ये चीजें रखेंगी आपको तनाव से दूर

स्ट्रेस, तनाव, डिप्रेशन जैसी परेशानियां आज लोगों में बेहद आम हो गई हैं. इनके लिए प्रमुख वजहें हमारी लाइफस्टाइल और हमारा खानपान है. हमारा खानपान हमारे शारीरिक स्वास्थ के साथ साथ हमारे मानसिक स्वास्थ को भी काफी प्रभावित करती है. इस परेशानी को दूर रखने के लिए बेहद जरूरी है कि हम अपना खानपान बेहतर कर लें. कई स्टडीज में इस बात की पुष्टि हुई है कि अच्छे खानपान से आप तनाव की परेशानी से सुरक्षित रह सकते हैं. इसके अलावा स्टडी में ये भी सामने आया कि  हेल्दी डाइट से हमें न्यूट्रिएंट्स प्रचूर मात्रा में मिलते हैं जिससे हमारा वजन भी कंट्रोल में रहता है और डिप्रेशन की परेशानी भी कम होती है.

हाल ही में एक जर्नल में प्रकाशित हुई इस स्टडी के शोधकर्ताओं की टीम ने अभी तक मानसिक सेहत की जांच के लिए डाइट पर हुए क्लिनीकल ट्रायल के मौजूदा डेटा की जांच की है. नतीजों में शोधकर्ताओं ने पाया कि एक अच्छी और हेल्दी डाइट लेने से डिप्रेशन का खतरा कम होता है.

स्टडी के मुख्य लेखक ने बताया है कि, ‘ अभी इस स्टडी के रिजल्ट्स को पूरी तरह से सही साबित करने के लिए कुछ और स्टडीज करनी बाकी हैं. पर मौजूदा स्टडी के रिजल्ट्स के आधार पर ये कहा जा सकता है कि हेल्दी डाइट फौलो करने से मूड अच्छा रहता है.’

स्टडी में शामिल जानकारों की माने तो मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हमारे डाइट में न्यूट्रिएंट्स की प्रचूरता हो. इसके अलावा जंक फूड और रिफाइंड शुगर के सेवन से जितना दूर रहा जाए सेहत के लिए अच्छा है.

गरमी के मौसम में ऐसे रखें अपने चेहरे का ख्याल

गरमी के मौसम आते ही हमारी त्वचा में कई सारे बदलाव आने लगते हैं. ये मौसम हमारी त्वचा के लिए बहुत सारी चुनौतियों को लेकर आता है. इस मौसम में सूरज की किरणें हमारी रंगत को भी प्रभावित करती है. तो आइए जानते हैं कि इस मौसम में आप त्वचा को कैसे हेल्दी बनाए रखें.

  1. सनबर्न के नुकसान को कम करने के लिए आप अपने चेहरे को रोजाना 3 से 4 बार ताजे, साफ और ठंडे पानी से धो सकती हैं.
  2. पूरे दिन बाहर रहने के बाद शाम को चेहरे पर कुछ समय तक बर्फ के टुकड़ों को रखिए. इससे सनबर्न से हुए नुकसान से राहत मिलेगी और त्वचा में नमी भी बढ़ेगी.
  3. चेहरे पर टमाटर का पेस्ट लगाने से भी गर्मियों में झुलसी त्वचा को काफी ठंडक मिलता है.

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  1. एक चम्मच शहद में दो चम्मच नींबू का रस मिलाइए और आधे घंटे बाद ताजे साफ पानी से धो डालिए. इसे रोजाना चेहरे पर लगाइए.
  2. तिल को पीसकर इसे आधे कप पानी में मिला लीजिए और दो घंटे तक मिश्रण को कप में रखने के बाद पानी को छानकर इससे चेहरा साफ कर लीजिए. झुलसी त्वचा में फायदा होगा.

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  1. गुलाब जल में तरबूज का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने के 20 मिनट बाद ताजे पानी से धो डालने से सनबर्न का असर खत्म हो जाएगा.
  2. औइली स्किन को राहत देने के लिए खीरे के पल्प और दही का पेस्ट बनाएं और इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं. फिर 20 मिनट बाद ताजे पानी से धो लीजिए. इससे आपके चेहरे में निखार आएगा.

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जानिए सुबह में नारियल पानी पीने के 5 बड़े फायदे

नारियल का पानी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. इससे ना सिर्फ शरीर को ताकत मिलती है बल्कि इसमें विषैले तत्वों को शरीर से दूर रखने के गुण होते हैं. इसके अलावा बौडी इम्युनिटी को मजबूत करने में और बीमारियों से हमें सुरक्षित रखने में भी ये काफी कारगर होता है. अगर आप अपने बढ़े हुए वजन से परेशान हैं तो नारियल पानी पीने से आपको काफी फायदा होगा.

जानकारों की माने तो सुबह के समय में नारियल पानी पीना सबसे अधिक फायदेमंद होता है. अगर आप सुबह के समय नारियल पानी पीते हैं तो ये आपके शरीर को दिनभर स्फूर्तिवान बनाए रखता है.

इस खबर में हम आपको सुबह में नारियल पानी पीने के फायदों के बारे में बताएंगे.

