आखिर तापसी को किस चीज का है डर, पढ़ें पूरी खबर

साउथ की फिल्मों से एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाली एक्ट्रेस तापसी पन्नू फिल्म ‘पिंक’ से चर्चा में आई. इस फिल्म ने उसकी जिंदगी बदल दी और वह नामचीन हीरोइनों की सूची में शामिल हो गयी. इसके बाद उसने कई फिल्में की, जिसमें कुछ सफल तो कुछ असफल रही, लेकिन उसने अपना काम जारी रखा. तापसी अगले साल तक 9 फिल्में साइन कर चुकी है और अपनी जर्नी से बहुत खुश है. फिल्म ‘मिशन मंगल’ के सफल होने पर वह खुश है और बातचीत की, पेश है कुछ अंश.

सवाल- सफलता अभी आपको लगातार मिल रही है, लाइफ कितनी बदली है?

अभी दर्शकों को ये समझ में आ गया है कि मैं अच्छी फिल्म का चुनाव कर सकती हूं. निर्माता निर्देशक का विश्वास बढ़ गया है और काम मिल जाता है. नौर्मल लाइफ में घरवालों को अधिक फर्क नहीं पड़ता. मैं अगर स्क्रिप्ट सुनाना भी चाहती हूं तो वे मना कर देते है.

सवाल- क्या आपको लगता है कि आपके लिए भी भूमिका लिखी जाने लगेगी?

ये बताना संभव नहीं, पर इतना जरुर है कि कोई भी कठिन भूमिका को करने का औफर मुझे मिल रहा है, क्योंकि उन्हें लगता है कि मैं किसी चुनौती को ले सकती हूं.


सवाल- महिला प्रधान फिल्मों में फिल्म की पूरी जिम्मेदारी एक्ट्रेस पर रहती है, लेकिन आपने उसमें भी काम किया, क्या इसे करते हुए कभी डर लगा?

मेरे पास कोई आप्शन नहीं था, इसलिए उसे करना पड़ा. मुझे ऐसी कोई भी फिल्म औफर नहीं हो रही थी जिसमें कई कलाकार हो. ऐसे में या तो मैं घर बैठकर सही फिल्म का इंतजार करती या किसी के छोड़ने पर उसे करने को सोचती ,जो संभव नहीं था, इसलिए मैंने अपना रास्ता खुद ही बनाया है, जो सही लगा उसे किया.

सवाल- फिल्म मिशन मंगलमें महिला वैज्ञानिकों को दिखाया गया है,जबकि रियल में महिला वैज्ञानिक कम आगे लाये जाते है, आपकी सोच इस बारें में क्या है और आपने इसे करते वक्त क्या शोध किया था?

महिलाएं हमेशा से आगे बढ़-चढ़कर अपने आपको हाई लाइट नहीं करती थी. उन्हें जो मिलता था उसमें खुश रहती थी,पर आज जमाना बदला है. आज वे आगे आकर बोलने लगी है. उनके परिवार वाले भी इसे चाहते है. मैं एक साइंस की स्टूडेंट हूं, जिसने इंजीनियरिंग की है और इस बारें में जानकारी मुझे है. इससे मुझे कोई खास परेशानी एक्टिंग में नहीं हुई. चरित्र के हाव-भाव निर्देशक के अनुसार किया है.

सवाल- आप विज्ञान की छात्रा है, क्या आपने किसी प्रकार की इन्वेंशन कभी किया?

मैं कम्प्यूटर इंजीनियर हूं और मैंने अपने स्टडी के फाइनल इयर में एक फौन्ट स्वाप नामक एप बनायी थी. जिसकी मैंने कोडिंग की थी. वह उस समय पहली एप थी और मुझे यूनिवर्सिटी का बेस्ट प्रोजेक्ट का अवार्ड मिला था.

सवाल- क्या अभी आप काम न मिलने की सीमा को पार कर चुकी है?

वह डर अभी भी है, क्योंकि मैं इंडस्ट्री की बाहर से हूं और किसी फिल्म के न चलने पर भविष्य क्या होगा, उसकी चिंता सताती है, क्योंकि मुझे पीछे से सम्भालने वाला कोई नहीं है, लेकिन ये अच्छा हुआ है कि फिल्म ‘पिंक’ के बाद से लोग मुझे देखना चाहते है.

 

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सवाल- आप पार्टी करती हुई कम, लेकिन सोशल वर्क करती हुई दिखती है, इसकी वजह क्या है?

मैं रात को जल्दी सो जाती हूं और मैंने जिस तरह की बैकग्राउंड से आई हूं और मैंने मेडिकल, रेप और मोलेस्टेशन जैसी कई घटनाएं हर क्षेत्र में करीब से देखी और सुनी है. ऐसे में मेरे कहने से अगर कुछ बदलती है, तो मैं उसमें शामिल होना पसंद करती हूं. मैं लोगों के हित में अधिक से अधिक काम करना चाहती हूं.

सवाल- इंडस्ट्री के बाहर से आने वाले कलाकार को क्या मेसेज देना चाहती है?

अगर आप कुछ समय तक यहां रहने के बाद भी मन मुताबिक काम नहीं कर पाते है तो इंडस्ट्री आपके लिए नहीं बनी है और आप इसे छोड़ कुछ और काम करें. हमेशा प्लान बी अपने साथ रखे. मेरे लिए तो हुकम का इक्का मेरा आउटसाइडर होना है, क्योंकि मुझसे दर्शक अपने आपको जोड़ सकेंगे. इसके अलावा अपनी इमेज खुद बनाए. इंडस्ट्री में कोई अधिक बुरा नहीं है, जैसा लोग बाहर से सोचते है. सकारात्मक सोच रखें.

तीन तलाक कानून: मुहरा बनी मुस्लिम महिलाएं

न्ध्विपक्ष के भारी विरोध के बीच आखिरकार तीन तलाक बिल लोक सभा के बाद राज्य सभा में भी पास हो गया और इसी के साथ मुस्लिम महिलाओं के दुख, डर और त्रासदी को मुहरा बना कर मोदी सरकार ने अपनी राजनीति थोड़ी और चमका ली. लोक सभा में जहां बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में केवल 82 वोट पड़े, वहीं राज्य सभा में वोटिंग के दौरान पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब यह नया कानून बन गया. अब तीन तलाक गैरकानूनी होगा और दोषी को 3 साल जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है.

बीते 5 सालों के एनडीए के कार्यकाल में इस बात की पुरजोर कोशिशें होती रहीं कि किसी तरह सामदामदंडभेद से मुसलमानों को बस में किया जा सके. उन के अंदर डर पैदा किया जा सके. दूसरे कार्यकाल में यह साजिश कामयाब हो गई. पहले मुसलमानों को आतंकी बना कर जेलों में ठूंसा गया, फिर मौब लिंचिंग के जरीए उन का उत्पीड़न किया गया, गोरक्षकों से उन्हें पिटवाया और मरवाया गया, उन्हें ‘जय श्रीराम’ का डर दिखाया गया और अब तीन तलाक के मुद्दे पर उन्हें जेल भेजने की पूरी तैयारी हो गई.

