5 टिप्स: स्किन के लिए खजाने से कम नही पपीता

फ्रूटस सेहत के लिए जितना फायदेमंद होता है उतना ही स्किन के लिए भी फायदेमंद होता है. लोगों का मानना है कि सुबह उठकर खाली पेट खाने से हेल्थ अच्छी रहती है. पपीते को अक्सर स्किन प्रौडक्ट के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. आज हम आपको बताएंगे की पपीता कौन-कौन सी प्रौब्लम स्किन प्रौब्लम से बचाएगा. साथ ही बेदाग, शाइनी और सौफ्ट स्किन देगा.

1. डेड स्किन को हटाने के लिए बेस्ट है पपीता

पपीते में भरपूर मात्रा में विटामिन ए और पैपेन एंजाइम भी पाया जाता है. पपीता डेड स्किन को हटाने का काम करता है. साथ ही ये स्किन को हाइड्रेटेड रखता है.

क्या आप भी मलाई जैसी मुलायम त्वचा चाहती हैं?

अगर आप ग्लोइंग स्किन पाना चाहते हैं तो आपको पपीते और हनी के मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए. आधा कटा पपीता लेकर उसमें तीन चम्मच हनी मिला लें. इसे चेहरे समेत गर्दन तक लगाएं. 20 मिनट तक लगा रहने दें और उसके बाद ठंडे पानी से चेहरा साफ कर लें.

2. पिंपल की प्रौब्लम से बचाएगा पपीता

अगर आप पिंपल की प्रौब्लम से परेशान हैं तो पपीता आपके काम की चीज है. कील-मुंहासे कम हो जाने के पर भी चेहरे पर दाग रह जाते हैं जिससे चेहरे की रंगत कम हो जाती है.

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अगर आप भी ऐसी समस्या से परेशान हैं तो पपीते का एक टुकड़ा लेकर चेहरे पर मल लें. नियमित रूप से 20 मिनट ऐसा करने से आपके चेहरे के सारे दाग साफ हो जाएंगे.

3. फटी एडियों के लिए को सौफ्ट बनाएं पपीता

चेहरे के साथ ही पपीता फटी एडि़यों के लिए भी बहुत बेहतरीन है. फटी एडि़यों में इसके इस्तेमाल से फायदा होता है.

4. डैंड्रफ प्रौब्लम को दूर करने में मदद करे पपीता

पपीते का हेयर मास्क ड्राई और बेजान स्कैल्प को पोषित करने का काम करता है. पपीते के बीज निकालकर उसे अच्छी तरह मल लें. उसमें आधा कप दही मिला लें. इस पेस्ट को करीब 30 मिनट तक बालों में लगा रहने दें. ऐसा करने से स्कैल्प को पोषण और डैंड्रफ प्रौब्लम से राहत भी मिलेगी.

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5. विटामिन, एंजाइम्स और मिनरल्स का खजाना है पपीता

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पपीता विटामिन, एंजाइम्स और मिनरल्स का खजाना है. अपने इन्हीं गुणों के चलते ये एक नेचुरल कंडीशनर भी है. ये बालों को शाइनी और सौफ्ट बनाने का काम करता है.

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खुलासा: इस मामले में टाइगर की बराबरी नही कर सकतीं अनन्या पांडे

‘टीन सेन्सेशन’ के रूप में चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे अब करण जौहर की पुनीत मल्होत्रा निर्देशित फिल्म ‘स्टूडेंट औफ द ईअर 2’ से बौलीवुड में एंट्री कर चुकी हैं. सेलेब्रिटी इंडोरसर की हैसियत से अनन्या कौस्मैटिक प्रोडक्ट को इंडोर्स करने वाली सबसे कम उम्र की एक्ट्रेस हैं. पेश है अनन्या पांडे से एक्सक्लूसिव बातचीत…

एक्टिंग को करियर बनाने की कोई खास वजह रही?

-मेरे दादाजी डौ स्व. शरद पांडे मशहूर हार्ट सर्जन थे. जबकि मेरे डैड चंकी पांडे मशहूर फिल्म अभिनेता हैं. जब मैं पांच साल की थी, तभी मेरे दादाजी गुजर गए थे. इसलिए मुझ पर उनका कोई असर नहीं पड़ा. मेरी परवरिश फिल्मी माहौल में ही हुई. शायद इसी के चलते मैंने बहुत छोटी उम्र में ही एक्ट्रेसबनने का निर्णय ले लिया था. यह फिल्मी कीड़ा मुझमें शुरू से रहा है. इसके अलावा मेरे सारे दोस्तों ने भी मुझे हमेशा अभिनय करने के लिए ही उकसाया. इतना ही नही बचपन से ही मैं बौलीवुड फिल्म देखने की बहुत शौकीन रही हूं. हम बचपन से ही अलाना और सनाया के साथ घर में कई तरह के खेल खेलते थे. हम अपनी मम्मी की नकल किया करते थे. तो शुरू से ही अभिनय का कीड़ा रहा है.

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तो आप अपने डैड के साथ फिल्म के सेट पर भी जाती रही होंगी?

-नहीं… मेरे डैड फिल्मों में अभिनय कर रहे थे, इसके बावजूद वह मुझे किसी भी फिल्मी पार्टी में या शूटिंग के दौरान फिल्मी सेट पर नहीं लेकर गए. अब तक मेरी पूरी जिंदगी बहुत ही साधारण ढंग से बीती है. मेरे माता-पिता ने अब तक मुझे ग्लैमर से दूर ही रखा.

क्या स्कूल के दिनों में भी आप एक्टिंग करती थीं?

-स्कूल में मैंने ड्रामा और हिंदी विषय ले रखा था. इसलिए तमाम नाटकों में मैंने एक्टिंग की है. एक बार जब मैंने अपने स्कूल के एनुयल प्रोगाम में एक्टिंग की और मुझे अवार्ड मिला, उस नाटक में मेरी एक्टिंग को देखकर मेरे डैड (चंकी) को पहली बार अहसास हुआ कि मैं आगे चलकर एक्ट्रेस ही बनूंगी. उससे पहले भी मैंने कई बार उनसे कहा था कि मैं आगे चलकर एक्ट्रेस बनूंगी, पर तब उन्होंने मेरी बात को गंभीरता से नहीं लिया था. स्कूल में जब मेरे सभी दोस्त स्पैनिश भाषा पढ़ रहे थे, तब मैने स्पैनिश की बजाय हिंदी पढ़ी. क्योंकि मैंने सुना था कि एक्टिंग की फील्ड में हिंदी आना जरुरी है.

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सुना है कि आप फिल्म निर्देशक बनना चाहती थी?

-जी नहीं…असल में फिल्म विधा को नजदीक से समझने के लिए मैंने फिल्म ‘रईस’ में बतौर अस्सिटेंट डायरेक्टर काम किया था. बतौर अस्सिटेंट डायरेक्टर काम करने के पीछे वजह यह थी कि मैं यह जानना चाहती थी कि हम परदे पर जो कुछ देखते हैं, उसके पीछे क्या क्या होता है. इससे पहले तो मुझे यह भी नहीं पता था कि शूटिंग के दौरान कितनी लाइट उपयोग में लायी जाती है? कैमरा फेसिंग क्या होती है? फिल्म ‘रईस’के सेट पर मैंने हर विभाग के बारे में जानकारी हासिल की. फिल्म ‘रईस’ के सेट पर सहायक निर्देशक के तौर पर मुझे काम करते देख कुछ लोगों को गलतफहमी हुई थी कि मुझे निर्देशक बनना है, जबकि मैंने उस वक्त ही साफ कर दिया था कि मुझे तो एक्ट्रेस ही बनना है.

फिल्मस्टूडेंट आफ द ईअर 2’ से कैसे जुड़ी?