  • किडनी की सेहत के लिए भी नारियल पानी का सेवन करना अच्छा रहता है. ये यूरीनरी ट्रैक को साफ रखने में मददगार होता है और साथ ही किडनी में स्टोन को नहीं पनपने देता है.
  • थायरौयड मरीजों के लिए ये काफी असरदार होता है. सुबह में नारियल पानी पीने से थायरौयड हार्मोंस संतुलित रहते हैं.
  • अगर आप वजम कम करना चाहती हैं तो ये आपके लिए काफी असरदार है. इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है और फैट काफी कम होता है. नारियल पानी पीने के बाद काफी देर तक भूख नहीं लगती, जिससे घड़ी-घड़ी खाने की जरूरत नहीं होती है.
  • त्वचा को पोषण देने के लिए भी नारियल पानी पीना फायदेमंद रहता है. नारियल पानी पीने से त्वचा में नमी भी बनी रहती है.
  • इसके नियमित सेवन से बौडी की इम्युनिटी अच्छी रहती है. इससे बहुत सी बीमारियों की आशंका कम हो जाती है.

हैप्पीनैस में फिसड्डी

प्रसन्नता की कोई परिभाषा नहीं होती. फिर भी अच्छी आय, मुख्य स्वतंत्रताओं, विश्वास, स्वास्थ्य, जीवन की औसत आयु, सामाजिक सहायता व उदारता के पैमानों पर संयुक्त राष्ट्र संघ के सस्टेनेबल डैवलपमैंट सौल्यूशन नैटवर्क ने देशों को हैप्पीनैस क्रम में डाला है. दुनिया के सब से ज्यादा खुश रहने वाले देश 10 हैं- फिनलैंड, डेनमार्क, नौर्वे, आइसलैंड, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, न्यूजीलैंड, कनाडा, और औस्ट्रिया. भारत का स्थान विशेष माना जाएगा.

5 साल के विकास, अच्छे दिनों, कुंभों, नर्मदा बचाओ, गंगा यात्राओं, बद्रीनाथ धाम के पुनरुत्थान, सरदार पटेल की मूर्ति, रातदिन नरेंद्र मोदी के तीखे व तेवर भरे भाषणों से भारत को 10 में नहीं तो 15वें 20वें स्थान पर तो होना ही चाहिए. अरुण जेटली दिन में 6 बार कहते हैं कि भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, चीन से भी आगे.

देश के लोग तो जानते हैं कि वे खुद कितने खुश रहते हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट भारत को वर्ष 2019 में 156 देशों में से 140वें स्थान पर रखती है तो कम से कम देश में किसी को आश्चर्य न होगा. हां, इतना आश्चर्य जरूर है कि भारतीय नेताओं के बयानों के अनुसार आतंकवाद की फैक्ट्ररी पाकिस्तान 67वें स्थान पर क्यों है जबकि पाकिस्तान की प्रतिव्यक्ति आय 1,500 डौलर है.

भारत के 1,900 डौलर प्रतिव्यक्ति के मुकाबले. चीन, जो 93वें स्थान पर है, 8,000 डौलर प्रतिव्यक्ति आय वाला देश है. भूटान और बंगलादेश प्रतिव्यक्ति आय में तो भारत से पीछे हैं पर हैप्पीनैस क्रमांक में 95वें व 125वें स्थान पर हैं. भारत की स्थिति गिरी क्यों है? इसलिए कि स्वतंत्रताओं के बावजूद यहां भय का वातावरण बना दिया गया है. आम आदमी हर समय भयभीत रहता है.

अमीर को टैक्स छापेमारों का डर है, गरीब को ऊंची जातियों के कहर का. युवाओं को बेरोजगारी का डर है, औरतों को बलात्कार का. शायद अपराधी भी यहां डरे रहते होंगे क्योंकि जेलों में भी भयंकर करप्शन, आतंक है. मगर हमारे यहां पंडों की मौज है, इसलिए कि 140वें स्थान वाले भारतीय खुशी के लिए मेहनत की जगह पूजापाठ करते रहते हैं. नतीजा सामने है. बौद्ध भूटानी, इस्लामी पाकिस्तानी बेहतर हैं. जय गंगा मैया…

सुवर्णा

पूर्व कथा

टूर से घर वापस जाते हुए सुमन की ट्रेन में सरयूप्रमोद से जानपहचान होती है. उन की गोद ली 5 साल की बेटी सुवर्णा सुमन के मन में रचबस गई.

सुमन ने सरयू के मायके का फोन नंबर लिया और उसे अपने घर सपरिवार आने का निमंत्रण भी दिया. घर आने के बाद सुमन अपने पति विकास और बेटे सुदीप से सुवर्णा के विषय में ढेर सी बातें करती है.

थोड़े दिन बाद सरयूप्रमोद सुवर्णा के साथ सुमन के घर आते हैं. सरयू सुमन को बताती है कि नानानानी की सुवर्णा लाडली बन गई है लेकिन दादादादी उसे देख खुश नहीं हुए. पराए खून को वह अपना नहीं पाए.

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सुमन उसे धीरज से काम लेने की सलाह देती है. दोनों परिवार आपस में अच्छी तरह हिलमिल जाते हैं. सुवर्णा के कहने पर सरयू एक गीत गाती है जिसे सुन सब विभोर हो जाते हैं. अब आगे…

अंतिम भाग

गतांक से आगे…

गाना सुन कर सुमन उस से बोली, ‘‘सरयू, तुम्हारी आवाज बहुत मीठी है.’’

‘‘दीदी, सरयू पहले रेडियो के लिए गाती थी,’’ प्रमोद बोले, ‘‘लेकिन बीच में इस की तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए गाना बंद कर दिया. अब सुवर्णा के आने के बाद इस ने फिर रियाज करना शुरू किया है.’’

