कोरोना महामारी में शादी की उलझनों से मैं परेशान हो गई हूं?

सवाल

मैं 24 वर्षीय युवती हूं. हाल ही में मेरी शादी होने वाली है. अभी चूंकि कोरोना महामारी का प्रकोप है इसलिए शादी सादे समारोह और 10-20 लोगों के बीच ही होगी. मगर समस्या सुहागरात को ले कर है. सुना है, इस समय सैक्स संबंध बनाना भी खतरे से खाली नहीं है. कृपया उचित सलाह दें?

जवाब

यह अच्छा है कि शादी समारोह में सावधानी बरतने को    ले कर आप व आप का परिवार सजग है. इस समय अधिक भीड़ न जुटाई जाए, यह दोनों पक्षों के लिए अच्छा है.

रही बात शादी के बाद सैक्स संबंध को ले कर, तो कोरोना काल में सुहागरात के दिन सैक्स संबंध को ले कर मन में किसी तरह का भय नहीं रखें.

अगर आप व आप का पार्टनर ऐहतियात बरत रहे हैं और भीड़भाड़ वाले इलाके में नहीं गए हैं तो डर की कोई बात नहीं है.

जब तक व्यक्ति में कोरोना का कोई लक्षण न दिखे, उसे बुखार, सर्दीजुकाम, नाक बहना, भूख न लगना व स्वादहीन होने को अनुभव न हो वह पूरी तरह सुरक्षित है और दैनिक कार्यों की तरह ही शारीरिक संबंध भी बना सकता है.

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अपनी शादी की बात सुन कर दिव्या फट पड़ी. कहने लगी, ‘‘क्या एक बार मेरी जिंदगी बरबाद कर के आप सब को तसल्ली नहीं हुई जो फिर से… अरे छोड़ दो न मुझे मेरे हाल पर. जाओ, निकलो मेरे कमरे से,’’ कह कर उस ने अपने पास पड़े कुशन को दीवार पर दे मारा. नूतन आंखों में आंसू लिए कुछ न बोल कर कमरे से बाहर आ गई.

आखिर उस की इस हालत की जिम्मेदार भी तो वे ही थे. बिना जांचतड़ताल किए सिर्फ लड़के वालों की हैसियत देख कर उन्होंने अपनी इकलौती बेटी को उस हैवान के संग बांध दिया. यह भी न सोचा कि आखिर क्यों इतने पैसे वाले लोग एक साधारण परिवार की लड़की से अपने बेटे की शादी करना चाहते हैं? जरा सोचते कि कहीं दिव्या के दिल में कोई और तो नहीं बसा है… वैसे दबे मुंह ही, पर कितनी बार दिव्या ने बताना चाहा कि वह अक्षत से प्यार करती है, लेकिन शायद उस के मातापिता यह बात जानना ही नहीं चाहते थे. अक्षत और दिव्या एक ही कालेज में पढ़ते थे. दोनों अंतिम वर्ष के छात्र थे. जब कभी अक्षत दिव्या के संग दिख जाता, नूतन उसे ऐसे घूर कर देखती कि बेचारा सहम उठता. कभी उस की हिम्मत ही नहीं हुई यह बताने की कि वह दिव्या से प्यार करता है पर मन ही मन दिव्या की ही माला जपता रहता था और दिव्या भी उसी के सपने देखती रहती थी.

‘‘नीलेश अच्छा लड़का तो है ही, उस की हैसियत भी हम से ऊपर है. अरे, तुम्हें तो खुश होना चाहिए जो उन्होंने अपने बेटे के लिए तुम्हारा हाथ मांगा, वरना क्या उन के बेटे के लिए लड़कियों की कमी है इस दुनिया में?’’ दिव्या के पिता मनोहर ने उसे समझाते हुए कहा था, पर एक बार भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि दिव्या मन से इस शादी के लिए तैयार है भी या नहीं.

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घर पर बनाएं वेजिटेबल मंचूरियन

अगर आप फैमिली के लिए घर पर कुछ टेस्टी और हेल्दी डिश ट्राय करना चाहती हैं तो वेजिटेबल मंचूरियन आपके लिए परफेक्ट डिश है. ये आप आसानी से और हेल्दी तरीके से बनाकर अपनी फैमिली को खिला सकती हैं.

सामग्री:

– बंद गोभी (1 कप कटी हुई)

– अदरक (बारीक कटा 2 इंच)

– हरी मिर्च (2 बारीक कटी)

– कौर्न फ्लोर (50 ग्राम)

– नमक (2 टेबलस्पून)

– टोमेटो कैचअप (2 चम्मच)

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– पानी (1 कप)

– गाजर (कटी और कद्दूकस की हुई)

– लहसुन की कलियां (बारीक कटी हुई)

– स्प्रिंग अनियन (बारीक कटा हुआ 1/2 गुच्छा)

– मैदा (2 टेबलस्पून)

– काली मिर्च पाउडर (1 चम्मच)

– सोया सास (2 चम्मच)

– रिफाइंड तेल (1 कप)

गार्निशिंग के लिए

बारीक कटी हुई स्प्रिंग अनियन की पत्तियां 1 डंठल

बनाने की वि​धि

– बंदगोभी और गाजर से एक्सट्रा पानी निकाल दें.

– इसमें कौर्नफ्लोर, काली मिर्च पाउ़र, नमक, अदरक, लहसुन, कटा स्प्रिंग अनियन और मैदा डालकर मिलाएं.

– अगर इसकी बौल्स बनाने में दिक्कत आ रही हो तो इसमें और कौर्न फ्लोर डाल सकती हैं.

– बौल्स को आधे घंटे के लिए फ्रिज में रख दें.

– इन्हें तेल में डीप फ्राई कर लें, ब्राउन होने तक इन्हें तलें.

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– ग्रेवी बनाने के लिए पैन में तेल गरम करें और उसमें अदरक, लहसुन और स्प्रिंग अनियन का सफेद हिस्सा डालें.

– इसे तेज आंच पर थोड़ी देर चलाएं और नमक, काली मिर्च, टमैटो सौस और सोया सौस डालें.

– इसमें एक कप पानी डालें और जब ये उबलने लगे तो इसमें कार्न स्टार्च पेस्ट डालें.

– जैसे ही सास गाढ़ा होने लगे, इसमें पहले से तैयार की हुई बौल्स डाल दें और आग से हटा लें.

– स्प्रिंग अनियन का हरा हिस्सा काटें और सौस पर डालें.

– इसे फ्राइड राइस या नूडल के साथ सर्व करें.

मजबूत रिश्ते के लिए लड़ना भी है जरूरी

‘‘जराजरा सी बात पर तकरार करने लगे हो,

लगता है मुझ से बेइंतहा प्यार करने लगे हो…’’

किसी भी रिश्ते में प्यारमनुहार के साथसाथ छोटीमोटी नोकझोंक और झगड़ा होना स्वाभाविक है और इस से प्यार बढ़ता ही है. पर ध्यान रखें कि यहां छोटेमोटे झगड़े की बात की गई है जिसे हम 1-2 दिन के अंदर सुलझा लेते हैं. ऐसे झगड़े के बाद कपल्स एकदूसरे के और भी ज्यादा करीब हो जाते हैं.

भारत के लगभग 44% विवाहित जोड़े यह स्वीकारते हैं कि कभीकभार होने वाला झगड़ा जरूरी है. इस से आप को अपने पार्टनर की पसंदनासंद के साथसाथ अच्छेबुरे पहलुओं को समझने का मौका मिलता है.

हाल ही में की गई एक स्टडी भी इस बात की पुष्टि करती है. स्टडी के मुताबिक पार्टनर के साथ किसी बात पर हुई बहस या झगड़े से रिश्ता मजबूत बनता है. लगभग 1,000 लोगों पर किए गए सर्वे पर आधारित इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि जो कपल्स छोटीछोटी बातों को ले कर अपने पार्टनर से झगड़ने लगते हैं वे उन लोगों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा खुश रहते हैं जो पार्टनर की किसी बात पर बुरा मान अकेले में ही रोते रहते हैं.

स्टडी के मुख्य लेखक जोसेफ ग्रेनी के मुताबिक, कई कपल्स किसी सैंसिटिव टौपिक पर पार्टनर से लड़ाई करने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उन का रिश्ता टूट सकता है. लेकिन स्टडी में शामिल 5 में से

4 लोगों ने माना कि पार्टनर के साथ उन का रिश्ता खराब होने की अहम वजह खराब संवाद यानी बातचीत में कमी है.

