अब शिशु का ध्यान रखना होगा आसान

लेखक- पूजा भारद्वाज 

ज्वौइंट फैमिली में जहां बच्चे को पालना आसान है, वहीं एकल फैमिली में यह उतना ही मुश्किल है. अकेले मांबाप के लिए बच्चे को पालने जैसा कठिन कार्य कैसे हो आसान, आइए जानें:

बेबी केयर प्रौडक्ट

बच्चे को अकेले पालना एक साहसी और चुनौतीपूर्ण कार्य है. खासतौर पर तब जब आप सिंगल फैमिली में रहते हों और यह आप की पहली संतान हो. ऐसे में मां-बाप को समझ नहीं आता है कि वे बच्चे की उचित परवरिश कैसे करें. अभिभावकों की इसी समस्या का समाधान करने के लिए कई कंपनियों ने बाजार में कुछ नायाब व ऐडवांस बेबी केयर प्रोडक्ट्स ला कर अभिभावकों को राहत की सांस देते हुए पेरैंटिंग को आसान बनाया ताकि वे अपने बच्चे को सिर्फ प्यार करें बाकी ये बेबी प्रोडक्ट्स संभाल लेंगे.

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ब्रैस्ट पंप

जब मां को नौकरी या काम से बाहर जाना हो और वह चाह कर भी अपने बच्चे को स्तनपान न करवा पाए, तो ऐसे में बै्रस्ट पंपिंग मां के लिए एक वरदान है, जिस के जरीए वह जितना चाहे उतना दूध स्टोर कर सकती है. जिस से उस के चले जाने के बाद भी उस का बच्चा आराम से फीड कर सकता है. यह ब्रैस्ट पंप मां की जिंदगी आसान बनाता है और बच्चे के पालन में भी उस की मदद करता है.

फोल्डेबल बाथटब

जन्म के बाद बच्चे को नहलाने में अकसर मातापिता को डर लगता है, क्योंकि उन्हें न तो इस का अनुभव होता है और न ही इस बारे में कोई जानकारी. लेकिन फोल्डेबल बाथटब नहलाने की इस प्रक्रिया को असान बनाता है, क्योंकि इसे बच्चे के कंफर्ट को ध्यान में रख कर बनाया गया है. फोल्डेबल टब सुविधाजनक होते हैं और खासकर तब जब आप सफर पर हों, क्योंकि यह फोल्ड हो जाता है और कम जगह में आसानी से आ जाता है. यह इन्फैंट से ले कर टोडलर सभी उम्र के बच्चों के लिए बहुत अच्छा है. जब बच्चा बड़ा हो जाए, तो इस के अंदर मौजूद मौड्यूल को हटा कर बच्चे को बैठा कर भी नहलाया जा सकता है.

प्रैम कम स्ट्रोलर

यह हलका टिकाऊ बेबी स्ट्रोलर यात्रा करते समय उपयोग करने का सब से अच्छा साधन है. आप अगर खरीदारी कर रही हैं या किसी काम में व्यस्त हैं, तो आप बच्चे को स्ट्रोलर में रख अपना जरूरी काम निबटा सकती हैं. अगर आप बाहर घूमने जा रही हैं, तो भी प्रैम कम स्ट्रोलर आप के लिए काफी सुविधाजनक है.

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कई बार मां पर्याप्त क्षमता न होने के कारण बच्चे को उठा नहीं पाती है, लेकिन बच्चे को प्रैम में बैठा या लेटा कर आसानी से बाहर ले जा सकती हैं. वैसे भी लंबे समय तक इस का प्रयोग होता है. प्रैम को आप स्ट्रोलर के रूप में भी उपयोग कर सकती हैं. इस में टोडलर को आसानी से बैठाया जा सकता है और गाड़ी की सीट पर रखा जा सकता है, जो बिलकुल सुरक्षित है. लेकिन इसे खरीदते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. इसे खरीदते समय इस में सीट बैल्ट, लौक, ब्रेक, किनारे आदि की अच्छी तरह जांच कर लें.

टोडलर बूस्टर

शिशु बूस्टर सीटें आप के बच्चे को सुरक्षित रखने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक हैं. ड्राइविंग के समय अपने बच्चे को सुरक्षित रखना बेहद आवश्यक है. वे बच्चे जिन की उम्र 3 साल या उस से कम है, को कार की सीट पर बैठाने के बजाय बूस्टर सीट पर बैठाएं. सुपर मार्केट में जा रही हों या वैकेशन पर बूस्टर सीट खरीदना आप के लिए सुविधाजनक हो सकता है.

कई बार मार्केट में खरीदारी करते वक्त बच्चा सो जाता है, जिस से सामान उठाने में दिक्कत होती है, ऐसे में आप बच्चे को बूस्टर पर बैठा कर गाड़ी में छोड़ सकती हैं और फटाफट अपना काम निबटा सकती हैं. यह सभी उम्र व वजन के बच्चों के लिए उपयुक्त है.         

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अगर आपका भी है इकलौता बच्चा तो हो जाएं सावधान

जिन मातापिता का एक ही बेटा या बेटी है, वे सावधान हो जाएं. एक अध्ययन में दावा किया गया है कि जिन दंपतियों का एक ही बच्चा है तो उस के मोटापे का शिकार होने की संभावना 2 या 2 से अधिक बच्चों वाले परिवार की तुलना में ज्यादा होती है. यह अध्ययन 12,700 बच्चों पर किया गया. यह अध्ययन यूरोपीय रिसर्च प्रोजैक्ट आईडैंटिफिकेशन ऐंड प्रिवैंशन औफ डाइटरी ऐंड लाइफस्टाइल इंडस्ट हैल्थ इफैक्ट्स इन चिल्ड्रन ऐंड इंफैक्ट्स का हिस्सा है. इस प्रोजैक्ट का उद्देश्य 2 से 9 साल तक के बच्चों के खानपान, जीवनशैली और मोटापा व उस के प्रभावों पर गौर करना है. यूनिवर्सिटी औफ गोथेनबर्ग स्थित साहग्रैस्का ऐकैडमी में अनुसंधानकर्ता मोनिका हंसबर्गर का कहना है कि जिस परिवार में एक ही बच्चा है, उस में मोटापे का खतरा ज्यादा बच्चों वाले परिवार की तुलना में 50% से अधिक होता है. इस की वजह छोटे परिवार का माहौल और पारिवारिक संरचना में अंतर हो सकता है. अध्ययन के अनुसार यूरोप में 2.20 करोड़ बच्चे मोटापे के शिकार हैं. इटली, साइप्रस और स्पेन में बच्चों में मोटापा यूरोप के उत्तरी देशों की तुलना में 3 गुना अधिक है.

