43 साल की उम्र में Anupamaa ने कराया Glamourous फोटोशूट, PHOTOS VIRAL

सीरियल अनुपमा जहां टीआरपी चार्ट्स में पहले नंबर बना हुआ है तो वहीं दर्शकों के बीच सीरियल धमाल मचा रहा है. तो दूसरी तरफ शो की कास्ट की फैन फौलोइंग भी बढ़ गई है. इसी बीच शो में सीधी साधी अनुपमा के रोल में नजर आने वाली रुपाली गांगुली ने एक फोटोशूट करवाया है, जो सोशलमीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. आइए आपको दिखाते हैं अनुपमा का स्टाइलिश अवतार की झलक…

‘अनुपमा’ ने करवाया फोटोशूट

 

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सीरियल अनुपमा की बढ़ती फैन फौलोइंग के बीच रुपाली गांगुली ने एक फोटोशूट करवाया है, जिसमें रुपाली गांगुली का कॉन्फिडेंस साफ नजर आ रहा है. वहीं उनका लुक सीरियल में अनुपमा के किरदार से बिल्कुल अलग नजर आ रहा है.

 

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सेट पर करती हैं मस्ती

 

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43 साल की रुपाली गांगुली इस फोटोशूट में अपने चुलबुलेपन से फैंस को खुश कर रही हैं. वहीं सोशलमीडिया पर अनुपमा यानी रुपाली अपने लुक और मस्ती की कई फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं.

 

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सेल्फी की शौकीन हैं रुपाली

 

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अनुपमा की सादगी और शांत से बिल्कुल हटकर रुपाली गांगुली सेट पर अपनी मस्ती के लिए फेमस हैं. वहीं सेट पर वह अक्सर सेल्फी खीचतीं हुई नजर आती हैं.

इस सीरियल से बनाई थी पहचान

 

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सीरियल की दुनिया में सालों बाद वापस एंट्री करने वाली रुपाली इससे पहले सारा भाई वर्सेस साराभाई सीरियल से फैंस के बीच काफी पौपुलर हो गई थीं. हालांकि वह अपनी फैमिली को समय देना चाहती थीं इसीलिए वह एक्टिंग की दुनिया से दूर चली गईं थीं.

 

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बता दें, एक इंटरव्यू में रुपाली गांगुली ने खुलासा किया है कि उनका बेटा सीरियल अनुपमा नही देखता है. दरअसल, एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने कहा है कि ‘जब मेरा बेटा 7 साल का था तो मैं शोज में वापसी कर चुकी थी. ऐसे में वह सोचता है कि मम्मा को वो चीज उससे दूर कर रही है.’ इसीलिए वह सीरियल देखना पसंद नही करता.

शादी के 7 साल बाद मां बनीं Anita Hassanandani, बेटे को दिया जन्म

बौलीवुड से लेकर टीवी सीरियल ‘ये है मोहब्बतें’ (Yeh Hai Mohabbatein) से फैंस का दिल जीत चुकी एक्ट्रेस अनीता हसनंदानी (Anita Hassanandani) ने प्रैग्नेंसी की खबर के बाद से सुर्खियों में छाई रहती हैं. वहीं फैंस उनकी बच्चे की जन्म की खबर का इंतजार करते रहते हैं. इसी बीच अनीता हसनंदानी ने फैंस को अपनी डिलीवरी होने की खुशखबरी शेयर करके फैंस को चौंका दिया है.

पति ने दी फैंस को खुशखबरी

एक्ट्रेस अनीता हसनंदानी के पति रोहित रेड्डी (Rohit Reddy) ने मैटरनिटी फोटोशूट की क्यूट फोटो शेयर करते हुए फैंस के साथ खुशखबरी शेयर करते हुए बताया है कि  है अनीता ने बेटे को जन्म दिया है. वहीं इस पोस्ट के साथ एक कैप्शन में रोहित ने लिखा- ‘ओह बॉय….’

 

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एकता कपूर ने दिया पूरा साथ

 

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प्रोड्यूसर एकता कपूर (Ekta Kapoor) और अनीता हसनंदानी की बेस्टफ्रेंड का साथ देते हुए उनकी डिलीवरी के समय मौजूद थी. वहीं अनीता की डिलीवरी के बाद एकता ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें अनीता और रोहित का पूरा परिवार बेहद खुश नजर आ रहे हैं और उनका पूरा परिवार चहक रहा है.

बता दें, ‘नागिन 4’ (Naagin 4) एक्ट्रेस ने हाल ही में एक प्रेग्नेंसी फोटोशूट भी करवाया था, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं ये फोटोज फैंस को इतनी पसंद आई थी कि वह सोशलमीडिया पर तेजी से वायरल भी हो गई थी. हालांकि अनीता हसनंदानी की प्रैग्नेंसी को लेकर फैंस उन्हें ट्रोल भी कर रहे थे. दरअसल, ट्रोलर्स कह रहे हैं कि 50 की उम्र में मां बनने का क्या फायदा है. हालांकि अनीता के पति यूजर्स को करारा जवाब दे रहे हैं.

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धार्मिक ढकोसले परेशान करते हैं, सांत्वना या साहस नहीं देते

जब मेरे पापा की मृत्यु हुई, पडोसी, रिश्तेदार, पंडितों का ज्ञान रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, खूब पूजा पाठ, दान दक्षिणा की बात की जा रही थी, पापा टीचर थे, कई दिनों की बीमारी को झेल रहे थे, एम्स में उनका इलाज चलता रहा था, वहीँ लम्बे समय से एडमिट थे, मुज़फ्फरनगर से दिल्ली आने जाने में मम्मी और हम तीन भाई बहन काफी चक्कर लगा रहे थे, अब उनके जाने के बाद मम्मी के सामने और भी जरुरी चीजें थीं पर जैसा कि हमारे समाज में होता है कि जो धर्म ग्रंथों में लिख दिया गया है, वही सच है, आम इंसान अपना आगे का जीवन कैसे जियेगा, इसकी चिंता धर्म के नियम बनाने वालों को कम रही है, खैर, मम्मी भी चूँकि टीचर थीं, तो उन्होंने अच्छी तरह से सोचा समझा और साफ़ कहा कि मैं किसी भी धार्मिक रीति में वो गाढ़ी  कमाई का पैसा खर्च नहीं करुँगी जो हमने अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए रखा है, वो बचा हुआ पैसा मैं इन ढकोसलों में नहीं उड़ाऊँगी,  सबका मुँह बन गया कि पढ़ लिख कर ऐसे ही दिमाग खराब हो जाता है, अब अपने मन की करेंगीं! अति आवश्यक कार्य पूरे कर लिए गए, पर मम्मी के साथ सबका व्यवहार ऐसा था कि पता नहीं मम्मी ने कितना  बुरा काम कर दिया है जो वे रिश्तेदारों, पड़ोसियों, पंडितों की बात मानने के लिए तैयार नहीं हुईं, काफी लम्बे समय तक वे लोगों की नाराजगियाँ झेलती रहीं. पद्रह दिन बाद जब उन्होंने स्कूल जाना शुरू किया तो पड़ोस की कुछ महिलाएं उनके स्कूल निकलने के समय गेट पर आ गयीं और कहने  लगीं, ”कम से कम एक महीना  तो शोक मना लेतीं, आप तो बड़ी जल्दी तैयार होकर चल दीं. ”

मम्मी ने कहा, ”मुझे अपनी छुट्टियां आगे के लिए भी बचा कर रखनी हैं, पता नहीं, कब जरुरत पड़ जाए.‘’

एक महिला ने कहा, ”आपने सफ़ेद कपडे भी नहीं पहने !आप तो कोई भी नियम नहीं मानती हैं.‘’

मम्मी ने कहा, ”बच्चों ने कहा है कि मम्मी अब तक जैसे आप रहतीं थीं, वैसे ही रहना,  नहीं तो हमारा दिल उदास होगा !”

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महिलाओं का कहना था, ”बच्चे कहाँ जानते हैं धर्म कर्म की बातें, आपको खुद ही सोचना चाहिए कि इतनी जल्दी आप तैयार होकर निकल लीं, हमें तो देख कर ही अजीब लग रहा है !”