-करण जौहर की फिल्म ‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’ से एक्टिंग की शुरूआत होना एक सपने के पूरे होने जैसा है. करण सर की फिल्मों में एक्टिंग करना गर्व की बात होती है. करण सर अपनी फिल्मों में अपने कलाकारों को बहुत खूबसूरती के साथ पेश करते हैं. इतना ही नहीं करण सर की फिल्मों में मैंने ‘स्टूडेंट आफ द ईअर’ देख रखी थी. सबसे बड़ी बात यह है कि यह मेरी पसंदीदा फिल्म रही है. इस फिल्म को देखकर मैंने सोच लिया था कि मुझे भी आलिया ही बनना है यानी कि ‘स्टूडेंट आफ द ईअर’ की शनाया बनना है. ऐसे में जब मुझे पता चला कि वह ‘स्टूडेंट आफ द ईअर’ का सीक्वअल ‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’ बना रहे हैं और इसके लिए औडीशंस हो रहे हैं, तो मैं भी बिना अपनी पहचान बताए औडीशन देने पहुंच गई. मुझे दो सीन के लिए औडीशन देना पडा. एक रोने धोने वाले इमोशनल सीन का और दूसरा लाउड सीन का. मेरा औडीशन उन्हे पसंद आ गया और मुझे यह फिल्म मिल गयी. उसके बाद फिल्म के निर्देशक पुनीत मल्होत्रा से मुलाकात हुई. फिर एक साल तक हम तीनों कलाकारों के साथ स्क्रिप्ट रीडिंग का वर्कशौप चलता रहा.

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फिल्म के अपने किरदार पर रोशनी डालना चाहेंगी?

-यह सेंट टेरीसा कौलेज में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं की कहानी है. मैने इसमें श्रेया का किरदार निभाया है, जो कि रोहन (टाइगर श्राफ), मिया (तारा सुतारिया) और मानव (आदित्य सील) के साथ ही इस कौलेज में पढ़ती है. श्रेया ऐसी फनी लड़की है, जिसके साथ हर लड़की रिलेट करेगी. उसमें बहुत जोश है. वो बिंदास और निडर है. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान मुझे अपने स्कूल के दिन बहुत याद आए.

फिल्मस्टूडेंट आफ द ईअर 2’’का जो गाना रिलीज हुआ है, उसे देख लोग आपके डांस की तारीफ कर रहे हैं. क्या आपने डांस की कोई ट्रेनिंग हासिल कर रखी है?

-जी हां! मुझे लगता है कि मैंने डांस की जो ट्रेनिंग ले रखी है, उसके चलते इस फिल्म के कई मुश्किल डांस हम कर पाए. मैंने कत्थक की ट्रेनिंग ली है. मैं खुद को प्रोफेशनल डांसर नहीं मानती, लेकिन मैं पांच साल की उम्र से कत्थक सीखती आ रही हूं. मुझे कत्थक डांस और इसमें जो भाव भगिमाएं होती हैं, वह सब बहुत पसंद है. फिर भी फिल्म ‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’ की शूटिंग के दौरान हर डांस की शूटिंग से पहले मुझे कुछ समय टाइगर श्राफ के साथ डांस की प्रैक्टिस करनी पड़ी. डांस करते समय मुझे तकलीफ नही हुई, लेकिन यदि आप यह सोचे कि मैंने टाइगर श्राफ के लेवल का डांस किया है, तो ऐसा नहीं है. डांस में मैं उसकी बराबरी नहीं कर सकती.

टाइगर श्राफ  के साथ काम करने का एक्सपीरयंस कैसा रहा?

-टाइगर श्राफ ने मुझे इस बात का अहसास ही नहीं कराया कि उसकी कुछ फिल्में रिलीज हो चुकी हैं. वह हमेशा सेट पर ही रहते थे, स्टारपना दिखाते हुए कभी अपनी वैनिटी वैन में जाकर नही बैठे. हर सीन में हमारे साथ रिहर्सल करते थे. सेट पर तो टाइगर श्राफ लाइटिंग वगैरह के बारे में मुझे बहुत कुछ बताया. मैंने टाइगर श्राफ से बहुत कुछ सीखा. वह सीन के बीच में मुझे बताते थे कि मुझे कैमरे के सामने कहां खड़ा होना चाहिए.

आपकी पहली फिल्म पुरानी फिल्म की सक्वअल है और दूसरी फिल्म एक पुरानी फिल्म का रीमेक हैं?

-आपकी बात कुछ हद तक सच है. मैं फिल्म ‘‘पति पत्नी और वह’ कर रही हूं, जिसमें मेरे साथ कार्तिक आर्यन और भूमि पेंडनेकर हैं. इसी फिल्म को रीमेक फिल्म कहा जा रहा है. जबकि यह पूरा सच नही है. वास्तव में हमारी यह फिल्म 1978 में रिलीज हुई बी आर चोपड़ा की फिल्म ‘‘पति पत्नी और वो’ की आइडिया पर बन रही माडर्न जमाने की फिल्म है.

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फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’’ का ट्रेलर आने के बाद आपके स्कूल के दोस्तों ने क्या कहा?

-मैं आज भी अपने स्कूल के दोस्तों के साथ जुड़ी हुई हूं. पर अफसोस मेरे स्कूल के ज्यादातर दोस्त कौलेज की पढ़ाई करने के लिए अमरीका में हैं. मेरी फिल्म का ट्रेलर आने के बाद अमरीका में यूट्यूब पर देखकर सभी ने मुझे बधाई संदेश भेजे. मेरे दोस्त अमेरिका में लोगों को मेरी फिल्म का ट्रेलर दिखाते हुए मेरे बारे में बता रहे हैं. मैं अभी अमेरिका गयी नहीं, उससे पहले ही अमरीका में लोग मुझे जानने लगे हैं. यदि मेरी फिल्म वहां रिलीज होगी, तो मुझे इसका फायदा जरूर मिलेगा.

आप अमेरिका में बसे अपने दोस्तों के साथ किस तरह से सपंर्क में रहती हैं?

-देखिए, सोशल मीडिया पर जुड़ने की वजह यही है. सोशल मीडिया के चलते मैं अपने दोस्तों के साथ जुड़ी रहती हूं. मैं वौटसअप पर भी उनसे बात करती हूं. फोन पर भी बात करती हूं. ईमेल से भी बात करती हूं.

सोशल मीडिया पर आप कितना वक्त बिताती हैं?

-मैं सोशल मीडिया पर बहुत बिजी रहती हूं. मुझे इंस्टाग्राम बहुत पसंद है. इंस्टाग्राम पर मेरे 1.75 मिलियन फौलोवर्स हैं. मैंने अपनी कोई टीम नही रखी है. जो मुझे पसंद आता है, वह मैं इंस्टाग्राम पर डालती रहती हूं. मैं अपने दोस्तों के साथ कुछ वीडियो बनाती हूं, वह भी इंस्टाग्राम पर डालती हूं. यदि मैं खाना खा रही हूं, तो वह फोटो खींचकर इंस्टाग्राम पर डाल देती हूं. मेरा मानना हैं कि लोग बनावट नहीं, बल्कि असलियत जानना चाहते हैं.

Edited by- Nisha Rai

8 टिप्स: गरमी के मौसम में बालों का यूं रखें ख्याल

गरमी के मौसम में अपने बालों का ख्याल रखना बेहद जरुरी है. क्योंकि इस मौसम में रुखापन और खुजली से आपको झुंझलाहट महसूस हो सकती है. तो  चलिए आपको बताते हैं ऐसे टिप्स जिनकी मदद से आप इन परेशानियों से बच सकती हैं.

  1. सिर की नियमित रूप से अच्छे शैम्पू से सफाई करें. गर्मी में ऐसे शैम्पू का इस्तेमाल करें जो अतिरिक्त तेल, पसीना, गंदगी को निकाल दे.
  2.  सिर में रुखेपन व खुजली से बचने के लिए इसे हमेशा साफ रखें. तेज धूप में बाहर निकलने के दौरान स्कार्फ या हैट से सिर ढक कर रखें.
  3. सिर में नमी या मुलायमपन को बरकरार रखने के लिए आप सूदिंग या रिफ्रेशिंग स्कैल्प मास्क का इस्तेमाल कर सकती हैं.

