इस गाने की वजह से करण जौहर की नई स्टूडेंट बनीं तारा सुतारिया

आमतौर पर बौलीवुड में नए प्रतिभाशाली कलाकार को ब्रेक किसी की सिफारिश या संघर्ष करते हुए कई बार औडीशन देने के बाद ही मिलता है. मगर करण जौहर की नई फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’’ में ‘मिया’ का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस तारा सुतारिया के सेलेक्शन की कहानी बिल्कुल ही अलग और हटकर है.

एक्टिंग में नहीं आना चाहती थीं तारा…

हकीकत यह कि पिछले 13 सालों से देश और विदेश में डांस और सिंगिंग के स्टेज शो करती आ रहीं तारा सुतारिया ने एक्टिंग के बारे में सोचा ही नहीं था. मगर एक म्यूजिक कंसर्ट के दौरान तारा और करण जौहर की मुलाकात हुई और दोनों इस कदर जुड़े कि करण ने उसी वक्त तारा को अपनी फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’’ की स्टूडेंट बना लिया था. यह कोई अफसाना नही बल्कि हकीकत है.

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हाल ही में फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’’ के प्रमोशन के दौरान जब तारा सुतारिया से हमारी एक्सक्लूसिव बातचीत हुई, तो तारा सुतारिया ने इस बारे में खुलकर बताया…

एक गाने की वजह से बनीं करण की हीरोइन…

‘‘मैं क्लियर कर दूं कि अब तक मैं डांस और सिंगिंग के शो ही करती आई हूं. पहले मेरी तमन्ना डांस और सिंगिंग के क्षेत्र में ही कैरियर बनाने की थी, पर तकदीर ने मुझे एक्ट्रेस बना दिया. दरअसल, हुआ यूं कि जब एक शो में मैं पहली बार करण जौहर से मिली, तो हम फौरन एक दूसरे के साथ जुड़ गए थे. उसकी वजह यह थी कि उस दिन मैंने ‘आ गले लग जा’ सौन्ग गाया था. यह मेरा फेवरेट गाना है. करण जौहर का भी यह फेवरेट सौंग है. इसी वजह से हम दोनों एक दूसरे के सथ जुड़ गए थे.

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करण ने कहा था- पढ़ाई पूरी करो…

इसके बाद करण ने मुझे ‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’ का आफर दिया था. लेकिन तब मैं पढ़ाई कर रही थी. तो मैंने कह दिया कि मैं तो अभी पढ़ाई कर रही हूं. तब उन्होंने कहा, ‘आप ग्रेज्युएशन पूरा कर लीजिए. तब तक हमारी फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार हो जाएगी.’ ग्रेज्युएशन के एग्जाम देने के बाद मैंने ‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’ के लिए आडिशन दिए और मिया के किरदार के लिए मेरा चयन हो गया.’’

Edited By- Nisha Rai

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बिपाशा की शादी के 3 साल पूरे, लंदन में ऐसे किया सेलिब्रेट…

यह कहना गलत नही है कि एक्ट्रेस बिपाशा बसु और करन दोनों बौलीवुड के हौट कपल्स में से हैं. जो आज यानी 30 अप्रैल को अपनी तीसरी वेडिंग एनिवर्सरी मना रही हैं. जिसे सेलिब्रेट करने के लिए बिपाशा अपने पति करण के साथ लंदन पहुंच गई हैं, जहां पर वह शादी की सालगिरह के साथ-साथ अपना वेकेशन भी खूब इंजौय कर रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं उनके वेकेशन की कुछ खास तस्वीरें, जिन्हें बिपाशा ने अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया.

शादी के वीडियो के साथ मैसेज किया शेयर

अपने पति करण के लिए लिखा, शादी के दिन से अब तक मेरे चेहरे पर उस बड़ी मुस्कान का कारण… तुम हो. विश्वास नहीं हो रहा कि यह हमारी तीसरी शादी की सालगिरह है, इतनी जल्दी,  मुझे प्यार करने के लिए थैक्स… आप मेरे लिए बहुत कीमती हो.

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फैंस का भी किया शुक्रिया अदा

 

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Celebrating our love ❤️ #monkeyversary #monkeylove

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लोगों को थैंक्स कहते हुए अपने इंस्टाग्राम पर बिपाशा ने लिखा, मुझे हर एक व्यक्ति याद है… चाहे मेरे जानने वाले हो या अजनबी… जिन्होंने मुझे हमारी शादी पर कहा कि मैं अब तक की सबसे खुश दुल्हन लग रही हूं.

सेट पर बेहोश हुईं दीपिका, फोटो देख फैंस ने पूछा ये सवाल

 

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Love in Soho❤️ #monkeylove #londonloving

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बता दें, पौवर कपल इस समय लंदन में छुट्टियां मना रहा है और लगातार क्यूट फोटोज और वीडियोज से फैन्स से शेयर कर रहे है. वहीं बड़े पर्दे पर बिपाशा और करण जल्द ही विक्रम भट्ट की एक्शन थ्रिलर, एडिट डायरीज में स्क्रीन शेयर करते हुए दिखाई देंगे. जिसका सेट लंदन में है, और  फिल्म 2019 में रिलीज होगी.

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प्रकृति के नियमों पर कैसे चढ़ा धार्मिक रंग

क्या आप ने कभी देखा की चींटियों ने अपने ईष्ट देव के मंदिर बनाए, मूर्तियां गढ़ीं और पूजा की या मस्जिद बनाई और नमाज पढ़ी? चींटियों, दीमक की बांबियों में, मधुमक्खियों के छत्तों में क्या कोई कमरा ईश्वर के लिए भी होता है? क्या आप ने कभी देखा कि बंदरों ने व्रत रखा या त्योहार मनाया. पक्षी अपने अंडे देने के लिए कितनी कुशलता और तत्परता से सुंदरसुंदर घोंसले बनाते हैं, मगर इन घोंसलों में वे ईश्वर जैसी किसी चीज के लिए कोई पूजास्थल नहीं बनाते? ईश्वर जैसी चीज का डर मानव के सिवा धरती के अन्य किसी भी जीव में नहीं है. ईश्वर का डर मानवजाति के दिल में हजारों सालों से निरंतर बैठाया जा रहा है.

