Diwali Special: प्रैग्नेंसी में अटैंड करनी है दिवाली पार्टी तो ट्राय करें अनुष्का शर्मा के ये लुक्स

फैस्टिव सीजन का दौर शुरु हो चुका है. अब हर कोई सेफ्टी के साथ फैमिली गैदरिंग और पार्टी का लुत्फ उठा रहा है. लेकिन इस साल त्योहार मनाने के तरीके के साथ फैशन में भी बदलाव देखने को मिला है. जहां लोग फैस्टिव सीजन में इंडियन लुक्स कैरी करते नजर आते थे. वहीं कुछ लोग वेस्टर्न लुक का तड़का लगाते हुए भी नजर आते हैं. इसीलिए आज हम आपको प्रैग्नेंसी के दौरान अनुष्का शर्मा  (Anushka Sharma) की तरह कैसे अपने लुक को चार चांद लगाएं इसके कुछ औप्शन्स के बारे में आपको बताएगें….

1. सेलिब्रेशन के लिए परफेक्ट है अनुष्का की ये ड्रेस

अगर आप भी अपने बेबी बंप को पार्टी में फ्लौंट करते हुए स्टाइलिश दिखना चाहती हैं तो अनुष्का शर्मा की ये ड्रैस आपके लिए अच्छा औप्शन है. ट्रैपेज मिनी ड्रैस के साथ टाई स्लीव्स वाली अनुष्का की ये ड्रैस आप किसी भी फंक्शन में आसानी से कैरी कर सकती हैं. आप इस ड्रैस के साथ कंफर्ट और स्टाइल दोनों का ध्यान रख सकती हैं. वहीं फुटवियर्स की बात करें तो स्नीकर्स इस लुक को और भी कंफर्टेबल बनाएंगे.

 

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2. अनुष्का की ये ड्रैस है पार्टी परफेक्ट

 

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अगर आप चाहती हैं कि पार्टी में आप लौंग ड्रैस ट्राय करें तो अनुष्का की ये रफ्फल लुक वाली वाइट ड्रैस परफेक्ट औप्शन रहेगा. आप इस ड्रैस के साथ कंफर्टेबल सैंडल्स और सिंपल स्टड इयरिंग्स कैरी कर सकती हैं, जो आपके लुक को परफेक्ट बनाएगा.

3. मिडी ड्रैस है परफेक्ट

 

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पार्टी में अगर इंडियन लुक का तड़की लगाना चाहती हैं तो अनुष्का की एम्ब्रौयडरी वाली मिडी ड्रैस ट्राय करना ना भूलें. ये लुक आपके बेबी बंप को फ्लौंट करने के साथ आपके लुक को स्टाइलिश बनाने में मदद करेगी.

4. प्रिंटेड औप्शन करें ट्राय

अगर आप प्रिंटेड आउटफिट्स की शौकीन हैं तो अनुष्का शर्मा की ये फ्लावर प्रिंटेड ड्रैसेस आपके लिए अच्छा औप्शन साबित होगा.

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5. रफ्फल ड्रैस है पार्टी परफेक्ट

पार्टी में रफ्फल लुक इन दिनों ट्रैंड है और अगर प्रैग्नेंसी में ये ट्रैंड ट्राय करना चाहती हैं तो अनुष्का शर्मा का ये लुक आपके लिए अच्छा औप्शन साबित होगा.

 

9 टिप्स: जब न लगे बच्चे का पढ़ाई में मन

जरूरी नहीं की जो मुझ मे काबिलियत है वो तुम मे भी हो ,या जो तुम्हें  आता है वो मुझे भी आये.ये कथन हर किसी के  लिये स्टिक है चाहे बच्चा हो या बड़ा. ऐसा मुमकिन नहीं है की हर बच्चे की  बुद्धि का विकास  एक समान होता है. कुछ पढ़ाई मे ज्यादा अच्छे  होते  हैं तो कोई खेल में.प्रत्येक बच्चे  के अंदर एक सामान्य ऊर्जा होती है बस जरूरत है तो उस ऊर्जा को नया आयाम देने की . बच्चे की प्रतिभा को अच्छी तरह सिर्फ उसके माता -पिता या टीचर्स ही समझ सकते हैं इसीलिये इन्ही को जरूरत है उस कमजोर बच्चे की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देने की और उसमे एक नया आत्मविश्वास जगाने की. उसके  मन मे   एकग्रता बढ़ाने  की .

कैसे पढ़ाएं बच्चे को

अगर आपका बच्चा पढ़ाई मे कमजोर है तो ये टिप्स आजमाएं और अपने बच्चे मे फर्क पाएं-

1. सही जगह का करें चुनाव

परिवेश और वातावरण का पढ़ाई पर बहुत असर पड़ता है.  बच्चे मे एकग्रता लाने के  लिये जरूरी है  की उसे एक अलग कमरे मे  पढ़ाएं .बच्चे को टेबल चेयर पर बैठ कर पढ़ने की आदत डालें क्युकी चेयर पर पढ़ने से रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है जिस से एकग्रता बनी रहती है . जब तक आप बच्चे को पढ़ाएं किसी को  भी डिस्टर्ब न करने दे.

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2. बच्चे की नहीं करें पिटाई

अगर बच्चे की समझ मे कोई चीज़ नहीं आ रही है तो उस पर चिल्लाये नहीं और न ही उसकी पिटाई करे ऐसा करने से बच्चे के मन मे डर  बैठ जाता  है व पढ़ाई से जी चुराने लगता है .इसलिये उसे प्यार से समझाए .और अगर बच्चा पढ़ाई से ऊब गया हैं तो जबरदस्ती न करें थोड़ी देर उसे उसकी पसंद का काम करने दें .

3. बच्चे की परेशानी समझें

कभी कभी बच्चे को लिखी हुई चीज़े    समझ नहीं आती  इसलिये उसे बोल कर समझाए उसको आसान तरीके मे बदल कर समझाएं  और बच्चे को लिख कर  याद करने की आदत डालें .लिखा हुआ बच्चे को ज्यादा समय तक याद रहता है .

4. पढ़ते वक़्त न करें डिस्टर्ब

जबतक उसका मन पढ़ाई में लगे उसको पढ़ने दें , किसी कार्य के लिए उसे न उठाए. और घर मे आने   जाने वालो से भी उसकी पढ़ाई मैं डिस्टर्बेंस न होने दें .

5. डेली कराएं पढ़ाई

पढ़ाई का एक निश्चित टाइम टेबल बनाये .निर्धारित समय अनुसार पढ़ाई करने बैठे और एक योजना बना कर पढ़ाई करें. रोजाना के जरूरी कार्यो की तरह पढ़ाई को भी यही अहमियत दें. टाइम टेबल को कठिन नहीं बल्कि आसान बनाए जिससे आपको पढ़ाई उबाऊ नहीं लगेगी, बीच-बीच में ब्रेक जरूर लें .

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6. खेलना भी हैं जरूरी

खेलना भी बहुत जरूरी होता है क्यों की खेलने से नई ऊर्जा मिलती है और मानसिक विकास होता है .बच्चे को खेलने का भी निश्चित समय रखें.

7. पर्याप्त  नींद है जरूरी

अच्छी नींद से हॉर्मोन सही तरीके से रेगुलेट होते हैं जिससे माइंड तेज होता है और शरीर को भी आराम मिलता है जिससे पढ़ा हुआ याद रखने में मदद मिलती है. 7 -8घंटे की नींद बच्चे  को जरूर लेने दें .