क्या आप भी मलाई जैसी मुलायम त्वचा चाहती हैं?

4. सिर में कोई समस्या होने पर महीने में हर 15 दिन पर विशेष उपचार लेना बेहतर होगा. त्वचा और सिर में नमी बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करें.

5.  तेल से नियमित (सप्ताह में 3-4 दिन) रूप से सिर, बालों का कम से कम 10 मिनट तक मसाज जरूर करें. मसाज के बाद अच्छे शैम्पू से बाल धो लें.

6. बाल कभी भी गर्म पानी से नहीं धुलें. गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें. हेयर ड्रायर के इस्तेमाल के बिना बाल पूरी तरह से सुखा लें.

दूध से पाएं सौफ्ट एंड शाइनी स्किन

7.नमी बनाए रखने के लिए विशेष रूप से सुबह के समय ढेर सारा पानी पिएं. तेज धूप में ज्यादा देर बाहर रहने से बचें. रोजाना कम से कम 10 मिनट प्रणायाम करें.

8. बाल धोने के बाद नैचुरल चिपचिपारहित तेल या क्रीम थोड़ी मात्रा में बालों में लगाएं. बालों पर लगातार स्टाइलिंग जेल या हेयर स्प्रे का इस्तेमाल करने से बचें.

मूवी रिव्यू: नाम की तरह ही फिल्म भी है ‘ब्लैंक’

निर्देशकः बेहजाद खम्बाटा

कलाकारः सनी देओल, करण कापड़िया,करणवीर शर्मा, इषिता

दत्ता और स्पेशल अपीयरेंस अक्षय कुमार

अवधिः एक घंटा, 51 मिनट

रेटिंगः दो स्टार

कहानीः

फिल्म ‘‘ब्लैंक’’ की कहानी के केंद्र में आत्मघाती हमलावर/आतंकवादी हनीफ (करण कापड़िया) है, जो कि फोन पर कुछ लोगों को निर्देश दे रहा है. फिर वह एक दुकान से सिगरेट खरीदता है, सिगरेट जलाने के चक्कर में एक कार से उसका एक्सीडेंट हो जाता हे. उसे अस्पताल पहुंचाया जाता है. डाक्टरों को उसके सीने पर उसके हृदय के साथ जोड़ा गया आत्मघाती बम नजर आता है. एटीएस चीफ सिद्धू दीवान (सनी देओल) को खबर दी जाती है. पूरा पुलिस महकमा हरकत में आ जाता है. डाक्टर का कहना है कि हनीफ के मौत के साथ ही बम फटेगा. उधर एटीएस चीफ दीवान, हनीफ से कुछ भी कबूल करवाने में सफल नहीं होते हैं.तब पुलिस कमिश्नर अरूणा गुप्ता, शहर से दूर वीराने में ले जाकर हनीफ का इनकाउंटर करने का आदेश देती हैं. दीवान खुद इनकाउंटर करने के लिए जाता है. इधर हनीफ की तस्वीर के आधार पर इंस्पेक्टर रोहित (करणवीर शर्मा) और महिला इंस्पेक्टर हुस्ना (इशिता दत्ता) जांच में लगे हुए हैं. रोहित एक अपराधी फारूक को गिरफ्तार करता है, जिसके बैग में बम होता है, जबकि हुस्ना, हनीफ के अड्डे पर पहुंचती है. इधर दीवान, हनीफ के इनकाउंटर के गोली चलाने का आदेश देते हैं, तभी हुस्ना का फोन आता है और वह रूक जाता है, इस बीच हनीफ गैंग के लोग आकर हनीफ को वहां से ले जाते हैं. उधर हनीफ का सरदार आतंकवादी मकसूद (जमील खान) पाकिस्तान में बैठकर आदेश दे रहा होता है. हनीफ के पकड़े जाने की खबर पाते ही वह मुंबई में बशीर से बात करता है और खुद वह भारत आने की तैयारी करता है. पता चलता है कि हनीफ के सीने पर लगे बम के साथ मकसूद के चार स्लीपर सेल के बम भी जुड़े हुए हैं.मकसूद ने छोटे छोटे बच्चों को जन्नत पाने के नाम पर जेहाद के लिए तैयार कर रखा है.उधर मकसूद का मकसद एक साथ 25 बम धमाकों के साथ भारत को दहलाने की है.

कहानी अतीत में जाती है, जब हनीफ दस साल का बच्चा था और उसकी एक बड़ी बहन थी. उन दिनों मकसूद एक गुंडा था, जिसने उसकी बस्ती के सारे घर जला दिए थे और सभी की हत्या कर दी थी. हनीफ के पिता ने पुलिस को फोन किया, पर पुलिस नहीं पहुंची, हनीफ के पिता को यकीन था कि एक पुलिस इंस्पेक्टर जरुर पहुंचेगा, पर उस पुलिस इंस्पेक्टर ने अपना मोबाइल फोन ही नहीं उठाया और हनीफ के पिता मारे गए. उसी दिन हनीफ ने बदला लेने की ठान ली थी. इसके बाद की कहानी जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

कमियां…

बेसिर पैर की कहानी और घटिया पटकथा के चलते यह फिल्म सिर्फ बोर करती है. इंटरवल से पहले अति धीमी गति के बावजूद हनीफ की असलियत जानने को लेकर दर्शकों में उत्सुकता बनी रहती है, जबकि पूरी कहानी बहुत ही कन्फ्यूजन पैदा करती है. इतना ही नहीं एक भी सीन तर्क की कसौटी पर सही नहीं ठहरता. जब डाक्टर कहता है कि हृदय की धड़कन के साथ हनीफ के सीने पर बंधे बम को जोड़ा गया है और यह बम हनीफ के दिन की धड़कन बंद होते ही फटेगा, तो दर्शक को हंसी आती है. मगर इंटरवल के बाद जिस तरह से उसका सच सामने आता है और जिस तरह कहानी बेतरतीब ढंग से चलती है, उसे देखकर कर दर्शक कह उठता है- ‘कहां फंसायो नाथ.’ फिल्म आतंकवाद पर है, मगर अंत में व्यक्तिगत बदले की कहानी के रूप में उभरती है.

निर्देशनः

बतौर निर्देशक बेहजाद खम्बाटा प्रभावित नहीं करते हैं. लेखक व निर्देशक के तौर पर उन्होने कहानी को फैला दिया, पर उसे किस दिशा में ले जाना है और किस तरह समेटना है, यह सब भूल गए हैं. दीवान के बेटे रौनक के ड्रग्स लेने की कहानी गढ़ी, मगर उसका क्या हुआ, दीवान की पत्नी ने क्या किया, सब गायब.

अभिनयः

यूं तो यह फिल्म करण कापड़िया को लांच करने के लिए बनी है, मगर वह बुरी तरह से हताश करते हैं. उनके चेहरे पर एक्सप्रेशन आते ही नहीं है. करण के किरदार के गढ़ने में भी बेहजाद खम्बाटा और प्रणव प्रियदर्षी मात खा गए हैं. पूरी फिल्म अकेले एटीएस चीफ दीवान के कंधो पर ही आ जाती है. इस किरदार में सनी देओल ने जानदार परफार्मेंस दी है. हुश्ना के किरदार में इशिता दत्ता के लिए कुछ जगह खूबसूरत लगने के अलावा करने को कुछ नहीं है. रोहित के किरदार में करणवीर शर्मा ने ठीक ठाक अभिनय किया है.

फिल्म के अंत में अक्षय कुमार का डांस नंबर ‘अली अली’ मजाक बनकर रह जाता है, दर्शक इस गाने को सुनने व डांस देखने के लिए रूकता ही नहीं है.

Edited By- Nisha Rai

क्या आप भी मलाई जैसी मुलायम त्वचा चाहती हैं?