इस अध्ययन से पता चलता है कि अपनी भावनाओं को अपने पार्टनर से शेयर करने और किसी बात के बुरा लगने पर पार्टनर से झगड़ा करने से रिश्ता कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत बनता है.

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झगड़ा करने वाला पार्टनर ज्यादा वफादार

शोधकर्ताओं का मानना है कि रिलेशनशिप में नाराज रहने वाले पार्टनर एकदूसरे के प्रति ज्यादा वफादार होते हैं. वे अपने पार्टनर से प्यार करते हैं, उन पर ध्यान देते हैं और उन की कुछ बातें, जो उन्हें पसंद नहीं आतीं उन में सुधार करते रहना चाहते हैं जबकि वैसे लोग जो पार्टनर से ज्यादा मतलब नहीं रखते और उन की तरफ ध्यान ही नहीं देते सामान्यतया बेवफा होते हैं. एक शोध के मुताबिक, रिलेशनशिप में झगड़ने वाले कपल्स की लवलाइफ ज्यादा स्ट्रौंग होती है और वे ज्यादा वफादार होते हैं.

शोधकर्ताओं ने 192 ऐसे जोड़ों पर शोध किया जो करीब 32 सालों से एकदूसरे के साथ थे. शोध में हर कपल से सवाल किया गया कि रिलेशनशिप में टकराव की स्थिति पैदा होने पर वे कैसी प्रतिक्रिया देते हैं? क्या झगड़े के बाद खुद को अलग कर लेते हैं या फिर स्थिति पर काबू पा लेते हैं या जो कुछ भी उन के दिमाग में चल रहा है उसे बाहर निकालना पसंद करते हैं?

ज्यादा लंबी लवलाइफ

शोधकर्ताओं ने पाया कि पार्टनर के झगड़े का रिस्पौंस उसी के अंदाज में देने वाले लोगों की लवलाइफ ज्यादा लंबी होती है. अगर आप झगड़े के दौरान अपने पार्टनर की बातों का जवाब पूरे तेवर में दे रहे हैं और अपनी बातों को पूरी तरह क्लियर कर रहे हैं, तो निश्चित तौर पर आप की बौंडिंग ज्यादा मजबूत होगी.

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि झगड़े के दौरान अपने इमोशन जाहिर न करने के बजाय उन पर बातचीत करना ज्यादा बेहतर विकल्प है. अपने पार्टनर को समझने और अपने रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए अपनी भावनाओं को जाहिर करना भी जरूरी होता है.

झगड़ा करना गलत नहीं मगर इस झगड़े को आप कैसे मैनेज करते हैं यह महत्त्वपूर्ण है. झगड़े के बाद चुप न रहें. अपनी भावनाओं को बह जाने दें. मगर इस बात का खयाल भी जरूर रखें कि आप झगड़े के दौरान अपनी सीमा पार न करें, क्योंकि झगड़ा अगर लंबा खिंच जाए या बात कड़वाहट और मारपीट तक पहुंच जाए तो फिर रिश्तों में मुहब्बत को सहेजना मुश्किल हो जाता है. कुछ बातें ऐसी होती हैं जो लड़ते वक्त भी आप को अपने पार्टनर से नहीं कहनी चाहिए. मसलन:

तुम से कुछ नहीं होगा

झगड़े के दौरान अगर आप अपने पार्टनर की इंसल्ट करने लगे हैं, तो जरा संभल जाइए. झगड़ा बढ़ रहा हो तो आप को थोड़ा रुक कर गहरी सांस लेनी चाहिए और सिचुएशन से निबटने के बारे में सोचना चाहिए न कि उसे और भी ज्यादा बिगाड़ने के बारे में. बस, इस बात का ध्यान रखें कि ऐसी कड़वी बात कभी न बोलें जिस की चोट आप का पार्टनर कभी भूल न पाए.

हमें अलग हो जाना चाहिए

झगड़े के दौरान या तुरंत बाद कोई भी बड़ा फैसला लेने से बचें. याद रखें कि इस समय अलग होने की बात करना हमेशाहमेशा के लिए आप के रिश्ते को खत्म कर देगा. आप का पार्टनर भी आप पर भरोसा नहीं करेगा, क्योंकि इस से उसे ऐसा लगेगा कि थोड़ीबहुत परेशनी आने या मतभेद होने पर ही आप भाग खड़े होने वालों में से हैं.

तुम हमेशा ऐसा करते/करती हो: वैसे तो हर बार झगड़े का मुद्दा अलगअलग होता है पर झगड़े के वक्त पुरानी बातों को ले कर बैठ जाना गलत है. वह भी ऐसी बातें जिन्हें आप पहले ही सुलझा चुके हैं, उन पर फिर से बहस करना बेवकूफी है. याद रखें, अगर आप अपने पार्टनर से प्यार करते हैं तो गड़े मुरदे उखाड़ने की भूल कतई न करें. इस से आप को कुछ भी हासिल नहीं होगा.

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मैं कमाता हूं तुम उड़ाती हो

यह ऐसी लाइन है जिसे कोई भी पत्नी सुनना नहीं चाहेगी. कभी भी अपनी कमाई का रुतबा झाड़ कर पत्नी को दबाने का प्रयास न करें, क्योंकि पति हो या पत्नी दोनों अपनीअपनी जिम्मेदारियां निभा रहे होते हैं. इन में तुलना करने का कोई सवाल ही नहीं उठता.

बात का बतंगड़ क्यों बना रहे/रही हो

बात बड़ी हो या छोटी आप के पार्टनर को पूरा हक है कि वह अपना पक्ष रखे. आप को उस की बात तो सुननी ही चाहिए. कई बार आप का साथी सिर्फ यह चाहता है कि आप बस उस की बात सुन लें. ऐसे में अपनी राय को किनारे रख कर पार्टनर के नजरिए से चीजों को देखने की कोशिश करें. इस से मामला सुलझाने में मदद मिलेगी.

तुम से बात करने का कोई फायदा नहीं

अगर आप भी कुछ ऐसा ही कहते हैं तो याद रखें कि आप बातचीत से मुंह मोड़ रहे हैं न कि वे. हां, यह अलग बात है कि कुछ लोग जिद्दी होते हैं और उन्हें समझाना मुश्किल होता है, लेकिन आप को धैर्य से काम लेना चाहिए, क्योंकि सचाई यह है कि आप और आप का पार्टनर एकदूसरे से लड़ रहे हैं और ऐसे में मुद्दे का समाधान तभी निकल सकता है जब आप बात करेंगे.

तुम अपने ऐक्स के पास वापस जाओ: झगड़े के दौरान पुराने रिश्ते के बारे में बात करना गलत है. आप के पार्टनर के दिमाग में अगर एक्स का खयाल नहीं है तो भी इस तरह की बातें उसे यह सोचने पर विवश करेंगी कि कहीं सचमुच आप भी ऐक्स की तरह छोड़ कर तो नहीं चली जाएंगी? इस तरह की बात कर के आप वास्तव में अपने जीवनसाथी को खो बैठेंगी. इसलिए बेहतर होगा कि झगड़े का रुख मोड़ने और रिश्ते को उलझाने के बजाय आप समाधान निकालने का प्रयास करें.

तुम्हारे रिश्तेदार ऐसे ही हैं

अकसर होता यह है कि जिस बात पर झगड़ा शुरू होता है उसे भूल कर हम अपने पार्टनर के रिश्तेदारों को कोसना शुरू कर देते हैं. याद रखें, झगड़े के दौरान एकदूसरे के मातापिता या भाईबहन को निशाना बनाते हुए उन के बारे में कोई अप्रिय बात न कहें. इस से झगड़ा सुलझने के बजाय और उलझ सकता है, क्योंकि अपने घर वालों के खिलाफ कोई भी नहीं सुन सकता. ऐसे में दोनों को खुद पर नियंत्रण रखना जरूरी होता है.

तुम से तो अच्छे तुम्हारे भाई/बहन/दोस्त हैं

‘तुम से तो समझदार तुम्हारी बहन/भाभी/देवरानी है. वह कभी अपने पति से बहस नहीं करती. पता नहीं तुम्हारी जबान इतनी लंबी क्यों है.’, ‘अरे पहले खुद को तो देखो. मेरे पापा और भाई जैसे कौन से गुण हैं तुम में? मैं तो तुम से शादी कर के फंस गई.’, ‘मेरी सहेली के पति को देखो. कितनी केयर करता है उस की और एक तुम हो…’

पतिपत्नी के झगड़े में ऐसी बातें अकसर सुनने को मिलती हैं. झगड़ा आप दोनों में हो रहा है. एकदूसरे की तुलना दूसरों से न करें. स्त्री हो या पुरुष कोई भी इसे सहन नहीं कर पाता.

