‘नच बलिए 9’ में एक बार फिर दिखेगा ‘कोमोलिका’ का रौद्र रूप, पढ़ें पूरी खबर

स्टार प्लस के पौपुलर रियलिटी शो ‘नच बलिए 9’ में जल्द ही वाइल्ड कार्ड एंट्री फैंस के लिए नए ट्विस्ट लाने वाली हैं. शो में 4 वाइल्ड कार्ड एंट्री होगी, जिसमें खास बात ये है कि शो से बाहर हुई पौपुलर एक्स जोड़ियां उर्वशी ढोलकिया और अनुज सचदेवा विशाल आदित्य सिंह भी मधुरिमा तुली शो का हिस्सा बनते नजर आएंगे.

उर्वशी के डांस के साथ तेवर आएंगे नजर

उर्वशी ढोलकिया के यह तेवर उनके डांस की बजाय उनकी बातों में नजर आने वाले हैं. हाल ही में शेयर किए गए ‘नच बलिए 9’ का प्रोमो उर्वशी का नया लुक लोगों को एंटरटेन करने के लिए तैयार है.

शो के प्रोमो में नाराज दिखीं उर्वशी

‘नच बलिए 9’ के प्रोमो में उर्वशी ढोलकिया – अनुज सचदेवा और विशाल आदित्य सिंह-मधुरिमा तुली की जोड़ी शानदार एंट्री करते नजर आ रहे हैं. इस दौरान बातों के दौरान यह बात साफ दिख रहा है कि, उर्वशी पहले हो चुके एलीमिनेशन की वजह से अभी भी नाराज है.

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शो के जज भी नजर आए उर्वशी से नाराज

उर्वशी के बयानबाजी की कारण जजेस भी उनसे खफा खफा नजर आए. तभी तो प्रोमो में रवीना टंडन उर्वशी ढोलकिया से कहती नजर आ रही है कि, आपको हमने दोबारा मौका दिया है. ऐसे में बाहर जाकर आपको कुछ भी बोलने का हक नहीं है.

शो के मेकर्स पर बरस चुकीं है उर्वशी

शो से बाहर होने पर उर्वशी ने ‘नच बलिए शो 9’ शो के मेकर्स को बुरा भला सुनाया था, जिसके बाद वह कुछ दिन वेकेशन मनाने के लिए फ्रेंडस के साथ घूमती हुईं नजर आईं थीं.

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खैर प्रोमो को देखकर साफ पता चल रहा है कि आने वाले दिनों में शो में डांस के साथ ड्रामे के भी जबरदस्त डोज मिलने वाला है. अब देखना होगा कि शो में वापसी के बाद उर्वशी किस तरह शो से फैंस को एंटरटेन करती हुईं नजर आती हैं.

ड्रीम गर्ल फिल्म रिव्यू: आयुष्मान खुराना  की शानदार एक्टिंग’’

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः एकता कपूर, शोभा कपूर व नचिकेत पंत वैद्य

निर्देशकः राज शांडिल्य

कलाकारः आयुष्मान खुराना ,नुसरत भरूचा,मनजोत सिंह और अन्नू कपूर

अवधिः दो घंटे 12 मिनट

छोटे शहरों में होने वाली रामलीला में सीता का किरदार भी महिला की बजाय पुरूष ही निभाते हैं.और ऐसा युगो से होता आ रहा है.इसी को आधार बनाकर पहली बार लेखक से निर्देशक बने राज शांडिल्य ने हास्य फिल्म‘‘ड्रीम गर्ल’’में करमवीर का किरदार निभा रहे आयुष्मान खुराना को विभन्न मंचों पर सीता,राधा, द्रौपदी आदि के किरदार में पेश किया. इसके पीछे मूल वजह यह भी है कि करण के अंदर महिला की आवाज में बोलने की क्षमता है. इसके साथ फिल्मकार ने इसमें शहरी जीवन में अकेलेपन की समस्या को भी गूंठने का असफल प्रयास किया है.

कहानीः

कहानी शुरू होती है मथुरा से,जहां जगजीत सिंह (अन्नू कपूर) से, जिनकी दाह संस्कार का सामान बेचने की दुकान है. पर जगजीत सिंह ने कई बैंको से कर्ज ले रखा है. उनका मकान भी गिरवी है. जगजीत का युवा बेटा करम वीर सिंह (आयुष्मान खुराना) बेरोजगारी से परेशान है. मगर मोहल्ले के लोग सीता के रूप में उसकी पूजा करते हैं, क्योंकि करम सिंह बचपन से ही लड़की की आवाज बहुत ही खूबसूरती से निकालते आए हैं, जिसके चलते  बचपन से ही मोहल्ले में होने वाली ‘रामलीला’ में उन्हें सीता और ‘कृष्णलीला’ में राधा का किरदार मिलता आ रहा है. वह अपनी भूमिकाओं से वह पैसे भी कमा लेता हैं और उसे पहचान भी खूब मिलती है. पर जगजीत सिंह को बेटे की इस कला से आपत्ति है. वह चाहते हैं कि करम सिंह कोई सम्मानित नौकरी पा जाए. नौकरी की ऐसी ही तलाश में करम सिंह को डब्लू जी (राजेश शर्मा) के कौल सेंटर में मोटी तनख्वाह पर नौकरी मिलती है, जहां वह पूजा नामक लड़की की आवाज निकालकर ग्राहकों से लंबी मीठी-मीठी प्यार भरी बातें करनी होंती हैं.कर्ज और घर की जरूरतों को ध्यान में रखकर करमवीर,पूजा की आवाज बनकर काम करने लगता है,उसका यह राज उसके दोस्त स्माइली (मनजोत सिंह) के अलावा किसी को भी पता नहीं है.

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इसी बीच करमवीर को माही (नुसरत भरूचा) से प्यार होजाता है.और उनकी शादी तय हो जाती है.तो दूसरी तरफ कौल सेंटर में पूजा बनकर प्यार भरी बातें करने के चलते करम की आवाज का जादू पुलिस हवलदार राजपाल (विजय राज),माही के भाई महेंद्र (अभिषेक बनर्जी), किशोर टोटो (राज भंसाली),रोमा (निधि बिष्ट) के अलावा उसके अपने पिता जगजीत सिंह के सिर इस कदर चढ़कर बोलता है कि सभी उसके इश्क में पागल होकर शादी करने को उतावले हो उठते हैं.अब इस हालात से बाहर निकलकर माही से शादी करने के लिए करमवीर  और उसके दोस्त स्माइली कई तरह के कारनामें करते हैं.

लेखन व निर्देशनः

कुछ हास्य कार्यक्रम व फिल्मों का लेखन कर चुके राज शांडिल्य ने पहली बार निर्देशन में कदम रखा है,पर वह पूरी तरह से सफल नहीं रहे.अपने हास्यप्रद संवादों के माध्यम से वह दर्शकों को हॅंसाते जरुर है,मगर इस फिल्म का मजा दर्शक तभी ले सकता है,जब वह अपना दिमाग घर पर रखकर आए.तर्क की कसौटी पर बहुत कुछ गड़बड़ है.फिल्म की पटकथा में कई झोल व कमियां हैं.पूरी फिल्म कौमेडी सीरियल सी लगती है.फिल्म का आधार यह है कि शहरी जीवन में लोग अकेलेपन से बचने के लिए इस तरह के कौल सेंटर का सहारा लेते हैं,पर यह बात भी ठीक से उभर नही पाती. फिल्मकार ने जबरन हिंदू व मुस्लिम मुद्दा भी ठूंसने का प्रयास किया है.इंटरवल तक फिल्म घिसटती रहती है, पर इंटरवल के बाद गति पकड़ती है.फिल्मकार ने आयुष्मान खुराना और नुसरत भरूचा की प्रेम कहानी को विकसित करने में बहुत जल्दबाजी की, पर वह इसे भी सही ढंग से साकार नहीं कर पाए.हास्य के संदेश परोसने के लिए पितृसत्तात्मक रवैए की खिलाफत करते हुए माही का अपने दादाजी के दाह संस्कार में श्यमशान घाट जाने का ऐलान करना और फिल्म के क्लायमेक्स में आयुष्मान खुराना का सोशल मीडिया से दूर रहने का संदेश भी असरदार साबित नही होता. जबकि अपने भाषणनुमा संदेश में आयुष्मान संदेश देते हैं कि सोशल मीडिया व फेशबुक में व्यस्त रहने के  चलते हर इंसान अकेला है.