गरमी के मौसम में धूप में निकलने की वजह से सनबर्न होना एक आम बात है. लेकिन अगर एक बार स्किन पर टैंन आ जाए तो यह जाने में महीनों का समय लेता है.  इसे आप कुछ होममेड टिप्स अपनाकर दूर भी कर सकती हैं. जी हां इसे दूर करने का बेहद आसान उपाय है. आप मलाई की इस्तेमाल कर सनबर्न से राहत पा सकती हैं. आइए बताते हैं, मुलायम त्वचा पाने के लिए मलाई का इस्तेमाल कैसे कर सकती हैं.

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दमकती त्वचा के लिए

सौफ्ट और स्मूद त्वचा के साथ ही मलाई आपकी त्वचा को दमकती हुई बना सकती है. इसके लिए आपको एक बड़ा चम्मच मलाई में उतना ही बेसन भी मिलाएं. इसे त्वचा पर लगाकर करीब 20 मिनट तक छोड़ दें. आप चाहें तो मलाई और हल्दी का पैक भी बना सकते हैं. इसे त्वचा पर लगाने के 20 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें.

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रूखी त्वचा के लिए

मलाई से तैयार किया गया फेस पैक ड्राई स्किन को नई चमक दे सकता है. इसके लिए आपको एक बड़ा चम्मच मलाई को एक चम्मच शहद के साथ मिलाना होगा और इसे अपने चेहरे पर लगा लें. इसे कम से कम 20 मिनट तक छोड़ दें और इसके बाद ठंडे पानी से धो लें.

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क्लिंजिंग के लिए

मलाई नेचुलर क्लिंजर का काम भी कर सकती है. यह बंद रोमछिद्रों को खोलने और त्वचा पर जमी धूल को हटाने में मदद करती है. इसके लिए आपको एक चम्मच मलाई और एक चम्मच नींबू रस के साथ अपनी त्वचा को मसाज देनी होगी. ऐसा आप 4 से 5 मिनट तक कर सकते हैं. कुछ देर बाद इसे गीले रूई के फाहे से साफ कर लें.

कस्टमर: प्रिया का दिमाग ना जाने क्या सोचने लगा था

लेखिका- लता कादम्बरी

पूर्व कथा

प्रिया के पति ध्रुव की ज्वैलरी शाप थी. ध्रुव के मोबाइल पर कुछ दिन से रोज सुबह 9 बजे एक महिला का फोन आता है. रोजाना फोन आने से प्रिया कुछ परेशान हो जाती है. एक दिन जब वह ध्रुव के साथ ज्वैलरी शाप में थी तभी उन के घर के नजदीक रहने वाली रीतिका वहां आती है. उस की आवाज सुन कर प्रिया जान जाती है कि यह वही ध्रुव के मोबाइल पर फोन करने वाली औरत है. वह ध्रुव से सहज ढंग में अंग्रेजी मिश्रित हिंदी में बातें कर रही थी और ध्रुव भी कस्टमर की हैसियत से उस से अच्छी तरह बात कर रहा था. प्रिया को रीतिका से जलन महसूस होती है. थोड़े दिन बाद रीतिका की नौकरानी उस के कुछ गहने ठीक करने के लिए घर पर देने के लिए आती है. ध्रुव छत पर था सो प्रिया गहने ले लेती है. दूसरे दिन रीतिका मोबाइल पर फोन कर ध्रुव से गहनों के बारे में पूछती है. प्रिया मन ही मन कुढ़ती है कि रीतिका दुकान के बजाय घर पर क्यों फोन करती रहती है. अब आगे…

अंतिम भाग

मन में मची खलबली को दबाए शिष्टाचार का लबादा ओढ़े मैं अनमनी सी गेट खोलने बाहर आई और अनजाने ही मेरे मुंह से निकला, ‘‘वेलकम, रीतिका. कैसी हैं आप?’’ ‘‘वेरीवेरी गुडमार्निंग,’’ कहते हुए रीतिका ने बडे़ स्नेह से मेरे अभिवादन का जवाब दिया, पर मैं ही जानती थी कि यह मेरी कैसी सुबह है. मैं उस के मुखौटे लगे चेहरे के पीछे के चेहरे को अच्छे से देख रही थी पर कुछ कर नहीं पा रही थी. वह हमारी ‘कस्टमर’ जो ठहरी.

मन की बात न चाहते हुए भी कई बार जबान पर आ ही जाती है. अपने को लाख संभालने की कोशिश करते हुए भी मैं रीतिका से पूछ ही बैठी, ‘‘सुबह बड़ी जल्दी फ्री हो जाती हैं?’’ ‘‘हां, उठती जल्दी हूं न, फिर हमारी काम वाली बाई लोग भी बड़ी कोपरेटिव हैं, स्पेशली गिरजा, शी इज रियली वेरी कापरेटिव और आप? बिजी रोज ही की तरह हैं?’’

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मैं समझ नहीं पा रही थी कि बिजी कह कर रीतिका मुझे चांटा मार रही है या फिर मेरी तारीफ कर रही है. पर इतना सच था कि उसे मालूम था कि सुबह ध्रुव के दुकान जाने से पहले अकसर मैं व्यस्त रहती हूं. तब तक ध्रुव की ज्वैलरी का सामान ले कर आ गए. ध्रुव के आते ही मैं किचन में चली गई, वैसे भी सुबह के समय किसी के पास वक्त ही कहां रहता है फिर आज तो बर्तन वाली नौकरानी भी नहीं आई थी. उन के लिए पानी का गिलास ले कर जो मैं ड्राइंगरूम में पहुंची, तो दोनों को गुटरगूं करते पाया. कितने खुश थे ध्रुव उस समय. अगली दफा जब चाय ले कर पहुंची तब भी मुस्करा कर बातें हो रही थीं. काम का दबाव या कहूं मन का अविश्वास था जो रीतिका के जाते ही मैं फट गई,

‘‘ध्रुव यह और अब मुझ से झेली नहीं जाती… ठिगन्नी कहीं की.’’ मेरे मनोभावों की गंभीरता से अनजान यह भी छेड़ते हुए बोले, ‘‘उस के ठिगनेपन से तुम्हें क्या? देखो, कस्टमर है कस्टमर. मुझ से एक पैसा कम नहीं कराती. सुबहसुबह 10 हजार का फायदा करवा गई और क्या चाहिए?’’ यह कहते हुए ध्रुव ने 10 हजार की गड्डी मेरे हाथों में रख दी. वाकई रुपए में बड़ी गरमी होती है, तभी तो मैं क्राकरी साफ करते, ठंड से कंपकंपाती शांत हो गई. उस दिन मैं सोच रही थी कि बेचारे ध्रुवसीधे घर से दुकान और दुकान से घर आते हैं. मेरे दुकान पर बैठने पर भी उन्हें कोई एतराज नहीं फिर उन के लिए मुझे इस तरह से नहीं सोचना चाहिए. माना कि उस औरत के मन में ध्रुवको ले कर कोई भाव हो भी तो रहे, क्या कर लेगी हमारा?

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आएगी, जाएगी खर्च करेगी और चली जाएगी. पर हमारा घर तो अच्छे से चलता रहेगा, अधिक शक करने से घर बरबाद ही होता है. मन तो आखिर मन ही था, कब तक शांत रहता? अब तो आएदिन कभी सामान लेने, तो कभी देने, तो कभी रिपेयरिंग तो कभी रिश्तेदारों तथा सहेलियों के कामों को ले कर रीतिका का हमारे घर पर आनाजाना हो गया. गाहेबगाहे वह मुझे भी अपने घर आने को कह जाती. भले ही यह उस की व्यवहार- कुशलता हो, पर मुझे लगता कि यह सब भूमिका वह हमारे घर में घुसने के लिए बना रही है.

