20 साल की शादी के बाद भी इतनी फिट हैं ये एक्ट्रेस, पढ़ें खबर

छोटे पर्दे की प्रसिद्द शो ‘शांति’ से एक्टिंग कैरियर की शुरुआत करने वाली एक्ट्रेस मंदिरा बेदी से कोई अपरिचित नहीं. एक्टिंग के अलावा उसने एंकरिंग और आज एक फैशन डिज़ाइनर भी है. एक्टिंग हमेशा उसके लिए पैशन रहा है, इसलिए शादी के बाद माँ बनने के बाद भी उसने एक्टिंग को नहीं छोड़ा. उसे हर नया काम और एक्टिंग में चुनौती पसंद है. फिटनेस को वह अपने जीवन में हमेशा शामिल करती है. इतना ही नहीं वह अपनी शादीशुदा जिंदगी को भी अच्छी तरह से जी रही है. मंदिरा मैक्स प्लेयर पर आने वाली रियलिटी शो ‘शादी फिट’ को होस्ट कर रही है. इसे लेकर वह बहुत खुश है, आइये जाने, क्या कहती है मंदिरा बेदी अपनी सफलतम वैवाहिक जीवन के बारें में. पेश है कुछ अंश.

सवाल-इस शो को करने की खास वजह क्या है?

ये एक रिलेशनशिप पर आधारित रियलिटी शो है, जिसमें 4 जोड़ियाँ अपने संबंधो को एक स्तर पर ले जाना चाहते है और कैसे वे अपने आपको शादी के लिए तैयार कर रहे है. ये एक टास्क के द्वारा परखा जायेगा और ये कांसेप्ट मुझे अच्छा लगा.

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सवाल-आज रिश्तों के माइने बदल चुके है, रिश्तों को लेकर जो बौन्डिंग पहले होती थी वह अब नहीं है, जिससे वे जल्दी टूट जाया करती है, आपकी सोच इस बारें में क्या है?

कोई भी इंसान अगर ये कहे कि उसकी शादीशुदा जिंदगी बहुत अच्छी चल रही है, तो वह झूठ बोल रहे है, क्योंकि विवाह को निभाना आसान नहीं होता. हर शादी में मेहनत और एफर्ट लगता है. एक दूसरे से संवाद बनाने पड़ते है, जो सबसे अधिक जरुरी है. मैं अपने 20 साल की शादी के बारें में इतना कहना चाहती हूं कि मेरे पति के साथ भी बहुत सारे झगडे हुए है, ये उस समय हुए जब हमारे बीच कम्युनिकेशन अच्छी नहीं थी. ये जब तक पति पत्नी के बीच अच्छी तरह से नहीं होगा आपका वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं हो सकता. जब एक दूसरे के संवाद में कमी आती है, तो रिश्ते टूटते है. यहाँ इस शो में मैंने अपनी शादी की हर पहलू को कपल्स के साथ शेयर किये है. हालांकि ये कहना और लागू करने में कई बार बहुत मुश्किलें आती है, पर इसके अलावा रिश्ते को आगे ले जाने के लिए और कोई रास्ता नहीं होता.

सवाल- आज लड़के हो या लड़कियां सभी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है, ऐसे में ईगो उनके सामने आता है और रिश्ते चल नहीं पाते, ऐसे में आपके हिसाब से क्या करना जरुरी होता है?

मेरे और मेरे पति के बीच में कई बार ईगो सामने आई, ऐसे में दोनों को इच्छा होनी चाहिए कि ये रिश्ता चले. ईगो बार-बार हर परिस्थिति में आता है, लेकिन असली उद्देश्य अलग होना नहीं, बल्कि साथ रहना है. इच्छा है, तो फाइट होने के बाद भी साथ रहने की कोशिश अवश्य करेंगे और यही स्वस्थ शादी का राज है.

सवाल- आज की जेनरेशन अरेंज मैरिज से अधिक लव मैरिज पर विश्वास करती है, आप इस बारें में क्या सोच रखती है?

ये बताना थोडा मुश्किल है, पर इतना जरुर कहना चाहती हूं कि अगर आप किसी भी रिलेशनशिप में जा रहे है, तो उसमें अनुकूलता होनी चाहिए, क्योंकि कई बार अरेंज मैरिज भी टूट जाते है तो कई बार लव मैरिज भी, ऐसे में एक दूसरे को समझकर उसके अनुसार चलने की जरुरत पति पत्नी दोनों को होती है. ये एक टीम वर्क की तरह होता है. ऐसा न होने पर रिश्ता टिक नहीं सकता.

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सवाल-आप फैशन डिज़ाइनर के रूप में क्या कर रही है?

मेरा एक स्टोर है जिसमें मैं साड़ी और गारमेंट्स की डिजाईन करती हूं. मैंने इसे प्लान बी के तहत शुरू किया था, क्योंकि एंटरटेनमेंट का प्लान अधिक दिनों तक नहीं चलता, पर मैं खुश हूं कि यह अभी तक चल रहा है. साल में दो बार मैं कलेक्शन लौंच करती हूं. अलग-अलग तरह की साड़ियाँ, जिसमें शिफोन,सिल्क आदि है, जिसे किसी अवसर पर पहना जा सकता है.

सवाल-आगे की योजनायें क्या है?

मैं एक तमिल, तेलगू फिल्म और एक वेब सीरीज कर रही हूं.

सवाल- इंडस्ट्री में आये बदलाव को कैसे देखती है?

वेब सीरीज की दुनिया आज बहुत बढ़ी है, जिसे लोग पसंद कर रहे है. इसे आप कभी भी कही भी देख सकते है. टीवी शो की तरह समय और दिन का इंतज़ार नहीं करना पड़ता.जेनरेशन की यही डिमांड है. इसलिए ये इतना फलफूल रहा है. मैं दूरदर्शन, स्टार और जी टीवी की दुनिया से यहाँ तक पहुंची हूं. अभी चैनल भी बहुत बढ़ गए है. सिनेमा भी बहुत बदल गया है. आज केवल हीरो हिरोइन ही नहीं, हर चरित्र अभिनेता भी लाइम लाइट में आ गया है. अच्छे स्वभाव और एक्टिंग को जानने वाले हर कलाकार को आज काम मिलता है.

सवाल- क्या कुछ मलाल अभी रह गया है?

हालांकि मैंने बहुत काम किया है और अभी भी कर रही हूं, लेकिन मुझे किसी की बायोपिक करने की इच्छा है.

सवाल- आपकी फिटनेस का राज क्या है?

फिटनेस की कोई राज नहीं है. हर रोज सुबह उठकर वर्कआउट करती हूं. मैं एक 100 डे चैलेंज कर रही हूं और आज मैं 96 पर हूं. मैंने एक दिन भी व्यायाम मिस नहीं किया है. ये राज नहीं मेहनत है. मैरिज, लाइफ और फिटनेस को हमेशा सामंजस्य के साथ आगे ले जाना चाहिए.

सवाल-गृहशोभा की महिलाओं के लिए क्या संदेश देना चाहती है?

शादी के पहले और शादी के बाद भी अपने आप से प्यार करना कभी भी न भूले. अपनी सेहत पर ध्यान दें, नियमित व्यायाम करें, ताकि परिवार की अच्छी तरह देखभाल कर सकें.

