टीवी की इशिता यानी दिव्यांका त्रिपाठी के एक्स बौयफ्रेंड और फेमस टीवी एक्टर शरद मल्होत्रा शादी के बंधन में बंध गए हैं. 20 अप्रैल को शरद ने मंगेतर रिप्सी भाटिया के साथ दिल्ली में पंजाबी रीति-रिवाज से शादी कर ली है. इस शादी में शरद और रिप्सी के करीबी लोग ही मौजूद थे. शादी की फोटोज और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
मैचिंग ड्रेस में दूल्हा-दुल्हन…
वायरल हुई फोटोज में शरद और रिप्सी मैचिंग ड्रेस में दिख रहे हैं. जहां रिप्सी ने गुलाबी रंग का लहंगा पहना है वहीं शरद व्हाइट शेरवानी के साथ गुलाबी रंग की पगड़ी में दिखे. इस दौरान दूल्हा-दुल्हन काफी खुश लग रहे थे.
इससे पहले बीती रात को दोनों की संगीत सेरेमनी हुई थी. जहां टीवी सितारों का जमावड़ा लगा था. यहां दोनों एक-दूसरे में खोए हुए नजर आए. इस दौरान दोनों की जबरदस्त केमेस्ट्री की झलक भी देखने को मिली.
शरद और रिप्सी की मुलाकात कुछ दिन पहले ही हुई थी और दोनों ने एक दूसरे को पहली नजर में ही पसंद कर लिया. 13 अप्रैल, 2019 को ही शरद ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी रिप्सी के साथ अपने रिश्ते को जगजाहिर किया था. इसके अलावा शरद ने ये जानकारी भी दी कि वह रिप्सी को पाकर काफी लकी महसूस कर रहे है.
थिएटर से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले एक्टर शरमन जोशी और वेब सीरीज ‘बारिश’ रिलीज पर है, जिनमें उनके साथ पवित्र रिश्ता से फेमस हुई आशा नेगी भी नजर आएंगी. पेश है शरमन से बातचीत के कुछ अंश…
वेब सीरीज की किस बात से आप आकर्षित हुए ?
ये एक साधारण रोमांटिक लव स्टोरी है. आज के ज़माने में प्यार की परिभाषा बदल चुकी है. पहले जो प्यार कोमल एहसास हुआ करता था, अब वैसा नहीं है. इसलिए ये कोशिश है कि हम इस वेब सीरीज के द्वारा उसे दिखा सकें. जिसे लोग परिवार के साथ देख सकें. मैं वेब शो देखने का शौक़ीन हूं, पर आज के शोज को देखकर ऐसा लग रहा था कि इसमें दिखाए जाने वाली बातें कुछ ओवरडोज हो रही है. इसलिए मैंने इस सीरीज को करने के लिए हां कहा.
वेब सीरीज में पैसे कमाने के लिए निर्माता निर्देशक सेक्स और फूहड़पन को इसमें अधिक दिखाते है, इसे कितना सही मानते है?
मुझे अपनी संस्कृति और परंपरा पर विश्वास है और ये भी लगता है कि समय के साथ-साथ चलना चाहिए. हमें अपने आप पर विश्वास रखते हुए सर्टिफिकेशन अवश्य करने चाहिए. आज के दर्शक जागरूक है. वे अपने लिए अच्छा या बुरा सेट कर सकते है. अगर वे ऐसी गलत चीजों को नहीं देखेंगे तो वह अपने आप ही बंद हो सकती है.
आज प्यार की परिभाषा यूथ में बदली है, जिससे वे रिश्ते की गहराई को समझ नहीं पाते और रिश्ता जल्दी टूट जाता है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?
