चिकन लबाबदार

सामग्री

–  250 ग्राम बोनलैस चिकन

– 10 ग्राम अदरक लहसुन का पेस्ट

– 50 ग्राम प्याज बारीक कटा

– 50 ग्राम टमाटर बारीक कटा

– 2 तेजपत्ता

– 1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर

– 1 छोटा चम्मच गरममसाला

– 1 छोटा चम्मच जीरा

–  आवश्यकतानुसार तेल

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

– थोड़ी सी कसूरी मेथी

– 30 ग्राम दही

– 15 ग्राम क्रीम

– 15 ग्राम टमाटर प्यूरी

– चुटकी भर इलायची पाउडर

– 10 ग्राम घी

– 2 हरी मिर्चें लंबाई में कटी

–  1 बड़ा टमाटर कटा

– 7-8 लहसुन कलियां कटी

– थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

– चुटकीभर केसर

– नमक स्वादानुसार

बनाने की विधि

– चिकन को दही, केसर, लाल मिर्च पाउडर, गरममसाला, नमक के साथ 15-20 मिनट तक मैरीनेट करें.

– कड़ाही में तेल गरम कर तेजपत्ता और जीरा भूनें.

– अब इस में लहसुन, अदरक, प्याज डाल कर भूनें.

– फिर कटे टमाटर और प्यूरी डाल कर फ्राई करें.

– इस के बाद इस में चिकन, मेथी, नमक और इलायची पाउडर डाल कर धीमी आंच पर पकाएं.

– थोड़ा पक जाने पर जीरा पाउडर व घी भी मिला दें.

– कटे टमाटर, अदरक, धनियापत्ती और क्रीम से गार्निश कर गरमगरम सर्व करें.

समय पर होना है प्रेग्नेंट तो इस बात का ख्याल रखें

खराब खानपान का सेहत पर तुरंत असर नहीं होता, बल्कि एक लंबे समय के बाद इनका असर समझ आता है. हाल ही में हुए एक स्टडी में ये बात सामने आई कि जंकफूड का अधिक प्रयोग करने वाली महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान बहुत परेशानी होती है. शोध में पाया गया कि हफ्ते में तीन चार बार से अधिक जंकफूड का सेवन करने वाली महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में ज्यादा वक्त लगता है. वहीं जो महिलाएं जंकफूड का सेवन कम करती है वो ज्यादा सहूलियत और आसानी से प्रेग्नेंट होती हैं.

औस्ट्रेलिया में हुए इस शोध में ये बात सामने आई कि जो महिलाएं हेल्दी फूड खाती हैं वो ज्यादा फिट रहती हैं और सही वक्त पर गर्भवती भी होती हैं. फर्टिलिटी में भी हेल्दी फूड बेहद लाभकारी होते हैं. इसके अलावा ये बात भी सामने आई कि जिन खाद्य पदार्थों में जिंक और फोलिक एसिड की मात्रा प्रचुर होती है उनके सेवन से गर्भधारण की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. हरे पत्तेदार सब्जियों, मछली, बीन्स और नट्स में ये तत्व पाए जाते हैं.

पाचन की है समस्या तो इन 5 चीजों से बना लें दूरी

जैसा हमारा खानपान हो गया है धिकतर लोगों को पेट की समस्याएं होने लगी हैं. बहुत से लोगों को परेशानी रहती है कि उनका पेट साफ नहीं रहता. अगर आपका पेट साफ नहीं रहता है तो पूरा दिन खराब जाता है. इसके अलावा आपको कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.

इस खबर में हम आपको पांच चीजों के बारे में बताएंगे जिनसे दूरी बना कर आप अपने पेट को हेल्दी रख सकती हैं.