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पार्थ से ब्रेकअप के बाद इस एक्टर के साथ दिखीं एरिका फर्नांडीस, देखें फोटोज

टीवी एक्ट्रेस एरिका फर्नांडीस और पार्थ समथान के ब्रेकअप होने की खबरों ने जहां फैंस को निराश कर दिया है तो वहीं पार्थ समथान का नाम अलग-अलग हसीनाओं से जुड़ रहा है, लेकिन अब एरिका भी इस मामले में पीछे नही हैं. हाल ही में एरिका को एक्टर हर्षद चोपड़ा के साथ देखा गया. आइए आपको दिखाते हैं एरिका और हर्षद की खास फोटोज…

हर्षद के साथ लगातार आ रहीं एरिका नजर

कसौटी जिंदगी के 2 की एक्ट्रेस एरिका फर्नांडीस की नजदीकियां लगातार हर्षद चोपड़ा से बढ़ रही हैं. हाल के दिनों में ये दोनों कलाकार एक साथ खूब वक्त बिताते देखे जा रहे हैं, जिस कारण इनका नाम एक-दूसरे से जुड़ रहा है.

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पूजा बनर्जी की पार्टी में साथ आए नजर

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एरिका फर्नांडीस हाल ही में को-एक्ट्रेस पूजा बनर्जी की पार्टी में पहुंची थीं, जहां हर्षद और एरिका साथ में कई सारी फोटोज खिंचवाते नजर आए.

पार्टी मूड में नजर आई पूजा बनर्जी की गैंग

एक्ट्रेस पूजा बनर्जी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपनी पार्टी की कई सारी फोटोज शेयर की हैं, जिनमें साफ नजर आ रहा है कि शो के सितारे कितनी मस्ती कर रहे हैं.

हर्षद चोपड़ा भी आए ऐसे नजर

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एरिका फर्नांडीस और पूजा बनर्जी के खास दोस्तों को साथ-साथ हर्षद चोपड़ा भी इस पार्टी का हिस्सा बने. वहीं एक्ट्रेस के दूसरे दोस्तों के साथ फोटोज खिंचवाते हुए नजर आए.

पार्टी में साथ दिखे हर्षद और एरिका

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एरिका और हर्षद के बारे में पूरा जमाना बात कर रहा है लेकिन ये दोनों अपनी दोस्ती किसी से छुपा नहीं रहे हैं. दोनों कलाकारों की ये बात भी कई सारे लोगों को पसंद आ रही है.

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बता दें, जहां एक तरफ पूजा और एरिका की दोस्ती देखने को मिल रही हैं तो वहीं एक्ट्रेस पूजा बनर्जी का नाम एरिका के एक्स बौयफ्रेंड रह चुके पार्थ समथान के साथ जोड़ा जा रहा है. अब देखना ये है कि दोनों जोड़ियों में किसका रिलेशन सच है और किसका झूठ.

उपहार नहीं यह अपनेपन का है एहसास

हमारे आसपास कुछ ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें खुशियों का इंतजार रहता है. वे किसी से कुछ नही मांगते. ऐसे लोग आप के महल्ले, अपार्टमैंट या चौराहे पर मिल सकते हैं, जिन का कहने को तो भरापूरा परिवार है लेकिन साथ कोई नहीं. किसी का बेटा हर महीने पैसे तो समय से भेज देता है लेकिन उस के पास उन से बात करने का समय नहीं. कोई ऐसा जो जौब करने के लिए अपने घर से कोसों दूर आप के शहर में बैठा हो या आप के घर के बगल में अकेले रह रही वह महिला जिस का पति विदेश में बैठा हो. त्योहार पर उन्हें कुछ वक्त दें और मुंह मीठा करवाएं, इतने भर से उन का त्योहार मन जाएगा.

आज के बदलते परिवेश ने हमें बहुत कुछ दिया है तो हम से बहुत कुछ छीना भी है, तो अगर आप अपनी जिंदगी में थोड़ा सा सुकून चाहते हैं तो हर उत्सव इन के साथ मनाइए. यकीन मानिए यह खुशी जिंदगी भर के लिए यादगार बन जाएगी. हो सकता है कि जो बुजुर्ग हों वे आप को थोड़ा परेशान करें या ज्यादा बातें करें लेकिन उन की सचाई आप का दिल जीत लेगी. तो भले पूरा नहीं लेकिन थोड़ा सा ही सही उन को अपने समय का हिस्सा दीजिए. छोटेमोटे उपहार के जरीए अपनी केयर दर्शाना न भूलें ताकि उन को लगे कि कोई है, जिसे उन की फिक्र है या किसी ने उन के बारे में सोचा तो सही.

यहां हम आप को कुछ ऐसे ही गिफ्ट आइडियाज के बारे में बता रहे हैं, जो अनजान लोगों से भी आप के दिल के तार जोड़ने में आप की मदद करेंगे.

पैन: भला इस से सस्ता और अच्छा गिफ्ट क्या हो सकता है. खासकर जब यह तोहफा किसी बुजुर्ग व्यक्ति को देना हो. टैक्नोलौजी और मोबाइल की इस दुनिया में आज भी बुजुर्ग लोग अपनी शर्ट की जेब में हमेशा कलम रखते हैं. यह पर्सनैलिटी में चार चांद लगाने का काम करता है. खासकर बुजुर्गों को कलम से काफी अटैचमैंट होता है. ऐसे में आप का छोटा सा तोहफा उन का दिन बना सकता है.

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जिन की दुनिया किताबें हों

यह कहावत तो आप ने सुनी ही होगी कि किताबें इंसान की सब से अच्छी दोस्त होती हैं. ऐसे में जो व्यक्ति अकेला रह रहा हो तो उस के लिए इस से अच्छा गिफ्ट और क्या होगा. आप ने देखा भी होगा हमारे घर के बड़ेबुजुर्ग न्यूजपेपर या मैगजीन का एकएक कोना पढ़ जाते हैं. यही नहीं उन के कार्यालय में पत्र भी लिख कर भेजते हैं और फोन भी करते हैं. जरा सोचिए वे कितना संवाद करना चाहते हैं. तो अगर आप अकेले रह रहे शख्स को उस की मनपसंद किताब भेंट करते हैं तो यह उस के लिए काफी फायदेमंद होगा. अगर उन्हें पढ़ने का शौक न हो तब भी नया जनून पैदा करने के लिए उन्हें किताब उपहार के रूप में दें.

प्रकृति का उपहार

प्रकृति से लगभग हर किसी को प्रेम होता है. अकेले इंसान को प्रकृति के बीच रहना अच्छा लगता है, क्योंकि हरियाली मूड लिफ्टर भी होती है. अगर आप सस्ता और अच्छा उपहार देना चाहते हैं तो उन्हें कुछ खूबसूरत इंडोर और आउटडोर प्लांट सुंदर से पौट में लगवा कर दे सकते हैं. साथ ही अगर वे ऐसे घर में रहते हैं, जिस में बहुत बड़ी छत या बगीचा हो तो जैविक खेती के लिए उन्हें एक किट भी उपहार में दी जा सकती है. यही नहीं आप उन्हें प्रकृति से संबंधित पेटिंग भी दे सकते हैं.

