लकीरें- सुमित का नजरिया

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आजाद हूं मैं, आजाद हैं मेरे ख्वाब, खुश रहने में कोई खराबी तो नहीं, जिंदगी जीने का कोई तयशुदा मार्ग तो नहीं.

कैसा लगता है आप को जब रातदिन मेहनत कर के भी कुछ न कर पाओ. मैं किसी के साथ अपनी तुलना नहीं करता पर यह समाज, क्या यह भी ऐसा ही सोचता है? महिला की मरजी होती है कि वह विवाह के बाद नौकरी करे या नहीं. मुझे भी शिखा के घर पर रहने से कोई समस्या नहीं है, पर जब मेरा व्यापार नुकसान में चल रहा है तो क्या एक पत्नी की तरह उस का कोई फर्ज नहीं बनता कि वह भी घर खर्च में हाथ बंटाए?

मेरे घर वाले मुझ से ज्यादा शिखा को प्यार करते हैं. किसी ने मेरे से बिना बात करे मुझे मुजरिम करार कर दिया और मैं सुमित अपने परिवार को ले कर रोहतक से फरीदाबाद आ गया जैसेकि जगह बदलने से सब कुछ बदल जाएगा.

आप ने कभी सुना है कि कोई रिश्ता जगह या शहर बदलने से बदल गया हो?

रिश्ते की बुनियाद तो विश्वास पर टिकी होती है, पर शिखा के दिल में तो एक बात घर कर गई है कि मैं कभी भी कुछ ठीक नहीं कर सकता. कैसा लगता है आप को जब आप की पत्नी ही आप को नाकामयाब माने. भले ही वह मुंह से कुछ न बोले पर उस की आंखों में छिपा डर सब बयां कर दे?

यह डर किसी भी पुरुष को तोड़ने के लिए काफी होता है कि उस की जीवनसंगिनी ही उस को नाकामयाब मानती है. मैं तो जिंदगी की सब से बड़ी बाजी वैसे ही हार गया हूं फिर क्या फर्क पड़ता है यदि मैं व्यापार में हर चाल गलत चल रहा हूं?

जिंदगी की घनी धूप में अगर भावना एक ठंडे साए की तरह मेरे करीब आई तो इस में क्या गलत है? मैं कोई अपनी जिम्मेदारियों से भाग तो नहीं रहा. भावना मेरे साथ बिना किसी स्वार्थ के निहित है. वह मुझे जानती ही नहीं समझती भी है. उस के अलावा सब मुझे गलत समझते हैं तो समझते रहें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. शिखा को यह बात क्यों समझ नहीं आती कि मेरे और उस के बीच की दूरियों का कारण भावना नहीं, वह खुद है?

पहले ऐसा नहीं था पर उस के परिवार ने मेरे प्रति उस के दिल में इतनी नकारात्मकता भर दी है कि मैं अगर सही भी करूं तो उसे गलत ही लगेगा. उसे कैसे यकीन दिलाऊं कि मैं पुरुष होने के साथसाथ एक इंसान भी हूं, मेरे सीने में भी दिल धड़कता है, मुझे भी बुरा लग सकता है.

कल की ही बात है मैं अपना आपा खो बैठा. शिखा ने मेरे हाथ से मोबाइल छीन लिया और भावना को बुराभला कहा. क्या सोच रही होगी भावना मेरे और शिखा के बारे में.

लकीर कोई और खींचता है और फिर मैं जीतोड़ कोशिश करता हूं उस लकीर को छोटा करने की. पर अब तो इस खेल को खेलते हुए मैं थक गया हूं, बाहर आना चाहता हूं पर आ नहीं पा रहा.

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शिखा को इतना ऐशोआराम चाहिए तो खुद भी कोशिश करे न, जिंदगी की चक्की में मैं ही क्यों अकेला पिसूं? आज उस से ऐसे बात करते हुए अच्छा तो नहीं लगा पर क्या करूं, मेरे सब्र का बांध टूट गया था.

कुछ दिनों तक मेरे और उस के बीच अबोला बना रहेगा पर फर्क किसे पड़ता है?

शायद अन्वी को, पर वह भी तो अपनी मां की ही बेटी है. अगर मैं इतना गलत हूं तो भावना ने क्यों कभी मुझे इस बात का एहसास नहीं कराया है?

शिखा पिछले कुछ दिनों से नौकरी की तलाश कर रही है पर शादी के बाद 4 साल का फासला एक लंबी खाई की तरह बढ़ गया है. उसे समझ नहीं आ रहा कि कैसे शुरुआत करे, कहां चूक हो गई है उस से?

पर यह बात तो तय है कि एक परजीवी की तरह अब वह जीवनयापन नहीं कर सकती.

आज सुमित का परिवार आया था और आते ही मम्मीजी ने शिखा को अंक में भर लिया और सुमित से बोलीं, ‘‘बहू का ध्यान नहीं रखता क्या, कैसे सूख कर कांटा हो गई है.’’

सुमित की आंखों में गुस्से और नफरत की मिलीजुली प्रतिक्रिया थी जो शिखा से छिपी न रह सकी.

शिखा मन ही मन मनन करती है कि यह सुमित के परिवार का प्यार और अपनापन ही है जो मुझे बांधे हुए है और मैं चाह कर भी यह विवाह की लकीरपार नहीं कर पा रही हूं. सच तो यह है कि इस विवाह से अगर मुझे कुछ मिला है तो बस मां बनने का गौरव और एक प्यारा सा परिवार. शायद यह रिश्ता यों ही चलता रहेगा, क्योंकि जरूरी नहीं हर रिश्ते से आप को सब कुछ मिले.

उधर भावना सोच रही थी कि गौरव से पूछूं, ‘‘क्यों तुम ऐसे हो गए हो? क्या तुम्हें मेरे ऊपर बिलकुल भी विश्वास नहीं रहा?’’

मैं सुमित के साथ किसी रिश्ते में नहीं बंधी हूं. एक बार प्यार से पुकारो तो सही, मैं अपनी मर्यादा भलीभांति जानती हूं पर तुम मुझे यदि अग्निपरीक्षा देने को कहोगे तो बिलकुल नहीं दूंगी. मर्यादा की लकीर तुम नहीं, मैं खुद तय करूंगी.

मेरा और सुमित का रिश्ता पाक है. अगर तुम्हें समझ नहीं आता तो इस में तुम्हारी गलती है. मैं एक पढ़ीलिखी स्वतंत्र महिला हूं जो मर्यादाओं की लकीरों के नाम पर अपनी खुशियों का गला नहीं घोंटूंगी.

पर गौरव की अलग ही सोच थी. बहुत बार सोचा तुम से खुल कर बात करूं, क्यों एक खुशहाल रिश्ते पर सुमित रूपी ग्रहण लगाया जाए. तुम्हारा नारीमुक्ति का आंदोलन, तुम्हारा अभिमान मुझे तुम्हारे करीब नहीं आने दे रहा. अगर बच्चों का खयाल न होता तो मैं बहुत पहले तुम्हें आजाद कर चुका होता.

एक टूटा हुआ परिवार आप को कितनी पीड़ा देता है यह मुझ से बेहतर कौन जानता है. मेरी मां भी तो प्यार के नाम पर मुझे मेरे पिता के पास हमेशा के लिए छोड़ कर चली गई थी. क्या प्यार बस स्वार्थ ही सिखाता है? यदि हां, तो वह प्यार नहीं एक नशा है जो धीरेधीरे मीठे जहर की तरह परिवार को खा जाता है.

सुमित को पूरा विश्वास था कि शिखा ने फिर से उस की चुगली कर दी है. सुमित सोच रहा था मैं इतना ही बुरा हूं तो अलग क्यों नहीं हो जाती. पर नहीं उसे तो बेचारी का तमगा लगा कर घूमने में बहुत मजा आता है. नौकरी ढूंढ़ रही है तो मेरे ऊपर कोई एहसान तो नहीं कर रही. मैं पूरी कोशिश कर रहा हूं उसे और अन्वी को सारी सुविधाएं देने की. अगर उसे सब्र नहीं है तो करे न खुद भी कोशिश.

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ऐसा करतेकरते कुछ साल और बीत गए पर इन लकीरों का खेल अभी भी जारी है इन की जिंदगियों में. कभीकभी जब लगता है ये लकीरें सीधी हो गई हैं तो फिर किसी एक छोटी सी बात से उलझ जाती हैं. क्यों उलझे हुए हैं हम सब इन उलझनों में, क्यों न अपने अहम को पीछे छोड़ कर दिल की खिड़की खोल कर एकदूसरे को दिखाएं? बहुत सारे हालात और जज्बात यों ही सुलझ जाएं तो चारों तरफ खुशियों की बरसात हो जाए.

घटक रिश्ते की डोर

28लेखक- सुरेशचंद्र मिश्र 

कानपुर जनपद के टिक्कन-पुरवा के रहने वाले पुत्तीलाल मौर्या की बेटी कोमल शाम को नित्य क्रिया जाने की बात कह कर घर से निकली थी, लेकिन जब वह रात 8 बजे तक घर लौट कर नहीं आई तो घर वालों को चिंता  हुई. उस का फोन भी बंद था. इसलिए यह भी पता नहीं चल पा रहा था कि वह कहां है.

पुत्तीलाल की पत्नी शिवदेवी ने बेटी को इधरउधर ढूंढा लेकन वह नहीं मिली. इस के बाद पुत्तीलाल भी उसे तलाशने के लिए निकल गया. पर उस को पता नहीं लगा. पुत्तीलाल का घबराना लाजिमी था. अचानक आई इस आफत से उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. बेचैनी से शिवदेवी का हलक सूखने लगा तो वह पति से बोली, ‘‘कोमल हमारी इज्जत पर दाग लगा कर कहीं प्रमोद के साथ तो नहीं भाग गई?’’