चिप्स

जो लोग चिप्स का सेवन अधिक करते हैं उन्हें अपच की समस्या होती है. जिन लोगों को पहले से अपच की परेशानी है उन्हें इससे दूरी बनानी चाहिए. आलू में वसा की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण इसे पचने में काफी वक्त लगता है. पेट की अच्छी सेहत के लिए जरूरी है कि तली और भुनी हुई चीजों का अधिक सेवन करने से बचें.

दूध से बने उत्पाद

दूध से बना उत्पाद गरिष्ठ भोजन की श्रेणी में आते हैं. इसके पाचन में काफी समय लगता है. इन उत्पादों में  फाइबर की मात्रा बेहद कम होती है और वसा की मात्रा अधिक होता है. यही कारण है कि इसका अधिक सेवन करने से पेट की बहुत सी समस्याएं होती हैं.

केला

आमतौर पर पाचन में केला काफी मददगार होता है पर कच्चा केला इसके ठीक उलट प्रभाव डालता है. पेट की सेहत के लिए जरूरी है कि कच्चे केले से दूर रहें.

फ्रोजन खानों से रहें दूर

फ्रोजन खानों से दूर रहें. ज्यादा दिनों तक रखें खाद्य पदार्थ आपकी पेट की सेहत के लिए अच्छे नहीं होते. कोशिश करें कि हरी साग सब्जियों का सेवन करें.

बिस्कुट

बिस्कुट और कुकिड में मैदा की मात्रा अधिक होती है. पेट के लिए ये काफी हानिकरक होता है. पेट की सेहत के लिए जरूरू है कि इनके अधिक सेवन से बचें.

मैडम खर्चीली न बनें

रीमा के हाथ में शौपिंग बैग देख कर प्रमोद के माथे पर बल पड़ गए. पति को समय पर घर आया देख कर रीमा बड़ी अदा से मुसकराते हुए बोली, ‘‘अजी, आप आ गए, पता होता तो…’’

रीमा की बात बीच में ही काटते हुए प्रमोद लगभग दहाड़ते हुए बोला, ‘‘हां, हां, पता होता कि मैं अभी नहीं आने वाला हूं तो क्या सारा बाजार ही उठा लातीं, मेम साहब. अरे, मैं तो तंग आ गया हूं तुम्हारी इस खरीदारी की खर्चीली आदत से…बीवी हो या आफत. मौत भी नहीं आती कि इस आफत नाम की खर्चीली बीवी से जान छूटे.’’

रीमा भौचक्की सी कभी पति को तो कभी अपनी कुलीग प्रेमा को देखती, जिसे वह दफ्तर से अपने साथ ले आई थी. थोड़ी हिम्मत कर रीमा ने पति से पूछा, ‘‘अजी, आप की तबीयत तो ठीक है न?’’

‘‘क्यों? क्या हुआ मेरी तबीयत को,’’ प्रमोद घूर कर देखते हुए बोला.

‘‘नहीं, यों ही पूछा था…यह अचानक…’’

‘‘क्या अचानक तबीयत कभी बिगड़ नहीं सकती? पर तुम्हें क्या…मैं मरूं या जिंदा रहूं…तुम्हें अपनी साडि़यों की खरीदारी से फुरसत मिले तब न. करो, करो…खूब खर्च करो. बाप की दौलत है न, लुटाओ…पति जाए भाड़ में.’’

पति महोदय किस बात की भड़ास निकाल रहे थे. क्या यह पत्नी की ओर से महज की गई खरीदारी को ले कर थी या इस की जड़ में और भी कुछ था. आमतौर पर पतियों को यही शिकायत रहती है कि उन की बीवियां बहुत ही फुजूलखर्च होती हैं. जब देखो बनावशृंगार और घर के रखरखाव के नाम पर हर महीने अच्छा- खासा पैसा खर्च कर आती हैं. यही नहीं कुछ पतियों को यह शिकायत रहती है कि किफायत नाम का शब्द इन की डिक्शनरी में नहीं रहता. बाजार से बनाबनाया खाना, फास्ट फूड सेंटर से पिज्जा का वक्तबेवक्त आर्डर आदि वाहियात बातों पर तमाम पैसा जाया करती हैं. यही शिकायत घर की सजावट को ले कर भी रहती होगी.