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तीन तलाक को संगीन अपराध घोषित किए जाने के बाद तीन तलाक की त्रासदी से गुजर रहीं या तीन तलाक के डर में जी रहीं मुस्लिम महिलाओं में भले ही खुशी की लहर हो या उन्हें लग रहा हो कि बस मोदी सरकार ही उन की सब से बड़ी हमदर्द है, मगर इस की तह में छिपी साजिश और इस के दूरगामी परिणामों का अंदाजा वे नहीं लगा पा रही हैं. सच यह है कि मुस्लिम समाज में स्त्रीपुरुष के बीच फूट पड़ गई है. भाजपा की मंशा भी यही थी. वह हमदर्दी जता कर, आंसू बहा कर एक समाज के निजी घेरे में घुस गई है.

मोदी सरकार ने तीन तलाक देने वाले मुस्लिम पुरुष को अपराधी करार दे कर तीन साल के लिए जेल भेजने की तैयारी तो कर दी, मगर पीडि़त स्त्री को सुरक्षा और आर्थिक सहायता देने की बात कतई नहीं की है. आने वाले समय में ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं को कम से कम बच्चे पैदा करने के लिए भी राजी करने का काम किया जाएगा. कहने को तो यह फैमिली प्लानिंग की बातें समझाने की बात करता है, पर सवाल यह है कि सिर्फ मुस्लिम औरतों को ही क्यों यह बातें समझाई जाएं? गरीब हिंदू औरतों को क्यों नहीं?

यह बात भी ध्यान देने वाली है कि सिर्फ मुस्लिम औरतें ही इस देश में असुरक्षित नहीं हैं, बल्कि हिंदू स्त्रियां भी अपने समाज में बेहद असुरक्षित हैं. अगर कोई महिलाओं की सुरक्षा और उन के हक के लिए इतना चिंतित है, वह नारी गरिमा, नारी न्याय और अस्मिता के लिए काम करना चाहता है, तो उसे सभी समाजों की औरतों की सुरक्षा और सम्मान की बात करनी होगी और सब के लिए समान दृष्टि से काम करना होगा. खाप पंचायतों के हाथों सताई जा रही, मारी जा रही औरतों और बच्चियों के प्रति किसी की संवेदनशीलता और हमदर्दी नहीं जागती. उन की सुरक्षा के लिए अब तक क्या किया गया, इस बारे में सवाल किए जाने चाहिए.

इतनी हमदर्दी क्यों

धर्म, जाति के बाहर विवाह करने वाली महिलाओं को मौत के घाट उतार देने वालों के खिलाफ किसी का खून क्यों नहीं खौलता? उन पीडि़ताओं के प्रति किसी जिम्मेदारी का एहसास किसी को क्यों नहीं होता? सरकार यह ऐलान क्यों नहीं करती कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में पूरी ताकत और दबंगई के साथ चल रही नाजायज और संविधान विरोधी खाप पंचायतों को वह बंद करने जा रही है और पूरे देश में सिर्फ भारत का संविधान चलेगा?

यह आंसू और हमदर्दी सिर्फ मुस्लिम महिलाओं के प्रति ही है, खाप पंचायतों द्वारा औरतों पर अत्याचार के विरुद्ध हरगिज नहीं बोला जा रहा है, क्योंकि इस से पिछड़े वर्गों में उन का वोटबैंक प्रभावित होगा.

इस बारे में डीएमके सांसद कनिमोझी का बयान दर्ज करने लायक है कि ‘तीन तलाक पर बिल लाने में तेजी दिखाने वाली एनडीए सरकार ने ओनर किलिंग को ले कर बिल लाने की बात क्यों नहीं सोची? ओनर किलिंग को ले कर अभी तक क्या कानून बना है? उन्होंने इस बिल को साजिश बताते हुए आरोप लगाया कि भाजपा नेता आजादी की बात करते हैं, लेकिन आज के हालात ऐसे हैं कि देश में खानेपहनने तक की आजादी नहीं है.’

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एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी की बात भी काबिलेगौर है कि नए बिल के मुताबिक अगर पति ने पत्नी को तीन बार तलाक कह दिया तो वह अपराधी करार दे कर जेल में ठूंस दिया जाएगा, मगर उन का निकाह फिर भी नहीं टूटेगा. 3 साल के लिए पति के जेल चले जाने से आखिर महिला और उस के बच्चों का भरणपोषण कौन करेगा? 3 साल बाद जब पति लौट कर आएगा तो क्या वह महिला कहेगी कि बहारो फूल बरसाओ, मेरा महबूब आया है?

ओवैसी की बात शतप्रतिशत ठीक है. आखिर अपने पति को जेल पहुंचा कर पत्नी उस के घर में उस के अन्य परिवारजनों के बीच सुरक्षित कैसे रह सकती है?

सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं

यह बात कतई व्यावहारिक नहीं है कि बहू की शिकायत के बाद जिन का बेटा जेल चला जाए, वह परिवार अपनी बहू के साथ उस घर में संयमित व्यवहार करे और उस का भरणपोषण करे. वे तो उस का उत्पीड़न ही करेंगे और उस पर केस वापस लेने का दबाव बनाएंगे. यही नहीं, हो सकता है गुस्से के अतिरेक में वे बहू को जान से ही मार डालें. न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी. ऐसे हालात पैदा कर के तो मुस्लिम औरत को और ज्यादा असुरक्षित बनाया जा रहा है.

गौर करने वाली बात यह है कि तीन तलाक कहने के बाद भी अगर शादी बरकरार रहती है, तो मुस्लिम पुरुष 3 साल जेल की सलाखों के पीछे किस गुनाह की सजा भुगते?

मुस्लिम पुरुष को जेल भेजने वाली मोदी सरकार क्या महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सचमुच चिंतित है? अगर वह सचमुच चिंतित है तो महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देने की बात क्यों नहीं करती है? वह ऐसा बिल ले कर क्यों नहीं आई, जिस में यह प्रावधान हो कि तीन तलाक देने वाले पुरुष को मेहर की रकम का 5 गुना ज्यादा पैसा महिला को देना पड़ेगा? इस आर्थिक दंड का डर भी तीन तलाक को रोकने के लिए बहुत था. तीन तलाक को रोकने के लिए मुस्लिम पुरुष को जेल में डालना ही एकमात्र उपाय नहीं है और वह भी उस स्थिति में जब शादी बरकरार है और अपराध हुआ ही नहीं है. कुप्रथाएं समाप्त होनी चाहिए, मगर महिलाओं की सुरक्षा और असुरक्षा का पूरा खयाल रख कर. कुप्रथा को समाप्त करने की बात कह कर सरकार ने मुस्लिम समाज के पर्सनल ला में सेंध लगाई है, जो चाहे सही हो, पर नीयत सही नहीं लगती.

