घनी भौहें पाने के लिए बेहद फायदेमंद हैं ये 4 घरेलू टिप्स

आपकी भौंहें के बाल बहुत कम है या देखने में काफी पतले लगते है. तो इसमें आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कई बार गलत खानपान, हार्मोनल असंतुलन के कारण आईब्रोज की ग्रोथ काफी हद तक रूक जाती है.

तो चलिए आज आपको कुछ घरेलू टिप्स बताएंगे जिससे आप अपना कर घनी भौहें पा सकती हैं.

  1. नींबू और नारियल तेल के इस्तेमाल से

नींबू के छिलके और नारियल तेल का एक मिश्रण तैयार करें. इस मिश्रण को भौंहों पर रातभर लगाकर छोड़ दीजिए. इस मिश्रण को नियमित रूप से इस्तेमाल करने पर भौंहें घनी हो जाती हैं.

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2. ऐलोवेरा के इस्तेमाल से

ऐलोवेरा की एक पत्ती ले लें. इसे छिलकर उसके बीच से गूदा बाहर निकाल लें. इससे अपनी आईब्रोज पर कुछ देर तक मलें. ऐलोवेरा में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो आईब्रोज की बालों की ग्रोथ बढ़ाएंगे.

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3. दूध के इस्तेमाल से

अगर आपकी भौंहें हल्की हैं तो आप रोज रात को सोने से पहले कच्चे दूध का इस्तेमाल कर सकती हैं. सोने से पहले रूई के फाहे को दूध में डुबोकर आईब्रोज के आस-पास हल्के हाथों से लगाएं. इससे भौंहों की जड़ों को पोषण मिलता है, जिससे वो तेजी से बढ़ती हैं.

4. मेथी के दानों की इस्तेमाल से

मेथी के दानों को कुछ देर भिंगोकर रख दीजिए और उसके बाद उन्हें पीस लीजिए. आप चाहें तो मेथी के सूखे दानों को भी पीसकर पाउडर बना सकती हैं. इस पाउडर में बादाम का तेल मिलाकर आईब्रोज पर लगाकर छोड़ दें. इससे आईब्रोज की ग्रोथ तो बढ़ेगी ही साथ ही उन्हें पोषण भी मिलेगा.

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इन चीजों को खाना शुरू कर दें, दूर होंगी ब्रेस्ट की समस्याएं

आज के समय में महिलाओं को ब्रेस्ट से जुड़ी बहुत सी परेशानियां सामने आने लगी हैं. इनसे बचने के लिए उन्हें बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. इसमें खास खानपान, दिनचर्या जैसी चीजें शामिल हैं.

आज हम बताएंगे आपको कि आप अपने ब्रेस्ट की देखभाल के लिए क्या जरूरी कदम उठा सकती हैं. सबसे पहले आपको ओइस्‍ट्रोजेन और प्रोजेस्‍ट्रौन हार्मोन का लेवल चेक करवाना होगा.

आपको बता दें कि हेल्‍दी ब्रेस्‍ट के लिये इन दोंनो हार्मोन्‍स का बैलेंस होना काफी जरुरी है. यदि आपके शरीर में टेस्‍टोस्‍ट्रौन का लेवल ज्‍यादा है तो आपको एस्ट्रोजन का भी लेवल बढ़ाना होगा. अब इसके लिये आपको ऐसे खाद्य पदार्थ खाने होंगे जिससे आपका एस्ट्रोजन लेवल बढ़ सकें.

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हरी पत्‍तेदार सब्‍जियों में फाईटोस्ट्रोजेन प्रचूर मात्रा में पाई जाती हैं. इनके अलावा आपको यह जड़ी बूटियों, मेथी के दानों तथा स्‍प्राउट्स में मिल सकते हैं. अगर आपको चिकन आदि खाना पसंद है तो उन्‍हें बेशक अपनी डाइट में शामिल करें क्‍योंकि इनसे भी आपको एस्ट्रोजन प्राप्‍त होता है.

foods for healthy breast

ब्रेस्ट सेल्स को पोषण प्रदान करने के लिए जरूरी है कि आपके खाने में वो चीजें प्रमुखता से हों जिनमें एंटीऔक्सीडेंट पाए जाते हैं. ऐसे खाद्यों से आप ब्रेस्ट कैंसर से बच सकती हैं. ऐसे फूड में बैरीज़, आडू, प्लम, ब्रोकोली, अखरोट, जैतून का तेल, मछली, अजवायन और सेम आदि हैं.

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रिसर्च से पता चला है कि अगर ऐसे खाद्य पदार्थों को महिलाओं की डाइट में शामिल किया जाए और व्‍यायाम को दिनचर्या का हिस्‍सा बना दिया जाए तो वह ब्रेस्‍ट कैंसर से सदा के लिये बची रह सकती हैं.

posted by Shubham

अफवाह के चक्कर में

जैसे ही बड़े साहब के कमरे में छोटे साहब दाखिल हुए, बड़े साहब हत्थे से उखड़ पड़े, ‘‘इस दीवाली पर प्रदेश में 2 अरब की मिठाई बिक गई, आप लोगों ने व्यापार कर वसूलने की कोई व्यवस्था ही नहीं की. करोड़ों रुपए का राजस्व मारा गया और आप सोते ही रह गए. यह देखिए अखबार में क्या निकला है? नुकसान हुआ सो हुआ ही, महकमे की बदनामी कितनी हुई? पता नहीं आप जैसे अफीमची अफसरों से इस मुल्क को कब छुटकारा मिलेगा?’’

बड़े साहब की दहाड़ सुन कर स्टेनो भी सहम गई. उस के हाथ टाइप करते-करते एकाएक रुक गए. उस ने अपनी लटें संभालते हुए कनखियों से छोटे साहब के चेहरे की ओर देखा, वह पसीनेपसीने हुए जा रहे थे. बड़े साहब द्वारा फेंके गए अखबार को उठा कर बड़े सलीके से सहेजते हुए बोले, ‘‘वह…क्या है सर? हम लोग उस से बड़ी कमाई के चक्कर में पड़े हुए?थे…’’

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उनकी बात अभी आधी ही हुई थी कि बड़े साहब ने फिर जोरदार डांट पिलाई, ‘‘मुल्क चाहे अमेरिका की तरह पाताल में चला जाए. आप से कोई मतलब नहीं. आप को सिर्फ अपनी जेबें और अपने घर भरने से मतलब है. अरे, मैं पूछता हूं यह घूसखोरी आप को कहां तक ले जाएगी? जिस सरकार का नमक खाते हैं उस के प्रति आप का, कोई फर्ज बनता है कि नहीं?’’

