Monsoon Special: बारिश में खाएं चटपटी भुट्टा पकौड़ी

मानसून का महीना शुरू हो चुका है बरसात में एक ओर जहां मौसम ठंड़ा हो गया है वहीं इस मौसम में पकौड़े खैने का अपना अलग ही आनंद होता है. यूं तो पकौड़े अलग-अलग प्रकार के बनते हैं किसी को आलू तो किसी को गोभी के पकौड़े पसंद आते हैं लेकिन क्या कभी आपने भुट्टे के पकौड़े खाएं हैं? भुट्टे के पकौड़े खाने में जितने स्वादिष्ट होते हैं उतने ही बनाने में भी आसान होते हैं आइए जानते हैं क्या है भुट्टे के पकौड़े बनाने की रेसिपी.

हमें चाहिए

ताजे नर्म भुट्टे 1 किलो

एक-डेढ़ कप बेसन

1 शिमला मिर्च

1 प्याज( बारीक कटे हुए)

1 चम्मच अदरक-हरी मिर्च का पेस्ट

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चुटकी भर हींग

1 चम्मच चिली सॉस

2 चम्मच सोया सॉस

एक चम्मच सौंफ

स्वादानुसार नमक और तेल (तलने के लिए).

बनाने का तरीका

सबसे पहले भुट्टे कद्दूकस कर लें. फिर इसमें बारीक कटी सब्जियां, दोनों तरह के सॉस, नमक, अदरक व हरी मिर्च पेस्ट, हींग तथा सौंफ डालकर अच्छे से मिला लें और थोड़ा गाढ़ा घोल तैयार कर लें.

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अब एक कड़ाही में तेल गर्म करें. इसमें भुट्टे के मिश्रण के पकोड़े मध्यम आंच पर सुनहरे होने तक तल लें. पेपर पर अतिरिक्त तेल निकालने के लिए रखें. मनभावन भुट्‍टा पकौड़ी को टोमॅटो सॉस या ही चटनी के साथ गरमा-गरम परोसें.

डाइट में 7 बदलाव है जरूरी

हम खाना अपने शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए ही नहीं खाते, बल्कि अपने स्वाद के लिए ज्यादा खाते हैं. इस चक्कर में हम पौष्टिक भोजन कम खाते हैं और जिन चीजों में न्यूट्रिऐंट्स कम और सिर्फ  टेस्ट ही होता है उन्हें खाने में हमारी ज्यादा दिलचस्पी होती है. आइए जानते हैं इस बारे में न्यूट्रिशनिस्ट प्रीति त्यागी से:

क्या है हैल्दी डाइट

हैल्दी डाइट से मतलब ऐसी डाइट से है, जिस में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, आयरन, कैल्सियम, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट्स सभी पौष्टिक तत्व शामिल हो. क्योंकि अगर खाने में प्रोटीन का अभाव होगा तो हमें ऊर्जा नहीं मिल पाएगी, साथ ही जल्दीजल्दी संक्रमित होने के चांसेस भी रहते हैं. वहीं कैल्सियम मसल्स के फंक्शन के लिए तो जरूरी होता ही है साथ ही यह मेटाबोलिज्म के लिए भी सहायक होता है. वहीं कार्बोहाइड्रेट्स व फैट्स ऊर्जा प्रदान करने के साथसाथ हैल्दी सैल्स के निर्माण का कार्य करते हैं.

बता दें कि आयरन शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है. यह पूरे शरीर में औक्सीजन को पहुंचाने का काम करता है.

वर्ल्ड हैल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार, छोटी उम्र से ही क्रोनिक डिजीज जैसे डायबिटीज और उच्च रक्तचाप की शिकायत होने की एक मुख्य वजह अनहैल्थी ईटिंग हैबिट्स को अपनाना होता है.

आइए, जानते हैं कि कैसे अपने खानपान में सेहत को जोड़ा जा सकता है:

1. फास्ट नहीं आराम से खाएं

अगर हम किसी भी चीज को तुरंत बदलना चाहें तो नहीं बदल सकते, इस के लिए हमें धीरेधीरे अपनी पुरानी आदतों को बदलने की जरूरत होती है. बहुत से लोगों की यह आदत होती है कि उन के सामने खाना आया नहीं कि वे झट से खा लेते हैं. और इस बीच दोबारा भूख लगने पर दोबारा फरमाइश आ जाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप को कितना खाना खाना है और आप का पेट भरा है या नहीं यह सब हार्मोंस कंट्रोल करते हैं. ये हार्मोंस ब्रेन को सिग्नल देते हैं कि पेट खाली है या फुल. लेकिन जब ऐसा नहीं हो पाता तो ओवर ईटिंग होती है.

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अनेक शोधों में यह साबित हुआ है कि तेज स्पीड से खाना खाने वालों में मोटापे की समस्या देखी जाती है. इसलिए भले ही आप की डाइट हैल्दी हो लेकिन आप को अपनी इस आदत को बदलना होगा, तभी आप के शरीर को सभी न्यूट्रिऐंट्स का फायदा मिल पाएगा.

2. टीकौफी की जगह हो जाए छाछ

यों तो ज्यादातर लोग चायकौफी को थकान दूर करने के लिए पीते हैं, मगर फिर हम इसे अपनी आदत में शामिल कर लेते हैं और फिर जब भी मन करता है तो यही पीना पसंद करते हैं. जबकि इस के अधिक सेवन से नींद में दिक्कत, जलन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.

लेकिन अगर आप टी, कौफी की जगह छाछ का विकल्प चुनें, तो यह सिर्फ  हैल्दी औप्शन होता है बल्कि आप के शरीर की पानी की जरूरतों को भी पूरा करने का काम करता है. क्योंकि छाछ में 90% पानी जो होता है.

इस में प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्सियम और विटामिंस आदि होते हैं जो शरीर की जरूरतों को पूरा करने के साथसाथ शरीर को ठंडक पहुंचाने का भी काम करते हैं. यहां तक कि यह लंबे समय तक टमी को भी फुल रखने का काम करते हैं, जिस से हम अनहैल्दी चीजों के सेवन से बचते हैं. आप को बता दें कि छाछ बौडी को डीटौक्स करने का भी काम करती है, जिस से शरीर से सारे विषैले तत्व बाहर निकल कर हमारी पाचन क्रिया सुचारु होती  है. छाछ में गुड बैक्टीरिया होते हैं जिस से हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है. तो फिर दिन में

1-2 बार छाछ का सेवन जरूर करें.