मुस्लिम समाज पूरा जिम्मेदार है

अगर आज कोई मुस्लिम पर्सनल ला में सेंध लगाने में कामयाब हुआ है, अगर मुस्लिम मर्दऔरत के बीच दरार पैदा करने में सफल रहा है, तो इस का जिम्मेदार मुस्लिम समाज खुद है. हर समाज की अपनी कमियां होती हैं और उन कमियों का खमियाजा अधिकतर उस समाज की औरतों को ही भुगतना पड़ता है. हिंदू समाज ने सति प्रथा, बाल विवाह जैसी कमियों को दूर कर लिया है. ये बुराइयां जनजाग्रति के जरीए दूर हुई हैं. मुस्लिम समाज में भी तमाम कमियां हैं, जिन में तीन तलाक और हलाला सब से बड़े मुद्दे हैं. मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अपने समाज की औरतों पर यह जुल्म होते रहने दिया है. उन्होंने कभी उन की पीड़ा का समाधान नहीं किया. उन के दर्द को नहीं समझा.

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कमअक्ल मुल्लेमौलवी धर्मग्रंथों में लिखी बातों को तोड़मरोड़ कर पेश करते रहे और पुरुषों के हक में ही फैसले लेते रहे. जब एक बार में तीन दफा ‘तलाक’ शब्द का उच्चारण कर के तलाक देने की बात उन के धर्मग्रंथ में लिखी ही नहीं है, तो उन्होंने क्यों नहीं इस तरीके से तलाक देने पर पाबंदी लगाई? क्यों इस बात का इंतजार करते रहे कि कोई बाहर से आ कर इस पर पाबंदी लगाए? मोदी सरकार ने अभी तीन तलाक पर मुस्लिम पुरुष को जेल भेजने का इंतजाम कर दिया है, दीवानी मामले को फौजदारी का मामला बना दिया है. अब भी अगर मुस्लिम समाज नहीं चेता तो आने वाले वक्त में हलाला मामले में भी ऐसा ही होगा, जब हलाला करने और कराने वाले पुरुष और मुल्लेमौलवी भी जेल में ठूंस दिए जाएंगे. हो सकता है संघ और मोदी सरकार इस से भी बड़ी सजा का प्रावधान करे. इसलिए समय रहते चेत जाने की जरूरत है.

गौरतलब है कि जिस समाज में कुप्रथाओं का बोलबाला हो, औरतों के प्रति अन्याय होता हो वह समाज बहुत जल्दी पिछड़ जाता है. उस में सेंध लग जाती है. आज मुस्लिम समाज को एकजुट हो कर अपनी खामियों और कमियों का विश्लेषण करने की जरूरत है. किसी भी समाज के पर्सनल ला में औरतों के साथ नाइंसाफी की बात नहीं की गई है. मुस्लिम पर्सनल ला में तो हरगिज नहीं है. उस में औरतों को बराबरी का हक दिया गया है. मगर कानून को समझाने वाले हमेशा पुरुषों को ही ज्यादा फायदा पहुंचाने की फिराक में रहते हैं. ऐसे कमअक्ल लोगों की जकड़ से अपने समाज को मुक्त करने की जरूरत मुस्लिम समाज को है.

पुरुष की अनदेखा सोच

यह अमानवीय है कि एक मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को 3 बार ‘तलाक, तलाक, तलाक’ बोल कर अपनी जिंदगी और अपने घर से दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंकता है. एक औरत जो एक पुरुष से निकाह कर के अपना घर, अपने मातापिता, भाईबहन, नातेरिश्तेदार सबकुछ छोड़ कर आती है, अपनी सेवा और कार्यों से एक पुरुष के घर को सजातीसंवारती है, दिनरात घर के कामों में खटती है, अपना शरीर उस पुरुष को उपभोग के लिए देती है, तमाम कष्ट सह कर उस के बच्चे पैदा करती है, उस औरत को अचानक एक दिन ‘तलाक, तलाक, तलाक’ बोल कर घर से बाहर धकेल दिया जाता है. इस की जितनी भर्त्सना की जाए कम है.

सदियों से इस महादेश में मुस्लिम औरतें इस जुर्म का शिकार हो रही हैं. मुस्लिम समाज में धर्म के ठेकेदारों का डर और दबाव इस कदर हावी है कि न तो उदारवादी मुस्लिम समाज और न ही मुस्लिम औरतें कभी इस जुर्म के खिलाफ एकजुट हो पाईं.

यह पुरुष की दमनकारी सोच और तंग नजरिए की वजह से हुआ. आज के दौर में तो तलाक की ठीक प्रक्रिया से बिलकुल दूर मुस्लिम पुरुष फोन पर, ई मेल पर, व्हाट्सऐप पर, किसी अन्य के द्वारा कहलवा कर एक औरत की हंसतीखेतली जिंदगी को एक झटके में गम और दुश्वारियों के अंधेरे कुएं में धकेल देता है. उसे अचानक घर से बेघर कर देता है. उस के मासूम बच्चों को दरदर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर कर देता है.

मुस्लिम समाज न सिर्फ इस अमानवीय कृत्य को खामोशी से देख रहा है, बल्कि तमाम आलिमफाजिल, मुल्लामौलाना इस का समर्थन भी करते हैं. वे साफ कहते हैं कि अगर आदमी ने 3 बार औरत को तलाक बोल दिया, तो अब वह उस पर हराम है, उसे सबकुछ छोड़ कर अपने घर चले जाना चाहिए.

अब मान लीजिए कि तलाक दी गई औरत के मांबाप मर चुके हों, तो बेचारी अपने बच्चों को ले कर कहां जाएगी? अगर वह पढ़ीलिखी नहीं है, आर्थिक रूप से कमजोर है तो वह अपना और अपने बच्चों का भरणपोषण कैसे करेगी?

पुरुष को ही तलाक का अधिकार क्यों

इस देश में बहुत बड़ी संख्या में मुसलमान औरतें ये सब झेल रही हैं, दरदर की ठोकरें खा रही हैं, खुद का पेट भरने और बच्चों को पालने के लिए पुरुषों के हाथों का खिलौना बन रही हैं. वे यह जुर्म बरदाश्त करने के लिए इसलिए भी मजबूर हैं, क्योंकि मुसलमानों के तमाम धर्मगुरु और लगभग सारे मुल्लामौलवी पुरुष वर्ग से हैं. औरतों का वहां कोई प्रतिनिधित्व है ही नहीं. इन की शह का नतीजा है कि मुस्लिम पुरुष जब चाहे एक बार में 3 बार तलाक बोल कर अपनी बीवी को अकेला और बेसहारा छोड़ देता है.

पढ़ीलिखी और कामकाजी औरतें तो तलाक के बाद अपने प्रयास से अपने पैरों पर खड़ी हो जाती हैं और अपनी व अपने बच्चों की परवरिश कर लेती हैं, मगर आर्थिक रूप से पूरी तरह पति पर आश्रित और बालबच्चेदार औरतों के लिए तलाक के बाद की जिंदगी कितनी कठिन होती है, इस की कल्पना भी रूह को थर्रा देती है.