अगली दफा वह हमारे घर लगभग 10 दिन बाद आई. उस दिन ध्रुव मार्निंग वाक पर गए थे. वह हमारे घर से माणिक की अंगूठी उठाने आई थी. ध्रुवका इंतजार करने के बहाने वह बैठ गई. मन में मची खलबली को दबाते हुए मैं ने उस से उस के घरपरिवार तथा नौकरचाकरों के बारे में पूछ डाला. बातोंबातों में मुझे पता चला कि वह दिल्ली के एक प्रसिद्ध रेस्तरां गु्रप के मालिक की बेटी है. उस के मायके के लोग पढे़लिखे और मिलनसार हैं. जहां तक पैसे का सवाल है तो आज तक उस ने कभी पैसों की कमी नहीं जानी पर 2 जवान होती लड़कियों के चलते घर में ड्राइवर रखने से डरती है.

बात को आगे बढ़ाते हुए रीतिका बोली, ‘‘आप लोगों को बहुतबहुत थैंक्स जो मेरा सारा काम यहीं घर बैठे हो जाता है वरना जराजरा से कामों के लिए मेन मार्केट में जाना बड़ा अनसेफ होता है.’’ मैं ने बात की सचाई की तह तक जाने की गरज से अपनी भावनाओं को संभालते हुए कहा, ‘‘और भैया?’’ मेरे इस प्रश्न को सुनते हुए भी न सुनने का बहाना कर, वह इधरउधर देखने लगी. उस का यह व्यवहार मेरे लिए कुछ संदिग्ध सा था पर यह सोच कर मैं शांत थी कि यह तो केवल कस्टमर है, हमें इस से क्या?

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शायद ध्रुव का व्यवहार उस की ईमानदारी और सहयोगात्मक रवैया इस को पसंद आया होगा इसलिए सुविधा के कारण यह अकसर हमारे घर आया करती है. उस दिन भी वह बड़ी रोमांटिक ड्रेस में थी. मन ही मन मुझे उस पर गुस्सा आ रहा था पर अपने को शांत करते हुए मैं ने ध्रुवके अभी तक न आने की बात कर कहा, ‘‘कोई खास काम है? पता नहीं वह कब आएं, चाहो तो मुझे बता दो.’’ ‘‘नहीं, ऐसा कोई खास काम नहीं है. कल ऋदिमा को भेज दूंगी. असल में माणिक की अंगूठी बनवाई है. कल रविवार को पहननी है. गाड़ी से जाना हैवी ट्रैफिक के कारण बड़ा मुश्किल हो जाता है.’’

तभी ध्रुव भी टहल कर आ गए. दबी जबान से मुझे सेब का जूस लाने को कह कर कस्टमर अटैंड करने लगे जबकि मैं चुपचाप उन की बातें सुनने का प्रयास करती रही. आज वह नए जड़ाऊ सेट का आर्डर दे रही थी, फिर दोबारा घर में घुसने का षड्यंत्र? समझ में नहीं आ रहा था कि गुस्सा करूं या शांत रहूं? चली आती है मरी हमारी हरीभरी बगिया में आग लगाने. जाने इस के आने से हमारा घर आबाद होगा या फिर बरबाद? पर ऐसे भी यह चली न आती होगी? जरूर ध्रुवही इसे घर पर बुलाते होंगे.

जूस लाते समय जैसे ही मैं ड्राइंगरूम में घुसी, उसे पति को थैंक्स कहते पाया. उस के हाथपैर कुछ खास अंदाज में हिल रहे थे, मन ही मन मुझे उस पर बड़ी कोफ्त हो रही थी कि देखो, लोग कैसे सज्जनता का मुखौटा लगाए दूसरों को बेवकूफ बनाने में लगे रहते हैं. कहीं यह मीठी छुरी न हो? पर यह नहीं मालूम कि दूसरों को बेवकूफ बनाने वाला खुद सब से बड़ा बेवकूफ होता है. तभी,

अरे, यह क्या इस की चुन्नी का पल्ला भी गिर गया, अगर अनजाने गिरा था तो मुझे देखते ही उठ कैसे गया? नहीं, इस तरह काम नहीं चलेगा, अब मुझ से और नहीं घुटा जाता, शायद उस दिन उमाकांतजी ठीक कह रहे थे, ‘विश्वास धोखा है.’ आज तक मैं इसी विश्वास के धोखे में रही पर अब ध्रुव से खुल कर बात करनी ही पडे़गी. उस के जाते ही तेजी से, नागिन की तरह फुफकार मारती, मैं ध्र्रुव से बोली, ‘‘हटाओ, यह सब कस्टमर, कस्टमर. नहीं चाहिए ऐसा कस्टमर, हमारा घर है या कि किसी की खाला का घर? चली आती है रोजरोज, अपने आदमी के पास बैठने से जी नहीं भरा जो यहां चली आती है.’’

ध्रुव ने समझाने के लहजे में कहा, ‘‘देखो, यह एक पैसे वाले घर की बहू है, सोसायटी में बडे़बडे़ लोगों के बीच इस का उठनाबैठना है. आज छोटेमोटे कामों में यदि हम इसे सहयोग देंगे, तो कल जाने कौन सा बड़ा आर्डर हमें मिल जाए, फिर दोनों लड़कियों की शादी के लिए भी तो अभी जेवर खरीदेगी?’’ यह कह कर उन्होंने मुझे अपनी दूरदृष्टि का परिचय दिया, पर अशांत मन कुछ भी सुनने को तैयार न था. मैं ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘‘मरी, कभी अपने आदमी के साथ भी यहां आई है? कितना जेवर पहनेगी?’’ ‘‘हमें इस से क्या, हमारी तो मार्केट की चुकता हो रही है. तुम तो जानती हो उस का आदमी पूरा सनकी है.’’

नाराज होते हुए, कुछ आश्चर्य तथा जिज्ञासा से उन की ओर देखते हुए मैं बोली, ‘‘और क्या? सनकी ही तो है, दोस्तयार सब उसे ‘जीतू घाट वाला’ कहते हैं, किसी की बीमारी में कभी न जाएगा पर मरे आदमी को फूंकने घाट पर सब से पहले जाएगा, अजीब पागल आदमी है? सारे दिन गधे के जैसे काम करता है, फुर्सत है उसे एक पल की?’’ ध्रुवने संयत हो कर कहा, ‘‘तो क्या मेरे घर फुर्सत मनाने आएगी?’’ गुस्से में मैं वह सब कह गई जो आज तक मेरे मन को कचोट रहा था. आज मेरे मन का हर भाव गुबार बन कर बाहर निकल जाना चाहता था.

ध्रुव भी शायद अपनी सहृदयता के वशीभूत हो मेरी मनोदशा को समझते हुए, बिना एक भी शब्द कहे घर से दुकान चले गए, कहने को तो आवेश में आ कर मैं ध्रुवसे न जाने क्याक्या कह गई, पर अगले ही पल, मुझे वे सभी घटनाएं याद आ गईं जब मैं रीतिका के कई बार बुलाने पर अचानक उस के घर पहुंच गई थी. घंटी बजते ही एक व्यक्ति बाहर निकला. मैं ने अपना परिचय देते हुए रीतिका से मिलने की इच्छा जाहिर की. बिना कुछ कहे वह अंदर चला गया, तभी एक नौकरानी ट्रे में पानी का गिलास ले कर आई, उस ने मुझे पास पड़े सोफे पर बैठने को कहा. पर यह क्या, उस के कहने से पहले तो मैं लगभग सोफे पर बैठ ही गई थी.

मन में आया कि बड़ा अजीब आदमी है? क्या इसे मेरा यहां आना अच्छा नहीं लगा? पर यह तो मुझे जानता भी नहीं है? या फिर यह नीरस इनसान है? गूंगा तो वह हो नहीं सकता था क्योंकि कमरे के अंदर से उस की किसी को डांटने की जोरजोर की आवाजें आ रही थीं. घर का अजीब सा माहौल था. आधुनिक सुखसुविधाओं, झाड़फानूस और आधुनिक किचन व फर्नीचर्स से सजे उस मकान में मुझे अजीब सी मनहूसियत दिखाई दे रही थी. पूछने पर उस की नौकरानी ने बताया कि भाभी बगल वाले फ्लैट में अपनी बीमार सास को देखने गई हैं. मैं ने खबर कर दी है, आती ही होंगी.

