12 टिप्स: ऐसे करें सर्दी में पैरों की देखरेख

हमारे भीतर की रोमांटिक भावनाओं के लिए ठंड के दिन बेहद सुहावने होते हैं और अकसर हम इस सीजन के और लंबा होने की कामना करते हैं. लेकिन सभी ठंड के दिनों में इतना अच्छा महसूस नहीं करते. खासतौर से वे लोग जिन्हें सर्दी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं और त्वचा की ऐलर्जी आदि होती है. ठंड की रूखी और ठिठुराने वाली स्थिति खासतौर से त्वचा के लिए काफी कठोर साबित होती है. हमारे पैर भी ठंड के रूखेपन को झेलते हैं, इसलिए फटी एडि़यां, तलवों में जलन, पैरों में सूजन और खारिश जैसी दिक्कतें आम होती हैं.

हालांकि हम अपने चेहरे की त्वचा की देखभाल के लिए काफी कुछ करते हैं, मगर पैर अकसर अनदेखी के शिकार हो जाते हैं, क्योंकि ये देखभाल की प्राथमिकता की सूची में सब से निचले पायदान पर होते हैं. हम अपने चेहरे और हाथों की त्वचा पर नियम से रोज क्रीम लगाते हैं, लेकिन पैरों की त्वचा पर हमारा ध्यान नहीं जाता. जब कभी हमें पैरों का खयाल आता है तब हम पैडिक्योर कराने भागते हैं, मगर ठंड ऐसा मौसम है जब हमारे पैरों को भी ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है.

ठंड से बचने के लिए हम ज्यादातर समय पैरों में जूते पहने रहते हैं. घंटों उन में बंद रहने की वजह से कई बार इन में बदबू आने लगती है. यहां तक कि कई बार हम सोते समय भी जुराबें या वार्मर पहने रहते हैं. ऐसे में पैर बाहरी वातावरण के संपर्क में बहुत कम समय के लिए आते हैं. कुछ लोग ठंड को ले कर ज्यादा ही संवेदनशील होते हैं. ऐसे लोगों को ठंड की शुरुआत में ही त्वचा में दिक्कतें होने लगती हैं. ठंड में होने वाली कुछ समस्याएं इतनी गंभीर होती हैं कि वे हमारे पैरों की सेहत और खूबसूरती को पूरी तरह छीन लेती हैं. इन में से कुछ ये हैं:

1. चिलबेन

चिलबेन ठंड में होने वाली सब से आम समस्या है. इस की वजह से पैरों की त्वचा पर छोटे, लाल, खुजली वाले निशान बन जाते हैं और पैरों की त्वचा में सूजन आ जाती है. ऐसा तब होता है जब हमारे पैर लंबे समय तक ठिठुराने वाली ठंड के सीधे संपर्क में रहते हैं. ठंड में रक्त नलिकाएं छोटी होती जाती हैं और ये जब उंगलियों को गरमाहट मिलती है तब अपने सामान्य आकार में लौटती हैं.

चिलबेन के चलते सूजन, छाले व अन्य कई समस्याएं भी सामने आती हैं. यह सूजन अकसर छोटी उंगलियों में होती है, लेकिन पैर के कई हिस्सों में फैल सकती है. लेकिन आप को इस से घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि इस से बचाव और इस का इलाज संभव है. फंगलरोधी लोशन, क्रीम और पाउडर लगा कर फंगल इन्फैक्शन से बचा जा सकता है.

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2. रेनौड्स डिजीज

यह उंगलियों की छोटी नसों को प्रभावित करती है. दरअसल, सिकुड़न की वजह से इन नसों में कम मात्रा में औक्सीजन का संचार होता है, इसलिए यह समस्या होती है. ऐसे मरीज अपनी उंगलियों के रंग में बदलाव देखते हैं. वे पहले सफेद फिर नीली और बाद में लाल हो सकती हैं. डायबिटीज के मरीजों में ठंड के दिनों में ज्यादा समस्या रहती है.

3. छाले

ठंड के मौसम में किसीकिसी के पैरों की त्वचा पर छाले हो जाते हैं और अगर वे संक्रमित हो जाते हैं तो उन में रक्त, पानी, तरल या फिर पस जमा हो जाता है. ऐसा बहुत ज्यादा ठंड, घर्षण या संक्रमण की वजह से होता है. अगर आप को जूतों की वजह से इस तरह की समस्या हो रही है, तो आप को तुरंत अपने जूते और जुराबें बदल देनी चाहिए और डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

4. घट्टे और गोखरू

शायद आप ने भी कभी अपने पैरों की त्वचा की मोटाई बढ़ना महसूस किया हो. ऐसा तब होता है जब आप की त्वचा ठंडे मौसम, घर्षण और दबाव से खुद को बचाने की कोशिश करती है. अधिकतर लोगों को दबाव या घर्षण के कारण हटाने से इस समस्या से नजात मिल जाता है. जिन लोगों को इस से लाभ न हो उन्हें डाक्टर से मिल कर बचाव के उपायों के बारे में जानना चाहिए.

ठंड में रूखी और पपड़ी वाली त्वचा आप के पैरों की रौनक छीन सकती है. ऐसे में न सिर्फ संक्रमण से बचाव और ठंड की बीमारियों से दूर रहने के लिए, बल्कि अपने पैरों को खूबसूरत बनाए रखने के लिए भी आप को अपने पैरों की उपयुक्त देखभाल करनी चाहिए.

आगे बताए जा रहे तरीके अपना कर आप अपने पैरों को ठंड में भी सुरक्षित रख सकती हैं:

5. रूखी हो चुकी त्वचा को हटाएं

रूखी त्वचा को मौइश्चराइज करने से कोई फायदा नहीं होता. इस के लिए सब से पहले त्वचा की डैड हो चुकी बाहरी परत को हटाना जरूरी होता है. आप महीने में एक बार ऐक्सफोलिएशन करें. इस के लिए झांवा या लूफा का इस्तेमाल कर सकती हैं. लेकिन ऐसा हलके हाथों से करें, रगड़ें नहीं. इस से डैड स्किन में जमा हो चुकी मैल और गंदगी भी निकल जाएगी. इस के बाद पैरों में हाइड्रेटिंग मौइश्चराइजर लगा कर रात भर छोड़ दें.

इस के लिए आप होम मेड स्क्रब का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. शुगर और औलिव औयल लें, इस में मिंट या टी ट्री औयल की कुछ बूंदें मिला कर उस से पैरों की मसाज करें. इस से डैड स्किन निकल जाएगी. टी ट्री औयल में ऐंटी बैक्टीरियल तत्त्व होते हैं.

6. अपने पैरों से करें प्यार

पैरों को हलके गरम पानी में 10-15 मिनट के लिए डुबो कर रखें. इस से पैरों की त्वचा मुलायम हो जाएगी. अब हलके हाथ से उन्हें रगड़ें और मुलायम तौलिए से अच्छी तरह से सुखा लें. पैरों पर विटामिन ई युक्त कोल्ड क्रीम लगाएं. अगर आप के पैर संक्रमण और सूजन को ले कर संवेदनशील हैं, तो कोई ऐंटी बैक्टीरियल क्रीम लगाएं. यह प्रक्रिया महीने में 2 बार दोहराएं.

