Love Story In Hindi : शटल में राहुल ने रूबी को अपने इतने नजदीक खड़ा किया कि जैसे उसे अपने अंदर ही छिपा लेगा. सभी सहयात्रियों की मौजूदगी में ही पूछ लिया, ‘‘किसी का धक्का तो नहीं लग रहा रूबी?’’
रूबी तो जैसे अपने इस मौडर्न मजनू पर फिदा थी. बोली, ‘‘न बाबू.’’
राहुल के दोनों कंधों पर 1-1 बैग टंगा था, एक उस का अपना, एक उस की रूबी का. रूबी के बाएं कंधे पर सिर्फ एक स्लिंग बैग टंगा था जिस में उस का फोन और बाकी हलकीफुलकी चीजें थीं. राहुल उस का यह छोटा सा बैग लेना भूल ही गया होगा वरना उस ने ही यह बैग भी टांगा होता.
दोनों ने एकदूसरे का हाथ पकड़ लिया, दूसरे हाथ से सीट का एक ही हैंडल एक ही जगह से पकड़ा, किसी भी तरह की दूरी दोनों को स्वीकार नहीं थी. दोनों इधरउधर हिलतेडुलते रहे पर एकदूसरे का हाथ नहीं छोड़ा. सहयात्रिओं का घूरना दोनों ने अवौइड कर दिया. 6 फुट का राहुल, घुंघराले बाल, साफ रंग, अच्छे नैननक्श, उम्र करीब 25 साल, व्हाइट टीशर्ट और जींस में रूबी को अपने से लिपटाए खड़ा था. 5 फुट की गोरी, छोटेछोटे बाल, कमर से ऊपर तक का एक व्हाइट स्लीवलैस टौप और एक पिंक स्कर्ट पहने राहुल की ही उम्र की रूबी अपने प्रेमी को गरदन ऊपर कर के निहारे जा रही थी.
‘‘राहुल, तुझ से कितनी अच्छी खुशबू आ रही है, कौन सा परफ्यूम लगाया है?’’
‘‘जो तूने दिया था, मैं तो वही लगाता हूं अब. हमेशा वही लगाऊंगा, रूबी.’’
‘‘ओह, राहुल, तू कितना अच्छा है.’’
राहुल ऐसे मुसकराया जैसे वह कोई हीरो हो. बालों को एक झटका दिया और फिर बोला, ‘‘रूबी, तुझे पता नहीं, तू ही मेरी सबकुछ है.’’
आगेपीछे खड़े लोग दोनों को ऐसे देखसुन रहे थे जैसे कह रहे हों, बस करो भाई, ऐसे प्यार हम ने बहुत देखे हैं.
विमान में घुसते हुए राहुल ने रूबी का हाथ कस कर पकड़ा हुआ था, बीचबीच में चूम भी लेता, रूबी गुडि़या सी उस के साथ लिपटीचिपकी चलती रही. एअरहोस्टेस किसी मशीन की तरह सब का वैलकम करती रही, सभी यात्री अपनीअपनी सीट की तरफ बढ़ते रहे. राहुल ने ओवरहैड स्टोरेज में सामान रखा. रूबी की विंडो सीट थी, राहुल बीच में बैठा. साथ में एक बुजुर्ग सज्जन बैठे थे.
टेक औफ की तैयारी थी पर विमान ने उड़ान नहीं भरी तो रूबी ने नखरे से कहा, ‘‘राहुल, फ्लाइट कब उड़ेगी? उल?ान हो रही है.’’
राहुल को लगा जैसे वह एक सुपरमैन है, वह कहेगा तो फ्लाइट तुरंत उड़ जाएगी. उस ने पास ही खड़ी एक एअरहोस्टेस से पूछा, ‘‘टेक औफ में कितनी देर है? मेरी दोस्त को परेशानी हो रही है.’’
एअरहोस्टेस भी ऐसेऐसे दीवानों को रोज देखती होगी, धैर्य से जवाब देना उन्हें सिखाया
ही जाता है. उस ने विनम्रता से कहा, ‘‘बस सर, अभी थोड़ी ही देर में विमान उड़ान भरेगा. आप चिंता न करें.’’
5 मिनट ही बीते थे कि रूबी ने जैसे फिर गुहार लगाई जैसे वह किसी बहुत बड़ी मुसीबत में हो, ‘‘राहुल, बड़ी उल?ान सी हो रही है. फ्लाइट लेट है?’’
