चौकलेट पेडीक्योर से कहें क्रैक हील्स को बाय-बाय

“आपके पैर बड़े खूबसूरत हैं इन्हें जमीन पर मत उतारिएगा”!! ये मशहूर डायलोग फिल्म पाकिजा से है जिसमें मीना कुमारी के पैरों की खूबसूरती की तारीफ करने के लिए राजकुमार कहते है. आज वह दोनों किरदार नहीं लेकिन आज भी लड़कियां इस डायलौग के लिए तरसती हैं.कौन सी ऐसी महिला या लड़की होगी जो नहीं चाहेगी कि उसके पैर खूबसूरत दिखें?

अकसर फटी एड़ियां ना सिर्फ आपके पैरों में दर्द देती हैं बल्कि उनकी खूबसूरती को भी कम कर देती हैं. अब आपको किसी फंक्शन या पार्टी में जाना हो तो एड़ियों को छुपाने की जरूरत नहीं. बल्कि आप अपने सुंदर-सुंदर पैरों को बेहिचक दिखाएं. बस आपको इसके लिए चौकलेट पेडिक्योर करना है.

जी हां चौकलेट पेडीक्योर पैरों में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में मदद करता है. साथ ही स्किन को मौइश्चर मिलता है. चौकलेट पेडीक्योर आप आसानी से घर पर भी कर सकती हैं. तो आइए आपको बताते हैं कि कैसे हो चौकलेट पेडीक्योर घर पर.

हमें चाहिए

4 ½ कप पिघली हुई चौकलेट

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2 कप दूध

थोड़ा शहद

एक टब  गर्म पानी

चाकलेट स्क्रब

मौइश्चराइजर

नेल फाइलर किट

लगाने का ये है तरीका

इस के लिए सबसे पहले नाखूनों को साफ करें और काटकर  शेप दें. अब एक बाल्टी गुनगुने पानी में थोड़ा सा सेंधा नमक डालें व 10-15 मिनट तक पैर भिगोकर रखें.

इसके बाद चौकलेट और दूध का  पेस्ट बनायें. अब इस पेस्ट में पैर डालें. कम से कम 20 मिनट तक. इसके बाद पैर धो लें और  स्क्रब करें. चाहे तो  घर पर ही चौकलेट स्क्रब  तैयार कर सकती हैं. 5-10 मिनट तक पैरों की स्क्रबिंग के बाद  ठंडे पानी से पैरों को साफ करें. फिर मौइश्चराइजर लगाकर 2 मिनट तक मसाज करें. बाद में अपनी पसंद का नेल पेंट लगाएं.

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 जानें क्या है फायदे:

स्किन को हाइड्रेट और मौइश्चराइज कर सुंदरता निखारने में सहायक है. चौकलेट सिर्फ टेस्ट के लिए ही नहीं पैरों के लिए भी बेस्ट है.

4 टिप्स: ऐसे रखें दिल का खास ख्याल

अपनी पूरी जिंदगी हम यह मानते हैं कि कोलेस्ट्रौल दिल से जुड़ी बीमारी का एकमात्र कारण है. वास्तव में यह आम धारणा है कि शरीर में बहुत अधिक कोलेस्ट्रौल हमारे दिल से जुड़ी की धमनियों को अवरुद्ध करने के लिए जिम्मेदार है, जिस के चलते अकसर सीने में दर्द होता है और चरम पर होने पर दिल का दौरा पड़ता है. बहरहाल, सच्चाई इस से कहीं ज्यादा जटिल है. आइए, सब से पहले एक नजर डालें कि कोलेस्ट्रौल वास्तव में है क्या. यह यकृत (लिवर) द्वारा निर्मित एक वसीय पदार्थ है, जिस का उपयोग शरीर के हजारों कार्यों को करने में मदद के लिए होता है. करीब 75% कोलेस्ट्रौल का उत्पादन लिवर करता है, बाकी हमारे द्वारा खाए गए भोजन से मिलता है. हमारा शरीर कोशिका झिल्लियों (सेल मेम्ब्रेन)के निर्माण में सहायता के लिए इस का इस्तेमाल करता है. इस के बिना हम पर्याप्त हार्मोनल संतुलन बनाए नहीं रख पाएंगे. कोलेस्ट्रौल एक व्यापक पारिभाषिक शब्द है, जो अच्छे कोलेस्ट्रौल और खराब कोलेस्ट्रौल दोनों को दर्शाता है. लोग आमतौर पर कोलेस्ट्रौल शब्द का इस्तेमाल बैड कोलेस्ट्रौल के लिए ही करते हैं, जिसे अकसर दिल के रोगों के लिए जिम्मेदार एकमात्र कारक माना जाता है. वैसे यह सच नहीं है.

दिल से जुड़ी दिक्कतों के कई कारण होते हैं. ब्लौकेज, सूजन और जलन, खराब जीवशैली, तनाव कुछ ऐसे ही कारण हैं, जबकि दिल से जुड़ी की समस्याओं में कोलेस्ट्रौल का योगदान केवल 30% होता है. इसलिए केवल कोलेस्ट्रौल पर काबू पाने पर फोकस करने के बजाय आदर्श रूप में आप दिल की संपूर्ण देखभाल के लिए समाधानों की तलाश कर सकते हैं और वह भी कम उम्र से ही .