आजकल भले ही पतिपत्नी दोनों कामकाजी हों, पत्नी कमाऊ हो तो भी पतियों की सोच में लगता है ज्यादा बदलाव नहीं आया है. गुड़गांव के एक मशहूर फैशन हाउस में काम कर रही सुधा गुगलानी ने बताया, ‘‘दरअसल, व्यक्तिगत खर्चे अकसर पतियों को नागवार गुजरते हैं क्योंकि उन की निगाह में यह नाजायज खर्च है. उन्हें लगता है कि औरतें अपने रखरखाव, चेहरे के आकर्षण, सुडौल शरीर और सुंदर दिखने के लिए पार्लर व ब्यूटी केयर के नाम पर जो कुछ खर्च करती हैं उन्हें फुजूलखर्च लगते हैं. यदि मैं फैशन हाउस में काम करती हूं और बनसंवर कर, जिम या हेल्थ क्लब में जा कर खुद को फिट रखना चाहती हूं तो पति को क्यों लगता है कि मैं फुजूलखर्च करती हूं. मोटी सी तोंद ले कर और बिखरे बालों के साथ किसी विदेशी ग्राहक से क्या मैं बात कर पाऊंगी? अपना आत्म- विश्वास बढ़ाने के लिए और उस आत्मविश्वास के स्तर को बनाए रखने के लिए मुझे तो ये खर्चे जरूरी लगते हैं. मेरे लिए ये खर्चे कोई शौकिया नहीं, काम की मांग हैं.’’

पति कब चूकने वाले थे, झट बोले, ‘‘यह भी क्या काम की मांग हुई, मैचिंग के नाम पर दर्जनों चप्पल, सैंडल, जूते और भी न जाने क्याक्या. इतना तो कमाती नहीं जितना खर्च कर डालती हो. मैं तो इसे मैडम खर्चीली कहता हूं.’’

इन के घर में खाने की टेबल पर कैसा हंगामा. नहीं, चुपकेचुपके सुनने की जरूरत नहीं, गली में हर आताजाता इन की बातें साफसाफ सुन सकता है.

‘‘सुधा आज फिर…’’ तभी घंटी बजती है, ‘‘अजी, जरा देखना तो दरवाजे पर कौन है,’’ पति दहाड़ते हुए बोले, ‘‘यह मिस्टर कोई और नहीं, तुम्हारा पिज्जा वाला होगा.’’

‘‘प्लीज, क्या कर रहे हो, जरा खोल दो न किवाड़, बेचारा कहीं लौट न जाए.’’

‘‘सुनो, तुम अपना अकाउंट नंबर उस पिज्जे वाले को क्यों नहीं दे देतीं. तुम्हारे व्यक्तिगत खर्चे का बिल भुगतान के लिए बैंक में जाता ही है, साथ में उस का भी चला जाएगा.’’

‘‘क्या है जी, बच्चों की कुछ भी फिक्र नहीं आप को तो.’’

‘‘बच्चों की बात मत करो, खुद को खाना न बनाना पड़े इसलिए झट से आर्डर दे दिया और हो गया मेरा कबाड़ा. मैडम खर्चीली, जागो, फ्री होम डिलीवरी के नाम पर अच्छाखासा पैसा लुटा डालती हो तुम. कभी यह भी सोचा कि बच्चों के स्वास्थ्य पर इस का क्या असर पड़ेगा. पर नहीं, तुम्हें क्या? तुम्हें तो अपनी झूठी शान, झूठी आधुनिकता का मुखौटा कुछ करने ही नहीं देता.’’

