जानें शादी के बाद क्यों बदलती है जिंदगी

शादी जिंदगी का एक अहम रिश्ता होता है. इसके जरिए आपको ढ़ेर सारा प्यार और नए रिश्ते मिलते हैं. शादी और भी कई चीजों से जुड़ी होती है जो आपके जीवन में कई तरह के बदलाव लाती है. ऐसी बहुत सी चीजे हैं जिन्हें आप शादी के बिना अनुभव नहीं कर सकती हैं. जब आप शादी के बंधन में बंध रही होती हैं तो आप एक नई जीवनशैली के साथ भी जुड़ रही होती हैं. शादी के बाद शुरुआत में आपकी जीवनशैली की बहुत सी चीजें बदल सकती है. आइए आज हम ऐसी ही चीजों के बारे में बात करते हैं.

1. आपको कुछ आदतों को छोड़ना पड़ता है

शादी से पहले हो सकता है काफी देर रात तक दोस्तों के साथ मस्ती करना, उनसे बात करना आपकी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा हो, लेकिन शादी के बाद हो सकता है आपका पार्टनर आपको इन सभी चीजों की अनुमति ना दे, ऐसे में आपको इन चीजों की कुर्बानी देनी पड़ सकती है.

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2. आपको एक नई जगह पर रहना होता है

शादी के बाद आपको इस बदलाव का सामना करना पड़ता है. आप अब तक जिस जगह पर रह रही थीं उसे छोड़कर किसी नई जगह पर शिफ्ट होना आपके लिए उत्साहित करने वाला भी हो सकता है तो बहुत से लोग इस बदलाव से परेशान भी हो सकते हैं. जैसे महिलाओं को अपने परिवार को छोड़कर अपना कमरा छोड़कर आपको एक नए घर में शिफ्ट होना पड़ता है.

3. आपको हर रोज एक इंसान की बातें सुननी होंगी

औफिस से आने के बाद आप थक जाती हैं और आराम करना चाहती हैं लेकिन अगर आप शादीशुदा हैं तो आपको अपने साथी को समय देना भी जरुरी है. जिस तरह आप शादी से पहले औफिस से आकर अपने कमरे में जाकर आराम करती थीं उस तरह की जीवनशैली शादी के बाद बदल जाती है. अब आपको अपने साथी की दिन भर की बातें सुनने के लिए समय देना भी जरुरी हो जाता है.

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4. आपको अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ सकता है

मान लीजिए कि आपके साथी को किसी दूसरे शहर में नौकरी मिली है और उनकी आय आपके परिवार की सबसे बड़ी वित्तीय शक्ति है तो आप क्या करेंगी. इस मोड़ पर आपको अपना नौकरी छोड़नी पड़ सकती है. इस तरह के बदलाव भी शादी के बाद आप अनुभव कर सकती हैं.

विश्वास के घातक टुकड़े- भाग 3 : इंद्र को जब आई पहली पत्नी पूर्णिमा की याद

इंद्र ने नर्सिंगहोम का नाम बता दिया तो वह वहां चली गई. अंजलि ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया, सब के चेहरे खिल उठे. सास जल्द से जल्द नवजात शिशु को गोद में ले कर दादी बनने की हसरत पूरी करना चाहती थी.

कुछ घंटे के इंतजार के बाद अंजलि को उस के केबिन में लाया गया. साथ में नर्स की गोद में बच्चा भी था. नर्स ने कुछ नेग के साथ बच्चा सास की गोद में रख दिया. बच्चे को देख इंद्र का मन पुलकित हो उठा.

‘‘बिलकुल इंद्र पर गया है,’’ सास पुचकारते हुए बोली. इंद्र दौड़ कर बाजार से मिठाई लाया. अस्पताल के सारे स्टाफ का मुंह मीठा कराया. एक तरफ खड़ी पूर्णिमा अंदर ही अंदर रो रही थी. किसी का ध्यान उस पर नहीं गया. सब को बच्चे और अंजलि की फिक्र थी.

जो खुशी उसे देनी चाहिए थी वह अंजलि से मिल रही थी. जो मानसम्मान उसे मिलना चाहिए था, वह अंजलि को मिल रहा था. यह सब उस के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा थी. मौका देख कर वह बिना बताए घर लौट आई. बिस्तर पर पड़ते ही वह फूटफूट कर रोने लगी. क्योंकि यहां उस का रुदन सुनने वाला कोई नहीं था. तभी मां का फोन आया. वह फोन पर ही रोने लगी.

‘‘पूर्णिमा, चुप हो जा मेरी बच्ची. मैं अभी तेरे भाई को तुझे लेने के लिए भेज रही हूं. परेशान मत हो.’’ मां ने ढांढस बंधाया.

‘‘क्यों न होऊं परेशान, अंजलि मां बन गई. एक मैं हूं जो बांझ के कलंक के साथ जी रही हूं.’’ पूर्णिमा का क्षोभ, गुस्सा, झलक गया. वह सिसकती रही.

मां ने उसे समझाया, ‘‘कोई नहीं जानता कि कल क्या होगा? हो सकता है तू भी मां बन जाए.’’

‘‘नहीं बनना है मुझे मां.’’ कह कर पूर्णिमा ने फोन काट दिया.

वह सुबक रही थी, तभी इंद्र का फोन आया, ‘‘पूर्णिमा, कहां हो तुम? सब तुम को पूछ रहे हैं.’’

‘‘बच्चा कैसा है?’’ पूर्णिमा स्वर साध कर बोली.

‘‘एकदम ठीक है,’’ इंद्र खुश हो कर बोला.

कुछ दिन अस्पताल में रह कर अंजलि घर आ गई. इंद्र को तो बहाना मिल गया अंजलि के साथ रहने का. बच्चा खिलाने के नाम पर अब वह पूर्णिमा की खबर भी लेना भूल गया. यह सब असह्य था पूर्णिमा के लिए. सो एक दिन मन बना कर इंद्र से बोली, ‘‘इंद्र, मैं हमेशा के लिए मायके में रहना चाहूंगी.’’

‘‘क्यों?’’

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‘‘यहां मेरा मन नहीं लगता. वहां मेरा सुखदुख बांटने वाले मांबाप तो हैं.’’

‘‘तुम्हें यहां किस बात की कमी है,’’ सुन कर एक बार फिर से उस का मन भीग गया. पर जाहिर नहीं होने दिया.

‘‘परसों मेरा भाई आ रहा है. मुझे नहीं लगता कि अब यहां मेरी जरूरत है. मैं एक कामवाली बाई बन रह गई हूं.’’

‘‘तुम ऐसा क्यों कह रही हो?’’

‘‘ऐसा ही है.’’ बात को तूल न देते हुए वह अपने कमरे में आई और सामान पैक करना शुरू कर दिया.

जैसेजैसे सामान पैक करती उस की रुलाई फूटती रही. कभी सोचा तक नहीं था कि एक दिन ऐसी स्थिति आएगी, जब इस घर की दीवारें उस के लिए बेगानी हो जाएंगी. कभी यही दीवारें उस के नईनवेली दुलहन बनने की गवाह थीं. जब वह पहली बार आई थी तो लगता था कि ये सब उस पर फूल बरसा रही हैं. मगर आज कालकोठरी सरीखी लग रही थीं. सास ने महज औपचारिकता निभाई. बेटे के खिलाफ न तब खड़ी हुई, न अब.