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आप दिल के लिहाज से एक सेहतमंद जीवनशैली अपना कर दिल से जुड़े रोगों की रोकथाम कर सकते हैं. आप के दिल से जुड़ी के बचाव में मदद करने वाली रणनीतियां ये हैं:

1. खानपान हो अच्छा

सेहतमंद खानपान से आप को दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा कम हो सकता है. फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर आहार दिल की रक्षा में मदद कर सकता है. खानपान में बहुत ज्यादा नमक अनाज से भरपूर आहार दिल की रक्षा में मदद कर सकता है. खानपान में बहुत ज्यादा नमक और चीनी से दूर ही रहें. संतृप्त वसा का सीमित सेवन महत्त्वपूर्ण है. इस दिशा में पहला कदम खाना पकाने के लिए ऐसा तेल चुनना है, जिस में दिल की सेहत की परवाह करने के लिए उचित तत्त्व सही अनुपात में हों. तेल ओमेगा-3 से समृद्ध होना चाहिए और उस में ओमेगा-6 व ओमेगा-3 के बीच का अनुपात भी आदर्श होना चाहिए. उस में विटामिन ए, डी, ई और औराइजेनौल जैसे पोषक तत्त्व भी होने चाहिए. सेहत से भरे खानपान का मतलब शराब और तंबाकू के सेवन पर सतर्क निगाह रखना भी है.

2. वजन सीमा में रखें

ज्यादा वजन होने का मतलब है कमर के आसपास अतिरिक्त वसा जमाए रखना. यह दिल से जुड़ी बीमारी के खतरे को बढ़ाता है. दिनचर्या में नियमित व्यायाम शामिल करने से दिल से जुड़ी रोगों का खतरा कम हो सकता है. जब आप सही मात्रा में भोजन लेने के साथसाथ जीवनशैली में शारीरिक गतिविधियां भी जोड़ लेते हैं, तो इस का असर और भी बढि़या होता है.

3. तनाव को काबू में रखें

तनाव को प्रबंधित करने के लिए रिलैक्स करने वाले अभ्यास या ध्यान जैसे वैकल्पिक तरीकों की तलाश आप के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है.

4. रात को पूरी नींद अवश्य लें

जिन्हें पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती, उन में मोटापा, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा पड़ने, मधुमेह और अवसाद का खतरा अधिक होता है. हर वयस्क के लिए हर रात 7-8 घंटे की नींद बहुत जरूरी है.

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द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ के एक अध्ययन के अनुसार, भारत पर पड़ने वाले बीमारियों के कुल बोझ में दिल के रोगों का योगदान 1990 के बाद से लगभग दोगुना हो गया है. इस आंकड़े पर विचार करते हुए यह समझना बेहद महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि अकेले उच्च कालेस्ट्रौल में कमी लाना ही दिल से जुड़ी की सेहत की गारंटी नहीं दे सकता, क्योंकि इस में कई अन्य कारकों की भी भूमिका होती है. वक्त आ गया है कि आप अपने दिल से जुड़ी की जिम्मेदारी स्वयं लें और समग्र रूप से इस के लिए सेहतमंद जीवनशैली पर चलना शुरू करें.

शिल्पा शेट्टी ने किया भारत की पहली मीट-बेस्ड स्प्रेड रेंज का शुभारंभ

भारत के पहले और एकमात्र मीट फूड ब्रांड लिसियस ने पैकेज्ड फूड श्रेणी में भारत की पहली मीट-आधारित-स्प्रेड रेंज का आज मुंबई में आयोजित एक भव्य समारोह में बौलीवुड की मशहूर अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के हाथों लांच किया. कंपनी का मानना है कि इस नए उत्पाद के आने से भारत में मीट खाने वाले भारतीयों के उपभोग के स्टाइल में बदलाव आएगा. कंपनी गत पांच साल से इस कारोबार में हैं और अब कंपनी अपने ग्रोथ के मद्देनजर विभिन्न उत्पादों के साथ विविधीकरण करने जा रही है. कंपनी की जल्द ही और नए उत्पाद शुरु करने की योजना है.

लौन्च के अवसर पर कंपनी के फाउंडर्स अभय हंजुरा और विवेक गुप्ता ने कहा कि हमने औनलाइन बिक्री के जरिए ताजा और रौ मीट के उत्पादों की बिक्री के जरिए न केवल रौ और फ्रैश मीट की श्रेणी में मुख्य मुकाम हासिल किया है बल्कि प्री-मैरीनेटेड मीट और बौटल्ड स्प्रेड में रेडी-टू-कुक (आरटीसी) और रेडी-टू-ईट (आरटीई) कैटेगरी में भी काफी आगे निकल गए हैं. हमने अपने उत्पादों की श्रेणी में वृद्धि की है.

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लिसियस के नए उत्पाद के लांच अवसर पर मुख्य अतिथि शिल्पा शेट्टी कुंद्रा ने कहा कि एक माँ और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक इंसान होने के नाते मैं दैनिक खाद्यों और अपने लाइफ स्टाइल के व्यस्ततम क्षणों से अवगत हूं. यह हमारे रोजमर्रा के जीवन में एक चुनौती रहती हैं. अक्सर कहा जाता है कि हम वही खाते हैं जो हम चाहते हैं. इसलिए उसमें क्वालिटी रहनी ही चाहिए.

भारत में स्प्रेड मार्केट 800 मिलियन अमेरिकी डौलर का है और इसमें हर साल 16 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है. बटर, जैम, चौकलेट स्प्रेड और मेयो-आधारित स्प्रेड प्रमुख उत्पाद रहे हैं जबकि मीट खाने वालों के लिए बहुत ही कम ऑफर रहे हैं. चूंकि भारत में 72 प्रतिशत भारतीय मीट का सेवन करते हैं, लिसियस को यहां बड़ा बाजार मिलने की संभावना है औऱ कंपनी इसके लिए भरसक प्रयास में लगी है. कंपनी शुरुआत में छह विशिष्ट स्वाद वाले मीट स्प्रेड- बटर चिकन, कॉन्टिनेंटल चिकन, हनी-मस्टर्ड चिकन, शावरमा चिकन, स्वीट टैमरिंड चिकन और हर्बी-टोमैटो चिकन पेश कर रही है.