‘‘कैसी बातें करती हो, शुभशुभ बोलो. फिर भी तुम्हें शंका है तो चल कर देख लेते हैं.’’

इस के बाद पुत्तीलाल अपनी पत्नी के साथ प्रमोद के पिता रामसिंह मौर्या के घर जा पहुंचे. जो पास में ही रहता था. वैसे रामसिंह रिश्ते में पुत्तीलाल का साढ़ू था. उस समय रात के 10 बज रहे थे. रामसिंह पड़ोस के लोगों के साथ अपने चबूतरे पर बैठा था. पुत्तीलाल को देखा तो उस ने पूछा, ‘‘पुत्तीलाल, इतनी रात गए पत्नी के साथ. सब कुशलमंगल तो है.’’

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‘‘कुछ भी ठीक नहीं है भैया. कोमल शाम से गायब है. उस का कुछ पता नहीं चल रहा. मैं आप से यह जानकारी करने आया हूं कि प्रमोद घर पर है या नहीं?’’ पुत्तीलाल बोला.

‘‘प्रमोद भी घर पर नहीं है. उस का फोन भी बंद है. शाम 7 बजे वह पान मसाला लेने जाने की बात कह कर घर से निकला था. तब से वह घर वापस नहीं आया. इस का मतलब प्रमोद और कोमल साथ हैं.’’ रामसिंह ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा.

‘‘हां, भैया मुझे भी ऐसा ही लगता है. उन्हें अब ढूंढो. कहीं ऐसा न हो कि दोनों कोई ऊंचनीच कदम उठा लें, जिस से हम दोनों की बदनामी हो.’’ इस के बाद दोनों मिल कर प्रमोद और कोमल को खोजने लगे. उन्होंने बस अड्डा, रेलवे स्टेशन के अलावा हर संभावित जगह पर दोनों को ढूंढा. लेकिन उन का कुछ भी पता नहीं चला. यह बात 27 मार्च, 2019 की है.

28 मार्च, 2019 की सुबह गांव की कुछ महिलाएं जंगल की तरफ गईं तो उन्होंने गांव के बाहर शीशम के पेड़ से फंदा से लटके 2 शव देखे. यह देख कर महिलाएं भाग कर घर आईं और यह बात लोगों को बता दी. इस के बाद तो टिक्कनपुरवा गांव में कोहराम मच गया. जिस ने सुना, वही शीशम के पेड़ की ओर दौड़ पड़ा. सूरज की पौ फटतेफटते वहां सैकड़ों की भीड़ जुट गई. पेड़ से लटकी लाशें कोमल और प्रमोद की थीं.

चूंकि कोमल और प्रमोद बीतीरात से घर से गायब थे. अत: दोनों के परिजन भी घटनास्थल पर पहुंच गए. पेड़ से लटके अपने बच्चों के शवों को देखते ही वे दहाड़ें मार कर रो पड़े. कोमल की मां शिवदेवी तथा प्रमोद की मां मंजू रोतेबिलखते अर्धमूर्छित हो गईं.

घटनास्थल पर प्रमोद का भाई पंकज भी मौजूद था. वह सुबक तो रहा था, लेकिन यह भी देख रहा था कि दोनों मृतकों के पैर जमीन छू रहे हैं. वह हैरान था कि जब पैर जमीन छू रहे हैं तो उन की मौत भला कैसे हो गई.

उसे लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि प्रमोद को कोमल के घर वालों ने मार कर पेड़ से लटका दिया है. पंकज ने यह बात अपने घर वालों को बताई तो उन्हें पंकज की बात सच लगी. इस से घर वालों में उत्तेजना फैल गई. गांव के लोग भी खुसरफुसर करने लगे.

इसी बीच किसी ने बिठूर थाने में फोन कर के पेड़ से 2 शव लटके होने की जानकारी दे दी. सूचना पाते ही बिठूर थानाप्रभारी सुधीर कुमार पवार कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. पवार ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया.

उन्होंने देखा कि प्लास्टिक के मजबूत फीते को पेड़ की डाल में लपेटा गया था फिर उस फीते के एकएक सिरे को गले में बांध कर दोनों फांसी पर झूल गए थे.

लेकिन उन के पैर जमीन को छू रहे थे. उन के होंठ भी काले पड़ गए थे. कोमल के पैरों में चप्पलें थीं, जबकि प्रमोद के पैर की एक चप्पल जमीन पर पड़ी थी. घटनास्थल पर बालों में लगाने वाली डाई का पैकेट, एक ब्लेड तथा मोबाइल पड़ा था. इन सभी चीजों को पुलिस ने जाब्ते की काररवाई में शामिल कर लिया.

सुधीर कुमार ने फोरैंसिक टीम को मौके पर बुलाए बिना दोनों शवों को चादर में लपेट कर मंधनाबिठूर मार्ग पर रखवा दिया और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजने हेतु लोडर मंगवा लिया.

मृतक प्रमोद के भाई पंकज व अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि यह आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का मामला है. इसलिए मृतक के भाई पंकज ने हत्या का आरोप लगा कर थानाप्रभारी सुधीर कुमार पवार से कहा कि वे मौके पर फोरैंसिक व डौग स्क्वायड टीम को बुलाएं. लेकिन पंकज की बात सुन कर थानाप्रभारी सुधीर कुमार की त्योरी चढ़ गईं. उन्होंने पंकज और उस के घर वालों को डांट दिया.

थानाप्रभारी की इस बदसलूकी से मृतक के परिजन व ग्रामीण भड़क उठे और पुलिस से उलझ गए. उन्होंने पुलिस से दोनों शव छीन लिए और पथराव कर लोडर को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.

इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने मंधनाबिठूर मार्ग पर जाम लगा दिया और हंगामा करने लगे. उन्होंने मांग रखी कि जब तक क्षेत्रीय विधायक व पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर नहीं आ जाते तब तक शवों को नहीं उठने नहीं देंगे.

आक्रोशित ग्रामीणों को देख कर थानाप्रभारी पवार ने पुलिस अधिकारियों तथा क्षेत्रीय विधायक को सूचना दे दी. सूचना पाते ही एडिशनल एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन तथा सीओ (कल्याणपुर) अजय कुमार घटनास्थल पर आ गए. तनाव को देखते हुए उन्होंने आधा दरजन थानों की फोर्स बुला ली.

सीओ अजय कुमार ने मृतक प्रमोद के भाई पंकज से बात की. पंकज ने हाथ जोड़ कर फोरैंसिक टीम व डौग स्क्वायड टीम को घटनास्थल पर बुलाने की विनती की ताकि वहां से कुछ सबूत बरामद हो सकें. इस के अलावा उस ने थानाप्रभारी द्वारा की गई बदसलूकी की भी शिकायत की.

इसी बीच क्षेत्रीय विधायक अभिजीत सिंह सांगा भी वहां आ गए. उन के आते ही ग्रामीणों में जोश भर गया और वह पुलिस विरोधी नारे लगाने लगे. विधायक के समक्ष उन्होंने मांग रखी कि बदसलूकी करने वाले थानाप्रभारी पवार को तत्काल थाने से हटाया जाए तथा मौके पर फोरैंसिक टीम को बुला कर जांच कराई जाए.

अभिजीत सिंह सांगा बिठूर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के चर्चित विधायक हैं. उन्होंने ग्रामीणों को समझाया और उन की मांगें पूरी करवाने का आश्वासन दिया तो लोग शांत हुए.

इस के बाद उन्होंने धरनाप्रदर्शन बंद कर जाम खोलवा दिया. तभी सीओ अजय कुमार ने फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को बुलवा लिया. यही नहीं उन्होंने आननफानन में जरूरी काररवाई करा कर दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया.

फोरैंसिक टीम ने एक घंटे तक घटनास्थल पर जांच कर के साक्ष्य जुटाए. वहीं डौग स्क्वायड ने भी खानापूर्ति की. खोजी कुत्ता कुछ देर तक घटनास्थल के आसपास घूमता रहा फिर पास ही बह रहे नाले तक गया. वहां टीम को एक चप्पल मिली. यह चप्पल मृतक प्रमोद की थी. उस की एक चप्पल पुलिस घटनास्थल से पहले ही बरामद कर चुकी थी.

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एडिशनल एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन ने बवाल की आशंका को देखते हुए टिक्कनपुरवा  गांव में भारी मात्रा में पुलिस फोर्स तैनात कर दी थी. इतना ही नहीं पोस्टमार्टम हाउस पर भी पुलिस तैनात कर दी. प्रमोद व कोमल के शव का पोस्टमार्टम डाक्टरों के एक पैनल ने किया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि उन की मौत हैंगिंग से हुई थी. रिपोर्ट में डाई पीने की पुष्टि नहीं हुई. पोस्टमार्टम के बाद कोमल व प्रमोद के शव उन के परिजनों को सौंप दिए गए. परिजनों ने अलगअलग स्थान पर उन का अंतिम संस्कार कर दिया.

प्रमोद और कोमल कौन थे और उन्होंने एक साथ आत्महत्या क्यों की, यह जानने के लिए हमें उन के अतीत में जाना होगा.

उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर से 25 किलोमीटर दूर एक धार्मिक कस्बा है बिठूर. टिक्कनपुरवा इसी कस्बे से सटा हुआ गांव है. यह बिठूर मंधना मार्ग पर स्थित है. इसी गांव में पुत्तीलाल मौर्या अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी शिवदेवी के अलावा 4 बेटियां थीं. इन में कोमल सब से बड़ी थी. पुत्तीलाल खेतीबाड़ी कर के अपने परिवार का भरण पोषण करता था.