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‘‘फिर सरयू, तुम को अपना रियाज जारी रखना चाहिए. क्या तुम अगले साल यहां रेडियो स्टेशन पर अपना कार्यक्रम पेश करना चाहोगी? इस कार्यक्रम में ‘नवोदित गायक’ शीर्षक से मासिक कार्यक्रम प्रसारित किया जाता है, जिस में नवोदित गायक कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर दिया जाता है. इसी बहाने तुम फिर नागपुर आ सकोगी,’’ सुमन बोली.

‘‘अब तो आनाजाना जारी रहेगा, दीदी. अगर तुम लोग हमें भूलना चाहो तब भी हम तुम्हें भूलने नहीं देंगे,’’ सरयू और प्रमोद हंसते हुए बोले.

‘‘चेन्नई पहुंचने पर खत लिखना,’’ सुमन ने याद दिलाई.

‘‘दीदी, हम यहां से पहले पुणे जाएंगे. फिर वहां से टैक्सी ले कर चेन्नई जाएंगे. उस के बाद जरूर खत लिखेंगे. हमारे साथ अब मेरे मातापिता भी जाने वाले हैं. वे भी करीब 6 माह तक हमारे साथ रहेंगे,’’ सरयू ने अपना पूरा कार्यक्रम बता दिया.

‘‘अच्छा, बीचबीच में खत लिखते रहना. गाड़ी की पहचान समझ कर भूल मत जाना,’’ सुमन ने उसे प्यार से ताकीद की.

‘‘और मौसी, तुम भी मुझे भूलना नहीं.’’

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सुवर्णा की यह हाजिरजवाबी सब को भा गई. सुमन ने सुवर्णा की पप्पी ली और फिर छाती से लगा कर बोलीं, ‘‘नहीं बिटिया रानी, मैं तुम्हें कैसे भूल सकती हूं.’’

इस बात को बीते पूरे 4 महीने हो चुके थे. सरयूप्रमोद का खत तो दूर कोई फोन भी नहीं आया था. सरयू के मातापिता भी उन के साथ 6 माह रहने वाले थे. इसलिए उन के घर फोन करने का कोई लाभ नहीं था. फिर भी सुमन ने दोचार बार फोन करने की कोशिश की. लेकिन किसी ने भी फोन नहीं उठाया.

सरयू की ससुराल का फोन नंबर उन के पास नहीं था तो सुमन क्या करती, लेकिन उस की बातचीत में सुवर्णा का जिक्र जरूर आता. आखिर विकास और सुदीप बोले, ‘‘लगता है गाड़ी में मिली तुम्हारी सहेली आखिर तुम्हें भूल ही गई.’’  सुमन को भी अब ऐसा आभास होने लगा था. कुछ दिनों बाद सरयू के खत या फोन आने की प्रतीक्षा करना छोड़ कर सुमन अब रोजाना के अपने कामों में व्यस्त हो गई. उस दिन लेटरबाक्स में एक खत देख कर वह खुश हो गई. शायद सरयू का खत होगा, लेकिन खत देखा तो वह सुभी का था.

सुभी यानी सुभाषिनी, उस की बचपन की सहेली जिस ने उसे अपनी इकलौती बेटी की शादी में शामिल होने का बुलावा भेजा था. खत में लिखा था.

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‘मैं खुद आ कर तुम्हें आमंत्रित करना चाहती थी लेकिन लगता कि यह संभव नहीं हो पाएगा. 8 जनवरी को शादी तय हो चुकी है. तुम्हें पूरे परिवार के साथ यहां आना है. और यहां तुम्हें 4-6 रोज रहना है. यह सोचसमझ कर तुम्हें आना होगा. रिजर्वेशन की टिकटें मैं यहीं से भेज रही हूं, इसलिए समय पर छुट्टी ले कर आना है, बाद में तुम्हारा कोई बहाना नहीं सुनूंगी.’

खत पढ़ते-पढ़ते सुमन को ही हंसी आ गई. विकास ने खत पढ़ा तो कहने लगे, ‘‘यह आमंत्रण है या धमकी. नाम सुभाषिनी और खत में धमकियों की बरसात.’’ शादी में शरीक होना जरूरी था. इसलिए सुमन और विकास ने छुट्टी के लिए अर्जियां दे दीं और उन्हें छुट्टी मिल भी गई. वह समय पर पुणे पहुंच गई और शादी ठीक से हो गई.

शादी के 2 दिन बाद सुभी के पास काफी समय था. सुमन से बातचीत करना और पुणे के दर्शनीय स्थलों का पर्यटन आदि उसे कराना था. सुमन के अनुरोध पर सब लोग दर्शनीय स्थल देखने गए तो सुमन को सरयू व सुवर्णा की फिर से याद आ गई, लेकिन वह किसी से कुछ नहीं बोली. उस दिन शाम को सुभी बोली, ‘‘सुमन, हमारी संस्था हर साल मकर संक्रांति के बाद एक दिन अवश्य बच्चों को तिलगुड़ खिलाने का आयोजन करती है. चूंकि इस बार हम शादी के कामों में व्यस्त रहे अत: बच्चों को कुछ खिला- पिला नहीं सके. वह अधूरा पड़ा कार्यक्रम हम कल पूरा करने वाले हैं. तुम घर में बैठीबैठी बोर होगी अत: मेरे साथ चल पड़ो.’’