8. योग की डालें आदत

रोजाना सुबह 20 मिनट तक योगा करें , इससे  पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ेगी ,और  दिमाग के ध्यान लगाने की क्षमता तेज होगी , शरीर पूरे दिन ऊर्जावान रहेगा .

9. खान पान का रखें ध्यान

बच्चे की उम्र के हिसाब से खाना  खिलाये .पोस्टिक तथा बुद्धिवर्धक चीज़े दें जैसे – रोज़ कम से कम दस बादाम रात में पानी में भिगोकर दें, सूखे मेवा दें ,दूध अवश्य दें, अगर आप शाकहारी हैं तो अपने बच्चे को हफते में दो बार मछली अवश्य खिलाये, हरी सब्ज़ी , फल , दूध से बनी हुई प्रोटीन तथा आयरन कैल्शियम से युक्त चीज़े उसे अवश्य खिलाए.

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सौ बरस और: बाबरा के सामने आया इंडिया का कड़वा सच

Serial Story: सौ बरस और (भाग-3)

मम्मी बाबरा को ले कर उन के घर पहुंचीं तो बाबरा ने मिसेज सिद्दीकी के सामने ही टीशर्ट उतार कर कुरता पहन लिया. मिसेज सिद्दीकी शर्म से गड़ गईं, ‘‘हाय रे, यह तो बड़ी बेशर्म और बेबाक है.’’ इतने दिनों में बाबरा हिंदुस्तानी हावभाव समझने लगी थी.

‘‘आप भी तो औरत हैं, आप से कैसी शर्म?’’ बाबरा हंस कर अंगरेजी में बोली.

‘‘फिर भी लाजशर्म तो औरत का गहना है, यों खुलेआम कपड़े उतारना, तोबातोबा. ऐसे खुलेपन पर ही तो हिंदुस्तानी मर्द मरमर जाते हैं.’’

मैं जानता था, मिसेज सिद्दीकी की दोनों बेटियां घर में सलवारकुरता पहन, हिजाब कर के बाहर निकलती थीं, लेकिन कालेज के बाथरूम में टाइट टीशर्ट और टाइट जींस पहन लेतीं और बौयफ्रैंड के साथ मोटरसाइकिल पर बैठ घंटों किसी रेस्तरा में बतियातीं या पार्क में उन के कंधे पर सिर रख कर बैठी रहतीं.

बाबरा के हमारे घर आने की खबर जंगल की आग की तरह कालोनी में फैलने लगी. तभी नीलू भाई, जो एक करोड़पति बाप की बिगड़ी संतान हैं, का फोन मेरे मोबाइल पर आ गया. मैं बाबरा और अर्शी को ले कर आगरा जाने की तैयारी कर रहा था.

‘‘यार बड़े बेवफा हो, शिप से लौट आए हो, इतने दिन हो गए लेकिन कोई खबर तक नहीं की. अच्छा चलो, छोड़ो, शिकवाशिकायत. मैं अभी हाजिर होता हूं. खालाजान से कहना तुलसीअदरक वाली उन के हाथ की चाय पीने की ख्वाहिश हो रही है.’’ मैं लिहाजन चुप रह कर उन का इंतजार करने के लिए विवश था.

ड्राइंगरूम में घुसते ही उन की नजरें इधरउधर घूम कर कुछ तलाशने लगीं. सोफे पर धंसते ही उन का पहला जुमला सुनाई पड़ा, ‘‘सुना है अंगरेज लड़की साथ लाए…’’ सुनते ही मेरी कनपटी सुलगने लगी और मिलने के बहाने मेरे घर आने का मकसद भी साफ समझ में आ गया. गोश्त की महक को गिद्धों के नथुने तक पहुंचने में कितनी देर लगती है भला?

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‘‘जी, मेरे सीनियर की बेटी जरमन से आई है,’’ मैं बोला.

‘‘तो हमें मिलवाओ, यार,’’ सोफे के हत्थे पर जोर से हथेली पटकते हुए लपलपाती जीभ से वे बोले. आवाजें सुन कर बाबरा खुद ही कमरे से ड्राइंगरूम में आ गई और अजनबी को सामने बैठा देख कर दोनों हाथ जोड़ दिए.

दिन की शुरुआत चायकौफी की जगह शराब से शुरू करने वाले नीलू भाई की आंखों में बाबरा को देखते ही सुरूर के लाल डोरे उतर आए. अद्वितीय जरमन सुंदरता को प्रत्यक्ष देख कर नीलू भाई कुछ पलों के लिए पलकें झपकाना भूल गए.

‘‘बाबरा, आइए बैठिए,’’ मैं उन के कुतूहल का मोहभंग कर के बोला.

‘‘यू हैव कम फर्स्ट टाइम टू इंडिया?’’

‘‘आई केम टू एशिया, बट आई वाज नौट इंटर्ड इन इंडिया. आई वाज गोइंग टू सिंगापुर, दैट टाइम. आई क्रौस्ड इंडिया बाय शिप,’’ बाबरा बड़ी सहजता से बोली.

‘‘इट मींस यू हैव कैच्ड माई यंगर ब्रदर ऐट द शिप,’’ नीलू भाई चुटकी लेते हुए बोले.

‘‘नो, नोनो, आई नेवर मीट विद हिम बिफोर. ही इज माई फादर्स कलीग, लाइक माई ऐल्डर ब्रदर.’’ बाबरा इस भद्दे मजाक को बरदाश्त नहीं कर पाई. उत्तेजना से उस का चेहरा लाल हो गया था.

‘‘ब्रदर, मैं चाहता हूं कि तुम्हारे मेहमान को इंडियन फूड का जायका चखाया जाए,’’ मेरी पीठ पर धौल जमाते हुए अधिकारपूर्वक वे बोले. मैं जानता था कि नीलू भाई औरतों को जूतियों की तरह बदलते हैं. उन की आंखों में उतर आई छद्मता को पढ़ने में ज्यादा वक्त नहीं लगा मुझे.

‘‘बाबरा का पेट कुछ गड़बड़ है.’’

‘‘कोई बात नहीं, हम इन की प्लेट में सिर्फ राइस और बनाना (केला) रख देंगे,’’ बाबरा का सान्निध्य पाने का हर संभव प्रयास करते हुए पासा फेंका उन्होंने. मैं ने प्रश्नवाचक निगाहों से बाबरा की तरफ देखा तो वह दोनों हाथ हिला कर बोली, ‘‘नोनो…नोनो, आई हैड माई लंच जस्ट नाऊ.’’

अपने औफर को बाबरा द्वारा नकारे जाने पर हताश नहीं हुए नीलू भाई क्योंकि शायद वे इस जवाब का पहले ही कयास लगा चुके थे. वे बाबरा का सान्निध्य ज्यादा से ज्यादा देर तक पाने के लिए अपना पारिवारिक इतिहास बताने लगे.

‘‘माई फादर वाज फ्रीडमफाइटर. ही वर्क्ड विद सुभाष चंद्र बोस. ही लाइक्ड हिटलर मैथोलौजी.’’

‘‘मगर हम उसे पसंद नहीं करते क्योंकि उस ने पूरी जरमनी को तबाह कर डाला था. उसी की वजह से हमारे चर्च नेस्तनाबूद हो गए. हमारी आर्थिक व्यवस्था क्षतविक्षत हो गई. उस पागल आदमी की वजह से हमारे देश के 2 टुकड़े हो गए. प्लीज आई डोंट वौंट टू लिसन ईवन हिज नेम,’’ बाबरा गुस्से से बोली.

