मम्मी बाबरा को ले कर उन के घर पहुंचीं तो बाबरा ने मिसेज सिद्दीकी के सामने ही टीशर्ट उतार कर कुरता पहन लिया. मिसेज सिद्दीकी शर्म से गड़ गईं, ‘‘हाय रे, यह तो बड़ी बेशर्म और बेबाक है.’’ इतने दिनों में बाबरा हिंदुस्तानी हावभाव समझने लगी थी.
‘‘आप भी तो औरत हैं, आप से कैसी शर्म?’’ बाबरा हंस कर अंगरेजी में बोली.
‘‘फिर भी लाजशर्म तो औरत का गहना है, यों खुलेआम कपड़े उतारना, तोबातोबा. ऐसे खुलेपन पर ही तो हिंदुस्तानी मर्द मरमर जाते हैं.’’
मैं जानता था, मिसेज सिद्दीकी की दोनों बेटियां घर में सलवारकुरता पहन, हिजाब कर के बाहर निकलती थीं, लेकिन कालेज के बाथरूम में टाइट टीशर्ट और टाइट जींस पहन लेतीं और बौयफ्रैंड के साथ मोटरसाइकिल पर बैठ घंटों किसी रेस्तरा में बतियातीं या पार्क में उन के कंधे पर सिर रख कर बैठी रहतीं.
बाबरा के हमारे घर आने की खबर जंगल की आग की तरह कालोनी में फैलने लगी. तभी नीलू भाई, जो एक करोड़पति बाप की बिगड़ी संतान हैं, का फोन मेरे मोबाइल पर आ गया. मैं बाबरा और अर्शी को ले कर आगरा जाने की तैयारी कर रहा था.
‘‘यार बड़े बेवफा हो, शिप से लौट आए हो, इतने दिन हो गए लेकिन कोई खबर तक नहीं की. अच्छा चलो, छोड़ो, शिकवाशिकायत. मैं अभी हाजिर होता हूं. खालाजान से कहना तुलसीअदरक वाली उन के हाथ की चाय पीने की ख्वाहिश हो रही है.’’ मैं लिहाजन चुप रह कर उन का इंतजार करने के लिए विवश था.
ड्राइंगरूम में घुसते ही उन की नजरें इधरउधर घूम कर कुछ तलाशने लगीं. सोफे पर धंसते ही उन का पहला जुमला सुनाई पड़ा, ‘‘सुना है अंगरेज लड़की साथ लाए…’’ सुनते ही मेरी कनपटी सुलगने लगी और मिलने के बहाने मेरे घर आने का मकसद भी साफ समझ में आ गया. गोश्त की महक को गिद्धों के नथुने तक पहुंचने में कितनी देर लगती है भला?
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‘‘जी, मेरे सीनियर की बेटी जरमन से आई है,’’ मैं बोला.
‘‘तो हमें मिलवाओ, यार,’’ सोफे के हत्थे पर जोर से हथेली पटकते हुए लपलपाती जीभ से वे बोले. आवाजें सुन कर बाबरा खुद ही कमरे से ड्राइंगरूम में आ गई और अजनबी को सामने बैठा देख कर दोनों हाथ जोड़ दिए.
दिन की शुरुआत चायकौफी की जगह शराब से शुरू करने वाले नीलू भाई की आंखों में बाबरा को देखते ही सुरूर के लाल डोरे उतर आए. अद्वितीय जरमन सुंदरता को प्रत्यक्ष देख कर नीलू भाई कुछ पलों के लिए पलकें झपकाना भूल गए.
‘‘बाबरा, आइए बैठिए,’’ मैं उन के कुतूहल का मोहभंग कर के बोला.
‘‘यू हैव कम फर्स्ट टाइम टू इंडिया?’’
‘‘आई केम टू एशिया, बट आई वाज नौट इंटर्ड इन इंडिया. आई वाज गोइंग टू सिंगापुर, दैट टाइम. आई क्रौस्ड इंडिया बाय शिप,’’ बाबरा बड़ी सहजता से बोली.
‘‘इट मींस यू हैव कैच्ड माई यंगर ब्रदर ऐट द शिप,’’ नीलू भाई चुटकी लेते हुए बोले.
