Periods के दौरान कर रही हैं ट्रैवल, तो अपनाएं ये खास टिप्स  

Periods : आखिर पीरियड्स से ट्रिप के दौरान किस प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं और इन से कैसे निबटा जा सकता है:

क्रैंप्स: आम दिनचर्या में जब पीरियड क्रैंप्स होते है उस वक्तगर्ल्स बिस्तर से उठने तक का नहीं सोचतीं. उन के लिए इस दर्द को बरदाश्त कर पाना ही एक मुश्किल काम होता है. ऐसे में अगर ट्रिप के दौरान पीरियड क्रैंप्स होते हैं तो इस से आप के प्लान पर असर पड़ता है और कुछ घंटे या कहें पूरे दिन के लिए आप के ट्रिप में रुकावट आ सकती है.

तनाव: सोलो ट्रिप मन की शांति, आजादी को महसूस करने, खुद की खोज करने, ऐंजौय करने और ऐडवैंचर के इरादे से किया जाता है. ऐसे में पीरियड्स आप को खुद की खोज में नहीं खुद में उल?ा देने का काम करते हैं.

दाग: आमतौर पर जब पीरियड्स होते हैं तो लड़कियों के पास यह विकल्प होता है कि वे समयसमय पर अपने ब्लड फ्लो को चैक कर सकती हैं लेकिन ट्रैवल करते वक्त, ट्रैकिंग, बोटिंग, अन्य तरहतरह के ऐडवैंचर करते वक्त उन के पास वाशरूम का विकल्प नहीं होता. इस सिचुएशन में लड़कियां कंफर्टेबल महसूस नहीं करतीं और उन का ध्यान तमाम चीजों से हट कर अपने पीरियड्स पर ही अटक जाता है.

इन समस्याओं की वजह से आमतौर पर गर्ल्स के मन में एक ही खयाल आता है कि पीरियड्स के दौरान ‘से नो टु सोलोट्रिप’ लेकिन सच यह है कि पीरियड्स कोई रुकावट नहीं हैं. थोड़ी सी समझदारी और तैयारी से आप अपना ट्रिप उतना ही ऐंजौय कर सकती हैं जितना आप ने बिना पीरियड्स के करने की सोची थी.

इस के लिए आप ट्रिप की डेट्स सुनिश्चित करने से पहले पीरियड साइकल का अनुमान लगाएं. इस से आप को यह अंदाजा हो जाएगा कि ट्रिप के बीच पीरियड्स आने वाले हैं या नहीं अगर ट्रिप के बीच अगर पीरियड्स की डेट हो तो पीरियड्स पैक को अपनी पैकिंग में शामिल करना न भूलें.

कैसा हो पीरियड पैक

पीरियड पैक में इन चीजों को पैक करना न भूलें:

सैनिटरी पैड्स, टैंपान, मैंस्ट्रुअल कप: जरूरत के अनुसार इन का उपयोग किया जा सकता है. अगर लंबा सफर हो तो मैंस्ट्रुअल कप एक अच्छा विकल्प है.

पीरियड पैंटी: पीरियड पैंटी सामान्य पैंटी की तरह ही होती है. इस से लीकेज की समस्या से बचा जा सकता है और आप इस में कंफर्टेबल भी महसूस करेंगी. ट्रैकिंग, रिवर राफ्टिंग या किसी अन्य ऐडवैंचर के लिए यह एक अच्छा विकल्प है.

पेन रिलीफ मैडिसिन: पीरियड क्रैंप्स से आराम पाने के लिए पेन रिलीफ मैडिसिन साथ रखें.

डिस्पोजेबल बैग: सफर में हमें अपने और अपनी आसपास की स्वच्छता का भी ध्यान रखना चाहिए. सैनिटरी पैड को पेपर में लपेट कर या प्लास्टिक बैग में रैप कर ही डिस्पोज करें. इसलिए अपने साथ डिस्पोजेबल बैग रख लें.

हीट वाटर बैग या पोर्टेबल हीटिंग बैल्ट: पीरियड्स के दौरान हीट वाटर बैग या हीटिंग बैल्ट लगा कर सो जाने से कमर दर्द में आराम मिलता है.

ऐक्स्ट्रा अंडरगारमैंट्स, टिशू पेपर और वाइप्स: अपने साथ हमेशा ऐक्स्ट्रा अंडरगारमैंट्स रखें, टिशू पेपर और वाइप्स सफर में काफी उपयोगी साबित होते हैं.

डार्क कलर की आरामदायक बौटम्स: पीरियड्स के दौरान लीकेज की समस्या भी हो सकती है जिस से कपड़ों पर दागधब्बे लगने की संभावना रहती है. इसीलिए ब्लैक या किसी भी डार्क कलर बौटम्स साथ रखें. इन में दाग नहीं दिखते.

पेन किलर औयल/बाम: पीरियड्स के दौरान नसों में दर्द  की वजह से शरीर कमजोरी महसूस करता है और अगर आप ट्रिप पर निकली हैं तो थकावट भी होती है. ऐसे में पेन किलर औयल या बाम आप को राहत देगा.

इन तमाम चीजों के अलावा साथ डार्क चौकलेट, खट्टीमीठी टौफी, पुदीने के टैबलेट्स, गरम पानी हमेशा रखें.

Story In Hindi : पैंसठ पार का सफर – क्या कम हुआ सुरभि का डर

Story In Hindi : टेलीविजन का यह विज्ञापन उन्हें कहीं  बहुत गहरे सहला देता है, ‘झूठ बोलते हैं वे लोग जो कहते हैं कि उन्हें डर नहीं लगता. डर सब को लगता है, प्यास सब को लगती है.’ अगर वे इस विज्ञापन को लिखतीं तो इस में कुछ वाक्य और जोड़तीं, प्यास ही नहीं, भूख भी सब को लगती है… हर उम्र में…इनसान की देह की गंध भी सब को छूती है और चाहत की चाहत भी सब में होती है.

उम्र 65 की हो गई है. मौत का डर हर वक्त सताता है. यह जानते हुए भी कि मौत तो एक दिन सबको आती है. फिर उस से डर क्यों? नहीं, गीता की आत्मा वाली बात में उन की आस्था नहीं है कि आत्मा को न आग जला सकती है, न मौत मार सकती है, न पानी गला सकता है…सब झूठ लगता है उन्हें. शरीर में स्वतंत्र आत्मा का कोई अस्तित्व नहीं लगता और शरीर को यह सब व्यापते हैं तो आत्मा को भी जरूर व्यापते होंगे. धर्मशास्त्र आदमी को हमेशा बरगलाया क्यों करते हैं? सच को सच क्यों नहीं मानते, कहते? वे अपनेआप से बतियाने लगती हैं, दार्शनिकों की तरह…

चौथी मंजिल के इस फ्लैट में सारे सुखसाधन मौजूद हैं. एक कमरे में एअरकंडीशनर, दूसरे में कूलर. काफी बड़ी लौबी. लौबी से जुडे़ दोनों कमरे, किचन, बाथरूम. बरामदे में जाने का सिर्फ एक रास्ता, बरामदे में 3 दूसरे फ्लैटों के अलावा चौथा लिफ्ट का दरवाजा है.

इस विशाल इमारत के चारों तरफ ऊंची चारदीवारी, पक्का फर्श, गेट पर सुरक्षा गार्ड. गार्ड रूम में फोन. गार्ड आगंतुक से पूछताछ करते हैं, दस्तखत कराते हैं. फोन से फ्लैट वाले से पूछा जाता है कि फलां साहब मिलने आना चाहते हैं, आने दें?

इस फ्लैट मेंऐसा क्या है जो पति उन्हें न दे कर गए हों? मौत से पहले उन्होंने उस के लिए सब जुटा दिया और एक दिन हंसीहंसी में कहा था उन्होंने, ‘आराम से रहोगी हमारे बिना भी.’

तब वह कु्रद्ध हो गई थीं, ‘ठीक है कि मुझे धर्मकर्म के ढोंग में विश्वास नहीं है पर मैं मरना सुहागिन ही चाहूंगी…मेरी अर्थी को आप का कंधा मिले, हर भारतीय नारी की तरह यह मेरी भी दिली आकांक्षा है.’ पर आकांक्षाएं और चाहतें पूरी कहां होती हैं?

उन के 2 बेटे हैं. एक ने आई.आई.टी. में उच्च शिक्षा पाई तो दूसरे ने आई.आई.एम. में. लड़की ने रुड़की से इलेक्ट्रोनिक इंजीनियरिंग में शिक्षा पाई. तीनों में से कोई भी अपने देश में रुकने को तैयार नहीं हुआ. सब को आज की चकाचौंध ने चौंधिया रखा था. सब कैरियर बनाने विदेश चले गए और उन की चाहत धरी की धरी रह गई. पति से बोली भी थीं, ‘लड़की को शादी के बाद ही जाने दो बाहर…कोई गलत कदम उठ गया तो बदनामी होगी,’ पर लड़की का साफ कहना था, ‘वहीं कोई पसंद आ गया तो कर लूंगी शादी. अपने जैसा ही चाहिए मुझे, सुंदर, स्मार्ट, पढ़ालिखा, वैज्ञानिक दृष्टि वाला.’

लड़कों ने भी उन की नहीं सुनी. पहले कैरियर बाद में शादी, यह कह कर विदेश गए और बाद में शादी कर ली पर बाप से पूछना तक मुनासिब नहीं समझा.

इस फ्लैट में अकेले वे दोनों ही रह गए. उस रात अचानक पति के सीने में दर्द उठा. वह घबराईं, डाक्टर को फोन किया. अस्पताल से एंबुलेंस आए उस से पहले ही उन्होंने अंतिम सांस ले ली. बच्चों को फोन किया तो दोनों ने फ्लाइट्स न मिलने की बात कही और बताया कि आने  में एक सप्ताह लगेगा, सबकुछ खुद ही निबटवा लें किसी तरह. उन्होंने पूछा भी था कि कैसे और किस से कराएं दाहसंस्कार? पर कोई उत्तर नहीं मिला उन्हें.