मम्मी फिर चुपचाप स्कूल चली गयीं, हम वहीँ खड़े थे, बड़ों की बातों में बीच में नहीं बोले थे पर यह दृश्य याद रह गया. यह बात मन में बैठ गयी कि धर्म के नाम पर इंसान को काफी मजबूर किया जाता है, जब एक परिवार किसी अपने के जाने के बाद दुःख में डूबा हो, ये ढकोसले उसकी हिम्मत तोड़ रहे होते हैं. यह कहने वाले चुनिंदा लोग ही होते हैं कि धर्म की जंजीरों से खुद को आज़ाद कर जैसे जीना हो, जी लो.

एक परिचित शुक्ला दंपत्ति हैं, मुंबई में तीस सालों से रहते  है, उनके सारे रिश्तेदार दिल्ली में रहते हैं, दिल्ली में किसी के घर भी कोई दुःख सुख हो, इनका जाना जरुरी होता है, चाहे इस परिवार का कोई भी जरुरी काम यहाँ मुंबई में हो, चाहे यहाँ घर में कोई बीमार हो, दिल्ली में अगर किसी रिश्तेदार के यहाँ कुछ भी हो, इन्हे सब छोड़ कर जाना होता है, ये मीरा शुक्ला अपनी परेशानी शेयर करते हुए बताती हैं, ”किसी की भी डेथ हो, उसकी तेरहवीं तक रुकना पड़ता है, सारे धर्म कर्म के समय यहाँ से जाकर हाजिर रहना पड़ता है, कभी बच्चों के एक्जाम्स  भी चलते हैं तो बीच में भागना पड़ता है नहीं तो सब ऐसे ऐसे ताने देते हैं कि पूछिए मत, कहते हैं, मुंबई जाकर सब भुला दिया, धर्म के नाम पर बहाने नहीं करने हैं, जो धार्मिक रस्में हैं, सब अटेंड करनी हैं, बार बार भागना पड़ता है, हर साल कितने रुपए तो इन ढकोसलों में भाग भाग कर जाने में ही खर्च हो जाते हैं, ऊपर से यहाँ बच्चे अकेले कितने परेशान होते हैं, इससे किसी को मतलब ही नहीं !”

शामली निवासी प्रीती जब विवाह करके ससुराल आयी, धर्म के नाम पर पंडितों पर खूब लुटाने वाले सास ससुर को देख कर हैरान थी, वह बताती है, ”कहाँ तो सास ससुर इतने कंजूस कि पूछिए  मत, पर अगर घर आने वाले पंडित ने किसी भी नाम से एक लिस्ट पकड़ा दी, तो वह जरूर पूरी की  जाती. हमने जब नयी कार ली, पंडित जी को बुलाया गया और उसे हमसे मोटी दक्षिणा दिलवाई गयी, मना करने का सवाल ही नहीं पैदा होता था, वरना खराब बहू का तमगा मिलने में देर न लगती. ससुराल के पंडितों ने हमारा खूब खर्च करवाया है,  कभी कुछ बोल भी नहीं पाए. बस, अपनी मेहनत की कमाई धर्मांध, अंधविश्वासी सास ससुर के कहने पर लुटाते रहे.हम पति पत्नी दिल्ली में काम करते हैं, हमें कई बार कई मौकों पर पंडित के बताये हुए मुहूर्त से काम करना पड़ता है, जो काफी असुविधाजनक होता है पर कुछ नहीं कर सकते.‘’

ऐसा भी नहीं है कि छोटे शहरों के परिवारों में ही ऐसा होता है, बड़े बड़े शहरों के परिवारों में भी धार्मिक ढकोसलों में इतना पैसा, एनर्जी , समय खराब किया जाता है कि इंसान चाहे तो इसके बजाय कुछ और सार्थक कर ले. धर्म के नाम पर होने वाले काम इंसान को हौसला नहीं देते, बल्कि उसे मानसिक रूप से कमजोर करते हैं.

कई बार लोग धर्म के हर नियम को मानने से यह समझते हैं कि अब उन्हें कभी कोई कष्ट नहीं पहुंचेगा क्योकि वे तो धार्मिक प्रवृत्ति के हैं पर भला ऐसा कभी हुआ है कि अंधविश्वासी होना सुखी रहने की गारंटी हो सकता है ? एक और परिचिता हैं शबाना खान, इन्हे शक हुआ कि इनके पति का किसी से अफेयर है, झट से एक मौलवी  को अकेले में घर बुलाया, झाड़ फूंक कराई, सर्वज्ञानी मौलवी ने भी कह दिया कि किसी का साया है, इन्होने उसके कहने पर पता नहीं कितने पैसे उसे दे दिए कि वही कुछ पढ़ पढ़ कर उसके पति को सही रास्ते पर लाये,  यह कोई अनपढ़ महिला नहीं हैं, टीचर रही हैं, बच्चों को आज भी ट्यूशंस पढ़ाती हैं. अब कोई इनसे पूछे कि मौलवी की हर बात को सही मानने की पीछे क्या तर्क है, यही न कि वे धर्म, मजहब की बड़ी बड़ी बातें करते हैं, बस, और क्या! धर्म के नाम पर हम सब ऐसे क्यों हो जाते हैं कि कोई तर्क नहीं करते, सच से भागते हैं, कोई सवाल करता है तो उसे नास्तिक कहकर उसका अपमान कर देते हैं.

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हमारी सोसाइटी में दो फ्रेंड्स पार्क में एक साथ सैर करती हैं, एक महिला क्रिस्चियन है, नीलम, दूसरी दलित हैं,  सीमा,  जब इन्हे पता चला कि सीमा  के पति बहुत बीमार रहते हैं तो इन्होने उन्हें कहना शुरू किया, ”मैं आजकल आपके लिए चर्च में प्रेयर्स कर रही हूँ, सीमा  काफी प्रभावित हुई,  पति को जो थोड़ा आराम मिला था,  उसका कारण चर्च में की गयी प्रेयर्स का नतीजा लगा  तो धीरे धीरे नीलम  के कहने पर  पूरे परिवार ने ईसाई धर्म ही स्वीकार कर लिया,  आर्थिक रूप से भी मदद मिली तो सीमा का परिवार तो नीलम के साथ भक्ति में रंग गया,  हर संडे चर्च जाना नियम बन गया, इलाज पर ध्यान कम दिया जाने लगा जिसके कारण सीमा के पति की तबियत खूब बिगड़ी,  इतनी कि संभलने में घर का हिसाब ही बिगड़ गया, नीलम के पास भागी,  उसने कन्नी काट ली,  दोस्ती में दरार आयी सो अलग !  पति की गंभीर बीमारी को  भूल धर्म के बड़े बड़े उपदेश में डूब कर सीमा ने आर्थिक, मानसिक कष्ट इतना सहा कि खुद भी बीमार पड़ गयी,  डॉक्टर्स से अलग डांट पड़ी,  लोगों ने अलग ताने मारे, मजाक उड़ाया, कि न यहाँ के रहे, न वहां के!

बनारस की मोनिका अपना अनुभव कुछ यूँ बताती हैं, “मैं एक बार बहुत बीमार पड़ी, मैं बेड से उठ ही नहीं पा रही थी, तेज बुखार था, पति टूर पर थे,  पर ऐसी हालत में भी मुझे ही खाना बनाने के लिए आदेश देकर मेरी सासू माँ गुरुद्वारे चली गयीं क्यूंकि उन्हें वहां रोटी बनानी थी,  अपनी सेवा देनी थी जो उनका सालों से चलता आया एक नियम था,  मुझे इस बात में कोई भी आपत्ति नहीं थी पर मेरी इतनी खराब तबीयत में भी वह मेरा ध्यान न रख कर एक दिन भी अपना यह नियम नहीं छोड़ पायीं,  यह बात हमेशा मेरे दिल में चुभी. आँखों के सामने परिवार के ही किसी सदस्य  की हालत इतनी खराब हो,  उसमे भी उनका उस दिन गुरुद्वारे जाकर पुण्य कमाना थोड़ा खल गया.”