टिक्कनपुरवा गांव में ही शिवदेवी की चचेरी बहन मंजू ब्याही थी. मंजू का पति रामसिंह मौर्या दबंग किसान था. उस के पास खेती की काफी जमीन थी. रामसिंह के 2 बेटे प्रमोद व पंकज के अलावा एक बेटी थी. प्रमोद पढ़ालिखा था. वह कल्याणपुर स्थित एक बिल्डर्स के यहां बतौर सुपरवाइजर नौकरी करता था. जबकि पंकज कास्मेटिक सामान की फेरी लगाता था.

चूंकि रामसिंह व पुत्तीलाल के बीच नजदीकी रिश्ता था. अत: दोनों परिवारों में खूब पटती थी. उनके बच्चों का भी एक दूसरे के घर बेरोकटोक आना जाना था. जरूरत पड़ने पर दोनों परिवार एक दूसरे के सुखदुख में भी भागीदार बनते थे. पुत्तीलाल को जब भी आर्थिक संकट आता था, रामसिंह उस की मदद कर देता था.

कोमल ने आठवीं पास करने के बाद सिलाई सीख ली थी. वह घर में ही सिलाई का काम करने लगी थी. 18 साल की कोमल अब समझदार हो चुकी थी. वह घर के कामों में मां का हाथ भी बंटाती थी. प्रमोद अकसर अपनी मौसी शिवदेवी के घर आता रहता था. कोमल से उस की खूब पटती थी, क्योंकि दोनों हमउम्र थे. बचपन से दोनों साथ खेले थे, इसलिए एकदूसरे से खूब घुलेमिले हुए थे.

दोनों भाईबहन जरूर थे लेकिन वह जिस उम्र से गुजर रहे थे, उस उम्र में यदि संयम और समझदारी से काम न लिया जाए तो रिश्तों को कलंकित होने में देर नहीं लगती. कह सकते हैं कि अब प्रमोद का कोमल को देखने का नजरिया बदल गया था. वह उसे चाहने लगा था.

लेकिन जब उसे अपने रिश्ते का ध्यान आता तो वह मन को निंयत्रित करने की कोशिश करता. प्रमोद ने बहुत कोशिश की कि वह रिश्ते की मर्यादा बनाए रखे लेकिन दिल के मामले में उस का वश नहीं चला. वह कोशिश कर के हार गया, क्योंकि वह कोमल को चाहने लगा था.

दरअसल, कोमल के दीदार से उस के दिल को सुकून मिलता था और आंखों को ठंडक. दिन में जब तक वह 1-2 बार कोमल से मिल नहीं लेता, बेचैन सा रहता था. वह चाहता था कि कोमल हर वक्त उस के साथ रहे. लेकिन कोमल का साथ पाने की उस की इच्छा पूरी नहीं हो सकती थी.

काफी सोचविचार के बाद प्रमोद ने फैसला किया कि वह कोमल से अपने दिल की बात जरूर कहेगा. कोमल की वजह से प्रमोद अकसर मौसी के घर पड़ा रहता था. बराबर उस के संपर्क में रहने के कारण कोमल भी उस के आकर्षणपाश में बंध गई थी.

एक दिन कोमल अपने कमरे मे बैठी सिलाई कर रही थी कि तभी प्रमोद आ गया. वह मन में ठान कर आया था कि कोमल से अपने दिल की बात जरूर कहेगा. वह उस के पास बैठते हुए बोला, ‘‘कोमल, आज मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’

‘‘क्या कहना चाहते हो बताओ?’’ कोमल ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘मुझे डर है कि तुम मेरी बात सुन कर नाराज न हो जाओ.’’ प्रमोद बोला.

‘‘पता तो चले, ऐसी क्या बात है, जिसे कहने से तुम इतना डर रहे हो.’’

‘‘कोमल, बात दरअसल यह है कि मैं तुम से प्यार करने लगा हूं. क्या तुम मेरे प्यार को स्वीकार करोगी?’’ प्रमोद ने कोमल का हाथ अपने हाथ में लेकर एक ही झटके में बोल दिया.

‘‘क्या…?’’ सुन कर कोमल चौंक पड़ी, उसे एकाएक अपने कानों पर भरोसा नहीं हुआ.

‘‘हां कोमल, मैं सही कह रहा हूं. मैं तुम्हें बहुत चाहता हूं और तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘प्रमोद तुम ये कैसी बातें कर रहे हो? तुम अच्छी तरह जानते हो कि हमारे बीच भाईबहन का रिश्ता है.’’

‘‘कोमल, मैं ने कभी भी तुम्हें बहन की नजर से नहीं देखा. मुझे अपने प्यार की भीख दे दो. मैं तुम्हारे लिए पूरी दुनिया से लड़ जाऊंगा.’’ उस ने मिन्नत की.

‘‘हम घर परिवार व समाज की नजर में भाईबहन हैं. जब लोगों को पता चलेगा तो जानते हो क्या होगा? तुम किसकिस से लड़ोगे?’’

‘‘मुझे किसी की फिक्र नहीं है.  बस, तुम मेरा साथ दो. तुम इस बारे में ठंडे दिमाग से सोच लो. कल सुबह मुझे कंपनी के काम से लखनऊ जाना है. शाम तक लौट आऊंगा. तब तक तुम सोच लेना और मुझे जवाब दे देना.’’ कह कर प्रमोद कमरे से बाहर चला गया.

रात को खाना खाने के बाद कोमल जब बिस्तर पर लेटी तो नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. उस के कानों में प्रमोद के शब्द गूंज रहे थे. उसने अपने दिल में झांकने की कोशिश की तो उसे लगा कि वह भी जाने अनजाने में प्रमोद से प्यार करती है. लेकिन भाईबहन के रिश्ते के डर से प्यार का इजहार नहीं कर पा रही है.

उस ने सोचा कि जब प्रमोद प्यार की बात कर रहा है तो उसे भी पीछे नहीं हटना चाहिए. जिंदगी में सच्चा प्यार हर किसी को नहीं मिलता. ऐसे में वह प्रमोद के प्यार को क्यों ठुकराए? काफी सोचविचार कर उस ने आखिर फैसला ले ही लिया.

अगले दिन सुबह कोमल के लिए कुछ अलग ही थी. वह प्रमोद के प्यार में डूबी हुई, खोईखोई सी थी. लेकिन घर में किसी को भनक तक नहीं लगी कि उस के दिमाग में क्या चल रहा है. अब वह प्रमोद के लौटने का बेसब्री से इंतजार करने लगी. प्रमोद रात को लगभग 8 बजे घर लौटा और घर के लोगों से मिल कर सीधा कोमल के कमरे में पहुंच गया. उस ने आते ही कोमल से पूछा, ‘‘कोमल, जल्दी बताओ तुम ने क्या फैसला लिया?’’

‘‘प्रमोद, मैं ने रात भर काफी सोचा और फैसला लिया कि…’’ कोमल ने अपनी बात बीच में ही रोक दी.

यह देख प्रमोद के दिल की धड़कनें तेज हो गईं. वह उत्सुकतावश कोमल का हाथ पकड़ कर बोला, ‘‘बोलो कोमल, मेरी जिंदगी तुम्हारे फैसले पर टिकी है. तुम्हारे इस तरह चुप हो जाने से मेरा दिल बैठा जा रहा है.’’

प्रमोद की हालत देख कर कोमल एकाएक खिलखिला कर हंस पड़ी. उसे इस तरह हंसते देख प्रमोद ने उस की ओर सवालिया निगाहों से देखा तो वह बोली, ‘‘मेरा फैसला तुम्हारे हक में है.’’

यह सुन कर प्रमोद खुशी से झूम उठा और उस ने कोमल को बांहों में भर लिया. कोमल खुद को उस से छुड़ाते हुए बोली, ‘‘अपने ऊपर काबू रखो, अगर किसी ने हमें इस तरह देख लिया तो कयामत आ जाएगी. हमारा प्यार शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा.’’

‘‘ठीक है, लेकिन लोगों की नजर में हम भाईबहन हैं, इसलिए वे हमारी शादी नहीं होने देंगे.’’

‘‘हमारी शादी जरूर होगी और कोई भी हमें नहीं रोक पाएगा. लेकिन यह तो बाद की बात है. वैसे एक बात बताऊं कि हमारे बीच जो भाईबहन का रिश्ता है, यह एक तरह से अच्छा ही है. इस से हम पर कोई जल्दी शक नहीं करेगा.’’ प्रमोद मुसकराते हुए बोला.

कोमल भी प्रमोद की बात से सहमत हो गई ओैर फिर उस दिन से दोनों का प्यार परवान  चढ़ने लगा. समय निकाल कर दोनों धार्मिक स्थल बिठूर घूमने पहुंच जाते फिर नाव मेें बैठ कर गंगा की लहरों के बीच अठखेलियां करते. कभीकभी दोनों फिल्म देखने के लिए कानपुर चले जाते थे.

प्रमोद और कोमल मौसेरे भाईबहन थे. ऐसे में उन के बीच जो कुछ भी चल रहा था उसे प्यार नहीं कहा जा सकता था. दोनों बालिग थे, इसलिए इसे नासमझी भी नहीं समझा जा सकता था. कहा जा सकता था. बहरहाल उन के बीच पक रही खिचड़ी की खुशबू बाहर पहुंची तो लोग उन्हें शक की नजरों से देखने लगे और तरह तरह की बातें करने  लगे.

धीरेधीरे यह खबर दोनों के घर वालों तक पहुंच गई. सच्चाई का पता लगते ही दोनों घरों में कोहराम मच गया. परिवार के लोगों ने एक साथ बैठ कर दोनों को समझाया.

