22 साल छोटी गर्लफ्रेंड से जल्द शादी कर सकते हैं सलमान के भाई

बौलीवुड के दबंग खान के भाई अरबाज खान अपनी प्रौफेशनल लाइफ के साथ-साथ पर्सनल लाइफ को लेकर भी चर्चा में चल रहें हैं. जहां एक तरफ एक्स वाइफ मलाइका अर्जुन कपूर का साथ अपनी जिंदगी की शुरूआत कर रहीं हैं, वहीं अब अरबाज खान गर्लफ्रेंड जौर्जिया एंड्रियानी के साथ आगे की जिंदगी बिताने की तैयारी कर रहे हैं.

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मलाइका अरोड़ा से तलाक के बाद कुछ दिनों तक अरबाज बेहद दुखी थे, लेकिन जब से उनको गर्लफ्रेंड जौर्जिया एंड्रियानी का साथ मिला है तब से उनके जीवन में खुशियों ने दस्तक दी है. अरबाज और उनकी गर्लफ्रेंड जौर्जिया अक्सर एक दूसरे के साथ अच्छा वक्त बिताते दिखाई देते है. वहीं खबरों की मानें तो, अरबाज बहुत जल्द अपनी 22 साल छोटी गर्लफ्रेंड जौर्जिया एंड्रियानी से सगाई कर सकते है. अरबाज का परिवार भी जौर्जिया को पसंद करता है. साथ ही अरबाज और उनका परिवार चाहता है कि ये दोनों भले ही अभी शादी के लिए तैयार नहीं है, लेकिन दोनों को सगाई कर लेनी चाहिए.

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बता दें, अरबाज खान और मलाइका अरोड़ा के तलाक को अब 2 साल हो जाएंगे. दो सालों के बीच अरबाज खान और मलाइका अरोड़ा के बीच का रिश्ता अब पूरी तरह से बदल गया है. वहीं प्रौफेशनल लाइफ में फिलहाल अरबाज खान ‘दबंग 3’ को लेकर काफी व्यस्त है. इस बार अरबाज खान इस फिल्म को प्रोड्यूस करेंगे. फिल्म में सलमान खान चुलबुल पांडे तो वहीँ सोनाक्षी सिन्हा रज्जो की भूमिका में दिखाई देंगी. ये फिल्म दिसंबर को रिलीज होगी.

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अगर रोज करती हैं मेकअप तो हो सकती हैं ये 5 परेशानियां

हर कोई सुंदर दिखना चाहता हैं और इसके लिए अक्सर आप हर रोज मेकअप करती हैं. लेकिन क्या आप जानती हैं कि हर रोज मेकअप करना आपके लिए कितना नुकसानदेह साबित हो सकता है. रोजाना मेकअप करने से त्वचा का नेचुरल ग्लो खो जाता है. साथ ही कई तरह की बीमारियां होने की भी संभावना रहती है.

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अगर आप सही तरीके से भी मेकअप नहीं करती हैं तो आपका स्क‍िन डैमेज हो सकता है. इसके अलावा आप कैसे प्रोडक्ट यूज करती हैं, इस बात से भी  फर्क पड़ता है. आइए जानते हैं हर रोज मेकअप करने से क्या आपको क्या समस्याएं हो सकती हैं.

  1. बहुत अधिक मेकअप करने से पोर्स बंद हो जाते हैं. जिससे इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है. कई बार इसके चलते मुंहासों की समस्या बढ़ जाती है.

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2. जो लोग बहुत ज्यादा मसकारा इस्तेमाल करते हैं, उन्हें अक्सर इस प्रौब्लम को फेस करना पड़ता है. बहुत अधिक मसकारा यूज करने से पलकें झड़ना शुरू हो जाती हैं.

 

3. अगर आपका स्कि‍न टाइप अचानक से बदल गया है तो हो सकता है कि ये बहुत अधिक मेकअप करने की वजह से हो. मेकअप करने से स्क‍िन पोर्स बंद हो जाते हैं. जिससे पसीना नहीं आता और स्क‍िन औयली हो जाती है.

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4. कई बार बहुत अधिक मेकअप करने से एलर्जी हो जाती है. कई बार इसकी वजह से चेहरे पर लाल निशान भी बन जाते हैं.

5. बहुत अधिक आई मेकअप करने वालों की आंखें जल्दी ही ड्राई हो जाती हैं. इससे आंखों में हर समय जलन और खुजली होती है.