अभिनयः

यह फिल्म पूरी तरह से आयुष्मान खुराना के ही कंधे पर है.पूजा की आवाज में बात करना और उनकी बौडी लैंगवेज दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट करती रहती है.यदि आयुष्मान खुराना  की जगह कोई दूसरा कलाकार होता तो शायद फिल्म का बंटाधार हो जाता.यह आयुष्मान खुराना की अभिनय क्षमता का परिणाम है कि वह मुस्लिम महिला जुबेदा के किरदार में भी खरे उतरते हैं.आयुष्मान खुुराना के बाद अन्नू कपूर की कौमिक टाइमिंग का हर कोई मुराद हो जाता है.नुसरत भरूचा के हिस्से कुछ खास करने को रहा ही नहीं. दोस्त स्माइली के किरदार में मनजोत सिंह भी हंसाने में कामयाब रहते हैं. विजय राज की अभिनय प्रतिभा को भी अनदेखा नही किया जा सकता. फिल्म में आयुष्मान खुराना और मनजोत सिंह की केमिस्ट्री अच्छी जमी है, मगर आयुष्मान खुराना और नुसरत भरूचा की केमिस्ट्री नही जमती.

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‘ये रिश्ता’ में ‘नायरा’ कराएगी ‘अखिलेश- लीजा’ की शादी तो भड़क जाएगी ‘सुरेखा’

स्टार प्लस के सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में आए दिन नए-नए ट्विस्ट आ रहे हैं. हाल ही में हमने आपको तीज सेलिब्रेशन में ‘नायरा और कार्तिक’ के करीब आने की बात बताई थी, जिसके कारण गोयनका फैमिली में तनाव पैदा हो जाएगा. अब वहीं नये ट्विस्ट के चलते अब ‘लीजा’ के कारण ‘नायरा’ के एक फैसले के चलते ‘नायरा’ ‘सुरेखा’ की नजरों में दुश्मन बन जाएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा ‘नायरा’ का फैसला…

‘लीजा’ की एंट्री से होगा बवाल

‘नायरा’ की खास दोस्त ‘लीजा’ की भी एंट्री हो चुकी है. ‘लीजा’ इन दिनों इस बात से परेशान है कि उसका बौयफ्रेंड बिना उसे कुछ कहे ही छोड़कर चला गया है.

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‘कार्तिक-नायरा’ आए साथ

 

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जैसे ही ‘लीजा’ के बारे में ‘नायरा’ को पता चलेगा. वह उसकी मदद करने की हर तरह की कोशिश करने में लग जाएगा. वहीं इस मामले में ‘कार्तिक’ भी ‘लीजा’ की मदद करने के लिए अपने हाथ बढ़ाता हुआ नजर आएगा.

‘अखिलेश’ का सच चलेगा पता

अपकमिंग एपिसोड में ‘नायरा और कार्तिक’ को पता चल जाएगा कि ‘लीजा’ का बौयफ्रेंड कोई और नहीं बल्कि ‘अखिलेश’ ही है. ‘कार्तिक’ सभी को बता देगा कि वह ‘अखिलेश’ ही जोकि औफिस के नम्बर का इस्तेमाल करके लीजा से घंटों बातें किया करता था.

‘नायरा’ पर आएगा ‘सुरेखा’ को गुस्सा

‘अखिलेश’ का सच सुनकर ‘सुरेखा’ के पैरों तले जमीन ही खिसक जाएगी. वहीं ‘सुरेखा’ बड़ा झटका तब लगेगा जब ‘नायरा’ ‘लीजा’ और ‘अखिलेश’ को मिलवाने की सोचेगी.

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‘लीजा और अखिलेश’ की शादी का फैसला लेगी ‘नायरा’

खबरों के मुताबिक ‘नायरा’ को लगने लगेगा कि अगर ‘अखिलेश’ वाइफ ‘सुरेखा’ के साथ खुश नहीं है तो उन्हें अपने रिश्ते को जबरदस्ती नहीं खींचना चाहिए. ऐसे में ‘नायरा’ ‘लीजा’ और ‘अखिलेश’ की शादी करवाने का फैसला लेगी.

बता दें, आने वाले एपिसोड में ‘नायरा’ से परेशान ‘सुरेखा’ को बुरा भला सुनाने में कोई मौका नही छोड़ेगी. वहीं अब देखना ये होगा कि क्या ‘अखिलेश’ अपनी शादी से छुटकारा लेगा या फैमिली के चलते अपनी जिम्मेदारियों को निभाएगा.

छोड़िए शरमाना खुल कर हंसिए

संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी ‘विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2019’ में भारत का स्थान 140वां है, जबकि पिछले साल भारत 133वें स्थान पर था. पाकिस्तान और बंगलादेश समेत हमारे कई पड़ोसी राज्यों के लोग हम से ज्यादा खुश रहते हैं. फिनलैंड को लगातार दूसरे साल सब से खुशहाल देश का तमगा मिला. इस के बाद नौर्वे और डेनमार्क का स्थान आता है.

सवाल उठता है कि इन देशों की इस खुशहाली और प्रसन्नता का राज क्या है? हम इस मामले में पीछे क्यों हैं? क्या हम खुल कर हंसने की अहमियत भूल रहे हैं? क्या हमें खुश रहने की आदत नहीं है या हम ज्यादा स्ट्रैस लेने लगे हैं? क्या आप को याद है कि आप आखिरी बार कब खुल कर हंसे थे, ऐसी हंसी जिस से आप के पेट में हंसतेहंसते दर्द हो गया हो या फिर हंसी रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी?

दरअसल, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास इतना समय नहीं होता कि वह खुद के लिए 2 मिनट भी निकाल सके, जबकि हंसना आप को हर तरह की बीमारी से बचाने के साथसाथ आप की बरदाश्त करने की क्षमता को भी बढ़ाता है, जीवन जीने का असली आनंद देता है.

हंसी के अंदर छिपे सेहत के इस राज ने ही तो हंसी को एक चिकित्सा का रूप दिया है. यदि आप तनाव से परेशान हैं, तो यह हंसी आप के हर गम का इलाज है.

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इस संदर्भ में तुलसी हैल्थ केयर के डा. गौरव गुप्ता बताते हैं कि हंसना हमारी सेहत के लिए कई तरह से लाभकारी है. हमारे शरीर में कुछ स्ट्रैस हारमोन होते हैं जैसे कि कोर्टिसोल, एड्रेनालिन आदि. जब कभी हम तनाव में होते हैं, तो ये हारमोन शरीर में सक्रिय हो जाते हैं. इन का लैवल बढ़ने पर घबराहट होती है. ज्यादा घबराहट होने पर सिर दर्द, सर्वाइकल, माइग्रेन, कब्ज आदि परेशानियां हो सकती हैं. शुगर लैवल तक बढ़ सकता है.

हंसने से कोर्टिसोल व एड्रेनालिन जैसे स्ट्रैस हारमोन कम होते हैं और ऐंडोर्फिंस फिरोटिनिन जैसे फीलगुड हारमोन बढ़ जाते हैं. इस से मन उल्लास और उमंग से भर जाता है. दर्द और ऐंग्जाइटी भी कम हो जाती है. इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. हम जितनी देर तक जोरजोर से हंसते हैं उतनी देर तक हम एक तरह से लगातार प्राणायाम करते हैं, क्योंकि हंसते हुए हमारा पेट अंदर की तरफ चला जाता है, साथ ही हम लगातार सांस छोड़ते रहते हैं यानी शरीर से कार्बन डाइऔक्साइड बाहर निकलती रहती है. इस से पेट में औक्सीजन के लिए ज्यादा जगह बनती है.

