ये घर बहुत हसीन है: भाग-2

अचानक तिपाही पर रखा आर्यन का मोबाइल बज उठा. ‘वंशिका कौलिंग’ देखा तो याद आया यह सुरभि दीदी की बेटी का नाम है. वान्या ने फ़ोन उठा लिया. उसके हैलो कहते ही किसी बच्चे की आवाज़ सुनाई दी, “पापा कहां है?”

दीदी के बच्चे तो बड़े हैं. यह तो किसी छोटे बच्चे की आवाज़ है, सोचते हुए वान्या बोली, “किस से बात करनी है आपको? यह नंबर तो आपके पापा का नहीं है. दुबारा मिलाकर देखो, बच्चे!”
“आर्यन पापा का नाम देखकर मिलाया था मैंने….आप कौन हो?” बच्चा रुआंसा हो रहा था.
वान्या का मुंह खुला का खुला रह गया. इससे पहले कि वह कुछ और बोलती आर्यन बाथरूम से आ बाहर आ गया. “किसका फ़ोन है?” पूछते हुए उसने वान्या के हाथ से मोबाइल ले लिया और तोतली आवाज़ में बातें करने लगा.
निराश वान्या कपड़े हाथ में लेकर बाथरूम की ओर चल दी. ‘किसने किया होगा फ़ोन? आर्यन भी जुटा हुआ है उससे बातें करने में. क्या आर्यन की पहले शादी हो चुकी है? हां, लगता तो यही है. तलाक़ हो चुका है शायद. मुझे बताया भी नहीं….यह तो धोखा है!’ वान्या अपने आप में उलझती जा रही थी.
आधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस कमरे के आकार का बाथरूम जिसके वह सपने देखती थी, उसकी निराशा को कम नहीं कर रहा था. एअर फ्रैशनर की भीनी-भीनी ख़ुशबू, हल्की ठंड और गरम पानी से भरा बाथटब! जी चाह रहा था कि अभी आर्यन आ जाये और अठखेलियां करते हुए उसे कहे कि ‘फ़ोन उसके लिए नहीं था, किसी और आर्यन का नंबर मिलाना चाहता था वह बच्चा. मुझे पापा कब बनना है, यह तो तुम बताओगी….!’ वान्या फूट-फूट कर रोने लगी.

बाहर आई तो डायनिंग टेबल पर नाश्ते के लिए आर्यन उसकी प्रतीक्षा कर रहा था. ऊंची बैक वाली गद्देदार काले रंग की कुर्सियां वान्या को कोरी शान लग रहीं थी. वान्या के बैठते ही आर्यन उसके बालों से नाक सटाकर लम्बी सांस लेता हुआ बोला, “कौन सा शैम्पू लगाया है? कहीं यह ख़ुशबू तुम्हारे बालों की तो नहीं? महक रहा हूं अन्दर तक मैं!”

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वान्या को आर्यन की शरारती मुस्कान फिर से मोहने लगी. सब कुछ भूल वह इस पल में खो जाना चाहती थी. “जल्दी से खा लो. अभी प्रेमा सफ़ाई कर रही है. उसे जल्दी से वापिस भेज देंगे….अपना बैड-रूम तो तुमने देखा ही नहीं अब तक. कब से इंतज़ार कर रहा है मेरा बिस्तर तुम्हारा ! ” आर्यन का नटखट अंदाज़ वान्या को मदहोश कर रहा था.

नाश्ता कर वान्या बैडरूम में पहुंच गयी. शानदार कमरे में कदम रखते ही रोमांस की ख़ुमारी बढ़ने लगी. “मुझे ज़रूर ग़लतफहमी हुई है, आर्यन के साथ कोई हादसा हुआ होता तो वह प्यार के लम्हों को जीने के लिए इतना बेताब न दिखता. उसका इज़हार तो उस आशिक़ जैसा लग रहा है, जिसे नयी-नयी मोहब्बत हुई हो.” सोचते हुए वान्या बैड पर लेट गयी. फ़ोम के गद्दे में धंसे-धंसे ही मखमली चादर पर अपना गाल रख सहलाने लगी. प्रेमा और नरेंद्र के जाते ही आर्यन भी कमरे में आ गया. खड़े-खड़े ही झुककर वान्या की आंखों को चूम मुस्कुराते हुए उसे अपने बाहुपाश में ले लिया.
“कैसा है यह मिरर? कुछ दिन पहले ही लगवाया है मैंने?” बैड के पास लगे विंटेज कलर फ़्रेम के सात फुटिया मिरर की ओर इशारा करते हुए आर्यन बोला.
दर्पण में स्वयं को आर्यन की बाहों में देख वान्या के चेहरे का रंग भी आईने के फ़्रेम सा सुर्ख़ हो गया.
प्रेमासिक्त युगल एकाकार हो एक-दूसरे की आगोश में खोए-खोए कब नींद की आगोश में चले गए, पता ही नहीं लगा.

सायंकाल प्रेमा ने घंटी बजाई तो उनकी नींद खुली. ग्रीन-टी बनवाकर अपने-अपने हाथों में मग थामे दोनों घर के पीछे की ओर बने गार्डन में रखी बेंत की कुर्सियों पर जाकर बैठ गए. वहां रंग-बिरंगे फूल खिले थे. कतार में लगे ऊंचे-ऊंचे पेड़ों की शाखाएं हवा चलने से एक-दूसरे के साथ बार-बार लिपट रहीं थीं. सभी पेड़ों पर भिन्न आकार के फल लटक रहे थे, रंग हरा ही था सबका. वान्या की उत्सुक निगाहों को देख आर्यन बताने लगा, “मेरे राइट हैंड साइड वाले चार पेड़ आलूबुखारे के और आगे वाले तीन खुबानी के हैं. अभी कच्चे हैं, इसलिए रंग हरा दिख रहा है. दीदी की बेटी को बहुत पसंद है कच्ची खुबानी. हमारी शादी में नहीं आ सकी, वरना खूब एंजौय करतीं.”

“अपने बच्चों को साथ क्यों नहीं लाईं दीदी? वे दोनों आ गए तो बच्चे भी आ सकते थे. दीदी की बेटी नाम वंशिका है न? सुबह इसी नाम से कौल आई तो मैंने अटैंड कर ली, पर वह तो किसी और का था. किस बच्चे के साथ बात कर रहे थे तुम?” वान्या का मस्तिष्क फिर सुबह वाली घटना में जाकर अटक गया.
“तुम्हें देखते ही शादी करने को मन मचलने लगा था मेरा. दीदी से कह दिया था कि कोई आ सकता है तो आ जाये, वरना मैं अकेले ही चला जाऊंगा बारात लेकर! सबको लाना पौसिबल नहीं हुआ होगा तो जीजू को लेकर आ गयीं देखने कि वह कौन सी परी है जिस पर मेरा भाई लट्टू हो गया!”
आर्यन का मज़ाक सुन वान्या मुस्कुराकर रह गयी.

“एक मिनट…..शायद प्रेमा ने आवाज़ दी है, वापिस जा रही होगी, मैं दरवाज़ा बंद कर अभी आया.” वान्या की पूरी बात का जवाब दिए बिना ही आर्यन दौड़ता हुआ अन्दर चला गया.

