5 टिप्स: मौर्निंग एक्सरसाइज करना न भूलें

आज की भागती दौड़ती और अस्वस्थ जीवनशैली को अगर व्यवस्थित करना चाहते हैं तो सुबह-सुबह एक्सरसाइज करें. आपको तमाम बीमारियों से सुरक्षा तो मिलेगी ही  साथ ही साथ आपकी बौडी फिटनेस भी मेंटेन रहेगी. जिन लोगों के पास जिम जाने का टाइम नहीं  और वो अपने बॉडी की फिटनेस बनाए रखना चाहते हैं, तो  आज हम उनके लिए कुछ ऐसी एक्सरसाइज  बताने जा रहे हैं, जिन्हें करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं लगेगा और  लाभ जिम में घंटों पसीना बहाकर मिलने वाले लाभ के बराबर होगा.

1. स्केट्स करें ट्राय

अपनी हार्टबीट, ब्लड सरकुलेशन और मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने के लिए यह एक्सरसाइज बेस्ट है.  इस व्यायाम को करने के लिए सबसे पहले आप सीधे खड़े हो जाएं. अब अपने दोनों पैरों को थोड़ा फैलाकर हाथों को सामने की तरफ करके थोड़ा झुकिए और फिर खड़े हो जाइए. यही क्रिया कम से कम दस बार दोहराइए.

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2. टहलना है जरूरी

अगर आप ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या कोलेस्ट्रौल के पेशेंट है, तो आपके लिए रोज सुबह उठने के बाद तेज कदमों वाली चाल से चलना, यानी स्पीड वॉक करना फायदेमंद है. टहलने से केवल आपमें सक्रियता ही नहीं आती भोजन करने के बाद हमें जो आलस महसूस होता है, उससे भी निजात मिलती है.

3. रस्सी कूदना

अगर आप पूरे शरीर की एक अच्छी कसरत जानना चाहते हैं तो रस्सी कूदनाा सबसे वेदर और स्वास्थ्यवर्धक एक्सरसाइज है रोजाना 20 मिनट रस्सी कूदने से लगभग 200 कैलोरी तक बर्न की जा सकती है. इससे पूरे शरीर में ब्लड सरकुलेशन दुरूस्त होता है. अगर आप रस्सी नहीं कूदना चाहते तो आप एक ही जगह पर कई बार उछलकर भी यह व्यायाम कर सकते हैं.

4. साइकिल चलाना

साइकिलिंग भी अपने आप में पूरे शरीर का व्यायाम है इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं और ब्लड सरकुलेशन सुचारू रूप से होता है. इससे  मांसपेशियां मजबूत होती हैं, और शरीर की ऊर्जा बढ़ती है. तेजी से वजन  कम करने में सहायक  है. कम दूरी वाली जगह पर साइकिल से जाना स्वास्थ्यवर्धक और पर्यावरण की दृष्टि से भी अच्छा है.

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5. इन बातों का भी रखें ध्यान

स्किन को खूबसूरत और जवान बनाए रखने में सबसे प्रभावकारी उपाय एक्सरसाइज ही है. क्योंकि करने  रक्तसंचार तेज होता है, जिससे स्किन पर तेज और चमक बढ़ जाती है, और स्किन स्वस्थ व जवां नजर आती है. साथ ही नियमित एक्सरसाइज से रक्त में कोलेस्ट्रौल के स्तर कम होता है .कसरत हानिकारक कोलेस्ट्रौल को कम कर एचडीएल कोलेस्ट्रौल या गुड कोलेस्ट्रौल को बढ़ाने में मदद करती है. इससे हृदय अधि‍क मात्रा में ब्लड पंप करता है, और हम अधि‍क मात्रा में औक्सीजन ले पाते हैं.

12 अगस्त को उठेगा Jio GigaFiber प्लान और Jio Phone 3 पर से पर्दा!

12 अगस्त को जियो गीगा फाइबर प्लान और जियो फोन 3 पर से पर्दा उठ सकता है. दरअसल सोमवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेडकी 42वीं सालाना आम बैठक है और इसी के साथ उम्मीद है कि जियो गीगा फाइबर प्लान और जियो फोन 3 को लेकर इंतजार की घड़ियां भी खत्म हो जाएंगी. बता दें कि जियो फोन 3 और जियो गीगा फाइबर सर्विस की घोषणा पिछले साल की एनुअल जनरल मीटिंग में हुई थी.

इस सालाना आम बैठक में जियो गीगा फाइबर सेवा के व्यवसायिक लॉन्च की खबरें काफी समय से मिल रही हैं और इसके अलावा जैसा कि पिछली दो सालाना आम बैठकों में जियो फोन पेश किए गए थे वैसे ही इस बार भी नए जियो फोन के पेश किए जाने की उम्मीदे हैं.मालूम हो कि पिछले साल घोषित की गई जियो की ब्रॉडबैंड सर्विस का अभी तक रोलआउट विस्तार रूप से नहीं हुआ है. रिलायंस इसे धीरे-धीरे कुछ शहरों में बढ़ा रहा है. अब 12 अगस्त को इसके विस्तार को लेकर कंपनी के प्लान के बारे में जानने को सभी उत्सुक हैं.

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होने जा रही इस सालाना बैठक में गीगाफाइबर सर्विस के प्लान क्या रहेंगे इसकी भी जानकारी सामने आ सकती है. अभी कंपनी मौजूदा ग्राहकों से कोई भी चार्ज नहीं ले रही है. इसे कंपनी की ओर से प्रीव्यू प्लान का नाम दिया गया है और अभी इसे कुछ शहरों में चुनिंदा लोग इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि प्रीव्यू ग्राहकों से 4500 से 2500 रुपए तक का चार्ज लिया जा रहा है. ये चार्ज रिफंडेबल डिपॉजिट के तौर पर लिया जा रहा है.

अब बात करें उन खबरों के बारे में जो इस सालाना आम बैठक के बारे में रह-रह कर सामने आ रही हैं तो ऐसी खबरें हैं कि जियो की ओर से प्रतिमाह 600 रुपए का कॉम्बो प्लान पेश किया जा सकता है. इसमें यूजर को ब्रॉडबैंड-लैंडलाइन-आईपीटीवी की सर्विस मिल सकती है. दरअसल जियो ट्रिपल प्ले प्लान को लेकर मीडिया में पहले भी कई जानकारियां लीक हुई थी. इसमें अनलिमिटेड वौयस और डेटा, जियो होम आईपीटीवी सर्विस और जियो ऐप्स का एक्सेस मिल सकता है.

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खबरें ये भी लीक हुई है कि जियो की ओर से तीन प्लान लॉन्च हो सकते हैं. इनमें एक प्लान इंटरनेट कनेक्टिविटी से संबंधित होगा जिसमें 100 एमबीपीएस की स्पीड से डेटा मिलेगा. दूसरे प्लान में आईपीटीवी का एक्सेस दिया जाएगा. तीसरा प्लान इंटरनेट एक्सेस, आईपीटीवी सर्विस और स्मार्ट होम सर्विस के साथ आएगा. इन प्लान्स की कीमत 500 रुपए से शुरू होकर 1000 रुपए तक जाएगी.

जहां तक बात आने वाले नए जियो फोन को लेकर है तो बता दें कि रिपोर्ट्स हैं कि नया जियो फोन कोई फीचर फोन नहीं बल्कि एक टच स्क्रीन वाला फोन होगा. अन्य जियो फोन की तरह इसकी कीमत भी कम ही होगी और ये फोन भी Kai OS पर चलेगा.अब देखना यही है कि 12 अगस्त को होने वाली आम बैठक में क्या कुछ निकल कर सामने आता है.

