किस काम का हिंदू विवाह कानून

उत्तर प्रदेश के इटावा शहर में प्रवीण व नीलम का विवाह 1998 में हुआ जब नीलम 18 साल की थी. दोनों को एक बेटी भी हुई. फिर दोनों के बीच मतभेद खड़े हो गए और वे अलगअलग रहने लगे. तब 2009 में पति ने तलाक का मुकदमा पारिवारिक अदालत में डाला. होना तो यह चाहिए था कि पत्नी की जो भी वजहें रही हों, पति और पत्नी को जबरन ढोए जा रहे संबंधों से कानूनी मुक्ति दिला दी जानी चाहिए थी पर पारिवारिक अदालत ने ऐप्लिकेशन रद्द कर दी.

चूंकि साथ रहना संभव न था, इसलिए पति ने जिला अदालत का दरवाजा खटखटाया. जिला अदालत ने 3 साल इंतजार करा कर 2012 में तलाक मंजूर करने से इनकार कर दिया. नीलम अब 32 साल की हो चुकी थी.

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प्रवीण उच्च न्यायालय पहुंचा. उच्च न्यायालय ने मई, 2013 में तलाक नामंजूर कर दिया, जबकि मामला शुरू हुए 15 साल गुजर चुके थे. दोनों जवानी भूल चुके थे.

प्रवीण अब सुप्रीम कोर्ट आया. समझौता वार्त्ता के दौरान प्रवीण ने क्व10 लाख पत्नी को देने की पेशकश की और क्व3 लाख का फिक्स्ड डिपौजिट करने का प्रस्ताव रखा, पर यह करतेकराते सुप्रीम कोर्ट में 6 साल लग गए.

इस दौरान दोनों पक्षों ने कई मुकदमे शुरू कर दिए. 2009 में गुजारेभत्ते के लिए क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के अंतर्गत जिला अदालत इटावा में एक मुकदमा दायर किया गया. 2009 में ही घरेलू हिंसा का एक और मुकदमा नीलम ने इटावा में दायर किया. एक दहेज के बारे में 2002 में केस दायर किया गया था. एक मामला इटावा में ही इंडियन पीनल कोड की धारा 406 में अमानत में खयानत यानी ब्रीच औफ ट्रस्ट पर दायर किया गया था.

यहां तक कि पति के खिलाफ डकैती तक का मामला दायर किया गया था कि वह 5 जनों के साथ घर लूटने आया था. आंतरिक विवाद जो भी हों विवाह के मामले में इतनी मुकदमेबाजी आज आम हो गई है और इस में पिसती औरत ही है.

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18 साल की लड़की, जिस की शादी 1998 में हुई हो, न जाने कितने सपने ले कर ससुराल आई होगी पर जो भी मतभेद हों, वे अगर हल नहीं होते तो अलग हो कर चाहे तलाकशुदा का तमगा लगाए घूमना पड़े पर 20 साल अदालतों के चक्कर तो नहीं लगाने पड़ने चाहिए.

लाखों की वकीलों की फीस के बदले क्व13 लाख मिले पर क्या ये काफी हैं? क्या यह जवानी की अल्हड़ता फिर आएगी जब बेटी खुद शादी के लायक हो रही है?

यह हिंदू विवाह कानून किस काम का जो औरतों को 20-30 साल इंतजार कराए और बिना तलाक के रखे? यह आतंक तीन तलाक से कम नहीं है, लेकिन हिंदू धर्माधीश इसे सिर पर पगड़ी और माथे पर तिलक मान कर चल रहे हैं.

औरतें उन के पैरों की जूतियां हैं, जो चरणामृत पीती हैं. विवाह तो धर्म के दुकानदारों के हिसाब से संस्कार है. कुंडलियां मिला कर होने वाला विवाह जिस में लड़की की रजामंदी नहीं ली जाती पहले सुधार मांगती है. मुसलिम औरतें कम से कम दासी नहीं हैं, यह निर्णय तो यही कहता है.

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WhatsApp पर जल्द नजर आएगा Instagram का ये खास फीचर

आज व्हाट्सऐप वैसा नहीं है जैसा कि वो शुरुआती दिनों में हुआ करता था. वजह है एक के बाद एक नए फीचर्स का इसमें शामिल होते जाना और इसकी शुरुआत तब हुई जब फेसबुक ने व्हाट्सऐप को 16 बिलियन डौलर में खरीद लिया. इसी कड़ी में अब व्हाट्सऐप एक और बड़ा फीचर खुद में शामिल करने जा रहा है.

ये फीचर नजर आएगा व्हाट्सऐप पर

इस नए फीचर का नाम है बूमरैंग और ये लंबे समय से इंस्टाग्राम पर मौजूद रहा है. अगर आप इस फीचर से अनजान हैं तो बता दें कि इसके जरिए यूजर्स लूप वीडियो बनाते हैं. ये वीडियो चंद सेकेंड्स का होता है. जो कि शुरू से अंत और फिर अंत से शुरु तक कई बार प्ले होता है. खबरें ये भी आई हैं कि इस फीचर पर काम चल रहा है और सबसे पहले ये फीचर आईफोन यूजर्स को मिलेगा.

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आईओएस के बाद एंड्रौयड यूजर्स

आईओएस यूजर्स के बाद इसे जल्द एंड्रौयड यूजर्स के लिए भी जारी कर दिया जाएगा. बूमरैंग नाम का ये फीचर फोटो वीडियो शेयरिंग ऐप इंस्टाग्राम पर सबसे पहले जारी किया गया था. इंस्टाग्राम भी फेसबुक के स्वामित्व वाली ऐप है. बता दें कि इस फीचर को आप गूगल प्ले स्टोर से ‘बूमरैंग’ नाम की ऐप को डाउनलोड करके भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा ये आपको इंस्टाग्राम ऐप के कैमरा में जाकर तो मिल ही जाएगा. इस फीचर को ट्विटर वाइन से मुकाबले के लिए उतारा गया था. यह छह सेकेंड के वीडियो लूप्स बनाने में मदद करता है.