पूर्णिमा को मायके में रहते हुए एक महीना हो गया था. उस ने एक संस्थान में नौकरी कर ली. शुरू में कभीकभार इंद्र का फोन आ जाता था. उस ने उसे खर्च के लिए रुपए देने की पेशकश की मगर पूर्णिमा ने मना कर दिया. देखतेदेखते 6 महीने गुजर गए. इंद्र अपनी नई पत्नी के साथ खुश था.

अचानक एक दिन उस के औफिस में एक युवक उस से मिलने के लिए आया. इंद्र उसे ले कर एक रेस्टोरेंट में चला गया. जैसेजैसे वह युवक इंद्र से अपनी बात कहता, वैसेवैसे इंद्र के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ती जातीं.

‘‘तुम्हारे पास सबूत क्या है?’’ इंद्र बोला.

उस ने अदालत के कागजात इंद्र को दिखाए, जिस में गवाह के रूप में उन लोगों के हस्ताक्षर थे, जिस के बारे में वह सोच भी नहीं सकता था.

‘‘अब तुम चाहते क्या हो?’’ इंद्र ने उस से पूछा.

‘‘वह आज भी मेरी पत्नी है. बाकी आप जो भी फैसला लें.’’ कह कर उस युवक ने इंद्र को ऐसे भंवरजाल में फंसा दिया कि उस से न हंसते बन रहा था न ही रोते. उस का मोबाइल नंबर लेने के बाद वह घर आया.

उस समय अंजलि अपने बच्चे के साथ लेटी हुई थी. एकहरे बदन की अंजलि मां बनने के बाद और भी निखर गई थी, जिस से सिवाय प्यार जताने के उसे कुछ नहीं सूझ रहा था. मगर हकीकत तो आखिर हकीकत होती है. वह बिना कपड़े उतारे चिंताग्रस्त हो कर सोफे पर बैठ गया.

‘‘ऐसे क्यों बैठा है. अंजलि क्या कर रही है?’’ इंद्र की मां ने पूछा.

सास की आवाज पर अंजलि की तंद्रा टूटी.

‘‘आप? आप कब आए?’’ वह अचकचा उठी.

‘‘ये क्या हालत बना रखी है? औफिस में ज्यादा काम था क्या? देर क्यों हो गई?’’ अंजलि के सवालों से वह खिसिया गया.

‘‘क्या आते ही सवालों की झड़ी लगा दी. खुद तो दिन भर बच्चे का बहाना बना कर लेटी रहती हो. पति मरे या जीए, तुम्हें जरा भी चिंता नहीं रहती.’’ इंद्र के बदले तेवर ने अंजलि को असहज बना दिया. ऐसा पहली बार हुआ, जब इंद्र के बात करने का लहजा उस के प्रति असम्मानजनक था.

‘‘मैं ने ऐसा क्या कर दिया. यह तो रोज ही होता है. अब बच्चे को समय न दूं तो क्या उसे अकेला छोड़ दूं.’’ अंजलि ने भी उसी टोन में जवाब दिया. उस समय तो इंद्र ने अपने आप पर नियंत्रण रखा, मगर जब परिस्थिति बदली तो मूल विषय पर आ गया.

‘‘क्या तुम्हारी पहले भी शादी हो चुकी है?’’ इंद्र के इस सवाल पर अंजलि अंदर ही अंदर डर गई. डर स्वाभाविक था. पहले तो उस ने नानुकुर किया. मगर जब इंद्र ने उस के पहले पति का नाम बताया तो वह अपने बचाव में बोली, ‘‘हां, 3 साल पहले मैं ने अपने औफिस में काम करने वाले प्रियांशु से शादी की थी.’’

‘‘क्या तुम्हारा उस से तलाक हुआ था?’’ इंद्र के इस सवाल पर उस ने चुप्पी साध ली.

‘‘बोलती क्यों नहीं? अगर यह मामला पुलिस के सामने गया तो जेल मुझे होगी. क्योंकि मैं ने किसी की ब्याहता को घर में रखा है.’’ इंद्र ने अपनी कमजोरी स्वत: जाहिर कर दी.

‘‘नहीं लिया था,’’ अंजलि बोली.

‘‘वजह?’’ इंद्र ने पूछा.

‘‘शादी के बाद पता चला कि उस का चालचलन अच्छा नहीं है. वह न केवल शराबी था बल्कि उस के दूसरी औरतों से भी संबंध थे.’’

‘‘इसलिए साथ छोड़ दिया?’’

‘‘हां.’’

‘‘शादी क्या गुड्डेगुडि़यों का खेल है, जो आज किसी से कर ली और कल किसी और के साथ.’’

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‘‘यह सवाल आप मुझ से पूछ रहे हैं? आप ने खुद शादी को मजाक बना रखा है.’’ अंजलि अपने मूल स्वभाव पर आ गई. इंद्र सन्न रह गया. जिसे उस ने फूल सी कोमल समझा था, वह कांटों सरीखी निकली.

‘‘क्या बक रही हो?’’ वह चीखा.

‘‘गलत क्या कहा. आप ने पूर्णिमा के साथ जो किया, क्या वह खेल नहीं था?’’ इंद्र को अब अपनी भूल का अहसास हुआ. अनायास उस का ध्यान पूर्णिमा पर चला गया. उसे अफसोस होने लगा कि उस ने पूर्णिमा का विश्वास क्यों तोड़ा. पर अब क्या किया जा सकता था.

‘‘इंद्र, मैं जानती हूं कि मुझ से गलती हुई. मुझे उसे तलाक दे देना चाहिए था.’’

‘‘तुम ने इस सच को मुझ से क्यों छिपाया?’’ इंद्र ने पूछा.

‘‘मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. मैं ने जब प्रियांशु से शादी की, तब मेरे मातापिता दोनों की रजामंदी थी. वे दोनों इस शादी के गवाह भी थे. मगर बाद में हालात कुछ ऐसे बने कि मैं ने प्रियांशु का घर हमेशा के लिए छोड़ दिया.

‘‘3 साल तक उस ने मेरी कोई खबर नहीं ली. न ही मैं ने उस के बारे में जानने का प्रयास किया. यह सोच कर कि मामला खत्म हो चुका है. नौकरी के दौरान वह शहर में अकेला रहता था. बाद में पता चला कि उस ने नौकरी छोड़ दी. मैं ने सोचा या तो वह कहीं और नौकरी कर रहा होगा या अपने शहर उन्नाव चला गया होगा.’’

‘‘तुम्हें पूरा विश्वास है कि वह उन्नाव का ही रहने वाला था?’’ इंद्र के इस सवाल पर वह किंचित परेशान दिखी.

‘‘उस ने बताया था तो मैं ने मान लिया.’’ अंजलि से बात करने पर इंद्र को लगा कि या तो अंजलि पूरी तरह बेकसूर है या फिर वह खुद साजिश का शिकार हो चुका है.

‘‘क्या तुम उस के साथ जाना पसंद करोगी?’’ इंद्र के इस सवाल पर वह विचलित हो गई.

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‘‘आप कैसे सोच सकते हैं कि मैं उस के साथ रहना पसंद करूंगी? मैं आप के बच्चे की मां बन चुकी हूं.’’