दरवाजा खोलने के नाम पर पति ने अपने मन के कपाट ही खोल डाले. बच्चों को फास्ट फूड अच्छा लगता है. उन के स्कूल में, बाहर सब जगह ही तो इस का चलन है, सभी खाते हैं, फिर हम क्या इतने गएगुजरे हैं कि बच्चों की इतनी छोटी सी मांग भी पूरी न कर पाएं. आफ्टर आल, दोनों किस के लिए कमाते हैं, बच्चों के लिए ही न. तो फिर इतना आसमान क्यों सिर पर उठा रखा है.

वैसे बड़ेबुजुर्गों का और मनो- चिकित्सकों का भी यही मानना है कि बच्चों को अधिक लाड़ करना, अधिक आइसक्रीम, जंक फूड कैंडीस की आदत डालना फिर उस आदत को पालना बिलकुल नाजायज है.

सवाल यह उठता है कि क्या बच्चों के लिए कई खर्चे जरूरी हैं? हां, स्कूल के खर्चे हैं, जेबखर्च है, बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कुछ खर्चे हैं, ये सभी आवश्यक हैं और इन के लिए सीमाएं तो मांबाप दोनों को ही तय करनी हैं. हां, ध्यान रहे, रिश्तों में खटास न आए. मनमुटाव होना भी लाजिमी है, क्योंकि विचारधारा मेल नहीं खाती. हो सकता है बच्चे के लिए कोई खास गेम खरीदने के लिए बीवी की जिद सही हो, उस से बच्चे का बौद्धिक विकास हो रहा हो, लेकिन एक शब्द है ‘नीड’ यानी जरूरत और दूसरा शब्द है ‘डिजायर’ यानी इच्छा. इन दोनों में अंतर करना जब जान लेंगे तो न पतिदेव कंजूस रहेंगे न बीवी मैडम खर्चीली. इसलिए इच्छाओं के घोड़ों की लगाम अपने हाथों में रखें और जरूरतों के दास न बनें.

ताकि बैगपैक से न हो चोरी

राह चलते चोरों की नजर आप के बैग में रखे कीमती सामान पर होती है. ऐसे हालात में आप सावधानी बरतें ताकि आप और आप का सामान सेफ रहे.

जब आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यात्रा कर रही हैं तो कुछ सावधानियां आप को चोरों की नजरों से बचा सकती हैं. आईए जानते हैं कि आप कैसे अपना बैगपैक करें ताकि आपका सामान सेफ रहे.

– भीड़भाड़ वाली जगह पर बैग को पीठ पर टांगने के बजाय पेट की तरफ टांगें.

–  सिक्योरिटी लौक वाले बैग्स खरीदें.

–  बैग के अंदर पर्स और जरूरत से ज्यादा कैश न रखें.

– पर्स हमेशा आगे वाली जेब में रखें.

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–  ओरिजिनल डौक्युमैंट्स साथ ले कर न चलें.

– डैबिट कार्ड, क्रैडिट कार्ड आदि बैग में न रखें.

लिवर के कैंसर में फायदेमंद होता है टमाटर

अनहेल्दी फूड्स, जंक फूड्स, फास्ट फूड्स जैसी चीजों का अधिक सेवन करने से लिवर का बहुत नुकसान होता है. जिससे लिवर कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है. हाल ही में एक स्टडी में ये बात सामने आई कि अधिक टमाटर का सेवन करने से लिवर कैंसर का खतरा कम होता है.

आपको बता दें कि इस स्टडी को चूहों पर किया गया. स्टडी की रिपोर्ट्स के मुताबिक टमाटर लाइकोपीन नाम का एंटीऔक्सिडेंट, एंटी इंफ्लामेट्री और कैंसर को नष्ट करने वाले गुण पाए जाते हैं. टमाटर में मौजूद ये सारे जरूरी तत्व लिवर की सूजन, कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं को कम करते हैं.