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कुछ लोग तलाक के बाद औरत को हासिल होने वाली मेहर की रकम का हवाला दे कर कहते हैं कि उस से औरत अपनी बाकी की जिंदगी काटे, लेकिन क्या मेहर की छोटी सी रकम से किसी की जिंदगी कट सकती है? बच्चे पल सकते हैं? सवाल यह भी है कि जब निकाह लड़का और लड़की दोनों की रजामंदी के बाद होता है, तो फिर तलाक का अधिकार सिर्फ पुरुष को ही क्यों है? जब निकाह खानदान वालों, दोस्तों, नातेरिश्तेदारों की मौजूदगी में होता है तो तलाक कायरतापूर्ण तरीके से एकांत में, फोन पर, ईमेल या व्हाट्सऐप पर देने का क्या तुक है?

तीन तलाक और राजनीति

बहुत से इसलामी देशों में तीन तलाक के अन्यायपूर्ण रिवाज को या तो खत्म कर दिया गया है या समय के अनुरूप उस में कई संशोधन हुए हैं, लेकिन भारत में इसे ले कर हठधर्मिता जारी है. मुस्लिम पुरुष समाज इस में कतई कोई बदलाव नहीं चाहता था. तलाक के लिए औरत के लिए औरत की भी रजामंदी हो, तलाक के संबंध में उस से भी संवाद हो, उस के आगे के एकाकी जीवन और बच्चों की परवरिश के लिए जरूरी रकम और सुरक्षा का इंतजाम सुनिश्चित हो, इन सब जरूरी बातों से मुस्लिम पुरुष हमेशा बचता रहा, इसलिए वह तीन तलाक जैसे अमानवीय कृत्य के खिलाफ कभी नहीं बोला.

1985 के शाहबानों प्रकरण के बाद से आज तक मुस्लिम महिलाओं को उन के जीवन के अधिकार के संदर्भ में जानासुना नहीं गया. मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की बहस पर पित्तृ सत्तात्मक विचारधारा के पुरुषों ने कब्जा जमा रखा था और उन्होंने हमेशा मुस्लिम पर्सनल ला में किसी भी सुधार की कोशिश को रोकने का प्रयास किया. यही वजह है कि अब बाहर के लोग इन बातों और कमियों का फायदा उठा रहे हैं, घडि़याली आंसू दिखा कर हमदर्दी जता रहे हैं और इसी के नीचे अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं.

मुस्लिम महिलाएं भाजपा के बिछाए जाल में इसलिए आसानी से फंस गई, क्योंकि उन के साथ वहां हमदर्दी दिखाई गई. इस से महिलाओं के अहं को बल मिला. उन्हें पुरुष से बदला लेने का हथियार मिला. मुस्लिम समाज को अपने अंदर व्याप्त कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए झंडा बुलंद करना चाहिए. आखिर अपने घर की सफाई तो घर वालों को ही करनी होगी. कोई बाहरी आ कर आप के घर की सफाई करेगा तो आप की बहुमूल्य चीजें खो जाने का डर तो बना ही रहेगा. कुप्रथाओं का खात्मा जरूरी है, मगर जब राजनैतिक उद्देश्य के लिए ऐसा किया जाता है तो फायदे की जगह नुकसान ही होता है.

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6 टिप्स: स्किन को नुकसान से बचाएं ऐसे

स्किन बौडी के बचाव में अहम भूमिका निभाती है, मगर कैमिकल्स, संक्रमण, घाव, धूलमिट्टी, प्रदूषण आदि से स्किन बेजान सी हो जाती है. ऐसे में नाजुक स्किन का खास खयाल रखना बहुत जरूरी है. पेश हैं, स्किन से जुड़ी कुछ समस्याएं व उन से बचने के तरीके:

1. टैनिंग

धूप से निकलने वाली यूवी यानी अल्ट्रावायलेट किरणें स्किन को बेजान कर देती हैं. धूप में ज्यादा समय बिताने से स्किन में टैनिंग हो जाती है.

 ऐसे करें बचाव

धूप में निकलने से पहले कम से कम 20 एसपीएफ वाली सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूर करें. अगर आप धूप में ज्यादा वक्त बिताती हैं तो हर 3 घंटे में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें. अगर स्विमिंग भी करती हैं तो पूल में जाने से पहले सनस्क्रीन जरूर लगाएं. इस से स्किन पर टैनिंग नहीं आएगी. इस के अलावा गौगल्स पहनें, साथ ही हैट भी लगाएं. इन सब का प्रयोग न सिर्फ आप को अट्रैक्टिव बनाएगा, बल्कि स्किन को भी हर समस्या से बचाएगा.

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2. कसे कपड़ों से संक्रमण

आजकल महिलाएं फैशन के चक्कर में कुछ भी पहन लेती हैं, यह सोचे बिना कि जो वे पहन रही हैं कहीं वह उन की स्किन के लिए घातक तो नहीं है. कुछ कपड़े तो ऐसे होते हैं जो स्किन में खुजली पैदा कर देते हैं. ज्यादा कसे और काटने वाले कपड़े पहनने से स्किन में निशान पड़ जाते हैं और कभीकभी तो स्किन कट तक जाती है, जिस से बारबार खुजलाने को मन करता है. यही नहीं ज्यादा देर तक या रोजरोज कसे कपड़े पहनने से स्किन कैंसर होने का भी खतरा रहता है.

ऐसे करें बचाव

बाजार में हर मौसम के अनुसार कपड़े मिलते हैं. आप बाजार से फैशनेबल के साथसाथ स्किन फ्रैंडली कपड़ों का चुनाव करें. हलके और आरामदायक फैब्रिक वाले कपड़े पहनें.

3. रूखी और बेजान स्किन

बौडी को हेल्दी रखने के लिए पर्याप्त पानी का सेवन जरूरी है. पानी की कमी से स्किन रूखी पड़ जाती है. फिर रूखेपन के कारण उस में दरारें आ जाती हैं जो बैक्टीरिया और फंगस को पनपने का मौका देती हैं. रूखी स्किन बेजान तो दिखती ही है, साथ ही इस में झुर्रियां भी पड़ने लगती हैं.

 ऐसे करें बचाव

स्किन को रूखेपन से बचाने के लिए दिन में कम से कम 2-3 लिटर पानी का सेवन जरूर करें. जब आप नहा कर आती हैं, तो उस के तुरंत बाद मौइश्चराइजिंग लोशन लगाएं. अगर स्किन ज्यादा रूखी है,तो हर 3-4 घंटे में लोशन लगाएं. स्किन को नरिश करने के लिए नारियल तेल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

4. कील-मुंहासे

यह सच है कि हारमोंस में बदलाव मुंहासों को न्योता देता है, लेकिन इस के अलावा कई और कारण भी होते हैं, जिन से कीलमुंहासे निकलते हैं. जैसेकि ज्यादा पसीना आना, उमस, तनाव, स्किन को बारबार छूना आदि.