कुछ देर तक जब वह लौटकर नहीं आया तो वान्या उस बच्चे के विषय में सोचकर फिर संदेह से घिर गयी. व्याकुलता बढ़ने लगी तो बगीचे से ऊपर की ओर जाती हुई सफ़ेद रंग की घुमावदार लोहे की सीढ़ियों पर चढ़ गयी. ऊपर खुली छत थी, जहां से दूर तक का दृश्य साफ़ दिखाई दे रहा था. ऊंची-ऊंची फैली हुई पहाड़ियों पर पर पेड़ों के झुरमुट, सर्प से बलखाते रास्ते और छोटे-बड़े मकान. मकानों की छतों का रंग अधिकतर लाल या सलेटी था. सभी मकान एक-दूसरे से कुछ दूरी पर थे. ‘क्या ऐसी ही दूरी मेरे और आर्यन के बीच तो नहीं? साथ हैं, लेकिन एक फ़ासला भी है. क्या राज़ है उस फ़ोन का आखिर?’ वान्या सोच में डूबी थी. सहसा दबे पांव आकर आर्यन ने अपने हाथों से उसकी आंखें बंद कर दीं.

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“तुम ही तो आर्यन….! कब आये छत पर?”

“हो सकता है यहां मेरे अलावा कोई और भी रहता हो और तुम्हें कानों कान ख़बर भी न हो.” आर्यन शरारत से बोला.
“और कौन होगा?” वान्या घबरा उठी.

“अरे कितनी डरपोक हो यार….यहां कौन हो सकता है?” वान्या की आंखों से हाथों को हटा उसकी कमर पर एक हाथ से घेरा बनाकर आर्यन ने अपने पास खींच लिया. “चलो, छत पर और आगे. तुम्हें यहां से ही कुछ सुन्दर नज़ारे दिखाता हूं.”

आर्यन से सटकर चलते हुए वान्या को बेहद सुकून मिल रहा था. उसकी छुअन और ख़ुशबू में डूब वान्या के मन में चल रही हलचल शांत हो गयी. दोनों साथ-साथ चलते हुए छत की मुंडेर तक जा पहुंचे. देवदार के बड़े-बड़े शहतीरों को जोड़कर बनाई गयी मुंडेर की कारीगरी देखते ही बनती थी. ‘काश! इन शहतीरों की तरह मैं और आर्यन भी हमेशा जुड़े रहें.’ वान्या सोच रही थी.

“देखो वह सामने सीढ़ीदार खेत, पहाड़ों पर जगह कम होने के कारण बनाये जाते हैं ऐसे खेत…..और दूर वहां रंगीन सा गलीचा दिख रहा है? फूलों की खेती होती है उधर.”

कुछ देर बाद हल्का कोहरा छाने लगा. आर्यन ने बताया कि ये सांवली घटायें हैं जो अक्सर शाम को आकाश के एक छोर से दूसरे तक कपड़े के थान सी तन जाती हैं. कभी बरसती हैं तो कभी सुबह सूरज के आते ही अपने को लपेट अगले दिन आने के लिए वापिस चली जाती हैं.”
सूरज ढलने के साथ अंधेरा होने लगा तो दोनों नीचे नीचे आ गए. घर सुन्दर बल्बों और शैंडलेयर्स से जगमग कर रहा था. वान्या का अंग-अंग भी आर्यन के प्रेम की रोशनी से झिलमिला रहा था. सुबह वाली बात मन के अंधेरे में कहीं गुम सी हो गयी थी.

प्रेमा के खाना बनाकर जाने के बाद आर्यन वान्या को डायनिंग रूम के पास बने एक कमरे में ले गया. कमरे की अलमारी में महंगी क्रौकरी, चांदी के चम्मच, नाइफ़ और फ़ोर्क आदि वान्या को बेहद आकर्षित कर रहे थे, लेकिन थकान से शरीर अधमरा हो रहा था. कमरे में बिछे गद्देदार सिल्वर ग्रे काउच पर वह गोलाकार मुलायम कुशन के सहारे कमर टिकाकर बैठ गयी. आर्यन ने कांच के दो गिलास लिए और पास रखे रेफ़्रीजरेटर से एप्पल जूस निकालकर गिलासों में उड़ेल दिया. वान्या ने गिलास थामा तो पैंदे पर बाहर की ओर क्रिस्टल से बने गुलाबी कमल के फूल की सुन्दरता में खो गयी.
“फूल तो ये हैं….कितने खूबसूरत !” कहते हुए आर्यन ने अपने ठंडे जूस में डूबे अधरों से वान्या के होठों को छू लिया. वान्या मदहोश हो खिलखिला उठी.
“जूस में भी नशा होता है क्या? मैं अपने बस में कैसे रहूं?” आर्यन वान्या के कान में फुसफुसाया.
“नशा तो तुम्हारी आंखों में है.” कांपते लबों से इतना ही कह पायी वान्या और आंखें मूंद लीं.

आगे पढें- रात को अकेले बिस्तर पर लेटी हुई वान्या विचित्र मनोस्थिति…

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ये घर बहुत हसीन है: भाग-4

छोटा सा वह कमरा खिलौनों से भरा हुआ था, उनमें अधिकतर सौफ़्ट टौयज़ थे. पास ही आबनूस का बना एक वार्डरोब था, वान्या ने अचंभित होकर वार्डरोब खोलने का प्रयास किया, लेकिन वह खुल नहीं रहा था. पीतल के हैंडल को कसकर पकड़ जब उसने अपना पूरा दम लगाया तो वार्डरोब झटके से खुल गया और तेज़ धक्का लगने के कारण अन्दर से कुछ तस्वीरें निकलकर गिर गयीं. वान्या ने झुककर एक फ़ोटो उठाया तो सन्न रह गयी. आर्यन एक विदेशी लड़की के साथ बर्फ़ पर स्कीइंग कर रहा था. गर्म लम्बी जैकेट, कैप, आंखों पर गौगल्स और हाथों में दस्ताने पहने दोनों बेहद खुश दिख रहे थे. बदहवास सी वह अन्य तस्वीरें उठा ही रही थी कि प्रेमा की आवाज़ सुनाई दी, “मेम साब, इस कमरे में क्या कर रहीं हैं आप?”

वान्या ने झटपट सारी तस्वीरें वार्डरोब में वापिस रख दीं. “यहां की सफ़ाई करनी होगी. मोबाइल के ज़माने में यहां कौन सी फ़ोटो रखी हैं? सामान को निकालकर इस रैक को साफ़ कर लेते हैं.” अपने को संयत कर वान्या ने वार्डरोब की ओर इशारा कर दिया.

“नहीं, ऐसा मत कीजिये. आप जल्दी-जल्दी मेरे साथ अब नीचे चलिए. साहब आ गए तो….!”

“साहब आ गए तो क्या हो जायेगा? घर साफ़ करना है या नहीं?” वान्या बेचैनी और गुस्से से कांपने लगी.

“साहब कितने खुश हैं आपके साथ. यहां आ गए तो….दुखी हो जायेंगे. मेम साब आप चलिए न नीचे….मैं

नहीं करूंगी आज यहां की सफ़ाई.” वान्या का हाथ पकड़ खींचते हुए प्रेमा कातर स्वर में बोली.

“नहीं जाऊंगी मैं यहां से…..बताओ मुझे कि यहां आकर क्यों दुखी हो जायेंगे साहब.”

“सुरभि मेम साब ने मुझे आपको बताने से मना किया था, लेकिन अब आप ही मेरी मालकिन हो. जैसा आप कहोगी मैं करुंगी. ऐसा करते हैं इस छोटे कमरे से निकलकर बाहर वाले बड़े कमरे में चलते हैं.”