दिमाग को ढंग से काम करने के लिए

20 फीसदी ज्यादा औक्सीजन की जरूरत होती है. खांसी, नजला, जुकाम, स्किन प्रौब्लम जैसी परेशानियां औक्सीजन की कमी से बढ़ जाती हैं. हंसी इन बीमारियों को कंट्रोल करने में मदद करती है. जब हम जोरजोर से हंसते हैं तो झटके से सांस छोड़ते हैं. इस से फेफड़ों में फंसी हवा बाहर निकल आती है और फेफड़े ज्यादा साफ हो जाते हैं. लाइफ में दिनरात, सुबहशाम सुख और दुख लगे रहते हैं. इन से बचा नहीं जा सकता. लेकिन अगर हम लगातार बुरा और नैगेटिव सोचते हैं तो दिमाग सही फैसला नहीं कर पाता और परेशानियां बढ़ जाती हैं. हंसने पर दिमाग पूरा काम करता है और हम सही फैसले ले पाते हैं.

हंसने से शरीर के अंदरूनी हिस्सों को मसाज मिलती है जिसे इंटरनल जौगिंग भी कहा जा सकता है. हंसी कार्डियो ऐक्सरसाइज है. हंसने पर चेहरे, हाथों, पैरों और पेट की मसल्स व गले की हलकीफुलकी कसरत हो जाती है. 10 मिनट की जोर की हंसी इतनी ही देर के हलकी कसरत के बराबर असर करती है. इस से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और मसल्स रिलैक्स होती हैं. जब हम हंसते हैं तो कोई भी तकलीफ या बीमारी कम महसूस होती है, क्योंकि जिस तरह के विचार मन में आते हैं हमारा शरीर वैसा ही रिएक्ट करता है. हंसने से हम लगभग शून्य की स्थिति में आ जाते हैं यानी सब भूल जाते हैं.

सेहत के लिए अच्छा है हंसना

– हंसी पेट, चेहरे, पैरों और कमर की मांसपेशियों के लिए अच्छा वर्कआउट है. हंसना रक्तदाब को कम करता है, साथ ही ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है. हंसी शरीर में औक्सीजन की मात्रा बढ़ाती है.

– हंसी से टैंशन और डिप्रैशन कम होते हैं. हंसने से स्ट्रैस हारमोंस का स्तर कम होता है. हंसी आत्मविश्वास और पौजिटिव नजरिए में इजाफा करती है.

– हंसी ट्यूमर और अन्य बीमारियों से लड़ने वाली कोशिकाओं जैसे गामा इंटरफेरैन और टीसैल की क्षमता बढ़ाती है.

– याद्दाश्त दुरुस्त रखती है और सीखने की क्षमता बढ़ाती है. शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाती है.

– हंसने से दर्द कम होता है. हंसी मांसपेशियों को आराम पहुंचाती है. यह नैचुरल पेनकिलर का काम करती है.

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– दिल की बीमारियों से बचाने के साथ ही उत्तेजना और भय से बचाती है. मूड भी दुरुस्त रखती है और रोगों से लड़ने की सामर्थ्य बढ़ाती है.

– शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी करती है. इस से काम करने की क्षमता बढ़ती है.

– इसे नैचुरल कौस्मैटिक भी कह सकते हैं, क्योंकि इस से चेहरा खूबसूरत बनता है.

हंसें और हंसाएं

कई लोग शरमीले स्वभाव के होते हैं. इस कारण वे समूह में नहीं जाते हैं. यदि आप के साथ भी ऐसा है तो निराश न हों. आप अकेले में घर के अंदर भी हंसी की प्रैक्टिस कर सकते हैं. रोजाना 15 मिनट के लिए शीशे के सामने खड़े हो जाएं और बिना वजह जोरजोर से हंसें.

– हंसी का असली फायदा तभी है जब आप कुछ देर तक लगातार हंसें. इस के अलावा बच्चों और दोस्तों के साथ वक्त गुजारना भी हंसने का अच्छा बहाना हो सकता है. कई बार डाक्टर भी अपने मरीजों को लाफ्टर थेरैपी की सलाह देते हैं. इस में सब से पहले खुद के चेहरे पर मुसकान लाने को कहा जाता है. हंसतेमुसकराते चेहरे वाले लोग अधिक स्वस्थ भी होते हैं.

जब आप हंसते हैं तो शरीर में अच्छे हारमोंस उत्पन्न होते हैं जो आप को अच्छा महसूस कराते हैं. यही कारण है कि लोग कौमेडी शो या मूवी देखना पसंद करते हैं. इस से वे रिलैक्स होते हैं. इस के अलावा हंसने से मन को अच्छा लगता है जिस से स्थिरता आती है. हंसने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से स्ट्रौंग हो जाता है. जब आप किसी बात पर गुस्सा हों या किसी बात पर बहुत खीज आ रही हो, तो हंसें, खिलखिलाएं और अच्छे पलों को याद करें.

अकेले हंसने के बजाय समूह हंसी अधिक फायदेमंद होती है. साथ में हंसने के अवसर

ऐसे ढूंढि़ए:

– कोई मजेदार फिल्म या टीवी शो देखिए.

– लाफ्टर क्लब की सदस्यता लीजिए.

– हंसमुख लोगों से मिलिए.

– पालतू जानवरों के साथ खेलिए.

– बच्चों के साथ समय बिताएं.

– चुटकुले सुनें और सुनाएं.

– अच्छा खाएं और सदा मुसकराते रहें.

– किसी कौमेडी क्लब में जाएं.

– हास्य पुस्तकें पढ़ें.

– कभीकभी कुछ मूर्खता भी करें. सब के साथ खुद को हंसने का मौका दें.

खास टिप्स

– हंसते समय सांस की गति पर ध्यान रखें. सांस की क्रिया सही न होने पर हंसी से शरीर को लाभ नहीं मिलेगा.

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– फुरसत के क्षणों के हलकेफुलके चुटकुले, अनुभव, रोचक संस्मरण याद कर खुल कर हंस सकते हैं.

– किसी बीमारी से पीडि़त होने पर ह्यूमर थेरैपी लेने के पहले ह्यूमर थेरैपिस्ट से यह जानकारी जरूर ले लें कि आप के लिए कौन सी हंसी कितनी देर के लिए ठीक रहेगी. ह्यूमर थेरैपी के साथसाथ दवा लेना चालू रखें.

ब्रेकअप की खबरों के बाद एक-दूसरे को इग्नोर करते दिखे ‘प्रेरणा-अनुराग’, देखें वीडियो

सीरियल ‘कसौटी जिंदगी के 2’ के स्टार्स एरिका फर्नांडीस और पार्थ समथान भले ही सीरियल में साथ नजर आ रहे हो, लेकिन रियल लाइफ में दोनों एक दूसरे को इग्नोर करते हैं. इसका सबूत हाल ही में हुई एक पार्टी में सभी को एक दूसरे को इग्नोर करने के वीडियो से पता चल रहा है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. आइए आपको दिखाते हैं पार्थ और एरिका की वायरल वीडियो….

ब्रेकअप की खबरों से हैं सुर्खियों में

कुछ हफ्ते पहले ऐसा भी सुनने में आया कि दोनों के बीच किसी बात को लेकर अनबन हुई, जिसके बाद से दोनों ने अलग होने का फैसला ले लिया. जिसके कुछ ही दिन बाद पार्थ और एरिका को मालदीव में क्वालिटी टाइम भी बिताते हुए देखा गया था.

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शो की स्क्रीनिंग पर दोनों ने किया इग्नोर

एरिका फर्नांडीस और पार्थ समथान बीती रात हुए एएलटी बालाजी की नई वेब सीरीज मिशन ओवर मार्स की स्क्रीनिंग में हिस्सा लेते नजर आए, जिसकी खास बात ये थी कि हर एक इवेंट में साथ पहुंचने वाली जोड़ी ने 45 मिनट के गैप पर एंट्री मारी.