बीमारियों का खतरा

लगभग 70% मोटे बच्चों के भारीभरकम वयस्क में स्थानांतरित होने की पूरी आशंका रहती है. एकतिहाई बच्चे अपनी किशोरावस्था तक मोटे हो जाते हैं. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 13 से 16 साल के बीच की उम्र सीमा में हर 10 में से 1 स्कूली बच्चा मोटापे का शिकार है. ऐसोचैम द्वारा विश्व हृदय दिवस के ठीक पहले किए गए सर्वेक्षण में 25 निजी और सरकारी स्कूलों के 3,000 बच्चों को शामिल किया गया. बच्चों में तेजी से बदलती जीवनशैली और खानपान की आदतों को इस के लिए जिम्मेदार बताया गया. लगभग 35% अभिभावक अपने बच्चों को रोज 40 से 100 रुपए दिन के समय कैंटीन में भोजन करने के लिए देते हैं, जबकि 51% बच्चे 30-40 रुपए पास्ता और नूडल्स में खर्च करते हैं. सर्वेक्षण में कहा गया है कि मोटापे के शिकार बच्चों में हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा 35% तक बढ़ जाता है. मोटे बच्चों में उच्च रक्तचाप, उच्च कोलैस्ट्रौल स्तर, मधुमेह और दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है.

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अगर आप का बच्चा मोटा है

क्या आप नहीं चाहेंगे कि आप का बच्चा ताउम्र स्वस्थ और निरोगी रहे? लेकिन यदि वह बचपन में ही मोटापे की गिरफ्त में आ गया तो उस का परिणाम उसे ताउम्र भुगतना पड़ेगा. मोटापे से संबंधित नौनकम्युनिकेबल बीमारियां जैसे टाइप-2 डायबिटीज, मैलाइटस, इंसुलिन रैजिसटैंस, मैटाबोलिक सिंड्रोम और पौलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम ओवरवेट बच्चों को शिकार बना सकते हैं. यदि आप का बच्चा मोटा है तो उसे कैंसर का खतरा अन्य बच्चों की अपेक्षा ज्यादा है. वजन बढ़ने के कारण 10 तरह के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. मैडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि मोटापे के कारण गर्भाशय का कैंसर बढ़ने का खतरा ज्यादा है. इस के बाद पित्ताशय, गुरदा, गर्भाशय, थायराइड और ब्लड कैंसर की बारी आती है. बौडी मास इंडैक्स ज्यादा होने के कारण लिवर, मलाशय, अंडाशय और स्तन कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है. लंदन स्कूल औफ हाइजीन ऐंड ट्रीपकल मैडिसिन के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन 50 लाख लोगों पर किया. वैसे मोटापा सौ रोगों की जड़ है. इस से उच्च रक्तचाप और हृदय रोग होने की आशंका भी बढ़ जाती है. जर्नल न्यूट्रीशन ऐंड डायबिटीज में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, बच्चों में मोटापे का संबंध उन का खानपान, उन की टीवी देखने की आदत और घर के बाहर खेलने जाने के वक्त पर बहुत निर्भर करता है और इस में मातापिता की भूमिका महत्त्वपूर्ण है. अध्ययन के अनुसार जिस परिवार में 1 ही बच्चा है, वह मुश्किल से ही बाहर खेलने जाता है. वह घर में ही दुबका रहता है और शिक्षा का स्तर भी प्राय: कम ही होता है. उस का अधिकांश वक्त बैडरूम में टीवी देखने में व्यतीत होता है.

परेशानी का सबब

एक शोध से पता चला है कि 97% इकलौते बच्चे ओवरइटिंग और ओवरडाइट के कारण मोटापे के शिकार हुए हैं. शोध में 5 से 8 साल की आयु के इकलौते स्कूली बच्चों को शामिल किया गया था. यह भी पाया गया कि ये बच्चे अपनी डाइट की तुलना में ऐक्सरसाइज बहुत कम करते हैं. एक सर्वे से पता चलता है कि 8 से 18 साल की उम्र के बच्चे औसतन 3 घंटे प्रतिदिन टीवी देखने में खर्च करते हैं. इकलौता बच्चा आमतौर पर घर पर ही रहता है. मैदानी खेलों से उस का कोई नाता नहीं रहता. पलंग या कुरसी पर बैठेबैठे या तो वह वीडियो गेम खेलता है या फिर टीवी देखता है. टीवी के सामने बैठ कर ही वह भोजन करता है. इस से उसे इस बात का पता ही नहीं चलता कि कितना खा गया. शुरू में तो मांबाप अपने इकलौते को गोलमटोल होते देख बडे़ खुश होते हैं, लेकिन जब वह ओवरवेट या गुब्बारे की भांति फूलता चला जाता है, तो उन्हें चिंता सताने लगती है. सच भी है, यदि 5 साल के बच्चे का वजन 75 किलोग्राम और 8 साल के बच्चे का वजन 140 किलोग्राम हो जाए तो यह न केवल बच्चों के लिए अपितु मातापिता के लिए भी परेशानी का सबब बन जाता है.

उड़ता है मजाक

सोशल मीडिया पर मोटापे को ले कर तकलीफदेह और डराने वाले मजाक बहुत ज्यादा होते हैं. विशेष कर ट्विटर ऐसे चुटकुलों का अहम ठिकाना बना हुआ है. अमेरिका के नैशनल इंस्टिट्यूट औफ हैल्थ के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन ब्लौग, ट्विटर, फेसबुक, फोरम, लिकर और यूट्यूब जैसी सोशल साइटों पर वजन को ले कर होने वाली चर्चाओं को ले कर किया गया. इस में ट्विटर शीर्ष पर रहा जहां मोटापे का सब से ज्यादा मजाक उड़ाया जाता है और कमैंट किए जाते हैं. ट्विटर के बाद फेसबुक दूसरे स्थान पर है. शोधकर्ताओं ने 2 महीनों के दौरान 13.7 लाख पोस्ट का अध्ययन किया, जिन में फैट, ओबेस, ओबैसिटी या ओवरवेट जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था. इन में सर्वाधिक इस्तेमाल ‘फैट’ शब्द का हुआ और ज्यादातर यह प्रयोग नकारात्मक था. जाहिर है ऐसे कमैंट्स से बच्चों में हीनभावना पैदा होती है और वे कुंठा के शिकार हो जाते हैं. वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से यह बात सामने आई है कि बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों के मोटापे के प्रति समय के बाद चेतते हैं. वे तब अपने बच्चों के बारे में जान पाते हैं जब वे मोटापे की गिरफ्त में पूरी तरह आ चुके होते हैं.

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शारीरिक मेहनत भी है जरूरी

बच्चे स्लिप और चुस्तदुरुस्त हों तो ही अच्छे लगते हैं. इसलिए शैशव अवस्था से ही उन के मोटापे पर निगरानी रखें. उन का खानपान इस प्रकार निर्धारित करें कि वे कभी मोटापे का शिकार न हों. बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए पोषक आहार मिलना जरूरी तो है पर वह संतुलित होना चाहिए. किसी भी चीज की अति बुरी होती है. अपने बच्चों की फिटनैस पर ध्यान दें. इस के लिए कमर्शियल फिटनैस क्लबों की सेवाएं ली जा सकती हैं. मांबाप को चाहिए कि वे अपने ओवरवेट बच्चे को डाक्टर को दिखाएं. इस के अलावा डाइटिशियन से उस की खुराक निर्धारित करवाएं. बच्चों की सेहत का ध्यान रखना मांबाप का फर्ज है. दिन भर में एक बार जरूर बच्चे को अपने साथ खाना खिलाएं. खाने में साबूत अनाज, फलों, सब्जियों की मात्रा ज्यादा रखें तथा जंक और प्रोसैस्ड फूड पर लगाम लगाएं. बच्चों से अच्छी बात मनवाने के लिए जबरदस्ती न करें और न ही किसी तरह का लालच दें, बल्कि उन्हें दोस्त बन कर समझाएं ताकि वे अपनी खानपान संबंधी आदतों में सुधार करें तथा टीवी या कंप्यूटर के सामने घंटों गुजारने के बजाय उन का समय मैदान में खेलकूद में गुजरे.