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बड़े कमरे में आकर वान्या पलंग पर बैठ गयी. प्रेमा ने दरवाज़े को चिटकनी लगाकर बंद कर दिया और वान्या के पास आकर धीमी आवाज़ में कहना शुरू किया, “मेम साब, यह कमरा आर्यन साहब के बड़े भाई का है. उन दोनों की उम्र में तीन साल का फ़र्क था, लेकिन प्यार वे पिता की तरह करते थे आर्यन साहब को. आपको पता होगा कि साहब के मां-पिताजी को गुजरे कई साल हो चुके हैं. बड़े भाई ने अपने पिता का धंधा अच्छी तरह संभाल लिया था. एक बार जब बड़े साहब काम के सिलसिले में देश से बाहर गए तो वहां अंग्रेज लड़की से प्यार कर बैठे. शादी भी कर ली थी दोनों ने. अंग्रेज मैडम डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहीं थी,

इसलिए साहब के साथ यहां नहीं आयीं थीं. साहब वहां आते-जाते रहते थे. एक साल बाद उनका बेटा भी हो गया. बड़े साहब बच्चे को यहां ले आये थे. यह बात आज से कोई ढाई-तीन साल पहले की है. उस टाइम आर्यन साहब पढ़ाई कर रहे थे और मुम्बई में रह रहे थे. जब पिछले साल अंग्रेज मैडम की पढ़ाई पूरी हुई तो बड़े साहब उनको हमेशा के लिए लाने विदेश गए थे. वहां….बहुत बुरा हुआ मेम साब.” प्रेमा अपने सूट के दुपट्टे से आंसू पोंछ रही थी. वान्या की प्रश्नभरी आंखें प्रेमा की ओर देख रही थी.
“मेम साब, बर्फ़ पर मौज-मस्ती करते हुए अचानक साहब तेज़ी से फिसल गए और वे लड़खड़ा कर गिरे तो अंग्रेज मैडम भी गिरीं, क्योंकि दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़े थे. लुढ़कते-लुढ़कते दोनों नीचे तक आ गए और जब तक लोग अस्पताल ले जाते, बहुत देर हो चुकी थी. साथ-साथ हाथ पकड़े हुए चले गए दोनों इस दुनिया से. उनका बेटा कृष अब सुरभि दीदी के पास रहता है.”

वान्या दिल थामकर सब सुन रही थी. रुंधे गले से प्रेमा का बोलना जारी था. “मेम साब, इस दुर्घटना के बाद जब सुरभि दीदी यहां आईं थीं तो कृष आर्यन साहब को देखकर लिपट गया और पापा, पापा कहकर बुलाने लगा, क्योंकि बड़े साहब और छोटे साहब की शक्ल बहुत मिलती थी. ये देखो….!” प्रेमा ने प्यानों पर ढका कपड़ा उठा दिया. प्यानों की सतह पर एक पोस्टर के आकार वाली फ़ोटो चिपकी थी जिसमें आर्यन और बड़ा भाई एक-दूसरे के गले में हाथ डाले हंसते हुए दिख रहे थे. दोनों का चेहरा एक-दूसरे से इतना मिल रहा था कि किसी को भी जुड़वां होने का भ्रम हो जाये.

“मेम साब, अभी आप कह रही थीं न कि मोबाइल के टाइम में भी ऐसे फ़ोटो? ये बड़े साहब ने पोस्टर बनवाने के लिए रखे हुए थे. बहुत शौक था बड़े-बड़े फ़ोटो से उन्हें घर सजाने का.” प्रेमा आज जैसे एक-एक बात बता देना चाहती थी वान्या को.
“ओह! अच्छा एक बात बताओ, कृष ने आर्यन से अपनी मम्मी के बारे में कुछ नहीं पूछा ?” वान्या व्यथित होकर बोली.
“नहीं, अपनी मां के साथ तो वह तब तक ही रहा जब दो महीने का था. बताया था न मैंने कि बड़े साहब ले आये थे उसको यहां. कभी-कभी साहब के साथ जाता था तभी मिलता था उनसे. वैसे भी वे छह महीने की ट्रेनिंग पर थीं और कहती थीं कि अभी बच्चा मुझे मम्मी न कहे सबके सामने. कृष कोई दीदी-वीदी समझता होगा शायद उनको.”

वान्या सब सुनकर गहरी सोच में डूब गयी. कुछ देर तक शांत रहने के बाद प्रेमा फिर बोली, “मेम साब, जब आपका रिश्ता पक्का नहीं हुआ था और साहब आपसे मिलकर आये थे तो आपकी फ़ोटो साहब ने मुझे और मेरे पति को दिखाई थी. हमें उन्होंने आपके बारे में बताते हुए कहा था कि इनका चेहरा जितना भोला-भाला लग रहा है, बातों से भी उतनी मासूम हैं. वैसे स्कूल में टीचर हैं, समझदार हैं, मेरे पास रुपये-पैसे की तो कोई कमी नहीं है. मुझे ज़रुरत है तो उसकी जो मेरा साथ दे, मेरे अकेलेपन को दूर कर दे, जिसके सामने अपना दर्द बयां कर सकूं. मैंने इनको तुम्हारी मेम साब बनाने का फ़ैसला कर लिया है….!”
वान्या प्रेमा के शब्दों में अभी भी खोयी हुई थी. प्रेमा के “मेम साब अब नीचे चलते हैं” कहते ही वह गुमसुम सी सीढियां उतरने लगी.

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प्रेमा के वापिस चले जाने के बाद वह आर्यन के साथ लंच कर आराम करने बैडरूम में आ गयी. वान्या को प्यार से अपनी ओर खींचते हुए आर्यन बोला, “रात में बहुत नींद आ रही थी, अब नहीं सोने दूंगा.”
“लेकिन एक शर्त है मेरी.” वान्या आर्यन के सीने पर सिर रखकर बोली.
“कहो न ! कोई भी शर्त मानूंगा तुम्हारी.” वान्या के चेहरे से अपना चेहरा सटा आर्यन बोला.”
“कोरोना के हालात ठीक होने के बाद हम दीदी के पास चलेंगे और अपने बेटे कृष को हमेशा के लिए अपने साथ ले आयेंगे.”
आर्यन की सांस जैसे वहीं थम गयी. “प्रेमा ने बताया न !” भर्राये गले से वह इतना ही बोल सका.
वान्या ने मुस्कुराकर ‘हां’ में सिर हिला दिया.
आर्यन वान्या को अपने सीने से लगाये ख़ामोश होकर भी बहुत कुछ कह रहा था. वान्या को प्रेम में डूबे युगल की मूर्ति आज बेहद ख़ूबसूरत लग रही थी. मन ही मन वह कह उठी, ‘बेकार नहीं, मनहूस नहीं….ये घर बहुत हसीन है!’