होना यह चाहिए कि इंसान के काम आना धर्म हो, इंसानियत सबसे अहम हो. ढकोसलों से दूर रहें, टी वी पर अंधविश्वास फैलाते प्रोग्राम देखना बंद करें,  पत्रिकाएं पढ़ें, किताबें पढ़ें, आज तक पढ़ने के शौक ने किसी का कोई नुकसान नहीं किया है,  पढ़ें,  दिमाग को इन ढकोसलों से आज़ाद करें, ये सिर्फ इंसान को बाँध कर रखते हैं, इनसे जीवन में कोई फ़ायदा नहीं होता.

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ताकि सांसें महकती रहें

कोई व्यक्ति भले चेहरे से कितना भी सुंदर क्यों न हो, अगर बात करते या हंसते दौरान उस के मुंह से दुर्गंध आए तो सारी सुंदरता धरी की धरी रह जाती है. सांस की दुर्गंध की समस्या का सामना अकसर लोगों को करना पड़ता है.

मुंह से आने वाली दुर्गंध को मैडिकल भाषा में हेलिटोसिस कहते हैं. सांस की दुर्गंध कई कारणों से हो सकती है जैसेकि मुंह का सूखापन, खाने में प्रोटीन, शर्करा या अम्ल की अधिक मात्रा, धूम्रपान, प्याज और लहसुन खाना, कोई लंबी बीमारी, कैंसर, साइनस इन्फैक्शन, कमजोर पाचनशक्ति, किडनी में समस्या, पायरिया या दांत की सड़न आदि. अच्छी ओरल हैल्थ आदतों को अपनाने से और अपने आहार एवं जीवनशैली बदलने से दुर्गंध से छुटकारा पा सकते हैं:

मुंह की अच्छी तरह सफाई

रोज दांतों को अच्छी तरह साफ करें. दिन  में 2 बार कम से कम 2 मिनट के लिए ब्रश करें. ध्यान रखें कि ब्रश ज्यादा हार्ड न हो. ब्रश को  2-3 महीनों में बदलते रहें. सिर्फ दांत ही नहीं, बल्कि जीभ की साफसफाई भी बेहद जरूरी है. खानेपीने की वजह से जीभ पर एक परत जम जाती है, जो सांस की बदबू का कारण बन  सकती है.

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अत: रोजाना टंग क्लीनर की मदद से जीभ भी जरूर साफ करें. जीभ के ऊपर पीछे से आगे की तरफ ब्रश करें और जीभ के कोनों को भी साफ करना न भूलें.

दांतों को फ्लौस करें

फ्लौस करने से दांतों के बीच से प्लैक और बैक्टीरिया निकल जाते हैं जो ब्रश से नहीं निकलते. दिन में कम से कम 1 बार फ्लौस जरूर करें. फ्लौस करने से मुंह में फंसे भोजन के कण और अवशेष भी निकल जाते हैं. ऐसा न करने से दांत सड़ सकते हैं.

माउथवाश का इस्तेमाल

सांस की दुर्गंध दूर करने के लिए माउथवाश का इस्तेमाल करना एक बेहतर औप्शन है. ऐंटीसैप्टिक माउथवाश मुंह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म कर देता है और गंदी दुर्गंध को छिपाने में भी मददगार होता है.

ऐसे माउथवाश का इस्तेमाल करें, जिस में क्लोरहेक्सिडाइन, सैटिलपिरीडिनियम क्लोराइड, क्लोरीन डाइऔक्साइड, जिंक क्लोराइड और ट्राइक्लोसैन मौजूद हों. ये बैक्टीरिया को खत्म करते हैं. माउथवाश से अच्छी तरह कुल्ला व गरारे करें.

सांसों को महकाने और बदबू दूर करने के लिए बाजार में कई तरह के माउथ फ्रैशनर्स उपलब्ध हैं, जिन में प्रमुख हैं, कौलगेट वेदशक्ति माउथ प्रोटैक्ट स्प्रे, लिस्ट्रीन फ्रैश बर्स्ट माउथवाश, लिस्ट्रीन कूलमिंट माउथवाश, एलबी ब्रीथ हर्बल शुगर फ्री बे्रथ फ्रैशनर स्पे्र, कौलगेट प्लाक्स पेपरमिंट माउथवाश, बायोआयुर्वेदा ऐंटी बैक्टीरियल जर्म डिफैंस माउथवाश, स्प्रमिंट माउथ फ्रैशनर, लीफोर्ड फैदर ग्लोबल जियोफ्रैश आयुर्वेदिक इंस्टैंट कूल, मिंट माउथ फ्रैशनर, जिओफ्रैश आयुर्वेदिक इंस्टैंट माउथ फ्रैशनर, पतंजलि माउथ फ्रैशनर, बायोटिन ड्राई माउथवाश, त्रिसा डबल ऐक्शन टंग क्लीनर आदि.

शुगर फ्री गम या मिंट का इस्तेमाल

शुगर फ्री गम या मिंट आप के मुंह में लार तैयार कर हानिकारक बैक्टीरिया बाहर निकालने में मदद करते हैं. ये आप की दुर्गंधयुक्त सांस को कुछ समय के लिए छिपा भी सकते हैं.

बेकिंग सोडा का इस्तेमाल

दांतों को बेकिंग सोडा से हफ्ते में एक बार ब्रश करने से बैक्टीरिया काफी हद तक खत्म हो जाते हैं. ब्रश के ब्रिसल पर हलका बेकिंग सोडा लगा कर सामान्य रूप से ब्रश कर सकते हैं या फिर बेकिंग सोडा का इस्तेमाल माउथवाश के तौर पर भी किया जा सकता है.

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खानपान में सुधार

अधिक मसालेदार खाना, प्याज, लहसुन, अदरक, लौंग, कालीमिर्च आदि का सेवन मुंह की बदबू का कारण बन सकता है. इन का प्रयोग कम करें और जब भी करें तब कुल्ला या ब्रश कर के मुंह को साफ रखें. कौफी और शराब का सेवन न करें. नाश्ते में साबुत अनाज का प्रयोग करें. स्मोकिंग से बचें व तंबाकू से बचें.

Winter Special: हरेभरे अप्पे

अगर आप अपनी फैमिली के लिए ब्रेकफास्ट में हेल्दी और टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो हरे भर अप्पे की ये रेसिपी ट्राय करना ना भूलें. हरेभरे अप्पे की रेसिपी हेल्दी और टेस्टी होती है, जिसे आसानी से बनाया जा सकता है.

हमें चाहिए

–  1 कप सूजी

–  2 बड़े चम्मच दही

–  1 बड़ा चम्मच धनियापुदीने की चटनी

–  1 छोटा चम्मच सरसों के दाने

–  1/2 बड़ा चम्मच ईनो

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–  पानी आवश्यकतानुसार

–  नमक स्वादानुसार.

सामग्री भरावन की

–  1 प्याज बारीक कटा

–  1/2 कप मटर उबले हुए

–  एकचौथाई चम्मच जीरा

–  एकचौथाई चम्मच चाटमसाला

–  1 बड़ा चम्मच मूंगफली भुनीकुटी हुई

–  तेल आवश्यकतानुसार

–  थोड़े से करी पत्ते.

बनाने का तरीका

सूजी में दही, पानी, नमक व पुदीना का पेस्ट मिला कर इडली जैसा मिश्रण बना लें. इसे थोड़ी देर रखा रहने दें. 10 मिनट बाद चैक करें. यदि यह मिश्रण थोड़ा गाढ़ा लगे तो इस में थोड़ा सा पानी और मिला लें.

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विधि भरावन की

भरावन के लिए एक पैन में तेल गरम करें. उस में जीरा डाल कर प्याज को गुलाबी होने तक भूनें. बाकी सारी सामग्री मिला कर अच्छी तरह भून लें. इस मिश्रण में पानी नहीं रहना चाहिए. अप्पे पैन गरम करें. उस के खांचों में थोड़ा तेल लगाएं, सरसों के दाने और करीपत्ते डालें. अब सूजी के तैयार मिश्रण में ईनो मिलाएं और अप्पे पैन के खांचों में आधा भरने तक मिश्रण डालें. भरावन के तैयार मटर की छोटीछोटी गोलियां बना कर इस मिश्रण के ऊपर रखें और फिर ऊपर सूजी का मिश्रण डाल दें. इसे ढक कर 5 मिनट तक पकाएं. ढक्कन खोल कर इन्हें पलट दें. दोनों तरफ से सुनहरा होने तक पका लें. हरी चटनी के साथ गरमगरम परोसें.

