रिंग टोन्स के गाने, बनाएं कितने अफसाने

मैं जैसे ही घर में घुसा कि पप्पू की भुनभुनाहट सुनाई दी, ‘‘जमाना कहां से कहां पहुंच रहा है और एक पापा हैं कि वहीं के वहीं अटके हैं. कब से कह रहा हूं कि इस टंडीरे को हटा कर मोबाइल फोन ले लो, पर नहीं, चिपके रहेंगे अपने उन्हीं पुराने बेमतलब, बकवास सिद्धांतों से. मेरे सभी दोस्तों के पापा अपने पास एक से बढ़ कर एक मोबाइल रखते हैं और जाने क्याक्या बताते रहते हैं वे मुझे मोबाइल के बारे में. एक मैं ही हूं जिसे ढंग से मोबाइल आपरेट करना भी नहीं आता.’’

अंदर से अपने लाड़ले का पक्ष लेती हुई श्रीमतीजी की आवाज आई, ‘‘अब घर में कोई चीज हो तब तो बच्चे कुछ सीखेंगे. घर में चीज ही न होगी तो कहां से आएगा उसे आपरेट करना. वह तो शुक्र मना कि मैं थी तो ये 2-4 चीजें घर में दिख रही हैं, वरना ये तो हिमालय पर रहने लायक हैं… न किसी चीज का शौक न तमन्ना…मैं ही जानती हूं किस तरह मैं ने यह गृहस्थी जमाई है. चार चीजें जुटाई हैं.’’

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श्रीमतीजी की आवाज घिसे टेप की तरह एक ही सुर में बजनी शुरू हो उस से पहले ही मैं ने सुनाने के लिए जोर से कहा, ‘‘घर में घुसते ही गरमगरम चाय के बजाय गरमागरम बकवास सुनने को मिलेगी यह जानता तो घर से बाहर ही रहता.’’

श्रीमतीजी दांत भींच कर बोलीं, ‘‘आते ही शुरू हो गया नाटक. जब घर में कोई चीज लेने की बात होती है तो ये घर से बाहर जाने की सोचना शुरू कर देते हैं.’’

मैं कुछ जवाब देता इस से पहले ही अपना पप्पू बोल पड़ा, ‘‘पापा, ये लैंड लाइन फोन आजकल किसी काम के नहीं रहे हैं. आजकल तो सभी कंपनियां बेहद सस्ते दामों पर मोबाइल उपलब्ध करवा रही हैं. आप अब एक मोबाइल फोन ले ही लो.’’

इस तरह मैं श्रीमतीजी और पप्पू के बनाए चक्रव्यूह में ऐसा फंसा कि मुझे मोबाइल फोन लेना ही पड़ा. अब जितनी देर मैं घर में रहता हूं, पप्पू मोबाइल से चिपका रहता है. पता नहीं कहांकहां की न्यूज निकालता, मुझे सुनाता. एसएमएस और गाने तो उस के चलते ही रहते.

यह सबकुछ कुछ दिनों तक तो मुझे भी बड़ा अच्छा लगा था, कहीं भी रहो, कभी भी, कैसे भी, किसी से भी कांटेक्ट  कर लो. पर कुछ ही दिनों में उलझन सी होने लगी. कहीं भी, कभी भी, किसी का भी फोन आ जाता. थोड़ी देर की भी शांति नहीं. सच तो यह है कि मोबाइल पर बजने वाली रिंग टोन मुझे परेशानी में डालने लगी थी.

एक दिन मेरे दफ्तर में एक जरूरी मीटिंग थी कि कंपनी की सेल को कैसे बढ़ाया जाए. सुझाव यह था कि कर्मचारियों के काम के घंटे बढ़ा दिए जाएं और उन्हें कुछ बोनस दे दिया जाए. अभी इस पर बातचीत चल ही रही थी कि मेरा मोबाइल बजा, ‘…बांहों में चले आओ हम से सनम क्या परदा…’

मीटिंग में बैठे लोग मूंछों में हंसी दबा रहे थे और मैं खिसिया रहा था. फोन घर से था. मैं ने फोन सुनने के बजाय स्विच आफ कर दिया. मुझे लगा कि मेरे ऐसा करने से वे समझ जाएंगे कि मैं किसी काम में व्यस्त हूं. पर नहीं, जैसे ही मैं ने सहज होने का असफल प्रयास करते हुए चर्चा शुरू करने की कोशिश की, रिंग टोन फिर से सुनाई पड़ी, ‘…बांहों में चले आओ…’

‘‘सर,’’ मीटिंग में मौजूद एक सज्जन बोले, ‘‘लगता है आज भाभीजी आप को बहुत मिस कर रही हैं. हमें कोई एतराज नहीं अगर इस मीटिंग को हम कल अरेंज कर लें.’’

मैं ने हाथ के इशारे से उन्हें रोकते हुए जल्दी से फोन उठाया और जरा गुस्से से भर कर बोला, ‘‘क्या आफत है, जल्दी बोलो. मैं इस समय एक जरूरी मीटिंग में हूं.’’

‘‘कुछ नहीं. मैं  कह रही थी कि आज शाम को मेरी कुछ सहेलियां आ रही हैं तो आप आते समय बिल्लू चाट भंडार से गरम समोसे लेते आना,’’ श्रीमतीजी गरजते स्वर में बोलीं.

अब मौजूद सदस्यों की व्यंग्यात्मक हंसी के बीच चर्चा आगे बढ़ाने की मेरी इच्छा ही नहीं हुई सो मीटिंग बरखास्त कर दी. घर आ कर मैं ने पप्पू को आड़े हाथों लिया कि मेरे मोबाइल पर फिल्मी गानों की रिंग टोन लेने की जरूरत नहीं है, सीधीसादी कोई रिंग टोन लगा दे, बस. बेटे ने सौरी बोला और चला गया.

अगले दिन मुझे एक गांव में परिवार नियोजन पर भाषण देने जाना था. अपने भाषण से पहले मैं कुछ गांव वालों के बीच बैठा उन्हें  यह समझा रहा था कि ज्यादा बच्चे हों तो व्यक्ति न उन की देखभाल अच्छी तरह से कर सकता है न उन्हें अच्छे स्कूल में पढ़ा सकता है. बच्चे ज्यादा हों तो घर में एक तरह से शोर ही मचता रहता है और अधिक बच्चों का असर घर की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है.