7. पैरों को दें पोषण

केला मैश कर के उस में नीबू का रस मिलाएं और उसे पैरों की त्वचा पर हाइड्रेटिंग मास्क की तरह लगाएं. इस मिक्सचर को पैरों पर अच्छे से लगा कर 20 मिनट के लिए छोड़ दें. इस के बाद कुनकुने पानी से पैर धो लें. पैरों में दिन में कम से कम 2 बार मौइश्चराइजिंग फुट क्रीम या पैट्रोलियम जैली लगाएं. इसे एक बार सुबह घर से बाहर निकलते समय और दोबारा रात में सोने से पहले इस्तेमाल करें. चूंकि ठंड में रूखी और तेज हवा चलती है और ठिठुरन से बचने के लिए लोग हर समय ब्लोवर आदि के पास बैठे रहना पसंद करते हैं, ऐसे में त्वचा की नमी खत्म हो जाती है. इसे बरकरार रखने के लिए खूब सारा पानी पीते रहें.

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8. पैरों के नाखूनों का रखें खयाल

ठंड में अपने पैरों को खूबसूरत बनाए रखने के लिए आप को अपने नाखूनों को नियमित रूप से काटना चाहिए. आप चटक रंगों की नेल पेंट लगा कर अपने पैरों की रंगत को उभार सकती हैं. कुछ लोग यह सोचते हैं कि नेल पेंट में हानिकारक तत्त्व होते हैं, जो नाखूनों को नुकसान पहुंचाते हैं, मगर बाजार में ऐसे अच्छे नेल पेंट भी उपलब्ध हैं, जो नाखूनों को सुरक्षित रखते हैं. ये नाखूनों की ग्रोथ बढ़ा सकते हैं और कुछ ब्रैंड के नेल पेंट तो ऐसे भी हैं जिन में विटामिन होता है. वे नाखूनों के बढ़ने और क्यूटिकल्स की सेहत के लिए अच्छे होते हैं.

9. जुराबें पहनें

सर्दियों में अपनी त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए जुराबें पहनें. ये भी उतनी ही जरूरी हैं, जितने कि आप के स्कार्फ, कैप और दस्ताने. जुराबें आप के पैरों की त्वचा को मौसम की मार से बचाएंगी. इस से पैरों में लगी क्रीम के साथ धूलमिट्टी भी नहीं चिपकेगी.

10. आरामदायक जूते पहनें

याद रखें कि आप को हमेशा वैसे ही जूते पहनने चाहिए, जिन में आप को आराम महसूस हो. अगर आप की एडि़यों में दर्द या चुभन है तो कभी भी टाइट या ऊंची एड़ी के जूते न पहनें. इस से आप की त्वचा में संक्रमण हो सकता है अथवा त्वचा छिल सकती है.

11. त्वचा रोग विशेषज्ञ को दिखाएं

अगर आप के पैरों की त्वचा में जलन या सूजन हो रही हो अथवा पपड़ी जैसी उतर रही हो तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं, ऐसा त्वचा में गंभीर ऐलर्जी की समस्या होने की वजह से हो सकता है, जिस में तुरंत डाक्टरी इलाज की जरूरत हो सकती है.

12. ज्यादा पसीना आए तो

सर्दियों में ऊनी जुराबें पहनें. हालांकि कुछ लोगों को हाइपरहाइड्रोसिस की समस्या भी होती है, जिस में बहुत ज्यादा पसीना आता है. ऐसे लोगों के पसीने को मौसम से कोई फर्क नहीं पड़ता है. ऐसे में बोटौक्स एक जादुई इलाज की तरह काम करता है. यह पसीना आने से रोकता है.

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गरमी का मौसम हो या ठंड का, हमें अपने पैरों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए. क्योंकि हमारे शारीरिक ढांचे में पैर ही वे अंग हैं, जो पूरे शरीर का भार उठाते हैं. अगर किसी तरह के फंगल संक्रमण को आप ने नजरअंदाज किया तो वह बदतर हालत में पहुंच सकता है, जिस के चलते आप पूरे सीजन परेशान रहेंगे.

-डा. चिरंजीव छाबड़ा
डर्मेटोलौजिस्ट, स्किन अलाइव क्लीनिक्स, दिल्ली

प्रियंका-निक के ये कपल फैशन ट्रैंड करें ट्राय

आजकल बौलीवुड में हर कोई कपल गोल्स को लेकर चर्चा में रहता है, चाहे वह दीपिका-रणवीर हो या प्रियंका-निक. वहीं फैशन की बात करें तो बौलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा और पति निक जोनस अक्सर सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं. साथ ही उनका फैशन कपल्स को एक ट्रैंड के बारे में बताता है. यही ट्रैंड कान्स फिल्म फेस्टिवल 2019 में भी देखने को मिला जहां एक तरफ प्रियंका अपने फैशन को लेकर सुर्खियों में थी वहीं दूसरी तरफ कपल्स फैशन को लेकर प्रियंका-निक ट्रैंड भी सेट करते नजर आए. तो आज हम उन्हीं कपल्स के लिए कुछ फैशन टिप्स बताएंगे, जिसे आप किसी पार्टी या शादी में कैरी कर सकती हैं. जो आपको ट्रैंडी के साथ-साथ स्टाइलिश बनाएगा.

  1. प्रियंका-निक का वाइट और स्काई ब्लू कौम्बिनेशन करें ट्राई

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अगर आप कौम्बिनेशन ट्राई करना चाहती हैं, तो यह आपके लिए परफेक्ट है. अक्सर आपने देखा होगा कि कपल्स आजकल फैशन देखकर कौम्बिनेशन ट्राई करने की कोशिश करते हैं. जिसमें वह कभी-कभी कामयाब भी हो जाते हैं. तो आप भी निक जोनस जैसे वाइट सूट के साथ प्रियंका की स्काई ब्लू यानी आसमानी ड्रैस ट्राई करें .

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  1. लाइट और डार्क का कौम्बिनेशन भी है बेस्ट

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आजकल डार्क और लाइट कलर का कौम्बिनेशन ट्रैंड में है. आप चाहें तो प्रियंका और निक की तरह लड़के डार्क कलर के सूट के साथ और लड़कियां लाइट कलर की पर्पल ड्रैस के साथ किसी भी पार्टी में अपना कपल फैशन दिखा सकती हैं.

  1. वाइट के साथ वाइट का कौम्बिनेशन करें ट्राई

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अगर आप किसी क्रिश्चियन शादी में जा रहें हैं या किसी पार्टी में जाकर फैशन ट्रैंड दिखाना चाहते हैं, तो यह कपल फैशन आपके लिए एकदम परफेक्ट है.

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  1. प्रियंका और निक का ये कपल कौम्बिनेशन है परफेक्ट

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अगर आप भी किसी पार्टी में सेक्सी कपल ट्रैंड की रेस में शामिल होना चाहते हैं तो यह कौम्बिनेशन आपके लिए परफेक्ट होगा. आप चाहें तो रेड और शाइनी ब्राउन का कौम्बिनेशन में कुछ बदलाव करके भी ट्राई कर सकती हैं.

इंडस्ट्री में शारीरिक से अधिक मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरुरी – करन अंशुमन

फिल्म ‘मिर्ज़ापुर’ से चर्चा में आने वाले निर्माता, निर्देशक, लेखक करन अंशुमन को हमेशा क्रिएटिव काम करना पसंद था. मुंबई में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने फिल्म मेकिंग की शिक्षा ली और इस क्षेत्र में उतरे. उन्होंने निर्देशक के रूप में पहली फिल्म ‘बैंगिस्तान’ बनाई जिसे लोगों ने कमोवेश पसंद किया. इसके बाद उन्होंने वेब सीरीज ‘इनसाइड एज’ बनायीं जिसे आलोचकों ने काफी सराहा. उन्हें नयी चुनौतीपूर्ण कहानी लिखना और बनाना पसंद है. अमेज़न प्राइम पर उनकी वेब सीरीज ‘इनसाइड एज 2’ का निर्देशन उन्होंने की है, जिसे लेकर वे काफी उत्साहित है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल- इस सीरीज में खास क्या है?