ये सही है कि समय के साथ बदलना जरुरी है. सारी शादियां सफल हो ये भी जरुरी नहीं, क्योंकि कुछ कारणों से वे टूट भी जाया करती है. वेब सीरीज भी इसी को प्रोजेक्ट करती है कि आज के बच्चे लव में विश्वास नहीं करते. वे प्यार को कैजुअली लेते है. कुछ हद तक ये सही है, लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी है जो लौन्ग रिलेशनशिप या शादी में विश्वास करते है. दोनों पहलुओं को देखना है और इसे उन पर ही छोड़ना बेहतर होगा. वे ही इसका सही और गलत को समझ सकते है. शादी परमानेंट ख़ुशी की कोई गारंटी नहीं देता. साथ ही ये भी सही है कि लिव-इन रिलेशनशिप में कोई दायित्व नहीं होता और शादी करने के बाद उनमें दायित्व की भावना आती है. उसका भी एक मजा है.
प्रेरणा और मैंने दोनों ने शुरू से साथ रहने का मन बना लिया था. दोनों एक दूसरे को समझते है. हमारी शादी को 18 साल हो चुके है. अभी हम पहले के एक दो साल वाले रिलेशन को महसूस नहीं कर पायेंगे. हमने एक दूसरे को स्पेस दिया है.
आप किस तरह के पिता है?
मैं फ्रेंडली पिता हूं, लेकिन जब मुझे किसी चीज को लेकर उन्हें कुछ कहना है तो वह भी कह देता हूं. प्रेरणा, पूरा दिन बच्चों को सम्भालती है, इसलिए उन्हें स्ट्रिक्ट होना पड़ता है.
फिल्म ‘रंग दे बसंती’ और थ्री इडियट्स के किरदार को लोग आज भी याद करते है. जो मुझे अच्छा लगता है. मैंने अच्छी-अच्छी फिल्में की है. दर्शकों ने पसंद भी किया है, पर अभी बहुत काम बाकी है. मैं थिएटर से आया हूं. वहां मैंने बहुत काम सीखा है, जिसे मैं पर्दे पर लाता हूं. मेरे पिता गुजराती थिएटर और फिल्में किया करते थे. उस समय मुझे लगता था कि एक फिल्म से मुझे ख़ुशी मिल जाएगी, लेकिन एक के बाद कई और करने की इच्छा हुई और मुझे काम मिलता गया.
अब तक की फिल्मों में दिल के करीब कौन सी फिल्म है?
फिल्म ‘फरारी की सवारी’ और ‘स्टाइल’ मेरी दूसरी कमर्शियल फिल्म थी, जिसमें मैंने बहुत मेहनत की थी.
आगे कौन-कौन सी फिल्में है?
फिल्म ‘मिशन मंगल’, ‘फौजी कौलिंग’ और वेब सीरीज कर रहा हूं.
मैं देश से गरीबी को हटाना चाहता हूं और सबको बराबर का मौका काम के लिए मिले, उसे भी कायम करना चाहता हूं.
गृहशोभा की महिलाओं के लिए क्या मैसेज देना चाहते है?
घरेलू महिलाएं होममेकर है और वे उतनी ही जिम्मेदारी से काम करती है, जितना पति औफिस में जाकर करता है. इसलिए अपने को कभी कम न समझें और अपने शौक को हमेशा निखारें.
घर के बाथरूम को साफ रखना बहुत जरूरी है. इसके लिए आपको नियमित रूप से इसकी सफाई करनी होगी. लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है, आपके पास बिल्कुल भी समय नहीं होता पर बाथरूम साफ करना बहुत जरूरी होता है, तो आइए इसके लिये हम आपको कुछ आसान से टिप्स बताते हैं जिससे आप बाथरूम को फटाफट चमका सकती हैं.
पोछा, झाड़ू और मग ये तीनों बाथरूम को साफ करने के लिये सबसे उपयुक्त साधन हैं. अपने हाथों को कैमिकेल से बचाने के लिये प्लास्टिक दस्तानों का प्रयोग करें. कमोड को साफ करने के बाद उसे फ्लश करना मत भूलें. पानी में सर्फ डालिये और उससे घोल तैयार करें. इस पानी को बाथरूम के कोनों में डालिये फिर इसे 1 मिनट के लिये छोड दें. और झाड़ू से रगड़ दें.