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न्यू बौर्न बेबी के लिए बेस्ट है टच थेरैपी

बच्चे को नहलाने से पहले तेल मालिश उस की हड्डियों को मजबूत और स्किन को सुंदर बनाती है. यही वजह है कि अधिकांश घरों में  तेल, क्रीम और लोशन से बच्चे की मालिश की जाती है. मगर बच्चे की मालिश से पहले डाक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है ताकि आप बच्चे को सही तेल की मसाज दे सकें. बच्चे की स्किन बेहद नाजुक और संवेदनशील होती है. अत: थोड़ी सी लापरवाही भी उस की स्किन के लिए खतरा बन सकती है.

इस बारे में नवी मुंबई के मदरहुड हौस्पिटल के डा. सुरेश बिराजदार बताते हैं कि मालिश बच्चे के लिए लाभदायक होती है. इस से बच्चे में चुस्ती और फुरती आती है, शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, जिस से उस का अच्छा विकास होता है.

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दरअसल, मालिश एक टच थेरैपी है, जिसे अधिकतर माएं करती हैं. मां के मालिश करने से उस का प्रभाव बच्चे पर अधिक रहता है, धीरेधीरे बच्चे का मां से संबंध प्रगाढ़ होता है. यही नहीं मालिश से कई बीमारियां भी दूर होती हैं. रोजाना मालिश से शिशु खुश रहता है.

आजकल कई घरों में मालिश मेड से करवाई जाती है, जिस का फायदा तो है पर मां को आसपास रह कर शिशु से इमोशनल बौंडिंग को मजबूत करने की जरूरत होती है. वैसे तो मां के साथ बच्चे का जुड़ाव जन्म से ही होता है, क्योंकि बच्चा उस की कोख से जन्म लेता है, लेकिन मसाज एक शारीरिक स्पर्श है, जो उसे और अधिक सिक्योर महसूस कराती है.

कब तक करें

डाक्टर सुरेश कहते हैं कि पहले साल बच्चे को मसाज देने की अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि इस के बाद वह खुद अधिक ऐक्टिव होने लगता है, इधरउधर की चीजें ऐक्स्प्लोर करने लगता है. वह सोना नहीं चाहता. ऐसे में अधिक मसाज की जरूरत नहीं होती. इन्फैंट को मसाज देने की अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि वे अधिक देर तक बिस्तर पर लेटे रहते हैं. अगर बच्चा मसाज को ऐंजौय करता है, तो ढाई साल तक मसाज करना अच्छा रहता है. इस के निम्न फायदे हैं:

– मालिश से रक्तसंचार बढ़ता है.

– शिशु की हड्डियां और मसल्स मजबूत होती हैं.

– शारीरिक विकास सही होता है.

– मसाज के बाद बच्चे को भूख लगती है.

– उस की पहचानशक्ति बढ़ती है.

– अच्छी नींद आती है.

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– वजन सही रहता है.

– बच्चा चिड़चिड़ेपन से दूर रहता है.

– रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

– बच्चा अधिक ऐक्टिव रहता है.

– मां के साथ उस का भावनात्मक संबंध मजबूत होता है.

चुनें सही तेल

मसाज के लिए औयल का सही चुनाव बहुत आवश्यक है. सरसों का तेल, नारियल का तेल और औलिव औयल या बादाम का तेल ये तीनों बच्चों की मसाज के लिए अच्छे होते हैं.

अधिकतर मांएं तेल में आटा या बेसन मिला कर बच्चे की मालिश करती हैं, जिस से उस की स्किन के रोमछिद्र बंद हो जाते हैं और इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इस के अलावा कानों के पीछे, जांघों, आर्मपिट आदि जगहों में कई बार औयल रह जाता है, जिस से वहां नमी होने की वजह से इन्फैक्शन हो जाता है. इसलिए बच्चे के शरीर से औयल अच्छी तरह साफ कर लें. बच्चे की हलके हाथों से मालिश करें.

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मालिश के लिए सही समय चुनें. बच्चे को कुछ खिलाने या स्तनपान कराने के बाद मालिश कतई न करें. मालिश के बाद बच्चे के शरीर से तेल पोंछ दें और उसे कुछ देर यों ही खेलने दें. फिर नहलाएं.

क्या सलमान की फिल्म ‘दबंग 3’ में अरबाज खान की गर्लफ्रेंड जौर्जिया?

बौलीवुड के दबंग खान यानी सलमान खान अक्सर नई एक्ट्रेसेस की बौलीवुड में एंट्री करवाते रहते हैं. हाल ही खबरें थी कि सलमान के भाई अरबाज खान की गर्लफ्रेंड जौर्जिया एंड्रियानी दबंग 3 में नजर आ सकती हैं, लेकिन अब जौर्जिया ने फिल्म में एंट्री को लेकर बयान दिया है कि वह फिल्म दबंग 3 से बौलीवुड में कदम नहीं रखेंगी. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…

बौलीवुड में एंट्री को बताया अफवाह

 

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MAMMA MIA! What food ? grazie mille @roberto1981_chef #romanos #delicious

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जौर्जिया ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि, ‘दबंग 3 के साथ मेरा नाम जोड़ा जा रहा है लेकिन ये सभी अफवाहैं हैं. मुझे अरबाज खान और सलमान खान की इस फिल्म सीरीज से बहुत प्यार है लेकिन मैं इसका हिस्सा नहीं हूं. दोनों इस सीरीज को और बड़ा करने में काफी मेहनत कर रहे हैं. हो सकता है कि एक दिन मैं इसका हिस्सा बन जाऊं लेकिन दबंग 3 में मैं काम नहीं कर रही हूं.’ जौर्जिया ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा है, ‘मुझे दबंग 3 (Dabangg 3) की मेकिंग का हिस्सा बनकर काफी मजा आ रहा है. मैं इस फिल्म को दिसम्बर में देखने के लिए बहुत उत्साहित हूं.’