अभी मैं और भी बहुत कुछ कहता कि मेरे मोबाइल की रिंग टोन बज उठी, ‘बच्चे मन के सच्चे, सारे जग की आंख के तारे….’ और इसी के साथ वहां मौजूद सभी गांव वाले खिलखिला कर हंस पड़े. कल ही पप्पू को रिंग टोन बदलने के लिए डांटा था तो वह मुझे इस तरह समझा रहा था कि बच्चों को डांटो मत. इच्छा तो मेरी हुई कि मोबाइल पटक दूं पर खुद पर काबू पाते हुए मैं ने कहा, ‘‘बच्चे 1 या 2 ही अच्छे होते हैं. ज्यादा नहीं,’’ और फोन सुनने लगा.

घर पहुंचने पर मैं ने बेटे को फिर लताड़ा तो वह बिना कुछ बोले ही वहां से हट गया. मेरे साथ दिक्कत यह थी कि मुझे अच्छी तरह से मोबाइल आपरेट करना नहीं आता था. मुझे सिर्फ फोन सुनने व बंद करने का ही ज्ञान था. इसलिए भी रिंग टोन के लिए मुझे बेटे पर ही निर्भर रहना पड़ता था. अब उसे डांटा है तो वह बदल ही देगा यह सोचता हुआ मैं वहां से चला  गया था.

हमारी कंपनी ने मुंबई के बाढ़  पीडि़तों को राहत सामग्री पहुंचाने का जिम्मा लिया था. सामग्री बांटने के दौरान मैं भी वहां मौजूद था जहां वर्षा से परेशान लोग भगवान को कोसते हुए चाह रहे थे कि बारिश बंद हो. तभी मेरे मोबाइल की रिंग टोन पर यह धुन बज उठी, ‘बरखा रानी जरा जम के बरसो…’

यह रिंग टोन सुन कर लोगों के चेहरों पर जो भाव उभरे उसे देख कर मैं फौरन ही अपने सहायक को बाकी का बचा काम सौंप कर वहां से हट गया.

अब की बार मैं ने पप्पू को तगड़ी धमकी दी और डांट की जबरदस्त घुट्टी पिलाई कि अब अगर उस ने सादा रिंग टोन नहीं लगाई तो मैं इस मोबाइल को तोड़ कर फेंक दूंगा.

कुछ दिनों तक सब ठीकठाक चलता रहा. मैं निश्ंिचत हो गया कि अब वह रिंग टोन से बेजा छेड़छाड़ नहीं करेगा.

एक सुबह उठा तो पता चला कि हमारे घर से 2 घर आगे रहने वाले श्यामबाबू का 2 घंटे पहले हृदयगति रुक जाने से देहांत हो गया है. आननफानन में मैं वहां पहुंचा. बेहद गमगीन माहौल था. लोग शोक में डूबे मृतक के परिवार के लोगों को सांत्वना दे रहे थे कि तभी मेरे मोबाइल की रिंग टोन बज उठी, ‘चढ़ती जवानी मेरी चाल मसतानी…’

मैं लोगों की उपहास उड़ाती नजरों से बचते हुए फौरन घर पहुंचा और पहले तो बेटे को बुरी तरह से डांट लगाई फिर वहीं खड़ेखड़े उस से रिंग टोन बदलवाई.

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अब पप्पू ने मेरे मोबाइल से छेड़छाड़ तो बंद कर दी है पर घर में उस ने एक नई तान छेड़ दी है कि अब मुझे भी मोबाइल चाहिए. क्योेंकि मेरे सभी दोस्तों के पास मोबाइल है. सिर्फ एक मैं ही ऐसा हूं जिस के पास मोबाइल नहीं है. मेरे पास अपना मोबाइल होगा तो मैं जो गाना चाहूं अपने मोबाइल की रिंग टोन पर फिट कर सकता हूं.

श्रीमतीजी हर बार की तरह इस बार भी बेटे के पक्ष में हैं और मैं सोच रहा हूं कि मैं तो बिना मोबाइल के ही भला हूं. क्यों न विरासत मेें रिंग टोन के साथ यही मोबाइल बेटे को सौंप दूं.

जेठ की बर्थडे पार्टी में इस बोल्ड लुक में दिखीं प्रियंका चोपड़ा

फिल्मों से दूर प्रियंका चोपड़ा इन दिनों अपने पति निक जोनस के साथ टाइम स्पेंड कर रही हैं. हाल ही में प्रियंका के जेठ जोनस का बर्थडे था जिसमें प्रियंका का ग्लैमरस अंदाज दिखा. इस पार्टी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं. ये पार्टी जेम्स बौन्ड थीम पर बेस्ड थी. जिसमें प्रियंका किसी बौंड गर्ल से कम नहीं लग रही थी.

ऐसा था प्रियंका और निक का लुक…

जो जोनस की बर्थडे पार्टी में प्रियंका अपने पति निक जोनस संग पहुंचीं. लेकिन यहां उन्हें देखकर सब चौंक गए. पार्टी में प्रियंका ब्लैक कलर की शौर्ट ड्रेस में पहुंचीं थी. हाई हील्स और ओपन हेयर प्रियंका के लुक को कौम्पलिमेंट कर रहे थे. प्रियंका पार्टी में पति निक जोनस का हाथ थामे पहुंची थीं. ब्लैक टक्सिडो में निक जोनस भी काफी हैंडसम दिखे.


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इस बौलीवुड फिल्म में आएंगी नजर…

प्रियंका की प्रोफ़ेशनल लाइफ की बात करें तो 3 साल बाद वो बौलीवुड में कमबैक करने जा रही हैं. वो फिल्म ‘द स्काई इज पिंक’ में नजर आएंगी. फिल्म में प्रियंका के साथ फरहान अख्तर और जायरा वसीम लीड रोल में हैं.

प्रियंका की फिल्म को मिला नेशनल अवौर्ड…

हाल ही में प्रियंका चोपड़ा की मराठी प्रौडक्शन फिल्म ‘पाणी’ ने इन्वाइरनमेंट कंजरवेशन कैटगरी में नेशनल अवौर्ड जीता है. बता दें कि पर्पल पेबल पिक्चर्स की शुरुआत प्रियंका चोपड़ा ने की थी. उन्होंने इस प्रौडक्शन हाउस के बैनर तले ‘वेंटिलेटर’, ‘सरवन’, ‘पहुना: द लिटिल विजिटर्स’ और ‘फायरब्रैंड’ जैसी फिल्में प्रोड्यूस की हैं.

