अब खुद को बदलना होगा

अपनों के बिना जीना सीखिए. कोविड-19 ने पहले घरों में  बंद कर के परिवारों को दूसरों से अलग किया अब बेसमय की मौतों ने अपनों में से 1-2 को छीन कर बिना उन के जीने पर मजबूर कर दिया है. कुछ कोविड के कारण कुछ सामाजिक बदलाव के कारण अब रिश्तेदार रिश्तेदार नहीं रह गए, दोस्त दोस्त नहीं रह गया. अगर कोई कोविड से चला गया तो अकेले ही उस की भरपाई करनी होगी, किसी का हाथ पीठ पर नहीं आएगा, किसी के 2 शब्द सुनने को नहीं मिलेंगे.

जब दहशत का माहौल होता है तो लोग दुबक जाते हैं पर यही समय होता है जब दुबकने के समय किसी का हाथ साथ में हो, पर यह दिख नहीं रहा. कोविड की दहशत कि मैं किसी के पास गई तो मु झे कोविड न हो जाए तो घर में ही मर जाएंगे, क्योंकि कोई न अस्पताल ले जाएगा न वहां जगह मिलेगी.

यहां तक कि मरने के बाद भी मरी गाय की तरह कचरा गाड़ी में पटक कर 4 और लाशों के साथ जला दिया जाए तो बड़ी बात नहीं. यह डर किसी को धैर्य बंधाने से रोकता है.

समाज को पढ़ाया गया है कि तू अकेला आया है, अकेले ही जाएगा. गीता बारबार कहती है यह बंधुबांधव सब छलावा हैं. फिर अर्जुन को बहकाती हुई वही गीता दोहराती है कि तू कहां मरने वाला है, मर तो तू पहले ही चुका है. तू मरता है तो भी तेरी आत्मा नहीं मरेगी, क्योंकि आत्मा तो नश्वर है.

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यानी रोज पट्टी पढ़ाई जा रही है कि अपने में मस्त रहो, किसी पर ध्यान न दो, अपने लिए करो और अपनों के लिए जान देने की बात न करो, उन की जान ले लो. गीता का सार यही है कि जब आफत है तो खुद की सोचो.

यह गीता पढ़े या बिना पढ़े आज पूरी तरह लागू हो रहा है. एक तो लौकडाउनों की वजह से लोग अपने रिश्तेदारों, दोस्तों के यहां गम बांटने नहीं जा सकते ऊपर से कोविड का डर और तीसरे जो धर्म का पाठ पिछले 10 सालों में जम कर पढ़ाया गया है, उस का नतीजा यह भय कि हम अकेले रह गए हैं, कुछ हो जाए तो क्या करेंगे, सब से बड़ी आपदा है, कोविड से भी बड़ी.

वास्तव में जो अकेले रह गए हैं, उन की कुछ पूछताछ नहीं हो रही है. जिन्होंने दोस्तों, संबंधियों और थोड़ी पहचान वालों के व्हाट्सऐप गु्रप बना रखे हैं, इंस्ट्राग्राम अकाउंट खोल रखे हैं, ट्विटर पर हैं, उन के यहां दुख हुआ तो मैकैनिकली सब आत्मा की शांति के हाथ जोड़े दिखा कर इतिश्रीकर लेंगे.

मरने वाले का परिवार अपने को कैसे संभाल रहा है, इस की कहीं कोई जानकारी लेने की चेष्टा नहीं, किसी भी तरह टैलीफोन पर भी 2 बोल नहीं, क्योंकि मोबाइल फोन पर ज्यादा समय तो आए मैसेजों को आगे फौरवर्ड करने में, गुड मौर्निंग बोलने में, आए मैसेजों को डिलीट करने में लग जाता है. कौन किसी को फोन कर के पूछे कि कैसे हो? कहीं उस ने कोई काम बता दिया तो क्या होगा? धर्म तो पढ़ा रहा है न कि अपने लिए जीओ.

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बिना अपनों के जीना आसान नहीं है पर करना यही पड़ेगा. औनलाइन क्लासों में गार्डनिंग, निटिंग, कुकिंग, डासिंग सीखनी होगी और बेमतलब में उसे फेसबुक, व्हाट्सऐप गु्रप में डालना होगा जहां लगभग अनजान हो चुके दोस्त, रिश्तेदार, परिचित वाहवाह कर के इतिश्री कर लेंगे. यही सुख है, यही जीवन का उद्देश्य है.

अब खुद कमाने के सूत्र सीखने होंगे. गनीमत है कि औनलाइन बहुत से तरीके हैं, बहुत से काम हैं. उद्योगों को भी ऐसे लोगों की जरूरत है, जो घर पर रह कर उन का काम कर सकें. काम छोटा हो, बड़ा हो करने को तैयार रहें, स्तर का हो या न हो, हिचकिचाहट नहीं. यह कुछ पैसे देगा, समाज से जोड़े रखेगा, आप को सारा दिन कुछ करने की प्रेरणा देगा और जो चला गया उस का अभाव भरेगा.

कोविड-19 और सत्तारूढि़यों के रूढि़वादियों के धर्म ने आज बेहद सैल्फिश बना दिया है. हमें इसी समाज में रहने की आदत डालनी होगी. समाज नहीं बदलेगा, यह गारंटी है.

तलाक के बाद करने जा रही हैं डेटिंग तो काम आ सकते हैं ये 25 टिप्स

रेखा के तलाक को 1 साल हो गया था. तलाक की इस पीड़ा से वह बड़ी मुश्किल से संभली थी. अब उस ने जीवन में आगे नए रिश्ते में बंधने का फैसला भी कर लिया. एक पार्टी में मिले अपनी जैसी ही स्थिति से गुजरे विकास से दोस्ती होने पर दोनों फर्स्ट डेट पर गए. रेखा ने उसे अपने बुरे अनुभव के बारे में बताते हुए जो पूर्व पति को कोसना शुरू कर किया उसे देख विकास सचेत हो गया. उसे रेखा का फर्स्ट डेट पर इतना नैगेटिव, गुस्सैल स्वभाव अच्छा नहीं लगा. परिणामस्वरूप बात आगे नहीं बढ़ पाई.