यह कहते-कहते वह स्टेनो की तरफ मुखातिब हो गए, ‘‘अरे, मैडम, आप इधर क्या सुनने लगीं, आप रिपोर्ट टाइप कीजिए, आज वह शासन को जानी है.’’

वह सहमी हुई फिर टाइप शुरू करना ही चाहती थी कि बिजली गुल हो गई. छोटे साहब और स्टेनो दोनों ने ही अंधेरे का फायदा उठाते हुए राहत की कुछ सांसें ले डालीं. पर यह आराम बहुत छोटा सा ही निकला. बिजली वालों की गलती से इस बार बिजली तुरंत ही आ गई.

‘‘सर, बात ऐसी नहीं थी, जैसी आप सोच बैठे. बात यह थी…’’ छोटे साहब ने हकलाते हुए अपनी बात पूरी की.

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‘‘फिर कैसी बात थी? बोलिए… बोलिए…’’ बड़े साहब ने गुस्से में आंखें मटकाईं. स्टेनो ने अपनी हंसी को रोकने के लिए दांतों से होंठ काट लिए, तब जा कर हंसी पर कंट्रोल कर पाई.

‘‘सर, हम लोग यह सोच रहे थे कि मिठाई की बिक्री तो 1-2 दिन की थी, जबकि फल और सब्जियों की बिक्री रोज होती है, पापी पेट भरने के लिए सब्जियां खरीदा जाना आम जनता की विवशता है. तो क्यों न उस पर…’’

इतना सुनना था कि बड़े साहब की आंखों में चमक आ गई, वह खुशी से उछल पडे़, ‘‘अरे, वाह, मेरे सोने के शेर. यह बात पहले क्यों नहीं बताई? अब आप बैठ जाइए, मेरी एक चाय पी कर ही यहां से जाएंगे,’’ कहतेकहते फिर स्टेनो की तरफ मुड़े, ‘‘मैडम, जो रिपोर्ट आप टाइप कर रही? थीं, उसे फाड़ दीजिए. अब नया डिक्टेशन देना पड़ेगा. ऐसा कीजिए, चाय का आर्डर दीजिए और आप भी हमारे साथ चाय पीएंगी.’’

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अगले दिन से शहर में सब्जियों पर कर लगाने की सूचना घोषित कर दी गई और उस के अगले दिन से धड़ाधड़ छापे पड़ने लगे. अमुक के फ्रिज से 9 किलो टमाटर निकले, अमुक के यहां 5 किलो भिंडियां बरामद हुईं. एक महिला 7 किलो शिमलामिर्च के साथ पकड़ी गई?थी, पर 2 किलो के बदले में उसे छोड़ दिया. जब आईजी से इस बाबत बात की गई तो पता चला कि वह सब्जी बेचने वाली थी, उस ने लाइसेंस के लिए केंद्रीय कार्यालय में अरजी दी हुई है. शहर में सब्जी वालों के कोहराम के बावजूद अच्छा राजस्व आने लगा. बड़े साहब फूले नहीं समा रहे थे.

एक दिन बड़े साहब सपरिवार आउटिंग पर थे. औफिस में सूचना भेज दी थी कि कोई पूछे तो मीटिंग में जाने की बात कह दी जाए. छोटे साहब और स्टेनो, दोनों की तो जैसे लाटरी लग गई. उस दिन सिवा चायनाश्ते के कोई काम ही नहीं करना पड़ा. अभी हंसीमजाक शुरू ही हुआ था कि चपरासी ने उन्हें यह कह कर डिस्टर्ब कर दिया कि कोई मिलने आया है.

छोटे साहब ने कहा, ‘‘मैं देख कर आता हूं,’’ बाहर देखा तो एक नौजवान अच्छे सूट और टाई में सलाम मारता मिला. उसे कोई अधिकारी जान छोटे साहब ने अंदर आने का निमंत्रण दे डाला. उस ने हिचकिचाते हुए अपना परिचय दिया, ‘‘मैं छोटा-मोटा सब्जी का आढ़ती हूं. इधर से गुजर रहा था तो सोचा क्यों न सलाम करता चलूं,’’ यह कहते हुए वह स्टेनो की ओर मुखातिब हुआ, ‘‘मैडम, यह 1 किलो सोयामेथी आप के लिए?है और ये 6 गोभी के फूल और 2 गड्डी धनिया, छोटे साहब आप के लिए.’’

छोटे साहब ने इधरउधर देखा और पूछा, ‘‘बड़े साहब के लिए?’’

उस ने दबी जबान से बताया, ‘‘एक पेटी टमाटर उन के घर पहुंचा आया हूं.’’

बड़े साहब की रिपोर्ट शासन से होती हुई जब अमेरिका पहुंची तो वहां के नए राष्ट्रपति ने ऐलान किया कि अगर लोग हिंदुस्तान की सब्जी मार्किट में इनवेस्ट करना शुरू कर दें तो वहां के स्टाक मार्किट में आए भूचाल को समाप्त किया जा सकता है.

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एक अखबार ने हिंदुस्तान की फुजूलखर्ची पर अफसोस जताते हुए खबर छापी, ‘‘अगर चंद्रयान के प्रक्षेपण पर खर्च किए धन को सब्जी मार्किट में लगा दिया जाता तो उस के फायदे से लेहमैन जैसी 100 कंपनियां खरीदी जा सकती थीं.’’

जैसे आयकर के छापे पड़ने से बड़े लोगों के सम्मान में चार चांद लगते हैं, बड़ेबड़े घोटालों के संदर्भ में छापे पड़ने से राजनीतिबाज गर्व का अनुभव करते हैं, आपराधिक मुकदमों की संख्या देख कर चुनावी टिकट मिलने की संभावना बढ़ती है वैसे ही सब्जी के संदर्भ में छापे पड़ने से सदियों से त्रस्त हम अल्पआय वालों को भी सम्मान मिल सकता है, यह सोच कर मैं ने भी अपने महल्ले में अफवाह उड़ा दी कि मेरे घर में 5 किलो कद्दू है.