रिश्ते की दुहाई दी . लेकिन उन दोनों पर कोई असर नहीं हुआ. हालाकि घर वालों के सामने दोनों ने उन की हां में हां मिलाई और एकदूसरे से न मिलने का वादा किया. उस वादे को दोनों ने कुछ दिनों तक निभाया भी, लेकिन बाद में दोनों फिर मिलने लगे.

यह देख कर पुत्तीलाल व उस की पत्नी शिवदेवी ने कोमल पर सख्ती की और उस का घर से निकलना बंद कर दिया. यही नहीं उन्होंने प्रमोद के अपने घर आने पर भी प्रतिबंध लगा दिया. इस से प्रमोद और कोमल का मिलनाजुलना एकदम बंद हो गया. दोनों के पास मोबाइल फोन थे अत: जब भी मौका मिलता मोबाइल पर बातें कर के अपनेअपने मन की बात कह देते.

इधर रामसिंह और पुत्तीलाल व उन की पत्नियों ने इस समस्या से निजात पाने के लिए गहन विचारविमर्श किया. विचारविमर्श के बाद तय हुआ कि दोनों की शादी कर दी जाए. शादी हो जाएगी तो समस्या भी हल हो जाएगी. कोमल अपनी ससुराल चली जाएगी तो प्रमोद भी बीवी के प्यार में बंध कर कोमल को भूल जाएगा.

इस के बाद रामसिंह प्रमोद के लिए तो पुत्तीलाल कोमल के लिए रिश्ता ढूंढ़ने लगे. रामसिंह को जल्द ही सफलता मिल गई. दरअसल उस के गांव का एक परिवार गुजरात के जाम नगर में बस गया था, जो उस की जातिबिरादरी का था. होली के मौके पर वह परिवार गांव आया था. इसी परिवार की लड़की से रामसिंह ने प्रमोद का रिश्ता तय कर दिया. 7 मई को तिलक तथा 12 मई को शादी की तारीख तय हो गई.

यद्यपि प्रमोद इस रिश्ते के खिलाफ था लेकिन घर वालों के आगे उस की एक नहीं चली. प्रमोद के रिश्ते की बात कोमल को पता चली तो उसे सुनी सुनाई बातों पर विश्वास नहीं हुआ. सच्चाई जानने के लिए कोमल ने घर वालों से छिप कर प्रमोद से मुलाकात की और पूछा, ‘‘प्रमोद, तुम्हारा रिश्ता तय हो जाने के बारे में मैं ने जो कुछ सुना है, क्या वह सच है?’’

‘‘हां, कोमल, तुम ने जो सुना है वह बिलकुल सच है. घर वालों ने मेरी मरजी के बिना रिश्ता तय कर दिया है.’’  प्रमोद ने बताया.

प्रमोद की बात सुन कर कोमल ने नाराजगी जताई और याद दिलाया, ‘‘प्रमोद तुम ने तो जीवन भर साथ रहने का वादा किया था. अब क्या हुआ. तुम्हारे उस वादे का?’’

इस पर प्रमोद ने उस से कहा कि वह अपने वादे को नहीं भूला है. उस के अलावा वह किसी और को अपनी जिंदगी नहीं बना सकता.

‘‘मुझे तुम से यही उम्मीद थी.’’ कह कर कोमल उसके गले लग गई. फिर वह वापस घर आ गई.

इधर पुत्तीलाल ने भी कोमल का रिश्ता उन्नाव जिले के परियर सफीपुर निवासी विनोद के साथ तय कर दिया था. गुपचुप तरीके से पुत्तीलाल ने कोमल को दिखला भी दिया था. विनोद और उस के घर वाले कोमल को पसंद कर चुके थे. गोदभराई की तारीख 28 मार्च तय हो गई थी.

एक दिन कोमल ने अपने रिश्ते के संबंध में मांबाप की खुसुरफुसुर सुनी तो उस का माथा ठनका. उस से नहीं रहा गया तो उस ने मां से पूछ लिया. ‘‘मां, तुम पिताजी से किस के रिश्ते की खुसुरफुसुर कर रही थीं?’’

‘‘तेरे रिश्ते की. मैं ने तेरा रिश्ता परियर सफीपुर गांव के विनोद के साथ कर दिया है. 28 मार्च को तेरी गोद भराई है.’’ शिवदेवी बोली.

कोमल रोआंसी हो कर बोली, ‘‘मां आप ने मुझ से पूछे बिना ही मेरा रिश्ता तय कर दिया. जबकि आप जानती हैं कि मैं प्रमोद से प्यार करती हूं और उसी से शादी करना चाहती हूं.’’

‘‘मुझे पता है कि तू रिश्ते को कलंकित करना चाहती है. पर मैं अपने जीते जी ऐसा होने नहीं दूंगी. इसलिए तेरा रिश्ता पक्का कर दिया है. वेसे भी जिस प्रमोद से तू शादी करने की बात कह रही है. उस का भी रिश्ता तय हो चुका है. इसलिए मेरी बात मान और पुरानी बातों को भूल कर इस रिश्ते को स्वीकार कर ले.’’

कोमल मन ही मन बुदबुदाई कि मां यह तो समय ही बताएगा कि तुम्हारी बेटी दुलहन बनती है या फिर उस की अर्थी उठती है. फिर वह कमरे में चली गई और इस गंभीर समस्या के निदान के लिए मंथन करने लगी. मंथन करतेकरते उस ने सारी रात बिता दी लेकिन कोई हल नहीं निकला. आखिर उसने प्रमोद से मिल कर समस्या का हल निकालने की सोची.

दूसरे रोज कोमल ने किसी तरह प्रमोद से मुलाकात की और कहा, ‘‘प्रमोद मेरे घर वालों ने भी मेरी शादी तय कर दी है और 28 मार्च को गोदभराई है. लेकिन मैं इस शादी के खिलाफ हूं. क्योंकि मैं ने जो वादा किया है, वह जरूर निभाऊंगी. प्रमोद मैं आज भी कह रही हूं कि तुम्हारे अलावा किसी अन्य की दुलहन नहीं बनूंगी.

कोमल और प्रमोद किसी भी तरह एकदूसरे से जुदा नहीं होना चाहते थे. अत: दोनों ने सिर से सिर जोड़ कर इस गंभीर समस्या का मंथन किया. हल यह निकला कि दोनों के घर वाले इस जनम में उन्हें एक नहीं होने देंगे. इसलिए दोनों मर कर दूसरे जनम में फिर मिलेंगे. यानी दोनों ने साथसाथ आत्महत्या करने का फैसला कर लिया.

उन्होंने अपने घर वालों तक को यह आभास नहीं होने दिया कि वे कौन सा भयानक कदम उठाने जा रहे हैं.

27 मार्च, 2019 की दोपहर प्रमोद कस्बा बिठूर गया. वहां एक दुकान से उस ने बालों पर कलर करने वाली डाई के 2 पैकेट तथा एक ब्लेड खरीदा और घर वापस आ गया. शाम 7 बजे उस ने घर वालों से कहा कि वह पान मसाला लेने जा रहा है. कुछ देर में आ जाएगा. गांव के बाहर निकल कर उस ने कोमल को  फोन किया कि वह नाले के पास आ जाए. वह उस का वही इंतजार कर रहा है.

कोमल की दूसरे रोज यानी 28 मार्च को गोदभराई थी. वह गोदभराई नहीं कराना चाहती थी, इसलिए वह शौच के बहाने घर से निकली और गांव के बाहर बह रहे नाले के पास जा पहुंची.

प्रमोद वहां पहले से ही उस का इंतजार कर रहा था. कोमल को साथ ले कर उस ने नाला पार किया. नाला पार करते समय उस की एक चप्पल टूट गई. इस के बाद दोनों शीशम के पेड़ के पास पहुंचे.

वहां बैठ कर दोनों ने कुछ देर बातें कीं. फिर प्रमोद ने जेब से डाई के पैकेट निकाले. उस ने एक पैकेट को ब्लेड से काट कर खोला. उन का मानना था कि डाई में भी जहरीला कैमिकल होता है. इसे पीकर दोनों अत्महत्या कर लेंगे लेकिन डाई को घोलने के लिए उन के पास न पानी था और न गिलास. अत: दोनों ने सूखी डाई फांकने का प्रयास किया. जिस से डाई उन के होंठों पर लग गई.

उसी समय प्रमोद की निगाह प्लास्टिक के फीते पर पड़ी जो सामने के खेत के चारों ओर बंधा था. प्रमोद ब्लेड से फीते को काट लाया. उस ने पेड़ पर चढ़ कर डाल में फीते को राउंड में लपेट दिया. इस के बाद उस ने फीते के दोनों सिरों पर फंदे बना दिए.

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फिर एकएक फंदे में गरदन डाल कर दोनों झूल गए. कुछ देर बाद गला कसने से दोनों की मौत हो गई. मृतकों के शरीर के भार से प्लास्टिक का फीता खिंच गया, जिस से दोनों के पैर जमीन को छूने लगे थे.

28 मार्च, 2019 की सुबह जब गांव की कुछ औरतें नाले की तरफ गईं तो उन्होंने दोनों को शीशम के पेड़ से लटके देखा. उन की सूचना पर ही गांव वाले मौके पर पहुंचे.