एक डेटिंग ऐप के जरिए मिले तलाकशुदा मीनू और राकेश जब फर्स्ट डेट पर गए तो पहली डेट पर ही उन्होंने अपनी रुचियों, दोस्तों के बारे में, एकदूसरे को जानने की इतनी कोशिश की कि दोनों ने मन ही मन तय कर लिया कि इस रिश्ते को आगे बढ़ाया जा सकता है.

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अगर तलाक के बाद किसी को डेट करने के लिए आप इमोशनली तैयार हैं, तो घर से बाहर निकलें, मन न भी हो तो भी बाहर निकलें. नए लोगों से मिलें. आर्ट, डांस, कुकिंग, कौमेडी, टैनिस, गोल्फ, पार्टी, कहीं भी जाएं, अपनी रुचि के अनुसार ही इन जगहों पर आप का नए लोगों से मिलना होगा. जब कोई अपनी रुचि, स्वभाव का मिल जाए तो उस के साथ डेट पर जाते हुए इन बातों का ध्यान अवश्य रखें:

1 छोटी-छोटी हल्की-फुल्की बातें करना शुरू करें. इस से आगे की बातचीत आसान हो जाती है. थोड़ी बहुत आम विषयों पर बात कर के आगे की बातचीत का आधार बन जाता है.

2 बौडी लैंग्वेज बहुत महत्त्वपूर्ण है. मुसकराएं पर स्वाभाविक रूप से. ऐसा कुछ न करें कि उसे लगे कि आप तो फर्स्ट डेट में ही गले पड़ रही हैं और फिर वह कभी आप से मिलना न चाहे.

3 यदि आप हंसमुख स्वभाव की हैं, तो आप के लिए कई हल्की-फुल्की बातें करना आसान होगा. अगर आप को जोक्स सुनाना पसंद है, तो सुनाएं पर अश्लील न हों, सिचुएशन में फिट बैठते हों.

4 सच लगते कौंप्लिमैंट्स दें, जैसे आप की आंखें सुंदर है, आप हंसते हैं, तो बहुत अच्छे लगते हैं.

5 आप की पर्सनैलिटी इंट्रैस्टिंग होनी चाहिए. टीवी से बाहर निकलें, शारीरिक एक्टिविटीज करें, कुछ अच्छी बुक्स पढ़ें ताकि दिमाग के सोए सैल्स जागें और आप के पास रोचक बातें हों. म्यूचुअल टौपिक पर छोटी-छोटी बातें करना शुरू करें जैसे बुक्स, मूवीज, म्यूजिक आदि पर.

6 राजनीति, धर्म और अपने पूर्व पति की बातें करने से बचें. अपने रिश्ते के बिगड़ने पर लंबी बातें बिलकुल न करें.

7 फर्स्ट डेट पर इतनी ही जानकारी दें कि आप का तलाक कब हुआ है, यह फ्रैंडली डिवोर्स था और आप अपने एक्स को आगे के जीवन के लिए शुभकामनाएं देती हूं. बस, इस से आप की डेट को पता चल जाएगा कि आप पिछले रिश्ते से आगे बढ़ चुकी हैं और आप के साथ रिश्ता रखने में उसे कोई ड्रामा देखने को नहीं मिलेगा.

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8 अपनी डेट की किसी बात पर भाषण न दें, ज्यादा सवाल न पूछें. ऐसा महसूस न कराएं कि जैसे आप उस का इंटरव्यू ले रही हों.

9 डौमिनेटिंग न हों, जितना बोल रही हों उतना सुनें भी.

10 आंखें मिला कर बात करें. आप ने दूसरी डेटिंग वैबसाइट्स पर भी कुछ किया हो तो उस की बात न करें.

11 जब तक इमरजैंसी न हो फोन यूज न करें.

12 आप का उद्देश्य एक-दूसरे को जानना होना चाहिए, अगले पति का इंटरव्यू नहीं.

13 यह धारणा न बना लें कि सब पुरुष एक जैसे ही होते हैं. यह न सोचें कि आप का तलाक हुआ है तो आप में ही कोई कमी है. अपना आत्मविश्वास कम न होने दें. तलाक जीवन का दुखद अनुभव होता है, पर प्यार के बारे में सकारात्मक ही सोचें.

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14 डेटिंग से पहले स्वयं को इस रिश्ते के लिए मानसिक रूप से तैयार कर लें. पिछले रिश्ते में हुए दुखद अनुभवों का कारण समझ लें, गुस्से से डेटिंग शुरू न करें. काउंसलिंग सैशंस ले रहा हों तो बीच में न छोड़े ताकि फिर गलत लोगों को न चुन लें. पहले अपनी पसंद की चीजों की लिस्ट बनाएं और फिर उन्हें करना शुरू करें जो आप को खुश रखेंगी.

15 तलाक के बाद डेटिंग आसान नहीं है. अपने आसपास अच्छे लोगों का ग्रुप रखें जो आप को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहे.

16 आगे बढ़ने से पहले 5-6 बार डेट पर जाएं. कैमिस्ट्री समझ आने के बाद बाहरी लुक के अलावा करुणा, विश्वसनीयता, पारदर्शिता, ईमानदारी और इंटैलिजैंस भी देख लें.

17 औनलाइन पोस्ट किए आप के फोटो अच्छे, मुस्कराते हुए हों और सिर्फ आप के ही हों. बच्चों, पालतू जानवरों, दोस्तों के नहीं.

