Serial Story: सरप्राइज गिफ्ट (भाग-4)

मिताली ने डायरी बंद की. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह रूही की डायरी है या संजय का काला चिट्ठा. संजय, जो उस का पति है, वह संजय जिस के बारे में वह यह सोचती थी कि उस की पर्सनैलिटी के साथ केवल मुझ जैसी पढ़ीलिखी खूबसूरत लड़की ही मेल खाती है. वह नीचे तो आंख झुकाना जानता ही नहीं. वही आदमी, गली की हर गंदगी को गले लगाता फिरता है? और अगर… रूही ने उस का कहना नहीं माना तो उस ने उस के साथ क्या किया, जो रूही कांपती हुई डरी हुई आवाज में माफी मांग रही थी? संजय की बातों से तो कुछ भी जाहिर नहीं हो रहा था. मुझे भी सालों से सरप्राइज गिफ्ट देता रहा, उधर जाने किसकिस को रूही जैसे सरप्राइज गिफ्ट बांटता रहा है. और क्याक्या लिखा था रूही ने? कोई फाइल अहमदजी को पहुंचाता था? कुछ समझ नहीं आ रहा. संजय क्या कर रहा है? सरप्राइज… यह भी एक सरप्राइज ही तो है.

दिमाग चकराने लगा था. अचानक अक्षत ने आ कर टीवी औन कर दिया. चैनल पर चैनल घुमाने लगा.

‘‘बंद करो टीवी, अगर स्कूल नहीं गए तो इस का मतलब यह नहीं कि टीवी लगा कर देखो.’’

‘‘ममा प्लीज… देखने दो न,’’ अक्षत मिमियाया था. चैनल पर चैनल घुमातेघुमाते आवाज आई. ‘एक बहुत बड़ी खबर दिल्ली से आ रही है कि एक आईएएस आफिसर संजय सहगल ने एक जासूस नेपाली लड़की को पकड़वाया, जो देश के सीक्रेट कागजों को नेपाल पहुंचाने की कोशिश कर रही थी.’

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मिताली के कान खड़े हो गए. उस ने अक्षत के हाथ से रिमोट छीन कर वौल्यूम बढ़ा दिया. खबर चल रही थी.

‘कहा जा रहा है कि यह लड़की एक पत्रकार के रूप में संजय सहगल से मिलती रहती थी. उस के पास से कुछ सीक्रेट कागज भी मिले हैं, जिन का पकड़ा जाना एक बहुत ही बड़ी अचीवमैंट माना जा सकता है. पकड़ी गई लड़की का नाम रूही बताया जाता है. पुलिस ने रूही को हिरासत में ले लिया है और उस से पूछताछ कर रही है. अभी हमारी आईएएस संजय सहगलजी से बात नहीं हो पाई है. हम जल्द ही संजयजी से मुलाकात करेंगे. आप हमारे साथ बने रहिए. मिलते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद.’

‘‘वाओ… ममा, पापा ने जासूस पकड़वाया. ममा, पापा को तो इनाम मिलेगा न? वाओ… ममा, पापा को चैनल वाले इंटरव्यू के लिए ढूंढ़ रहे हैं. मेरी सारे दोस्तों में कितनी शान हो जाएगी. ममा, पापा आफिस पहुंचने वाले ही होंगे न? ममा, देखो न, पापा का आफिस दिखा रहे हैं. कैसे चैनल वाले पापा का इंतजार कर रहे हैं.’’

मिताली के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. ‘यानी कि जब रात के 3 बजे रूही ही फोन कर रही थी, उसी समय पुलिस ने उसे पकड़ा था? जब मैं ने रूही के आने और उस की कही बातों को संजय से बताया था तो संजय ने यही प्लान बनाया था उसे अपने रास्ते से हटाने का? इसीलिए वह कह रहा था कि अगर रूही ने मुझे कुछ भी बताया तो अंजाम बुरा होगा? मेरा संजय, जिसे मैं पिछले 17 सालों से जानती हूं, उसे मैं कभी जान ही नहीं पाई? संजय इतना ज्यादा खतरनाक इनसान है?’ मिताली का पूरा शरीर सूखे पत्ते की तरह कांपने लगा.

‘एक मासूम लड़की को इस कदर फंसाया कि वह कहीं की नहीं रही? वह आदमी, जो सालों मेरे साथ सोता रहा, मुझे अपने प्यार की दुहाई देता रहा, जिसे मैं अपना सब कुछ मानती रही, वह इस कदर खतरनाक है? दरिंदा है?’ मिताली के रोंगटे खड़े हो गए थे. उस के माथे पर पसीने की बूंदें चमकने लगीं.

टीवी पर संजय की आवाज से मिताली की निगाहें फिर टीवी की तरफ उठ गईं.

‘‘देखिए, देखिए, मैं आप लोगों को अभी कुछ नहीं बता पाऊंगा, क्योंकि जैसे ही मुझे शक हुआ कि यह पत्रकार जासूसी कर रही है, मेरे कमरे से कुछ जरूरी कागजात गायब हुए हैं तो मैं ने फौरन पुलिस को शक की बिना पर इत्तला कर दी, बाकी पुलिस से पूछें कि उन्हें उस लड़की… का नाम है उस का…अं… रूई…’’ लोगों का तेज हंसी का ठहाका गूंजा था.

‘‘सर, रूही…’’ कोई पत्रकार बीच में से बोला.

‘‘एनीवे… जो भी उस का नाम है. आप  पुलिस से ही पूछें कि उस के घर से क्याक्या मिला है.’’

‘‘सर, सुना है आप का लैपटौप भी उस पत्रकार लड़की के घर से मिला है?’’

‘‘हां, मैं ने भी सुना है. डेढ़ साल पहले यह मेरी गाड़ी से चोरी हो गया था. मैं ने इस की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. प्लीज, आप पुलिस से पूछताछ करें. मैं और कुछ नहीं जानता,’’ मिताली इंटरव्यू के बीच में ही सुनना छोड़, उठ कर दूसरे कमरे में आ गई.

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‘इतना झूठ. इतना धोखा. यह इनसान तो कभी भी, कुछ भी कर सकता है,’ मिताली का पूरा शरीर पत्ते की तरह कांप रहा था. ‘अपनेआप को ईमानदार और देशभक्त साबित करने के लिए संजय यहां तक गिर सकता है? प्रेम, दया, सहानुभूति और परिवार, ये सब बातें इस इनसान के लिए कोई माने नहीं रखतीं? एक तीर से दो वार? अपने सारे कुकर्मों का बोझ रूही के कंधों पर फेंक दिया?’ सोचसोच कर मिताली का सिर फटने लगा.

शाम को संजय बहुत ही अच्छे मूड में घर पहुंचा. अक्षत तो आते ही पिता से लिपट गया था. संजय के हाथ में 2-3 गिफ्ट पैक थे.

‘‘पापा, यू आर ब्रेव. वह पत्रकार कितनी धोखेबाज थी न, पापा. आप ने देखा, कई लेडीज ने कहा कि उसे तो सरेआम जूतेचप्पल मारने चाहिए. आज तो पार्टी होनी चाहिए, पापा.’’

संजय ठहाका मार कर हंसा था. अक्षत भी बहुत खुश था.

‘‘ये गिफ्ट पैक मेरे लिए हैं. इस की क्या जरूरत थी, पापा, आप ने तो हमें क्रिसमस का गिफ्ट तो पहले ही दे दिया है, इस बहादुरी को दिखा कर.’’