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छापे के इंतजार में कई दिन तक कहीं बाहर नहीं निकला. अपनी गली से निकलने वाले हर पुलिस वाले को देख कर ललचाता रहा कि शायद कोई आए. मेरा नाम भी अखबारों में छपे. 15 दिन की प्रतीक्षा के बाद जब मैं यह सोचने को विवश हो चुका था कि कहीं कद्दू को बीपीएल (गरीबी रेखा के नीचे) में तो नहीं रख दिया गया? तभी एक पुलिस वाला आ धमका. मेरी आंखों में चमक आ गई. मैं ने बीवी को बुलाया, ‘‘सुनती हो, इन को कद्दू ला के दिखा दो.’’

बीवी मेरे द्वारा बताए गए दिशा- निर्देशों के अनुसार पूरे तौर पर सजसंवर कर…बड़े ही सलीके से 250 ग्राम कद्दू सामने रखती हुई बोली, ‘‘बाकी 15 दिन में खर्च हो गयाजी.’’

पुलिस वाले ने गौर से देखा कि न तो चायपानी की कोई व्यवस्था थी और न ही मेरी कोई मुट्ठी बंद थी. उस की मुद्रा बता रही थी कि वह मेरी बीवी के साजशृंगार और मेरे व्यवहार, दोनों ही से असंतुष्ट था. वह मेरी तरफ मुखातिब हो कर बोला, ‘‘आप को अफवाह फैलाने के अपराध में दरोगाजी ने थाने पर बुलवाया है.’’

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रिव्यू: सच्चे प्यार और बदले की लंबी कहानी है ‘कलंक’

फिल्म रिव्यू- कलंक

एक्टर- आलिया भट्ट, वरुण धवन, सोनाक्षी सिन्हा, आदित्य रौय कपूर, माधुरी दीक्षित, संजय दत्त

निर्देशक- अभिषेक वर्मन

रेटिंग- 3 स्टार

फिल्म ‘‘कलंक’’ की उलझी हुई प्रेम कहानी देश के बंटवारे की पृष्ठभूमि में 1944 में लाहौर के पास स्थित हुसैनाबाद से शुरू होती है. फिल्म की कहानी के केंद्र में बहार बेगम (माधुरी दीक्षित), बलराज चैधरी (संजय दत्त), देव चैधरी (आदित्य रौय कपूर), सत्या चैधरी (सोनाक्षी सिन्हा) ,रूप (आलिया भट्ट) और जफर (वरूण धवन) हैं. कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे पता चलता है कि यह सभी एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं.

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कहानी…

फिल्म शुरू होती है अपनी दो छोटी बहनों के साथ रूप के पतंग उड़ाने से. रूप जब अपनी बहनों के साथ अपने घर पहुंचती है, तो अपने पिता के साथ सत्या चैधरी को बैठे देखकर गुस्सा होती है. डाक्टरों के अनुसार कैंसर की मरीज सत्या चैधरी की जिंदगी सिर्फ एक-दो साल की ही है. सत्या चाहती है कि रूप उनके घर में आकर रहे. सत्या चाहती है कि उसकी मौत के बाद उसके पति देव चौधरी, रूप से शादी कर लेंगे. रूप अपनी बहनों के भविष्य को देखते हुए सत्या के घर जाने के लिए मजबूर होती है, पर वह शर्त रखती है कि देव चैधरी उसके साथ शादी कर लें. देव और रूप की शादी हो जाती है. सुहागरात के वक्त देव, रूप से कहता है कि उसने सत्या के दबाव में यह शादी की है. वह सिर्फ सत्या से प्यार करते हैं, इसलिए कभी रूप से प्यार नही कर पाएंगे. मगर रूप को इज्जत मिलेगी. देव चैधरी के पिता बलराज चैधरी का पुश्तैनी अखबार ‘डेली टाइम्स’ है. लंदन में पढ़ाई कर वापस लौटे देव ने ‘डेली टाइम्स’ की बागडोर संभाल रखी है. वह देश के बंटवारे के खिलाफ अपने अखबार में लिखते रहते हैं. इससे मुस्लिम लीग के नवोदित नेता अब्दुल (कुणाल खेमू) नाराज रहता है. अब्दुल को हिंदुओं से नफरत है. अब्दुल की इस नफरत की आग को भड़काने में अहम योगदान हीरामंडी में ही पले बढ़े जफर का है जो एक लोहार है. जफर के अंदर गुस्सा और आग है. लोग उसे हरामी व नाजायज कहते हैं. एक दिन गाने की आवाज सुनकर रूप हवेली की नौकरानी सरोज से सवाल करती है, तो सरोज बताती है कि यह आवाज हीरामंडी स्थित हवेली से बहार बेगम की है, पर चौधरी परिवार के उसूलों के अनुसार रूप हीरामंडी नही जा सकती. रूप और देव को नजदीक लाने के लिए सत्या, रूप से कहती है कि उसे देव के साथ अखबार के संपादकीय विभाग में काम करना चाहिए. रूप शर्त रखती है कि ऐसा वह तभी करेगी, जब उसे बहार बेगम से संगीत सीखने को मिलेगा. मजबूरन सत्या, बलराज से आज्ञा ले लेती है. सरोज, रूप को लेकर बहार बेगम के पास जाती है. बहार बेगम, रूप की आवाज पर मोहित हो जाती है. वापसी में रूप की मुलाकात जफर से होती है. जफर लड़कियों का शौकीन है. लेकिन जफर को जल्द अहसास हो जाता है कि शादीशुदा रूप दूसरी लड़कियों की तरह नही है. फिर भी रूप और जफर की मुलाकातें होती रहती हैं. अपने अखबार ‘डेली टाइम्स’ के लिए हीरामंडी के लोगों पर कहानी लिखने के लिए रूप पहले अब्दुल (कुणाल खेमू) से मिलती है, पर अब्दुल मदद नही करता, क्योंकि अब्दुल को पता है कि वह देव चैधरी की दूसरी पत्नी है. तब जफर उसे कई कहानियां बताता है और हीरामंडी घुमाता है. धीरे-धीरे रूप को जफर से प्यार हो जाता है, मगर जफर तो चैधरी परिवार से इंतकाम लेने के लिए रूप का इस्तेमाल करता है. बहार बेगम, रूप को सावधान करती है. लेकिन बाद में पता चलता है कि जफर, बहार बेगम और बलराज चैधरी का नाजायज बेटा है. बहार बेगम को सत्रह साल की उम्र में शादीशुदा बलराज चैधरी से प्रेम हुआ था. बलराज को अपने करीब लाने के लिए ही उसने जफर को जन्म दिया था, पर बलराज ने उसे अपनी हवेली में जगह नही दी थी, तो वह जफर को सड़क पर छोड़ आयी थी, फिर भी बलराज ने उसे स्वीकार नहीं किया था. इसी बीच कुछ लोगों ने जफर को हीरामंडी में लाकर पाला. एक दिन बहार बेगम ने जफर को सच बता दिया था. तब से जफर के अंदर चौधरी परिवार से इंतकाम लेने की आग जल रही है. लेकिन जफर सचमुच रूप से प्यार करने लगता है जिसके बाद कहानी नया मोड़ लेती है.