18 मैसेज करना ठीक है पर इतना ही कि पहुंच रही हूं या लेट हो रही हूं. सारी बातचीत मैसेज में ही न हो, क्योंकि इस से इंटिमेसी खत्म हो सकती है. यदि कोई आप को बहुत मैसेज करता हो तो सुझाव दें कि इस के बजाय बात ही कर लें. किसी से बात करना और उस के साथ समय बिताना ही उसे जानने का सर्वोत्तम तरीका है.

19 नए रिश्ते में सैक्स अच्छा लग सकता है पर बहुत जल्दी इस के लिए तैयार न हों, क्योंकि औक्सीटोसिन ऐस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरौन और डोपामाइन अपना प्रभाव दिखा रहे होते हैं. अपनी फर्स्ट डेट पर किसी के साथ सोएं नहीं.

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20 डेटिंग एक प्रक्रिया है. सबकुछ बहुत तेज स्पीड में होने की आशा न रखें. धैर्य और सकारात्मकता से काम लें.

21 चाहे आप को औस्कर या नोबेल प्राइज ही क्यों न मिला हो, डींगे न हांकें. डींगे हांकने में असुरक्षा दिखती है.

22 इस बात से डरें नहीं कि वह आप को रिजैक्ट कर सकता है. सामान्य रहें. अपने स्वाभिमान को आहत न होने दें.

23 चूंकि एक महिला अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डेट पर समय बिताने के लिए कई बार दुविधा में रहती है तो उस की डेट पर उसे यह महसूस करवाना चाहिए कि आप उस के साथ सेफ हैं, अपने बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए जैसे कहां काम करती हैं, दोस्त कौन-कौन हैं, खाली समय में क्या करना पसंद करती हैं.

24 फर्स्ट डेट पर ऐसे सवाल पूछ सकते हैं. क्या आप ने किसी और देश की यात्रा अकेले की है? क्या आप का मन करता है कि सब छोड़ कर घूमने निकल जाएं? क्या आपको हौरर मूवीज पसंद हैं? विशेषज्ञों की राय है कि यदि कोई इन 3 सवालों के जवाब वैसे ही देता है जैसे आप देते, तो यह आप का सही मैच हो सकता है.

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25 सुस्ती, देरी डेट के प्रति असम्मान दिखाती है. इसलिए समय पर पहुंचें.

क्या चावलों को पकाने से पहले पानी में देर तक धोया जाए, तो उनके पौष्टिक गुण घट जाते हैं?

सवाल-

क्या यह बात सच है कि चावलों को पकाने से पहले यदि उन्हें पानी में देर तक धोया जाए, तो उन के पौष्टिक गुण घट जाते हैं? मेरी बुआ अकसर ही हमें इस बात के लिए टोकती रहती हैं, पर मां कहती हैं यह तो बुआ की आदत है. आप ही बताएं कि सचाई क्या है?

जवाब-

यह बात सच है कि पकाने से पहले यदि चावल पानी में अधिक धोए जाएं, तो उन के कुछ पौष्टिक गुण नष्ट हो जाते हैं. सचाई यह है कि चावल में थाइमिन और निकोटिनिक ऐसिड नामक जल में घुलनशील 2 विटामिन पाए जाते हैं. पानी में देर तक धोने से ये पौष्टिक तत्त्व 40% तक घट सकते हैं.इसी प्रकार चावलों के पकने पर उन में से मांड़ निकाल कर फेंक देना भी ठीक नहीं. इस से उन में उपस्थित कुदरती विटामिन और खनिज नष्ट हो जाते हैं. चावल के पौष्टिक गुण बनाए रखने के लिए 2 साधारण सावधानियां बरतना अच्छा है- पहला यह कि चावल कम से कम पानी में धोएं और दूसरा, उसे उबलने के लिए पतीली में रखते समय पतीली में उतना ही पानी डालें जितना कि चावलों में समा जाए.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

क्यों फिल्म व सीरियल निर्माता मुंबई व महाराष्ट्र राज्य से बाहर जाने को हो रहे मजबूर

महाराष्ट्र में शिवसेना,कॉग्रेस और एनसीपी की सरकार के रवैए से एक बात साफ तौर पर सामने आ रही है कि यह सरकार फिल्म इंडस्ट्री की तबाही का कारण बन रही है. और इस सरकार की अपनी कार्यशैली के ही चलते धीरे धीरे फिल्म निर्माताओं ने अपनी फिल्म,सीरियल,वेब सीरीज आदि की शूटिंग मुंबई व महाराष्ट्र राज्य से बाहर दूसरे राज्यों में करने पर मजबूर हो रहे हैं,जिसका फायदा गुजरात,मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश को हो रहा है. पर महाराष्ट्र सरकार को इस दिशा मेंं नए सिरे गंभीरता से सोच विचार करने की जरुरत है.

कोरोना महामारी व लॉक डाउन के चलते देश की ही तरह महाराष्ट्र राज्य में भी पिछले लगभग सवा एक वर्ष में सभी उद्योग धंधे चैपट हुए हैं. फिल्म,सीरियल व वेब सीरीज की शूटिंग बंद हुई,जिसके चलते तकरीबन पॉंच लाख से अधिक डेली वेजेस वर्कर के सामने दो वक्त की रोटी का संकट गहरा गया है. कोरोना की पहली लहर के बाद  जुलाई 2020 में कई तरह की पाबंदियों व सुरक्षा उपायों के साथ फिल्म व सीरियल की शूटिंग थोड़ी बहुत शुरू हुई थी,लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के चलते महाराष्ट्र सरकार ने पिछले दो माह से कड़क लॉक डाउन लगाकर फिल्म,सीरियल आदि की शूटिंग व फिल्म निर्माण से जुड़े हर काम पर पूरी पाबंदी लगा रखी है. जबकि दूसरे राज्यों में ऐसा नही है. मुंबई व महाराष्ट्र के दूसरे शहरो में  सुरक्षा उपायों के साथ लगातार फिल्म व टीवी सीरियल की शूटिंग हो रही है. महाराष्ट्र सरकार ने पाबंदी लगायी, तो कई सीरियल निर्माता अपनी पूरी युनिट के साथ गोवा व गुजरात पहुंच गए. मसलन,‘सब टीवी’के लोकप्रिय हास्य सीरियलों ‘हप्पी की उलटन पलटन’और ‘भाबी जी घर पर है’’को इन दिनों गुजरात के सूरत शहर के एक होटल में फिल्माया जा रहा है और निर्माता बेनीफर व संजय कोहली का दावा है कि इससे उनके सीरियलांे के कथानक में एक नई ताजगी आ गयी है.