इस धरती पर करीब 87 लाख जीवों की विभिन्न प्रजातियां रहती हैं. इन लाखों जीवों में से एक मनुष्य भी है. ये लाखों जीव एकदूसरे से भिन्न आकारव्यवहार के हैं, मगर इन में एक चीज समान है कि इन में से प्रत्येक में 2 जातियां हैं, एक नर और एक मादा. प्रकृति ने इन 2 जातियों को एक ही काम सौंपा है कि वे एकदूसरे से प्रेम और सहवास के जरिए अपनी प्रजाति को आगे बढ़ाए और धरती पर जीवन को चलाते रहें.

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जीवविज्ञानियों ने धरती पर पाए जाने वाले लाखों जीवों के जीवनचक्र को जानने के लिए तमाम खोजें, अनुसंधान और प्रयोग किए हैं. मगर आज तक किसी वैज्ञानिक ने अपनी रिसर्च में यह नहीं पाया कि मनुष्य को छोड़ कर इस धरती का कोई भी अन्य जीव ईश्वर जैसी किसी सत्ता पर विश्वास करता हो.

ईश्वर की सत्ता को साकार करने के लिए उस के नाम पर धर्म गढ़े गए. धर्म के नाम पर मंदिर, मस्जिद, शिवाले, गुरुद्वारे, चर्च ईजाद हुए. इन में शुरु हुए पूजा, भक्ति, नमाज, प्रार्थना जैसे कृत्य. इन कृत्यों को करवाने के लिए यहां महंत, पुजारी, मौलवी, पादरी, पोप बैठाए गए और उस के बाद यही लोग पूरी मानवजाति को धर्म और ईश्वर का डर दिखा कर अपने इशारों पर नचाने लगे. अल्लाह कहता है 5 वक्त नमाज पढ़ो वरना दोजख में जाओगे. ईश्वर कहता है रोज सुबह स्नान कर के पूजा करो वरना नरक प्राप्त होगा जैसी हजारों अतार्किक बातें मानवजगत में फैलाई गईं. हिंसा के जरीए उन का डर बैठाया गया. स्वयंभू धर्म के ठेकेदार इतने शक्तिशाली हो गए कि कोई उन से यह प्रश्न पूछने की हिम्मत ही नहीं कर पाया कि ईश्वर कब आया? कैसे आया? कहां से आया? दिखता कैसा है? सिर्फ तुम से ही क्यों कह गया सारी बातें, सब के सामने आ कर क्यों नहीं कहीं?

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मानवजगत ने बस स्वयंभू धर्माचार्यों की बातों पर आंख मूंद कर विश्वास किया, उन्होंने जैसा कहा वैसा किया. धर्माचार्यों ने तमाम नियम गढ़ दिए. ऐसे जियो, ऐसे मत जीयो. यह खाओ, वह न खाओ. यह पहनो, वह मत पहनो. यहां जाओ, वहां मत जाओ. इस से प्यार करो, उस से मत करो. यह अपना है, वह पराया है. अपने से प्यार करो, दूसरे से घृणा करो. इस में कोई संदेह नहीं है कि धर्माचार्यों ने इस धरती पर मानवजाति को भयंकर लड़ाइयों में झोंका है. किसी भी धर्म की जड़ों को तलाश लें, उस धर्म का उदय लड़ाई से ही हुआ है. हजारों सालों से धर्म के नाम पर भयंकर जंग जारी है. आज भी धरती के विभिन्न हिस्सों पर ऐसी लड़ाइयां चल रही हैं. यहूदी, मुसलमानों, ईसाइयों, हिंदुओं को हजारों सालों से धर्म और ईश्वर के नाम पर लड़ाया जा रहा है.

क्या इस धरती पर रह रहे किसी अन्य जीव को देखा है धर्म और ईश्वर के नाम पर लड़ते? वे नहीं लड़ते, क्योंकि उन के लिए इन 2 शब्दों (ईश्वर और धर्म) का कोई वजूद ही नहीं है. वे जी रहे हैं खुशी से, प्रेम से, जीवन को आगे बढ़ाते हुए, प्रकृति और सृष्टि के नियमों पर.

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धर्म ने सब से ज्यादा प्रताडि़त और दमित किया है औरत को, जो शारीरिक रूप से पुरुष से कमजोर है. अगर उस ने अपने ऊपर लादे जा रहे नियमों को मानने से इनकार किया तो उस के पुरुष को उस पर जुल्म करने के लिए उत्तेजित किया गया. उस से कहा गया अपनी औरत से यह करवाओ वरना ईश्वर तुम्हें दंड देगा. तुम नर्क में जाओगे, तुम जहन्नुम में जाओगे. और पुरुष लग गया अपने प्यार को प्रताडि़त करने में. उस स्त्री को प्रताडि़त करने में जो उस की मदद से इस धरती पर मानवजीवन को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी निभाती है.

1 धर्म की देन है वेश्यावृत्ति

प्रकृति ने पुरुष और स्त्री को यह स्वतंत्रता दी थी कि युवा होने पर वे अपनी पसंद के अनुरूप साथी का चयन कर के उस के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करें और सृष्टि को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें. धर्म ने मानवजाति को अलग-अलग दायरों में बांध दिया. हिंदू दायरा, मुसलिम दायरा, क्रिश्चियन दायरा, पारसी, जैनी वगैरहवगैरह. इन दायरों के अंदर भी अनेक दायरे बन गए हैं. इंसान विभाजित होता चला गया.

हर दायरे को नियंत्रित करने वाले धर्माचार्यों ने नायकों या राजाओं का चयन किया और उन्हें तमाम अधिकारों से सुसज्जित किया. इन्हीं अधिकारों में से एक था स्त्री का भोग. धर्माचार्यों ने स्त्रीपुरुष समानता के प्राकृतिक नियम को खारिज कर के पुरुष को स्त्री के ऊपर बैठा दिया.

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धर्माचार्यों ने राजाओंनायकों को समझाया कि स्त्री मात्र भोग की वस्तु है. रंगमहलों में, हरम में भोग की इस वस्तु को जबरन इकट्ठा किया जाने लगा. 1-1 राजा के पास सैकड़ों रानियां होने लगीं. नवाबों के हरम में दासियां इकट्ठा हो गई. इसी बहाने से धर्माचार्यों ने अपनी ऐय्याशियों के सामान भी जुटाए.