अमेरिका में हुए इस शोध में ये बात सामने आई कि कच्चे टमाटर के अलावा केचअप, जूस या टमाटर से बने प्रोटक्ट्स में लाइकोपीन की मात्रा अधिक होती है. जानकारों की माने तो लिवर कैंसर में टमाटर का पाउडर भी काफी अहम भूमिका निभाता है. इसके अलावा कच्चा टमाटर भी काफी फायदेमंद होता है. कच्चे टमाटर में  विटामिन-ई, विटामिन-सी, फोलेट, मिनरल्स, फिनोलिक कंपाउंड और डायट्री फाइबर पाए जाते हैं.

चूहो पर हुए इस स्टडी में ये बात सामने आई कि उन्हें टमाटर खिलाने से उनके शरीर में सूजन पैदा करने वाले बैक्टीरिया की ग्रोथ काबू में रही. आपको बता दें कि टमाटर के अलावा अमरूद, तरबूज और पपीते में भी लाइकोपीन की मात्रा अधिक होती है.

सर्वाइकल कैंसर से कैसे बचें

महत्त्वपूर्ण तथ्य

सरल शब्दों में समझें तो अगर दुनिया के विकसित देशों में 100 में से एक महिला को जिंदगी में सर्वाइकल कैंसर होता है तो भारत में 53 महिलाओं में से एक को यह बीमारी होती है यानी भारतीय दृष्टिकोण में करीब आधे का फर्क है.

अन्य कारण

  • छोटी उम्र में संभोग करना.
  • एक से ज्यादा पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाना.
  • ऐक्टिव और पैसिव स्मोकिंग.
  • लगातार गर्भनिरोधक दवाइयों का इस्तेमाल.
  • इम्यूनिटी कम होना.
  • बंद यूरेटर.

किडनी

  • भारतीय महिलाएं माहवारी से जुड़ी बातों पर आज भी खुल कर बात करने से बचती हैं. शायद इसलिए भारतीय महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर दूसरा सब से आम कैंसर बन कर उभर रहा है.
  • कैसे होता है सर्विक्स गर्भाशय का भाग है, जिस में सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण की वजह से होता है.
  • यह संक्रमण आमतौर पर यौन संबंधों के बाद होता है और इस बीमारी में असामान्य ढंग से कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं.
  • इस वजह से योनि में खून आना, बंद होना और संबंधों के बाद खून आने जैसी समस्याएं हो जाती हैं.

लक्षण

आमतौर पर शुरुआत में इस के लक्षण उभर कर सामने नहीं आते, लेकिन अगर थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो इस के लक्षणों की पहचान की जा सकती है:

  • नियमित माहवारी के बीच रक्तस्राव होना, संभोग के बाद रक्तस्राव होना.
  • पानी जैसे बदबूदार पदार्थ का भारी डिस्चार्ज होना.
  • जब कैंसर के सैल्स फैलने लगते हैं तो पेट के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है.
  • संभोग के दौरान पैल्विक में दर्द महसूस होना.
  • असामान्य, भारी रक्तस्राव होना.
  • वजन कम होना, थकान महसूस होना और एनीमिया की समस्या होना भी लक्षण हो सकते हैं.

कंट्रोल करने की वैक्सीन व टैस्ट

वैसे तो शुरुआत में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन इसे रोकने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, जिस से तकरीबन 70 फीसदी तक बचा जा सकता है.

नियमित रूप से स्क्रीनिंग की जाए तो सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों की पहचान की जा सकती है.

बीमारी की पहचान करने के लिए आमतौर पर पैप स्मीयर टैस्ट किया जाता है. इस टैस्ट में प्री कैंसर सैल्स की जांच की जाती है.

बीमारी की पहचान करने के लिए नई तकनीकों में लगातार विकास किया जा रहा है. इस में लिक्विड बेस्ड साइटोलोजी (एलबीसी) जांच बेहद कारगर साबित हुई है.

एलबीसी तकनीकों के ऐडवांस इस्तेमाल से सर्वाइकल कैंसर की जांच करने में सुधार  आया है.