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इतना ही नही 15 जून से कई निर्माता अपनी फिल्मो की शूटिंग करने के लिए मुंबई,महाराष्ट्र से बाहर जाने पर मजबूर हो रहे हैं. जी हॉ!मध्य प्रदेश में जून से फिल्में, वेब सीरीज और सीरियलों की शूटिंगों को इंडस्ट्यिल वर्क्स के दायरे में लाने की कवायद जारी है. जिससे  वहां 15 जून से आधा दर्जन फिल्मों की शूटिंग शुरू हो जाएगी. एमपी टूरिज्म के ऑफिसर हनी दीक्षित के मुताबिक,’वर्बली तो ग्लैमर जगत से जुड़े काम इंडस्ट्रियल वर्क्स माने जाते हैं,मगर लिखित में ऐसा है कि नहीं,वह देखा जा रहा है. वैसे भी राज्य के 90 फीसदी जिले अनलॉक हो गए हैं. एकाध दिनों में साफ हो जाएगा कि कहां-कहां शूटिंग करना मुमकीन हैं. ‘

सूत्रों के अनुसार फिल्म ‘ह्विस्लब्लोअर’की शूटिंग भोपाल में शुरू होगी. नेटफ्लिक्स वालों ने ‘नैना’ तो लॉकडाउन लगने से पहले ही पूरी कर ली थी. अब बॉबी देओल, विक्रांत मैस्सी और सान्या मल्होत्रा की फिल्म ‘लव होस्टल’की शूटिंग  भी भोपाल में की जाएगी. भोपाल, इंदौर जैसे शहरों में ‘ब्रीद3’ की शूटिंग को अभिषेक बच्चन भी आने वाले थे, मगर अब यह दिल्ली शिफ्ट हो चुकी है. यह आम प्रक्रिया के तहत हुआ है. दिल्ली से सूत्रों ने बताया कि ‘ब्रीद3’ में पिछली कहानी की कंटीन्यूटी नहीं रहेगी. कई अन्य फिल्में भी मध्यप्रदेश में फिल्मायी जानी है. फिल्म ‘पोन्नियन सेल्वन’ की फिर से मध्यप्रदेश में शूटिंग होगी. इसमें  ऐश्वर्या राय बच्चन और विक्रम की अहम भूमिकांए हैं. इन दोनों कलाकारों के साथ सैकड़ों जूनियर आर्टिस्ट भी पुराने शहर के दृश्यों का फिल्मांकन मंडावा और महेश्वर में करेंगे. आनंद एल राय अपनी फिल्म‘अतरंगी रे’व एक अन्य फिल्म की शूटिंग के लिए उत्तर प्रदेश जाने वाले हैं. अक्षय कुमार की फिल्म‘‘रामसेतु’भी अब उत्तर प्रदेश में ही फिल्माने की चर्चा हो रही है.

एक फिल्म प्रोडक्शन हाउस से जुड़े शख्स ने अपना नाम उजागर न करते हुए कहा-‘‘मध्यप्रदेश में 15 जून से कई बड़े बजट की फिल्मों का फिल्मांकन शुरू हो जाएगा. क्योकि वहां पर एंटरटेनमेंट से जुड़े कार्यों को औद्योगिक विषय में रखा गया है. इस आधार पर अब शूटिंगें शुरू करने की इजाजत मिल जाएगी.

यूं तो ‘फेडरेशन आफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलॉइज’और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई संगठन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मुंबई व उसके आसपास,जहंा पर कोरोना के मामले कम आ रहे हैं,वहां पर शूटिंग शुरू करने की इजाजत देने की मांग कर चुके हैं. एफडब्लूआइसीई  ने मुंबई में फिल्म व सीरियल की शूटिंग को इंडस्ट्री एक्ट के तहत इजाजत देने की मॉंग कर चुकी है. एफडब्लूआइसीई के अध्यक्ष बीएन तिवारी ने कहा,’ पिछले डेढ़ साल से लाखों सिने आर्टिस्ट, वर्कर्स और टेक्नीशियन बेरोजगार घर पर बैठे हुए हैं. डेली वेजेज वर्कर्स तो पूरी तरह शूटिंग पर निर्भर हैं. मुंबई में  लॉकडाउन फिर से 15 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है. ऐसे में हालात और विकट हो जाएंगे,जबकि हम भी इंडस्ट्रयिल एक्ट के दायरे में आते हैं. हम भरोसा दिलाते हैं कि हम सेट पर पूरे एहतियात और प्रोटोकॉल के तहत शूट करेंगे. ‘मगर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने चुप्पी साध रखी है. परिणमतः यश राज फिल्मस को अपनी फिल्म‘‘टाइगर 3’’का सेट तोड़ना पड़ा. अब वह भी दूसरे राज्य में शूटिंग करने पर विचार कर रहे हैं.

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सूत्रों की माने तो महाराष्ट्र सरकार के अंदर ही खींचतान चल रही है. गुरूवार,तीन जून को आपदा प्रबंधन मंत्री विजय वडेत्तिवार,जो कि कॉंग्रेस कोटे से मंत्री हैं, ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक के बाद घोषणा की कि चार जून से 18 जिले पूरी तरह से खुल जाएंगे,मगर चंद घंटों बाद ही मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस आदेश को पलट दिया. यानी कि सरकार के मंत्रियों के बीच भी समन्वय का अभाव है.