 ऐसे करें बचाव

बार-बार फेस वाश करने से मुंहासे घातक रूप ले लेते हैं, इसलिए ऐसा करने से बचें. साफसफाई के साथसाथ खुद को तनाव से दूर रखें, उमस से बचें और स्किन को बारबार हाथ न लगाएं. अगर मुंहासों की हालत गंभीर है, तो तुरंत डाक्टर से सलाह लें.

5. स्किन का पीला पड़ना

धूम्रपान से स्किन उम्र से पहले ही बेजान नजर आने लगती है और उस में झुर्रियां भी पड़ जाती हैं. धूम्रपान स्किन की बाहरी परत की नसों को छोटा कर देता है, जिस से रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है और स्किन पीली पड़ने लगती है. धूम्रपान स्किन में औक्सीजन और पोषक तत्त्वों को भी प्रभावित करता है, जोकि स्किन के स्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं. धूम्रपान से होंठ और आंखें भी काली पड़ने लगती हैं. यही नहीं धूम्रपान से स्किन और बौडी में कैंसर होने का जोखिम भी रहता है.

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 ऐसे करें बचाव

स्किन को हेल्दी बनाए रखने के लिए तुरंत धूम्रपान बंद कर दें.

6. स्किन इरिटेशन

जर्म्स, तेल, गंदगी और डैड सैल्स को हटाने के लिए नियमित रूप से फेस वाश करना जरूरी होता है. हालांकि, स्क्रबिंग से स्किन में इरिटेशन हो सकती है, जिस से वह फट जाती है. कई महिलाएं अपनी स्किन को ज्यादा रगड़ कर स्क्रब या फेस वाश करती हैं, जो ठीक नहीं है.

 ऐसे करें बचाव

जैंटल स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें. चेहरे को माइल्ड क्लींजर और कुनकुने पानी से धो लें. चेहरे की उंगलियों से सर्कुलर मोशन में मसाज करें. साबुन या झाग को पूरी तरह निकालने के लिए चेहरे को पानी से अच्छी तरह धोएं. चेहरे को रगड़ने के बजाय तौलिए से थपथपा कर पोंछें.

-डा. गौरव भारद्वाज

कंसल्टैंट डर्मैटोलौजी, सरोज सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल, नई दिल्ली

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नया हो या पुराना हर स्मार्टफोन के लिए जरूरी है ये मोबाइल एसेसरीज

हमारा स्मार्टफोन एक हद तक आज कम्प्यूटर वाले सारे काम कर सकता है लेकिन जैसे कंप्यूटर के रख रखाव और उसकी क्षमता का पूरा इस्तेमाल करने के लिए कुछ साजो सामान की जरूरत पड़ती है वैसे ही स्मार्टफोन के लिए भी अगर आप कुछ जरूरी एसेसरीज लें तो ना केवल आप उसका बेहतर इस्तेमाल कर पाएंगे बल्कि आपके डिवाइस की लाइफ भी बढ़ जाएगी.  आज हम बता रहे हैं उन जरूरी मोबाइल एसेसरीज के बारे में जो नए या पुराने किसी भी स्मार्टफोन के साथ आपको इस्तेमाल करनी ही चाहिए.

1. स्क्रीन प्रोटेक्टर और मोबाइल केस

नया फोन किसे अच्छा नहीं लगता लेकिन और भी अच्छा लगता है जब नया फोन नए जैसा ही रहे. इसके लिए जरूरी है फोन की स्क्रीन और बॉडी को डैमेज होने से बचाना. जो कि आप अपने फोन पर स्क्रीन गार्ड और केस के इस्तेमाल से कर सकते हैं. अब सवाल उठता है कि कौन सा केस और कौन सा स्क्रीन गार्ड? बता दें कि औनलाइन और औफलाइन दोनो ही जगह आपको इसके कई औप्शन मिल जाएंगे लेकिन उनमें से किसी को भी चुनते वक्त कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें. स्क्रीन को स्क्रैच से बचाने के लिए टेम्पर्ड ग्लास का इस्तेमाल बेहतर रहता है. ये फोन के गिरने पर आपकी स्क्रीन को एक हद तक सुरक्षा तो प्रदान करता ही है साथ ही कीमत में भी सस्ता होता है. बाजार में आपको नॉन ब्रेकेबल स्क्रीन गार्ड का औप्शन भी मिल जाएगा लेकिन टेम्पर्ड ग्लास के मुकाबले महंगे होने के साथ-साथ ये प्लास्टिक का होने की वजह से जल्दी स्क्रैच पकड़ते हैं और गिरने पर फोन की स्क्रीन को भी कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करते. फोन का केस भी ऐसा लें जो फोन को चारो ओर से कवर करें और अगर फोन में कैमरा बंप (कैमरे का फोन की बॉडी से उभरा हुआ होना) है तो उसे भी सुरक्षा प्रदान करे.

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2. पेन ड्राइव और ओटीजी केबल

 अब आप सोचेंगे फोन के लिए पेन ड्राइव की क्या जरूरत? दरअसल अब कम ही स्मार्टफोन्स में माइक्रो एस़डी कार्ड के लिए जगह देखने को मिलती है लेकिन अधिक्तर स्मार्टफोन ओटीजी स्पोर्ट के साथ आते हैं. ऐसे में ओटीजी स्पोर्टेड पेन ड्राइव या सामान्य पेन ड्राइव और ओटीजी केबल के साथ आप अपने फोन की स्टोरेज को ना केवल बढ़ा सकते हैं बल्कि समय-समय पर फोन का बैकअप लेकर फोन की लाइफ भी बढ़ा सकते हैं.

3. पावर बैंक

 एंड्रौयड हो या आईफोन समय के साथ हर फोन की बैटरी कमजोर होती है. ऐसे में अच्छा पावरबैंक आपके काफी काम आ सकता है. इसके चलते आपको किसी भी इमरजेंसी सिच्युएशन में फोन के चार्जिंग की चिंता करने की जरूरत नहीं रहती. बता दें कि शाओमी के पावरबैंक सस्ते और टिकाउ माने जाते हैं.

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4. ब्लूटूथ इयरफोन/हेडफोन

जिस तरह से स्मार्टफोन्स कंपनियां हेडफोन जैक को बीते कल की बात बनाने पर तुली हैं उस लिहाज से आपके लिए एक ब्लूटूथ इयरफोन/हेडफोन लेना जरूरी हो जाता है. आप 1000 से 1500 रुपए के बीच एक अच्छा ब्लूटूथ हेडफोन या इयरफोन खरीद सकते हैं. जिससे आपके लिए फोन रिसीव करने के अलावा एंटरटेनमेंट कंज्यूम करना भी बेहद आसान हो जाएगा.