‘‘चलो, ऐसे काम में मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी,’’ अगले दिन सुमन समय पर तैयार हो गई. जातेजाते एक दुकान से आर्डर किए हुए तिलगुड़ के डब्बे गाड़ी में रखवा दिए और आगे बढ़ गई.

‘‘आयोजन कहां है?’’ सुमन ने पूछा.

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‘‘एक अनाथाश्रम में? अनाथ बच्चों को समाज के मिठास की कल्पना होनी चाहिए, इसलिए वरना उन के हिस्से में समाज की नफरत ही आती है.’’

‘‘बहुत अच्छी बात है.’’

‘‘हम यह आयोजन पिछले 4-5 साल से लगातार कर रहे हैं. खासतौर पर त्योहारों पर यानी दीवाली, गुढीपाडवा, संक्रांति आदि के मौके पर हम अनाथाश्रम में जाते हैं. इस से उन अनाथ बच्चों का दिल बदल जाता है.’’

वे अनाथाश्रम पहुंच चुकी थीं. सुमन और सुभाषिनी नीचे उतरीं. वहां की महिला कर्मचारी आगे आईं और सुभाषिनी ने अपने साथ लाए डब्बे उन्हें सौंप दिए. आश्रम की महिलाएं डब्बे उठा कर भीतर ले गईं.

सुभी के महिला मंडल की बाकी महिलाएं भी वहां आई हुई थीं. वे सब कार्यक्रम के आयोजन को सफल बनाने में जुट गईं. सुमन एक कुरसी पर बैठ कर सब तरफ देखने लगी.

आश्रम की महिला कर्मचारियों ने बच्चों को कतार में बिठाना शरू कर दिया. अलगअलग उम्र के मासूम बच्चे. बिलकुल सामने 3 साल की उम्र के बच्चे और उन के पीछे उन से बड़ी उम्र के  बच्चे कतार में बैठे थे.

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थोड़ी ही देर में कार्यक्रम शुरू हो गया. संस्था की महिलाएं एक के बाद एक आ कर अपनीअपनी बात कहती रहीं. उधर सुमन ने अपनी नजर सभी बच्चों पर डाली और मूक बच्ची पर उस की नजर मानो जम सी गई. अबतक तो यह बच्ची वहां नहीं थी फिर वहां कब आई. उस का चेहरा जानापहचाना क्यों लगता है. बच्ची के हाथ में एक गुडि़या थी और बच्ची भी लगातार उसी की ओर देख रही थी. सुमन ने धीमी आवाज में पड़ोस में बैठी आश्रम की एक महिला से पूछा, ‘‘वह आखिर में बैठी बच्ची कौन है?’’

उस महिला ने उस बच्ची को देखा और बोली, ‘‘वह है न, अभी यहां नई-नई आई है, 3-4 महीने पहले. वह किसी से बात नहीं करती. हमें लगा कि वह गूंगी है, लेकिन अब वह ‘क्या चाहिए, क्या नहीं’ इतनी ही बात करती है. वह दूसरे बच्चों से अलगथलग रहती है और कुछ बोलती भी नहीं.’’

‘‘इतनी बड़ी बच्ची को यहां कौन छोड़ गया?’’

‘‘यह भी एक कहानी है. उस के मातापिता एक सड़क दुर्घटना में चल बसे. अब वह बिलकुल अकेली है. आप इतनी दिलचस्पी से पूछ रही हैं इस बच्ची के  बारे में, क्या बात है?’’

‘‘हां, मेरा परिचित एक परिवार था, लेकिन वह चेन्नई का रहने वाला था,’’ सुमन ने बताया.

‘‘इस बच्ची की एक मजे की बात बताऊं. वह अभी बाहर आने के लिए तैयार न थी, लेकिन उस से कहा गया कि नागपुर की रहने वाली एक चाची आई हुई हैं तो बाहर आ कर पीछे बैठ गई. मैं भी देख रही हूं कि बच्ची आप की ओर टकटकी लगाए देख रही है.’’

‘‘क्या उस बच्ची का नाम सुवर्णा है?’’

‘‘हां.’’

सुमन यह जान कर भौचक्की रह गई.

‘‘इस के मातापिता तो दुर्घटना में चल बसे पर इस के नानानानी हैं.’’

तभी कार्यक्रम समाप्त हो गया और तिलगुड़ बांटने का काम शुरू हो गया. सुमन ने तिल की एक डली उठाई और सीधे सुवर्णा की ओर चल दी. सुवर्णा के पास पहुंचते ही उस ने आवाज दी, ‘‘सुवर्णा, पहचाना अपनी मौसी को. क्या भूल गई?’’

सुवर्णा ने अब सुमन को पहचान लिया था और वह दौड़ कर ‘सुमन मौसी’ कह कर उस की कमर से लिपट गई. सुमन ने उस मासूम को गले से लगा लिया और सुवर्णा जोरों से रोने लगी.

यह देख कर आश्रम की संचालिका प्रेरणा ने सुमन को दफ्तर में आने का अनुरोध किया. सुवर्णा को गोद में उठा कर सुमन आगे बढ़ी तो सुभी भी उस के पीछे चलने लगी.

प्रेरणा दीदी ने सब को बैठने के लिए कहा.