बाबरा की तीखी आवाज ने नीलू भाई को निरुत्तर कर दिया. बाबरा सोचने लगी कि इन हिंदुस्तानियों के पास कितना फालतू वक्त होता है? 2 घंटे से बैठ कर फुजूल की बातों में वक्त जाया कर रहे हैं. टाइम की कोई कीमत ही नहीं है इन के पास. जरमनी में रोटी, कपड़ा और जीने की जद्दोजेहद में हमें सिर्फ रात में 6-7 घंटे ही बैठनेसोने के लिए वक्त मिल पाता है. इन्हीं जैसे लोगों के कारण इंडिया अभी तक विकासशील देशों की लाइन में ही खड़ा हुआ है.

अपना पत्ता साफ होते देख नीलू भाई उठ खड़े हुए, ‘‘सो, नाइस मीटिंग विद यू, यंग लेडी,’’ कह कर बाबरा की तरफ हाथ बढ़ा दिया. बाबरा ने भी छुटकारा पाने की दृष्टि से अपनी तहजीब के मुताबिक हाथ बढ़ा दिया. नीलू भाई ने उस की हथेलियों को धीरे से दबा दिया और देर तक उस का हाथ थामे हुए मुझ से मेरी अगली जौइनिंग के बारे में बेमकसद बातें करने लगे. बाबरा उन की धूर्तता को समझ गई और झटके से अपना हाथ खींच कर घर के अंदर चली गई.

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‘‘शरमा गई,’’ कह कर, खिसियानी हंसी हंसते हुए नीलू भाई बाहर चले गए. माहौल बहुत ही बोझिल हो गया था, इसलिए मैं भी चुपचाप अपने कमरे में जा कर लेट गया.

शाम को अर्शी ने बतलाया कि बाबरा ने इंटरनैट पर अपनी वापसी का टिकट बुक कर लिया. मैं ने झिझकते हुए इतनी जल्दी वापस जरमनी जाने की वजह पूछी तो वह बिफर पड़ी, ‘‘इट इज रियली स्ट्राइकिंग, आप के देश में गंगा जैसी पावन नदी है. एवरेस्ट जैसी दुनिया की सब से ऊंची चोटी है. दूर तक फैला रेगिस्तान है. आसमान छूने वाली इमारत कुतुबमीनार है. प्यार और कुर्बानी का प्रतीक ताजमहल है. गांधी, गौतम, विवेकानंद का बर्थप्लेस है यह. एशिया का सब से ज्यादा पापुलेटेड कंट्री है यह. लेकिन हकीकत में एशिया का सब से घटिया देश है.

‘‘यहां के आलसी और धूर्त लोग मुफ्त में मिली चीजों का भोग करने में ही खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. आजादी मिले आधी सदी से ज्यादा हो गए लेकिन आज भी दोतिहाई हिंदुस्तानियों को पेटभर रोटी, तनभर कपड़ा, सिर पर छत मयस्सर नहीं है. 21वीं सदी में पहुंच कर भी यहां के मर्द, औरत को बराबरी का दरजा नहीं दे सके हैं. उन की महत्तवाकांक्षाओं को पूरा करने के बजाय वे उसे सिर्फ भोग की वस्तु समझते हैं. ऐंड यू नो, स्टिल इंडियंस नीड हंड्रैड ईयर्स टू कम विद द लैवल औफ यूरोपियन पीपल.’’

‘‘बट औल आर नौट लाइक दैट, बाबरा.’’ मैं ने ठंडी सांस भर कर बेबुनियाद सफाई देते हुए उसे समझाने की कोशिश की तो वह और आगबबूला हो गई. वह बोली, ‘‘मिस्टर अनीस, माई फादर वाज टोटली डिस्एग्री टू सेंड मी इंडिया. नोइंग औल द फैक्ट्स बाय माई फ्रैंड्स, आई वौंट टू सी एवरीथिंग बाय माई ओन आइज.’’ यह कहते हुए उस की नीली आंखों में समंदर उतर आया और वह फफक कर रो पड़ी. भरे गले से जो कुछ उस ने बताया, सुन कर मेरी काटो तो खून नहीं जैसी हालत हो गई, शर्मिंदगी से कई फुट पैर जमीन में धंस गए.

‘‘20 साल पहले उस की इकलौती फूफी इंडिया घूमने आई थी. अल्हड़, बिंदास फूफी हिंदी न समझने और अंगरेजी न बोल सकने के कारण जरमन में ही बोलती थी.

‘‘आगरा में ताजमहल देखने जाते वक्त टैक्सी वाले ने गाड़ी गांव की तरफ मोड़ दी. अपने 2 साथियों के साथ मिल कर उस का कीमती कैमरा और पर्स छीन लिया. वह रिपोर्ट करने जब पुलिस स्टेशन पहुंची तो राहजन को पहचानने का बहाना बना कर पुलिस वालों ने उसे पुरानी कोठी में 3 दिनों तक रखा और लगभग 10 लोगों ने उस के साथ बलात्कार किया.

‘‘जरनम ऐंबैसी की मदद से वह किसी तरह विक्षिप्त हालत में हैम्बर्ग पहुंच तो गई लेकिन एड्स की घातक बीमारी ने उसे आखिरकार 5 सालों में निगल लिया. मेरे डैडी अभी तक इस सदमे से उबर नहीं पाए हैं,’’ बाबरा के मुंह से यह सुन कर मेरी जबान तालू से चिपक गई. हताश, निराश मैं तीसरे दिन बाबरा को एयरपोर्ट पहुंचाने के लिए गाड़ी निकाल रहा था कि मिस्टर जेम्स का फोन आ गया, ‘‘थैंक्यू फौर सेंडिंग माई डौटर सेफली, थैंक्यू वेरी मच.’’ यह वाकई शुक्रिया था या करारा चांटा, मैं आज तक समझ नहीं पाया हूं.

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Serial Story: सौ बरस और (भाग-2)

मर्चेंट नेवी जौइन करने से पहले मैं भी विदेशियों को कम कपड़ों में धूप सेंकने के तौरतरीकों को आपत्तिजनक और बेशर्मी का शगल मानता था लेकिन यूरोप महाद्वीप के बाशिंदे वहां की हाड़ कंपा देने वाली सर्दी और माइनस जीरो डिगरी से भी कम तापमान में रह कर काम करते हुए धूप की जरूरत शिद्दत से महसूस करने लगते हैं. पूरे 10 महीनों की भीषण सर्दी में रहते हुए उन के शरीर को विटामिन डी की काफी जरूरत होती है. गोरी चमड़ी को त्वचा रोग से बचाने के लिए पूरे शरीर को सूर्य की किरणों से नहलाना, विलासिता या शरीर प्रदर्शन का शौक नहीं, बल्कि शरीर की जबरदस्त मांग के कारण यह बेहद जरूरी होता है.

बाबरा भारतीय खाने और व्यंजनों के प्रति आकर्षित रही और उन की रैसिपी के लिए भी बेहद उत्सुक व जिज्ञासु दिखलाई दी. घूमनेफिरने के बाद जितने वक्त भी घर में रहती, मम्मी के साथ किचन में ही खड़ी हो कर उन की पाकविद्या को सीखने का भरसक प्रयत्न करती रहती. हमारे साथ रह कर उस ने नमस्ते, आदाब और शुक्रिया कहना सीख लिया था. उस के जरमन लहजे में बोले गए हिंदी-उर्दू शब्द सुन कर मम्मी खुश होतीं.