बच्चे आए. बाकी के कर्मकांड जल्दी से निबटाए और फिर एक दिन बोले, ‘पापा लापरवाह आदमी थे. इस उम्र में तेल, घी छोड़ देना चाहिए था, पर वह तो हर वक्त यहां दीवान पर लेटेलेटे या तो किताबें, अखबार पढ़ते या फिर टीवी पर खबरें सुनते रहते. उन्होंने तो कहीं आनाजाना भी छोड़ दिया था. ऐसे लाइफ स्टाइल का यही हश्र होना था. वह तो सब्जीभाजी तक नौकरानी से मंगाते. इस्तेमाल की चीजें दुकानों से फोन कर के मंगवा लेते. कहीं इस तरह जीवन जिया जाता है?’

कहते तो ठीक थे बच्चे पर उन के अपने तर्क होते थे. वह कहते, ‘यह महानगर है, सुरभि. यहां बेमतलब कोई न किसी से मिलता है न मिलना पसंद करता है. किसे फुर्सत है जो ठलुओं से बतियाए?’

‘ठलुए’ शब्द उन्हें बहुत खलता. आखिर उन के अपने दफ्तर के भी तो लोग हैं. उन में  भी 2-3 रिटायर व्यक्ति हैं. उन्हीं के पास जा बैठें. अगर ये ठलुए हैं तो वे कौन सा पहाड़ खोद रहे होंगे?

कहा तो बोले, ‘सब ने कोई न कोई पार्ट टाइम जौब पकड़ लिया है. किसी को फुर्सत नहीं है.’

‘तो आप भी ऐसा कुछ करने लगिए,’ सुरभि ने कहा था.

‘नहीं करना. अपने पास अब सब है. पेंशन तुम्हें भी मिलती है, मुझे भी. बच्चे सब बड़े हो गए. विदेश जा बसे. उन्हें हमारे पैसे की जरूरत नहीं है. अपने पास कोई कमी नहीं है, फिर क्यों इस उम्र में अपने से काफी कम उम्र के लोगों की झिड़कियां सुनें?’

जबरन ही कभीकभी शाम को खाने के बाद सुरभि पति को अपने साथ लिवा जातीं. सड़क पार एक बड़ा पार्क था, उस में चहलकदमी करते. वहां बच्चों का हुल्लड़ उन्हें पसंद न आता. खासकर वे जिस तरह धौलधप्प करते, गेंद खेलते, भागदौड़ में गिरतेपड़ते. कभीकभी उन की गेंद उन तक आ जाती या उन्हें लग जाती तो झुंझला उठते, ‘यह पार्क ही रह गया है तुम लोगों को हुल्लड़ मचाने के लिए?’

वह पति की कोहनी दबा देतीं, ‘तो कहां जाएं बेचारे खेलने? सड़क पर वाहनों की रेलपेल, घरों में जगह नहीं, स्कूल दूर हैं. कहां खेलें फिर?’

‘भाड़ में,’ वह चीख से पड़ते. यह उन का तकिया कलाम था. जब भी, जिस पर भी वह गुस्सा होते, उन के मुंह से यही शब्द निकलता.

आखिर उन की बात सच निकली… बच्चे हम से बहुत दूर, विदेश के भाड़ में चले गए और स्वयं भी वह चिता के भाड़ में और जीतेजी वह भी इस फ्लैट में अकेली भाड़ में ही पड़ी हुई हैं.

शाम को जब बर्तन मांजने वाली बर्तन साफ कर जाती तो वह अकसर सामने के पार्क में चली जातीं…इस भाड़ से कुछ देर को तो बाहर निकलें.

घूमती टहलती जब थक जातीं तो सीमेंट की बेंच पर बैठ जातीं. एक दिन बैठीं तो एक और वृद्धा उन के निकट आ बैठी. इस उम्र की औरतों का एकसूत्री कार्यक्रम होता है, बेटेबहुओं की आलोचना करना और बेटियों के गुणगान, अपने दुखदर्द और बेचारगी का रोना और बीमारियों का बढ़ाचढ़ा कर बखान करना. यह भी कि बहू इस उम्र में उन्हें कैसा खाना देती है, उन से क्याक्या काम कराती है, इस का पूरा लेखाजोखा.

बहुत जल्दी ऊब जाती हैं वह इन बुढि़यों की एकरस बातों से. सुरभि उठने को ही थीं कि वह वृद्धा बोली, ‘आजकल मैं सुबह टेलीविजन पर योग और प्राणायाम देखती हूं. पहले सुबह यहां घूमने आती थी, पर जब से चैनल पर यह कार्यक्रम आने लगा, आ ही नहीं पाती. आप को भी जरूर देखना चाहिए. सारे रोगों की दवा बताते हैं. अब आसन तो इस उमर में हो नहीं पाते मुझ से, पर हाथपांव को चलाना, घुटनों को मोड़ना, प्राणायाम तो कर ही लेती हूं.’

‘फायदा हुआ कुछ इन सब से आप को?’ न चाहते हुए भी सुरभि पूछ बैठीं.

‘पहले हाथ ऊपर उठाने में बहुत तकलीफ होती थी. घुटने भी काम नहीं करते थे. यहां पार्क में ज्यादा चलफिर लेती तो टीस होने लगती थी पर अब ऐसा नहीं होता. टीस कम हो गई है, हाथ भी ऊपर उठने लगे हैं, जांघों का मांस भी कुछ कम हो गया है.’

‘सब प्रचार है बहनजी. दुकानदारी कहिए,’ वह मुसकराती हैं, ‘कुछ बातें ठीक हैं उन की, सुबह उठने की आदत, टहलना, घूमनाफिरना, स्वच्छसाफ हवा में अपने फेफड़ों में सांस खींचना…कुछ आसनों से जोड़ चलाए जाएंगे तो जाम होने से बचेंगे ही. पर हर रोग की दवा योग है, यह सही नहीं हो सकता.’

पास वाली बिल्डिंग के तीसरे माले पर एक बूढ़े दंपती रहते थे. उन्होंने 15-16 साल का एक नौकर रख रखा था. बच्चे विदेश से पैसा भेजते थे. नौकर ने एक दिन देख लिया कि पैसा कहां रखते हैं. अपने एक सहयोगी की सहायता से नौकर ने रात को दोनों का गला रेत दिया और मालमता बटोर कर भाग गए. पुलिस दिखावटी काररवाई करती रही. एक साल हो गया, न कोई पकड़ा गया, न कुछ पता चला.

सुरभि और उन के पति ने तब से नियम बना रखा था कि पैसा और जेवर कभी नौकरों के सामने न रखो, जरूरत भर का ही बैंक से वह पैसा लाते थे. खर्च होने पर फिर बैंक चले जाते थे. किसी को बड़ी रकम देनी होती तो हमेशा यह कह कर दूसरे दिन बुलाते थे कि बैंक से ला कर देंगे, घर में पैसा नहीं रहता.

मौत सचमुच बहुत डराती है उन्हें. पति के जाने के बाद जैसे सबकुछ खत्म हो गया. क्या आदमी जीवन में इतना महत्त्व रखता है? कई बार सोचती हैं वह और हमेशा इसी नतीजे पर पहुंचती हैं. हां, बहुत महत्त्वपूर्ण, खासकर इस उम्र में, इन परिस्थितियों में, ऐसे अकेलेपन में…कोई तो हो जिस से बात करें, लड़ेंझगड़ें, बहस करें, देश और दुनिया के हालात पर अफसोस करें.

इसी इमारत में एक अकेले सज्जन भाटिया साहब अपने फ्लैट में रहते हैं, बैंक के रिटायर अफसर. बेटाबहू आई.टी. इंजीनियर. बंगलौर में नौकरी. बूढ़े का स्वभाव जरा खरा था. देर रात तक बेटेबहू का बाहर क्लबों में रहना, सुबह देर से उठना, फिर सबकुछ जल्दीजल्दी निबटा, दफ्तर भागना…कुछ दिन तो भाटिया साहब ने बरदाश्त किया, फिर एक दिन बोले, ‘मैं अपने शहर जा कर रहूंगा. यहां अकेले नहीं रह सकता. कोई बच्चा भी नहीं है तुम लोगों का कि उस से बतियाता रहूं.’

‘बच्चे के लिए वक्त कहां है पापा हमारे पास? जब वक्त होगा, देखा जाएगा,’ लड़के ने लापरवाही से कहा था.

भाटिया साहब इसी बिल्ंिडग के अपने  फ्लैट में आ गए.

भाटिया साहब के फ्लैट का दरवाजा एकांत गैलरी में पड़ता था. किसी को पता नहीं चला. दूध वाला 3 दिन तक दूध की थैलियां रखता रहा. अखबार वाला भी रोज दूध की थैलियों के नीचे अखबार रखता रहा. चौथे दिन पड़ोसी से बोला, ‘भाटिया साहब क्या बाहर गए हैं? हम लोगों से कह कर भी नहीं गए. दूध और अखबार 3 दिन से यहीं पड़ा है.’

पड़ोसी ने आसपास के लोगों को जमा किया. दरवाजा खटखटाया. कोई जवाब नहीं. पुलिस बुलाई गई. दरवाजा तोड़ा गया. भाटिया साहब बिस्तर पर मृत पड़े थे और लाश से बदबू आ रही थी. पता नहीं किस दिन, किस वक्त प्राण निकल गए. अगर भाटिया साहब की पत्नी जीवित होतीं तो यों असहाय अवस्था में न मरते.