हर पार्टी के लिए परफेक्ट हैं श्रद्धा कपूर की ड्रेसेस

बौलीवुड एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर इन दिनों अपनी नई फिल्म ‘साहो’ के चलते सुर्खियों में बनी हुई हैं. वहीं साउथ के बाहुबली एक्टर प्रभास के साथ उनकी जोड़ी की तारीफ हर कोई कर रहा है, लेकिन आज हम उनकी फिल्म की नहीं उनके फैशन की बात करेंगे. श्रद्धा फिल्म ‘साहो’ के प्रमोशन के लिए नए-नए फैशनेबल आउटफिट में नजर आ रही हैं, जिसे आप चाहें तो किसी पार्टी या क्लब में जाने के लिए ट्राय कर सकती हैं. श्रद्धा के ये आउटफिट फैशनेबल के साथ-साथ कम्फरटेबल भी है जो आपके कम्फर्ट लेवल को बनाए रखेगी.

1. वाइट शर्ट ड्रेस है पार्टी परफेक्ट

अगर आप किसी औफिशयल पार्टी का हिस्सा बनने जा रही हैं और फौर्मल के साथ स्टाइलिश दिखना चाहती हैं तो श्रद्धा की ये ड्रेस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. शर्ट ड्रेस के साथ आप अगर हिल्स ट्राय करें या वाइट जूती  तो ये आपके लुक को पार्टी और प्रोफेशनल दोनों लुक देगा. ये स्टाइलिश के साथ-साथ आपके फौर्मल दिखाने में मदद करेगा.

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2. श्रद्धा की ये ड्रेस है पार्टी परफेक्ट

अगर आप किसी पार्टी में सेक्सी और स्टाइलिश दिखना चाहती हैं तो श्रद्धा की ये ड्रेस जरूर ट्राय करें. ग्लिटरी पीच और सिल्वर ड्रेस आपके लुक को पार्टी में अलग दिखायेगा. साथ ही डीप नेक वाली ये ड्रेस आपके लुक को हौट भी दिखायेगा. अगर आप हील्स में कम्फरटेबल हैं तो इस ड्रेस के साथ हील्स ट्राय करना न भूलें.

3. पिंक और औरेंज है परफेक्ट

पार्टीज में इन दिनों शाइनी कलर की बजाय लोग नियोन कलर को इस्तेमाल कर रहे हैं. अगर आप भी पार्टिज में ट्रेंडी दिखना चाहते हैं तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. पिंक और औरेंज कलर की औफशोल्डर ड्रेस के लुक में श्रद्धा जितनी खूबसूरत दिख रही हैं. उतनी ही आप भी ब्यूटीफुल और खूबसूरत अपनी पार्टी में दिखेंगी.

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4. वेडिंग पार्टी के लिए परफेक्ट है श्रद्धा का ये गाउन

 

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अगर आप भी पार्टी में सिंपल और खूबसूरत दिखना चाहती हैं तो श्रद्धा का ये स्किन कलर का खूबसूरत औफ शोल्डर गाउन जरूर ट्राय करें. श्रद्धा का ये गाउन आपको पार्टी में सिंपल और खूबसूरत दिखाएगा. आप अगर चाहें तो इसके साथ हैवी इयरिंग्स और सिंपल गोल्डन पेंडेंट गले में डाल सकती हैं.

Period Problems : हर उम्र की महिला की सेहत का रखें ख्याल डाबर ‘दशमूलारिष्ट’

Period Problems :  हाउस वाइफ हो या वर्किंग वुमन, इनकी सेहत में परिवार की खुशियां छिपी होती है. घर के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक की रूटीन लाइफ का सीधा संबंध वुमन हेल्थ से है. महिलाओं का सेहतमंद होना उनके लिए भी जरूरी है क्योंकि 12 से 13 साल की उम्र से ही पीरियड्स शुरू हो जाता है. इस वजह से शरीर में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं. 

पीरियड्स में होने वाले पेट दर्द, थकान, चिड़चिड़ापन में राहत पहुंचाता है दशमूलारिष्ट

पीरियड्स  के दिनों में पेट में दर्द, आलस महसूस होना, जल्दी थकान और कमजोरी का अनुभव करना, बातबात में चिड़चिड़ापन होना और वाइट डिस्चार्ज की दिक्कतें आम होती है.  लाइफस्टाइल में होने वाले बदलाव और गलत फूड हैबिटस की वजह से इरेगुलर पीरियड्स, ‘पीसीओएस’, ‘पीसीओडी’ जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं.  डाबर का दशमूलारिष्ट, हर उम्र की महिला के लिए एक संपूर्ण टॉनिक है. यह केवल पीरियड्स से जुड़ी शिकायतों को ही दूर नहीं करता बल्कि प्रजनन संबंधी सेहत को भी दुरुस्त रखता है.  

प्रसूता की कमजोरियों को दूर करता है दशमूलारिष्ट

दो चम्मच दशमूलारिष्ट पीने  के एक से बढ़ कर एक फायदे 

  • पीरियड्स के समय होने वाली दिक्कतों में राहत देता है. 
  • इरेगुलर पीरियड्स को ठीक करने का अचूक नुस्खा है. 
  • महिला शरीर के हारमोन्स को संतुलन में रखता है. 
  • डाइजेशन से जुड़ी परेशानियों को पास फटकने नहीं देता है .
  • वाइट डिस्चार्ज की तकलीफ में बेहद असरदार है.
  • प्रेग्नेंसी से जुड़ी दिक्कतों जैसे प्रेग्नेंट नहीं होना, बारबार गर्भपात होना को दूर करता है.
  • यूटेरस की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है. 
  • शिशु जन्म के बाद मां के यूटेरस को पहले जैसा बनाने में मददगार है.
  • चाइल्ड बर्थ के बाद मां की थकान दूर करने के साथ ही उनको ताकत देने का काम करता है.
  • महिलाओं की शरीर की हड्डियों को मजबूती देता है.

कितनी मात्रा में लें 

70 से अधिक जड़ीबूटियों से तैयार डाबर का दशमूलारिष्ट का 15 मिली से 30 मिली (2 से 4 चम्मच) बराबर मात्रा में पानी के साथ लें, इस बारे में डॉक्टर की राय लें.

 

तैमूर की फोटोज खींचने पर भड़के सैफ अली खान, मीडिया को कह डाली ये बात

करीना कपूर खान और सैफ अली खान के बेटे तैमूर अली खान ने बहुत ही जल्द अपनी फैन फोलोविंग बना ली है. मात्र 2 साल की उम्र में तैमूर सबके चहेते बन गए हैं और इस फैन फोलोविंग का अहम कारण है तैमूर की क्यूटनेस. तैमूर अली खान की फैन फोलोविंग इतनी बढ़ गई है कि आए दिन उनके बारे में कोई ना कोई खबर हमे सुनने को मिलती ही रहती है और उनकी फोटोज को तो क्या ही कहना. उनकी फोटोज सोशल मीडिया पर ऐसे वायरल होती है जैसे किसी पौपुलर हीरोइन की भी नहीं होती होंगी.

