें.

उन्हें कठिन चुनौतियों का सामना खुद करने दें.

उन्हें हर बात में रोक टोक ना करने दें.

बच्चों से छोटी छोटी बात पर लड़ने में अपना समय और एनर्जी दोनों की बर्बाद ना करें.

ये कुछ ऐसी टिप्स हैं, जिनको आपने अगर आजमा लिया. तो आप अपने बच्चे से अपना रिश्ता बेहतर बना लेंगे. आप बस इस बात का ख्याल रखें ज्यादा रोक टोक ना करें. आप अपने बच्चों की ताकत बनें, ना की उनकी कमजोरी.

समय की मांग है वसीयत करना

कोरोना की दूसरी लहर में नीता और उसके पति की अकस्मात मृत्यु हो गयी. एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत इकलौता बेटा अमन फ्लाइट्स के न चलने के कारण भारत नहीं आ पाया. जब 3 माह बाद वह आया तो तब तक उसके घर का आधे से अधिक समान नाते रिश्तेदार ले जा चुके थे. लंबे समय से भारत न आने के कारण उसे अपने पिता की परिसम्पत्तियों की भी कोई जानकारी नहीं थी जिसके चलते उसे क्लेम्स लेने में अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा.

वीणा कोचिंग संस्थान को भोपाल में सफलतापूर्वक चलाने वाले वर्मा दम्पत्ति की अचानक कोरोना के कारण मृत्यु हो गयी दोनों बच्चे अभी नाबालिक हैं. माता पिता के जाने के बाद न तो परिवार में किसी को उनकी परिसम्पत्तियों के बारे में पता है और न ही कोई बच्चों की देखभाल करने वाला है.

कोरोना काल से पूर्व यदि परिवार का मुखिया परिवार के समक्ष वसीयत की बात करता था तो परिवार के सदस्य उसे “क्यों व्यर्थ की बातें कर रहे हो” कहकर झिड़क देते थे और बात आई गयी हो जाती थी पर कोरोना के आगमन के बाद से वसीयत एक आवश्यक आवश्यकता बन गयी है. कोरोना काल से पूर्व पति या पत्नी में जीवित सदस्य आर्थिक मैनेजमेंट कर लिया करता था परन्तु कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पूरे पूरे परिवार ही कोरोना की चपेट में आकर इस संसार से विदा ले गए. इसके अतिरिक्त कई बच्चों के माता पिता एक साथ चले जाने से वे अनाथ हो गए ऐसे में बच्चों की परवरिश कौन करेगा यह बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न है. वसीयत करना तो हमेशा से ही सुरक्षाप्रद रहा है. वसीयत के अभाव में इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कारणों से भी वसीयत करना अत्यंत आवश्यक है-

क्यों जरूरी है वसीयत बनाना

-सम्पत्ति के शांतिपूर्ण और कानूनी बंटवारे के लिए ताकि आपके जाने के बाद बच्चे ताउम्र एक दूसरे से सम्पत्ति के लिए आपस में झगड़ते ही न रहें.

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-वसीयत के अभाव में सम्पत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार अधिनियम के तहत किया जाता है. जिससे कई वर्ष तक केस कोर्ट में लंबित हो जाते हैं और इस पूरे अंतराल के दौरान उत्तराधिकारी आपसी मनमुटाव में जीते हैं. वसीयत करने से समस्त सम्पत्ति का बंटवारा सुगमता से हो जाता है.

-हो सकता है कि आपका कोई बच्चा आर्थिक रूप से कमजोर हो और आप उसके लिए अन्य से अधिक करना चाहते हैं ऐसी स्थिति में आप वसीयत बनाकर अपने मनमुताबिक बंटवारा कर सकते हैं इससे आपके जाने के बाद उनके आपसी सम्बन्ध भी खराब नहीं होगें.

-कोरोना के कारण कई परिवारों में पति पत्नी दोनों ही अपने नाबालिग बच्चों को छोड़कर अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गए ऐसे में आपके जाने के बाद उनकी देखभाल कौन करेगा इसका निर्धारण आप वसीयत करके आसानी से कर सकते हैं, और आज के समय यह करना अत्यंत आवश्यक भी है.

-चूंकि वसीयत के समय सारी संपत्ति की लिस्ट बन जाती है इसलिए आपकी सम्पत्ति के बारे में आपके वकील और गवाह को पता होता है तो उत्तराधिकारियों के लिए बीमा आदि की राशि का क्लेम करना आसान हो जाता है.

ऐसे बनाएं वसीयत

-अचल संपत्ति बैंक जमा, शेयर, बीमा, सोना, और अन्य सभी निवेश सहित अपनी सभी परिसम्पत्तियों की एक लिस्ट बनाकर तैयार करें.

-लाभर्थियों के बारे में फैसला करें कि किसे आप क्या और कितना देना चाहते हैं.

-यदि आपके बच्चे नाबालिग हैं तो उनके  लिए केयरटेकर या अभिभावक नियुक्त करें.  प्रयास करें कि अभिभावक कोई आपका नजदीकी ही हो.

-वसीयत बनाते समय दो ऐसे  गवाह तय करें जो स्वतंत्र हों और लाभार्थियों से किसी प्रकार का कोई सम्बंध न रखते हों.

-वसीयत में एक निष्पादक अवश्य नियुक्त करें, सम्पत्तियों, और उधार की जानकारी जुटाना, कर्ज का भुगतान, और अंत में वसीयत के अनुसार सम्पत्ति का बंटवारा करना इसका मुख्य काम होता है.