‘‘कानूनन हमारा विवाह अवैध है. तुम भले ही न फंसो, लेकिन तुम्हारे उस पति की शिकायत पर मुझे जेल हो सकती है.’’ इस पर अंजलि ने कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई.

अगले दिन उस युवक का फोन आया तो इंद्र ने बाद में बात करने को कहा. इस बीच उस ने वकील के माध्यम से इस विवाह की हकीकत को जानने का प्रयास किया. वकील ने बताया कि उन दोनों ने अदालत में शादी की है. यह जान कर इंद्र और भी परेशान हो उठा.

अगले दिन उस युवक का दोबारा फोन आया, ‘‘आप ने क्या सोचा है?’’

‘‘तुम अब तक कहां थे?’’ इंद्र गुस्से में बोला.

‘‘जहां भी था, इस का मतलब यह तो नहीं है कि आप मेरी बीवी को अपनी बना लें.’’ वह बोला.

‘‘तुम चाहते क्या हो?’’ इंद्र मूल मुद्दे पर आया.

‘‘अंजलि मुझे चाहिए.’’ कुछ सोच कर इंद्र बोला, ‘‘वह तुम्हारे साथ जाना नहीं चाहती.’’

यह सुन कर वह हंसने लगा.

‘‘इस का मतलब यह तो नहीं कि आप उसे अपने घर में रख लें.’’ उस का कहना ठीक था.

‘‘मैं चाहता हूं कि एक बार तुम उस से मिल लो. अगर वह तुम्हारे साथ जाना चाहेगी तो ले जाना वरना तलाक दे कर अपना रास्ता बदल लो.’’ इंद्र ने कहा.

‘‘ठीक है,’’ इंद्र ने अंजलि को इस वार्तालाप से अवगत कराया.

‘‘मैं उस का चेहरा तक देखना पसंद नहीं करूंगी. आप ने कैसे सोच लिया कि मैं उस के साथ जाऊंगी.’’ अंजलि की त्यौरियां चढ़ गईं.

‘‘बिना तलाक दिए मैं भी तुम्हें अपने पास रखना नहीं चाहूंगा.’’ इंद्र ने साफ कह दिया.

‘‘आप होश में तो हैं. आप की हिम्मत कैसे हुई ऐसा सोचने की?’’ इस बार अंजलि के तेवर बिलकुल अलग थे. कल तक जिसे वह छुईमुई समझता था वह नागिन सी फुफकारने लगी थी.

‘‘ऐसा रहा तो मुझे जहर खा कर मरना पडे़गा. इस भंवनजाल से निकलने के लिए बस एक ही रास्ता बचा है मेरे लिए.’’ इंद्र रुआंसा हो गया.

‘‘वह तुम्हें तलाक देगा. क्या इस के लिए तैयार हो?’’ उस के चेहरे पर खुशी के भाव तैर गए.

‘‘बिलकुल,’’ अंजलि के कथन से उसे तसल्ली हुई. इंद्र ने उस युवक को एक गोपनीय जगह बुलाया.

‘‘वह तुम्हारे साथ जाने के लिए तैयार है.’’ कह कर इंद्र ने प्रियांशु के साथ चाल चली.

‘‘क्या?’’ वह आश्चर्य से बोला.

‘‘मैं उस कमीनी के साथ बिलकुल नहीं रहूंगा.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘इस से पहले भी उस ने एक लड़के से शादी कर के मुझे धोखा दिया था. वह शादी महज 6 महीने चली थी.’’

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‘‘तुम्हें कैसे पता चला?’’ इंद्र ने पूछा.

‘‘ऐसी बातें छिपाए नहीं छिपती. तभी तो मैं ने उस का साथ छोड़ा.’’

‘‘यह सब जानने के बावजूद भी तुम उसे अपनी पत्नी बता रहे हो?’’

‘‘बताना ही पड़ेगा. उस ने काफी पैसे ऐंठे हैं मुझ से. लगभग 5 लाख रुपए. अब अगर सूद समेत मुझे नहीं मिलेगा तो जाहिर सी बात है, मैं आप दोनों को नहीं छोड़ूंगा.’’

‘‘कितने चाहिए?’’

‘‘10 लाख.’’ उस युवक ने कहा.

‘‘मैं इतना नहीं दे सकता. 6 पर तैयार हो जाओ तो मैं तुम्हें दे सकता हूं.’’ वह तैयार हो गया.

इस तरह अंजलि उस युवक से आजाद हो गई. अब यह इंद्र को तय करना था कि अंजलि को किस रूप में ले. क्या ऐसी औरत विश्वास लायक है? वह खुद भी तो बेवफाई के कटघरे में खड़ा था. अनायास उस का ध्यान पूर्णिमा पर चला गया और वह पश्चाताप के गहरे सागर में डूब गया.

जीवनज्योति- भाग 3: क्या पूरा हुआ ज्योति का आई.पी.एस. बनने का सपना

लेखक- मनोज सिन्हा

अचानक ठठा कर हंस पड़ी ज्योति. कुछ ऐसा कि एक क्षण तक कुछ बोल नहीं पाई. किसी तरह खिलखिलाते हुए एकएक शब्द जोड़जोड़ कर बोल पड़ी वह, ‘‘तुम्हारा मतलब प्यार,’’ और इसी के साथ हंसती हुई वह दोहरी होती जा रही थी.

‘‘हंसो ज्योति, इतना हंसो कि अवसाद का अंधेरा छंट जाए, निराशा भरी इस निशा का अंत हो जाए. आशा की एक नई सुबह आए, उम्मीदों की किरणें फूटें, उमंग और उत्साह के पक्षी चहचहाने लगें.’’

हांफती हुई ज्योति ने स्वयं को कुछ नियंत्रित किया और आंखों की नमी को पोंछती हुई कह उठी थी, ‘‘पता नहीं मैं इतना क्यों हंसने लगी?’’

‘‘इसलिए कि तुम्हारा जीवन बहुत प्यारा है. वह तुम्हें हंसाना चाहता है. जिंदा देखना चाहता है क्योंकि जीवन ही हंसी है, खुशी है, आशा है, प्रेम है और मौत निराशा है, खामोशी है.’’

ज्योति ने गंभीरता ओढ़ ली थी. लेकिन जीवन गंभीर नहीं था. उस ने एक के बाद एक कई सवाल कर डाले.

‘‘अच्छा ज्योति, यह तो बता दो कि तुम ने अपने घर वालों के नाम कोई संदेश, कोई चिट्ठी छोड़ी है या नहीं? तुम्हारे इस तरह चले जाने से क्या बीतेगी तुम्हारे मांबाप पर, बहनें क्या सोचेंगी, इस बारे में भी तुम ने कुछ सोचा है? वह बेचारा मुनीम, क्या तुम्हारी मौत और समाज की उठती उंगलियों को एकसाथ झेल पाएगा?’’

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सच के एकएक बड़े पत्थर बारबार जीवन व्यावहारिकता के उस तालाब में फेंक रहा था जिस की ऊपरी परत पर बर्फ का एक बड़ा आवरण पसर गया था. ऐसा भी नहीं था कि बर्फ के नीचे का पानी हिलोरे नहीं ले रहा था. क्षोभ की तरंगें उठ रही थीं ज्योति के अंतस में भी. पर सोच लिया था उस ने कि अब किसी बात की कोई सफाई नहीं देगी वह.