इसमें क्रिकेट से जुड़े मुद्दों को अधिक दिखाने की कोशिश की गयी है, जिसमें ये भी बताने की कोशिश की गयी है कि डोप का प्रयोग, जो खिलाड़ियों की परफोर्मेंस को अच्छा बनाने के लिए की जाती है, उसका असर क्या होता है, उस पर लेखक ने अधिक जोर दिया है.

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सवाल- पिछले दिनों एक प्रसिद्ध साउंड एडिटर निमिष पिलांकर की मृत्यु मुंबई में केवल 29 साल की उम्र में हुई, ऐसे में फिल्म या वेब सीरीज बनाने की इस लम्बी प्रक्रिया में आप अपने स्वास्थ्य पर कैसे ध्यान दे पाते है?

मैं स्पोर्ट्स में स्क्वाश खेलता हूं, योगा करता हूं. सप्ताह में एक दिन छुट्टी अवश्य लेता हूं  और बेटी के साथ समय बिताता हूं, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य का भी सही रहना काम के साथ-साथ जरुरी है. तनाव जो फिल्म मेकिंग और लेखन की वजह से होती है  उससे लगातार हटाना पड़ता है. शारीरिक से अधिक मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान अधिक रखने की जरुरत होती है. हर फिल्म मेकर को ये समझने की जरुरत है कि हम कोई जंग नहीं ,बल्कि एक फिल्म बनाने जा रहे है. कुछ सही नहीं हो रहा है, तो अधिक चिंता करने की जरुरत नहीं है. मैं अपने परिवार के साथ काफी समय बिताता हूं. मेरी बेटी 4 साल की है उसके साथ समय बिताना मेरे लिए बहुत जरुरी है और इससे मुझे बहुत सुकून मिलता है. इस इंडस्ट्री में शारीरिक से अधिक मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरुरी है.

सवाल- इस वेब सीरीज में चुनौती क्या रही?

इनसाइड एज 2 में अलग कहानी है और किसी भी निर्देशक को अलग कहानी कहने में ही मज़ा आता है. मेरे लिए नया हमेशा अच्छा रहता है. कलाकार के साथ-साथ निर्देशक भी टाइपकास्ट होना नहीं चाहते. इसमें हिंसा से अधिक जो होनी चाहिए, उस पर अधिक फोकस करने की कोशिश की गयी है, जो मेरे लिए चुनौती रही.

सवाल- वेब सीरीज और एक फिल्म बनाने में अन्तर क्या होता है?

वेब सीरीज 400 मिनट की होती है जबकि फिल्म उससे छोटी होती है, लेकिन एप्रोच दोनों का उतना ही होता है. वेब में वीकेंड प्रेशर नहीं होता. इसके अलावा एक बार बनाया तो दर्शक कभी भी कही भी देख सकते है. आज लोगों की सोच और विचार बदल चुके है और वे अलग चीजो को देखना पसंद कर रहे है और मुझे भी अच्छा लग रहा है, क्योंकि मुझे नयी-नयी चीजों को एक्स्प्लोर करने का मौका वेब के ज़रिये मिल रहा है. वेब में कहानी एक्सटेंडेड फॉर्म में होती है, जिसमें कलाकारों में अधिक परिवर्तन नहीं किया जाता. इसे लिखने और बनाने में भी काफी समय लगता है.

सवाल-वेब सीरीज का व्यवसाय काफी बढ़ चुका है और इसे बढ़ाने के लिए कई बार जरुरत से अधिक  सेक्स, वायलेंस और गाली-गलौज का प्रयोग होता है, कई बार लोग ऐसी वेब सीरीज को देखने से डर भी जाते है, यहाँ सर्टिफिकेशन नहीं है, निर्देशक और लेखक के तौर पर आप इन बातों का कितना ध्यान रखते है?

ये दर्शक पर निर्भर करता है कि आपको ऐसी वेब सीरीज देखनी है या नहीं. अगर हिंसा पसंद नहीं तो उसे न देखें. आपके पास वो आप्शन है. मैं कहानी चरित्र के हिसाब से लिखता हूं. जरुरत नहीं है, तो बिना वजह सेक्स, हिंसा आदि नहीं डालता. इसके अलावा दर्शक को हमेशा ये आजादी होनी चाहिए कि वे क्या देखें और क्या न देखें. इसके लिए रेटिंग की व्यवस्था होना सही होता है. सेंसरशिप से आप किसी को रोक नहीं सकते, आज के बच्चे अपने हिसाब से जो देखना चाहे देख सकते है. इन्टरनेट पर आज सब उपलब्ध है.

सवाल- आगे क्या योजनायें है?

मैं अभी वेब सीरीज पर अधिक फोकस्ड हूं और उस पर ध्यान केन्द्रित करने की कोशिश कर रहा हूं. फ्रेश और न्यू स्टोरीज कहने की कोशिश कर रहा हूं.

आउटसाइडर का लर्निंग पीरियड लगातार चलता रहता है – अनुप्रिया गोयनका

मौडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली एकअनुप्रिया गोयनका कानपुर की है. बचपन से ही अभिनय की इच्छा रखने वाली अनुप्रिया का साथ दिया उसके माता-पिता ने. विज्ञापनों में काम करते हुए उन्हें कई भूमिकाएं मिली, जिसमें फिल्म ‘टाइगर जिन्दा है, ‘पद्मावत’ और ‘वार’ में उसकी भूमिका को लोगों ने सराहा. विनम्र और हंसमुख स्वभाव की अनुप्रिया काम जो भी मिले उसे अच्छी तरह करना पसंद करती है. उसकी जर्नी शुरू हुई है और अभी उसे कई फिल्मों और वेब सीरीज के औफर भी मिल रहे है. फिल्मों का सफल होना और उसमें काम की सराहना होना कितना जरुरी है इस बारें में उसने बातचीत की. पेश है अंश.

सवाल-फिल्म वार की सफलता आपके लिए कितना माइने रखती है?

इसका फायदा मिलता है, क्योंकि ये एक बड़ी फिल्म है. इसे बहुत लोगों ने देखा और मेरी भूमिका बहुत अच्छी रही. बड़ा रोल दो हीरो के बीच में मिलना आसान नहीं होता. मेरे लिए एक एक्शन फिल्म में काम करना सबसे बड़ी उपलब्धि है. मेरे लिए एक एजेंट की भूमिका निभाना आसान नहीं था. लुक अलग था. मैंने इंटेंस रोल किया है. ये उससे अलग थी, जिससे मुझे काम करने में अच्छा लगा. मेरी भूमिका स्ट्रोंग थी, जो मेरे लिए बड़ी बात रही.

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सवाल-आपने अच्छे चरित्र निभाये है, उस हिसाब से आपके पास फिल्मों की संख्या कम है, इसकी वजह क्या है?

मैं हमेशा से थोड़ी क्वालिटी वर्क करने के पक्ष में हूं. भूमिका छोटी हो या बड़ी,  इस बात पर मैंने कभी अधिक जोर नहीं दिया. मेरे लिए चरित्र और जिनके साथ काम कर रही हूं वह अच्छा होना बहुत जरुरी है. जहां मुझे लगता है कि मैं कुछ उनसे सीखूंगी, नया चरित्र है, या काम करने में मज़ा आएगा, वहां मैं काम करना पसंद करती हूं. मैं रोमांटिक, ग्रामीण और कौमेडी फिल्म करना चाहती हूं. इसके अलावा मुझे पीरियड फिल्म बहुत पसंद है. अलग और क्वालिटी वर्क जो अलग हो उसे करना पसंद करती हूं. मेरे पास जो स्क्रिप्ट आती है, उसमें से मैं अच्छी भूमिका को खोजकर काम करती हूं.