इस बीच वह व्यक्ति सूट टाई लगा कर, बिना कुछ कहे, तेज कदम बढ़ाता, बाहर चला गया. शायद, यही इस का पति ‘घाट वाला’ होगा? कैसा विचित्र आदमी है? कैसे रहती होगी रीतिका इस के साथ? अनायास ही रीतिका के लिए मेरे मन में दर्द की एक छोटी सी लहर उठ गई. तभी सामने से मुझे डस्टिंग करती हुई गिरजा आती दिखाई दी. डांट खाने के मारे, उस की जबान तो जैसे बहुत कुछ कहने को बेचैन हो रही थी. सो एक ही सांस में वह बोले जा रही थी,

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‘‘आग लगे मरी जबान को…बड़ा ‘चोर’ आदमी है यह. अभी परसों ही तो ‘श्रीचंद्र जनरल स्टोर्स’ में इंपोर्टेड सेंट की शीशी चोरी करते पकड़ा गया. बताओ क्या इज्जत रह गई होगी बापदादाओं की? हम चोरी करें तो चोर कहलाएं और बड़ा आदमी करे तो ‘मेनिया’. कैसा बेवकूफ बनाते हैं ये बड़े लोग. यह तो रीतिका भाभी के मारे बने हैं. लेनेदेने में हाथ अच्छा है, काम भी कोई खास नहीं और बोलती भी कायदे से हैं, नहीं तो इस सरफोडू के मारे कोई 2 मिनट न रुके.’’ मुझे उसी दिन अपनी बातों का जबाव मिल गया था.

मैं विस्मृत नजरों से उसे देख रही थी. उस समय मुझे खुद पर गर्व और दूसरी तरफ रीतिका पर तरस आ रहा था. तभी रीतिका भी मुझ से मिलने आ गई थी. मेरे आने पर खुशी जाहिर करते हुए जिस तरह वह मेरे स्वागत में लगी थी, सही अर्थों में मुझे वह एक व्यवहारकुशल, सुघड़ गृहिणी लग रही थी. माहौल को समझते हुए वह बोली, ‘‘योर हसबैंड हैस गौन टू शाप? ही इज वेरी सोफेस्टीकेटेड एंड हानेस्ट मैन.’’ प्रिया, तुम कितनी लकी हो, जो तुम्हें ऐसा पति मिला. विजयी के समान कंधे सीधे किए मैं उस दिन झूठे से भी रीतिका के पति की तारीफ नहीं कर पा रही थी, पर उस दिन मैं ने रीतिका की आंखों का सूनापन पढ़ लिया था.

कभीकभी अधिक सहृदयता किसी और सहृदयी के मन को किस तरह न चाहते हुए भी छलनी कर देती है, यह बात उस दिन मैं ने जानी. फिर भी न जाने मुझे क्या होता चला जा रहा था. मैं अपनी ही बनाई दुनिया में, दूर कहीं अंधेरी सुरंग में खड़ी खुद को महसूस कर रही थी और जहां खुद को अकेला पा कर घबराने लगी थी. मेरी दशा उस निरीह पक्षी की तरह हो गई थी, जिस के सारे पंख ही कतर दिए गए हों. मुझे इस तरह उदास देख ध्रुव ने कारण जानना चाहा. शायद उस का अबोध मन किसी भी शंकाओं से परे होने के कारण? पर मैं आज ऐसी कोई भी बात ध्रुवसे नहीं करना चाहती थी, मुझे डर था कि यदि यह बात मिथ्या साबित हुई तो ध्रुव का मन कितना आहत होगा? शायद मैं तुम्हें कुछ अधिक ही चाहने लगी थी.

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ध्रुव के दूसरी बार पूछने पर सिरदर्द का बहाना बना गई, पर मैं उदास थी, मन ने, न जाने अब तक कितने चक्रव्यूह रच डाले थे. एक दिन जब ध्रुवने फिर से मेरी उदासी का कारण जानना चाहा तो मैं ने खाना बनाने वाली दिन भर की बाई रखने का प्रस्ताव रखा. मैं बोली, ‘‘धु्रव, घर में अब फुटकर काम वालों से काम नहीं चलता. मैं ने एक औरत से बात की है, वह गिरजा के गांव से आई उस की विधवा ननद है. औरत भरोसेमंद लगती है. मुझे लगता है कि वह हमारा घर अच्छे से संभाल लेगी. अब बच्चे भी बड़े हो गए हैं, मैं तुम्हारे साथ व्यापार संभालना चाहती हूं.’’

‘‘हां, क्यों नहीं, यही तो मैं भी सोच रहा था… पर तुम्हारी व्यस्तता के कारण कह नहीं पाता था. क्यों न अब से तुम घर ही रह कर कुछ कस्टमर अटैंड कर लिया करो. इस तरह मैं दुकान बेहतर तरीके से चला सकूंगा. आशा है कि तुम्हें मेरा यह प्रस्ताव पसंद आएगा. मैं कस्टमर से कह दूंगा कि वे अब से सीधे तुम्हीं से बात करें.’’

इन 13 टिप्सों को अपनाकर घर को रखें जर्म फ्री

कहते हैं स्वच्छ घर में ही परिवार स्वस्थ रहता है. यह सही भी है. फिर मौसम चाहे कोई भी हो, हर किसी का जर्म फ्री घर रखना आवश्यक है, क्योंकि इस का प्रभाव सीधा सेहत पर पड़ता है. केवल किसी खास अवसर पर ही नहीं, बल्कि हर दिन घर की साफसफाई जरूरी है. इस से आप कई बीमारियों जैसे सांस संबंधी, कीड़े जनित रोग, वायरल फ्लू आदि से दूर रह सकती हैं.

अगर घर में बच्चे या बुजुर्ग हों तो घर का कीटाणुरहित होना बहुत ही आवश्यक है. इस से आप डाक्टर से दूर रह सकती हैं.

घर की दीवारों को इन 5 टिप्सों से बनाएं खास

मुंबई के सैरिनिटी पीसफुल लिविंग की इंटीरियर डिजाइनर और कोफौउंडर, अमृत बोरकाकुटी बताती हैं कि जर्म फ्री घर का होना बहुत आवश्यक है, क्योंकि आजकल कई प्रकार के वायरस अनायास ही हमारे आसपास पनप जाते हैं, जिस से कई प्रकार की वायरल फ्लू हो जाते हैं. इन का इलाज सही समय पर न होने पर ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं.

कुछ टिप्स पर गौर कर घर को जर्म फ्री रखा जा सकता है:

घर की दीवारों को इन 5 टिप्सों से बनाएं खास

  1. घर की नियमित साफसफाई करें. रोज थोड़ीथोड़ी सफाई करने से घर पूरी तरह जर्म फ्री हो सकता है. पोंछा और डस्टिंग के लिए अरोमा और यूक्लिप्टस के

2. औयल का अधिक प्रयोग करें, इस से बैक्टीरिया को पनपने का मौका नहीं मिलता, साथ ही छोटेछोटे कीड़े भी मर जाते हैं.

3. पोंछा या डस्टिंग करने के बाद उस कपड़े को अच्छी तरह साबुन से धो कर धूप में सुखा लें. इस से पोंछा साफ रहने के अलावा दुर्गंधरहित भी हो जाएगा.

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4. किचन और बाकी कमरों के लिए अलगअलग पोंछा रखें. इस से घर हाइजिनिक बना रहता है. पोंछे के पानी में फ्लोर क्लीनर लिक्विड का प्रयोग जरूर करें. सब से ज्यादा कीटाणु फर्श पर ही पनपते हैं.