Father’s Day 2019: घर,परिवार और बच्चों की नींव हैं पिता

पूनम झा,  (कोटा, राजस्थान)

घर के मजबूत स्तम्भ होते हैं पिता,

बच्चों की ताकत हैं पिता, भविष्य की उम्मीद हैं पिता,

संघर्ष की धूप में छत्रछाया हैं पिता,

पथप्रदर्शक हैं पिता, कंटक भरी राहों में

मजबूत साया हैं पिता, मां की पदचाप हैं पिता,

मां की आवाज हैं पिता, हर नाउम्मीद पर

ढाढ़स हैं पिता, बच्चा यदि पिता की लाठी है,

तो उस लाठी की मजबूती हैं पिता,

घर,परिवार और बच्चों की नींव हैं पिता,

पिता के लिए जितना कहें वो कम है क्योंकि

उनसे ही तो अस्तित्व है हमारा ।

पिता को मेरा सादर नमन

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नेहा कक्कड़ ने बर्थडे पर मचाया धमाल, सोशल मीडिया पर शेयर की फोटोज…

बौलीवुड और पंजाबी गानों से धूम मचाने वाली सिंगर नेहा कक्कड़ ने हाल ही में अपना 31 वां जन्मदिन अपनी फैमिली और फ्रैंडस के बीच धूमधाम से मनाया, जिसकी फोटोज उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की हैं. जहां एक तरफ सेलेब्स ने उनको बर्थडे की शुभकामनाएं दी वहीं उन्हें उनके फैंस ने भी उनकी फोटोज की तारीफें की हैं.  आइए दिखाते हैं उनके बर्थडे पार्टी से जुड़ी कुछ खास फोटोज…

फैमिली के साथ धूम मचाती नजर आईं नेहा

 

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My people!! ♥️? Swipe Right to see them all ? Though Papa’s Picture is Missing ☹️ #HappyBirthdayNehu

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सोशल मीडिया पर शेयर की फोटोज में साफ दिख रहा है कि नेहा ने अपने बर्थडे में कितना धूम मचाया होगा. वहीं पार्टी में उनके दोस्त भी साथ देते नजर आए.

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बहन के साथ पोज देती नजर आईं नेहा

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आप सभी जानते हैं कि नेहा कक्कड़ की बहन सोनू कक्कड़ भी सिंगर हैं. वहीं पार्टी में वह नेहा का साथ देते हुए फोटोज के लिए पोज देते हुए नजर आईं.

भाई और फैमिली के साथ भी फोटोज खिचवातीं नजर आईं नेहा

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नेहा ने अपने बर्थडे पार्टी में धमाल मचाते हुए अपनी फैमिली और फ्रैंड्स के साथ खूब फोटोज खिंचवाती हुई नजर आईं.

बर्थडे में ब्यूटीफुल ड्रेस में नजर आई नेहा

सिंगर नेहा अपने बर्थडे पार्टी में सैटिन की ड्रेस में ब्यूटीफुल दिखीं, तो वहीं उनकी फैमिली ने भी उन्हें उनके बर्थडे पर खूबसूरत गिफ्ट दिया.

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सेल्फी लेती नजर आईं नेहा…

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नेहा की जन्मदिन पार्टी में उनके दोस्तों और फैमिली के साथ जमकर सेल्फी खिंचती हुईं नजर आईं. नेहा अपने जन्मदिन पार्टी में काफी एक्साइटेड भी दिखीं.

समंदर में बिकनी अवतार में नजर आईं जैकलीन, देखें फोटोज

बौलीवुड सेलेब्स इन दिनों समर वेकेशन पर हैं, जिसमें एक्ट्रेस करीना कपूर और विद्या बालन के अलावा अब जैकलीन फर्नांडिस का नाम भी जुड़ गया है. बौलीवुड एक्ट्रेस जैकलीन इन दिनों मोनोकिनी में समर वेकेशन पर हैं, जहां वह वेकेशन का पूरा मजा लेती हुईं नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं उनकी वेकेशन से जुड़ी कोई फोटोज…

वेकेशन में बिकिनी में नजर आईं जैकलीन

Jacqueline

जैकलीन फिलहाल अपना वेकेशन के दौरान सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हुए अपने वेकेशन की फोटो शेयर कर रहीं हैं,जिसमें वह बिकनी में अपने लुक से बिजलियां गिराती नजर आ रही है.

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समंदर के बीच आराम करती नजर आईं जैक्लीन

सोशल मीडिया पर शेयर की फोटोज में जैकलीन समंदर के बीच मोनोकिनी में आराम फरमाती नजर आ रही हैं. वहीं उनकी फोटोज उनके फैंस को खूब पसंद किया जा रहा हैं.

दोस्त संग समर वेकेशन इंजौय कर रही हैं जैकलीन

Jacqueline

आजकल जैकलीन अपने समर वेकेशन पर दोस्तों के साथ हौलीडे इंजौय कर रही हैं. वहीं वह अपनी दोस्त गैरी का जन्मदिन भी सेलीब्रेट करने पहुंची हैं.

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बार्बी डौल के लुक में पोज देती नजर आईं जैकलीन

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सोशल मीडिया की फोटोज में जैकलीन को देख कर साफ पता चल रहा है कि वो वेकशन के मूड में हैं. जिसमें जैक्लीन हसीना मोनोकिनी में बार्बी डौल बन कर पोज देती नजर आ रही है.

सोशल मीडिया पर हौट फोटोज से मचा तहलका

जैकलीन की हौट फोटोज ने जहां उनके वेकेशन में चार चांद लगा दिया वहीं सोशल मीडिया पर भी  तहलका मचा दिया है. उनके फैंस को उनका ये लुक बेहद पसंद आ रहा है.

बता दें, खबरें हैं कि जैकलीन सलमान खान की फिल्म किक 2 में भी नजर आ सकती हैं, जबकि वह पहले भी किक में सलमान के साथ नजर आ चुकी हैं.

बच्चों को ना पिलाएं प्लास्टिक बोतल से दूध, हो सकता हैं प्रोस्टेट कैंसर

एक शोध में कहा गया है कि बच्चों के प्लास्टिक बोतलों में पाया जाने वाला रसायन उनके बाद के जीवन में प्रोस्टेट कैंसर की संभावना को बढ़ा देता है. वैज्ञानिकों ने इसका परीक्षण चूहों के जन्मे बच्चों पर किया. परीक्षण में चूहों को बिसफेनोल-ए खिलाया गया. बिसफेनोल-ए रसायन का इस्तेमाल ज्यादातर प्लास्टिक के निर्माण में किया जाता है. परीक्षण में चूहों की उम्र बढ़ने के साथ ही उनमें पूर्व कैंसर कोशिकाओं के विकास होने की संभावना देखी गई.

वैज्ञानिकों का कहना है कि उनका यह निष्कर्ष बच्चों के स्वास्थ्य से सीधे तौर पर जुड़ा है. पत्रिका रिप्रोडक्टिव टॉक्सीकोलोजी के अनुसार वैज्ञानिकों की यह चेतावनी यूरोप के खाद्य पदार्थो की निगरानी करने वाली एजेंसी के उस बयान के बाद आया है,जिसमें कहा गया है कि इतनी रसायन की मात्रा मनुष्य रोजाना ग्रहण करता है.

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रसायन की इस मात्रा से नुकसान पहुंचने की संभावना काफी कम है. एक समाचार पत्र के मुताबिक फूट स्टैंडर्ड एजेंसी ने कहा है कि रसायन बिसफेनोल-ए में नुकसान करने की क्षमता नहीं है. लेकिन ताजा अध्ययन ने इस रसायन को लेकर चिंता जाहिर की है. इस रसायन का इस्तेमाल सीडी, धूप के चश्मे, प्लास्टिक चाकू, कांटे, मोबाइल फोन के निर्माण में किया जाता है.

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इलीनाएस विश्वविद्यालय के शोधकर्ता गेल प्रिंस ने बताया, “प्रोस्टेट स्वास्थ्य के बारे में जो नतीजे सामने आए हैं, वे बिसफेनोल-ए के संपर्क में आने वाले मनुष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं.” उल्लेखनीय है कि बिसफेनोल-ए को पहले भी स्तन, प्रोस्टेट कैंसर और हृदयघात से जोड़कर देखा गया है.