‘‘रियली. पर फिर भी हम आप की मम्मी को हर साल सरप्राइज गिफ्ट देते हैं. इसलिए आज कुछ दिन पहले ही ले आए. जानेमन, खोल कर नहीं देखोगी?’’ संजय ने हमेशा की तरह रोमांटिक मूड में कहा.

मिताली मुसकराई तो जरूर, पर मन की कंपन चेहरे से उतरी नहीं. नजरें चुरा कर वह किचन में चली गई.

‘हमेशा औरत ही बेवकूफ क्यों बनती है? यह सरप्राइज गिफ्ट, यह मुसकराहट, यह प्रेम प्रदर्शन के चोंचले’ हम औरतें क्यों फंस जाती हैं इन में? बेवकूफ तो हम दोनों ही बनीं, रूही 3 साल तक बनी और मैं… मैं पूरे 17 सालों से बनती आ रही हूं. पूरे 17 सालों से…? उस के बावजूद भुगतना भी हमें ही पड़ रहा है? क्यों? संजय तो ठहाके लगा रहा है. रूही के साथ क्या बीत रही होगी? एक देशद्रोही और जासूस के साथ क्याक्या हो सकता है? पुलिस उस की पिटाई भी कर सकती है, उसे बिजली के करंट भी लगा सकती है, उस के साथ कुछ भी…’ सोचसोच कर मिताली का सिर फटने लगा. फिर टीवी चलने लगा.

चैनल वाले बारबार संजय की वही क्लिपिंग दिखा रहे थे.

‘‘क्रिसमस की इस बार तुम ने शौपिंग नहीं की? कब चलोगी?’’ संजय ने मिताली से पूछा.

‘‘इस बार मैं आप के लिए ‘सरप्राइज गिफ्ट’ लाई हूं.’’ मिताली की आंखें एकटक संजय को देख रही थी.

संजय ने हैरत से देखा फिर मुसकराया, ‘‘भई वाह, मजा आ गया, लाइए.’’

मिताली ने कागजों का एक पुलिंदा संजय को थमा दिया.

‘‘यह क्या है? मेरे लिए कोई मकान खरीद लिया है क्या? पुलिंदा खोलतेखोलते संजय ने मिताली को देख कर हंसी उड़ाते हुए देखा.

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‘‘डायवोर्स पेपर?’’ संजय की आंखें फट सी गईं.

‘‘हां. मैं तुम्हें और यह घर छोड़ कर जा रही हूं. मैं ने रूही की डायरी की प्रतियां न्यूज चैनल वालों को दे दी हैं,’’ मिताली अपनी अटैची समेटने लगी.

मिताली के दिए 17 सालों के इस इकलौते क्रिसमस सरप्राइज गिफ्ट को पा कर संजय के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उसे टीवी पर हर जगह अपना ही नाम सुनाई देने लगा था.

आर्थिक तंगी हर रोज तनाव में ले जाती है, जाने क्या कहते है, ‘बीहड़ के बागी’ वेब सीरीज के एक्टर दिलीप आर्य

उत्तरप्रदेश के फतेहपुर के एक छोटे से गांव अमौली से निकलकरफिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनाने वाले अभिनेता दिलीप आर्यको बचपन से अभिनय का शौक रहा है. उन्होंने एक लम्बी संघर्ष के बाद अपनी मंजिल पायी है. उनके पिता राजगीर मिस्त्री हुआ करते थे. 11 वर्ष की आयु में दिलीप ने अपने पिता को खो दिया. उनके निधन के बाद, माँ के खेत में काम करने के दौरान दिलीप छोटे-छोटे काम कर अपनी पढाई पूरी की. इसके बाद अभिनय के क्षेत्र में पैर जमाना महज उनकी मेहनत और लगन का परिणाम है. उनकी वेब सीरीज ‘बीहड़ के बागी रिलीज हो चुकी है, जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका डकैत शिव कुमार पटेल की निभाई है. उनके काम को सराहना मिल रही है. उनसे बात हुई, पेश है अंश.

सवाल- इस वेब सीरीज में काम करने की वजह क्या रही?

ये कहानी 90 के दशक के एक डाकु शिवा की है, जिसके आसपास कहानी घूमती है. इसमें मैंने मुख्य भूमिका निभाई है. इसे करना बहुत कठिन था. ये कहानी बुंदेलखंड के डकैत ददुआ के जीवन से प्रेरित है.

सवाल- कितनी चुनौती रही?

मेरे लिए इस फिल्म को करना बहुत मुश्किल था, क्योंकि ये अलग तरह की फिल्म है. मैं सहज व्यक्तित्व का इंसान हूं और मुझे  डकैत की भूमिका निभानी पड़ी. उस चरित्र में खुद को ढालना मुश्किल था. इसके अलावा डाकुओं की कई बड़ी फिल्में पहले भी बनी है, इसलिए मेरे लिए एक बड़ी चुनौती थी कि ये फिल्म दूसरे फिल्म से अलग और अच्छा हो. ये बुंदेलखंड की कहानी है,इसकी शूटिंग उत्तरप्रदेश के बुन्देलखंड के चित्रकूट में की गई है.वहां बहुत बड़ी जंगल है, इसलिए डकैत वहां अधिक पनपते थे, क्योंकि वहां छुपने की जगह है. डकैत, डकैती कर एक राज्य से दूसरे राज्य पैदल ही चले जाते थे, जिससे किसी भी राज्य के लिए उन्हें पकड़ना मुश्किल होता था. इसके अलावा वहां के आदिवासी, जो बीड़ी बनाते है, ये डकैत वही आकर शरण लेकर इनके बीच में रहते थे और उनके जरुरत के अनुसार उनकी आर्थिक मदद करते है.

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सवाल- अभिनय की प्रेरणा कहाँ से मिली?

मुझे बचपन से ही अभिनय का शौक था, क्योंकि मेरे गांव में एक नेता हेलीकॉप्टरसे आये थे, जिसे देखने सारा गांव उमड़ पड़ा था. मैंने एक बुजुर्ग से पूछा था कि मैं हेलीकॉप्टर में कैसे बैठ सकता हूं, उसने मुझे नेता या अभिनेता बनने की सलाह दी. ये बात मेरे अंदर घर कर गयी. गांव से मैं दिल्ली पढने आया और पढाई के साथ-साथ थिएटर भी करने लगा. इस दौरान मैने पैसे के लिए सिलाई शुरू कर दिया था और शाम को नाटक के रिहर्सल के लिए जाता था. इसके बाद मुझे लखनऊ में भारतेंदु नाटक एकेडमी में दाखिला मिल गया. वहां से पूणे में फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट में जाकर फिल्म मेकिंग सीखा और मुंबई आ गया.

सवाल- पहली बार परिवार से अभिनय की बात कहने पर उन्होंने इसे कैसे लिया?

पहले तो वे हँसे, क्योंकि उन्हें एक्टिंग के बारें में कोई जानकारी नहीं थी. हमारे पास उस समय न तो खेत था, न मकान था और न ही कुछ था. पिता राजगीर मिस्त्री का काम करते थे. उनकी मृत्यु के बाद माँ के ऊपर हम 6 भाई बहनों की जिम्मेदारी आ गई. पूरा परिवार कच्ची मिट्टी के झोपडी रहता था. मेरे बड़े भाई और मैंने मजदूरी शुरू कर दी. मुझे रोज उससे 4 रुपये और भाई को 7 रुपये मिलते थे. मजदूरी के बाद मैंने सिलाई करना शुरू किया, क्योंकि मेरी पढाई मजदूरी की वजह से ख़राब हो रही थी. इस तरह बड़ी मेहनत से मैंने अपनी पढाई, काम और एक्टिंग पूरी की. निर्देशक के कहने पर मेरी माँ अतिया भी इस वेब सीरीज में माँ की भूमिका को किया है.