‘‘वाह, ज्योति वाह, जिंदगी भर तुम्हारी खुशी के लिए जीतेमरते तुम्हारे बाप ने अपने दिल का बोझ कम करने के लिए दो कड़वे बोल बोल दिए जो तुम्हें इतने चुभ गए कि अब आत्महत्या कर के यह जताना चाहती हो कि बेटी के बाप को हर वक्त पश्चात्ताप की आग में ही जलते रहना चाहिए. अरे, वह तो एडि़यां घिसघिस कर तुम तीनों बहनों की शादी करने और गृहस्थी बसा देने के बाद ही मरेगा मगर तुम अभी से ही उसे जीतेजी क्यों मारना चाहती हो?

‘‘सोच लो ज्योति, तुम्हारी मौत की खबर पा कर जमाने के ताने सुन कर तो तुम्हारे पिताजी किसी सेठ की ड्योढ़ी पर मुनीमगीरी के लायक भी नहीं रहेंगे. फिर क्या तुम्हारा बाप, मुंशी रामप्यारे सहाय, किसी मंदिर या रेलवे स्टेशन की सीढि़यों पर बैठ कर भीख मांगेगा? क्या तुम्हारी मां, सुमित्रा देवी इस बुढ़ापे में पेट के लिए घरघर जा कर झाड़ूबर्तन, चूल्हेचौके का काम करेंगी? नीतू और पिंकी अपनी तमन्नाओं का गला घोंट कर किसी नाचनेगाने वाली गली के कोठे की जीनत बनेंगी?’’

ऐसे सख्त पत्थरों की वार से दरक गया था ज्योति का मन. बर्फ का आवरण था, कोई लोहे की चादर नहीं. बिलबिला कर बाहर आ गया था भीतर का सारा गुबार, झल्ला कर चीख पड़ी थी ज्योति अपना फैसला सुनाते हुए, ‘‘तो जहन्नुम में जाएं? कोई जिए या मरे मुझे क्या? मैं सिर्फ इतना जानती हूं कि लड़की होना अभिशाप है और मैं अपनी जीवनलीला समाप्त कर खुद को इस अभिशाप से मुक्त करना चाहती हूं, सुन रहे हो तुम? मैं खुद को मार देना चाहती हूं.’’

और इसी झल्लाहट में पुल के आखिरी किनारे पर अपना कदम बढ़ा गई थी ज्योति.

जीवन भी चुप नहीं था. जताना चाहता था कि सचमुच जिंदगी की आखिरी सांस तक वह उस के साथ है. उस की आवाज अब भी गूंज रही थी, ‘‘ज्योति, जीवन एक जंग है. इस से भागने वाले कायर कहलाते हैं. जिन में विश्वास, उत्साह, साहस और लगन होती है वह मौत को धत्ता बता कर जीवन को गले लगाते हैं. निराशा को नहीं आशा को गले लगाते हैं. वैसे तुम आत्महत्या कर रही हो तो करो, मगर मुझे यकीन है कि अनिश्चितताओं और हताशा के अंधेरे में भी राह दिखाने के लिए एक ज्योति जरूर जगमगाती रहेगी. याद रखना इस रात की भी एक सुबह जरूर होगी, इस निशा का अंत होगा, ज्योति.’’

हर रात की सुबह होती है. उस रात की भी सुबह हुई और सूर्य भी कब सिर पर चढ़ आया. पता नहीं चला. मुंशीजी के घर में व्याप्त खामोशी को किसी ने झंझोड़ा था, सांकल पीटपीट कर खटखट खट्टाक…खट…

आंखों पर चश्मा चढ़ाते मुंशीजी ने थके कदमों से चल कर दरवाजा खोला था. पोस्टमैन लिफाफा थामे बड़बड़ाया, ‘‘रजिस्ट्री डाक है, लीजिए और यहां दस्तखत कर दीजिए.’’

लिफाफे में से कागज निकाल कर पढ़ते ही मुंशी रामप्यारे सहाय की आंखें आश्चर्य से फैलती चली गईं. सहसा विश्वास नहीं हो पा रहा था कि मुंशीजी को, उस आशय पर जो इस पत्र में लिखा था. झुरझुरी ले कर स्वयं को सामान्य किया तो आंखें बरस पड़ीं. रुंधे गले से भावातिरेक में उन्होंने पुकारा, ‘‘अजी सुनती हो, सुमित्रा… नीतू, पिंकी…जानता था मैं कि ज्योति एक न एक दिन जरूर कुछ न कुछ ऐसा करेगी. अरे, सुनती हो…सुमित्रा…’’

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बाबूजी का इस तरह सुबहसुबह चिल्लाना सब को एक घबराहट दे गया था. बदहवासी के कुछ ऐसे ही आलम में सभी दौड़तेकूदते बाबूजी के पास आ गए थे. सुमित्रा, नीतू, पिंकी सब की आंखों में एक सवालिया निशान और मन में बेचैनी कि आखिर हुआ क्या?

बाबूजी, बच्चों की भांति बिलखते हुए बोले, ‘‘कितना गलत कहा था मैं ने सुमित्रा, काश, इतनी कड़वी बातें उसे कल न कहता तो इतनी आत्मग्लानि, इतना पछतावा तो मुझे न होता, ज्योति… ज्योति…कहां हो ज्योति?’’

‘‘जी, मैं यहां हूं, बाबूजी…’’ कमरे के अंदर, दरवाजे की ओट से लगी, ज्योति सामने आ कर खड़ी हो गई थी. बाबूजी के बचेखुचे शब्द ज्योति के करीब आते ही तरलता में परिवर्तित हो कर मुंह के अंदर ही उमड़ने लगे थे. क्या कहें, कैसे कहें, बाबूजी की इस भावविह्वलता को देख कर ज्योति की आंखें अपनेआप छलक आई थीं.

‘‘मैं ने सब सुन लिया है, बाबूजी. आप मन में ग्लानि क्यों लाते हैं. आप की जगह कोई भी होता तो वही कहता जो आप ने कहा था. दरअसल, गलती हमें समझने में हुई, बाबूजी.’’

खुशी से चहक उठे थे मुंशीजी, ‘‘अरे, गोली मार अलतीगलती को. सुमित्रा…3-3 बेटियों का बाप, यह मुनीम रामप्यारे सहाय ग्लानि क्यों करेगा? सीना ठोक कर चलेगा जमाने के सामने…सीना ठोक कर.’’

पत्र दिखाते हुए ज्योति के ठीक सामने तन कर खड़े हो गए थे बाबूजी, ‘‘ये देख, तेरा नियुक्तिपत्र. पढ़ न? पुलिस की सब से बड़ी आफीसर की नौकरी मिल गई है तुझे, ज्योति सहाय, आई.पी.एस. जयहिंद, मैडम.’’

जमीन पर पांव धमका कर एक जोरदार सैल्यूट दिया था मुंशीजी ने अपनी ज्योति बिटिया को.

पुलक उठी थी सुमित्रा, नीतू और पिंकी भी. सचमुच कंगले की ड्योढ़ी पर आसमान भी झुक गया था आज. और इस आसमान को झुका लाई थी एक बेटी, ज्योति.