इलाज

अगर सर्वाइकल कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में चल जाता है तो बचने की संभावना 85% तक होती है.

वैसे सर्वाइकल कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज पर है. आमतौर पर सर्जरी के द्वारा गर्भाशय निकाल दिया जाता है और अगर बीमारी बिलकुल ऐडवांस स्टेज पर होती है तो कीमोथेरैपी या रेडियोथेरैपी भी दी जाती है.

बचाव है जरूरी

डाक्टर से सलाह ले कर ऐंटीसर्वाइकल कैंसर के टीके लगवाएं.

महिलाओं को खासतौर से व्यक्तिगत स्वच्छता का भी ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि जननांगों की साफसफाई बहुत महत्त्वपूर्ण है.

माहवारी में अच्छी क्वालिटी का सैनेटरी नैपकिन इस्तेमाल करना चाहिए.

समय पर डाक्टर से संपर्क करना कैंसर के इलाज का सब से अहम कदम है, इसलिए शारीरिक बदलावों को नजरअंदाज न करें.

-डा. अंजलि मिश्रा, लाइफलाइन लैबोरेटरी

लोग कहते थे मैं बड़ा काम नहीं कर सकती : अनीता डोंगरे

फैशन की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली 50 वर्षीय अनीता डोंगरे की शख्सीयत अनूठी है. नम्र स्वभाव की अनीता ऐसे माहौल में पैदा हुई थीं जहां महिला उद्यमी बनने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. ऐसे में अपने सपने को साकार करना आसान नहीं था. सफलता के इस मुकाम पर पहुंच कर भी वे खुद को लर्नर ही समझती हैं. उन से हुई बातचीत के अंश इस प्रकार हैं:

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अपने बारे में विस्तार से बताएं.

मैं पारंपरिक सिंधी परिवार से हूं. मेरे दादादादी जयपुर से थे. मैं मुंबई में पलीबढ़ी, क्योंकि मेरे पिता मेरे जन्म से कुछ ही महीने पहले मुंबई आ गए थे. मैं गरमी की छुट्टियों में जयपुर जाती थी. वहां मैं ने देखा कि मेरे परिवार के अन्य भाईबहनों के लिए बहुत सख्त माहौल था.

50 चचेरे भाईबहनों के बड़े परिवार में किसी ने भी महिला उद्यमी बनने के बारे में नहीं सोचा था. लेकिन मैं मुंबई में थी. यहां मुझे मेरे मातापिता ने पूरी आजादी दी. एसएनडीटी कालेज से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद मैं ने भारतीय परिधानों की डिजाइनिंग शुरू की. उस समय के सभी बड़े बुटीक्स में मेरा काम पसंद किया जाने लगा.

किस क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहती थीं?

जब मैं 15 वर्ष की थी तब से मुझे डिजाइनिंग और फैशन पसंद था. मेरे बहुत से दोस्त कौमर्स की पढ़ाई कर चार्टर्ड अकाउंटैंट बन गए, लेकिन मुझे यह बोरिंग लगता था. केवल फैशन ही ऐसा क्षेत्र था जो मुझे पसंद था.

प्रेरणा कहां से मिली?

मेरी मां घर पर मेरे और मेरे भाईबहनों के लिए कपड़े सिलती थीं. यह मुझे अच्छा लगता था. लेकिन तब मुझे यह पता नहीं था कि मैं यहां तक पहुंच जाऊंगी. लेकिन काम करने की उत्सुकता हमेशा बनी रही. आज भी जब कोई नया काम शुरू करती हूं तो उसे अच्छा करने की कोशिश करती हूं. मेरी प्रेरणास्रोत मेरी मां हैं.

अनीता डोंगरे

संघर्ष तो काफी रहा होगा?