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वायरल हुआ प्रियंका चोपड़ा का मंगलसूत्र फैशन

गरमियों में बौलीवुड एक्ट्रेसेज का फैशन लोगों को इंस्पायर करता है, वहीं अगर फैशन में भारतीय परंपरा को जोड़ दिया जाए तो वह ट्रैंड बन जाता है. जिसे लोग अपनाते हैं. ऐसे ही ट्रैंड बनाती नजर आईं प्रियंका चोपड़ा. बौलीवुड ही नहीं हौलीवुड इंडस्ट्री में कामयाबी का परचम लहराने वाली देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा हाल ही में मुंबई पहुंची. जहां प्रियंका को मुंबई एयरपोर्ट पर यैलो कलर के पैंट के साथ मैचिंग टौप में नजर आईं, जिसमें वह मंगलसूत्र को फ्लौंट करती नजर आईं.

  1. सिंपल था प्रियंका का आउटफिट

देसी गर्ल प्रियंका का यह खूबसूरत यैलो कलर का आउटफिट सिंपल होने के साथ ही काफी स्टाइलिश भी था. जिसमें उनकी ड्रैस के साथ मंगलसूत्र चार चांद लगा रहा था. यह पहली बार नही है जब प्रियंका अपने मंगलसूत्र को फ्लौंट करती नजर आईं हैं.

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  1. कोट पैंट के साथ मंगलसूत्र का फैशन

 

 

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her street looks are always on point ??

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कोट-पैंट के साथ मंगलसूत्र को पहनें नजर आ चुकी हैं प्रियंका.

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  1. प्रियंका का ड्रैस के साथ मंगलसूत्र फैशन

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पिछले दिनों ड्रैस के साथ भारतीय परंम्परा को अपनाती नजर आईं. यानी ड्रैस के साथ मंगलसूत्र का फैशन.

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समर ड्रिंक: स्ट्रौबेरी रोज लैमोनेड

अक्सर लोग तेज धूप और गरमी में नींबू पानी और छाछ पीते हैं, लेकिन जरूरी नहीं की हम ये ही पुरानी चीजें ही पीयें. अगर आफ भी इस गरमी कुछ नया ट्राई करना चाहतें हैं तो पढ़िए हमारी स्ट्रौबेरी रोज लैमोनेड की रेसिपी…

हमें चाहिए

4 स्ट्रौबेरी

2-3 बड़े चम्मच नीबू का रस

1 छोटा चम्मच शहद

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4 बड़े चम्मच स्ट्रौबेरी स्क्वैश

8-10 बूंदें रोज वौटर

2 छोटे चम्मच रोज स्क्वैश

चीनी स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

-ठंडे पानी में शहद, चीनी, गुलाबजल व नीबू का रस डाल कर मिक्स करें.

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-स्ट्रौबेरी धोकर उस का पेस्ट बना लें. अब छलनी से छान कर लें. सर्व करते समय स्ट्रौबेरी और रोज स्क्वैश डालें.

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गरमियों में ट्राई करें लैमन मिंट आइस टी

अक्सर लोग गरमियों में भी चाय पीना पसंद करते हैं, लेकिन किसी ने यह नही कहा है कि चाय गर्म ही पीयें. आज हम आपको ठंडी चाय यानी लैमन मिंट आइस्ड टी की रेसिपी के बारे में बताएंगें, जिससे आप गरमी में भी टेस्टी चाय का मजा ले सकेंगें..

हमें चाहिए…

1 नीबू

थोड़ी सी पुदीनापत्ती

5-6 छोटे चम्मच चीनी

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1/4 छोटा चम्मच चायपत्ती

11/2 गिलास पानी.

बनाने का तरीका

-एक सौसपेन में पानी व चीनी डाल कर आंच पर पकने दें. जब पानी में उबाल आ जाए तो चायपत्ती व पुदीनापत्ती डाल कर 2-3 मिनट और पकने दें.

-फिर आंच बंद कर थोड़ी देर के लिए ढक कर रख दें. अब इस पानी को छान कर इस में नीबू रस मिलाएं.

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थोड़ा पानी अलग निकाल कर ठंडा करें और बाकी पानी को आइस ट्रे में भर कर आइस बना लें.

कांच के गिलास में पहले तैयार आइस, फिर नीबू स्लाइस और ठंडा लैमन मिंट टी पानी डाल कर सर्व करें.

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फलों और सब्ज‍ियों को साफ करने के ये हैं 3 तरीके

जिन फलों और सब्ज‍ियों को हम सेहत बनाने के लिए खाते हैं उन्हें कई प्रकार की कृत्रिम खादों और कीट-नाशकों का प्रयोग करके उगाया जाता है. फसलों को नुकसान से बचाने के लिए किसान खेतों में कीट-नाशकों का छिड़काव करते हैं.

खेत से जब ये फल और सब्ज‍ियां बाजार पहुंचती हैं तो इनमें कीट-नाशकों को कुछ अंश चिपके ही रह जाते हैं. ये हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होता है. ये कीट-नाशक शरीर में जमा होने लगता है और शरीर में विषाक्त पदार्थ की मात्रा बढ़ती जाती है. इसके साथ ही हमारा इम्यून सिस्टम भी खराब हो जाता है.