सवाल-नयी भूमिका के लिए आप की मेहनत क्या होती है?

हर फिल्म की एक ख़ास जरुरत होती है जैसे फिल्म ‘वॉर’ के लिए शारीरिक रूप से फिट महिला चाहिए था, उसके लिए मैंने काफी वर्क आउट किया, कई क्लासेज भी किया था. अगर फिल्म एक्शन वाली हो, तो उसके लिए फिटनेस की जरुरत होती है. पद्मावत फिल्म में मैंने रानी नागमती की भूमिका के लिए बहुत रिसर्च किया. मैं खुद भी राजस्थान से हूं, इसलिए वहां की रीतिरिवाज से परिचित थी. फिर भी मैंने संवाद बोलने के तरीके को अच्छी तरह से सीखा. इस तरह से मैंने हर किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय देने की कोशिश किया है और उसके लिए जो भी जरुरी हो उसे अवश्य करती हूं, ताकि भूमिका सजीव लगे.

सवाल-अभी किस तरह की संघर्ष आपके साथ रहती है?

मुझे यहां इंडस्ट्री में कोई जानने वाला नहीं है, ऐसे में मेरे लिए कोई कहानी लिखी नहीं जायेगी. मुझे काम ढूढना पड़ा और सब कुछ सीखना पड़ा.  टाइगर जिन्दा है और पद्मावत फिल्म के बाद औडिशन देने की संख्या कम हो गयी है. ये मेरे लिए सबसे अधिक राहत है. इसके अलावा अभी भी आगे काम के लिए निर्देशकों से मिलना पड़ता है, पर मैं फिल्मों के अलावा विज्ञापनों में भी काम करती हूं. आउटसाइडर के कलाकार का लर्निंग पीरियड हमेशा चलता ही रहता है.

सवाल-आगे क्या कर रही है?

अभी मैं निर्माता, निर्देशक प्रकाश झा के साथ एक वेब सीरीज कर रही हूं. उसका अनुभव बहुत अच्छा रहा है. इसके अलावा अरशद वारसी के साथ एक साइकोलोजिकल थ्रिलर वेब पर काम चल रहा है.

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सवाल-वेब सीरीज की आजादी को आप कैसे लेती है?

कोई भी चीज जब दबी हो और एकदम से उसे आज़ादी मिलने पर बहुत कुछ बाहर निकल कर आती है ,जो ठीक नहीं होता,लेकिन समय के साथ उसमें बदलाव होता है. आज कई नयी और अच्छी कहानियाँ वेब सीरीज के द्वारा कही जा रही है, जिसमें क्राइम, गैंग्स्टर जैसी कहानियां मुख्य नहीं है और वह आगे धीरे-धीरे दर्शकों की पसंद के अनुसार बदलने की उम्मीद है.

सवाल-अन्तरंग दृश्यों के लिए आप कितनी कौम्फोरटेबल है?

मैं बहुत सहज हूं, लेकिन सीन्स उस कहानी के साथ जाने की जरुरत होनी चाहिए. महिलाओं की कामुकता को उसकी गहराई को दिखाए बिना, छोटेपन के लिहाज़ से दिखाया जाय, तो उसमें मैं सहज नहीं और करना भी नहीं चाहूंगी. ऐसे दृश्य को बहुत ही मर्यादित तरीके से दिखाए जाने की जरुरत है, क्योंकि एक औरत में बहुत सारी चीजे होती है.

सवाल-किस तरह के सामाजिक कार्य आप करना पसंद करती है?

मैंने अभिनय से पहले गरीब बच्चों की शिक्षा को लेकर कुछ काम किया है, पर अब ह्यूमन ट्राफिकिंग पर काम करना चाहती हूं, जो हमारे देश में बहुत जरूरी है.

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सवाल-अभिनय के अलावा क्या करना पसंद करती है?

डांसिंग, सिंगिंग करती हूं. पेंटिंग और गाने सुनती हूं. इसके अलावा मैं अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करती हूं.

सवाल-गृहशोभा की महिलाओं के लिए क्या मेसेज देना चाहती है?

महिलाओं को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर होने की जरुरत है. जिससे उनकी सोच और विचार को कहने की आज़ादी उन्हें मिले. तभी वे एक अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकती है.

शादी के 8 साल बाद इस एक्ट्रेस के घर आया नन्हा मेहमान, ऐसे जताई खुशी

टीवी के पौपुलर कौमेडी शो का हिस्सा रह चुकीं एक्ट्रेस प्रिया आहूजा अपनी प्रेग्नेंसी को लेकर काफी दिनों से सुर्खियों में हैं. वहीं अब उनके घर एक नन्हा मेहमान भी आ गया है, जिसके बाद फैंस से लेकर सेलेब्स उन्हें बधाइयां देने में लग गए हैं. नए मेहमान की खुशखबरी प्रिया ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर दी है. आइए आपको दिखाते हैं प्रिया आहूजा की वायरल फोटोज…

इंस्टाग्राम पर शेयर की खूबसूरत फोटो

एक प्यारी सी बच्चों के पैरों की फोटोज शेयर करते हुए प्रिया आहूजा ने अपने घर में बेबी बौय के आने की खुशखबरी दी. साथ ही एक प्यारा सा मैसेज भी शेयर करते हुए लिखा कि ‘हमारा घर दो और कदमों से भर गया है. एक बेटा हुआ है. हम इस खुशी से फूले नहीं समा रहे है. ये ऐलान करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि 27 नवंबर को हमारे घर एक नन्हा मेहमान आया है.’

 

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Our home has grown by two feet! ITS A BOY!! We r overwhelmed with the joy!! Happy to Announce the arrival of our lil angel on 27th November

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फैंस ने दी बधाई

प्रिया आहूजा की शेयर की फोटोज पर उनके फैंस ने उन्हें बधाई देना शुरू कर दिया है, इसी के साथ उनके फैंस उनके बच्चे के हेल्दी रहने की दुआएं भी कर रहे हैं.

गोदभराई की फोटोज भी हो चुकी हैं शेयर

 

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Lovely day… ??? Babyshower cum birthday party with my favorite ppl #babyshower

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इससे पहले टीवी एक्ट्रेस प्रिया की गोद भराई की रस्म की फोटोज खूब वायरल हुई हो चुकी हैं, जिसमें उनके साथ पुराने शो की कास्ट भी शामिल हो चुकी है. इतना ही नहीं, गोदभराई के साथ-साथ प्रिया ने अपना एक प्रेग्नेंसी फोटोशूट भी कराया था, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर काफी पौपुलर हुई थी.

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8 साल बाद पहली बार बनी हैं मां

प्रिया आहूजा ने साल 2011 में अपने टीवी शो के चीफ डायरेक्टर से लव मैरिज की थी, जिसके बाद उन्होंने 2019 में अपनी प्रेग्नेंसी का खुलासा किया था, जिसके बाद वह लगातार अपने फैंस के लिए अपनी फोटोज शेयर कर रही थीं. वहीं अब उन्होंने अपनी मां बनने की खुशी फैंस के साथ शेयर की है.