वाश बेसिन – इसको साफ करने के लिये टौयलेट क्लीनर का प्रयोग कीजिये. यह मार्बल और कीटाणुओं को अच्छे से साफ करता है. नल और बेसिन को साफ करने के लिये हमेशा स्क्रब का इस्तेमाल करें. इसके अलावा हाथ खराब ना हो जाएं इसलिये ग्लव जरुर पहने. स्क्रब- घोल को छिडकने के थोडी देर बाद उसे झाडू की सहायता से स्क्रब कीजिये. बाथरूम की हर जगह जैसे, टाइल, कमोड आदि पर ब्रश और झाड़ू से सफाई करें.
चोरी के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. कभी बसों में चोरी कभी रास्तें में तो कभी मैट्रो में. यह चोर इतने शातिर होते हैं कि कैमरों के आंखों में भी धूल झौंक देते हैं. जी हां मैट्रो में कैमरे की निगरानी में रहते हुए भी चोर बड़ी सफाई से चोरी कर जाते हैं.
हम चोरों को तो रोक नही सकते लेककन अपने समान को चोरी होने से जरूर बचा सकते हैं. ट्रेवल के दौरान अधिकतर चोरियां बैगों से ही होती हैं और ये चोरियां तब भी जाती हैं, जब हम बसों, ट्रेन आदि में ट्रैवल करते हैं. अब आपके मन मे यह सवाल उठ रहे होंगे की बैग तो बैग होते हैं, चोरों से इन बैगों को बचाया कैसे जाए? तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसे ही बैग्स के बारे में जो भीड़-भाड़ में आपको चोरों से बैग के अदंर रखे सामान को चोरी होने से बचा सकते हैं.
डोरी वाला बैग पैक
अगर आपके बैग पैक में 2 डोरियां लगी हों जो आपके बैग के जिप से जुड़ी हुई हो जिससे आपका सामान चोरी होने से बच सकता हैं. जब आप बैग बंद करेंगे और ये डोरियां आपके बैग के जिप से जुड़ी होंगी तो बैग बंद करने के बाद आप इन डोरियों को अपने कमर पर बांध सकते हैं. इससे जब भी कोई आपका बैग खोलने की कोशिश करेगा खोल नहीं पाएगा. आपको पहले ही पता चल जाएगा कि कोई आपका बैग खोलने की कोशिश कर रहा है.
अलार्म वाला बैग पैक
आप चाहें तो अपने बैग के ऊपर एक ऐसा डिवाइस सेट कर सकते हैं जिसको टच करते ही अलामा बजना शु रू हो जाए. अगर आप मैट्रो या बस में सफर कर रहे हैं तो आप इस डिवाइस को औन कर सकते हैं. ताकि कोई भी आपके बैग की जिप को हाथ लगाए तभी ये अलामा बजना शु रू हो जाए.
लौक बैगपैक
लौक लगाने का आइडिया सबको पता होता है लेकिन बात जब आस-पास जाने की होती है तो हम इस आइडिया को नजरअंदाज कर देते हैं. अगर आप औफिस जा रही हैं और आपके बैग में लैपटौप हैं या और कोई कीमती सामान तो आप इस लौक का इस्तेमाल जरूर करें. इससे आप पूरे रास्ते निश्चिंत होकर जाएंगी और आपका सामान भी सुरक्षित रहेगा.
आजकल लोगों की जैसी लाइफस्टाइल हो गई है, उसका उनकी सेहत पर काफी बुरा असर हो रहा है. लोग सुबह में नाश्ता नहीं कर पा रहे या रात में खाना देरी से खा रही हैं. ये दोनों आदतें आपकी सेहत पर काफी बुरा असर डालती हैं. इससे आपको दिल की बीमारी के होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.
हाल ही में हुए एक शोध में ये बात सामने आई है कि नाश्ता छोड़ने या रात में देरी से खाना खाने जैसी अस्वस्थयकारी आदतों से लोगों में असमय मौत होने का खतरा चार से पांच गुणा बढ़ जाता है, इसके साथ ही दिल की कई बीमरियों का खतरा भी अधिक हो जाता है.