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ऐसे में सब्ज‍ियों की सफाई करना बहुत जरूरी हो जाता है. पर कुछ लोग गलत तरीके से सब्ज‍ियों की सफाई करते हैं जिसके चलते सब्जि‍यों और फलों के पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं. इन तरीकों से फलों और सब्ज‍ियों को साफ करने से एक ओर जहां आप विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचे रहते हैं वहीं उनके पोषक तत्व भी नष्ट नहीं होते हैं.

  1. सिरके से करें सब्जी साफ

सिरका एक ऐसी चीज है सब्ज‍ियों और फलों में मौजूद कीटों को तो साफ करते ही है साथ ही कीट-नाशक को भी बेहतर तरीके से हटा देता है. एक बड़े बर्तन में पानी लेकर उसमें कुछ मात्रा में सिरका मिला लें. फलों और सब्ज‍ियों को उसमें डुबोकर रख दें. कुछ देर बाद उन्हें हल्के हाथों से मलकर बाहर निकाल लें. उसके बाद एक साफ बर्तन में उन्हें रखकर इस्तेमाल में लाएं.

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2. बेकिंग सोडा

सिरके के साथ ही बेकिंग सोडा से भी सब्ज‍ियों और फलों को साफ करना एक अच्छा उपाय है. पांच गिलास पानी में चार चम्मच बेकिंग सोडा डालकर फलों और सब्जियों को 15 मिनट के लिए इस मिश्रण में डुबो दें. इससे उनकी बाहरी त्वचा पर मौजूद सभी प्रकार की अशुद्ध‍ियां दूर हो जाएंगी.

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3. हल्दी के पानी से भी कर सकते हैं साफ

बेकिंग पाउडर और सिरके के अलावा आप हल्दी के घोल से भी फलों और सब्ज‍ियों को साफ कर सकते हैं. हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाया जाता है जिसकी वजह से हल्दी के घोल से फलों और सब्ज‍ियों को धोना बहुत ही अच्छा माना जाता है. इसके अलावा आप चाहें तो नमक के घोल से भी फलों और सब्ज‍ियों को साफ कर सकते हैं.

आप हम ब्रैंड: क्योंकि हीरा है सदा के लिए…

‘‘एक हीरा चाहे आप की अंगूठी में ही क्यों न लगा हो, आप के संबंधों और उसके गहरेपन की हमेशा  याद दिलाता रहता है…’’

सचिन जैन, (मैनेजिंग डायरैक्टर, फौरऐवरमार्क)

र‘हीरा है सदा के लिए’ टैग लाइन के साथ पिछले कुछ सालों से ‘फौरऐवरमार्क’के मैनेजिंग डायरैक्टर सचिन जैन सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं. उन्होंने अपनी टीम के साथ मिल कर कंपनी को नई दिशा दी है, जहां वे रिस्पौंसिबिलिटी, सिलैक्टिविटी और ब्यूटी इन 3 वादों के साथ काम करते हैं. उन के हिसाब से हीरा सब से पुराना लग्जरी आइटम है,जिस की अहमियत आज भी वैसी ही है,क्योंकि यह 2 लोगों के बीच प्यार को बनाए रखने का जरिया है. कैसे वे आगे बढ़ रहे हैं, आइए जानते हैं उन्हीं से:

कंपनी का मैनेजिंग डायरैक्टर बनने के बाद क्याक्या बदलाव आप ने किए हैं?

मैं ने ज्यादा बदलाव नहीं किया,क्योंकि यहां काम करने वाले कर्मचारी कंपनी को अपना समझ कर काम करते हैं. मुझे खुशी इस बात की है कि मुझे एक अच्छी टीम काम करने के लिए मिली है. सब की एप्रोच एक तरह की है. इस से कंपनी को आगे ले जाने में आसानी हो रही है. यह स्टार्टअप कंपनी 130 साल पुरानी है. इस में ‘फौरऐवरमार्क’ एक नया ब्रैंड है.

डायमंड व्यवसाय के क्षेत्र में क्याक्या चुनौतियां हैं?

यहां बहुत सारी चुनौतियां होती हैं. इस में फायदा बस यह है कि हर परिवार का एक ज्वैलर हमारे देश में होता है. हर त्योहार या अवसर पर गहने अवश्य खरीदे जाते हैं, क्योंकि यह हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है जबकि चीन में ज्वैलरी लग्जरी के लिए खरीदी जाती है. नुकसान यह है कि डायमंड को हम सोने की तरह नहीं खरीदते,क्योंकि यह महंगा होता है. असल में हर हीरा यूनिक होता है, लेकिन इस में पारदर्शिता की कमी ही इस क्षेत्र की असल चुनौती है, क्योंकि जब लोग हीरा खरीदने जाते हैं तो कई बार धोखे के शिकार हो जाते हैं. पैसे की सही वैल्यू नहीं मिलती. इसलिए इस को फौरऐवरमार्क गुणवत्ता देने की कोशिश कर रही है.