इसके बाद से कई दूसरे फिल्मकारो ने भी अब दूसरे राज्यो में जाकर शूटिंग करने पर विचार करना शुरू कर दिया है.

13 साल की हुई बजरंगी भाईजान की ‘मुन्नी’, शेयर की बर्थडे फोटोज

बौलीवुड के दबंग खान यानी सलमान खान संग फिल्म बजरंगी भाईजान में स्क्रीन शेयर करने वाली चाइल्ड मुन्नी उर्फ एक्ट्रेस हर्षाली मल्होत्रा 13 साल की हो चुकी हैं, जिसकी फोटोज शेयर करते हुए फैंस को जानकारी दी है. फैंस के साथ अपने बर्थडे की फोटोज शेयर करते हुए अपने बर्थडे सेलिब्रेशन की झलक दिखाई हैं. आइए आपको दिखाते हैं सेलिब्रेशन की खास फोटोज…

हर्षाली मल्होत्रा ने शेयर की फोटोज

हर्षाली मल्होत्रा ने इंस्टाग्राम पर अपनी केक काटते हुए फोटोज शेयर की हैं. परिवार संग हर्षाली के लिए पिंक कलर के केक संग फोटोज शेयर की है. कोरोना के चलते छोटे सेलिब्रेशन के साथ हर्षाली मल्होत्रा ने फैमिली के साथ अपना बर्थडे सेलिब्रेट किया.

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टीनएजर हुईं हर्षाली

अपने बर्थडे के मौके पर हर्षाली मल्होत्रा ने बेहद खुश नजर आईं क्योंकि 13 साल की होने पर वह टीनएजर हो गई हैं. हर्षाली की क्यूट फोटोज फैंस को काफी पसंद आते हैं. इस मौके पर हर्षाली की फैमिली ने घर को गुब्बारों से सजाया था. इस मौके पर हर्षाली मल्होत्रा ने पिंक कलर की ड्रेस पहने हुए नजर आईं थी, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

इतने मिलियन हुए फौलोअर्स

बजरंगी भाईजान स्टार हर्षाली मल्होत्रा सोशलमीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं, जिसके चलते उनके फैंस की गिनती बढती जा रही है. हाल ही में हर्षाली मल्होत्रा के फौलोअर्स 1.1 मिलियन हो गए हैं, जिसके सेलिब्रेशन पर सोशलमीडिया के जरिए फैंस का शुक्रिया करते हुए हर्षाली ने केक काटकर मनाया.

बता दें, एक्ट्रेस हर्षाली बौलीवुड की किसी बड़ी फिल्म का हिस्सा बनने की तैयारी कर रही हैं, जिसके चलते वह अभी अपनी पढ़ाई और ग्रुमिंग पर ध्यान दे रही हैं.

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Karan Mehra के सपोर्ट में आईं Yeh Rishta Kya Kehlata Hai की ये एक्ट्रेस, कही ये बात

स्टार प्लस के पौपुलर सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है के नैतिक यानी एक्टर करण मेहरा इन दिनों अपनी शादीशुदा जिंदगी को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. जहां उनकी वाइफ निशा रावल घरेलू हिंसा का आरोप करण मेहरा पर लगा चुकी हैं तो वहीं उनके बेटे काविश की कस्टडी को लेकर दोनों के बीच मतभेद चल रहे हैं. वहीं इस मामले में कई लोग जहां निशा रावल का सपोर्ट करते नजर आ रहे हैं तो वहीं अब करण मेहरा के सपोर्ट में उनकी औनस्क्रीन बहन आ खड़ी हुई हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

औनस्क्रीन बहन ने किया सपोर्ट

 

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करण मेहरा और निशा रावल दोनों ही खुद को सही साबित करने में जुटे हुए हैं. वहीं अब इस मामले में टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) में काम कर चुकी एक्ट्रेस निधि उत्तम भी करण मेहरा के सपोर्ट में आ गई हैं. सीरियल में करण मेहरा की बहन का रोल निभा चुकीं निधि उत्तम ने एक इंटरव्यू में कहा है कि ‘मैं बुरे सपने में भी नहीं सोच सकती हूं कि करण हिंसात्मक होगा. वो मेरे लिए भाई जैसा है और मुझे याद है जब हम ये रिश्ता क्या कहलाता है में काम करते थे तो वो सेट पर हर एक औरत की कितनी इज्जत करता था. मैं इस वजह से उसकी खूब तारीफ किया करती थी.’

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निशा के लिए कही ये बात

 

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निधि उत्तम ने आगे कहा, ‘जब करण ये रिश्ता क्या कहलाता है की शूटिंग कर रहा था तब वो निशा को डेट कर रहा था. तो सेट पर हर किसी को उस रिश्ते के बारे में पता था. मैंने देखा कि वो निशा को पागलों की तरह प्यार करता था. वो निशा का खूब ख्याल रखता था. करण बिना बात के अपनी निजी जिंदगी को लेकर कुछ भी नहीं कहता है. हम जब साथ में डिनर करने जाते थे तो निशा भी आती थी और हर कोई इनकी खूबसूरत बॉन्डिंग को महसूस करता था. मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि इनके रिश्ते में भी भूचाल आ सकता है. निशा हमेशा से ही चंचल रही है और मैंने खबरों में उसके बाइपोलर डिसॉर्डर के बारे में पढ़ा है. मुझे नहीं पता कि इस डिसऑर्डर से जूझ रहा इंसान किस तरह से रिएक्ट करता है. मुझे इतना पता है कि निशा हमेशा से ही नई-नई चीजों को लेकर काफी उत्साहित रहती थी. कोरोना वायरल लॉकडाउन की वजह से कई लोगों की मेंटल हेल्थ पर असर पड़ा है लेकिन इतना यकीन के साथ कह सकती हूं कि करण ने निशा को नहीं मारा होगा. मैं चाहती हूं कि दोनों के बीच सब ठीक हो जाए और दोनों अपने बच्चे के लिए साथ आ जाए.’