कुछ खुशियां ऐसी भी होती हैं जिन्हें सब के साथ बांटा तो जा सकता है, मगर उन्हें महसूस करने, आत्मसात करने के लिए किसी एकांत की आवश्यकता होती है. एक ऐसा एकांत जहां आंखें मूंद कर गुजरे वक्त के एकएक क्षण का हिसाबकिताब तो होता ही है, आने वाले समय के गर्भ में छिपे कई पहलुओं को सजायासंवारा भी जाता है.

ज्योति भाग कर अपने कमरे में चली गई. कभी हंसतेहंसते रोई, तो कभी रोतेरोते हंसती रही. मनोभावों का प्रवाह कम हुआ तो वह आईने के पास आ खड़ी हुई जहां अब ज्योति नहीं, बल्कि आई.पी.एस. ज्योति सहाय का अक्स उभर आया था. भरेपूरे गोरे बदन पर कसी खाकी वरदी, कंधे पर चमचमाता अशोक स्तंभ, सिर पर आई.पी.एस. बैज लगा हैट, चौड़े लाल बेल्ट में लटका रिवाल्वर, लाल बूट और चेहरे पर शालीनता से भरा एक अद्वितीय रौब.

शायद इसी अक्स को देख कर किसी ने बहुत करीब आ कर कहा था उसे, ‘‘बधाई हो, ज्योति.’’

मनप्राण में रचबस गई इस आवाज को अंतस में महसूस किया था ज्योति ने. आंखें बंद कर के वह अपने मन के अंदर झांक आई थी. जहां सचमुच मुसकराता हुआ उस का प्यारा जीवन था और जहां जल रही थी एक जीवनज्योति.

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Titanic के Rose और Jack बने शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा, Funny वीडियो वायरल

बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी कुंद्रा (Shilpa Shetty Kundra) और उनके पति राज कुंद्रा अक्सर अपनी फनी वीडियो को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. हाल ही में राज कुंद्रा ने शिल्पा संग एक फनी वीडियो शेयर की है, जिसमें वह टाइटैनिक फिल्म के कैरेक्टर प्ले करते नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

टाइटैनिक का फनी वर्जन किया शेयर

दरअसल अक्सर सोशल मीडिया पर राज कुंद्रा फनी वीडियोज शेयर करते रहते हैं, वहीं हाल ही में उन्होंने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह और शिल्पा फिल्म टाइटैनिक के रोज और जैक के किरदार में नजर आ रहे हैं. 14 सेकेंड के वीडियो में फिल्म टाइटैनिक का डांस सीन दिखाया गया है, जिसके बैकग्राउंड में ‘लौंग लाची’ गाना सुनाई दे रहा है. वहीं इस वीडियो को शेयर करते हुए राज ने लिखा, ‘आखिरकार, सबूत मिल गया कि टाइटैनिक पर एक पंजाबी कपल भी था. मैं अपनी बात यहीं खत्म करता हूं. हैप्पी संडे.’

 

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अक्सर शेयर करते हैं वीडियो

 

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राज कुंद्रा अक्सर शिल्पा शेट्टी संग वीडियो शेयर करते रहते हैं. हालांकि वीडियो में मजाक बेहद होता है. फैंस को उनका ये अंदाज काफी पसंद आता है.

बिजलियां गिराती दिखीं थीं शिल्पा

‘ Super Dancer Chapter 4’ के मंच पर शिल्पा के वापसी करते ही शो सुर्खियों में हैं. कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद शिल्पा शेट्टी ने अपने नए लुक के साथ शो में धांसू एंट्री मारी है. हालांकि उनकी एंट्री के साथ सोशलमीडिया पर उनका लुक काफी सुर्खियां बटोर रहा था.

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अमिताभ बच्चन ने 31 तो अजय देवगन ने 60 करोड़ में खरीदा नया घर

कोरोना महामारी के ही दौरान प्रापर्टी के दामों मे आयी गिरावट और महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्टैंप ड्यूटी में दी गयी छूट के चलते सनी लियोनी. अमिताभ बच्चन और अजय देवगन सहित कई बड़ी हस्तियों ने जमकर प्रापर्टी की खरीददारी की. अप्रैल माह में अमिताभ बच्चन ने सनी लियोनी के पड़ोस में ही 5184 स्क्वायर फुट का नया आशियाना खरीदा है. द्ध को मिले रजिट्रेशन के कागजों के अनुसार यह प्रापर्टी डुपलेक्स क्रिस्टल ग्रुप प्रोजेक्ट में है. जिसकी कीमत 31 करोड़़ रूपए हैं इसी में 16 मार्च को सनी लियोनी ने 16 करोड़ रूपए  में एक फ्लैट खरीदा थाण्सूत्रों की माने तो अमिताभ बच्चन ने दिसंबर 2020  में यह प्रॉपर्टी खरीदी थी. मगर उन्होने इसका रजिट्रेशन अप्रैल 2021 में कराया और बासठ लाख रूपए  की स्टैंप ड्यूटी चुकायी है यानी कि कोरोना माहामरी के चलते महाराष्ट्र सरकार ने स्टैंप ड्यूटी में जो छूट दी है. उसका फायदा अमिताभ बच्चन ने उठाया हैण्ज्ञातब्य है कि अमिताभ बच्चन के पास पहले से मुंबई के जुहू इलाके में पांच बंगले हैं.

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अजय देवगन ने भी खरीदा 60 करोड़ रूपए में जुहू में नया बंगला

अमिताभ बच्चन के बाद अब अभिनेता अजय देवगन ने भी जुहू इलाके में ही अपने बंगले के नजदीक ही एकपोल को आपरेटिब सोसायटी स्थित 590 स्क्वायर यार्ड में फैला स्वलिंग बंगला खरीदा हैण्यह बंगला अजय देवगन के बंगले शक्ति से ज्यादा दूर नही है. सूत्र दावा कर रहे हैं कि इसे अजय देवगन ने साठ करोड़ रूपए में खरीदा है. पर अजय देवगन की तरफ से इसकी कीमत की पुष्टि नही की गयी है. जबकि उनके प्रवक्ता ने बंगला खरीदने की बात स्वीकार की है. सूत्र दावा करते है कि इस बंगले की कीमत लगभग सत्तर करोड़ रूपए है. मगर कोरोना महामारी के चलते दाम गिरे हैं और अजय देवगन को 60 करोड़ रूपए में मिला. सूत्र यह भी दावा कर रहे है कि अजय देवगन ने बंगले के अंदर नवीनीकरण व इंटीरियर डेकोरेशन आदि का काम शुरू करवा दिया है.

सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार अजय देवगन ने भी यह बंगला महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्टैंप ड्यूटी में दी गयी छूट का फायदा उठाते हुए नवंबर या दिसंबर 2020 में खरीदा था. मगर ष्कपोल को आपरेटिब सोसायटी की तरफ से सात मई 2021 को इस बंगले का नामकरण संयुक्तरूप से वीना वीरेंद्र देवगन और विषाल देवगन उर्फ अजय देवगन के नाम किया गया. पहले इस बंगले का मालिकाना हक स्वण् पुष्पा वालिया के नाम पर था

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अनुपमा के बाद वनराज ने काव्या को दिया धोखा, शादी के बीच किया ये काम

सीरियल अनुपमा में आए दिन नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. जहां काव्या औऱ वनराज की शादी की रस्में शुरु हो गई हैं तो वहीं अनुपमा और डौक्टर अद्वैत की दोस्ती बढ़ती जा रही है. इसी बीच सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में काव्या की खुशियों पर नजर लगने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

शादी के मंडप से भागा वनराज

जहां बीते दिनों वनराज और काव्या की शादी की फोटोज ने अनुपमा फैंस को हैरान कर दिया था तो वहीं अपकमिंग एपिसोड में काव्या को बड़ा झटका मिलने वाला है. दरअसल, वनराज, अनुपमा के बाद काव्या को धोखा देकर मंडप से भाग जाएगा. वहीं काव्या बौखला कर शाह परिवार पर बरसती हुई नजर आएगी.