हमारे यहां किसी भी हीरे की गुणवत्ता को सही पैमाने पर आंका जाता है. हर डायमंड पर एक नंबर होता है, जिस में उस की गुणवत्ता की पहचान होती है,जिसे आप नंगी आंखों से देख नहीं सकते. इसे खास यंत्र के द्वारा देखा जाता है. यह ग्राहक को पूरी गारंटी देता है कि जो कहा जा रहा है उतनी गुणवत्ता उस उत्पाद में है.

किस तरह के हीरे को खरीदना सब से अधिक फायदेमंद होता है?

‘फौरऐवरमार्क’ ने हीरे की विश्वसनीयता को लोगों तक पहुंचाया है. डायमंड बिजनैस हमारे देश में सब से तेजी से ग्रो करने वाली इंडस्ट्री है. मेरी कंपनी ने इस साल 50% ग्रो किया है. इसे और भी आगे ले जाने की कोशिशें की जा रही हैं. आज करीब 250 दुकानों में रिटेल करते हैं. देश के छोटे और बड़े शहरों के 52 बाजारों में सेल करते हैं. मेरा मानना है कि आज के ग्राहक छोटे शहर में होने पर भी उन का ऐक्सपोजर बड़े शहरों के जैसा ही होता है, क्योंकि सोशल मीडिया, पत्रिकाओं आदि ने इस काम में काफी मदद की है. इन माध्यमों से लोगों को जानकारी मिलती हैं.

‘हीरा है सदा के लिए’ जो बात कही जाती है इस के अनुसार सब से तरुण हीरा 100 करोड़ साल पहले माइन किया गया था. हीरे को अगर प्रकृति के अनुसार प्रयोग किया जाए तो वह अगले कई सालों तक भी वैसा ही रहेगा. लेकिन कैमिकल ट्रीटमैंट की वजह से आजकल हीरा अपना प्राकृतिक रूप खो देता है. इसलिए बेहतर होगा कि ग्राहक को नैचुरल हीरा उस के सर्टिफिकेशन के साथ  लेना चाहिए. सस्ता है सुन कर कभी भी हीरा न खरीदें. कट, क्लियर, क्लैरिटी, कलर इन 4 सिद्धांतों पर हीरे की पहचान की जाती है और इस के अनुसार इस की वैल्यू आंकी जाती है. इन सभी के अलावा ‘फौरऐवरमार्क’ करीब 30 टैस्ट और करती है. इस से हीरे की ग्रेडिंग परफैक्ट हो जाती है. पूरे संसार में केवल 1% डायमंड ऐसे हैं, जो‘फौरऐवरमार्क’ के लिए क्वालीफाई करते हैं.

हर घर तक हीरे को पहुंचाने की प्लानिंग कैसे होती है? इस में आई किसी कमी का समाधान कैसे करते हैं?

हीरे की ग्रोथ हमारे देश में काफी है, क्योंकि आज की महिलाओं की लाइफस्टाइल 20 साल पहले की महिलाओं से अलग है. वे घर चलाने के अलावा बाहर भी काम कर रही हैं. ऐसे में हैवी ज्वैलरी को दैनिक जीवन में प्रयोग नहीं कर सकतीं. इसलिए सिंपल व सोबर ज्वैलरी जो सभी प्रकार की पोशाकों से मेल खाती हो, उसे पहनना या खरीदना पसंद करती हैं. इस में हीरा सब से अच्छी भूमिका निभा रहा है, क्योंकि एक हीरा जोकि चाहे आप की अंगूठी में ही क्यों न लगा हो, आप के संबंधों और उस के गहरेपन की हमेशा याद दिलाता रहता है. कमी को पूरा करने के लिए काफी शोध किए जाते हैं. डायमंड ऐक्विजिशन स्टडीज हर 5 से 6 साल में की जाती है. इस में करीब 50 हजार कंज्यूमर्स की स्टडी, 5 हजार दुकानें और 50 शहर शामिल होते हैं. सभी शहरों की स्टडी के साथसाथ ग्राहकों के बीच प्रचलित ट्रैंड्स का भी पता लग जाता है.