अपने हाथों के बनाए हुए स्वादिष्ठ व्यंजन

जो व्यक्ति अकेला रहता है वह खुद के लिए कुछ भी स्पैशल बनाने से कतराता है. खाना बना ले वही बहुत बड़ी बात है. ऐसे में आप उन्हें अपने हाथों से बनाई डिश, चौकलेट, स्वीट या केक भी गिफ्ट कर सकते हैं. त्योहार के मौके पर इस से बढि़या और क्या होगा कि उन्हें घर का बना हुआ कुछ अच्छा खाने को मिलेगा.

तोहफा जो दिल को छू ले

अकेले रह रहे इंसान का सब से बड़ा साथी होता है म्यूजिक. इसे हम गम और खुशी दोनों में सुन सकते हैं. यह हमारे दुख को दूर तो नहीं करता, लेकिन सहारा जरूर देता है. ऐसे में आप उन्हें गानों का एक कलैक्शन दे सकते हैं. साथ ही अगर उन्हें कविता लिखने या पढ़ने का शौक हो तो एक कार्ड पर 2-4 कविताएं लिख कर उसे फ्रेम कर के डायरी के साथ दे सकते हैं.

जब अकेला इंसान कोई महिला हो

मान लीजिए, आप के आसपास कोई अकेली महिला रह रही हो जिस के बच्चे या पति बाहर रह रहे हों या फिर वह सिंगल ही क्यों न हो. वह आप की मां, बहन या दोस्त जैसी हो सकती है. तो उस का दिन स्पैशल बनाने के लिए मेकअप प्रोडक्ट, फोन कवर, होम डैकोरेशन आइटम्स भी दिए जा सकते हैं.

इस त्योहार के मौसम में खुद से एक वादा करें कि अपनी खुशियों को मनाने के साथसाथ अपने आसपास के ऐसे लोगों की खुशियों की भी फिक्र करेंगे जिन्हें ज्यादा कुछ नहीं बस अकेलेपन को दूर करने का एक सहारा मात्र चाहिए.

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साबूदाना वड़ा

अगर आप भी अपनी फैमिली के लिए कुछ टेस्टी और हेल्दी डिश बनाना चाहते हैं तो आज हम साबूदाना वड़ा की टेस्टी रेसिपी बताएंगे. इस डिश को बनाना बेहद आसान है. इसे आप कम समय में आसानी से अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को खिला सकते हैं.

हमें चाहिए

– 1 कप साबुदाना पानी में भीगे

– 1/2 कप पीनट्स पानी में भीगे

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

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– 1 कप आलू उबले व मैश किए

– जरूरतानुसार धनियापत्ती कटी,

– नमक स्वादानुसार

– तलने के लिए तेल.

विधि

– तेल छोड़ कर सारी सामग्री को एकसाथ मिक्स कर मनचाहे आकार की टिकियां बना लें.

– पैन में तेल गरम कर टिकियों को डीप फ्राई करें और दही व चटनी के साथ परोसें.

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किराए का घर: कम खर्च में घर जैसी सुविधाएं

किराए के घर में भी आप सुकून से जिंदगी बिता सकते हैं और अपना मकान होने की जो चिकचिक है, उस से मुक्ति भी पा सकते हैं. रीयल ऐस्टेट ऐडवायजरी फर्म सैंचुरी 21 के एक सर्वे में यह सामने आया है कि कुछ खास प्रोफैशंस के युवा अपना घर बहुत जल्दी नहीं खरीदते. मीडिया, फाइनैंस, ऐडवर्टाइजिंग और आईटी जैसे फील्ड में काम करने वाला युवावर्ग अपनी जौब जल्दी जल्दी बदलता रहता है. ऐसे में यह तय ही नहीं होता कि ये युवा एक शहर में कितने समय तक रहेंगे, इसलिए वे घर खरीदने में जल्दबाजी नहीं दिखाते. कुल मिला कर वे एनसीआर में अपना घर लेने के बजाय पौश कालोनी में रैंट पर रहना पसंद करते हैं.

अपना घर न खरीद कर किराए के घर में रहना पसंद करने वाले इन युवाओं के अपनेअपने तर्क हैं. कई कहते हैं कि वे ऐसी लोकैलिटी में ही रहना चाहते हैं जहां उन के मकान के पास तमाम सुखसुविधाएं उपलब्ध हों, तो कई युवा लोन के झमेले में नहीं फंसना चाहते. उन का कहना है कि वे अपनी पूरी सैलरी का मजा लेना चाहते हैं. वे हर महीने उस का बड़ा हिस्सा लोन में नहीं दे सकते.

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औफिस के पास घर…

टीवी आर्टिस्ट अनुपम 10 साल पहले कोलकाता से दिल्ली आए थे. तब वे बैचलर थे. पहली जरूरत मकान की थी. उन्होंने लाजपत नगर में एक कमरा तलाश लिया और 2-3 साल वहां पर रहे. फिर शादी हुई, तो उन्हें मकान बदलना पड़ा. तब वे पत्नी के साथ 2 कमरों के एक मकान में शिफ्ट हो गए. समय गुजरता रहा. 2 बच्चे हुए. वे आज भी अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही हैं, लेकिन अपना घर आज तक नहीं खरीदा. कारण पैसे की कमी नहीं, बल्कि उन का अपना मिजाज है.

अनुपम कहते हैं कि घर खरीदने के बारे में कभी सोचा ही नहीं. मैं किराएदार रह कर भी खुश हूं. हम एक मकान में 4-5 साल आराम से गुजार लेते हैं. मेरी रिहाइश का यह पूरा इलाका मुझे सूट करता है, क्योंकि मेरा औफिस यहां से बहुत पास है. मैं एनसीआर में घर खरीद सकता हूं, लेकिन उस से मेरी परेशानियां बढ़ जाएंगी. खासतौर पर आनेजाने की परेशानियां. हम साउथ दिल्ली को नहीं छोड़ना चाहते.

अमित अग्रवाल को ही लीजिए, आईटी प्रोफैशनल अमित ने नोएडा में एक घर खरीदा, लेकिन वहां सिर्फ 1 साल ही रहे. उस के बाद वे परिवार सहित विवेक विहार शिफ्ट हो गए, जहां वे पिछले 12 सालों से किराए पर रह रहे थे. अमित का कहना है कि कई साल यहां रहने के कारण हमें इस जगह से लगाव हो गया है. हम यहां से चले तो गए, लेकिन नोएडा में ऐडजस्ट नहीं कर पाए, क्योंकि पौश कालोनी होने के कारण वहां किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है. लेकिन यहां सभी पड़ोसी एकदूसरे के सुखदुख में शामिल होते हैं.