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इधर-उधर की बातें न करते हुए वह सीधे मुद्दे की बात पर आ गई, ‘‘सुमन, आप सुवर्णा को जानती हैं, ऐसा मालूम होता है, और इस से भी बड़ी बात यह है कि आप को देख कर वह खुशी से खिल उठी है.’’

सुवर्णा से मुलाकात कैसे हुई और जानपहचान कैसे बढ़ी, यह बातें संक्षेप में बताने के बाद सुमन बोली, ‘‘इस के मातापिता दुर्घटना में चल बसे. यह बात आप के यहां काम करने वाली एक महिला ने बताई, क्या यह सच है?’’

‘‘हां, सिर्फ मातापिता ही नहीं, इस के नानानानी भी.’’

यह सुन कर सुमन को भारी आघात पहुंचा है. यह उस के चेहरे से साफ जाहिर हो रहा था.

सुमन सरयू का खत न पा कर उस पर भूल जाने का आरोप लगा रही थी, इस पर उसे बहुत अफसोस हो रहा था. अब सुमन का ध्यान प्रेरणा की बातों पर गया.

‘‘पुणे से चेन्नई जाते समय एक टैक्सी दुर्घटनाग्रस्त हो गई. उस में सिर्फ यह बच्ची बच पाई. कुछ लोगों ने दुर्घटनाग्रस्त लोगों को अस्पताल पहुंचाया. तब तक रक्तस्राव ज्यादा होने से सब लोग मारे गए. उस में टैक्सी ड्राइवर भी शामिल था. डाक्टर की कोशिश से यह मासूम बच गई. उस दुर्घटना से बेचारी अनाथ हो गई. सुवर्णा को मानसिक रूप से काफी आघात लगा था, इसलिए वह हमेशा खामोश रहती थी, मानो मौन धारण कर लिया हो.

अस्पताल से डिस्चार्ज होने पर उसे कहां रखा जाए, यह सवाल खड़ा हो गया था. पुलिस ने बड़े प्रयास के बाद इस के दादादादी का पता लगाया, लेकिन उन्होेंने इसे अपनाने से साफ इनकार कर दिया. इसलिए पुलिस इसे सीधे यहां ले कर आई.’’

पे्ररणा के मुंह से यह सुन कर सुमन का दिल सन्न रह गया है, ‘‘और…’’

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‘‘और क्या?’’

‘‘सुवर्णा गोद ली हुई थी अत: अब मांबाप के जाने पर इस दुनिया में इस का कोई नहीं, यह सोच कर इस को भारी सदमा पहुंचा है.

‘‘इस बच्ची को कैसे रिझाया जाए, उसे ठीक करना मेरे सामने एक टेढ़ा सवाल था. इसलिए अगर आप दोचार दिन यहां रह कर इसे मिलती रहें, तो इस की हालत में कुछ सुधार हो सकता है. इसलिए आप इतना उपकार हम पर जरूर कीजिए. वैसे अभी आप यहां रहने वाली हैं न?’’ प्रेरणा दीदी ने पूछा.

‘‘हां, दोचार दिन तो मैं हूं.’’

इतनी देर तक सुमन का हाथ अपने हाथ में पकड़ कर रखने वाली सुवर्णा अचानक बोल पड़ी, ‘‘तो मौसी तुम भी मुझे छोड़ कर चली जाओगी, मम्मीपापा गए, नानानानी भी गए, अब तुम भी जाओगी और मुझे भी भूल जाओगी,’’ कहतेकहते वह बेहोश हो गई और सुमन की जांघ पर आड़ी हो गई.

प्रेरणा दीदी और सुभी ने झट से उठ कर सुवर्णा को गोद में उठा कर पड़ोस के सोफे पर लिटा दिया. प्रेरणा ने घंटी बजाई और कर्मचारी को आदेश दिया कि वह तुरंत डाक्टर ले आए. फिर सुमन और सुभी से उन्होंने कहा, ‘‘अब आप जा सकती हैं. कल आप जरूर आएं, तब तक मैं इसे मानसिक रूप से तैयार कर के रखूंगी. आज अचानक मौसी को देख कर इसे बहुत खुशी हुई थी, लेकिन विरह की कल्पना से इसे फिर गहरा आघात लगा है. इसलिए कल आप थोड़े समय के लिए यहां आएंगी तो यह बच्ची सदमे से उबर जाएगी.’’

सुभाषिनी और सुमन गाड़ी में बैठ कर निकल पड़ीं. थोड़ी देर वे खामोश रहीं.

फिर सुभी बोली, ‘‘बड़ी प्यारी बिटिया है. तुम्हें देख कर तो वह बहुत खुश हो गई थी.’’

‘‘हां.’’

‘‘तुम्हारे जाने के बाद वह फिर मुरझा जाएगी यह सच है. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए.’’

सुमन काफी देर तक खामोश रही, फिर अचानक बोल पड़ी, ‘‘मेरे मन में एक बात आई है. अगर मैं सुवर्णा को अपने घर ले जाऊं तो?’’

‘‘इरादा तो नेक है, लेकिन इस उम्र में क्या यह ठीक रहेगा? अगले कुछ सालों में सुदीप की शादी हो जाएगी. तुम भी अब 40-45 की हो गई हो.’’

‘‘हां, लेकिन बच्ची बहुत होशियार और समझदार है.’’

‘‘अगर तुम ऐसा सोचती हो तो अच्छी बात है. एक बच्ची का भला हो जाएगा, लेकिन यह सवाल अब तुम्हारा ही नहीं है. तुम्हें विकास और सुदीप की राय भी लेनी पडे़गी.’’