‘‘नो, नोनो, आई नेवर मीट विद हिम बिफोर. ही इज माई फादर्स कलीग, लाइक माई ऐल्डर ब्रदर.’’ बाबरा इस भद्दे मजाक को बरदाश्त नहीं कर पाई. उत्तेजना से उस का चेहरा लाल हो गया था.
‘‘ब्रदर, मैं चाहता हूं कि तुम्हारे मेहमान को इंडियन फूड का जायका चखाया जाए,’’ मेरी पीठ पर धौल जमाते हुए अधिकारपूर्वक वे बोले. मैं जानता था कि नीलू भाई औरतों को जूतियों की तरह बदलते हैं. उन की आंखों में उतर आई छद्मता को पढ़ने में ज्यादा वक्त नहीं लगा मुझे.
‘‘बाबरा का पेट कुछ गड़बड़ है.’’
‘‘कोई बात नहीं, हम इन की प्लेट में सिर्फ राइस और बनाना (केला) रख देंगे,’’ बाबरा का सान्निध्य पाने का हर संभव प्रयास करते हुए पासा फेंका उन्होंने. मैं ने प्रश्नवाचक निगाहों से बाबरा की तरफ देखा तो वह दोनों हाथ हिला कर बोली, ‘‘नोनो…नोनो, आई हैड माई लंच जस्ट नाऊ.’’
अपने औफर को बाबरा द्वारा नकारे जाने पर हताश नहीं हुए नीलू भाई क्योंकि शायद वे इस जवाब का पहले ही कयास लगा चुके थे. वे बाबरा का सान्निध्य ज्यादा से ज्यादा देर तक पाने के लिए अपना पारिवारिक इतिहास बताने लगे.
‘‘माई फादर वाज फ्रीडमफाइटर. ही वर्क्ड विद सुभाष चंद्र बोस. ही लाइक्ड हिटलर मैथोलौजी.’’
‘‘मगर हम उसे पसंद नहीं करते क्योंकि उस ने पूरी जरमनी को तबाह कर डाला था. उसी की वजह से हमारे चर्च नेस्तनाबूद हो गए. हमारी आर्थिक व्यवस्था क्षतविक्षत हो गई. उस पागल आदमी की वजह से हमारे देश के 2 टुकड़े हो गए. प्लीज आई डोंट वौंट टू लिसन ईवन हिज नेम,’’ बाबरा गुस्से से बोली.
बाबरा की तीखी आवाज ने नीलू भाई को निरुत्तर कर दिया. बाबरा सोचने लगी कि इन हिंदुस्तानियों के पास कितना फालतू वक्त होता है? 2 घंटे से बैठ कर फुजूल की बातों में वक्त जाया कर रहे हैं. टाइम की कोई कीमत ही नहीं है इन के पास. जरमनी में रोटी, कपड़ा और जीने की जद्दोजेहद में हमें सिर्फ रात में 6-7 घंटे ही बैठनेसोने के लिए वक्त मिल पाता है. इन्हीं जैसे लोगों के कारण इंडिया अभी तक विकासशील देशों की लाइन में ही खड़ा हुआ है.
अपना पत्ता साफ होते देख नीलू भाई उठ खड़े हुए, ‘‘सो, नाइस मीटिंग विद यू, यंग लेडी,’’ कह कर बाबरा की तरफ हाथ बढ़ा दिया. बाबरा ने भी छुटकारा पाने की दृष्टि से अपनी तहजीब के मुताबिक हाथ बढ़ा दिया. नीलू भाई ने उस की हथेलियों को धीरे से दबा दिया और देर तक उस का हाथ थामे हुए मुझ से मेरी अगली जौइनिंग के बारे में बेमकसद बातें करने लगे. बाबरा उन की धूर्तता को समझ गई और झटके से अपना हाथ खींच कर घर के अंदर चली गई.
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‘‘शरमा गई,’’ कह कर, खिसियानी हंसी हंसते हुए नीलू भाई बाहर चले गए. माहौल बहुत ही बोझिल हो गया था, इसलिए मैं भी चुपचाप अपने कमरे में जा कर लेट गया.