 

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बता दें, हाल ही में निशा रावल ने करण मेहरा के अफेयर होने की बात कही थी, जिसके चलते इन दिनों जी पंजाबी पर आने वाले टीवी शो ‘मावां दी ठंडिया छावां’ में करण मेहरा संग काम कर रही हिमांशी पराशर (Himanshi Parashar)  फैंस के गुस्से का शिकार हो रही हैं. कुछ लोगों का कहना है कि वह उनके कारण करण मेहरा का घर टूटा है.

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क्या आपके बच्चे के बालों में जूंएं हैं

लेखिका-सोनिया राणा

एक मां अपने बच्चे का गर्भधारण से ले कर जीवनपर्यंत उस का खयाल रखती है. उस के लिए क्या बेहतर है, किस खाने और शारीरिक ऐक्टिविटी से बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास बेहतर होगा से ले कर उस के भविष्य तक को ले कर एक मां ही है, जो सब से ज्यादा सोचती है.

ऐसे में जब कभी बच्चा बीमार हो जाए तो मां उस के ठीक होने के लिए क्या कुछ नहीं करती. एक मां की केयर में सब से पहले उस के बच्चे ही आते हैं. उस की कोशिश रहती है कि उस के बच्चे चिंतामुक्त हो खुशहाल और स्वस्थ जीवन बिताएं.

अगर ऐसे में हम कहें कि कोई है, जो दिनरात आप के बच्चे का खून चूस रहा है तो कैसे कोई मां चैन की नींद सो सकती है.

दरअसल, यहां बात जूंओं की हो रही है, जो स्कूल या पार्क में खेलखेल में मासूम बच्चों के बालों में घुस कर उन के सिर से खून चूसती हैं, जिस से बच्चा खेल और पढ़ाई से हट कर हर वक्त सिर्फ सिर में खुजली कर के परेशान होता रहता है.

दरअसल, जूंओं की प्रकृति ऐसी होती है कि वे बहुत जल्दी बालों में गंदगी और पसीने से पैदा हो जाती हैं एकदूसरे की टोपी प्रयोग करना या फिर दूसरे का तकिया, कंघी या फिर तौलिया प्रयोग करने से फैल जाते हैं.

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यों करें जूंएं खत्म

अगर आप के बच्चे भी दोस्तों के साथ जूंएं साथ ले कर घर आएं तो आप को उन की दोस्ती खत्म करने के बजाय जूंओं को खत्म करने की जरूरत है. अब इस के बाद आप यह भी सोचेंगी कि कहीं बाजार में मिलने वाले जूंओं से छुटकारा दिलाने का वादा करने वाले प्रोडक्ट्स में मौजूद कैमिकल्स से आप के बच्चे को कोई नुकसान तो नहीं होगा? तो परेशान होने की जरूरत नहीं, बल्कि इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए ऐसे प्रोडक्ट्स को चुनने की जरूरत है, जो आप के बच्चे के लिए सेफ भी हों और जूंओं के लिए असरदार भी.

हालांकि बहुत से लोग आप को जूंओं से छुटकारे के लिए नीम का तेल, टीट्री औयल, बेकिंग सोडा और विनेगर जैसे घरेलू नुसखों को आजमाने की सलाह भी देंगे, लेकिन देखा गया है कि ये नुस्खे जुंओं पर कुछ हद तक ही काम कर पाते हैं और परेशानी लगातार बनी रहती है, क्योंकि जूंएं रोजाना 8 से 10 अंडे देती हैं.

इन से छुटकारा पाने के लिए जरूरी है कि आप ऐसे प्रोडक्ट्स चुनें, जो गुलदाउदी, शिकाकाई और रीठा के गुणों से युक्त हों, जिस में गुलदाउदी ऐक्सट्रैक्ट जूंओं से आप के बच्चे को छुटकारा देगा, साथ ही उस में मौजूद शिकाकाई और रीठा बालों को मजबूती देंगे.

कैसे करें इस्तेमाल

– बालों को पहले किसी साधारण शैंपू से अच्छी तरह धो लें.

– बालों को तौलिए से पोंछें, लेकिन उन में नमी रहने दें.

– बालों में अच्छी तरह ऐंटीलीस क्रीम लगाएं, कानों के पीछे भी अच्छी तरह क्रीम लगाएं.

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– बेहतर परिणाम के लिए 10 मिनट तक बालों में क्रीम को लगा रहने दें.

– 10 मिनट के बाद बालों को साफ पानी से अच्छी तरह धो लें.

– गीले बालों में पतले दांतों वाली कंघी करें.

पर्यावरण बचाना है तो फिर से कहना होगा ‘जीयो और जीने दो’

दुनिया में तमाम खूबसूरती उसकी प्राकृतिक बहुलता और विविधता के कारण है. यह बात सिर्फ निर्जीव प्रकृति पर ही लागू नहीं होती बल्कि जीवित जीवों की दुनिया पर भी लागू होती है. दुनिया में जीवन का जो चक्र है, उसमें हर जीव एक दूसरे के साथ जुड़ा हुआ है. कुछ आॅक्सीजन का उत्पादन करते हैं (ध्यान रखिए वनस्पतियों और पेड़ों को भी जीवन का हिस्सा माना जाता है) ताकि किसी भी जीव को सांस लेने में किसी तरह की दिक्कत न हो. कुछ छोटे जीव बड़े जीव प्रजातियों का भोजन बनते हैं ताकि बड़े जीव इन छोटे जीवों को नियंत्रित रखें और धरती में जीवन का अनुपात और संतुलन बना रहे. कहने का मतलब यह कि धरती में जीवन की जो मौजूदगी है, उसके लिए जीवन की यह विविधता ही जिम्मेदार है. इसलिए इस विविधता को बनाये रखना बहुत जरूरी है. अगर जीवन की विविधता नहीं बची तो फिर धरती में जीवन भी नहीं बचेगा.