देवदासी प्रथा की शुरुआत हुई. स्त्री नगरवधू बन गई. मरजी के बगैर सब के सामने नचाई जाने लगी. सब ने उस के साथ जबरन संभोग किया. देवदासियों का उत्पीड़न एक रिवाज बन गया. कालांतर में औरत तवायफ, रंडी, वेश्या के रूप में कोठों पर कैद हो गई और आज प्रौस्टीट्यूट या बार डांसर्स के रूप में होटलों में दिखती है. स्त्री की इस दशा का जिम्मेदार कौन है? सिर्फ धर्म.

2 धर्म की देन है वैधव्य

पुरुष साथी की मृत्यु के बाद स्त्री द्वारा दूसरे साथी का चुनाव करने पर धर्म और ईश्वर का डर दिखा कर धर्माचार्यों ने प्रतिबंध लगा दिया. पुरुष की मृत्यु किसी भी कारण से क्यों न हुई हो, इस का दोषी स्त्री को ठहराया गया. सजा उसे दी गई. उस से वस्त्र छीन लिए गए. बाल उतरवा लिए गए. शृंगार पर प्रतिबंध लगा दिया.

उसे उसी के घर में जेल जैसा जीवन जीने के लिए बाध्य किया गया. उसे नंगी जमीन पर सोने के लिए मजबूर किया गया. जिस ने चाहा उस के साथ बलात्कार किया. उसे रूखासूखा भोजन दिया गया. स्त्री की इच्छा के विरुद्ध ये सारे हिंसात्मक कृत्य धर्माचार्यों ने ईश्वर का डर दिखा कर पुरुष समाज से करवाए. विधवा को वेश्या बनाने में भी वे पीछे नहीं रहे.

इस धरती पर किसी अन्य जीव के जीवनचक्र में क्या ऐसा होते देखा गया है? किसी कारणवश नर की मृत्यु के बाद मादा दूसरे नर के साथ रतिक्रिया करती हुई सृष्टि के नियम को गतिमान बनाए रखती हैं. मादा की मृत्यु के बाद ऐसा ही नर भी करता है. वहां प्रताड़ना का सवाल ही पैदा नहीं होता, वहां सिर्फ प्रेम होता है.

3 धर्म की देन है सती और जौहर प्रथा

धर्माचार्यों ने अपने धर्म के प्रसार के लिए पहले लड़ाइयां करवाईं. उन में लाखों पुरुषों को मरवाया. लूटपाट मचाई, जीते हुए राजाओं और उन के सैनिकों ने हारने वाले राजाओं और उन के कबीले की औरतों पर जुल्म ढाए. सैनिकों ने उन से सामूहिक बलात्कार किए, उन की हत्याएं कीं, उन्हें दासियां बना कर ले गए. धर्माचार्यों ने इस कृत्य की सराहना की. इसे योग्य कृत्य बताया. कभी किसी धर्माचार्य ने इस कृत्य पर उंगली नहीं उठाई.

औरतों ने इस प्रताड़ना, शोषण, उत्पीड़न और बंदी बनाए जाने के डर से अपने राजा की सेना के हारने के बाद सती और जौहर का रास्ता इख्तियार कर लिया. धर्माचार्यों ने इस कृत्य को भी उचित ठहरा दिया. औरतें अपने पुरुष सैनिकों की लाशों के साथ खुद को जला कर खत्म करने लगीं. सामूहिक रूप से इकट्ठा हो कर आग में जिंदा कूद कर जौहर करने लगीं.

जरा सोचिए, कितना दर्द सहती होंगी वे. आप की उंगली जल जाए, फफोला पड़ जाए तो कितना दर्द होता है. और वे समूची आग में जलती रहीं, किसी धर्माचार्य ने उन के दर्द को महसूस नहीं किया, यह उस वक्त का सब से पुनीत धार्मिक कृत्य बताया जाता था.

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4 बाल विवाह भी धर्म की देन

धर्म के ठेकेदारों ने अपनेअपने धर्म के दायरे खींचे और स्त्रीपुरुष की इच्छाअनिच्छा को अपने कंट्रोल में कर लिया. पुरुष और स्त्री अपने धर्म के दायरे से निकल कर कहीं दूसरे के धर्म में प्रवेश न कर जाएं, किसी अन्य के धर्म के व्यक्ति को अपना जीवनसाथी न बना लें, इस पर नियंत्रण करने के लिए बाल विवाह की प्रथा शुरू की गई. नवजात बच्चों तक की शादियां करवाई जाने लगीं ताकि जवान होने के बाद वे अपनी पसंद या रुचि के अनुसार अपना प्रेम न चुन सकें.

इसी कड़ी में आगे पढ़िए- परदा प्रथा की जड़ में धर्म…

4 होममेड टिप्स: आसानी से ऐसे छुड़ाएं नेल पौलिश

नेल पौलिश लगाने से आपकी उंगलियों की सुंदरता बढ़ती हैं. पर इन्हें लगाने का सही तरीका पता होना चाहिए. आमतौर पर नेल पौलिश उंगलियों के किनारे चिपक जाते हैं. अगर आप भी नेल पौलिश छुड़ाना चाहती हैं तो आपको कुछ घरेलू उपाय बताते हैं जिससे आप आसानी से छुड़ा सकती हैं.

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  1. सिरका

सिरके का उपयोग भी नेल पौलिश छुड़ाने के लिए किया जा सकता है. कौटन की रुई को सिरके में डुबोकर धीरे-धीरे उंगलियों पर रगड़ें. इससे नेल पौलिश पूरी तरह छूट जाएगी.

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2. टूथपेस्ट

अगर नेल पौलिश पूरी तरह ना छूट रही हो तो नाखून पर टूथपेस्ट लगा लें. धीरे-धीरे इसे कौटन से रगड़ें. नेल पौलिश छूट जाएगी.

3. नेल पौलिश

नेल पौलिश लगाने से पहले उसकी कुछ बूंदें नाखून पर गिराएं और तुरंत कपड़े से साफ कर लें. नाखून पूरी तरह साफ हो जाएगा. अब आप आराम से नेल पौलिश लगा सकती हैं.