 

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I’m so proud to have produced a special film like #Paani. Congratulations to the entire team at @purplepebblepictures @madhumalati @siddharthchopra89 for our second National Award. Big congratulations to @adinathkothare and the entire creative team for bringing this challenging and relevant film to its fruition. My sincere gratitude to the jury for recognising our hard work and awarding #Paani with the ‘Best Feature Film on Environment Conservation’. It has given us further impetus to continue on the path of telling the stories we strongly believe in. #Paani was our humble attempt at using entertainment to bring focus to the seriousness of the water crisis, which is of grave concern the world over. We are so honoured that the film had an impact and that our efforts have been recognised.

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प्रियंका को अवौर्ड मिलने पर निक ने लिखा था ये मैसेज…

निक ने ट्विटर पर प्रियंका को बधाई देते हुए एक प्यारा-सा मेसेज लिखा. निक ने ट्वीट किया, ‘प्रियंका मुझे तुम पर और पूरी @PurplePebblePic टीम पर बहुत गर्व है. ‘पाणी’ फिल्म में शामिल सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई.’

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एडिट बाय- निशा राय

पूल में बहन के साथ कुछ ऐसे एंजौय करती दिखीं श्रीदेवी की छोटी बेटी खुशी कपूर

फिल्म प्रोड्यूसर बोनी कपूर और उनकी छोटी बेटी खुशी कपूर इन दिनों बाली में एक शादी अटेंड करने पहुंचे हैं. शादी के बाद अब सबकी पूल की तस्वीरें सामने आई हैं जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है. शनाया कपूर और खुशी कपूर बाली में एक शादी में हिस्सा लेने पहुंची हुई हैं. दोनों की साथ में ये पूल फोटो खूब वायरल हो रही है. दोनों के चेहरे की खुशी से साफ पता चल रहा है कि दोनों वहां कितना एंजौय कर रहे हैं.

बीच पर दिखा शनाया का हौट अंदाज….

शनाया कपूर की ये फोटो काफी वायरल हो रही है. इस फोटो में शनाया काफी हौट लग रही हैं. तो वहीं खुशी भी सिंपल लुक के खूबसूरत दिखाई दे रही हैं.

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बहन शनाया का भी दिखा ग्लैमरस अवतार…

 

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damn girl ??

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शादी में जहां सभी वेडिंग इन्जौय करते दिखें तो वहीं शनाया कपूर शौट्स और औफ शोल्डर क्रौप टौप में धूप का मजा लेती नजर आई, जिसकी तारीफें सोशल मीडिया पर उनके फैन्स लगातार कर रहे हैं.

इंडियन लुक में खुशी दिखीं खूबसूरत 

खुशी ने शादी में डार्क ब्लू कलर का आउटफिट पहना था जिसमें वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थीं. वन शोल्डर टौप के साथ खुशी के हैवी इयरिंग्स उनके लुक को काफी अट्रैक्टिव बना रहे थे. खुशी के साथ उनकी बहन शनाया कपूर भी मौजूद थीं और वो भी काफी खूबसूरत लग रही थीं.

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इंडियन लुक में फोटोज क्लिक करवातीं दिखीं दोनों बहनें

खुशी और शनाया की बौंडिंग फोटोज में साफ नजर आ रही हैं, जहां एख तरफ हौट लुक में दोनों शनाया और खुशी फोटोज खिचवाती दिंखीं तो वहीं इंडियन लुक में भी फोटोज खिचवानें से पीछे नही रहीं.

‘कार्तिक’ से दूरियों के बीच फिर ‘दुल्हन’ बनीं ‘नायरा’, जानें क्या है मामला

सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में जहां एक तरफ ‘नायरा’ टेन्शन और उदास दिखाई दे रही हैं तो वहीं रियल लाइफ में अपने हाल ही में हुए फोटोशूट से लोगों को खुश करती दिखाई दे रही हैं. हाल ही में जयपुर में एक्ट्रेस शिवांगी जोशी फोटोशूट कराती दिखीं, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं उनके वायरल फोटोज की एक झलक…

जयपुर पहुंचकर खुश दिखीं शिवांगी

शिवांगी जोशी ने जयपुर में अपने मेकअप रूम में पहुंचकर अपने फोटोशूट के लिए तैयार होते हुए कई क्यूट रिएक्शन दिए और साथ ही मेकअप रुम में ही उन्होंने ढेर सारी फोटोज भी क्लिक की.

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हाथों में गुलाब का फूल लिए दिखीं शिवांगी

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शिवांगी जोशी ने चाय का लुत्फ उठाने के बाद गुलाब लेकर जमकर पोज दिए. पीच कलर की साड़ी में शिवांगी किसी रौयल ब्राइड से कम नजर नही आ रही थीं, जिसकी खास फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

ब्राइडल लुक में शिवांगी ने जीता लोगों का दिल

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मांग टीका और गजरे में शिवांगी बेहद खूबसूरत नजर आई. साथ ही इन वायरल फोटोज से अपने फैंस का दिल जीतती हुईं नजर आईं. शिवांगी ने एक ही दिन के अंदर इस फोटोशूट के लिए कौस्ट्यूम्स बदल-बदलकर फोटोज क्लिक करवाई और हर एक साड़ी में शिवांगी की खूबसूरती निखरकर सामने आ रही थी.

रौयल ज्वैलरी में भी दिखीं खूबसूरत

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शिवांगी जोशी का ये साइड प्रोफाइल लुक वाकई में काफी शानदार है. इस तस्वीर में दिख रही शिवांगी की ज्वैलरी पर तो किसी का भी दिल आसानी से आ सकता है.

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बता दें, जहां एक तरफ शिवांगी अपने इस फोटोशूट का लुत्फ उठा रही हैं तो वहीं शो के लेटेस्ट ट्रैक में कायरव के हौस्पिटल में एडमिट होने से शो में सीरियस माहौल चल रहा है, जिसके कारण सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ टीआरपी चार्ट में नंबर वन बन गया है.

ये कहानियां हमारे समाज का आइना है – अमिताभ बच्चन

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की शक्सियत से कोई अछूता नहीं, उन्होंने अभिनय क्षेत्र में एक लम्बी पारी तय की है और आज एक ऐसे मुकाम पर पहुंच चुके है, जहां वे फिल्म, विज्ञापन, टूरिज्म का प्रमोशन या किसी शो को होस्ट करना हो, हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर सबका मन मोह लेते है. उनके जीवन की शुरुआत में ऐसा कतई नहीं था, उन्हें भी कई रिजेक्शन मिले, असफल फिल्में भी रही, फिल्म ‘कुली’ के दौरान उन्हें गंभीर चोट आई, हौस्पिटल में रहे और अब वे लीवर सिरोसिस के शिकार है और 25 प्रतिशत लीवर के साथ काम कर रहे है. इन सबके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज कामयाबी के शिखर पर है. सोनी टीवी पर ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का 11 वें सत्र को उन्होंने बड़ी उत्साह के साथ लौंच कर रिश्तों की अहमियत को बताने की कोशिश की, क्योंकि इस शो में आने वालों के साथ उनका एक अलग रिश्ता जुड़ता है, जिसे वह शो के बाद भी याद करते है. क्या कहते है वे इस बारें में जाने उन्ही से,

सवाल- इस शो में आपको खास क्या लगता है?