3. ट्राई करें नई रैसिपीज

अगर हम खुद को व अपने परिवार को हैल्दी रखना चाहते हैं तो उन की अनहैल्दी ईटिंग हैबिट्स को हैल्दी ईटिंग हैबिट्स में बदलना होगा. और इस की शुरुआत आप कुछ अलग कर के कर सकती हैं. जैसे रोजरोज एक ही रैसिपी को बनाने से बेहतर होगा कि आप हफ्ते में 1-2 बार कुछ अलग हैल्दी रैसिपी बनाएं. जैसे अंडे का चीला, मिक्स वैज परांठा आदि. यकीन मानिए आप का ये आईडिया आप के परिवार को फिट रखने का काम करेगा.

4. फ्रूट जूस की जगह फ्रूट्स

कुछ लोगों को फू्रट्स खाने से ज्यादा फ्रूट जूस पीना अच्छा लगता है. भले ही वह घर में निकाला हुआ हो या फिर बाहर का हो. लेकिन यह ओप्शन हैल्दी नहीं है. क्योंकि जहां हम एक फ्रूट खा कर संतुष्ट हो जाते हैं वहीं जूस की फौर्म में हम उसी फू्रट को कई गुना ज्यादा लेते हैं. जूस पीने से फाइबर की मात्रा भी घटती है और शुगर इन्टेक भी ज्यादा होता है, क्योंकि वह तुरंत डाइजैस्ट जो हो जाता है.

जबकि फू्रट्स वाटर, फाइबर, विटामिंस और ऐंटीऔक्सीडैंट्स से भरपूर होते हैं. जो डायबिटीज, दिल की बीमारियों व कैंसर से बचाने का काम करते हैं. धीरेधीरे पचने के कारण ये ब्लड शुगर लेवल को भीबढ़ने नहीं देते हैं. इसलिए आप हैल्दीरहने के लिए अपनीडाइट में रोजाना एक फ्रूट को शामिल जरूर करें और फू्रट जूस पीने की हैबिट को धीरेधीरे छोड़ें.

5. साबुत अनाज है सेहत का राज

क्या आप जानते हैं कि साबुत अनाज में सेहत का राज छिपा होता है, क्योंकि इस में भरपूर मात्रा में विटामिन बी, विटामिन ई, मैग्निसियम, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट्स जो होते हैं, जो सेहत के लिहाज से काफीजरूरीमाने जाते हैं.

कई शोधों में यह साबित हुआ है कि जो लोग साबुत अनाज, दालों व साबुत अनाज से बनीचीजों का सेवन करते हैं उन्हें  डायबिटीज, हार्ट प्रौब्लम्म, ब्लड प्रेशर कीशिकायत कम होतीहै. यहां तक कि साबुत अनाज वजन कम करने में भीसक्षम है, क्योंकि ये फाइबर से भरपूर जो होते हैं. यहां तक कि आंतों कीसूजन को भीकम करता है. इसलिए आप साबुत अनाज को अपनीडेलीडाइट में जरूर शामिल करें.

6. सब्जियों व दालों के बिना खाना अधूरा

वह खाना हीक्या जिस में दाल व सब्जियां न हों, क्योंकि इन से सिर्फ हमारीथालीकीरौनक बढ़तीहै, बल्कि इन में प्रोटीन, मैग्निसियम, आयरन, कैल्सियम, विटामिंस होते हैं. साथ हीइन में पानीकीमात्रा ज्यादा और कैलोरीज कम होने के कारण ये आप के शरीर कीजरूरतों को पूरा करने का काम करते हैं. ये उच्च रक्तचाप कीसमस्या से भीनजात दिलवाते हैं, क्योंकि इन में पोटैशियम कीमौजूदगीजो होतीहै, जो शरीर में नमक की मात्रा को संतुलित बनाने का काम करतीहै. साथ हीइन के सेवन से स्किन हैल्दीभीहोतीहै, क्योंकि जब शरीर अंदर से फिट होगा तभीतो बाहर से स्किन खिलीखिली नजर आएगी.

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7. सब्जियों का सूप

अकसर हमें बीचबीच में भूख लगतीरहतीहै ऐसे में हम अपनीभूख को शांत करने के लिए कभीचिप्स खा लेते हैं तो कभी बिस्कुट या फिर फ्राइड चीजें. ये सभी भले हीहमारीभूख को शांत कर दे, लेकिन इन से हमारे शरीर को कोई फायदा नहीं पहुंचता. लेकिन अगर आप अपनीभूख को शांत करने के लिए सब्जियों का सूप लें, जो विटामिन, कैल्सियम, पोटैशियम से युक्तहोने के कारण आप कीइम्युनिटीको बढ़ाने का काम करता है.

ड्राईफू्रट्स रखेंगे आप को तंदुरुस्त

अकसर हम यहीसोचते हैं कि अगर हम ड्राईफ्रूट्स खाएंगे तो मोटे हो जाएंगे, जबकि ऐसा नहीं है, क्योंकि ड्राईफू्रट्स आप को फुल, फिट रखने के साथसाथ इम्युनिटी बूस्टर का काम करते हैं. इसलिए रोज थोड़े से नट्स जरूर खाएं. इस से आप कीसोचनेसमझने कीशक्ति बढ़तीहै और आप बीमारियों से बचे रहते हैं. इस तरह आप खुद को व अपने परिवार को हैल्दी रख सकती हैं.

-पारुल भटनागर द्य

फिल्मों में डांस बनावटी

टैलीविजन अचानक पुराना पड़ गया है, जो भी आज दिखाया जा रहा है यदि उस में कोरोना का नाम नहीं है तो पुराना है जो आज के युग में हकीकत से मेल नहीं खाता. कपिल शर्मा शो में भारी भीड़ अजीब लगती है, क्योंकि पक्का है कि अभी महीनों तक इस तरह की भीड़ नहीं जुटेगी. फिल्मों में डांस बनावटी लगते हैं, क्योंकि अब तो 10 लोगों का एकसाथ नाचना सपनों की तरह लगता है.

अब लोग भरे बाजार में चलना भूल गए हैं और इसलिए फिल्म में भीड़ दिखे तो लगता है कि यह साइंस फिक्शन है, असलियत से दूर. अगर कहीं ट्रैवल शो हो तो ऐसा लगता है मानो नील आर्मस्ट्रांग को चांद की धरती पर उतरते देख रहे हैं. स्विट्जरलैंड तो न जाने कौन से ग्रह पर है. अब तो शिमला और गोवा भी अपने देश के नहीं लगते.

अब टैलीविजन के इंटरव्यू घरों से हो रहे हैं, जिन में स्काइप की पूअर क्वालिटी पर आड़ेतिरछे बैठे पात्र नजर आ रहे हैं और पीछे से उन के मकान उन की चुगली कर रहे हैं. टीवी स्क्रीनों पर शार्पनैस गायब हो गई है.

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फिल्मों का भी यही हाल है. कल की बौक्स औफिस हिट फिल्म चाहे 2019 में ही क्यों न बनी हो लगता है किसी पुराने जमाने की बात कर रही है. जब हमें यह भी नहीं पता कि कोरोना के बाद नया रोमांस कब किस से कैसे होगा फिल्मों में ट्रेन या हवाईजहाज अथवा रेस्तरां में होने वाला रोमांस कैसे अच्छा लगेगा?