ऐसे कर पाएंगे इस्तेमाल

इस फीचर की जानकारी सबसे पहले WABetaInfo द्वारा जारी की गई थी. व्हाट्सऐप पर आने वाले तमाम नए फीचर्स की जानकारी पाने का ये सबसे भरोसेमंद स्त्रोत है. जानकारी मिली है कि ये फीचर वीडियो टाइप पैनल के जरिए मिलेगा. इसका मतलब है कि इस फीचर को आप वहीं पाएंगे जहां अभी आपको किसी भी वीडियो को शेयर करते वक्त वीडियो को GIF में बदलने का विकल्प मिलता है. इसे आप अपने व्हाट्सऐप कौन्टैक्ट के साथ-साथ स्टेटस में भी लगा पाएंगे. ध्यान रहे कि लूप वीडियो बनाने के लिए आपकी क्लिप की समस सीमा 7 सेकेंड से कम होनी चाहिए.

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इंस्टाग्राम ने अक्टूबर 2015 में बूमरैंग ऐप को पेश किया था. इसके बाद 2016 में इसे इंस्टाग्राम स्टोरी में जोड़ा गया. मालूम हो कि इस महीने सामने आने वाला ये दूसरा नया फीचर है. इससे पहले इस महीने की शुरुआत में व्हाट्सऐप ने अपने एंड्रौयड और आईओएस ऐप के लिए Frequently Forwarded मैसेज का लेबल रोलआउट किया था. इससे यूजर्स जान पाते हैं कि उन्हें मिला मैसेज 5 बार से ज्यादा बार फौरवर्ड किया गया है.

6 टिप्स: ऐसे करें न्यू बौर्न बेबी की सुरक्षित देखभाल

बच्चे की सुरक्षा की बात करें, तो यह शब्द हर माता-पिता की लिस्ट में सबसे पहले नंबर पर आता है, अब सुरक्षा किस चीज से और कैसे है, यह अलग-अलग अवस्था पर निर्भर करता है. दुनिया के सभी माता-पिता अपने बच्चे के लिए बेहतर से बेहतर उत्पाद चाहते हैं, चाहे वो खिलौने हों, कपड़े हों या फिर बेबी केयर प्रोडक्ट्स ही क्यों न हों. लेकिन आज के समय वे कैमिकल युक्त मौजूदा बेबी केयर उत्पादों को उपयोग करते हुए डरते हैं और उसे लेने से पहले दस बार सोचते हैं कि क्या ये हमारे बच्चे के लिए सुरक्षित हैं.

ऐसा ही कुछ वरूण और गजल के साथ भी हुआ, जिन्होंने मार्केट में मौजूद बेबी केयर उत्पादों पर गहराई से रिसर्च किया और शिशु के लिए मौजूद लोशन, शैम्पू, पाउडर आदि में भरपूर टॉक्सिन को पाया जो शिशु के लिए हानिकारक होते हैं. इसे देख दोनों को अपने बच्चे के साथ उन तमाम बच्चों की चिंता होने लगी जिन्हें ये जानते थे और तब इन्होंने इन बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को देखते हुए ऐसे बेबी केयर प्रोडक्ट्स बनाने का फैसला किया जो पूरी तरह से सुरक्षित और टौक्सिन फ्री हैं और इस तरह से ममाअर्थ का जन्म हुआ.

ममाअर्थ हर अभिभावक का एक ऐसा साथी है, जो आपको समझता है, आपकी परेशानियों को जानता है और उन्हें हल करने का प्रयास करता है. इसलिए आप हम पर भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि हम आपके बच्चे की फिक्र करते हैं.

ममाअर्थ एक ऐसा ब्रांड है, जो शिशुओं के लिए स्वस्थ और सुरक्षित उत्पाद बनाता है और प्रत्येक अभिभावक की उम्मीदों पर खरा उतरता है, जो अपने बच्चे की देखभाल के लिए कुछ खास व सुरक्षित चाहते हैं वो हम विश्वास करते हैं.

1. क्यों है खास

ममा अर्थ आपके बच्चे के लिए सुरक्षित, प्राकृतिक रूप से तैयार किए गए उत्पाद बनाता है, जो 8000+टौक्सिन मुक्त हैं और सिलिकॉन, पराबेन, खनिज तेल, रंगों और कृत्रिम सुगंध जैसे हानिकारक रसायनों से पूरी तरह मुक्त हैं.

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ममाअर्थ की शुरूआत 5 मेड सेफ सर्टिफाइड बेबी प्रोडक्ट्स के साथ हुई थी, लेकिन आज हमारे 65 से अधिक उत्पाद हैं, जिनमें से 23 बेबी केयर रेंज हैं. हमारे उत्पाद आपके बच्चे का पूरी तरह से ख्याल रखते हैं. आप अपने शिशु के लिए स्किन, बाल या ओरल से जुड़े कोई भी उत्पाद चुन सकते हैं. हमें उम्मीद है कि इनके इस्तेमाल के बाद आप निराश नहीं होंगे.

2. माइल्ड हो साबुन

शिशु के लिए साबुन ऐसा होना चाहिए, जो स्किन को शुष्क नहीं बल्कि उसे साफ करने के साथ मौइश्चराइज भी करे और ममाअर्थ मौइश्चराइजिंग बाथिंग बार में वे सारे गुण हैं, जो आपके शिशु के साबुन में होने चाहिए. बकरी के दूध, दलिया और शिया बटर से बने साबुन में भरपूर नमी है, जो सिर से पैर तक के लिए सुरक्षित है. इससे नहाने के बाद आपके बच्चे की स्किन रूई जैसी कोमल बन जाएगी.

3. मुलायम स्किन के लिए

टैल्क-फ्री डस्टिंग पाउडर, ऐसा पाउडर है, जो फेफड़ों के काम को बंद नहीं होने देता क्योंकि इस डस्टिंग पाउडर में आरारोट और ओटमील पाउडर होता है, जो स्किन को शुष्क और चिकना बनाए रखने में मदद करता है. कैमोमाइल स्किन की समस्याओं को ठीक करता है. इस पाउडर की खास बात है कि यह रसोई में मौजूद सामग्री से बनाया गया है.

4. बैक्टीरिया को करें खत्म

बच्चों के कपड़े धोने के लिए ममाअर्थ डिटर्जेन्ट पाउडर ही इस्तेमाल करें क्योंकि इसमें प्राकृतिक तत्व और बायो-एंजाइम हैं, जो गंदगी और तेल को निकालते हैं. बैक्टीरिया को जड़ से खत्म करते हैं और प्लांट-बेस्ड सर्फेक्टेंट दाग को बड़े ही आराम से निकाल देते हैं और यह बच्चे के कपड़े और स्किन के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है. इसलिए जिद्दी दाग के बारे में नहीं, बल्कि अपने बच्चे को खाना खिलाने पर ध्यान दीजिए.