3-4 दिनों तक मसूरी, धनौल्टी, ऋषिकेश, हरिद्वार, हरकी पौड़ी घूमते हुए हरिद्वार के मंदिर में रोज होने वाली हजारों दीयों की आरती को देख कर बाबरा बहुत ही अचंभित और खुश हुई.

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उस दिन शाम को कौलबैल बजी तो दरवाजे पर खड़े मिस्टर व मिसेज नेगी को देख कर हैरान रह गईं मम्मी. किटी पार्टी या ईदबकरीद में बारबार बुलाने पर भी कभी उन्होंने हमारे घर का पानी तक नहीं छुआ था. स्वयं को वे उच्च कुलीन ब्राह्मण की मानसिकता के कंटीले दायरे से निकाल नहीं पाए थे.

बाबरा ड्राइंगरूम में ही बैठी थी. उन्हें देख कर नमस्ते करने के लिए उस ने दोनों हाथ जोड़ दिए और चांदनी सी मुसकराहट बिखेरती हुई उन के सामने बैठी रही. गरमी से बेहाल बाबरा ने उस वक्त स्लीवलैस, डीप गले का टौप और जांघों तक की पैंट पहन रखी थी. मिस्टर नेगी की नजर बारबार उस के गोरे चेहरे से फिसलते हुए कुछ देर तक उस के उन्नत उरोजों पर ठहर कर, खुले चिकने पेट से हो कर उस की गुलाबी जांघों पर आ कर ठहर जाती.

पूरे 1 घंटे तक मिसेज नेगी पूरी कालोनी की खबरों का चलताफिरता, सब से तेज चैनल बनी रहीं. मम्मी बारबार पहलू बदलने लगी थीं क्योंकि उन्हें रात के खाने की तैयारी करनी थी और बाबरा की डिशेज के लिए सामान लाने के लिए मुझे बाहर जाना था.

मिसेज नेगी अपने मन का अवसाद निकाल कर जब बाबरा की तरफ पलटीं तो सवालों की झड़ी लगा दी, ‘‘कहां से आई हो? क्या करती हो, शादी हुई या नहीं? अनीस के परिवार को कब से जानती हो?’’

जवाब देने के लिए छोटी बहन अर्शी को शिष्टाचारवश मध्यस्थता के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ कर आना पड़ा. यूरोपियन संस्कृति में व्यक्तिगत प्रश्न पूछे जाने को बेहद ही अशिष्ट माना जाता है. कभीकभी तो लोग झुंझला कर पूछने

वाले के व्यक्तिगत जीवन पर नाहक दखलंदाजी की तोहमत लगा कर केस भी कर देते हैं. लेकिन सौम्य, सुसंस्कृत बाबरा अंदरअंदर खीझती हुई भी बड़ी ही शालीनता से उन के बेसिरपैर के प्रश्नों का जवाब दे रही थी.

‘‘हमारे देश का खाना कैसा लगता है?’’

‘‘इट्स फाइन, बट आई कुड नौट ईट. इट इज सो मच औयली ऐंड स्पाइसी,’’ बाबरा ने कंधे उचका कर अंगरेजी में जवाब दिया.

‘‘अपने देश में आप क्या खाती हैं?’’

‘‘वैल, वी ईट चीज, बटर, ब्रैड, मीट, एग्स, वेजीटेबल्स, फिश, बट औल थिंग्स आर बौयल्ड.’’

‘‘मीट किस का खाती हैं? हम ने सुना है, सूअर का मांस…’’ बुरा सा मुंह बना कर बोलीं मिसेज नेगी, जैसे अभी उलटी कर देंगी.

‘‘यस, औब्वियस्ली, इट कंटेन्स मोर प्रोटींस ऐंड विटामिंस,’’ बाबरा ने बड़े ही संयत ढंग से कुबूल किया.

बाबरा का जवाब सुनते ही मिसेज नेगी ने दोनों हाथों से कान पकड़ लिए. ‘‘भाभीजी, आप ऐसे लोगों को कैसे बरदाश्त कर रही हैं जो आप के मजहब में भी एतराज की गई चीजें खाते हैं,’’ कहती हुई मिसेज नेगी मुंह पर हाथ रख कर बाहर निकल गईं. पीछेपीछे मिस्टर नेगी भी कनखियों से बाबरा की सुडौल और खूबसूरत पिंडलियों को देखते हुए बाहर निकल गए.

बाबरा उन के बरताव पर हतप्रभ रह गई और विस्फारित नेत्रों से हम तीनों को बारीबारी से देखने लगी.

हम निरुत्तर हो कर एकदूसरे को शर्मिंदगी से देखने लगे. क्या बताते बाबरा को कि मिसेज नेगी जिन सूअरों का मांस खाने की बात समझ रही थीं, वे भारत में गंदी नालियों में लोटते और मैला खाते हैं. हम मिसेज नेगी को समझाते भी कैसे कि यूरोपियन जिन सूअरों का मांस खाते हैं, वे बहुत ही साफसुथरे ढंग से गेहूं और सोयाबीन खिला कर पाले जाते हैं. यही विदेशियों का सब से पसंदीदा खाना होता है और फिर हमारी दोस्ती तो इंसानी संबंधों के चलते कायम हुई. इस में खानपान की शर्तें कहां.

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इसलामी बंदिशों और यूरोपियन संस्कृति की जरूरतें कभी आपस में टकरा नहीं सकतीं क्योंकि हमारा परिवार इस तंग सोच से ऊपर, बहुत ऊपर उठ कर केवल इंसानी जज्बों को सिरआंखों पर बैठाता है.

बाबरा के भारत आने पर सूरज भी शायद खुश हो कर अपनी उष्मा दिनबदिन बढ़ाता ही चला जा रहा था. एसी, कूलर, पंखे, सारी व्यवस्थाओं के बावजूद बाबरा गरमी से बेहाल थी. मम्मी उस के लिए 2 जोड़ी सूती गहरे रंग के सलवारकुरते ले आईं. कालोनी में ही बुटीक चलाती मिसेज सिद्दीकी के पास नाप दिलवाने बाबरा को ले गईं.

जरमन लड़की को इतने करीब से देखने और उस से मुखातिब होने का सुअवसर सिद्दीकी की बेटियों को जब अनजाने ही मिल गया तो वे बौरा सी गईं. खि…खि…खिखियाती हुई वे एकदूसरे को कोहनी मार कर कहने लगीं, ‘‘तू पूछ न…’’

‘‘नहीं, तू पूछ.’’ बस, इसी नोकझोंक में एक ने हिम्मत कर के पूछा, ‘‘इन की शादी हो गई है?’’ मम्मी ने पूछने वाली को आश्चर्य से देखा. मानो हर लड़की की जिंदगी का मकसद सिर्फ शादी करना है. इस से आगे और इस से ज्यादा वे सोच भी नहीं सकतीं क्योंकि सदियों से शायद उन्हें जन्मघुट्टी के साथ यही पिलाया जाता है, ‘तुम्हें दूसरे के घर जाना है. सलीका, तरीका, खाना बनाना, सीनापिरोना, उठनेबैठने का कायदा सीख लो. तुम्हारी जिंदगी का फसाना सिर्फ शादी, बच्चे, शौहर की गालियां, लातघूंसे और घुटघुट के तिलतिल मरने के बाद ही खत्म होगा.’

‘‘मुझे नहीं मालूम,’’ मम्मी ने जवाब दिया.

‘‘ये लो, आप की मेहमान है और आप ने पूछा ही नहीं. कोई जवान बेटे के घर में किसी की जवान बेटी को ऐसे कैसे रख सकता है? परदेदारी भी कोई चीज है इसलाम में,’’ मिसेज सिद्दीकी की कुंठा को जबान मिल गई.