5. किचन घर का खास हिस्सा होता है, जहां कीड़ेमकोड़े आसानी से जन्म लेते हैं. ऐसे में खाना बनाने के बाद किचन की अच्छी तरह सफाई करें. जूठे बरतनों को उसी समय धो लें. अगर आप के बरतन अगले दिन कामवाली धोती है, तो सभी जूठे बरतनों   को पानी से धो कर एक गमले में डिटर्जैंट पाउडर और पानी डाल कर भिगो कर रखें. गंदे बरतनों के प्रति कीड़े अधिक आकर्षित होते हैं.

6. जहां अधिक नमी होती है वहां बैक्टीरिया, फफूंद और दूसरे कीड़ेमकोड़े आसानी से पनपते हैं और फिर दूसरी जगहों में भी फैल जाते हैं. ऐसे में इन जगहों से नमी को दूर भगाने के लिए पोंछा लगाने के बाद पंखा चला दें. इस के अलावा कमरे का वैंटिलेशन भी सही रखें.

7. बिस्तर और टौवेल को गरम पानी और डिटर्जैंट से नियमित धोएं, ताकि ये जर्म फ्री रहें.

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8. परदे और पंखों की सफाई वैक्यूम क्लीनर से महीने में एक बार अवश्य करें. अधिकतर इन जगहों पर धूलमिटटी आसानी से जमा हो जाती है और फिर कीटाणु आकर्षित होते हैं.

9. किसी भी बरतन या बालटी में पानी अधिक दिनों तक जमा न रखें. इस से मच्छर और कीड़े जन्म लेते हैं. 1-2 दिन में पानी का प्रयोग कर साफ पानी भरें.

10. अगर घर में बच्चे या बुजुर्ग हों तो अधिक केयर जरूरी है, क्योंकि उन्हें कोई भी बीमारी जल्दी लगती है. साफसफाई के बाद अरोमायुक्त कैंडल या अगरबत्ती जलाएं.

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11. बाथरूम और वाश बेसिन की सफाई भी नियमित करें. इस के लिए ब्लीच की जगह साबुन और पानी ही सही रहता है.

12. टाइल्स की सफाई के लिए किसी डिटर्जैंट पाउडर और पानी का इस्तेमाल करें. अगर कहीं मैल अधिक जमा हो तो उसे पुराने ब्रश और साबुन की सहायता से रगड़ कर साफ करें.

13.  दरवाजेखिड़कियों को सप्ताह में एक दिन साबुन पानी से धो कर सूखे कपड़े से पोंछ लें. ताकि उन पर धूलमिट्टी जमा न हो और कीड़े न पनपें.

 क्या बिग बौस की हौट कंटेस्टेंट ने की गुपचुप सगाई? फैंस ने पूछा सवाल 

बिग बौस कंटेस्टेंट रह चुकीं टीवी एक्ट्रेस नेहा पेंडसे पिछले काफी समय से अपने बोल्ड फोटोशूट की वजह से सुर्खियों में हैं. लेकिन इस वक्त वो किसी और ही वजह से सुर्खियां बटोर रही हैं. दरअसल, नेहा की अपने दोस्त के साथ एक फोटो वायरल हो रही है, जिसे देखकर नेहा के फैंस ये कमेंट कर रहे हैं कि क्या नेहा ने गुपचुप सगाई कर ली है. चलिए जानते हैं कि आखिर फैंस ने क्यों ये सवाल पूछा और इस खबर में कितनी सच्चाई है.

नेहा की अंगूठी देख चौंके फैंस…

दरअसल, वायरल हुई फोटो में जिसमें नेहा लाल रंग की साड़ी में ट्रेडिशनल लुक में नजर आ रही हैं. साथ ही उनके हाथ में एक अंगूठी भी दिख रही है और उन्होंने अपने होठों पर ऊंगली रखकर चुप रहने का इशारा किया है. बस फिर क्या था, नेहा के फैंस को शक हो गया कि उन्होंने हाथ में इंगेजमेंट रिंग पहनी हुई है. साथ ही साथ तस्वीर पर एक कैप्शन भी डला हुआ है. जिसको देख कर सब लोग नेहा को उनकी सगाई के लिए बधाईयां देने लगे.

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वही कुछ लोग इस बात का अंदाजा लगा रहे हैं कि नेहा को बिग बौस मराठी में जाने का मौका मिल गया है. लोग तरह तरह की बातें इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि नेहा के दोस्त उनको चारों तरफ से घेरे नजर आ रहे हैं. सबके चेहरे की मुस्कान देख कर साफ है कि कोई न कोई तो खुशखबरी है. आप नीचे दिए गए पोस्ट पर फैंस के कमेंट्स पढ़ सकते हैं…

नेहा ने दिया ये जवाब…

जब इस बारे में नेहा से बात की गई तो उन्होंने दोनों ही खबरों को गलत बताया. नेहा ने बताया, मैंने अभी तक इंगेजमेंट नहीं की है और न ही इतनी जल्दी सगाई करने का कोई इरादा है.

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बिग बौस मराठी में जाने के औफर के बारे में बात करते हुए नेहा ने खुलासा किया कि, मैं बिग बौस मराठी का हिस्सा नहीं बनने जा रही हूं. रही बात इस तस्वीर की तो मेरे दोस्तों ने मेरे लिए कुछ प्लान्स बनाए थे. अब वो प्लान्स हमने हाल ही में पूरे किए हैं इसलिए वो लोग मुझको शुभकामनाएं दे रहे हैं. इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं है. ऐस में इतना तो साफ हो गया कि, नेहा ने सगाई नहीं की है और वो अभी भी सिंगल हैं. आपको ये खबर कैसी लगी ये कमेंट बाक्स में जरूर बताइएगा.

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Edited by- Nisha Rai

इस हौट बौलीवुड एक्ट्रेस से जानें इस्तांबुल की खासियत

इस्तांबुल, तुर्की का एक बड़ा शहर है. अपनी सुंदरता, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व की वजह से यह दुनिया का ध्यान अपनी ओर जरूर खींचता है. यही वजह है कि घूमने के शौकीनों के लिए इस्तांबुल एक पसंदीदा जगह भी बन चुका है.

तीन साल पहले मैं अपनी 5 सहेलियों के साथ इस्तांबुल गई थी. हमारा यह ट्रिप 4 दिन का था और हम 5 सहेलियों ने इस दौरान यहां खूब मस्ती की. हम खूब घूमे, जम कर शौपिंग भी की और खूब खाया भी. यानी एक यात्रा के जो मजे लेने होते हैं वे हम ने खूब लिए. इसलिए यह ट्रिप हम सभी दोस्तों के लिए यादगार ट्रिप रही. आज भी जब हम सब मिलते हैं, तो इस्तांबुल की यादों में खो जाते हैं. सच में यह शहर बहुत ही सुंदर और अलग है.

बासपोरस नदी की सुंदरता

आप को यह जान कर थोड़ी हैरानी हो सकती है मगर यह सच है कि मैं ने अब तक अपनी जिंदगी में कभी नदियां नहीं देखी थीं. बस उन के बारे में सुना था. यहां आ कर मैं ने जब बासपोरस नदी देखी तो मैं देखती ही रह गई. वह इतनी ज्यादा साफ और सुंदर थी कि उस से आंखें हटाने का मन नहीं कर रहा था. वहां की सभी नदियां मुझे बहुत ज्यादा अच्छी लगीं. एकदम ब्लू कलर की. ब्लू कलर के भी अलग-अलग शेड्स नजर आ रहे थे. बहुत ही अच्छा लग रहा था. हम लोग कू्रज पर गए थे. क्रूज पर भी बहुत ही अलग तरह का अनुभव रहा. ऐसा पहले कभी नहीं देखा था, पहले कभी अनुभव नहीं किया था. बहुत ही अद्भुत आनंद देने वाले पल थे. मुझे इस्तांबुल का खाना भी बहुत टेस्टी लगा. उन डिशेज के नाम तो अब याद नहीं, लेकिन स्वाद अब तक याद है. बहुत ही लजीज खाना था वहां का. वहां कई अलग-अलग तरह के रेस्तरां हैं जोकि बहुत ही अच्छे हैं. वहां कई देशों का खाना मिल रहा था. बेशक वह खाना बहुत लजीज था लेकिन मेरे साथ दिक्कत यह है कि 3 दिन से ज्यादा मैं इंडियन खाने के बिना रह नहीं पाती. हमें 3 दिन वहां के खाने का लुत्फ उठाते हुए हो चुके थे. अपना भारतीय खाना बहुत याद आ रहा था.