4. गर्म पानी

गर्म पानी से भी नेल पौलिश को छुड़ाया जा सकता है. एक कटोरी में गर्म पानी लें और अपने नाखूनों को 10 मिनट तक उसमें डुबो कर रखें. उसके बाद कौटन से मल लें. पुराना नेल पौलिश उतर जाएगा.

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तेजी से वजन कम करना है खतरनाक

मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए वजन कम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. इसके लिए लोग सब कुछ करने को तैयार होते हैं. वो एक्सरसाइज करते हैं, डाइटिंग करते हैं, दवाइयां लेते हैं, पर कई बार उन्हें इसका परिणाम मन मुताबिक नहीं मिलता. वजन जल्दी कम करने की इस जद्दोजहत में लोग कई गलत तरीके अपना बैठते हैं और उसका उनकी सेहत पर काफी बुरा असर होता है.

आइए जाने कि जल्दी वजन कम करने के लालच में सेहत का क्या नुकसान होता है.

डिहाइड्रेशन

quick weight loss is dangerous to health

वेटलौस की कई डाइट्स से शरीर में डिहाइड्रेशन होता है. शरीर में पानी की कमी होने से कब्ज, सिर दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और एनर्जी की कमी होने लगती है. साथ ही स्किन भी अधिक ड्राई हो जाती है.

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शरीर में न्यूट्रिशन की कमी

वजन कम करने के लिए लोग अक्सर कैलोरी फ्री डाइट लेने लगते हैं, जिसका असर होता है कि उनके शरीर से न्यूट्रिशन की कमी हो जाती है. जैसे कि कीटो डाइट में कार्बोहाइड्रेट नहीं होता है, जो शरीर में एनर्जी बनाए रखने के लिए जरूरी होता है. यही कारण है कि जिन लोगों की डाइट में कार्बोहाइड्रेट की कमी होती है, उन लोगों को जल्दी थकान महसूस होने लगती है. साथ ही ऐसे लोगों का मूड भी तेजी से स्विंग होता है. कई लोगों में खून की कमी भी हो जाती है.

दिमाग के लिए होता है बुरा

वेट लौस से शरीर के साथ साथ मानसिक सेहत भी बुरी तरह से प्रभावित होती है.  डाइट के बिगड़ने और शरीर में न्यूट्रिशन की कमी होने से कई प्रकार की मानसिक समस्याएं होने लगती हैं.

मेटाबौलिज्म के लिए सही नहीं

मोटापे से परेशान लोग वजन कम करने के चक्कर में अक्सर भूल जाते हैं कि वजन कम करने से मेटाबौलिज्म पर बुरा असर होता है. डाइट में कैलोरी की कमी होने से मेटाबॉलिज्म के काम करने की क्षमता धीमी हो जाती है. बता दें, मेटाबौलिज्म के सही ढंग से काम ना करने की वजह से वजन कम होने के बजाए बढ़ने लगता है.

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मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं

वजन कम करने वाली डाइट से कई बार मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. लंबे समय तक इस डाइट का सेवन मांसपेशियों के लिए अच्छा नहीं होता.

मिनटों में ऐसे चमकाएं किचन टाइल्स

किचन को रोज पूरी तरह से साफ करना हर किसी के लिए मुश्किल होता है. ऐसे में किचन फ्लोर और किचन वाले टाइल्स पर गंदगी जमा होने लगती है और जब सफाई करने की बारी आती है तो समझ में नहीं आता कि इसे कैसे साफ करें.

जानिए, कुछ आसान उपाय जो टाइलों पर जमा गंदगी साफ करने में आप की सहायता करेंगे:

किचन फ्लोर की सफाई

  1. किचन फ्लोर पर रोज पोंछा लगाएं. पोंछे के पानी में डिटर्जैंट या कीटाणुनाशक का प्रयोग जरूर करें. यह ध्यान रखें कि जिस कपड़े से पोंछा लगा रही हैं, वह साफ हो और इस्तेमाल के बाद भी उसे अच्छी तरह धो लें.

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2. यदि आप के घर में चींटियां हों, तो पोंछे के पानी में 1 बड़ा चम्मच नमक डाल लें.

3. यदि आप कुछ दिनों के बाद फर्श साफ कर रही हैं, तो पोंछा गरम पानी से लगाएं.

4.  पोंछा लगाने के बाद फर्श को दूसरे सूखे पोंछे से साफ करें. इस से फर्श चमक उठेगा और फर्श पर धूल भी नहीं जमेगी.

5. यदि फर्श पर कुछ गिर जाए तो उसे तुरंत साफ करें. वहां दाग न बनने दें.

सफाई किचन की टाइलों की

किचन की टाइल्स को आप निम्न घरेलू चीजों से भी साफ कर सकती हैं:

  1. सिरका: 2 कप सिरका और 2 कप पानी को मिला कर स्प्रे बोतल में भर लें. फिर इसे टाइल्स पर स्प्रे कर माइक्रो फाइबर कपड़े से साफ करें. यह कपड़ा दूसरे किसी भी कपड़े की तुलना में गंदगी को ज्यादा अच्छी तरह अवशोषित कर लेता है और इस से सतह पर खरोंचें भी नहीं पड़तीं.

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2. बेकिंग सोडा: बेकिंग सोडे का इस्तेमाल कर आप टाइल्स पर लगे दागों से आसानी से छुटकारा पा सकती हैं. बेकिंग सोडा और पानी का पेस्ट बना लें और फिर उसे दागों पर लगाएं. 10-15 मिनट तक सूखने दें. फिर गीले कपड़े से साफ करें. यदि दाग फिर भी साफ न हों तो किसी पुराने टूथब्रश से रगड़ कर साफ करें.

3. ब्लीच या अमोनिया: यदि आप को टाइल्स पर कीटाणु दिखाई दें, तो ब्लीच और पानी को समान मात्रा में मिला लें. इस मिश्रण को कीटाणु वाली सतह पर गोलाकार मुद्रा में लगाएं. अब टाइल्स को गरम पानी से साफ करें. इस के बाद सूखे कपड़े से साफ कर लें. याद रखें ब्लीच का इस्तेमाल करने से पहले हाथों में दस्ताने जरूर पहन लें.

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ध्यान रखें

  1. टाइल्स को साफ करने के लिए कभी तेजाब या अन्य हार्ड लिक्विड क्लीनर का प्रयोग न करें.