ऐसी मौतें सुरभि को भी बहुत डराती हैं. कलेजा धड़कने लगता है जब वह टीवी पर समाचारों में, अखबारों या पत्रिकाओं में अथवा अपने शहर या आसपास की इमारतों में किसी वृद्ध को ऐसे मरते या मारे जाते देखती हैं. उस रात उन्हें ठीक से नींद नहीं आती. लगता रहता है, वह भी ऐसे ही किसी दिन या तो मार दी जाएंगी या मर जाएंगी और उन की लाश भी ऐसे ही बिस्तर पर पड़ी सड़ती रहेगी. पुलिस ही दरवाजा तोड़ेगी, पोस्टमार्टम कराएगी, फिर अड़ोसीपड़ोसी ही दाहसंस्कार करेंगे. बेटेबहू या बेटीदामाद तो विदेश से आएंगे नहीं. इसी डर से उन्होंने अपने तीनों पड़ोसियों को बच्चों के पते और टेलीफोन नंबर तथा मोबाइल नंबर दे रखे हैं…घटनादुर्घटना का इस उम्र में क्या ठिकाना, कब हो जाए?

अखबार के महीन अक्षर पढ़ने में अब इस चश्मे से उन्हें दिक्कत होने लगी है. शायद चश्मा उतर गया है. बदलवाना पड़ेगा. पहले तो सोचा कि बाजार में चश्मे वाले स्वयं कंप्यूटर से आंख टेस्ट कर देते हैं, उन्हीं से करवा लें और अगर उतर गया तो लैंस बदलवा लें. पर फिर सोचा, नहीं, आंख है तो सबकुछ है. अगर अंधी हो गईं तो कैसे जिएंगी?

पिछली बार जिस डाक्टर से आंख टेस्ट कराई थी उसी से आंख चैक कराना ठीक रहेगा. खाने के बाद वह अपनी कार से उस डाक्टर के महल्ले में गईं. काफी भीड़ थी. यही तो मुसीबत है अच्छे डाक्टरों के यहां जाने में. लंबी लाइन लगती है, घंटों इंतजार करो. फिर आंख में दवा डाल कर एकांत में बैठा देते हैं. फिर बहुत लंबे समय तक धुंधला दिखाई देता है, चलने और गाड़ी चलाने में भी कठिनाई होती है.

वह लंबी बैंच थी जिस के कोने में थोड़ी जगह थी और वह किसी तरह ठुंसठुंसा कर बैठ सकती थीं. खड़ी कहां तक रहेंगी? शरीर का वजन बढ़ रहा है.

बैठीं तो उन का ध्यान गया, बगल में कोई वृद्ध सज्जन बैठे थे. उन की आंखों में शायद दवा डाली जा चुकी थी, इसलिए आंखें बंद थीं और चेहरे को सिर की कैप से ढक लिया.

Female Friendship : महिला रिश्तेदार बन सकती हैं मजबूत सहारा

Female Friendship : आज के दौर में जहां परिवार छोटे होते जा रहे हैं, वहीं अकेलापन और तनाव बढ़ता जा रहा है. रिश्तेदारों से अपनापन बनाए रखना केवल सामाजिक कर्तव्य नहीं, एक भावनात्मक निवेश है. खासकर महिला रिश्तेदारों से अच्छा संबंध बच्चों के लिए सुरक्षा कवच का काम भी कर सकता है.

जीवन का भरोसा नहीं, लेकिन रिश्तों की मजबूती आप के बच्चों को अकेलेपन और असुरक्षा से जरूर बचा सकती है.

रिश्तों का दायरा सीमित न रखें

अकसर महिलाएं ससुराल और मायके के बीच बंटी रहती हैं और अपने रिश्तों को केवल औपचारिकता तक सीमित कर लेती हैं. लेकिन अगर हम अपने रिश्तेदारों से दिल से जुड़ें, त्योहारों में मिलें, आम दिनों में बात करें, बच्चों को उन के पास भेजें तो रिश्ते गहराते हैं. ताई, चाची, मामी, मौसी ये सिर्फ रिश्ते नहीं, एक नेटवर्क हैं. ये रिश्तेदार हमारे बच्चों के लिए ‘मां जैसी’ दूसरी छाया बन सकती हैं.

अगर हम उन के साथ आज प्रेम, सम्मान और समझदारी का रिश्ता बनाएंगे, तो कल वे बिना झिझक हमारे बच्चों की मदद करेंगी.

व्यवहार से दिल जीतें, अधिकार जता कर नहीं

रिश्तों में अधिकार से ज्यादा अपनापन और समझ जरूरी होता है. ताई या मामी अगर किसी बात पर सलाह दें, तो उसे तुरंत टालने के बजाय सुनें. जब हम दूसरों की इज्जत करते हैं, तो वही इज्जत हमारे बच्चों को भी मिलती है.

बच्चों को भी इन रिश्तों से जोड़ें

बच्चों को सिर्फ मम्मीपापा तक सीमित न रखें. उन्हें मौसी के घर भेजिए, मामी के हाथ का खाना खिलाइए, चाची की कहानियां सुनाइए ताकि भावनात्मक जुड़ाव बनें.

मतभेद हों तो भी संवाद बनाए रखें

हर रिश्ते में खटास आ सकती है, लेकिन संवाद का दरवाजा कभी बंद न करें. कभीकभी एक फोन कौल, किसी त्योहार पर बुलाना या “कैसी हो…” पूछ लेना बहुत गहराई से रिश्ता बचा सकता है.

बच्चों के भविष्य के लिए जरूरी है

मकान, जेवर और पैसे छोड़ना एक तरह की विरासत है, लेकिन रिश्ते सहेज कर जाना उस से भी कहीं बड़ी अमानत है. आप के जाने के बाद वही रिश्ते आप के बच्चों की परछाई बन सकते हैं.

बच्चों के लिए पारिवारिक जाल की जरूरत

अगर आप अपने बच्चों को अकेलेपन से बचाना चाहती हैं, तो जरूरी है कि वे सिर्फ मम्मीपापा तक सीमित न रहें. उन्हें अपने बाकी रिश्तेदारों से जोड़िए ताकि उन्हें लगें कि वे एक बड़े और मजबूत परिवार का हिस्सा हैं, जो हर हाल में उन के साथ हैं.

बुआ और फूफा से जुड़े रिश्ते को भी बनाएं बच्चों के लिए सहारा अकसर बुआ को घर से दूर मान लिया जाता है, लेकिन अगर उन से प्यार और अपनापन बना रहे तो वे बच्चों के लिए दूसरी मां जैसी भूमिका निभा सकती हैं. त्योहारों, पारिवारिक मेलों और बातचीत के जरीए बुआ से रिश्ता गहरा किया जा सकता है. उन के अनुभव और भावनाएं बच्चों को आत्मिक सुरक्षा दे सकती हैं.

ननद और भाभी का रिश्ता सिर्फ तकरार का नहीं, बच्चों की खुशहाली का माध्यम भी अगर ननदभाभी एकदूसरे को प्रतियोगी की नजरों से देखना छोड़ कर बहन जैसा अपनापन दें, तो न केवल सासससुर खुश रहते हैं, बल्कि बच्चों को भी एक बड़ा और मजबूत पारिवारिक माहौल मिलता है.

परदादी और नानी : बच्चों की जड़ों को मजबूती देने वाली कहानियों का खजाना बच्चों को सिर्फ मोबाइल और टीवी से नहीं, बल्कि परिवार की पुरानी पीढ़ियों की कहानियों से जोड़िए. नानी और परदादी से उन का रिश्ता बनाइए ताकि वे अपने संस्कार, संस्कृति और मूल्यों को जान सकें.

काकी, मामी, मौसी : बच्चों के लिए छोटीछोटी माएं हैं.जब बच्चों की मां किसी वजह से अनुपस्थित होती है (काम, बीमारी, या भविष्य की कोई अनहोनी), तब ये रिश्तेदार ही उन के लिए प्यार, देखभाल और मार्गदर्शन बन कर खड़ी हो सकती हैं. जरूरत है आज से ही उन रिश्तों में मिठास घोलने की.

बच्चों को रिश्तों की गरमाहट देना भी एक तरह की परवरिश है

हम बच्चों को अच्छा खाना, अच्छे कपड़े, महंगे स्कूल देते हैं लेकिन अगर हम उन्हें अपनापन, रिश्तों की गहराई और संयुक्त परिवार की भावनाएं नहीं देंगे तो वे भीतर से अकेले हो जाएंगे. रिश्तों से मिला प्रेम बच्चों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है.

एक मां की सब से बड़ी चिंता अपने बच्चों का भविष्य होती है. यदि आप चाहती हैं कि आप के बाद भी आप के बच्चों को प्यार, मार्गदर्शन और सहारा मिलें, तो आज से ही रिश्तों को सहेजिए.

ताई, चाची, मामी, मौसी जैसी औरतें आप की दुनिया को मजबूत बना सकती हैं, अगर आप उन्हें दिल से अपनाएं.

Extra Marital Affair : मैरिड होने के बावजूद कुछ दिनों से किसी दूसरे के प्रेम में पड़ गई हूं…

Extra Marital Affair : अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक पढ़ें

सवाल

मैं 28 साल की महिला हूं. मैं और मेरे पति एक दूसरे का बहुत खयाल रखते हैं, मगर इधर कुछ दिनों से मैं किसी दूसरे के प्रेम में पड़ गई हूं. हमारे बीच कई बार संबंध भी बन चुके हैं. मुझे इस में बेहद आनंद आता है. मैं अब पति के साथसाथ प्रेमी को भी नहीं खोना चाहती हूं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

आप के बारे में यही कहा जा सकता है कि दूसरे के बगीचे का फूल तभी अच्छा लगता है जब हम अपने बगीचे के फूल पर ध्यान नहीं देते. आप के लिए बेहतर यही होगा कि आप अपने ही बगीचे के फूल तक ही सीमित रहें. फिर सच्चाई यह भी है कि यदि पति बेहतर प्रेमी साबित नहीं हो पाता तो प्रेमी भी पति के रहते दूसरा पति नहीं बन सकता. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर आग में खेलने जैसा है जो कभी भी आप के दांपत्य को झुलस सकती है. ऐसे में बेहतर यही होगा कि आग से न खेल कर इस संबंध को जितनी जल्दी हो सके खत्म कर लें. अपने साथी के प्रति वफादार रहें. अगर आप अपनी खुशियां अपने पति के साथ बांटेंगी तो इस से विवाह संबंध और मजबूत होगा.