वैज्ञानिक इसीलिए सबसे ज्यादा चिंतित है. क्योंकि धरती में बहुत तेजी से बायोडायवर्सिटी का क्षरण हो रहा है. सिर्फ जमीन में रहने वाली हजारों जीव प्रजातियां ही पिछले सैकड़ों सालों में नष्ट नहीं हुई हैं बल्कि समुद्र के अंदर की हजारों जीव प्रजातियों को भी या तो इंसानों ने खाकर खत्म कर दिया है या फिर अपनी ऐशपूर्ण जीवनपद्धति के चलते इनकी जिंदगी को खतरे में डाल दिया है. पूरी दुनिया में समुद्र के रास्ते जैविक तेल यानी पेट्रोल, डीजल का एक जगह से दूसरी जगह धड़ल्ले से जाने का नुकसान यह हुआ है कि समुद्र मंे सैकड़ों जीव प्रजातियां खत्म हो गई हैं. इंसान पहले मछली पकड़कर खाता था, फिर वह नदियों, तालाबों और समुद्र से मछलियां पकड़कर अपनी जीविका बनाने लगा और अब तो पिछले 50 सालों में हजारों कंपनियां समुद्र से हर दिन लाखों टन मछलियां निकालकर उन्हें अपने मुनाफे में बदल रही हैं.

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यह अकारण नहीं है कि पिछली सदी के 70 के दशक तक दुनिया की कुल 5 से 10 फीसदी जीव प्रजातियों को ही इंसानी जीवन को सुविधा और स्वादजनक बनाने के कारण अपने आपकी कुर्बानी देनी पड़ी थी. लेकिन पिछले 50 सालों में दुनिया की 50 फीसदी से ज्यादा जैव विविधता खत्म हो गई है तो इसमें इंसान के अलावा किसी और की कोई भूमिका नहीं है. हमने इतने किस्म के स्वाद और इतने किस्म के लालच पाल लिये हैं कि हर दिन समुद्र से इतनी मछली निकाली जाती है कि उसकी एक तिहाई की भी भरपायी नहीं हो पाती. धीरे-धीरे स्थितियां ये हो गई हैं कि समुद्र मछलियों से करीब करीब खाली हो गया है. सिर्फ मछलियां ही नहीं हमने न जाने कितने सीधे-सादे जानवरों को मारकर खा लिया है. आज धरती के हर कोने में हिरणों, नील गायों और हजारों ऐसे ही दूसरे जानवरों के अस्तित्व पर तलवार लटक रही है. इस सबके लिए सिर्फ इंसान ही जिम्मेदार है.

लेकिन कुदरत में कभी भी किसी की हमेशा नहीं चलती. अगर बात सिर्फ इतनी होती कि इंसान प्रकृति को भरपूर रूप से इस्तेमाल करके छोड़ देगा और उसे इसकी जरा भी कीमत नहीं देनी होगी, तो इंसान कभी भी पर्यावरण या जैव विविधता जैसे विचारों और कार्यक्रमों को नहीं जानता और न ही प्रोत्साहित करता. लेकिन इंसान जान गया है कि अगर उसे धरती में प्रलय की आशंकाओं को निर्मूल बनाना है तो उसे न सिर्फ कुदरत के साथ अस्तित्व बनाना होगा बल्कि दुनिया की तमाम जीव प्रजातियों के जिंदा रहने के लिए स्थितियां भी बनाना होगा. दुनिया में इंसान तभी बचा रह सकता है, जब वह इस ध्येय पर चले कि ‘जीओ और जीने दो’. पहले हमने अपनी तमाम बेवकूफाना हरकतों से धरती की हवा खराब की, उसका पानी खराब किया, उसकी मिट्टी खराब की. इससे नतीजा यह हुआ कि जैव विविधता के क्रम में एक तो हम कमजोर हुए और फिर हम अपने आपको बनाये रखने के लिए दुनिया के बाकी जीवों की परवाह नहीं की.

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हम लाखों जीवों को मारकर खा गये और अनगिनत जीवों के लिए अपनी सुख, सुविधाओं के चलते जीना मुहाल कर दिया. यही वजह है कि पिछले 50 सालों में 50 फीसदी से ज्यादा जैव विविधता का अंत हुआ है. अगर इस हरकत को जल्द से जल्द नहीं रोका गया तो धरती में इंसान का अस्तित्व बस कुछ ही दशकों तक सीमित रहेगा. आज दुनिया में जो 20 से ज्यादा जानलेवा वायरस मौजूद हैं, उन सबका कहीं न कहीं रिश्ता इस जैव विविधता से भी है. लोगों ने अपने पेट और स्वाद के लिए ऐसे ऐसे जानवरों को खाना शुरू कर दिया, जिनकी पहले से ही धरती में बहुत कमी थी. नतीजा यह हुआ कि वे प्रजातियां या तो नष्ट हो गईं या कहें अपने अस्तित्व से लड़ रही हैं. इन्हीं जानवरों से तमाम वायरस विकसित हुए हैं, जिनमें कोरोना भी है. हमें इन डराने वाली आपदाओं और महामारियों का कारण बनने वाले वायरसों से अगर बचना है तो हर हाल में दुनिया की बायोडायवर्सिटी को बचाना होगा.