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5. स्किन रहे सुरक्षित

मच्छर पसीने की गंध से आकर्षित होते हैं और मच्छरों से बचने का एकमात्र तरीका है पसीने की गंध को छिपाना. ममाअर्थ बच्चों को मच्छरों से बचाने में सक्षम है. आप चाहे तो फैब्रिक रोल औन को कपड़ों या बच्चों के प्रैम पर लगाएं या उनके कपड़ों पर पैच चिपकाएं जो पूरी तरह से सुरक्षित हैं और डीट फ्री है. मच्छर भगाने वाले स्प्रे में नीलगिरी तेल है, जो एक प्राकृतिक मौइश्चराइजिंग एजेंट है, जो स्किन को पोषण देता है.

6. दर्द में तुरंत आराम

हींग तेल शिशुओं को आसानी से गैस पास करने में मदद करता है. यह पेट में दर्द और बेचैनी से राहत दिलाता है. इसमें मौजूद सौंफ का तेल, पेपरमिंट तेल, अदरक का तेल और डिल सीड तेल का विशेष मिश्रण पेट के दर्द और सूजन से राहत देता है. यह ईजी टमी रोल औन 1.5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए है, अगर बच्चे के पेट में दर्द है, तो उसे रोकने के लिए हर बार कुछ खिलाने के बाद इसे देना चाहिए.

स्टैपनी बन कर क्यों रह गई सास

काम से लौटी महिला बोझिल व असहाय होती है. उस के लिए तुरंत कोई भी अप्रिय स्थिति झेलना या घरेलू कार्य करना संभव नहीं होता. ऐसी परिस्थिति में परिवार चाहे संयुक्त हो या एकल, जहां सारी अपेक्षाएं सिर्फ उसी से रखी जाती हैं, वहां तनाव बढ़ता जाता है.

कामकाजी महिलाओं का लगभग एकतिहाई हिस्सा ‘लाइफ स्टाइल डिजीज’ की चपेट में है. एक सर्वे के अनुसार 20-40 साल तक की उम्र की महिलाओं में ‘लाइफ स्टाइल डिजीज’ का खतरा सब से अधिक रहता है. समय रहते इस पर ध्यान न देने से यह गंभीर परेशानी खड़ी कर सकता है. डिप्रैशन, मोटापा, ब्लडप्रैशर, डाइबिटीज जैसी समस्याएं लाइफ स्टाइल डिजीज के अंर्तगत आती हैं, जो कामकाजी महिलाओं में अंदरबाहर की जिम्मेदारियों के कारण उपजे भीषण तनाव से पैदा होती हैं.

पिछली पीढ़ी की कामकाजी महिलाएं

वे बड़े परिवारों में बड़ी होती थीं और बड़े परिवारों में ब्याह दी जाती थीं. संयुक्त परिवारों की सहीगलत, अच्छीबुरी, पसंदनापसंद परंपराएं अपनातीं, निभातीं ये महिलाएं संयुक्त परिवारों में अनेक रिश्तों को निभाने की जिम्मेदारियां भी निभातीं और किसी तरह सब को खुश रख कर अपनी नौकरी बचाए रखने की जद्दोजहद में भी लगी रहती थीं.

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उन के खुद के कमाए पैसे पर भले ही उन का हक न होता था और उन्हें उस का मानसम्मान व आत्मविश्वास प्राप्त न हो पाता था पर उन पर सब का हक होता था. उन का नौकरी करना उन की खुद की समस्या थी, उन के परिवार की नहीं. उन्हें सब के प्रति अपने कर्तव्य पालन में हर वक्त खड़े रहना पड़ता था. अगर उन्हें एक अच्छा खुशहाल जीवन जीना होता था तो उन्हें एक अच्छी पत्नी, मां, बहू, भाभी, हर भूमिका मुस्तैदी से निभानी पड़ती. उन के नौकरी करने में पति का सहयोग न के बराबर होता था.

संयुक्त परिवारों की जिम्मेदारियां पूरी करने के बावजूद और पति का सहयोग न के बराबर मिलने के बावजूद अपने परिश्रम की कमाई को ये महिलाएं अपने ढंग से खर्च भी नहीं कर पाती थीं. कमाती वे थीं पर हिसाब पति के पास रहता था.

घर की जिम्मेदारियों के अलावा मामूली कठिनाइयों के लिए भी उन्हें अवकाश लेने के लिए मजबूर किया जाता था. इन सब का असर उन की कार्यक्षमता पर पड़ता था. जरूरत पड़ने पर औनलाइन जरूरत का सामान मंगाने जैसी सुविधा तब उन के पास नहीं थी. किचन में भी इतने सुविधाजनक उपकरण नहीं होते थे, जबकि संयुक्त परिवारों में बेहिसाब काम होते थे.

नई पीढ़ी की कामकाजी महिलाएं

महिलाओं में बदलाव है. आज अगर पतिपत्नी अपनी अलग गृहस्थी बसा कर रह रहे हैं तो पति अपनी पत्नी को पूरा सहयोग दे रहे हैं. फिर चाहे वह किचन संबंधी कार्य हो या बच्चों के लालनपालन की बात हो. कामकाजी महिलाओं की दोहरी जिम्मेदारियां पूरी तरह से खत्म नहीं होती हैं, क्योंकि बच्चे अकसर समय मिलने पर मां से ही चिपकते हैं और उम्मीद करते हैं. घर के भी कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिन्हें एक महिला ही सही तरीके से अंजाम दे पाती है. फिर भी कुछ दकियानूसी परिवारों की बात छोड़ दी जाए तो आज वह संतोषजनक स्थिति में है.

जरूरत पड़ने पर बाहर से खाना और्डर करने का चलन चल पड़ा है. हर जरूरत की वस्तु के लिए औनलाइन शौपिंग जैसी सुविधा भी है. जो कामकाजी युवतियां संयुक्त परिवारों में रह रही

हैं, वहां अमूमन बहुओं की नहीं, बल्कि सासों की मुश्किल है. परिवार के नाम पर अब सासससुर ही रह गए हैं और आज की इस शिक्षित सास का रोल आज के संयुक्त परिवार में बहुत बदल गया है.