‘‘नहीं, किसी के पर्सनल मामले में सवाल पूछना तहजीब के खिलाफ है. जहां तक परदेदारी की बात है, तो बदलते जमाने के साथ अपनी सोच को भी खुला रखना चाहिए. इसलाम में गैरों से परदे का हुक्म दिया गया है, अपनों से नहीं. बाबरा तो अर्शी की तरह ही है अनीस के लिए.’’ मम्मी का टका सा जवाब सुन कर मिसेज सिद्दीकी बुरा सा मुंह बना कर बाबरा की नाप लेने लगीं.

2 दिनों बाद उन का फोन आया, ‘‘कपड़े सिल गए हैं. आप आ कर फिटिंग देख लीजिए.’’

आगे पढ़ें- मम्मी बाबरा को ले कर उन के…

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Serial Story: सौ बरस और (भाग-1)

मर्चेंट नेवी में सेफ्टी औफिसर के पद का 3 महीनों का कौंट्रैक्ट खत्म कर के मैं हिंदुस्तान लौटने वाला था. साइन औफ के समय जरमन स्टाफ कैप्टन ने कंधे पर आत्मीयता से हाथ रख दिया. पिछले 15 सालों से हम अलगअलग शिपिंग कंपनियों में कई बार साथ काम कर चुके थे.

‘‘आई वौंट अ फेवर फ्रौम यू, जैंटलमैन,’’ मिस्टर जेम्स बोले.

‘‘ओ श्योर, इट्स माई प्लेजर.’’

‘‘माई डौटर वौंट्स टू विजिट इंडिया. बट ड्यू टू लास्ट बिटर एक्सपीरियंस, आई डौंट वौंट टू सेंड हर अलोन.’’

‘‘डौंट वरी सर, यू सेंड हर. मी ऐंड माई औल फैमिली मैंबर्स विल टेक केयर औफ हर.’’ मैं ने उन के कड़वे अनुभव को कुरेदने की कोशिश नहीं की.

‘‘थैंक्स. आई बिलीव औन यू, बिकौज आई नो यू सिंस लौंग बैक.’’

हिंदुस्तान पहुंचने के एक हफ्ते बाद मिस्टर जेम्स की बेटी का मेल आ गया. देहरादून एयरपोर्ट से रिसीव कर के मैं बाबरा को घर ले आया. अम्मी और मेरी छोटी बहन अर्शी ने उस का बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया.

20 वर्षीया, फोटोजैनिक चेहरे वाली बाबरा की आंखें नीली और बाल भूरे थे. जरमन मर्द और औरतें अपनी फिगर के लिए बहुत सचेत रहते हैं. बाबरा दुबलीपतली लेकिन पूरी तरह स्वस्थ थी. वह जरमन भाषा के अलावा अंगरेजी और फ्रैंच बोल सकती थी.

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अम्मी को अंगरेजी नहीं आती थी, लेकिन अर्शी ने अंगरेजी में ही घर, महल्ले, शहर के आसपास के दर्शनीय स्थलों के बारे में उसे पूरी जानकारी दे दी थी. बाबरा के रहने, खाने के जरमन तरीके की पूरी व्यवस्था की थी मैं ने.

मेरा मकान शहर की एक पौश कालोनी में था जिस में ड्यूप्लैक्स और फ्लैट्स मिला कर लगभग 50 घर थे. वाचमैन, जमादार, माली की बाकायदा व्यवस्था थी. संपन्न लोग ही हमारी कालोनी में मकान खरीद सकते थे. कालोनी में ज्यादातर उच्च पद वाले सरकारी अधिकारी और बड़े बिजनैस वाले किराएदार थे.

रात का खाना खाने के बाद मैं बाबरा के साथ कालोनी की ही सड़क पर टहलते हुए उसे भारत के ऐतिहासिक नगरों की जानकारी देने लगा. उस वक्त कालोनी के कुछ लोग भी इवनिंग वाक कर रहे थे. हम लोगों को क्रौस कर के वे आगे तो निकल जाते, लेकिन बारबार पलट कर हमें देखने लगते. उन में से एक 45 साल का व्यक्ति, जो शायद किसी सरकारी महकमे में क्लासवन औफिसर था, हमारे साथसाथ चलते हुए हमारी बातें सुनने का प्रयास करने लगा. थोड़ी दूर चल कर फिर तेजी से चहलकदमी करता अपने ग्रुप से जा मिला.

दूसरे दिन सुबह ही कालोनी की दबंग मिसेज वशिष्ठ का फोन मेरी मम्मी के मोबाइल पर आया. औपचारिक बातों में उन्होंने उलाहना दी, ‘‘आजकल आप फौरेनर्स की मेहमाननवाजी में व्यस्त हैं, इसीलिए कल मिसेज मल्होत्रा के यहां किटी पार्टी में दिखाई नहीं दीं.’’

‘‘जी, जरमनी से अनीस के दोस्त की बेटी इंडिया घूमने आई है. बस, उसी के साथ व्यस्त हो गई हूं.’’

‘‘दोस्त की बेटी, या खुद अनीस की दोस्त? बेटे की उम्र हो गई है शादी की. देशविदेश घूमता रहता है. अगर यह लड़की तैयार है तो कर दीजिए चट मंगनी पट ब्याह.’’ नौनस्टौप बोलने के बाद वे खुद ही हो…हो…कर के हंसने लगीं.

‘‘नहींनहीं, ऐसी कोई बात नहीं है.’’ मम्मी इस अप्रत्याशित सवाल पर बौखला सी गईं.

‘‘है कैसे नहीं, अंगरेज लड़की के साथ घूमनाफिरना, कुछ तो मतलब रखता है. अरे, अपनी कालोनी के सेन साहब के बेटे के बारे में तो सुना ही होगा न आप ने?’’

‘‘नहींनहीं, मैं ने कुछ नहीं सुना. मुझे वक्त कहां मिलता है जो कालोनी के घरों के बारे में जानकारियां रख सकूं. किसी के निजी मामलों में दखल देने का मेरा मिजाज भी नहीं है.’’ मम्मी की आवाज में हलकी तल्खी महसूस की मैं ने.

‘‘अरे, तो हमें कौन सी पड़ी है किसी के घर में झांकने की? अब अगर सामने ही कुछ हो रहा है तो आंखें और कान तो बंद नहीं किए जा सकते न. हुआ यों था कि सेन साहब का बेटा पढ़ने के लिए अमेरिका गया था. वापसी पर वह विदेशी गिफ्ट्स के साथ एक अंगरेज लड़की भी ले आया. ये विदेशी लड़कियां हैंडसम लड़कों और उन के बैंकबैलेंस पर ही अपना ईमान खराब करती हैं. न धर्म देखती हैं न जाति. बस, लड़का मालदार हो तो चिपक जाती हैं जोंक सी. जब तक खून से पूरा पेट नहीं भर लेती हैं तब तक नहीं छोड़ती हैं ये.

‘‘सेन भाभी ने बड़ी धूमधाम से उस के साथ बेटे की मंगनी कर दी. कालोनी में, रिश्तेदारी में उन का तो मान बढ़ाती थी अंगरेजन. सगाई के बाद सेन साहब का बेटा स्टूडैंट वीजा पर दोबारा अमेरिका गया. लेकिन क्या बताएं भाभीजी, मुआ 6 महीने में ही लौट आया.’’