शोध में शामिल एक जानकार का कहना है कि, ‘हमारे शोध के नतीजों से पता चलता है कि खाना खाने के गलत तरीके को जारी रखने का नतीजा बहुत खराब हो सकता है, खासतौर से दिल के दौरे के बाद.’
आपको बता दें कि इस शोध में दिल के दौरों के शिकार 113 मरीजों को शामिल किया गया था. इन सैंपल्स की उम्र 60 साल थी. इसमें 73 फीसदी सैंपल पुरुष थे. इसमें पाया गया कि सुबह का नाश्ता नहीं करनेवाले मरीज 58 फीसदी थे, जबकि रात का भोजन देर से करने वाले मरीज 51 फीसदी थे, और 48 फीसदी मरीजों में दोनों तरह की आदतें पाई गई.
शोध कर रही टीम ने लोगों को सलाह देते हुए कहा है कि, खाने की आदत को सुधारने के लिए रात के भोजन और सोने के समय में कम से कम 2 घंटे का अंतर होना चाहिेए. टीम ने ये भी कहा कि, ‘एक अच्छे नाश्ते में ज्यादातर दुग्ध उत्पादों (फैट फ्री या लो फैट दूध, दही और पनीर), कार्बोहाइड्रेट (गेंहू की रोटी, सेंके हुए ब्रेड, अनाजों) और फलों को शामिल करना चाहिए’.
तेज गरमी में औफिस आना-जाना आपकी बौडी को पूरी तरह थका देता है. जिसका असर आपकी स्किन पर पड़ता हैं. आप कोशिश करते है कि छुट्टी के दिन आप अपनी बौडी को आराम दें, जिसके लिए अलग-अलग तरीके इस्तेमाल करती है, लेकिन इससे कोई फर्क नही पड़ता. वहीं आप थकान को मिटाने के लिए पहला काम करती हैं-नहाना. पर आज हम आपको थकान को मिटाने के लिए नहाते समय 5 होममेड टिप्स बताएंगे, जिससे आपकी बौडी की थकान पूरी तरह मिट जाएगी.
स्किन को सौफ्ट बनाएगा मिल्क
अगर आप नहाने के पानी में दूध का इस्तेमाल करेंगी तो यह आपकी स्किन को सौफ्ट बनाएगा. इसमें मौजूद लेक्टिक एसिड के गुण नेचुरल एक्सफौलिएट की तरह काम करते हुए स्किन की डेड सेल्स को हटाने में मदद करते है जिससे स्किन फ्रेश और शाइन बनी रहती है.
बौडी में मौजूद टौक्सिन को खत्म करेगा बेकिंग सोडा
नहाने के पानी में चार से पांच बड़े चम्मच बेकिंग सोडा डालकर नहाने से बौडी में मौजूद टौक्सिन को बाहर निकलता है. इसके अलावा ये बौडी की जलन को कम करके मुलायम बनाता है. इसके अलावा यह पानी शराब, कैफीन, निकोटीन और दवाओं के होने वाले इफेक्ट को बौडी से डिटौक्स करने मदद करता है.
संतरे के छिलके से बौडी पेन को भगाएगा दूर
एक बाल्टी गुनगुने पानी में दो संतरे के छिलके डाले. करीब 10 मिनट बाद इन छिलकों को निकालकर इस पानी से नहाएं. संतरे के पानी से नहाने से बौडी पेन और स्किन में होने वाले इन्फेक्शन से राहत मिलती है.
बौडी को रिलेक्स देने के लिए कपूर का करें इस्तेमाल
एक बाल्टी पानी में 2 से 3 कपूर के टुकड़े डालकर मिला दें। इफ इस पानी से नहाएं। इससे सिर व बदन दर्द की समस्या दूर होती है, इससे बॉडी को काफी रिलैक्स मिलता है।
बौडी में बदबू को खत्म करेगा गुलाब जल
एक बाल्टी पानी में 3 से 4 चम्मच गुलाब जल मिलकर नहाएं. आपके नहाने का पानी खुशबूदार हो जायेगा. साथ ही स्किन के लिये भी काफी फायदेमंद होता है. इससे बौडी की बदबू दूर होती है और मसल्स को भी रिलैक्स मिलता है.