शाम को अर्शी ने बतलाया कि बाबरा ने इंटरनैट पर अपनी वापसी का टिकट बुक कर लिया. मैं ने झिझकते हुए इतनी जल्दी वापस जरमनी जाने की वजह पूछी तो वह बिफर पड़ी, ‘‘इट इज रियली स्ट्राइकिंग, आप के देश में गंगा जैसी पावन नदी है. एवरेस्ट जैसी दुनिया की सब से ऊंची चोटी है. दूर तक फैला रेगिस्तान है. आसमान छूने वाली इमारत कुतुबमीनार है. प्यार और कुर्बानी का प्रतीक ताजमहल है. गांधी, गौतम, विवेकानंद का बर्थप्लेस है यह. एशिया का सब से ज्यादा पापुलेटेड कंट्री है यह. लेकिन हकीकत में एशिया का सब से घटिया देश है.
‘‘यहां के आलसी और धूर्त लोग मुफ्त में मिली चीजों का भोग करने में ही खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. आजादी मिले आधी सदी से ज्यादा हो गए लेकिन आज भी दोतिहाई हिंदुस्तानियों को पेटभर रोटी, तनभर कपड़ा, सिर पर छत मयस्सर नहीं है. 21वीं सदी में पहुंच कर भी यहां के मर्द, औरत को बराबरी का दरजा नहीं दे सके हैं. उन की महत्तवाकांक्षाओं को पूरा करने के बजाय वे उसे सिर्फ भोग की वस्तु समझते हैं. ऐंड यू नो, स्टिल इंडियंस नीड हंड्रैड ईयर्स टू कम विद द लैवल औफ यूरोपियन पीपल.’’
‘‘बट औल आर नौट लाइक दैट, बाबरा.’’ मैं ने ठंडी सांस भर कर बेबुनियाद सफाई देते हुए उसे समझाने की कोशिश की तो वह और आगबबूला हो गई. वह बोली, ‘‘मिस्टर अनीस, माई फादर वाज टोटली डिस्एग्री टू सेंड मी इंडिया. नोइंग औल द फैक्ट्स बाय माई फ्रैंड्स, आई वौंट टू सी एवरीथिंग बाय माई ओन आइज.’’ यह कहते हुए उस की नीली आंखों में समंदर उतर आया और वह फफक कर रो पड़ी. भरे गले से जो कुछ उस ने बताया, सुन कर मेरी काटो तो खून नहीं जैसी हालत हो गई, शर्मिंदगी से कई फुट पैर जमीन में धंस गए.
‘‘20 साल पहले उस की इकलौती फूफी इंडिया घूमने आई थी. अल्हड़, बिंदास फूफी हिंदी न समझने और अंगरेजी न बोल सकने के कारण जरमन में ही बोलती थी.
‘‘आगरा में ताजमहल देखने जाते वक्त टैक्सी वाले ने गाड़ी गांव की तरफ मोड़ दी. अपने 2 साथियों के साथ मिल कर उस का कीमती कैमरा और पर्स छीन लिया. वह रिपोर्ट करने जब पुलिस स्टेशन पहुंची तो राहजन को पहचानने का बहाना बना कर पुलिस वालों ने उसे पुरानी कोठी में 3 दिनों तक रखा और लगभग 10 लोगों ने उस के साथ बलात्कार किया.
‘‘जरनम ऐंबैसी की मदद से वह किसी तरह विक्षिप्त हालत में हैम्बर्ग पहुंच तो गई लेकिन एड्स की घातक बीमारी ने उसे आखिरकार 5 सालों में निगल लिया. मेरे डैडी अभी तक इस सदमे से उबर नहीं पाए हैं,’’ बाबरा के मुंह से यह सुन कर मेरी जबान तालू से चिपक गई. हताश, निराश मैं तीसरे दिन बाबरा को एयरपोर्ट पहुंचाने के लिए गाड़ी निकाल रहा था कि मिस्टर जेम्स का फोन आ गया, ‘‘थैंक्यू फौर सेंडिंग माई डौटर सेफली, थैंक्यू वेरी मच.’’ यह वाकई शुक्रिया था या करारा चांटा, मैं आज तक समझ नहीं पाया हूं.
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