क्या महिला कंडोम सुरक्षित है?

सवाल

मैं 24 वर्षीय शादीशुदा महिला हूं. मेरी शादी हाल ही में हुई है. हम फिलहाल बच्चा नहीं चाहते. गर्भनिरोध के लिए पति कंडोम का इस्तेमाल करते हैं. सैक्स को आनंददायक बनाने के लिए यों तो बाजार में कई प्रकारों व फ्लेवर्स में कंडोम्स उपलब्ध हैं पर मैं ने महिला कंडोम के बारे में भी सुना है. क्या यह सुरक्षित है और सैक्स को मजेदार बनाता है?

जवाब-

पुरुष कंडोम की तरह महिला कंडोम भी गर्भनिरोध का आसान व सस्ता विकल्प है. महिला कंडोम न सिर्फ प्रैगनैंसी को रोकने में सक्षम है बल्कि यह सैक्स के पलों को भी रोमांचक बनाता है.

महिला कंडोम ‘टी’ शेप में होता है, जिसे वैजाइना में इंसर्ट करना होता है. शुरूशुरू में यह प्रक्रिया जटिल जरूर लग सकती है पर इस का इस्तेमाल बेहद आसान है और यह सैक्स को आनंददायक बनाता है. यह पूरी तरह सुरक्षित भी है. इस की डबल कोटिंग मेल स्पर्म को आसानी से सोख लेती है.

वैजाइना में इंसर्ट के दौरान इस की आंतरिक रिंग थोड़ी लचीली हो जाती है और बाहरी रिंग वैजाइना से 1 इंच बाहर रहती है.

सैक्स के दौरान इस कंडोम की बाहरी रिंग वैजाइना की बाहरी त्वचा को गजब का उत्तेजित करती है और सैक्स के पलों को मजेदार बनाती है.

इसे सैक्स से कुछ घंटे पहले भी लगाया जा सकता है. सब से अच्छी बात यह है कि कंडोम लगाए हुए बाथरूम भी जाया जा सकता है.

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महान मनौवेज्ञानिक सिगमंड फ्रौयेड ने कहा था, ‘कोई महिला-पुरुष जब आपस में शारीरिक सम्बन्ध बनाते हैं, तो उन दोनों के दिमाग में 2 और व्यक्ति मौजूद रहते हैं. जो उसी लम्हे में हमबिस्तर हो रहे होते हैं.’ इस बात को पढ़ते हुए मैं अचरज में था कि क्या ऐसा सच में होता है? अगर होता है तो ऐसा क्यों होता है?

यह साल था 2007. मैं उस वक्त 15 साल का टीनेज था और 9वीं क्लास में पढ़ रहा था. मुझे आज भी याद है, पहली बार क्लास में मेराएक क्लासमैटएक ‘पीले साहित्य की किताब’ ले कर आया था. जिस के कवर पेज पर एक जवान नग्न महिला की तस्वीर थी. किसी महिला को इस तरह नग्न देखना शायद मेरा पहला अनुभव था. जिसे देख कर उत्तेजना के साथ घबराहट भी होने लगी थी. आज के नवयुवक पीला साहित्य से परिचित नहीं हों तो उन्हें बता दूं यह आज के विसुअल पोर्न का प्रिंटेड वर्जन था.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- आपकी पोर्न यात्रा में रुकावट के लिए खेद है…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेकअप में इन बातों का रखें खयाल 

आज चाहे घर से दो कदम दूर जाना हो या फिर किसी पार्टी फंक्शन में, मेकअप के बिना बाहर निकलना किसी भी लड़की या महिला को गवारा नहीं होता. उन्हें लगता है कि इसके बिना उनके चेहरे की रौनक फीकीफीकी सी लगेगी. लेकिन कई बार मेकअप से खूबसूरत बनने के चक्कर में उनका चेहरा खूबसूरत लगने के बजाय अजीब लुक देने लगता है. क्योंकि वे मेकअप की सही तकनीक से अनजान जो रहती हैं. ऐसे में अगर आप चाहती हैं कि मेकअप के बाद भी आपका चेहरा नेचुरल लगे और किसी को पता भी नहीं चले कि आपने मेकअप अप्लाई किया हुआ है तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें.

1. फेस को क्लीन करें 

अगर आप बिना फेस को क्लीन करे चेहरे पर कोई भी क्रीम या फिर मेकअप अप्लाई करेंगी, तो उससे आपकी स्किन के ख़राब होने के साथसाथ आपका मेकअप भी अच्छे से सेट नहीं होगा. इसलिए चेहरे को  पानी, टोनर से जरूर क्लीन करें. क्योंकि इससे स्किन पर जमी गंदगी रिमूव होने से स्किन क्लीन व सोफ्ट बनती है.

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टोनर हर स्किन टाइप पर सूट करता है और मिनटों में स्किन की गंदगी को रिमूव कर देता है. आपको मार्केट में टोनर्स के रूप  में स्किन फ्रेशर्स, जो काफी माइल्ड होते हैं. क्योंकि इसमें वाटर के साथ ग्लिसरीन मिला होता है. वहीँ स्किन टोनिक्स थोड़े से स्ट्रौंग होते हैं , क्योंकि इनमें वाटर व ग्लिसरीन के साथ थोड़ा सा अल्कोहल भी होता है. वहीं एस्ट्रिंजेंट्स इनके मुकाबले ज्यादा स्ट्रोंग होते हैं. क्योंकि ये ऑयली और एक्ने स्किन के लिए खास तौर से डिजाईन किये जाते हैं.  इसलिए आप अपनी स्किन टाइप के हिसाब से ही टोनर का चयन करें.

2. मॉइस्चराइजिंग है जरूरी 

चाहे आपकी स्किन ड्राई हो या ऑयली, स्किन को मॉइस्चरिजे करना बहुत जरूरी होता है. वरना इसके अभाव में मेकअप करने पर स्किन फ्लेकी लुक देने के साथसाथ स्किन के डेमेज होने का भी डर बना रहता है. इसके लिए आप लोशन, क्रीम्स, आयल व सीरम का इस्तेमाल इस्तेमाल कर सकती हैं.  क्योंकि ये स्किन को डीप नौरिश करने के साथ स्किन को झुर्रियों से भी बचाने का काम करता है.

बता दें कि अगर आपकी ऑयली स्किन है तो आप लाइट वेट मॉइस्चराइजर का ही इस्तेमाल करें, क्योंकि ये आपकी स्किन के पोर्स को क्लोग नहीं करता और आपकी स्किन भी मॉइस्चरिजे हो जाती है. वहीं अगर आपकी ड्राई स्किन है तो आप ग्लो  और हाइड्रेशन देने वाले मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल करें. मार्केट में आपको विभिन ब्रैंड्स जैसे द बॉडी शॉप, न्यूट्रोजेना, लोटस आदि के अच्छे अच्छे  मॉइस्चराइजर मिल जाएंगे, जिन्हें आप स्किन के हिसाब से खरीद सकती  हैं.

3. प्राइमर को स्किप  करें 

अकसर महिलाएं प्राइमर को जरूरी नहीं समझ का इसे अप्लाई करने वाले स्टेप को स्किप कर देती हैं. लेकिन वे इस बात से अनजान हैं कि प्राइमर न सिर्फ पोर्स व लाइन्स को हाईड करके चेहरे को  सोफ्ट फिनिश देकर मेकअप के  लिए एक परफेक्ट प्लेटफार्म तैयार करता है. वहीं इससे मेकअप लंबे समय तक टिकने के साथसाथ स्किन को पूरी प्रोटेक्शन भी  मिलती  है. इसलिए फाउंडेशन से पहले चेहरे पर प्राइमर जरूर अप्लाई करें.  ये भी स्किन टाइप के हिसाब से होते हैं.  ये जैल फ़ोर्म या क्रीम फ़ोर्म में  मिलते हैं. जिन्हें आप अपनी चोइज के हिसाब से खरीद सकती हैं. बस इस बात का ध्यान रखें कि जिन जगहों पर आपको फाउंडेशन लगाना है जैसे गर्दन व चेहरे पर वहां पर प्राइमर से बेस बनाना न भूलें.