फैंस को होगा दुख

बीती रात हुए इवेंट में सामने आए वीडियो में पार्थ मीडिया से मुखातिब हो रहे हैं. वहीं एरिका उन्हें बिना ग्रीट किए ही पीछे से अपने रस्ते निकल जाती हैं. जिसे देखने के बाद फैंस का पार्थ और एरिका के फैंस का दिल तोड़ सकता है.

पार्थ के सवाल पर एरिका का ये था रिएक्शन

 

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दूसरे वीडियो में जब मीडिया एरिका से पार्थ के बारे में सवाल करती है, तो वह गोलमोल सा जवाब देती हुई दिखाई दे रही है. जिससे साफ पता चल रहा है कि दोनों का ब्रेकअप हो गया है.

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बता दें, पार्थ समथान और एरिका फर्नांडीस ने एकता कपूर के सीरियल ‘कसौटी जिंदगी के 2’ में जबरदस्त केमेस्ट्री से फैंस का दिल जीत लिया था तो वहीं इसके बाद दोनों की कैमेस्ट्री के चलते दोनों की डेटिंग की खबरें भी सर्खियों में आ गईं थीं.

सभी त्यौहार की एक अलग सजावट होती है – मधुरा देशपांडे

बचपन से अभिनय की इच्छा रखने वाली मराठी अभिनेत्री मधुरा देशपांडे पुणे की है. अभिनय से पहले उन्होंने स्कूल और कौलेज में काफी नाटको में अभिनय किया है. शांत और हंसमुख स्वभाव की मधुरा को उसके परिवार वालों ने बहुत सहयोग दिया है. अभी वह मुंबई में रहती है और अपना पूरा ध्यान अभिनय की ओर लगा रही है. अभिनय के अलावा वह एक भरतनाट्यम डांसर भी है. उन्होंने कई मराठी नाटको और धारावाहिकों में काम किया है. उसकी प्रसिद्ध धारावाहिक ‘असे ही कन्यादान’, ‘जुंझ’ और ‘जिवलगा’ है. उनकी शादी आर्किटेक्ट आशय गोखले से पिछले साल हो चुकी है और आज दोनों अपनी खुश है. मराठी इंडस्ट्री में किसी गौडफादर के न होते हुए भी मधुरा आज सफल है और इस सफलता को उन्होंने गृहशोभिका के साथ सांझा किया.पेश है कुछ अंश.

सवाल- अभिनय में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

मैं भरतनाट्यम डांसर हूं और वही से मुझे अभिनय की प्रेरणा मिली,क्योंकि मेरे घर पर कोई भी इंडस्ट्री से नहीं था. पहले मैंने स्कूल और कौलेज में अभिनय करना शुरू किया. ड्रामा करते-करते मुझे एक धारावाहिक मिली और मेरी रूचि उस ओर हो गयी. 18 साल की उम्र से मैंने अभिनय शुरू कर दिया था.

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सवाल- माता-पिता का सहयोग कितना रहा?

माता-पिता ने हमेशा मुझे सहयोग दिया और मेरे इच्छा अनुरूप काम करने की आज़ादी दी. उनका मुझपर भरोसा था कि मैं जो भी काम करुंगी वह सही होगी. इसी वजह से मेरे अंदर एक जिम्मेदारी बढ़ी और मैंने जो भी किया. वे बहुत खुश है. मैं किसी भी स्क्रिप्ट को चुनने के से पहले परिवार के साथ भी चर्चा कर लेती हूं.

सवाल- कितना संघर्ष था?

संघर्ष बहुत था,क्योंकि मैं किसी को इंडस्ट्री में जानती नहीं थी. मैं पुणे में रहती थी और वहां से मुंबई अकेली रहने आई थी. इससे पहले मैं कभी भी अकेली नहीं रही, ऐसे में माता-पिता का मानसिक सहयोग बहुत जरुरी था और वह मुझे मिला. काम के लिए बहुत सारे औडिशन भी देने पड़े. आज भी किसी स्क्रिप्ट को पहले मैं माता-पिता को सुनाती हूं और उनकी प्रतिक्रिया जानती हूं, क्योंकि अगर कोई कहानी उन्हें पसंद आती है,तो वह दर्शकों को भी पसंद आएगी.

सवाल- क्या अनिश्चितता के इस प्रोफेशन में आपको डर नहीं लगा?

मुझे डर नहीं लगा,क्योंकि अनिश्चितता हर क्षेत्र में रहती है. मुझे विश्वास था कि मैं कुछ अच्छा कर पाऊंगी. अगर नहीं भी किया तो कुछ और अवश्य कर लुंगी.

सवाल- पहला ब्रेक कब और कैसे मिला?

मैं एक मराठी ड्रामे की रिहर्सल कर रही थी, उसी समय ‘जुंझ’ धारावाहिक का औडिशन चल रहा था. मैं वहां साधारण लड़की की तरह गयी और औडिशन दिया. सबको मेरा औडिशन पसंद आया. उसमें मेरी भूमिका निगेटिव चरित्र की थी, लेकिन प्रोड्यूसर ने मेरे लुक को देखकर पौजिटिव चरित्र लिखवाया. इस तरह एक नया चरित्र मेरे लिए लिखा गया. जिसमें पहले मेरी भूमिका कम थी, पर बाद में उसे बढ़ाया गया. इससे मुझे अभिनय के क्षेत्र में काम करने का मौका मिल गया.

सवाल- आपने नाटको और टीवी पर काम किया है, किसमें आपको अधिक अच्छा लगता है?

मुझे नाटकों में काम करना पसंद है, लेकिन टीवी ने मेरी जिंदगी बदल दी है, इसलिए वह भी मुझे पसंद है. नाटकों में दर्शकों के साथ सीधा जुड़ना होता है, जिसमें आपके परफोर्मेंस का परिणाम तुरंत मिल जाता है, जबकि टीवी की प्रतिक्रियां बाद में मिलती है. नाटकों में काम करने का मज़ा ही कुछ और होता है.

सवाल- क्या फिल्मों में काम करने की इच्छा है?

मैं फिल्मों, टीवी और वेब सीरीज पर हर भूमिका में अभिनय करना चाहती हूं और वही मेरे लिए चुनौती है. मुझे निगेटिव और पावरफुल चरित्र करने की बहुत इच्छा है. मैं वैसी ही भूमिका को खोज रही हूं.

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सवाल- किस धारावाहिक ने आपकी जिंदगी बदल दी?

मेरी पहली धारावाहिक ‘असे ही कन्यादान’ ने मेरी जिंदगी को दिशा दी, इसमें पिता पुत्री की रिलेशनशिप को बहुत ही उम्दा तरीके से दिखाया गया है. इसके अलावा इसमें मेरे अपोजिट शरद पोंक्षे से मुझे अभिनय की बारीकियां सीखने को मिली,जो मेरे लिए बड़ी बात थी. ‘जिवलगा’ में मेरी भूमिका बहुत स्ट्रोंग थी. इसमें मेरा पति का एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर्स है और मैंने इसे कैसे लिया है. उसे बताया गया है.

सवाल- रियल लाइफ में एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर्स के बारें में आपकी सोच क्या है?

शादी के बाद अगर किसी से प्यार हुआ है, तो आप इस रिश्ते को छोड़कर उसमें जाएं. दोनों में एक साथ रहना ठीक नहीं, क्योंकि इससे आप किसी को धोखा दे रहे है.

सवाल- आप कितनी फैशनेबल है?

मैं बहुत साधारण लड़की हूं और फैशन अपने हिसाब से करती हूं. साधारण रहना अपने आप में एक फैशन है, क्योंकि इससे आपकी सुन्दरता निखरती है. मुझे डिज़ाइनर सब्यसाची के कपड़े बहुत पसंद है.

सवाल- कितनी फूडी है?

मुझे भोजन बहुत पसंद है, अपने हिसाब से खाना बना लेती हूं. मेरे हाथ का बना ‘आमटी’ जो एक तरह की कढ़ी है, सब पसंद करते है. इसके अलावा मैं जो भी बनाती हूं, सबको पसंद आता है.

सवाल- किसी उत्सव को आप कैसे मनाती है?