शक्ल देखी है अपनी

‘कितनी भी क्रीम लगा लो माधुरी दीक्षित नहीं बन जाओगी, रूपरंग तो यही रहेगा न गंवारों जैसा.’, ‘अपनी कमर देखो, कमर नहीं कमरा बन गया है.’, ‘तोंद देखी है कैसे बेढंगे लगते हो.’ या ‘फिर कितनी बार कहा है सफेद बालों को रंग लो मेरे आगे एकदम बूढ़े लगते हो.’

इस तरह कभी भी अपने पार्टनर के लुक्स पर कमैंट न करें. अपनीअपनी जबान पर नियंत्रण रखें, क्योंकि ऐसी बातें इंसान कभी भूल नहीं पाता. वैसे भी उम्र के साथ मैच्योरिटी तो आती ही है.

तुम्हें कुछ समझ नहीं आता

इस तरह की बात कहने का मतलब है कि आप पूरी तरह से अपने पार्टनर के अस्तित्व को नकार रहे हैं और उन्हें इस बात का एहसास दिला रहे हैं कि वे किसी काम के नहीं हैं. झगड़े के वक्त बारबार तुम नहीं समझोगे/समझोगी कह कर आप अपने पार्टनर को नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं और यकीन मानिए ऐसी बातें रिश्ते को ज्यादा दिनों तक सहेज कर रखने नहीं देतीं.

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धार्मिक कारण

काफी विवाद धार्मिक कारणों से भी होते हैं. ‘औरतें होती ही पैर की जूती हैं’, यह सोच धर्म ने थोपी है जो हर प्रवचन, पौराणिक कथा, व्रत, उपवास में सुनीसुनाई जाती है. धार्मिक अनुष्ठानों में औरतें अपनी शक्ति और पैसा खर्च डालती हैं. यह एक अलग गुस्से का कारण बनता है जिस पर धर्मभीरू पति सीधे नहीं बोल पाता पर कुढ़ता रहता है. औरतें धर्म में समय भी बरबाद करती हैं और खुद को थका देती हैं.

कोरोनाकाल में सैनिटाइजेशन का महत्त्व

देश में जैसेजैसे अनलौक की प्रक्रिया गति पकड़ रही है वैसेवैसे स्वच्छता और सैनिटाइजेशन का महत्त्व भी बढ़ता जा रहा है. अनलौक का दूसरा चरण शुरू हो चुका है, जिस के साथ काफी गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं. औफिस, मौल, रैस्टोरैंट, मार्केट आदि सार्वजनिक स्थानों पर लोगों का आनाजाना फिर से शुरू हो चुका है. ऐसे में संक्रमण से बचाव के लिए इन स्थानों को हर 2-3 घंटे में सैनिटाइज करना जरूरी है. सही माने में अब सब से ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है.

कई अध्ययनों से इस बात की पुष्टि हुई है कि यदि कोरोना का मरीज पहले से डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से ग्रस्त हो तो जान का खतरा 8 गुना ज्यादा होता है. इस का सीधा संबंध कमजोर इम्यूनिटी और बढ़ती उम्र से है. ऐसे में मृत्यु का खतरा 60 से अधिक उम्र के लोगों में 4 गुना, 70 से अधिक उम्र के लोगों में 9 गुना और 80 से अधिक उम्र के लोगों में 15 गुना ज्यादा है.

एक तरफ जहां अधिकतर देशों का मुख्य लक्ष्य कोविड-19 के लिए वैक्सीन बनानी है, तो दूसरी ओर लोगों को बारबार इस की रोकथाम के तरीकों के बारे में भी बताया जा रहा है जैसेकि सोशल डिस्टैंसिंग, सैनिटाइजेशन, हाथ धोना, मास्क पहनना, ग्लव्स पहनना, किसी से हाथ न मिलाना आदि.

अनलौक की प्रक्रिया के साथ सभी स्थानों पर लोगों को थर्मल स्कैनिंग और सैनिटाइजेशन के बाद ही अंदर जाने की अनुमति दी जा रही है, जो बेहद जरूरी प्रक्रिया है. सरकार भी बारबार सैनिटाइजेशन और हाथों की सफाई पर जोर दे रही है ताकि लोगों को इस घातक संक्रमण से बचाया जा सके.

सैनिटाइजेशन और हाथ धोने की प्रक्रिया इस घातक स्थिति से लड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. जहां, कुछ लोग इस बात को अच्छी तरह सम?ाते हैं वहीं अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो इसे महत्त्व न दे कर लापरवाही बरत रहे हैं, जिस कारण उन्हें बाद में भुगतना पड़ेगा. इसी बात को ध्यान में रखते हुए लोगों को सैनिटाइजेशन के महत्त्व के बारे में जागरूक करना जरूरी है.

क्यों जरूरी है सैनिटाइजेशन

– आमतौर पर लोग साफसफाई और सैनिटाइजेशन के बीच फर्क नहीं कर पाते हैं, लेकिन असल में दोनों एकदूसरे से काफी अलग हैं. साफसफाई गंदगी, धूलमिट्टी और कुछ कीटाणुओं को हटाने में मदद करती है. सफाई से सभी कीटाणुओं को नहीं हटाया जा सकता है जबकि सैनिटाइजेशन कीटाणुओं की संख्या को लगभग न के बराबर कर देता है.

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– सैनिटाइजेशन कीटाणुओं का खत्म कर संक्रमण के खतरे को कम करता है.

– सैनिटाइजेशन संक्रमण को फैलने से भी रोकता है.

– सैनिटाइजेशन के लिए आप को पानी और साबुन की आवश्यकता बिलकुल नहीं है.

इसे आसानी से स्प्रे के जरीए इस्तेमाल किया जा सकता है.

– जगह छोटी हो या बड़ी, सैनिटाइजेशन कभी भी कहीं भी आसानी से किया जा सकता है.

– कंटेनमैंट जोन और अस्पतालों से संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए भी नियमित रूप से सैनिटाइजेशन का उपयोग किया जा रहा है.

– कीटाणु चाहे किसी सतह पर हों या वातावरण में, सैनिटाइजर हर प्रकार के कीटाणुओं को खत्म करने की शक्ति रखता है. यही वजह है कि हर सार्वजनिक स्थान की न सिर्फ बारबार सफाई की जा रही है, बल्कि उसे हर कुछ घंटों में अच्छी तरह सैनिटाइज भी किया जा रहा है.

बारबार धोएं हाथ

हम दिनभर में अनगिनत चीजों को हाथ लगाते हैं, जिस के कारण हमारे हाथों पर हजारोंकरोड़ों की संख्या में कीटाणु आ जाते हैं. ये कीटाणु न सिर्फ हमें बीमार कर सकते हैं, बल्कि हमें किसी बड़ी और घातक बीमारी का भी शिकार बना सकते हैं जैसेकि कोरोना वायरस.

किनकिन स्थानों पर सब से ज्यादा कीटाणु पनपते हैं?

– स्विचबोर्ड

– दरवाजों के हैंडल

– पानी की बोतल

– कुरसी

– डस्टबिन

– वाटर प्यूरीफायर

– अन्य मशीनें

– बाथरूम का नल, फ्लैश बटन, साबुन, हैंडवाश आदि

– वाशबेसिन

– परदे

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– टीवी का रिमोट कंट्रोल

इसलिए इन्हें सैनिटाइज करना भी जरूरी है तभी कोरोना के संक्रमण से बचा जा सकता है.

 -डा. बी के अग्रवाल

सीनियर कंसल्टैंट, इंद्रप्रस्थ अपोलो हौस्पिटल, दिल्ली. –   

अगला युग कैसा

वर्क फ्रौम होम देश के मध्यवर्ग की औरतों के लिए एक नई चुनौती पैदा कर रहा है. टैक्नोलौजी के आने और कोरोना के लौकडाउनों में इस के पौपुलर हो जाने की वजह से वर्क फ्रौम होम के साथसाथ ऐंजौय ऐट होम भी जम कर होने लगा है. जो बातें पहले केवल बहुत टैक्सैवियों के पल्ले पड़ती थीं अब आम लोगों तक पहुंचने लगी हैं और मोबाइल या कंप्यूटर पर जूम जैसे दसियों ऐप्लिकेशनों के जरीए घर बैठे दफ्तर का काम भी हो रहा है और रिश्तेदारों से मिलाजुला भी.