मैं पिछले 9 सीजन से इससे जुड़ा हूं और हर साल कुछ नयी चीजों को अपने साथ लेकर जाता हूं. इसमें आये लोगों की जीवनी से मैं बहुत प्रेरित होता हूं और जानता हूं कि किस कठिन घडी से वे निकलकर यहां आते है और जीते हुए धन राशि का सही उपयोग जीवन में करने के लिए लालायित रहते है.

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सवाल- किस बात ने आपकी जिंदगी बदल दी ?

सभी कहानियां प्रेरणा दायक होती है, कोलकाता की एक महिला गरीबों को उठाकर उन्हें घर देती है,जबकि दिल्ली का एक व्यक्ति अनाथ बच्चों को उठाकर आश्रय देते है. बनारस की एक लड़की जो वेश्यालय से उठकर आज आम लोगों के बीच में आकर काम कर रही है. ये दर्दनाक कहानियां हमारे समाज का आइना है. जो हमारे समाज और परिवार को मोटीवेट करती है,जिसे मैं पूरे देश में पहुंचाना चाहता हूं. कुछ लोग इतने भावुक हो जाते है कि वे सामने रोने लगते है. इतना ही नहीं एक असिड अटैक महिला जब मुझतक पहुंची तो मुझे बहुत खुशी हुई. किसी ने सोचा नहीं था कि वह यहां तक पहुंच सकती है, ऐसे प्रोग्राम को करने के बाद रात में मैं इस बारें में सोचता हूं, लिखता हूं और अपने जिंदगी को धन्यवाद देता हूं, क्योंकि ये सब मुझे इस शो से मिला है.

सवाल- रिश्ते जीवन में कितना महत्व रखते है और रिश्तों को बनाए रखना कितना जरुरी है?

रिश्ते बहुत जरुरी है. बहुत बार जो कर्मवीर होते है उनके साथ रिश्तों को लेकर ही बात होती है,क्योंकि उनका सम्बन्ध रिश्तों से ही होता है. गरीब के साथ काम करना हो या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रिश्ता बनाना जिसके साथ कोई रिश्ता बनाने की इच्छा न रखते हो, ये कर्मवीर  सबको परिवार समझते है. कोलकाता की एक महिला जो मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्तियों को सहारा देती है, उसने एक ऐसी ही मानसिक हालत में परेशान व्यक्ति को सहारा दिया था. उस व्यक्ति को सिर्फ एक चाय के अलावा कुछ याद नहीं रहता था. मुस्लिम चाय वाले ने उससे उसका नाम पूछने पर वह बता नहीं पाया और उस चायवाले ने उसका नाम मोहम्मद रख दिया था, लेकिन बाद में कर्मवीर महिला को पता चला कि उसका असली नाम संतोष है. मैंने ऑडियंस में बैठे उस संतोष से जब मिलना चाहा, तो उसने अपना नाम मोहम्मद ही बताया, क्योंकि मोहम्मद नाम के साथ उसकी देखभाल हुई है. आज के युवा अपने माता-पिता को घर से निकाल देते है, ऐसे में ये कर्मवीर लोग उन्हें सहारा और सम्मान देते है, उन्हें ये परिवार समझते है. रिश्ते ही है जो व्यक्ति को ख़ुशी देते है, उन्हें एक दूसरे के साथ जोडकर रखते है.

सवाल- आप अपने आप को इतना फिट कैसे रखते है?

ये मेरा काम है और मुझे ये करने में खुशी होती है. फिटनेस को मैं बनाकर रखता हूं और इस तरह के शो को करने से एनर्जी बढती है, क्योंकि इसमें हमारे आसपास के लोगों की समस्या को जानने और समझने का मौका मिलता है.

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सवाल- आपकी शो को आपका परिवार कितना पसंद करते है?

जया और परिवार के लोग देखते है. वे चर्चा भी करते है. अराध्या भी मुझे टीवी पर देखकर खुश होती है. उसे मुझे बड़े-बड़े पोस्टर पर देखना पसंद है.

किस काम का हिंदू विवाह कानून

उत्तर प्रदेश के इटावा शहर में प्रवीण व नीलम का विवाह 1998 में हुआ जब नीलम 18 साल की थी. दोनों को एक बेटी भी हुई. फिर दोनों के बीच मतभेद खड़े हो गए और वे अलगअलग रहने लगे. तब 2009 में पति ने तलाक का मुकदमा पारिवारिक अदालत में डाला. होना तो यह चाहिए था कि पत्नी की जो भी वजहें रही हों, पति और पत्नी को जबरन ढोए जा रहे संबंधों से कानूनी मुक्ति दिला दी जानी चाहिए थी पर पारिवारिक अदालत ने ऐप्लिकेशन रद्द कर दी.

चूंकि साथ रहना संभव न था, इसलिए पति ने जिला अदालत का दरवाजा खटखटाया. जिला अदालत ने 3 साल इंतजार करा कर 2012 में तलाक मंजूर करने से इनकार कर दिया. नीलम अब 32 साल की हो चुकी थी.

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प्रवीण उच्च न्यायालय पहुंचा. उच्च न्यायालय ने मई, 2013 में तलाक नामंजूर कर दिया, जबकि मामला शुरू हुए 15 साल गुजर चुके थे. दोनों जवानी भूल चुके थे.

प्रवीण अब सुप्रीम कोर्ट आया. समझौता वार्त्ता के दौरान प्रवीण ने क्व10 लाख पत्नी को देने की पेशकश की और क्व3 लाख का फिक्स्ड डिपौजिट करने का प्रस्ताव रखा, पर यह करतेकराते सुप्रीम कोर्ट में 6 साल लग गए.