नवजात को स्किन एलर्जी से बचाएं ऐसे

बच्चों की स्किन खासकर नवजातों की बहुत नाजुक होती है. कमजोर होने के कारण वे बहुत जल्दी एलर्जी व इन्फैक्शन के संपर्क में भी आ जाते हैं, इसलिए उन्हें खास केयर की जरूरत होती है. इस संबंध में एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस के डा. सुमित चक्रवर्ती शिशु को एलर्जी से बचाने के कुछ खास टिप्स बता रहे हैं:

क्या है स्किन एलर्जी

जब बेबी की स्किन ऐलर्जन यानी एलर्जी पैदा करने वाले तत्त्वों से प्रभावित होती है या फिर बौडी जब एक एलर्जी द्वारा ट्रिगर रासायनिक हिस्टामाइन का उत्पादन करता है तो स्किन ऐजर्ली होती है.

बच्चों में आमतौर पर यह एलर्जी डायपर से, खाने से, साबुन व क्रीम से, मौसम में आए बदलाव व कई बार कपड़ों के कारण भी हो जाती है. इस का प्रभाव खासकर सैंसिटिव स्किन पर सब से ज्यादा पड़ता है, जिसे स्पैशल केयर की जरूरत होती है.

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कैसी-कैसी स्किन एलर्जी

ऐक्जिमा: यह अक्सर 3-4 महीनों के बच्चों में देखने को मिलता है. इस में बौडी के किसी भी हिस्से पर लाल रंग के रैशेज दिखाई देने लगते हैं, जिन में इतनी खुजली होती है कि बच्चे के लिए उसे सहन करना मुश्किल हो जाता है.

कारण: यह बीमारी अकसर या तो जेनेटिक या फिर कपड़े, साबुन, गंदगी व बदलते मौसम के कारण होती है. ऐसे में आप को जब भी अपने बच्चे की स्किन पर लाल रंग के रैशेज दिखाई दें तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें.

क्या करें: अपने बच्चे की स्किन को रोजाना माइल्ड सोप से क्लीन करें. स्किन को ज्यादा देर तक गीला न रखें वरना उस पर एलर्जी के चांसेज बढ़ जाते हैं.

डायपर रैश से बचें ऐसे

बच्चा साउंड स्लीप ले, इस के लिए पेरैंट्स उसे हर समय डायपर पहनाए रखते हैं, लेकिन लंबे समय तक डायपर पहनाए रखना बच्चे की स्किन पर सूजन व रैशेज का कारण बनता है. इस के कारण बच्चे को इतनी ज्यादा खुजली होती है कि कई बार स्किन छिल तक जाती है.

कारण: लंबे समय तक डायपर चेंज न करना, अधिक गीला डायपर, जरूरत से ज्यादा टाइट डायपर रैशेज का कारण बनता है.

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क्या करें: हर 2-3 घंटों में डायपर को चेंज करें और चेंज करने से पहले स्किन को अच्छी तरह क्लीन करें, साथ ही डाक्टर की सलाह पर डायपर रैशेज क्रीम भी लगाएं. अगर बच्चे को डायपर पहनने में दिक्कत हो रही हो तो उस की स्किन को खुला छोड़ें. इस से धीरेधीरे रैशेज सूखने लगेंगे, जिस से खुजली व जलन में कमी आएगी.

बग बाइट रैशेज में करें ये

अकसर गरमियों में मच्छर या फिर बैड बग की वजह से बच्चों की स्किन पर रैशेज पड़ जाते हैं और उन में खुजली करने के कारण ये बाकी जगह को भी प्रभावित करने लगते हैं, जिस से बच्चे चैन की नींद नहीं सो पाते हैं.

कारण: अकसर गंदगी के कारण घर में कीड़ेमकोड़े होेते हैं, जिन से बचने के लिए घर की रोज अच्छी तरह सफाई करें.

क्या करें: तुरंत डाक्टर को दिखाएं ताकि ऐंटीबायोटिक क्रीम से रैशेज व जलन को कम करने में मदद मिले. बच्चे को ज्यादा टाइट कपड़े पहनाने से बचें.

हीट रैशेज से बचें ऐसे

गरमियों में बच्चों की स्किन खासकर उन के चेहरे, गरदन, अंडरआर्म व जांघों के पास हीट रैशेज हो जाते हैं, जिन में खुजली होने के कारण उन्हें काफी परेशानी होती है.

कारण: बौडी पर पसीने का जमा होना व तंग कपड़े पहनना हीट रैशेज का कारण बनता है.

क्या करें: बच्चे को ठंडी जगह रखें. उसे टाइट कपड़े पहनाने से बचें.

रिंग वार्म में करें ये

यह एक तरह का फंगल इन्फैक्शन होता है, जो आमतौर पर स्कैल्प, पैरों पर अपना प्रभाव डालता है और छूने पर एक से दूसरी जगह फैलता है.

कारण: यह गंदे टौवेल, कपड़ों, खिलौनों व पसीने के एक जगह इकट्ठा होने के कारण होता है.

क्या करें: जब भी बच्चे को प्रौब्लम हो तो उसे डाक्टर की सलाह पर ऐंटीफंगल क्रीम लगाएं और इस बात का खास ध्यान रखें कि जब भी क्रीम लगाएं तो प्रभावित जगह को पहले अच्छी तरह साफ कर लें.

सिर पर पपड़ी जमना

जन्म के समय शिशु के सिर पर पपड़ी जमा रहती है, जो आम बात है. लेकिन कई बार बाद में भी शिशुओं में इस तरह की समस्या देखने को मिलती है, जो काफी तकलीफदेह होती है. इसे क्रेड कैप स्किन रोग भी कहते हैं.

कारण: बौडी की तेल ग्रंथियों में ज्यादा तेल बनने की वजह से शिशु को यह समस्या

होती है.

क्या करें: साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. स्थिति गंभीर होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाएं.

इन स्किन केयर टिप्स का भी रखें ख्याल

इन बातों का ध्यान रखकर नवजातों को स्किन इन्फैक्शन से बचाया जा सकता है:

– शिशु को नहलाने के बाद बेबी क्रीम लगाना न भूलें, क्योंकि इस से स्किन ड्राई नहीं होती है.

– बेबी के कपड़े साफ जगह रखें और उन्हें रोज धोएं ताकि शिशु इन्फैक्शन से दूर रहे.

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– नवजात के लिए सोप व शैंपू डाक्टर की सलाह पर ही खरीदें.

– अगर परिवार के किसी सदस्य को स्किन एलर्जी है, तो उस से नवजात को दूर रखें.

– गंदे हाथों से बच्चों की स्किन को टच न करें.

– सौफ्ट फैब्रिक से बने कपड़े ही पहनाएं.

– खानेपीने में साफसफाई का खास ध्यान रखें.

– बेबी को कवर कर के रखें ताकि कीड़े-मकोड़ों के काटने का डर न रहे.