इस के अलावा बच्चों को भी बहुत दूर स्कूल आनेजाने में परेशानी हो रही थी. मन मार कर रहने के बजाय हम ने विवेक विहार में रैंट पर रहना पसंद किया. सर्वे में यह भी पता चला है कि कई युवा अपने वर्किंग प्लेस पर रैंट पर ही रहते हैं और अपने नेटिव प्लेस के पास ही अपना घर खरीदना पसंद करते हैं. ऐसे लोग मेरठ, देहरादून, जबलपुर, चंडीगढ़, मुरादाबाद, नैनीताल, वृंदावन जैसी जगहों पर प्रौपर्टी में इन्वैस्ट करते हैं. आइए जानें किराए के घर में रहना कैसे आप को टैंशन और सिरदर्द से बचाता है-

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लोकेशन अच्छी नहीं तो घर बदलें…

अपर्णा का कहना है कि कुछ साल पहले ही हम ने ब्रिज विहार में घर खरीदा. बारिश का मौसम आने पर पता चला कि घर के पास वाले नाले में पानी भर जाने के कारण घर के नीचे वाले फ्लोर पर पानी भर जाता है. किराए का घर होता तो बदल कर दूसरा घर ले लेते, लेकिन अपना घर बेचना इतना आसान नहीं होता और फिर उस मकान की कीमत भी ज्यादा नहीं थी. इसी तरह प्रियंका का कहना है कि हम ने गरमियों में घर खरीदा था और यह नहीं देखा कि इस घर में धूप आती है या नहीं.

सर्दियां आईं तो पता चला कि इस घर में धूप का नामोनिशान नहीं है. इस वजह से घर भी बहुत ठंडा रहता है. मेरा बच्चा अभी छोटा है और उसे धूप दिखाना जरूरी होता है, इसलिए मुझे घर से काफी दूर पार्क में आना पड़ता है. हमेशा मन में मलाल रहता है कि अगर यह घर किराए का होता तो कब का बदल दिया होता.

यही नहीं, बल्कि कई बार अपना मकान खरीद लेने पर पता चलता है कि यहां पार्किंग की दिक्कत है, बिजलीपानी की समस्या है, साफसफाई नहीं होती, घर के पास शराब का ठेका खुला है आदि. ऐसी परेशानियों को अपने घर में झेलना आप की मजबूरी हो जाती है, लेकिन किराए का घर बदलने का औप्शन होता है.

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तबादले की जौब में मुश्किल नहीं

प्राइवेट नौकरी हो या सरकारी, हर किसी में ट्रांसफर तो होता ही है और ट्रांसफर हो जाने के बाद सब से बड़ी दिक्कत आती है अपना घर छोड़ कर किसी दूसरे शहर में जा कर किराए का घर ले कर बसने की. पहले तो अपना खुद का घर छोड़ कर जाने का मन ही नहीं करता, क्योंकि आप ने उसे अपने ढंग से सैट जो किया होता है. उस घर के हिसाब से ही फर्नीचर आदि खरीदा होता है. किसी दूसरे शहर में उतना बड़ा घर मिलता है या नहीं यह भी एक प्रश्न खड़ा हो जाता है.

किराए के घर में अगर ड्राइंगरूम छोटा है और आप का सोफा बड़ा तो उसे ऐडजस्ट करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन आप पहले से ही किराए के घर में रहते हैं, तो आप को पता होता है कि आप को जल्दीजल्दी घर बदलना पड़ेगा, इसलिए आप उसी के हिसाब से फर्नीचर खरीदते हैं. जैसे, छोटा सोफा, फ्लोरिंग, फर्नीचर वगैरह. ट्रैवलिंग में टूटने वाली चीजें ऐसे लोग कम रखते हैं.

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औफिस का ट्रैवलिंग टाइम बचता है…

टीसीएस कंपनी में कंसल्टैंट मैनेजर अनुभव का कहना है कि मैं रोज गे्रटर नोएडा से कनाट प्लेस अपने औफिस आता हूं. मेरा ट्रैवलिंग टाइम करीब डेढ़ से 2 घंटे का होता है. अपने घर से औफिस पहुंचने के लिए ट्रैफिक जाम और लंबा रास्ता कवर करने में ही मेरी 50 पर्सैंट ऐनर्जी कंज्यूम हो जाती है. इस के बाद औफिस में किसी भी प्रोडक्टिव काम के लिए ऐनर्जी नहीं बचती. अब लगता है कि अगर मेरा गे्रटर नोएडा में अपना घर नहीं होता तो मैं अपने औफिस के पास ही अपनी पसंद का कोई किराए का घर ले लेता और ट्रैवलिंग टाइम के साथसाथ हर महीने लगभग 10 से 12 हजार रुपए महीना पैट्रोल पर होने वाले खर्च को भी बचा पाता. इस के साथ ही ज्यादा टै्रवलिंग के चलते बौडी पेन, बैक पेन, ब्लडप्रैशर व स्टै्रस के कारण डायबिटीज आदि बीमारियां भी हो सकती हैं.

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किस्तें चुकाने का झंझट नहीं…

घर खरीदने के बजाय किराए पर घर लेने से आप को ईएमआई की तुलना में कम खर्च करना होगा. इस तरह बची हुई रकम को आप 20 साल के लिए किसी दूसरे निवेश में लगा सकते हैं, जिस से बाद में घर खरीद सकते हैं. ईएमआई भरने के चक्कर में लोगों के घर का बजट गड़बड़ा जाता है. इस से घर में कलह और स्ट्रैस आते हैं, जबकि किराए का घर लें, तो अपनी पाकेट के अनुसार 5 या 6 हजार रुपए का घर ले सकते हैं.

मैंटेनंस की टैंशन नहीं…

अगर घर अपना हो तो हजार झंझट रहते हैं, जैसे अगर आप कालोनी में फर्स्ट फ्लोर पर रहते हैं, तो आए दिन नीचे के घर वाला शिकायत करता है कि आप के बाथरूम से मेरे घर में सीलन आ गई है उसे ठीक कराएं, तो कभी आप का पाइप भर गया है, जिस से मेरी नाली में पानी आ रहा है आदि, जिस के कारण बेवजह परेशानी के साथ पैसा भी खर्च होता है. लेकिन आप किराए पर रहते हैं, तो आराम से कह सकते हैं कि हम तो किराए पर हैं, आप मकानमालिक से बात करें.

इस के बाद उस टूटफूट का खर्चा मकान मालिक और नीचे के घर वाला आधा-आधा उठाते हैं. उसे सही कराने का टैंशन आप की नहीं है. आप को बस मकान मालिक का फोन नंबर देना है. अपना घर होता है तो आए दिन मकान में वाइटवाश कराने का भी मन करता है, लेकिन आप किराए पर हैं, तो आप को पता है कि मकान मालिक 2 साल से पहले नहीं कराएगा और आप अपनी जेब से पैसा नहीं खर्चेंगे.

अपने घर में आप पैसा किसी न किसी वजह से लगाते ही रहते हैं. जैसे, अगर किसी घर में आप ने देख लिया कि उस के घर की किचन में अच्छा वुडनवर्क है या फिर पीओपी का काम बहुत अच्छा है, तो आप भी धीरेधीरे कर के वे सब काम करवाने लगते हैं, जिस में बहुत पैसा खर्च हो जाता है.