इस में चुनौती यह है कि औरतों को अब सारा दिन घर संभालना होगा. पहले उन्हें पति या बच्चों के जाने के बाद खुद के लिए जो समय मिलता था वह अब गया. अब हर समय घर में खानापीना तैयार रखो, शांति रखो क्योंकि पति वर्क फ्रौम होम में व्यस्त हैं और बच्चे औनलाइन क्लास में. औरत अगर खुद कामकाजी है तो उसे

9-10 बजे तक सब को उठा कर तैयार करवाने पर जोर देना होगा ताकि वह भी वर्क फ्रौम होम में लग जाए.

घर से बाहर निकलने का जो आनंद पहले औरतों को मिलता था चाहे कामकाजी हों या घरेलू वह अब कोरोना तक ही नहीं गायब हो गया, उस के बाद भी गायब हो जाएगा.

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अब पक्का है कि बहुत से दफ्तर घरों में काम करने के नए तरीके ईजाद करेंगे ताकि दफ्तरों का रखरखाव कम करना पड़े और अनुशासन मैंनटेन करने में सिर खपाना न पड़े.

घरों में काम करेंगे तो वर्क प्लेस पर सैक्सुअल हैरिसमैंट के मामले कम हो जाएंगे. स्कूल भी कईकई दिन बंद रख कर बच्चों को घर पर पढ़ने को कहेंगे ताकि उन्हें संभालने की मुसीबत न झेलनी पड़े. ये बदलाव परमानैंट होंगे, पोस्ट कोरोना युग का हिस्सा होंगे.

इस का मतलब यह भी है औरतों पर हर समय पति और बच्चों की मांगें चढ़ी रहेंगी. उन्हें घंटों की राहत भी नहीं मिलेगी. पति और बच्चों की सुविधाओं का तो इंतजाम करो पर वे बात करने को खाली नहीं.

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अगर रेल और हवाईजहाज चालू हो भी गए तो भी बहुत से रिश्तेदार कहेंगे कि मिल कर क्या करोगे, आप को वर्चुअल टूर करा देते हैं. यहां तक कि खाने की डिशेज ऐक्सचेंज नहीं होंगी, रैसिपियां ऐक्सचेंज होंगी.

सास भी कहेगी बहू जरा रैफ्रीजरेटर खोल कर तो दिखाओ, कब से गंदा पड़ा होगा, वर्चुअल इंस्पैक्शन होगा अब. यह युग ज्यादा खतरनाक होगा.

बच्चों के लिए जरूरी हाइजीन हैबिट्स

बच्चे घर के पौष्टिक आहार को छोड़ कर चिप्सकुरकुरे आदि के पीछे भागते रहते हैं. इस कारण उन में पोषण की कमी हो जाती है. ऐसे में बच्चों में कोरोना के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है. ऐसे में परिवारों के बड़ेबुजुर्गों की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को कोरोना से बचाव के बारे में अच्छी तरह से समझएं, व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्त्व के बारे में जागरूक करें.

बच्चों को सिखाएं ये जरूरी बातें

हाथ धोना: बच्चों को अकसर कोई अच्छी आदत सिखाने के लिए एक नया तरीका ढूंढ़ना पड़ता है, जिस से कि वे आसानी से आप की बात मानने के लिए तैयार हो जाएं. अपने बच्चों को हाथ धोने की आदत डालनी है तो पहले उन्हें सब के साथ हाथ धोना सिखाएं. इस के बाद कहें कि हैंडवाश करतेकरते उन्हें 2 बार हैप्पी बर्थडे सौंग गाना है. इस से बच्चे आसानी से आप की बात मान जाएंगे और उन के हाथ भी अच्छी तरह साफ हो जाएंगे.

लोगों से रखें दूर: चूंकि, बच्चों में संक्रमण आसानी से फैल सकता है, इसलिए उन्हें बाहर के लोगों के संपर्क में बिलकुल न आने दें. ऐसे ही यदि घर में किसी की तबीयत खराब है या कोई बुजुर्ग सदस्य है तो बच्चों को उन से दूर रहने को कहें. इस बारे में बुजुर्ग या बीमार सदस्य को भी समझ दें ताकि किसी को बुरा भी नहीं लगेगा और आप के बच्चे भी संक्रमण से बचे रहेंगे.

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खिलौनों को सैनिटाइज करें: खिलौनों के साथ खेलना बच्चों का सब से पसंदीदा काम होता है. ऐसे में बच्चे खिलौनों को घर में कहीं भी छोड़ देते हैं, जिस कारण खिलौने कीटाणुओं के संपर्क में आ जाते हैं. बच्चों की एक बुरी आदत होती है कि वे खिलौनों को चबाना या चाटना शुरू कर देते हैं, जो उन के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. इसलिए बच्चों को खिलौने देने से पहले उन्हें अच्छी तरह साफ कर सैनिटाइज करें. इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे खिलौने को चाटें या चबाए नहीं.

घर की चीजों को सैनिटाइज करें: घर की जिन चीजों को सब से ज्यादा हाथ लगाया जाता है, उन्हें दिन में कम से कम 3 बार सैनिटाइज करें. इस से वहां मौजूद कीटाणु खत्म हो जाएंगे और बच्चे कीटाणुओं के संपर्क में आने से बचे रहेंगे.

मुंह में हाथ न लगाएं: बच्चों को बताएं कि मुंह पर हाथ लगाना उन की सेहत बिगाड़ सकता है. उन्हें बताएं कि यदि वे बीमार पड़ गए तो उसे घर को बेस्वाद और बेकार खाना खाना पड़ेगा, साथ ही कड़वी दवा के बारे में भी बताएं. बच्चे ऐसी चीजों से दूर भागते हैं, इसलिए वे इस तरह आप की बात आसानी से मान जाएंगे.

खांसतेछींकते करें टिशू का इस्तेमाल: अपने बच्चों को सिखाएं कि वे खांसने या छींकने के लिए टिशू का इस्तेमाल करें. उन्हें टिशू पेपर उठाने में देरी न हो, इसलिए कुछ टिशू उन की पैंट की जेब में रख दें.

धुले कपड़े पहनाएं: बच्चों का ज्यादातर वक्त खेलकूद में गुजरता है, जिस में उन के कपड़े गंदे हो जाते हैं. इसलिए उन के कपड़े दिन में कम से कम 2 बार बदलें.

बाहर जाते समय मास्क और ग्लव्स पहनाएं: कोशिश करें कि बच्चों को कहीं बाहर न ले जाएं. इस के बावजूद वे आप के साथ जाने की जिद करते हैं तो उन्हें मास्क और ग्लव्स जरूर पहनाएं.

नवजात की स्वच्छता का ऐसे रखें खयाल

– अपने घर आए नन्हे मेहमान को कोविड-19 से बचाने के लिए सब से बेहतर तरीका है सोशल डिस्टैंसिंग. अगर आप अपने शिशु को सभी को दिखाने या सब से मिलाने के लिए उत्साहित हैं तो इस के लिए आप सोशल मीडिया ऐप जैसे कि स्काइप, व्हाट्सऐप वीडियो कौल, फेसबुक वीडियो कौल, फेसटाइम या जूम का सहारा ले सकती हैं. जो लोग आप के घर में पहले से मौजूद हैं उन्हें अच्छी तरह हाथ धोने और साफसफाई के बाद ही शिशु को छूने दें.

– शिशु को बाहर ले जाने से परहेज करें ताकि वह किसी भी तरह से वायरस के संपर्क में न आए.

– यदि घर का कोई सदस्य बीमार है तो उसे कुछ दिनों के लिए क्वारंटीन कर दें ताकि शिशु या घर के अन्य सदस्य बीमारी से बचे रहें.

– नवजात के लिए मां का स्तनपान करना काफी जरूरी होता है. हालांकि, कोरोना सांस के जरिए फैलता है, जो स्तनपान के दौरान एक मां से उस के बच्चे में आसानी से प्रवेश हो सकता है. ऐसे में नवजात को छूने से पहले हाथ धोना और स्तनपान करते समय मास्क पहनना बहुत जरूरी है. अगर मां शिशु को स्तनपान करा रही है तो उसे पहले अपने हाथों को अच्छी तरह धोना चाहिए.

– शिशु के झले, बिस्तर, खिलौनों आदि की नियमित सफाई करें.