सलमान से माधुरी तक, 25 साल बाद ऐसे दिखते हैं ‘हम आपके हैं कौन’ के स्टार

सलमान खान और माधुरी दीक्षित की फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ 90 के दशक की सबसे सुपरहिट फिल्मों में से एक है. हाल ही में फिल्म की रिलीज के 25 साल पूरे होने की खुशी में मुंबई के लिबर्टी सिनेमा में इसकी एक स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई थी. इस मौके पर सलमान खान, माधुरी दीक्षित, रेणुका शहाणे और मोहनीस बहल के साथ-साथ फिल्म के बाकी स्टार्स भी साथ नजर आए. इतने सालों में फिल्म की पूरी कास्ट काफी बदल गई है. आइए देखते हैं अब फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ के स्टार्स कैसे दिखते हैं.

माधुरी दीक्षित (निशा)

माधुरी दीक्षित ने फिल्म में निशा का किरदार निभाया था. फिल्म में माधुरी-सलमान के बीच मैजिकल रोमांस देखने को मिला था. 25 साल बाद भी माधुरी की खूबसूरती में कोई कमी नहीं आई हैं. बल्कि वो तो उम्र के साथ और भी खूबसूरत होती जा रही हैं. ना सिर्फ उनके फैन्स हैं बल्कि आज के कई टौप बौलीवुड सेलेब्स भी उनकी खूबसूरती के फैन हैं. बौलीवुड के कई यंग एक्टर्स तो उनके साथ काम करने के लिए बेताब रहते हैं. माधुरी की प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो उनकी लास्ट फिल्म कलंक रिलीज हुई थी. माधुरी के काम की सभी ने तारीफ की थी, हालांकि फिल्म बौक्स औफिस पर फ्लौप साबित हुई थी. फिलहाल माधुरी शो ‘डांस दीवाने’ में बतौर जज नजर आ रही हैं.

 

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सलमान खान (प्रेम)

सलमान खान ने फिल्म हम आपके हैं कौन के सेलिब्रेशन के दौरान अपने ही स्टाइल से एंट्री ली. फिल्म में सलमान ने प्रेम का किरदार निभाया था. फैंस को उनका ये रोमांटिक अंदाज खूब पसंद आया था. 25 साल बाद सलमान में बस इतना बदलाव आया है कि बस अब उन्होंने अपनी बौडी और जबरदस्त बना ली है. उनकी प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो वो लास्ट बार फिल्म ‘भारत’ में नजर आए थे. ‘भारत’ को मिली सक्सेस के बाद अब वो ‘दबंग 3’ की शूटिंग कर रहे हैं.

रेणुका शहाणे (पूजा)

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फिल्म हम आपके हैं कौन के बाद एक्ट्रेस रेणुका शहाणे तो जैसे घर-घर की फेवरेट बहू बन गई थीं. उन्होंने इस फिल्म में सलमान की भाभी पूजा का किरदार निभाया था जो बेहद लोकप्रिय हुआ था. इस फिल्म के बाद उन्होंने कई बौलीवुड फिल्मों और टीवी सीरियल्स में काम किया. रेणुका 25 साल में काफी बदल गई हैं. आखिरी बार वो साल 2018 में आई फिल्म ‘बकेट लिस्ट’ में लास्ट नजर आई थीं. इस फिल्म में रेणुका के साथ माधुरी दीक्षित भी थीं.

मोहनीश बहल (राजेश)

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‘राजेश’ के रोल में आदर्श बेटे, भाई और पति की भूमिका से हिट हुए एक्टर मोहनीश बहल लगातार फिल्मों और टीवी शोज में सक्रिय हैं. मोहनीश सलमान के साथ फिल्म जय हो में भी नजर आए थे. बता दें कि अब मोहनीश जल्द ही टीवी शो संजीवनी में भी नजर आने वाले हैं. इस शो को लेकर दर्शकों में काफी एक्साइटमेंट है. बता दें कि कुछ समय पहले ही मोहनीश की बेटी ने प्रनूतन बहल ने फिल्म ‘नोटबुक’ से बौलीवुड में एंट्री ली है.

आलोक नाथ (कैलाश नाथ)

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‘प्रेम और राजेश’ के काका ‘कैलाशनाथ’ की भूमिका में हिट हुए आलोक नाथ तमाम फिल्मों में संस्कारी बाबूजी के किरदार में नजर आए हैं. हालांकि आलोकनाथ हम आपके हैं कौन के 25 साल पूरे होने के सेलिब्रेशन में नजर नहीं आए. आखिरी बार उन्हें लव रंजन की अजय देवगन स्टारर फिल्म दे दे प्यार दे में देखा गया था.

एडिट बाय- निशा राय

‘कार्तिक-नायरा’ ने ऐसे मनाया अपने बेटे ‘कायरव’ का जन्मदिन, फोटोज वायरल

स्टार प्लस के सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में कायरव का रोल प्ले करने वाले तन्मय ऋषि का हाल ही में शो के सेट पर बर्थडे सेलिब्रेट किया गया, जिसमें ‘नायरा और कार्तिक’ यानी मोहसीन खान और शिवांगी जोशी समेत शो की पूरी टीम ने तन्मय को बधाई दी. वहीं तन्मय के इस बर्थडे सेलिब्रेशन की फोटोज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई. आइए आपको दिखाते हैं रियल लाइफ कायरव के बर्थडे सेलिब्रेशन की खास फोटोज…

 औनस्क्रीन मां ने दिखाया प्यार

बर्थडे पर केक काटने जा रहे तन्मय के सिर पर औनस्क्रीन मां ‘नायरा’ यानी शिवांगी जोशी उनके बालों पर हाथ फेरती नजर आईं, जिससे तन्मय बेहद खुश हो गए.

 

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ये भी पढ़ें-‘ये रिश्ता’ के ‘कायरव’ को लेकर मां ने तोड़ी चुप्पी, किया ये खुलासा

औनस्क्रीन पापा भी नही रहे पीछे

 

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तन्मय के बर्थडे सेलीब्रेशन पर औनस्क्रीन पापा यानी मोहसीन खान उनके पीछे खड़े होकर बर्थडे सौन्ग गाकर उन्हें खुश करते दिखे.

मम्मी ने भी किया कुछ इस तरह सपोर्ट

दूसरे केक को काटने पर शिवांगी ने तन्मय का हाथ पकड़कर उनकी मदद की. वहीं मोहसीन खान पीछे मुड़कर हर किसी को और तेज आवाज में बर्थडे सौन्ग गाने के लिए कहने लगे.

बर्थडे पर फोटोज खिंचवाते आए नजर

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मोहसीन शुरुआत से ही हर एक मूवमेंट को कैमरा में कैद करने में पीछे नहीं हटते है. इस दौरान भी उन्होंने तन्मय के साथ खूब सारी फोटोज क्लिक करवाई.

पूरी टीम हुई बर्थडे पार्टी में शामिल

 

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सिमरन खन्ना से लेकर शिल्पा एस रायजादा और अली हसन ने इस दौरान तन्मय को बधाई दी और उनके साथ खूब मस्ती भी की. साथ ही सभी ने तन्मय के साथ फोटोज भी खिंचवाई.

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बता दें, चाइल्ड एक्टर तन्मय ऋषि ने हाल ही में शो को ज्वौइन किया है, जबकि इससे पहले कायरव का कैरेक्टर प्ले करने वाले शौर्य शाह ने अपनी हेल्थ के कारण शो को बाय-बाय कहा था, जिसके बाद फैंस उनके शो से बाहर होने के बाद उन्हें वापस लाने की मांग कर रहे थे, लेकिन अब फैन्स ने नए ‘कायरव’ को पसंद करना शुरू कर दिया है.

मिलिंद-अंकिता की नई फोटोज वायरल, 26 साल छोटी है वाइफ

बौलीवुड एक्टर मिलिंद सोमन बेहतरीन एक्टिंग करने के साथ-साथ इंडियन मौडल और फिटनेस प्रोमोटर भी है. मिलिंद ने पिछले साल 22 अप्रैल 2018 को अपनी गर्लफ्रेंड अंकिता कोंवर के साथ सात फेरे लिए थे. साथ ही उनकी शादी में उन दोनों के खास दोस्त भी शामिल थे. मिलिंद और अंकिता की शादी काफी चर्चा में रही थी और साथ ही औडियंस का इस जोड़ी को खूब सारा प्यार मिला था. इन दोनों की फोटोज देख कर ये कहना बिल्कुल गलत नही होगा की इन दोनों की लव लाइफ रोमैन्स से भरपूर है. आइए आपको दिखाते हैं मिलिंद और अंकिता की कुछ खास फोटोज….