 

सोशल मीडिया की दोस्ती

लेखक- प्रफुल्लचंद्र सिंह 

मीनू जैन अपने पति रिटायर्ड विंग कमांडर वी.के. जैन के साथ दिल्ली में द्वारका के सेक्टर-7 स्थित एयरफोर्स ऐंड नेवल औफिसर्स अपार्टमेंट में रहती

थीं. उन के परिवार में पति के अलावा एक बेटा आलोक और बेटी नेहा है. आलोक नोएडा स्थित एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करता है, जबकि शादीशुदा नेहा गोवा में डाक्टर है. विंग कमांडर वी.के. जैन एयरफोर्स से रिटायर होने के बाद इन दिनों इंडिगो एयरलाइंस में कमर्शियल पायलट हैं.

25 अप्रैल, 2019 को वी.के. जैन अपनी ड्यूटी पर थे. फ्लैट में मीनू जैन अकेली थीं. शाम को मीनू जैन को उन के पिता एच.पी. गर्ग ने फोन किया तो बातचीत के दौरान मीनू ने उन्हें बताया कि आज उस की तबीयत कुछ ठीक नहीं है, इसलिए वह आराम कर रही है. दरअसल उन के पिता उन से मिलने आना चाहते थे. लेकिन जब मीनू ने उन से आराम करने की बात कही तो उन्होंने वहां से जाने का इरादा स्थगित कर दिया.

अब और मजबूत होंगी जाति की बेड़ियां

अगले दिन सुबह एच.पी. गर्ग ने बेटी की खैरियत जानने के लिए उस के मोबाइल पर फोन किया. काफी देर तक घंटी बजने के बाद भी जब मीनू ने उन का फोन रिसीव नहीं किया तो वे परेशान हो गए. कुछ देर बाद वह अपने बेटे अजीत के साथ बेटी के फ्लैट की ओर रवाना हो गए.

मीनू का फ्लैट तीसरे फ्लोर पर था. उन्होंने वहां पहुंच कर देखा तो दरवाजा अंदर से बंद था. कई बार डोरबेल बजाने के बाद भी जब फ्लैट के अंदर से मीनू ने कोई जवाब नहीं दिया तो वह परेशान हो गए. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि मीनू को ऐसा क्या हो गया,जो दरवाजा नहीं खोल रही.

इस के बाद एच.पी. गर्ग ने पड़ोसी योगेश के फ्लैट की घंटी बजाई. योगेश ने दरवाजा खोला तो एच.पी. गर्ग ने उन्हें पूरी बात बताई. स्थिति गंभीर थी, इसलिए उन्होंने अजीत और उस के पिता को अपने फ्लैट में बुला लिया. इस के बाद योगेश की बालकनी में पहुंच कर अजीत अपनी बहन मीनू के फ्लैट की खिड़की के रास्ते अंदर पहुंच गया.

जब वह बैडरूम में पहुंचा तो वहां बैड के नीचे मीनू अचेतावस्था में पड़ी थी. पास में एक तकिया पड़ा था, जिस पर खून लगा हुआ था. यह मंजर देख कर वह घबरा गया. उस ने अंदर से फ्लैट का दरवाजा खोल कर यह जानकारी अपने पिता को दी.

एच.पी. गर्ग और योगेश ने फ्लैट में जा कर मीनू को देखा तो वह भी चौंक गए कि मीनू को यह क्या हो गया. चूंकि वह क्षेत्र थाना द्वारका (दक्षिण) के अंतर्गत आता है, इसलिए पीसीआर की सूचना पर थानाप्रभारी रामनिवास इंसपेक्टर सी.एल. मीणा के साथ मौके पर पहुंच गए.

मौके पर उन्होंने क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को बुलाने के बाद उच्चाधिकारियों को भी सूचना दे दी. डीसीपी एंटो अलफोंस भी घटनास्थल पर पहुंच गए. चूंकि मामला एयरफोर्स के रिटायर्ड अधिकारी के परिवार का था, इसलिए उन्होंने स्पैशल स्टाफ की टीम को भी बुला लिया.

क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम का काम निपट जाने के बाद थानाप्रभारी रामनिवास और स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर नवीन कुमार की टीम ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया. मीनू की हालत और तकिए पर लगे खून को देख कर लग रहा था कि मीनू की हत्या तकिए से सांस रोक कर की गई है.

मीनू का मोबाइल फोन और उस की कीमती अंगूठी गायब थी. इस के बाद जब फ्लैट की तलाशी ली गई तो रोशनदान का शीशा टूटा हुआ मिला. फ्लैट के बाकी कमरों का सारा सामान अस्तव्यस्त था. कुछ अलमारियां खुली हुई थीं और उन में रखे सामान बिखरे हुए थे. किचन के वाश बेसिन में चाय के कुछ कप रखे थे. एक कप में थोड़ी चाय बची हुई थी.

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यह सब देख कर पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि हत्यारे जो कोई भी हैं, मीनू जैन उन से न केवल अच्छी तरह परिचित थीं, बल्कि हत्यारों के साथ उन के आत्मीय संबंध भी रहे होंगे. क्योंकि किचन में रखे चाय के कप इस ओर इशारा कर रहे थे. थाना पुलिस ने मौके की जरूरी काररवाई करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. फिर एच.पी. गर्ग की शिकायत पर हत्या तथा लूटपाट का मामला दर्ज कर लिया गया.

द्वारका जिले के डीसीपी एंटो अलफोंस ने इस सनसनीखेज हाईप्रोफाइल मामले की तफ्तीश के लिए एसीपी राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की. इस टीम में इंसपेक्टर नवीन कुमार, इंसपेक्टर रामनिवास तथा इंसपेक्टर सी.एल. मीणा, एसआई अरविंद कुमार आदि को शामिल किया गया.

अगले दिन मृतका मीनू के पति वी.के. जैन ड्यूटी से वापस लौटे तो पत्नी की हत्या की बात सुन कर आश्चर्यचकित रह गए. उन्होंने फ्लैट में रखी सेफ आदि का मुआयना किया तो उस में रखी ज्वैलरी और कैश गायब था. उन्होंने पुलिस को बताया कि उन के फ्लैट से करीब 35 लाख रुपए के कीमती जेवर और कुछ कैश गायब है. इस के अलावा मीनू के दोनों मोबाइल फोन भी गायब थे.

स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर नवीन कुमार ने एसीपी राजेंद्र सिंह के निर्देशन में काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने मीनू के दोनों मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के अलावा एयरफोर्स ऐंड नेवल औफिसर्स अपार्टमेंट सोसायटी के गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली.

सीसीटीवी फुटेज में 2 कारें संदिग्ध नजर आईं, जिन में एक स्विफ्ट डिजायर थी. दोनों कारों की जांच की गई तो पता चला स्विफ्ट डिजायर कार का नंबर फरजी है. टीम को इसी कार पर शक हो गया.

जब गेट पर मौजूद गार्ड से स्विफ्ट डिजायर कार के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि 25 अप्रैल, 2019 की दोपहर को करीब 2 बजे एक अधेड़ आदमी मीनू जैन से मिलने आया था. जब उस से रजिस्टर में एंट्री करने के लिए कहा गया तो उस ने तुरंत मीनू जैन को फोन मिला दिया. मीनू ने बिना एंट्री किए उसे अंदर भेजने को कहा.

इस पर गार्ड ने उस व्यक्ति को मीनू के फ्लैट का पता बता कर उन के पास भेज दिया. शाम को दोनों घूमने के लिए सोसायटी से बाहर भी गए थे. यह सुन कर उन्होंने अनुमान लगाया कि मीनू जैन की हत्या में इसी आदमी का हाथ रहा होगा.