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– शिशु के मुंह से हर वक्त दूध का लावा गिरता रहता है, जिस में कीटाणु पनपते हैं. इसलिए उस के कपड़े जल्दीजल्दी बदलें और दूध गिरते ही उस का मुंह और हाथ अच्छी तरह साफ करें.

– घर का कोई भी सदस्य शिशु को गोदी में लेने या हाथ लगाने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि उस के हाथ साफ हों और वह बाहर से न आया हो.

 -डा. के के गुप्ता

पेडिएट्रिशियन, सरोज हौस्पिटल. –

पूरी दुनिया में सबसे घिनौना सच है देह व्यापार और ह्यूमन ट्रैफीकिंग का मुद्दा -स्वरा भास्कर

पूर्व नेवी अधिकारी व रक्षा विशेषज्ञ उदय भास्कर की बेटी व अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने ग्यारह वर्ष पहले फिल्म‘‘माधोलाल कीप वाकिंग’’ से अभिनय कैरियर की शुरूआत की थी. उसके बाद उन्होने ‘गुजारिश’,  ‘लिशेन अमाया’, ‘रांझना’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’, ‘निल बटे सन्नाटा’,  ‘अनारकली आफ आरा’, ‘वीरे दी वेडिंग’ और वेब सीरीज ‘‘रसभरी’’ सहित कई फिल्में व वेब सीरीज में अपरंपरागत व सशक्त किरदार निभाते हुए एक अलग पहचान बनायी है. तो वहीं वह सोशल मीडिया पर अपनी बेबाक राय की वजह से विवादांे में रहती हैं. हमेशा सच कह देने के चलते विवाद में वह सिर्फ न फंसती हैं, बल्कि कई बार कलाकार के तौर पर काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. इन दिनों वह 21 अगस्त से ‘‘ओटीटी’ प्लेटफार्म ‘‘ईरोज नाउ’’पर प्रसारित हो रही मानव तस्करी व देह व्यापार प आधारित वेब सीरीज को लेकर चर्चा में हैं, जिसमें उन्होेने पहली बार एक पुलिस अफसर का किरदार निभाया है.

प्रस्तुत है स्वरा भास्कर से फोन पर हुई ‘एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश. . .

आपने लॉक डाउन का समय कैसे बिताया?

-कोरोना वायरस के चलते पूरे विश्व के लिए कठिन व विपत्ति का समय है. लॉक डाउन में हर किसी के अपने हाथ पांव बंधे हुए हैं. लेकिन मेरा वक्त काफी अच्छा गुजरा. पहले दो माह तो मैं अपनी कर्मभूमि मुंबई में अकेले रही. मंुबई में रहते हुए मैंने इत्तफाकन लॉक डाउन लगने के दो दिन पहले एक कुत्ता एडॉप्ट गोद लिया था. पहले दो माह का समय तो मेरे इस नए गोद लिए कुत्ते के साथ बीत गए. मेरे माता पिता दिल्ली में रहते हैं और मेरी माता जी के सोल्डर कंधे में चोट लग गयी थी, तो मैं कार चलाकर मंुबई से दिल्ली पहुॅच गयी. मई माह की बात है. उस वक्त ट्रेन व हवाई जहाज वगैरह सब बंद थे. तब से मैं दिल्ली में हूं. दिल्ली आकर सबसे पहले मैंने श्रमिकों को राहत दिलाने के काम से जुड़ी. फिर मैंने अपनी वेब सीरीज‘‘रसभरी’’का प्रमोशन किया. उसके बाद मैने वेब सीरीज‘‘फ्लेश’’की डबिंग दिल्ली में ही की, जो कि ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘ईरोज नाउ’’पर 21 अगस्त से स्ट्रीम प्रसारित होगा. एक अन्य वेब सीरीज‘‘भाग बानी भाग’’की भी डबिंग की, जो कि अगले माह आएगी. एक किताब ‘‘फारवर्ड’’ लिखी. एक फिल्म की पटकथा लिखी. अब वेब सीरीज ‘‘फ्लेश’’का प्रमोशन कर रही हूं. तो मेरा लॉक डाउन बहुत बेहतरीन गुजरा. सबसे बड़ी बात तो यह है कि मैं दस वर्ष के बाद इतने लंबे समय के लिए अपने माता पिता के साथ दिल्ली में हूं. मैं दस वर्ष पहले मुंबई गयी थी, तब से दिल्ली में लंबे समय के लिए रूकना नही हुआ, इसलिए माता पिता के साथ यह वक्त बिताना बहुत अच्छा लग रहा है.

मैने उन्नीस अगस्त 2020 को दिल्ली प्रदेश महिला आयोग की चेअरमैन स्वाती मालीवाल से मुलाकात कर उनसे लंबी बातचीत की, जिससे मुझे काफी कुछ सीखने को मिला.

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तो यह माना जाए कि आपने विपत्ति को भी सुअवसर में बदल दिया?

-हॅसते हुए. . . . एक तरीके से अवसर तो था यह.

वेब सीरीज‘फ्लेश’’का आफर मिला, तो आपको किस बात ने इससे जुड़ने के लिए प्रेरित किया?

-सबसे पहले तो इसकी विषयवस्तु ने. इसकी विषयवस्तु इंसानों की खरीद फरोख्त@ ह्यूमन ट्रैफीकिंग से जुड़ा हुआ है. देह व्यापार से जुड़ा हुआ है. देह व्यापार और ह्यूमन ट्रैफीकिंग का मुद्दा मेरी राय में पूरे विश्व का सबसे घिनौना सच है. मुझे लगता है कि यह बहुत दुःख और शर्मिंदगी की बात है कि इक्कीसवीं सदी में भी इंसानो की खरीद फरोख्त एक ऐसा व्यापार है, जो कि 2014 की आयलो की रपट के अनुसार इस घिनौने और पापा से भरे हुए व्यापार का लाभ 2150 बिलियन डालर का था. तो यह बहुत जरुरी है कि हम इस घिनौनी सच्चाई को लेकर बात करें. इस घिनौने व्यापार के खिलाफ जागरूकता फैलाई जाए. इसलिए मुझे लगा कि यह कहानी कही जानी चाहिए.

दूसरी बात जब मुझे इसके निर्देशक दानिश असलम ने इसका आफर दिया, उस वक्त मैं इटली में छुट्टियां मना रही थी. मैने अनमने मन से कह दिया कि आप स्क्रिप्ट भेज दो. उस वक्त मैं एक कैफे में बैठी हुई थी और मैं सारे एपीसोड वहीं पर पढ़ गयी, उस वक्त शायद इसके दस एपीसोड थे. बाद में इसके एपीसोड बढ़ गए. तो मुझे लगा कि इतनी रोचक पटकथा और बेहतरीन मुद्दे वाली वेब सीरीज तो मुझे करनी ही है.

तीसरी वजह यह रही कि मैंने अपने अब तक के कैरियर में कभी वर्दी नहीं पहनी थी, कभी पुलिस का किरदार नहीं निभाया था. मुझे लगा कि मेरे लिए यह बहुत बेहतरीन  मौका है, मेरे पिता उदय भास्कर स्वयं वर्दी वाले थे, जो कि अब नेवी से रिटायर हो चुके हैं. तो मेरे दिल में वर्दी के लिए इज्जत, सम्मान और एक खास जगह है. इसे अलावा मुझे लगता है कि हर पुरूष कलाकार यानी कि हीरो ने अपने कैरियर में कम से कम एक बार वर्दी पहनी होगी या पुलिस का किरदार निभाया होगा, मगर महिला कलाकारों यानी कि हीरोईनों को यह मौका कम मिलता है. कई ऐसी हीरोईनें हैं, जिनका पूरा कैरियर निकल गया, पर उन्हे मौका नही मिला. ऐसे में जब मुझे यह बेहतरीन मौका मिल रहा था, तो इसे मैं कैसे छोड़ देती.

किरदार को लेकर क्या कहेंगी?

-मैने वेब सीरीज ‘‘फ्लेश’में ह्यूमन ट्रैफीकिंग के रैकेट का सफाया करने में जुटी एसीपी राधा नौटियाल का किरदार निभाया है.

तो आपने अपने किरदार के लिए किस तरह की तैयारी की?