फेस्टिवल में परोसें मेवा लड्डू

फेस्टिवल में हर घर में मीठा जरूर बनता है. अगर आप भी कुछ मीठा ट्राय करना चाहते हैं तो आज हम आपको मेवे के बने लड्डू के बारे में बताएंगे, जिसे आप लंबे समय तक के लिए स्टोर करके भी रख सकते हैं और फेस्टिवल में अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को आसानी से बनाकर खिला सकते हैं. ये टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी डिश है.

हमें चाहिए

– 500 ग्राम गुड़ (छोटेछोटे टुकड़ों में)

– 1/2 कप बादाम टुकड़ा

– 1 कप काजू टुकड़ा

– 1 बड़ा चम्मच पिस्ता कटा

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– 1 कप नारियल कसा

– 1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

– 1/4 कप मावा

– 1/2 कप घी.

बनाने का तरीका

मावा मसल कर भारी तले की कड़ाही में मध्यम आंच पर ब्राउन होने तक भून कर प्लेट में निकाल लें. कड़ाही में घी डाल कर गरम करें. गरम घी में गुड़ के टुकड़े पिघलाएं. चम्मच से लगातार चलाती रहें. गुड़ का सीरप बन जाने पर इसे आंच से उतार लें और इस में मेवा, मावा तथा नारियल मिला लें. तैयार मिश्रण के मनचाहे आकार के लड्डू बना लें.

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ये क्या! रैंप वौक करते करते ही स्टेज पर डांस करने लगी दीपिका

बौलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण फिल्म की शूटिंग करके लंदन से मुंबई लौटी हैं, लेकिन खास बात ये है कि फिल्म 83 की शूटिंग के बाद ही वह काम में लग गई हैं. हाल ही में वह एक फैशन शो में ब्राइडल लुक में धमाकेदार एंट्री के साथ डांस करते नजर आईं. आइए आपको दिखाते हैं दीपिका के रैंप का बिन्दास लुक..

रौयल दुल्हन में नजर आईं दीपिका पादुकोण

बीती रात दीपिका पादुकोण एक फैशन शो का हिस्सा बनने पहुंची थीं. यहां पर दीपिका एक रौयल दुल्हन बन कर रैप वौक करती नजर आईं. दीपिका के इस लुक को देखकर उनके फैंस को उनका शादी वाला लुक याद आ रहा था.

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इस अंदाज में नजर आई दीपिका

 

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STUNNING!!! Deepika Padukone for Abu Jani Sandeep Khosla tonight. ?✨✨ #deepikapadukone @abujanisandeepkhosla

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रैंप पर दीपिका ने सिल्वर कलर का ब्राइडल लहंगा पहना था. इस लहंगे के साथ दीपिका ने हैवी दुपट्टा कैरी किया था. इसके अलावा दीपिका ने मैचिंग इयररिग्स पहने हुए थे. दीपिका का यह लुक उनपर बेहद कमाल लग रहा था.

फैशन शो में छाया दीपिका पादुकोण


रैंप वौक पर दीपिका पादुकोण का जलवा ही था, जिसकी वजह से जैसे ही दीपिका की एंट्री रैंप पर हुई वैसे ही हर कोई उनको देखता ही रह गया. यहां वह बेहद खूबसूरत नजर आ रही थीं.

डिजाइनर आउटफिट में दिखीं दीपिका

दीपिका पादुकोण बौलीवुड के फेमस फैशन डिजाइनर Abu Jani और Sandeep Khosla के फैशन शो का हिस्सा बनने पहुंची. अबू जानी और संदीप खोसला ने इंडस्ट्री में अपने 25 साल पूरे होने की खुशी में यह फैशन शो का आयोजन किया था.

रैंप पर डांस करती दिखीं दीपिका

अबू जानी और संदीप खोसला के साथ रैंप पर चलते चलते दीपिका अचानक डांस करने लगी. जिसके बाद उनकी फोटोज और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

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बता दें, दीपिका इन दिनों अपनी पर्सनल और प्रौफेशनल लाइफ के चलते काफी बिजी चल रही हैं.

‘Yeh Rishta…’ में तीज सेलीब्रेशन के दौरान करीब आएंगे “नायरा-कार्तिक’

सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में नए-नए सेलिब्रेशन के साथ नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. हाल ही में जन्माष्टमी सेलिब्रेशन में ‘दादी’ और ‘वेदिका’ के ड्रामे के साथ शो लोगों को एंटरटेन कर रहा है. वहीं अब तीज सेलीब्रेशन के खास एपिसोड में भी ‘नायरा-कार्तिक’ करीब आते हैं कि नही आज हम इसके ट्विस्ट के बारे में बताएंगे…

‘नायरा-कार्तिक’ के फैंस को होगी खुशी

सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में जल्द ही तीज सेलीब्रेशन होगा और इस दौरान एक बार फिर से ‘नायरा और कार्तिक’ के फैंस को ट्रीट मिलने वाला है.

 

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अपकमिंग एपिसोड में ‘वेदिका’ के साथ होगा ये

अपकमिंग एपिसोड में ‘कायरव’ ‘कार्तिक’ से ‘नायरा’ को कंगन देने के लिए कहेगा, लेकिन ‘नायरा’ उसे बता देगी कि ये कंगन उसके पापा ‘वेदिका’ के लिए लाए है. ये सुनकर मासूम ‘कायरव’ ‘कार्तिक’ से कहेगा कि वह यह कंगन ‘वेदिका’ आंटी को दे दे, लेकिन उसकी मां के लिए वह इससे भी खूबसूरत कंगन लेकर आए. ये सुनकर ‘वेदिका’ का मुंह उतर जाएगा.

तीज सेलीब्रेशन में करीब आएंगे ‘नायरा और कार्तिक’

‘कायरव’ की जिद की वजह से ‘नायरा और कार्तिक’ तीज सेलीब्रेशन के दौरान एक दूसरे के करीब आएंगे और इस दौरान वह अपने पुराने दिनों की याद में डूब जाएंगे.

‘दादी’ का गुस्सा होगा सातवें आसमान पर

‘नायरा और कार्तिक’ को इस तरह साथ में देखकर ‘दादी और वेदिका’ गुस्से से आगबबूला हो जाएंगी. पर अब देखना ये होगा कि ‘दादी’ ‘नायरा’ को लेकर क्या कदम उठाएंगी.

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बता दें, ‘नायरा’ ने ‘कार्तिक’ से वादा किया है कि जैसे ही ‘कायरव’ ठीक हो जाएगा, तो वह गोयनका हाउस और ‘कार्तिक’ की जिंदगी से बहुत दूर चली जाएगी. अब देखना ये है कि क्या अपना ये वादा भूलकर ‘कार्तिक-नायरा’ करीब आएंगे.