कोरोना ने पूरा साहित्य बदल डाला है. मार्च, 2020 से पहले लिखा गया सबकुछ निरर्थक हो गया है. साहित्यिक उपन्यासों पर बनी फिल्मों में बनावटीपन दिखने लगा है. नाचगाने अजीब लगने लगे हैं. अब तो हरेक को अपने घर में नाचना पड़ रहा है, अकेले.

शादियां, शिक्षा, कामकाज सब बदल रहा है और जो कुछ भी इस बदलाव से पहले रचा गया, फिल्माया गया वह सब पुराना पड़ गया है. कोरोना ने टैलीविजन को तो बदल ही दिया है, आप भी ज्यादा कल तक में न चिपकी रहें, पुरानी पड़ जाएंगी.

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नेक्स्ट डोर महिला जब पति में कुछ ज्यादा  रुचि लेने लगे

मेघा ने अपने नए पड़ोसियों का स्वागत खुले दिल से किया, फ्लोर पर ही सामने वाले फ्लैट में आए अंजलि, उस के पति सुनील और उन की 4 साल की बेटी विनी भी उन से अच्छी तरह बात करते, सामना होने पर हंसते, मुसकराते, सुनील का टूरिंग जौब था, मेघा के पति विनय और उन का युवा बेटा यश थोड़े इंट्रोवर्ट किस्म के इंसान थे.

कुछ ही दिन हुए कि मेघा ने नोट किया कि अंजलि जानबूझ कर उसी समय पार्किंग में टहल रही होती है जब विनय का औफिस से आने का समय होता है. पहले तो उस ने इसे सिर्फ इत्तेफाक समझा पर जब विनय ने एक दिन आ कर बताया कि अंजलि उस से बातें करने की कोशिश भी करती है, उन का फोन नंबर भी यह कह कर ले लिया कि अकेली ज्यादा रहती हूं, पड़ोसियों का नंबर होना ही चाहिए तो मेघा हैरान हुई कि कितनी बार तो उस से उस का आमनासामना होता है, उस से तो कभी ऐसी बात नहीं की.

अंजलि अकसर उस टाइम आ धमकने भी लगी जब वह किचन में बिजी होती, विनय टीवी देख रहे होते. उस के रंगढंग मेघा को कुछ खटकने लगे. एक दिन विनय ने बताया कि वह उन्हें मैसेज, जोक्स भी भेजने लगी है. पहले तो मेघा को बहुत गुस्सा आया फिर उस ने शांत मन से विनय को छेड़ा, ‘‘तुम इस चीज को एेंजौय तो नहीं करने लगे?’’

‘‘ऐंजौय कर रहा होता तो बताता क्यों,’’ विनय ने भी मजाक किया, ‘‘मतलब तुम्हारा पति इस लायक है कि कोई पड़ोसन उस से फ्लर्ट करने के मूड में है, माय डियर प्राउड वाइफ.’’

‘‘चलो, फिर पड़ोसन का फ्लर्टिंग का भूत उतारना तो मेरे बाएं हाथ का काम है. अच्छा है, तुम्हें इस में मजा नहीं आ रहा नहीं तो 2 का भूत उतारना पड़ता,’’ मेघा की बात पर विनय ने हंस कर हाथ जोड़ दिए.

अगले दिन मेघा विनय के आने के समय पार्किंग प्लेस के आसपास टहल रही थी. उसे अंजलि दिखी, अचानक अंजलि उसे देख कर थोड़ी सकपका गई, फिर हायहैलो के बाद जल्दी ही वहां से हट गई. मेघा मन ही मन मुसकरा कर रह गई. शाम के समय विनय और यश टीवी में मैच देख रहे थे, वह भी आ धमकी और यह कहते हुए विनय के आसपास ही बैठ गई कि

उसे भी मैच देखने का शौक है. उस के पति को तो स्पोर्ट्स में जरा भी रुचि नहीं. उस की बात सुनते ही मेघा बोली, ‘‘आओ अंजलि, हम लोग अंदर बैठते हैं. इन दोनों को मैच देखने में क्या डिस्टर्ब करना.

‘‘नहीं, मैं अब चलती हूं, विनी अकेली है.’’

‘‘हां, उसे अकेली ज्यादा मत छोड़ा करो.’’

उस दिन तो जल्दी ही अंजलि चली गई. फिर एक दिन विनय ने कहा, ‘‘यार, काफी मैसेज भेजती रहती है, कभी गुडमौर्निंग, कभी जोक्स.’’

‘‘दिखाना,’’ मेघा ने विनय के फोन पर अंजलि के भेजे मैसेज पढ़े, सभी ऐडल्ट जोक्स वीडियो भी आपत्तिजनक, जिन्हें विनय ने देखा ही नहीं था अभी तक, क्योंकि विनय औफिस में ज्यादा ही बिजी रहता था और वह उसे बिलकुल भी लिफ्ट देने के मूड में था ही नहीं. अब मेघा गंभीर हुई.

अगले दिन यों ही अंजलि के फ्लैट पर गई. थोड़ी देर बैठने के बाद उस ने बातोंबातों में कहा, ‘‘तुम शायद बहुत बोर होती हो. विनय बता रहे थे कि उन्हें खूब वीडियो, जोक्स भेजती रहती हो. उन्हें तो देखने का भी टाइम नहीं, मैं ने ही देखे वे वीडियो, उन्हें भेजने का क्या फायदा मुझे भेज दिया करो, मैं देख लूंगी. विनय कुछ अलग टाइप के इंसान हैं, मुझ से कुछ छिपाते नहीं, तुम मेरा फोन नंबर ले लो.’’ अंजलि को बात संभालना मुश्किल हो गया. बुरी तरह शर्मिंदा होती रही. मेघा घर लौट आई. उस दिन से कभी अंजलि ने विनय को एक मैसेज भी नहीं भेजा, न उस के आसपास मंडराई. उस का किस्सा मेघा की लाइफ से खत्म हुआ.

मामला अलग स्थिति अलग

अगर यहां विनय पड़ोसन के साथ फ्लर्ट कर रहा ?होता तो बात दूसरी होती, समस्या पड़ोसन की नहीं, पति की होती पर यहां मामला अलग था. ऐसी स्थिति को बहुत जल्दी ही संभाल लेना चाहिए, फ्लर्टिंग को अफेयर बनते देर नहीं लगती.