-मैने पुलिस वालों से बात करनी शुरू की. मैं कई महिला व पुरूष पुलिस वालों के अलावा आईपीएस अफसरों से मिली. मैने उनसे बात करके ‘ह्यूमन ट्रैफीकिंग’ को लेकर उनका नजरिया जानने का प्रयास किया. क्योंकि मुझे तो इस मुद्दे को अपने किरदार की हैसियत से देखना था. मैने पाया कि ज्यादातर पुलिस वालो ने ऐसे लोगो को ‘राक्षस’ की संज्ञा दी. इसके अलावा मैने पाया कि पुलिस वालो में बहुत ही ज्यादा फ्रस्ट्रेशन है कि वह चाहे जितना इमानदारी के साथ काम अपनी जिंदगी को जोखिम में डाल कर काम करें, मुजरिम को पकड़े, मगर व्यवस्था सिस्टम ऐसा है कि अपराधी बड़ी आसानी से उनके चंगुल से छूट जाते हैं. इसके लिए वह उपर से फोन करवाकर, घूस देकर जेल से बाहर निकल जाते हैं. तो पुलिस वालों में इसी का फ्रस्ट्रेशन है कि कानून में जो ‘लू फोल’ कमियां हैं, उसका फायदा यह अपराधी उठाना बड़ी खूबी से जानते हैं. मुझे यह बात बड़ी दिलचस्प लगी. तो मेरे अपने एसीपी राधा नौटियाल के किरदार के स्वभाव का बहुत बड़ा हिस्सा है फ्रस्ट्रेशन. मैंने फ्रस्ट्रेशन को पकड़ लिया. मैने तय किया कि एक किरदार की भावनात्मक रचना, उसके इस इमोशन यानी कि फ्रस्ट्रेशन को पकड़ कर करुंगी. मेरे लिए यह बहुत रोचक रहा.

दूसरी बात मैने कुछ समाज सेवकों से बात की जो कि ह्यूमन ट्रैफीकिंग से बच्चों व औरतों को छुड़ाने का काम करते हैं, तो पाया कि उनकी सबसे बड़ी बाधा पुलिस अफसर होते हैं. कई जगह पुलिस ही मानव तस्करी व देह व्यापार में संलग्न लोगों की मदद कर रही है. ट्रैफीकर ने बड़े स्तर पर सांठगांठ कर इसे एक व्यवस्थित अपराध बना रखा है. यह दुनिया बहुत संजीदा है. हमने इसमें कई पहलुओं को भी छुआ है.

क्या आप भविष्य में ह्यूमन ट्रैफीकिंग को लेकर कुछ करना चाहेंगी?

-मेरी राय मे सबसे हर इंसान को खुद को सशक्त व जागरूक बनना चाहिए. सूचना सबसे बड़ा सशक्तिकरण है. मैं यह दावा नही करुंगी कि मुझे ह्यूमन ट्रैफीकिंग जैसी अपराध की दुनिया के बारे में सब कुछ पता है. इसलिए पहली शुरूआत खुद को इस संबंध में शिक्षित करने से होनी चाहिए. उसके बाद दूसरों को शिक्षित करने की कोशिश करनी चाहिए.

ह्यूमन ट्रैफीकिंग पर फिल्म ‘‘मर्दानी 2’’आयी थी, जिसमें रानी मुखर्जी ने पुलिस अफसर का किरदार निभाया था. दो घंटे की इस फिल्म में सब कुछ कहना संभव नहीं था. पर आपकी वेब सीरीज ‘‘फ्लेश’’ काफी लंबी है,  तो इसमें विस्तार से हर पहलू पर बात की गयी है, ऐसा आप मानती हैं?

-जी बिलकुल आप एकदम सही फरमा रहे हैं. पहली बात तो मैं रानी मुखर्जी जी की बहुत बड़ी प्रशंसक हूं, तो उनसे तुलना ही मुझे गदगद कर देता है. जैसा आपने कहा उस फिल्म में दो घ्ंाटे का समय है, तो एक फोकश के साथ कहानी पेश करनी थी. फिल्म‘‘मर्दानी 2’’की कहानी यह है कि एक पुलिस वाली है, जो कि ह्यूमन ट्रैफीकिंग के अपराध से जुड़े लोगों के पीछे भाग रही है. जबकि हमारी वेब सीरीज‘फ्लेश’छह सात घ्ंाटे की है, तो हम इसमें एक नहीं तीन कहानियों के साथ हर पहलू पर जा सके हैं. इसमें तीन ट्ैक तो बहुत बेहतरीन है. इसमें एक पूरी दुनिया को रचाने व बसाने का प्रयास है. हमने बहुत बारीक चीजों पर काम किया है. मसलन -यदि आपने ट्रेलर या सीरीज देखी होगी, तो पाया होगा कि अपहृत लड़की मुंबई से कलकत्ता ट्क में जा रही हैं, ट्क रास्ते में कहीं रूकने वाला नही है. ऐेसे में यदि किसी लड़की को बाथरूम जाना हो तो वह क्या करेगी?तो एक दृश्य है जिसमें लड़कियों को डायपर पहनाए जा रहे हैं. यह दृश्य देखकर आपके दिल मन को बहुत बड़ा धक्का लगता है. जबकि यही सच है. तो हम इन सभी पहलुओं तक पहुंच पाए हैं.

ह्यूमन ट्रैफीकिंग को खत्म करने के लिए क्या करना बहुत जरूरी है?

-देखिए, ह्यूमन ट्रैफिकिंग को खत्म करना बहुत बड़ा मुद्दा है. सवाल यह है कि क्या दुनिया से पाप को खत्म किया जा सकता है?नहीं. . . तो ‘ह्यूमन टै्फीकिंग को भी खत्म करना मुमकीन  नहीं है. तो असल मुद्दा यह है कि हर शख्स अगर अपना काम और कर्तव्य का पालन करे, तो कुछ अंकुश लग सकता है. मतलब अगर पुलिस वाले अपना काम करें, एनजीओ वाले जो रेस्क्यू करते हैं, वह अपना काम करे.  सब लोग अपना अपना काम इमानदारी करें. सरकार सिर्फ अपना काम करे. शेल्टर होम चलाने वाले  अपना काम करें. आप अपने काम में भ्रष्टाचार मत करो. बाकी दुनिया को छोड़ो, तो मुझे लगता है कि इससे बहुत कुछ कम या खत्म हो सकता है. नागरिक होने के नाते हमें भी अपना काम सही ढंग से करना चाहिए. अगर कोई बच्चा आपको सड़क पर रोते हुए नजर आ रहा है, तो उसे अनदेखा मत कीजिए, रुकिए और उससे पूछें कि क्या हो गया? क्योंकि हो सकता है आप उसे अनदेखा करके छोड़ देंगे और उसको कोई ऐसा आदमी पकड़ लेगा, जो उसको देह बाजार में या ह्यूमन ट्रैफिकिंग के किसी नेटवर्क के हाथों बेच देगा.

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सेंसरशिप को लेकर आपके क्या विचार है?अक्सर वेब सीरीज के खिलाफ आवाजें उठती हैं और इन्हें सेंसरशिप के दायरे में लाने की मांग भी होती रहती है?

-मैं डिजिटल व ओटीटी पर सेंसरशिप के खिलाफ हूं. मुझे लगता  है कि ओटीटी की खासियत यही है कि यह सेंसरशिप से आजाद है. बाक्स आफिस के दबाव से आजाद है. इसलिए हम स्वतंत्र होकर ‘ओटीटी’ प्लेटफार्म पर नई तरह की कहानियां दिखा रहे हैं. नए तरह के किरदार पेश कर रहे हैं. ह्यूमन ट्रैफीकिंग पर इमानदारी से आप फिल्म नही बना सकते, क्योंकि सेंसर कई दृश्यों को पास नही करेगा. आप ‘सेके्रड गेम्स’को फिल्म में नही बना सकते, क्योंकि संेसर इसे पास ही नहीं करेगा. ‘पाताल लोक’, ‘लैला’व अन्य वेब सीरीज को ेसेंसर पास ही नही करेगा. ‘ओटीटी’ प्लेटफार्म पर आजादी है कुछ नया प्रयोग करने की. पर वहीं सेंसर ले आएंगे, तो फिर आप उसकी खासियत ही खत्म कर देंगे. इमानदारी से कहूं तो मेरा मानना है कि जब आप ख्ुाली हवा में जीते हैं, तो उसका आनंद ही अलग है. एक आजाद वातावरण में ही कला पनप सकती है. जब आप उस पर दबाव डालकर उस पर प्रतिबंध लगाते हैं, तो आपको कला नहीं प्रपोगंडा मिलता है.

‘‘निल बटे सन्नाटा’’हो या ‘‘अनारकली आफ आरा’’हो या फ्लेश’, आप हर जगह अपरंपरागत और सशक्त किरदार ही निभा रही हैं. इसके पीछे आपकी कोई सोच रहती है?