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-वसीयत अच्छी क्वालिटी के ए फोर साइज के पेपर पर अथवा हरे रंग के बहीखाता पत्र पर साफ शब्दों में लिखकर या प्रिंट करवाएं क्योंकि ये पेपर समय के साथ खराब नहीं होते.

– वसीयत को मोड़े बगैर बड़े लिफाफे या प्लास्टिक के मोटे फोल्डर में सुरक्षित रखें.

सार्कोमा कैंसर: घबराएं नहीं करवाएं इलाज

आज हम इतने अधिक बिजी हैं कि खुद का ध्यान ही नहीं रख पाते हैं. ऐसे में अनजाने में अनेक बीमारियों की गिरफ्त में आते हैं. फिर चाहे बात हो उसमें कैंसर जैसी घातक बीमारी की. बता दें कि  दुनिया भर में वर्ष 2020 में 10 मिलियन के करीब लोगों की मृत्यु का कारण विभिन्न तरह के  कैंसर हैं. क्योंकि हम खुद का ध्यान नहीं रखने के कारण शुरुवाती लक्षणों को इग्नोर जो कर देते हैं और जब स्तिथि हमारे हाथ से निकल जाती है तब तक जान पर आ बनती है. आपको बता दें कि  सार्कोमा कैंसर भले ही आम नहीं है. लेकिन ये तेजी से बढ़ने वाला कैंसर है. इसलिए समय रहते इसके लक्षणों को पहचान कर इलाज करवाने की जरूरत होती है. आइए जानते हैं इस बारे में मणिपाल होस्पिटल के कंसल्टेंट ओर्थोपेडिक ओंको सर्जन डाक्टर श्रीमंत बी एस से.

क्या है सार्कोमा कैंसर

सोफ्ट टिश्यू सार्कोमा एक प्रकार का कैंसर है, जो शरीर के चारों और मौजूद टिश्यू में हो जाता है. इसमें मांसपेशियों , वसा , रक्त वाहिकाओं, तंत्रिकाओं के साथसाथ जोइंट्स भी शामिल होते हैं. वयस्कों की तुलना में इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे व उसके बाद युवा आते हैं. और ये कैंसर तब और अधिक घातक हो जाता है, जब ये अंगों में फैलना शुरू हो जाता है. इसलिए इसके लक्षण नजर आते ही तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए, वरना ये जानलेवा भी साबित हो सकता है.

कब होता है 

वैसे तो इसके किसी खास कारण के बारे में नहीं पता है. लेकिन ये आमतौर पर तब होता है , जब कोशिकाएं डीएनए के भीतर विकसित होने लगती हैं .

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कैसे पहचाने  

– हड्डियों में दर्द होना, खासकर के रात के समय. जिसके कारण सोने में दिक्कत महसूस होना.

–  सूजन के साथ बड़े आकार की गांठ बनने लगती है, जो तेजी से बढ़ती जाती है.

– चलते समय सामान्य से गिरने या जख्म के कारण हड्डी का टूटना.

– पेशाब के साथ कई बार ब्लड का आना.

– पेट में बहुत तेज दर्द होना.

– उल्टी जैसी फीलिंग होना.

– हड्डियों में दर्द होना.

अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं , ताकि जरूरी जांच से बीमारी के बारे में पता लगाकर समय पर इलाज शुरू किया जा सके.

हड्डियों के कैंसर कितने प्रकार के होते हैं

ये निर्म प्रकार के होते हैं –

– ओस्टोओसाकोमा

– इविंगज़ सार्कोमा

– कोंड्रोसार्कोमा

– एडमोंटीनोमा

हड्डियों के कैंसर के निदान के लिए कौन से टेस्ट्स

– एक्सरे (प्लेन रेडियोग्राफ )

– ब्लड टेस्ट्स

– एमआरआई या सिटी स्कैन

– बायोसपी

– होल बोडी स्कैन.

कौनकौन से उपचार उपलब्ध हैं – 

सबसे पहले कैंसर की स्टेज व कैंसर के टाइप को देखकर डॉक्टरों की टीम इलाज शुरू करती है. इसके उपचार के लिए कीमोथेरेपी, सर्जरी या रेडियोथेरेपी का सहारा लिया जाता है. बता दें कि 10 पर्सेंट से अधिक हड्डियों के कैंसर के मामले में लिम्ब सालवेज सर्जरी से उपचार किया जाता है. इससे अवयव यानि अंग बच सके. वहीं बाकि उपायों से भी उस गांठ को निकाला जाता है. ताकि व्यक्ति फिर से सामान्य जीवन जी सके.

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सर्जरी या ट्रीटमेंट के दौरान–  

किन बातों का रखें खयाल 

– नियमित जांच के साथ हर 3 – 6 महीने के अंतराल में स्कैन.

– अपनी डाइट का खास खयाल रखना.

– डाक्टर द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करना.

– कोई भी लक्षण दिखाई देने पर डाक्टर से संपर्क करना.

– दवाओं को सही समय पर लेना.

– शरीर पर भार पड़ने वाली किसी भी एक्टिविटी से थोड़े समय तक दूरी बना कर रखना.

– ट्रीटमेंट के दौरान या सर्जरी के बाद बिना पूछे किसी भी दवा का सेवन नहीं करना.

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