चूंकि मृतकों के परिजनों ने पुलिस को कोई तहरीर नहीं दी. इसलिए पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं किया. इस के अलावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी स्पष्ट हो गया कि प्रमोद और कोमल ने आत्महत्या की थी. अत: पुलिस ने इस मामले की फाइल बंद कर दी. लेकिन लापरवाही बरतने के आरोप में एडिशनल एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन ने थानाप्रभारी सुधीर कुमार पवार को लाइन हाजिर कर दिया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

(कहानी सौजन्य- मनोहर कहानियां) 

लकीरें- भावना का नजरिया

पिछला भाग- लकीरें-शिखा का नजरिया

मैं भावना एक 32 वर्षीय महिला हूं.जिंदगी को अपने ही ढंग से जीती हूं. अपने पैरों पर खड़ी हूं और किसी के ऊपर आश्रित नहीं हूं. पहननेओढ़ने का बहुत शौक है और दोस्ती निभाने का भी, पर इस का यह मतलब नहीं कि मेरा पति गौरव मुझे मर्यादाओं की लकीरों में बांध कर रखे. आज सुमित का फोन नहीं आया तो सोचा फोन कर के पूछ लूं क्या बात है. फोन उस की पत्नी शिखा ने उठाया और बेहद बदतमीजी से बात की. सुमित सही बोलता है कि उस की पत्नी बहुत बदतमीज है. पता नहीं मुझ से ऐसे क्यों बात कर रही थी कि जैसे मैं सुमित की प्रेमिका हूं. बेवकूफ औरत दोस्त और प्रेमिका का फर्क भी नहीं समझती.

मैं और सुमित ऐसा क्या गलत करते हैं? हम दोनों तो बस वही बातें करते हैं जो अपने पति या पत्नी से नहीं कर पाते. आज तक हम ने अपनी मर्यादा भंग नहीं की.

अभी उसी रोज की ही तो बात है. मेरे जन्मदिन पर सुमित मेरे लिए हीरे का ब्रैसलैट लाया था. मैं ने कितना मना किया पर वह नहीं माना. उस ने कहा, ‘‘भावना, तुम्हारी दौड़धूप से ही मुझे वह प्रोजेक्ट मिला है.’’

आखिरकार मुझे लेना ही पड़ा. मेरे मन में कोई खोट नहीं है.

एक बार तो मैं ने सुमित को खाने पर बुलाया था जब वह और भावना नएनए फरीदाबाद शिफ्ट हुए थे. पर मेरे पति गौरव का मुंह सूजा ही रहा. गौरव हर किसी से कितना हंसताबोलता है पर न जाने क्यों सुमित से खिंचाखिंचा ही रहता है.

सुमित भी एक अपराधी की तरह असहज ही रहा. जब सुमित चला गया तो मैं फट पड़ी, ‘‘गौरव, तुम क्यों मुंह में दही जमा कर बैठ गए थे?’’

गौरव बोला, ‘‘तुम तो चिडि़या की तरह चहक रही थी.’’

उस दिन बहुत देर तक मेरे और उस के बीच तूतूमैंमैं होती रही. तब से ले कर आज तक मैं ने कभी सुमित को घर बुलाने की हिम्मत नहीं की.

अब अगर मिलना होता है तो हम बाहर ही मिलते हैं. महीने में 1-2 बार बस. कुछ प्यार जैसा नहीं है हमारे बीच पर कुछ तो है जिस से मुझे और सुमित दोनों को सुकून मिलता है.

उस रोज कितना मजा आया था जब सुमित और मैं कालेज के दिनों में खो गए. तभी

अचानक सुमित बोला, ‘‘भावना, तुम्हारे बहुत दीवाने थे और अब भी तुम 2-4 आशिक अपने पीछे घुमा सकती हो. अगर तुम तैयार हो तो अरजी डाल दूं?’’

मैं खिलखिला कर हंस पड़ी थी. बोली, ‘‘पागल हो क्या तुम?’’ पर अंदर ही अंदर मेरा मन गुदगुदा रहा था. दिल के तार झंकृत हो गए थे. सुमित ने अचानक मेरे हाथ पर चुंबन अंकित कर दिया. झूठ नहीं बोलूंगी पर बहुत अच्छा लगा. लगा वह रुके ही न, पर इस से पहले वह आगे बढ़ता मेरे अंदर छिपी पत्नी बाहर आ गई और मैं ने उसे परे धकेल दिया. कुछ रोज तक मेरे और सुमित के बीच अबोला रहा. सुमित ने कई बार सौरी बोला और दोहराया कि वह यह गलती फिर कभी नहीं करेगा तब मेरा भी दिल पसीज गया.

पता नहीं पर मेरा मानना है कि रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा प्यार भी एक बुनियादी जरूरत है और दोस्ती भी तो प्यार का ही एक रंग ही है.

हम किसी का कुछ बुरा नहीं कर रहे, अपनी मर्यादा भंग नहीं कर रहे तो किसी को क्या समस्या है. कैसे इस मर्यादा की लकीर से बाहर निकलूं जो मेरा दम घोंट रही है?

‘‘उस दिन जब सुमित ने मेरा हाथ चूमा तो न जाने क्यों मुझे ऐसा लगा कि वह अब रुके नहीं…’’

गौरव का नजरिया

मेरा नाम गौरव है. जिंदगी में कोई कमी नहीं थी पर न जाने कहां से ये सुमित आ टपका. मेरी फुलझड़ी जैसी बीवी भावना हर समय पटरपटर करती रहती थी पर न जाने क्यों अब खोईखोई सी रहती है. कई बार पूछने की कोशिश की पर एक ही जवाब आया, ‘‘मैं तो ठीक हूं.’’

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फिर एक रोज सुमित मेरे घर आया और वह फिर से फुलझड़ी की तरह जलने लगी. दुनिया देखी है, पुरुष हूं और सुमित के दिल और दिमाग में भावना के लिए क्या है अच्छी तरह समझता हूं. लड़कालड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते. अब भावना क्या चाहती है, मैं यह सब देखतेसमझते हुए भी अपनी आंखें बंद कर लूं?

ऐसा नपुंसक तो नहीं हूं, पर अगर कुछ बोलूंगा तो सारा समाज मेरी ही फजीहत करेगा कि मैं घटिया मानसिकता का पुरुष हूं. क्यों कोई यह नहीं सोचता कि मुझे भावना की फिक्र भी हो सकती है? अपनी जीवनसाथी को मैं भटकते हुए नहीं देख सकता.

अभी कल की ही तो बात है. वह फोन पर बात करते हुए मंदमंद मुसकरा रही थी. जैसे ही मुझे देखा चोरों की तरह फोन रख दिया. आप ही बताएं मैं क्या करूं और क्या समझूं?

आप को क्या लगता है बिना किसी कारण के पुरुष और स्त्री मित्रता के बंधन में बंधे रहते हैं और अगर इतनी ही पवित्र मित्रता है तो सुमित कभी अपनी बीवी को क्यों नहीं लाता?

परसों तो हद ही हो गई. मैं अपने औफिस के काम से मौल गया था तो देखा भावना और सुमित कैफे में बैठे हैं और दोनों एकदूसरे में इतने खोए हुए थे कि उन्हें यह आभास भी नहीं हुआ कि मैं उन्हें देख रहा हूं. क्या मित्रता में ऐसा होता है? पता नहीं, कम से कम मैं ने तो अपनी किसी भी महिला मित्र के साथ ऐसा अनुभव नहीं किया.

बहुत मन करता है भावना से खुल कर बात करूं पर कैसे करूं, ये जो नारीवाद की लकीरें हैं उन्हें कैसे पार करूं? कैसे बताऊं भावना को मैं कोई तालिबानी सोच नहीं रखता? पर मैं भावना से प्यार करता हूं. कड़वा हो सकता हूं, पर मैं उस के सम्मान की भी रक्षा करना चाहता हूं. बस इतना ही स्वार्थ निहित है इस में.

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जानें क्या हैं जादू की झप्पी के फायदे

किसी को गले लगाना या किसी के गले लगना सब से सुखद अनुभूति है. यह ऐसा एहसास है जो किसी भी इंसान के दिल की गहराइयों को छू जाता है. कितने ही परेशान क्यों न हों, किसी अपने के गले लग कर बहुत अच्छा महसूस होता है. इसे ही जादू की झप्पी कहते हैं.

चाहे आप अपने पार्टनर की बाहों में हों, या अपने बच्चे को गले लगाया हो या फिर अपने दोस्त को ही क्यों न जादू की झप्पी दी हो, गले लगाना या किसी का आलिंगन करना हमें हमेशा अच्छा और खुशी महसूस कराता है. हमें सुरक्षा और प्यार का अनुभव होता है.

जादू की झप्पी

फिल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ में एक सीन था जो मूवी के अंत में आता है, जहां संजय दत्त और सुनील दत्त पहली बार गले मिलते हैं. मूवी में सुनील दत्त का डायलौग था, ‘‘हमेशा मां को जादू की झप्पी देता आया है आज बाप को भी दे दे.’’ उस वक्त दोनों गले मिल रोने लगते हैं.

फिल्म में जिस तरह से मुन्ना को पारंपरिक तरीकों के बजाय रोगियों को प्यार, स्नेह और जादू की झप्पी से ठीक करने कोशिश करते दिखाया गया है, वाकई दर्शाता है कि किसी को गले लगा लेना कितना असर छोड़ता है.

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हम कह सकते हैं कि हग करना केवल भावनाओं का इजहार करना ही नहीं है, बल्कि हैल्थ बूस्टर भी है, और यह बात मैडिकल साइंस भी साबित कर चुकी है. दिल से दी गई एक झप्पी हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है.

आजकल की आधुनिक लाइफस्टाइल में हमें सोशल इंटरैक्शन और स्पर्श के बहुत कम मौके मिलते हैं क्योंकि हम एकांत और व्यस्त जिंदगी जीते हैं, जबकि थेरैपिस्ट कहते हैं कि हमें सर्वाइवल के लिए 1 दिन में 4 बार गले लगना चाहिए.