इस दौरान दोनों पक्षों ने कई मुकदमे शुरू कर दिए. 2009 में गुजारेभत्ते के लिए क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के अंतर्गत जिला अदालत इटावा में एक मुकदमा दायर किया गया. 2009 में ही घरेलू हिंसा का एक और मुकदमा नीलम ने इटावा में दायर किया. एक दहेज के बारे में 2002 में केस दायर किया गया था. एक मामला इटावा में ही इंडियन पीनल कोड की धारा 406 में अमानत में खयानत यानी ब्रीच औफ ट्रस्ट पर दायर किया गया था.

यहां तक कि पति के खिलाफ डकैती तक का मामला दायर किया गया था कि वह 5 जनों के साथ घर लूटने आया था. आंतरिक विवाद जो भी हों विवाह के मामले में इतनी मुकदमेबाजी आज आम हो गई है और इस में पिसती औरत ही है.

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18 साल की लड़की, जिस की शादी 1998 में हुई हो, न जाने कितने सपने ले कर ससुराल आई होगी पर जो भी मतभेद हों, वे अगर हल नहीं होते तो अलग हो कर चाहे तलाकशुदा का तमगा लगाए घूमना पड़े पर 20 साल अदालतों के चक्कर तो नहीं लगाने पड़ने चाहिए.

लाखों की वकीलों की फीस के बदले क्व13 लाख मिले पर क्या ये काफी हैं? क्या यह जवानी की अल्हड़ता फिर आएगी जब बेटी खुद शादी के लायक हो रही है?

यह हिंदू विवाह कानून किस काम का जो औरतों को 20-30 साल इंतजार कराए और बिना तलाक के रखे? यह आतंक तीन तलाक से कम नहीं है, लेकिन हिंदू धर्माधीश इसे सिर पर पगड़ी और माथे पर तिलक मान कर चल रहे हैं.

औरतें उन के पैरों की जूतियां हैं, जो चरणामृत पीती हैं. विवाह तो धर्म के दुकानदारों के हिसाब से संस्कार है. कुंडलियां मिला कर होने वाला विवाह जिस में लड़की की रजामंदी नहीं ली जाती पहले सुधार मांगती है. मुसलिम औरतें कम से कम दासी नहीं हैं, यह निर्णय तो यही कहता है.

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WhatsApp पर जल्द नजर आएगा Instagram का ये खास फीचर

आज व्हाट्सऐप वैसा नहीं है जैसा कि वो शुरुआती दिनों में हुआ करता था. वजह है एक के बाद एक नए फीचर्स का इसमें शामिल होते जाना और इसकी शुरुआत तब हुई जब फेसबुक ने व्हाट्सऐप को 16 बिलियन डौलर में खरीद लिया. इसी कड़ी में अब व्हाट्सऐप एक और बड़ा फीचर खुद में शामिल करने जा रहा है.

ये फीचर नजर आएगा व्हाट्सऐप पर

इस नए फीचर का नाम है बूमरैंग और ये लंबे समय से इंस्टाग्राम पर मौजूद रहा है. अगर आप इस फीचर से अनजान हैं तो बता दें कि इसके जरिए यूजर्स लूप वीडियो बनाते हैं. ये वीडियो चंद सेकेंड्स का होता है. जो कि शुरू से अंत और फिर अंत से शुरु तक कई बार प्ले होता है. खबरें ये भी आई हैं कि इस फीचर पर काम चल रहा है और सबसे पहले ये फीचर आईफोन यूजर्स को मिलेगा.

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आईओएस के बाद एंड्रौयड यूजर्स

आईओएस यूजर्स के बाद इसे जल्द एंड्रौयड यूजर्स के लिए भी जारी कर दिया जाएगा. बूमरैंग नाम का ये फीचर फोटो वीडियो शेयरिंग ऐप इंस्टाग्राम पर सबसे पहले जारी किया गया था. इंस्टाग्राम भी फेसबुक के स्वामित्व वाली ऐप है. बता दें कि इस फीचर को आप गूगल प्ले स्टोर से ‘बूमरैंग’ नाम की ऐप को डाउनलोड करके भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा ये आपको इंस्टाग्राम ऐप के कैमरा में जाकर तो मिल ही जाएगा. इस फीचर को ट्विटर वाइन से मुकाबले के लिए उतारा गया था. यह छह सेकेंड के वीडियो लूप्स बनाने में मदद करता है.

ऐसे कर पाएंगे इस्तेमाल

इस फीचर की जानकारी सबसे पहले WABetaInfo द्वारा जारी की गई थी. व्हाट्सऐप पर आने वाले तमाम नए फीचर्स की जानकारी पाने का ये सबसे भरोसेमंद स्त्रोत है. जानकारी मिली है कि ये फीचर वीडियो टाइप पैनल के जरिए मिलेगा. इसका मतलब है कि इस फीचर को आप वहीं पाएंगे जहां अभी आपको किसी भी वीडियो को शेयर करते वक्त वीडियो को GIF में बदलने का विकल्प मिलता है. इसे आप अपने व्हाट्सऐप कौन्टैक्ट के साथ-साथ स्टेटस में भी लगा पाएंगे. ध्यान रहे कि लूप वीडियो बनाने के लिए आपकी क्लिप की समस सीमा 7 सेकेंड से कम होनी चाहिए.

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इंस्टाग्राम ने अक्टूबर 2015 में बूमरैंग ऐप को पेश किया था. इसके बाद 2016 में इसे इंस्टाग्राम स्टोरी में जोड़ा गया. मालूम हो कि इस महीने सामने आने वाला ये दूसरा नया फीचर है. इससे पहले इस महीने की शुरुआत में व्हाट्सऐप ने अपने एंड्रौयड और आईओएस ऐप के लिए Frequently Forwarded मैसेज का लेबल रोलआउट किया था. इससे यूजर्स जान पाते हैं कि उन्हें मिला मैसेज 5 बार से ज्यादा बार फौरवर्ड किया गया है.

6 टिप्स: ऐसे करें न्यू बौर्न बेबी की सुरक्षित देखभाल

बच्चे की सुरक्षा की बात करें, तो यह शब्द हर माता-पिता की लिस्ट में सबसे पहले नंबर पर आता है, अब सुरक्षा किस चीज से और कैसे है, यह अलग-अलग अवस्था पर निर्भर करता है. दुनिया के सभी माता-पिता अपने बच्चे के लिए बेहतर से बेहतर उत्पाद चाहते हैं, चाहे वो खिलौने हों, कपड़े हों या फिर बेबी केयर प्रोडक्ट्स ही क्यों न हों. लेकिन आज के समय वे कैमिकल युक्त मौजूदा बेबी केयर उत्पादों को उपयोग करते हुए डरते हैं और उसे लेने से पहले दस बार सोचते हैं कि क्या ये हमारे बच्चे के लिए सुरक्षित हैं.