घर लौटने पर सुमन का चेहरा देख कर विकास बोला, ‘‘तुम्हारा चेहरा देख कर ऐसा लगता है कि तुम्हारी अपने किसी प्रिय से मुलाकात हो गई है.’’

सुभी चौंक कर बोली, ‘‘आप को कैसे मालूम?’’

‘‘मैं ने इस के साथ 25 साल गुजारे हैं तो इतनी बात तो मैं समझ सकता हूं.’’

‘‘लेकिन असली सवाल तो आगे है.’’

‘‘क्यों? क्या हुआ?’’

सुमन ने सुवर्णा से मिलने का सारा किस्सा बयान कर दिया और बोली, ‘‘वह अपनेआप को बहुत अकेली महसूस करती है, अत: इस हालत से उबरने में पता नहीं कितने दिन लग जाएंगे.’’

सुमन ने विकास की ओर देखा. विकास उस की भावनाओं को समझ रहा था. सवाल मुश्किल था.

दूसरे दिन सुमन अनाथाश्रम जाने लगी तो विकास भी उन के साथ हो लिए.

अपेक्षानुसार सुवर्णा दरवाजे पर खड़ी उन का इंतजार कर रही थी. गाड़ी में बैठी सुमन को देख कर वह दौड़ कर आई और विकास को देख कर बहुत खुश हो गई. दोनों के हाथों में हाथ डाल कर उन्हें आश्रम की संचालिका प्रेरणा दीदी के आफिस में ले गई. उन के आने की खबर मिलते ही प्रेरणा दीदी आईं.

‘‘आइए, बैठिए, सुवर्णा आप लोगों का ही इंतजार कर रही थी. सुबह से नहाधो कर वह दरवाजे पर ही बैठी है. उस ने खाना भी नहीं खाया. बोली, ‘अगर मौसी को मैं नहीं दिखाई दूंगी तो वह घबरा जाएंगी.’

‘‘सुबह से 10 बार तो पूछ चुकी है कि क्या मौसी आएंगी? क्या मौसी मुझे भूल जाएंगी.’’

‘‘शायद इस बच्ची को यही डर लग रहा था,’’ सुमन ने विकास की ओर देखा. विकास ने उस का हाथ अपने हाथ में ले कर धीरज बंधाया. फिर सुवर्णा को नजदीक बुला कर पूछा, ‘‘सुवर्णा, क्या तुम्हें यह मौसी अच्छी लगती है?’’

‘‘हां.’’

‘‘तो तुम इस मौसी के पास आ कर रहना चाहोगी?’’

‘‘कितने दिन? 1-2-3…’’ सुवर्णा उंगलियां गिनने लगी. दोनों हाथों की उंगलियां खत्म होने पर बोली, ‘‘10 दिन.’’

‘‘हां, 10 दिन, 10 साल या खूब बड़ी होने तक,’’ विकास उस मासूम बच्ची की ओर देखते हुए बोले.

शायद सुवर्णा 10 साल समझ नहीं पाई. वह भ्रमित मुद्रा में बोली, ‘‘क्या मैं जब तक चाहूं रह सकती हूं?’’

‘‘हां, तुम जब तक चाहो तब तक रह सकती हो,’’ विकास ने उसे आश्वस्त किया.

उस की यह बात सुन कर प्रेरणा दीदी, सुमन और सुभाषिनी की आंखों से आंसू निकल पड़े और सुवर्णा…

सुवर्णा विकास के गले में अपनी नन्ही बांहें डाल कर लिपट गई.

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अगर आप भी हैं गंदे मिरर से परेशान तो अपनाएं ये टिप्स

आज हम आपको घर पर लगे कांच को साफ करने के तरीके बताने जा रहे हैं, जिससे गंदे दिखने वाले शीशे को आप आसानी से साफ कर सकती हैं. आइए बताते हैं.

  1. नमक खाने के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही घर की साफ सफाई करने के काम भी आता है. इसका इस्तेमाल करके घर के शीशों को आसानी से साफ किया जा सकता है. नमक से शीशे साफ करने के लिए इसको पानी में डालकर घोल बनाएं इससे शीशा साफ करें, शीशा चमकने लगेगा.

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2. कांच को अच्छे से साफ करने के लिए सिरके का उपयोग करें. शिशे की गंदगी साफ करने के लिए सिरके को एक स्प्रे की बोतल में डाल लें. आवश्यकता पड़ने पर कांच पर इससे स्प्रे करें और साफ कपड़े से साफ करें.

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3. बेकिंग सोडे का इस्तेमाल खाना बनाने के अलावा शीशे को साफ करने में भी किया जाता है. कांच को साफ करने के लिए बेकिंग सोडे को पानी में मिलाकर स्पौंज या किसी मुलायम कपड़े की सहायता से साफ करें. ऐसा करने से इसके दाग- धब्बे साफ हो जाएगे और कांच चमक उठेगा.

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जानें किसे डेट कर रही हैं संजय दत्त की बेटी…

हाल ही में रिलीज हुई कलंक के एक्टर संजय दत्त की फिल्म ने अभी धमाल मचाना शुरू भी नही किया था कि संजय दत्त की बड़ी बेटी त्रिशला दत्त औलरेडी इंटरनेट सेंसेशन बन गई हैं. इसकी वजह हैं इंस्टाग्राम पर छाईं उनकी हौट और ग्लैमरस तस्वीरें, जिनमें उन्होंने अपनी लव लाइफ का जिक्र किया है.