सवाल- पहला ब्रेक कैसे मिला?

पहला ब्रेक मुझे प्रकाश झा के यहाँ 10 साल सहायक निर्देशक के रूप में काम कर चुके रितम श्रीवास्तव ने इस वेब सीरीज के ज़रिये दिया और मुझे ख़ुशी है कि मेरी भूमिका सबको पसंद आ रही है. मुंबई में मैं 2005 से हूं और अभी तक सरवाईवल के लिए कॉर्पोरेट थिएटर, नुक्कड़ नाटक आदि करता हूं.

सवाल- क्या आउटसाइडर को अधिक संघर्ष रहता है?

इंडस्ट्री में हुनर की कद्र है, लेकिन मौका मिलने में समय लगता है, क्योंकि मुंबई में लाखों लोग अभिनय के लिए आते है. पहचान बनाने में समय लगता है. अंदर से या बाहर से होना इंडस्ट्री के लिए कोई लेना देना नहीं होता. काबिल है तो काम मिलता है. मेरा संघर्ष अभी भी चल रहा है. सबसे अधिक कठिनाई अर्थक तंगी से निकलना होता है, क्योंकि अभिनय नियमित रोजगार का जरिया नहीं होता. पहली बार काम मिलने पर पैसे भी नहीं मिलते. आर्थिक तंगी हर रोज तनाव में ले जाता है.

सवाल- आगे की प्लानिंग क्या है?

मैं अलग-अलग कहानियों पर काम करने की इच्छा रखता हूं. अभिनय ही मेरा पैशन है. नाटकों में अभिनय और निर्देशन का काम चल रहा है. मुंबई में धैर्य से टिके रहना जरुरी है, तभी काम मिलता है, क्योंकि अभी कॉम्पिटीशन गला काट है.

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सवाल- क्या कोई ड्रीम है?

मैं राजनेताओं पर कटाक्ष करने वाली फिल्म में काम करना चाहता हूं, क्योंकि राजनीति अभी ख़राब दौर से गुजर रही है, सिस्टम कोलेप्स हो रहा है. सरकारी तंत्र की व्यवस्था बहुत ख़राब हो चुकी है. उसपर कुछ करने के लिए कहानियां ढूंढ रहा हूं, क्योंकि ये सरकारी लोग नेताओं के गुलाम होते है और आम इंसान के लिए कोई काम नहीं करते. मैंने एक काम के लिए 20 बार चक्कर लगाया, पर काम आजतक नहीं हो पाया.

सवाल- आपको अगर सुपर पॉवर मिले, तो क्या करना चाहेंगे?

सबसे पहले न्यायपालिका को ठीक करूंगा, जिसका डर किसी को नहीं है. उसका खौफ होने पर अपराध और भ्रष्टाचार दोनों ही कम होगा.

भाई की शादी की फोटोज शेयर करने पर ट्रोल हुईं कंगना, लोगों ने पूछा ये सवाल

बौलीवुड की क्वीन कंगना रनौत आए दिन सुर्खियों में छाई रहती हैं. ड्रग्स का मामला हो या किसानों का आंदोलन कंगना का बेबाकी से जवाब देना जहां फैंस को पसंद आता है तो वहीं ट्रोलर्स के निशाने पर वह आ जाती हैं. इसी बीच अपनी फैमिली को लेकर कंगना इन दिनों ट्रोलर्स के गुस्से का शिकार होती नजर आ रही हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला..

कंगना का डांस वीडियो हुआ वायरल

पिछले महीने ही कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के भाई अक्षत की शादी उदयपुर (राजस्थान) में डेस्टिनेशन वेडिंग हुई थी. पूरे फंक्शन के दौरान कंगना ने अपने फैंस के लिए शादी की वीडियो और फोटोज शेयर करती नजर आई थीं, जिसमें फैंस को उनका लुक बेहद पसंद आया था. इसी बीच एक्ट्रेस कंगना रनौत ने भाई की शादी की कुछ अनसीन फोटोज और वीडियो शेयर कीं, जिनमें कंगना रनौत खुशी में झूमती नजर आ रही हैं. वहीं कंगना  का ये डांस सोशलमीडिया पर शेयर करते ही छा गया है.

ट्रोलर्स ने पूछा ये सवाल

कंगना रनौत ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की गई फोटो में कंगना राजस्थान के लोक कलाकारों के साथ डांस करती नजर रही हैं. वहीं इन फोटोज के साथ कंगना ने लिखा, ‘पिछले महीने के कुछ थ्रोबैक्स फोटोज. भाई की शादी से कुछ प्यारी फोटोज.’ हालांकि जहां फैंस इन फोटोज को पसंद कर रहे हैं तो वहीं कुछ ट्रोलर्स नेगेटिव कमेंट करते हुए सवाल भी कर रहे हैं. लोगों ने सवाल करते हुए कहा कि तीन दिन पहले आपके दादाजी की मौत हुई थी और आज आप नाचने की तस्वीरें पोस्ट कर रही हैं. लोगों का कहना है कि दादाजी की मौत को 12 दिन भी नहीं हुए और पोती ने डांस की तस्वीरें शेयर करना शुरू कर दिया.


बता दें, तीन दिन पहले ही कंगना के दादाजी श्री ब्रह्म चंद्र रनौत का निधन हो गया था, जिसके बाद शादी की फोटोज शेयर करना ट्रोलर्स को बिल्कुल पसंद नही आ रहा है. हालांकि कुछ लोगों का गुस्सा किसान आंदोलन को लेकर कंगना के बयानों पर भी है.

राखी के पुलिस की धमकी के बीच किंजल और पारितोष की गुपचुप शादी, क्या होगा अनुपमा का अगला कदम

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में आए दिन नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. जहां एक तरफ काव्या की जिंदगी में उसके एक्स हस्बैंड की एंट्री हो चुकी है तो वहीं वनराज, काव्या को छोड़ शाह हाउस वापस आ गया है. हालांकि अनुपमा की जिंदगी में परेशानियां उसका पीछा छोड़ने को तैयार नही हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

घर से भागे परितोष और किंजल

जहां वनराज, काव्‍या का घर छोड़कर अपने परिवार के पास लौट आया है. इधर परितोष और किंजल दोनों घर से गायब हो गए है, जिसके बाद किंजल की मां राखी अनुपमा को फोन करके चेतावनी देती है. वहीं वनराज और अनुपमा को डर है कि किंजल और परितोष खुद के साथ कुछ गलत न कर बैठे.

 

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पुलिस लेकर आती है राखी

किंजल और परितोष के गायब होने से परेशान राखी पुलिस लेकर अनुपमा के घर पहुंचकर आरोप लगाती है कि अनुपमा का बेटा पारितोष उसकी बेटी किंजल को भगा ले गया है. इसी के साथ वह पूरे परिवार की बेइज्जती करते हुए पुलिस से अनुपमा को गिरफ्तार करने के लिए कहती है. हालांकि इससे पहले ही परितोष और किंजल वापस लौटकर गिरफ्तारी होने से बचा लेते हैं.

 

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गुपचुप शादी करते हैं किंजल

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि परितोष और किंजल वापस लौटकर अनुपमा और उसके परिवार को तो बचा लेते हैं लेकिन दोनों को देखकर परिवार को धक्‍का लगता है कि क्योंकि वह दोनों भागकर शादी कर चुके हैं.