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ट्रेसी कौक्स जो डेटिंग, सैक्स और रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट हैं, का कहना है कि महिलाएं विवाहित पुरुषों की तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं, कोई महिला आप के पति के साथ फ्लर्ट कर रही है या नहीं, कैसे समझ सकते हैं, जानिए:

– यदि आप का पति उस की कौल्स और मैसेज के बारे में आप को बता देता है तो इस का मतलब है कि वह आप को प्यार करता है, पर यदि आप को खुद ही यह सब पता चला है तो इस का मतलब है कि आप के पति भी उसे बढ़ावा दे रहे हैं.

– जब वह आप के पति के आसपास मंडराती

है तो वह कुछ अलग ही मेकअप, कपड़ों में होती है, वह उस में रुचि ले रही हैं तो उस

का ध्यान आप के पति को आकर्षित करने

में होगा.

– कोई भी महिला जो किसी विवाहित पुरुष में रुचि लेती है, वह हमेशा यह दिखाने की कोशिश करती है कि वह उस की पत्नी से

बैटर है, अगर उसे पता चलता है कि पति

को कोई शौक है और पत्नी को नहीं है तो वह पति वाले शौक को ही अपना बताने की कोशिश करेगी.

क्या करें

अब सवाल यह उठता है कि ऐसे में एक पत्नी को क्या करना चाहिए, अपने पति पर शक करते हुए उस से सवालजवाब करने से आप के वैवाहिक जीवन में तनाव हो सकता है, उसे ऐसा लगेगा कि आप उस पर विश्वास नहीं करतीं, यह बात आप को नुकसान पहुंचा सकती है, पति के साथ फ्लर्ट करने वाली महिला के साथ कैसे व्यवहार करें, ऐसी कुछ टिप्स जानिए:

– पड़ोसन को सीधेसीधे कुछ कहेंगीं तो आप सनकी, इन्सेक्युर पत्नी लगेंगी. उस के साथ अच्छी तरह पेश आइए, ऐसे कि वह असहज हो जाए. सच यही है कि वह आप को पसंद नहीं करती होगी क्योंकि उस की रुचि आप के पति में है. उसे यह न महसूस होने दें कि आप भी उसे पसंद नहीं करतीं, उस की अच्छी फ्रैंड होने का नाटक करें, उसे अपने पति के साथ टाइम बिताने का मौका बिलकुल न दें. वह खुद ही अनकंफर्टेबल हो कर पीछे हट जाएगी.

– अपने पति से बात करें. उस के इरादों के बारे में आप के पति को भी संदेह हो सकता है. अपने पति पर सवालों की बौछार न करते हुए शांति से बात करें. याद रखें, यहां विक्टिम वह है, उस से पूछें कि क्या उसे भी यही लग रहा है कि पड़ोसन उस के साथ फ्लर्ट कर रही है. यदि पति कहे कि आप को ही बेकार का शक हो रहा तो उन्हें घटनाओं के साथ स्पष्ट करें कि वह फ्लर्ट कर रही थी. अपने पति की इस स्थिति को समझने में हैल्प करें और मिल कर इस से निबटें.

– इस स्थिति पर हंसना सीखें. कोई महिला उस पुरुष के साथ फ्लर्ट करने की कोशिश कर रही है जो आप को प्यार करता है, यह तो फनी है.  अपने विवाह पर फोकस रखें, हर समय इस महिला के बारे में सोच कर तनाव में न रहें.

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– ऐसी महिलाएं आप के और आप के पति के बीच मिसिंग स्पार्क का फायदा उठाने की कोशिश करती हैं. इसलिए उन्हें ऐसा करने का मौका न दें.

अपने पति पर विश्वास रखें, उसे बताएं कि आप को उस पर विश्वास है भले ही कोई भी स्थिति हो. यदि वह गलत नहीं है तो उसे अच्छा लगेगा कि उस की पत्नी को उस पर विश्वास है.

अगर पतंजलि के सारे दावे सही हैं तो तथ्यों और सबूतों के साथ यह आंखमिचैली क्यों?

पतंजलि योगपीठ के आयुर्वेदाचार्य और पतंजलि कारोबार के कार्यकारी मुखिया आचार्य बालकृष्ण ने सबसे पहले 11 जून 2020 को एक प्रेस कान्फ्रेंस की थी, जिसमें यह दावा किया गया कि उन्होंने कोरोना की दवा बना ली है, जिससे शत प्रतिशत नतीजे हासिल हुए हैं यानी जिस भी मरीज पर उस दवा का इस्तेमाल किया गया, वो सब सही हुए. यही नहीं आचार्य बालकृष्ण ने यह भी कहा कि 80 फीसदी मरीज तो सिर्फ 5 से 6 दिन के भीतर ठीक हो गये. कुछ को ठीक होने में 12 से 14 दिन लगे. लेकिन अधिकतम 14 दिनों के भीतर सभी मरीज ठीक हो गये यानी उनकी दवा 100 फीसदी कारगर रही. इस काॅन्फ्रेंस में आचार्य बालकृष्ण ने यह भी घोषणा की थी कि अगले 4-5 दिनों में यानी 15-16 जून 2020 तक हम अपनी इस दवा के लिए किये गये व्यापक शोध का क्लिनिकल कंट्रोल डाटा पूरी दुनिया के सामने उजागर कर देंगे.

लेकिन क्लिनिकल कंट्रोल डाटा या क्लिनिकल ट्रायल डाटा तो दावे के मुताबिक कुछ नहीं पेश किया गया, हां, 23 जून 2020 को योगगुरु बाबा रामदेव कुछ वैज्ञानिकों और अपने सहयोगियों के साथ हरिद्वार में प्रेस काॅन्फ्रेंस करके कोरोना की दवाई जरूर पेश कर दी. इसका नाम कोरोनिल है. दिव्य कोरोनिल टैबलेट. बाबा रामदेव ने भी आचार्य बालकृष्ण की तरह प्रेस काॅन्फ्रेंस में कहा कि हमने इसे बनाने के पहले क्लिनिकल कंट्रोल स्टडी की है और फिर 100 लोगों पर इसका टेस्ट किया गया है जिनमें 65 फीसदी पाॅजीटिव रोगी, 5 दिनों के अंदर नेगेटिव हो गये. यही नहीं उनके मुताबिक अगले 7 दिन में सभी 100 फीसदी रोगी बिल्कुल ठीक हो गये. इस तरह उनकी दवा की 100 फीसदी रिकवरी रेट हुई. पतंजलि के दावों के मुताबिक उनका यह शोध और ट्रायल जयपुर के बाहरी हिस्से में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज द्वारा किया गया है.

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लेकिन अभी इस प्रेस काॅन्फ्रेंस के 24 घंटे भी नहीं गुजरे थे कि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने साफ कर दिया कि उन्हें ऐसी किसी दवा के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही उसके लिए किये गये किसी तरह के शोध या टेस्ट की जानकारी है. यही नहीं आयुष मंत्रालय ने साफ शब्दों में कह दिया कि पतंजलि को अपना विज्ञापन तत्काल बंद करना होगा. क्योंकि ड्रग एंड रेमेडीज एक्ट 1954 के मुताबिक यह अपराध है.