फोन की लोकेशन जयपुर की आ रही थी

मीनू जैन के दोनों मोबाइल फोन की काल डिटेल्स से पता चला कि उन का एक फोन घटना वाली रात की सुबह तक चालू था, उस के बाद उसे स्विच्ड औफ कर दिया गया था. जबकि दूसरा फोन चालू था, जिस की लोकेशन जयपुर की आ रही थी.

पुलिस के लिए यह अच्छी बात थी. पुलिस टीम गूगल मैप की मदद से 29 अप्रैल को जयपुर पहुंच गई. फिर दिल्ली पुलिस ने स्थानीय पुलिस की मदद से जयपुर के मुरलीपुरा इलाके में स्थित स्काइवे अपार्टमेंट में छापा मारा. वहां से दिनेश दीक्षित नाम के एक शख्स को हिरासत में ले लिया. उस के पास से सफेद रंग की वह स्विफ्ट डिजायर कार भी बरामद हो गई जो उस अपार्टमेंट के बाहर खड़ी थी.

जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने 25 अप्रैल, 2019 की देर रात दिल्ली में मीनू जैन की हत्या और उस के फ्लैट में लूटपाट करने की बात स्वीकार कर ली.

पुलिस की तहकीकात और आरोपी दिनेश दीक्षित के बयान के अनुसार, मीनू जैन की हत्या के पीछे जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

52 वर्षीय मीनू जैन के पति वी.के. जैन एयरफोर्स में विंग कमांडर पद से रिटायर होने के बाद इंडिगो एयरलाइंस में बतौर पायलट तैनात थे. वह कामकाज के सिलसिले में ज्यादातर बाहर ही रहते थे. उन के दोनों बच्चे बड़े हो चुके थे.

बेटा नोएडा में एक मल्टीनैशनल कंपनी में जौब करता था, जो वीकेंड में अपने मम्मीपापा से मिलने द्वारका आ जाता था. बेटी मोना (काल्पनिक नाम) डाक्टर थी, जो गोवा में रहती थी. ऐसे में मीनू जैन घर पर अकेली रहती थीं. वह अपना समय बिताने के लिए सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहती थीं.

सोशल मीडिया में बने प्रोफाइल पसंद आने पर बड़ी आसानी से नए दोस्त बन जाते हैं. बाद में दोस्ती बढ़ जाने के बाद आप उन से अपने विचार शेयर कर सकते हैं. अगर बात बन जाती है तो चैटिंग करने वाले आपस में अपने पर्सनल मोबाइल नंबर का आदानप्रदान भी कर लेते हैं. इस प्रकार दोस्ती का सिलसिला आगे बढ़ जाता है. मीनू जैन और दिनेश दीक्षित के मामले में भी ऐसा ही हुआ.

खिलाड़ी था दिनेश दीक्षित

जयपुर निवासी 56 वर्षीय दिनेश दीक्षित बेहद रंगीनमिजाज व्यक्ति था. उस ने 2 शादियां कर रखी थीं. उस की एक बीवी अपने 2 बेटों के साथ गांव में रहती थी, जबकि दूसरी बीवी के साथ वह जयपुर में किराए के एक फ्लैट में रहता था. बताया जाता है कि सन 2015 में ठगी के एक मामले में वह जेल भी जा चुका है. 2 साल जेल में रहने के बाद वह सन 2017 में जेल से बाहर आया था. इस के बाद वह अच्छी नस्ल के कुत्ते बेचने का बिजनैस करने लगा था.

इसी दौरान उस की मुलाकात दिल्ली के एक सट्टेबाज से हुई, जिस की बातों से प्रभावित हो कर वह क्रिकेट के आईपीएल मैचों में सट्टा लगाने लगा. इस धंधे की शुरुआत में उसे कुछ फायदा तो हुआ लेकिन बाद में उसे काफी नुकसान हुआ. वह कई लोगों का कर्जदार हो गया. इस कर्ज से उबरने के लिए उस ने अमीर औरतों को अपने जाल में फंसा कर उन से रुपए ऐंठने की योजना बनाई.

इस के बाद उस ने एक सोशल साइट के माध्यम से खूबसूरत और मालदार शादीशुदा औरतों से दोस्ती करनी शुरू कर दी. जल्द ही उस की दोस्ती कई ऐसी औरतों से हो गई, जो खाली समय में सोशल साइट पर दोस्तों के साथ अपना टाइमपास किया करती थीं.

करीब 5 महीने पहले सोशल साइट पर दिनेश दीक्षित और मीनू जैन दोस्त बन गए. अब जब भी खाली वक्त मिलता, दोनों सोशल साइट पर चैटिंग करते रहते थे. इस से उन का मन बहल जाता था और बोरियत महसूस नहीं होती थी. शीघ्र ही उन की दोस्ती गहरी हो गई.

मीनू जैन के पति चूंकि इंडिगो एयरलाइंस में पायलट थे, इसलिए वह घर से अकसर बाहर ही रहते थे. इस बात का फायदा उठा कर मीनू जैन ने पति की अनुपस्थिति में दिनेश दीक्षित को अपने फ्लैट में बुलाना शुरू कर दिया.

भोलीभाली मीनू जैन फंस गईं दिनेश दीक्षित के जाल में

दिनेश ने देखा कि मीनू जैन साफ दिल की भोलीभाली औरत हैं तो वह मन ही मन उन्हें लूटने की योजना बनाने लगा. करीब 5 महीने की दोस्ती के दौरान मीनू जैन को दिनेश दीक्षित पर इस कदर विश्वास हो गया कि जब भी उन के पति और बच्चे घर पर नहीं रहते, वह उसे मैसेज कर के अपने पास बुला लेतीं और फिर दोनों अपने दिल की तमाम हसरतें पूरी कर लिया करते थे.

25 अप्रैल, 2019 को भी वी.के. जैन अपने फ्लैट पर नहीं थे. पति की अनुपस्थिति का फायदा उठाते हुए मीनू जैन ने दिनेश दीक्षित को फ्लैट पर आने का मैसेज भेजा तो वह अपनी सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार से दोपहर के वक्त सोसायटी के गेट पर पहुंच गया.

जब सोसायटी के गेट पर मौजूद गार्ड ने उस का पता पूछा तो उस ने मीनू जैन को फोन कर गार्ड से उन की बात करा दी. मीनू जैन के कहने पर गार्ड ने उस की कार का नंबर रजिस्टर में नोट करने के बाद उसे अंदर जाने को कह दिया.

दिनेश दीक्षित मीनू जैन के फ्लैट में पहुंचा तो उसे सामने देख कर वह बहुत खुश हुईं. चाय और नमकीन लेने के बाद दोनों ही बातों में मशगूल हो गए. लगभग पौने 9 बजे मीनू और दिनेश दोनों डिनर के लिए कार से सोसायटी के बाहर निकले.

करीब आधे घंटे के बाद लौटते समय दिनेश ने मूड बनाने के लिए वोदका की एक बोतल और कुछ स्नैक्स खरीद लिए. सोसायटी में पहुंच कर दोनों ने ड्रिंक करनी शुरू कर दी. अपनी योजना को अंजाम देने के लिए दिनेश दीक्षित ने मीनू जैन को अधिक मात्रा में वोदका पिलाई और खुद कम पी.