मिलिंद और अंकिता की फोटोज हुई वायरल

हाल ही में मिलिंद सोमन और अंकिता कोंवर की फोटोज सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल होती नजर आई जिसमें दोनो लव बर्डस काफी रोमैंटिक अंदाज में पोज करते दिखाई दिए. इन फोटोज को अंकिता ने ही अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर किया है जिसमे इन दोनों की लव कैमिस्ट्री साफ देखने को मिल रही है.

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रोमेंटिक अंदाज में दिखे मिलिंद

मिलिंद सोमन और अंकिता कोंवर की फोटोज देख के ये साफ जाहिर हो रहा है कि दोनों को पहाड़ी और बर्फीली जगहों पर घूमना बेहद पसंद है. ज्यादातर लोग मिलिंद की पर्सनैलिटी को काफी पसंद करते है लेकिन दोनों की फोटोज देख कर ऐसा लगता है कि अंकिता के प्यार को मिलिंद की आंखों ने जीता हुआ है. अंकिता पूरी तरह से मिलिंद की आंखों में खोई हुई हैं.

अक्सर करते हैं फोटोज शेयर

मिलिंद सोमन और अंकिता कोंवर के बीच जबरदस्त प्यार का एक कारण ये भी है कि दोनों के बीच काफी कुछ मिलता जुलता है, जैसे कि दोनों ही घूमने का बहुत शौक रखते हैं और दोनों अपनी फिटनेस का काफी ध्यान रखते हैं और तो और जिम में भी एक दूसरे के साथ ही एक्सरसाइज करना पसंद करते है.

फोटोज में दिखता है प्यार

मिलिंद सोमन और अंकिता कोंवर अपनी-अपनी लाइफ में काफी बिजी रहते हैं, लेकिन फिर भी दोनों एक दूसरे के साथ वक्त बिताने के लिए अपने बिजी स्केड्यूल में से समय निकालते हैं. शायद तभी दोनों के बीच काफी अच्छी कैमिस्ट्री और प्यार देखने को मिलता है.

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Friday faces in flashback !! On the way to Minkiani pass last month ?? . . Have an AMAZZIINNGGGG weekend people !!?????????????????

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बता दें, मिलिंद सोमन से अंकिता कोंवर 26 साल छोटी है, लेकिन फिर भी उन दोनों के प्यार के आगे इनकी उम्र कोई मायने नही रखती. अंकिता और मिलिंद दोनों ही ग्वाहाटी के रहने वाले हैं और दोनों ने अपने दोस्तो के साथ गुवाहटी के रीति-रिवाजों के साथ ही शादी की. मिलिंद सोमन कमाल के एक्ट्रेस में से एक हैं और हाल ही में उन्होनें अनुराधा मेनन की वेब सीरीज “फोर मोर शौट्स” में काम किया था.

‘बाटला हाउस’: डायरेक्टर से जानें कैसे आया फिल्म का आइडिया

फिल्म ‘‘कल हो ना हो’’ की सफलता के साथ ही निर्देशक निखिल अडवाणी पर रोमांटिक फिल्म निर्देशक के रूप में ठप्पा लग गया था. उसके बाद निखिल अडवाणी ने ‘‘सलाम ए इश्क’ ,‘चांदनी चौक टू चाइना’, ‘पटियाला हाउस’ जैसी फिल्में निर्देशित की. मगर 2013 में जब उन्होने थ्रिलर फिल्म ‘‘डी डी’’ निर्देशित की, तो फिल्म के बौक्स औफिस पर असफलता के बावजूद उन्हें बेहतरीन थ्रिलर फिल्म निर्देशक माना जाने लगा.  ‘डी डी’ के बाद निखिल अडवाणी ने ‘कट्टी बट्टी’ औैर ‘हीरो’ जैसी रोमांटिक फिल्में निर्देशित की, जिन्होंने बौक्स औफिस पर पानी नहीं मांगा. निखिल अडवाणी मानते हैं कि उन्हें ‘कट्टी बट्टी’ और ‘हीरो’ निर्देशित नहीं करनी चाहिए थी. अब वह 15 अगस्त को प्रदर्शित हो रही थ्रिलर फिल्म ‘‘बाटला हाउस’’ लेकर आ रहे हैं.

सवाल- फिल्म ‘‘डी डे’’ के प्रदर्शन से पहले आपकी इमेज रोमांटिक फिल्म निर्देशक के रूप में थी. पर ‘‘डी डे’’के बाद जब आपने हीरोऔर कट्टी बट्टीजैसी रोमांटिक फिल्में बनायी, तो इन फिल्मों को लोगों ने स्वीकार नहीं किया. अब आपकी पहचान एक थ्रिलर फिल्मकार की हो गयी है?

-सच कहूं तो ‘डी डे’ के बाद मुझे ‘कट्टी बट्टी’या ‘हीरो’ इन दोनों रोमांटिक फिल्मों को बनाना नहीं चाहिए था. मुझे नए विषय की तलाश के लिए इंतजार करना चाहिए था.  मैने इन फिल्मों को बनाते हुए इंज्वौय किया. लेकिन मैं इन फिल्मों में अपना 100 प्रतिशत नही दे पाया.

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सवाल- तो क्या आपने इन फिल्मों को बेमन बनाया था? या हीरोके समय सलमान खान का दबाव था?

-ऐसा नही है. मेरा कहना यह है कि मुझे ‘डी डे’के बाद रोमांटिक फिल्म बनाने की बजाए ‘बाटला हाउस’जैसी फिल्म बनाने का इंतजार करना चाहिए था,जिसे देखकर लोग यह कहते कि हां,यह ‘डी डे’के निर्देशक की फिल्म है.

सवाल- आप मानते हैं कि ‘‘डी डे’’ने बतौर निर्देशक आपकी इमेज बदली?

-फिल्म‘‘डी डे’’से पहले मैंने जो फिल्में बनायीं, उस वक्त मेरी दिमागी सोच यह थी कि जो सब कर रहे हैं, वही करूं. पर ‘डी डे’ने कहा कि जो सभी कर रहे हैं, वह करने से क्या फायदा. कुछ अलग करो. मैं हमेशा कहता हूं कि एक रचनात्मक इंसान को ‘ना’ कहना आना चाहिए. मैं मशहूर लेखक जोड़ी सलीम जावेद का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं. इन दोनों ने मुझे यही सिखाया कि ‘ना’ कहने के लिए हमेशा तैयार रहो. पर मैं ‘कट्टी बट्टी’ और ‘हीरो’के वक्त ‘ना’ कहना भूल गया था.

सवाल- फिल्म‘‘बाटला हाउस’’की योजना कब व कैसे बनी?

-सच तो यह है कि यह फिल्म लेखक रितेश शाह की दीमागी उपज है. मुझे इस कहानी को बताने से पहले रितेश शाह ने इस विषय पर दो साल रिसर्च शोध कार्य किया था. वह मेरे पास पूरी पटकथा लेकर आए थे. हम दोनो एक दूसरे से काफी परिचत हैं. हमने उनके साथ फिल्म ‘‘डी डे’’ और एअरलिफ्ट’ भी की थी. सबसे पहले यानी कि 2009 में अनुराग कश्यप ने रितेश शाह से मेरी मुलाकात करायी थी.