अगर आप अपने बारे में अच्छा महसूस करना चाहते हैं, अपने तनाव को कम करना चाहते हैं, अपनी बातचीत को प्रभावी बनाना चाहते हैं, खुश होना चाहते हैं और इस के अलावा एक हैल्दी जिंदगी जीना चाहते हैं, तो गले लगाना और लगना दोनों करने का यही सही समय है.

फायदे ही फायदे

हमारे शरीर की त्वचा में छोटेछोटे प्रैशर पौइंट्स होते हैं जिन्हें पेसिनियन कोरपस्केल्स कहते हैं. ये पौइंट्स शारीरिक स्पर्श सेंस करते हैं और दिमाग तक वेगस नर्व के जरिए सिग्नल पहुंचाते हैं. वेगस नर्व शरीर के कई अंगों से जुड़ी होती है जैसे कि हार्ट. यह औक्सीटोसिन रिसेप्टर्स से भी जुड़ी होती है और औक्सीटोसिन (हैप्पी हार्मोन) के स्तर को बढ़ाती है.

किसी को गले लगाने से हमारे शरीर में औक्सीटोसिन हार्मोन का स्राव होने लगता है और इस की वजह से हम बहुत ज्यादा रिलैक्स्ड महसूस करते हैं और शरीर में तनाव के हारमोन कोर्टिसोल का स्तर कम हो जाता है, जिस से हमें दिल की बीमारी या दिल के दौरे पड़ने का खतरा कम होता है.

– नवजात शिशुओं को हग करने से बच्चे का शारीरिक तथा मानसिक विकास आसानी से होता है. इस के अलावा गले मिलना बच्चे को मानसिक सुकून देता है जिस से बच्चे को यह एहसास होता है कि कोई उस के करीब है और यह एहसास बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाने व व्यक्तित्व के लिए भी फायदेमंद होता है.

– हग करने से स्ट्रैस कम होता है. इस के अलावा गले लगना, इन्फैक्शन की आशंका को कम करता है. एक रिसर्च के अनुसार तनाव शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को कम करता है, लेकिन यदि हग किया जाए तो यह फिर हासिल की जा सकती है, जिस से स्टै्रस के साथसाथ इन्फैक्शन से भी छुटकारा मिलता है.

– हग करने से शरीर में प्रवाहित रक्त में औक्सिटोसिन हारमोन का स्राव होता है जिस से बढ़ा हुआ रक्तचाप कम होता है, जिस से इंसान तनाव और घबराहट से बचा रहता है. इसी के साथ मस्तिष्क की नसें मजबूत होती हैं व स्मरणशक्ति बढ़ती है.

– गले लगाने से सेरोटोनिन नाम का न्यूरोट्रांसमीटर जो हमारे मूड के बननेबिगड़ने के लिए जिम्मेदार होता है, उस में बढ़ोत्तरी होती है. यह हारमोन डिप्रैशन से संबंधित है. इसलिए जब हम किसी को गले लगाते हैं तो हमारा मूड एकदम से बहुत अच्छा हो जाता है.

– आमतौर पर संवाद शब्दों से या चेहरे के ऐक्सप्रैशन से होता है लेकिन वैज्ञानिकों ने प्रूफ कर दिया है कि एक अनजान

आदमी किसी दूसरे इंसान को उस के शरीर के अलगअलग अंगों को छू कर बहुत सारे इमोशंस को ऐक्सप्रैस कर सकता है. ये इमोशंस गुस्सा, चिड़चिड़ापन, प्यार, कृतज्ञता, खुशी, दुख और सिंपैथी जैसे हो सकते हैं. हगिंग बहुत आरामदायक और दिल को सुकून पहुंचाने वाला टच है.

अपने पार्टनर को हग करने से आपसी बौंडिंग बढ़ती है. शारीरिक स्पर्श से आप एकदूसरे से ज्यादा कनैक्टेड महसूस करते हैं, इंटिमेसी बढ़ती है, लौयल्टी की भावनाएं आती हैं व आपसी ट्रस्ट बढ़ता है जोकि सिर्फ शब्दों से नहीं व्यक्त किया जा सकता.

– रिसर्च में साबित हुआ है कि शारीरिक स्पर्श में दर्द को कम करने की क्षमता होती है. उन लोगों को जिन्हें फाइब्रोमाइल्जिया, जो एक प्रकार का शारीरिक दर्द होता है, के उपचार के लिए शारीरिक स्पर्श दिया गया और इस से आश्चर्यजनक तरीके से उन के दर्द में कमी आई.

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– जब भी आप किसी को गले लगाते हैं तो इस से उन के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है, जिस से औक्सीजन का स्तर और प्रवाह सही रहता है. इस से हार्ट संबंधी और ब्लडप्रैशर की बीमारियों की आशंका कम होती है.

– हग करने से दिल में खुशी का एहसास होता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है. रिसर्च की मानें तो किसी अपने के गले लगने से दर्द में काफी राहत महसूस होती है. इस के अलावा किसी का प्यार से हाथ पकड़ने से भी दर्द में राहत मिलती है.

अगर आप अपने लव पार्टनर के साथ रहते हैं या मैरिड कपल हैं तो आप अपने पार्टनर को ज्यादा देर तक गले लगाएं, इस से आप दोनों को खुशी मिलेगी और नजदीकिया बढ़ेंगी. हो सकता है आप के आपसी झगड़े भी बस एक आलिंगन से ही निबट जाएं.

किसी को गले लगाना वास्तव में अच्छा लगता है. हगिंग से हमें स्पैशल फील होता है और भला किस को स्पैशल फील करना पसंद नहीं होगा.

डांस ही नही फैशन के मामले में भी किसी से कम नहीं हैं शक्ति मोहन

डांसिंग के साथ-साथ एक्टिंग करियर में अपनी पहचान बनाने वाली एक्ट्रेस शक्ति मोहन इस बार स्टार प्लस के पौपुलर रियलिटी शो डांस प्लस के 5वें सीजन का हिस्सा नहीं बन रही हैं, लेकिन आज हम उनकी किसी फिल्म या शो की बात न करते हुए उनके फैशन की बात करेंगे. शक्ति जितनी डांस की दीवानी हैं उतना ही फैशन भी शक्ति के लिए कीमती है. वह सोशल मीडिया पर अपने लुक की फोटोज अक्सर शेयर करती रहती हैं, जिसे उनके फैंस काफी पसंद करते हैं. आज हम शक्ति के ऐसे ही कुछ फैशन के बारे में बताएंगे, जिसे आप ट्राय कर सकती हैं.

1. शक्ति का फंकी लुक है बेस्ट

अगर आप कहीं घूमने जाने वाले हैं और कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो शक्ति का यें फंकी लुक परफेक्ट हैं. सिंपल पिंक शौटस के साथ ब्लैक ट्रांसपेरेंट जैकेट आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगी. इसके साथ आप वाइट कलर के शूज भी ट्राय कर सकती हैं.

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2. डैनिम लुक है परफेक्ट 

 

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Where there is no Wifi ? There is better connection ?

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अगर आप पतली और सांवली हैं तो लाइट डैनिम शौर्ट्स के साथ वाइट औफ शोल्डर क्रौप टौप आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. इसके साथ आप शूज ट्राय कर सकते हैं.

3. वाइट सूट है परफेक्ट

 

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Ye Mera India ?? #india

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अगर आप इंडियन लुक ट्राय करने का सोच रही हैं तो वाइट चेक पैटर्न वाला लौंग अनारकली सूट आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा. इसके साथ आप गोल्डन या ब्लैक के कौम्बिनेशन वाले झुमके ट्राय कर सकते हैं.

4. ब्लैक ड्रेस करें ट्राय

 

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Will Smith is my hair on your face ? ??‍♀️ @willsmith ????

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अगर आप वेकेशन के लिए कुछ नया ट्राय करने का सोच रही हैं तो ब्लैक ड्रेस आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन है. सिंपल ब्लैक औफ शोल्डर ड्रेस और उसके साथ लाइट पिंक कलर का औफ शोल्डर क्रौप टौप आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा.

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कैंसर की तरह परिवार में फैलता अलगाव

हिंदी फिल्मों में से आजकल परिवार उसी तरह गायब हो गया है जैसे काफी समय से हौलीवुड की फिल्मों से हुआ है. हौलीवुड की फिल्मों में अब मारधाड़, स्पैशल इफैक्ट, स्पीड, तरहतरह की बंदूकें और स्पाइइंग ही दिखती है. भारतीय फिल्मों में बायोपिक बनने लगी हैं और जो परिवार दिखता है उन्हीं में होता है पर वे आमतौर पर एक पर्सनैलिटी पर केंद्रित रहती हैं. परिवार को सफल बनाने के लिए निरंतर पाठ पढ़ना जरूरी है. यह ऐसा नहीं कि विवाह करते समय किसी विवाह कराने वाले ने विवाह की शर्तें सुना दीं और हो गई इति. यह रोज का मामला है और रोज हर युगल के सामने एक नई चुनौती, एक नई समस्या, एक नई उपलब्धि, एक नया व्यवधान होता है और यदि आसपास के माहौल, समाचारों, पठनीय सामग्री, टीवी, फिल्मों में यह न दिखे तो वैवाहिक जीवन वैसे ही लड़खड़ाने लगता है जैसे विटामिनों की कमी के कारण शरीर.