राहुल ने रूबी का हाथ पकड़ लिया, ‘‘देख रूबी, तू एक बार भी और परेशान हुई तो मैं उठ कर इन लोगों पर चिल्ला दूंगा. मैं तुझे परेशान नहीं देख सकता.’’
बुजुर्ग ने कनखियों से दोनों को देखा. उन का मन हुआ, दोनों को 1-1 तमाचा रसीद कर कहें कि थोड़ा पेशंस रखो बच्चो.
अभी तो तुम्हारी पूरी लाइफ पड़ी है पर उन्हें क्या पता था कि इस सफर में उन्हें ही कितनी पेशंस रखनी पड़ेगी.
तभी रूबी ने कहा, ‘राहुल, प्यास लगी है.’’
राहुल ने पास से निकलती हुई एअरहोस्टेस को पानी देने के लिए कहा तो जवाब मिला, ‘‘अभी जल्दी ही हमारी सर्विस शुरू होगी तो आप के लिए पानी लाती हूं.’’
राहुल तो अब स्वघोषित हीरो है ही, बोला, ‘‘मेरी दोस्त को पानी अभी चाहिए, मैं आप की सर्विस शुरू होने का इंतजार नहीं कर सकता.’’
‘‘आप कृपया सहयोग करें. सौरी,’’ बोल कर वह आगे बढ़ गई.
अब तो राहुल अपनी कमर पर बांधी बैल्ट खोल कर खड़ा हो गया, बुजुर्ग से कहा, ‘‘ऐक्सक्यूज मी अंकल, ऊपर से वाटर बोतल निकालनी है.’’
बुजुर्ग के पास अपनी भी बैल्ट खोल कर खड़े होने के सिवा कोई चारा न था.
एअरहोस्टेस भागी आई, ‘‘अभी सामान नहीं निकाल सकते.’’
राहुल ने गुस्से से कहा, ‘‘आप ने पानी ला कर नहीं दिया तो अपनी दोस्त को प्यासा
रहने दूं?’’
राहुल ने बोतल निकाली, अपनी सीट पर बैठा, बुजुर्ग भी बैठ गए. विमान ने उड़ान भरी तो रूबी खुश हुई, तो राहुल भी खुश हुआ. यह फ्लाइट दिल्ली से मुंबई जा रही थी. रूबी की आवाज से ज्यादा राहुल की आवाज तेज थी. एक सीट आगे, एक सीट पीछे के लोग आराम से उन की बातें सुन सकते थे और फिर बुजुर्ग सज्जन को तो उन दोनों की बातें बहुत साफसाफ सुनाई पड़नी ही थीं. बुजुर्ग अपना सफर शांति से बिताने के मूड में थे पर सीट पर बैठने के 10 मिनट बाद ही उन्हें अंदाजा हो गया था कि ये नमूने कुछ न कुछ करते ही रहेंगे.
थोड़ी देर बाद रूबी ने राहुल से कहा, ‘‘राहुल, मुझे टौयलेट जाना है.’’
‘‘हां, जा न, क्या परेशानी है. ऐक्सक्यूज मी अंकल, मेरी दोस्त को टौयलेट जाना है.’’
अंकल ने अपनी सीट बैल्ट खोली और साइड में खड़े हो गए. वापस आ कर जैसे ही रूबी बैठी, फूड सर्विस शुरू हुई, बुजुर्ग व्यक्ति ने अपने लिए एक कौफी और्डर की. राहुल ने अपने और रूबी के लिए मैगी.
रूबी ने कुछ सैकंड्स बाद ही कहा, ‘‘राहुल, मैगी की जगह सैंडविच ही खा लें?’’
‘‘हां, हां, क्यों नहीं, अभी और्डर चेंज करता हूं. साथ में कुछ लेगी?’’
‘‘हां, जूस.’’
एअरहोस्टेस को बुलाया गया, उस ने कोई प्रतिक्रिया न देते हुए चुपचाप और्डर नोट कर लिया. बुजुर्ग व्यक्ति की कौफी आ गई. जैसे ही उन्होंने पहली सिप ली, रूबी कोने में ठुनकी, ‘‘राहुल, कौफी पीनी है, जूस नहीं, कौफी की कितनी अच्छी खुशबू आ रही है.’’
फालतू आशिक फौरन बोला, ‘‘हांहां, क्यों नहीं,’’ एअरहोस्टेस को फौरन रूबी के दरबार में बुला कर जूस कैंसिल कर के कौफी लाने के लिए कहा गया.