स्किन को एलर्जी से दूर रखने के लिए अपनाएं ये टिप्स

यह बहुत जरूरी है कि हम अपनी स्किन की देखभाल अच्छी तरह से करें. अक्सर इस मौसम में त्योहार हमें व्यस्त रखते हैं कि हम अपनी स्किन की अनदेखी करते हैं और सही देखभाल न करने का खामियाजा हमें बाद में भुगतना पड़ता है. डरमैटोलोजिस्ट सचिन गुप्ता का कहना है कि जिस वातावरण में हम रहते हैं वह हमारी स्किन के लिए बेहद नुकसानदायक है. जैसे प्रदूषण का स्तर और खाने-पीने की गलत आदतें. इन सब के चलते हमारी स्किन डल सूखी और पिगमेंटेशन से भरी हो जाती हैं .ऐसे में स्किन को चमकदार बनाए रखने के लिए विशेष देखभाल की जरूरत होती है. सबसे अहम बात ,यह मौसम स्किन के लिए ज्यादा अच्छा नहीं होता .क्योंकि कभी गर्म हवा तो कभी नमी, तो कभी आद्रता, हवाओं में रहती है. जिसकी वजह से ढेरों स्किन की प्रॉब्लम शुरू हो जाती हैं. हवा की वजह से चेहरे की स्किन बेजान और रुखी सी लगने लगती है. ऐसे में कुछ सावधानी बरतने की बहुत जरूरत होती है.

स्किन के प्रकार

तैलीय स्किन

इस प्रकार की स्किन को सबसे ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है क्योंकि डीप क्लींजिंग के बाद भी काफी चमकदार दिखती है और इस तरह की स्किन के पोर्स काफी बड़े होते हैं. इस तरह की स्किन पर मुहांसे, काले धब्बे तथा सफ़ेद धब्बे होने की संभावनाएं ज़्यादा होती हैं. तैलीय स्किन को दिन में दो बार बिना झाग वाले क्लीन्ज़र से फेस वॉश करें .  आप  अल्कोहल फ्री ,नमी प्रदान करने वाला टोनर भी इस्तेमाल कर सकती हैं. कॉटन कपड़ों का इस्तेमाल करें आपके शरीर पर कम से कम औयल का जमाव हो .

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रूखी स्किन

स्किन में नमी कम होने के कारण स्किन रूखी हो जाती हैं. इस प्रकार की स्किन में काले धब्बों के पैदा होने की संभावना ज़्यादा होती है. यदि स्किन रूखी है तो डेली क्लीन्ज़र और गुनगुने पानी की मदद से अपने चेहरे को साफ़ करना चाहिए. चेहरे को धो लेने के बाद रूखेपन और पपड़ीदार स्किन से बचने के लिए एक टोनर का भी प्रयोग करें.

सामान्य स्किन

सामान्य स्किन की पहचान है कि  मौसम में बदलाव होने की वजह से कक्षा में परिवर्तन आता  है. ऐसी स्किन को एक क्लीन्ज़र की सहायता से धोना या साफ करना चाहिए.

मिश्रित स्किन टी जोन एरिया

मिश्रित स्किन के अंतर्गत एक ही चेहरे पर दो प्रकार के स्किन के प्रकार दिखाई पड़ते हैं. ऐसी स्किन पर किसी एक भाग पर काफी मात्रा में तेल होता है. अधिकांशत: माथा, नाक और थोडी सबसे आयली जोन माने जाते हैं. जबकि चेहरे का  बाकी का हिस्सा आमतौर पर सूखा ही होता है.

सेंसिटिव स्किन

सेंसिटिव स्किन पर कुछ भी इस्तेमाल करने से पहले किसी एक अच्छे डर्मेटोलौजिस्ट से सलाह लेना सही रहता है. क्योंकि इस तरह की स्किन को सौन्दर्य उत्पादों से ही नहीं बल्कि हर मौसम में एलर्जी रहती है, चाहे ठंडा हो या गर्म . बदलते मौसम के साथ इस प्रकार की स्किन ज्यादा सेंसिटिव हो जाती है. मौसम के बदलने पर आपकी स्किन पर रैश लालपन, एक्ने, डाईलेटेड केपिलरी  सूजन जैसी समस्याएं दिखाई पड़ती हैं. सेंसिटिव स्किन  पर क्लींजर तथा टोनर का प्रयोग करके रोज़ाना उसपर मौइस्चराइज़र का प्रयोग करें .

कुछ जरूरी टिप्स जो आप अपना कर अपनी स्किन को रख सकते हैं हैप्पी.

मेकअप हटाए बिना न सोयें

चाहे आप कितने भी व्यस्त हों, अपना मेकअप हटाए बिना कभी ना सोए .अगर आप एक अच्छे क्लींजर से मेकअप को अच्छी तरह नहीं निकालेंगे ,तो स्किन के छिद्र बंद हो जाएंगे और यह स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं .सोने से पहले एक अच्छे मॉइस्चराइजिंग क्लींजर से मेकअप और धूल मिट्टी को अच्छी तरह से साफ करें और दिन में दो बार अपने चेहरे को फेस वौश से धोएं.

क्लींजिंग

बेसिक होने के अलावा यह बेहद ही अहम रुल भी है .जिसे हमे रिलीजियसली फॉलो भी करना चाहिए .स्किन को साफ रखने से कील मुहांस और इन्फेक्शन के चांसेस कम हो जाते हैं. फेस वॉश का मतलब यह नहीं है कि आप दिन भर में 4 से 5 बार मुंह धोए और आपको मिल गई क्लींजिंग .नहीं अगर आप वाकई अपने स्किन को प्रोटेक्टेड रखना चाहती हैं तो कोशिश करें कि आप दिन में केवल दो या तीन बार ही मुंह को धोएं .इसके साथ ही ड्राइनेस को ट्रीट करने के लिए आप कॉटन बॉल में ठंडे दूध का प्रयोग करें और चेहरे को साफ करें .या अत्याधिक ऑयल हो तो किसी एस्ट्रिंजेंट का इस्तेमाल करें. इससे आपका चेहरा बेबी सॉफ्ट या डर्ट फ्री हो जाएगा.

स्क्रबिंग

वैसे तो स्क्रबिंग बेहद ही जरूरी है स्किन को हेल्थी व क्लीन रखने के लिए .लेकिन आप चाहे तो इस रूटीन में थोड़ी सी फेरबदल भी कर सकते हैं. जहां तक हो सके हफ्ते में केवल एक या दो बार ही स्क्रब करें. ज्यादा स्क्रबिंग से भी आपकी स्किन को नुकसान पहुंच सकता है. स्क्रबिंग स्किन को हेल्थी रखने के लिए जरूरी है. स्किन को हेल्थी रखने के लिए हो सके तो माइल्ड स्क्रब का ही प्रयोग करें .आप चाहे तो अपना स्क्रब घर में खुद तैयार कर सकते हैं.

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मौइस्चराइजिंग

वैसे तो चेहरे को हर सीजन में मॉश्चराइजर करना चाहिए. लेकिन इस रूल को इस मौसम में थोड़ा कम तवज्जो देनी चाहिए .दरअसल गर्म हवाएं या अत्याधिक नमी का मौसम  हमारे चेहरे के ग्लो को कम कर देता है . इस मौसम में अत्यधिक पसीना आता है और स्किन पर ब्लैकहेड्स जैसी समस्याएं होने लगती हैं. नतीजा हमारी स्किन बेजान सी दिखने लगती है ऐसे में स्किन को माइश्चर की डोज़ की कम जरूरत होती है और किसी सूदिंग एजेंट जैसे एस्ट्रिंजेंट की ज्यादा.