रात करीब 2 बजे मीनू जैन शराब के नशे में धुत हो कर शिथिल पड़ गईं तो दिनेश दीक्षित ने मौका देख कर तकिए से उन का मुंह दबा दिया. जब मीनू ने छटपटा कर दम तोड़ दिया तो उस ने बड़े इत्मीनान से उन की सेफ में रखे करीब 50 लाख रुपए के आभूषण और नकदी निकाल ली.

मीनू जैन की अंगुली में एक बेशकीमती अंगूठी थी. उस ने वह अंगूठी भी उतार कर अपने पास रख ली. इस के अलावा उन के दोनों मोबाइल फोन भी उठा लिए. रात भर वह मीनू की लाश के पास बैठ कर शराब पीता रहा और तड़के 5 बजे फ्लैट से सारा लूट का सामान ले कर रोशनदान से बाहर निकल गया. फिर अपनी स्विफ्ट कार से जयपुर के लिए रवाना हो गया.

गुड़गांव के टोल टैक्स से आगे निकलने के बाद उस ने मीनू जैन के एक मोबाइल फोन को स्विच्ड औफ कर दिया. जबकि दूसरे फोन को वह स्विच्ड औफ करना भूल गया. जयपुर पहुंचने के बाद वह पूरी तरह निश्चिंत था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकेगी. लेकिन 29 अप्रैल, 2019 को इंसपेक्टर नवीन कुमार की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उस के पास से मीनू जैन के यहां से लूटा गया सारा सामान बरामद कर लिया गया.

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दिनेश दीक्षित से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे द्वारका (साउथ) थाने के थानाप्रभारी रामनिवास को सौंप दिया. थाना पुलिस ने दिनेश दीक्षित से पूछताछ के बाद उसे द्वारका कोर्ट में पेश कर 2 दिन के रिमांड पर ले लिया.

रिमांड अवधि पूरी होने के बाद उसे फिर से द्वारका कोर्ट में पेश कर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. कथा लिखने तक दिनेश दीक्षित जेल में बंद था. केस की विवेचना थानाप्रभारी रामनिवास कर रहे थे.

—घटना में शामिल कुछ पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं.

(कहानी सौजन्य- मनोहर कहानियां) 

वेजीटेबल मंचूरियन

अगर आपको भी चाइनीज डिशों से प्यार है तो ये रेसिपी आपके काम की है. वेजीटेबल मंचूरियन हर किसी का फेवरेट होता है, लेकिन कुछ लोग समझते हैं कि इसे घर पर बनाना आसान नही है. इसीलिए आज हम आपको घर पर मंचूरियन कैसे बनाएं इसकी रेसिपी बताएंगे, जिससे आप रेस्टोरेंट स्टाइल वेजीटेबल मंचूरियन घर पर अपनी फैमिली को खिला पाएंगे.

हमें चाहिए

वेजीटेबल बौल्स के लिए-

पत्ता गोभी– 02 कप (बारीक कटी हुई),

मटर – 1/4 कप (उबाल कर मैश की हुई),

गाजर– 1/4 कप (कद्दूकस की हुई),

हरा प्याज– 02 (बारीक कटा हुआ),

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मैदा – 02 बड़े चम्मच

कौर्नफ्लोर – 02 बड़े चम्मच

हरी मिर्च – 01 छोटा चम्मच (कटी हुई)

लहसुन – 02 छोटे चम्मच (कटे हुए)

तेल – तलने के लिए

नमक – स्वादानुसार.

सौस के लिए-

उबली हुई सब्जियों का रस– 01 कप

हरी मिर्च – 02 छोटे चम्मच (कटी हुई)

लहसुन – 02 छोटे चम्मच (कटे हुए)

अदरक – 01 छोटा चम्मच (कटी हुई)

सोया सौस – 01 बड़ा कप

शक्कर – 01 छोटा चम्मच

तेल – 02 बड़े चम्मच

नमक – स्वादानुसार.

वेज मंचूरियन बनाने का तरीका

सबसे पहले वेजिटेबल बौल्स के लिए निकाली गयी सामग्री को मिलाकर अच्छी तरह से गूंथ लें.
यदि आवश्यक लगे तो मिश्रण में थोड़ा सा पानी छिड़कें. सामग्री को अच्छी तरह से गुंथ जाने पर उसकी मनचाही आकार की बौल्स बना लें.

इसके बाद एक पैन में तेल गर्म करें और उसमें इन बौल्स को हल्की भूरी होने तक तल लें. इसके बाद मंचूरियन सौस बनाने की तैयारी करें.

मंचूरियन सौस बनाने का तरीका

मंचूरियन सौस बनाने के लिए पैन में दो बड़े चम्मच तेल लें और उसे गर्म करें. तेल गर्म होने पर उसमें अदरक, लहसुन, हरी मिर्च डालकर थोड़ा सा भून लें.

इसके बाद इसमें सब्जियों का रस, कौर्नफ्लोर, शक्कर, नमक और सोया सौस डाल कर कुछ देर पकाएं. अगर सब्जीौ में ग्रेवी रखनी है, तो सब्जियों का रस या पानी एक कप और डाल दें और पकने दें.

जब यह मिश्रण अच्छी तरह से पक जाए, तो इसमें वेजिटेबल्स बॉल्स को डाल दें और उसे हल्की आंच में 5 मिनट पकनें दें.

लीजिए आपकी वेज मंचूरियन बनाने की विधि कम्लीट ट हुई. अब आपका वेजिटेबल मंचूरियन है. इसे गरमागरम प्लेट में निकालें और टेस्ट करें.

क्या आपका घर भी है बारिश के लिए तैयार

बरसात की रिमझिम फुहारें, गीली मिट्टी की मनमोहक सुगंध और हरीहरी घास आंखों को बहुत सुकून देती है और मन को मोह लेती है. मगर साथ ही सड़कों पर गड्ढों में भरा पानी कीचड़ और गंदगी बीमारियों को भी न्योता देती है. ऐसे में घर की सफाई सब से जरूरी है, क्योंकि घर एक ऐसी जगह है, जहां हम सब से ज्यादा समय बिताते हैं और आसानी से बैक्टीरिया के संपर्क में आ कर बीमार पड़ सकते हैं. अगर आप इस मौसम में अपने परिवार को सुरक्षित रख बारिश का भरपूर आनंद लेना चाहती हैं, तो इन क्लीनिंग टिप्स पर गौर जरूर फरमाएं:

1. एंटीबैक्टीरियल टाइल्स

घर को बैक्टीरिया से बचाना चाहती हैं, तो एंटीबैक्टीरियल टाइल्स लगवा सकती हैं. ये टाइल्स एंटीबैक्टीरियल टैक्नोलौजी को यूज कर के बनाई जाती हैं. ये कीटाणुओं को खत्म कर आप को कीटाणुमुक्त वातावरण देती हैं.

2. जूतों को बाहर खोलें

सड़कों पर मौजूद कीचड़ जूतों और चप्पलों में लग साथ घर आ जाता है यानी जानेअनजाने आप गंदगी और बैक्टीरिया भी साथ ले आते हैं. इसलिए बेहतर है कि अपना शूरैक घर के बाहर रखें और वहीं जूते खोलें और पहनें. ऐसा करने से घर बिलकुल साफ और कीटाणुमुक्त रहेगा.

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3. वैंटिलेशन है जरूरी

घर में मौजूद नमी की मात्रा को कम करने में वैंटिलेशन अहम भूमिका निभाता है. घर में होने वाली नमी से बचने के लिए सही वैंटिलेटर या ह्यूमिडिफायर में इन्वैस्ट करें. जब मौसम साफ हो तो घर की खिड़कियां खोल दें. साफ हवा व सूर्य की रोशनी अंदर आने दें. ऐसा करने से घर में कीटाणु नहीं पनपेंगे.