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आखिर क्यों अपनी पार्टनर को धोखा देते हैं आदमी, जानें ये 4 वजह

एक रिलेशनशिप में एक-दूसरे के प्रति ईमानदार होना जरुरी होता है, तभी एक रिश्ता सही रहता है. एक-दूसरे की भावनाओं को समझना रिश्ते को मजबूत बनाता है. लेकिन आज के समय में बहुत से पुरूष अपने रिश्ते के प्रति वफादार नहीं रहते हैं और अपने पार्टनर को धोखा देते हैं. जो पुरूष अपनी साथी को धोखा देने के बारे में सोचते हैं उन्हें इस बात का बिल्कुल आभास नहीं होता है कि वे कुछ गलत कर रहें हैं. पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं अपने साथी को कम धोखा देती हैं.

  1. साथी के प्रति वफादार नहीं होते हैं…

कुछ ऐसे पुरूष होते हैं जो अपने साथी के लिए वफादार होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें किसी की भावनाओं की कद्र नहीं होती. इस तरह के पुरूष सिर्फ अपनी महिला साथी का इस्तेमाल करते हैं. वे उन्हें स्पेशल महसूस कराते हैं. लेकिन वास्तव में वह अपनी साथी के लिए बिल्कुल भी ईमानदार नहीं होते हैं.

  1. असुरक्षित महसूस करते हैं…

हर व्यक्ति धोखा दे ऐसा जरुरी नहीं होता है. लेकिन कुछ ऐसे पुरुष होते हैं जो अपने रिश्ते को लेकर थोड़े असुरक्षित होते हैं. जिसके कारण ना चाहते हुए भी वह अपने पार्टनर के साथ गलत कर बैठते हैं. उन्हें इस बात का डर होता है कि कहीं वे अपने साथी को खो तो नहीं देंगे. इस डर की वजह से वे अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार नहीं रह पाते हैं और अपने पार्टनर को धोखा दे बैठते हैं.

  1. रिश्ते की कद्र नहीं…

हमेशा लोगों को जितना मिलता है उससे अधिक पाने कि इच्छा होती है. और इनके पास जो होता है वह उसकी कद्र नहीं करते हैं. ऐसा पुरूषों के साथ भी होता है कि उन्हें जैसी पार्टनर मिली होती है वह उन्हें कम ही लगता है. उनके दिमाग में हमेशा यह बात होती है कि जो मिला है उन्हें उससे और बेहतर मिल सकता है. ऐसे पुरूषों में अपने पार्टनर को धोखा देने की प्रवृत्ति अधिक होती है क्योंकि इन्हें जितना मिलता है उसमें उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती है.

  1. भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं…

पुरूष भावनात्मक और मानसिक रूप से कमजोर होते हैं इसलिए उन्हें उन्हें बेवकूफ बनाना आसान होता है. मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण उनमें सेल्फ कंट्रोल की कमी होती है इस वजह से उनके लिए अपने पार्टनर को धोखा देना ज्यादा मुश्किल नहीं होता है. ऐसे लोग बहुत जल्दी लोगों से प्रभावित हो जाते हैं और कभी-कभी दूसरे की बातें सुनकर अपने पार्टनर की भावनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं.

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Hindi Love Stories : होटल ऐवरेस्ट – विजय से क्यों दूर चली गई काम्या?

Hindi Love Stories : चित्रा के साथ शादी के 9 सालों का हिसाब कुछ इस तरह है: शुरू के 4 साल तो यह समझने में लग गए कि अब हमारा रिश्ता लिव इन रिलेशन वाले बौयफ्रैंडगर्लफ्रैंड का नहीं है. 1 साल में यह अनुभव हुआ कि शादी का लड्डू हजम नहीं हुआ और बाकी के 4 साल शादी से बाहर निकलने की कोशिशों में लग गए. कुल मिला कर कहा जाए तो मेरे और चित्रा के रिश्ते में लड़ाईझगड़ा जैसा कुछ नहीं था. बस आगे बढ़ने की एक लालसा थी और उसी लालसा ने हमें फिर से अलगअलग जिंदगी की डोर थामे 2 राही बना कर छोड़ दिया. हमारे तलाक के बाद समझौता यह हुआ कि मुझे अदालत से अनुमति मिल गई कि मैं अपने बेटे शिवम को 3 महीने में 1 बार सप्ताह भर के लिए अपने साथ ले जा सकता हूं. तय प्रोग्राम के मुताबिक चित्रा लंदन में अपनी कौन्फ्रैंस में जाने से पहले शिवम को मेरे घर छोड़ गई.

‘‘मम्मी ने कहा है मुझे आप की देखभाल करनी है,’’ नन्हा शिवम बोला. उस की लंबाई से दोगुनी लंबाई का एक बैग भी उस के साथ में था.

‘‘हम दोनों एकदूसरे का ध्यान रखेंगे,’’ मैं ने शरारती अंदाज में उस की ओर आंख मारते हुए कहा. ऐसा नहीं था कि वह पहले मेरे साथ कहीं अकेला नहीं गया था पर उस समय चित्रा और मैं साथसाथ थे. पर आज मुझ में ज्यादा जिम्मेदारी वाली भावना प्रबल हो रही थी. सिंगल पेरैंटिंग के कई फायदे हैं, लेकिन एकल जिम्मेदारी निभाना आसान नहीं होता.

मैं ने गोवा में होटल की औनलाइन बुकिंग अपनी सेक्रेटरी से कह कर पहले ही करवा दी थी. होटल में चैकइन करते ही काउंटर पर खड़ी रिसैप्शनिस्ट ने सुइट की चाबियां पकड़ाते हुए दुखी स्वर में कहा, ‘‘सर, अभी आप पूल में नहीं जा पाएंगे. वहां अभी मौडल्स का स्विम सूट में शूट चल रहा है.’’ मन ही मन खुश होते हुए मैं ने नाटकीय असंतोष जताया और पूछा, ‘‘यह शूट कब तक चलेगा?’’

‘‘सर, पूरे वीक चलेगा, लेकिन मौर्निंग में बस 2 घंटे स्विमिंग पूल में जाने की मनाही है.’’

तभी एक मौडल, जिस ने गाउन पहन रखा था मेरी ओर काउंटर पर आई. वह मौडल, जिसे फ्लाइट में मैगजीन के कवर पर देखा हो, साक्षात सामने आ गई तो मुझे आश्चर्य और आनंद की मिलीजुली अनुभूति हुई. कंधे तक लटके बरगंडी रंग के बाल और हलके श्याम वर्ण पर दमकती हुई त्वचा के मिश्रण से वह बहुत सुंदर लग रही थी. उस ने शिवम के सिर पर हाथ फेरा और उसे प्यार से हैलो कहा. शिवम को उस की शोखी बिलकुल भी प्रभावित नहीं कर सकी. ‘काश मैं भी बच्चा होता’ मैं ने मन ही मन सोचा.

‘‘डैडी, मुझे पूल में जाना है,’’ शिवम बोला.

‘‘पूल का पानी बहुत अच्छा है. देखते ही मन करता है कपड़े उतारो और सीधे छलांग लगा दो,’’ मौडल बोली. फिर उस ने काउंटर से अपने रूम की चाबी ली और चल दी. लिफ्ट के पास जा कर उस ने मुझे देख कर एक नौटी स्माइल दी.

थोड़ी देर पूल में व्यतीत करने और डिनर के बाद मैं शिवम के साथ अपने सुइट में आ गया. अगली सुबह शिवम बहुत जल्दी उठ गया. हम जब पूल में तैर रहे थे तो वह तैरते हुए पूरे शरीर की फिरकी ले कर अजीब सी कलाबाजी दिखा रहा था. मेरी आंखों के सामने कितना रहा है फिर भी मैं नहीं जानता कि वह क्याक्या कर सकता है. मुझे अपने बेटे के अजीब तरह के वाटर स्ट्रोक्स पर नाज हो रहा था. नाश्ते में मैं ने मूसली कौंफ्लैक्स व ब्लैक कौफी ली और उस ने चौकलेट सैंडविच लिया. 10 बजतेबजते सभी मौडल्स पूल एरिया के आसपास मंडराने लगीं. मैं ने वीवीआईपी पास ले कर शूट देखने की परमिशन ले ली. फिर जब तक मौडल्स पूल में नहीं उतरीं, तब तक मैं ने तैराकी के अलगअलग स्ट्रोक्स लगा कर उन्हें इंप्रैस करने की खूब कोशिश की. अपने एब्स और बाई सैप्स का भी बेशर्मी के साथ प्रदर्शन किया.

पूल में सारी अदाएं दिखाने के बाद भी आकर्षण का केंद्र शिवम ही रहा. कभी वह पैडल स्विमिंग करता, कभी जोर से पानी को स्प्लैश करता, तो कभी अपनी ईजाद की गई फिरकी दिखाता. नतीजा यह हुआ कि 4-5 खूबसूरत मौडल्स उसे तब तक हमेशा घेरे रहतीं जब तक वह पूल में रहता. वह तो असीमित ऊर्जा और शैतानी का भंडार था और उस की कार्टून कैरेक्टर्स की रहस्यमयी जानकारी ने तो मौडल्स को रोमांचित कर हैरत में डाल दिया. अगले 2 दिनों में मैं छुट्टी के आलस्य में रम गया और शिवम एक छोटे चुबंक की तरह मौडल्स और अन्य लोगों को आकर्षित करता रहा. मुझे भी अब कोई ऐक्शन दिखाना पड़ेगा, इसी सोच के साथ मैं ने मौडल्स से थोड़ीबहुत बातचीत करना शुरू कर दिया. मुझे पता चला कि वह सांवलीसलोनी मौडल, जो पहली बार रिसैप्शनिस्ट के काउंटर पर मिली थी, शिवम की फ्रैंड बन चुकी है और उस का नाम काम्या है. थोड़ी हिम्मत जुटा मैं ने उसे शाम को कौफी के लिए औफर दिया.