मैं ने 300 वर्गफुट क्षेत्र में अपनी बहन के साथ कारोबार शुरू किया. कुछ वर्षों बाद मेरा छोटा भाई भी इस में शामिल हो गया. शुरूशुरू में कई मुश्किलें आईं. कई बार लगा कि व्यवसाय बंद करना पड़ेगा, पर वह थोड़े समय के लिए था. मैं सुबह उठ कर सोचती थी कि मैं क्या करूं? कई बार हमारे पास किराया देने के लिए भी रुपए नहीं होते थे. बाद में सब सही हो गया. मुझे लगता है कि एक उद्यमी के लिए हर रोज चुनौती होती है. उस से निबटने की कला सीखना भी जरूरी है.

जब मैं ने इंटर्नशिप, व्यवसाय या जौब जो भी किया परिवार वालों का सहयोग नहीं था. सब सलाह देते थे कि मैं इतना बड़ा काम कर के परिवार नहीं संभाल सकती पर धीरेधीरे वह भी आसान हो गया.

करीब 20 साल पहले मैं ने कामकाजी महिलाओं को ध्यान में रख कर वैस्टर्न कपड़ों को बदलाव के साथ पेश किया. लेकिन किसी ने मेरी डिजाइनों को पसंद नहीं किया. तब मैं ने तय किया कि अपनी कंपनी खोलूंगी. इस तरह अनीता डोंगरे की डिजाइनों का जन्म हुआ.

आप को जीवन में आगे बढ़ने में कोई कठिनाई आई?

पारंपरिक परिवार की होने की वजह से उद्यमी बनना आसान नहीं था. वहां महिलाएं स्टीरियोटाइप काम करती थीं. लेकिन मैं ने अपनी जिंदगी अलग तरीके से जी है और इस में मेरे मातापिता ने मेरी मदद की. पिता ने व्यवसाय शुरू करने के लिए पैसे दिए, जिन का उन्होंने ब्याज भी लिया. उन्होंने हमें पैसे का महत्त्व समझाया.

युवा महिलाओं के लिए कोई संदेश?

महिलाएं आज हर क्षेत्र में प्रोफैशनल पुरुषों की तरह ही कामयाब हैं. ऐसे में तुलनात्मक बातें नहीं आनी चाहिए. पहले महिलाओं को मौके कम मिलते थे पर अब ऐसा नहीं है. आज उन के लिए भी हर तरह की सुविधाएं हैं. वे आगे आ कर उन्हें अपनाएं और अपनेआप को सिद्ध करें कि वे किसी से कम नहीं हैं.

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मिनिमम बैलेंस से कम राशि पर कौन सा बैंक लेता है कितना जुर्माना

देश के सभी बैंकों ने ग्राहकों को अपने नियमित बचत खाते में मासिक औसत बैलेंस बनाए रखने के लिए नए नए प्रावधान लाते हैं. जो भी ग्राहक अपने खाते में मिनिमम राशि नहीं रखते उनसे जुर्माना के रूप में निश्चित रकम वसूला जाता है. इस खबर में हम आपको दो बैंकों के मिनिमम बैलेंस संबंधित जानकारी देंगे. और ये बैंक हैं भारतीय स्टेट बैंक और एचडीएफसी. तो आइए जाने कि इन दोनों बैंकों में निश्चित मिनिमम बैलेंस ना रखने पर कितने जुर्माने का प्रावधान है.

भारतीय स्टेट बैंक

भारतीय स्टेट बैंक या कहें तो एसबीआई ने अपने सभी ग्राहकों को उनके खाते में न्यूनतम राशि रखना अनिवार्य कर दिया है. आपको बता दें कि एसबीआई में मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता शाखाओं के आधार पर अलग-अलग होती है. एसबीआई की शाखाओं को मेट्रो, ग्रामीण, शहरी और अर्ध शहरी में बांटा गया है.