इन टिप्स को करेंगे फौलो तो महकता रहेगा घर

सुगंध या खुशबू एक ऐसा एहसास है, जो किसी को भी आकर्षित करता है. महकता व सुगंधित घर न केवल किसी होममेकर की सुगढ़ता को दर्शाता है, बल्कि इससे उस की पसंद व स्टाइल की भी जानकारी मिलती है. कोई भी घर तभी संपूर्ण माना जाता है जब वह सही इंटीरियर के साथसाथ अच्छा महकता भी हो. क्या आप चाहेंगी कि जब कोई आप के घर में आए, तो उस का स्वागत घर की प्याजलहसुन की गंध से हो, जिस से वह आते ही नाकभौं सिकोड़े और उस का घर में बैठना दूभर हो जाए?

दरअसल, हर घर की एक अलग गंध होती है, जो अगर सुगंध है तो आने वाले को सम्मोहित कर देती है. इस से आने वाला तनावरहित व फ्रैश भी हो जाता है. लेकिन वही गंध अगर दुर्गंध हो यानी घर से प्याजलहसुन, सीलन, गीले कपड़ों वगैरह की गंध आती हो, तो आने वाला ज्यादा देर तक टिक नहीं पाता. वह घर से जल्दी निकलने के लिए मजबूर हो जाता है. घर से सुगंध आए, इस के लिए घर को महकाने का चलन बहुत पहले से चला आ रहा है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि घर से आने वाली अन्य तरह की गंध को कम किया जा सके. पुराने जमाने में लोग अपने घर के बाहर रात की रानी, चमेली या रजनीगंधा के पेड़पौधे लगा देते थे ताकि घर सदा महकता रहे. लेकिन बदलते समय के साथ समय व स्पेस की कमी ने इस तरीके को थोड़ा कम कर दिया है. इसलिए लोगों ने आर्टिफिशियल सुगंध पर निर्भर होना प्रारंभ कर दिया है.

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होम फ्रैशनर…

घर से आने वाली दुर्गंध को कम करने के लिए बाजार में अनेक तरह के होम फ्रैगरैंस उपलब्ध हैं, जिन का चुनाव आप अपनी पसंद व सुविधा के अनुसार कर सकती हैं.

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1 अगरबत्तियां: घर को महकाने के लिए अगरबत्तियों का इस्तेमाल पहले से होता रहा है. लेकिन आजकल बाजार में अगरबत्तियों की अनेक खुशबुएं मिलती हैं, जिन्हें बेहतरीन होम फ्रैगरैंस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. नैचुरल फ्रैगरैंस की बात की जाए तो जैसमीन, चंदन, गुलाब, देवदार आदि की प्राकृतिक खुशबुओं वाली अनेक अगरबत्तियां हैं.

बाजार में 2 प्रकार की अगरबत्तियां उपलब्ध हैं, जिन्हें आप अपनी जरूरत और सुविधा के अनुसार चुन सकती हैं. पहली, डायरैक्ट बर्न जिस में अगरबत्ती स्टिक को सीधे जलाया जाता है और उस की सुगंध से वातावरण सुगंधित हो जाता है. दूसरी, इनडायरैक्ट बर्न जिस में फ्रैगरैंस मैटीरियल को मैटल की हौटप्लेट या आंच पर रखा जाता है, जिस से न केवल पूरा घर महक जाता है वरन घर से मच्छरमक्खियां भी दूर भागती हैं.

2 फ्रैगरैंस कैंडल्स: कैंडल्स का प्रयोग सिर्फ दीवाली पर जगमगाहट के लिए करने के अलावा घर को महकाने व रोमानी वातावरण बनाने के लिए भी किया जा सकता है. रंगबिरंगी सैंटेड कैंडल्स बाजार में इतने आकर्षक डिजाइनों, रंगों व फ्रैगरैंस में उपलब्ध हैं, जिन से आप घर को महका सकती हैं और घर से आ रही प्याजलहसुन व सीलन की बदबू को दूर भगा सकती हैं.

कैंडल्स में वारमर्स भी मौजूद हैं, जो मोम को गरम करते हैं और पिघलते मोम से सारा घर महकता रहता है. सैंटेड कैंडल को बिना जलाए घर को महकाने का यह बेहतरीन तरीका साबित होता है.

3 एअर फ्रैशनर्स: घर को महकाने में एअर फ्रैशनर्स स्प्रे का भी प्रयोग किया जा सकता है. इस से घर से आने वाली दुर्गंध हट जाती है. खूबसूरत कैन्स में उपलब्ध इन फ्रैशनर्स को आप दीवार पर भी टांग सकती हैं और उस में लगे बटन को औन कर के घर को महका सकती हैं.

4 फ्रैगरैंस पौटपोरी: आकर्षक पैकिंग में उपलब्ध सूखे फूल व खुशबूदार सामान को भी घर को महकाने में प्रयोग किया जा सकता है. इन पैकेट से निकलने वाली सुगंध घर के माहौल को महकदार व रोमांटिक बना देती है.

5 रीड डिफ्यूजर: अनेक खुशबुओं को बोतल व कंटेनर में सैंटेड औयल व रीड्स के रूप में घर को महकाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है. इस रीड डिफ्यूजर को आप किचन, लिविंग रूम, बैडरूम, बाथरूम कहीं भी रख सकती हैं व घर के कोनेकोने को मस्ती भरी सुगंध से महका सकती हैं.

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बाजार में मिलने वाले इन रैडीमेड होम फ्रैगरैंस के अलावा आप चाहें तो घर में भी होम फ्रैगरैंस बना सकती हैं यानी कुछ तरीके अपना कर घर को महका सकती हैं:

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  1. कमरे की खिड़कियां सुबह-शाम अवश्य खोलें ताकि बाहर की फ्रैश हवा भीतर आ सके.
  2. घर में प्राकृतिक खुशबू वाले फूलों के पौधे लगाएं, साथ ही किसी कांच के बाउल में पानी भर कर उन फूलों की पंखुडि़यों को उस में डाल कर सैंटर टेबल पर रखें. हवा के साथ आती फूलों की ताजा खुशबू पूरे घर को महकाएगी और प्राकृतिक होम फ्रैगरैंस का काम करेगी.
  3. ऐसेंशियल औयल को 1 कप पानी में मिला कर किसी स्प्रे वाली बोतल में भर लें और एअर फ्रैशनर के तौर पर इस्तेमाल करें.
  4. वाशबेसिन में रंगबिरंगी नैप्थेलीन बौल्स डालें.
  5. कपड़े की अलमारियों में नैप्थेलीन बौल्स फ्रैगरैंस पौटपोरी रखें.
  6. किचन में ऐग्जौस्ट फैन व चिमनी लगाएं.
  7. घर के कालीन व परदों को समयसमय पर साफ कराती रहें.

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महकते घर के फायदे

1. महकता घर उस घर में रहने वालों को तनावरहित रखने के साथसाथ उन्हें रिलैक्स भी करता है.

2. महकता घर, घर में आने वालों का मूड फ्रैश कर देता है और उन में पौजिटिव ऐनर्जी भर देता है.

3. दुर्गंधयुक्त वातावरण जहां रिश्तों में खटास लाता है, वहीं सुगंधित घर आपसी रिश्तों में भी मधुरता लाता है. उन्हें प्रकृति के करीब होने का एहसास कराता है. दिन भर की भागदौड़ व प्रदूषण से दूर जब आप महकते घर में प्रवेश करते हैं तब दिन भर की थकान दूर हो जाती है और घर में रोमांटिक वातावरण मिलता है. इस से पतिपत्नी के रिश्ते में भी नजदीकी आती है. तो फिर तैयार हैं न अपने महकते घर में रिश्तों को नई ताजगी देने के लिए और मेहमानों का स्वागत करने के लिए.