आजकल मार्केट में ऐसे प्राइमर भी आने लगे हैं , जिसके ऊपर आपको फाउंडेशन लगाने की भी जरूरत नहीं है बस आप उसे अकेले लगाकर भी स्किन को क्लीन, ग्लोइंग लुक दे सकती हैं.  इनकी कीमत 700  रुपए से शुरू होती है.

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4. फाउंडेशन का सही तरीका 

अगर  आप फाउंडेशन से अपने स्किन टोन को निखारना चाहती हैं तो उसके सही शैड का चयन करना बहुत जरूरी है. इसके लिए आप उसे अपनी जौलाइन पर लगाकर चेक कर सकती हैं  कि ये स्किन में मर्ज हो रहा है या फिर अलग से दिख रहा है. हमेशा अपने स्किन टोन से 1 – 2 टोन नीचे वाला ही फाउंडेशन का शैड खरीदना चाहिए, वरना  आप अपने मेकअप के कारण लोगों के बीच मजाक का कारण बन सकती हैं. ये फाउंडेशन आपको पाउडर फॉर्म, लिक्विड , वाटर फॉर्म कई तरह के मिल जाएंगे.

अगर आपकी स्किन ड्राई है, तो आपके लिए ऐसे फाउंडेशन अच्छे रहेंगे, जिसमें हाइड्रेट करने वाले तत्व हो. वहीं अगर आपकी तैलीय स्किन है तो आपके लिए पाउडर बेस्ड फाउंडेशन , वहीं सेंसिटिव स्किन वालों के लिए मिनरल आधारित फाउंडेशन ठीक रहेंगे. लेकिन इसे स्किन पर क्रीम की तरह लगाने की भूल न करें. बल्कि डोट डोट करके चेहरे व गर्दन पर अप्लाई करें.  वरना ज्यादा अप्लाई करने पर आपका लुक भद्दा नजर आने लगेगा.

इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप फेस पर फाउंडेशन से लाइट कवरेज देना चाहती हैं तो फिंगर्स की मदद ले सकती हैं. वरना आप फाउंडेशन लगाने के लिए ब्रश या स्पोंज की ही मदद लें. हमेशा अच्छी कंपनी का ही फाउंडेशन खरीदें. क्योंकि इससे स्किन पर लुक भी अच्छा आता है और स्किन को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचता.

5. कोम्पेक्ट पाउडर से दें फाइनल टच 

फाउंडेशन के बाद  कोम्पेक्ट पाउडर से स्किन को फाइनल टच दें. ध्यान रखें कि आपको फेस पर पाउडर से बहुत ही लाइट कोटिंग करनी है. ये आपके फेस को ग्लोइंग बनाने के साथसाथ फाइनल फिनिशिंग देने का भी काम करेगा. आपको मार्केट में मेबेलीन , लैक्मे , रेवलोन , लोरियल , कलर एसेंस जैसी कम्पनीज के  कोम्पेक्ट पाउडर मिल जाएंगे. इसमें कुछ एसपीएफ बेस्ड भी होते हैं , जो आपकी स्किन को सन प्रोटेक्शन देने का भी काम करते हैं. तो फिर  कोम्पेक्ट पाउडर से फाइनल टच देना न भूलें.

इन्हें भी करें इग्नोर 

आखिर में फ्लॉलेस लुक के लिए अपनी चीक्स को ब्लश से हाईलाइट करें. हाइलाइटर आपको मार्केट में डिफरेंट शेड्स जैसे पीच, पिंक, पल्म आदि  शेड्स में मिल जाएंगे, जो काफी डिमांड में है. और साथ ही स्किन को एक दम नेचुरल सा टच देने का काम करते हैं. इसके बाद आप आंखों को काजल व लाइनर से निखार कर आखिर में लिपस्टिक से आपने मेकअप को फाइनल टच देकर दिखें खूबसूरत.

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मां-बाप कहें तो भी तब तक शादी नहीं जब तक कमाऊ नहीं

‘‘बहुत हो गई पढ़ाई. जितना चाहा उतना पढ़ने दिया, अब बस यहीं रुक जा. आगे और उड़ने की जरूरत नहीं. बहुत अच्छे घर से रिश्ता आया है. खूब पैसा है, फैमिली बिजनेस है. लड़का कम पढ़ा-लिखा है तो क्या हुआ, दोनों जेबें तो हरदम भरी रहती हैं उसकी।’’ पिता के तेज स्वर से पल भर को कांपी निम्मी ने अपनी हिम्मत जुटाते हुए कहा, ‘‘पर पापा, मैं नौकरी करना चाहती हूं. इतनी पढ़ाई शादी करके घर बैठने के लिए नहीं की है. और नौकरी कोई पैसे कमाने का लक्ष्य रखकर ही नहीं की जाती, अपनी काबीलियत को निखारने और दुनिया को और बेहतर ढंग से जानने-समझने के लिए भी जरूरी है. मैं जब तक कमाने नहीं लगूंगी, शादी करने के बारे में सोचना भी नहीं चाहती. अच्छा होगा आप मुझ पर दबाव न डालें. मैं मां की तरह हर बात के लिए अपने पति पर निर्भर नहीं होना चाहती, फिर चाहे वह कितने ही पैसेवाला क्यों न हो. और एक बात नौकरी करना या खुद कमाना उड़ना नहीं होता, आत्मसम्मान के साथ जीना होता है.’’ निम्मी की बात सुन उसके पापा को आघात लगा, पर वह समझ गए कि निम्मी उनकी जिद के आगे झुकने वाली नहीं, इसलिए शादी के प्रकरण को उन्होंने वहीं रोकने में भलाई समझी. 

 टूटे सपनों से खुशी नहीं मिलती

निम्मी तो अपने सपनों को पूरा कर पाई, पर कितनी लड़कियां हैं जो ऐसा कर पाती हैं? उन्हें मां-बाप की जिद के आगे हार मानकर शादी करनी पड़ती है, जबकि वे खुद कमा कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हैं. शादी के बाद अपने टूटे सपनों के साथ जीते हुए वे न खुद खुश रह पाती हैं, न ही पति को खुशी दे पाती हैं. 

कंगना रानौत की एक फिल्म आई थी, ‘सिमरन’ जिसमें वह कहती है, 

‘मुझे लगता है मेरी पीठ से दो छोटे-छोटे तितली के जैसे पंख निकल रहे हैं. हवाएं मुझे रोक नहीं सकती, रास्ते मुझे बांध नहीं सकते, मेरे पीठ पर पंख हैं और मन में हौसला है. मैं कभी भी उड़ सकती हूं.’ यह संवाद पहली बार नौकरी पर जाने वाली लड़कियों की भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त करता है. यूं तो नौकरी मिलना या कोई काम करना किसी को भी आत्मनिर्भर और खुद पर भरोसा करने के एहसास से भरता है, लेकिन जब लड़कियों के कमाने की होती है, तो आज भी उसे अलग ढंग से तो देखा ही जाता है साथ ही माना जाता है कि मानो उसने कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है या नौकरी करने का मतलब है झंडे गाड़ना. लड़के के लिए कमाना एक स्वीकृत धारणा है, पर लड़की के कमाने की बात हो तो आज इक्कीसवीं सदी में भी सबसे पहले उसके मां-बाप ही रोड़ा बनकर खड़े हो जाते हैं. 