रितेश शाह स्वयं जामिया मीलिया विश्वविद्यालय के स्टूडेंट रहे हैं. तो वह बाटला हाउस इनकाउंटर के बारे में काफी कुछ जानते थे,जबकि जबकि मैं बहुत कम जानता था. मुझे पता था कि 2008 में बाटला हाउस में इनकाउंटर हुआ है और इसमें हिजबुल मुजाहिदीन के दो लोग या विद्यार्थी मारे गए थे. एक विवाद पैदा हुआ था,मुझे यह भी पता था कि उस वक्त दिल्ली पुलिस पर एक आरोप लगा था. जब मैंने रितेश शाह की लिखी हुई स्क्रिप्ट पढ़ी. तो उसके बाद मैंने उससे सबसे पहला सवाल यह किया कि ऐसा कौन सा रिसर्च वर्क है. जो इस स्क्रिप्ट में समाहित नहीं किया है. तब उसने मुझे अपना सारा रिसर्च वर्क दिया,मैंने उसका पूरा रिसर्च पढ़ा. उससे सवाल किया कि उसने यह मसला क्यों छोड़ दिया?मुझे जो महत्वपूर्ण लगा कि यह जोड़ना चाहिए. वह मैंने जोड़ा भी. सबसे पहले हमने रितेश शाह के रिसर्च वर्क के आधार पर आपस में विचार विमर्श करके स्क्रिप्ट को एक रूप दिया. उसके बाद मैं पुलिस इंस्पेक्टर यादव की पत्नी से मिलने गया. तब मुझे अहसास हुआ कि बाटला हाउस इंनकाउटर हुआ था, जिस पर एक बड़ी कहानी कही जा सकती है. हम सभी के हाथ में करीबन 280 किरदारों का एक ऐप है. एक बात कोई कहता है,उस पर कम से कम 280 लोग अलग अलग ढंग से प्रतिक्रिया देते हैं. इसमें पक्ष विपक्ष, एक दल दूसरा दल सब कुछ समाहित होता है. जब इतने लोग अपने अपने पक्ष में चिल्लाने लगते हैं,तो सच कहीं गुम हो जाता है. तो जो सच्चाई गुम हो जाती है,मैंने उसी को अपनी फिल्म में समाहित किया है.

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सवाल- इसमें आप किस पर जदा जोर दे रहे हैं?

-देखिए, कहानी के अनुसार जिस दिन यह इनकाउंटर हुआ और पुलिस इंस्पेक्टर मारा गया,उस दिन सुबह पुलिस इंस्पेक्टर की पत्नी उससे तलाक मांग रही थी. पुलिस अफसर यादव की पत्नी का तर्क था कि वह हमेशा अपने काम में लगे रहते हैं,उनके लिए देश के प्रति उनका कर्तव्य मायने रखता है. खुद उसे नहीं पता होता कि वह कब आएंगे,कब जाएंगे. इसलिए वह ऐसे इंसान के साथ जिंदगी नहीं जी सकती. तब पुलिस अफसर ने अपनी पत्नी से कहा था कि, ‘तुम सच कह रही हो. और तुम तलाक ले सकती हो. ’तो यह एक देशभक्त पुलिस अफसर है, जिसे लगा कि मैं कमरे के अंदर जाउंगा और जब बाहर आउंगा, तो लोग मेरी वाह वाह करेंगे, मुझे शाबाशी मिलेगी. पर वह खूनी कहलाया. एक सेकंड में उसकी पूरी जिंदगी बदल चुकी थी. मैंने उस सेकंड के बारे में इस फिल्म में बात की है.

बाटला हाउसभी कुछ ऐसा ही मसला है. तो बाटला हाउसबनाते समय डी डेके वक्त कि कौन सी बातों या जानकारी ने इस बार आपकी मदद की?

-देखिए, लोग आज मुझे बतौर निर्देशक जानते हैं. पर तमाम लोग मुझे सहायक निर्देशक और एसोसिएट निर्देशक के रूप में जानते हैं. मैंने करण जौहर, कुंदन शाह व सईद मिर्जा‘जैसे निर्देशकों के साथ काम किया. बतौर सहायक निर्देशक हम अपनी तरफ से सेट पर जाने से पहले होमवर्क करके जाते थे. सहायक निर्देशक के लिए जरूरी होता है कि वह ज्यादा से ज्यादा होमवर्क करके जाए. फिल्म ‘डी डे’ के समय इरफान खान ने मुझसे कहा, ‘तू निर्देशक हैं या सहायक निर्देशक या एसोसिएट है. ’पर मेरी कार्यशैली नहीं बदली.

इसलिए फिल्म ‘‘बाटला हाउस’’की शूटिंग के दौरान मेरे दिमाग में साफ था कि इस कांड में मारे गए लोगों ने पहले से कोई योजना नहीं बनायी थी. इसलिए मैंने अपने कैमरामैन से कहा कि आपको जो स्पेशल इफेक्ट्स लगाने हो लगा ले. कलाकारों को हमने कोई निर्देश देने की जरूरत नही समझी. हमने उन्हे उनके अनुसार करने की छूट दी. क्योंकि जब इन लोगों के साथ यह हादसा हुआ,उस वक्त इन्हें अहसास नही था कि क्या होने वाला है. वह कमरे में बैठे थे. उन्हें यह पता नहीं था कि अचानक पुलिस पहुंचकर हमला कर देगी,तो उन्होने बंदूक नही उठायी. यही बात मैंने इस दृश्य में फिल्म में भी दिखाने की कोशिश की है. फिल्म ‘डी डे’हो या ‘एअरलिफ्ट’ या ‘बाटला हाउस’,तीनों फिल्में सत्य घटनाक्रमों से पे्ररित हैं.  मेरी कोशिश रही हं कि इन सभी में यथार्थ को कायम रखा जाए.

सवाल- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय हो या जामिया मीलिया यूनिवर्सिटी हो. यहां के लोगों के विचार देश के दूसरे लोगों से भिन्न कैसे होते हैं?

-मैं तो चाहता हूं कि हमेशा ऐसा ही होता रहे. देखिए,लोगों के बीच संवाद होने चाहिए. संविधान ने हमें लोगों से सवाल करने का अधिकार दिया है और यह जारी रहना चाहिए. आप मुझसे व मैं आपसे सवाल करूं या हम दोनों सरकार से सवाल करें, यह सिलसिला बंद नही होना चाहिए. इससे देश में तरक्की होती है. सही गलत के बारे में हमें समझ आती है.

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सवाल- पर जेएनयू व जामिया मीलिया से जब कोई आवाज आती है, तभी राष्ट्रवाद की बात उठती है. आप के लिए राष्ट्रवाद क्या है?

-मेरे लिए राष्ट्रवाद एक निजी मसला है, लेकिन साथ ही मुझे ऐसा भी लगता है कि आजकल इस शब्द का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर आप इसे फिल्म बनाकर या किसी और जरिए से ठीक कर सकते हैं. तो ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए. अगर आप खुद को राष्ट्रवादी नहीं दिखाते या नहीं कहते हैं, तो आप देशद्रोही हो जाते है. मुझे लगता है कि हमारा संविधान हमें जो चाहे वह करने की आजादी देता है.

सवाल- आप अपनी हर फिल्म में पुलिस का मनोबल बढ़ाने की कोशिश करते हैं. क्या इस फिल्म में भी ऐसा ही है?

-जी हां! देखिए, एक बार जवाहरलान नेहरू विश्वविद्यालय के एक शिक्षक ने मुझसे कहा था कि, ‘‘हम सभी जब अपने ईश्वर से बात करते है, तो उससे एक ही बात कहते हैं कि अस्पलात या पुलिस स्टेशन मत भेजना. ’’उसका मानना था कि पुलिस कभी आपकी मदद नही करेगी.  लेकिन मेरा मानना है कि पुलिस विभाग हमारा संरक्षण करता है. पर जिस तरह से आप यह नही कह सकते कि सभी मुसलमान आतंकवादी हैं,उसी तरह से आप पूरे पुलिस विभाग को भ्रष्ट नहीं कह सकते. पर जब मैंने फिल्म ‘डी डे’ बनाई,तो मुंबई पुलिस ने मुझे सुरक्षा प्रदान की थी. तभी मेरे आफिस के बाहर बैठने वाले एक पुलिस हवालदार ने मुझसे सवाल किया था कि हम फिल्म वाले हमेशा पुलिस विभाग को गलत रूप में ही क्यों दिखाते हैं? उसने मुझसे आगे कहा था-‘‘यदि हम सभी पुलिस वाले भ्रष्ट होते और आम लोगों की सुरक्षा की परवाह ना कर रहे होते, तो हर दिन आतंकवादी घटना घटती. जब हम लोग कहीं असफल होते हैं, तभी हादसा घटित होता है. यह अफसोस की बात है कि हमारी सफलता के बारे में फिल्म वाले क्या कोई बात नही करता. ’’उस पुलिस हवलास ने मुझे अंदर से विचलित करने के साथ ही बहुत कुछ सोचने पर मजबूर किया था.