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डायरेक्शन…

फिल्मकार अभिषेक वर्मन ने पूरी फिल्म में इसी बात को दिखाने की कोशिश की है कि सच्चा प्यार, समाज के बनाए नियमों, धर्म की बंदिशों और इंसान की बनाई गई सरहदों को नहीं मानता. इस बात को साबित करने में वो सफल रहे हैं. लेकिन फिल्म में कुछ कमियां भी हैं.

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कमियां…

फिल्म की लंबाई और पटकथा की कमजोरी के चलते फिल्म कई जगह बोर करती है, कहानी की पृष्ठभूमि 1940 का दशक है, मगर फिल्म के भव्य सेट उस काल को रेखाकिंत करने में असफल रहे हैं. एडीटिंग टेबल पर यदि इस फिल्म को कसा जाता, तो यह एक कल्ट/अति बेहतरीन फिल्म बन सकती थी. फिल्म से एक दो गीत कम किए जा सकते थे. अब इसे पटकथा लेखक की कमी कहें या कहानीकार की कमी. पटकथा लेखक की कमजोरी के चलते बहार बेगम और रूप के बीच गुरू-शिष्य के अलावा जो दूसरा रिश्ता है, उसकी टीस भी ठीक से उभर नहीं पाती. कहानी के मामले में भी यह फिल्म कुछ पुरानी क्लासिक फिल्मों की याद दिलाती है.

फिल्म की खूबियां…

दमदार संवादों के चलते दर्शक फिल्म को झेल जाता है. संवाद लेखक की तारीफ जरुर की जानी चाहिए. अलावा इस फिल्म की सबसे बड़ी मजबूत कड़ी इसके कलाकार हैं. फिल्म के कैमरामैन बिनोद प्रधान जरुर तारीफ के हकदार हैं. जहां तक गीत संगीत का सवाल है तो ‘घर मोरे परदेसिया’ और ‘कलंक’के अलावा दूसरे गीत प्रभावित नहीं करते.

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एक्टिंग…

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो रूप के अति जटिल किरदार को आलिया भट्ट ने अपने प्रभावशाली और शानदार अभिनय से जिंदा कर दिया है. मजबूर, गुस्सा, असहाय, दुखी हर भाव आलिया भट्ट के चेहरे पर सहज ही आते हैं. जफर के किरदार में वरूण धवन ने अपनी शारीरिक बनावट के साथ ही जफर के अंदर चल रहे हर भाव को बड़ी खूबी से परदे पर उकेरा है. माधुरी दीक्षित ने साबित कर दिखाया कि आज भी अभिनय और डांस में उनका कोई सानी नही है. आदित्य रौय कपूर व कुणाल खेमू भी प्रभावित करते हैं. सोनाक्षी सिन्हा ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है. संजय दत्त के हिस्से कुछ खास करने को नहीं था.

Edited By- Nisha Rai

आलिया के पापा ने फेंकी थी कंगना पर चप्पल, बहन ने किया खुलासा

लगता है कंगना रनौत और आलिया भट्ट के बीच की लड़ाई एक बुरे स्टेज पर पहुंच गई है. क्योंकि, हाल ही में कंगना की बहन रंगोली ने आलिया के पापा महेश भट्ट पर निशाना साधा है और कुछ ऐसा कहा है जिसे सुनकर हर कोई हैरान हो गया है. रंगोली के मुताबिक महेश भट्ट ने सालों पहले उनकी बहन पर सरेआम चप्पल फेंकी थी. रंगोली के बाद हर कोई इस खबर की सच्चाई जानना चाहता है.

क्या है पूरा मामला…

दरअसल, पिछले कुछ दिनों से कंगना लगातार आलिया पर किसी न किसी बात को लेकर निशाना साध रही थीं. ऐसे में आलिया की मां और एक्ट्रेस सोनी राजदान ने ट्वीट करके हुए लिखा था कि महेश भट्ट वो इंसान है जिन्होंने कंगना को ब्रेक दिया था और अब वह बार-बार उनकी बेटी और पत्नी पर ही हमला बोल रही है. अब मैं क्या ही बोलूं? इसके पीछे का एजेंडा क्या है?

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इस हीरोइन को मिला बौलीवुड में सबसे झगड़ालू हीरोइन का खिताब

ट्वीट पर भड़कीं रंगोली…

सोनी राजदान का ये ट्वीट रंगोली को पसंद नहीं आया और इसके जवाब में उन्होंने ऐसा खुलासा किया कि पूरी इंडस्ट्री सकते में आ गई. रंगोली ने ट्वीट करते हुए लिखा कि अपनी फिल्म वो लम्हें के प्रिव्यू के दौरान ही महेश भट्ट ने 19 साल की कंगना पर चप्पल फेंकी थी. रंगोली ने ये भी लिखा कि- प्रिय सोनी जी महेश भट्ट ने उसे ब्रेक नहीं दिया है बल्कि अनुराग बसु ने दिया है. महेश भट्ट जी ने उस फिल्म में बतौर क्रिएटिव डायरेक्ट काम किया था.