हालांकि आचार्य बालकृष्ण ने ट्वीट करके कहा कि आयुष मंत्रालय को सफाई दे दी गई है, साथ ही उन्हें वो सारे डाक्यूमेंट भिजवा दिये गये हैं. लेकिन इस ट्वीट के बाद भी समस्या खत्म नहीं हुई. हद तो यह है कि उत्तराखंड सरकार पर जब यह दबाव पड़ा कि किस आधार पर दवा को लाॅन्च किया गया है, तो सरकार के आयुर्वेद लाइसेंसिंग अथाॅरिटी के ड्रग डिपार्टमेंट ने साफ शब्दों में कहा कि पतंजलि को जो लाइसेंस दिया गया है वो इम्यूनिटी बूस्टर दवा के नाम पर दिया गया है, जो बुखार और खांसी की दवा है. उन्हें कोरोनिल टैबलेट के लिए कोई लाइसेंस नहीं दिया गया.

इस तरह देखा जाए तो साफ साफ पता चलता है कि चाहे पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के सीईओ आचार्य बालकृष्ण हों या योगगुरु बाबा रामदेव. किसी ने भी तथ्यों के संदर्भ में ही नहीं अपनी कही बातों के संदर्भ में भी ईमानदारी और पारदर्शिता नहीं बरती. ऐसे में सोशल मीडिया से लेकर आम जनजीवन तक इस संबंध में भारी प्रतिक्रिया होनी ही थी.  हालांकि दुनिया के ज्यादातर देशों ने इस दावे पर आश्चर्य नहीं जताया और न ही इसे खारिज किया. लेकिन भारत में विशेषकर सोशल मीडिया में एक बड़ा तबका है, जिसने पतंजलि की इस सारी चूक को सरासर षड़यंत्र के रूप में पेश किया.

सवाल उठता है एक ऐसे समय में जबकि आयुष मंत्रालय ने वैकल्पिक दवाओं के निर्माताओं को स्पष्ट तौरपर चेतावनी दी है कि कोई भी दवा निर्माता उपभोक्ताओं को गुमराह करने के लिए अपने उत्पाद को झूठमूठ में कोविड-19 के इलाज या रोकथाम में कारगार बताकर प्रचारित नहीं करे, वरना 6 साल तक की सजा और 1 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है.

सवाल है ऐसे समय में आखिरकार पतंजलि ऐसा गड्डमड्ड क्यों कर रहा है? जिससे अगर वह चोर नहीं है तो चोर जैसा साबित हो और अगर वाकई उसने बिना किसी ठोस सबूत के ये तमाम दावे किये हैं तो फिर हैरानी इस बात पर है कि ये सब क्या हो रहा है? क्योंकि कोई सामान्य समय हो तो अलग बात है, इस समय पूरी दुनिया कोरोना की दवा पाने के लिए व्याकुल है. इस समय दुनिया का शातिर से शातिर शख्स भी ऐसी शातिरी नहीं दिखा सकता. क्योंकि इस समय दुनियाभर में हजारों, लाखों वैज्ञानिक और वैज्ञानिक अनुसंधान कोरोना के क्षेत्र में ही दिन रात नजरें गड़ाये हुए हैं.

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लेकिन इस सबके बीच पतंजलि के विरोधी जिस तरह पतंजलि के संजीवनी बूटी के दावे को सामने रख रहे हैं, जो कि ऐसी ही बड़ी घोषणा के बाद झूठ निकला था, उस सबको देखते हुए लगता है कि अगर वाकई पतंजलि के पास ठोस सबूत हैं तो उन्हें उसने अपने दावे के मुताबिक दवा लांच करने के पहले क्यों नही पेश किया? अगर बाबा अपनी विरोधियों के मुताबिक पैसा कमाने के लिए झूठ का सहारा ले रहे हैं तो यह झूठ कम से कम इस समय नहीं चलने वाला और इससे पतंजलि की अब तक की साख मिट्टी में मिल जायेगी. अगर लगा कि वह सरकार से नजदीकी होने के कारण कोई चतुराई दिखा रहे थे.

हालांकि पतंजलि योगपीठ का दावा है कि उन्होंने जनवरी 2020 में ही इस संबंध में शोध शुरु कर दिये थे और करीब 1550 पौधों के कंपाउंडों का दिन-रात अध्ययन करके इस दवा तक पहुंचे हैं. इसमें पतंजलि योगपीठ के मुताबिक उनकी 14 वैज्ञानिकों की टीम पूरी दुनिया के उन वैज्ञानिकों के साथ संपर्क में रही है, जो इस पर काम कर रहे हैं. इन तमाम दावों के बीच भी सवाल उठता है कि उसने सबूत क्यों नहीं पेश किये? अगर ये दावे गलत निकलते हैं तो सिर्फ पतंजलिभर की थू थू होगी बल्कि पूरे देश की साख में बट्टा लग जायेगा.

25 जून से शुरू हुआ इन 2 शोज का शूट, जानें कब होगी ‘Ye Rishta’ की शूटिंग

महाराष्ट्र सरकार से 31 मई को ही फिल्म,टीवी सीरयल और वेब सीरीज की शूटिंग शुरू करने को लेकर दिशा निर्देश आ गए थे, मगर बाॅलीवुड में कार्यरत एसोसिएशनो के बीच कई मुद्दों पर आम सहमति न बन पाने की वजह से मामला अटका हुआ था और शूटिंग शुरू नही हो पा रही थीं.टीवी सीरियल के निर्माता और उनके संगठन अपनी अकड़ बनाए रखना चाहते थे.जिसके चलते 20 और 22 जून से टीवी सीरियल शुरू करने की कुछ निर्माताओं द्वारा घोषणा किए जाने के बावजूद शूटिंग शुरू नहीं हो पायी थी. सूत्रों के अनुसार ब्राडकास्टर के दबाव में सीरियल के निर्माता व उनके संगठन  कलाकारों, तकनीशियन व वर्कर के साथ अव्यावहारिक रवैया अपनाने पर ही अड़े हुए थे.