एक तरह से आज की पीढ़ी की यह सास स्टैपनी ही नहीं रह गई है. इस ने अपने समय के संयुक्त बड़े परिवार भी निभाए. बहुतों ने नौकरियां भी कीं. नौकरी के साथसाथ गृहस्थी भी संभाली. फिर अपनी संभाली और अब अगर बहूबेटे साथ हैं तो उन की गृहस्थी भी संभाल रही हैं. इसलिए आज बहू से उम्मीद कम और सासों से ज्यादा हो गई है.

जो कामकाजी महिलाएं सासससुर के साथ रहती हैं वे अपने सासससुर से अपनी गृहस्थी व बच्चों के लालनपालन में उन का सहयोग तो चाहती हैं पर जहां तक उन के पैसे की बात आती है, उन की सोच एक आम गृहिणी जैसी हो जाती है कि पति का पैसा तो सब का पर उन का पैसा सिर्फ उन का.

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वे चाहती हैं कि अपने कमाए पैसे का वे खुद जैसे चाहें इस्तेमाल करें. चाहे अपने मातापिता या भाईबहन पर खर्च करें या अपने कपड़ेजेवरों पर, पति या परिवारजन को इस में बोलने का कोई अधिकार न हो. जहां तक पति की कमाई की बात है उसी पर दूसरों का अधिकार हो और सब से ज्यादा अधिकार उस का खुद का हो. पति बिना उस की इजाजत लिए अपने भाईबहन या मातापिता पर भी अपनी कमाई नहीं खर्च कर सकता.

फर्ज और अधिकार में फर्क

सासससुर का फर्ज तो उसे याद रहता है पर अपनी कमाई पर सासससुर का थोड़ा सा अधिकार भी वह सपने में भी नहीं सोच सकती. उन का थोड़ाबहुत अधिकार है तो सिर्फ अपने  बेटे की कमाई पर. जिन युवतियों की यह मानसिकता है, उन्हें समझना चाहिए कि यदि वे अपनी नौकरी बचाए रखने के लिए दूसरों का सहयोग चाहती हैं तो उन की कमाई पर भी उन के पति की कमाई की तरह ही सब का हक होगा, क्योंकि यह ‘गिव ऐंड टेक’ जैसी बात है. अगर वे किसी रूप में भी परिवारजनों का सहयोग करेंगी और साथ ही अपना मधुर व्यवहार भी बनाए रखेंगी, तभी वे दूसरों से भी सहयोग की उम्मीद कर सकती हैं.

कुछ युवतियों का तो यह आलम है कि वे कहने को तो कामकाजी हैं पर उन की नौकरी इस लायक नहीं होती कि पति या परिवार को बहुत अधिक आर्थिक मदद कर सकें, लेकिन अपनी इस नौकरी के पीछे वे अपने पूरे परिवार को परेशान किए रहती हैं. खास तौर पर सास को न उन से आर्थिक सहयोग ही मिलता है, न घर ही ठीक से संभलता है कि पति निश्ंिचत हो कर अपनी नौकरी कर सके.

आज की युवा पीढ़ी की अधिकतर कामकाजी युवतियों को सास के कर्तव्य तो याद रहते हैं पर अपने सारे कर्तव्य भूल जाती हैं. वे सास से मां जैसे व्यवहार व ससुराल में मायके जैसे अधिकार व व्यवहार की अपेक्षा तो रखती हैं पर स्वयं बेटी जैसे कर्त्तव्य व प्यार देने की बात भूल जाती हैं.

पिछले कुछ समय से सारे उपदेश सासों को ही दिए जा रहे हैं कि सिर्फ सास के ही कर्त्तव्य हैं. यह सोच कर अपनी गृहस्थी सास के भरोसे छोड़ने का समय अब नहीं रहा. सही तो यही है कि पतिपत्नी ही मिल कर अपनी गृहस्थी सुचारु रूप से चलाएं. सासससुर ने पूरी जिंदगी संघर्ष कर, अब थोड़ा विराम पाया है, इसलिए उन्हें भी अपनी अभिरुचियों के साथ जिंदगी जीने दें. उन से बस थोड़ेबहुत सहयोग की ही अपेक्षा रखें जितना वे दे सकते हैं. उन्हें जिम्मेदारियों से न लादें.

कैसी हो कामकाजी महिलाओं की जीवनशैली

कामकाजी महिलाएं चाहे आज की हों या पिछली पीढ़ी की, इस में दोराय नहीं कि उन के जीवन के कुछ साल बहुत तनाव में गुजरते हैं जब तक उन के बच्चे छोटे होते हैं. दोहरी जिम्मेदारियों के बोझ के चलते तनाव व अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से घिर चुकी कामकाजी महिलाओं को अब अपने लिए समय निकालने की जरूरत है. जिन घरों में पति या अन्य परिजन कामकाज में हाथ बंटाते हैं, उन घरों में महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर पाया जाता है. पर इस के लिए कामकाजी महिलाओं का व्यवहार व स्वभाव स्वयं उत्तरदायी है.

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अगर घर में दिन में काम कराने हैं तो सास कराएगी. बच्चों को स्कूल से लाना है तो सास लाएगी. मेड से निबटना है तो सास निबटेगी. घर की सफाई, पुताई कराई है तो जिम्मा सास के सिर पर. बहुत मामलों में मिल्कीयत तो सासससुर की होती है पर उपयोग बेटेबहू करते हैं और रखरखाव का काम सासससुर पर छोड़ दिया जाता है वह भी बहू की सलाह पर जो सलाह कम आदेश ज्यादा होती है. बच्चे बीमार हों तो रातभर सास ही अस्पताल में बैठी नजर आएंगी. सास को बारबार कह दिया जाता है कि आई लव यू मौम, पर असल लव तो अपनी मां पर टपकता है सास पर नहीं. सासदामाद का रिश्ता तो शानदार है पर सासबहू में सास बेचारी स्टैप्नी है, 5वां पहिया जो घिसापिटा होता है.