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आजादी से निखरती बेटियां

मैं कुछ दिन पहले एक मौल में शौपिंग कर रही थी. वहां 5 से 9-10 साल के बीच की 3 बहनों को देखा, जो अपने पिता के पीछेपीछे चलती हुईं रैक पर सजे सामान को छूतीं और फिर ललचाई निगाहों से पिता की ओर देखतीं. इतनी कम उम्र में हिजाब संभालती इन बच्चियों को देख साफ पता चल रहा था कि इन की बहुत कुछ लेने की इच्छा है पर खरीदा वही जाएगा जो इन का पिता चाहेगा. पिता धीरगंभीर बना अपनी धुन में सामान उठा ट्राली में रख रहा था. बच्चियों की मां पीछे गोद के बच्चे को संभालती चल रही थी. वह भी कुछ भी छूने से पहले पति की तरफ देखती थी.

अगलबगल कई और परिवार भी शौपिंग कर रहे थे, जिन की बेटियां अपनी मां को सुझाव दे रही थीं या पिता पूछ रहे थे कि कुछ और लेना है? उन हिजाब संभालती बच्चियों को हसरत भरी निगाहों से स्मार्ट कपड़ों में घूमती उन दूसरी आत्मविश्वासी लड़कियों को निहारते देख मेरे मन में आ रहा था कि न जाने वे क्या सोच रही होंगी. उन की कातरता बड़ी देर तक मन को कचोटती रही.

भेदभाव क्यों

इसी तरह देखती हूं कि घरों में लड़के अकसर ज्यादा अच्छे होते हैं. उच्च शिक्षा प्राप्त कर डाक्टर, इंजीनियर बनते हैं, जबकि उसी घर की लड़कियों को बहुत कम पढ़ा कर उन की शादी कर दी जाती है. ऐसा कैसे होता है कि लड़कियां ही कमजोर निकलती हैं उन के भाई नहीं? कारण है भेदभाव जो आज भी हमारे समाज में मौजूद है. बेटियों को ऊंचा सोचने के लिए आसमान ही नहीं मिलता है, बोलने की आजादी ही नहीं होती है, पाने को वह मौका ही नहीं मिलता है, जो उन के पंख पसार उड़ने में सहायक बने.

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एक आम धारणा है कि बेटियों को दूसरे घर जाना है. इसलिए उन्हें दबा कर रखना चाहिए. उन के मन की हर बात मान उन्हें बहकाना नहीं चाहिए, क्योंकि कल को जब वे ससुराल जाएंगी तो उन्हें तकलीफ होगी. बचपन से ही उन पर इतनी टोकाटाकी और पाबंदियां लगा दी जाती हैं कि उन का विश्वास कभी पनप ही नहीं पाता है.

आज भी उन से उम्मीद की जाती है कि वे वही काम करें, वैसा ही करें जो उन की मां, दादी या बूआ कर चुकी हैं. बच्चियों को हर क्षण एहसास दिलाया जाता है कि वे लड़कियां हैं और उन्हें इन अधिकारों का हक नहीं है, कहीं अकेले नहीं जा सकती हैं, अपनी पसंद के कपड़े नहीं पहन सकती हैं. उन्हें अपने पिता, भाई की हर बात माननी ही होगी. अपनी पसंद के विषय या खेल चुनना तो दूर की बात है.

ऐसा भी नहीं है कि समाज में बदलाव नहीं आया है. उच्चवर्ग और निम्नवर्ग तो हमेशा पाबंदियों और वर्जनाओं से दूर रहा है, यह सारी पाबंदियां, वर्जनाएं मध्य वर्ग के सिर हैं. शहरी मध्य वर्ग के लोगों की सोच में भी बहुत बदलाव आ चुका है, वे अपनी बेटियों को कम या ज्यादा आजादी दे रहे हैं. पूरी आजादी तो शायद ही अभी देश में किसी तबके और जगह की लड़कियों को मिली हो.

आजादी के माने

आजादी देने का मतलब छोटे कपड़े पहनना, शराब पीना या देर रात बाहर घूमना ही नहीं होता है. आजादी का मतलब है बेटी को ऐसे अधिकारों से लैस करना कि वह घरबाहर कहीं भी खुल कर अपनी बात रख सके. उस का ऐसा बौद्घिक विकास हो सके कि वह अपने जीवन के निर्णयों के लिए पिता, भाई या पति पर निर्भर न रहे. शिक्षा सिर्फ शादी के मकसद से न हो, सिर्फ धार्मिक पुस्तकों तक ही सीमित न हो, बल्कि बेटियों को इतना योग्य बनाना चाहिए ताकि वे आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़ी हो सकें.

बेटियों के गुण व रुझान की पहचान कर उन के विकास में सहयोग करना हर मातापिता का फर्ज है. नियम ऐसा हो कि एक बेटी ‘अपने लिए भी जीया जाता है,’ यह बचपन से सीख सके वरना यहां ससुराल और पति के लिए ही किसी बेटी का लालनपालन किया जाता है. अगर यही सोच सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल या गीता फोगट के मातापिता की होती तो देश कितनी ही प्रतिभाओं के परिचय से भी वंचित रह जाता.

बदलाव थोड़ा पर अच्छा

बेटेबेटियों के लालनपालन का अंतर अब टूटता दिख रहा है. उन्हें परवरिश के दौरान ही इतनी छूट दी जा रही है कि वे भी अपने भाई की तरह अपनी इच्छाओं को जाहिर करने लगी हैं. शादी की उम्र भी अब खिंचती दिख रही है. पहले जैसे किसी लड़के के कमाने लायक होने के बाद ही शादी होती थी, आज अपनी बेटियों के लिए भी यही सोच बनने लगी है और इस का असर समाज में दिखने भी लगा है. चंदा कोचर, इंदु जैन, इंदिरा नूई, किरण मजूमदार आज लड़कियों की रोल मौडल बन चुकी हैं. परवरिश की सोच के बदलाव से बेटियों की प्रतिभा भी सामने आने लगी है.

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ह्यूमन कैपिटल देश की सब से कीमती संपत्ति है. बेटियों का विकास ही देश को विकसित बनाता है. यदि आधी आबादी पिछड़ी हुई है, तो देश का विकास भी नामुमकिन है. जरूरत है प्रतिभाओं के विकास और उन्हें सही दिशा देने की. फिर चाहे वह लड़का हो या लड़की, प्रतिभाओं को खोज उन्हें सामने लाना ही होगा. आजादी से निखरती ये बेटियां घरपरिवार, समाज के साथसाथ खुद और देश को भी विकसित कर रही हैं. अनैतिकता के नाम पर लड़कियों को काबू में रखने की कोशिश न करें. संस्कृति, धर्म और सुरक्षा के नाम पर जो रोकटोक लगाई जा रही है, वह भारी पड़ेगी.

ब्लड प्रेशर मरीज फायदेमंद है टमाटर

टमाटर हमारी सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद है. इसके कई सेहत लाभ हैं. हाइपर टेंशन एक गंभीर बीमारी है जिससे आपको दिल संबंधी समस्याएं होती हैं. अपनी डाइट में टमाटर जोड़ कर इस समस्या का जोखिम कम किया जा सकता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि टमाटर कैसे ब्लड प्रेशर की परेशानी में फायदेमंद है.

अमेरिका के हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन की माने तो टमाटर में भरपूर मात्रा में एंटी औक्सीडेंट पाया जाता है. जो लोग टमाटर का नियमित तौर पर सेवन करते हैं, उनमें ब्लड प्रेशर की शिकायत कम देखी गई है.