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साउथ की फिल्मों में आएंगी नजर

जहां एक तरफ अदाकाराएं लगातार फिल्मों का रुख कर रही हैं, वहीं जौर्जिया ने तमिल वेब सीरीज से अदाकारी में कदम रखने का फैसला किया है. जौर्जिया ने बताया है कि, ‘मैंने इस वेब सीरीज को इसलिए चुना है क्योंकि इसमें मेरा किरदार बहुत ही अच्छा है. इस किरदार को निभाने के लिए मुझे खुद को चैलेंज करना पड़ेगा. मैं इसे पर्दे पर निभाने के लिए काफी उत्साहित हूं.’

बता दें, , जौर्जिया एंड्रियानी सलमान खान के भाई अरबाज खान की गर्लफ्रेंड बनने के बाद से खबरों में छाई हुई हैं. जौर्जिया अक्सर अरबाज के साथ फैम्ली गैदरिंग और पार्टी में नजर आती हैं. अब देखना ये है कि क्या जौर्जिया एंड्रियानी दबंग 3 का हिस्सा बनेंगी या नहीं.

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अनुष्का की बिकिनी फोटो देख पति विराट ने किया ये कमेंट

टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली इन दिनों वेस्टइंडीज दौरे पर हैं. विराट के साथ उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा भी इन दिनों वेस्टइंडीज में ही हैं. अनुष्का अपने इस वेस्टइंडीज दौरे से अपनी कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं. अब हाल ही में उन्होंने अपनी बिकीनी फोटो शेयर की जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

स्विम सूट में हौट फोटो की शेयर

अनुष्का शर्मा द्वारा शेयर की कई इस फोटो में वह ओरेंज कलर का स्विम सूट में नजर आ आ रही हैं. जिसमें वो काफी हौट लग रही हैं. फोटो में अनुष्का  Beach के पास बैठे हुए मुस्कुरा रही हैं.

 

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Sun kissed & blessed ?⛱️

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अनुष्का ने फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘Sun kissed & blessed’

anushka-sharma

अनुष्का की इस फोटो पर विराट ने ये क्यूट कमेंट किया. हालांकि इस फोटो पर कई मजेदार मीम्स भी बन रहे हैं.

फैंस ने किए फोटो पर कमेंट

सोशल मीडिया पर शेयर की गई इस फोटो पर फैन्स खूब कमेंट्स कर रहे हैं. वहीं विराट कोहली भी अनुष्का की इस फोटो को देख दीवाने हो गए हैं.

बेजुबानों के लिए अनुष्का ने उठाया था ये कदम….

कुछ दिनों पहले अनुष्का ने पशु क्रूरता के खिलाफ सख्त कानून की मांग करते हुए एक अभियान की शुरुआत की है. इस कैम्पेन को हैशटैग जस्टिस फॉर एनिमल्स का नाम दिया गया है. अनुष्का ने अपराधियों को दंडित करने के लिए और कड़े कानून की मांग की है. दरअसल, कुछ समय पहले मुंबई में लकी के साथ हुई घटना से अनुष्का बेहद प्रभावित हुई थीं. लकी नाम के एक कुत्ते को एक शख्स ने इतने बुरे तरीके से पीटा जिसके चलते उसकी मौत हो गई थी. पूरे देश में पशु अत्याचार के कई भयंकर मामलों पर प्रकाश डालते हुए अनुष्का ने एक नोट पोस्ट किया था जिसमें नीति में बदलाव लाने की मांग की गई है.

 

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अनुष्का की प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो वो पिछले साल दिसंबर में आई आनंद एल राय की फिल्म जीरो में दिखीं थीं. इस फिल्म में वे बौलीवुड के बादशाह शाहरुख खान और कटरीना कैफ के साथ नजर आईं. इस फिल्म के बाद अनुष्का अभी बौलीवुड से दूर हैं लेकिन वह जल्द ही वह अपने एक वेब सीरिज को लेकर दर्शकों के सामने आने वाली हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनुष्का अपने प्रोडक्शन हाउस क्लीन स्लेट फिल्म्स के बैनर तले माई नाम की वेब सीरीज लेकर आएंगी. यह वेब सीरीज एक मध्यम आयु वर्ग की महिला के जीवन पर आधारित है, जो गलती से कुख्यात माफिया लीडर को मार देती है. जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, वह अंडरवर्ल्ड की आपराधिक और राजनीतिक दुनिया में फंसती चली जाती है. यह वेब सीरीज नेटफिल्क्स पर स्ट्रीम होगी. सीरीज को अतुल मोंगिया, तमाल सेन और अमित व्यास ने लिखा है.

बच्चों के टैंट्रम से निबटें ऐसें

दिल्ली में रहने वाली 2 ऐनर्जेटिक और स्मार्ट बच्चों की मां प्रिया अपने बच्चों के टैंट्रम से परेशान रहती हैं. वे बताती हैं कि कई दफा बच्चे कुछ अनावश्यक मांगें रखते हैं. उन्हें पूरा न किया जाए तो वे गुस्से से भड़क उठते हैं. इसी तरह भूखा होने या नींद पूरी न होने पर भी उन का टैंट्रम हाई हो जाता है.

बच्चों का टैंपर टैंट्रम प्राय: पेरैंट्स के तनाव, चिंता या फ्रस्टे्रशन की वजह बनता है. बच्चों के टैंट्रम को काबू में लाना आसान नहीं होता.

टैंट्रम यानी एकाएक गुस्से से भड़क उठना. बच्चों का टैंट्रम किसी भी रूप में जाहिर हो सकता है जैसे गुस्सा, फ्रस्ट्रेशन, रोना, चिल्लाना, चीजें तोड़ना, जमीन पर लोटना, भागना आदि. कुछ बच्चे सांस रोकने, उलटी करने या फिर एकदम आवेश में आने जैसी हरकतें भी करते हैं.