 

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वनराज लगाता है अनुपमा पर इल्जाम

 

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परितोष और किंजल के भागकर शादी करने के फैसले से हैरान पूरा परिवार दोनों को समझाता है कि उन्हें ऐसा नही करना चाहिए था. लेकिन इसी बीच वनराज, परितोष पर बरसते हुए कहता है कि यह फैसला करने से पहले उसे परिवार की इज्जत के बारे में सोच लेना चाहिए था. इसी के साथ वह अनुपमा की परवरिश पर भी सवाल उठाता है.

आया सब्जियों को प्रिजर्व करने का मौसम

सर्दियां आते ही बाजार में सब्जियों की मानो बाढ़ सी आ जाती है. मैथी, मटर, पालक, धनिया जैसी हरी सब्जियों के अतिरिक्त नीबू, टमाटर, आंवला और अदरक भी बहुत कम दामों पर मिलते हैं. आजकल यूँ तो पूरे साल तक प्रत्येक सब्जी मिलती है परन्तु बेमौसम होने के कारण वे बेस्वाद और काफी महंगी भी होती हैं.

हमारी दादी नानी सस्ती दरों पर मिलने वाली मौसमी सब्जियों को धूप में सुखाकर साल भर के लिए स्टोर कर लिया करतीं थीं परन्तु आज विज्ञान का युग है और अपने घरों में उपलब्ध फ्रिज और माइक्रोबेव की सहायता से हम बड़ी आसानी से इन सब्जियों को साल भर के लिए संरक्षित कर सकते हैं तो आइए जानते हैं कि इन्हें कैसे संरक्षित किया जा सकता है-

-मैथी, पालक, धनिया, चने की भाजी जैसी हरी सब्जियों को साफ करके धो लें और साफ तौलिया या चादर पर फैलाकर दूसरी तौलिया से रातभर के लिए ढककर रख दें. अब इन्हें 2 मिनट पर माइक्रो करें. उल्टपलटकर पुन: 2 मिनट माइक्रो करें. जब सब्जियां सूखती सी नजर आने लगें तो 20-10 सेकंड माइक्रोबेव करें. पूरी तरह सूखी हरी सब्जियों को एयरटाइट जार में भरकर रखें. माइक्रोबेव में सुखाई गई इन सब्जियों का हरा रंग बरकरार रहता है.

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-नीबू के रस को निकालकर छान लें और कोल्डड्रिंक की छोटी छोटी बोतलों में भरकर फ्रीजर में रखें. जब भी प्रयोग करना हो तो फ्रीजर से निकलकर फ्रिज में रखें और तरल रूप में आ जाने पर बोतल के ढक्कन पर एक छेद करके प्रयोग करें.
नीबू के रस को आप फ्रीजर में क्यूब जमाकर भी स्टोर कर सकतीं हैं.

-500 ग्राम अदरक को छीलकर मिक्सी में बारीक पीसकर सूती कपड़े से दबा दबाकर छान लें. इस छने रस को फ्रिज में क्यूब्स में जमाकर पॉली बैग में निकालकर स्टोर करें. अथवा छोटे छोटे पॉली बैग्स में ही फ्रिज में जमाएं और आवश्यकतानुसार प्रयोग करें. अदरक के गूदे को एयरटाइट जार में रखकर सब्जी और चाय में प्रयोग किया जा सकता है. इसी प्रकार आप कच्ची हल्दी भी स्टोर कर सकतीं हैं.

-आंवले को धोकर साफ सूती कपड़े से पोंछ लें और ऊपर ऊपर से काटकर आवश्यकतानुसार पानी डालकर पीस लें. इसे सूती कपड़े में हाथ से दबाकर छान लें. रस को नीबू के रस की ही भांति फ्रीजर में स्टोर करें. गुठली के ऊपर के आंवले का अचार डालें तथा शेष बचे गूदे से मुरब्बा या रोल बनाएं.

-1 किलो मटर को छील लें. अब 2 लीटर पानी में एक टीस्पून नमक डालें. जब पानी उबलने लगे तो मटर डाल दें. जब मटर पानी की सतह पर आ जाये और हल्की सी नम हो जाये तो छलनी में निकालकर 1 घण्टे तक रखें ताकि सारा पानी निकल जाए. अब इसे दो तीन घण्टे तक मोटे सूती कपड़े पर फैलायें. जिप लॉक बैग में रखकर फ्रीजर में स्टोर करें.

-टमाटर को प्यूरी बनाकर क्यूब्स में जमाकर जिप लॉक में भरकर फ्रीजर में रखें.

-सहजन की फली को धोकर बीच से लंबाई में दो भागों में काट लें. अब चाकू या चम्मच के उल्टे भाग की सहायता से इसके गूदे को स्क्रब करके निकाल लें. चाकू से ही इसे छोटे टुकड़ों में काट लें और छोटे छोटे जिप लॉक बैग्स में डालकर फ्रीजर में डाल दें. अव्सबयक्तानुसार प्रयोग करें.

रखें कुछ बातों का ध्यान भी

-स्टोर करने के लिए सब्जियां सदैव ताजी ही लें.

-यूं तो हरी सब्जियों को डंठल सहित प्रयोग करना स्वास्थ्यप्रद माना जाता है परन्तु स्टोर करने के लिए केवल पत्तियां ही लें क्योंकि सूखकर डंठल सब्जियों का स्वाद ही बिगाड़ देते हैं.

-नीबू, आंवला के रस को स्टोर करने के लिए छोटी छोटी शीशियों का प्रयोग करें ताकि फ्रीजर में से निकालने के बाद इन्हें 15 से 20 दिन में समाप्त किया जा सके.

-आंवले को गुठली तक पूरा न काटकर हल्का सा ही काटें ताकि गुठली का कसैलापन न आ पाए.

-हरी सब्जियों को माइक्रो करते समय तापमान का विशेष ध्यान रखें. प्रारम्भ में अधिक और जैसे ही सब्जियां सूखी सी लगने लगें एकदम कम तापमान रखें अन्यथा वे आग पकड़ लेंगी.

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-बहुत बड़े जिप लॉक बैग्स के स्थान पर छोटे छोटे बैग्स का प्रयोग करें इससे वे फ्रिज में कम जगह में ही आ जाएंगे.

-प्रयोग करने के बाद फ्रीजर में से निकाली सब्जियों को तुरंत फ्रीजर में रख दें अन्यथा वे खराब हो जाएंगी.

-माइक्रोबेव में एक साथ अधिक मात्रा में सब्जियों को सुखाएं इससे आप बार बार बिजली खर्च करने से बच सकेंगी.

बेहतर त्वचा और बालों का झड़ना रोकने के लिए मुझे डाइट में क्या बदलाव लाने चाहिए?

सवाल-

मैं 44 साल की महिला हूं. मुझे बाल झड़ने, महीन रेखाएं और झुर्रियों की काफी समस्या है. बेहतर त्वचा और बालों का झड़ना रोकने के लिए मुझे अपने आहार में क्या बदलाव लाने चाहिए?

जवाब- 

जैसेजैसे उम्र बढ़ती है, वैसेवैसे हमारा मैटाबौलिज्म रेट कम होता जाता है. हमारी मांसपेशियां कम होने लगती हैं और हारमोन का स्तर थोड़ा कम हो जाता है, जिस से वजन बढ़ने, मूड में बदलाव आने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

ऐंटीऔक्सिडैंट युक्त खाना खाने से आप को अपने समग्र स्वास्थ्य में सुधार करते हुए भूख और क्रेविंग पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है. अलसी, चिया सीड्स, सालमन, ऐवोकाडो, नट्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, गोभी, डार्क चौकलेट, बेरीज, ग्रीक योगर्ट, ऐक्स्ट्रा वर्जिन औलिव औयल, अंडे, चिकन, बींस, खट्टे फल शरीर को पोषण देने में मदद कर सकते हैं.