मुझे सभी उत्सव पसंद है. सभी त्यौहार की अलग सजावट होती है. जिसमें मुझे अच्छी तरह से  सजना सवरना बहुत पसंद है. दिवाली के वक़्त बहुत सारे दिए मैं आसपास में लगाती हूं.

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मेरी ताकत मुझे अपने फैसले से मिलती है – राजीव खंडेलवाल

टीवी धारावाहिक ‘क्या हादसा क्या हकीकत’ से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता, गायक, होस्ट और वौइस आर्टिस्ट है. फिल्म ‘आमिर’ उनके अभिनय जीवन की टर्निंग पौइंट थी, जिसके बाद से उन्हें पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. उनके जीवन में उतार-चढ़ाव बहुत आये पर वे रुके नहीं उन्हें हमेशा एक अच्छी कहानी की तलाश होती है, जिसमें वे अपनी प्रतिभा का खुलकर प्रयोग कर सकें. वे कम काम करते है और इसकी वजह उनका निजी जीवन है, जिसमें वे अपनी पत्नी के साथ गोवा जाकर समय बिताना और औरगेनिक खेती से उगे हुए सब्जियों को खाना पसंद करते है. वे एक अच्छे शेफ भी है और नयी-नयी एक्सपेरिमेंटल डिश बनाना पसंद करते है. शूटिंग न होने पर सुबह की चाय वे अपनी पत्नी मंजरी को बनाकर देते है. वे अपने निजी जीवन और कैरियर से बहुत संतुष्ट है और आगे भी वैसी ही जीवन बिताना चाहते है. ऑल्ट बालाजी और जी 5 की वेब सीरीज ‘कोल्ड लस्सी और चिकन मसाला’ जो रिलीज हो चुकी है. उनसे मिलकर बात करना रोचक था पेश है कुछ अंश.

सवाल- इस शो की करने की ख़ास वजह क्या है?

ये मैं पहली बार रोमांटिक जोन में अभिनय कर रहा हूं. एकता कपूर ने मेरे हुनर को पहचाना और काम करने का मौका दिया है. मुझे अभिनय करने में भी बहुत मज़ा आया है. इसकी कहानी मुझे बहुत अच्छी लगी है. इसके अलावा निर्देशक प्रदीप सरकार और को स्टार दिव्यंका त्रिपाठी ने मुझे बहुत सहयोग दिया है. मुझे सालों से प्रदीप सरकार के साथ काम करने की इच्छा थी और वह मुझे मिला.

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सवाल- आप फिर से एक बड़ी ब्रेक के बाद वेब सीरीज में काम कर रहे है, इसकी वजह क्या है?

मैं जिंदगी जीता हूं और काम करता हूं. यही मेरी रूटीन चल रही है. मैं अक्सर सबको कहता हूं कि जिंदगी मेरा काम नहीं, काम मेरी जिंदगी नहीं है. जिंदगी में काम एक छोटी सी डिपार्टमेंट है,जिसके बाद मेरी एक दुनिया है, जिसे मुझे देखना है. मैं मौडरेट जिंदगी जीता हूं.

सवाल- आपने इस वेब सीरीज में शेफ की भूमिका निभाई है, रियल लाइफ में क्या-क्या बना लेते है?

मैं सबकुछ बना लेता हूं, लेकिन जो मैं नहीं खाता, उसे नहीं बनाता. मैं किसी रेसिपी को फोलो नहीं करता. मैं हमेशा कुछ क्रिएट करना पसंद करता हूं, जिससे सबको ख़ुशी मिलती है. मैं बचपन से ऐसा ही था. ग्रीटिंग कार्ड खुद बनाकर सबको भेजता था. पर्सनल लाइफ में भी मैंने  अपने गर्लफ्रेंड को भी ऐसी सरप्राइज हमेशा देता रहता था. कभी-कभी ये प्रयोगात्मक कार्य उल्टा भी पड़ता है.

सवाल- जब आप शूटिंग नहीं करते तो क्या करते है?

मेरा एक घर गोवा में है,जहां मैं फल और सब्जियां और्गेनिक तरीके से उगाता हूं, मुझे वहां की फ्रेश सब्जियां खाता हूं. इसके अलावा मैं ट्रेवल करना, वाद्य यंत्र बजाना आदि करता हूं. उसी से मुझे बहुत सुकून मिलता है. कभी-कभी कुछ भी नहीं करता. संगीत मेरा शौक है उसे प्रोफेशन बनाना नहीं चाहता.

सवाल- फिल्म के सफल होने में निर्देशक का कितना हाथ होता है?

पूरी तरह से निर्देशक ही होता है,क्योंकि उसके पास फिल्म की पूरी विज़न होती है. मेरी जो फिल्में सफ़ल नहीं हो पायी है, इसकी जिम्मेदारी निर्देशक को ही समझता हूं. मैंने हमेशा डेब्यू कर रहे निर्देशको के साथ काम किया है, क्योंकि मेरी कई फिल्में नयी निर्देशकों के साथ ही सफल हुई है. मैं निर्देशक की परिभाषा समझता हूं और उसे अभिनय कितनी हद तक चाहिए उसे भी समझता हूं.  मुझ जैसे कलाकार के लिए एक अच्छे निर्देशक का होना बहुत आवश्यक है.

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सवाल- इतनी लम्बी जर्नी और सेलेक्टिव काम करने के बाद भी आप फ्रेश दिखते है, इसकी वजह क्या है?

ये अच्छी बात है कि लोग अभी भी मुझे देखना चाहते है और यही मेरी उपलब्धि है. मैं बहुत लोगों से संपर्क में नहीं रहता. मैं चाहता हूं कि निर्माता निर्देशक मेरे काम से खुश होकर ही मुझे काम दें. मैं कभी ब्यूटी ट्रीटमेंट नहीं लेता. किसी डिज़ाइनर से कपड़े नहीं लेता. मैं जैसा हूं वैसा ही दिखना चाहता हूं.एक्टर लगना चाहिए उस पर मैं विश्वास नहीं करता. मैं किसी इवेंट पर अपने लिए बाउंसर नहीं रखता, मुझे बहुत तकलीफ होती है. मेरी लाइफ में ऐसी कोई डरावनी बात नहीं है. मैं रिलेटेबल लगना चाहता हूं. मेरी सारी ताकत मुझे अपने फैसले से मिलती है. चाहे वह कैरियर के फैसले, इंजीनियरिंग छोड़ कर एक्टिंग में आना, घर छोड़ अकेले रहना आदि हो, सब कुछ मैंने अपनी समझ से किया और यहां पर हूं. 17 साल मैंने ऐसे ही बिताया है, कभी किसी पार्टी या अवार्ड फंक्शन में नहीं गया फिर भी टिका हूं और अच्छा काम मिल रहा है. ये तरीका भी सही है. मीडिया में छाए रहने के लिए खरीद कर अपनी इमेज बनाना, मैंने नहीं किया है और न ही करूँगा.

सवाल- क्या आप अपनी पत्नी से भी कुछ अलग-अलग एक्सपेरिमेंट करने की आशा रखते है?

मैं पत्नी मंजरी से कोई आशा नहीं रखता, वह जैसी है वैसी ही मुझे पसंद है. रोज सुबह मैं उसके लिए चाय बनाता हूं. इससे मुझे ख़ुशी मिलती है.

सवाल- कोई सामाजिक कार्य जिसे आप करना चाहते है?

मैं घर से चैरिटी करने को सही मानता हूं, ऐसे में जिनकी जिंदगी के साथ जुड़ा हूं, उनकी जिंदगी में अगर कुछ अच्छी चीजे या बदलाव ला सकता हूं, तो वही मेरे लिए चैरिटी है.