बच्चों के ऑनलाइन क्लास के समय कुछ बातों का ध्यान रखें

कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए पिछले एक साल से बच्चों के स्कूल बंद है. जिससे बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे ऐसे में सरकार के जारी नोटिस के आधार पर पिछले कुछ समय से स्कूल और ट्यूशन टीचर द्वारा ऑनलाइन क्लास स्टार्ट हो गया है. बच्चे घर पर अपने मम्मी-पापा के मोबाइल, लैपटॉप या फिर डेस्कटॉप पर पढ़ाई कर रहे हैं. अधिकतर बच्चे ऑनलाइन क्लासेस से खुश है, क्यूंकि उनको कुछ दिन पहले मोबाइल, लैपटॉप या डेस्कटॉप जो कभी मम्मी-पापा द्वारा छूने को नहीं मिल रहा था, आज क्लास के लिए मिल रहा है, लेकिन इस सब के बाद भी बच्चों के ऑनलाइन क्लासेस को सही बनाने के लिए पैरेंट्स को भी कुछ बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है. बच्चों के ऑनलाइन क्लासेस में कोई परेशानी नहीं आए इसके लिए हम लेकर आये है कुछ आईडिया..

1.. ऑनलाइन क्लास के लिए एक अलग रूम तैयार करें

कोरोना संक्रमण के कारण बच्चों के क्लासेस ऑनलाइन हो गए, ऐसे में ऑनलाइन क्लास के लिए सबसे ज़रूर है कि बच्चे लिए एक ऐसा रूम या फिर जगह तैयार करे जहां वो शांति से पढ़ाई कर सके. कभी-कभी क्या होता है कि बच्चे को हम ऐसी जगह क्लास के लिए बैठा देते हैं जहां घर के कई सदस्य आते-जाते रहते हैं. इससे बच्चे का ध्यान भटक जाता है और फिर पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं. इलसिए सबसे पहले बच्चे की ऑनलाइन क्लासेस के लिए एक शांत जगह का चुनाव ज़रूर करें.

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2.. क्लासेस के ब्रेक में जाकर मिलें

ऑनलाइन क्लासेज में एक क्लास लगभग 30 से 45 मिनट का होता है. 30 से 45 मिनट के क्लास के बाद दस मिनट का ब्रेक ज़रूर होता है. इस ब्रेक के दौरान बच्चे से जाकर ज़रूर मिले और उसे प्रोत्साहित ज़रूर करें. उनसे ये भी पूछे कि कुछ चाहिए तो नहीं या कोई दिक्कत तो नहीं? सब ठीक है ना? ऐसे सवाल पूछने से बच्चे में सकारात्मक सोच बनी रहती है.

3.. नेट स्पीड पर खास ध्यान रखें

बच्चों के ऑनलाइन क्लासेज शुरू होने से पहले ही आप यह देख ले की मोबाइल, लैपटॉप या फिर डेस्कटॉप में जो नेट चल रहा है वो ठीक से काम कर रहा है की नहीं कई बार नेट प्रॉब्लम होने से बच्चे की पढ़ाई में रुकावट की वजह बन जाती है. ये भी ध्यान दें कि जिस जगह बच्चा क्लास लें रहा है उस जगह नेटवर्क या नेट चलने में कोई दिक्कत तो नहीं हो रही.

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क्लासेस के समय वीडियो गेम, सोशल मीडिया से दूरी बना के रखे

ऑनलाइन क्लास करते समय बच्चे कई बार कुछ टाइम मिला नहीं कि मोबाइल, लैपटॉप या डेस्कटॉप के दूसरे पेज में वीडियो गेम, सोशल मीडिया या कुछ और देखने या खेलने लगते हैं. इसलिए बच्चों के क्लास के दौरान इन बातों का भी ध्यान रखें ताकि बच्चे अच्छे से पढाई कर सकें.

Summer Special: डिनर में बनाएं मशरूम तवा फ्राई

मशरूम ऐसी सब्जी है जिसे आमतौर पर लोग कम ही पसन्द करते हैं यही नहीं कुछ लोग इसे शाकाहारी ही नहीं मानते. सफेद और हल्के क्रीम रंग की मशरूम पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है. इसमें आयरन, पोटेशियम, विटामिन डी, और एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. चूंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है जिससे इसमें ब्लड शुगर को  नियंत्रित करने की क्षमता होती है.  मशरूम में निहित चोलीन नामक पोषक तत्व शरीर की मांसपेशियों की एक्टिविटी और याददाश्त को मजबूत करने का काम करता है. इसे सूप, पिज्जा, पास्ता और सब्जी आदि बनाने में प्रयोग किया जाता है.आज हम आपको मशरूम की एक आसान रेसिपी की विधि बताते हैं.

कितने लोंगों के लिए               4

बनने में लगने वाला समय        20 मिनट

मील टाइप                             वेज

सामग्री 

ताजे मशरूम                  250 ग्राम

बारीक कटा टमाटर          1

बारीक कटा प्याज            1

लहसुन                           4 कली

बारीक कटी हरी मिर्च        4

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जीरा                               1/4 टीस्पून

हल्दी पाउडर                   1/4 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर             1/4 टीस्पून

गरम मसाला                     1/4 टीस्पून

धनिया पाउडर                    1 टीस्पून

नमक                                स्वादानुसार

नीबू का रस                       1 टीस्पून

कटा हरा धनिया                 1 टीस्पून

तेल                                   2 टेबलस्पून

विधि

मशरूम को साफ सूती कपड़े से पोंछकर पानी से धो लें. तने को थोड़ा सा काटकर मशरूम को  4 टुकड़ों में काट लें. भारी तले के तवे पर तेल गरम करके प्याज, लहसुन, हरी मिर्च को सॉते करें. अब टमाटर, शिमला मिर्च व सभी मसाले डालकर ढककर धीमी आंच पर 5 मिनट तक पकाएं. जब मसाला तेल छोड़ दे तो मशरूम और आधा कप पानी डालकर ढक दें. 5 मिनट बाद खोलकर पलटें और पुनः 5 से 7 मिनट तक ढककर पकाएं. नीबू का रस और हरा धनिया डालकर सर्व करें.

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