-देखिए, मैं यह निर्धारित नहीं करती कि मुझे किस तरह की फिल्में व किस तरह के किरदार आफर होंगे. लेकिन मैं यह निर्धारित कर सकती हूं कि मुझे किस किरदार को हामी भरना है. मुझे किस तरह की पटकथा वाली फिल्म से जुड़ना है. मुझे दर्शक किस तरह की फिल्म या किरदार में पसंद करते हैं, इस पर भी मैं गौर करती हूं. मैं बड़ी सतर्कता के साथ उन किरदारों का चयन करती हूं,  जिनमें मेरा विश्वास हो या जिस कहानी में मेरा यकीन हो या जिन विषयों में मेरी दिलचस्पी हो. मैं उनकिरदारों का चयन करना पसंद करती हूं, जिनसे मुझे अहसास हो कि कलाकार के तौर पर इससे मेरा विकास होगा. मेरी कला की बढ़ोत्तरी होगी. मेरी सोच बहुत साफ है, इसीलिए आप देखते हैं कि मैने वही काम किया है, जिसे मैं परिभाषित कर सकती हूं. मैं अपने हर काम के साथ खड़ी हूं और उसकी सफाई दे सकती हूं. शायद इसी वजह से मैं एक खास तरह के सशक्त किरदार कर रही हूं, क्योंकि मेरा विश्वास है सशक्ति करण में, मेरा यकीन महिलाओं के सशक्तिकरण में है. मैं उस किरदार या कहानी का हिस्सा नहीं बन सकती, जिस पर मेरा यकीन न हो. कलाकार के तौर पर पूरी कहानी पर विश्वास करना जरूरी नहीं है, लेकिन उस कहानी की किसी चीज पर तो आप भरोसा कर रहे हैं. कहानी की नीयत पर आपको विश्वास होना चाहिए.

बौलीवुड में नारी सशक्तिकरण की क्या स्थिति है?

-अच्छी स्थिति है. मैं हमेशा कहती हूं कि बॉलीवुड समाज का आईना है. समाज में महिलाओं की जिस तरह की स्थिति है, वैसी ही बॉलीवुड में भी महिलाओं की स्थिति है. समाज में जितनी प्रगति महिलाओं की होगी,  उतनी ही प्रगति बौलीवुड में भी महिलाओं की होगी. जितना नुकसान समाज में महिलाओं का होगा, उतना ही नुकसान बौलीवुड में भी होगा.

तमाम लोग बतौर कलाकार आपकी तारीफ करते हैं. तो कुछ लोग एक्टिविस्ट के रूप में आपकी तारीफ करते हैं. आप खुद को किस रूप में ज्यादा बेहतर मानती हैं?

-मैं अपने आप को कतई एक्टिविस्ट नहीं समझती. मैं अपने आप को एक अभिनेत्री और मैं अपने आप को एक नागरिक मानती हूं. मैं सिर्फ सवाल उठाती हूं. सवाल चाहे सरकार से पूछो, किसी नागरिक से पूछो या बौलीवुड से भी पूछ लो, चाहे किसी से पूछो. पर उस सवाल को मैं एक एक्टिविस्ट के रूप में नहीं उठा रही हूं. उस सवाल को मैं एक नागरिक होने के नाते ही उठाती हूंू. यह मेरे अंदर स्पष्ट है. मुझे लगता है कि मैं ऐसी दुनिया में हूं, जहां लोगों को दूसरों पर ‘लेबल’लगाने में बड़ा मजा आता है. अब लोगों के दिए हुए ‘लेबल’ का हम कुछ नही कर सकते.

पहले खबर आई है कि सुप्रीम कोर्ट में आपके ऊपर कोई अवमानना का केस शुरू हो रहा है. इस पर कुछ कहना चाहेंगी?

-यह तो उनसे ही पूछना पड़ेगा,  जिन लोगों ने शिकायत की है.

मतलब आपको लगता है कि लोग सच नहीं सुनना चाहते?

-इस मुद्दे पर मैं अभी कुछ भी कमेंट करने की स्थिति में नहीं हूं.

आपकी आने वाली फिल्में व वेब सीरीज कौन सी हैं?

-जैसा कि मैंने आपसे पहले ही कहा कि लॉकडाउन मेरे लिए बहुत ज्यादा प्रोडक्टिव था. जून में ‘अमैजॉन’ पर ‘रसभरी’आयी थी. अब 21 अगस्त को ‘ईरोज नाऊ’पर ‘‘फ्लेश’’ आयी है. इसके बाद ‘नेटफ्लिक्स’पर ‘भाग बानी भाग’वेब सीरीज आएगी. इसके अलावा मैंने एक फिल्म‘‘शीर कोरमा’’ की है, जो कि एलजीबीटी कम्यूनिटी पर है, यह इस साल के अंत तक आएगी. समलैंगिक संबंधों वाली इस कहानी में मेरे साथ शबाना आजमी भी हैं.

जब आप सच बोलती हैं. अपने दोस्तों के लिए चुनाव प्रचार करती हैं. तो कलाकार के तौर पर इसका आपके काम के ऊपर कितना असर पड़ता है?

-बहुत पड़ता है. मैंने लंबे समय तक इस बात को अनदेखा करने की कोशिश की थी. पहले मैं सोचती थी कि ऐसा कुछ नहीं होता है. पर अब मुझे भी लगता है कि इसका असर पड़ता है. कईयो ने मुझसे कहा कि तुम्हारी इमेज बहुत ज्यादा राजनीतिक होती जा रही है. क्या तुम राजनीति में जाना चाहती हो? तो मेरा जवाब यही होता है कि राजनीति में नहीं जाना चाहती. इस समय तो बिल्कुल भी नहीं जाना चाहती हूं. लोग कहते हैं कि फिल्मकार मुझे काम देने से डरते हैं. कुछ नेताओ का प्रचार करने की वजह से मेरा विज्ञापन का काम भी छूटा.

सी आर सी के समय तो एक ब्रांड, जिसकी में कैंपेनिंग कर रही थी, उससे मुझे निकाल भी दिया गया था. उसने बाकायदा टर्मिनेशन लेटर पर भी लिखा है कि, ‘आप सीएए और एनआरसी की खिलाफत करने वालों के साथ जुड़ी हुई हैं, उसकी वजह से हम आपके साथ काम नहीं करेंगे. ’तो उसका असर तो बहुत ज्यादा ही है. लेकिन मैं यह मानती हूं कि मैं जो चीजें करती हूं, वह मैं पैसे लेकर तो करती नहीं हूं. मैं जो चीजें थिएटर पर करती हूं या मैं जो कहती हूं, उसके पीछे मेरे आदर्श व जीवनमूल्य हैं. मेरी कुछ अपनी मान्यताएं हैं. अगर आपकी मान्यता है, तो फिर आप उसके लिए खड़े भी होंगे. आप उसके लिए  जो भी कठिनाइयां आएंगी, उसे झेलेंगे भी. उसमें आपको कुछ नुकसान होगा,  तो उस नुकसान को भी आपको झेलना पड़ेगा.

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मैं अपनी फिल्म इंडस्ट्री का एक पुराना वाकिया याद दिलानाचाहूंगी. गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी साहब ने 1956 मैं एक नजम तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर लिखी थी. इस वजह से मुंबई पुलिस ने उन्हें जेल में डाल दिया था. उनको मुंबई के राज्यपाल शायद उनका नाम खरे था, ने कहा था कि अगर तुम जेल से बचना चाहते हो, तो माफी मांगो. लेकिन मजरूह सुलतानुपरी साहब ने साफ मना किया था. उन्होंने कहा था कि अगर मुझे माफी ही मांगना होता, तो मैं यह नजम लिखता ही नहीं. तो वह ग्यारह माह तक जेल में रहे थे. जब मुंबई उच्च न्यायालय में केस आया, तो  जज ने राज्यपाल के खिलाफ बात कही कि क्या नाटक है यह?इन्हे जेल में क्यों रखा? तो मेरा मानना है कि जब आप अपने मूल्यों और अपनी मान्यताओं से कोई काम करते हैं, तो वहां पर आपको आपके दिल से अगर कोई बात कही है, तो आप उसके लिए लड़ेंगे.  उसके लिए खड़े रहेंगें.  तब आप सब कुछ झेलेंगे भी.