सवाल- आपके करियर के टर्निग प्वाइंट क्या रहे?

-धर्मा प्रोडक्शंस को छोड़ना मेरे कैरियर का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट रहा. ‘डी डे’और ‘दिल्ली सफारी’दोनों फिल्मों का एक ही वर्ष में आना भी  टर्निंग प्वाइंट रहा.

सवाल- करण जौहर तो आपके स्कूल के समय के दोस्त रहे है. उनसे रिश्ता खत्म करते ही दोस्ती में भी दरार आ गयी होगी?

-हमारी दोस्ती में दरार आ चुकी थी. इसलिए मैंने धर्मा प्रोडक्शंस को छोड़ा था. लोग मेरे व करण के बारे में बहुत कुछ कहते व लिखते रहते हैं. पर हकीकत यह है कि मेरेे संबंध करण जोहर के पिता यश जौहर के साथ थे. मैंने फिल्म प्रोडक्शन यश जौहर से ही सीखा. फिल्म निर्देशन मैंने सईद मिर्जा और सुधीर मिश्रा से सीखा. यश जौहर से मैंने जो कुछ सीखा,उसकी बदौलत ही मैं आज अपना यह प्रोडक्शन हाउस चला पा रहा हूं. धर्मा प्रोडक्शंस को छोड़ते समय मुझे दुःख इस बात का था कि मैं यश जोहर से दूर जा रहा हूं.

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सवाल- बाजारतो आपके लिए रिस्की फिल्म साबित हुई. इसे बौक्स आफिस पर सफलता नही मिली?

-मैं इस गलतफहमी को दूर करना चाहता हूं कि फिल्म ‘बाजार’ असफल थी. देखिए, सैफ अली का करियर लगभग डूब रहा था,तब वेब सीरीज ‘सिके्रड गेम्स’और फिल्म‘बाजार’ उनके करियर को फिर से एक बार उंचाई पर ले गयी. अब वह खुद अपनी प्रोडक्शन हाउस की फिल्म ‘जवानी जानेमन’ बना रहे है, जिसमें वह खुद अभिनय कर रहे हैं. फिल्म अच्छी बनी थी. हमें फिल्म‘बाजार’बनाने का गर्व है. एक भी वितरक नही कह सकता कि उन्हें नुकसान हुआ.

ऐसे कराएं पति से काम

‘‘अरे सुनो मुझे चाय के साथ के लिए टोस्ट, बिस्कुट कुछ भी नहीं मिल रहा है. कहां रखे हैं?’’

‘‘वहीं गैस प्लेटफार्म के ऊपर वाली

दराज में देखो,’’ अनीशा ने पति अमन को फोन पर बताया.

15 मिनट बाद फिर अमन का फोन आया, ‘‘यार दूध लेने के लिए भगौना कहां है?’’

अपने मातापिता की इकलौती संतान अनीशा आज सुबह ही अपने मायके मुंबई पहुंची थी और सुबह 10 बजे तक उस के पति का 5-6 बार घर की विभिन्न वस्तुओं का पता करने के लिए फोन आ चुका है.

सुगंधा को अपनी कैंसर से ग्रस्त मौसी को देखने के लिए 2 दिन के लिए अहमदाबाद जाना था. जाने से पहले वह फ्रिज में सलाद काट कर नाश्ते के डब्बे टेबल पर रख कर, 2 दिन के लिए अपने पति के पहनने के कपड़े तक अलमारी में से निकाल कर बैड पर रख कर गई ताकि पति को उस की गैरमौजूदगी में कोई परेशानी न हो.

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अकसर इसी प्रकार महिलाएं अपने पति के सारे कामों को हाथोंहाथ कर के उन्हें इतना निष्क्रिय और अपाहिज सा बना देती हैं कि वे घर के छोटेमोटे कार्यों के अलावा अपने व्यक्तिगत जरूरत के कार्यों तक को करना भूल जाते हैं.

एक निजी कालेज में साइकोलौजी की प्रोफैसर और काउंसलर कीर्ति वर्मा कहती हैं, ‘‘विवाह के समय पतिपत्नी एकदूसरे के अगाध प्रेम रस में डूबे रहते हैं. ऐसे में लड़की अपने पति के सभी कार्यों को करने में अपार प्रेम अनुभव करती है परंतु यहीं से एक अनुचित परंपरा का प्रारंभ हो जाता है. पति इसे पत्नी का कर्तव्य समझने लगता है. कुछ समय बाद जब परिवार बड़ा हो जाता है तो समयाभाव के कारण पत्नी पति के उन्हीं कार्यों को करने में स्वयं को असमर्थ पाती है, तब पति को लगता है कि पत्नी उस की ओर ध्यान नहीं दे रही है और इस की परिणति पतिपत्नी के मनमुटाव, यहां तक कि पति के  भटकन यानी विवाहेतर संबंध बनने और कई बार तो परिवार के टूटने तक के रूप में होती है.’’

वास्तव में पति के साथ इस प्रकार का व्यवहार कर के महिलाएं अपने पति को तो अपाहिज सा बना ही देती हैं, स्वयं के पैरों पर भी कुल्हाड़ी मार लेती हैं.

आप चाहे कामकाजी हों या होममेकर जिस प्रकार आप अपने बच्चों को आवश्यक गृहकार्यों में दक्ष बनाती हैं उसी प्रकार पति को भी बनाएं ताकि आप की गैरमौजूदगी में उन्हें किसी का मुंह न ताकना पड़े, वे अपना और बच्चों का कार्य सुगमता से कर सकें.

पति को बनाएं अपना सहयोगी

तैयार होने के लिए अपने कपड़े स्वयं निकालना या अपने जूते साफ करना, औफिस बैग में से लंच बौक्स निकाल कर सिंक में रखना जैसे अपने कार्य स्वयं ही करने की आदत डालें. इस से आप का काम का भार भी कम होगा, साथ ही उन्हें काम करने की आदत भी होगी.

अणिमा के यहां पारिवारिक मित्र डिनर पर आने वाले थे. उस के पति और बच्चों ने डाइनिंग टेबल तैयार कर दी. वह कहती है कि उस ने बच्चों और पति में प्रारंभ से ही मिलजुल कर कार्य करने की आदत डाली है. पति और बच्चों की मदद के कारण ही वे अपना पूरा ध्यान किचन पर केंद्रित कर पाती हैं.

किचन के कार्य सिखाएं

चाय, कौफी, दालचावल, पुलाव आदि बनाना उन्हें अवश्य सिखाएं. यद्यपि पहले की अपेक्षा आज सामाजिक ढांचे में काफी बदलाव आया है और लड़के भी किचन के कार्यों में रुचि लेने लगे हैं, परंतु फिर भी कई परिवार ऐसे हैं जहां लड़कों से काम नहीं करवाया जाता है और जब यही लड़के पति बनते हैं तो अपनी पत्नियों के लिए सिरदर्द बन जाते हैं. ऐसे पति यदि आप के भी जीवनसाथी हैं तो उन्हें किचन के छोटेमोटे कार्यों में कुशल बनाना आप की ही जिम्मेदारी है.

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बच्चों की देखभाल करना

यदि आप कामकाजी हैं तो बच्चे की पढ़ाई, होमवर्क आदि मिल कर कराएं और हाउसवाइफ हैं तो अवकाश के दिनों में बच्चे की जिम्मेदारी पति को सौंपें. इस से जहां आप को थोड़ा सा सुकून मिलेगा, वहीं बच्चे का अपने पिता से भावनात्मक लगाव भी मजबूत होगा और पति को भी बच्चे को संभालने की आदत रहेगी.