इस वजह से फेंकी थी चप्पल…

रंगोली ने बताया कि जब कंगना ने महेश भट्ट की फिल्म धोखा करने से मना कर दिया था, तो वह काफी अपसेट हुए थे और उन्होंने कंगना को खूब खरी-खोटी सुनाई थी. इसके बाद फिल्म वो लम्हें के प्रिव्यू के दौरान महेश भट्ट जी ने कंगना पर चप्पल फेंकी थी और उन्होंने कंगना को ही उनकी फिल्म नहीं देखने दी. जिसके बाद उनकी बहन रात भर रोई थी.

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अब देखना है कि रंगोली के इस खुलासे पर भट्ट फैमिली का क्या रिएक्शन होता है और कंगना और आलिया के बीच की लड़ाई आगे क्या मोड़ लेती है.

‘Bharat’ का नया पोस्टर रिलीज, सलमान के साथ दिखीं कैटरीना

बौलीवुड दबंग सलमान खान की चर्चा में चल रही अपकमिंग मूवी ‘भारत’ का एक और पोस्टर रिलीज हो गया है. फिल्म ‘भारत’  के इस पोस्टर में सलमान खान के साथ मेन एक्ट्रेस कैटरीना कैफ नजर आ रही हैं. सलमान खान ने इस लुक को ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा, ‘और हमारी जिंदगी में आईं मैडम सर’. साथ ही एक्ट्रेस कैटरीना कैफ ने भी इससे पहले इंस्टाग्राम पर फिल्म ‘भारत’  के सेट से अपना लुक शेयर किया था. इससे पहले फिल्म ‘भारत’  के 2 पोस्टर रिलीज हो चुके है. जिनमें सलमान खान नजर आएं थे.

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कैटरीना के लुक की बात करें तो वह व्हाइट शर्ट और खाकी पैंट के साथ कर्ली हेयर में नजर आ रही है. जबकि सलमान खान हेलमेट लगाए हुए जवान के लुक में नजर आ रहे है. फिल्म का ट्रेलर 24 अप्रैल को रिलीज होने जा रहा है.

 

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बता दें, फिल्म ‘भारत’ में सलमान खान 6 अलग-अलग लुक में 18 साल के लड़के से लेकर 70 साल के बुजुर्ग तक के रोल में दिखेंगे. यह फिल्म ईद के पर रिलीज होगी. इस फिल्म में सलमान खान के साथ कटरीना कैफ और दिशा पाटनी भी अहम किरदारों में नजर आएंगे. वहीं फिल्म में जैकी श्रौफ और सुनील ग्रोवर भी एक अलग अंदाज में देखने को मिलेंगे.

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भारत का निर्देशन अली अब्बास जफर कर रहे हैं. अली अब्बास जफर और सलमान खान की यह जोड़ी तीसरी बार साथ काम कर रही है. इससे पहले दोनों ने सुल्तान और टाइगर जिंदा में साथ काम किया है. उम्मीद की जा रही है कि इन दो फिल्मों की तरह यह फिल्म भी सुपरहिट होगी और नए रिकौर्ड बनाएगी.

मोदी की नैय्या

यह गनीमत ही कही जाएगी कि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम चुनाव जीतने के लिए पाकिस्तान से व्यर्थ का युद्ध नहीं लड़ा.

सेना को एक निरर्थक युद्ध में झोंक देना बड़ी बात न होती. पर जैसा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि युद्ध शुरू करना आसान है, युद्ध जाता कहां है, कहना कठिन है. वर्ष 1857 में मेरठ में स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई ब्रिटिशों की हिंदुओं की ऊंची जमात के सैनिकों ने छेड़ी लेकिन अंत हुआ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर एकछत्र ब्रिटिश राज में, जिस में विद्रोही राजा मारे गए और बाकी कठपुतली बन कर रह गए.

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आक्रमणकारी पर विजय प्राप्त  करना एक श्रेय की बात है, पर चुनाव जीतने के लिए आक्रमण करना एक महंगा सौदा है, खासतौर पर एक गरीब, मुहताज देश के लिए जो राइफलों तक के  लिए विदेशों का मुंह  ताकता है, टैंक, हवाईजहाजों, तोपों, जलपोतों, पनडुब्बियों की तो बात छोड़ ही दें.

नरेंद्र मोदी के लिए चुनाव का मुद्दा उन के पिछले 5 वर्षों के काम होना चाहिए. जब उन्होंने पिछले हर प्रधानमंत्री से कई गुना अच्छा काम किया है, जैसा कि उन का दावा है, तो उन्हें चौकीदार बन कर आक्रमण करने की जरूरत ही क्या है? लोग अच्छी सरकार को तो वैसे ही वोटे देते हैं. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक बिना धार्मिक दंगे कराए चुनाव दर चुनाव जीतते आ रहे हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दबदबा बिना सेना, बिना डंडे, बिना खूनखराबे के बना हुआ है.

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नरेंद्र मोदी को खुद को मजबूत प्रधानमंत्री, मेहनती प्रधानमंत्री, हिम्मतवाला प्रधानमंत्री, चौकीदार प्रधानमंत्री, करप्शनफ्री प्रधानमंत्री कहने की जरूरत ही नहीं है, सैनिक कार्यवाही की तो बिलकुल नहीं.

रही बात पुलवामा का बदला लेने की, तो उस के बाद बालाकोट पर हमला करने के बावजूद कश्मीर में आएदिन आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं. आतंकवादी जिस मिट्टी के बने हैं, उन्हें डराना संभव नहीं है. अमेरिका ने अफगानिस्तान, इराक, सीरिया में प्रयोग किया हुआ है. पहले वह वियतनाम से मार खा चुका है. अमेरिका के पैर निश्चितरूप से भारत से कहीं ज्यादा मजबूत हैं चाहे जौर्ज बुश और बराक ओबामा जैसे राष्ट्रपतियों की छातियां 56 इंच की न रही हों. बराक ओबामा जैसे सरल, सौम्य व्यक्ति ने तो पाकिस्तान में एबटाबाद पर हमला कर ओसामा बिन लादेन को मार ही नहीं डाला था, उस की लाश तक ले गए थे जबकि उन्हें अगला चुनाव जीतना ही नहीं था.