2. यदि रोज किचन वाल टाइल्स साफ करती हैं तो पानी में थोड़ा सा डिटर्जैंट मिला कर साफ करें.

3. टाइल्स को लोहे की जाली से रगड़ कर साफ करने की कोशिश न करें.

कम बजट में कैसे घूमें यूरोप

यूरोप महंगी जगह है, पर आप यूरोप घूमना चाहते हैं तो चिंता न करें. थोड़ी सी प्लानिंग और वहां घूमने की सस्ती और अच्छी जगहों का चुनाव कर के आप आराम से अपने बजट में यूरोप घूम कर आ सकते हैं. आइए, यूरोप के कुछ बजट फ्रैंडली शहरों के बारे में जानते हैं:

1. शानदार फूड के लिए मशहूर है क्राको (पोलैंड)

यह शहर कैपिटल वौरसौ की तरह ही शानदार फूड के लिए मशहूर है. ऐनर्जी से भरपूर नाइट लाइफ सींस, रोचक इतिहास और इतिहास को पसंद करने वालों के लिए शानदार वावेल कैसल है. यहां कुछ चीजें फ्री में भी कर सकते हैं जैसे ओल्ड टाउन सैंटर से वावेल हिल तक रौयल रूट से जाएं और आर्किटैक्चर, गोथिक चर्च, शाही निवास, यूरोप की सब से बड़ी मार्केट स्क्वेयर का आनंद लें.

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यहां नाशपाती, सेब, संतरा और दालचीनी मिली हुई वाइन गरम सर्व की जाती है, क्योंकि यहां ठंड बहुत होती है. यहां 2 लोगों के लिए स्टार्टर्स, मेनकोर्स, ड्रिंक्स और डैसेर्ट्स औसत या अच्छे रेस्तरां में इन रेट्स में मिल जाते हैं- पैरिस-60 यूरो, मिलान-50 यूरो और स्पेन (बार्सिलोना/मैड्रिड) 45 यूरो, पूर्वी यूरोप (वारसा, ब्रेटिस्लावा, लिथुआनिया)-30, 40 यूरो. कैब सेवा यहां सस्ती है. वैस्ट यूरोप में कहीं भी जाओ 20-30 यूरो लगते हैं. ईस्ट यूरोप में 10-15 किलोमीटर 5-7 यूरो में हो जाता है. ये देश सस्ते हैं, क्योंकि अभी यहां स्थानीय चीजें बहुत हैं, जनसंख्या कम है, नैचुरल ब्यूटी बहुत है, कौस्ट औफ लिविंग सस्ती है. वारसा में सिटी सैंटर में फोर स्टार होटल 75 यूरो पर नाइट है, जबकि वैस्टर्न यूरोपियन शहरों में 150-200 के बीच. ईस्ट यूरोप में कौफी 1 और मफिन 1-2 यूरो का है जबकि वैस्ट यूरोप में कौफी 3-4 यूरो से कम बेसिक रेस्तरां में भी नहीं.

 2. आनंद और रोमांच से भर देगा बुडापेस्ट (हंगरी)

जैसे ही आप इस शहर में कदम रखते हैं, बुडापेस्ट का जीवंत माहौल आप को आनंद और रोमांच से भर देगा. बुडापेस्ट का एक अलग ही आकर्षण है. फ्लाइट्स सस्ती हैं और रहने का खर्च आप के बजट में बहुत आराम से आ जाएगा. कम खर्च में ज्यादा रिलैक्स करना है तो आप जान लें कि बुडापेस्ट यूरोप की थर्मल बाथ कैपिटल है. हर जगह बाथ हाउसेज हैं. अपने दोस्तों के साथ थर्मल बाथ में रिलैक्स के या बुडापेस्ट पार्टी का आनंद लें, साथ ही डीजे और लेजर शो भी होता है. सैंट्रल मार्केट हौल में बढि़या सस्ती शौपिंग करें जहां ताजा फलसब्जी, सलामी, टौकोज वाइन्स और हंगरिएन पैपरिका का आनंद ले सकते हैं. बुडापेस्ट के साथसाथ आप ट्रेन से दूसरे मशहूर शहर इस्तांबुल, विएना और बर्लिन देख सकते हैं. यहां का खाना आप की जेब पर बिलकुल भारी नहीं पड़ेगा. 7 यूरो में शानदार होटल भी मिल जाएगा.

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डेन्यूब नदी की दूसरी तरफ मे मनोहारी दृश्य का आनंद लेने के लिए कैसल हिल के टौप पर फ्री में जाएं और फ्री में ही बुदा कैसल के सुंदर गार्डंस में घूमें जो पूरा साल पर्यटकों के लिए खुले रहते हैं. यहां के लिए कंफर्टेबल शूज पहनें. कैसल गार्डन बहुत सुंदर, शांत जगह है. पार्लियामैंट बिल्डिंग भी देखने लायक है.

यहां डेन्यूब नदी पर दूसरे विश्वयुद्ध में मारे गए लोगों की याद में एक मैमोरियल बनाया गया है, जिस में बहुत सारे शूज बनाए गए हैं, क्योंकि उस समय लोगों को मारने से पहले शूज उतारने के लिए कहा गया था और उन्हें मार कर फिर नदी में फेंक दिया गया था. यह बहुत हृदयस्पर्शी और इमोशनल कर देने वाला मैमोरियल है. बुडापेस्ट में स्पा सब से अच्छी चीजों में से एक है. अपना स्विम वियर जरूर ले जाएं, गेलर्ट बाथ पैलेस जाएं और गरम पूल में रिलैक्स करते हुए ऐंजौय करें.

 3. पार्टी लविंग कैपिटल है बेलग्रेड (सर्बिया)

यह पार्टी लविंग कैपिटल है जहां लोग रोज रात को क्लब जाते हैं. हर जगह नाइट लाइफ बार्स हैं, वैसे तो पूरा साल इस शहर में रौनक रहती है पर गरमियों में पार्टी क्लब्स के बाहर सावा नदी पर क्रूज में सूर्योदय तक चलती है. शहर के दर्शनीय स्थल हैं- स्कडरलिया जहां सड़कों पर सर्बियन कैफे, लोकल आर्टिस्ट और स्ट्रीट परफौर्मर्स से खूब रौनक रहती. सर्बिआ का इतिहास जानने के लिए बेलग्रेड म्यूजियम जरूर जाएं. अगस्त में सर्बिया का लोकप्रिय बेलग्रेड बेयर फैस्ट 5 दिन चलता है जहां प्रवेश निशुल्क है. संत सावा का मंदिर दुनिया का सैकंड सब से बड़ा और्थोडौक्स चर्च है. यह शहर के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक है. यहां होस्टल 6 यूरो पर नाइट में मिल जाता है.