मेट्रो और शहरी इलाकों में एसबीआई शाखाओं में ग्राहकों को अपने खाते में कम से कम 3000 रुपये की औसत राशि अपने खाते में रखनी है. अर्ध शहरी इलाकों के लिए ये लिमिट 2000 रूपये की है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ये राशि 100 रुपये है. मेट्रो और शहरी क्षेत्र की बैंक शाखाओं में जो ग्राहक खातों में 1500 रुपये या उससे कम का बैलेंस रखते हैं उनपर 10 रुपये प्रति महीना और जीएसटी लगता है. अगर उनका बैलेंस निर्धारित सीमा से 50-75 फीसद से कम है तो उन्हें 12 रुपये और जीएसटी पेनाल्टी के रूप में देना होगा. वहीं अगर बैलेंस 3000 रुपये के 75 फीसद से कम है तो पेनाल्टी राशि 15 रुपये होगी और साथ में जीएसटी भी देना होगा.

एचडीएफसी बैंक

मेट्रो और शहरी क्षेत्र में स्थित एचडीएफसी बैंक में बचत खातों में ग्राहकों को औसत मासिक 10,000 रुपये रखने का प्रावधान है. वहीं अर्धशहरी क्षेत्रों के लिए ये न्यूनतम औसत राशि 5000 रुपये है. ग्रामीण क्षेत्र के शाखाओं में ये राशि 2,500 रुपये हैं. अब बात करते हैं औसत बैलेंस से कम राशि होने पर लगने वाले फाइन के बारे में. मेट्रो और शहरी क्षेत्रों के शाखाओं में न्यूनतम औसत बैलेंस ना रखने पर 150 रुपये प्रति महीने जुर्माना है.

वहीं 5,000 से 7,500 रुपये तक के बैलेंस पर 300 रुपये का जुर्माना है. 2,500 से 5000 रुपये तक के बैलेंस पर 450 रुपये का जुर्माना और 0 से 2500 रुपये तक के बैलेंस पर 600 रुपये प्रति माह जुर्माना का प्रावधान है. इसके अलावा अर्ध शहरी क्षेत्रों में 2,500 से 5000 रुपये तक के बैलेंस पर 150 रुपये और 0 से 2500 रुपये तक के बैलेंस पर 300 रुपये का जुर्माना प्रति महीना देना पड़ता है.

आलू गोभी की सब्जी

सामग्री:

– 2 चम्‍मच तेल

– अदरक का टुकड़ा

– 3 लहसुन (बारीक कटी)

– हल्‍दी (1/2 चम्‍मच)

– 1 चम्‍मच जीरा

– 1 चम्‍मच करी पावडर

– 227 ग्राम कटे टमाटर

– 1/2 चम्‍मच शक्‍कर

– 1 फूल गोभी (छोटे टुकड़ों में कटी)

– 2 आलू (चार टुकड़ों में कटे)

– हरी मिर्च (1 छोटी)

– नींबू का रस

– मुठ्ठीभर धनिया पत्‍ती (कटी हुई)

बनाने की विधि

– एक पैन में तेल गरम करें, उसमें प्‍याज डाल कर 10 मिनट तक पकाएं.

– फिर उसमें अदरक, लहसुन हल्‍दी, जीरा और करी पावडर डालें.

– इसे 1 मिनट तक पकाएं और फिर टमाटर और शक्‍कर डालें.

– जब यह सभी चीजें पक जाएं तब कटी हुई फूल गोभी, आलू और हरी मिर्च डालें.

– ऊपर से स्‍वादानुसार नमक मिलाएं.

– पैन को ढ़क दें और 30 मिनट तक बीच बीच में चलाते हुए पकाएं.

– अगर पानी की जरुरत हो तो पानी भी मिला लें.

– लेकिन सब्‍जी ड्राय ही बननी चाहिये.

– जब सब्‍जी पक जाए तब आंच बंद कर दें और ऊपर से नींबू निचोड़े और हरी धनिया छिड़के.

– अब आप इसे रोटी या पराठे के साथ सर्व कर सकती हैं.

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