कम बजट में कैसे घूमें यूरोप

अत: चौथे दिन हम ने तय किया कि आज हम इंडियन खाना खाएंगे. हम ने इंडियन खाना खोजना शुरू किया तो हमें एक इंडियन ढाबा मिल गया, जहां हमें बटर चिकन, बटर नान, तंदूरी नान, दाल मक्खनी, बिरयानी सब मिल गया. जब विदेश में अपने देश का खाना देखा तो हम पांचों खुशी के मारे पागल हो गए. बहुत ही स्वादिष्ठ इंडियन फूड था उस ढाबे में.

इस्तांबुल के हैं 2 रूप

इस्तांबुल के भौगोलिक क्षेत्र की बात करें तो यह 2 अलग-अलग हिस्सों में बंटा हुआ है. ये दोनों जगह एक-दूसरे से बिलकुल अलग हैं. एक परंपरागत यानी पुराना इस्तांबुल जोकि जैसा पहले था वैसा ही है और दूसरा वाला एकदम मौडर्न जहां ज्यादातर टूरिस्ट जाते हैं. हम ने इस्तांबुल के दोनों हिस्से देखे. यही वजह है कि मैं दोनों के कल्चर में अंतर को देख व समझ पाई और मैं ने महसूस किया कि मौडर्न तो आप पूरी दुनिया को देख रहे हो चाहे आप यूरोप में कहीं भी जाएं. लेकिन यहां यह अच्छा लगा कि वह कल्चर जो पहले था जैसे तुर्किश लोगों के पुराने स्टाइल के टिपिकल मार्केट होते थे जोकि बहुत खुले होते थे वे थे. वहां खूब शोरशराबा था.

पैदल घूमने के लिए बैस्ट है यें 5 शहर….

वहां ईवल आई ज्वैलरी बहुत थी. उस में भी कई तरह की ज्वैलरी थी जैसे ईश्वर आई की चूडि़यां, कड़े, बालियां, रिंग्स आदि. हम सभी सहेलियों ने खूब सारी ईवल आई ज्वैलरी खरीदी. मैं ने घर के लिए भी खूब सारी ज्वैलरी और गिफ्ट आइटम्स खरीदीं, क्योंकि वहां जो भी चीजें थीं वे बहुत ही यूनीक थीं और वे कहीं और नहीं मिल सकतीं.

दिलचस्प है इस्तांबुल का इतिहास

अब थोड़ी सी बातें इस्तांबुल के इतिहास की भी कर ली जाएं. आज हम जिस शहर को इस्तांबुल बोल रहे हैं उस से पहले उसे बाजनटियम और उस के बाद कस्न्निया नाम से जाना जाता था. इस्तांबुल को 7 पहाडि़यों का शहर भी कहा जाता है, क्योंकि शहर का सब से प्राचीन क्षेत्र 7 पहाडि़यों पर बना हुआ है. एक और महत्त्वपूर्ण बात बताना चाहूंगी इस्तांबुल के बारे में. वह यह कि यह दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो 2 महाद्वीपों में स्थित है. इस के एक छोर पर यूरोप और दूसरे छोर पर एशिया है. इस्तांबुल, तुर्की का आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र भी है, इसलिए भी इस का अपना एक अलग महत्त्व है. इस्तांबुल में कई संग्रहालय हैं जहां आप यहां के इतिहास, कला और संस्कृति की झलक देख सकते हैं.

ये जगह न भूलें…

पेरा म्यूजियम, अतातुर्क म्यूजियम, सिटी म्यूजियम, अर्चयोलोग्य म्यूजियम, इस्तांबुल म्यूजियम औफ मौडर्न आर्ट, तुर्किश ऐंड इस्लामिक आर्ट म्यूजियम प्रमुख हैं. इनके अलावा प्रिंसेस आइलैंड भी बहुत ही ज्यादा सुंदर है.

अगर आप किताबों के शौकीन हैं तो बेएजिद मसजिद जोकि फतेह में स्थित है, के नजदीक ही किताबों का एक बड़ा बाजार है जहां तुर्की व इस्तांबुल के इतिहास, कला व संस्कृति, पौराणिक ग्रंथों, मानचित्रों व साहित्य की कई किताबें आप को मिल जाएंगी.

सिंगापुर नहीं देखा तो क्या देखा

शौपिंग के शौकीन हैं तो वहां का ग्रैंड बाजार आप को बहुत पसंद आएगा. यह वहां के पुराने बाजारों में से एक है. यह रविवार को बंद रहता है और सप्ताह के बाकी दिन खुला रहता है. यहां बहुत सारी दुकानें हैं जहां से आप गहने, घरेलू सामान, बरतन, घरेलू साजसज्जा से जुड़ी खूबसूरत चीजें, कालीन, फर्नीचर, खानेपीने का सामान यानी बहुत कुछ खरीद सकते हैं. यह बाजार ग्राहक की हर जरूरत का खयाल रखता है. यहां नजदीक ही स्पाइस बाजार भी है जिस की मसालों की खुशबू आप को अपनी ओर जरूर खींचेगी. यहां आप को साबूत व पिसे हुए हर तरह के मसाले और बाकी खानेपीने का सामान भी मिलेगा.

मां-बाप को रखना है तनाव से दूर तो उन्हें सिनेमा दिखाएं

सिनेमा किसे नहीं पसंद होता. पर फिल्में हमेशा मनोरंजन के लिए नहीं होती, ये हमें बहुत कुछ सिखाती भी हैं. कई शोधों में ये बात सामने आई है कि जो लोग सिनेमा देखते हैं, ना देखने वालों की तुलना में उनका दिमाग ज्यादा सक्रिय रहता है, उनमें रचनात्मकता अच्छी होती है और मानसिक तौर पर वो ज्यादा स्वस्थ होते हैं. इस खबर में हम आपको सिनेमा से जुड़ा एक रोचक जानकारी देने वाले हैं.

हाल ही में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई कि सिनेमा, थिएटर जैसे माध्यमों से नियमित रूप से संपर्क में रहने वाले बुजुर्ग तनाव से दूर रहते हैं. तनाव एक गंभीर समस्या है, जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं, विशेषकर बुजुर्ग.

शोध में 50 वर्ष से ज्यादा के करीब ढाई सौ लोगों को शामिल किया गया था. इस अध्ययन में ये बात सामने आई कि लोग जो प्रत्येक दो-तीन महीने में फिल्म, नाटक या प्रदर्शनी देखते हैं, उनमें तनाव विकसित होने का जोखिम 32 फीसदी कम होता है, वहीं जो महीने में एक बार जरूर इन सब चीजों का लुत्फ उठाते हैं, उनमें 48 फीसदी से कम जोखिम रहता है.

ब्रिटेन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इन सांस्कृतिक गतिविधियों की शक्ति सामाजिक संपर्क, रचनात्मकता, मानसिक उत्तेजना और सौम्य शारीरिक गतिविधि के संयोजन में बेहद लाभकारी है.

जानकारों के मुताबिक, ये सारे माध्यम कई तरह के मानसिक विकारों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं. जब आप इन माध्यमों से जुड़ते हैं तो आपके दिमाग को काफी आराम मिलता है. वो रिलैक्स पोजिशन में होता है. खास कर के जो लोग उम्र के एक खास पड़ाव पर खड़े हैं उन्हें जरूरत है कि खुद को तनाव से दूर रखने के लिए इस तरह के माध्यमों का सहारा लें.

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