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बोझ से कम नहीं

‘‘पढ़ लिया, बेशक काबिल हो, पर शादी करो और हमें हमारी जिम्मेदारी से मुक्त करो, वरना समाज कहेगा कि देखो मां-बाप ने लड़की को घर में बिठा रखा है या मां-बाप उसकी कमाई खा रहे हैं.’’ यह जुमला बहुत सारे घरों में सुनने को मिलता है. वक्त बेशक बदल गया है पर लड़की अभी भी मां-बाप के लिए उनकी जिम्मेदारी है या बोझ. मजे की बात तो यह है कि लड़कों की परवरिश उन्हें पैसा कमाने लायक बनाने के लिए की जाती है, बेशक वैसे उनमें किसी चीज की तमीज न हो, पर लड़कियों के लिए हर चीज को आना जरूरी है, उसका सुघड़ पत्नी, मां, बहू होना जरूरी है, और अगर पैसा कमाना भी आ गया तो उसे किस्मत वाली बेशक कहा जाएगा पर योग्य नहीं. कई बार तो इसे पिछले जन्म में उसके अच्छे कर्म करने तक से जोड़ दिया जाता है. 

दृढ़ता से अपनी बात रखें

कोई लड़की कमाने की इच्छुक नहीं है, और मां-बाप शादी करवा देते हैं तो बात अलग है, पर अगर वह कमाने के बाद ही फिर जिंदगी के अगले पड़ाव पर कदम रखना चाहती है तो सही यही होगा कि मां-बाप की जिद के आगे न झुकें. पछतावे के साथ पूरी जिंदगी गुजारने से अच्छा है, पहले ही अपनी बात दृढ़ता से उनके सामने रखें और उन्हें समझाएं कि आखिर क्यों आप कमाना चाहती हैं. 

आजकल लड़कियां आत्मनिर्भर तो हुई हैं, लेकिन केवल 48 प्रतिशत महिलाओं की आबादी में एक-तिहाई से भी कम नौकरी कर रही हैं. इसका कारण भी यही है कि लड़कियों को काम करने के लिए बढ़ावा ही नहीं दिया जाता, और लड़कियां भी ये मानकर बैठ जाती हैं कि मेरा पति अच्छा कमाएगा और वही घर चलाएगा. लेकिन क्या वे इस बात की गारंटी ले सकती हैं कि पति की कमाई निरंतर बनी रहेगी. हो सकता है किसी कारणवश उसकी नौकरी छूट जाए या काम ही ठप्प हो जाए, ऐसे में अगर वह नौकरी करती होगी तो गृहस्थी की गाड़ी रुकेगी नहीं. अपने मां-बाप को यह पहलू भी दिखाएं और खुद भी समझें. 

सकारात्मक बदलाव महसूस होता है

शादी बेशक जीवन का जरूरी हिस्सा है, लेकिन शादी से पहले नौकरी करना भी किसी महत्वपूर्ण पड़ाव से कम नहीं. बात केवल पैसा कमाने की ही नहीं है, वरन नौकरी लड़कियों अनगिनत उपहार देती है, उनमें  आत्मविश्वास पैदा करती है, जिंदगी में विकल्पों की उपलब्धता कराती है, एक सकारात्मक बदलाव और खुद व दूसरों की नजरों में अपने लिए सम्मान अर्जित करवाती है. कानपुर से दिल्ली नौकरी करने आई महिमा जिसने मां-बाप के शादी के दबाव से बचने के लिए अपने शहर से दूर आकर काम करने का निश्चय किया, का मानना है कि ‘‘नौकरी से होने वाले बदलाव लड़की के दिमाग में एक तरह की गूंज पैदा करते हैं, जो कहती है कि अब मैं दुनिया का कोई भी काम कर सकती हूं.’’ यह सच है कि कमाने लगने के बाद लड़की हां चाहे रह सकती है, मनचाहे कपड़े पहन सकती है, खुल कर सांस ले सकती है और सबसे बड़ी बात है कि वह तब अपनों के लिए कुछ भी कर सकती है. कमाने के बाद लड़की को दो चीजें मिलती हैं- आजादी और सम्मान. आजादी का अर्थ मनमानी करना नहीं, वरन अपने सम्मान की रक्षा करते हुए अपनी सोच को किसी बंधन में बांधे जीना है, जो हर किसी के लिए जरूरी होता है, फिर चाहे वह लड़की हो या लड़का. 

खुद तय करें

मां-बाप चाहे लाख शोर मचाएं कि शादी कर लो, लेकिन सबसे पहले किसी लड़की के लिए यह तय करना जरूरी है कि वह शादी करना चाहती है कि नहीं, या कब करना चाहती है. मां-बाप को समझाएं कि आप बोझ नहीं हैं और न ही बनना चाहती हैं, इसलिए ही कमाना चाहती हैं. भारतीय समाज में ज्यादातर लड़कियों की परवरिश सिर्फ शादी करने के लिए हिसाब से की जाती है. सामाजिक असुरक्षा या अकेले रह जाने का डर लड़कियों के मन में इतना भर दिया जाता है कि वे शादी के बिना अपनी जिंदगी सोच भी नहीं सकतीं. यह सवाल बार-बार उनके सामने आकर खड़ा होता रहता है कि इससे बचने के लिए आत्मनिर्भर होना जरूरी है. जबरदस्ती शादी करना कभी सही नहीं होता और इससे लड़की का जीवन बहुत प्रभावित होता है. तलाक के बढ़ते मामलों की भी यह बहुत बड़ी वजह है. माता-पिता को इस बात का एहसास कराना जरूरी है कि शादी के लिए कुछ समय रुका जा सकता है, क्योंकि यह एक बहुत ज़रूरी फैसला है. ऐसा इंसान जिसके साथ पूरा जीवन बिताना है, उसके बारे में फैसला लेने में जल्दबाजी क्यों की जाए. उससे पहले खुद अगर आत्मनिर्भर बन लिया जाए तो फैसला सही ढंग से लिया जा सकता है. 

एक पहचान होगी

कट्टर सोच, जिद और समाज क्या कहेगा, इससे परे हटकर, माता पिता को भी समझना चाहिए की उनकी बेटी अगर आगे बढ़ती है तो उसकी खुद की एक पहचान बनेगी. हमेशा वह अपने पिता, भाई या पति के नाम से ही जानी जाए, क्या यह ठीक होगा? एक कैरियर का होना उसे एक अलग पहचान देगा, और लोग उसे उसके खुद के नाम से पहचानेंगे. यह किसी भी मां-बाप के लिए गर्व की बात हो सकती है. 

माता-पिता को यह भी समझना होगा कि अगर उनकी लड़की काम करती है तो वह अपने साथ-साथ अपने जैसी कितने ही लोगों को हौसला देती है, और अपनी खुशी और संतुष्टि पाने का अधिकार उसे भी है. 

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लड़कों की सोच में भी आया है बदलाव

पिछले कुछ समय से लड़कों के भी शादी करने के समीकरण बदल गए हैं. पहले की तरह वह अब केवल सुंदर या घर के काम में दक्ष पत्नी नहीं चाहता. वह नौकरीपेशा लड़की को पसंद कर रहा है जो आर्थिक रूप से उसकी मदद कर सके. जब लड़के बदल रहे हैं तो मां-बाप क्यों न जिद छोड़ दें और अपनी बेटी को कमाने की अनुमति देकर उसके सुनहरे भविष्य की नींव रखने में मदद करें.

इन 7 टिप्स से बिजली के बिल में करें कटौती

आजकल मार्केट में कईं ऐसी टैक्नौलजी आ गईं हैं, जिसे हम अपनाना नही भूलते, लेकिन जब बिजली का बिल आता है तो हम टैंशन में आ जाते हैं कि ज्यादा बिजली का बिल आया कैसे. आपके घर में कईं ऐसी लाइट्स होंगी, जिसे आपको दिनभर चालू करके रखनी पड़ती है. इसके अलावा भी कईं ऐसी चीजें होती हैं , जिनकी जरूरत हमारे डेली इस्तेमाल के लिए चाहिए होती हैं. इसीलिए आज हम आपको कुछ ऐसी टिप्स या ट्रिक्स बताएंगे, जिसे अपनाकर आपको बिजली के बिल की टैंशन कम करनी पड़ेगी.