पाना चाहते हैं गुलाबी स्किन तो ट्राय करें अनार का ये टोनर

टोनर नेचुरल तरीके से पोर्स को खोलने का काम करता है. आप घर बैठे भी टोनर बना सकती हैं .जिसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसके लिए बहुत बड़ी कीमत नहीं चुकानी पड़ती है और इसका कोई साइड-इफेक्ट भी नहीं होता. ये टोनर आपके चेहरे को हाईड्रेटेड रखता है और पोषण भी प्रदान करता है जिससे आपकी स्किन की समस्याएं कम हो जाती है. आज की अस्त-व्यस्त जीवन शैली में छोटी छोटी बातें हमारी स्किन पर भी बहुत खूब प्रभाव डालती हैं खराब खाने की आदतें प्रदूषण धूल भुट्टे के कारण चेहरे की स्किन पर पिंपल्स दाग धब्बे मुंहासे जैसी परेशानियां जन्म लेने लगती हैं इन से निजात पाने के लिए हम लोग केमिकल ब्यूटी प्रोडक्ट्स का सहारा लेने लगते हैं यह शुरू शुरू में तो फायदा करते हैं लेकिन बाद में इनका भी स्किन पर बुरा प्रभाव पड़ता है. एक बार अनार से बने टोनर का प्रयोग करके देखें आप बाजार के टोनर को भूल जाएंगी.इस टोनर में एंटीऔक्सीडेंट होता है जो स्किन को पुनर्जिवित कर देता है और मुलायम बनाने में भी मदद करता है.

अनार टोनर के हैं कईं फायदें

अनार में विटामिन-सी ,एंटी-एजिंग होता है जो बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करता हैं. अनार में मौजूद एंटीऔक्सीडेंट स्किन की कई समस्या जैसे- सूजन, जलन, खुजली और लालीपन और स्किन के दाग-धब्बों को भी कम करते हैं. अपने प्राकृतिक गुणों के कारण यह स्किन की रंगत को भी निखारता है और स्किन के कोलेजेन को बूस्ट करता है जिससे स्किन में लचीलापन  बढ़ता है.

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हमें चाहिए

1/2 अनार

1/2 कप पानी

1 ग्रीन-टी बैग

1 चम्मच गुलाब जल

ऐसे बनाएं

एक बर्तन में  थोड़ी देर पानी  उबलने दें फिर उसमें ग्रीन-टी बैग डालें और 2 मिनट के लिए छोड़ दें. अब इसे ठंडा होने के बाद टी-बैग को निकालें व ठंडा होने दें. बाद में गुलाब जल डालें और अच्छी तरह से मिलाएं. अब अनार का जूस निकालें और उसे  मिलाये व अच्छी तरह मिक्स करें .  इस मिश्रण को स्प्रे बोतल में भर लें.

ऐसे करें इस्तेमाल:

इस टोनर को रूई से या फिर  इसे अपने चेहरे और गर्दन पर सिर्फ स्प्रे करें और फिर हल्के हाथों से मसाज करें और सूखने के लिए छोड़ दें.

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Nach Baliye 9 के सेट पर हादसे का शिकार हुईं श्रद्धा आर्या, पार्टनर ही बना वजह

छोटे पर्दे की पौपुलर एक्टर श्रद्धा आर्या इन दिनों डांस के सबसे बड़े रिएलिटी शो ‘नच बलिए’ सीजन 9 में अपने जलवे बिखेरती हुईं नजर आ रही हैं. श्रद्धा ने इससे पहले कई सीरियल्स में काम किया है जिसे औडियंस ने काफी पसंद भी किया गया है जैसे कि, ‘मैं लक्ष्मी तेरे आंगन की’, ‘तुम्हारी पाखी’, ‘कुमकुम भाग्य’, ‘कुंडली भाग्य’, आदि. जैसे जैसे ‘नच बलिए’ सीजन 9 का फिनाले नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे कंटेस्टेंटस के दिलों की धडकनें भी बढ़ती जा रही हैं. हर कंटेस्टेंट अपनी डांस परफौमेंस को ओरों से बेहतरीन बनाने की कोशिश में लगा हुआ हैं और इसी के चलते कंटेस्टेंटस को काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ रहा है.

डांस परफौर्मेंस के दौरान घायल हुई श्रद्धा

डांस परफौर्मेंस की शूटिंग के दौरान श्रद्धा आर्या अपने सिर के बल गिर पड़ी और घायल हो गईं. कुछ समय के लिए तो उन्हें खुद पता नही चला कि उनके साथ ये हुआ क्या है. उनका मानना है कि उनके इस तरह से गिरने का कारण उनके डांस पार्टनर की पकड़ का ढ़ीला पड़ना है.

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अधूरी नही छोड़ी परफौर्मेंस

खबरों से मिली जानकारी के अनुसार जब श्रद्धा आर्या और उनके डांस पार्टनर आलम मकर शूटिंग करते हुए स्टंट परफौर्म पर रहे थे तब आलम की पकड़ थोड़ी कमजोर पड़ गई थी जिसकी वजह से श्रद्धा सिर के बल गिर पड़ी. डांस पर्फोर्मेंस के चलते इस घटना को देख हर काई परेशान हो गया पर खुशी की बात ये है कि सिर पर चोट लगने के बावजूद अपने आप को संभालकर श्रद्धा ने अपना परफौमेंस पूरा किया जिसे देख सारे हैरान थे और सभी इस जोड़ी की तारीफ करने लगे.

इसके बाद श्रद्धा आर्या ने सबको इस बात की जानकारी दी की ये एक्ट उनके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था, और उनको हर एक स्टैप ठीक से करना पड़ रहा था जिसमें उनहे काफी मुश्किल हो रही थी. इसके आगे श्रद्धा ने दर्शकों को इस घटना के बारे में भी बताया कि, “जब हम दोनों जज और औडियंस के सामने इस डांस को परफौर्म कर रहे थे उस समय अचानक से आलम के हाथ की पकड़ ढ़ीली पड़ गई, जिसकी वजह से मैं नीचे गिर गई. शुक्र है कि मुझको ज्यादा चोट नहीं लगी. यह बात अलग है कि जिंदगी में इस तरह का डांस करने का एक्सपीरियंस मेरे लिए काफी अनोखा था”.