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फेस्टिवल्स में इंडोवेस्टर्न ड्रेसेस और फ्यूजन मेकअप का तड़का

फेस्टिवल्स का सीजन सजने संवरने के लिए खास होता है. इस समय एथनिक ड्रेसेस का ट्रेंड हमेशा से रहा है. मगर आजकल फंक्शन्स में महिलाएं ट्रेडिशनल ड्रेसेस के साथ-साथ इंडोवेस्टर्न ड्रेसेस से इंस्पायर्ड फ्यूजन ड्रेस भी कैरी कर रही हैं. एथनिक के साथ वेस्टर्न ड्रेसेस का यह तड़का आप को एक अलग ही स्टाइलिश लुक देता है. सिंपल अनारकली सूट के साथ सलवार के बजाय धोती, प्लाजो, पेंट या फिर लौन्ग स्कर्ट पहन कर आप अपने अनारकली कुरते को बड़ी आसानी से इंडोवेस्टर्न लुक दे सकती हैं .इसी तरह इंडोवेस्टर्न लुक के लिए अपनी कुर्तियों को एंकल लेंथ पैंट्स व स्ट्रेट प्लाजो के साथ भी कैरी कर सकती हैं या फिर घेरदार स्कर्ट या लहंगे के साथ भी पहन सकती हैं. फ्यूजन का यह ट्रेंड मेकअप में भी देखने को मिल रहा है जिस के कारण इस मेकअप को फ्यूजन मेकअप कहा जाता है.

सौंदर्य विशेषज्ञा भारती तनेजा के अनुसार इंडोवेस्टर्न ड्रेस में आप का बोल्ड अंदाज़ सबको प्रभावित करें. इसके लिए जब भी मेकअप करें तो उसे नैचुरल रखें. इसके लिए आप मिनरल मेकअप भी कर सकती हैं. यह इंडोवेस्टर्न ड्रेसेस के लिए बेस्ट औप्शन है क्यों कि इस से आप को बारबार टचअप भी नहीं करना पड़ता. मेकअप करते समय इन बातों का ख्याल रखें;

फेस मेकअप

इस मेकअप के लिए बेस मेकअप फ्यूजन मेकअप का बेस लगाने से पहले स्किन पर क्लींजिंग, टोनिंग और मौयश्चराइजिंग जरूर करें. इस से फेस क्लीन होता है. इंडोवैस्टर्न मेकअप का पहला नियम है, मेकअप हो भी और दिखे भी नहीं. इसलिए बेज कलर का बेस चुनें. यह इंडियन स्किन टोन के लिए ही होता है. इस के अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि कम से कम बेस चेहरे पर लगाएं और उसे कंसीलर के साथ अच्छी तरह मर्ज करें . चेहरे पर स्किन टोन के अनुसार फाउंडेशन लगाने के लिएफाउंडेशन एप्लीकेटर से फाउंडेशन लगाएं और स्पौन्ज की मदद से पूरे चेहरे पर लगाएं. इस के बाद चेहरे पर बेस के लिए कंसीलर लगाएं. इंडियन स्किन टोन के लिए बैश (गहरा पीला) कलर का बेस परफेक्ट ऑप्शन होता है. इसे फेस पर अच्छी तरह मर्ज करें.जब बात इंडोवैस्टर्न मेकअप की हो, तो कंसीलर लगाना अनिवार्य हो जाता है क्यों कि कंसीलर 90% चेहरे को कवर कर लेता है. इस की सब से बड़ी खासीयत होती है कि यह चेहरे पर मुंहासों के दाग और गड्ढों को छिपा देता है. साथ ही आंखों के आसपास काले घेरों को भी कवर कर लेता है. कंसीलर लगाने के बाद चेहरे पर इस्तेमाल किए जाने वाले रंग उभर कर दिखते हैं. खासतौर पर आईशेड्स का रंग बहुत अच्छा दिखता है. कंसीलर के बाद फेस पर कौम्पैक्ट पावडर लगाएं. इस के लिए ब्रश का ही इस्तेमाल करें. चेहरे की फेस कंटूरिंग ब्लशर की मदद से करें.

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आई मेकअप

इंडोवैस्टर्न आई मेकअप को कोशिश कर के मैट लुक देना चाहिए और केवल आईबौल्स पर ही मेकअप करना चाहिए. आंखों का मेकअप करने से पहले प्राइमर लगाएं और फिर न्यूट्रल आईशैडो का इस्तेमाल करें. आंखों पर स्मोकी आईशैडो लगा सकती हैं. फ्यूजन मेकअप में आई मेकअप के लिए काजल का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इसके बजाय प्रौपर शेप में आईलाइनर अप्लाई किया जाता है. इस के साथ ही आईब्रोज को डिफाइन किया जाता है. अगर आप फ्यूजन आई मेकअप करते हुए आंखों को नेचुरल लुक देना चाहती हैं तो ब्लैक आईलाइनर के साथ ब्राउन कलर का आईलाइनर मिक्स करें. इसे हमेशा आंखों के आउटकौर्नर से ही लगाएं, क्योंकि फ्यूजन लुक में आउटर आईलाइनर पतला और इनर मोटा होता है. आईलैश को कर्लर से कर्ल करके एक कोट मस्कारा लगाएं. आंखों की लोअर लिड पर भी आईलाइनर अप्लाई करें. ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस सब में आईब्रोज नैचुरल लगें. उन्हें हमेशा ब्लैक के साथ ब्राउन कलर मिक्स कर के डिफाइन करना चाहिए. यह उन्हें नैचुरल लुक देता है.

लिप मेकअप

फ्यूजन मेकअप में न बहुत लाइट कलर की और न ही बहुत डार्क कलर की लिपस्टिक लगाई जाती है. इसलिए इस के बजाय ऐसा लिपस्टिक कलर चुनें जो आप की ड्रेस को कौम्प्लिमेंट करे. लिपस्टिक अप्लाई करते हुए इस बात का भी ध्यान रखें कि लिपस्टिक लिप कौर्नर से ही लगी हो. तभी आप का लुक उभरकर आएगा. आप चाहे तो लाइट या बेबी पिंक कलर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. लाइट शेड में बेबी पिंक के अलावा पीच, कैरेमल ब्राउन, बबल पिंक, सैंड पिंक, लाइट मौव, बेज कलर जैसे न्यूट्रल शेड्स भी यूज कर सकती हैं. लिप्स पर सिर्फ कलर लिपग्लौस भी लगा सकती हैं.

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हेयर स्टाइल

इंडो वेस्टर्न ड्रेस के साथ साइड बन हेयरस्टाइल बना सकते हैं . यह बन बिल्कुल कान के पास होता है. इसे बनाने के लिए पूरे बालों को साइड में लेकर बन बनाए. अगर आप पार्टी में जा रही हैं तो इसे फूलों से सजा कर फ्लोरल लुक भी दे सकती हैं. बाल अगर लंबे हैं तो स्ट्रेट सीधे लेयर्स बहुत सुंदर दिखते हैं. मार्केट में अच्छे हेयर कलर्स भी मौजूद हैं तो आप अपने बालों को हाइलाइट्स के जरिए भीड़ में सबसे अलग बना सकती हैं. हाई बन, लो बन के साथ हाफ टौप नौट बन भी बहुत पौपुलर है. फ्रंट पफ हेयर्स वेस्टर्न ड्रेसेज के साथ बहुत जंचते हैं. आप इन्हें खुले बालों के साथ भी ट्राइ कर सकती हैं और चाहें तो पोनी, फिश टेल, साइड फिश टेल के साथ भी ट्राय कर सकती हैं.

क्या आप का बच्चा भी खाने में नखरे करता है?

एक मातापिता होने के नाते अपने बच्चे की बेहतरी और अच्छे स्वास्थ्य की चिंता करना स्वाभाविक है. हर माँबाप अपने बच्चे को भरपूर पोषण और अच्छे से अच्छा आहार देने का प्रयास करते हैं. मगर क्या खाना है और क्या नहीं इस को ले कर बच्चों के अपने नखरे होते हैं. उन्हें सीमित विकल्पों में से स्वादिष्ट और संतुलित आहार देने की कोसिस में अक्सर हम तरहतरह के मिथक के शिकार हो जाते हैं.