मुख्य रूप से 1 से 3 साल की उम्र के बच्चों में टैंट्रम की समस्या ज्यादा देखी जाती है, क्योंकि इस उम्र में बच्चों की सोशल और इमोशनल स्किल्स डैवलप होनी शुरू ही होती हैं. उन के पास बड़ी इमोशंस ऐक्सप्रैस करने के लिए शब्द नहीं होते. वे अधिक आजादी चाहते हैं, मगर पेरैंट्स से दूर होने से घबराते भी हैं. ऐसे में वे रास्ता ढूंढ़ रहे होते हैं जिस के जरीए अपने आसपास की दुनिया को बदलने का प्रयास कर सकें और अपनी मरजी चला सकें.

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बच्चों के टैंट्रम की मुख्य वजह

टैंपरामैंट: जो बच्चे जल्दी अपसैट होते हैं उन में टैंट्रम का खतरा भी अधिक होता है.

स्ट्रैस: तनाव, भूख, थकावट आदि.

कुछ खास स्थितियां जो बच्चों को पसंद नहीं. जैसे कोई उन के खिलौने उठा कर भाग जाए.

स्ट्रौंग इमोशंस: डर, चिंता, गुस्सा, शक आदि.

वैसे तो टैंट्रम बच्चों की विकास प्रक्रिया का एक स्वाभाविक हिस्सा है और इस से बचा नहीं जा सकता. मगर प्रयास किया जाए तो इस पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है. ध्यान रखें प्रत्येक बच्चा दूसरे से जुदा होता है. टैंट्रम पर काबू पाने के लिए एक बच्चे पर अपनाया गया ट्रिक संभव है कि दूसरे बच्चे पर फिट न बैठे.

इन तरीकों से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है:

बच्चों को व्यस्त रखें

यदि बच्चे बोरियत महसूस कर रहे हैं तो संभव है कि वे अपनी खीज और चिड़चिड़ाहट किसी न किसी रूप में बाहर निकालें और बेवजह रोनाचिल्लाना शुरू कर दें. इसलिए जरूरी है कि आप उन्हें व्यस्त रखें. उन्हें छोटीछोटी रोचक गतिविधियों में बांधे रखें या फिर दूसरे बच्चों को उन के साथ खेलने के लिए बुला लें. इस से उन पर काबू पाया जा सकता है.

कारण समझाने का प्रयास करें

जब बच्चा किसी बात की जिद करे और पूरी न होने पर चिढ़ जाए तो उसी वक्त उसे समझाने का प्रयास करें कि उस की बात न मानने की वजह क्या है. मगर यदि बच्चे का टैंपर टैंट्रम पूरी उफान पर हो तो उस वक्त उस से कुछ भी न कहें.

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रिया बताती हैं, ‘‘मेरी 7 साल की बच्ची एक दिन गुडि़या खरीदने की जिद करने लगी, जबकि हम उस वक्त एक मैडिकल शौप पर थे और मेरे पास ज्यादा रुपए भी नहीं थे. मेरे द्वारा गुडि़या के लिए न करते ही वह जोरजोर से चिल्लाने लगी. मैं ने उसे चुप कराया और प्यार से समझाया कि इस वक्त मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं हैं. फिर मैं ने उसे 2 चौइस देते हुए कहा कि या तो यहां से निकलने के बाद सैलून जा कर अपने बालों को खूबसूरत कट दिला ले या नई गुडि़या ले ले.

‘‘तब मेरी बेटी को एहसास हो गया कि उस की मरजी ही चलेगी. मम्मी वही करेंगी जो मैं करने को कहूंगी. बस उस ने 2 सैकंड सोचा और फिर बड़ी समझदारी से सैलून जाने को तैयार हो गई. इस तरह मुझे अपनी बेटी के साथ कोई जबरदस्ती नहीं करनी पड़ी और उस ने खुद ही गुडि़या लेने का विचार छोड़ दिया.’’

जाहिर है, किसी बात के लिए सीधा न कहने के बजाय बच्चे को विस्तार से उस फैसले की वजह समझानी चाहिए. इस से बच्चे को बात समझ में आ जाएगी और उस का ईगो भी हर्ट नहीं होगा.

लंबी सांस लेने को कहें

एक बार आप का बच्चा अपना टैंट्रम दिखाना शुरू कर दे तो तुरंत उस के साथ एक ऐक्सरसाइज करना आरंभ करें. आप उसे अपने पास बैठा कर गहरीगहरी सांस लेने को कहें. ऐसा करने से उस का इमोशनल रिएक्शन धीमा पड़ जाएगा. यदि वह ऐसा करने को तैयार नहीं होता तो आप खुद ही ऐसा कर के देखिए. डीप ब्रीदिंग आप को अपने इमोशंस पर कंट्रोल रखने में मदद करेगी. शोध बताते हैं कि आप इस तरह के उपाय कर के अपने पल्स और ब्रीद रेट पर काबू पा सकते हैं. इस से आप स्ट्रैस में नहीं आएंगे.

सजा न दें

सब से बड़ी गलती जो पेरैंट्स करते हैं वह यह है कि बच्चा टैंट्रम दिखा रहा हो तो उसे सजा देना. यह तरीका काम नहीं करता. ऐसे में पेरैंट्स अकसर सोचने लगते हैं कि या तो उन के बच्चे के साथ कुछ गलत है या फिर खुद उन की पेरैंटिंग में ही दोष है, जबकि ऐसा कुछ नहीं होता. खुद को थोड़ा शांत रखें, अपने पार्टनर से इस बारे में डिस्कशन करें और फिर कोई रास्ता निकालें.

उन्हें शांत कराने का प्रयास न करें

टैंट्रम दिखा रहे बच्चों को इग्नोर करें जब तक कि वे खुद के लिए खतरा पैदा न कर रहे हों. उस कमरे से बाहर निकल जाएं. यदि बच्चा गुस्से में हिटिंग, बाइटिंग, किकिंग जैसी क्रियाएं करने लगे या चीजें उठा कर फेंके तो तुरंत उसे उस जगह से हटा दें. उसे एहसास दिलाएं कि उस के द्वारा दूसरों को तकलीफ देने या चीजें तोड़ने जैसा व्यवहार स्वीकार नहीं किया जाएगा. जहां तक हो सके आप उस की हरकतों पर कोई प्रतिक्रिया न दें या फिर संभव हो तो मुसकरा दें. इस से उसे एहसास होगा कि ऐसी ऐक्टिविटीज द्वारा अपनी बात मनवाने का उस का प्रयास असरकारक नहीं है.