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नरेंद्र मोदी की पार्टी राम और कृष्ण के तर्ज पर युद्ध जीतने की मंशा रखती है पर युद्ध के  बाद राम को पहले सीता को, फिर लक्ष्मण को हटाना पड़ा था और बाद में अपने ही पुत्रों लवकुश से हारना पड़ा था. महाभारत के जीते पात्र हिमालय में जा कर मरे थे और कृष्ण अपने राज्य से निकाले जाने के बाद जंगल में एक बहेलिए के तीर से मरे थे. चुनाव को जीतने का युद्ध कोई उपाय नहीं है. जनता के लिए किया गया काम चुनाव जिताता है. भाजपा को डर क्यों है कि उसे युद्ध का बहाना भी चाहिए. नरेंद्र मोदी की सरकार तो आज तक की सरकारों में सर्वश्रेष्ठ रही ही है न!

प्यार की वजह से तो नहीं बढ़ रहा आपका वजन? जानिए यहां

अक्सर महिलाओं को यह कहते सुना जाता है कि शादी से पहले तो मैं दुबली-पतली छरहरी सी थी, मगर शादी के बाद मोटी हो गयी. ये सच है कि ज्यादातर महिलाएं शादी के बाद मोटी हो जाती हैं. यही नहीं, किसी से नैन मिल जाएं और प्रेम का रोग लग जाए तो भी वजन बढ़ने लगता है. यूं तो किसी के प्यार में डूबना एक खूबसूरत अहसास होता है, लेकिन प्यार करने से अगर वजन बढ़ने लगे तो यह उन लड़कियों के लिए चिन्ता का सबब बन जाता है, जो अपने फिगर को लेकर काफी कौन्शस रहती हैं.

औस्ट्रेलिया की ‘सेंट्रल क्वींलैंड यूनिवर्सिटी’ की एक स्टडी के मुताबिक, जब लोग किसी के साथ रिलेशनशिप में होते हैं या उनको किसी से प्यार हो जाता है, तो उनका वजन बढ़ने लगता है. शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में लगभग 15,000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया. इसमें उन्होंने अलग-अलग जीवनशैली के सिंगल्स और कपल्स दोनों तरह के लोगों को शामिल किया और फिर पुरुष और महिलाओं के बौडी मास इंडेक्स की तुलना करके नतीजे घोषित किये. शोध के दौरान पाया गया कि जब लोग किसी रिश्ते में आ जाते हैं तो उनका मोटापा इसलिए बढ़ने लगता है, क्योंकि उनके अन्दर पार्टनर को इम्प्रेस करने की भावना लगभग खत्म हो जाती है और वह अपने बौडी शेप को बनाये रखने की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. शोध में शामिल ज्यादातर लोगों ने यह माना कि शादी के बाद या रिलेशनशिप में आने के बाद वे कसरत, जौगिंग या अन्य शारीरिक क्रियाकलापों की ओर कम ध्यान देने लगे थे. उनका ज्यादा ध्यान पार्टनर के साथ घूमने, मौज-मस्ती करने और विभिन्न प्रकार के पकवानों का लुत्फ उठाने में गुजरने लगा था, जिसके चलते उनका वजन बढ़ता गया. जो जोड़े अपनी शादी से खुश, संतुष्ट और सुरक्षित महसूस करते हैं उनमें वजन बढ़ने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं क्योंकि उनके दिमाग पर किसी अन्य को आकर्षित करने का कोई दबाव नहीं होता.

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वजन बढ़ने का एक मुख्य कारण यह भी है कि जो लोग प्यार के रिश्ते में होते हैं वो लोग जिम जाकर एक्सरसाइज करने के बजाए अपना ज्यादातर समय पार्टनर के साथ घर में रहकर ही गुजारना पसंद करते हैं. यह बदली हुई जीवनशैली भी वजन बढ़ने का एक अहम कारण है. इसके अलावा जब लोग प्यार में होते हैं तो वो बेहद खुश रहते हैं और अगर रिश्ता नया हो तो यह खुशी डबल हो जाती है. बता दें, जब हम खुश होते हैं तो हमारे शरीर में हैप्पी हार्मोन आॅक्सीटोसिन और डोपामाइन निकलते हैं. इन हैप्पी हार्मोन से चौकलेट, वाइन और ज्यादा कैलोरी वाली चीजें खाने की इच्छा बढ़ती है, जो वजन बढ़ाने का काम करती हैं. तो शादी के बाद जो लोग बहुत ज्यादा खुश रहते हैं, उनके मोटे होने की उतनी ज्यादा सम्भावनाएं होती हैं. शादीशुदा स्त्री अगर 20 साल की है तो अगले पांच सालों में उसका वजन 11 किलोग्राम के लगभग बढ़ने की सम्भावना होती है. वहीं इसी उम्र के पुरुष का वजन 13 किलोग्राम तक बढ़ने की सम्भावना होती है.

नींद की कमी

शादी के बाद लड़कियों का स्लीपिंग पैटर्न बदल जाता है. कई बार वे पर्याप्त नींद नहीं ले पाती हैं, जो वजन बढ़ने का एक कारण है. अपना घर छोड़कर शादी के बाद किसी और जगह एडजस्ट करना सबसे कठिन काम है. नये घर में एडजस्ट करने में कुछ तनाव तो होता ही है जो कि अप्रत्यक्ष रुप से वजन पर प्रभाव डालता है.

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पकवानों का कमाल

शादी के बाद हमारी भारतीय नारियां पाक कला में खूब हाथ आजमाती हैं ताकि अपने जीवनसाथी और घर के बाकी सदस्यों को खुश कर सकें और तारीफ पा सकें. जब तरह-तरह के व्यंजन रोज बनाये और खाये जाते हैं तो वजन बढ़ना तो लाजिमी है. जरूरी नहीं कि हैप्पी मैरिज से ही वजन बढ़े, कभी-कभी मैरिज हैप्पी न भी हो तो भी हस्बैंड वाइफ दोनों का वजन बढ़ने लगता है, उसकी वजह किचेन में बनने वाले विभिन्न हाई कैलोरी पकवान हैं.