बागबानी में लें मदद

सीमा अपने बीमार पिता को देखने के लिए 4 दिनों के लिए घर से गई. लौटी तो देखा भरी गरमी के कारण उस के सारे पौधे झुलस गए हैं.

उस ने अपने पति सोमेश से कहा, ‘‘तुम ने पौधों को पानी ही नहीं दिया, देखो सारे कैसे झुलस गए हैं.’’

‘‘मुझे क्या पता था इन्हें पानी देना है. तुम ने तो कहा ही नहीं था. अगर तुम कह जातीं तो मैं दे देता,’’ सोमेश बोला.

सही भी था, सीमा ने अपने पति से कभी गार्डन में मदद ली ही नहीं थी, इसलिए सोमेश को समझ ही नहीं आया कि पौधों को पानी की आवश्यकता है. पति की व्यस्तता के चलते भले ही आप उन से रोज काम न करवाएं परंतु अवकाश के दिन गार्डन में मदद अवश्य लें ताकि उन्हें भी पौधों की जानकारी रहे और आप की गैरमौजूदगी में पौधे आईसीयू में पहुंचने से बचे रहें.

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मार्केटिंग करवाएं

अक्षता चाहे कितनी भी थकी हो, कैसी भी स्थिति हो, सब्जी लाने का कार्य उसे ही करना होता है. वह कहती है कि आर्यन को सब्जी लेना ही नहीं आता. जब भी लाता है बासी और उलटीसीधी सब्जी ले आता है. इस प्रकार के पतियों को आप अपने साथ ले जाएं उन्हें ताजा और बासी का फर्क बताएं और समयसमय पर उन से मंगवाएं भी ताकि आवश्यकता पड़ने पर वे आप की मदद कर सकें. इस के अतिरिक्त उन से छोटामोटा किराने का सामान आदि भी मंगवाती रहें.

 आप हम और ब्रैंड

कमल नंदी

बिजनैस हैड एग्जीक्यूटिव वाइस प्रैसिडैंट, गोदरेज एप्लायंसिस

इस नए स्तंभ का उद्देश्य यह है कि आप रोजमर्रा इस्तेमाल किए जाने वाले घरेलू उत्पादों के बारे में और करीब से जान सकें. पिछले कई सालों से गोदरेज ऐप्लायंसिस के बिजनैस हैड और वाइस प्रैसिडैंट के पद पर काम करने वाले कमल नंदी ने कंपनी की हर चुनौती को हमेशा खुले दिल से लिया. यही वजह है कि वे आज अपनी टीम के साथ नईनई तकनीक के ऐप्लायंसिस ग्राहकों तक पहुंचाने में कामयाब हो रहे हैं. उन के सारे प्रोडक्ट्स पर्यावरण फ्रैंडली होते हैं, क्योंकि वे सालों तक रिसर्च कर पूरी तरह जांचपरख कर संतुष्ट होने के बाद ही मार्केट में उतारते हैं. उन की यह जर्नी कैसी है, कैसे वे कंपनी को आगे बढ़ा रहे हैं, आइए जानते हैं उन्हीं से:

सवाल- कंपनी का पदभार संभालने के बाद आप ने कंपनी में क्या बदलाव किए और कैसे आगे बढ़ रहे हैं?

इस के लिए गोदरेज ऐप्लायंसिस के बारे में जानना बहुत जरूरी है. हमारे देश में जरमनी, कोरिया और अमेरिका से बहुत अधिक कंपीटिशन रहा है, क्योंकि आजकल बाहर के सारे ब्रैंड भी हमारे यहां मिलते हैं. गोदरेज यहां पर ऐप्लायंसिस के क्षेत्र में 39 ब्रैंड हैंडल कर रहा है. इस में अपने ब्रैंड की कोर वैल्यू को हमेशा पकड़ कर रखने की कोशिश करते हैं. कंपनी ने सालोंसाल उन्नति की है.

इस में कंपनी के 3 स्तंभ हैं, जो ब्रैंड को आगे बढ़ने में सहायता करते हैं. पहला है विश्वास. करीब 120 साल से कंपनी व्यवसाय कर रही है. उस के हिसाब से ग्राहक सब से पहले आता है और ग्राहकों के ट्रस्ट को बनाए रखने में कंपनी कामयाब हुई है. इस के बाद पर्यावरण और समाज का ध्यान रखने के बारे में कंपनी ने सोचा. हम ने ऐप्लायंसिस को 1958 से मुंबई में बनाना शुरू किया था. तब अर्देशिर गोदरेज ने खुद ऐप्लायंसिस बनाने के बारे में सोचा था. पहला उत्पाद रैफ्रिजरेटर ही था. वहीं से काम शुरू हुआ. इस के बाद एसी, वाशिंग मशीन, ओवन आदि उत्पाद धीरेधीरे बाजार में आने लगे.

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2013 में पर्यावरण को क्षति न पहुंचाने वाले रैफ्रिजरेटरों की मांग की गई, जबकि कंपनी 2001 से ही ऐसे रैफ्रिजरेटर बनाने शुरू कर दिए थे. तब ग्राहक इस नई तकनीक के लिए अधिक पैसा देने को तैयार नहीं थे, पर पैसे से अधिक कंपनी ने पर्यावरण पर ध्यान दिया. आज जागरूकता बढ़ी है और ग्राहक पर्यावरण फ्रैंडली सामान खरीदते हैं. ऐसे सभी प्रोडक्ट्स चाहे वे एसी हों या ओवन कंपनी ने पर्यावरण को ध्यान में रख कर बनाए हैं.

आज हमारे एसी और रैफ्रिजरेटर सब से अधिक ऊर्जा को बचाने वाले उत्पाद हैं. कंपनी ग्राहकों को पूरी तरह संतुष्ट करती है. आज यह कंपनी अच्छी सर्विस देने वाली नंबर वन कंपनी बन चुकी है. आज के ग्राहकों की चाहत यह है कि एक बार किसी भी उपकरण को खरीदने के बाद उन्हें किसी चुनौती का सामना न करना पड़े और कंपनी इसे पूरा करती है. बिजनैस हैड बनने के बाद मेरी यह सोच रही है कि मैं इन तीनों स्तंभों को और अधिक मजबूती प्रदान करूं और आगे ले जाऊं.

 सवाल- आप के उपकरण हर घर तक पहुंचें, इस बारे में आप की रणनीति क्या होती है और किसकिस माध्यम का सहारा लेते हैं?

हमारी कोशिश यह रहती है कि डीलर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स अधिक से अधिक छोटेछोटे गांवों और शहरों में पहुंचें. आज 22 हजार आउटलेट्स हैं, जिन के द्वारा पूरे देश में सामान बिकता है और 660 सर्विस सैंटर्स हैं. इस से कंपनी पूरे देश में पहुंचने में समर्थ होती है. इस में चुनौती छोटेछोटे दूरदराज के इलाकों में पहुंचने की होती है. इस के अलावा छोटे शहरों में कंपनी के ऐक्सक्लूसिव आउटलेट्स हैं, जो बड़े शहरों में नहीं हैं, क्योंकि गांवों या छोटे शहरों और कसबों में रहने वाले ग्राहकों की आर्थिक क्षमताएं और नई चीजें खरीदने की इच्छा बढ़ी है. वे नया और आकर्षक सामान खरीदने में दिलचस्पी रखने लगे हैं. वहां उन की पसंद को ध्यान में रख कर ही सामान रखा जाता है. इस तरह कंपनी के प्रीमियर प्रोडक्ट्स की बिक्री बड़े शहरों से कहीं अधिक छोटे शहरों में है. ग्राहकों की पसंद का सारा काम नैटवर्क के जरीए किया जाता है और इस की मौनिटरिंग भी टीम करती है.

 सवाल- चुनौतियों के अलावा इस व्यवसाय में और क्याक्या समस्याएं रहती हैं?