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4. वैस्टर्न यूरोप की चीपैस्ट कैपिटल है लिस्बन (पुर्तगाल)

लिस्बन वैस्टर्न यूरोप की चीपैस्ट कैपिटल है. शहर घूमते हुए वुडन ट्राम्स में बस 5 यूरो में आप 24 घंटों में कहीं भी जा सकते हैं, इस समय आप बीच, अल्फामा की ऐतिहासिक गलियां घूम सकते हैं, कस्टर्ड टार्ट्स खाने का आनंद लें. रात को ज्यादा खर्च किए बिना आप बैरो औल्टो डिस्ट्रिक्ट खानेपीने जा सकते हैं. यहां लिस्बन के विचित्र से कूलैस्ट रेस्तरां है. पुर्तगाली सारडीनस की शानदार जगह देखें. यह फ्री है. एक शौप स्ट्रोक म्यूजियम है, सार्डीन फेरी व्हील है. यहां होटल 12 यूरो से शुरू होता है.

5. सबसे पुराने शहरों में से है किव (यूक्रेन)

यह यूरोप के सबसे पुराने शहरों में से है. अभी यहां ज्यादा टूरिस्ट नहीं आते हैं, इसलिए यह ज्यादा महंगा नहीं है. पर्यटक शानदार नाइट लाइफ को ऐंजौय करते हैं. सिटी सैंटर में बहुत क्लब्स हैं. यदि आप को क्लबिंग पसंद नहीं है तो आप चिंता न करें, किव में गलियों में कार्स और ट्रक्स पर हर जगह बार्स और कैफे हैं. इसे देखने का सब से बड़ा आकर्षण है- चेर्नोबिल जाना और वह जगह देखना जहां दुनिया का सब से बुरा न्यूक्लियर विनाश हुआ था. एक दुखद पर अविस्मरणीय अनुभव. यूक्रेन की सब से फेमस जगहों में से एक है- सैंट एंड्रू चर्च जहां आप कोई पारंपरिक शादी होते भी देख सकते हैं. होटल 5 यूरो से स्टार्ट होता है.

 6. कल्चर, नाइट लाइफ लिवरपूल (इंगलैंड)

यहां कल्चर, नाइट लाइफ सब बहुत अच्छा है. सिटी का क्रिएटिव हब द बाल्टिक ट्रायंगल और बाल्टिक फूड मार्केट जाएं. आइकोनिक केवर्न क्लब पर लिवरपूल के म्यूजिकल इतिहास का आनंद लें. दुनिया में सब से ज्यादा पैशनेट फैन्स के साथ फुटबौल मैच का आनंद लें. यदि आप के पास टाइम हो तो बोल्ड स्ट्रीट पर कुछ अद्भुत चीजों की शौपिंग करें. विश्व प्रसिद्ध अल्बर्ट डौक्स जाएं जहां टेट आर्ट गैलरी है. यहां फ्री ऐंट्री है. सब से बड़ा चीनी मेहराब देखने के लिए चाइना टाउन जाएं. यहां होटल 10 यूरो में मिल जाएगा.

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 7. चैक रिपब्लिक का कैपिटल शहर प्राग

यहां रुकना आप के बजट में बहुत आराम से होगा. पैदल चल कर ही बहुत सी चीजें देखी जा सकती हैं. यह चैक रिपब्लिक का कैपिटल शहर है. सैंट्रल यूरोप के सुंदर शहरों में से एक है. ओल्ड टाउन स्क्वेयर के लिए जाना जाता है. रंगीन बिल्डिंग्स, गोथिक चर्च, पत्थर की गलियों का शहर है. यह उन लोगों की प्रिय जगह है जो कल्चर, इतिहास और शांति ऐंजौय करते हैं.

 8. सैंट्रल यूरोप का सुंदर, हरियाली से भरपूर शहर स्लोवेनिया

यही एक देश है जिस के नाम में ही लव आता है. यह भी सैंट्रल यूरोप का सुंदर, हरियाली से भरपूर शहर है. इस की राजधानी लिबिलियना को सब से ज्यादा रहने के लायक और सब से ज्यादा हरियाली वाली राजधानी कहा जाता है. यहां प्रदूषण बहुत कम है. जब कम खर्च में यूरोप की यात्रा का मन बनाएं, यहां जरूर जाएं. प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर यह शहर कम कीमतों के लिए भी जाना जाता है. साइक्लिंग और पैदल चलना यहां प्रमुख है और यदि आप को प्रकृति का आनंद लेना है तो यहां झीलें, पहाड़, गौर्जेस और जूलियन ऐल्प्स देखना आप का समय और धन दोनों बचाएगा.

 9. दर्शनशास्त्र का केंद्र एथेंस (ग्रीस)

दुनिया में ऐसी कम ही जगहें हैं जो एथेंस जितना ऐतिहासिक महत्त्व रखती हैं. यह दर्शनशास्त्र का केंद्र है. इसे क्रैडल औफ डैमोक्रेसी और ‘होम टु द फर्स्ट थिएटर’ भी कहा जाता है. पूर्वी यूरोप सस्ता है जैसे लात्विया, लिथ्वेनिया, बुलगारिया, क्रोएशिया, रोमानिया, चैक, तालिन (एस्तोनिया), सोफिया (बुलगारिया).

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नौर्थ और वैस्ट यूरोप महंगे हैं. जैसे फ्रांस, जरमनी, स्विट्जरलैंड, बैल्जियम, डेनमार्क, यूके, नौर्वे, स्वीडन. यूरोप के अधिकांश शहरों में देखने के लिए इतना कुछ है कि आप का पूरा हफ्ता मनोरंजन हो सकता है. अधिकांश पास के शहर एकदूसरे से ऐसे जुड़े हैं कि आप डे ट्रिप कर के आ सकते हैं. डे ट्रिप का मतलब है कि आप सुबह ही दूसरे शहर चले जाएं. पूरा दिन वहां बिताएं. शाम तक अपने बेस शहर आ जाएं. ऐसा करने से आप को अपना भारी सामान इधर से उधर नहीं ढोना पड़ेगा और होटल भी नहीं बदलने पड़ेंगे.