मीडिया पर भड़के फैंस वीडियो वायरल…

तैमूर देखते ही देखते कब सबके इतने फेवरेट बन गए कि पता ही नही चला. मीडिया तैमूर की फोटोज लेने के लिए किसी भी हद तक चली जाती है और यही बात शायद तैमूर के पापा सैफ अली खान को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती. हाल ही में सैफ का गुस्से वाला वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है.

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इस वीडियो में ये साफ दिख रहा है कि सैफ अली खान अपने बेटे तैमूर अली खान को लेकर अपने घर के गेट से बाहर निकल रहे थे कि तभी सामने खड़ी मीडिया को देखकर सैफ बेहद गुस्सा हो गए और फोटोज लेने के लिए साफ इंकार कर दिया. इससे पहले भी सैफ कई बार तैमूर की फोटोज लेने के लिए मीडिया पर आग बबूला हुए है और इसका कारण ये है कि सैफ बिल्कुल नहीं चाहते की उनका बेटा कभी भी किसी से भी डरे.

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इसी बारे में मम्मी करीना कपूर खान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “यह काफी गैर जिम्मेदाराना है. तैमूर की बेवजह फोटोज खींचने वालों का ये व्यवहार सैफ को बिलकुल भी पसंद नहीं है.” इसके आगे करीना कपूर खान ने कहा कि- “हौलीवुड स्टार्स हमेशा अपने बच्चों को मीडिया से दूर रखते है. अपने बच्चों का चेहरा ढक लेते हैं लेकिन सैफ और मैने ऐसा कभी नहीं किया. सैफ नहीं चाहते कि उनका बच्चा किसी से भी डरे.”

Written By- Karan Manchanda

अपने पापा को लेकर श्रद्धा कपूर का बयान, जानें क्या कहा

फिल्म ‘आशिकी 2’ से चर्चा में आने वाली एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था, जिसमें साथ दिया उनकी मां शिवांगी कपूर और पिता शक्ति कपूर ने. श्रद्धा ने हर तरह की फिल्में की, जिसमें कुछ सफल तो कुछ असफल रही. वह असफल फिल्म को अधिक याद करना पसंद करती है, क्योंकि इससे उसे अपनी कमी को सुधारने का मौका मिलता है और ग्राउंडेड रहती है. शांत और सौम्य स्वभाव की श्रद्धा को पेड़-पौधे और जानवरों से बहुत लगाव है और उसके कमरे की बालकनी में उसने कई प्रकार के प्लांट्स लगाए है और जब वह घर पर रहती है तो पंक्षियों की चहचहाहट का आनंद लेती है. उसकी फिल्म ‘साहो’ रिलीज पर है, उससे बात करना रोचक था, आइये जाने क्या कहती है वह अपनी जर्नी के बारें में.

सवाल- ये तकनीक की दिशा से बड़ी फिल्म है, कितना प्रेशर महसूस कर रही है?

मैं बहुत प्रेशर में हूं, क्योंकि ये बड़ी बजट की भी फिल्म है. इसमें मैंने थोड़े बहुत एक्शन किये हैं. इसके लिए थोड़ा प्रशिक्षण लिया है और उम्मीद है कि दर्शकों को मेरा काम पसंद आएगा.

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सवाल- एक्शन की प्रशिक्षण कैसे लिया?

एक इंटरनेशनल टीम हैदराबाद में आई थी और उन्होंने बहुत अच्छी तरीके से प्रशिक्षण दिया था. उनके डायरेक्टर के सिखाने का तरीका बहुत ही अच्छा था. इसके अलावा पिछला पूरा साल मेरे लिए मेहनत भरा था, क्योंकि मुझे डेंगू हो गया था, जिससे मैं काफी समय तक कमजोर रही. वैसी हालत में मुझे एक्शन दृश्य करना पड़ा, जो मुश्किल था. अभी भी मेरे गर्दन और कंधे पर दर्द है. मैं अभी भी रिकवरी की स्टेज में हूं.

सवाल- एक्शन करते वक़्त कभी डर लगा?

डर कई बार लगा, क्योंकि मुझे रियल गन से शूट करना था, जो भारी होने के साथ-साथ उसमें से एक आवाज भी निकलती है. एक्शन के पहले दिन पूरी रात मेरे कानों में उसकी आवाज गूंजती रही. मुझे पूरी रात नींद नहीं आई. धीरे-धीरे मैं उससे परिचित हुई हूं.

सवाल- प्रभास के साथ काम करना कैसा था?

वे बहुत ही सरल और उत्साही स्वभाव के है और उनके साथ काम करने में बहुत अच्छा लगा. उन्होंने हर दृश्य को मेरे लिए करना आसान बनाया.

सवाल- अभी आप अधिकतर एक्शन फिल्में कर रही है, एक्शन को लेकर ख़ास लगाव की वजह क्या है?

ऐसा कुछ नहीं है. मुझे ऐसी चरित्र करना है, जिसे मैंने अभी तक किया नहीं है. वही मुझे आकर्षित करती है. मेरे आगे आने वाली सभी फिल्में एक दूसरे से अलग है.

सवाल- आपके काम में पिता का कितना योगदान रहता है?

उन्होंने बहुत सारी फिल्में की है और हमेशा कुछ न कुछ सलाह देते रहते है. कई बार मैं अधिक काम की वजह से व्यस्त होती हूं, तो वे मुझे आराम करने और काम को आराम से करने की सलाह देते है. डेंगू के समय में तो उन्होंने मेरा घर से निकलना भी बंद कर दिया था. वे काम को हमेशा सामंजस्य के साथ करने की सलाह देते है.

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सवाल- क्या फिल्म ‘सायना’ को छोड़ने का रिग्रेट है?

मैं उस फिल्म के साथ काफी समय से जुड़ चुकी थी और बहुत सारा समय भी मैंने उसमें लगाया था, लेकिन रेमो फर्नांन्डीज ने मुझे ‘स्ट्रीट डांसर’ का औफर दिया. उन्हें मैं गुरु मानती हूं, क्योंकि उन्होंने मुझे अच्छा मौका आगे बढ़ने के लिए दिया है. इसके अलावा उस दौरान मुझे डेंगू भी हुआ था, ऐसे में दोनों फिल्मों को मैं एक साथ नहीं कर पाती थी. इसलिए छोड़ना पड़ा, क्योंकि दोनों के डेट्स क्लैश कर रहे थे. रिग्रेट तो नहीं हुई, पर ऐसा जरुर लगा कि काश मैं दोनों को कर पाती, तो बहुत अच्छा होता. मैं खुश हूं कि फिल्म सायना बन रही है और मैं जानती हूं कि परिणीति चोपड़ा उसमें अच्छा काम करेंगी.

सवाल- खाली समय में आप क्या करती है?

मुझे परिवार के साथ घूमने में मजा आता है, क्योंकि थोडा सुकून काम से मिलता है. अभी समय का अभाव है, इसलिए कही कुछ जाने का नहीं बन पा रहा है. मेरे पिता सबसे बड़े कार्टून है और छुट्टियों को हमारे साथ खूब एन्जौय करते है. खूब मौज-मस्ती करते है. इसके अलावा मुझे अपनी बालकनी बहुत पसंद है, जिसमें मैंने कई तरह की पौधे उगाये है, जिसे मैं देखती और एन्जौय करती हूं.