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बता दें, ये पहली बार नहीं है जब इस तरह का कोई हादसा हमें देखने को मिला है बल्कि शो ‘नच बलिए’ के इसी सीजन मे कुछ हफ्ते पहले शांतनु माहेश्वरी और नित्यामी शिर्के भी अपनी डांस प्रैक्टिस करते समय घायल हो गए थे. श्रद्धा आर्या अच्छी डांसर होने के साथ-साथ बेहद टैलेंटिड एक्टर भी हैं. श्रद्धा ने कई फिल्मों में काम किया है जिसमें से उन्होंने हिंदी के अलावा, ‘तेलुगू’, ‘मल्यालम’, ‘पंजाबी’, और ‘तमिल’ फिल्मों में भी अपने किरदार निभाए हैं.

‘नायरा’ की इस आदत से बेहद परेशान है ‘कार्तिक’, ऐसे हुआ खुलासा

स्टार प्लस के सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ से फैंस के दिल में जगह बनाने वाले कार्तिक-नायरा यानी मोहसीन खान और शिवांगी जोशी की कैमेस्ट्री के बारे में आप सभी जानते हैं. औनस्क्रीन हो या औफस्क्रीन दोनों साथ में टाइम बिताना पसंद करते हैं. वहीं फैंस को भी कार्तिक और नायरा की जोड़ी इतनी पसंद है कि सोशल मीडिया पर दोनों की फोटोज अक्सर शेयर करते रहते हैं, लेकिन हाल ही में इंटरव्यू के दौरान मोहसीन ने शिवांगी के बारे में ऐसी बात बताई जो उन्हें बेहद परेशान कर देती है. आइए आपको बताते हैं शिवांगी के बारे में मोहसीन ने ऐसा क्या कहा…

सेट पर बहुत हंसतीं है नायरा

हाल ही में मोहसीन ने एक इंटरव्यू के दौरान शिवांगी की टांग खींचते हुए कहा था कि वह ‘ये रिश्ता कहलाता है’ के सेट पर कभी-कभी इतना हंसती है कि वह उनकी हंसी जल्दी बंद नहीं होती. यहां तक की डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर के कहने के वाबजूद भी उनकी हंसी नहीं रुक पाती है.

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इमोशनल सीन में भी काफी हंसती हैं नायरा

मोहसीन ने ये भी खुलासा किया कि कई बार तो इमोशनल सीन्स के बीच अगर ऐसा होता है तो शिवांगी को शांत कराना किसी के भी बस की बात नहीं होती है. खैर मोहसीन की टांग खिंचाई के बाद शिवांगी ने बताया कि वह इमोशनल सीन्स को करने के लिए अपनी जान लगा देती है. कई दफा तो ऐसा भी हो जाता है कि सीन में जान भरने के लिए वह सचमुच रोने लग जाती है.

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बता दें, शो के दौरान हुई मोहसीन और शिवांगी की पहली मुलाकात से ही दोनों की कैमेस्ट्री इतनी अच्छी है कि अक्सर दोनों के लिंकअप की खबरों से आती रहती हैं. आनस्क्रीन जहां दोनों एक दूसरे के बिना जी नहीं पाते है वहीं असल जिंदगी में भी एक दूसरे के इमोशंस को समझते हैं. साथ ही एक दूसरे के साथ मस्ती मजाक भी खूब करते हैं.

देशभक्ति पर जौन अब्राहम का बयान, कहा- मैं देशभक्त हूं, राष्ट्रवादी नहीं

मौडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता जौन अब्राहम ने फिल्म ‘जिस्म’ से हिंदी फिल्म में डेब्यू किया, जिसमें उनके काम को सराहना मिली और उन्होंने पुरस्कार भी जीता. इसके बाद उनकी आई कई फिल्में फ्लौप रही, लेकिन फिल्म ‘धूम’ ने उन्हें फिर से एक बार दर्शकों का पसंदीदा बना दिया. यही वजह है कि वे अब किसी भी फिल्म को सावधानी से चुनते है. अगर स्क्रिप्ट अच्छी हो तो वे मल्टी स्टारर फिल्मों में काम करने से भी मना नहीं करते, क्योंकि ऐसी फिल्मों में काम करने से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलता है. फिल्म ‘बाटला हाउस’ के प्रमोशन पर उनसे बात हुई पेश है कुछ अंश.

सवाल- रियलिस्टिक फिल्म में पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाना कैसा लगता है ?

बहुत अच्छा लगता है, जब एक कलाकार के देश प्रेम को अभिनय के द्वारा दिखाए जाने का अवसर मिलता है और मेरी कद काठी एक पुलिस अधिकारी से मैच करती है तो और अधिक खुशी मिलती है, क्योंकि मेरे लिए डीसीपी संजीव कुमार यादव की भूमिका निभाना अपने आप में बड़ी बात है. जब निर्देशक निखिल आडवाणी ने इस कहानी को पढ़ने के लिए दिया, तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा. ये आज के जमाने के लिए बहुत ही अच्छी फिल्म है, जिसे दिखाई जानी चाहिए. मैं इसे आंशिक रूप से प्रोड्यूस करने के लिए भी राज़ी हो गया, क्योंकि इस कहानी को मुझे कहनी है.

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सवाल- ऐसी रियल कहानी कहते समय किस बात का ध्यान रखना पड़ता है, ताकि कोई इससे आहत न हो, आपकी कोशिश या रिसर्च किस तरह की होती है?

मैं अपने माता-पिता दोनों तरफ से एक माइनौरिटी बैकग्राउंड से हूं. मैंने कभी भी किसी को आहत करने की कोशिश नहीं की है. रियल लाइफ के चरित्र में क्रिएटिव लिबर्टी तो आप ले सकते है, लेकिन कितनी हद तक आपको लेना है उसे सोचना पड़ता है. मैंने इस फिल्म में थोड़ी सी भी क्रिएटिव लिबर्टी नहीं ली है. असल कहानी जैसे है वैसे ही दिखाने की कोशिश की है. मैं संजीव कुमार यादव से कई बार मिल चुका हूं और उस समय जो बीती थी, उसे समझने की कोशिश किया है. बाटला हाउस के बाद संजीव कुमार का मानसिक स्तर कैसा था उसे जाना, क्योंकि इसके बाद वे काफी दुखी हुए थे और आत्महत्या तक करने की कोशिश की थी. उनका पारिवारिक जीवन भी बहुत ख़राब हो चुका था, उनकी पत्नी घर छोड़ देना चाहती थी. ऐसे में रियल कहानी को डोक्युमेंट्री न बनाकर मनोरंजक बनाने की कोशिश की गयी है, जो बहुत कठिन था.