संजय दत्त की बड़ी बेटी त्रिशला दत्त 31 साल की हैं और परिवार से दूर विदेश में पढा़ई कर रही हैं. उन्होंने इंस्टाग्राम पर किए अपने एक पोस्ट में अपनी एक हौट फोटो डाली है, जिसमें वह अपना खाना इंजौय करती दिख नजर आ रही हैं. जिसमें उन्होंने अपनी लव लाइफ का जिक्र करते हुए लिखा है, ‘इटैलियन लड़के को डेट करना यानी ढेर सारा पास्ता और ढेर सारी वाइन.’

 

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dating an Italian means lots of pasta ? and lots of wine ? #carboverload #gymtomorrowtho #cantkeepeatinglikethis

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इससे पहले भी त्रिशला ने सोशल मीडिया पर अपने रिलेशनशिप का जिक्र हुए पोस्ट में अपने रिलेशनशिप के बारे में बताते हुए लिखा था, ‘उसने मेरा गला पकड़ा, पर दबाया नहीं, उसने मुझे एक गहरा किस किया और मैं भूल गई की मैं किसकी सांसे ले रही हूं.

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बता दें, कुछ दिन पहले त्रिशाला ने संजय दत्त की एक तस्वीर पर कमेंट किया था जिसने खूब सुर्खियां बटोरी थी. संजय दत्त ने ‘कलंक’ फिल्म के अपने लुक को इंस्टाग्राम पर शेयर किया था. इस तस्वीर को शेयर करते हुए संजय ने लिखा था- ‘कम शब्दों के साथ आदमी का रोल निभाना आसान नहीं होता.’ इसके साथ ही संजय ने बलराज लिखा.  ‘

संजय दत्त के इस पोस्ट के बाद मानों सोशल मीडिया पर यूजर्स के कमेंट की बौछार सी आ गई. हर कोई संजय के लुक की तारीफ करने लगा. इस बीच बौलीवुड भी पीछे नहीं रहा. वरुण धवन ने संजय दत्त की तस्वीर पर कमेंट करते हुए लिखा ‘क्या तस्वीर है…’. वरुण के इस पोस्ट के बाद संजय दत्त की बेटी भी खुद को रोक नहीं पाईं. त्रिशाला ने संजय दत्त की तस्वीर पर लिखा – ‘पापा आइ लव यू’.

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अस्वच्छ भारत

हिंदुस्तान के कई शहरों को दुनिया के सब से ज्यादा गंदे शहरों में शामिल किया गया है. वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन ने 6 वर्षों तक 1,600 शहरों में सर्वे किया है जिन में सफाई व स्वास्थ्य के पैमानों पर दुनिया के शहरों को सब से गंदे व सब से साफ शहरों का क्रम दिया गया है.

यह गर्व की ही बात है न, कि स्वच्छ भारत का नारा देने वाले, स्वयं झाड़ू पकड़ने वाले, सफाईकर्मचारियों को साफ कपड़े पहना कर उन के पांव साफ परात में धोने वाले नरेंद्र मोदी का 5 वर्षों से अपना शहर दिल्ली दुनिया का सब से गंदा, प्रदूषित शहर घोषित किया गया है. साफ है कि मोदी का स्वच्छ भारत अभियान झाड़ू ले कर फोटो खिंचवाने तक ही सीमित रहा.

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दूसरे नंबर का शहर पटना है, गंगा के किनारे वाला नीतीश कुमार और मोदी की जोड़ी का शहर. फिर इथियोपिया का अदीस अबीबा है. उस के बाद ग्वालियर है, फिर रायपुर. मैक्सिको भी गंदे शहरों में है. कराची, पेशावर और रावलपिंडी, (पाकिस्तान), खुर्रमाबाद (ईरान), ऊंटानरीवो (मेडागास्कर) के बाद हमारा अपना मुंबई, फिर साबरमती के संत का अहमदाबाद, योगी आदित्यनाथ का लखनऊ हैं. और फिर ढाका (बंगलादेश), बाकू (अजरबैजान) हैं.

हमारी गंदगी की वजह क्या है, यह हम जानने की कोशिश ही नहीं करते. हां, नारे लगाना हम जरूर जानते हैं. ज्यादा हुआ तो इंग्लिश के  अखबारों में क्लीन इंडिया के पूरे पेज के विज्ञापन नरेंद्र मोदी या अरविंद केजरीवाल के फोटो छाप कर दे देंगे. ओम शांति के पाठ की तरह हम सोचते हैं कि सफाई हो. सफाई हो कहने भर से क्या सफाई हो जाएगी?

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असलियत यह है कि हमें आदत है कि हमारी सफाई वे दलित करेंगे जो बेहद गंदगी में, गंदे नालों व घास, गंदी झुग्गियों में, बदबूदार माहौल में रहेंगे. उन्हें न नई झाड़ू दी जाती है, न नई कूड़ा उठाने वाली रेडि़यां ही दी जाती हैं.

हमारे अच्छेभले, चमचमाते रैस्तरां के पीछे जा कर देखें, आप को मक्खियां भिनभिनाती मिलेंगी और वहां बदबू होगी. सब्जी मंडियों में बदबू का जोरदार भभका मिलेगा. ज्यादातर घरों में अगरबत्ती की महक के साथ सड़े खाने की बदबू भी मिलेगी. साफ-सफाई करना तो हमारे खून में है ही नहीं.