ऐसा ही कुछ वरूण और गजल के साथ भी हुआ, जिन्होंने मार्केट में मौजूद बेबी केयर उत्पादों पर गहराई से रिसर्च किया और शिशु के लिए मौजूद लोशन, शैम्पू, पाउडर आदि में भरपूर टॉक्सिन को पाया जो शिशु के लिए हानिकारक होते हैं. इसे देख दोनों को अपने बच्चे के साथ उन तमाम बच्चों की चिंता होने लगी जिन्हें ये जानते थे और तब इन्होंने इन बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को देखते हुए ऐसे बेबी केयर प्रोडक्ट्स बनाने का फैसला किया जो पूरी तरह से सुरक्षित और टौक्सिन फ्री हैं और इस तरह से ममाअर्थ का जन्म हुआ.

ममाअर्थ हर अभिभावक का एक ऐसा साथी है, जो आपको समझता है, आपकी परेशानियों को जानता है और उन्हें हल करने का प्रयास करता है. इसलिए आप हम पर भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि हम आपके बच्चे की फिक्र करते हैं.

ममाअर्थ एक ऐसा ब्रांड है, जो शिशुओं के लिए स्वस्थ और सुरक्षित उत्पाद बनाता है और प्रत्येक अभिभावक की उम्मीदों पर खरा उतरता है, जो अपने बच्चे की देखभाल के लिए कुछ खास व सुरक्षित चाहते हैं वो हम विश्वास करते हैं.

1. क्यों है खास

ममा अर्थ आपके बच्चे के लिए सुरक्षित, प्राकृतिक रूप से तैयार किए गए उत्पाद बनाता है, जो 8000+टौक्सिन मुक्त हैं और सिलिकॉन, पराबेन, खनिज तेल, रंगों और कृत्रिम सुगंध जैसे हानिकारक रसायनों से पूरी तरह मुक्त हैं.

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ममाअर्थ की शुरूआत 5 मेड सेफ सर्टिफाइड बेबी प्रोडक्ट्स के साथ हुई थी, लेकिन आज हमारे 65 से अधिक उत्पाद हैं, जिनमें से 23 बेबी केयर रेंज हैं. हमारे उत्पाद आपके बच्चे का पूरी तरह से ख्याल रखते हैं. आप अपने शिशु के लिए स्किन, बाल या ओरल से जुड़े कोई भी उत्पाद चुन सकते हैं. हमें उम्मीद है कि इनके इस्तेमाल के बाद आप निराश नहीं होंगे.

2. माइल्ड हो साबुन

शिशु के लिए साबुन ऐसा होना चाहिए, जो स्किन को शुष्क नहीं बल्कि उसे साफ करने के साथ मौइश्चराइज भी करे और ममाअर्थ मौइश्चराइजिंग बाथिंग बार में वे सारे गुण हैं, जो आपके शिशु के साबुन में होने चाहिए. बकरी के दूध, दलिया और शिया बटर से बने साबुन में भरपूर नमी है, जो सिर से पैर तक के लिए सुरक्षित है. इससे नहाने के बाद आपके बच्चे की स्किन रूई जैसी कोमल बन जाएगी.

3. मुलायम स्किन के लिए

टैल्क-फ्री डस्टिंग पाउडर, ऐसा पाउडर है, जो फेफड़ों के काम को बंद नहीं होने देता क्योंकि इस डस्टिंग पाउडर में आरारोट और ओटमील पाउडर होता है, जो स्किन को शुष्क और चिकना बनाए रखने में मदद करता है. कैमोमाइल स्किन की समस्याओं को ठीक करता है. इस पाउडर की खास बात है कि यह रसोई में मौजूद सामग्री से बनाया गया है.

4. बैक्टीरिया को करें खत्म

बच्चों के कपड़े धोने के लिए ममाअर्थ डिटर्जेन्ट पाउडर ही इस्तेमाल करें क्योंकि इसमें प्राकृतिक तत्व और बायो-एंजाइम हैं, जो गंदगी और तेल को निकालते हैं. बैक्टीरिया को जड़ से खत्म करते हैं और प्लांट-बेस्ड सर्फेक्टेंट दाग को बड़े ही आराम से निकाल देते हैं और यह बच्चे के कपड़े और स्किन के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है. इसलिए जिद्दी दाग के बारे में नहीं, बल्कि अपने बच्चे को खाना खिलाने पर ध्यान दीजिए.

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5. स्किन रहे सुरक्षित

मच्छर पसीने की गंध से आकर्षित होते हैं और मच्छरों से बचने का एकमात्र तरीका है पसीने की गंध को छिपाना. ममाअर्थ बच्चों को मच्छरों से बचाने में सक्षम है. आप चाहे तो फैब्रिक रोल औन को कपड़ों या बच्चों के प्रैम पर लगाएं या उनके कपड़ों पर पैच चिपकाएं जो पूरी तरह से सुरक्षित हैं और डीट फ्री है. मच्छर भगाने वाले स्प्रे में नीलगिरी तेल है, जो एक प्राकृतिक मौइश्चराइजिंग एजेंट है, जो स्किन को पोषण देता है.

6. दर्द में तुरंत आराम

हींग तेल शिशुओं को आसानी से गैस पास करने में मदद करता है. यह पेट में दर्द और बेचैनी से राहत दिलाता है. इसमें मौजूद सौंफ का तेल, पेपरमिंट तेल, अदरक का तेल और डिल सीड तेल का विशेष मिश्रण पेट के दर्द और सूजन से राहत देता है. यह ईजी टमी रोल औन 1.5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए है, अगर बच्चे के पेट में दर्द है, तो उसे रोकने के लिए हर बार कुछ खिलाने के बाद इसे देना चाहिए.

स्टैपनी बन कर क्यों रह गई सास

काम से लौटी महिला बोझिल व असहाय होती है. उस के लिए तुरंत कोई भी अप्रिय स्थिति झेलना या घरेलू कार्य करना संभव नहीं होता. ऐसी परिस्थिति में परिवार चाहे संयुक्त हो या एकल, जहां सारी अपेक्षाएं सिर्फ उसी से रखी जाती हैं, वहां तनाव बढ़ता जाता है.