‘‘जरूर,’’ उस ने हंसते हुए कहा और अपने बालों में उंगलियां फेरने लगी.

‘‘मुझे भी यहां एक अच्छी कंपनी की जरूरत है,’’ मैं ने कहा.

हम ने शाम को 8 बजे मैन बार में मिलना तय किया. शादी से आजाद होने के बाद मैं  पहली बार किसी कम उम्र की लड़की से दोस्ती कर रहा था, इसलिए मन में रोमांच और हिचक दोनों ही भावों का मिलाजुला असर था. ‘‘बेटा, एक रात तुम्हें अकेले ही सोना है,’’ मैं ने शिवम को समझाते हुए कहा, ‘‘मैं ने होटल से बेबी सिटर की व्यवस्था भी कर दी. वह तुम्हें पूरी कौमिक्स पढ़ कर सुनाएगी,’’ उस के बारे में मैं ने बताया.

होटल की बेबी सिटर एक 16 साल की लड़की निकली और वह इस जौब से बहुत रोमांचित जान पड़ी, क्योंकि उसे रात में कार्टून्स देखने और कौमिक्स पढ़ने के क्व5 हजार जो मिल रहे थे. इसलिए जितना मैं काम्या से मिलने के लिए लालायित था उस से ज्यादा बेबी सिटर को शिवम के साथ धमाल मचाने की खुशी थी. मैं ने जाते वक्त शिवम की ओर देखा तो उस ने दुखी हो कर कहा, ‘‘बाय डैडी, जल्दी आना.’’ उस मासूम को अकेला छोड़ने में मुझे दुख हो रहा था. अपनी जिम्मेदारी दिखाते हुए मैं ने बेबी सिटर को एक बार फिर से निर्देश दिए और सुइट से बाहर आ गया.

रैस्टोरैंट तक पहुंचतेपहुंचते मुझे साढ़े 8 बज गए. काम्या रैस्टोरैंट में बाहर की ओर निकले लाउंज में एक कुरसी पर बैठी आसमान में निकले चांद को देख रही थी. समुद्र की ओर से आने वाली हवा से उस के बाल धीरेधीरे उड़ रहे थे. शायद अनचाहे ही वह गिलास में बची पैप्सी को लगातार हिला रही थी. वह एक शानदार पोज दे रही थी और मेरा मन किया कि जाते ही मैं उसे बांहों में भर लूं. मैं आहिस्ता से उस के पास गया और बोला, ‘‘सौरी, आई एम लेट.’’

मेरी आवाज सुन वह चौंक गई और बोली, ‘‘नोनो ईट्स फाइन. मैं तो बस नजारों का मजा ले रही थी. देखो वह समुद्र में क्या फिशिंग बोट है,’’ उस ने उंगली से इशारा करते हुए कहा. बोट हो या हवाईजहाज मेरी बला से, फिर भी मैं ने अनुमान लगाने का नाटक किया. तभी वेटर हमारा और्डर लेने आ गया.

‘‘तुम एक और पैप्सी लोगी?’’ मैं उस के गिलास की ओर देखते हुए बोला.

‘‘वर्जिन मोजितो,’’ उस ने कहा.

मैं ने वेटर को 2 जूस और वर्जिन मोजितो लाने के को कहा.

‘‘शिवम कहां है, सो गया?’’ मेरी ओर देखते हुए काम्या ने पूछा.

‘‘सौरी, उसी वजह से मैं लेट हो गया. उसे अकेले रहना पसंद नहीं है. वैसे वह बिलकुल अकेला भी नहीं है. एक बेबी सिटर है उस के पास. मैं ने पूरी कोशिश की कि वह मुझे कहीं से भी एक गैरजिम्मेदार पिता नहीं समझे.’’

‘‘क्या वह उस के लिए कौमिक्स पढ़ रही है? कहीं वह उसे परेशान तो नहीं कर रही होगी? आप कहें तो हम एक बार जा कर देख सकते हैं.’’

‘‘नहीं,’’ मैं ने जल्दी से मना किया, ‘‘मेरा मतलब है अब तक वह सो गया होगा? तुम परेशान मत हो.’’ फिर मैं ने बात पलटी, ‘‘और तुम्हारा शूट कैसा रहा है?’’

‘‘लगता है अब उन्हें मनचाही फोटोज मिल गई हैं. आज का दिन बड़ा बोरिंग था, मैं ने पूरी किताब पढ़ ली,’’ काम्या के हाथ में शेक्सपियर का हेमलेट था. एक मौडल के हाथ में कोर लिट्रेचर की किताब देख कर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ.

‘‘मैं औनर्स फाइनल इयर की स्टूडैंट भी हूं,’’ उस ने मुसकराते हुए कहा. तभी वेटर हमारी ड्रिंक्स ले आया. वह आगे बोली, ‘‘मैं केवल छुट्टियों में मौडलिंग करती हूं.’’

मैं कुछ कहने के लिए शब्द ढूंढ़ने लगा. फिर बोला, ‘‘मुझे लगा कि तुम एक फुल टाइम मौडल होगी.’’

‘‘मैं खाली समय कुछ न कुछ करती रहती हूं,’’ उस ने एक घूंट जूस गले से नीचे उतारा और कहा, ‘‘कुछ समय मैं ने थिएटर भी किया फिर जरमनी में नर्सरी के बच्चों को पढ़ाया.’’

‘‘तभी तुम्हारी पर्सनैलिटी इतनी लाजवाब है,’’ मैं ने उस की खुशामद करने के अदांज में कहा. उस ने हंसते हुए अपना गिलास खत्म किया और पूछने लगी, ‘‘और आप क्या करते हो, आई मीन वर्क?’’

‘‘मैं बैंकर हूं. बैंकिंग सैक्टर को मुनाफा कमाने के तरीके बताता हूं.’’

‘‘इंटरैस्टिंग,’’ वह थोड़ा मेरी ओर झुकी और बोली, ‘‘मुझे इकोनौमिक्स में बहुत इंटरैस्ट था.’’

मुझे तो अभी उस की बायोलौजी लुभा रही थी. शाम को वह और भी दिलकश लग रही थी. उस के होंठ मेरे होंठों से केवल एक हाथ की दूरी पर थे और उस के परफ्यूम की हलकीहलकी खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी.

अचानक उस ने बोला, ‘‘क्या आप को भूख लगी है?’’

मैं ने सी फूड और्डर किया और डिनर के बाद ठंडी रेत पर चलने का प्रस्ताव रखा. हम दोनों ने अपनेअपने सैंडल्स और स्लीपर्स हाथ में ले लिए और मुलायम रेत पर चलने लगे. उस ने एक हाथ से मेरे कंधे का सहारा ले लिया. रेत हलकी गरम थी और समुद्र का ठंडा पानी बीच में हमारे पैरों से टकराता और चला जाता. हम दोनों ऐसे ही चुपचाप चलते रहे और बहुत दूर तक निकल आए. होटल की चमकती रोशनी बहुत मद्धम पड़ गई. सामने एक बड़ी सी चट्टान मानो इशारा कर रही थी कि बस इस से आगे मत जाओ. मैं चाहता था कि ऐसे ही चलता चलूं, रात भर. मैं ने काम्या के चेहरे को अपने हाथों में लिया और उसे चूम लिया. उस ने मेरा हाथ पकड़ा और चट्टान के और पास ले गई. हम ने एकदूसरे को फिर चूमा और काम्या मेरी कमर धीरे से सहलाने लगी. थोड़ी देर बाद वह अचानक रुकी और बोली, ‘‘मुझे शिवम की चिंता हो रही है.’’ मैं उस पर झुका हुआ था, वह मेरे सिर को पीछे धकेलने लगी. मैं ने उस के हाथ को अपने हाथ में लिया और चूमा. वह जवाब में हंसने लगी.

‘‘सौरी’’ काम्या बोली, ‘‘मुझे चूमते वक्त आप का चेहरा बिलकुल शिवम जैसा बन गया था. कुछकुछ वैसा जब वह ध्यान से पानी में फिरकी लेता है.’’

प्यार करते वक्त अपने बेटे के बारे में सोचने से मेरी कामुकता हवा हो गई. मैं दोनों चीजों को एकसाथ नहीं मिला सकता.

‘‘विजय, क्या आप परेशान हैं?’’ वह मेरे कंधे पर अपना सिर रखते हुए बोली, ‘‘मुझे लगा कि हम यहां मजे कर रहे हैं और मासूम शिवम कमरे में अकेला होगा, इसलिए मुझे थोड़ी चिंता हो गई.’’

‘‘हां, पर उस के लिए बेबी सिटर है.’’

‘‘पर आप ने कहा था न कि उसे अकेला रहना पसंद नहीं,’’ काम्या होंठों को काटते हुए बोली, ‘‘क्या हम एक बार उसे देख आएं?’’

‘‘बेबी सिटर उस की देखभाल कर रही होगी और कोई परेशानी हुई तो वह मुझे रिंग कर देगी. मेरा मोबाइल नंबर है उस के पास,’’ कहते हुए मैं ने जेब में हाथ डाला तो पाया कि मोबाइल मेरी जेब में नहीं था. या तो रेत में कहीं गिर गया था या मैं उसे सुइट में भूल आया था.