सवाल- रियल लाइफ में आप दोस्त और दोस्ती को कितना पसंद करती है?

मैं अपने दोस्तों के समूह को सबसे अधिक मिस करती हूं. जहां हमें उनकी जरुरत होती है. मेरे स्कूल के दोस्त है, जो अभी तक मेरे साथ है. मैं बहुत अधिक दोस्ती किसी के साथ नहीं करती. मेरे सबसे अधिक आलोचक मेरे पुराने दोस्त ही हैं. किसी काम को सही या गलत, वे आसानी से बता देते हैं. एक मेरे फैशन की भी अच्छी दोस्त है, जो मेरे फैशन की आलोचक हैं.

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सवाल- आप फैशन को लेकर कितनी अधिक जागरूक है?

मैं बहुत सिंपल हूं और आरामदायक ड्रेस पहनना पसंद करती हूं, लेकिन जहां सजने सवरने की जरुरत होती है, मैं वहां तैयार होती हूं.

बौलीवुड के ये गाने बनाएंगे Janmashtami को और भी स्पैशल

बौलीवुड फिल्मों में शुरुआत से ही हर फेस्टिवल को धूमधाम से दिखाया जाता है. होली-दिवाली से लेकर राखी तक हर त्यौहार के लिए फिल्मों ने गाने दिए है. तो जन्माष्टमी के मौके पर हम आपको कुछ ऐसे ही गानों के बारे में बताने जा रहे हैं जो हर साल जन्माष्टमी के अवसर पर सभी के जुबान पर आ ही जाते हैं.

1. गो गो गो गोविंदा…

जन्माष्टमी के सदाबहार गानों में ये गाना सबसे टौप पर है. फिल्म ‘ओह माइ गोड’ (2012) के इस गाने को सुनकर बेहद अच्छा लगता है. इस गाने में प्रभुदेवा और सोनाक्षी सिन्हा जमकर दहीहांडी के कार्यक्रम में ठुमके लगा रहे हैं. इस गाने के पीछे श्रेया घोषाल और अमित त्रिखा की आवाज है.

2. राधे राधे

एक के बाद एक हिट फिल्में करने के बाद आयुष्मान खुराना की अपकमिंग फिल्म ‘ड्रीम गर्ल’ का पहले गाने का नाम है ‘राधे राधे’ और इस गाने को अपनी आवाज दी है, मीत ब्रदर्स और अमित गुप्ता ने. जन्माष्टमी के अवसर पर फिल्म ‘ड्रीम गर्ल’ के पहले सौंग राधे राधे को दर्शको ने काफी पसंद किया है और भरपूर प्यार दिया है.

3. राधा नाचेगी…

2015 में सोनाक्षी सिन्हा और अर्जुन कपूर की फिल्म ‘तेवर’ में ‘राधा नाचेगी’ नाम का गाना दिखाया गया था. इसमें सोनाक्षी ने राधा बनकर बेहतरीन डांस किया है. इस गाने की आवाज़ के पीछे ऋतु पाठक, शबाब सबरी और दानिश सबरी है.

4. राधा औन द डांस फ्लोर…

जैसा कि आप सब जानते हैं करण जौहर की फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ से आलिया भट्ट, सिद्धार्थ मल्होत्रा और वरुण धवन ने डेब्यू किया था. इसी फिल्न का एक गाना है ‘राधा’ जिसमें आलिया भट्ट काफी अच्छा डांस करती दिखाई दे रही हैं. फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ की ये गाना दर्शको ने बहुत पसंद किया था. इस गाने को आवाज़ श्रेया घोषाल, उदित नारायण, विशाल ददलानी, और शेखर रविजानी ने दी है.

5. गोविंदा आला रे…

‘रंगरेज’ फिल्म(2013) का यह प्यारा गाना किसे याद नहीं होगा. दहीहांडी को सबसे खास बताने वाले भाव से भरे इस गाने को सुनने के बाद, हर किसी की मन दहीहांडी फोड़ने को कर जाता है. इस गाने को ओर भी खास बनाया है वाजिद खान नें अपनी मीठी आवाज देकर.

‘कायरव’ को लेकर ‘नायरा-कार्तिक’ के बीच शुरू हुई जंग, देखें Video

स्टार प्लस का सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ औडियंस के बीच इन दिनों अपनी खास जगह बना चुका है.’ नायरा-कार्तिक’ की जोड़ी हो या ‘नायरा’ से ‘दादी’ की तकरार फैंस को शो की हर चीज पसंद आती है. वहीं इन दिनों ‘कायरव’ को लेकर भी लोगों का अच्छा रिस्पौंस मिल रहा है. लोगों के अच्छे रिस्पौंस को देखते हुए शो के मेकर्स अब कुछ नए ट्विस्ट लाने जा रहे हैं. आइए आपको बताते हैं शो में कौनसा नया ट्विस्ट करेगा आपको एंटरटेन…

दादी और नायरा की दिखेगी तकरार

सीरियल से जुड़ी खबरों की मानों तो ‘कायरव’ की सर्जरी ठीक होने के बाद अब डाक्टर ‘नायरा’ और ‘कार्तिक’ को ‘कायरव’ को घर ले जाने के लिए कहेंगे, इसी के साथ ही दादी हर हाल में ‘कायरव’ को ‘नायरा’ से अलग करने की प्लानिंग भी कर लेंगी. वहीं ‘नायरा’ का भाई ‘नक्क्ष’ यानी दादी के इरादों को भांप लेगा और ‘नायरा’ से कहेगा कि वह सिंघानिया सदन में अपने बेटे को लेकर आ जाए.

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कायरव के ट्विस्ट के चलते नम्बर 1 बना शो

साल 2019 के 33वें हफ्ते की टीआरपी लिस्ट में सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ ने पहले पायदान पर पहुंच गया है. वहीं अगर सीरियल के टर्न और ट्विस्ट को देखें तो लग रहा है कि आने वाले कई हफ्तों तक ये सीरियल पहले पायदान से हटने नहीं वाला है.

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बता दें, बीते दिनों सीरियल में दिखाया जा रहा है कि ‘कायरव’ को ‘दादी’ गोयनका सदन में लाने के सपने देखने में लगी हैं. साथ ही वह ‘सुरेखा’ को ‘कायरव’ का कमरा सजाने के लिए कहती हुईं नजर आती हैं. वहीं खबरें हैं कि जल्द ही ‘दादी’ ‘कार्तिक’ को ‘नायरा’ से तलाक लेकर ‘कायरव’ की कस्टडी लेने को कहेंगी, जिसके खिलाफ ‘नायरा’ आवाज उठाती नजर आएंगी. अब देखना ये है कि क्या ‘नायरा’ ‘कायरव’ को अपनी जिंदगी से दूर होने से रोक पाएगी.

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