इस में ग्राहकों की पसंद को ध्यान में रखना पड़ता है. मसलन, उत्पाद आधुनिक तकनीक से बना हो, क्वालिटी अच्छी हो, सर्विस सैंटर अच्छा हो, ब्रैंड लौंग टर्म रहने वाला हो, कीमत वाजिब हो आदि सभी चीजों पर कंपनी पूरा ध्यान रख रही है. इस के अलावा अच्छा व्यवसाय करने की होड़ तो लगी ही रहती है.

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 सवाल- किसी भी उपकरण को कितने समय तक प्रयोग करना सही रहता है?

किसी भी उत्पाद की लाइफ 10 से 12 साल तक सब से बेहतर रहती है, क्योंकि कंपनियां नएनए उत्पाद को नई तकनीक के साथ लाती हैं, जिस से बिजली की खपत कम होने के अलावा अन्य कई सुविधाएं भी मिलती हैं, जो पुराने उत्पाद के साथ नहीं मिल पातीं.

 सवाल- किसी नए उपकरण को मार्केट में लाने से पहले किस प्रकार के परीक्षण किए जाते हैं और उस में आई किसी भी समस्या का समाधान कैसे करते हैं?

नए उत्पाद के विकास की पद्धति बहुत कठिन है. बहुत लंबी प्लानिंग होती है. करीब अगले 3 सालों तक कौनकौन से प्रोडक्ट्स बाजार में आने वाले हैं, उस की जानकारी अभी से हो जाती है. पूरा चक्र 18 महीनों से ले कर 2 साल तक का होता है. इस का आधार बहुत सारी रिसर्च के द्वारा ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए करते हैं. उत्पाद बनने के बाद उसे कुछ ग्राहकों को प्रयोग करने के लिए दिया जाता है और पता किया जाता है कि ग्राहकों की जरूरतें पूरी हो सकेंगी या नहीं. एक बार सहमत होने के बाद उसे बड़े स्तर पर ग्राहकों को दे कर उन की प्रतिक्रिया जान लेने के बाद ही उसे बड़े पैमाने पर बाजार में उतारा जाता है. इसलिए समस्या बहुत कम आती है, क्योंकि इस में इनवैस्टमैंट बहुत अधिक होती है.

 सवाल- महिला सशक्तीकरण की दिशा में आप की कंपनी क्या काम करती है?

वाशिंग मशीन प्रोडक्शन लाइन में महाराष्ट्र और पंजाब में पूरा काम महिलाएं ही करती हैं और वे अच्छा काम कर रही हैं.

 सवाल- आज की महिलाएं बहुत जागरूक हैं और हर उत्पाद को खरीदते समय औनलाइन सर्च भी करती हैं. ऐसे में आप की कंपनी उन्हें कैसे विश्वास में लेती है?

आज आंकड़ों के हिसाब से 30 से 40% ग्राहक औनलाइन सर्च करते हैं, पर सामान दुकान पर आ कर ही खरीदते हैं. ऐसे में हम डिजिटल मार्केटिंग पर अधिक फोकस करते हैं. सोशल मीडिया पर कंपनी बहुत ऐक्टिव है. यह करीब 54% है. हमारे उत्पाद औनलाइन मिलते हैं. औनलाइन प्लेयर्स के साथ कंपनी काफी ऐक्टिव है. उन की वैबसाइट्स पर भी काफी इनवैस्ट करते हैं.

 सवाल- आप के उत्पाद की यूएसपी क्या है?

अलगअलग पदार्थ की अलगअलग यूएसपी है. एक नया प्रोडक्ट रैफ्रिजरेटर एज डुओ है, जिस में सब्जियों के लिए एक अलग कंपार्टमैंट दिया है, क्योंकि जब भी फ्रिज से सब्जियां निकालते हैं तो बारबार दरवाजा खोलना पड़ता है. इस से कूलिंग लौस होता है. दोबारा उसी तापमान पर पहुंचने के लिए कंप्रैसर को 2 घंटे चलना पड़ता है. हमारे इस रैफ्रिजरेटर में पूरा दरवाजा खोलने की जरूरत नहीं. बाहर से ही आप वैजिटेबल ट्रे को निकाल सकते हैं. इस से 50% कूलिंग लौस घट गया है. ऐसी ही हम ने वाशिंग मशीन और एसी पर भी बहुत रिसर्च की है और ग्राहक संतुष्ट हैं. यहां सारे काम ग्राहकों के लाइफस्टाइल को ध्यान में रख कर किए जाते हैं.

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 सवाल- आगे की क्या योजनाएं हैं?

दीर्घकालिक योजनाओं पर बहुत काम चल रहा है. ग्रीन एक लेबल है जिस पर काम हुआ है, लेकिन इसे पूरी तरह से ग्लोबलवार्मिंग से मुक्त कराने की इच्छा है. कूलिंग सर्विसेज में यह आगे देखने को मिलेगा. मैडिकल रैफ्रिजरेटर पर काफी काम हो रहा है. इस में कंपनी ने एक लाइसैंस यूनाइटेड किंगडम बेस्ड ‘श्योर चिल’ लिया है यह रैफ्रिजरेटर तापमान को 4 से 6 डिग्री तक मैंटेन करता है. 10 दिन तक बिजली न होने पर भी यह तापमान को मैंटेन करेगा. इस से वैक्सीन को काफी समय तक सही तापमान में दूरदराज के क्षेत्रों में जहां बिजली की सुविधा न भी हो वहां ले जाया जा सकता है. अंत में मेरा सभी ग्राहकों से कहना है कि वे समाज और इस धरती की बेहतरी के लिए प्रकृति के नियमों का पालन करें वरना आने वाली पीढि़यों को परेशानी होगी.

शाम के वक्त करेंगी ये वर्कआउट तो हमेशा रहेंगी फिट

कामकाजी लोगों के लिए सुबह-सुबह वर्कआउट करना या जिम जाना थोड़ा परेशानी का कारण होता है. क्‍या आपने कभी सोचा है कि शाम के समय वर्कआउट करने के भी कुछ फायदे हो सकते हैं? इसलिए हम लाए हैं आपके लिए कुछ कसरतें जिन्हें आप शाम के समय भी आसानी से कर सकते हैं और इनको करने से उतना ही लाभ मिलेगा जितना सुबह की कसरत से मिलता है. असल में शाम के समय बौडी पहले से ही वार्मअप होती है और औफिस जाने की टेंशन भी नहीं रहती. इसलिए शाम को कसरत करने से अच्छी नींद आती है और स्ट्रेस दूर होता है.और सबसे बड़ी बात कि यह आपका अपना समय है आप इसमें आसानी से वर्कआउट कर सकते हैं. आइए जानते हैं शाम को की जा सकने वाली एक्सरसाइज के बारे में–

1. बौल एक्सरसाइज

नाम जरूर फनी है लेकिन फायदे बहुत हैं. इस एक्सरसाइज से बेली फैट कम  होता है. इसे करने के लिए जमीन पर पीठ के बल  सीधा लेट कर एक्सरसाइज वाली बौल को हाथों में लेकर अपने दोनों पैरों को ऊपर उठाएं. इसके बाद अपने हाथों से बौल को अपने पैरों में पकड़ाएं . फिर पैरों को नीचे ले जाकर दुबारा बौल को लेकर ऊपर आएं. और बाल को दुबारा हाथों में पकाड़ाएं. इस प्रक्रिया को लगातार 10 से 12 बार करना फायदेमंद है.

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2. क्लासिक एक्सरसाइज है अच्छा औप्शन

अगर पेट की मसल्स में कसाव और उसको टोन करना चाहते हैं तो  स्टेबिलिटी बौल एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए. बौल को कमर के नीचे रखें. हाथ और कोहनी से टिके रहने के लिए सपोर्ट बनाए रखें. अब पैर की अंगुलियों को थोड़ा खींचे और कमर से नीचे वाले भाग को जमीन की तरफ ले जाएं. बौडी को को इस आकार में लाएं कि बौडी सिर से लेकर एड़ी तक लाइन में आ जाए. इस स्थिति में तीस से साठ सेकंड तक बनी रहें. अब इस एक्सरसाइज को दायीं और बाई तरफ भी दोहराएं.