‘‘सेन भाभी रोरो कर बतला रही थीं, ‘अंगरेज लड़की के परिवार वाले तकरीबन रोज ही उस पर क्रिश्चियन धर्म अपना लेने के लिए दबाव डालने लगे.’ खालिस पंजाबी परिवार का बेटा भला कैसे ईसाई हो जाता. बेचारा बैरंग लौट आया. धोबी का कुत्ता बन गया- न घर का रहा न घाट का.

‘‘अब वह रोज शराब के प्यालों में अंगरेजन को भुलाने की कोशिश में बोतल पर बोतल खाली कर देता है. सेन साहब तो सदमे से आधे रह गए. बुढ़ापे में उन्हें जवान बेटे का खर्चा उठाना पड़ रहा है. इसीलिए कहती हूं, आप भी जरा आंखें और कान खुले रखना.’’ पूरी कालोनी का पुराण कंठस्थ कर के दूसरी महिलाओं को सुनाना उन के अजीब से असामाजिक व्यवहार में शामिल हो गया था.

दूसरे दिन मोटरसाइकिल पर सवार होने के लिए बाबरा मेरे साथ निकल ही रही थी कि आसपास के घरों की खिड़कियां खुलनेबंद होने लगीं. उस ने मोटरसाइकिल के दोनों तरफ पैर डाल दिए थे, उस की छोटी स्कर्ट थोड़ी और ऊंची हो गई थी.

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दोपहर को वह सनबाथ लेने के लिए बिकिनी पहन कर जैसे ही छत की आरामकुरसी पर बैठी, पड़ोसियों की हमेशा सूनी पड़ी छतों पर कपड़े सुखाने और सफाई करने के बहाने आने वालों की संख्या बढ़ने लगी.

कहां फिल्मों और टीवी स्क्रीन पर दिखलाया जाने वाला गौर वर्ण का अर्धनग्न नारी शरीर और कहां साक्षात अंगरेज लड़की का आधा नंगा संगमरमरी बदन, जिस की ताब में पड़ोसियों की आंखें सिंकने लगीं. मर्दों के मुंह से तो लार टपकतेटपकते बची और खुद महिलाएं, लड़कियां नारी स्वतंत्रता आंदोलन की प्रचारक तो बन गईं लेकिन जरमन लड़की की आजादी आपत्तिजनक साबित करने लगीं. वस्तुस्थिति तो यह थी कि वे भीतर ही भीतर जरमन लड़की से ईर्ष्या कर रही थीं.

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बच्चों की जिज्ञासा की अनदेखी न करें

बच्चों में हर चीज के बारे में जानने को लेकर उत्सुकता बनी रहती है. ऐसे में वे हर छोटी से छोटी चीज को लेकर अपने माता-पिता से सवाल पूछते हैं. ये सवाल कई बार पैरेंट्स को परेशान भी कर देते हैं और वे या तो सवाल को अनदेखा कर देते हैं या फिर बच्चे पर गुस्सा होते हैं जोकि गलत है.
क्यू शाला के को-फाउंडर रवि का कहना है कि 3 साल की उम्र तक के बच्चे हर दिन कम से कम 73 सवाल पूछते हैं. जैसे-जैसे समय बीतता है और वे युवा उम्र में प्रवेश करते हैं, और अगर उनके सवालों के संतोषजनक उत्तर नहीं मिलते, तो यह जिज्ञासा उम्र के साथ खत्म हो जाती है.

जिज्ञासा को पूरा करना क्यों महत्वपूर्ण है?

इस बारे में रवि कहते हैं कि जिज्ञासा एक्‍स्‍प्‍लोर करने और सवालों के जवाब ढूंढने के लिए प्रेरित करती है. जिज्ञासा रचनात्मक समाधानों के लिए बेहद जरूरी आधार बन चुकी है, खासतौर से आज के लगातार बदलते समय में यह दुनिया की मांग और आवश्यकता दोनों बन चुकी है. यह एक बच्चे की अवधारणाओं को अच्छी तरह से समझने के लिए प्रेरित करती है, जिन्‍हें वे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में लागू कर सकते हैं ताकि वे कुछ ऐसे समाधान पा सकें जिनके बारे में उन्‍होंने पहले नहीं सुना था। सीधे शब्दों में कहें, तो यह रचनात्मक सोच, कल्पना और कुल मिलाकर एक बच्चे के समग्र विकास का पहला कदम है.

इस बारे में क्यू शाला के को फाउंडर राघव चक्रवर्ती, का कहना है कि वास्तव में इस आग को जीवित रखना काफी चुनौतीपूर्ण है। क्विज़ सेशन, बहस और चर्चा (वर्तमान में सभी ऑनलाइन हैं) जैसे प्‍लेटफॉर्म्‍स बच्चों को न केवल उनकी अभिव्यक्ति की ताकत को बढ़ाकर ज्ञान का निर्माण करने में मदद करते हैं, बल्कि सबसे महत्‍वपूर्ण है कि इनसे बच्चों में निहित जिज्ञासा का भी पोषण होता है. उनमें गहराई से जिज्ञासा विकसित करने और उसे चमकाने के साथ-साथ परीक्षाओं को पास करने के लिए, नियमित पाठ्यपुस्तक विधि को अपनाना भी एक प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए. इस समय के दौरान जिज्ञासा का पोषण करना एक कठिन काम हो सकता है, लेकिन यह बच्चे के संपूर्ण विकास और बाद में जीवन की सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसके तीन बुनियादी तरीके हैं पहला प्रश्नों को प्रोत्साहित करना, दूसरा सवालों के जवाब देना और तीसरा ज्यादा से ज्यादा सवालों के जवाब देकर बच्चे के साथ खोज की गहराई पर जाना.

बारीकियों को जानना है ज़रूरी

सचिन रवि कहते हैं कि प्रश्न ही इस दुविधा की कुंजी हैं. इसलिए बच्चों के लिए सुरक्षित स्पेस का निर्माण करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अधिकांश लोग उनके सवालों को हास्यास्पद कहेंगे, लेकिन हमें जिज्ञासा की हर छोटी सी चिंगारी को प्रोत्साहित करना है. ऑनलाइन कार्यशालाओं, क्विज़ और यहां तक ​​कि अनौपचारिक चर्चाओं का उपयोग करके यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि बच्चे उन विषयों के बारे में बात करें, जो उनके दिमाग में बार-बार आ रहे हैं. साथ ही प्रत्येक विषय की बारीकियों के बारे में जानें, जो ज्यादा प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करते हैं.

इसके अलावा हमें सवालों और किसी भी चीज के बारे में चर्चा करने की शक्ति को प्रोत्साहित करना चाहिए. चाहे वह सूर्य और इससे परे की कोई भी बात हो. हमारा मानना ​​है कि सवाल पूछने के लिए एक कुशल समूह बच्चों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा. आखिरकार हम सभी उत्सुक व्यक्तियों के लिए जवाब से ज्यादा सवाल महत्वपूर्ण हैं. बच्चों में जिज्ञासा का पोषण करना बहुत जरूरी है और यह समय की आवश्यकता है, फिर भी दुखद रूप से इसे अनदेखा किया जा रहा है.

इन बातों का रखें ध्यान

1- इस बात का खास ध्यान बच्चे के किसी भी प्रश्न का जवाब उसकी समझ के हिसाब से उन्हीं के लहजे में दें.
2- जिन सवालों के जवाब नहीं पता, उनके गलत जवाब न दें. बेहतर होगा कि आप बच्चे को कहें कि इसका जवाब मुझे नहीं पता.
3- बच्चों के सवालों से परेशान होकर उनपर पर गुस्सा न करें.
4- बच्चे के सवाल पूछने पर कभी भी ये न कहें कि, तुम बहुत सवाल पूछते हो, ये बेतुका सवाल है. अगर आप इस तरह की बातें बच्चे को कहेंगे तो उसका मनोबल टूटेगा.