कामकाजी महिलाओं का लगभग एकतिहाई हिस्सा ‘लाइफ स्टाइल डिजीज’ की चपेट में है. एक सर्वे के अनुसार 20-40 साल तक की उम्र की महिलाओं में ‘लाइफ स्टाइल डिजीज’ का खतरा सब से अधिक रहता है. समय रहते इस पर ध्यान न देने से यह गंभीर परेशानी खड़ी कर सकता है. डिप्रैशन, मोटापा, ब्लडप्रैशर, डाइबिटीज जैसी समस्याएं लाइफ स्टाइल डिजीज के अंर्तगत आती हैं, जो कामकाजी महिलाओं में अंदरबाहर की जिम्मेदारियों के कारण उपजे भीषण तनाव से पैदा होती हैं.

पिछली पीढ़ी की कामकाजी महिलाएं

वे बड़े परिवारों में बड़ी होती थीं और बड़े परिवारों में ब्याह दी जाती थीं. संयुक्त परिवारों की सहीगलत, अच्छीबुरी, पसंदनापसंद परंपराएं अपनातीं, निभातीं ये महिलाएं संयुक्त परिवारों में अनेक रिश्तों को निभाने की जिम्मेदारियां भी निभातीं और किसी तरह सब को खुश रख कर अपनी नौकरी बचाए रखने की जद्दोजहद में भी लगी रहती थीं.

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उन के खुद के कमाए पैसे पर भले ही उन का हक न होता था और उन्हें उस का मानसम्मान व आत्मविश्वास प्राप्त न हो पाता था पर उन पर सब का हक होता था. उन का नौकरी करना उन की खुद की समस्या थी, उन के परिवार की नहीं. उन्हें सब के प्रति अपने कर्तव्य पालन में हर वक्त खड़े रहना पड़ता था. अगर उन्हें एक अच्छा खुशहाल जीवन जीना होता था तो उन्हें एक अच्छी पत्नी, मां, बहू, भाभी, हर भूमिका मुस्तैदी से निभानी पड़ती. उन के नौकरी करने में पति का सहयोग न के बराबर होता था.

संयुक्त परिवारों की जिम्मेदारियां पूरी करने के बावजूद और पति का सहयोग न के बराबर मिलने के बावजूद अपने परिश्रम की कमाई को ये महिलाएं अपने ढंग से खर्च भी नहीं कर पाती थीं. कमाती वे थीं पर हिसाब पति के पास रहता था.

घर की जिम्मेदारियों के अलावा मामूली कठिनाइयों के लिए भी उन्हें अवकाश लेने के लिए मजबूर किया जाता था. इन सब का असर उन की कार्यक्षमता पर पड़ता था. जरूरत पड़ने पर औनलाइन जरूरत का सामान मंगाने जैसी सुविधा तब उन के पास नहीं थी. किचन में भी इतने सुविधाजनक उपकरण नहीं होते थे, जबकि संयुक्त परिवारों में बेहिसाब काम होते थे.

नई पीढ़ी की कामकाजी महिलाएं

महिलाओं में बदलाव है. आज अगर पतिपत्नी अपनी अलग गृहस्थी बसा कर रह रहे हैं तो पति अपनी पत्नी को पूरा सहयोग दे रहे हैं. फिर चाहे वह किचन संबंधी कार्य हो या बच्चों के लालनपालन की बात हो. कामकाजी महिलाओं की दोहरी जिम्मेदारियां पूरी तरह से खत्म नहीं होती हैं, क्योंकि बच्चे अकसर समय मिलने पर मां से ही चिपकते हैं और उम्मीद करते हैं. घर के भी कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिन्हें एक महिला ही सही तरीके से अंजाम दे पाती है. फिर भी कुछ दकियानूसी परिवारों की बात छोड़ दी जाए तो आज वह संतोषजनक स्थिति में है.

जरूरत पड़ने पर बाहर से खाना और्डर करने का चलन चल पड़ा है. हर जरूरत की वस्तु के लिए औनलाइन शौपिंग जैसी सुविधा भी है. जो कामकाजी युवतियां संयुक्त परिवारों में रह रही

हैं, वहां अमूमन बहुओं की नहीं, बल्कि सासों की मुश्किल है. परिवार के नाम पर अब सासससुर ही रह गए हैं और आज की इस शिक्षित सास का रोल आज के संयुक्त परिवार में बहुत बदल गया है.

एक तरह से आज की पीढ़ी की यह सास स्टैपनी ही नहीं रह गई है. इस ने अपने समय के संयुक्त बड़े परिवार भी निभाए. बहुतों ने नौकरियां भी कीं. नौकरी के साथसाथ गृहस्थी भी संभाली. फिर अपनी संभाली और अब अगर बहूबेटे साथ हैं तो उन की गृहस्थी भी संभाल रही हैं. इसलिए आज बहू से उम्मीद कम और सासों से ज्यादा हो गई है.

जो कामकाजी महिलाएं सासससुर के साथ रहती हैं वे अपने सासससुर से अपनी गृहस्थी व बच्चों के लालनपालन में उन का सहयोग तो चाहती हैं पर जहां तक उन के पैसे की बात आती है, उन की सोच एक आम गृहिणी जैसी हो जाती है कि पति का पैसा तो सब का पर उन का पैसा सिर्फ उन का.

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वे चाहती हैं कि अपने कमाए पैसे का वे खुद जैसे चाहें इस्तेमाल करें. चाहे अपने मातापिता या भाईबहन पर खर्च करें या अपने कपड़ेजेवरों पर, पति या परिवारजन को इस में बोलने का कोई अधिकार न हो. जहां तक पति की कमाई की बात है उसी पर दूसरों का अधिकार हो और सब से ज्यादा अधिकार उस का खुद का हो. पति बिना उस की इजाजत लिए अपने भाईबहन या मातापिता पर भी अपनी कमाई नहीं खर्च कर सकता.

फर्ज और अधिकार में फर्क

सासससुर का फर्ज तो उसे याद रहता है पर अपनी कमाई पर सासससुर का थोड़ा सा अधिकार भी वह सपने में भी नहीं सोच सकती. उन का थोड़ाबहुत अधिकार है तो सिर्फ अपने  बेटे की कमाई पर. जिन युवतियों की यह मानसिकता है, उन्हें समझना चाहिए कि यदि वे अपनी नौकरी बचाए रखने के लिए दूसरों का सहयोग चाहती हैं तो उन की कमाई पर भी उन के पति की कमाई की तरह ही सब का हक होगा, क्योंकि यह ‘गिव ऐंड टेक’ जैसी बात है. अगर वे किसी रूप में भी परिवारजनों का सहयोग करेंगी और साथ ही अपना मधुर व्यवहार भी बनाए रखेंगी, तभी वे दूसरों से भी सहयोग की उम्मीद कर सकती हैं.