सवाल- पिछले कुछ समय से आप एक अच्छे कलाकर बन चुके है और अच्छी फिल्में भी कर रहे है ऐसे में प्रोडक्शन में उतरने की वजह क्या रही?

मैं प्रौड्यूसर इसलिए बना, क्योंकि मुझे सही तरह की फिल्में नहीं मिल रही थी, जो मैं करना चाहता था. मेरी प्रतिभा को लोगों ने तब जाना, जब मैं निर्माता बना. फिल्म विकी डोनर बनने के बाद कई इस तरह की फिल्में बनी. फिल्म ‘मद्रास कैफे’ बनने के बाद उस तरह की कई और फिल्में बनी. मैं एक ट्रेंड सेटर बना और सबको लगा कि फिल्मों की ओर मेरी सोच अच्छी है.

सवाल- फिल्म निर्माण करते समय किस बात का खास ध्यान देते है?

मैंने बहुत कम बजट में फिल्में बनाई है और मैंने लक्ज़री पर खर्च नहीं किया. बड़े सेट मैंने नहीं बनाएं, लेकिन अपने दिमाग का इस्तेमाल कर अच्छी कहानी कम बज़ट में कहने की कोशिश की और फिल्में सफल रही. इसके अलावा मैं पहले से अब अपने काम को बहुत अधिक एन्जौय कर रहा हूं. मैं आगे कई और फिल्में अलग-अलग विषयों पर करने की कोशिश कर रहा हूं. मैं किसी कैम्प्स या पार्टी में जाना पसंद नहीं करता.

सवाल-आपकी तुलना अक्षय कुमार से की जाती है, क्योंकि वे भी देश भक्ति पर फिल्में बनाते है, इसे कैसे लेते है?

मैं खुश हूं कि मेरी तुलना अक्षय से की जाती है, लेकिन फिल्म बनाने का कोई निश्चित फार्मूला नहीं होता. कंटेंट सही नहीं हो, तो कोई भी फिल्म चलती नहीं है. मैं अपने आपको देशभक्त कहलाना पसंद करता हूं, लेकिन राष्ट्रवादी नहीं.

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सवाल- आपकी फिल्म 15 अगस्त को रिलीज हो रही है, स्वतंत्रता दिवस को लेकर आपके बचपन की यादें क्या है?

मुझे ये दिन बहुत खास लगता है और मैंने कई बार अपनी मां से एक बड़े झंडे की सिफारिश की थी, जो मुझे नहीं मिली, पर उस दिन स्कूल जाकर झंडा फहराते हुए देखना बहुत पसंद था. उसके बाद मैं फुटबाल खेलता था. दरअसल उस दिन स्कूल में छुट्टी होने की वजह से आजादी को मैं बहुत एन्जौय करता था.

सवाल- आप यूथ को क्या मेसेज देना चाहते है?

आज के यूथ बहुत समझदार है, पर वे सोशल मीडिया के गुलाम है. उन्हें हमेशा ईमानदारी और मेहनत से आगे बढ़ने की जरुरत है. किसी को धोखा न दें, क्योंकि इससे आपका स्वभाव खराब होता है और आपकी नियत बिगड़ती है.

सवाल- आप फिटनेस फ्रीक माने जाते है, ऐसे में फिटनेस को बानाए रखने के लिए क्या कभी नहीं करते?

मैं कभी भी ड्रग्स, ड्रिंक्स, जंक फूड्स, फ्राइड फूड्स आदि नहीं लेता. ऐसा मैं पिछले 25 साल से करता आ रहा हूं. लोग कहते है कि मेरे टेस्ट बड्स ख़त्म हो गए है, पर ऐसा नहीं है. स्वस्थ शरीर के लिए हमेशा अनुसाशित होना जरुरी है. इसमें सबसे अधिक आपके खान-पान पर ध्यान देने की जरुरत होती है. जो मुझे वैसे खाने औफर करता है, उसे मैं दुशमन मानता हूं. आपको अपने खाने की आदतों को स्ट्रिक्टली फौलो करना चाहिए, क्योंकि जब आप बीमार पड़ते है, तो परिवार के अलावा कोई भी आपके पास नहीं भटकता.

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Xiaomi और Realme आमने-सामने! जल्द पेश करेंगी दमदार स्मार्टफोन्स

शाओमी और रियलमी यूथ के बीच सबसे पौपुलर स्मार्टफोन ब्रान्ड में से एक हैं. इस बात का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वर्तमान समय में शाओमी का भारतीय स्मार्टफोन मार्केट के 28% हिस्से पर कब्जा है और वहीं रियलमी ने बहुत तेजी से 9% हिस्से पर अपनी पकड़ बना ली है. इसकी वजह सिर्फ एक है और वो है वैल्यू फौर मनी स्मार्टफोन उपलब्ध कराना. इसका मतलब है कम से कम कीमत में अच्छे से अच्छे फीचर्स और स्पेसिफिकेशन वाला स्मार्टफोन ग्राहकों को उपलब्ध कराना.

आने वाले कुछ दिनों में इन दोनो ही ब्रान्ड्स की ओर से दो शानदार स्मार्टफोन बाजार में आने वाले हैं. हम आपको दोनो ही स्मार्टफोन्स के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराएंगे ताकि आने वाले फेस्टिव सीजन में अगर आप भी स्मार्टफोन खरीदने जा रहे हैं तो चुन सकें कि आपके लिए बेहतर क्या रहेगा?