सीरियल निर्माताओं के अपने तर्क थे.वह कह रहे थे कि ‘‘हर स्टेक होल्डर (कलाकार, निर्देशक, लेखक, निर्माता, तकनीशियन, वर्कर आदि) को इस संबंध में अपने अपने हिसाब से सोचना पड़ेगा कि यदि ब्राडकास्टर बजट में पंद्रह से पैंतिस प्रतिशत कटौती कर रहा है, तो उन्हें भी कुछ कटौती करके लेना पड़ेगा. यदि कोई स्टेक होल्डर यह समझता है कि हम तो कुछ करेंगे नहीं, हम कोई कटौती नहीं करेंगे,सारा बोझ निर्माता ही वहन करे और सेट पर डाक्टर भी आ जाए, एंबुलेंस भी आ जाए,इंषुरेंस भी हो जाए तथा शूटिंग शुरू हो जाए,तो मैं समझता हूं कि बहुत मुश्किल है.’’पर यह निर्माता इस बात को नजरंदाज कर रहे थे कि कलाकारों व तकनीशिन की जिन शर्तों पर सहमति बनाकर कलकत्ता यानी कि बंगला फिल्म व टीवी इंडस्ट्री में शूटिंग शुरू  हुई है,उन पर बाॅलीवुड में सहमति क्यों नहीं हो सकती.

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बहरहाल, बुधवार को महाराष्ट्र सरकार ने 31 मई के दिशा निर्देश में कुछ बदलाव करने का नया आदेश जारी कर दिया,तो वहीं बुधवार को ही देर रात तक आईएफटीपीसी,सिंटा और एफ डब्लूआई सी ई के बीच वच्र्युअल बैठकों का लंबा दौर चला,जिसके बाद उन सभी मुद्दों को हल कर लिया गया,जिससे फिर से शूटिंग शुरू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया.फिलहाल यह आम सहमति तीन माह तक के लिए बनी है.इस बीच हर पंद्रह दिन में एक कमेटी हालात का जायजा लिया करेगी और शूटिंग के दौरान जो व्यावहारिक दिक्कतें आएंगी,उन पर बात की जाएगी.

‘आईएफटीपीसी’, ‘सिंटा’और ‘एफ डब्लूआई सी ई’के साथ ब्राडकास्टर ने जिस तरह से फैसला लिया,उसके चलते आज से ही रश्मि शर्मा निर्मित दो सीरियलों ‘शक्ति’ और ‘प्यार की लुका छिपी’की शूटिंग शुरू हो गयी है.वास्तव में इनका मुंबई से सटे सुरक्षित जोन वाले इलाके नायगांव में अपना स्टूडियो है.इन्होने अपने स्टूडियो व सभी उपकरण पहले से ही सेेनेटाइज करा लिए थे.इतना ही नहीं पिछले एक सप्ताह से इनके लाइट मैन व स्पाॅट ब्वाॅय तो इस स्टूडियो में ही रह रहे थे.जबकि शनिवार से राजन साही अपने तीन सीरियलों ‘‘अनुपमा’’, ‘‘यह रिश्ता क्या कहलाता है’’और ‘‘यह रिश्ते प्यार के’’की शूटिंग शुरू करेंगे.

अब तक सीरियल निर्माता और सीरियल निर्माता संगठन ‘आईएफटीपीसी’ कोरोना सुरक्षा के लिए बीमा के मसले पर ही तांग अड़ाए हुए थे,मगर इस बैठक में बीमा कवरेज के दो सेट प्रदान करने पर सहमति व्यक्त बन गयी.यानी कि ‘कोविड -19’के कारण 25 लाख रुपए का मृत्यु बीमा और दो लाख रूपए का अस्पताल में इलाज का बीमा हर क्रू मेंबर को देने पर सहमति बन गयी. इसी के साथ ‘आईएफटीपीसी’ने आष्वस्त किया कि   सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार हर सावधानी को पूरे कलाकारों ,तकनीषियन,वर्कर आदि की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेट पर उपाय किए जाएंगे.

अब तक पुनः शूटिंग शुरू करने के लिए‘‘सिंटा’’व ‘‘एफ डब्लूआई सी ई’’की सबसे बड़ी माॅंग पारिश्रमिक राषि के भुगतान को लेकर थी, इस पर भी आम सहमति बन गयी.अब‘आईएफटीपीसी’ने मान लिया है कि पारिश्रमिक राशि के भुगतान की अब तक जो नब्बे दिन की प्रथा चली आ रही थी, उसे खत्म कर तीस दिन में पारिश्रमिक राशि का भुगतान किया जाएगा. तीन माह बाद पुनः हर स्थिति को लेकर बैठक होगी.

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इस बैठक में कोरोना के दौरान कलाकारों और वर्करों के लिए ‘‘सिंटा’’व ‘‘एफ डब्लूआई सी ई’’द्वारा उठाए गए कदमों को भी किए गए ‘आईएफटीपीसी’ने स्वीकार किया. ‘आईएफटीपीसी’ने माना कि कोरोना व लाॅक डाउन के आपत्तिकाल में राष्ट्रीय हित के मद्देनजर श्रमिकों ने अनुकरणीय समझ और परिपक्वता दिखायी.

‘आईएफटीपीसी’के अध्यक्ष साजिद नाडियाडवाला ने ‘‘सिंटा’’,‘‘एफ डब्लूआई सी ई’’,ब्राॅडकास्टर,महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री  उद्धव ठाकरे,संस्कृति मंत्री अमित देषमुख, सांस्कृतिक सचिव डॉ संजय मुखर्जी, और श्री आदेश बांदेकर के के अनुकरणीय सहयोग के लिए आभार माना.

इस बैठक में आईएफटीपीसी  की टीवी और वेब शाखा के अध्यक्ष जे डी मजीठिया के साथ श्यामाशीश भट्टाचार्य व नितिन वैद्य,‘‘एफ डब्लूआई सी ई’’के अध्यक्ष बीएन तिवारी के साथ अशोक दुबे व गंगेश्वर श्रीवास्तव  तथा ‘सिंटा’की तरफ से अध्यक्ष मनोज जोशी के साथ उपाध्यक्ष  दर्शन जरीवाला,वरिष्ठ संयुक्त सचिव अमित बहल,कार्यकारिणी सदस्य संजय भाटिया ने हिस्सा लिया.

कोरोना से लड़ाई में WHO ने की एकजुट रहने की अपील, बोले- राजनीति ना करें

कोरोनावायरस का कहर दुनिया में बढ़ता ही जा रहा है. भारत की बात करें तो दिल्ली और मुंबई के हाल दिन पर दिन बिगड़ते जा रहे हैं तो वहीं राजनीति कम होने का नाम नहीं ले रही है. इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के नेताओं को कोरोना वायरस संकट पर राजनीति नहीं करने की सलाह देते हुए लड़ाई की जगह एकजुट होने की अपील की है. इसी के साथ WHO ने कोरोनावायरस को लेकर एक बार फिर लोगों को चेतावनी दी है. आइए आपको बताते हैं क्या है WHO की नई चेतावनी…

कोरोनावायरस के बन रहे हैं नए रिकार्ड

WHO प्रमुख टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस ने कहा है कि महामारी की रफ्तार अब भी बढ़ रही है और रोज नए मामलों के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. पहला 10 लाख केस आने में 3 महीने का वक्त लगा था. लेकिन आखिरी 10 लाख केस आने में सिर्फ 8 दिन लगे. उन्होंने कहा- अब हमें सबसे बड़ा खतरा वायरस से नहीं बल्कि वैश्विक एकजुटता और नेतृत्व की कमी से है. हम एक बंटी हुई दुनिया में इस महामारी को नहीं हरा सकते.