ड्रिंक मोर

पानी हमारी बॉडी में संतुलन बनाए रखता है .यह ना सिर्फ स्किन को हेल्दी बनाता है बल्कि बॉडी को भी दुरुस्त रखता है .एक्सपर्ट्स की मानें तो व्यक्ति को रोजाना कम से कम 8 से 10 गिलास पानी का सेवन करना चाहिए .इससे चेहरे की इलास्टिसिटी बनी रहती है और चेहरा खूबसूरत ,स्किन जवान नजर आने लगती है.

टोनिंग

अगर आप अपनी स्किन को यंगर लुकिंग और हेल्दी बनाना चाहती हैं ,तो टोनिंग जैसे महत्वपूर्ण रुल को जरूर अपनाएं. रोजाना चेहरे की टोनिंग करने से एजिंग के साइन खत्म हो जाते हैं और स्किन  नजर आने लगती है. वैसे तो बाजारों में बहुत से टोनर मिल जाएंगे .आप अपनी स्किन के अनुसार अपने लिए बेस्ट प्रोडक्ट चुन सकती हैं.

फेस पैक

चेहरे को पैंपर करने के लिए फेस पैक का प्रयोग करें. फेस पैक लगाने से हमारे चेहरे की कमियां काफी हद तक दूर हो जाती हैं, जिससे हम फ्रेश व कौन्फिडेंट भी महसूस करने लगते हैं. जहां तक संभव हो सके नेचुरल इंग्रेडिएंट्स युक्त फेस पैक भी इस्तेमाल करें .ऐसा करने से साइड इफेक्ट के चांसेस कम हो जाते हैं.

सनस्क्रीन क्रीम

स्किन को सूर्य  की किरणों से बचाना बेहद ही जरूरी होता है. खासकर तब जब बात ब्यूटी को संजो कर रखने की हो रही हो. स्किन बेहद डेलिकेट होती हैं और उसे प्रोटेक्ट करके रखना बहुत बड़ी जिम्मेदारी का काम होता है. एक अच्छा सनस्क्रीन क्रीम काफी हद तक आपकी स्किन प्रौब्लम को दूर करने में मदद करती है.इस मौसम में सनस्क्रीन क्रीम स्किन की देखभाल के लिए जरूरी है. जब भी घर से बाहर जाना हो तो सनस्क्रीन का प्रयोग करें. यही नहीं, हो सके तो घर में भी नहाने के बाद सनस्क्रीन क्रीम लगाए. ऐसा नहीं है कि सिर्फ घर से बाहर जाने पर ही सनस्क्रीन की जरूरत पड़ती है. इन दिनों में सूरज की किरणें काफी तेज होती हैं जो हमारी स्किन को नुकसान पहुंचाती हैं. जिसकी वजह से स्किन रूखी बेजान हो जाती हैं और जगह-जगह स्किन पर सनटैन दिखाई देने लगते हैं . स्किन क्रीम SPF 15 या उससे ज़्यादा का हो.  लोशन एवं फाउंडेशन वही इस्तेमाल करें जिनमें SPF की मात्रा हो.

तेल से करें मालिश

सुबह उठने के बाद अपने को 15 मिनट दे और पूरे शरीर की स्किन चेहरे और सिर पर गुनगुने तेल से मालिश करें. इसे 1 घंटे के लिए छोड़ दें. ऐसा सप्ताह में एक बार करें .तब तक अपने रोजमर्रा के काम को निपटाएं. जैसे अखबार पढ़ना, तैयार होना, नाश्ता करना आदि और इन सबके बाद एक घंटा पूरा होने पर नहाए .इससे पूरे दिन ही नहीं बल्कि पूरे हफ्ते के लिए आपकी स्किन स्वस्थ बनी रहेगी.

स्किन को दें पोषण

किसी अच्छे डर्मेटोलौजिस्ट से मिले और और अपनी स्किन के प्रकार को जाने. स्किन के प्रकार के अनुसार आप महीने में एक बार फेशियल करवाएं, जिससे आपकी स्किन को पोषण मिले. जुवेडर्म रिफाइन फिलर भी स्किन की ऊपरी परत को हाईल्यूरोनिक एसिड से पोषण प्रदान करते हैं, जिससे स्किन हाइड्रेट हो जाती है और इसमें पानी का स्तर सामान्य बना रहता है. स्किन जवान और चमकदार दिखती है.

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सोना और पानी पीना

नींद के दौरान स्किन अपनी मरम्मत करते हैं .दुर्भाग्य से त्योहारों के दिनों में हम इन दोनों ही चीजों पर ध्यान नहीं देते. अक्सर हम अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते और पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते . इसलिए जरूरी है कि अपनी नींद पूरी करें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिए. ये ३ टिप्स अपना कर, आप भी हैप्पी और आपकी स्किन भी हैप्पी.

औरतों के हक पर हमला  

जनसंख्या पर नियंत्रण अच्छी बात है पर क्या औरत की कोख पर सरकार, समाज और धर्म का कब्जा होना चाहिए? क्या यह एक औरत के मौलिक प्राकृतिक अधिकार का हिस्सा नहीं है कि वह कब किस से सैक्स संबंध बनाए और उस से कब बच्चे पैदा करे या न करे? क्या एक औरत या उस की संतान को इस बात की सजा दी जा सकती है कि उस से तीसरा या चौथा बच्चा पैदा क्यों हुआ?

भारत सरकार अब चीनी सरकार की तरह जनसंख्या नियंत्रण की सोच रही है और प्रधानमंत्री ने यह बात 15 अगस्त के भाषण में दोहराई है. इंदिरा गांधी ने आपातकाल में इसे राष्ट्रीय प्राथमिकता मान कर लागू किया था. यह असल में वैयक्तिक स्वतंत्रता में दखल है और अगर इस के पीछे कट्टर हिंदुओं को खुश करने की नीयत हो तो आश्चर्य नहीं.आज का कट्टर हिंदू निचली व पिछड़ी जातियों और मुसलमानों के परिवारों में होने वाले ज्यादा बच्चों को देश की प्रगति में बाधा मान रहा है.

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ऊंची जातियों के हिंदुओं ने तो तकनीक और पैसे के बल पर परिवार सीमित कर लिए हैं, पर जहां परिवार नियोजन महंगा है वहां जन्मदर काफी है.यहां यह समझ लेना चाहिए कि एक नया तीसरा या चौथा बच्चा हर औरत के लिए बोझ होता है. खुशी तो पहले 2 बच्चों में ही मिलती है, उस के बाद तो बच्चों को पालने में जिस तरह औरतों की कमर टूटती है, यह वे ही जानती हैं.

बच्चे होने से रोेकना उन के बस में नहीं होता, क्योंकि मर्द अपनी सैक्स की भूख मिटाने के लिए बिना परिणामों की चिंता किए अपना काम कर जाता है. अनपढ़ लोगों को न तो तकनीक समझ आती है और न ही वे इस का खर्च सहन कर सकते हैं.सरकार, समाज या कानून यदि धार्मिक वजह से परिवार नियोजन को थोपेगा तो यह गलत होगा. यह नारा बन कर रह जाएगा.