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हम खाना अपने शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए ही नहीं खाते, बल्कि अपने स्वाद के लिए ज्यादा खाते हैं. इस चक्कर में हम पौष्टिक भोजन कम खाते हैं और जिन चीजों में न्यूट्रिऐंट्स कम और सिर्फ  टेस्ट ही होता है उन्हें खाने में हमारी ज्यादा दिलचस्पी होती है. आइए जानते हैं इस बारे में न्यूट्रिशनिस्ट प्रीति त्यागी से:

क्या है हैल्दी डाइट

हैल्दी डाइट से मतलब ऐसी डाइट से है, जिस में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, आयरन, कैल्सियम, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट्स सभी पौष्टिक तत्व शामिल हो. क्योंकि अगर खाने में प्रोटीन का अभाव होगा तो हमें ऊर्जा नहीं मिल पाएगी, साथ ही जल्दीजल्दी संक्रमित होने के चांसेस भी रहते हैं. वहीं कैल्सियम मसल्स के फंक्शन के लिए तो जरूरी होता ही है साथ ही यह मेटाबोलिज्म के लिए भी सहायक होता है. वहीं कार्बोहाइड्रेट्स व फैट्स ऊर्जा प्रदान करने के साथसाथ हैल्दी सैल्स के निर्माण का कार्य करते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- डाइट में 7 बदलाव है जरूरी

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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स्लीवलेस स्वेटर: न्यू फैशन ट्रेंड्स

फैशन का ट्रेंड हर वक्त बदलता रहता है. इस बदलते ट्रेंड को फॉलो करना हर किसी के बस की बात नहीं है. हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि महिलाएं फैशन ट्रेंड को ना सिर्फ फॉलो करती हैं बल्कि फैशनेबल दिखने के लिए बढ़िया जुगाड़ भी बिठा लेती हैं. आज का हमारा ये खास लेख कुछ हटकर है, हम आपको विंटर फैशन के उस ट्रेंड के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद ही आपको पता हो. हम बात कर रहे हैं स्लीवलेस स्वेटर की.

1. स्लीवलेस स्वेटर-

सर्दियों के मौसम में पुरुष हमेशा हाफ यानि की स्लीवलेस स्वेटर पहनना प्रीफर करते हैं. अब आप जान लीजिये कि इस समय स्लीवलेस स्वेटर महिलाओं में ट्रेंड है. जो ना आपको स्टाइलिश दिखाएगा बल्कि फैशनेबल भी दिखाएगा. तो हमारी आपको यही राय है कि यही सही मौका है आप अपने घर के किसी मेल सदस्य का स्वेटर पहनकर ट्रेंड को फॉलो कर सकती हैं.

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2. कैसे करें कैरी-

हालांकि सर्दियों के दिनों में फैशन ट्रेंड क्या है, और इसे फॉलो करना आसान नहीं है. ऐसे में आपके पास इस समय स्लीवलेस स्वेटर पहनने का परफेक्ट आप्शन है. अब ये भी जानिए की इसे कैरी कैसे करना है. आप एक परफेक्ट फिटिंग की शर्ट के साथ कैरी कर सकती हैं. इस समय ऐसा ट्रेंड सोशल मीडिया में काफी पसंद भी किया जा रहा है.

3. बात पुराने समय की-

देखा जाए तो स्लीवलेस स्वेटर का प्रचलन पुराने समय से ही रहा है. हालांकि पुरुष इस तरह के स्वेटर पहनना काफी पसंद करते हैं. 18वीं शताब्दी में सबसे ज्यादा पसंद किये जाने वाला ये सतलये भारत के साथ-साथ दुनियाभर के लोगों में छाया रहा है. जहां आपको लगभग हर अलमारी में एक बिना आस्तीन का यानि के स्लीवलेस स्वेटर आराम से मिल जाएगा.लेकिन समय बदलने के साथ अब ये फैशन पुरुषों की आलमारी से निकलकर महिलाओं की आलमारी में अपनी जगह बना रहा है. अगर हम ये कहें कि पुराना फ्काइश फिर से लौटकर आ रहा है तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा.

4. नॉन ब्रांड की डिमांड-

फैशन के इस दौर में सभी महिलाएं खुद को अपडेट रखने में पीछे नहीं हटती. वो समय अब जा चुका है जब महिलाएं सिर्फ महंगे ब्रांड के पीछे ही भागती थी. आजकल की महिलाएं कम दाम में मिलने वाले नॉन ब्रांडेड कपड़ों पर खर्च करना पसंद करती हैं. क्योंकि इसमें आप्शन भी उपलब्ध होते हैं. स्मार्ट शॉपिंग के साथ ट्रेंडी फैशन करने का ये विकल्प बजट में है.

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5. कैसा हो सलेक्शन-

 

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स्लीवलेस स्वेटर का ट्रेंड इस विंटर जोरों पर हैं. अगर आपके पास स्लीवलेस स्वेटर नहीं है तो आप अपने घर के किसी पुरुष सदस्य का स्लीवलेस स्वेटर पहन सकती हैं. इसके अलावा आपको ये भी जानने की जरूरत है कि, आप अपने लिए ट्रेंडी स्वेटर का सलेक्शन कैसे करें. इसके आप ब्राईट कलर और प्रिंट में स्वेटर खरीदें. सर्दियों में ब्राईट कलर काफी चलन में होते हैं.

तो आप भी स्लीवलेस स्वेटर के साथ इन सर्दियों में खुद को परफेक्ट ट्रेंडी लुक दे सकती हैं. इससे आप काफी फैशनेबल दिखेंगी. और इस ट्रेंड को कैसे फॉलो करना है, उसके लिए आप हमारे द्वारा बताये गये खास टिप्स को आजमा सकती हैं.

फिजूल है शादी में दिखावा

लेखक  -शाहनवाज

आप ने कभी सोचा है कि 2 लोगों को रिश्ते में बंधने का मार्केट में कितना खर्चा आता है? जाहिर सी बात है जब बात खर्च की होती है तो कौन इस से मना कर सकता है.

मुझे 2 साल पहले मेरे दोस्त ने अपने चाचा की बेटी की शादी में इनवाइट किया. यह शादी उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में होनी थी. मैं शादी से 1 दिन पहले वहां पहुंच गया. घर को देख कर महसूस हो गया था कि उन की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. जमीन के एक छोटे से टुकड़े पर उस के चाचा खेती करते थे और औफ सीजन में शहर में जा कर मजदूरी करते थे.

मेरे दोस्त ने मु झे बताया कि लड़के वालों की तरफ से किसी तरह की कोई दहेज की डिमांड नहीं है. सिर्फ उन्होंने कहा है कि  बरातियों के स्वागत में कोई कमी नहीं होनी चाहिए.

जब वर और वधू को 7 फेरों के लिए खड़ा किया जा रहा था तब मेरी नजर पंडाल के बाहर एक ट्रक पर पड़ी जिस में घर का सामान, जैसे कि टीवी, फ्रिज, पलंग, अलमारी इत्यादि लोड किए जा रहे थे. अचानक मु झे मेरे दोस्त की बात याद आई पर उस समय मैं ने उस से इस विषय पर कुछ भी पूछना जरूरी नहीं सम झा.