इतना ही नहीं, हम हर प्रकार के रिटेलर के साथ काम करते हैं और उस की लोकप्रियता भी पता करते हैं. पूरा व्यवसाय 3 खंभों पर टिका हुआ है- ‘फौरएवरमार्क ब्रैंड’, मैन्युफैक्चरर और रिटेलर. ये सारे मिल कर एक विश्वसनीय और उम्दा डायमंड ग्राहकों तक पहुंचाते हैं. हमारे साथ काम करने वाले वही लोग हैं जो हमारी विश्वसनीयता पर खरे उतरते हैं और ग्राहकों को धोखा नहीं देते. इस के लिए हम खुद औडिट कर मैन्युफैक्चरर और रिटेलर के साथ जुड़ते हैं. नए प्रोडक्ट के लिए हमारा वितरण सिस्टम बहुत अच्छा है. इसे 250 दुकानों में भेजा जाता है. टीवी, प्रिंट और डिजिटल पर विज्ञापन देते हैं, इवेंट्स करते हैं. इस से सभी जानकारी ग्राहकों को मिलती रहती है. इस के अलावा रिटेलर्स और मैन्युफैक्चरर की कई काउंसिल हैं, जिन के बहुत सारे सदस्य दूरदराज क्षेत्रों में हैं.

हीरा एक महंगा उत्पाद है. छोटे शहरों और कस्बों में इस के प्रति जागरूकता कितनी है?

बड़े और छोटे शहरों के बीच में कोई अंतर अब नहीं है. छोटे शहर के लोगों के पास समय बड़े शहर के लोगों की तुलना में अधिक है. इसलिए वे औनलाइन सर्च करते हैं और पूरी जानकारी प्राप्त कर ही उस में पैसा लगाते हैं. आज हर ग्राहक जानकार है और आप उसे बेवकूफ नहीं बना सकते.

आप के उत्पाद की यूएसपी क्या है?

हमारे उत्पाद के 3 प्रौमिसेस है, रिस्पौंसिबिलिटी, सिलेक्टिविटी जो दुर्लभ और सुंदर है और ब्यूटी. इन 3 बातों की सौ प्रतिशत गारंटी ‘फौरएवरमार्क’ देता है.

क्या फौरएवरमार्कहीरे की औनलाइन शौपिंग की जा सकती है?

ओमनी चैनल्स एक कौसैंप्ट है, जिस में हीरे के बारे में खरीदफरोख्त की सारी जानकारी होती है. आज का युवा ग्राहक जब कुछ खरीदता है, तो वह 7 से 8 बार औनलाइन जा कर खोजबीन करता है. हीरे की औनलाइन खरीदारी बहुत कम होती है. भारत में लोग ज्वैलरी पहन कर उस के लुक को देख कर खरीदते हैं, क्योंकि यह एक पर्सनल प्रोडक्ट है.

आगे की योजना क्या है?

इसे और अधिक लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, जिस से कहीं भी और कभी भी आप को सही प्रोडक्ट मिले. अभी 5 लाख लोग इसे बेच रहे हैं. आने वाले समय में व्यवसाय बढ़ने वाला है, लेकिन रिटेलर्स कम होने वाले हैं. इस की वजह यह है कि कई लोग समय के हिसाब से बदल नहीं रहे हैं. आज का यूथ हीरे को लाइफस्टाइल के साथ जोड़ कर देख रहा है. इस में पारदर्शिता बहुत जरूरी है. हर ब्रैंडेड चीज यूथ को आकर्षित करती है.

समर वैडिंग सीजन के लिए इस बार कुछ खास है. आज की दुल्हन को सिंपल व सोबर गहने चाहिए,जिन्हें वह बाद में भी पहन सके. इसलिए इस बार समर कलैक्शन में मल्टीफंक्शन का एक कौंसैप्ट है,जिस में एक नैकलैस को उतार कर इयररिंग्स,ब्रैसलेट के रूप में पहना जा सकता है.

क्या यें तो नहीं आपके मां न बन पाने के कारण

खानपान, शिफ्ट वाली नौकरी और रहन-सहन में आए बदलाव के कारण जहां एक तरफ लाइफस्टाइल पहले से अधिक बढ़ गया है, वहीं दूसरी तरफ टैकनोलौजी से भी कई हेल्थ प्रौब्लम बढ़ गई हैं. अब बढ़ती उम्र के साथ होने वाले रोग युवावस्था में ही होने लगे हैं. इनमें एक कौमन प्रौब्लम है युवाओं में बढ़ती इन्फर्टिलिटी. दरअसल, युवाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या आधुनिक जीवनशैली में की जाने वाली कुछ आम गलतियों की वजह से बढ़ रही है.

1. खानपान की गलत आदतें

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इन्फर्टिलिटी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार होती है खानपान की गलत आदतें. समय पर खाना नही, जंक व फास्ट फूड खाने के क्रेज का परिणाम है युवावस्था में इन्फर्टिलिटी की प्रौब्लम. फास्ट फूड और जंक फूड खाने में मौजूद पेस्टीसाइड से शरीर में हारमोन संतुलन बिगड़ जाता है, जिसके कारण इन्फर्टिलिटी हो सकती है. इसलिए अपने खानपान में बदलाव का पौष्टिक आहार का सेवन करें. हरी सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स, बींस, दालें आदि ज्यादा से ज्यादा खाएं.