हनीमून पर पति संग काजल अग्रवाल ने करवाया रोमांटिक फोटोशूट, Photos Viral

बीते दिनों बौलीवुड शादियों ने फैंस को काफी एंटरटेन किया था. वहीं साउथ से लेकर बौलीवुड तक अपनी पहचान बनाने वाली एक्ट्रेस काजल अग्रवाल की बिजनेसमैन गौतम किचलू से शादी भी सोशलमीडिया पर छाई हुई थी. 30 अक्टूबर को सात फेरों के बंधन में बंध चुकी एक्ट्रेस काजल इन दिनों अपने हनीमून पर हैं, जिसकी फोटोज वह फैंस के लिए अपने सोशलमीडिया पर शेयर कर रही हैं, जिसे फैं स काफी पसंद कर रहे हैं. इसीलिए आज आइए आपको दिखाते हैं काजल अग्रवाल के हनीमून की खास फोटोज…

पति संग मालदीव पहुंची काजल

शादी और करवाचौथ की रस्में खत्म होने के बाद काजल अग्रवाल हनीमून पर जा पहुंची हैं. इस की जानकारी खुद काजल अग्रवाल ने अपनी कुछ फोटोज फैंस के साथ शेयर करते हुए दी है. काजल अग्रवाल इस समय अपने पति गौतम किचलू के साथ मालदीव में हैं. जहां वह पति की बाहों में पोज देती हुई नजर आ रही हैं.

 

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ऐसा दिखा काजल अग्रवाल का अंदाज

 

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@conrad_maldives you beauty 😍

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हनीमून वेकेशन के दौरान काजल अग्रवाल रेड कलर के खूबसूरत आउटफिट में नजर आईं. इस ड्रेस के साथ काजल अग्रवाल ने स्टाइलिश चश्मा भी कैरी किया. वहीं इन फोटोज को शेयर करने के बाद से काजल अग्रवाल की फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

काजल अग्रवाल ने चुराया फैंस का दिल

 

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My beach essentials 😎

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अपनी फोटोज में काजल अग्रवाल ब्राउन कलर की स्टाइलिश हैट लगाए नजर आईं. वहीं इनके अलावा काजल अग्रवाल समंदर किनारे आराम फरमाती नजर भी दिखीं. साथ ही काजल अग्रवाल ने पैरों की मेहंदी को भी सोशलमीडिया के जरिए फ्लॉन्ट किया.

करवाचौथ पर भी बटोरीं सुर्खियां

 

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बीते दिनों करवाचौथ के दौरान भी सोशलमीडिया पर काजल अग्रवाल का लुक फैंस को काफी पसंद आया था. रेड कलर की साड़ी के साथ रेड कलर का चूड़ पहने काजल की फोटोज को फैंस ने काफी पसंद किया था.

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‘अनुपमा’ से छुटकारा पाने के लिए काव्या बनाएगी प्लान, घरवाले होंगे हैरान

सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) जहां टीआरपी में नए-नए रिकौर्ड बना रही है तो दूसरी तरफ मेकर्स शो में नए ट्विस्ट लाकर फैंस को एंटरटेन करने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं. ट्रैक की बात करें तो वनराज की जिंदगी में काव्या जहां जगह बनाती जा रही है तो वहीं अनुपमा अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कर रही है. लेकिन अब शो में काव्या, अनुपमा के खिलाफ चालें चलने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे..

मां को सपोर्ट करता है समर

अब तक आपने देखा कि समर अपनी मां अनुपमा को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए ऑनलाइन डांस क्लास के लिए मनाता नजर आता है, जिसके बाद अनुपमा  डांस प्रैक्टिस करती हुई भी नजर आती है. हालांकि अनुपमा के डांस करने के खिलाफ वनराज उसके घूंघरू तोड़ देता है. लेकिन इस बात से अनुपमा का हौसला नही टूटता औऱ वह वनराज को तगड़ा जवाब देते हुए हार ना मानने का वादा करती नजर आती है.

 

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Nadani and Anupama Dance 💃💃💃💃 @rupaliganguly @anagha_bhosale @paras_kalnawat #anupamaa #anupamaa #anupamaa #anupamaa

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काव्या बनाती है ये प्लान

अनुपमा के कारण गुस्से में वनराज, काव्या से मिलने उसके घर जाता है और उससे कहता है कि वो अनुपमा से परेशान हो चुका है और उसके कारण उसकी जिंदगी खराब हो रही है, जिसके बाद काव्या प्लान बनाते हुए वनराज से कहती है कि इससे बचने का एक ही उपाय है कि तुम अपने घरवालों को हमारे रिश्ते के बारे में बता दो, जिसके बाद उसे अनुपमा को झेलना नहीं पड़ेगा.

नंदिनी और अनुपमा को डांस करता देख बाबूजी खुश हो जाते है और अनुपमा से कहते है कि तुम्हारे और वनराज के बीच क्या चल रहा है. हालांकि काव्या की बात सुनकर वनराज सच बताने के लिए तैयार हो जाता है. हालांकि इसी बीच बापुजी को वनराज और काव्या के रिश्ते का सच पता चल जाएगा, जिसके बाद उन्हें हार्ट अटैक और जाएगा. लेकिन इन सबमें भी वनराज अनुपमा को ही जिम्मेदार मानता हुआ दिखाई देगा.

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शादी बाजार में राजदार है सोशल मीडिया

अभी 1 महीने पहले ही माही और सत्यम की शादी हुई है. मोबाइल गैलरी और कंप्यूटर फोल्डर शादी और हनीमून के फोटो से भरे पड़े थे. माही का जी खूब कुलबुला रहा था पर पापा से की गई प्रौमिस बारबार हाथ उस के हाथों को रोक देते और वह उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करती. उसे सालभर पहले घटी बातें याद आने लगी थीं…

माही ने एक इंजीनियरिंग कालेज से पढ़ाई की थी। वह सोशल मीडिया पर खूब सक्रिय भी थी. उस की फ्रैंडलिस्ट भी खूब समृद्ध थी। घरपरिवार के अलावा स्कूल, कालेज और फिर नौकरीपेशा वाले लोग उस की फ्रैंडलिस्ट में शामिल थे. पर उसे इस सामाजिक प्लेटफौर्म की लक्ष्मण रेखा का सदैव से भान था.

वह कभी भी कोई आपत्तिजनक पोस्ट या फोटो इत्यादि पोस्ट भी नहीं करती थी। उस की लिस्ट में उस के पापामम्मी भी हैं, यह उसे हमेशा ध्यान रहता.

टूट गई शादी

1-2 साल पहले उस की शादी रोहित से तय हुई। घर वालों की रजामंदी से दोनों मिले. रोहित हर तरह से सुलझा हुआ लड़का था, जिसे उस की पढ़ाई और नौकरी की कद्र थी. मंगनी होने के साथ ही माही के पास रोहित के रिश्तेदारों के फ्रैंड रिक्वैस्ट आने लगे. अब तक दोनों परिवारों ने इसे राज ही रखा था.

माही ने अपनी मंगनी की कुछ तसवीरें साझा कर दीं. 2 ही दिनों के बाद रोहित की मम्मी का फोन माही की मम्मी के पास आया कि उन्हें यह रिश्ता नामंजूर है.