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‘द डिसिप्लिन मिरेकल’ की औथर लिंडा पर्सन के मुताबिक कभीकभी बच्चा अपना गुस्सा बाहर निकालना चाहता है. उसे ऐसा करने दें. अपनी फीलिंग्स बाहर निकाल कर बच्चा तनावमुक्त हो सकेगा.

गिव ए बिग हग

कई दफा टैंट्रम दिखा रहे बच्चे को एक बिग, फर्म हग देना ही पर्याप्त होता है. उसे बिना कुछ कहे बस देर तक हग करें. इस से बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस करता है और उसे एहसास होता है कि आप उस की केयर कर रहे हैं.

थकावट और भूख बच्चों के टैंट्रम के 2 सब से बड़े ट्रिगर्स होते हैं. इसलिए समय पर बच्चों को भोजन जरूर कराएं और पर्याप्त नींद लेने दें. समय पर दूध और पानी पिलाएं. उन के कंफर्ट का खयाल रखें.

सामाजिक दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन

धार्मिक कथाएं किस तरह दिमाग खराब करती हैं और किस तरह औरतों के अत्याचारों के लिए जिम्मेदार हैं, यह रामायण और महाभारत से साफ है. हजारों औरतों को देशभर में अपने पाकसाफ होने के सुबूत में हाथपैर जलाने पड़ते हैं. पति अगर आरोप लगा दे कि पत्नी की किसी से आशनाई चल रही है तो राम और सीता के प्रसंग का लाभ उठा कर घरवाले ही नहीं, बल्कि पूरा समाज औरत को अग्नि परीक्षा सी देने को मजबूर करता है, जिस में स्वाभाविक है वह दोषी पाई जाती है और सदा के लिए बदनाम हो जाती है.

इसी तरह युधिष्ठिर द्वारा द्रौपदी को जुए में हारने की कहानी इतनी बार कही जाती है कि आम लोगों में इसे सही मान कर अपनी पत्नी को दांव पर लगाने का हक सा मिल गया है. रामसीता के प्रदेश उत्तर प्रदेश में जौनपुर में एक पति ने एक बार नहीं 2 बार अपनी पत्नी को जुए में दांव पर लगा दिया और हार गया.

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जाफराबाद में पुलिस स्टेशन में जुलाई 2019 में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार एक नशेड़ी व जुआरी पति ने 2 दोस्तों के साथ जुआ खेलते हुए सबकुछ हार कर अपनी पत्नी को ही दांव पर लगा दिया. शायद उस के मन में बैठा होगा कि हारने पर कोई कृष्ण उस की पत्नी को भी बचा ही लेगा. अफसोस वह हार गया और दोनों दोस्तों ने उस की पत्नी का रेप किया, पति की इच्छा के हिसाब से.

नाराज पत्नी के पास घर छोड़ने के अलावा कोई चारा न था, क्योंकि पति ने तो धर्मनिष्ठ काम किया था, जो शायद स्वयं पत्नी की निगाह में अपराध न था. उस ने पहली बार न पुलिस में शिकायत की, न तलाक मांगा. वह घर छोड़ गई तो पति माफी मांगता पहुंचा. बेचारी हिंदू औरत उसे लौटना पड़ा, समाज का दबाव जो था. पति ने तो धर्म की मुहर लगा काम ही किया था न.

पति के सिर पर तो धर्म का भूत सवार था कि पत्नी उस की मिल्कीयत है, हाथ की घड़ी, पैरों के जूतों की तरह. उस ने उसे फिर धर्मराज युधिष्ठिर बन कर दांव पर लगा दिया. इस बार द्रौपदी नाराज हो गई. कोई कृष्ण नहीं आया बचाने के लिए तो पुलिस स्टेशन पहुंची.

अभियुक्तों को पकड़ लिया पर आगे होगा क्या? कुछ नहीं. औरत को झख मार कर लौटना पड़ेगा.

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रामायण, महाभारत का नाम ले कर तो कहानियां रातदिन इतनी बार दोहराईर् जाती हैं कि औरतों को अपना पूरा जीवन सेवा और हुक्म मानने के लिए तैयार रहना पड़ता है. जब तलाक मांगो तब अदालतें भी नहीं देतीं. उन के दिमाग में भी बैठा है कि पति के बिना पत्नी कमजोर, असहाय है. इस सामाजिक दुर्दशा के लिए भाजपा सरकार तो कुछ न करेगी. औरतों को खुद ही आगे आना होगा पर वे आएंगी तो तब न जब उन्हें पूजापाठ, व्रतों, संतों की सेवा, तीर्थयात्राओं, जलाभिषेकों, मूर्तिपूजाओं से फुरसत मिले.