जब शादीब्याह निबट गया और हम वापस दिल्ली के लिए रवाना हो लिए तो बस में सफर करते समय मैं ने उस से पूछ ही लिया कि वह सामान क्यों लोड किया जा रहा था जब कि तुम ने बताया कि लड़के वालों की तरफ से दहेज की कोई डिमांड ही नहीं थी?

उस ने जवाब दिया कि वह सारा सामान उस के चाचा ने अपनी तरफ से तोहफे के तौर पर दिया, ताकि कल को अगर कुछ भी होता है तो कोई उन की बेटी को ताना न मार सके. सिर्फ लड़के वालों के घर का डर ही नहीं, बल्कि उन के खुद के ही परिवार के लोग उन को ताना न मारें.

अंत में उस ने बताया कि परिवार में बाकी शादियों में भी इसी तरह से घर का सामान देना पड़ा था और उस के चाचा यह नहीं चाहते थे कि उन के खुद के परिवार के लोग उन की बेटी की शादी के लिए कानाफूसी करें, बातें बनाएं और उन्हें ताने मारें. आखिर वे खुद भी तो अपने परिवार में अपना रुतबा बनाए रखने के लिए ये सब खुल कर खर्चा कर रहे थे.

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कुछ ऐसा ही हम ने हिंदी सिनेमा की कई फिल्मों में भी होते हुए देखा है जिस में लड़की के पिता पूरी जिंदगी पाईपाई जोड़ कर बेटी की शादी के समय उन पैसों को खर्च करता है. यह हो सकता है कि कई लोगों का ऐसी ही शादी करने का उन का सपना हो, परंतु जो व्यक्ति इस समारोह के लिए खर्च करता है, उसे ही पता होता है कि किस प्रकार से उस ने अपने बच्चों की शादी करवाई है.

कुछ ऐसा होता है सामाजिक दबाव

ऐसा आप ने भी अपने जीवन में कभी न कभी किसी शादी में देखा होगा. यह तो मात्र एक तरह का दबाव था, जो कि पिता पर पड़ता है. इस लिस्ट में और भी कई प्रकार के सामाजिक दबाव आते हैं, हम हमेशा देखते तो हैं, लेकिन देख कर भी इग्नोर करते हैं.

मैं जहां रहता हूं वहीं पड़ोस में ही हाल में हमारे पड़ोसी रामदासजी ने अपने बेटे रवि की शादी करवाई. कोरोना के कारण एक तो वैसे ही सभी की जेबें खाली पड़ी थीं और ऐसे समय में शादी पर होने वाला खर्चा भी मामूली नहीं बल्कि मोटा होता है.

यों तो रामदासजी का दिल्ली में अपना मकान है, जिस कारण उन्हें लौकडाउन के इन कठिन दिनों में किसी किराएदार की तरह कमरे का भाड़ा नहीं देना पड़ा. लेकिन जब से कोरोना शुरू हुआ और लौकडाउन लगाया गया तो ज्यादातर लोगों की तरह उन का काम भी छूट गया.

कहीं इज्जत न खराब हो

इन्हीं दिनों रवि को पड़ोस में कुछ महल्ले छोड़ कर एक युवती से प्रेम हो गया और रवि अपने पिता से उस युवती से शादी करने की जिद्द करने लगा. रामदासजी ने अपने बेटे को बहुत सम झाया कि घर की माली हालत अभी सही नहीं हैं जब सबकुछ नौर्मल हो जाएगा तो उस की शादी करवा देंगे. लेकिन रवि नहीं माना और अंत में रामदासजी को अपने बेटे की शादी के लिए मानना पड़ा. उन्होंने भी सोचा कि कोरोना के समय ज्यादा लोगों को इन्विटेशन नहीं देंगे और लड़की वालों से भी किसी तरह की कोई डिमांड नहीं करेंगे.

मगर युवा तो युवा होते हैं, थोड़ाबहुत करतेकरते रवि के दोस्त, रिश्तेदार और कुछ जानपहचान वालों को मिला कर 50 लोगों के आसपास बरातियों का कैलकुलेशन किया गया. शादी हो जाने के बाद पता चला कि रवि की उस के ससुराल वालों की तरफ से एक बाइक और घर का थोड़ाबहुत सामान मिला है.

शादी के 3 दिन बाद रवि अपने पिता से लड़की वालों को और अपने दोस्तों को अपने घर छोटामोटा रिसैप्शन देने की मांग करने लगा. कहा कि अगर हम ऐसा नहीं करते तो लड़की वालों के परिवार के बीच क्या इज्जत रह जाएगी. अत: रामदासजी को उस की बात माननी पड़ी.

रामदासजी और रवि के इस किस्से से साफ है कि किस प्रकार सिर्फ सामाजिक दबाव ही नहीं बल्कि एक पिता पर अपने बेटे का या फिर कई जगह अपनी बेटी का दबाव भी रहता है. अब इस छोटी सी शादी में होने वाले खर्चे के बारे में आप खुद सोच सकते हैं. एक तो जेब में पैसे नहीं उस के बावजूद लोगों को ऐसे समारोह में सिर्फ सामाजिक दबाव के कारण खर्चा करना पड़ता है ताकि उन के सम्मान का मजाक न बनाया जा सके.

लोग क्या कहेंगे

अब कोई यह कह सकता है कि क्या लोग शादी करना छोड़ दें या फिर अपने रिश्तेदारों को न बुलाए? यहां पर लोगों के सामूहिक मेलमिलाप पर रोक लगाने की बात नहीं हो रही और न ही किसी को शादी न करने की सलाह दी जा रही है, बल्कि इस विषय का सारसंग्रह बेहद सिंपल है. वह बस इतना है कि लोग शादियों में खर्चा करने से पहले समाज के बाकी लोगों के बारे में सोचते हैं.

लोगों के दिमाग में उन की आर्थिक स्थिति, अपने बच्चों की खुशी से ज्यादा बढ़ कर यह सोच हावी होती है कि अगर ऐसा नहीं किया तो लोग क्या कहेंगे.

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आजकल शादियों में होने वाला खर्चा समाज की चलती इकौनोमी के लिए बेहद जरूरी है. इस से कई तरह के व्यापार जुडे़ हैं, उदाहरण के लिए कैटरर (हलवाई) से खाना बनवाना, बैंक्वेट हौल बुक करवाना या फिर सामुदायी भवन बुक करना, वेटर का काम, शादी पढ़ाने के लिए पंडित, मौलवी या पादरी की जरूरत इत्यादि. इसीलिए शादीब्याह होते रहें यह इन लोगों के लिए बेहद आवश्यक है.

प्रवीण के पिता ने उस की शादी किसी बड़े बैंक्वेट हौल में या किसी बड़े पार्क को बुक कर के नहीं की, बल्कि इलाके के एसडीएम औफिस में जा कर मैरिज रजिस्ट्रेशन पर कानूनी तरीके से करवाई. रजिस्ट्रेशन हो जाने के 2 या 3 दिनों बाद रिसैप्शन के लिए उन्होंने सरकारी समुदाय भवन बुक किया जिस में सब को मिला कर 150 लोगों को इनवाइट किया. अगर वे परंपरागत तरीके से अपने बेटे की शादी करवाते तो शायद मौजूदा खर्चे का 3 गुना अधिक खर्च होता. उन्होंने बाकी बचे हुए पैसों की प्रवीण के नाम एफडी करवा दी, जोकि उस के बुरे वक्त पर काम आ सकेगी. सिर्फ यही नहीं लड़की वालों ने भी वधू के नाम पर बैंक में एफडी करवा दी जिस से जरूरत के वक्त उसे तुड़वाया जा सके.