गरमी के मौसम में त्वचा से जुड़ी परेशानियां खूब होती है. गर्मी की वजह से बहने वाला पसीने की भी बदबू से आप परेशान रहती हैं. कई बार अंडरआर्म, पांवों, हथेली में पसीने की बदबू से आपको शर्मिदगी भी महसूस होती है. यह पसीना आपके शरीर में फंगल इन्फेक्शन भी पैदा करता है.
ऐसे में आपको कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जिससे आप अपनाकर पसीने की बदबू को बाय-बाय कर सकती हैं.
पसीने की बदबू वाले शरीर के हिस्सों पर कच्चे आलू के स्लाइस रगड़ने से भी पसीने की बदबू से छुटकारा मिलता है. नहाने के टब के पानी में फिटकरी और पुदीने की पत्तियों को डालकर नहाने से भी शरीर में ठंडक और ताजगी का अहसास होता है और पसीने समस्या से छुटकारा मिलता है.
बेकिंग सोडा
बेंकिंग सोडा पसीने की बदबू को रोकने में अहम भूमिका अदा करता है. बेंकिग सोडा, पानी और नींबू रस को मिलाकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को अंडर आर्म्स में 10 मिनट तक लगाकर ताजे पानी से धो डालें. इससे पसीने की बदबू को रोकने में मदद मिलेगी. बेंकिग सोडा और टैलकम पाउडर का मिश्रण बना कर इसे अंडर आर्म्स और पांवों पर 10 मिनट तक लगाने के बाद ताजे पानी से धो डालिए. इससे पसीने की समस्या से निजात मिलेगी.
गुलाब जल
नहाने के पानी के टब में गुलाब जल मिलाने से कोमलता मिलती है. दो बूंद ट्री आयल और दो चम्मच गुलाबजल मिलाकर इस मिश्रण को काटनवूल की मदद से अंडरआर्म्स में लगाने से पसीने की समस्या से निजात मिलती है. बालों से पसीने की बदबू को रोकने के लिए एक कप पानी में गुलाब जल और नींबू रस को मिलाकर बालों को धोने से पसीने की बदबू खत्म हो जाएगी.
गरमियों में बच्चों से लेकर बड़ों सभी को आइस्क्रीम सबसे ज्यादा पसंद आती है. लेकिन बाजार से आइस्क्रीम खरीदना बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ करना होगा. इसीलिए आज हम आपको घर पर ही पिस्ता कुल्फी की रेसिपी बताएंगे, जिससे आपके बच्चों की हेल्थ के साथ भी समझौता नही होगा.
दांतों में सेंस्टिविटी अब आम हो चुकी है. अक्सर ठंडा-गर्म खाने से लोगों को दांतों में झनझनाहट की शिकायत होती है. ये आपकी दांतों पर लगी इनेमल की कोटिंग के घिस जाने से होता है. इसी कोटिंग के बदौलत हम कठोर चीजों को खा पाते हैं. जब दांतों से इनेमल की कोटिंग हट जाती है तब दांतों में कुछ भी ठंडा या गर्म खाने पर बड़े जोर की टीस मचती है. इसके लिए दांतों के बैक्टीरिया और प्लेग भी जिम्मेदार होते हैं. अगर आपको भी ये परेशानी होती है तो हम आपके लिए लाए हैं घरेलू उपचार, जिनकी मदद से आप इस परेशानी का इलाज कर सकेंगे.
एसिडिक पदार्थों से रहें दूर
ऐसे किसी भी खाद्य या पेय से दूरी बनाए रखें जो प्राकृति में अम्लिय हों. जैसे फलों के रस, शीतल पेय, सिरका, रेड वाइन, चाय, आइसक्रीम जैसी चीजों से दूरी बनाएं. अगर आप इन्हें खाएं भी तो तुरंत ब्रश कर लें. ये आहार दांतों के इनेमल का काफी नुकसान करते हैं.