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अगर किराए का घर है, तो अगली बार वैसा ही घर ढूंढ सकते हैं. किराए के घर में टैंशन न हो, इस के लिए इन बातों पर ध्यान दें-

  • जहां तक हो सके किराए के घर में नए फर्नीचर पर पैसा बरबाद न करें. अगर आप अपने पुराने फर्नीचर से बोर हो गए हैं, तो कम खर्च में उसे नया लुक दे सकते हैं. इस के लिए फर्नीचर पर पड़ी खरोंचों को भरवाएं, उस पर वार्निश करवाएं, उस के ऊपर सिल्क, सैटिन या गुजराती ऐंब्रैयडरी के कवर चढ़ाएं. कुछ ऐसा ही आप कुशन कवर के साथ करें.
  • किराए पर रहने वाले लोगों को कभी भी शिफ्ट करना पड़ सकता है और शिफ्टिंग में सब से ज्यादा नुकसान फर्नीचर का होता है. ऐसे में आप पुराना या सस्ता फर्नीचर इस्तेमाल कर के इस नुकसान से बच सकते हैं.
  • अगर आप को लगता है कि आप कुछ समय और इसी तरह किराए पर रहने वाले हैं, तो ऐसे में आप के लिए बेहतर होगा कि आप भारी फर्नीचर लेने के बजाय हलका फर्नीचर लें. जैसे, सोफे की जगह केन, आयरन वुड कौंबिनेशन या मैकैनाइज्ड फर्नीचर.
  • सोफे के साथ गद्दी अलग से रखें ताकि शिफ्टिंग में परेशानी न हो.
  • अगर आप का मकान मालिक आप को नए सिरे से पेंट करवाने की इजाजत नहीं दे रहा तो ऐसे में आप बोरिंग रंग से ऐसे नजात पा सकते हैं. इस के लिए आप को दीवारों पर थोड़ी सी क्रिएटिविटी दिखानी होगी. दीवारों को छोटे शीशों या गुजराती या राजस्थानी प्रिंट के पैच से सजा कर उन्हें बिलकुल नया लुक दे सकते हैं.
  • भारी दिखने वाले फर्नीचर से बचें, क्योंकि यह कमरे को भरा-भरा लुक देता है.
  • कमरे में स्पेस ज्यादा है तो 2 या 3 मीटिंग अरेंजमैंट कर सकते हैं. सैटी, जमीन पर गद्दे, मोढ़े, रंगीन दरियां कमरे को आकर्षक लुक दे सकते हैं.
  • शिफ्टिंग के समय सामान को भरने वाले बौक्स को भी आप सजावट में इस्तेमाल कर सकते हैं. बौक्स के ऊपर गद्दा डाल कर सैटी या मेज का काम ले सकते हैं. आप चाहें तो उसे प्रैस की टेबल के रूप में उपयोग कर सकते हैं.
  • डाइनिंग टेबल भी फोल्डिंग ले सकते हैं, यह जगह भी कम घेरेगी.
  • बैड व सैटी में स्टोरेज बौक्स बनवाएं ताकि उन में सामान रखा जा सके.
  • छोटे कमरे में लंबा फर्नीचर न रखें.
  • मैगजीन, अखबार आदि के लिए स्टैंड बनवाएं.
  • बच्चों के सोने के लिए बंक बैड बनवाएं. ये कम जगह घेरते हैं.
  • बच्चों की स्टडी टेबल फोल्डिंग बनवाएं, जो इस्तेमाल करने के बाद दीवार पर लगाई जा सके.
  • टेबल के भीतरी हिस्से में शैल्फ बनवा कर उस में कापी किताबें रखी जा सकती हैं.
  • परदे खूबसूरत रंगों के हों ताकि घर बदलने पर भी इस्तेमाल में लाए जा सकें.
  • किराए के घर में दीवारों, अलमारियों, दुछत्ती आदि को ढकने के लिए खूबसूरत परदे लगवाएं.
  • घर में लाइटिंग की ऐसी कोई व्यवस्था न करें जो स्थाई हो, बल्कि रोशनी के लिए टेबल लैंप या स्टैंडिंग लैंप लगवाएं.
  • घर के अंदर आर्टिफिशयल फूलों के गमलों का प्रयोग करें. घर छोड़ने की स्थिति में आप इन्हें ले कर भी जा सकती हैं.
  • घर में कांच का ज्यादा सामान इकट्ठा न करें, क्योंकि उस के टूटने का डर ज्यादा रहता है.
  • टीवी को रखने के लिए टीवी ट्राली लेने के बजाय टीवी का दीवार पर लगाने वाला स्टैंड खरीद लें ताकि यह जगह न घेरे और हर जगह आसानी से इस्तेमाल में लाया जा सके.
  • घर सजाते समय सामान की लिस्ट बना लें कि आप के पास क्या क्या है और कौन सी चीज आप ने किस टांड या दुछत्ती पर रखी है. इस से दोबारा घर बदलने में आसानी होगी.

प्रेग्नेंसी के अलावा इन चीजों के कारण होती है पीरियड्स में देरी

पीरियड्स में महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अनियमित पीरियड महिलाओं के लिए सबसे बड़ी परेशानी होती हैं. अगर ये समय पर ना आए तो महिलाएं आशंकित हो उठती हैं. ऐसे में महिलाओं को डर होता है कि कहीं वो गर्भ से तो नहीं हैं ना. ये आम धारणा है कि जैसे ही पीरियड मिस होता है लोग उसे प्रेग्नेंसी से जोड़ते हैं. लोगों में ये सोच मासिकधर्म से जुड़ी आधी अधूरी जानकारी के कारण है.

असल में पीरियड्स में अनियमितता हार्मोंस में आने वाले बदलावों के कारण होता है. कई जानकारों का मानना है कि अगर कोई महिला 3 महीने में अपना एक पीरियड मिस कर देती है तो उसे गंभीर समस्या हो सकती है. इसके अलावा आपके कामकाज और आपके वातावरण के माहौल का भी पीरियड्स पर फर्क पड़ता है.

इस खबर में हम आपको बताएंगे कि प्रेग्नेंसी के अलावा और किन कारणों से महिलाओं में पीरियड्स की अनियमितता आती है.

तनाव:

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तनाव के कारण महिलाओं के पीरियड्स पर बुरा असर पड़ता है. अगर आप ज्यादा तनाव लेती हैं तो इसका सीधा असर आपके हार्नोंस पर पड़ता है. यही कारण है कि आपके पिरियड्स में देरी होती है.

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शरीर का कम वजन:

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अगर आपका वजन कम है तो इसका सीधा असर आपके पीरियड्स पर होगा. अगर आपका वजन बहुत कम है तो आपके पीरियड्स में अनियमितताएं आएंगी.

अधिक एक्सरसाइज:

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एक्सरसाइज शरीर के लिए बेहद जरूरी है. इससे हमारी सेहत पर काफी सकारात्मक असर पड़ता है. पर अत्यधिक एक्सरसाइज आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है. इसका सीधा असर आपके हार्मोंस पर पड़ता है, और आपके पीरियड्स ठीक समय पर नहीं आते हैं.

पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम:

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आजकल की जैसी जीवनशैली हो चुकी है, महिलाओं में पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) की समस्या आम हो गई है. इस बीमरी के कारण महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की शिकायत हो रही है. ना सिर्फ पीरियड्स बल्कि इस बीमारी के कारण महिलाओं में वजन बढ़ने, बाल झड़ने, चेहरे पर दाग:धब्बे जैसी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है.