 

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अनुपमा को धमकी देगी काव्या

दूसरी ओर काव्या गुस्से में अनुपमा को फोन करके आने के लिए कहेगी. हालांकि अनुपमा जवाब देगी कि तुम्हारी शादी, तुम्हारा पति और तुम्हारा प्रौब्लम उसे कोई मतलब नहीं है. लेकिन काव्या उसे धमकी देगी कि अगर वह नहीं आई तो वनराज और उसके पूरे परिवार के खिलाफ पुलिस कंप्लेंट कर देगी.

तलाक के बाद अनुपमा दे रही है काव्या को जवाब

 

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अब तक आपने देखा कि अपनी शादी की खुशी के बीच काव्या, अनुपमा का मजाक उड़ाने का कोई मौका नही छोड़ रही है. हालांकि अनुपमा तलाक के बाद अपने लिए खुद लड़ना और जवाब देना सीख गई है, जिसके चलते वह काव्या को करारा जवाब देते हुए नजर आ रही है.

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औफस्क्रीन सेट पर हो रही है मस्ती

 

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सीरियल के सीरियस माहौल के बीच अनुपमा स्टार्स मस्ती करते हुए नजर आ रहे हैं. जहां एक तरफ काव्या और वनराज यानी मदालसा शर्मा और सुधांशू पांडे रोमांस फरमा रहे हैं. तो वहीं अनुपमा यानी रुपाली गांगुली बा, पाखी और परितोष संग पिया तू अब तो आजा गाने में डांस करती नजर आ रही हैं.

2000 से अधिक बच्चे चिन्हित मिलेगा मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का लाभ

कोरोना काल में निराश्रित बच्चों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की शुरुवात की है. महामारी से प्रभावित इन पात्र बच्चों की देखभाल, भरण पोषण, शिक्षा और आर्थिक सहायता की जिम्मा अब योगी सरकार उठाएगी. उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ महामारी के समय एक ओर प्रदेशवासियों को कोरोना के प्रकोप से बचा रहे हैं तो दूसरी कठिन समय में अपनों के दूर चले जाने से मायूस बच्चों के लिए भी संवेदनशील हैं. कई बार सीएम योगी आदित्यनाथ का वात्सल्य रूप सभी को देखने को मिला है. ऐसे में योगी सरकार द्वारा इस बड़ी योजना की शुरुवात किए जाने से सीधे तौर पर प्रदेश के जरूरतमंद प्रभावित बच्चों को राहत मिलेगी.

बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ विशेष गुप्ता ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ शुरू से ही बच्चों के लिए बेहद संवेदनशील रहे हैं. ऐसे में प्रदेश के प्रभावित बच्चों के लिए बड़ी योजना की शुरुआत कर सीएम आदित्यनाथ बच्चों के लिए नाथ बन गए हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में ऐसे लगभग 2000 बच्चों को अब तक चिन्हित किया जा चुका है अब इन सभी बच्चों में योजना के अनुसार पात्र बच्चों को चयनित कर योगी सरकार सीधा लाभ देगी.

मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की होगी मॉनिटरिंग

डॉ विशेष गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में पात्र बच्चों को लाभ मिल सके इसके लिए प्रदेश में इस योजना की मॉनिटरिंग का कार्य भी किया जाएगा. उन्होंने बताया कि जनपद स्तर पर जिला प्रोबेशन अधिकारी के नियंत्रण में बनी समितियां जैसे बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई और ग्रामीण इलाकों में निगरानी समितियां इसकी मॉनिटरिंग करेंगी. इसके साथ ही प्रत्येक जनपद स्तर पर जिला अधिकारी और प्रदेश स्तर पर बाल संरक्षण आयोग भी इसकी निगरानी करेंगे.

प्रदेश में युद्धस्तर पर किया जा रहा योजना पर काम

महिला कल्याण विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया कि महिला कल्याण विभाग ने प्रदेश के सभी जनपदों के डीएम को ऐसे सभी बच्चों की सूची तैयार कर भेजने के आदेश दिए हैं. जिससे ऐसे सभी बच्चों के संबंध में सूचनायें संबंधित विभागों, जिला प्रशासन को पूर्व से प्राप्त सूचनाओं, चाइल्ड लाइन, विशेष किशोर पुलिस इकाई, गैर सरकारी संगठनों, ब्लाॅक तथा ग्राम बाल संरक्षण समितियों, कोविड रोकथाम के लिए विभिन्न स्तरों पर गठित निगरानी समितियों और अन्य बाल संरक्षण हितधारकों के सहयोग व समन्वय किया जा रहा है.

डरने की नहीं है बात योगी जी हैं साथ

योजना के जरिए उन बच्चों को लाभ मिलेगा जिन्होंने अपने माता पिता या दोनो में. से एक कमाऊ सदस्य को एक मार्च 2020 के बाद महामारी के दौरान को दिया है. माता पिता किसी एक को मौत के बाद दिसरे की वार्षिक आय दो लाख से कम है तो उसको योजना का लाभ मिलेगा. इसके साथ ही 10 साल से कम आयु के निराश्रित बच्चों की देखभाल प्रदेश व केंद्र सरकार के मथुरा, लखनऊ, प्रयागराज, आगरा, रामपुर के बालगृहों में की जाएगी. इसके साथ ही अवयस्क बच्चियों की देखभाल और पढ़ाई के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में रखा जाएगा. 18 अटल आवासीय विद्यालयों में भी उनकी देखभाल की जाएगी.

सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफौर्म

जब से ट्विटर और व्हाट्सएप पर सरकारी अंकुश की बात हुई हैं, लोगों का जो भी मर्जी हो बकवास इन सोशल मीडिया प्लेटफौमों से डालने की आदत पर थोड़ा ठंडा पानी पड़ गया है. हमारे यहां ऐसे भक्तों की कमी नहीं जो अपनी जातिगत श्रेष्ठता को बनाए रखने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी को आंख मूंद कर समर्थन कर रहे थे और विरोधियों के बारे में हर तरह की अनापशनाप क्रिएट करने या फौरवर्ड करने में लगे थे. अब यह आधार ठंडा पडऩे लगा है.

सरकारी अंकुश इसलिए लगा है कि अब सरकारी प्रचार की पोल खोली जाने लगी है. कोविड से मरने वालों की गिनती जिस तरह से बड़ी थी उस से भयभीत हो कर लोगों को पता लगने लगा कि मंदिर और हिंदूमुस्लिम करने में जानें जाती हैं क्योंकि सरकार की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं. भक्त को कम बदले पर जो समझदार थे उन की पूछ बढऩे लगी है और उन्हें जवाबी गालियां मिलनी बिल्कुल मिलनी बंद हो गई हैं.