“आप की बेटी काफी खुले विचारों वाली लगती है. उस के दोस्त भी अजीबअजीब से हैं. जाने कालेज के दिनों में किसकिस से इस ने दोस्ती कर रखी थी, जिस के इश्तेहार फेसबुक पर डले पड़े हैं. काफी पार्टी गोइंग टाइप की लड़की समझ में आ रही है. पढ़ीलिखी और नौकरी वाली लङकी होने का यह मतलब तो कतई नहीं कि बहू इतनी खुले विचारों की हो. मेरे सभी रिश्तेदार तो थूथू कर रहे हैं…”

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रोहित की मम्मी बोल रही थीं और माही की मम्मी चुपचाप सुन रही थीं.
माही ने रोहित को फोन किया तो उस ने बदले में उसे ढेरों फोटो भेज दिए, जिस में माही किसी न किसी लड़के के साथ खड़ी फोटो में मुसकरा रही थी. कुछ फोटो दफ्तर में उस के या किसी के जन्मदिन के अवसर के थे.

माही बैठ कर सभी फोटो को अपने प्रोफाइल में खोजना शुरू किया तो देखा ये सब फोटो उस ने नहीं बल्कि उस के दोस्तों ने पोस्ट किया था। किसीकिसी ने उसे टैग भी किया था।

उस की आंखों में आंसू आ गए। उस ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. अपने बैच में वह अकेली लड़की थी, जिस ने शालीनता और गरिमा के साथ 4 सालों का सफर पूरा किया था.

उसे फाइनल ईयर का अपना बैच फोटोग्राफी सैशन याद आ गया, जब विदाई समारोह के बाद कालेज कैंपस में सब भावुक हो कर फोटो खिंचवा रहे थे.

सारे लड़के सूट पहन इठला रहे थे और वह साड़ी संभालती एक जगह खड़ी थी. मगर जो होना था वह हो चुका था।

शादी से इनकार

“पापा, मैं भी नहीं करना चाहूंगी ऐसे संकीर्ण परिवार में शादी. मेरे साथ की कितनी लड़कियों ने अपने पसंद की शादियां कीं, उन की प्रोफाइल भी तो ऐसी ही तसवीरों से भरी पड़ी हैं. यों कहूं तो सब कितना बिंदास हो कर तसवीरें डालती हैं, छोटे कपड़ों में भी और दोस्तों के गले लग कर भी…”

“माही, अब मुझे उन दोनों परिवारों द्वारा न का कारण भी समझ आने लगा है, जिन्होंने पिछले दिनों तुम से शादी के लिए इनकार किया है. बेटा, मेरे पास अभी भी कुछ और लड़कों की जानकारी है जहां मैं तुम्हारे रिश्ते की बात चला सकता हूं. पर उस से पहले तुम्हें इस फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया से हमेशा के लिए विदा लेना होगा,”माही के पापा ने कहा।

फेसबुक से तोबा

वह दिन और आज का दिन, माही ने अपने निष्क्रिय प्रोफाइल को फिर से सक्रिय नहीं किया है और न करने का विचार रखती है.

आज के युग में सोशल मीडिया जीवन का एक हिस्सा बनता जा रहा है. हर कुछ हर किसी को बता देने की एक हड़बड़ी रहती है. देखा जाए तो यह उतना बुरा भी नहीं है यदि ठीक से हैंडल किया जाए.

कितनों के लिए यह हुनर प्रदर्शन का प्लेटफौर्म बना तो कितनों के अकेलेपन का साथी भी. बहुत लोगों ने तो इस के जरीए असल जिंदगी से अच्छे दोस्त और रिश्ते बनाए.

एक ओर तो इस की बहुत सारी अच्छाइयां हैं, तो वहीं दूसरी ओर यह रिश्तों में नीबू निचोड़ने का भी काम करता है.

जासूसी का माध्यम

सूचना प्रसारण आज की युग की क्रांति है। कहीं भी कोई डेटा या सूचना गोपनीय नहीं है. हर हाथ मोबाइल या कंप्यूटर ने बेहद द्रुत गति से इस ऐप का प्रसार किया है. कब किस क्षण की कोई पोस्ट या तसवीर गले की फांस बन जाए कहा नहीं जा सकता.

आजकल फेसबुक को लोग जासूसी के लिए भी उपयोग कर रहे हैं. किसी के बारे में जानना हो तो झट से लोग सोशल मीडिया खंगालने लगते हैं.

पहले जब शादियां तय होती थीं, लोगबाग जानपहचान वालों से पूछ रिश्ता तय कर देते थे. पर अब सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम हो गया है.

लङके भी बनते हैं शिकार

रमणीक और आरोग्य की शादी के 1 महीने बाद ही रिश्ते में खटास आने लगी, जब रमणीक ने आरोग्य की बहुत पुरानी पोस्ट को पढ़ना शुरू किया. आरोग्य सफाई देतेदेते थक गया कि बात पुरानी हो गई है. इतने वर्ष पूर्व के उस के स्टेटस को देख आज वह शक न करे। पर शक का कीड़ा तो तभी पनप गया था जब रमणीक ने 4 वर्ष पुरानी उस की स्टेटस में उसे एक लड़की के साथ देखा.

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इसी तरह देवेंद्र की होने वाली पत्नी को शक हुआ कि कहीं वह समलैंगिक तो नहीं, क्योंकि उस का फेसबुक प्रोफाइल लड़कों के साथ चिपके सटे तसवीरों से भरे पड़े थे और तो और उस ने किसी पोस्ट पर इन रिश्तों की वकालत भी की थी.

कहीं खुल न जाएं भेद

आजकल अरैंज्ड शादियां होनी यों ही बेहद मुश्किल कार्य है. पहले जहां सिर्फ लड़के वालों की मरजी चलती थी, वहीं आज की पढ़ीलिखी लड़की भी अपनी चाहतों और स्वप्नों की एक फिहरिस्त रखती है. एक कड़ी को जोड़ने के लिए कई सिरे मिलाने होते हैं. इन सब के बीच फेसबुक मोहल्ले की उस बुआ का किरदार निभा रहा है जिस के पास सब की जन्मकुंडली है यानी सब के भेद हैं.

पहले जब कोई रिश्ता जुड़ने को तत्पर होता था तो जानपहचान के लोगों या बीच के रिश्तेदारों से छिपाया जाता था कि कहीं वे लोग दूसरे पक्ष को कोई नकारात्मक बात न बोल दें। आज वही रोल सोशल मीडिया निभा रहा है। यदि वह सब की बातें उजागर कर रहा है तो कितनों की ही पोल खोल भी रहा है.

किस की कौन सी बात कब की और कौन सी तसवीर या विचार अगले पर क्या प्रभाव डालेगा और उस का क्या अंजाम होगा यह कहना मुश्किल है.

खुद को सीमित रखें

लव मैरिज में जोड़े पूर्व परिचित होते हैं. परिवार और रिश्तेदार बाद में उन के जीवन में आते हैं जो चाह कर भी किसी फोटो या पोस्ट से उन के संबंधों को खंडित नहीं कर पाते. पर अरैंज्ड शादियों में सब शामिल होते हैं, सब के विचार भी अहमियत रखते हैं. तो बेहतर है कि अपनी सूचनाओं के प्रसारण को सीमित रखा जाए. संभावित वरवधू अपनी आज की असल व्यक्तित्व और पहचान के साथ मिलें.

बेहतर होगा कि सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफौर्म से खुद को समेट लें.

शादी के बाजार में राजदार है सोशल मीडिया इसलिए इस से दूर ही रहें तो बेहतर है.

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