Xiaomi का Mi A3

भारतीय बाजार में शाओमी जल्द अपना Mi A3 स्मार्टफोन लॉन्च करने वाला है. ये शाओमी के एंड्रौयड वन सीरीज के तहत आने वाला तीसरा स्मार्टफोन होगा. इससे पहले Mi A1 और Mi A2 लौन्च किए जा चुके हैं. शाओमी के एंड्रौयड वन सीरीज के फोन्स में आपको स्टौक एंड्ऱौयड देखने को मिलता है. दरअसल किसी भी ब्रैन्ड के स्मार्टफोन जो एंड्रौयड वन सीरीज के तहत आते हैं उनमें गूगल का स्टॉक एंड्ऱौयड और काफी हद तक पिक्सल फोन जैसा एक्सीपीरिएंस मिलता है. शाओमी के अन्य स्मार्टफोन्स में MIUI स्क्रीन मिलती है।

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अब बात कर लें आने वाले फोन के फीचर्स के बारे में तो इस फोन में आपको स्नैपड्रैगन 665 प्रोसेसर मिलेगा. इसके अलावा इसमें आपको 4 जीबी रैम और 64 जीबी व 128 जीबी स्टोरेज वेरिएंट मिलेगा. इसमें एक 6.08 इंच एचडी+ (720×1520 पिक्सल) एमोलेड डिस्प्ले है. इसका आस्पेक्ट रेशियो 19:9 है. फोन के आगे और पीछे कौर्निंग गोरिल्ला ग्लास 5 का इस्तेमाल हुआ है. साथ ही इसमे इन डिस्पले फिंगरप्रिंट सेंसर भी मिलेगा. बात करें कैमरा सेटअप की तो इसमें 48 मेगापिक्सल का प्राइमरी सेंसर और 8 मेगापिक्सल का सेकेंडरी सेंसर मिलेगा जो कि वाइड-एंगल लेंस के साथ आएगा. फ्रंट में आपको 32 मेगापिक्सल का सेल्फी कैमरा मिलेगा.

Realme 5 और Realme 5 Pro

रियलमी चार रियर कैमरे वाले नये स्मार्टफोन आने वाले दिनो में भारतीय मार्केट में लौन्च करने जा रही है. इसका खुलासा फ्लिपकार्ट पर हुआ है. ये फोन कंपनी की नई रियलमी 5 सीरीज़ का हिस्सा होंगे. इनमें से एक फोन में अल्ट्रा-वाइड एंगल लेंस भी जरूर होगा. बता दें कि हाल ही में रियलमी ने अपने पहले 64 मेगापिक्सल कैमरा फोन की तकनीक से पर्दा उठाया था. आने वाले स्मार्टफोन्स में इस कैमरे के इस्तेमाल होने की भी पूरी संभावना है. अभी तक की मौजूद जानकारी के अनुसार रियलमी का 64 मेगापिक्सल कैमरे वाला फोन भारत में दिवाली यानी 27 अक्टूबर से पहले लौन्च होगा।

फ्लिपकार्ट से मिली जानकारी के अनुसार ये फोन भारत में 20 अगस्त को लौन्च होंगे. इसके अलावा फ्लिपकार्ट पर एक वीडियो टीज़र भी ज़ारी हुआ है. इसमें रियलमी फोन का पिछला हिस्सा नज़र आ रहा है. खासकर चार रियर कैमरों वाला सेटअप, एलईडी फ्लैश मौड्यूल के साथ इसमें दिखाई दे रहा है.

आने वाले समय में रियलमी 5 सीरीज के स्मार्टफोन्स को लेकर और जानकारी सामने आएगी. हम सारी जानकारी आप तक पहुंचाते रहेंगे.

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दीपिका और शोएब के घर आया नया मेहमान, वायरल हुई PHOTO

छोटे पर्दे की मशहूर एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ सीरियल ‘ससुराल सिमर का’ में काम कर सबकी फेवरेट बहू बन गई थीं और तो और दीपिका फेमस रिएलिटी शो ‘बिग बौस’ सीजन 12 की विनर भी रही हैं. वहीं इन दिनों दीपिका स्टार प्लस के सीरियल ‘कहां हम कहां तुम’ में करण ग्रोवर के साथ कैमिस्ट्री बनाती हुई नजर आ रही हैं. दीपिका ने पिछले साल अपने सीरियल ‘ससुराल सिमर का’ के को-स्टार शोएब इब्राहिम से पिछले साल 23 फरवरी को शादी की थी. दोनों एक दूसरे से सीरियल शो के चलते ही मिले थे और उसी दौरान वे काफी अच्छे दोस्त भी बन गए थे.

खास बात ये है कि दीपिका कक्कड़ और शोएब इब्राहिम के घर एक नया मेहमान आया है जिसको ले कर दीपिका और शोएब बेहद एक्साइटेड नज़र आ रहे हैं. हाल ही में दीपिका ने खुद को ही एक ‘बी.एम.डब्लयू’ कार गिफ्ट की है. दीपिका और शोएब ने इस नए मेहमान आने की खबर अपने-अपने औफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट से अपने फैंस को दी.

 

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Welcoming my Dream Car!!! Alhamdulillah ?? #gratitude #Blessed

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जहां दीपिका कक्कड़ ने खुद ये ‘बी.एम.डब्लयू’ कार खरीद अपना सपना सच कर दिखाया तो वहीं शोएब इब्राहिम भी कहां पिछे रहने वाले थे. कुछ दिनों पहले ही शोएब ने भी अपना एक सपना सच कर दिखाया. बीते दिनों शोएब ने अपनी पसंदीदा बाइक ‘दुकाती’ खरीदी थी जिस पर बैठ दीपिका और शोएब दोनों ने काफी फोटोज फैंस के बीच शेयर की थी.

 

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Perfect weather it was for her first ride on my bike and our perfect chai!! #perfectweather #mumbaikibaarish #chailovers #shoaika

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दीपिका कक्कड़ द्वारा खुद को दिए जाने वाले इस बहतरीन तोहफे को देख पति शोएब इब्राहिम बहुत खुश हुए और फोटोज शेयर करते हुए कुछ इस अंदाज में दीपिका को दी बधाई. शोएब ने लिखा कि, ‘उन्होंने अपने सभी नहीं कर सकती हूं वाले काम कर सकती हूं में तब्दील किए है और अपने सपने प्लान्स में बदले हैं। तुम्हारे सपने के हकीकत में बदलने पर ढेर सारी शुभकामनाएं. तुम पर गर्व है.’

बता दें, दीपिका कक्कड़ और शोएब इब्राहिम की शादी काफी चर्चा मे भी रही थी. पति शोएब इब्राहिम ने पत्नी दीपिका कक्कड़ का हर बात में साथ दिया है और दोनों हर बार एक दूसरे की खुशी में खुश होते दिखाई दिए हैं. इंडिया में इस ‘बी.एम.डब्लयू’ कार की कीमत करीब 70 लाख से भी ऊपर है. दीपिका की फोटोज में उनकी ननद सबा भी दिखाई दीं जो कि बहुत खुश लग रही थीं.

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