लोग अब मैडिकल हैल्प के लिए डाक्टरों के पास ज्यादा जा रहे हैं बजाय फैमिली हैल्प के लिए जानकारी जुटाने या किसी विशेषज्ञ के पास. बढ़ते मानसिक रोगों और पारिवारिक तनाव का कारण यही है कि परिवार की सेहत का खयाल बिलकुल नहीं रखा जा रहा जबकि जिम जा कर शरीर की मेहनत पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. यह फिल्मों में दिखने लगा है. अगर 1950-60 की फिल्में जम कर चलीं तो इसीलिए कि पतिपत्नी और बच्चों के परिवारों ने तब अचानक सदियों पुरानी संयुक्त परिवार प्रणाली से मुक्त हो कर राहत की सांस ली थी और वे अपने संबंधों को अपने अनुसार चलाने के तरीके ढूंढ़ रहे थे. तभी नई नौकरियों, बढ़ते शहरों, सहशिक्षा, दफ्तरों आदि में आदमियों और औरतों के मिलने, प्रेम विवाहों के कारण जो समस्याएं पैदा हो रही थीं लोग उन के हल खोज रहे थे. कुछ पत्रिकाओं और उपन्यासों में पाते थे तो कुछ फिल्मों में.

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पारिवारिक फिल्में मानसिक और पारिवारिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी हैं और इन का कम बनना एक गंभीर चिंता का विषय है. पारिवारिक फिल्में चाहे परिवार को किसी भी ढंग से देखें कुछ सवालों के हल जरूर करता है. ब्लैक ऐंड व्हाइट फिल्मों की छद्म नैतिकता को चाहे हम पुरातनवादी और दकियानूसी कह लें पर कम से कम वे कुछ सवालों के जवाब तो देती थीं. ‘दंगल’ जैसी सफल फिल्में चाहे परिवार से बहुत दूर नहीं हैं पर उन में परिवार की कम खिलाड़ी की अपनी समस्याओं की चर्चा ज्यादा है. परिवार पर व्यक्ति हावी रहे इस में किसी को आपत्ति नहीं पर व्यक्तित्व निखारने के लिए जो नींव चाहिए होती है वह परिवार ही देता है. हिंदी फिल्में अब अकसर दिखाने लगी हैं कि टूटा परिवार होता है तो कैसे रहते हैं पर उन में अपनी सफलता से जूझ रहे पात्र साथसाथ परिवार की समस्याओं से भी जूझ रहे होते हैं.

‘इंगलिशविंगलिश’ और ‘हिंदी मीडियम’ जैसी फिल्मों में परिवार के अच्छे चित्रण हैं और तभी बिना सितारों के भी ये चलीं. जो फिल्में अचानक सफल हुईं उन में अधिकांश में परिवार केंद्र में था और दर्शकों ने उन्हें हाथोंहाथ लिया. परिवार के प्रति उदासीनता दुनियाभर में बुरी तरह फैली है. सैल्फ डैवलपमैंट पर हजारों किताबें लिखी गई हैं. ‘मैं’ की महत्ता बहुत बढ़ी है पर इसी चक्कर में परिवारों के दीवाले निकल रहे हैं और बिना तलाक लिए भी पतिपत्नी और बच्चे मुंह फुलाए घूम रहे हैं. आमतौर पर लोगों के पास अपने दुख व्यक्त करने के शब्द ही नहीं होते. उन्हें समझ ही नहीं आता कि दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करें. वे अपनी धुन में मस्त रहते हैं और उसी को जीवन की सफलता मानते हैं पर कैंसर की तरह परिवार में फैलता अलगाव का ट्यूमर एक दिन अचानक फट जाता है. उस समय दवा नहीं मिलती सिर्फ या तो सर्जरी, रैडिएशन होती है या फिर मौत.

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सर्दियों में इन लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है अदरक का सेवन

सर्दियों के मौसम में अदरक का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है, ये बौडी को गरम रखने के साथ-साथ खांसी, जुकाम, गले की खराश की प्रौब्लम से भी छुटकारा दिलाने में मदद करता है, लेकिन कभी-कभी ये कुछ लोगों के लिए जानलेवा भी हो सकता है. अदरक हर कोई नही खा सकता. ऐसे की परेशानियां हैं, जिनमें अदरक का सेवन बौडी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. आइए आपको बताते हैं क्या है वह बीमारियां, जिनमें अदरक खाना नुकसानदायक हो सकता है.

1. रोजाना दवाई लेने वाले लोगों के लिए है खतरनाक

जो लोग किसी भी बीमारी के चलते रोजाना दवाई का सेवन करते हैं, उन्हें अदरक के सेवन से बचना चाहिए. क्योंकि इन दवाइयों में मौजूद ड्रग्स जैसे बेटा-ब्लौकर्स, एंटीकोगुलैंट्स और इंसुलिन अदरक के साथ मिलकर खतरनाक मिश्रण बनाते हैं.

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2. प्रैग्नेंसी में अदरक का सेवन हो सकता है खतरनाक

प्रैग्नेंसी के दौरान आपको अदरक से दूरी बना लेनी चाहिए. शुरुआती महीनों में ये आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. पर आखिरी के तीन महीनों में खतरनाक हो सकता है. क्योंकि इससे प्रीमेच्योर डिलीवरी और लेबर होने का खतरा बना रहता है.

3. पित्त में पथरी में न करें सेवन

पित्त की पथरी होने पर अदरक का सेवन खतरनाक हो सकता है. दरअसल अदरक के सेवन से शरीर में बाइल जूस (पाचक रस) ज्यादा मात्रा में बनना शुरू हो जाता है. पित्त की पथरी होने पर ये ज्यादा बाइल जूस का निर्माण खतरनाक हो सकता है. इसलिए ऐसी स्थिति में अदरक का सेवन न करें.

4. सर्जरी या औपरेशन में भी रहें दूर

किसी सर्जरी या औपरेशन से 2 सप्ताह पहले आपको अदरक का सेवन बंद कर देना चाहिए. इसका कारण यह है कि अदरक का सेवन करने से खून पतला हो जाता है, जो सामान्य स्थिति में शरीर के लिए सही है. मगर सर्जरी के समय अदरक का सेवन करने से आपके शरीर से ज्यादा मात्रा में खून बह सकता है.

5. दुबले-पतले लोग अदरक का सेवन कम करें

अगर आप दुबले-पतले हैं, तो आपको अदरक का सेवन कम करना चाहिए. अदरक में फाइबर होता है और ये शरीर के पीएच लेवल को बढ़ा देता है, जिससे भोजन को पचाने वाले एंजाइम्स एक्टिवेट हो जाते हैं. इससे आपका फैट तेजी से बर्न होता है और भूख कम लगती है, जिससे वजन कम होने लगता है.

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6. खून विकार वाले लोगों को

जिन लोगों को खून विकार की शिकायत होती है उन्हें अदरक से दूरी बना लेनी चाहिए. अदरक के सेवन से खून पतला होता है. यही कारण है कि कुछ लोगों को हल्की चोट में भी खून का ज्यादा बहाव होता है.

जानें कैसे चुनें सही ब्रा

ब्रा पहनने के अपने फायदे है. लेकिन उस के लिए सही साइज़ का ब्रा पहनना बहुत जरूरी है. आपको यह जान कर हैरानी होगी की 10 में से 8 महिलाएं गलत ब्रा का चुनाव करती हैं. शरीर में ब्रा सही तरह से फिट नहीं होगा तो ब्रैस्ट का आकार सही नहीं दिखेगा और आप कितनी भी स्टाइलिश ड्रेस क्यों न पहन लें वह आप पर अच्छी नहीं दिखेगी.

साइज के अनुसार पहनें ब्रा

ब्रा ब्रैस्ट साइज़ के अनुसार ही पहननी चाहिए. कई बार महिलाएं या तो बड़े साइज़ का ब्रा पहन लेती हैं या छोटे साइज़ का, जिससे ब्रैस्ट में ढीलापन आने लगता है और आकार में भी बदलाव दिखने लगता है. कई बार ज्यादा टाइट ब्रा पहनने से स्किन एलर्जी भी हो जाती है. गलत ब्रा कहीं न कहीं महिला की खूबसूरती को प्रभावित करती है. अगर आप चाहती हैं कि ब्रैस्ट का साइज सही रहे और वे सुडौल दिखें तो सही ब्रा का चुनाव बहुत जरूरी है. गलत ब्रा पहनने से कपड़ों का लुक खराब हो सकता और आपको शर्मिंदगी भी हो सकती हैं.

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आइए, जानते हैं सही ब्रा कैसे चुनें और इसे पहनते वक्त किन किन बातों का ध्यान रखें-

कई महिलाओं व लड़कियों को सही ब्रा साइज़ की जानकारी नहीं होता ऐसे में वे चाहें तो  घर पर ही इंचीटेप की मदद से अपना ब्रा साइज़ जान सकती हैं.–

 सही ब्रा का माप

ब्रा का सही माप लेने के लिए इंची टेप का इस्तेमाल करें. ब्रा साइज मापने के लिए बैंड साइज और कप साइज का मेजरमैंट लेना होता है.

 बैंड साइज मापे

बैंड साइज मापने के लिए ब्रेस्ट के नीचे से चारों तरफ की लंबाई मापें. ध्यान रहें आपकी बांहें नीचे की तरफ रहे. अगर आपका बैंड साइज ऑड नंबर में आता है तो उसमें 1 जोड़ दें. यदि आपका बैंड साइज 29 है तो उसमे 1 जोड़ने पर उसे 30 माना जाएगा. यानी आपका बैंड साइज 30 है.

 कप साइज ऐसे मापें

कप साइज मापने के लिए इंचीटेप को ब्रैस्ट के सेंटर पौइंट पर रख कर मापें. कप साइज हमेशा बैंड साइज से ज्यादा होगा. यदि आपका कप साइज 32 है और आपका बैंड साइज 30 तो, इसमें 2 इंच का अंतर है. 2 इंच का मतलब होता B कप. यानी आपका ब्रा साइज 32B है. यदि आपका कप साइज और बैंड साइज में 1 इंच का अंतर है तो, इसका मतलब है A कप. अब आप दुकान पर जा कर आसानी से अपने साइज की ब्रा खरीद सकती हैं.