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जैसे पहले झूठ के बोलवाले ने सच को दवा दिया था वैसे ही अब का बोलबाला झूठ को दबा रहा है और सरकार को यह मंजूर नहीं. हमारे धर्म ग्रंथ और धाॢमक मान्यताएं झूठ के महलों पर खड़ी हैं. कोर्ई भी धाॢमक कहानी पढ़ लो झूठ से शुरू होती है और झूठ पर खत्म होती है और उसे ही आदर्श मानमान कर सरकार ने झूठ पर झूठ बोला जो अब टिवटर और व्हाट्सएप जम कर खंगाला जाया जा रहा है. ट्विटर ने भाजपा के संबित पाया के ट्विट्स को मैनीयूलेटड कह डाला तो सरकार अब मोहल्ले की सासों की सरदार बन कर उतर आई है और पढ़ीलिखी बहुओं का मुंह बंद करने की ठान ली है.

हमारे रीतिरिवाज तो यही हैं और यही चलेंगे की तर्ज पर सरकार भी यही संविधान है और हम ही तय करेंगे कि यह संविधान किस तरह पढ़ा जाएगा. सासें तय करेंगी कि कौन क्या पहनेगा क्योंकि संस्कृति की रक्षा तो उन्हीं के हाथों में है चाहे वे सारे मोहल्ले में सब के बारे में सच बताने के नाम पर अफवाहें फैलाती रहती हो. अब देश में एक तरफ कट्टरपंथी सासनुमा सरकार है, दूसरी तरफ बहुएं जो आजादी भी मांग रही है और तर्क भी पेश कर रही हैं और दोनों का युद्ध ट्विटर और व्हाट्सएप की गली के आधार हो रहा है. आप घूंघट वालियों के साथ हैं या जींस वालियों के साथ?

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World Tobacco Day: अब भी नही समझेंगे तंबाकू के खतरे तो कभी नहीं समझेंगे

कोई समझने वाला हो तो इशारा ही बहुत होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 28-29 मई-2021 तक दुनियाभर में 36 लाख लोग कोविड-19 से अपनी जान गंवा चुके थे.इस आंकड़े के भीतर भी एक डराने वाला आंकड़ा छिपा है.मरने वाले लोगों में से 54%से ज्यादा के फेफड़े पहले से प्रभावित थे.आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर युवाओं को विशेषकर इस डाटा से सबक सीखना चाहिए.क्योंकि तंबाकू के डरावने नतीजों को अब भी हमने गंभीरता से नहीं लिया तो समझो कभी नहीं ले पायेंगे.

साल 1984 में पहली बार विश्व स्वास्थ्य दिवस 7 अप्रैल को मनाया गया और इसकी थीम थी, ‘तम्बाकू या स्वास्थ्य- चुनना आपको है’.तभी से सही मायनों में पता चला है कि लगभग 2000 से अधिक रसायनों से युक्त तम्बाकू व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है.विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के मुताबिक मौजूदा समय में दुनिया के करीब 122 करोड़ लोगों को तम्बाकू की लत लगी हुई है. इनमें से तकरीबन 100 करोड़ लोग विकासशील देशों में रहते हैं.पिछली शताब्दी के मध्य में तम्बाकू से सेहत को होने वाले खतरों के प्रति लोगों का ध्यान गया.

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तब धीरे धीरे यह समझ में आने लगा कि न सिर्फ कैंसर बल्कि श्वांस एवं हृदय सम्बंधी विकारों का भी कारण तम्बाकू ही है.डब्लूएचओ पिछले कई दशकों से लोगों को तम्बाकू सेवन के चिकित्सकीय, पर्यावरणीय, आर्थिक व सामाजिक दुष्परिणामों से सचेत कर रहा है. दुनिया में तंबाकू के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए लगातार कई तरह की कोशिशें की जा रही हैं. मसलन- सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर रोक सम्बंधी कानून बनाये गये हैं, 18 साल से कम उम्र के लोगों को इसे बेंचने पर प्रतिबंध लगाया गया है.सिगरेट की डिब्बियों और तंबाकू के पाऊच में यह चेतावनी लिखवाई गयी है कि इसका सेवन हेल्त के लिए खतरनाक है.

मगर इस तमाम कवायद के बावजूद  तंबाकू के निषेध के मामले में बड़ी सफलता नहीं मिल रही. लोग इन तमाम कानूनों का कड़ाई से पालन नहीं करते.दरअसल जब कोई बुराई सामाजिक स्वीकार्यता का रूप हासिल कर लेती है, तब उससे लड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है.एक ओर तो सरकार तंबाकू को राजस्व की प्राप्ति का एक बड़ा एवं मजबूत जरिया मानती है, दूसरी तरफ तंबाकू के कई उत्पादों जैसे गुटखा आदि पर समय समय पर रोक भी लगाती है. लेकिन इन तथाकथित रोकों में इतने चोर दरवाजे मौजूद होते हैं कि कानून के बावजूद बाजार में तंबाकू के ये उत्पाद धड़ल्ले से बिकते रहते हैं.

इसके लिए कई किस्म के मिथ भी गढ़ लिये गये हैं-मसलन एक यही कि धूम्रपान से स्ट्रेस यानी तनाव कम होता है, जबकि हकीकत यह नहीं है.आज चिकित्सा विज्ञान इस बात को भलीभांति जानता है कि किसी चीज का शरीर के आण्विक एवं कोशीय स्तर पर क्या स्वास्थ्य जनित प्रभाव पड़ता है? तंबाकू के इस्तेमाल के संबंध में पता चला है कि इससे शरीर कुछ ऐसे विषाक्त तत्वों को ग्रहण करता है, जो उसकी कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं.चीन दुनिया में तंबाकू का सबसे बड़ा उत्पादक देश है जहां लगभग 2 करोड़ ग्रामीण परिवार 210 करोड़ हेक्टेयर जमीन पर तम्बाकू पैदा करते हैं.

तंबाकू से चीन सरकार हर साल 12 फीसदी की राष्ट्रीय आय प्राप्त करती है.चीन के बाद तंबाकू उत्पादन में ब्राजील का नम्बर आता है, जहां 1,35,000 परिवार देश की 0.7 फीसदी उपजाऊ जमीन पर तंबाकू की खेती करते हैं.भारत में 96,865 रजिस्टर्ड तंबाकू उत्पादक परिवार हैं, परंतु गैर रजिस्टर्ड भी कम नहीं हैं.भारत में लगभग 0.25 प्रतिशत उपजाऊ जमीन पर तंबाकू उगाया जाता है.1947 से ही सरकार ने अधिक राजस्व के लालच में तम्बाकू के उत्पाद एवं इसके उद्योग को बढ़ावा दिया है. दूसरे देशों के मुकाबले हमारे यहां बीड़ी बनाम सिगरेट की लड़ाई भी है. यही नहीं हमारे यहां तंबाकू को चबाकर खाने की भी संस्कृति है.