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2. टेंशन

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आधुनिक जीवनशैली में लगभग हर व्यक्ति टेंशन से ग्रस्त है. काम का दबाव, कंपीटिशन की भावना, ईएमआई का बोझ, लाइफस्टाइल मैंटेन करने के लिए फाइनैंशल बोझ आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो हम ने स्वयं अपने लिए तैयार की हैं. इन सभी के कारण ज्यादातर युवा टेंशन में रहते हैं और इन्फर्टिलिटी का शिकार हो रहे हैं. इससे बचने के लिए ऐसे काम करें कि आप टेंशन न हों. टेंशन के समय घर वालों और दोस्तों की मदद लें.

3. अधिक उम्र में विवाह

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आज तरक्की और सफलता की चाह में पुरुष और महिलाएं कम उम्र में विवाह नहीं करना चाहते. विवाह के बाद भी फाइनैंशियल सिक्युरिटी बनाते-बनाते बच्चे के बारे में सोचने में भी उन्हें समय लग जाता है. महिलाएं भी आजकल ज्यादा आत्मनिर्भर होने लगी हैं और वे कम उम्र में बच्चा नहीं चाहतीं. डाक्टर के अनुसार अधिक उम्र में विवाह होने से महिलाओं में ओवम की क्वालिटी प्रभावित होती है और इन्हीं कारणों से उन में इन्फर्टिलिटी की संभावना भी बढ़ जाती है.

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इसके अलावा गलत लाइफस्टाइल के कारण आजकल ज्यादातर महिलाओं में फाइब्रौयड्स बनना, ऐंडोमिट्रिओसिस से संबंधित समस्याएं भी होने लगी हैं. इस के अलावा हाइपरटैंशन जैसी बीमारी भी युवाओं में इन्फर्टिलिटी का कारण बन रही है.

4. एक्सरसाइज न करना

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काम के दबाव के कारण व्यायाम का समय निकालना युवाओं के लिए बहुत मुश्किल होता है. कौल सैंटर और मीडिया की नौकरी में तो समय की बाध्यता न होने के कारण काम का दबाव और प्रतियोगिता और भी बढ़ जाती है. युवाओं के लिए रीप्रोडक्शन से ज्यादा जरूरी हो गई है तरक्की और भौतिक ऐशोआराम के लिए पैसा. इसी कारण से जीवन का ज्यादा समय औफिस के कामों में बीतता है. अधिक समय तक काम करने के बाद औफिस से थक कर घर आने के बाद अधिकतर कपल्स में सैक्स की इच्छा में भी कमी हो जाती है. यदि काम के साथ ऐक्सरसाइज जारी रखते हैं तो इन्फर्टिलिटी से बचा जा सकता है.

5. नींद पूरी न होना

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नींद पूरी न कर पाने के कारण भी युवाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है. काम का बोझ और देर रात तक पार्टी करने के कारण युवकयुवतियां भरपूर नींद नहीं ले पाते हैं, जिस के कारण हारमोन में असंतुलन होता है और बांझपन की समस्या बढ़ती है. कई शोधों में भी यह बात सामने आ चुकी है कि नींद न पूरी होने के कारण हारमोन संतुलन बिगड़ जाता है और बांझपन की परेशानी हो सकती है. इसलिए नियमित रूप से कम से कम 7 से 9 घंटों की नींद लेनी चाहिए.

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6. वजन

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खानपान की गलत आदत और व्यस्त दिनचर्या में ऐक्सरसाइज के लिए समय न मिलने का परिणाम है मोटापा. डाक्टरों के अनुसार मोटापा इन्फर्टिलिटी समस्या की एक बड़ी वजह है. अधिक वजन महिला व पुरुष दोनों की फर्टिलिटी को प्रभावित करता रहता है. इस के अलावा जिन महिलाओं का वजन सामान्य से कम होता है उन में भी यह शिकायत हो सकती है. इसलिए यदि आप का वजन अधिक है तो इसे कम करने की कोशिश करें और अगर कम है तो उसे बढ़ाएं.

7. सिगरेट और शराब

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आजकल युवाओं में शराब, सिगरेट, कोकीन आदि का इस्तेमाल बेहद आम बात है. इन सभी नशीले पदार्थों की वजह से लड़के और लड़कियां दोनों की फर्टिलिटी प्रभावित होती है. इन के अधिक इस्तेमाल करने से सीमन की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है. एक तरफ जहां धूम्रपान करने से स्पर्म काउंट कम होता है, वहीं दूसरी तरफ शराब के सेवन से टेस्टोस्टेरौन हारमोन उत्पादन भी कम होता है. इस के अलावा दवाओं खासकर ऐंटीबायोटिक का इस्तेमाल अधिक करने के कारण भी बांझपन की समस्या बढ़ रही है.