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प्यार और कैरियर के सवाल पर जानें क्या कहना है इस एक्ट्रेस का, पढ़ें खबर

फिल्म ‘ये साली आशिकी’ से डेब्यू करने वाली अभिनेत्री और मौडल शिवालिका ओबेरौय मुंबई की है. अभिनय से पहले उसने फिल्म ‘किक’ और ‘हाउसफुल 3’ के लिए सहायक निर्देशक का काम किया. उसे हमेशा से क्रिएटिव काम करने का शौक था, जिसमें साथ दिया उसके माता-पिता ने. स्वभाव से हंसमुख शिवालिका से बातचीत हुई .पेश है कुछ अंश.

सवाल-फिल्मों में आने की प्रेरणा कहां से मिली? कैसे ब्रेक मिला?

5 साल की उम्र से मैंने करीना कपूर की फिल्में देखकर बड़ी हुई हूं. मुझे ‘पू औफ द हाउस’ कहा जाता था. मैं उसकी सारी फिल्में के सीन्स एक्ट करती थी और सबका मुझे ‘पू’ बुलाना पसंद था. परिवार वालों ने पढ़ाई पूरी करने के बाद इस क्षेत्र में आने की सलाह दी. कॉलेज की पढ़ाई के दौरान मुझे अनुपम खेर की एक्टिंग क्लास रोज दिखता था, मैंने वहां जाकर सब कुछ पता किया और एक्टिंग सीखने की इच्छा प्रकट की.  माँ ने सहयोग दिया. 3 महीने का डिप्लोमा कोर्स किया. 16 साल की उम्र में मैंने एक्टिंग सीखना शुरू कर दिया था. मैंने मेहनत से काम करना शुरू किया, सबको मेरा काम पसंद आया. इसके बाद कई औडिशन दिए. एड मिले और अमायरा दस्तूर से परिचय भी हो गया. इसके बाद सीरियल के ऑफर आने लगे पर मेरी इच्छा थी कि मैं एक फिल्म में लीड रोल करूँ. इसके बाद मुझे ‘किक’ फिल्म के लिए सहायक निर्देशक का काम मिला मैंने किया, इसके बाद ‘हाउसफुल 3’ में भी सहायक निर्देशक का काम किया और साथ-साथ में ग्रेजुएशन भी पूरा किया और फिर पिछले साल इस फिल्म का औडिशन दिया और चुन ली गयी. मैंने इससे पहले बहुत सारे औडिशन दिए है. मैं औडिशन को कभी मना नहीं करती.

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सवाल-औडिशन के दौरान किस तरह के रिजेक्शन सुनने को मिलते थे?

अलग-अलग लोग अलग-अलग बातें कहते थे. कई बार तो मुझे पता था कि ये मुझे नहीं मिलेगा. अच्छा औडिशन होने पर भी कई बार मुझे काम नहीं मिलता था. मैंने इसे अपने काम का एक हिस्सा माना और आगे अधिक मेहनत करती गयी. मैं नयी हूं और मुझे इसे फेस करना पड़ेगा इसके लिए मुझे धीरज रखने की जरुरत है. ऐसा सोचने पर मुझे कभी ख़राब नहीं लगा.

सवाल-इस फिल्म से आप अपने आपको कितना जोड़ पाती है?

मुझे एक रोमांटिक फिल्म करनी थी और वह मुझे मिली है. मैं इससे अपने आपको थोडा रिलेट कर सकती थी, अधिक नहीं इसलिए मेहनत अधिक रही. मैंने हर सीन्स को सही दिखने के लिए मेहनत किये है.

सवाल-परिवार का सहयोग आपको कितना मिला?

मेरी माँ एक टीचर है और उनके हिसाब से शिक्षा हर क्षेत्र के लिए जरुरी है. इसलिए मैंने भी पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने मेरा साथ दिया. पहले पिता भी समझ नहीं पा रहे थे कि मेरी सोच क्या है, पर एस्सिस्टेंट डिरेक्टर बनने के बाद उन्होंने मेरी पैशन को देखा और खुश हुए. ये सही है कि सहायक निर्देशक बनने के बाद मैंने बहुत सारी फिल्मों की बारीकियां सीखी जो मुझे अभिनय में भी काम आया.

सवाल-आज के यूथ बहुत इमोशनल है और प्यार मिलने पर या न मिलने पर बहुत कुछ कर बैठते है,आप इस बारें में क्या सोच रखती है?

आज के यूथ बहुत अधिक इमोशनल होते है,लेकिन अपने दिमाग का इस्तेमाल उन्हें हमेशा करते रहना चाहिए. प्यार दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज है, जिससे सारे इमोशन जुड़ते है, लेकिन अगर ये न मिले या एक तरफ़ा हो तो दिमाग का प्रयोग यूथ को करने की जरुरत होती है. जबरदस्ती किसी से प्यार नहीं किया जा सकता. अगर ये न भी मिले तो ये दुनिया का अंत नहीं होता. मेरी लाइफ में प्यार से अधिक मेरा कैरियर है. अगर जीवन में कुछ गलत भी हो जाय, तो परिवार के साथ अपनी बातें शेयर करें. परिवार हमेशा सहयोग देती है और आप मानसिक स्थिति से उबर सकते है. इससे सही हल निकलता है. अपने दिमाग को मजबूत बनाने और प्रैक्टिकल होने से, रास्ता प्यार का हो या कैरियर का चलना आसान हो जाता है.

सवाल-क्या फिल्म इंडस्ट्री से न जुड़े होने की वजह से अच्छा काम मिलना मुश्किल होता है?

मैं विज्ञापन कर रही थी और इससे मैं किसी न किसी रूप में कैमरे के आगे थी. डिजिटल तब नहीं था. अभी मैं डिजिटल करने के पक्ष में हूं. फ़िल्मी बैकग्राउंड से होने पर मुश्किल अधिक होता है. इसके अलावा भाई-भतीजावाद हर क्षेत्र में होता है, पर आपका काम ही आपको आगे लाता है.

सवाल-आगे कौन सी फिल्म है?

मेरी आगे आने वाली फिल्म ‘खुदा हाफिज़’ है, जो अभिनेता विद्युत् जामवाल के साथ है. ये एक एक्शन रोमांटिक थ्रिलर फिल्म है.

सवाल-आपकी स्टाइल स्टेटमेंट क्या है?

मैंने बचपन से अपने कपड़े को हाथ में लेकर मां के खरीदने तक वेट करती थी और घर पहुंचकर तुरंत पहनती थी. अभी मुझे आरामदायक कपड़े पहनना बहुत पसंद है. पजामे भी मुझे पहनना पसंद है. मैं नार्मल जींस और टॉप में भी घर से निकल जाती हूं. ये मेरे मूड पर निर्भर करता है.

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नई नवेली दुल्हन मोहेना कुमारी फैमिली फंक्शन अटैंड करने पहुंची कानपुर, पति संग फोटोज हुई वायरल

टीवी की बहूएं भले ही टीवी इंडस्ट्री से दूर हो जाए, लेकिन लाइमलाइट में हमेशा रहती है. रीवा की राजकुमारी और टीवी एक्ट्रेस मोहेना सिंह का भी किस्सा कुछ ऐसे ही है. मोहेना कुमारी भले ही एक्टिंग की दुनिया से दूर हो गई हैं, लेकिन उनकी फोटोज सोशल मीडिया पर लगातार वायरल होती रहती हैं. हाल ही मोहेना की पति सुयश रावत के साथ मोहेना की फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं मोहेना की लेटेस्ट वायरल फोटोज…

कानपुर पहुंची एक्ट्रेस मोहेना

 

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When she first time after her marriage headed to her home #mohenasingh #mohenakumari

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टीवी एक्ट्रेस मोहेना कुमारी सिंह इन दिनों कानपुर में एक शादी अटैंड करने पहुंची हैं मोहिना कानपुर से लगातार तस्वीरें शेयर करती जा रही है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं.

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दुल्हा-दुल्हन के साथ दिखीं मोहेना

mohena

कानपुर की शादी को मोहेना अटैंड करने पहुंची है, वहां के मंडप के फोटोज को उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है. साथ ही इन फोटोज में मोहेना संग उनके पति भी नजर आ रहे हैं.

मोहिना का लुक था खूबसूरत

 

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Official disclosure of ladies watch #mohenasingh #mohenakumari

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अपनी शादी के कुछ ही दिन बाद किसी ओर की शादी अटेंड करने नई-नवेली दुल्हन की तरह पहुंची मोहेना औरेंज कलर की साड़ी में नजर आईं, जिसके साथ वह काफी फोटोज खींचती हुई नजर आईं. शादी में पहुंची मोहिना ने चश्मा पहनकर खूब टशन मारा.

पति के साथ नजर आई मोहेना

मोहिना कुमारी सिंह पति के साथ कुछ इस अंदाज में कानपुर जाकर पोज मारती हुई नजर आई, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर मोहेना के फैंस को काफी पसंद आ रहा है.

इवेंट का हिस्सा बनीं मोहेना

कानपुर में शादी अटेंड करने जाने से पहले मोहेना एक इवेंट में हिस्सा लेने पहुंची थी, इस दौरान मोहेना नारंगी रंग की साड़ी में नजर आई. एक वौच ब्रांड के इवेंट पहुंची मोहेना कुमारी ने मीडिया के हर एक सवाल का जवाब देती नजर आईं.

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बता दें, इससे पहले भी मोहेना की शादी से लेकर रिसेप्शन तक की फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं, जिसे फैंस ने काफी पसंद भी किया था.

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