1. एलईडी लाइट्स को दें पुराने बल्ब की जगह

अगर आपने बिजली का बिल कम करना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने घर के बल्ब बदलें. पुराने नौर्मल बल्ब की जगह एलईडी बल्ब का इस्तेमाल कीजिए. एलईडी लाइट्स कुछ महंगे जरूर होते हैं, लेकिन इनके इस्तेमाल से आप काफी बिजली की बचत कर सकते हैं.

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2. एयर कंडिशनर को सही रखने की है जरूरत

गर्मियों में एसी का इस्तेमाल शुरू करने से पहले उसकी सर्विसिंग जरूर करा लेनी चाहिए. तापमान की सेटिंग को भी सही रखें. ऐसा करके आप बिजली के बिल में कुछ कमी ला सकते हैं.

3. घर में बेहतर वेंटिलेशन की हो व्यवस्था

अगर आपके घर में वेंटिलेशन सही होगा तो न तो आपको बहुत देर तक पंखा चलाने की जरूरत होगी और न ही लाइट जलाकर रखने की. ऐसे में आसानी से कुछ बिजली बचाई जा सकती है.

4. रोजाना न करें वौशिंग मशीन का इस्तेमाल

क्या आप रोज-रोज वाशिंग मशीन में कपड़े धोते हैं? वौशिंग मशीन में रोज-रोज कपड़े धोना सही नहीं है. मशीन की क्षमता के अनुसार जब कपड़े ज्यादा हो जाएं तो ही मशीन का इस्तेमाल करें.

5. बार-बार मोटर चलाने की बजाय ठीक कराएं प्लंबिंग

अगर आपके घर की कोई पानी की पाइप लीक कर रही है या फट गई है तो उसे ठीक करा लें. हमें पता नहीं चलता है लेकिन सच्चाई यही है कि लीक हो रही पाइप से बूंद-बूंद करके पानी गिरता रहता है और टंकी खाली हो जाती है. जिसे भरने के लिए हमें समय-समय पर टुल्लू या वौटर मोटर चलाना पड़ता है, जिससे बिल बहुत तेजी से बढ़ जाता है.

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6. सोलर ऊर्जा का इस्तेमाल करना रहेगा बेहतर

इन दिनों सोलर ऊर्जा काफी चलन में है. हालांकि शुरुआत में इसमें काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं लेकिन उसके बाद बिजली का बिल लगभग आधा हो जाता है.

7. बिना इस्तेमाल के लाइट्स या मशीन चलाने से बचें

कभी भी बिना वजह बिजली वजह खर्च न करें. अगर आप एक कमरे से दूसरे कमरे में जा रहे हों और इस कमरे में कोई बैठा न हो तो उठने के साथ ही कमरे की लाइट और पंखा बंद कर दें.

कईं बार बिजली का बिल बढ़ने का कारण हम खुद या हमारी फैमिली के सदस्य होते हैं, इसीलिए आप अपनी फैमिली को बिना वजह बिजली का खर्च करने से रोकें. बिना वजह की बिजली खर्च कम करने से आपके बिजली का बिल भरने में आने वाला खर्च आपके किसी और जरूरत के काम में आ जाएगा.

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Valentine’s Day: दीवाली की रात- क्या रूही को अपना बना पाया रूपेश

मैं अपनी रूही से धनतेरस के दिन मिलने वाला था, लेकिन पता चला कि वह आस्ट्रेलिया से लौटी ही नहीं है, तो मेरी व्याकुलता बढ़ गई. क्योंकि मैं मन ही मन चाह रहा था कि इंतजार की घडि़यां जल्दी खत्म हो जाएं. कई रातों से मैं ठीक से सोया भी नहीं हूं. नींद आती भी तो कैसे. कभी उस के बारे में तो कभी अपने बारे में सोचसोच कर मैं परेशान हुए जा रहा हूं. इधर मेरी डायरी के पन्ने प्यार के खत लिखलिख कर भर गए हैं. मैं ने उसे 3 माह पहले एक सौंदर्य प्रतियोगिता में देखा था. मुझे निर्णायक के तौर पर बुलाया गया था. मैं भी इस प्रतियोगिता के लिए आतुर था.

सौंदर्य प्रतियोगिता का चिरप्रतीक्षित दिन आ गया. मैं सुगंधित इत्र लगा कर फैशनेबल कपड़ों में वहां पहुंच गया. वहां का नजारा देख दिल बागबाग हो गया. सरसराते आंचलों और मदभरी सुगंधलहरियों के बीच नाना सुंदरियां खिलखिला रही थीं. रूप का हौट हाट लगा हुआ था. सौंदर्य प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि तथा अन्य अतिथि मंच की ओर प्रस्थान करने लगे. मैं भी उन में शामिल था.

मंच के एक ओर मनमोहक झलक पड़ी. अरे…यह कौन? अनूठा रंगरूप है…ऐसा रूप तो पहले कहीं नहीं देखा था. रूही के रूपवैभव पर तो सारा विश्व गर्व करता है. आज मैं ही नहीं अपितु सारा विश्व इस लावण्यमयी की रूपराशि के समक्ष नतमस्तक होने को आतुर है. ऐसा सौंदर्य मुंबई महानगर में भी नहीं दिखता.

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उस की आवाज में जादू है. विश्वास ही नहीं होता कि ऐसा स्वर भी होता है. वह रूपगुण की धनी थी. उस दिन मैं पहली ही झलक में उस पर मरमिटा था. न जाने कितनी कल्पनाएं कर बैठा था. ऐसा लगा था जैसे मेरी वर्षों की तलाश पूरी हो गई हो. मैं मन में एक प्यारे सपने का घरौंदा संजोने लगा.

उस शाम हमारा एकदूसरे से परिचय हुआ और हम ने एकसाथ चाय पी. उस के साथ बिताए 4 घंटे बेहद खुशनुमा रहे. अब रूही मेरी रूह बन गई. उस का निश्छल स्वभाव, उत्कृष्ट संस्कार, उच्चशिक्षा और खूबसूरत व्यवहार…सब से बढ़ कर उस के चेहरे का भोलापन, उस के द्वारा गाए गीत, ये सब मेरे मन में बैठ गए. दूसरे दिन प्रतियोगिता के फोटो आ गए. वह मेरे रूपरंग और गठीले बदन के साथ खड़ी फब रही थी. मन ही मन मैं सोचने लगा कि हमारी जोड़ी जंच रही है. और मैं मन ही मन उसे अपनी अर्द्धांगिनी के रूप में देखने लगा था. उसे फोन कर बधाई दी और शाम को क्लब में बुला लिया. हमारी लगातार मुलाकातें होती रहीं. उस दिन यह भी पता चला कि उसे 4 फिल्मी गीतों के लिए साइन किया गया है.

यह सुन मुझे खुशी हुई. उसे गले लगा कर मैं ने बधाई दी. उस के व्यवहार से लगा जैसे वह भी मुझे मन ही मन चाहने लगी है या उस की तलाश भी मंजिल की ओर है. मैं जब उसे बुलाता तो वह आ जाती और जब वह बुलाती तो मैं भी सारे काम छोड़ उस के पास दौड़ादौड़ा चला आता. उस के करीब होने का एहसास दिल को इतना खुश कर देता कि मैं खुद गीत लिखने लगा. मेरी दैनिक गतिविधियों में परिवर्तन आने लगा और अब ये सब मुझे भी काफी अच्छा लगने लगा. मैं अब सुबह जल्दी उठ कर सैर के लिए जाने लगा जहां मेरी रूह जाया करती. उस से मिलने की इच्छा मुझ में नई ऊर्जा का संचार करने लगी. वह किसी प्रसाधन का उपयोग नहीं करती थी. वह इतनी सुंदर थी कि उस पर से मेरी नजरें हटती ही नहीं थीं. उस की मुसकराहट ने मेरी दुनिया ही बदल डाली. मेरे पांव जमीन पर नहीं टिकते थे.

एक सुबह जब वह सामने से मुसकराती, जौगिंग करती आ रही थी तो मैं सोचने लगा कि इसे क्या दूं क्योंकि इस के सामने तो दुनिया की हर चीज फीकी लगती है. उस ने आते ही मुसकरा कर देखा और कहा, ‘‘ मैं चाहती हूं कि आप कल मेरे घर डिनर पर आएं.’’