रूबी ने राहुल के कंधे पर सिर टिका कर कहा, ‘‘थैंक यू बाबू, तुम मेरे लिए कितना करते हो.’’
बुजुर्ग व्यक्ति ने मन ही मन कहा कि हां, बाबू ही यह कौफी बना कर ला रहा है
तुम्हारे लिए.
अचानक रूबी को याद आया, ‘‘राहुल, ऊपर से मेरे बैग में से चिप्स का पैकेट निकालना, तुम्हारे लिए ले कर चली थी.’’
‘‘उफ मेरी रूबी, माई डार्लिंग, कितना ध्यान रखती हो,’’ कहते हुए राहुल उठ गया, ‘‘अभी चिप्स निकालता हूं. ऐक्सक्यूज मी अंकल.’’
अंकल के पास कोई और औप्शन था भी नहीं. अपनी कौफी का कप ध्यान से संभालते हुए सीट बैल्ट खोल कर साइड में खड़े हो गए. आगेपीछे के लोगों ने अंकल को सहानुभूति से देखा, आंखों ही आंखों में इशारा किया कि क्या करें इन का.
रूबी की आवाज आई, ‘‘राहुल, ध्यान से तेरे सिर में कुछ लग न जाए.’’
चिप्स का पैकेट निकालने के बाद राहुल बैठ गया. अंकल भी बैठ गए. कौफी और सैंडविच भी आ गए. उठनेबैठने के चक्कर में अब तक ठंडी हो चुकी कौफी के सिप ले रहे अंकल ने कनखियों से देखा, राहुल और रूबी एकदूसरे को अपने हाथों से खिला रहे हैं, खुसुरफुसुर कर बातों पर हंसी रोक रहे हैं.
अचानक रूबी को याद आया, ‘‘अरे राहुल, मैं तो पूछना भूल गई
तेरी मम्मी का एअरपोर्ट पर फोन आया था? क्या कह रही थीं? मुझे अपना नाम सुनाई दिया था. अब तो उन्हें हमारे बारे में सबकुछ पता है न?’’
‘‘हां, वह सब तो मैं ने उन्हें तभी बता दिया था जब तू औफिस में नईनई आई थी. अभी मम्मी कह रही थीं कि शादी कब करोगे? मैं ने उन्हें बोल दिया, मुंबई में अभी तो हम लिव इन में रहेंगे, थोड़ा और सैट हो जाएं तो शादी करेंगे. फिर मम्मी घर, खानदान की बातें करने लगीं तो मैं ने उन्हें बोल दिया कि रूबी घर में आप की तरह नहीं रहेगी. उसे जो अच्छा लगेगा, वही करेगी. आप तो ताऊजी, दादाजी के सामने सिर पर पल्ला ले कर रसोई में घुसी रहीं, मेरी रूबी यह सब नहीं करेगी.
‘‘मम्मी बस फिर चुप ही हो गईं. तू चिंता न कर रूबी मैं तुझे रानी बना कर रखूंगा. अभी एक फ्लैट किराए पर लेने के लिए देख रहा हूं. तु?ो भी 3 लड़कियों के साथ रूम शेयर करना पड़ता है. बस यह फ्लैट मिल जाए, 1 साल लिव इन में रहेंगे, फिर आगे की सोचेंगे.
‘‘पेरैंट्स के बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. हमारी लाइफ है, हम देख लेंगे. तू भी उन के उपदेशों पर ध्यान मत देना. बिंदास जीना. मैं तो मम्मी को सब कह देता हूं ताकि वे पापा को भी बता दें, मु?ा से उम्मीद न करें कि मैं उन की कोई बात सुनूंगा.’’
रानी ने तो यह बात सुन कर अपने राजा का गाल ही चूम लिया जिसे देख कर भी अंकल ने इग्नोर किया. रूबी ने जैसे राहुल को एक मैडल भी दे दिया, ‘‘राहुल, तेरे विचार कितने अच्छे हैं.’’
राहुल की तेज आवाज में कहे ये डायलौग सुन कर आगे बैठी महिला के दिल में आया कि जरा पीछे बैठी रानी को देख लिया जाए, कैसी है यह रानी जिस पर राजा इतना फिदा है.
उस ने यों ही इधरउधर नजर डालते हुए पीछे भी देख लिया, राजारानी एकदूसरे से सिर सटाए बैठे थे. इतने में
2 एअरहोस्टेस एक बड़ा सा ब्लैक बैग लिए क्लीनिंग के लिए आईं.