हार्मोन्स में बदलाव

जब लड़की शादीशुदा जीवन में प्रवेश करती है तो उसके शरीर में कई प्रकार के हार्मोन्स बदलाव होते है. सेक्सुयल लाइफ में एक्टिव होना वजन बढ़ने का एक मुख्य कारण होता है. जीवनसाथी से शारीरिक नजदीकियां शरीर में हैप्पी हार्मोन्स यानी औक्सीटोसिन और डोपामाइन का स्राव बढ़ा देती हैं, इसके कारण शारीरिक संरचना में थोड़ा-बहुत बदलाव आता है.  महिलाएं जिससे प्यार करती हैं उसके साथ सेक्शुयल रिलेशनशिप बनाने से उनकी कमर और हिप्स की चौड़ाई बढ़ती है. आमतौर पर देखा गया है कि सेक्स के बाद भूख भी बढ़ने लगती है और इसके अलावा आप प्रेग्नेंसी से बचने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का भी इस्तेमाल करने लगती हैं, जो आपके मोटापे का कारण बनती हैं. पति के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनने से हार्मोन्स में आये बदलाव का असर अंगों पर साफ दिखने लगता है, खासतौर पर ब्रेस्ट, कमर और हिप्स पर. शादी के बाद लड़कियों के हिप्स अपने सामान्य आकार से बढ़कर थोड़े बड़े हो जाते हैं. यह प्राकृतिक तौर पर होना जरूरी भी है क्योंकि शारीरिक सम्बन्ध के बाद गर्भधारण की प्रक्रिया होती है. प्राकृतिक तौर पर बड़े हिप्स की महिलाओं को डिलिवरी के वक्त अधिक दर्द नहीं होता है और वह आराम से बच्चे को जन्म देती हैं, जबकि छोटे हिप्स की दुबली-पतली महिलाओं को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है. सेक्शुअली एक्टिव होने पर महिलाओं के हिप्स की चौड़ाई का बढ़ना प्रकृति का नियम है. प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक खाने की सलाह भी दी जाती है, जिससे लड़कियों का वजन बढ़ जाता है और डिलिवरी के बाद इसको घटाने पर ठीक तरीके से ध्यान न दिये जाने की वजह से शरीर फूला रह जाता है.

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कम खाओ, गम खाओ

दुबला पतला रहने के लिए एक कहावत मशहूर है कि – कम खाओ, गम खाओ. दरअसल शरीर को छरहरा रखने के लिए हमेशा भूख से थोड़ा कम खाने की सलाह दी जाती है. दूसरे, चिन्ता को चिता के समान इसलिए बताया गया है क्योंकि इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है. चिन्ताग्रस्त व्यक्ति को भूख कम लगती है, जिसकी वजह से उस पर मोटापा नहीं चढ़ता. जब हम अकेले होते हैं, अविवाहित होते हैं, दुखी रहते हैं, हमारा कोई प्रेमी या पार्टनर नहीं होता तो हम अकेलेपन के अहसास से जूझते रहते हैं. यही सोचते रहते हैं कि – कोई होता, जिसको अपना, हम अपना कह लेते यारों…

इस गम का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है. इसलिए तन्हा व्यक्ति अक्सर दुबला-पतला होता है. जबकि प्यार होने के बाद हम न सिर्फ खुश रहते हैं, घूमते-फिरते हैं, बल्कि अपने पार्टनर के साथ हर वक्त कुछ न कुछ पीजा, बर्गर, नौनवेज, आइसक्रीम, चौकलेट जैसी चीजें खाते-पीते रहते हैं. शादी के बाद लड़कियां पति के साथ रहकर बाहर का खाना ज्यादा पसन्द करती हैं. हनीमून के दौरान भी बाहर का खाना ही खाते हैं जो ज्यादा कैलोरी वाला होता है. ये सारे प्यार के साइड इफेक्ट हैं, जो आपके फिगर का सत्यानाश कर देते हैं. इसलिए प्यार करें, जम कर करें, मगर अपने खाने पर कंट्रोल रखें और एक्सर्साइज करना भी न छोड़ें.

edited by: Shubham

यूं दें अपने घर को न्यू लुक

आप घर में नया बदलाव लाना चाहती हैं, तो ये काम आप बिना पैसे खर्च किए भी कर सकती हैं. आज हम ऐसे ट्रिक्स आपको बताने जा रहे हैं, जिससे आप आजमा कर घऱ को एक नया लुक दे सकती हैं. आइए जानते हैं.

  1. घर को आकर्षक बनाने के लिए पुराने पीतल के बरतनों को पालिश करके आप सजाने के काम में ला सकती हैं. उसके ऊपर स्टोन लगाकर उसे और भी आकर्षक बना सकती हैं. इसके अलावा पुराने अच्छे कपडों का भी यूज कर सकती हैं. जैसे-आपकी कोई पुरानी अच्छी साड़ी हो,  जिसे आप नहीं पहनना चाहती हैं तो आप उसे कुशन कवर या कर्टेन के रूप में यूज कर सकती हैं. इसके अलावा पुरानी साड़ियों का स्टाइलिश बेडशीट विद पिलो कवर भी बनने लगे हैं, यह बेडरूम की खूबसूरती बढ़ा देते हैं.

कपड़ों के अलावा ये 5 चीजें भी वाशिंग मशीन में धो सकती हैं आप

2.  एक्सेसरीज फर्नीचर इसके स्थान में भी बदलाव ला सकती हैं. जैसे- बडे रूम का सामान टेबल या साइड टेबल, चेयर, स्टूल और एक्सेसरीज में लैंप, पेंटिंग, वाल मिरर या डेकोरेशन के सामान आदि को लिविंग रूम में लगा सकती हैं और लिविंग रूम का कुछ सामान बेडरूम में सजा सकती हैं. ऐसा आप हर पांच से छह माह में एक बार कर सकती हैं. इससे लिविंग रूम और बेडरूम दोनों में बदलाव महसूस होगा.