कितनी सम झदारी से प्रवीण के पिताजी ने उस की शादी करवाई आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं. आज समाज की जरूरत भी यही है कि इस बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखें. समाज की इस बो झ वाली मानसिकता को तोड़ने के लिए जरूरी है कि हम सब एक कदम बढ़ा कर परंपरागत तरीके से नहीं बल्कि कानूनी तरीके से मैरिज रजिस्टे्रशन करवाएं. रिश्तेदारों से मेलमिलाप खत्म करने के लिए नहीं, बल्कि उसे एक नया स्वरूप देने की जरूरत है. परंपरागत तरीकों से शादियों से सिर्फ दिखावा और अवैज्ञानिक सोच को ही बढ़ावा मिलता है. उस पर बाद में रिश्तेदारों द्वारा और कई कमियां निकाली जाती हैं.

कोविड 19 के इन्फेक्शन में ब्लड टाइप भी है जिम्मेदार, जाने कैसे 

सारा विश्व कोविड 19 की चपेट में है और ऐसे में वर्ल्ड के सारे वैज्ञानिक तरह-तरह के रिसर्च कर रहे है और ये पता लगाने की कोशिश कर रहे है कि ये बीमारी है क्या? हालांकि इस बीमारी की न तो कोई दवा है और न ही कोई इलाज, ऐसे में इस रोग से पीड़ित अधिकतर व्यक्ति अपनी जान गवा रहे है या इससे ठीक होने के बाद दूसरी कई बिमारियों के शिकार हो रहे है. इसकी वैक्सीन पर भी लगातार शोध हो रहा है और कई देश अपने नागरिकों को वैक्सीन लगा भी रहे है, लेकिन इससे कितना फायदा उन्हें होगा, इसे अभी बताना संभव नहीं. 

कोविड 19 पेंडेमिक के बारें में लन्दन में हुए एक नई रिसर्च से ये पता चला है कि कुछ ब्लड ग्रुप इस बीमारी की गंभीरता को बढाती है. O ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को SARS-Co-V-2 वायरस जो कोविड 19 के इन्फेक्शन में पाया जाता है. इससे संक्रमित होने पर बीमारी की गंभीरता कम होती है. जर्नल में प्रकाशित शोध ने यह भी बताया है कि ब्लड टाइप का कोविड 19 के इन्फेक्शन पर गहरा असर देखा गया है. 

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पहली स्टडी में रिसर्चर्स ने 473,000 कोविड 19 पॉजिटिव टेस्टेड व्यक्तियों और 2.2 मिलियन आम जनसँख्या से व्यक्तियों के डेटा लेकर उन सभी के ब्लड टाइप की तुलना की और पाया कि उसमें O ब्लड टाइप के लोग A,B और AB की तुलना में कोविड 19 से काफी कम पीड़ित थे. इस स्टडी से पता चलता है कि A,B और AB ब्लड टाइप के व्यक्ति का कोविड 19 से इन्फेक्शन होने का खतरा O ब्लड टाइप से अधिक होता है, पर रिसर्चर्स इस बारें में कोई महत्वपूर्ण जानकारी नहीं जुटा पाए कि आखिर A,B और AB ब्लड में इन्फेक्शन अधिक होने की वजह क्या है. ये भी सही है कि ये रिसर्च मनुष्यों के ग्रुप और अलग-अलग देशों में अलग हो सकता है, जिसे और अधिक डेटा के साथ अध्ययन करने की जरुरत है. 

इस बारें में पुणे के बी जे मेडिकल कॉलेज, क्लिनिकल ट्रायल यूनिट वाईरोलोजिस्ट प्रसाद देशपांडे का कहना है कि साल 2020 में पहली शोध कोविड 19 के बारें में चीन ने किया है और बताया है कि O ब्लड टाइप से A,B और AB ब्लड टाइप वाले व्यक्ति को कोविड 19 का रिस्क अधिक रहता है. इसके बाद ये शोध हार्वर्ड और न्यूयार्क में भी हुआ और उन सभी ने पाया कि ये बहुत हद तक सही है. 

असल में ये स्टडी कोविड 19 के उग्रता को बताती है, लेकिन O ब्लड टाइप को कोरोना संक्रमण नहीं होगा, ऐसी बात नहीं है. उन्हें भी संक्रमण हो सकता है. A, B और AB ब्लड टाइप को सीरियस होने का खतरा अधिक रहता है, वे वेंटिलेटर पर अधिकतर जाते है. इसके अलावा जो लोग किसी अन्य बीमारी जैसे मधुमेह, हार्ट की बीमारी, कैंसर आदि से पीड़ित है, उन्हें भी कोविड 19 का खतरा अधिक होता है. उन लोगों को अधिकतर आई सी यू में रखना पड़ता है. ये बीमारी नई है, इसका किस ब्लड टाइप से क्या सम्बन्ध है, उसे पता लगाया जा रहा है. ऐसा देखा गया है कि बच्चे के जन्म के बाद भी अगर माँ हेपेटाइटिस A या B से निगेटिव होती है. बच्चा A,B या AB ब्लड ग्रुप का है और उसको हेपेटाइटिस A या B हुआ है, तो उसकी सिवियरिटी, O ब्लड टाइप के बच्चे से अधिक देखी गई. इतना ही नहीं इन ब्लड ग्रुप को O की तुलना में स्ट्रोक की भी अधिक संभावना होती है. कोविड 19 में भी ऐसा देखा गया कि O ब्लड टाइप के मरीज बाकी ब्लड ग्रुप से कम सिवियर देखे गए है. 

ब्लड ग्रुप के बारें में अगर हम बात करे, तो हमारे रेड ब्लड सेल्स RBC कहा जाता है. उनके ऊपर जो एंटीजेन रहता है उसे A और B कहते है, जिसके ब्लड में A सेल्स है, उसका ब्लड ग्रुप A और B सेल्स वालों के B और AB सेल्स दोनों जिसके ब्लड में हो, तो AB ब्लड टाइप होता है. जिनके पास A या B दोनों नहीं है, उसे O कहा जाता है. अगर किसी का ब्लड टाइप A होता है, तो वह B को टोलरेट नहीं कर सकता. इसलिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन करते वक़्त ब्लड की जांच करनी पड़ती है, B ब्लड ग्रुप वाले A को टोलरेट नहीं कर सकते. AB वाले दोनों से ब्लड ले सकते है, जबकि O के उपर कोई एंटीजेन A,B नहीं है, इसलिए इन्हें युनिवर्सल डोनर कहा जाता है. इसके अलावा Rh सिस्टम जिसमें पॉजिटिव और निगेटिव ब्लड ग्रुप आता है, इसमें जिनके पास Rh एंटीजेन होता है, उसे Rh पॉजिटिव और जिनके पास Rh नहीं होता है, उन्हें निगेटिव ब्लड ग्रुप कहा जाता है. 

इंडिया के जनसँख्या वितरण को देखने से पता चलता है कि पॉजिटिव ब्लड ग्रुप सबसे अधिक लोगों में होता है, जिसमें O ब्लड टाइप सबसे कॉमन होता है, इसके बाद A, बाद में B ब्लड ग्रुप और सबसे कम AB आता है. हर देश के ब्लड टाइप अलग-अलग होता है, लेकिन पॉजिटिव ब्लड ग्रुप सभी देशों में निगेटिव से अधिक है. ब्लड के ग्रुप का निर्धारित होना अनुवांशिकी होता है. ऐसा देखा गया है कि नोवार्क वायरस जिससे डायरिया होता है, उसके इन्फेक्शन होने पर रिएक्शन करने का तरीका अधिक सिवियर A, B और AB में, O की तुलना में अधिक होता है. इसके अलावा, कई प्रकार के कैंसर, स्ट्रोक आदि की संभावना भी इन ब्लड ग्रुप में अधिक होती है. 