शेमफोर्ड एंड शेमरौक ग्रुप औफ स्कूल्स की संस्थापक निदेशक मीनल अरोरा ऐसे 5 आहार सम्बन्धी मिथक बता रही हैं जो आप के बच्चे के स्वास्थ्य में कई तरह से बाधा डाल सकते हैं:

1. बच्चे जानते हैं कि उन्हें क्या हैं खाना

बच्चों की पसंद स्वाद तक सीमित होती है. वे किसी विशेष व्यंजन या खाने की तरफ नहीं भागते. उन्हें जिस चीज़ का स्वाद भायेगा वही खाएंगे. समय के साथ उन में भोजन से जुड़ी स्वस्थ आदतों को विकसित करना संभव है.

बच्चे अपने माता-पिता की नकल करते हैं. इसलिए आप को एक परिवार के रूप में एक साथ भोजन कर के उन के सामने उदाहरण पेश करना चाहिए. आप उन्हें कई तरह के स्वस्थ विकल्प दे सकते हैं. उन्हें उन फलों और सब्जियों का महत्त्व बता सकते हैं. बहुत ज्यादा बाहर का खाना न खाएं. घर में ही स्वादिष्ट चीज़ें पका लें. उन्हें कुछ खाने के लिए जबरदस्ती न करें. धीरेधीरे नए स्वादों से परिचित कराएं. स्वस्थ आहार आदतों को अपनाने के लिए कभीकभी उन्हें उन के पसंदीदा भोजन का स्वाद भी चखाइए.

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2. बार-बार खाने से आप का बच्चा होगा स्वस्थ

यह एक गलत धारणा है कि अगर बच्चे जल्दीजल्दी खाते हैं तो यह उन की वृद्धि और विकास को तेज करेगा. नियत दिनचर्या और समय पर खाने की आदत, भूख लगने पर भोजन करना, स्वस्थ संतुलित आहार लेना किसी भी बच्चे की स्वस्थ वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है. बारबार खाना बच्चे में मोटापा, डाइबिटीज जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है.

  1. बच्चे के आहार में फलों का रस करें शामिल

फलों का रस आप के बच्चे के आहार में शामिल करना अच्छा है. लेकिन यह किसी भी फल के मुकाबले बेहतर नहीं है. फाइबर हमारे शरीर के लिए किसी अन्य पोषक तत्व और विटामिन जितना ही महत्वपूर्ण है. जब आप अपने बच्चे को फलों का रस देते हैं तो उस की फाइबर वैल्यू शून्य हो जाती है जो कि अस्वास्थ्यकर है. उन में फल खाने की आदत को बढ़ाएं और कभी-कभी ही फलों का रस दें. डब्बाबंद जूस तो कभी भी न दें.

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  1. उन की जानकारी के बिना उन्हें न खिलाएं हैल्दी चीजें

अभिभावक होने के नाते आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य की चिंता करते हैं और इस प्रयास में आप बिना बताये चुप के से उस के भोजन में सब्जियों और अन्य हैल्दी चीज़ें डाल रहे हैं. लेकिन क्या आप उसे इस जानकारी से वंचित नहीं कर रहे हैं कि सब्जियां उस के स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण और फायदेमंद हैं? क्या यह वास्तव में सही दृष्टिकोण है? बेहतर होगा कि आप उन्हें स्वस्थ खाने महत्व को समझायें और तब उसे खिलाएं.

  1. मीठे व्यंजन बच्चों में ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में करते हैं मदद

वास्तव में बहुत अधिक चीनी का सेवन आप के बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बुरा हो सकता है. यह उन में ‘चीनी की लत’ पैदा कर सकता है जो उन्हें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों तरह से नुकसान पहुंचा सकता है. यह लत चिड़चिड़ापन, मनोदशा में बदलाव, उन में गतिविधि के स्तर में बदलाव आदि की वजह बन सकती है. इसलिए आप को उन के चीनी सेवन स्तर की निगरानी करनी चाहिए. इस का मतलब यह नहीं है कि चीनी पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जाए लेकिन इसे नियंत्रित रखा जाए.

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मैं दोबारा किन्नर बन कर ही जन्म लेना चाहती हूं- नाज जोशी

दिल्ली की रहने वाली ट्रांसजेंडर नाज जोशी ने मौरीशस में मिस वर्ल्ड डाइवर्सिटी 2019 में लगातार तीसरी बार जीत हासिल कर भारत का नाम रोशन किया है. वह सामान्य महिलाओं के साथ किसी अंतर्राष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिता में जीतने वाली दुनिया की पहली ट्रांसजेंडर भी हैं. आइये तमाम परेशानियों का सामना कर इस मुकाम तक पहुंचने वाली नाज की उपलब्धियों और जीवन में आई चुनौतियों पर डालते हैं एक नजर;

सवाल- आप को जीवन के प्रारम्भिक दिनों में किस तरह के संघर्षों का सामना करना पड़ा था?

मेरा जन्म 31 दिसंबर 1984 को दिल्ली के शाहदरा इलाके में हुआ था. जब मैं 5 साल की थी तो मुझे घर से निकाल दिया गया क्यों कि मैं लड़कियों की तरह व्यवहार करती थी. मांबाप को लगता था कि उन के इस बेटे को दुनिया स्वीकार नहीं करेगी. मैं लड़का कम और लड़की अधिक लगती थी. समाज के तानों के डर से मांबाप ने मुझे मामा के यहां भेज दिया. मामा के यहां पहले से 7 बच्चों का परिवार था जहां मैं आठवीं बन कर गई थी और घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. उन के बच्चे पढ़ते नहीं थे बल्कि काम करते थे. मैं ने मामा जी से कहा कि मैं पढ़ना भी चाहती हूं. उन्होंने मेरा दाखिला स्कूल में करवा दिया मगर साथ में एक ढाबे में काम पर भी लगा दिया.

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मैं सुबह स्कूल जाती थी फिर दोपहर में ढाबे में काम करती. शाम को घर का काम करती और रात को होमवर्क कर थक कर सो जाती. सुबह फिर स्कूल चली जाती. 11 साल की उम्र तक इसी तरह जीवन जिया. मैं खुश थी कि मुझे पढ़ने को मिल रहा है. मगर एक दिन मेरे कजन भाई ने मेरा मौलेस्टेशन किया. मैं काफी इंजुयर्ड हो गई थी. होश आया तो खुद को अस्पताल में पाया. बहुत सारे बैंडेज लगे हुए थे.

मामा ने कहा कि घर में कुछ प्रौब्लम है सो तुम्हे अपने घर नहीं ले जा सकता. यहां से आगे की जर्नी अब तुम्हें खुद ही तय करनी है. उन्होंने किन्नर समुदाय की एक महिला से मेरी मुलाकात कराई और कहा कि अब तुम्हे इन के साथ रहना है. उस महिला से भी मैं ने यही कहा कि मुझे पढ़ना है. उन्होंने स्कूल के साथ मुझे डांस बार में काम पर लगा दिया. मैं कमाने के साथसाथ पढ़ाई करने लगी. डांस बार में हमारा काम सिर्फ लोगों का मनोरंजन करना था. यहां लोग हमें हीनभावना से देखते थे लेकिन किसी भी कस्टमर ने हमारे साथ गलत नहीं किया. हमें गन्दी नजरों से नहीं देखा.

दरअसल कई बार जो जगह गंदी मानी जाती है वहां लोग अच्छे होते हैं और अच्छी जगह में भी गंदगी मिल सकती है जैसे कि बाबाओं साधुसंतों को देखिए. इन के यहां कितने गंदे काम होते हैं.

मैं ने 2013 के दिसंबर में अपनी सर्जरी कराई थी. 2014 में जजमेंट आई कि हमें अपना जेंडर चुनने का हक़ है. तब मैं ने भी मेडिकल और आईकार्ड जमा कर खुद को महिला प्रूव किया. अब मैं महिला हूँ और महिला वाले सारे हक़ मेरे पास हैं. मैं दोबारा भी किन्नर बन कर ही जन्म लेना चाहती हूँ.

सवाल- आप मौडलिंग के फील्ड में कैसे आईं ?