एक चम्मच सरसो के तेल में एक छोटा चम्मच सेंधा नमक मिलाएं. मिश्रण से मसूढ़ों और दांतों में मसाज करें. ऐसा करने के 5 मिनट बाद मुंह धो लें.
फ्लोराइड माउथवाश या टूथब्रश का करें प्रयोग
फ्लोराइड हमारे दांतों के लिए काफी जरूरी होता है. इससे सड़न और टूथ इनेमल जैसी समस्याएं दूर रहती हैं. इस परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि ऐसा माउथवाश या टूथपेस्ट़ का प्रयोग करें जिसमें फ्लोराइड शामिल हो.
2019 के चुनावों में यदि नरेंद्र मोदी अपनी सफलताओं का आकलन जनता से करवाने के लिए उतर रहे हैं तो मीडिया दूसरे नंबर का उम्मीदवार है. पहले कभी भी मीडिया इस बुरी तरह निशाने पर नहीं आया है.
मीडिया की निष्पक्षता व ईमानदारी पर प्रश्नचिह्न तो हमेशा लगते रहे हैं पर इस बार जिस तरह मीडिया ने सरकारी पक्ष लिया है और जिस तरह कुछ चैनलों व समाचारपत्रों ने अपनी नीतियां बनाई हैं, उन से मीडिया भी जनता के सामने कटघरे में खड़ा हो गया है.
मीडिया या प्रैस की स्वतंत्रता को संविधान में राजनीतिक दलों से ज्यादा महत्ता दी गई है. संविधान की प्रस्तावना (प्रिअंबल) में चुनावों को जनता की प्राथमिकता नहीं बताया गया है बल्कि विचारों की अभिव्यक्ति को संविधान का मुख्य ध्येय घोषित किया गया है. मौलिक अधिकारों में चुनावों, पार्टियों, नेताओं की चर्चा नहीं है लेकिन संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) में विचारों की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार बताया गया है.
प्रैस और मीडिया का अधिकार चुनावों, नेताओं, प्रधानमंत्री से ऊपर है पर जिस तरह से इस बार इन पर आरोप लग रहे हैं, इस से स्पष्ट है कि प्रैस व मीडिया ने अपना स्तर घटा दिया है. जो विशिष्ट स्थान उसे संविधान के तहत मिला हुआ है, उसने उस की धज्जियां उड़वा ली हैं. बिकाऊ मीडिया का तमगा कितने ही चैनलों, ऐंकरों, समाचारपत्रों पर लग चुका है. इलैक्ट्रौनिक मीडिया ने लाइसैंसों के चक्कर में और प्रिंट मीडिया ने विज्ञापनों के लिए सरकार की जो चाटुकारिता की है, वह जनता की आंखों से बच नहीं पाई है.
समाचारपत्र उस जमाने में भी सरकार के पक्ष या विपक्ष में खड़े होते थे जब टैलीविजन व रेडियो सिर्फ सरकारी थे और डिजिटल मीडिया का आविष्कार नहीं हुआ था. पर फिर भी वे अपनी स्वतंत्रता का आवरण ओढ़े रहने में सफल रहते थे. इस बार अति हो गई है. ज्यादातर चैनल और समाचारपत्र खुल्लमखुल्ला सरकार के पक्ष में खड़े हैं.
कम्युनिस्ट या तानाशाही देशों में जिस तरह के समाचारपत्र और टीवी चैनल होते थे, एक लोकतंत्र में इन का वैसे होना गंभीर खतरे की निशानी है. खतरा यह भी है कि मीडिया में जो प्रकाशित होगा उस में हर बात पर प्रश्न लगा रहेगा कि क्या यह सरकार या पार्टीविशेष द्वारा प्रायोजित है.
विडंबना यह है कि 1975-1977 में इंदिरा गांधी की सरकार ने यह काम पुलिस के बलबूते कराया था. इस बार यह अपनेआप किया जा रहा है और शायद रोजगार को बचाना ज्यादा बड़ा कारण है बजाय सरकारी भय या लालच के. मौलिक अधिकार इतने सस्ते हो सकते हैं, ऐसा पहली बार दिख रहा है.