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करीब ढाई साल में बन सकती है वैक्सीन

WHO प्रमुख ने कहा- कोविड-19 महामारी ने ये दिखा दिया है कि दुनिया तैयार नहीं थी. वैश्विक स्तर पर महामारी अब भी बढ़ रही है तो वहीं, WHO के विशेष दूत डेविड नेब्ररो ने कहा कि उन्हें लगता है कि दुनिया के सभी लोगों को वैक्सीन मिलने में ढाई साल का वक्त लग सकता है. अगर इस साल के आखिर तक भी वैक्सीन सफल हो जाती है तो सुरक्षा और अन्य टेस्ट करने में वक्त लग सकता है. इसके बाद भारी संख्या में वैक्सीन के उत्पादन की भी चुनौती होगी.

स्थापित हो गया है वायरस

WHO ने ये भी कहा है कि कोरोना के केस बढ़ने के पीछे सिर्फ अधिक टेस्टिंग की थ्योरी ठीक नहीं है. WHO ने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामले ये भी दिखा रहे हैं कि अब वायरस दुनिया में बेहतर तरीके से स्थापित हो गया है.

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बता दें, भारत समेत दुनिया में रोजाना लाखों केस बढ़ रहे है, जिसके कारण पूरे विश्व की चिंताएं भी बढ़ रही है. वहीं वैक्सीन के इंतजार में बैठे लोग भी अब धीरे-धीरे हार मान रहे है. हालांकि भारत में रिकवरी रेट धीरे-धीरे बढ़ रहै है, जिससे लोगों में तसल्ली बनी हुई है.

Bulbbul Twitter Review: जानें कैसी है अनुष्का शर्मा की नई Netflix रिलीज

लॉकडाउन के कारण इन दिनों बौलीवुड की ज्यादातर फिल्मों को ओटीटी प्लैटफार्म पर रिलीज किया जा रहा है. वहीं एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) की फिल्म बुलबुल को भी नेटफ्लिक्स पर रिलीज किया गया है. हौरर फिल्म ‘बुलबुल’ (Bulbul) को भले ही क्रिटिक्स ने खास अच्छा रिस्पॉन्स नहीं दिया है. लेकिन दर्शकों को अनुष्का की ये हौरर फिल्म बेहद पसंद आ रही है. अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) के प्रोडक्शन में बनी फिल्म बुलबुल को ट्विटर फैंस का बेताहाशा प्यार देखने को मिल रहा है. आइए आपको बताते हैं क्या कहते फिल्म की तारीफ में फैंस…

बंगाली परिवार की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म

हॉरर जौनर पर बनी फिल्म बुलबुल(Bulbul), एक चुड़ैल की कहानी है और एक कपल की जिंदगी के ईर्द-गिर्द बनी हुई है. इस फिल्म को अन्विता दत्त ने डायरेक्ट किया है. अन्विता दत्त के निर्देशन में बनी ये कहानी बंगाली परिवार की पृष्ठभूमि और बाल विवाह के कॉन्सेप्ट पर केंद्रित है जिसमें अहम भूमिका निभाती है पास के जंगल में रहने वाली चुड़ैल.

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औडियंस ने बताया शानदार

जहां एक तरफ क्रिटिक्स ने फिल्म को बेकार बताया है तो वहीं फिल्म के बारे में लिखते हुए दर्शकों ने इसे शानदार होने की बात कही है.  कुछ दर्शक तो फिल्म की एक्ट्रेस तृप्ति डिमरी की जमकर तारीफ कर रहे हैं. जबकि कुछ दर्शकों ने इसे नेटफ्लिक्स की अब तक की बेस्ट प्रोडक्शन फिल्म तक बता दिया है.

बता दें कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma)की ये दूसरी फिल्म है. इससे पहले अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) की अमेजॉन प्राइम वीडियो पर वेब सीरीज पाताल लोक रिलीज हुई थी, जिसे भी फैंस का शानदार रिस्पॉन्स मिला था. वहीं अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) साल 2018 में अपने प्रोडक्शन क्लीन स्लेट फिल्मस के तहत हौरर फिल्म ‘परी’ लेकर आई आई थीं.

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पहली बार नेपोटिज्म पर बोलीं आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान, कही ये बड़ी बात

बौलीवुड एक्टर सुशांत सिंह (Sushant Singh Rajput) के सुसाइड पर स्टार किड्स और नेपोटिज्म पर बहस जारी है. सुशांत के फैंस उनके सपोर्ट में न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं तो वहीं कुछ अदालतों में बड़े-बड़े स्टार्स के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है. इसी बीच सोशलमीडिया पर भी ट्रोलर्स ने स्टार किड्स जैसे आलिया भट्ट (Alia Bhatt), अन्नया पांडे (Ananya Panday) और वरूण धवन (Varun Dhawan) जैसे सितारों को ट्रोल करना शुरू कर दिया है. इसी बीच आलिया (Alia Bhatt), की मम्मी सोनी राजदान (Soni Razdan)नेपोटिज्म के सपोर्ट में बेटी आलिया के लिए खड़ी हुई हैं. आइए आपको बताते हैं क्या कहती हैं आलिया की मम्मी…

फिल्म डायरेक्टर के ट्वीट से शुरू हुई कहानी

फिल्म डायरेक्टर हंसल मेहता (Hansal Mehta) ने अपने ट्विटर अकाउंट पर नेपोटिज्म के बारे में लिखा कि ‘नेपोटिज्म डिबेट पर नए नजरिए से बात करने की जरूरत है. अच्छे लोगों को प्रिफरेंस मिलनी चाहिए. मेरे बेटे ने बॉलीवुड में मेरी वजह से कदम रखा है और क्यों नहीं रखना चाहिए? वो मेरे साथ अपनी मेहनत और टैलेंट के कारण काम कर रहा है. उसे काम मिल रहा है क्योंकि वो हकदार है, ना कि इसलिए कि वो मेरा बेटा है. वो फिल्में डायरेक्ट करेगा, इसलिए नहीं क्योंकि मैं उन्हें प्रोड्यूस करूंगा लेकिन इसलिए क्योंकि उसमें टैलेंट है. उसका करियर सिर्फ इसलिए आगे चल पाएगा क्योंकि उसमें टैलेंट है.’