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आखिर क्यों अपनी पार्टनर को धोखा देते हैं आदमी, जानें ये 4 वजह

एक रिलेशनशिप में एक-दूसरे के प्रति ईमानदार होना जरुरी होता है, तभी एक रिश्ता सही रहता है. एक-दूसरे की भावनाओं को समझना रिश्ते को मजबूत बनाता है. लेकिन आज के समय में बहुत से पुरूष अपने रिश्ते के प्रति वफादार नहीं रहते हैं और अपने पार्टनर को धोखा देते हैं. जो पुरूष अपनी साथी को धोखा देने के बारे में सोचते हैं उन्हें इस बात का बिल्कुल आभास नहीं होता है कि वे कुछ गलत कर रहें हैं. पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं अपने साथी को कम धोखा देती हैं.

1. साथी के प्रति वफादार नहीं होते हैं…

कुछ ऐसे पुरूष होते हैं जो अपने साथी के लिए वफादार होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें किसी की भावनाओं की कद्र नहीं होती. इस तरह के पुरूष सिर्फ अपनी महिला साथी का इस्तेमाल करते हैं. वे उन्हें स्पेशल महसूस कराते हैं. लेकिन वास्तव में वह अपनी साथी के लिए बिल्कुल भी ईमानदार नहीं होते हैं.

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2. असुरक्षित महसूस करते हैं…

हर व्यक्ति धोखा दे ऐसा जरुरी नहीं होता है. लेकिन कुछ ऐसे पुरुष होते हैं जो अपने रिश्ते को लेकर थोड़े असुरक्षित होते हैं. जिसके कारण ना चाहते हुए भी वह अपने पार्टनर के साथ गलत कर बैठते हैं. उन्हें इस बात का डर होता है कि कहीं वे अपने साथी को खो तो नहीं देंगे. इस डर की वजह से वे अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार नहीं रह पाते हैं और अपने पार्टनर को धोखा दे बैठते हैं.

3. रिश्ते की कद्र नहीं…

हमेशा लोगों को जितना मिलता है उससे अधिक पाने कि इच्छा होती है. और इनके पास जो होता है वह उसकी कद्र नहीं करते हैं. ऐसा पुरूषों के साथ भी होता है कि उन्हें जैसी पार्टनर मिली होती है वह उन्हें कम ही लगता है. उनके दिमाग में हमेशा यह बात होती है कि जो मिला है उन्हें उससे और बेहतर मिल सकता है. ऐसे पुरूषों में अपने पार्टनर को धोखा देने की प्रवृत्ति अधिक होती है क्योंकि इन्हें जितना मिलता है उसमें उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती है.

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4. भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं…

पुरूष भावनात्मक और मानसिक रूप से कमजोर होते हैं इसलिए उन्हें उन्हें बेवकूफ बनाना आसान होता है. मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण उनमें सेल्फ कंट्रोल की कमी होती है इस वजह से उनके लिए अपने पार्टनर को धोखा देना ज्यादा मुश्किल नहीं होता है. ऐसे लोग बहुत जल्दी लोगों से प्रभावित हो जाते हैं और कभी-कभी दूसरे की बातें सुनकर अपने पार्टनर की भावनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं.

आखिर खुद की सोच को क्यों ओल्ड फैशन मानती हैं ‘मरजावां’ एक्ट्रेस, जानें क्या वजह

मूलतः पारसी और संगीत जगत में अच्छी पहचान बनाने के बाद तारा सुतारिया ने करण जौहर की फिल्म ‘‘स्टूडेंट औफ द ईअर 2’’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. अब उनकी दूसरी फिल्म ‘‘मरजावां’भी रिलीज हो चुकी है. प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के अंश..

सवाल- ‘‘स्टूडेंट औफ द ईयर 2’’ के बाद ऐसा कौन सा कमेंट मिला,जिसने आपको सबसे ज्यादा खुशी दी?

-फिल्म की रिलीज के बाद मेरे पेरेंट्स का जो रिएक्शन था,उससे मुझे सर्वाधिक खुशी मिली. मैं स्वयं लोगों के रिएक्शन के लिए, खासकर अपनी कजिन सिस्टर के रिएक्शन के लिए उत्सुक थी. मुझे याद है कि फिल्म देखने के बाद हम सब घर गए थे.हम सभी एक साथ बैठ कर भोजन कर रहे थे. भोजन टेबल डायनिंग टेबल के पास मेरे माता पिता आए और मुझे गले लगाते हुए कहा-‘‘वी आर प्राउड औफ यू.’’वैसे मेरे फादर बहुत स्ट्रौन्ग है, पर उस दिन मुझे गले लगाते हुए उनकी आंखों में थोड़े से आंसू थे.मुझे बहुत आश्चर्य हुआ. मुझे बहुत अच्छा लगा. मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया है. क्योंकि वह मेरे पैरेंट्स हैं.मेरी जुड़वा बहन मेरी जैसी ही है.करण जोहर का रिएक्शन भी बहुत अच्छा रहा. इतना ही नहीं, बौलीवुड के दूसरे निर्माता व निर्देशकों के भी बहुत अच्छे रिएक्शन मिले. मैं भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं. जबकि फिल्म के रिलीज के वक्त मैं बहुत ही ज्यादा नर्वस थी. पर सचमुच रिएक्शन बहुत अच्छे मिले.

सवाल- आपकी फिल्म‘‘मरजावां’’को अच्छा रिस्पौंस नहीं मिल रहा?

-देखिए,‘मरजावां’ जैसी फिल्म कम से कम दस वर्षों में इस तरह की फिल्म नही बनी है. यह एक्शन से परिपूर्ण बहुत ही अलग तरह की प्रेम कहानी है.फिल्म को उम्मीद के अनुरूप दर्शकों पसंद नहीं कर रहे हैं. मगर फिल्म क्रिटिक्स और दर्शकों ने भी मेरे जोया के किरदार व मेरे अभिनय की तारीफ की.

सवाल- ‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’के बाद आपकी यह फिल्म‘‘मरजावां’’भी प्यार को लेकर है. निजी जिदगी में आपके लिए प्यार के क्या मायने हैं?

-मेरा जन्म नवंबर माह का है, इसके मायने यह हुए कि मैं स्कार्पियो हूं. स्कार्पियो बहुत ही ज्यादा प्यार के भूखे होते हैं. इनके लिए प्यार बहुत अहम होता है.मेरे लिए निजी जिंदगी में सबसे ज्यादा अहमियत प्यार की ही है. जब मैं छोटी थी,तो मैं प्यार को लेकर सपना देखा करती थी. मेरी राय में काम भी जरुरी है,मगर निजी जीवन के रिश्तों व काम के बीच सामंजस्य बैठाना आना चाहिए.यह बहुत जरुरी है.किसी एक इंसान को ज्यादा प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए. मेरी राय में प्यार से बढ़कर कुछ नही. फिलहाल मैं प्यार को कम महत्व दे रही हूं, क्योंकि इस वक्त मेरे पास काम ज्यादा है.

सवाल- मगर आपकी पीढ़ी के लोगों के लिए प्यार ‘काफी डे’से शुरू और ‘काफी डे’पर ही खत्म हो जाता है?

-मेरी राय में यह इंडीवीज्यूअल पर निर्भर करता है. मैं तो ओल्ड फैशन स्कूल से हूं, मेरी जिंदगी में जब कोई प्यार आएगा,तो वह हमेशा के लिए हो, यह मेरी सोच है.मैं यह बात कहने के लिए नही कह रही, बल्कि हकीकत में मैं ऐसा ही फील अहसास करती हूं. मेरे लिए ऐसा नहीं हो सकता.