‘‘चलो, चल कर देखते हैं,’’ काम्या बोली. वक्त मेरा साथ नहीं दे रहा था. एक तरफ एक खूबसूरत मौडल बांहें पसारे रेत पर लेटी थी और दूसरी ओर मेरा बेटा होटल के सुइट में आराम कर रहा था. उस पर परेशानी यह कि मौडल को मेरे बेटे की चिंता ज्यादा थी. अब तो चलना ही पड़ेगा.

‘‘चलो चलते हैं,’’ कहते हुए मैं उठा. हम दोनों जब होटल पहुंचे तो मैं ने उसे लाउंज में इंतजार करने को कहा और बेटे को देखने कमरे में चला गया. शिवम मस्ती से सो रहा था और बेबी सिटर टैलीविजन को म्यूट कर के कोई मूवी देख रही थी.

‘‘सब ठीकठाक है? मेरा मोबाइल यहां रह गया था, इसलिए मैं आया,’’ मैं ने दरवाजे को खोलते हुए कहा.

बेबी सिटर ने स्टडी टेबल पर रखा मोबाइल मुझे पकड़ाया तो मैं जल्दी से लिफ्ट की ओर लपका. लाउंज में बैठी काम्या फिर आसमान में देख रही थी. वह बहुत सुंदर लग रही थी पर थोड़ी थकी हुई जान पड़ी. उस ने कहा कि वह थकी है और सोने जाना चाहती थी. यह सुन कर मेरा मुंह लटक गया, ‘‘मुझे आज रात का अफसोस है,’’ मैं ने दुखी स्वर में कहा, ‘‘मैं तो बस चाहता था कि…’’ मैं कहने के लिए शब्द ढूंढ़ने लगा.

‘‘मुझ से प्यार करना?’’ वह मेरी आंखों में देखते हुए बोली.

‘‘नहीं, वह…’’ मैं हकलाने लगा.

‘‘शेक्सपियर का हेमलेट डिस्कस करना?’’ वह हंसते हुए बोली. ठंडी हवाओं की मस्ती अब शोर लग रही थी. ‘‘मुश्किल होता है जब बेटा साथ हो तो प्यार करना और आप एक अच्छे पिता हो,’’ वह बोली.

‘‘नहींनहीं मैं नहीं हूं,’’ मैं ने उखड़ते हुए स्वर में कहा.

‘‘आज जो हुआ उस के लिए आप परेशान न हों. आप जिस तरह से शिवम के साथ पूल में खेल रहे थे और उस के साथ जो हंसीमजाक करते हो वह हर पिता अपने बच्चे से नहीं कर पाता. आप वैसे पिता नहीं हो कि बेटे के लिए महंगे गिफ्ट ले लिए और बात खत्म. आप दोनों में एक स्पैशल बौंडिंग है,’’ काम्या बोली.

‘‘मैं आज रात तुम्हारे साथ बिताना चाहता था.’’

‘‘मुझे भी आप की कंपनी अच्छी लग रही थी पर मैं पितापुत्र के बीच नहीं आना चाहती.’’

‘‘पर तुम…’’ मैं ने कुछ कहने की कोशिश की पर काम्या ने मेरे होंठों पर उंगली रख दी और बोली, ‘‘कल मैं जा रही हूं, पर लंच तक यहीं हूं.’’

‘‘मैं और शिवम तुम से कल मिलने आएंगे,’’ मैं ने कहा.

‘‘आप लकी हैं कि शिवम जैसा बेटा आप को मिला,’’ काम्या बोली.

जवाब में मैं ने केवल अपना सिर हिलाया और फिर अपने सुइट में लौट आया.

जैनरेशन- Z फौलो करें ये Fashion Tips, सभी होंगे इंप्रेस!

Fashion Tips : आज की जैनरेशन जैड फैशन को सिर्फ स्टाइल से नहीं बल्कि अपनी पर्सनैलिटी और आत्मविश्वास से भी जोड़ती है. इस पीढ़ी के लिए फैशन का मतलब है खुद को सब से अलग और खास दिखाना. मगर स्टाइलिश दिखने के लिए महंगे ब्रैंड्स या कपड़ों की जरूरत नहीं बल्कि सही चयन और आत्मविश्वास सब से ज्यादा माने रखता है.

अपना स्टाइल खोजें

हर किसी का अपना अलग व्यक्तित्व होता है और फैशन को आप के व्यक्तित्व का प्रतिबिंब होना चाहिए. दूसरों की नकल करने के बजाय वह पहनें जिस में आप सहज महसूस करें. अपने फैशन स्टाइल को थोड़ा ऐक्सपैरिमैंट कर के खुद खोजें.

कपड़ों की लेयरिंग करें

लेयरिंग आजकल ट्रैंड में है. टीशर्ट के ऊपर शर्ट पहनना या क्रौप टौप के साथ जैकेट ट्राई करना एक शानदार लुक दे सकता है. लेयरिंग के जरीए आप अपने लुक को एक अलग ही आयाम दे सकते हैं.
कलर्स के साथ खेलें.

जैनरेशन जैड के लिए बोल्ड और ब्राइट कलर्स बहुत आकर्षक होते हैं. पेस्टल, नियान और कलर ब्लौकिंग जैसे ट्रैंड्स अपनाएं, साथ ही न्यूट्रल कलर्स को भी स्मार्ट तरीके से अपने वार्डरोब में शामिल करें.

फुटवियर पर दें ध्यान

स्टाइलिश कपड़े तभी शानदार लगते हैं जब आप के फुटवियर भी उन्हें कौंप्लिमैंट करें. स्नीकर्स, बूट्स और लोफर्स जैसे फुटवियर हर मौके के लिए परफैक्ट होते हैं. आराम और स्टाइल दोनों का ध्यान रखें.

जैड ऐक्सैसरीज का कमाल

ऐक्सैसरीज से आप का सिंपल लुक भी गार्जियस बन सकता है. स्टेटमैंट इयररिंग्स, लेयर्ड नैकलैस, वाच, रिंग्स और स्टाइलिश बैग्स को अपने आउटफिट के साथ मिक्स ऐंड मैच करें.

डैनिम है कभी न खत्म होने वाला ट्रैंड डैनिम जींस, जैकेट या शौर्ट्स को सही टौप्स और ऐक्सैसरीज के साथ पेयर करें. यह हमेशा क्लासी लगता है और कभी आउट औफ फैशन नहीं होता.

स्मार्ट शौपिंग करें

फैशन के लिए ज्यादा खर्च करना जरूरी नहीं. लोकल मार्केट्स और औनलाइन डिस्काउंट का सही इस्तेमाल करें. कई बार सस्ते कपड़ों में भी स्टाइलिश औप्शन मिल जाते हैं.

हेयरस्टाइल और मेकअप का रखें ध्यान

आप का हेयरस्टाइल और मेकअप आप के लुक को पूरा करता है. हेयर कलर, ब्रैड्स या स्टाइलिश हेयर कट्स ट्राई करें. मेकअप में बेसिक लेकिन क्लासी लुक रखें.

सस्टेनेबल फैशन अपनाएं

आज की जैनरेशन को सस्टेनेबल फैशन की तरफ ध्यान देना चाहिए. ऐसे ब्रैंड्स को चुनें जो पर्यावरण का ध्यान रखते हैं. रीसाइकलिंग और पुरानी चीजों को नया लुक देना भी एक बढि़या तरीका है.

आत्मविश्वास है सब से बड़ा फैशन

आप कुछ भी पहनें, जब तक आप उसे आत्मविश्वास के साथ नहीं कैरी करेंगे, वह अच्छा नहीं लगेगा. इसलिए सब से पहले खुद से प्यार करें और अपने हर लुक को कौन्फिडैंस के साथ अपनाएं.

निष्कर्ष

जैनरेशन जैड के लिए फैशन सिर्फ ट्रैंड्स को फौलो करना नहीं बल्कि खुद को ऐक्सप्रैस करने का जरीया है. अपने स्टाइल में ऐक्सपैरिमैंट करें, नई चीजें ट्राई करें और आत्मविश्वास के साथ अपना फैशन स्टेटमैंट बनाएं.

सिंगर इंडिया का क्लाउड एक्स कूल फैन

सिंगर इंडिया ने एक अत्याधुनिक प्रोडक्ट क्लाउड एक्स कूल फैन लॉन्च किया है जो परफेक्ट, पावरफुल एंड साइलेंट कूलिंग का अनुभव देता है. यह फैन प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, खास रिटेल स्टोर्स और सिंगर इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगा.

भारत में ही डिजाइन किया गया क्लाउड एक्स कूल फैन एक नई तकनीक — क्लाउड टेक्नोलॉजी — के साथ आता है जो पानी को नैनो-कणों में बदलकर प्राकृतिक कूलिंग का अनुभव देता है. इसमें दो एंटीबैक्टीरियल व एंटीवायरल सिल्वर-कोटेड मेश फिल्टर्स लगे हैं जो धूल, परागकण और धुएं जैसे कणों को छानकर साफ और स्वच्छ हवा प्रदान करते हैं। इसका ब्लेड-लेस फ्रंट ग्रिल इसे सुरक्षित बनाता है, विशेषकर बच्चों के लिए। यह फैन उन लोगों के लिए आदर्श है जो पारंपरिक कूलर और एयर कंडीशनर के बीच एक संतुलित, स्मार्ट, हेल्दी और साइलेंट विकल्प की तलाश में हैं, जो ठंडी और सुकूनभरी हवा प्रदान कर सके. यह हाइजीनिक है. न तो गीले पैड हैं, न ही ठहरे हुए पानी की समस्या इसलिए मच्छर या बैक्टीरिया पनपने की कोई संभावना नहीं. इस का रखरखाव भी आसान है.