जब मैं 18 साल की हुई तो विवेका बाबाजी जो एक मॉरिश मॉडल हैं, से मेरी मुलाक़ात हुई. वे मेरी दूर की कजन सिस्टर हैं और महाराष्ट्र से बिलॉन्ग करती हैं. उन्होंने मुझे फैशन डिजाइनिंग कोर्स ज्वाइन करने की सलाह दी क्यों कि मुझे कपड़े डिज़ाइन करने का शौक था. उन्होंने मुझे निफ्ट में पढ़ाया. मैं वहां टॉपर रही और 3 साल पढ़ने के बाद मुझे रितु कुमार के यहाँ जॉब मिल गई. 2 साल काम किया पर वहां सेफ वर्क एन्वॉयरन्मेंट नहीं था.

तब मैं ने तय किया कि मैं अपना बुटीक चालू करुँगी. मैं ने शाहदरा में बुटीक खोला मगर लोग अपनी बहुबेटियों को मेरे यहाँ भेजने से कतराते थे क्यों कि मैं किन्नर थी और लोगों को मुझ पर विश्वास नहीं था. उन्हें लगता था कि पता नहीं मैं उन के साथ क्या कर जाउंगी.
बुटीक फ्लॉप होने के बाद मैं ने जिस्म बेचने का धंधा शुरू किया. इस धंधे के दौरान ही एक फोटोग्राफर से मेरी मुलाकात हुई. उन्होंने मुझे मॉडलिंग लाइन में उतारा.

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2008 के आसपास मैं ने मौडलिंग शुरू की. तहलका पत्रिका में मेरी फोटो कवरपेज पर आई. इस के अलावा भी 4- 5 मैगजीन के कवरपेज पर मैं आ चुकी हूं. अब तक 4 ब्यूटी पैजेंट भी जीत चुकी हूं. मैं पहली ऐसी ट्रांसजेंडर मौडल हूं जिसे इतने बड़ेबड़े मौके मिले वरना इस फील्ड में हमारे समुदाय के लोगों को चांस ही नहीं मिलता.

मौडलिंग के दौरान मेरे साथ काम करने वाले बच्चे 18- 19 साल से ज्यादा के नहीं होते थे जब कि मैं काफी मैच्योर थी. तब मैं ने इन्हे अपने फैशन गुरुकुल के तहत फ्री में मॉडलिंग सिखाना शुरू किया. 2015 में मैं ने शादीशुदा महिलाओं के लिए ब्यूटी पैजेंट करवाना शुरू किया. कई तरह के कांटेस्ट करवाए. मैं ने उन महिलाओं से कहा कि मैं आप के लिए काम कर रही हूँ तो आप को भी ट्रांसजेंडर्स के लिए काम करना होगा. उन्होंने ऐसा किया भी. दरअसल मैं गैप खत्म करना चाहती हूं. हमारी जैसी ट्रांसजेंडर्स भी ओरतें ही हैं. दोनों ही समाज में अपनी पहचान खोज रही हैं. दोनों को एकदूसरे का साथ चाहिए.

सवाल- आप के जीवन में किस तरह की मुश्किलें और चुनौतियां आईं ?

मुश्किलें कई तरह की हैं मसलन; आज भी लोग हमें टेढ़ी और खराब नजरों से देखते हैं.
लोग हमारे साथ भेदभाव करते हैं. वे यह नहीं समझते कि हम भी उन के ही अंश हैं. हमें भी किसी ओरत ने ही जन्म दिया है.
हमारे लिए गलत शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है. यह दिल्ली जैसे शहरों में ज्यादा है. खासकर जब लोग हमारी फैमिली के बारे में कुछ भद्दा बोलने लगते हैं तो यह हमारे लिए बहुत दर्दनाक होता है.
लोग हमारे साथ रिश्ता जोड़ना नहीं चाहते. यहाँ तक कि यह कह कर भी शादियां तोड़ दी जाती हैं कि इस का भाई या बहन ट्रांसजेंडर है. हमें घर ढूंढने में भी परेशानी आती है. कोई हमें घर देना नहीं चाहता.
हमलोग भी चाहते हैं कि हमारा कोई हमराज हो. हमारा भी घर बसे. हम भी महिलाएं हैं. पुरुष हमारी तरफ आकर्षित होते हैं. मगर समाज के डर से पुरुष हमें अपनाने का हौसला नहीं जुटा पाते. वे अपने किये वादे नहीं निभाते. हमें सच्चा प्यार नहीं मिल पाता. नतीजा यह होता है कि बहुत सारी किन्नर 40 -45 की उम्र तक आतेआते डिप्रेशन का शिकार होने लगती हैं. मेरी तो इंगगेजमेंट के बाद भी शादी टूट गई. सिर्फ इस वजह से कि मैं एक ट्रांसजेंडर हूँ.

सवाल- अक्सर हम देखते हैं कि किन्नर शादीब्याह के मौकों या फिर चौकचौराहों पर जबरन पैसे वसूली का काम करते हैं. क्या यह गलत नहीं है?

दरअसल यह बात किन्नर पुराण में लिखी है कि हमें मांग कर खाना है. मगर जोरजबरदस्ती की बात बहुत गलत है. कोई शख्स अपनी ख़ुशी से जितना दे उतना ही प्यार से लेना उचित है. किन्नरों को इस तरह जबरदस्ती करता देख कर कभीकभी बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है. यह तो पूरी तरह गुंडागर्दी है.

सवाल- आप को अपनी जिंदगी में कुछ कमी महसूस होती है?

समय के साथ मुझे जीवन में सब कुछ मिलता गया मगर एक कमी फिर भी महसूस होती है और वह है किसी हमराज का न होना. कोई भी पुरुष किसी ट्रांसजेंडर का हाथ थामने की हिम्मत नहीं कर पाता. प्यार भले ही कर ले मगर उसे एक मुकाम तक नहीं पहुंचा पाता. आज भी मैं अकेलापन महसूस करती हूँ और यही वजह है कि मैं ने 2018 में 15 दिन की एक बच्ची को गोद लिया. वह एक आईवीएफ बेबी थी जिसे उस के मांबाप ने छोड़ दिया था. सच कहूं तो इस बच्ची ने मुझे अपने परिवार से वापस जोड़ दिया है.

सवाल- आप फ़िलहाल किस तरह की लड़ाई लड़ रही हैं?

मेरी लड़ाई यह है कि मैं लोगों को समझाने का प्रयास करती हूँ कि हमारा समुदाय भी प्यार और सम्मान के काबिल है. हमें भी जीने और समान अधिकार पाने का हक़ है. हमें गन्दी नजरों से देखना बंद किया जाना चाहिए. हमें भी शादी करने या बच्चे गोद लेने का हक़ है.

हमारे समुदाय की बहुत सी महिलाएं जिस्मफिरोशी के काम करने को मजबूर होती है. ऐसा नहीं कि यही काम उन्हें पसंद है मगर वजह यह है कि कहीं न कहीं सामान्य काम करना उन के वश में नहीं. कॉरपोरेट वर्ल्ड या दूसरी सामन्य नौकरियों में उन्हें सेफ वर्क एन्वॉयरन्मेंट नहीं मिल पाता. लोग हमारा मजाक उड़ाते हैं या हमारे साथ गलत व्यवहार करते हैं. चाह कर भी हम ऐसी जगहों पर काम नहीं कर पाते.

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सवाल- क्या ट्रांसजेंडर भी कई तरह के होते हैं?

जी हां ट्रांसजेंडर कई तरह के होते है; कुछ वे होते हैं जिन के जननांग पूरी तरह डेवेलप नहीं हो पाते.
कुछ ऐसे हैं जो खुद को आइडेंटिफाई नहीं कर पाते. उन का जन्म भले ही पुरुष शरीर में हुआ हो मगर वे खुद को स्त्री जैसा महसूस करते हैं. ये बाद में औपरेशन द्वारा अपना लिंग परिवर्तन कराते हैं. इन्हें ट्रांस सेक्सुअल कहा जाता है.
कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हे जबरन किन्नर बनाया जाता है. बचपन में ही उन के जननांग को काट दिया जाता है.

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