सुरती, खैनी और पान में तम्बाकू को चबाकर भी हमारे यहां खाया जाता है.इसलिए फेफड़े के कैंसर के साथ साथ ही हमारे यहां मुख एवं गले के मामले भी बहुत होते हैं. इन दिनों कोरोना की घातक शिकंजेबंदी में सबसे पहले वही लोग आ रहे हैं, जिनके फेफड़े तंबाकू के इस्तेमाल से पहले ही बहुत खराब हो चुके हैं. दुनिया में हर साल औसतन 67 लाख टन तंबाकू पैदा होता है.इसमें चीन 39.6 प्रतिशत, भारत 8.3 प्रतिशत ब्राजीन 7.0 प्रतिशत एवं अमरीका 4.6 प्रतिशत तम्बाकू का उत्पादन करते हैं.

तंबाकू के इस्तेमाल से स्वास्थ का कई तरह से नुकसान होता है. तंबाकू के इस्तेमाल से हम में सूंघने की क्षमता में कमी आ जाती है. इंसान कुछ गिनीचुनी स्थूल महकों के महसूसने तक ही सीमित हो जाता है, जबकि सामान्य तौरपर कोई व्यक्ति 10,000 किस्म की गंधें महसूस कर सकता है. तंबाकू के सेवन से सांस में बदबू आती है, भूख कम लगती है, इसमें निकोटीन  ज्यादा होने के कारण यह लार भी अधिक बनाती है. इसके नियमित इस्तेमाल से दांत काले पीले हो जाते हैं.बलगम अधिक बनता है जिस कारण सुबह के वक्त तंबाकू का सेवन करने वाले लोग खखारते रहते हैं, इसे स्मोकर्स थ्रोट कहते हैं.

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कई लोग कहते हैं कि वे इसे छोड़ना चाहते हैं, लेकिन छोड़ नहीं पाते. मगर विशेषज्ञ कहते हैं कि इसे छोड़ा जा सकता है.इसके लिए कुछ इस तरह की गतिविधियों का सहारा लिया जा सकता है.मसलन- धूम्रपान की शुरुआत ही न करें, करें तो इसके आदी न बनें और इसे छोड़ना चाहें तो दृढ़संकल्प के साथ कुछ ऐसी गतिविधियों में खुद को लिप्त कर लें जो इसकी तरफ आपका ध्यान ही न दिलाए.

नियमित रूपसे ऐसी गतिविधियों में शामिल रहें जिनमें  सुबह-शाम जोगिंग,स्विमिंग,योगासन,ध्यान लगाना, डांस करना जैसी गतिविधियां शामिल हों. गायन, वादन, चित्रकारी जैसी रचनात्मक गतिविधियां भी तंबाकू की तलब को खत्म करती हैं.

5 Tips: लॉकडाउन में बच्चों की बोरियत करें दूर

वैश्विक महामारी कोरोना 2020 के जाते जाते लगा की अब 2021 में सब कुछ ठीक होगा लोगों को उम्मीद थी कि यह साल 2020 से बेहतर होगा लेकिन 2021 का मार्च आते आते महामारी की दूसरी लहर ने फिर से लोगों की कमर तोड़ दी. दुबारा से कोरोना महामारी ने सभी की ज़िंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है. लॉकडाउन की वजह से लोगों की ज़िंदगी फिर से घर पर ही बीत रही है. चाहे वह बच्चे हो या बड़े, ना कोई ऑफिस जा पा रहा है, ना कोई स्कूल और ना ही कोई शॉपिंग सब लोग खाली हैं. इसका असर बच्चों पर ज़्यादा पड़ रहा है ना वह खेल पा रहे हैं ना दोस्तों के साथ घूमने जा रहे हैं. वहीं, हर साल मई और जून के महीने में बच्चों को समर एक्टिविटी के लिए कैंप भेजा जाता था लेकिन अब ये संभव नहीं है. बच्चे घर में रह कर बोर हो गए हैं इसलिए पेरेंट्स भी अब सोच में पड़ गए हैं कि आखिर इतने लंबे समय तक वह अपने बच्चों को कैसे एंटरटेन करें? तो चलिए आज हम आपकी थोड़ी मदद कर देते हैं कि कैसे बच्चे की बोरियत दूर की जाए. हम बताते हैं कुछ टिप्स जिसे फॉलो करके आप घर में रहकर बच्चे के साथ खूब मौज-मस्ती कर सकती हैं.

1. बच्चों के हॉबी को दे प्राथमिकता

स्कूल बंद होने से घर पर बैठे बैठे बच्चे बोर हो गए होंगे तो आप बच्चे की हर क्रिएटिविटी को बढ़ावा दें और स्वंय उसका हिस्सा बनें. अगर बच्चे को पढ़ना, खेलना, खाना आदि पसंद है तो उन्हें करने दें. ऐसा करने से बच्चे का स्ट्रेस कम होगा और उनका मूड अच्छा रहेगा. साथ ही कोशिश करें कि उन्हें हर बात पर ना डाटें. अगर आपका बच्चा डांस कर रहा है तो उन्हें ऑनलाइन डांस वीडियो देखने के लिए कहे.

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2. बच्चों के साथ योग और एक्सरसाइज करें

लॉकडाउन के कारण बच्चों को घर में बैठे हुए लगभग 1 साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है वह स्कूल नहीं जा रहे हैं. जिसकी वजह से वह सुबह उठ नहीं पाते हैं. ऐसे में ज़रूरी है बच्चों को सुबह उठकर उनके साथ योग या एक्सरसाइज़ करें. साथ ही खूब सारी मस्ती करें और उन्हें बताएं कि योग करना सेहत के लिए कितना फायदेमंद है. कोरोना के इस दौर में एक्सरसाइज और योग करना बहुत ज़रूरी है. आप बच्चे की पसंद का कोई गाना प्ले कर सकती हैं जिससे बच्चा योग करते समय बोर नहीं होगा.

3. बच्चों के साथ नई डिश बनाएं और खिलाएं

लॉकडाउन होने से इस समय बच्चों को बाहर का खाना नहीं मिल पा रहा है और घर का खाना वह ज़्यादा शौक से नहीं खाते हैं. ऐसे में आप परेशान नहीं हो यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म से आप नई रेसिपी सीख कर घर में बच्चों के साथ मिल कर नयी नई डिश बना सकती हैं. साथ ही उन्हें ये भी बताएं कि खाना सेहत के लिए कितना ज़रूरी है.

4. बच्चों को कहानियां सुनाएं

आज के डिजिटल जमाने में बच्चों को तो जैसे कहानियों का मतलब ही नहीं पता बच्चों को कहानी सुनाए वह कहानियों को सुनकर उसे कॉपी भी करते हैं. तो कोशिश कीजिए उन्हें अच्छी-अच्छी कहानियां सुनाएं. आप उन्हें हिस्ट्रीया कोई प्रेरणादायक सुना सकती हैं या फिर ऐसी कहानी पढ़ने को कह सकती हैं. ऐसा करने से आपका बच्चा बोर नहीं होगा.

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5. डायरी लिखने को कहें

डायरी लिखना हर उम्र के लोगों को पसंद होता है तो बच्चों को डायरी लिखने को कहे क्योंकि इस वक्त बच्चे सही ढंग से नहीं पढ़ पा रहे हैं और होमवर्क को बिल्कुल भी नहीं कर रहे. डायरी लिखने का एक फायदा यह होगा कि आपके बच्चे को लिखना आ जाएगा साथ ही उसकी पढ़ने की क्षमता बनी रहेगी. डायरी लिखते समय बच्चा बोर नहीं हो इसके लिए आप उनसे फन्नी और मनोरंजक चीज़ों को लिखने को कहें.

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