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Hair Care Tips : केराटिन और आर्गन औयल बालों के लिए जबरदस्त जोड़ी

Hair Care Tips : बाल हमारी पहचान का हिस्सा होते हैं. उन्हें थोड़ा प्यार, थोड़ा ध्यान और सही प्रोडक्ट्स की जरूरत होती है. केराटिन और आर्गन औयल की जोड़ी एक ऐसा स्मार्ट इन्वैस्टमैंट है जो आप के बालों को लंबे समय तक खूबसूरत और हैल्दी बनाए रखेगा.

अगर आप के बाल भी बेजान, रूखे, उलझे हुए या टूटते जा रहे हैं तो जरूरत है आप को कुछ ऐसे प्रोडक्ट की जो अंदर से बालों को मजबूत करे और ऊपर से चमक भी दे. ऐसे में केराटिन और आर्गन औयल की जोड़ी को बालों का सुपर हीरो कौंबो कहना गलत नहीं होगा. ये दोनों जब साथ में आते हैं तो डैमेज हेयर का कायापलट हो जाती है और वह भी बिना किसी साइड इफैक्ट के.

केराटिन असल में एक तरह का प्रोटीन होता है, जो हमारे बालों, नाखूनों और स्किन में नैचुरली मौजूद होता है. लेकिन गरमी (हीट स्टाइलिंग), कलरिंग, पौल्यूशन और स्ट्रैस की वजह से हमारे बालों का केराटिन धीरेधीरे कम होने लगता है.

जब बालों में केराटिन की कमी हो जाती है तो वे रूखे और बेजान हो जाते हैं, उल?ाने लगते हैं, जल्दी टूटते हैं, फ्रिजी यानी उड़ते रहते हैं. ऐसे में बाहर से केराटिन की मदद देने से बालों में दोबारा जान आ जाती है. बाल स्मूथ, स्ट्रौंग और सीधे नजर आने लगते हैं.

अब बात करते हैं आर्गन औयल की आर्गन औयल को ‘लिक्विड गोल्ड’ यानी तरल सोना कहा जाता है. यह मोरक्को में पाए जाने वाले आर्गन ट्री के बीजों से निकाला जाता है. इस में मौजूद विटामिन ई, ऐंटीऔक्सीडैंट्स और फैटी ऐसिड्स बालों को गहराई से पोषण देते हैं. बालों को नर्म और चमकदार बनाता है. स्कैल्प को मौइस्चर देता है. ड्राइनैस और डैंड्रफ से राहत देता है. हीट और वी डैमेज से बचाता है. स्प्लिट ऐंड्स को कम करता है.

केराटिन बालों के अंदर की टूटफूट की रिपेयर करता है. आर्गन औयल बाहर से बालों को कोट कर के नर्म, सिल्की और हैल्दी बनाता है. इस डबल ऐक्शन से बाल सिर्फ अच्छे दिखते ही नहीं बल्कि अंदर से हैल्दी भी बनते हैं. बालों में बाउंस, शाइन और स्ट्रैंथ सबकुछ लौट आता है.

कैसे करें इस्तेमाल

आजकल बाजार में केराटिन+आर्गन औयल वाले शैंपू, कंडीशनर, सीरम और हेयर मास्क बहुत आसानी से मिल जाते हैं. हफ्ते में 2-3 बार इस कौंबिनेशन को यूज करें और रिजल्ट खुद देखिए. पहले वाश में ही बाल सौफ्ट लगेंगे, 1 हफ्ते में कम हेयर फौल, 1 महीने में बालों में नई जान.

ये जरूरी टिप्स भी ध्यान में रखें

सल्फेट फ्री और पैराबेन फ्री प्रोडक्ट्स ही यूज करें.

हेयर वाश के बाद हमेशा कंडीशनर लगाए.

महीने में 1-2 बार डीप कंडीशनिंग जरूर करें.

ज्यादा गरम पानी से बाल न धोएं. कुनकुने पानी का इस्तेमाल करें.

तो अगली बार जब आप को अपने बालों के लिए कोई सही इलाज चाहिए हो तो इस पावर डुओ को जरूर याद आए.

Language Skills : भाषाओं का ज्ञान है एक स्किल, इसे किस तरह बढ़ाएं, यहां जानें

Language Skills : साउथ सुपरस्टार कमल हासन कन्नड़ पर दिए गए बयान से विवादों में हैं. उन्होंने कहा था कि कन्नड़, तमिल से जन्मी है. विवाद बढ़ने पर कर्नाटक में उन की फिल्म ‘ठग लाइफ’ रिलीज नहीं होने दी गई. वहीं कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी उन्हें बयान के लिए फटकार लगाई है.

अब कमल हासन का हिंदी पर एक बयान सामने आया है, जिस में उन्होंने कहा है कि हिंदी को अचानक थोपा नहीं जाना चाहिए, क्योंकि अचानक हुए भाषा के बदलाव से हम कई लोगों को अनपढ़ बना देंगे.

भाषा को सीखें बिना झिझक

एक इंटरव्यू में कमल हासन से भाषा विवाद पर सवाल किए जाने पर उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, “मैं पंजाब के साथ खड़ा हूं.” हालांकि आगे उन्होंने संजीदगी से कहा, “मैं कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के साथ खड़ा हूं. सिर्फ यही वह जगह नहीं है, जहां भाषा थोपी जा रही है. मैं फिल्म ‘एकदूजे के लिए’ का ऐक्टर था. बिना थोपे मैं ने भाषा सीखी. थोपो मत, क्योंकि एक तरह से यह शिक्षा है. आप को शिक्षा के लिए सब से आसान रास्ता अपनाना चाहिए, न कि बाधाएं डालनी चाहिए.”

उन्होंने कहा है,”अगर आप को वाकई अंतर्राष्ट्रीय सफलता चाहिए, तो आप को एक भाषा सीखनी चाहिए और मुझे इंग्लिश काफी उचित लगती है. आप स्पैनिश या चीनी भी सीख सकते हैं, लेकिन सब से आसान रास्ता यह है कि हमारे पास 350 साल पुरानी इंग्लिश ऐजुकेशन है, जो धीरेधीरे लेकिन लगातार चली आ रही है. जब आप अचानक इसे बदलते हैं, तो आप बेवजह कई लोगों को अनपढ़ बना सकते हैं.”

भाषा है ऐक्सप्रेशन

यहां यह समझना होगा कि हर व्यक्ति की शारीरिक ऊंचाई, वजन, स्वभाव एकजैसा नहीं होता, जैसा कि सैन्य रेजिमैंट में होता है, जहां आप को पता चल जाता है कि फलां व्यक्ति किस रेजिमैंट में किस पद पर काम कर रहा है, क्योंकि वहां लगभग सभी का एकजैसा सीना, वजन, शारीरिक बनावट आदि की रिक्वायरमैंट होती है और वहां रेजिमैंट के आधार पर सब को चलना पड़ता है.

भाषा सीखना है गर्व की बात

असल में भाषा एक ऐक्सप्रेशन है, जिस के द्वारा आप अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, फिर इसे ले कर आपसी तनातनी क्यों? क्या आप बता सकते हैं कि आप किस भाषा में हंसते या रोते हैं? इंसान की ये भावनाएं पूरे विश्व में एक जैसी ही होती हैं. भाषा न जानने पर भी आप सामने वाले व्यक्ति को हंसता या रोता हुआ देख कर उस की मनोदशा को समझ लेते हैं, यानि किसी की भावना को समझने के लिए भाषा की जरूरत नहीं पड़ती.

हर भाषा अपनेआप में बेजोङ

यों भावनाएं चेहरे पर अनायास ही आ जाती हैं. हर भाषा का अपना सौंदर्य है और उसे किसी के द्वारा सीख लेना गर्व की बात होती है. जो व्यक्ति जितनी अधिक भाषा का ज्ञान रखता है, वह उतना ही अधिक विद्वान माना जाता है.

कोल्हापुरी चप्पलें बेचने वाले एक व्यक्ति को 5 भाषाएं आती हैं, जबकि वह बहुत कम पढ़ालिखा है। उस ने मराठी में 5वीं तक पढ़ाई की, लेकिन उस के दुकान पर कोल्हापुरी चप्पलें खरीदने वालों की भीड़ लगी रहती है, क्योंकि वह किसी भी भाषा में संवाद छोटा ही सही पर कर लेता है. बड़ा ताज्जुब तब हुआ, जब उस ने बांग्ला, पंजाबी, गुजराती, अंगरेजी सभी भाषाओं में अपने चप्पलों की तारीफ ग्राहकों से कर लेता है. भाषा के इस ज्ञान का विकास उस ने अपने व्यवसाय में कामयाबी के लिए किया है, जो बहुत जरूरी है.

है एक स्किल

माथेरान में पर्यटकों को घूमाने वाला घोड़े वाला व्यक्ति भी मराठी, गुजराती, हिंदी के अलावा अंगरेजी और फ्रेंच जानता है, क्योंकि उसे वहां की वादियों के बारे में पर्यटकों को बताना पड़ता है, ताकि उस के घोड़े पर सवार हो कर व्यक्ति वहां के दृश्यों का आनंद उठा सकें. उस ने फ्रेंच और अंगरेजी पर्यटकों से सुनसुन कर सीख लिया है. यही वजह है कि कोई भी उस के घोड़े के साथ सवारी के लिए जाना पसंद करता है, जबकि उस के घोड़े की सवारी महंगी है, लेकिन भाषा ज्ञान उसे सब से अलग और कामयाबी की श्रेणी में रखता है.

गृहशोभा ने भी कई भाषाओं में पत्रिका को प्रकाशित कर यह सिद्ध कर दिया है कि भाषा कोई भी हो, आप गृहशोभा के लेखों से खुद को जोङ सकते हैं.

मूल रूप से गृहशोभा हिंदी में शुरू हुई थी, लेकिन बाद में बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, तमिल और तेलुगु भाषाओं में भी उपलब्ध होने लगी. इस से इस पत्रिका से अलगअलग भाषा को जानने वाले हर वर्ग के पाठकों को रुचिकर और उपयोगी सामग्री मिलने लगे.