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8. हेल्थ प्रौब्लम

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हाइपरटैंशन और हाई ब्लडप्रैशर जैसी समस्याएं जिन्हें बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, आज युवाओं में भी बहुत आम हो गई हैं और इन का प्रभाव उन की सैक्सुअल लाइफ पर भी पड़ रहा है. बचपन से ही कंप्यूटर और लैपटौप पर बैठना आम बात हो गई है. यह आदत भी इन्फर्टिलिटी की वजह बन रही है.

इन्फर्टिलिटी का उपचार असिस्टेड रीप्रोडक्टिव तकनीक यानी आईवीएफ के माध्यम से आप का मां बनने का सपना पूरा हो सकता है. मगर ऐसी स्थिति में डोनर की मदद लेनी पड़ती है. इसलिए हिदायत यह दी जाती है कि आप स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और इन्फर्टिलिटी की समस्या से बचें.

-डा. ज्योति बाली

इन्फर्टिलिटी स्पैशलिस्ट, मैडिकल डाइरैक्टर, बेबीसून, आईवीएफ सैंटर

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फिल्म रिव्यू: शोषित समुदाय के विरोध की कहानी ‘तर्पण’

फिल्म: तर्पण

निर्देशक: नीलम आर सिंह

कलाकार: नंद किशोर पंत, नीलम कुमारी, संजय कुमार, अरूण शेखर और अन्य

अवधि: दो घंटे, छह मिनट

रेटिंग: ढाई स्टार

डिजिटल युग में पहुंचने के बावजूद हमारे देश में लड़कियों और औरतों को वह सम्मान नहीं मिल पाया है, जिसकी वह हकदार हैं. इस मुद्दे को उठाने के लिए लेखक व निर्देशक नीलम आर सिंह ने शिवमूर्ति के उपन्यास ‘‘तर्पण’’ पर इसी नाम की फिल्म बना डाली, जिसमें जात-पात के भेदभाव और उसके लिए होते संघर्ष के बीच फंसी एक नारी की पीड़ा की मार्मिक दास्तान है.

कहानी

शिवमूर्ति के उपन्यास ‘तर्पण’ पर आधारित फिल्म ‘‘तर्पण’’ की कहानी युगों से भारत में चले आ रहे जातिगत संघर्ष और सामाजिक विसंगतियों की गाथा है. ग्रामीण परिवेश की यह कहानी उत्तर प्रदेश के एक गांव की है, जो कि दो टोलों में बंटा हुआ है. एक टोला ब्राम्हणों का यानी कि ऊंची जाति का है तो दूसरा टोला हरिजनों यानी नीच जाति का है.

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हरिजन टोला में रहने वाली रजपतिया (नीलम कुमारी) एक दिन घूमते-घूमते गन्ना चूसने के लिए गांव के रसूखदार ब्राम्हण धर्मदत्त उपाध्याय( राहुल चैहाण) के खेतों के अंदर चली जाती है, जहां धर्मदत्त के बेटे चंदर उपाध्याय (अभिषेक मदरेचा)उसका शारीरिक शोषण करने का प्रयास करता है. पर गांव की दो औरतों के आ जाने से वह रजपतिया को छोड़ देता है.

जब इस घटना की खबर भीम पार्टी के भाई जी (संजय कुमार) तक पहुंचती है, तो वह अपने स्वार्थ के चलते गांव पहुंचकर रजपतिया के पिता प्यारे (नंद किशोर पंत) को समझाकर पुलिस में रपट लिखाने के लिए कहते हैं. भीम पार्टी के नेता खुद साथ में पुलिस स्टेशन जाते हैं. फिर शुरू होता है जातिगत संघर्ष को उजागर करने वाला बदसूरत शीतयुद्ध.

निर्देशन…

फिल्म की निर्देशक नीलम आर सिंह ने इस फिल्म को डाक्यू ड्रामा और यथार्थवादी दृष्टिकोण के साथ बनाया है. कहीं कोई बेवजह का मेलो ड्रामा या छाती पीट-पीटकर रूदन नहीं है. पूर्वाग्रह से बचते हुए दो समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखना एक फिल्मकार के लिए टेढ़ी खीर होती है, इसमें नीलम आर सिंह पूरी तरह से सफल रही हैं. फिल्म इस बात को उकेरने में सफल रहती है कि समाज में किस तरह राजनेता अपनी नेतागीरी को चमकाने के लिए दो जातियों व समुदायों के बीच संघर्ष कराते रहते हैं.