सोलो ट्रिप- अकेले हैं तो क्या गम है

क्याआप भी घूमने की शौकीन हैं, लेकिन किसी का साथ न होने पर घूमने नहीं जातीं तो अब हो जाएं तैयार दुनिया की सैर पर जाने के लिए. अकेले होने का यह मतलब नहीं कि आप दुनिया की सैर नहीं कर सकतीं. सच तो यह है कि अकेले घूमने में जो मजा है वह औरों के संग नहीं. ऐसे सफर में न तो बच्चे की तबीयत की चिंता होती है और न ही हमसफर की जरूरतों की जिम्मेदारी. दिल खोल कर और टैंशन फ्री हो कर सफर का मजा लिया जा सकता है. अकेले घूमने के कई फायदे हैं, यकीनन उन्हें जानने के बाद आप अकेले घूमना शुरू कर देंगी:

खुद से मिलने का मौका

जब आप घर पर होती हैं तब बेटी, औफिस में सहयोगी और दोस्तों के बीच सहेली की भूमिका निभाती हैं, तो क्या आप का अपना कोई अस्तित्व नहीं? आप की अपनी कोई पहचान नहीं? इन सवालों के जवाब जानने हों तो निकल पड़ें अकेले सैर पर. खुद को समझने और जानने का इस से अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा. जब आप अकेले कहीं घूमने जाती हैं तब आप हमेशा अपने दिल की सुनती हैं. आप के जो मन में आता है वह करती हैं. आप पर किसी का दबाव नहीं होता. खुद को समझने और जानने का मौका भी मिलता है, जिस से सोच में सकारात्मकता आती है और सुकून का एहसास होता है.

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आत्मविश्वास से भरी होंगी आप

अगर आप के भीतर आत्मविश्वास की कमी है, तो सोलो ट्रिप आप को आत्मविश्वास से भर सकती है, क्योंकि सफर के दौरान कई नए लोगों से मुलाकात होती है तो कभीकभी कुछ परेशानियों से भी जूझना पड़ता है और उन का हल भी खुद निकालना पड़ता है. इतना ही नहीं, कई बार आप को जोखिम भरे फैसले भी खुद लेने होते हैं, जिस से आप के भीतर साहस और आत्मविश्वास दोनों बढ़ जाते हैं.

अनुभवों के साथ होगी वापसी

कहते हैं अनुभव मिनटों में बहुत कुछ सिखा जाता है, जिस से जीवन की डगर और भी आसान लगने लगती है. अपने अनुभवों से सीखने के लिए आप को नए अनुभव लेने होंगे जो घर बैठे मुमकिन नहीं. इस के लिए आप को घर से बाहर जाना होगा. जब आप कहीं घूमने जाएंगी तब ही आप दुनिया के ऐसे लोगों से मिलेंगी, जिन से आज तक आप की मुलाकात नहीं हुई. उन के साथ आप ऐसे अनुभवों की साक्षी बन सकती हैं, जिन्हें आप ने अपने जीवन में कभी अनुभव नहीं किया.

भूल जाएंगी क्या होता है अकेलापन

सफर पर निकलते वक्त हो सकता है आप को यों महसूस हो कि आप अकेली हैं, लेकिन यकीन मानिए एक बार जहां आप का सफर असल में शुरू हुआ, अकेलापन क्या होता है आप भूल जाएंगी, क्योंकि सफर के दौरान आप को कई साथी ऐसे मिलेंगे जो आप की तरह खुद भी अकेले होंगे. हो सकता है कई मामलों में आप दोनों का अकेलापन एकजैसा हो या यह भी हो सकता है कि वे आप से ज्यादा अकेले हों, जिन से मिलने के बाद आप को अपना अकेलापन न के बराबर लगने लगे. सफर के दौरान उन से बातचीत, उन का कल और उन के अनुभव आप को बहुत कुछ बता देंगे.

खुद को दें चुनौती और हासिल करें जीत

खुद को चुनौती देना और चित भी कर देना, सब के बस की बात नहीं, लेकिन सोलो ट्रिप आप को इन दोनों का अनुभव दिला सकती है. आप होटल में अकेले कैसे रहेंगी, आप को ऊंचाइयों से डर लगता है, आप कैसे सैर कर पाएंगी जैसी बातें आप को आगे बढ़ने से रोकती हैं, इसलिए खुद को चुनौती दें कि आप अकेली रह लेंगी, ऊंचाई क्या आप सैलाब का सामना भी कर लेंगी. फिर देखिए आप का डर किस तरह छूमंतर हो जाता है.

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संकोची नहीं बिंदास होंगी आप

अगर आप स्वभाव से संकोची हैं, खुद के लिए आवाज उठाने का हुनर आप के भीतर नहीं है, तब तो सोलो ट्रिप पर जाना आप के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि जब हम सोचते हैं कि हमारे लिए बोलने वाले लोग हैं, तब हम जानबूझ कर भी कई बार कुछ नहीं बोलते. जब आप अकेले ट्रिप पर होंगी, तब वहां आप के लिए बोलने वाला या आप की मुसीबतों को कम करने वाला कोई न होगा. तब आप को ये सारी चीजें खुद करनी पड़ेंगी. इस तरह आप का संकोची स्वभाव पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. यकीन मानिए अकेले सैर के बाद आप अंदरूनी तौर पर शेर सा महसूस करेंगी.

खुशी, संतुष्टि और शांति से होगी मुलाकात

रोजाना की दिनचर्या से कहीं दूर निकल कर जब आप सफर की डगर पर चल पड़ेंगी, तब यकीनन आप की मुलाकात खुशी, संतुष्टि और शांति से होगी, नहीं समझीं? चलिए हम बताते हैं. जब बिना किसी की टोकाटाकी के आप जो जी में आए वह करेंगी तो बेशक आप को खुशी होगी. अपने मन की करने से आप को संतुष्टि मिलेगी. अपने शहर ही नहीं, बल्कि औफिस के काम से जब आप को कुछ देर के लिए ही सही, लेकिन छुटकारा तो मिल ही जाएगा, जिस से शांति मिलना तय है.

बनेंगे कई नए दोस्त

गांव, महल्ले और अपने शहर तक ही दोस्ती तक सीमित होना क्या काफी है? क्या आप को नहीं लगता कि आप का दोस्त देश के उस कोने का हो, जहां आप आज तक नहीं गईं या आप का दोस्त दुनिया के उस कोने में रहता हो, जहां उस की बदौलत आप भी जा सकती हैं? अगर आप के इन सवालों के जवाब हां में हैं, तो निकल जाएं सैर पर. जब आप सैर में अकेली होंगी तो खुदबखुद वहां मिलने वाले या आप के साथ ट्रिप में शामिल हुए अजनबियों को अपना साथी बना लेंगी. इस से आप के दोस्तों की सूची लंबी होती जाएगी.