गृहशोभा को पूरे देश में सभी तक पहुंचाना आसान नहीं था, क्योंकि पाठकों की रुचि को देखते हुए लेखों को अनुवाद किया जाने लगा. आज देश का हर नागरिक इस की लेखों को पढ़ सकता है.

यहां यह साबित होता है कि किसी भी भाषा को सीखना कोई बड़ी बात नहीं. राजनेता भाषा के माध्यम से अपने वोट बैंक की रोटियां सेंक रहे हैं और चाहते हैं कि हिंदी के जानकार को दक्षिण में हिंदी पढ़ाने की नौकरी मिल जाएं, जिसे ये अपनी कामयाबी कहेंगे. कोई भी व्यक्ति आसानी से किसी भाषा को सीख सकता है.

असल में यह एक अच्छी स्किल है, जिसे सभी को सीख लेनी चाहिए। जितनी भाषा व्यक्ति बोल सकता है, उतना ही उस के पहचान का दायरा बढ़ता जाता है.

एकदूसरे को सिखाएं

बड़ेबड़े शहरों में हाईराइज बिल्डिंग्स में जहां हर भाषा के लोग आज एकसाथ रहते हैं, वहां भी सोसायटी के किसी गेटटूगेदर में सब अपनीअपनी भाषा के साथ ग्रुप बना लेते हैं. ऐसे स्थानों पर दूसरी भाषा बोलने वाले लोग जाने से परहेज करते हैं, क्योंकि उन्हें उन के संवाद समझ में नहीं आती। ऐसे में अगर हर सोसायटी आपस में एकदूसरे की भाषा का फ्री में एक क्लास चला दें, तो कोई भी उसे सीख सकता है और ग्रुप में होने वाली दूरियां भी मिट सकती हैं.

धारावाहिक ‘सपनों की छलांग’ फेम अभिनेत्री मेघा रे कहती हैं,”भाषा पर विवाद कभी सही नहीं होता। भाषा खुद की भावनाओं को व्यक्त करने का एक जरिया मात्र है. जानवरों की भी अपनी भाषा होती है, जिसे हम समझ नहीं पाते, लेकिन उन की मनोदशा को समझ सकते हैं. आज हम किसी भी भाषा की फिल्में और वैब सीरीज सबटाइटल के साथ देखते और ऐंजौय करते हैं.”

वे कहती हैं,”मैं ओडिसा की हूं, लेकिन मराठी, हिंदी, अंगरेजी और गुजराती अच्छी तरह बोल लेती हूं। भाषा ज्ञान से ही हम उस स्थान की कला और संस्कृति से परिचित होते हैं, जो अच्छी बात है. मुझे भाषा सीखना पसंद है और इंडस्ट्री में अच्छा काम करने के लिए कई भाषाओं का ज्ञान होना जरूरी है, ताकि किसी संवाद को अच्छी तरह से परदे पर उतारा जाए.”

भाषा विवाद का समाधान टकराव में नहीं, बल्कि समावेशी दृष्टिकोण अपनाने में है। यूथ को मातृभाषा के अलावा अन्य भाषाओं का भी ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, ताकि वे जहां भी पढ़ाई करने या जौब के लिए जाएं, तो उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या न हो. वहां से भागे नहीं। वे जहां भी जाते हैं, वहां की भाषा पहले से सीख लेने की कोशिश करें, ताकि वे खुद को अकेले नहीं, बल्कि उसी परिवेश का हिस्सा मान सकते हैं.

Aromatherapy : तनाव और सिरदर्द में देती है फायदा

Aromatherapy : आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव और सिरदर्द आम समस्याएं बन चुकी हैं. सुबह से ले कर रात तक काम, जिम्मेदारियों, परिवार और खुद के लिए समय निकालना, इन सभी के बीच मानसिक और शारीरिक थकावट होना स्वाभाविक है. ऐसे में जब सिर भारी होने लगता है या तनाव के कारण नींद उड़ जाती है तो मन करता है कि कुछ ऐसा हो जो बिना किसी साइड इफैक्ट के राहत दे. यही वह जगह है जहां अरोमाथेरैपी आप की मदद कर सकती है.

अरोमाथेरैपी क्या है

अरोमाथेरैपी एक प्राचीन प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली है, जिस में पौधों से प्राप्त आवश्यक तेलों का उपयोग किया जाता है. इन तेलों की सुगंध हमारे मस्तिष्क के लिंबिक सिस्टम को प्रभावित करती है. यही वह हिस्सा है जो हमारी भावनाओं, यादों और तनाव को नियंत्रित करता है.

सिरदर्द से राहत के लिए अरोमाथेरैपी उपाय

सिरदर्द के कई प्रकार होते हैं- माइग्रेन, टैंशन हैडेक, साइनस हैडेक इत्यादि. हर तरह के सिरदर्द के लिए एक खास सुगंध और तेल काम करता है. चलिए जानते हैं कुछ असरदार विकल्पों के बारे में:

अरोमा मैजिक क्यूरेटिव औयल

यह एक विशेष मिश्रण है जो सिरदर्द से तत्काल राहत देने के लिए तैयार किया गया है. इस में तुलसी, लैवेंडर, रोजमैरी और पैपरमिंट जैसे आवश्यक तेलों का संयोजन होता है. इस की ताजगी भरी सुगंध दिमाग को ठंडक देती है और रक्त संचार को बेहतर बनाती है.

कैसे करें उपयोग

माथे और गरदन पर हलके हाथों से इस तेल की कुछ बूंदें लगाएं.

आराम की मुद्रा में बैठें और गहरी सांस लें.

दिन में 2-3 बार दोहराएं.

लैवेंडर ऐसैंशियल तेल

लैवेंडर तेल तनाव और सिरदर्द दोनों में राहत देने के लिए जाना जाता है. इस की सुगंध मस्तिष्क को शांत करती है और एक प्रकार की मानसिक ताजगी प्रदान करती है.

कैसे करें उपयोग

डिफ्यूजर में 4-5 बूंदें डालें और सांस लें.

वाहक तेल (जैसे नारियल तेल) में मिला कर माथे और कनपटियों पर मालिश करें.

तुलसी (बैसिल) आवश्यक तेल

यदि आप के सिरदर्द का कारण मानसिक थकावट है तो तुलसी का तेल बेहद कारगर हो सकता है.

कैसे करें उपयोग

एक कटोरी गरम पानी में कुछ बूंदें डालें और भाप लें.

वाहक तेल में मिला कर हलके हाथों से मालिश करें.

तनाव से राहत के लिए अरोमाथेरैपी उपाय

तनाव केवल मानसिक थकावट नहीं लाता, यह शारीरिक रूप से भी थका देता है. इस से नींद प्रभावित होती है, त्वचा बिगड़ती है और मिजाज चिड़चिड़ा हो जाता है. अरोमाथेरैपी में कुछ आवश्यक तेल ऐसे हैं जो सीधे तौर पर मस्तिष्क को आराम देने में मदद करते हैं.

नैरोली ऐसैंशियल तेल

नैरोली तेल संतरे के फूलों से बनता है और इस की मीठी और शांत सुगंध भावनात्मक संतुलन बनाने में मदद करती है. यह अवसाद, चिंता और तनाव से राहत देने में बेहद असरदार है.

कैसे करें उपयोग

3-4 बूंदें डिफ्यूजर में डालें और गहरी सांस लें.

वाहक तेल में मिला कर पूरे शरीर की मालिश करें.

चंदन (सैंडलवुड) आवश्यक तेल

चंदन की सुगंध भारतीय संस्कृति में हमेशा से शांति और ध्यान से जुड़ी रही है. इस का तेल न केवल मस्तिष्क को ठंडक पहुंचाता है बल्कि आत्मिक संतुलन भी प्रदान करता है.

कैसे करें उपयोग

चंदन तेल की कुछ बूंदें नहाने के पानी में मिलाएं.

ध्यान के समय इसे डिफ्यूजर में प्रयोग करें.

लैवेंडर ऐसैंशियल तेल

तनाव के लिए लैवेंडर सब से लोकप्रिय विकल्पों में से एक है. यह नींद को बेहतर

बनाता है, मस्तिष्क को शांत करता है और लगातार तनाव से होने वाले सिरदर्द को भी दूर करता है.

कैसे करें उपयोग

सोते समय तकिए पर कुछ बूंदें छिड़कें.

डिफ्यूजर में रोजाना उपयोग करें.

अरोमाथेरैपी के प्रभावी उपयोग के तरीके

डिफ्यूजर के माध्यम से: कमरे में सुगंध फैलाने का सब से सुरक्षित और आसान तरीका है डिफ्यूजर.

मालिश के माध्यम से: वाहक तेलों (जैसे बादाम या जोजोबा) में आवश्यक तेल मिला कर शरीर पर मालिश करें.

भाप लेना: सर्दीजुकाम या साइनस सिरदर्द में बेहद उपयोगी.

स्नान: 5-10 बूंदें गरम पानी में मिलाकर स्नान करें.

अरोमाथेरैपी के लाभ

बिना किसी दुष्प्रभाव के काम करती है.

मन को शांत करती है.

नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है.

एकाग्रता बढ़ाती है.

त्वचा और बालों के लिए भी लाभकारी होती है.

जरूरी सावधानियां

पैच टैस्ट करें: उपयोग से पहले त्वचा पर हलका परीक्षण अवश्य करें.

सीधे त्वचा पर न लगाएं: हमेशा वाहक तेल में मिला कर ही उपयोग करें.

गर्भवती महिलाएं या बच्चे: चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें.

शुद्धता की जांच करें: केवल विश्वसनीय ब्रैंड से ही आवश्यक तेल खरीदें.

Blossom Kochar

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