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फिल्म की कमियां…

जाति गत संघर्ष और स्वार्थी नेता द्वारा बदले की आग में विवश करने पर होने वाले जातिगत संघर्ष में फंसी हरिजन लड़की रजपतिया की पीड़ा बेहतर ढंग से उभरने की बजाय बहुत सतही रह जाती है. फिल्म भावनात्मक स्तर पर बहुत शुष्क है. यदि निर्देशक ने जातिगत विभाजन व राजनीति को समझकर आधुनिकता के साथ पेश किया होता तो यह एक बेहतरीन फिल्म बन सकती थी.एक पीड़ित लड़की का दर्द दर्शको के दिलों तक न पहुंचने के लिए लेखक व निर्देशक ही दोषी कहे जाएंगे.

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एक्टिंग…

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो अपराध बोध और भाग्य के बीच फंसे रजपतिया के पिता प्यारे के किरदार में नंद किशोर पंत ने अपने अभिनय से फिल्म में जान डाल दी है. लालच व सम्मान के बीच फंसकर पीड़ित होने वाली मासूम लड़की राजपतिया का दर्द दर्शकों तक ठीक से नही पहुंच पाता, इसमें नीलम कुमारी के अभिनय की कमी की बनिस्बत लेखक व निर्देशक की कमी उभर कर आती है. रजपतिया के चरित्र को ठीक से लिखा ही नहीं गया. उसकी पीड़ा/दर्द को उभारने वाले सीन्स की कमी है. नेता के किरदार में संजय कुमार भी प्रभावित करते हैं. पुरूषत्व और उंचीजाति के पोषक चंदर के किरदार में अभिषेक मंदरेचा जमे हैं. लेकिन धर्मदत्त के घर में नौकरानी के रूप में कार्यरत हरिजन टोला की महिला लवंगिया के किरदार में पद्मजा रौय हर किसी पर भारी पड़ जाती हैं.

Edited by- Nisha Rai

‘अंग्रेजी मीडियम’ की शूटिंग के लिए उदयपुर पहुंचें इरफान खान, फैंस ने ऐसे किया स्वागत

विदेश से अपना इलाज कराकर वापस लौटे बौलीवुड एक्टर इरफान खान ने अपनी नई फिल्म ‘‘अंग्रेजी मीडियम’’ की शूटिंग राजस्थान के उदयपुर शहर में शुरू कर दी है. ये फिल्म साल 2017 में रिलीज हुई इरफान की सक्सेसफुल फिल्म हिंदी मीडियम का सीक्वल है. इस फिल्म में राधिका मदान और करीना कपूर खान के साथ इरफान खान एकदम नए अवतार में नजर आने वाले हैं.

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उदयपुर में हुआ स्वागत…

जब इरफान उदयपुर पहुंचें, तो उदयपुर शहर के स्थानीय लोगों और फिल्म की यूनिट के सदस्यों ने जिस गर्मजोशी से इरफान का स्वागत किया,उससे इरफान अभिभूत हो गए. हालांकि, एक बडे़ शहर की हलचल व कभी-कभी भारी भीड़ के साथ शूटिंग करना चुनौतीपूर्ण होता हैं. पर राजस्थान के इस राजसी शहर में शूटिंग करना कलाकारों और पूरी युनिट के लिए कमाल का अनुभव रहा है. शहर के लोग शूटिंग की समस्याओं को समझते हुए एक निश्चित दूरी बनाए रखते हैं.

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इरफान के प्रवक्ता कहते हैं-‘‘राजस्थान इरफान की मातृभूमि है.वह टोंक में पले-बढ़े हैं. अपने शुरूआती दिनों में काम के लिए राजस्थान के सभी शहरों की यात्रा कर चुके हैं. ऐसे में फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ की शूटिंग के लिए राजस्थान वापस जाना इरफान के लिए हमेशा नौस्टेल्जिक रहा.

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उदयपुर के लोग इरफान के कैरियर की शुरूआत से ही हमेशा विनम्र रहे हैं. जब खबर आई कि इरफान उदयपुर में ‘अंग्रेजी मीडियम’ की शूटिंग कर रहें हैं, तो शूटिंग लोकेशन पर भारी संख्या में स्थानीय लोग इकट्ठा हो गए. जब फोटो खिंचवाने और कुछ वक्त साथ में बिताने की बात आती है, तो इरफान अपने किसी भी प्रशंसक को ना नहीं कह पाते हैं.

आखिर पूरे एक साल के अंतराल के बाद फिर से शूटिंग शुरू करना, वह भी ऐसी जगह पर जहां से उनकी बहुत सारी अच्छी यादें जुड़ी हो, यह तो इरफान के लिए भाग्य की ही बात है.’’

edited by- nisha rai

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