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5 वर्षों से शौचालय-शौचालय का हल्ला सुना, पर दिल्ली जैसे शहर में मूत्रालय भी ढूंढ़ना हो तो जोर से सांस लें तो अपनेआप या कोई बदबूदार कोना मिलेगा या गनीमत हुई तो टूटी-फूटी सफेद टाइलों वाली गंदी बालटीनुमा जगह. प्रधानमंत्री कार्यालय के इर्दगिर्द एक किलोमीटर का इलाका भी साफ नहीं है. उलटे वह इलाका, जहां से प्रधानमंत्री, मंत्री, अफसर रोज गुजरते हैं, साफ नहीं है, तो क्या साफ होगा?

चलिए, सफाई यज्ञ करते हैं, सफाई रथयात्रा निकालते हैं, सफाई स्नान करते हैं, सफाई पूजा करते हैं. सब में पंडों को पैसा देंगे. वास्तविक सफाई करने वालों को दूर रखेंगे क्योंकि हम दलितों के साथ कैसे बैठ सकते हैं?

घर सजाने के लिए जरूर आजमाएं ये 5 आसान टिप्स

अगर आप चाहती हैं, आपके घर का हर कोना  आकर्षक लगे. पर आप इसके लिए ज्यादा पैसे भी खर्च करना नहीं चाहती हैं तो आइए ऐसे पांच उपाय अपको बताते हैं, जिनसे आप बजट के भीतर अपने घर को आकर्षक और बेहतरीन लुक दे सकती हैं.

  1. महंगी पेंटिंग्स या खर्चीले फर्नीचर के आलावा घर की सजावट में शीशे और फोटो फ्रेम्स का भी समझदारी से इस्तेमाल कर सकती हैं. लंबे साइज के शीशे से घर का भी लुक बड़ा लगता है.

2. घर में दरवाजें और खिड़कियां अगर मेनटेन हैं तो बिना अधिक तमाझाम के भी घर सुंदर दिख सकता है. ऐसे में समय-समय पर दरवाजों और खिड़कियों की पौलिश करें जिससे इनका लुक हमेशा नया लगे.

घर को क्लासी लुक देने में मदद करेंगे ये 5 आसान टिप्स…

3. घर के किसी भी कोने में ढेर सारा फर्नीचर या सामान, उसको स्टोर रूम का लुक दे सकता है. ऐसे में जो चीजें कम काम में आएं उन्हें स्टोर करके भीतर रखें जिससे जगह खाली और आरामदायक लगे.

4.  अपने स्टडी रूम या बेडरूम की सजावट से अपनी खूबसूरती यादों को भी संजो सकती हैं और अपने व्यक्तित्व को भी दर्शा सकती हैं. मसलन, आपके अलग-अलग यादगार मौकों का कोलाज बनाकर भी घर को स्पेशल लुक दे सकती हैं.

5. केवल दरवाजे और खिड़कियों की पौलिश भी पूरे कमरे को नया लुक दे सकती हैं. आप चाहें तो इनपर कलरफुल पेंटिंग्स बनाकर भी कुछ प्रयोग कर सकती हैं.

इन टिप्स को अपनाकर अपने घर का माहौल बनाएं पौजिटिव

अगर आप भी देर रात तक जागती हैं, तो ये खबर आपके लिए है

रात में खाना ठीक समय पर खाना बेहद जरूरी है. आम तौर पर भाग दौड़ भरी माहौल में ये कर पाना काफी मुश्किल हो गया है पर हमेशा सेहतमंद रहने के लिए आपको अपने खाने के समय पर खासा ध्यान रखना होगा. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि रात में जल्दी खाना क्यों फायदेमंद है.

आएगी अच्छी नींद

पूरे दिन थकने के बाद अगर आपको सही समय पर खाना मिल जाए तो आपको सोने के लिए भी पर्याप्त समय मिलेगा और सुबह में आप फ्रेश महसूस करेंगे.

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दिल रहेगा स्‍वस्‍थ

जब खाना अच्छे से हजम होगा तो फैट और कौलेस्ट्रौल की परेशानी नहीं होगी और आपका दिल स्वस्थ रहेगा.

सीने में नहीं होगी जलन

रात का खाना खाने के तुरंत बाद लोग बेड पर सोने चले जाते हैं. ऐसा करने से गैस की समस्या बढ़ती है.

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वेट कंट्रोल होता है

वजन कम करने के लिहाज से रात में जल्दी खाना जरूरी है. रात में जल्दी खा के आप टहले जरूर. ऐसा करने से आपका खाना अच्छे से पचेगा और फैट भी इक्कठ्ठा नहीं होगा.

पेट की सभी बीमारियां दूर होती है

सही समय पर खाना खाने से जब वह पूरी हरह से हजम हो जाता है, तो उससे आपका पेट हमेशा सही रहता है. पेट में दर्द, गैस और अपच की समस्‍या नहीं रहती.

रहेंगे ज्यादा एनर्जेटिक

समय से खाना खाने और समय से नींद लेने से आप सुबह में खुद को ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करेंगे.

पेट रहेगा हल्का

समय पर खाना खाने से खाने को पचने का पूरा समय मिलता है. खाने के बाद टहलने से खाना अच्छे से पचता है और पेट हल्का रहता है. दूसरे दिन पेट हल्‍का रहता है और उसमें गैस की शिकायत नहीं होती.

posted by Shubham

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