सवाल- आप निजी जिंदगी में संगीत से जुड़ी हैं, इसी के चलते फिल्म ‘मरजावां’में आपके जोया के किरदार को संगीत से जोड़ा गया?

-नहीं..फिल्म की स्क्रिप्ट पहले लिखी गयी थी और मैं इस फिल्म से बाद में जुड़ी. मेरी राय में फिल्म में जो संगीत है, और जिस तरह का संगीत मैं निजी जिंदगी में करती हूं, दोनों बहुत अलग हैं. लेकिन एक  कनेक्शन तो है. हमारी इस फिल्म के संगीत अलबम में छह गाने हैं.यह अलबम मेरा पसंदीदा अलबम है. इसका गीत‘‘ तुम ही आना’’ मुझे बहुत पसंद है. लोगों को भी पसंद आ रहा है.

सवाल- आप खुद किस तरह के संगीत में रूचि रखती है?

-मुझे वेस्टर्न क्लासिकल संगीत बहुत पसंद है. मैं इसी तरह का संगीत सुनते हुए बड़ी हुई हूं. मुझे पता है कि मेरी हम उम्र लोग भी इसे पसंद करते हैं. मुझे यह बहुत शूट करता है.जब दिन भर शूटिंग करके मैं घर जाती हूं,तो मैं कुछ समय वेस्टर्न संगीत सुनना पसंद करती हूं.

सवाल- आपकी अगली फिल्म तो ‘‘तड़प’’ ही है?

-नाम अभी तक तय नही है. पर यह दक्षिण भारत की फिल्म‘‘आर एक्स 100’’की हिंदी रीमेक है,जिसमें मेरे साथ सुनील शेट्टी के बेटे अहान शेट्टी हैं. साजिद नाडियादवाला इसके निर्माता है.मिलन लूथरिया निर्देशक हैं.इसकी शूटिंग करने के लिए नवंबर माह में  मसूरी जा रहे हैं. वहां ठंड में इस फिल्म की शूटिंग करेंगे.

सवाल- अभिनय में व्यस्त होते ही म्यूजिकल कंसर्ट करने बंद कर दिए?

-जी हॉ!न चाहते हुए भी ऐसा हो गया.वक्त ही नही मिल रहा है.अब मैने सोचा है कि किसी फिल्म में गाने या एक अलबम निकालने के बाद ही म्यूजिकल कंसर्ट करुंगी.यह अब अगले वर्ष ही हो पाएगा.

सवाल- 2020 में जो अमरिका में म्यूजिकल कंसर्ट करने की योजना थी, वह करने वाली हैं या वह भी अभिनय की भेंट ..?

-अभी तक तो यह निर्णय ले रखा है कि मुझे करना है और मेरी पूरी कोशिश होगी कि इसके लिए मैं समय निकालूं.

सवाल- आप सोशल मीडिया पर कितना व्यस्त रहती हैं?

-पहले तो मैं कुछ नही जानती थी.सोशल मीडिया तो मेरी समझ से परे था.लेकिन फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’’के प्रमोशन के दौरान मुझे इसकी आदत डाल दी गयी. अब मैं ट्वीटर व इंस्टाग्राम पर थोड़ा बहुत सक्रिय हूं. मैं सीख रही हूं.

सवाल- सोशल मीडिया पर आप क्या लिखना पसंद करती हैं?

-दिन भर जो मेरी एक्टीविटी होती है, उसके बारे में कुछ लिख देती हूं. कई बार कुछ तस्वीरें लगा देती हूं. पर मैं बहुत कम ही पोस्ट करती हूं. मैं हमेशा खुद बना रहना चाहती हूं. दूसरों की नकल कर दिन भर सोशल मीडिया पर व्यस्त नहीं रह सकती.

सवाल- सोशल मीडिया से कलाकार को फायदा होता है?

-इस बारे में सोचा नहीं. लोग कहते हैं कि इसका फायदा मिलता है. प्रशंसकों के साथ कनेक्ट जुड़ाव होता है. सोशल मीडिया पर व्यस्त रहने से फालोअर्स की संख्या बढ़ती है. पर मुझे ऐसा नहीं लगता.वास्तव में मेरी सोच ओल्ड फैशन की है. बौलीवुड में जो पहले सुपर स्टार थे, उनके पास कोई सोशल मीडिया नहीं था.वह हर किसी के साथ जुड़ते नही थे, पर परदे पर आकर वह जिस तरह से लोगों के साथ जुड़ जाते थे, उसी के चलते वह सुपर स्टार व स्टार बने.मूल बात यह है कि जब आप जनता या अपने प्रशंसको के सामने आते हैं, उस वक्त यदि आप एक वार्म इंसान हैं, तो लोगों को पता चलेगा.सोशल मीडिया पर जो कुछ लोग दिखाने का प्रयास करते हैं, वह सब मुझे बहुत फेक बनावटी लगता है. सोशल मीडिया पर हम सभी खुद को बहुत ही बेहतरीन इंसान साबित करते रहते हैं, जबकि हम सब की यह असलियत नही है. इसलिए सोशल मीडिया पर ज्यादा अच्छा बनने की बजाय जरुरत है कि हम अपने काम पर ‘फोकस’ करें, अच्छा काम करें.

सवाल- सोशल मीडिया से कलाकार के स्टारडम को नुकसान हो रहा है?

-मुझे भी यही लगता है. पर हो यह रहा है कि जो कुछ हमें अपनी फिल्म के माध्यम से सिनेमा के परदे पर दिखाना व बताना चाहिए,वह सब हम सोशल मीडिया पर ही बता रहे हैं. आप देखिए, किसी भी ईवेंट में जब रेखा जी पहुंचती हैं, तो लोग उनके ‘औरा’के दीवाने हो जाते हैं. या हेमा जी को ही लीजिए.तो यह स्टार क्वालिटी नजर आती है.पर जब आप हर दिन सोशल मीडिया पर दिखाते हैं कि मैं क्या खा रही हूं या कहां जा रही हूं, या इस तरह के कपडे़ पहन रही हूं, तो आपका लोगों में चार्म खत्म हो जाता है.खास बात चली जाती है. मेरी यह ओल्ड फैशन सोच कही जा सकती है.पर क्या करुं. मैं ओल्ड फैशन हूं. मुझे लगता है कि हर बात सोशल मीडिया के माध्यम से जग जाहिर नही करनी चाहिए. कुछ बातें तो बहुत निजी होती है. कुछ बातें छिपाकर रखना चाहिए, जिससे आपके प्रति लोगो में उत्सुकता बरकरार रहे. मेरी यही सोच है. पर आज का जमाना ऐसा नही है. इसलिए मुझे भी थोड़ा बहुत सोशल मीडिया पर पोस्ट करना ही पड़ता है.