जानिए कैसे लाभकारी है टमाटर

tomatoes for blood pressure patients

टमाटर में विटामिन ई प्रचूर मात्रा में पाई जाती है. इसके अलावा टमाटर पोटैशियम का भी महत्वपूर्ण स्रोत है. इससे शरीर में फ्लूइड इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है, साथ ही ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है. इसलिए अगर आप हाइपरटेंशन की मरीज हैं तो टमाटर का अधिक सेवन करें. आप इसे सलाद या सब्जियों में मिलाकर खा सकते हैं. इसके अलावा इसे टोमेटो सूप, रसम या चटनी के रूप में भी खाया जा सकता है.

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tomatoes for blood pressure patients

आपको बता दें कि टमाटर में लाइकोपीन और बीटा कैरोटीन जैसे कैरोटीनौइड होते हैं, जो शक्तिशाली एंटीऔक्सीडेंट्स हैं. इनकी मदद से शरीर में फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय हो कर आसानी से फ्लश हो जाते हैं. इससे न केवल एथेरोस्लेरोसिस की प्रगति धीमी होती है बल्कि औक्सीडेटिव स्ट्रेस भी कम होता है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखता है.

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पति-पत्नी के बीच क्यों कम हो रहा है प्यार

9प्यार के बाद प्रेमी जोड़े शादी तो बड़ी आसानी से कर लेते हैं, मगर जब निभाने की बारी आती है तब वही रिश्ता बोझ लगने लगता है. आजकल ऐसे शादीशुदा जोड़ों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिन के बीच वक्त के साथ प्यार में कमी आने लगी है और नतीजा यह कि सालों रिश्ते में टिके रहने के बाद एक दिन तलाक लेने का फैसला ले लेते हैं.

विवाह का बंधन बहुत ही पेचीदा इंसानी रिश्ता है और अधिकतर लोग बहुत कम तैयारी के साथ इस बंधन में बंधते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे एक-दूसरे के लिए ही बने हैं. डा. डीन एस. ईडैल कहते हैं कि हमें ड्राइविंग लाइसैंस पाने के लिए कुछ हद तक अपनी काबिलियत दिखानी पड़ती है पर वहीं शादी का सर्टिफिकेट पाने के लिए सिर्फ मात्र दस्तखत ही काफी हैं.

हालांकि बहुत से पतिपत्नी अंत समय तक खुशहाल जीवन व्यतीत करते हैं, मगर काफी पतिपत्नी के बीच तनाव रहता है और इस का कारण है एकदूसरे से काफी उम्मीदें पाले रखना. शादी के पहले पतिपत्नी एकदूसरे से काफी उम्मीदें पाल बैठते हैं, मगर जिंदगीभर साथ निभाने के लिए जो हुनर चाहिए होता है, वह उन के पास नहीं होता. शुरूशुरू में जब लड़कालड़की एकदूसरे के करीब आते हैं, तब उन्हें लगता है दोनों एकदूजे के लिए ही बने हैं और उन के साथी जैसा दुनिया में और कोई है ही नहीं. उन्हें लगता है, एकदूसरे का स्वभाव भी काफी मिलताजुलता है, लेकिन शादी के कुछ सालों बाद ही उन की एकदूसरे के प्रति भावनाएं खत्म सी होने लगती हैं और जब ऐसा होता है तब यह वैवाहिक जीवन को तबाह, बरबाद कर सकता है. कुछ शादियां तो अपनी मंजिल तक पहुंच जाती हैं, मगर कुछ बीच में ही दम तोड़ देती हैं, क्यों? आइए जानते हैं:

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1 जरूरत से ज्यादा उम्मीदें:

स्नेहा कहती है कि जब उसे राहुल से प्यार हुआ तब लगा वही उस के सपनों का राजकुमार है. उस के जैसा दुनिया में दूसरा कोई नहीं है और अब उस के जीवन में सिर्फ रोमांस ही रोमांस होगा. दोनों एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर हंसतेखेलते जीवन गुजार देंगे. मगर शादी के कुछ सालों बाद ही स्नेहा को अपने सपनों के राजकुमार में एक शैतान नजर आने लगा, क्योंकि वह उस की एक भी उम्मीद पर खरा नहीं उतरा. लव स्टोरी वाली फिल्में, रोमांटिक गाने प्यार की ऐसी तसवीरें पेश करते हैं कि हकीकत में भी हमें वही नजर आने लगता है. मगर हम भूल जाते हैं कि यह सचाई से कोसों दूर होता है. लैलामजनूं, हीररांझा का प्यार इसलिए अमर हो गया, क्योंकि वे विवाह के बंधन में नहीं बंध पाए, अगर बंधते तो शायद उन के भी कुछ ऐसे ही बोल होते. शादी से पहले की मुलाकातों में शायद लड़कालड़की को लगे कि उन के सारे सपने साकार हो जाएंगे, मगर शादी के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि वाकई वे सपनों की दुनिया में ही खोए हुए थे. बेशक पतिपत्नी को अपनी जिंदगी में एकदूसरे से उम्मीदें पालना गलत नहीं है, मगर इच्छाएं इतनी भी न पालें कि सामने वाला पूरा ही न कर पाए.

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2 आपसी तालमेल की कमी:

एक शादीशुदा औरत का कहना है कि वह और उस के पति हर मामले में एकदम अलग राय रखते हैं. कभी उन के विचार मिले ही नहीं मानों एक पूरब है तो दूसरा पश्चिम. उस का एक दिन भी ऐसा नहीं जाता, जब वह अपने पति से शादी करने के फैसले पर पछताती न हो. शादी के कुछ समय बाद ही उसे लगने लगा कि उस का साथी बिलकुल भी वैसा नहीं है जैसा उस ने सोचा था.

इस बात पर डा. नीना एस. फील्ड्स का कहना है कि अकसर शादी के बाद एक इंसान के गुण साफ नजर आते हैं, जिन्हें शादी के पहले नजरअंदाज कर दिया जाता है. इस का परिणाम यह होता है कि शादी के कुछ सालों बाद पतिपत्नी शायद इस नतीजे पर पहुंचें कि उन का एकदूसरे के साथ कोई तालमेल बैठ ही नहीं सकता.

एकदूसरे के विचार न मिलने के बावजूद कितनी जोडि़यां इसलिए शादी के बंधन में बंधी रह जाती हैं, क्योंकि समाज और लोग क्या कहेंगे और कुछ तो समझ ही नहीं पाते कि इस रिश्ते को निभाएं या तोड़ दें.

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3 लड़ाई-झगड़े:

पतिपत्नी के बीच तकरार न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. लेकिन तकरार जब हद से ज्यादा बढ़ जाए तब क्या किया जाए? इस पर डा. गोलमैन लिखते हैं कि अगर शादी का बंधन मजबूत है तो पतिपत्नी को लगता है कि वे बेझिझक एकदूसरे से शिकायत कर सकते हैं, लेकिन अकसर गुस्से में आ कर शिकायत ऐसे तरीके से की जाती है जिस से नुकसान होता है और इस के जरीए अपने साथी के चरित्र पर कीचड़ उछाला जाता है, जिसे दूसरा कतई बरदाश्त नहीं कर पाता और झगड़ा बढ़ता जाता है. जब पतिपत्नी गुस्से में आपे से बाहर हो जाते हैं तब उन का घर घर न रह कर एक जंग का मैदान बन जाता है और पिसते हैं उन के बच्चे.