3.  दीवारों पर फोटो लगाना, यह बहुत पुराना चलन हो चुका है. आप अपनी क्रियेटिविटी दिखाएं कुछ नया करके दिखाएं. जैसे-आप परिवार के लोगों की अलग-अलग फोटो लें और व्हाइट ग्लासी पेपर में चिपकाकर उसके नीचे उनका थोडा-सा इतिहास और उनकी खासियत लिखें और दीवार पर चिपका दें. इस तरह जितने लोगों की फोटो लगाना चाहती हैं, इसी तरह तैयार करके लगाएं तो काफी अच्छा लगेगा.

4. इसके अलावा कई बार बच्चों के द्वारा बनाए गए क्रौफ्ट का भी यूज कर सकती हैं, उसे सजाने के काम ला सकती हैं. वो कलरफुल चीजें दीवारों पर अच्छी भी लगेंगी और बच्चें का प्रोत्साहन भी बढ़ेगा. इसके अलावा आप घर पर वाल हैंगिंग और सैफ्ट टौय बनाकर भी घर पर सजा सकती हैं. तो आप दीवारों पर कलाकृतियों बनाकर भी पेंट कर सकती हैं.

घरेलू रद्दी से बनाएं सुंदर क्राफ्ट

5. मार्केट में लैंप बनाने के लैंम्पशीट मिलती है, आप उसे घर लाकर लैंप भी बना सकती हैं और उसे लाइट के ऊपर लगा सकती हैं. यह देखने में आकर्षक लगता है. पुराने पत्थर और शंख जैसी चीजों को हम घर के बाहर करवा देते हैं या घर के किसी कोने में पडे रहने देते हैं लेकिन आप इनका यूज भी अपने घर को सजाने के लिए कर सकते हैं.इमली के दानों को रंग कर उस पर ग्लिटर लगाकर बाउल में रखकर सजा सकते हैं.

पुराने फर्नीचर को कुछ इस तरह से दें न्यू लुक

 

गरमी में स्किन को भी दें तरबूज का मजा…

गरमी से राहत के लिए लोग तरबूज खाना बहुत पसंद करते हैं. यह हमारी बौडी में पानी की कमी पूरी करता है. पर क्या आप जानते हैं कि तरबूज विटामिन ए का एक बहुत अच्छा सोर्स है, जो स्किन के लिए असरदार होता है. साथ ही, यह एंटीऔक्सिडेंट से समृद्ध होता है, जो एंटी एजिंग के लिए अच्छा होता है.

यह एक स्किन टौनिक है जिसमें 90% पानी होता है, साथ ही नेचुरल शुगर और एंटीऔक्सिडेंट से भरपूर होता है. इसलिए आज हम आपको स्किन के लिए तरबूज के ऐसे फेस मास्क बताएंगे जो आपकी स्किन के लिए बहुत असरदार होगा.

1. सूरज की हीट के लिए तरबूज का फेस पैक

लाल तरबूज में वर्णक एक नेचुरल सनस्क्रीन गार्ड होता है, जो सनबर्न को ठीक करता है.

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ऐसे लगाएं…

-एक मिक्सर में तरबूज के कुछ टुकड़े लें और पीस लें, और फिर इसके रस को सीधा स्किन पर रब करें.

-आप चाहें तो रूई को रस में भिगोकर धूप से प्रभावित हिस्सों पर लगा सकते हैं. इसे लगभग 15 मिनट तक सूखने के बाद धो लें. इससे धूप में डैमेज होने वाली स्किन से आपको बड़ी राहत महसूस होगी.

2. सेंसिटिव स्किन के लिए तरबूज फेस पैक

यह सेंसिटिव स्किन के लिए बहुत असरदार होता है. तरबूज के गूदे में सौफ्ट फाइबर होता है, जो डेड स्किन को हटाने का काम करता है और साथ ही चेहरे के नेचुरल एसिड के साथ मिलकर स्किन को सौफ्ट बनाता है.

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ऐसे लगाएं…

1 बड़ा चम्मच तरबूज का गूदा लेकर उसमें शहद की कुछ बूंदें लें और मिक्स करें.

-इसे आप आसानी से अपने चेहरे पर रब करें और 15 मिनट के लिए छोड़ दें. फिर इसे ठंडे पानी से धो लें.

3. एंटी एजिंग के लिए तरबूज

तरबूज बहुत जल्दी नहीं फटते या सड़ते नहीं हैं, क्योंकि तरबूज कई एंटीऔक्सिडेंट और एंटी-एजिंग गुणों से भरपूर होता हैं, जो आपकी स्किन को सौफ्ट और यंग दिखने में मदद करता हैं.

4. तरबूज और औलिव औयल के साथ फेस पैक

यह स्किन को क्लीन, सौफ्ट और हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है.

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ऐसे लगाएं…

1 बड़ा चम्मच तरबूज का गूदा, 1 चम्मच क्रीम, 1 चम्मच औलिव औयल और अंडे की जर्दी लेकर पेस्ट बनाएं.

– इस पेस्ट को गर्दन और चेहरे पर लगायें और लगभग 30 मिनट के लिए छोड़कर फेस को धो लें.

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4. नौर्मल स्किन के लिए तरबूज का फेस पैक

औलिव औयल एक एंटीऔक्सिडेंट और मौइस्चराइजर का काम करता है जो आपकी स्किन को सौफ्ट बनाता है और दूध स्किन को पोषण देता है.

ऐसे लगाएं…

-तरबूज का रस 2 टेबलस्पून, 1 चम्मच औलिव औयल और कुछ दूध की बूंदें मिलाएं.

-तीनों को मिक्स करके कौटन बौल्स में भिगोएं और पूरे चेहरे पर धीरे से लगाएं. और इसे 20 मिनट के लिए छोड़ दें और बाद में फेस को धो लें.

5. औयली स्किन के लिए तरबूज का फेस पैक

तरबूज औयली स्किन में एक्स्ट्रा औयल को सोखने में मदद करता है.

ऐसे लगाएं

1 बड़ा चम्मच ओटमील पाउडर, शहद की कुछ बूंदें और 2 टेबलस्पून तरबूज का रस लें.

-मिश्रण को पूरे चेहरे और गर्दन पर लगाएं और इसे 20 मिनट तक सूखने दें और धो लें.

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