5 टिप्स: ग्लिसरीन से पाएं हैल्दी और ग्लोइंग स्किन

अक्सर आपकी स्किन को पोषण नही मिलता, जिसके कारण आपकी स्किन रुखी और बेजान हो जाती है. और वो आपकी खूबसूरती को कम कर देती है. इसीलिए स्किन को कोमल और मुलायम बनाने के लिए ग्लिसरीन एक बेस्ट औप्शन है.ग्लिसरीन का इस्तेमाल कई ब्यूटी क्रीम्स, मौइश्चराइजर, शैंपू और कंडीश्नर में किया जाता है. वहीं आप लिप बाम की जगह ग्लिसरीन का इस्तेमाल करके अपने होंठों को खूबसूरत और मुलायम बना सकते हैं. आइए जानते हैं किस तरह खूबसूरत स्किन के लिए ग्लिसरीन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

1. मौश्चराइज के लिए ग्लिसरीन का इस्तेमाल

skin care

ग्लिसरीन स्किन के लिए एक बेहतरीन मौइश्चराइजर है. रोजाना स्किन पर ग्लिसरीन का इस्तेमाल करने से स्किन हाइड्रेटेड, सौफ्ट और फ्रेश रहती है. ग्लिसरीन एक प्राकृतिक humectant है. humectant वह लोशन या क्रीम है, जो स्किन में सूखापन को रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है. इसलिए ग्लिसरीन स्किन में नमी और पानी को बनाए रखने में मदद करता है.

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2. स्किन का pH बैलेंस बनाए रखने में हैं मददगार

ग्लिसरीन स्किन के pH बैलेंस को बनाए रखने में मदद करती है. रोजाना चेहरे पर ग्लिसरीन लगाने से सूरज की U.V किरणों से पहुंचने वाले नुकसान से स्किन सुरक्षित रहती है. साथ ही स्किन हेल्दी और चमकदार भी बनती है.

3. एंटी फंगल गुणों से भरपूर है ग्लिसरीन

ग्लिसरीन स्किन की मरम्मत करने में भी अहम भूमिका निभाती है. ग्लिसरीन के इस्तेमाल से एक्जिमा और सायरोसिस की समस्या में भी फायदा पहुंचता है.

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4. फटे होठों के लिए कारगर है ग्लिसरीन

आप ग्लिसरीन की कुछ बूंदों का उपयोग गुलाबी और मुलायम होंठ पाने के लिए कर सकते हैं. यह स्किन के लिए बहुत सौम्य है. होंठों को नरम (soft) करने के लिए ग्लिसरीन को प्रति-दिन इस्तेमाल करना चाहिए. यह आपके होंठों को मौइस्चराइज करता है, और फ्लेकिंग (flaking) और रक्तस्राव जैसे लक्षणों को कम करता है.

5. ड्राई स्किन के लिए है फायदेमंद

ड्राई और बेजान स्किन को सुंदर और कोमल बनाने का सबसे अच्छा और सस्ता माध्यम है, ग्लिसरीन. नियमित रूप से ग्लिसरीन को उपायोग में लेने से आपकी त्वचा में निखार आता है और स्किन रोगों से भी छुटकारा मिलता है.

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नेपोटिज्म पर खुलकर बोलीं करण की नई स्टूडेंट, ऐसी की सबकी बोलती बंद

बौलीवुड में नेपोटिज्म का मसला हमेशा गर्म रहता है. कंगना रनौट तो बार-बार नेपोटिज्म को लेकर करण जौहर पर तीखे बाण चलाती रहती हैं. लेकिन करण जौहर पर इसका कोई असर नहीं पड़ता. वह अपनी फिल्मों मे अक्सर फिल्मी हस्तियों की संतानों को अभिनय करने का अवसर देते रहते हैं. करण जौहर ने 2012 की अपनी सफल फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर’’ का सीक्वअल ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’’ का निर्माण किया है, जिसका निर्देशन पुनीत मल्होत्रा ने किया है. दस मई को रिलीज होने वाली फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’’ में करण जौहर ने एक बार फिर बौलीवुड एक्टर चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे के साथ गैर फिल्मी परिवार की सिंगर और एक्ट्रेस तारा सुतारिया को एक्टिंग करने का मौका दिया है. इस फिल्म के हीरो हैं जैकी श्राफ के बेटे टाइगर श्राफ.

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अनन्या के डेब्यू पर उठे सवाल…

अनन्या के फिल्मी परिवार से होने की वजह से बौलीवुड में कुछ लोग कह रहे हैं कि नेपोटिज्म के ही चलते अनन्या को फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’’ में अभिनय करने का अवसर मिला. हाल ही मे जब अनन्या पांडे से हमारी एक्सक्लूसिव बात हुई, तो हमने अनन्या के सामने नेपोटिज्म का मुद्दा उठाया. इस पर अनन्या पांडे ने बिना किसी लाग लपेट के बौलीवुड में नेपोटिज्म की मौजूदगी को स्वीकार करते हुए उन लोगों को शालीनता के साथ खरी खोटी सुनाई, जो नेपोटिज्म के नाम पर फिल्मी परिवार से जुड़े कलाकारों की प्रतिभा और मेहनत को नजरंदाज करते हैं.

 

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Finally found my partner in crime ❤️??? #TheThingsWeDo

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अनन्या का करारा जवाब..

अनन्या ने कहा- ‘‘मेरा मानना है कि सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं, बल्कि हर इंडस्ट्री में नेपोटिज्म मौजूद है. इसलिए सिर्फ बौलीवुड में नेपोटिज्म की बातें करना मूर्खतापूर्ण है. दूसरी बात मेरे डैड चंकी पांडे भी अभिनेता हैं, इस कारण मुझे शर्मिंदा नहीं होना चाहिए, बल्कि यह मेरे लिए गौरव की बात है कि उन्होंने बतौर अभिनेता अपना नाम कमाया, शिखर तक पहुंचे और अब मैं उन्ही के नक्शे कदम पर चलते हुए कुछ बेहतर करने तक पहुंची हूं. मेरे डैड ने बहुत मेहनत से अपना मुकाम बनाया. अब देखिए, मेरे डैड के डैड डौक्टर स्व. शरद पांडे तो अपने समय के मशहूर हार्ट सर्जन थे, पर मेरे डैड ने डौक्टर बनने की बजाय अभिनेता बनना पसंद किया.