4. सही परदे चुनें

बरसात के मौसम में भारी और मोटे परदों का चयन भूल कर भी न करें, क्योंकि इस मौसम में इन्हें धोना और फिर सुखाना परेशान कर देता है. इस के अलावा मोटे परदे लगाने से कमरे में नमी का स्तर बढ़ जाता है, इसलिए बारिश में हलके और पारदर्शी परदों का इस्तेमाल करें, क्योंकि इन्हें लगाने से जहां कमरे की निजता बनी रहती है वहीं सूर्य की रोशनी का भी एहसास होता है. इन परदों से कमरे में बेहद हल्कापन महसूस होता है.

5. फर्नीचर को रखें दीवारों से दूर

बरसात के मौसम में फर्नीचर को दीवारों, खिड़कियों और दरवाजों से दूर रखना ही सही रहता है, क्योंकि दीवारों पर सीलन आने से फर्नीचर खराब हो जाता है. इसलिए फर्नीचर को दीवार से सटाएं नहीं, बल्कि 2-3 इंच दूर रखें. इस के अलावा फर्नीचर को सूखे कपड़े से समयसमय पर साफ जरूर करती रहें. चाहें तो फर्नीचर को रीलोकेट भी कर सकती हैं. ऐसा करने से फर्नीचर भी सेफ हो जाएगा और बरसाती बैक्टीरिया भी इन में घर नहीं बना पाएंगे.

6. वुडन फर्नीचर को कराएं औयल्ड व वैक्स

आप ने अकसर देखा होगा कि बरसात के मौसम में कई बार वुडन अलमारियों में नमी आ जाती है, जिस की वजह से लकड़ी की दराजें और दरवाजे खुल नहीं पाते हैं, इसलिए इन्हें औयल्ड या वैक्स करा लें ताकि आप को कोई दिक्कत न हो.

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7. मरम्मत से बचें

इस मौसम में घर में किसी भी प्रकार की मरम्मत या पेंट करवाने से बचें, क्योंकि मौसम के कारण वातावरण में अधिक नमी आप का काम बिगाड़ सकती है. इस मौसम में पेंट करवाएंगे, तो वह आसानी से नहीं सूखेगा और परेशानी होगी वह अलग.

8. कैंडल जलाएं

बरसात के मौसम में घर में अजीब सी गंध आती है, जिसे सहन करना मुश्किल हो जाता है. अत: इस गंध से बचने के लिए घर में सुगंधित कैंडल जलाएं ताकि घर का माहौल खुशगवार हो जाए. कैंडल को कौफीटेबल या साइड टेबल पर रख सकती हैं. शाम होते ही जला दें और भीनीभीनी खुशबू का आनंद लें.

9. कलर थेरैपी करती कमाल

बारिश के बाद तापमान में गिरावट आ जाती है. थोड़ी ठंडक हो जाती है. ऐसे में यकीनन आप अपने घर में थोड़ी गरमाहट चाहेंगी. इस के लिए आप घर में ब्राइट कलर के कुशन और कंबल यूज करें और मौसम का मजा लें.

Father’s Day 2019: वह बात जो कभी पापा से कह नहीं पायी…

जयति जैन “नूतन” (भोपाल)

पापा से शिकायतें… 

जब बच्चे थे तब कई सपने थे और ढेर सारी ख्वाहिशें, जिनकी पूरी ना होने पर पापा से बहुत शिकायतें रही जैसे हर साल कहीं घूमने जाना, पंद्रह दिन में एक बार होटल में खाना आदि. यह छोटी-छोटी सी चीजें थी, जो उस समय बहुत बड़ी हुआ करती थी. हमारे गांव में कोई शुद्ध शाकाहारी होटल भी नहीं था, अगर होटल जाना है तो मऊ रानीपुर जाओ या झांसी. ये अलग समस्या थी.

काम ही सब कुछ है…

पापा पेशे से डौक्टर हैं और एक ऐसे डौक्टर हैं जिनके लिए मरीज पहले आता है. मरीज की जान उसका दर्द उसकी परेशानी घर से भी पहले. वह मरीज देखने के लिए कभी-कभी रात भर जागते तो कभी सुबह का नाश्ता/खाना उनका दोपहर 3:00 बजे हो रहा है. दिन रात मरीजों की तरफ से उनका ध्यान नहीं हटता है और आज भी यही है. लेकिन पापा ने जो दिया व शायद ही कोई पिता दे पाए.

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हर इच्छा की पूरी…

वह हमें ज्यादा समय तो नहीं दिए लेकिन कमी कोई नहीं होने दी. हौस्टल में जहां बच्चों को एक सीमित पौकेट मनी मिलती थी, वही मेरे पास हजारों रुपए होते थे खर्च करने पर उन्होनें कभी हिसाब भी नहीं मांगा. पापा ने कभी किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी, जो चाहा वह मंगा दिया. खाने-पीने से लेकर, गाड़ी, कपड़े बिना मांगे मिले लेकिन वह घूमने जाने वाली बात हमेशा खटकती रही कि सभी के पापा 6 महीने में या फिर साल भर में एक बार जरूर घूमने जाते हैं लेकिन यहां तो पापा को समय ही नहीं है.  और आज जब उनसे दूर हूं, शादी हो चुकी है तब समझ आता है कि जितना पापा ने किया उतना कोई भी पिता नहीं कर सकता क्योंकि मुंह पर बात आती नहीं थी की वह पूरी हो जाती थी.

पैसे खर्च करते समय कभी सोचा नहीं कि पापा कितनी मेहनत करते हैं, यह कितनी मेहनत का पैसा है. लेकिन आज जब खुद के परिवार को संभाल रही हूं, तब समझ आता है पैसों की कीमत का.

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आप सबसे अच्छे हो पापा…

पापा आपसे मैंने कभी नहीं कहा, शायद कभी कभी नहीं पाऊं कि आप सबसे अच्छे पापा हैं जो शादी के बाद भी मेरी छोटी छोटी चीजों का ध्यान रखते हैं. मैंने जब ऐसे लोगों को देखा, जिनके पिता उन्हें कहीं बाहर घुमाने तो ले जाते हैं लेकिन उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए बार बार सोचते हैं. तब मुझे एहसास हुआ कि जो आपने किया, जो आपने दिया वह कोई पिता नहीं दे सकता. मेहनत क्या होती है वह आप से सीखा है.

पापा से रही ये शिकायत…

पापा से एक और हमेशा शिकायत रही कि वह छोटे भाई को कभी नहीं डांटते थे, हमेशा मुझे ही डांट पड़ी. लेकिन कुछ समय पहले जब यही बात मैंने उनको बातों बातों में बोली, तब उन्होंने कहा कि- तुम्हें क्या पता की कितनी बुरी तरीके से उसको डांट पड़ती है, बस तुम्हारे सामने नहीं पड़ती. तब वहीं पर मौजूद मेरे मामा ने कहा कि “लड़कियों को पालने का और लड़कों को पालने का तरीका अलग अलग होता है, लड़के किस तरह डांट खाते हैं यह वही जानते हैं.” तब मुझे एहसास हुआ शायद इस बात पर भी मैं गलत थी क्योंकि मां बाप अपने बच्चों को इसीलिए डांटते हैं कि वह गलत रास्ते पर ना जाए.

थैंक यू पापा फ़ौर एवरीथिंग.

Father’s Day 2019: इस फादर्स-डे पर दुनिया को बताइए अपने पापा की कहानी

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