हो सकती है हमसफर से मुलाकात

अगर आप सिंगल हैं और अपने हमसफर की तलाश में हैं, तो सोलो ट्रिप का आइडिया आप के काम आ सकता है. हो सकता है सफर के दौरान आप की मुलाकात आप के हमसफर से हो जाए. इसलिए ऐसा मौका अपने हाथ से न जाने दें. अकेले ही सही, मगर चल पडि़ए सफर की डगर पर. क्या पता लौटते समय आप अकेली न हों.

कर सकती हैं मौजमस्ती

कई बार संकोचवश तो कभी लोग क्या कहेंगे कि वजह से अगर आप खुल कर मौजमस्ती नहीं कर पातीं, तो सोलो ट्रिप में जा कर आप अपनी इन सारी इच्छाओं को पूरा कर सकती हैं. जाहिर है वहां आप को पहचानने वाला कोई नहीं होगा. भरपूर मस्ती की आप को पूरी आजादी मिलेगी. अगर आप सैक्स क्रिया का आनंद लेना चाहती हैं तो नई जगहों पर आप किसी पार्टनर के साथ सैक्स भी ऐंजौय कर सकती हैं. हां, लेकिन अपनी सुरक्षा का खयाल रखते हुए सुरक्षित सैक्स करें.

सोलो ट्रिप सस्ता भी, अच्छा भी

जब आप गु्रप के साथ या पार्टनर के संग कहीं घूमने जाती हैं तो आप को अपनी जेब

ढीली करनी पड़ सकती है. माना कि बहुत हद तक पत्नी का खर्च पति देख लेते हैं, लेकिन

अगर आप कमाऊ बीवी हैं तब आप की भागीदारी बराबर की होती है. ऐसे में सिंगल

वूमन का अकेले ट्रिप पर जाना काफी सस्ता

होता है. इस के लिए आप को बहुत ज्यादा पैसे जुटाने की जरूरत नहीं होती. चूंकि आप जानती

हैं कि आप के पास कितने पैसे हैं, कितने खर्च हुए और कितने बचे हैं. यानी आप अपने पांव चादर देख कर पसारती हैं. आप बजट में रहती हैं और अपना बजट बनाना भी जान जाती हैं.

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जेठ की बर्थडे पार्टी में इस बोल्ड लुक में दिखीं प्रियंका चोपड़ा

फिल्मों से दूर प्रियंका चोपड़ा इन दिनों अपने पति निक जोनस के साथ टाइम स्पेंड कर रही हैं. हाल ही में प्रियंका के जेठ जोनस का बर्थडे था जिसमें प्रियंका का ग्लैमरस अंदाज दिखा. इस पार्टी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं. ये पार्टी जेम्स बौन्ड थीम पर बेस्ड थी. जिसमें प्रियंका किसी बौंड गर्ल से कम नहीं लग रही थी.

ऐसा था प्रियंका और निक का लुक…

जो जोनस की बर्थडे पार्टी में प्रियंका अपने पति निक जोनस संग पहुंचीं. लेकिन यहां उन्हें देखकर सब चौंक गए. पार्टी में प्रियंका ब्लैक कलर की शौर्ट ड्रेस में पहुंचीं थी. हाई हील्स और ओपन हेयर प्रियंका के लुक को कौम्पलिमेंट कर रहे थे. प्रियंका पार्टी में पति निक जोनस का हाथ थामे पहुंची थीं. ब्लैक टक्सिडो में निक जोनस भी काफी हैंडसम दिखे.


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इस बौलीवुड फिल्म में आएंगी नजर…

प्रियंका की प्रोफ़ेशनल लाइफ की बात करें तो 3 साल बाद वो बौलीवुड में कमबैक करने जा रही हैं. वो फिल्म ‘द स्काई इज पिंक’ में नजर आएंगी. फिल्म में प्रियंका के साथ फरहान अख्तर और जायरा वसीम लीड रोल में हैं.

प्रियंका की फिल्म को मिला नेशनल अवौर्ड…

हाल ही में प्रियंका चोपड़ा की मराठी प्रौडक्शन फिल्म ‘पाणी’ ने इन्वाइरनमेंट कंजरवेशन कैटगरी में नेशनल अवौर्ड जीता है. बता दें कि पर्पल पेबल पिक्चर्स की शुरुआत प्रियंका चोपड़ा ने की थी. उन्होंने इस प्रौडक्शन हाउस के बैनर तले ‘वेंटिलेटर’, ‘सरवन’, ‘पहुना: द लिटिल विजिटर्स’ और ‘फायरब्रैंड’ जैसी फिल्में प्रोड्यूस की हैं.

 

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I’m so proud to have produced a special film like #Paani. Congratulations to the entire team at @purplepebblepictures @madhumalati @siddharthchopra89 for our second National Award. Big congratulations to @adinathkothare and the entire creative team for bringing this challenging and relevant film to its fruition. My sincere gratitude to the jury for recognising our hard work and awarding #Paani with the ‘Best Feature Film on Environment Conservation’. It has given us further impetus to continue on the path of telling the stories we strongly believe in. #Paani was our humble attempt at using entertainment to bring focus to the seriousness of the water crisis, which is of grave concern the world over. We are so honoured that the film had an impact and that our efforts have been recognised.

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प्रियंका को अवौर्ड मिलने पर निक ने लिखा था ये मैसेज…

निक ने ट्विटर पर प्रियंका को बधाई देते हुए एक प्यारा-सा मेसेज लिखा. निक ने ट्वीट किया, ‘प्रियंका मुझे तुम पर और पूरी @PurplePebblePic टीम पर बहुत गर्व है. ‘पाणी’ फिल्म में शामिल सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई.’

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