झगड़ा सुलझाने के बजाय वे अपनी जिद पर अड़े रहते हैं. उन के शब्द कब हथियार का रूप ले लेते हैं पता ही नहीं चलता. इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि जो झगड़े काबू से बाहर हो जाते हैं उन में सब से ज्यादा नुकसान तब होता है जब पतिपत्नी एकदूसरे को कुछ ऐसी बातें कह देते हैं जो उन के वैवाहिक जीवन को खतरे में डाल देती हैं. उन्हें ऐसी बातें नहीं बोलनी चाहिए.

4 पल्ला झाड़ लेना:

शादी के कुछ सालों बाद अपने वैवाहिक जीवन से ऊब कर एक पत्नी ने कह दिया कि अब उस से नहीं होगा, क्योंकि अपने वैवाहिक जीवन को बचातेबचाते वह थक चुकी है.

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उसे मालूम है जब इस से कोई फायदा ही नहीं, तो फिर क्यों वह रिश्ता बचाने की कोशिश में लगी हुई है? अब उसे सिर्फ अपने बच्चे से मतलब है. कहते हैं जब पतिपत्नी एकदूसरे से प्यार करते हैं, तो बेइंतहा प्यार करते हैं. मगर जब बेरुखी बढ़ती है, तो बढ़ती ही चली जाती है. एकदूसरे से वैमनस्य पाल लेते हैं. मगर कुछ पतिपत्नी इसलिए रिश्ते निभाते चले जाते हैं कि और चारा क्या है? इसी पर एक पति का कहना है कि बेमन से विवाह के बंधन में बंधे रहना ऐसी नौकरी के समान है जिसे करने का मन नहीं है, पर फिर भी करनी पड़ती है.

आप अपनी ओर से लाख अच्छा करने की कोशिश करें, पर सामने वाले को उस बात की कद्र नहीं होती. वहीं एक पत्नी का कहना है कि वह अपनी शादीशुदा जिंदगी से अब निराश हो चुकी है. बहुत कोशिश की उस ने रिश्ते सुधारने की, पर सब बेकार. निराशा, तालमेल की कमी, लड़ाईझगड़ा और बेरुखी तो सिर्फ चंद वजहें हैं जिन की वजह से पतिपत्नी के बीच प्यार की कमी हो सकती है. लेकिन क्या सिर्फ यही वजहें हैं या कुछ और भी हैं?

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कुछ और कारण शादी दरकने के

पैसा: पतिपत्नी के बीच पैसा एक सैंसिटिव इशू होता है. जब दोनों कमाऊ हैं, तो अपना वेतन कैसे खर्च करना है और कहां इन्वैस्ट करनी है, यह विवाद का विषय बन जाता है और झगड़ा होने लगता है. अत: इस से बचने के लिए पतिपत्नी को मिलबैठ कर हर महीने का बजट बनाना चाहिए और जहां भी पैसा लगाना है एकदूसरे को जानकारी होनी चाहिए.

जिम्मेदारियां: देखा गया है कि 67% पतिपत्नी के प्यार में पहला बच्चा आते ही कमी आ जाती है और पहले से 8 गुना ज्यादा झगड़े होने लगते हैं. कुछ हद तक इस की वजह यह होती है कि दोनों अपने कामों से इतने थक जाते हैं कि खुद के लिए भी उन्हें फुरसत नहीं मिलती.

फरेब, धोखा:

एकदूसरे पर भरोसा, सफल शादीशुदा जिंदगी के लिए निहायत जरूरी है. एकदूसरे पर भरोसा टूटना, पतिपत्नी के रिश्ते को बरबाद कर सकता है.

लैंगिक संबंध:

चाहे कितना भी मनमुटाव हो जाए दोनों के बीच, अगर सैक्स संबंध सही है, तो झगड़ा, मनमुटाव भी ज्यादा देर नहीं टिक पाता. लेकिन जब वही संबंध नहीं रह पाता उन के बीच तो फिर नौबत के तलाक तक पहुंचते देर नहीं लगती.

हस्तक्षेप:

पतिपत्नी के संबंधों में हस्तक्षेप करना, पतिपत्नी के संबंधों में किसी दूसरे का दखल या सैक्स से संतुष्ट न होने के कारण किसी दूसरे को चाहने लगना आदि कारणों से भी मनमुटाव उत्पन्न होने लगता है.

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बच्चों पर क्या होता है असर:

आप की शादीशुदा जिंदगी कैसी है इस का साफ असर बच्चों पर पड़ता है. डा. गोलमैन ने शादीशुदा जोड़ों पर लगभग 20 साल तक खोजबीन की. 10-10 साल के 2 अध्ययनों में उन्होंने देखा कि नाखुश मातापिता के बच्चों की हृदय गति, अठखेलियां करते वक्त ज्यादा तेज चलती है और उन्हें शांत होने में वक्त लगता है. मातापिता के कारण बच्चे पढ़ाई में भी अच्छे अंक नहीं ला पाते, जबकि बच्चे पढ़ने में होशियार होते हैं.

वहीं दूसरी तरफ जिन पतिपत्नी के बीच सही तालमेल होता है उन के बच्चे पढ़ाई के साथसाथ सामाजिक कार्यों में भी बेहतर होते हैं. पतिपत्नी के रिश्ते में मनमुटाव न हो, रिश्ता न टूटे, दांपत्य जीवन सुखमय हो, वैवाहिक जीवन में कोई समस्या न हो इस के लिए जरूरी है पतिपत्नी आपसी समस्याएं खुद निबटा लें. किसी तीसरे को अपनी जिंदगी में हस्तक्षेप न करने दें.

Edited By- Nisha Rai

प्रकाश झा की वेब सीरीज में नजर आएंगे चन्दन रौय सान्याल

कहा जाता है कि अगर कंटेंट अच्छा हो तो एक्टर अपने उस चैरेक्टर के लिए लोगों के दिलों पर छाप छोड़ जाते हैं. अभिनेता चंदन रौय सान्याल ने अपने कई उल्लेखनीय फिल्मों के माध्यम से अपने अभिनय का प्रदर्शन किया है.

अभिनेता चन्दन रौय सान्याल जल्द ही एक दिलचस्प वेब सीरज में नजर आएंगे और इस सीरीज को कोई और नहीं बल्कि प्रकाश झा डायरेक्ट कर रहे हैं. हालांकि अभी तक इस सीरीज की कहानी को पूरी तरह रिवील नहीं किया गया है.  इस शो में अभिनेता बौबी देओल भी नजर आएंगे.

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चन्दन इस बारे में बताते हैं, “मैंने हमेशा कहता हूं कि वेब एक्टर्स और फिल्म मेकर्स के लिए बहुत ही बढ़िया प्लेटफार्म है . अब इस सीरीज के जरिए मुझे मेरे पसंदीदा डायरेक्टर प्रकाश झा के साथ काम करने का मौका भी मिल रहा है. इस शो की कहानी बहुत ही दिलचस्प है और मैं बहुत खुश हूं कि मुझे प्रकाश झा और बौबी देओल के साथ इस शो में काम करने का मौका मिला. मैं इस शो के बारे में ज्यादा तो नहीं बता सकता लेकिन मैं ये जरूर कहूंगा कि आपको इस शो में हमारा एक अलग पक्ष देखने को मिलेगा. ”

हाल ही में चन्दन फिल्म ‘जबरिया जोड़ी’ में नजर आये थे इसके अलावा वे भ्रम, हवा बदले हसु इन वेब शो में भी नज़र आये थे . हाल ही में उनकी बंगाली फिल्म ‘उरोजहाज द फ्लाइट’ ने कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में काफी तारीफें बटोरी.

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