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सपोर्ट में आईं आलिया की मम्मी

हंसल मेहता के ट्वीट्स का सपोर्ट करते हुए एक्ट्रेस आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान ने लिखा, ‘क्योंकि आप किसी के बेटे या बेटी हैं, इसलिए लोगों की उम्मीदें आपसे काफी हद तक बढ़ जाती हैं. जो लोग आज नेपोटिज्म पर बातें कर रहे हैं, जिन्होंने अपने दम पर नाम कमाया है एक दिन उनके भी बच्चे होंगे. अगर कभी वो फिल्म इंडस्ट्री में काम करना चाहें क्या ये लोग उन्हें रोकेंगे ?’

जवाब देते हुए हंसल मेहता ने लिखी ये बात

हंसल मेहता ने सोनी राजदान के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा है, ‘नेपोटिज्म डिबेट को कुछ लोगों को टारगेट करने तक सीमित कर दिया गया है. नेपोटिज्म को खत्म करने से पहले हमें जबरदस्ती की पब्लिसिटी खत्म करनी होगी. किसी को जानबूझकर परेशान करना गलत है. लोगों को बिना बात के परेशान करने पर भी चर्चा होनी चाहिए.’

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बता दें, एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड की वजह डिप्रेशन बताई जा रही है. वहीं इस डिप्रेशन का कारण उनसे लगातार फिल्मों का छिनना बताया जा रहा है, जिसके कारण फैंस नेपोटिज्म के चलते स्टार किड्स को आडे हाथ ले रहे हैं.

 

 

इन तरीकों से लॉकडाउन के दौरान करें पीसीओएस चेक

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) एक हार्मोनल डिसऑर्डर होता है जो बढ़े हुए ओवरी के बाहरी किनारों पर छोटे सिस्ट के साथ होता है. यह भारत में प्रजनन से सम्बंधित  महिलाओं में कॉमन लाइफस्टाइल डिसऑर्डर होता है. यह हर 5 में से 1 महिला को होता है. अगर यह बढ़ती उम्र के साथ शुरूआती स्टेज में ठीक नहीं किया जाता है तो यह कई लाइफस्टाइल डिसऑर्डर का मूल कारण माना जाता है.

AIIMS के मेटाबोलिज्म और एन्ड़ोक्रिनोलोजी डिपार्टमेंट की एक रिसर्च के अनुसार भारत की  40% बच्चें पैदा करने की उम्र की महिलाएं  पीसीओएस से पीड़ित होती है जबकि 60% पीसीओएस  से पीड़ित महिलाएं मोटापे से पीड़ित होती है. 30 से 35% महिलाओं का लीवर फैटी होता है. लगभग 70% महिलाओं में इंसुलिन की रुकावटए 60 से 70% में हाई लेवल का एण्ड्रोजन और 40 से 60% महिलाओं में ग्लूकोज इनटॉलेरेंस होता है.

हममें से कई लॉकडाउन और क्वारंटाइन में रहे. पीसीओएस और कोरोनावायरस के स्ट्रेस से निजात पाना आसान नही है. यहाँ कुछ उपाय बताये जा रहा हैं जिससे आप अपने पीसीओएस को मैनेज कर सकते हैं. सेडेंटरी डिजिटल एरा का एक प्रोडक्ट-

1. डाइट मैनेजमेंट बहुत जरूरी

चूंकि लॉकडाउन के कारण जंक फूड आसानी से उपलब्ध नहीं है, डॉक्टरों का सुझाव है कि महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए. लॉकडाउन में हाई-कैलोरी खाने से परहेज करके  जई, दलिया और पोइंटहेड खाकर वजन घटाने का सबसे अच्छा मौका है. फ़ूड इस कंडीशन को मैनेज करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. एक पीसीओएस महिला को अपनी डाइट चेक करनी चाहिए नहीं तो वजन बढ़ने से प्रभाव उल्टा पड़ सकता है. अनहेल्थी तले हुए फ़ूड, शुगर बेवरेज, प्रोसिज्ड मीट,लाल मीट नहीं खाना चाहिए. यहां तक कि दूध और इससे बने प्रोडक्ट्स को भी खाने से बचना चाहिए क्योंकि दूध टेस्टोस्टेरोन के लेवल को बढ़ाता है. टेस्टोस्टेरोन का लेवल इस बीमारी की कंडीशन में हाई होता है, डेयरी प्रोडक्ट समस्या को और जटिल बना सकते हैं.

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2. रेगुलर एक्सरसाइज बहुत जरूरी

पीसीओएस  मैनेज करने का सबसे अच्छा तरीका है वजन कम करें. कई रिसर्चों से पता चला है जो महिलाएं एक हफ्ते में लगभग 3 घंटे एरोबिक एक्सरसाइज करती हैं उनकी इंसुलिन सेंसिटिविटी, कोलेस्ट्राल, विसेरल फैट (जो पेट के चारो ओर होता है) इम्प्रूव होता है भले ही उनका वेट कम न हो. इसलिए दिल छोटा न करें जब वेट मशीन वेट मैनेजमेंट में कोई इम्प्रूवमेंट न शो करे तोए बस रेगुलर एक्सरसाइज को करना जारी रखें. बस आपको कुछ बेसिक आइटम की जरूरत होगी जो आप अपने आसपास पा सकते हैं. एक्सरसाइज के तीन बेसिक सिद्धांत हैं: इंस्ट्रूमेंट्स को कम युज करें: कार्डियोवैस्कुलर, वेट ट्रेनिंग,और फ्लेक्सिबिलिटी. रेगुलर एक्सरसाइज और हार्मोनल पिल्स (आपके डॉक्टर के अनुसार) से मासिक धर्म चक्र सही हो सकता है

3. मेंटल और इमोशनल हेल्थ के बारने में जागरूकता बढ़ाना

पीसीओएस महिलाओं में मूड स्विंग, डिप्रेशन और अन्य मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम ज्यादा होता है. इसलिए यह महत्वपूर्ण हैं कि  पीसीओएस को मैनेज करने के लिए इमोशनली ठीक होना सबसे जरूरी है. पीसीओएस न केवल भारत में बल्कि दुनिया में महिलाओं में होने वाली हेल्थ प्रॉब्लम है. पर ये दुख की बात है कि इतना सामान्य एंडोक्राइन (हार्मोनलद्ध) डिसऑर्डर होने के बावजूद,यह बहुत खराब बीमारी समझी जाती है. चूंकि पीसीओएस का कोई स्थायी “इलाज” नहीं है, इसलिए महिलाएं डेली लक्षणों के आधार पर इससे जूझती रहती हैं. लगातार इस बीमारी से लड़ने से उनके मेंटल हेल्थ पर बहुत फर्क पड़ता है. इसलिए, दोस्तों और परिवार को उनके प्रति एक्स्ट्रा काइंड होना चाहिए.

मदरहुड हॉस्पिटल नॉएडाए की गायनेकोलॉजिस्ट – ऑब्स्टट्रिशन कंसल्टेंट डॉ मनीषा रंजन से बातचीत पर आधारित.

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