कुछ युवतियों का तो यह आलम है कि वे कहने को तो कामकाजी हैं पर उन की नौकरी इस लायक नहीं होती कि पति या परिवार को बहुत अधिक आर्थिक मदद कर सकें, लेकिन अपनी इस नौकरी के पीछे वे अपने पूरे परिवार को परेशान किए रहती हैं. खास तौर पर सास को न उन से आर्थिक सहयोग ही मिलता है, न घर ही ठीक से संभलता है कि पति निश्ंिचत हो कर अपनी नौकरी कर सके.

आज की युवा पीढ़ी की अधिकतर कामकाजी युवतियों को सास के कर्तव्य तो याद रहते हैं पर अपने सारे कर्तव्य भूल जाती हैं. वे सास से मां जैसे व्यवहार व ससुराल में मायके जैसे अधिकार व व्यवहार की अपेक्षा तो रखती हैं पर स्वयं बेटी जैसे कर्त्तव्य व प्यार देने की बात भूल जाती हैं.

पिछले कुछ समय से सारे उपदेश सासों को ही दिए जा रहे हैं कि सिर्फ सास के ही कर्त्तव्य हैं. यह सोच कर अपनी गृहस्थी सास के भरोसे छोड़ने का समय अब नहीं रहा. सही तो यही है कि पतिपत्नी ही मिल कर अपनी गृहस्थी सुचारु रूप से चलाएं. सासससुर ने पूरी जिंदगी संघर्ष कर, अब थोड़ा विराम पाया है, इसलिए उन्हें भी अपनी अभिरुचियों के साथ जिंदगी जीने दें. उन से बस थोड़ेबहुत सहयोग की ही अपेक्षा रखें जितना वे दे सकते हैं. उन्हें जिम्मेदारियों से न लादें.

कैसी हो कामकाजी महिलाओं की जीवनशैली

कामकाजी महिलाएं चाहे आज की हों या पिछली पीढ़ी की, इस में दोराय नहीं कि उन के जीवन के कुछ साल बहुत तनाव में गुजरते हैं जब तक उन के बच्चे छोटे होते हैं. दोहरी जिम्मेदारियों के बोझ के चलते तनाव व अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से घिर चुकी कामकाजी महिलाओं को अब अपने लिए समय निकालने की जरूरत है. जिन घरों में पति या अन्य परिजन कामकाज में हाथ बंटाते हैं, उन घरों में महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर पाया जाता है. पर इस के लिए कामकाजी महिलाओं का व्यवहार व स्वभाव स्वयं उत्तरदायी है.

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अगर घर में दिन में काम कराने हैं तो सास कराएगी. बच्चों को स्कूल से लाना है तो सास लाएगी. मेड से निबटना है तो सास निबटेगी. घर की सफाई, पुताई कराई है तो जिम्मा सास के सिर पर. बहुत मामलों में मिल्कीयत तो सासससुर की होती है पर उपयोग बेटेबहू करते हैं और रखरखाव का काम सासससुर पर छोड़ दिया जाता है वह भी बहू की सलाह पर जो सलाह कम आदेश ज्यादा होती है. बच्चे बीमार हों तो रातभर सास ही अस्पताल में बैठी नजर आएंगी. सास को बारबार कह दिया जाता है कि आई लव यू मौम, पर असल लव तो अपनी मां पर टपकता है सास पर नहीं. सासदामाद का रिश्ता तो शानदार है पर सासबहू में सास बेचारी स्टैप्नी है, 5वां पहिया जो घिसापिटा होता है.

पाना चाहते हैं गुलाबी स्किन तो ट्राय करें अनार का ये टोनर

टोनर नेचुरल तरीके से पोर्स को खोलने का काम करता है. आप घर बैठे भी टोनर बना सकती हैं .जिसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसके लिए बहुत बड़ी कीमत नहीं चुकानी पड़ती है और इसका कोई साइड-इफेक्ट भी नहीं होता. ये टोनर आपके चेहरे को हाईड्रेटेड रखता है और पोषण भी प्रदान करता है जिससे आपकी स्किन की समस्याएं कम हो जाती है. आज की अस्त-व्यस्त जीवन शैली में छोटी छोटी बातें हमारी स्किन पर भी बहुत खूब प्रभाव डालती हैं खराब खाने की आदतें प्रदूषण धूल भुट्टे के कारण चेहरे की स्किन पर पिंपल्स दाग धब्बे मुंहासे जैसी परेशानियां जन्म लेने लगती हैं इन से निजात पाने के लिए हम लोग केमिकल ब्यूटी प्रोडक्ट्स का सहारा लेने लगते हैं यह शुरू शुरू में तो फायदा करते हैं लेकिन बाद में इनका भी स्किन पर बुरा प्रभाव पड़ता है. एक बार अनार से बने टोनर का प्रयोग करके देखें आप बाजार के टोनर को भूल जाएंगी.इस टोनर में एंटीऔक्सीडेंट होता है जो स्किन को पुनर्जिवित कर देता है और मुलायम बनाने में भी मदद करता है.

अनार टोनर के हैं कईं फायदें

अनार में विटामिन-सी ,एंटी-एजिंग होता है जो बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करता हैं. अनार में मौजूद एंटीऔक्सीडेंट स्किन की कई समस्या जैसे- सूजन, जलन, खुजली और लालीपन और स्किन के दाग-धब्बों को भी कम करते हैं. अपने प्राकृतिक गुणों के कारण यह स्किन की रंगत को भी निखारता है और स्किन के कोलेजेन को बूस्ट करता है जिससे स्किन में लचीलापन  बढ़ता है.

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हमें चाहिए

1/2 अनार

1/2 कप पानी

1 ग्रीन-टी बैग

1 चम्मच गुलाब जल

ऐसे बनाएं

एक बर्तन में  थोड़ी देर पानी  उबलने दें फिर उसमें ग्रीन-टी बैग डालें और 2 मिनट के लिए छोड़ दें. अब इसे ठंडा होने के बाद टी-बैग को निकालें व ठंडा होने दें. बाद में गुलाब जल डालें और अच्छी तरह से मिलाएं. अब अनार का जूस निकालें और उसे  मिलाये व अच्छी तरह मिक्स करें .  इस मिश्रण को स्प्रे बोतल में भर लें.

ऐसे करें इस्तेमाल:

इस टोनर को रूई से या फिर  इसे अपने चेहरे और गर्दन पर सिर्फ स्प्रे करें और फिर हल्के हाथों से मसाज करें और सूखने के लिए छोड़ दें.

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