मैं उस का निमंत्रण पा कर फूला नहीं समाया. मैं भी तो रातदिन, उठतेबैठते यही प्रार्थना कर रहा था. आज मुझे अपनी मुराद पूरी होती लगी. उस के घर में प्रवेश करते ही मैं रोमांचित हो गया. फाटक के रोबदार प्रहरियों ने मेरी आदरपूर्वक अगवानी की. वातावरण देख खुशी से मन झूम उठा. रूही के मातापिता ने सस्नेह आशीर्वाद दिया. इधरउधर की तथा मेरे परिवार की खूब चर्चा हुई. रूही उन की एकलौती बेटी थी. मैं ने उन्हें अपना परिचय देते हुए बताया कि मैं श्याम मनोहर दासजी का एकलौता सुपुत्र तथा लोकप्रिय मौडल के साथसाथ उद्योगपति रूपेश हूं, यह सुन कर वे बेहद प्रसन्न हुए.

मेरे मातापिता शहर के नामी लोगों में अग्रणी स्थान रखते हैं तथा उद्योगपतियों की लिस्ट में उन के साथ मेरा नाम भी जुड़ा हुआ है. मेरे लिए कई रिश्ते आ रहे हैं, लेकिन मुझे एक भी नहीं भाता है, न जाने रूही में ऐसा क्या कुछ था, जो मुझे अपनी ओर खींच रहा था. शायद मुझे ऐसी ही लड़की की तलाश थी. एक शाम दोनों परिवारों ने एकसाथ बिताई. फिर संकोच छोड़ हम दोनों भी घुलमिल गए. हम ने एकदूसरे के परिवारों के बारे में भी बात की.

इस दौरान रिकौर्डिंग के सिलसिले में रूही को आस्ट्रेलिया जाना पड़ा. इधर मेरा मन व्याकुल था. मैं बेसब्री से उस का इंतजार कर रहा था. मैं कभी अंदर कभी बाहर जाता. कहीं दिल लगता ही नही था. उस दिन मुझे प्यार की तड़प का सही एहसास हुआ.

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चौथे दिन सुबह होते ही जैसे ही सूचना मिली कि रूही आ गई है, मेरी खुशी का तो ठिकाना ही न रहा था. मैं सोचने लगा कि जिन खुशियों की तलाश में हम सारा जीवन गुजार देते हैं, आखिर वे खुशियां क्या हैं? दार्शनिक इस पर लंबी बहस कर सकते हैं, लेकिन मनोवैज्ञानिकों के अनुसार आत्मसंतुष्टि तथा संसार के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण ही व्यक्ति की खुशी है. सच ही तो है, जीवन में हम जो कुछ भी करते हैं, उस का एकमात्र लक्ष्य खुशियों को पाना ही तो होता है. हमारी जिंदगी में जो कुछ महत्त्वपूर्ण है, जैसे प्यार, विश्वास, सफलता, मित्रता, रिश्ता, चाहत, सैक्स, पैसा सभी खुशियों को बटोरने के साधन ही तो हैं.

कब, कैसे, कहां और क्यों आप खुशी से झूमने लगेंगे? यह आप भी नहीं जानते. खुशियां न बढि़या होती हैं और न घटिया. खुशियां केवल खुशियां होती हैं यानी मन की संतुष्टि कौन, कैसे, किस हाल में पा लेगा और खुश रहेगा यह न तो कोई मनोवैज्ञानिक बता सकता है, न कोई दार्शनिक और न ही डाक्टर, क्योंकि हर इंसान की खुशी उस के आसपास घट रही परिस्थितियों की देन है. किसी व्यक्ति की खुशी अगर प्यार में है लेकिन उस का प्यार किसी कारण से उस से दूर हो गया है और हम उसे फिर भी खुश रहने के लिए कहते हैं तो यह संभव नहीं है क्योंकि खुश इंसान मन से होता है. हर व्यक्ति को अलगअलग चीजों से खुशी मिलती है, जैसे कोई प्यार में खुशी देखता है, तो कोई पैसे में खुशी तलाशता है, किसी के लिए बूढ़े मातापिता की सेवा ही सब से बड़ी खुशी है, तो कोई अनाथ को पाल कर व अनपढ़ को पढ़ा कर खुश हो जाता है.

मुझे सुखद दांपत्य जीवन के लिए सच्चा प्यार चाहिए. साथ ही मैं चाहता हूं कि जो भी मेरा जीवनसाथी बने वह मुझे और मेरे परिवार को समझे और उन्हें सम्मान और प्यार दे. ये सब बातें मुझे रूही में नजर आती थीं. इसलिए ही मैं ने उसे अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला किया.

मैं उसी क्षण मां के पास गया और मन की बात भी उन्हें बता दी. मां को मेरी पसंद अच्छी लगी. उन्होंने यह बात पिताजी को भी बता दी. पिताजी ने सामाजिक औपचारिकताएं निभाते हुए रूही के पिता से बात की. शाम को मैं बाहर जाने की तैयारी में था कि मां और पिताजी कमरे में आए.

‘‘कहीं बाहर जा रहे हो?’’ पिताजी ने पूछा. ‘‘कुछ काम है?’’ मैं ने पूछा.

पिताजी ने बताया, ‘‘मैं ने रूही के पिता से तुम्हारे विवाह की बात कर ली है. उन्होंने कल दोपहर हमें जिमखाना क्लब में लंच के लिए बुलाया है.’’ हम वहां पहुंचे तो जिमखाना क्लब का वातावरण बड़ा शांत था. रूही और उस के मातापिता हमारी अगवानी के लिए खड़े थे.

रूही के पिता ने रूपेश से पूछा, ‘‘आप बेंगलुरु के हैं हम मंगलौर के, दोनों के रहनसहन में अंतर है. क्या विवाह सफल होगा?’’ रूही पर एक नजर डालते हुए रूपेश ने कहा, ‘‘मेरी दृष्टि में विवाह अपनेआप सफल नहीं होते उन्हें सफल बनाना पड़ता है. इस के लिए पतिपत्नी दोनों को निरंतर प्रयास करना पड़ता है.’’

रूपेश के पिता ने रूही से पूछा,‘‘रूही बेटे, तुम्हारा क्या विचार है?’’ ‘‘विवाह स्त्रीपुरुष का गठबंधन है जिन का लालनपालन अलगअलग परिवेश में होता है. जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए दोनों पक्षों को समझौते करने होते हैं,’’ रूही ने उत्तर दिया.

रूही की मां ने प्रसन्न होते हुए कहा, ‘‘इस ओर भी ध्यान देना जरूरी होता है कि भावुक हो कर किए गए समझौते भी इस रिश्ते को प्रभावित कर खुशियों का गला घोंट देते हैं.’’ ‘‘नहीं, हम भावुक नहीं हैं…’’ दोनों ने समवेत स्वर में कहा.

हम दोनों के मातापिता ने और विचार करने को कहा. 2 सप्ताह बीत गए. मेरा मन डूबता जा रहा था, क्योंकि रूही के मातापिता ने हामी नहीं भरी थी.

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दीवाली की सुबह रूही के मातापिता बहुत सारे कीमती तोहफे ले कर हमारे घर आए. यह देख कर मेरी खुशी का ठिकाना ही न रहा. रूही के मातापिता की खूब आवभगत हुई. दोनों परिवार बेहद प्रसन्न थे. मुझे और रूही को यह दीवाली खुशियों भरी लग रही थी. शांत रूही मुझे अर्थपूर्ण नजरों से देख रही थी. मानो कुबेर का खजाना उस की और मेरी झोली में आ गिरा हो.

पिताजी ने मुझे गले लगा लिया और मां ने रूही को. चारों ओर से पटाखों के स्वर के साथ आकाश में कई मनमोहक आतिशबाजियां फूट रही थीं. ‘‘दीवाली की रात खुशियों की रात,’’ मां ने कहा. रूही और मैं उन पलों का आनंद लेने लगे.

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