3. फ्लैट बैली क्रंच एक्सरसाइज

क्रंच एक बेहतरीन एक्सरसाइज है फ्लैट बैली के लिए इस क्रम को अपनाकर आसानी से पेट की चर्बी को कम किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ आपको कार्डियो एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए. साथ ही ज्यादातर जिम में कैप्टन्स चेयर होती है. इसका इस्तेमाल करें. रोज 12-16 रिपीटेशन के 1-2 सेट करें. बहुत जल्द असर नजर आने लगेगा.

4. कसरत छोड़ने के नुकसान

मांसपेशियों की शक्ति कम होने लगती है लचीलापन भी घटने लगता है साथ ही बौडी की फिटनेस पर भी प्रभाव पड़ता है और पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है.

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5. जरूरी बात का रखें ध्यान

भोजन के तुरंत बाद किसी भी प्रकार की कसरत ना करें. अगर आप की तबीयत सही नहीं है ,आप को बुखार है या जोड़ों में दर्द है या गठिया की कोई प्रौब्लम है, तब भी आपको कसरत नहीं करनी चाहिए. कसरत करते समय पंखा हल्का या बंद होना चाहिए.

‘‘जबरिया जोड़ी फिल्म रिव्यू: महज टाइम और पैसे की बर्बादी’’

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः एकता कपूर,शोभा कपूर व शैलेश आर सिंह

निर्देशकः प्रशांत सिंह

कलाकारः सिद्धार्थ मल्होत्रा,परिणीति चोपड़ा, अपारशक्ति खुराना, जावेद जाफरी, संजय मिश्रा

अवधिः दो घंटे 24 मिनट

बिहार में प्रचलित पकड़वा विवाह (इंजीनियर,डाक्टर जैसे उच्च शिक्षित व अच्छी नौकरी कर रहे अविवाहित लड़कों को पकड़कर बिना दहेज के उनकी जबरन शादी करायी जाती है. फिल्मकार प्रशांत सिंह रोमांटिक कौमेडी फिल्म ‘‘जबरिया जोड़ी’’ लेकर आए हैं, जो कि निराश ज्यादा करती है. न यह एक्षन फिल्म बन पायी, न हास्य और न ही प्रेम कहानी बन पायी.

कहानी
कहानी शुरू होती है, पटना से, जहां बचपन में बबली और अभय सिंह स्कूल के दोस्त हैं. अभय सिंह छिप छिपकर बबली के घर की छत पर मिलने आता रहता है. एक दिन बबली की मां अभय को अपनी बेटी बबली को किस करते देख लेती है. यह बात बबली के सीधे सादे अध्यापक पिता दुनियालाल (संजय मिश्रा) को पसंद नही आती. वह बबली को लेकर सह परिवार दूसरी जगह रहने ले जाते हैं. समय बीतता है. अब पटना का बाहुबली अभय सिंह (सिद्धार्थ मल्होत्रा) पकड़वा विवाह कराने में माहिर है. वह इस काम को अपने पिता हुकुम सिंह (जावेद जाफरी) के कहने पर करता है. वह काबिल और पढे लिखे दूल्हों का अपहरण कर उनकी शादी उन लड़कियों से करवाता है, जिनके परिवार वाले मोटा दहेज देने में असमर्थ हैं. इस काम को वह अपने गैंग के साथ मिलकर कामयाबी से अंजाम देता है.

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उसका मानना है कि दहेज के लोभियों का इस तरह से अपहरण करके और उनकी शादी करवा कर वह पुण्य का काम कर रहा है. उधर बबली (परिणीति चोपड़ा) बड़ी हो गयी है और राजू नामक एक लड़के साथ शादी कर कलकत्ता जाने के लिए रात में अपने दोस्त संतो (अपराशक्ति खुराना) के साथ घर से भागकर पटना स्टेशन पहुंचती है. जबकि संतो मन ही मन बबली से प्यार करता है. बबली रात भर स्टेशन पर बैठी रहती है, पर उसका प्रेमी राजू नहीं आता. तब गुस्से में एक टीवी समाचार चैनल की टीम के साथ उस ढाबे पर जाती है, जहां राजू बैठा होता है. बबली राजू की पिटाई करती है, पुलिस उसे पकड़कर ले जाती है. पर बबली के पिता दुनियालाल (संजय मिश्रा) उसे छुड़ा लाते हैं. लेकिन उसका यह सारा कारनामा
टीवी चैनलो पर आ जाता है.

अचानक एक दिन जब बबली यादव अपनी सहेली की शादी में जाती है, तो पता चलता है कि अभय सिंह उसका पकड़वा विवाह करवा रहे हैं. वह अभय सिंह को देखते ही पहचान जाती है.अभय सिंह को भी अपना बचपन का प्यार याद आ जाता है. पर उसका ध्यान शादी करने की बनिस्बत अगले विधान सभा चुनाव को जीतकर विधायक बनने पर है. अभय सिंह और बबली की मुलाकातें बढ़ती है. बबली का प्यार फिर जाग उठता है. उसके बाद कहानी कई अजीबोगरीब व कुछ अविश्वासनीय मोड़ों से होकर गुजरती है. इस बीच अभय सिंह को पता चलता है कि उसके पिता हुकुम सिंह का जबरिया जोड़ी बनवाने का धंधा है. मसलन-हुकंम सिंह पहले बबली के पिता से बबली की शादी एक डाक्टर के लड़के से जबरन करवाने के लिए बीस लाख रूपए लेते हैं, पर जब उसी लड़के के लिए एक विधायक जी पचास लाख रूपए देते हैं, तो हुकुम सिंह बबली के पिता का बीस लाख वापस भिजवा देते हैं. इससे अभय सिंह को अहसास होता है कि वह पुण्य का काम नहीं कर रहा था. बल्कि प्यार करने वालों को दूर कर पाप का काम कर रहा था.

लेखन व निर्देशनः
इंटरवल से पहले और इंटरवल के बाद की फिल्म के बीच का ताना बाना बहुत गड़बड़ व असंतुलित है. इंटरवल तक फिल्म की गति धीमी है और दर्शक सोचने लगता है कि ‘कहां फसायो नाथ. इंटरवल के बाद कहानी में कई घटनाक्रम तेजी से घटित होते हैं, मगर वह सभी अविश्वसनीय लगते हैं. फिल्म का सुर ही बदल जाता है. ऐसा लगता है जैसे कि निर्देशक की फिल्म पर कोई पकड़ ही नही है. अतार्किक घटनाक्रमों के साथ फिल्म कई दिशाओं में भटकती हुई चलती है. सब कुछ दिग्भ्रमित सा है. निर्देशक की सबसे बड़ी कमी यह भी है कि उसने किरदारों के अनुरूप कलाकारों का चयन नहीं किया. फिल्म को एडीटिंग टेबल पर कसकर छोटी करनी चाहिए थी. कमजोर पटकथा व सही चरित्र चित्रण के चलते दिग्गज कलाकारों की मौजूदगी भी फिल्म को बेहतर नही बना पायी.

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अभिनयः
अभय सिंह के किरदार में सिद्धार्थ मल्होत्रा और बबली के किरदार में परिणीति चोपड़ा निराश करते हैं. दोनों कहीं से भी बिहारी नहीं लगते. ग्रामीण व छोटे शहर में भी परिणीति अति ग्लैमरस कपड़ों में ही दबी हुई नजर आती है. सिद्धार्थ मल्होत्रा के चेहरे हमेशा एक जैसे ही भाव नजर आते हैं. अपराशक्ति खुराना और चंदन रौय सान्याल अपने बल बूते पर अपने दृशयों को बेहतर बनाने में कामयाब रहे हैं. पर इससे फिल्म अच्छी नही हो पाती. फिल्म में दर्जन भर संगीतकार हैं, मगर एक भी गाना प्रभावित नही करता.

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