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इसके आगे वाईरोलोजिस्ट प्रसाद कहते है कि ब्लड ग्रुप पर शोध काफी पहले से की जा चुकी है. अभी इसमें कोविड 19 के डेटा को जोड़कर रिसर्च किया जा रहा है. इसके अलावा नॉन O ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को विनोस थ्रोम्बोएम्बोलिज्म, टाइप 2 डायबिटीज, मायोकार्डियल इन्फेक्शन, संक्रमण वाले रोग जैसे मलेरिया, हेपेटाइटिस B, नोर्वाक वायरस आदि से अधिक रिस्क होता है. कोविड 19 के लिए भी O ब्लड ग्रुप को ये नहीं समझना चाहिए कि उन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हो सकता. सिर्फ सीरियस होने की संभावना बाकी मरीजों से कम हो सकती है. स्टडी की वेलिडेशन के लिए और अधिक रिसर्च होने की आवश्यकता है. अभी फ़िलहाल निर्देश के अनुसार सभी को कोविड 19 से सावधानी बरतने की जरुरत है. 

पति से घर का काम कैसे कराएं

हाल ही में ब्रिटेन में हुए एक सर्वे से पता चला है कि पुरुष घर के छोटेमोटे काम करने में भी आनाकानी करते हैं, इसलिए पत्नियां अपने पति से घर के काम कराने के लिए घूस का सहारा लेती हैं. यह घूस पति को स्पोर्ट्स चैनल देखने का मौका देने जैसी होती है. वे उन्हें तब अपनी पसंद का चैनल देखने देती हैं, जब वे दीवार पर तसवीर टांगने, घर के फर्नीचर को सही तरह से जमाने, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करने का जिम्मा लेते हैं. इस के अलावा अपनी पसंद का महंगा गैजेट खरीदने की इजाजत, अपने दोस्तों के साथ बौयज नाइट आउट यानी रात में घूमने की आजादी, इन तरीकोें से पत्नियां पतियों को घरेलू काम में मददगार बनाती हैं.

सुपर बनने की डिमांड

भारतीय महिलाओं की स्थिति भी इस मामले में कुछ अलग नहीं है. उन के पास भी घरपरिवार, पति, बच्चे, औफिस, कैरियर, रिश्तेदारों के साथ निभाने आदि जिम्मेदारियों की लंबी लिस्ट होती है. उस से हर समय सुपर मां, सुपर पत्नी, सुपर कैरियर वूमन बनने की मांग की जाती है. ऐसे में औफिस और घर के बीच तालमेल बैठाती महिला अनेक अनचाहे पहलुओं से जूझती है. उस पर पति द्वारा, ‘साक्षी, मेरे जूते कहां हैं?’, ‘मेरा टिफिन पैक हुआ या नहीं?’, ‘मेरी फलां शर्ट प्रैस क्यों नहीं है?’, ‘शर्ट का बटन टूटा हुआ है’, ‘बाथरूम में तौलिया नहीं है’, ‘मेरी फाइल नहीं मिल रही’, ‘मेरी गाड़ी की चाबियां पकड़ाना जरा’, ‘तुम कोई भी काम ढंग से नहीं करती हो, तुम्हें पता है, मैं ये सब नहीं कर सकता’ जैसी शिकायतों का पुलिंदा किसी भी पत्नी को अंदर तक परेशान कर देता है कि जिन कामों के न होने की शिकायत पति कर रहा है, उन कामों को वह स्वयं भी कर सकता है. लेकिन वह इन कामों को पत्नी का काम समझता है.

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एकदूसरे के पूरक

हमारे समाज में लड़कियों में बचपन से ही जिम्मेदार, कार्यकुशल बनने और घरपरिवार के काम करने के संस्कार डाले जाते हैं. चाहे वह पत्नी हो, बच्चों की मां हो या बहू हो. भोजन, कपड़े धोना, बच्चों की देखभाल, फलसब्जी की खरीदारी, औफिस व घर के बीच तालमेल बैठाना सभी कामों की उम्मीद उसी से की जाती है. अगर पत्नी 2 दिन के लिए घर से बाहर चली जाए तो पति बीसियों बार कौन सी चीज कहां रखी है, जानने के लिए फोन करते हैं. घर लौटने पर घर में जगहजगह फैले अखबार, गंदे कपड़े, खाने की जूठी प्लेटें, डाइनिंग टेबल पर जमी धूल, सूखे गमले नजर आते हैं. जब स्त्रीपुरुष एकदूसरे के पूरक हैं, तो वे घरेलू कामों में एकदूसरे के मददगार क्यों नहीं हो सकते हैं?

जिम्मेदारी बराबर की

एक बौलीवुड अभिनेत्री से जब पूछा गया कि वे अपने होने वाले पति में क्या खूबी चाहती हैं, तो उन का जवाब था, ‘‘मैं चाहती हूं, मेरा होने वाला पति सही माने में मेरा सहयोगी, मेरा लाइफपार्टनर हो. वह हर पल हर सुखदुख में मेरा सहयोगी हो. उस में यह अहं न हो कि यह काम मेरा नहीं है, मैं इसे नहीं कर सकता.’’ दरअसल, आज की हर पढ़ीलिखी कैरियर माइंडेड युवती ऐसा जीवनसाथी चाहती है, जो जीवन के हर क्षेत्र में उसे पूरा सहयोग दे. उस की भावनाओं को पूरा महत्त्व दे, उसे बराबरी का अधिकार दे, उस के घरेलू कामों में उस की पूरी मदद करे. आज की जागरूक पत्नी का मानना है कि जब वह घर से बाहर जा कर पति को आर्थिक सहयोग दे रही है, तो पति से घरेलू कामों की उम्मीद करना कहीं से भी गलत नहीं है.

पति का सहयोग जरूरी

स्वतंत्र पत्रकार दीक्षा गोयल का कहना है कि पति का सहयोग कितना जरूरी और हिम्मत देने वाला होता है, यह मैं ने तब जाना जब मेरे बेटे अंश का जन्म हुआ. अंश के दूध की बौटल बनाने से ले कर उस के डायपर बदलने तक में मेहुल ने मुझे पूरा सहयोग दिया. आज अंश 5 साल का है, उसे बड़ा करने में मेहुल का बराबर का योगदान है. इस के विपरीत कई आलसी और अहंकारी पति इन कामों के लिए खुद को जिम्मेदार नहीं समझते. औफिस से आते ही सब से पहले उन्हें चाय चाहिए. फिर वे पसर कर या तो टीवी के आगे बैठ जाते हैं या फिर नैट पर सर्फिंग कर के पत्नी को चिढ़ाते रहते हैं और खाना टेबल पर लगने का इंतजार करते रहते हैं. ऐसे पति आलसी और गैरजिम्मेदार पतियों की श्रेणी में आते हैं, जो बैठेबैठे और्डर करते रहते हैं. जब तक उन से कहा नहीं जाए, वे उठ कर पानी का गिलास भी नहीं लेते. ऐसे में पत्नी बेचारी झुंझला उठती है. अगर पति केवल पत्नी से ही घरेलू कामों की उम्मीद करे और पत्नी सहयोग के समय अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़े तो इस रिश्ते में कड़वाहट पैदा होती है और माहौल तनावपूर्ण हो जाता है.

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