तीसरेचौथे बच्चे अपनेआप को गुनहगार समझने लगेंगे, जबकिदोष उन का नहीं होगा. कोई भी कानून यदि 3 या 4 बच्चों वाले परिवारों को टारगेट करेगा तो ये बच्चे कुंठित हो जाएंगे और अपने न किए गए अपराधों की सजा मिलने पर अपने मातापिता से भी नाराज रहेंगे. वैसे धर्म तो हमेशा यही चाहता है.हर धर्म आमतौर पर अपने भक्तों को हमेशा पापी ही मानता है. ईसाई धर्म में ईसा मसीह भक्तों के पाप अपने सिर पर लेते हैं. हिंदू धर्म में पापियों से पैसा ले कर उन्हें मुक्त करने का वादा किया जाता है.

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बौध धर्म त्याग के माध्यम से मोक्ष की वकालत करता है.बच्चे पैदा करना जो अब तक सब धर्मों में पुण्य का काम था, कम से कम भारत में तो पाप की श्रेणी में लाया जा रहा है, क्योंकि जन मान्यता है कि केवल गरीबों और मुसलमानों के ही ज्यादा बच्चे होते हैं. इसलिए सरकार हर गर्भ पर अपना चौकीदार बैठाने की वकालत कर रही है.यह औरतों के हक पर हमला है. औरतों को गर्भपात, सैक्स, गर्भनिरोधकों, बच्चे पैदा करने या न करने के पूरे अपने हक होने चाहिए, बिना कानून, पंडे, मौलवी, पादरी के दखल के.

ब्रेकअप के बाद सोशल मीडिया पर यह भूल न करें

ब्रेकअप कष्टदायक होते हैं, हमें इमोशनली तोड़ देते हैं. आजकल ब्रेकअप के बाद लोग सीधा सोशल मीडिया पर जाते हैं और अपनी भड़ास वहीं निकालते हैं. सुपर इमोशनल कोट्स ढूंढ़-ढूंढ़ कर पोस्ट कर वहां सब को पढ़वाते हैं. इमोशनल उठापटक समझी जा सकती है पर अकसर हम इस हरकत से अपना ही मजाक उड़वाते हैं और बाद में पछताते हैं. आप खुद सोचें कि किसी और के हार्टब्रेक की पोस्ट्स के बाद आप ने किस तरह की प्रतिक्रिया दी है? तो क्या आप स्वयं को इसी स्थिति में देखना पसंद करेंगे? ब्रेकअप के बाद आप का मन होता होगा कि आप जोरजोर से चिल्लाएं, खूब रोएं, ठीक है, यह सब करें, जो मन  हो वह करें पर सोशल मीडिया पर रिएक्ट न करें. तो यदि आप फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपने इमोशंस निकालना चाह रही हैं तो इन पौइंट्स को जरूर ध्यान में रखें.

अपना रिलेशनशिप स्टेटस न बदलें फौरन

आप का अपने पार्टनर के साथ ब्रेकअप हुआ है, यह बात सारी दुनिया को जानने की जरूरत नहीं है. आप के खास अपने लोग यह जानते ही होंगे. फेसबुक फीड को आप का यह बदलाव फौरन जानने की जरूरत नहीं है. यह आप का पर्सनल दुख, संकट है. आप को छत पर जा कर चिल्ला कर सब को बताने की जरूरत नहीं है. इसे सब के लिए खोल न दें. लोगों को अपने तौर पर पता चलने दें. ग्राफिक डिजाइनर नेहा कहती हैं, ”2 साल पहले मैं ने यह गलती की कि ब्रेकअप होते ही फेसबुक पर रिलेशनशिप स्टेटस चेंज कर दिया, दोस्तों और परिचितों के कौल्स और मैसेज आने ही नहीं शुरू हुए, वे लोग जिन से मैं क्लोज भी नहीं थी उन्होंने भी बिना मांगे अपनी सलाह देनी शुरू कर दी. अधिकतर लोग यही जानना चाहते थे कि ब्रेकअप क्यों हुआ. बता नहीं सकती कि इस वजह से मुझे ब्रेकअप से उबरने में कितना समय लग गया, और मैं ने महसूस किया कि लोगों को गौसिप का विषय भी मिल गया.”

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एक्स को ब्लौक न करें…

सोशल प्लेटफौर्म पर अपने एक्स को ब्लौक करना एक मूर्खतापूर्ण कदम है. आप गुस्से में ऐसा कर देते हैं पर बाद मैं आप महसूस करते हैं कि आप को यह नहीं करना चाहिए था. यदि अपनी फ्रैंड लिस्ट में या अपडेट्स में उन की उपस्थिति बहुत अखर रही हो तो उन्हें अनफ्रैंड करना ठीक है. यदि आप अपने एक्स के साथ दोस्त बन कर रहना चाहते हैं तो उन्हें ब्लौक करना या अनफ्रैंड करना ठीक नहीं है. यदि आप सोशल मीडिया पर बहुत जल्दी रिएक्ट करते हैं तो आप के पार्टनर को पता चल जाएगा कि आप पर इस का कितना असर हुआ है, और शायद यह आप नहीं चाहेंगे. इस बात पर यकीन करें कि अपने एक्स को स्टौक करने से आप का नुकसान ही होगा. एक बार आप उसे स्टौक करना शुरू करते हैं, यह रूटीन हो जाता है और आप को पता भी नहीं चलता. आप रोज उस की प्रोफाइल देखते हैं और अपनेआप को दुखी करते हैं. उस की खुशी से भरी फोटोज और उस का दोस्तों के साथ समय बिताना आप को प्रभावित करता है. उसे उस के नए पार्टनर के साथ देखना आप को और दुखी करता है.

सी ए मेहुल कहते हैं, ”पांच साल साथ रहने के बाद जब मेरी गर्लफ्रैंड के साथ मेरा ब्रेकअप हुआ, मुझे बहुत कठिनाई हुई. मैं लगातार उस की प्रौफाइल देखता था. पूरी नजर रखता था कि वह कब क्या कर रही है. एक दिन अचानक उस ने मुझे ब्लौक कर दिया. शायद वह समझ गई थी कि मैं क्या कर रहा हूं. उस समय मैं दुखी तो हुआ पर उस के बाद ही मैं लाइफ में आगे बढ़ सका. आज मुझे समझ आया है कि सोशल मीडिया पर एक्स को स्टौक करना मूव औन करने में बाधा बनता है.”

बिलकुल शेयर न करें नए पार्टनर के साथ फोटोज

आप को किसी के इमोशनल सहारे की जरूरत पड़ रही होगी पर वह व्यक्ति इतनी जल्दी आप का नया पार्टनर नहीं हो सकता. उस की फोटो सोशल मीडिया पर बिलकुल न डालें. इस से आप परेशानी में पड़ सकते हैं. आप अनजाने में अपने एक्स को दुख पहुंचा सकते हैं. सोच कर देखिए कि यही चीज आप का एक्स करे तो आप को कैसा लगेगा. फोटोग्राफर रिद्धी बताती हैं, ”जब मेरा ब्रेकअप हुआ, मैं बहुत जल्दी ही नए रिश्ते में बंध गई और मैं ने उस के साथ अपनी फोटोज भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दीं. आज सोचती हूं तो लगता है कि यह नहीं करना चाहिए था. यह मेरी बचकानी हरकत थी. मेरे एक्स को दुख पहुंचा होगा, मुझे अपने व्यवहार पर आज अफसोस है.”