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डैड के नाम पर धब्बा नहीं लगाना चाहती…

मैं अपने डैड की इज्जत पर धब्बा नहीं लगाना चाहती. मुझे किसी भी तरह की निगेटिव फीलिंग नही चाहिए. यह सच है कि हमारी इंडस्ट्री में भी नेपोटिज्म है. पर मैं लोगों से, दर्शकों से सिर्फ एक ही प्रार्थना करती हूं कि वह मेरी फिल्म देखे, मुझे और मेरे अभिनय को पसंद करें. मेरे अभिनय की तुलना मेरे डैड या किसी और से ना करें. वैसे अब दर्शक भी टैलेंट को देखते हैं ना कि यह कि कलाकार किसका बेटा या बेटी है.’’

 

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Look both ways before you cross my mind ?

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‘‘जब दर्शक फिल्म देखते समय कलाकार की प्रतिभा के आधार पर पसंद करता है. तो फिर नेपोटिज्म को लेकर इतना हो हल्ला क्यों मचाया जा रहा है?’’

हमारे इस सवाल पर अनन्या ने नेपोटिज्म की बातें करने वालों को आइना दिखाते हुए कहा-‘‘मुझे लगता है कि इस तरह की बातें करने वाले लोगों को लगता है कि फिल्मी संतानें प्रतिभाशाली नही होती हैं. पर वह भूल जाते हैं कि वरूण धवन, रणबीर कपूर, आलिया भट्ट फिल्मी संतानें ही हैं. जिन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवाया हुआ है. हर कोई इनके अभिनय की तारीफ करता है. फिर इसी फिल्म इंडस्ट्री में रणबीर सिंह, अनुष्का शर्मा और दीपिका पादुकोण जैसे प्रतिभाशाली कलाकार हैं, जो कि फिल्मी परिवार से नही हैं. तो मेरा कहना यह है कि टैलेंट, टैलेंट होता है, उसे महज इस आधार पर नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि वह टैलेंट किसी फिल्म परिवार से आया है.’’


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बता दें कि करण जोहर ने 2012 में अपने निर्देशन में बनी फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर’’ में महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट और डेविड धवन के बेटे वरूण धवन को ब्रेक दिया था. यह दोनों पांच साल के अंदर स्टार बन चुके हैं. लोग इनके अभिनय के दीवाने हैं. इसके बाद भी करण जौहर कई फिल्मी संतानो को मौका दे चुके हैं. पिछले साल ही उन्होने स्व. श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी जान्हवी कपूर को फिल्म ‘‘धड़क’’में ब्रेक दिया था.

Edited by- Nisha rai

सेट पर बेहोश हुईं दीपिका, फोटो देख फैंस ने पूछा ये सवाल

आखिरकार लंबे इंतजार के बाद टीवी की फेमस बहू और एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ छोटे परदे पर कमबैक करने जा रही हैं. ‘ससुराल सिमर का’ की लीड एक्ट्रेस रह चुकीं दीपिका ‘बिग बौस 12’ की विनर बनने के बाद से ही सुर्खियों में हैं. जब से उनके नए टीवी शो पानीपुरी की खबर फैंस को मिली है तभी से वो इस शो का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैम. लेकिन लगता है कि दीपिका शो के लिए कुछ ज्यादा ही मेहनत कर रही है तभी तो हाल ही में शूटिंग के दौरान वो सेट पर ही बेहोश हो गई.

प्रोड्यूसर ने शेयर की फोटो….

जी हां, इस शो के प्रोड्यूसर ने इंस्टाग्राम पर दीपिका कक्कड़ की एक फोटो शेयर कर ये जानकारी दी है. प्रोड्यूसर संदीप सिकंद ने सोफे पर बेहोश पड़ी दीपिका एक फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘हीरोइन तो फेंट हो गई.’ लेकिन दीपिका की इस फोटो को देखते ही उनके फैंस परेशान हो गए और दीपिका का हालचाल मेकर्स से पूछने लगे.

फैंस ने लिए मजे…

इतना ही नहीं कुछ फैंस तो दीपिका की फोटो देखकर प्रोड्यूसर से ये सवाल भी पूछने लगे कि वो बेहोश हैं और आप परफेक्ट एंगल से उनकी फोटो खींच रहे हैं. ऐसी ही कई और मजेदार बाते आप इस फोटो के कमेंट सेक्शन में पढ़ सकते हैं.

 

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“Heroine” toh faint ho gayi ??

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दीपिका ने बताया हाल-चाल…

इसके कुछ ही देर बाद दीपिका ने एक फोटो शेयर कर इसकी जानकारी दी कि वो बिल्कुल ठीक है. इस पर उन्होंने लिखा है, ‘नई फ्रेशनेस और पॉजिटीविटी हर ओर फैल रही है. नई शुरुआत करते है.’

 

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The world is yours!!! the more you explore the more you love it!!! @oasispalmsafari

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काफी दिनों से बीमार हैं दीपिका…

खबरों की माने तो दीपिका की तबीयत काफी दिनों से ठीक नहीं थी. इस टीवी शो की शूटिंग शुरू होने से पहले उनके पति शोएब इब्राहिम ने एक फोटो शेयर कर बताया था कि अब वो ठीक हो गई है. शोएब ने लिखा था, ‘कोई लौट के आया है. मेरा बीमार बच्चा ठीक हो गया… शुक्रअल्लाह दोस्तों के लिए शुक्रिया.’

 

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Mera beemar bacha theek hogaya ????ShukrAllah!! Duaon ke liye shukriya ??????

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बता दें कि दीपिका कक्कड़ का नया टीवी शो पानी पुरी स्टार प्लस पर दिखाया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ‘पानी पुरी’ इस चैनल के टीवी शो ‘ये हैं मोहब्बतें’ को रिप्लेस करेगा.

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