बारिश में फैशन का ख्याल रखें कुछ ऐसे

उत्सव के आते ही चारों तरफ खुशियों की लहर दौड़ जाती है, प्रकृति भी इसका आनंद किसी न किसी रूप में उठाती है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण ने हर व्यक्ति के इस उमंग को कम किया है, क्योंकि जरुरत के बिना लोग बाहर नहीं जा सकते, इसलिए घरों में कैद है, पर इस समय अधिकतर परिवार साथ है, ऐसे में बारिश और आने वाले उत्सवों को घर में रहकर भी बेहतर बनाया जा सकता है. फैशन को नया आयाम दिया जा सकता है. इस बारें में वरंगा के फैशन डिज़ाइनर अंकिता मंडोला कहती है कि फैशन व्यक्तित्व का आइना है और इसे आप घर पर रहकर या बाहर जाकर कभी भी किसी भी मौसम में कर सकती है. फैशन आपको अंदर से ताजगी और ख़ुशी देती है. अभी बारिश का मौसम है और  बहुत कम लोग आजकल घर से बाहर जा रहे है, क्योंकि कोरोना संक्रमण का डर है और ये सही भी है, क्योंकि जरुरत के बिना किसी को भी अब बाहर जाना ठीक नहीं, लेकिन अगर आप बाहर जाती भी है तो कुछ बातें अपने फैशन को लेकर अवश्य सोचें, जो निम्न है,

1. सावधानी से चुने कपडे

बारिश के मौसम में हल्के फेब्रिक लें, जो बारिश के पानी में भीगने पर भी जल्दी से सूख जाय, जिसमें कॉटन, शिफोन, या नायलोन सबसे अच्छे होते है, महंगे रेशम के कपडे पहनकर बाहर निकलने से बचे.

2. चटकदार रंगों का करें चुनाव

बरसात के मौसम में चटकदार रंग अपनी आभा चारों ओर फैलाते है, जिसमें खासकर चेरी, लाल, नीला, बेज आदि रंग आकर्षक होते है, इस रंग के कपडे इस साल चलन में है और किसी भी उत्सव में पहनने पर इसकी चमक सबको पसंद आती है.

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3. मैक्सिस और रैप ड्रेस का करें अधिक प्रयोग

बारिश में जब कभी भी बहर निकले या घर पर रहे तो ट्यूनिक जैसे कपडे खासकर मैक्सिस या रैप ड्रेस अधिक पहने, ये पहनने में आरामदायक होने के साथ-साथ गीले होने पर जल्दी सूख भी जाते है, फ्लेयर्ड स्लीव्स और लेस पैनल्स वाले मेक्सिस अब ट्रेंड में है.

4. पैलाजोस,  ढीली पेंट्स और क्रॉप्स का है मौसम

एथनिक लुक उत्सव के मौसम में काफी पहने जाते है, ऐसे में इसे अपने हिसाब से कस्टमाइज करें, सीधे फिट पेंट, काले लेगिंग्स के साथ शार्ट लेंथ का कुर्ता या पलाजोस के साथ किसी भी रंग  की कुर्ती आपकी फैशन को नई दिशा दे सकती है. इसके अलावा इस समय साइड स्लिट्स, फ्रंट स्लिट्स, थ्री फोर्थ स्लीव्स आदि किसी प्रकार के ऑउटफिट से उत्सव में नयी उमंग भर सकती है,

5. मास्क को भी करें शामिल

अब कही भी जाने पर मास्क पहनना अनिवार्य है और ये सही भी है, आप किसी भी उत्सव का आनंद तभी उठा सकती है जब आप खुद और आपका परिवार स्वस्थ हो, इसलिए मास्क को अपने परिधान का एक हिस्सा माने, कई ऑउटफिट के साथ आजकल मैचिंग मास्क भी मिलने लगे है, जिसका फायदा आपको मिल सकता है, परिधान के अनुरूप मास्क का चयन करें, ताकि आपका लुक सबसे अलग और एलीगेंट हो,

6. कीमत का रखे ध्यान

उत्सवों को देखते हुए फैशनेबल ड्रेस आजकल ऑनलाइन उपलब्ध है, ऐसे में कीमतों की सही जांच कर कपडे ख़रीदे, ताकि आपका परिधान आपके बजट के अनुरूप हो.

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बारिश में गीले कपड़ों को स्टोर करने के कुछ टिप्स निम्न है,

  • गीले कपड़ों को थैली में नरखे, क्योंकि इससे कपड़ों में वेक्टेरिया और फंगस पनपने का डर रहता है, जिससे कपड़ों से बदबू आने लगती है, गीले कपड़ों को जल्दी से जल्दी धो कर सुखा लें.
  • डिटर्जेंट के साथ सिरका या बेकिंग सोडा मिलाएं ताकि गीले कपड़ों की गंध दूर हो जाय.

बारिश में सुखाने के तरीके

  • कपड़ों को घर के अंदर सुखाने की कोशिश न करें, इससे कमरे में नमी अधिक फ़ैल जाती है, जो अस्वास्थ्य कर हो सकता है,
  • कपडे सूखाने वाले कमरे में नमक या चावल की एक बैग रखने की कोशिश करें, नमक नमी को जल्दी सोख लेती है, जिससे कपडे जल्दी सूखते है,
  • हेंगर के सहारे कपडे को सूखाने की कोशिश करें,
  • संभव हो तो गीले कपडे सूखाने वाले कमरे में सुगन्धित मोमबत्ती या अगरबत्ती जला दे, ताकि एक अच्छी खुश्बू कपड़ों में फैले.

बरसात में कपड़ों को अलमारी में रखते समय कुछ बातों का दे ध्यान

  • हल्के गीले कपडे भी अलमारी में कभी न रखे,
  • कर्पूर से भरा मलमल का एक कपडा अलमारी में अवश्य रखें, इससे अलमारी के कपडे फंगस फ्री हो जायेंगे,
  • नीम की सूखी पत्तियों को भी अलमारी में रखना फायदेमंद होता है,
  • अलमारी में कम वोल्टेज की बल्ब लगाने से हल्की गर्मी होगी ,जिससे बेक्टेरियां दूर रहेगा,
  • चाक की कुछ छडेअलमारी में रखने से अलमारी की नमी कम होगी और कपडे फ्रेश रहेंगे.

स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए ट्राय करें 200 से कम की कीमत के ये फेसवौश

औयली स्किन हो या ड्राई स्किन फेसवौश की जरूरत हर किसी को पड़ती है. आजकल के पौल्यूशन में फेस न धोयें तो यह स्किन को नुकसान पहुंचाता है और अगर किसी नौर्मल साबुन से फेस धोएं तो यह स्किन को डैमेज भी कर सकता है. इसलिए फेस के लिए फेसवौश जरूरी है. पर मार्केट में कई तरह के फेसवौश आ गए हैं, जो स्किन के लिए तो अच्छे होते हैं, लेकिन महंगे होते हैं. आज हम आपको कुछ सस्ते और अच्छे फेसवौश के बारे में बताएंगे जिसे आप मार्केट या औनलाइन खरीद सकते हैं.

1. हिमालया मौइस्चराइजिंग एलोवेरा फेसवौश

एंजाइम, पौलीसेकेराइड और पोषक तत्वों से भरपूर, यह फेसवौश स्किन को इफेक्टिव रूप से साफ, पोषण और मौइस्चराइज करने का काम करता है. मार्केट में 200 मि.ली. का हिमालय मौइस्चराइजिंग एलोवेरा फेस वौश आपको 128 रूपए में मिल जाएगा.

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2. लोटस हर्बल्स टीट्री फेसवौश

औयली स्किन के लिए ये फेसवौश इफेक्टिव होता है. साथ ही अगर आपको पिंपल्स की प्रौब्लम है तो ये फेसवौश आपके लिए परफेक्ट होगा. लोटस का ये फेसवौश आप 120 ग्राम 149 रूपए में आसानी से दुकानों में मिल जाएगा.

3. न्यूट्रोगेना डीप क्लीन फोमिंग क्लींजर फेसवौश

न्यूट्रोगेना फोमिंग फेस वाश आपकी स्किन के कलर और सौफ्टनेस को बरकरार रखने में मदद करता है. साथ ही ये स्किन में मौजूद डेड सेल्स को खत्म करने का भी काम करता है. ये फेसवौश आपको 40 ग्राम 133 रूपए में आसानी से दुकानों में मिल जाएगा.

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4. KHADI मेथी फेसवौश

आयुर्वेदिक फेसवौश के इस्तेमाल से आपकी स्किन सुंदर के साथ-साथ ग्लोइंग के लिए बेस्ट है. मार्केट में ये आपको 210 ग्राम 140 रूपए में मिल जाएगा.

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