आप ठीक हैं, खुश हैं, यह एक्टिंग करने की जरूरत नहीं है…

ब्रेकअप के बाद कोई खुश नहीं होता है, दुख होता ही है. सोशल मीडिया पर यह न बताएं कि आप खुश हैं. सोशल मीडिया पर मोटिवेशनल कोट्स या प्यार और हार्टब्रेक पर पोस्ट न डालती रहें, यह मूर्खता लगती है.खुश होने का दिखावा न करें. कोई भी दोस्त आप  की पोस्ट की स्क्रीनशौट ले कर बाकी दोस्तों में भेज कर आप पर हंस सकता है. इस समय आप को यह सब करने की जरूरत नहीं है.

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औनलाइन डेटिंग, ब्रेकअप के बाद की समस्या का हल नहीं है…

ब्रेकअप के बाद दोस्त आप को डेटिंग साइट जौइन करने की सलाह देते हैं, पर डेटिंग ऐप हार्टब्रेक का इलाज नहीं है. वे आप का दर्द कम नहीं कर सकती. ब्रेकअप के बाद बिलकुल अजनबियों के साथ बात करना अजीब लग सकता है. इस के बजाय कुछ समय वे काम करें जिन से आप को खुशी मिलती है. आर्किटेक्ट आरती कहती हैं, ”ब्रेकअप होते ही मैं ने डेटिंग ऐप जौइन कर लिया. मैं कुछ लोगों से मिली भी, पर मुझे लगा इस तरह किसी से जुड़ कर शायद मैं कभी और ज्यादा दुखी हो सकती हूं. इस में उलझनें लगीं, मुझे लगा कि ब्रेकअप के बाद किसी को भूलने में समय लगेगा ही. अपना ध्यान हटाने या एक्स को जलाने के लिए डेटिंग ऐप का सहारा लेना बुद्धिमानी नहीं है.”

फैस्टिव होम डैकोर के लिए अपनाएं ये 8 टिप्स

त्यौहारों के करीब आते ही मन उत्साह से भर जाता है. बाजार नई-नई व यूनीक चीजों से भर जाते हैं. कई दिनों पहले से ही शौपिंग शुरू हो जाती है. घर की सफाई जोरों पर होती है. फ्रैंड्स व रिश्तेदारों को इनवाइट करना भी कई दिन पहले ही शुरू हो जाता है. मगर ये सब करने से ही काम नहीं चलता यानी घर से भी फैस्टिव वाइब्स आनी चाहिए. इस के लिए घर के माहौल को महकाना व उसे सजाना भी बहुत जरूरी होता है ताकि आप खुद को फैस्टिवल के लिए पूरी तरह तैयार कर सकें. आइए जानें कि फैस्टिवल के लिए घर को कैसे सजाएं:

1. परदों से बढ़ाएं घर का अट्रैक्शन

अगर आप ने काफी सालों से घर में एक ही परदे टांगे हुए हैं और उन्हें देख कर आप ऊब गई हैं तो इस बार उन्हें बदल डालें. आप दीवारों से मैच करते परदों के डिजाइन फौलो करें, जो घर को नया लुक देने का काम करेंगे. आप मौर्डन कर्टन की डिजाइनों से भी घर को सजा सकती हैं, क्योंकि ये बहुत ही बोल्ड पैटर्न के साथ मार्केट में उपलब्ध हैं. बस अपने रूम की बनावट और शेड को ध्यान में रख कर इन का चयन करें.

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2. पेंटिंग बढ़ाए दीवारों की रौनक

अगर आप क्रिएटिव सोचती हैं तो अपनी क्रिएटिविटी से दीवारों की रौनक बढ़ाएं. इस के लिए ऐंब्रोस पेंटिंग बना सकती हैं, जो न सिर्फ आप की क्रिएटिविटी को बढ़ाने का काम करेगी, बल्कि बनाई गई आकृति 3डी इफैक्ट के रूप में जब उभर कर आएगी तो आप के घर की दीवारों की रौनक में चारचांद लग जाएंगे.

3. कुशंस को कवर्स से बनाएं नए जैसा

अगर आप के कुशंस पुराने हो गए हैं और आप अभी उन्हें बजट बिगड़ने के डर से चेंज नहीं करना चाहतीं तो आप अपने पुराने कुशंस को स्टाइलिश कवर्स से फिर से नए जैसा बनाएं. इस के लिए आप आजकल ट्रैंड में चल रहे ब्लौक प्रिंट, हैंड ऐंब्रौयडर्ड कवर, जयपुरी पैचवर्क, बनारसी ब्रोकेड, फ्लोरल, कांशा वर्क आदि से कुशन कवर्स को सजाएं. इन प्रिंट्स की जहां फैस्टिवल्स के दौरान काफी डिमांड रहती है वहीं ये देखने में भी काफी अच्छे लगते हैं.

4. इंडोर प्लांट्स से सजाएं घर

पौधे न सिर्फ बाहर, बल्कि घर के माहौल को भी हराभरा रखने का काम करते हैं. ऐसे में इस फैस्टिवल आप इंडोर प्लांट्स जैसे मनीप्लांट, एयरप्यूरीफाई प्लांट, ऐलोवेरा, बैंबू आदि लगा कर न सिर्फ स्वच्छ वातावरण में सांस ले सकेंगी, बल्कि इस से घर के हर कोने को भी खूबसूरत बना सकती हैं. यकीन मानिए देखने वाले भी आप के घर की इस नैचुरल सजावट के कायल हो जाएंगे.

5. वौल पेपर से बदलें दीवारों का रूप

त्यौहारों के सीजन में हरकोई घर का रंगरोगन करवाने के बारे में सोचता है ताकि घर साफसुथरा व अच्छा दिखे. अगर आप का बजट है तो आप हर रूप में डिफरैंट कलर का पेंट करवा सकती हैं, साथ ही वौल पेपर से दीवारों की रौनक को भी बढ़ाएं. अगर आप सिर्फ घर के लुक में थोड़ाबहुत बदलाव करना चाहती हैं, तो स्टिकर से बैस्ट कोई औप्शन नहीं.

6. बदलें फर्नीचर की सैटिंग

अगर आप भी अपने घर के फर्नीचर को बहुत समय से एक ही जगह देख कर ऊब गई हैं तो इस फैस्टिवल सीजन अपने घर के फर्नीचर की सैटिंग में थोड़ा बदलाव कर के घर को दें डिफरैंट लुक.

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7. लाइटिंग से जगमगाएं घर

फैस्टिवल्स की बात हो और घर में खास लाइटिंग न हो तो वह फील नहीं आ पाता जो आना चाहिए. ऐसे में आप घर के अंदर व बाहर लाइटिंग से घर को जगमगाएं. अपने गार्डन एरिया को भी खास तरह की लाइटिंग से सजा सकती हैं.

8. फ्लौवर्स से खास सजावट

सैंटर टेबल को छोटे फ्लौवर्स व फ्लौवर पौट से सजाएं, जो न सिर्फ आप को वरन देखने वालों को भी फ्रैशनैस का एहसास करवाएगा. फैस्टिवल वाले दिन टेबल पर गिलास बाउल में फ्लोटिंग कैंडल्स भी रख सकती हैं. ये न सिर्फ दिखने में मोहक लगती हैं, बल्कि घर को फैस्टिव लुक देने का भी काम करती हैं.

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