रूबी ने अपना कप उठाने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया, राहुल की आवाज ने सब का ध्यान खींचा, ‘‘तू रहने दे, रूबी, मैं देता हूं.’’
डेढ़ घंटा बीत चुका था, आधे घंटे का समय बाकी था. अंकल का मन हुआ, एक झपकी ले लें पर राहुल और रूबी उन के सहयात्री थे, यह कहां संभव था. वे एक फैमिली फंक्शन से थक कर लौट रहे थे, उन पर थकान हावी थी, उन्होंने अपनी आंखें बंद कीं. शायद उन की आंख लगे 5 मिनट ही हुए थे कि राहुल की आवाज आई, ‘‘ऐक्सक्यूज मी अंकल, मेरी दोस्त को टौयलेट जाना है.’’
बेहद बेजार बुजुर्ग ने नागवारी से राहुल को देखा, पर समझते थे. इस लड़के को कुछ कह नहीं सकते थे, ये दोनों उन युवाओं में से थे जो किसी की भी तकलीफ नहीं समझते. वे चुपचाप बैल्ट खोल कर साइड हो गए.
रूबी के पीछेपीछे राहुल भी उठ गया, ‘‘रुक, मैं भी तेरे साथ आ जाता हूं.’’
दोनों चले गए तो बुजुर्ग बैठ तो गए पर जानते थे, फिर उठना ही है. दोनों वापस आए, रूबी की आवाज आई, ‘‘चल राहुल, कुछ देखते हैं.’’
‘‘हां, बोल, क्या देखेगी?’’
‘‘रौकी और रानी की लव स्टोरी देखें? मैं ने अब तक नहीं देखी है, सोचा था, तेरे साथ ही शुरू करूंगी. मैं तेरे फ्लैट पर जब आई थी, तब तेरा फ्लैटमेट अनुज आ गया था. मुझे लव स्टोरी तेरे साथ ही देखना अच्छा लगता है. इसलिए अब देख लें?’’
‘‘हांहां, चल, देखते हैं. वैसे अनुज है अच्छा, मेरी उस की काफी अच्छी बौडिंग हो गई है, तू जब आती है, वह बाहर चला जाता है, उस की गर्लफ्रैंड आती है तो मैं सामने वाले कैफे में जा कर बैठ जाता हूं. मुंबई में ऐसे फ्लैटमेट मिल जाएं तो सही रहता है. चल, मूवी लगा लें.’’
‘‘हां, देखते हैं,’’ दोनों ने 1-1 इयरबड लगाया, मूवी शरू हुई, फोन उन्होंने स्टैंड पर रख लिया था. बुजुर्ग ने सोचा, अब थोड़ी देर वे आराम कर सकते हैं पर दोनों ने मूवी देखते हुए भी इतनी बातें कीं, इतनी खुसुरफुसुर की कि वे बारबार टाइम देखने लगे कि अब इन से पीछा छूटने में कितनी देर है पर जैसे ही बुजुर्ग व्यक्ति को ?ापकी आई, राहुल की आवाज उन के कानों से टकराई, ‘‘ऐक्सक्यूज मी, अंकल, मेरी दोस्त को टौयलेट जाना है.’’
अंकल ने उसे बहुत निराश, कुछ गुस्से में घूरती हुई नजरों से देखा.
रूबी राहुल से कह रही थी, ‘‘अभी फ्लाइट लैंड होने ही वाली है, राहुल. मैं बस अभी अपना मेकअप ठीक कर के आई.’’
बुजुर्ग फिर एक तरफ उठ कर खड़े हो चुके थे. इतने में अनाउंसमैंट हुई कि अब यात्री अपनी सीट पर ही बैठे रहें. बुजुर्ग फिर बैठ गए. राहुल को गुस्सा आना शुरू हो गया, ‘‘फालतू फ्लाइट है. लैंड होने से इतनी देर पहले ही टौयलेट बंद कर दिया, रूबी. मैं सामान संभालता हूं, तू फ्रैश हो कर आ जाना.’’
बुजुर्ग ने मन ही मन कहा कि बेटा, फ्लाइट फालतू नहीं है, तुम दोनों की लव स्टोरी एकदम फालतू है.’’
उन्होंने आगेपीछे बैठे लोगों पर नजर डाली, उन्हें लगा, सब उन की इस बात से सहमत हैं.