रोमांटिक वेकेशन पर निकले करण मेहरा, बिकिनी में नजर आईं वाइफ निशा

टीवी के पौपुलर एक्टर्स में से एक करण मेहरा इन दिनों अपनी वाइफ निशा रावल के साथ छुट्टियां मनाते हुए नजर आए. वहीं उनकी वाइफ भी अपने इस वेकेशन को इन्जौय करते हुए दिखीं. हाल ही में दोनों ने अपने वेकेशन की फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर की, जिसकी फैंस तारीफें कर रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं करण मेहरा और उनकी वाइफ की वेकेशन फोटोज…

वाइफ के साथ क्वौलिटी टाइम बिताते नजर आए करण मेहरा

एक्ट्रेस वाइफ निशा रावल के साथ मालदीव की वादियों में करण मेहरा क्वालिटी टाइम बिता रहे हैं. करण ने अपने इंस्टाग्राम पर बेहद ही खूबसूरत फोटोज शेयर की हैं जो उनके फैंस को पसंद आ रही हैं.

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वेकेशन पर जाने का ये है कारण

 

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दरअसल, करण मेहरा ने अपनी एनिवर्सरी से लेकर पत्नी निशा रावल के बर्थडे तक को एक साथ मना रहे हैं, जिसके लिए वह सात समुंदर पार मालदीव की वादियों में एक-दूसरे के साथ टाइम बिता रहे हैं.

रोमांटिक फोटो की शेयर

इस खास वेकेशन को इन्जौय करते हुए करण ने रोमांटिक फोटोज अपने सोशल मीडिया पेज पर शेयर की, इसी के साथ वेकेशन से जुड़ी हर अपडेट को वह अपने फैंस के साथ लगातार शेयर कर रहे हैं.

बिकिनी में नजर आईं वाइफ निशा

 

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एक तरफ जहां करण सिंपल लुक में नजर आए तो वहीं वाइफ निशा बोल्ड अवतार में बिकिनी लुक में नजर आईं, जिसके बाद निशा की ये फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

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परफेक्ट हस्बैंड हैं करण

सीरियल लाइफ में जैस करण नजर आए वैसे ही वह असल जिंदगी में भी परफेक्ट हस्बैंड से कम नही हैं. हाल ही में एकटर करण मेहरा अपने सीरियल की एक पार्टी में भी नजर आए थे, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर काफी पौपुलर हुई थीं.

सांस लेने में तकलीफ हो जाएं अलर्ट

सांस की समस्या बुजुर्गों के साथ कम उम्र के युवाओं में भी देखने को मिल रही है. ऐसे में यह जानना बहुत आप के लिए जरूरी है आखिर ऐसा हो क्यों रहा है?

आमतौर पर अधिक समय तक एक्सरसाइज करने से सांसे तेज हो जाती हैं, कई लोगों को सीढ़ियां चढ़ने वक्त सांस में दिक्कत की समस्या का सामना करना पड़ता है कई बार ज्यादा तनाव में रहने कारण भी ऐसी दिक्कत हो जाती है. यह देखा गया है कि सऐसी स्थितियों में जल्दी ही सब नॉर्मल भी हो जाता है. अगर आप को भी सांस लेने में परेशानी हो रही है और उपर्युक्त परेशानी हो रही है तो ध्यान देना बहुत जरूरी है. आइए, जानते हैं फिजीशियन डौक्टर अनीता पौल से आखिर क्यों होती सांस लेने में दिक्कत-

1.  कहीं हृदय रोग तो नहीं

दिल की बीमारियों के चलते भी सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. दिल के रोग मसलन, एन्जाइना, हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, जन्मजात दिल में परेशानी या एरीथीमिया आदि में सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. दिल की मांसपेशियां कमजोर होने पर वे सामान्य गति से पंप नहीं कर पातीं, जिससे फेफड़ों पर दबाव बढ़ जाता है और व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होने लगती है. इसमें पैरों में भी सूजन और रात सोते वक्त बार-बार खांसी भी आती है.

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2. जब वजन हो ज्यादा

मोटे लोगों को सांस फूलने की बहुत ही ज्यादा समस्या रहती है. वजन बढ़ जाने के कारण सांस के लिए मस्तिष्क से आने वाले निर्देश का पैटर्न बदल जाता है. सीढ़ियां चढ़ते-उतरते वक्त, अक्सर इन की सांसें फूलने लगती हैं. यह सब मोटापे के कारण होता है. जिसका वजन जितना ज्यादा होता है, उसे सांस लेने में उतनी ही दिक्कत होती है.

3. एलर्जी भी हो सकता है कारण

कई लोगों का इम्युनिटी सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) सेंसिटिव होता है, जिससे उन्हें प्रदूषण, धूल, मिट्टी, और जानवरों के बाल आदि से एलर्जी रहने लगती है. ऐसे लोगों को मौसम में बदलाव आने पर एलर्जी का अटैक पड़ने लगता है. सांस लेने में परेशानी होती है. सीने में जकड़न आने लगती है. सांस फूलने लगता है. कभी-कभी यह समस्या गंभीर रूप भी ले लेती है. ऐसे में मरीज को तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए.

4. जिन्हें अस्थमा हैं

अस्थमा एक गंभीर बीमारी है. इस में सांस की नली में सूजन आ जाती हैं जिससे सीने में जकड़न, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या शुरू हो जाती है. प्रदूषण और खान-पान में मिलावट के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. यह बीमारी किसी को भी हो सकती है. बच्चे-बूढ़े सभी इसके चपेट में आते जा रहे हैं.

अस्थमा होने के कई कारण हो सकते हैं घर में या उसके आसपास धूल का होना, घर में पालतू जानवर का होना, वायु प्रदूषण, तनाव या भय के कारण, सर्दी के मौसम में अधिक ठंड होने के कारण, अधिक मात्रा में जंक फूड खाने के कारण, ज्यादा नमक खाने के कारण इत्यादि.

5. क्रौनिक औब्सट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज (सीओपीडी)

इस स्थिति में सांस नली बलगम या सूजन की वजह से पतली हो जाती है. जिससे सांस लेने में परेशानी होने लगती है. सिगरेट पीने वालों, फैक्टरी में रसायनों के बीच काम करने वालों और प्रदूषण में रहने वाले लोगों को यह खासतौर पर होती है.

इन बातों का रखें ध्यान

  • घर में पर्याप्त वेंटिलेशन रखें खास ध्यान. कार्पेट, तकिए और गद्दों पर धूप लगाएं. परदों की साफ-सफाई करें. रसोई और बाथरूम में एग्जॉस्ट फैन लगाएं. एसी का इस्तेमाल कम करें.
  • धूम्रपान न करें, सिगरेट पीने वालों से दूरी बनाएं.
  • हरी सब्जियों का सेवन अधिक करें. ब्रोकली, गोभी, पत्ता गोभी, पालक और चौलाई को खाने में शामिल करें.

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  • प्रदूषण से दूरी बना कर रखें. धूल मिट्टी वाली जगह पर न जाएं. बाहर का काम शाम के समय करें.
  • सुबह वॉक पर जरूर जाएं.
  • वजन कम करने पर ध्यान दें.
  • यदि अस्थमा है तो इनहेलर साथ रखें.
  • कम दूरी वाले कामों के लिए वाहन का इस्तेमाल न करें. अचानक सांस लेने में परेशानी होने पर व्यक्ति को तुरंत खाने या पीने की कोई चीज न दें
  • सिर के नीचे तकिया न रखें, इससे सांस नली पर असर पड़ता है. व्यक्ति को हवादार खुले जगह में ले जाएं.
  • कपड़े अगर टाइट है तो ढीला कर दें.
  • छती या गले पर कोई खुली चोट है तो उसे तुरंत ढक दें.
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